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UPDATE 163
सादीया की इच्छास्वरुप मैने सुबह के 3 बजे तक उसकी चुत और गाड मारी और फिर मै सो गया ।
सुबह 9 बजे के बाद ही मेरी आंखे खुली तो उसने ताजा गर्म नाश्ता करवाया और फिर मै सफ़र पर निकलने की तैयार होने लगा ।
इस दौरान वो मेरे पास ही रही और उसने मुझसे वादा लिया कि जब भी मुझे समय मिले वो यहा जरुर आऊ ।
मै भी मुस्कुरा कर हा बोल दिया ।
फिर वो मुझे बस स्टाप तक छोडने आई और 10 बजे वाले बस से मै बुआ के घर की ओर निकल गया ।
मै जा तो बुआ के यहा जा रहा था लेकिन सादीया की यादे मेरा पीछा नही छोड रही थी ।
उसके बारे मे सोचते हुए कब मै सो गया पता ही नही चला
और मेरा सफर भी खतम हो गया ।
मै फाइनली अपने बुआ के शहर आ गया था ।
मैने अपना बैग लिया और निचे उतरा ।
फिर मै चौराहे से होकर टाउन की ओर जाने लगा ।
चुकी मै काफी समय बाद बुआ के यहा आया था तो यहा बहुत कुछ बदल गया था ।
चौराहे से मैने ई-रिक्सा लिया और बुआ के घर के मुहल्ले का नाम ब्ताया और फिर हम (मै और वो रिकशा वाला ) निकल गये ।
रास्ते मे मैने एक बहुत ही बड़ा कालेज देखा , काफी वीआईपी भी था ।
मैने रिक्सेवाले से उस कालेज के बारे मे पुछा तो उसने मेरे बड़े फुफा का नाम बताया तो मै मुस्कुरा दिया ।
फिर वो रिक्सेवाला इस कालेज के साथ साथ मेरे फुफा की भी बड़ाई बतियाने लगा ।
मै चुपचाप सुनता रहा और जब मेरा मुहल्ला आया तो मै उसके पैसे देकर उतर गया ।
मै अपना बैग उठाकर कन्धे पर किया और कालोनी के एक बड़े मकान की ओर देखा ।
फिर मुस्कुरा कर उसी ओर चल दिया ।
काफी बड़ा गेट लगा था और उसमे एक छोटा गेट भी था । मै उस छोटे गेट से अन्दर घुसा ।
अंदर काफी बड़ा घर था
जित्ने मे मेरा चौराहे वाला घर था उतना तो फुफा जी ने खुला छोड रखा था । जिसमे एक ओर कुछ आदमी औरत अनाज का काम कर रहे थे ।
एक ओर फुलवारी भी थी उसकी भी देखरेख दो औरते कर रही थी ।
मै बेधड़क आगे बढ रहा था और घर के बरामदे से होकर एक ब्डा सा दरवाजा फांदते हुए हाल मे पर्वेश किया तो सामने शिला बुआ खडी थी ।
जो सोफे पर रखे हुए कपडो मे से छटाई कर रही थी ।
मैने इधर उधर जरा भी नही देखा ,,बुआ के कुरती ने उभरी हुई गाड़ देखकर मेरा लण्ड वैसे ही तन चुका था
मै दबे पाव गया और बुआ को पीछे से पकड लिया ,
मै चहक कर - बुआआ हिहिहिही
मैने उनको पेट पर से पकड़ा हुआ था और मेरा लण्ड उनकी गाड़ मे चुभ रहा था ।
शिला बुआ ने जैसे ही मेरी आवाज सुनी वो खुश हुई - अरे मेरा लल्ला तु
और वो फिर वो मेरी बाहो मे ही घूम कर मेरे ओर हो गयी ।
अब मेरे हाथ उनकी कूल्हो पर थे ।
मैने तुरंत हग कर लिया और उन्होने मुझे रोका भी नही ।
मै उन्के सीने से चिपका हुआ था कि मेरी नजरे एक जगह अटक गयी।
एक बडी ही गठिले बदन वाली औरत जिसने डीप गले का ब्लाऊज पहन रखा था वो एक कमरे से झाडू लगाते हुए हाल मे आ रही थी ।
मै बुआ से अलग हो गया था और मेरी नजरे उसके झान्कते हुए चुचो मे अटक गयी थी ।
जब बुआ ने मुझे एकदम से चुप देखा तो मेरी नज़र का पीछा किया और वो मुस्कुरा कर मेरे गाल खिचते हुए ।
शिला - शैतान कही का ,,,अभी आये हुए तुझे कुछ मिंट भी नही हुए और तु शुरु हो गया ।
मै हस कर उनकी कमर पर हाथ घुमाते हुए - ये कौन है बुआ
शिला - ये हमारे घर की खास नौकरानी है , मीना
मै बुआ की आंखो मे देखते हुए - खास नौकरानी मतलब हिहिहिही
शिला हस कर - चल अब ज्यादा दिमाग ना लगा ,,और फ्रेश हो ले । मै खाना लगाती हू ।
फिर बुआ ने मुझे एक कमरे मे ले गयी ।
उस कमरे की हालत बहुत खराब थी ।
यहा वहा कपडे बिखरे बड़े एक टेबल पर कम्पयूटर था लेकिन वहा भी सब कुछ तीतर बितिर था ।
मैने बेड पर अपना बैग रखा और थोडा असहज होकर बैठ गया ।
बुआ समझ गयी कि मुझे ये कमरा कुछ खास पसंद नही आया था ।
शिला मुस्कुरा कर - अरे ये कमरा अरुण का है ,, वो ऐसे ही अपने सामान इधर उधर कर देता है ।
शिला - तु हा बाथरूम मे फ्रेश हो ले और मै मीना को बोल कर ये सब सही करवा दे रही हू ।
फिर मैने अपनी बैग से अंडरवियर लिया और अपने कप्डे उतारे और नहाने के लिए कमरे के ही बाथरूम मे चला गया ।
गुनगुने पानी से नहाकर मै तौलिया लपेट कर बाहर आया तो देखा वो कामवाली मीना राहुल के समान सही कर रही थी और बकबकाये जा रही थी ।
मीना कुछ किताबो को एक डिब्बमे रखते हुए- ये अरुण बाबू का ना आदत एकदम खराब है , अरे ऐसी किताबे कोई घर मे रखता है । वो तो शूकर है कि इनका कमरा मै साफ करती हू नही तो अगर माल्किन लोग देख ले तो शामत आ जाये ।
मीना बड़बड़ा रही थी कि उसकी नजरे मुझ पर गयी ।
और वो बिना पलके झपकाये मेरे खुले सीने को निहारे जा रही थी ।
मै थोडा सा शरमाया और लपक कर अपना टीशर्ट उठा लिया ।
मीना - तो आप ही हो वो बाबू जो माल्किन के मायके से आये हो
मुझे उसकी बोलने के तरीके पर हसी आई
मैं मुस्कुरात हुआ - हा मै राज हू ।
मीना - देखो राज बाबू ये अरुण बाबू के साथ रह रहे हो न तो थोडा इनकी हरकतो को नजरअंदाज करना ।
मै थोदा परेशान होकर- क्यू ! क्या हुआ ?
मीना भड़कती हुई - अरे अब मै क्या बताऊ राज बाबू तुमको , खैर छोडो आप अब आराम कर सकते हो ।
फिर मैने लोवर पहना और वही मीना अरुण के कम्प्यूटर को साफ करने लगी ।
कि अनजाने मे उससे डेस्कटॉप का बटन दब गया और डेस्कटॉप ऑन हो गया ।
डेस्कटॉप स्क्रीन की लाईट मुझे महसूस हुई तो मै उस देखा
तो मीना बड़बड़ा रही थी - हे ददा ये कैसे चालू हो गया । कहा से बंद होगा
मैं उसकी परेशानी भरी बड़बड़ाहट सुन ली और उठकर - क्या हुआ , बंद नही हो रहा है क्या
मेरी आवाज सुनते ही मीना desktop स्क्रीन के सामने खड़ी होकर जैसे उसे छिपाने लगी - न न नही वो मै बंद कर लूंगी
मै उसकी ओर बढकर - अरे रुकिये मै बंद कर देता हू ।
ये बोलकर जैसे ही मै मीना के बगल मे खड़ा हुआ तो सामने देखा डेस्कटॉप मे mute मे एक पोर्न वीडियो चल रहा था और उसने एक औरत एक लडके से चुद रही थी ।
मै समझ गया कि मीना की हडबडी का कारण क्या था
तो मैने लपक कर डेस्कटॉप की स्क्रीन ऑफ कर दी ।
मीना मुझसे नजरे चुरा रही थी और मुझे भी थोडा असहज लग रहा था कि अभी मुझे आये 15 20 मिंट भी नही हुए और क्या क्या हो रहा है ।
मैने मीना के रस भरे जोब्नो पर नजरे गडाये रखा और पल भर मे ही मीना ने मेरी नजरो का लक्ष्य भाप लिया ।
जिससे उसकी सासे तेज हो गयी और वो फौरन कमरे से अरुण के गंदे कपडे लेके बाहर निकल गयी ।
मै अपना लण्ड सेट किया और अपना बैग भी एक जगह रख कर बाहर आ गया ।
फिर बुआ ने मुझे खाना दिया और मै खाना खा रहा था ।इसी दौरान मीना मुझे पानी देने के लिए आई
मै मुस्कुरा कर - तो आप अरुण की यही सब हरकतें नजरअंदाज करने को बोल रही थी ।
मीना ने मेरी ओर देखा और मुस्कुरा कर - हम्म्म
मै मुस्कुरा कर - कोई बात नही ये तो लगभग सभी घरो मे होता है ,, बच्चे ये सब देखते ही रहते है
मीना- ओहो अभी आप समझ नही रहे हो कि बात कितनी बडी है ।
ये बोल कर मीना चली गयी ।
और मुझे एक उलझन मे छोड गयी कि आखिर ऐसा क्या करता है अरुण कि वो मीना को अजीब लगता है ।
फिर मै बुआ के पास चला गया और उनके कमरे मे देखा तो कमरा बड़ा ही आलिशान था ।
काफी बड़ा बेड था जिसमे 4 से 5 लोग आसानी से सो सकते थे और गद्दा भी बहुत मुलायम था ।
फिर मै बुआ से बाकी के लोगो के बारे मे बात करने लगा ।
तो पता चला कि कम्मो बुआ और अरुण अभी 2 बजे तक आयेंगे और दोनो फूफा लोग शाम तक आयेंगे क्योकि वो लोग स्कूल मे देर तक रुकते है ।
इधर मै घड़ी देखी और बुआ के गुजारिश की तब तक क्यू ना हम लोग एक राउंड कर ले तो बुआ ने उसके लिए मना नही किया और हमलोग कमरे का दरवाजा बन्द करके शुरु हो गये ।
लेखक की जुबानी
CHAMANPURA
बीती रात अपने बेटे राहुल की बेचैनी देखने बाद आज शालिनी ने उसे तंग करने का नया तरीका निकाला ।
सुबह की चर्या के बाद वो अपने बेटी के कमरे मे गयी और उसने निशा की आलमारी से उसका एक लाईट ट्रांसपैरंस प्लाजो निकाला । फिर इठलाती हुई अपने कमरे मे चली गयी ।
करीब 9 बजे तक राहुल नहा धोकर नास्ते के लिए किचन की ओर गया और जैसे उसने सामने देखा उसकी धडकनें तेज हो गयी ।
उसका मुरझाया चेहरा खिल उठा और लण्ड पल भर मे ही लोवर को भेदने के फड़फडाने लगा ।
क्योकि सामने किचन ने शालिनी निशा की वही पारदर्शी प्लाजो पहने हुए झुक कर फ्रिज से कुछ निकाल रही थी और उसमे से उसके गुदाज फ़ैले हुए चुतडो पर कसी हुई उसकी पैटी साफ झलक रही थी ।
राहुल ने अपना सुपाडा खुजाया और सीधा अपनी मा के पीछे खड़ा हो गया ।
राहुल- क्या बना रही हो मम्मी
शालिनी - बस नासता हो रहा है , तु बता नहा लिया
राहुल - हा मम्मी , हिहिहिही
शालिनी - तो हस क्यू रहा है ,,बैठ मै नास्ता लगा रही हू
राहुल सीधा मुद्दे पे आता हुआ - वो मुझे कल रात के लिए हसी आ रही थी ।
शालिनी मुस्कुरा कर - क्यू उसमे हसने जैसा क्या था ?
राहुल - आप तो कह रही थी कि पापा बड़े शरारती है हिहिहिही
"ये तो कोई भी कर सकता है इसमे कैसी शरारत " , राहुल ने अपने हाथ आगे बढा कर शालिनी के गुदाज गाड़ को हाथ से छुते हुए कहा ।
शालिनी को जैसे ही अपने बेटे के हाथ अपने चुतडो पर मह्सूस हुए उसने अपने गाड़ सख्त कर लिये और कापने लगी ।
" अच्छा तो तेरे हिसाब से शरारत कैसे करते है ", शालिनी ने खुद की सासो को काबू मे करते हुए आगे बढ कर सिंक मे पड़े बरतन खंगालने लगी ।
राहुल हस - हिहिहिही , नही आप गुस्सा करोगे ।
शालिनी तो चाह ही रही थी कि राहुल आगे बढे इसिलिए वो राहुल को मौका देते हुए ।
शालिनी - मान ले तु तेरे पापा की जगह होता तो क्या करता । उम्म्म बोल ।
राहुल के कानो मे जैसे ही वो शब्द पड़े उसका लण्ड ठुमका और दिमाग मे एक पल को अपनी मा को बहुत ही बेरहमी से चोदने के ख्याल आया और फिर वो अपना लण्ड मसलता हुआ ।
राहुल खिखी करता हुआ अपनी मा के पास निचे बैठ गया ।
"अगर मै पापा की जगह होता तो ऐसा करता हिहिहिही ", राहुल ने अपनी के कूल्हो से उसका प्लाजो खिच कर उसके चुतडो को नंगी करते हुए बोला ।
शालिनी चौकी और चिहुकी - हेईई पागल कही का
फिर अपने भिगे हाथो से ही अपने प्लाजो को खिच के अपनी गाड़ पर चढा लिया ।
राहुल निचे बैठा हसे जा रहा था मगर दिल ही दिल मे अपनी मा की नंगी गोरी चिकनी गाड़ को चूमने का अरमाँ अधूरा रह गया था ।
शालिनी अपने हाथ पोछते हुए -चल उठ और ले नास्ता कर । मुझे लगा तु ... और तुने तो मुझे ही
राहुल अपनी मा के हाथ से नास्ते का प्लेट लेता हुआ - हिहिहिही आपने ही पूछा था ना तो हिहिहिही
शालिनी उसके चहकते चेहरे पर खुश थी और शर्मा के काम करने लगी ।
राहुल ने नाश्ता किया और हाथ पोछ कर किचन से जाने पहले अपनी मा के चुतडो पर चट्ट से मारता हुआ - हिहिहिही अगर मै पापा की जगह होता तो ऐसा हमेशा करता
इतना बोलकर राहुल दुकान मे चला गया और शालिनी अपने चुतडो को सहलाते हुए हसने लगी ।
JAANIPUR
सुबह के 10 बज रहे थे और कमलनाथ नासता करके हाल मे खड़ा रीना के निचे आने का इन्तजार कर रहा था ।
घर के बाहर खड़ा ई-रिक्से वाला हार्न पर हार्न दिये जा रहा था ।
कुछ ही पलो मे रीना तेजी से उतरते हुए सीढ़ीओ से निचे आने लगी ।
उस्के मोटे हिल वाली सैन्ड्ल की कट कट से कमलनाथ का ध्यान अपनी बहू की ओर गया और उसकी निगाहे रिना के ब्लाउज ने उछलते चुचो पर अटक गयी ।
रीना सीढियो से निचे आगयी थी और उसकी तेज सासो से अभी भी उसकी चुचिया फूल रही थी और कमलनाथ की निगाहे अभी भी वही अटकी थी ।
रीना थोडा असहज हुई और हस कर - चलिये पापा जी ,
कमलनाथ - हा चलो
फिर रीना अपने सर पर पल्लू करके आगे आगे चल पड़ी और कमलनाथ पीछे से साडी मे थिरकते उसके जबरदस्त कूल्हो को देख कर अपना लण्ड सेट किया और वो भी घर से बाहर निकल गया ।
दोनो ई-रिक्से से बड़े बाज़ार की ओर निकल पड़े ।
रास्ते मे उन्होने तय किया कि पहले साड़ियो की शॉपिंग हो जाये फिर छोटे मोटे आईटेम खरीदने जायेंगे ।
फिर वो शो रूम पर गये और रीना ने टोटल 4 साड़िया पसंद की । एक सोनल और एक उसकी मा रागिनी के लिए , एक अपनी सास रज्जो और एक खुद के लिए ।
साड़ियो की खरिदारि के दौरान रीना की निगाहे शो मे खड़े एक पुतले पर जमी रही थी । जिसे दुकानदार ने बहुत ही खुबसूरत चन्देरी प्रिंट मे क्राप-टॉप लहन्गा पहना रखा था ।
कमलनाथ जिसकी निगाहे रीना पर ही जमी थी उसने भी ये नोटिस किया और समझ गया कि उसकी बहू उससे कहने मे हिचक मह्सूस कर रही है ।
कमलनाथ दुकानदार से - भाईसाहब वो ड्रेस कितने की है, जरा उस मॉडल मे कुछ दिखाईये
रीना ने फैली हुई आंखो से कमलनाथ को मुस्कुरा कर देखा - पापा जी वो बहुत महगा है ,
कमलनाथ - तुझे पसन्द है ना
रीना शर्म से नजरे झुका कर धीमी आवाज मे - हम्म्म , लेकिन मा जी गुस्सा करेंगी । मत लिजिए खर्चा वैसे ही ज्यादा है
कमलनाथ धीरे से रीना के पास होकर - अरे तु रमन की मा को छोड़ उसको कैसे मनाना है मुझे पता है ।
कमलनाथ की बात पर रीना मुह पर हाथ रख कर शर्माते हुए हस दी ।
इसपर कमलनाथ सफाई देने लगा - ओह मेरा वो मतलब भी नही था । तु बहुत शैतान है हिहिहिही
रीना हस्ती हुई - मै तो उस बारे मे कुछ सोचा ही नही हिहिहीही आप ही याद दिला रहे हो
कमलनाथ खुद को शान्त करता हुआ - अच्छा ठिक है तो ये ही कलर लेना है या कोई और
रीना भी खुद को सजग करती हुई - ह्म्म्ं यही रहेगा ।
फिर कमलनाथ सारी पैकिंग करवा कर बिल देता है और सामान लेके दुसरी दुकान के लिए निकल जाते हैं ।
अगला स्टाप था बरतन वाला
वहा भी एक घन्टे बिताने के बाद फाइनली वो सब सृंगार वाले दुकान पर गये ।
चुकि दुकान पर महिलाए ज्यादा थी तो
कमलनाथ एक ओर कुर्सी लेके बैठ गया और रीना समान निकलवाने लगी ।
करीब आधे घन्टे की बोरियत के बाद कमलनाथ के चेहरे पर चमक लण्ड मे कठोरता आई
क्योकि अब दुकान खाली हो चुका था और रीना ब्रा पैंटी देख रही थी ।
कमलनाथ बडी उत्सुकता से अपने चुतड और गरदन उचकाये हुए काउंटर पर फैले हुए लाल नीले मरून गुलाबी रन्गो वाले मुलायम कपडे देख रहा था ।
तभी दुकान पर खड़ी लेडिज ने रीना से पूछा- आपको भी अपने लिये भी चाहिये ।
जैसे ही कमलनाथ के कानो ने वो शब्द पड़े वो चहका और लण्ड मे गुदगुदी हुई
रीना ने कनअखियो से अपने ससुर को देखा और हा मे सर हिलाने लगी ।
तभी उस दुकान वाली लडकी ने रीना से उस्का साइज़ पूछा । तो रीना ने दबी हुई आवाज मे बोला 34D
आवाज इतनी धीमी थी कि उस लड़की ने सही सुना नही तो उसने कन्फर्म करने के लिए थोडा साफ लहजे मे सामान्य होकर पुछा- 34 B या 34D
जिसे कमलनाथ बड़े ध्यान से सुन रहा था और रीना ने बडी हिचक के साथ बोला - B नही D
फिर वो शर्माते हुए अपनी गरदन घुमा कर अपने ससुर की ओर देखा कि कही उन्होंने सुना तो नही ।
फिर वो अपने लिये ब्रा लेने लगी और तभी उसे रज्जो के बारे मे भी ख्याल आया कि उसके लिए भी तो ब्रा पैंटी लेनी है दो जोडी ।
अब असमन्जस कि स्थिति ये थी कि कल उसने अपनी सास से उसका साइज़ पुछा नही और आज वो अपना फोन लेके आई नही थी ।
बड़ी बेबसी से उसने मजबुर होकर कमलनाथ की ओर देखा और अपनी ओर आने का आंखो से इशारा किया ।
कमलनाथ खड़ा होकर रीना के पास आया - हो गया क्या ?
रीना कमलनाथ की ओर झुककर धीमी आवाज मे - वो मा जी के लिए अन्दर के कपडे लेने है । उनका साइज़ क्या था मै पुछना भुल गयी ।
"अरे मुझे पता है ना ", कमलनाथ थोडी तेज आवाज मे चहक कर बोला और फिर अपनी स्थिति को समझकर धीमा हो गया ।
रीना मुह पर हाथ रख कर हसने लगी।
कमलनाथ धिमी आवाज मे मुस्कुरात हुआ - मतलब मुझे पता है , क्या क्या लेना है
रीना मुस्कुरा कर - दोनो लेना दो जोडी
कमलनाथ थोडा खुद को शान्त रखता हुआ - 42DD की वो लेलो और 44 की निचे वाली ।
इतना बोल कर कमलनाथ सीधा खड़ा हो गया और काउंटर पर रखी रीना की दो जोडी ब्रा पैंटी के कलर और डिज़ाइन देखने लगा ।
रीना को जैसे अह्सास हुआ उसे बडी शर्मिंदगी होने लगी
रीना - ठिक है पापा जी आप बैठीये अब
कमलनाथ की निगाहे उस लड़की के हाथो पर जमी थी जो रज्जो के साइज़ की ब्रा पैंटी के बॉक्स उठा कर ला रही थी ।
कमलनाथ उसी ओर इशारा करके - वो जरा कलर देखना था ।
इत्ना बोलकर कमलनाथ मुस्कुरा दिया और रीना भी होठो मे हस्ती रही ।
फिर उस लड्की ने कुछ ब्रा पैंटी के डिज़ाइन दिखाये तो उसमे से कमलनाथ ने दो जोडी सामान्य रेगुलर यूज़ वाले ब्रा पैंटी लिये और एक सेट रेड कलर मे बढिया लैस वाली सेट मे ब्रा पैंटी ली ।
रीना अपने ससुर की चोईस की दाज देते हुए मन मे सोचती है- ऐसे ऐसे सेक्सी कपडे जब मम्मी पहनेगी तो 4 क्या 8 बार कोई भी ...हिहिहिही
कमलनाथ - बस हो गया , बेटा इसका हिसाब बना दो
तभी रीना टोकते हुए - अरे नही , अभी एक और चीज़ चाहिये
कमलनाथ - अब क्या बाकी है बहू
रीना मुस्कुरा कर शरमाती हुई - एक हैयर रेमोवर लेना है
कमलनाथ उसकी बात पर रीना का चेहरा बड़े गौर से देखता है तो रीना तुरंत सफाई देते हुए - वो मा जी को चाहिये था तो
कमलनाथ - अच्छा ठिक है लेलो और कुछ बाकी नही है ना अब क्योकि बहुत लेट हो गया है
रीना - बस पापाजि हो गया , पैसे देके घर ही चलना है अब
फिर वहा का भी हिसाब किताब करके दोनो घर के लिए निकल गये ।
चुकि ई-रिक्से मे आगे की तरफ समान रखा हुआ था तो इस बार दोनो ससुर बहू एक ही सीट पर सट कर बैठे हुए थे ।
और कमलनाथ के जहन मे अभी भी एक बात घूम रही थी कि जब रीना का साइज़ 34C था तो वो 34D की ब्रा क्यू ली ।
कमलनाथ जान रहा था शायद घर जाने पर ये मौका ना मिले तो
कमलनाथ धीमी आवाज मे - अच्छा बहू तुमने तो कल पर्ची मे अपना साइज़ 34C लिखवाया था ना तो फिर आज D क्यू
रीना की चौकी कि उसका ससुर ऐसे क्यू पुछ रहा था ।
हालाकी ये सवाल उसे जमा नही लेकिन वो जवाब देने के लिए बेबस मह्सूस कर रही थी ।
रिना हिचक कर - पापा जी वो मैने सोनल बहिनी के लिए साइज़ लिखवाये थे ना क्योकि अभी उनकी शादी नही हुई है ना
कमलनाथ थोडा हस कर - अच्छा तो तुमने भी शादी के पहले का साइज़ लिखा था समझ गया समझ गया ।
कमलनाथ के इस जवाब पर रीना शर्म से पानी पानी हो गयी और एकदम से चुप हो गयी ।
थोडे ही पल मे उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि वो अनजाने मे क्या बोल गया ।
कमलनाथ मन मे - हे भगवान ये क्या हो गया मुझसे ,, बहु तो यही सोच रही होगी कि मै उसके चुचो को बहुत ध्यान से देखता हू और रोज वो कितना मिज्वाती है ये सब भी मै सोच रहा होउँगा ।
कमलनाथ - ओह्ह सॉरी बेटा मेरा वो मतलब नही था , मै तो बस थोडा उलझा हुआ था
रीना मुस्कुरा कर - कोई बात नही पापा जी । बस आपको ये सब घर पर जाकर पूछ लेना चाहिए था यहा कोई भी सुन सकता है हमारी बाते
कमलनाथ अटकता हुआ - हा बहू तुम सही कह रही हो ,,माफ करना ।
रीना मुस्कुरा कर - कोई बात नही ,
थोडी ही देर बाद दोनो घर पहुच गये ।
हाल मे रज्जो बैठी कुछ अनाज का काम कर रही थी ।
किचन से हल्के फुल्के खाने की खुस्बु आ रही थी ।
रीना - अरे मा जी आपकी तबियत नही ठिक थी तो आप क्यू खाना बना रही थी
रज्जो - ओहो तु भई अम्मा ना बन मेरी ,,, जा फ्रेश हो ले और खाना लगा
रीना हस कर - क्या मा जी आप भी ना
इधर रीना उपर कमरे मे चली गयी और कमलनाथ वही हाल मे झोला खोलकर रज्जो को समान दिखाने लगा ।
कमलनाथ - जानू ये लो मैने खास तुम्हारे लिए ये पसंद किये है ।
रज्जो अपने हाथो मे वो लैस वाली ब्रा को फैला कर देखने लगी ।
कमलनाथ ने हाथ बढा कर मैकसी के उपर से रज्जो के चुचे मसलता हुआ - जान ये नरम नरम दूध जब इसमे कसेन्गे ना तो बहुत मस्त दिखेंन्गे ।
रज्जो इतरा कर - क्या फायदा इसको भी निकाल दोगे आप हिहिहिही
कमलनाथ सरक कर रज्जो के पास आता है और उस को पीछे से पकड कर उसके चुचे मलने को जाता है कि उसकी नजरे सीढि से नीचे आती रीना से टकरा जाती है और दोनो शरम से नजरे चुरा लेते है ।
रीना मुस्कुराती हुई किचन मे चली जाती है और कमलनाथ रज्जो ने थोडा दुर होकर बाते करने लगता है ।
जारी रहेगी