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UPDATE 161
बस का सफर दुबारा से शुरु हो चुका था ।
मै वापस अपनी सीट पर आ चुका था ।
वो खातुन बीच बीच मे एक दो बार मेरी ओर देख लेती थीं ,,, मगर जब भी वो मुझे देखती तो मै उन अपने पीछे ही बैठे उन दोनो आदमियो की ओर भी देखता और वो बस हीही करते हुए मिलते ।
मुझे थोडा अजीब भी लग रहा था ।
धीरे धीरे सफ़र आगे बढने लगा और सवारिया उतरती रही ,, मै जिस तरफ था वो थ्री सीटर थी और मेरे पास के बैठे जन भी अपने सटाप पर उतर गये थे ।
इसी बीच वो बच्ची मेरे पास मेरी सीट पर आ गयी तो मैने उसकी मा को देख कर उसे इत्मीनान किया कि मेरे पास ठिक रहेगी ।
फिर थोडा समय बीता और एक स्टाप आया ।
हालाकी यहा बस ज्यादा देर नही रुकने वाली थी लेकिन इस बार मुझे जोरो की पेसाब लगी थी और अगले 2 घंटे तक कोई स्टाप नही था । बस हाईवे से होकर जाने वाली थी ।
इसिलिए मै उस बच्ची को उसकी मा के पास छोड कर बस स्टैंड के ही पेसाब घर मे गया और वापस चला आया ।
इस स्टाप पर काफी ज्यादा स्वारिया उतर चुकी थी ।
मै अपने जगह पर वापस आ गया और वो बच्ची मेरे पास फिर से आ गयी क्योकि उसे खिडकी के पास बैठना था और उसके वाले सीट पर खिडकी की तरफ वो बुढऊ बैठे थे ।
चुकी बस अभी शुरु नही हुई
तो खातुन भी चल कर मेरे पास आ गयी तो मैने उन्हे अपने पास ही बैठने का आग्रह किया
उसने एक बार मेरे पीछे की सीट पर देखा तो वो दोनो आदमी नही थे
फिर वो मुस्कुरा कर पहले अपने अब्बू को बताया और मेरे बगल मे बैठ गयी ।
मै - तो आपका घर कहा पर है
खातुन - बस अगला स्टाप पर जहा ये बस रुकेगी , जलालपुर
मै - ओह्ह फिर भी का लम्बा सफर है ,, मुझे भी उससे आगे जाना है हरपुर
हमारी बाते शुरु हो गई थी कि और पहल मेरे तरफ से हुई तो मैने मेरे घर वालो के बारे मे बताना शुरु कर दिया ।
बातो ही बातो मे उसने बताया कि उसके अब्बू की दिमागी हालत अब ठिक नही है और उसकी अम्मी के गुजर जाने के बाद वो उसके साथ ही रहते है ।
इधर बस भी चालू हुई और ड्राईवर ने हार्न बजाया
जल्दी जल्दी सारे लोग उपर चढ़ गये और मैने देखा कि वो दोनो आदमी वापस से बस पर चढ़ गये है ।
वो खातुन ने भी उन्हे देखा और वो थोडा असहज होने लगी ।
मै भी थोडा परेशान होने लगा कि साले ये सब फिर से कमेंट करेंगे ।
खातुन - तुम परेशान ना हो ऐसे लोगो के लिए,,, सफर मे एक दो नमुने मिल जाते है
उसकी बात सुन कर मै थोडा हस दिया और वो भी मुस्कुरा दी ।
बस निकल पडी
हम ऐसे ही इधर उधर की बाते किये जा रहे थे और समय गुजर रहा था कि तभी बस की स्पीड कम हुई और ब्रेकर पर बस उछल पडा
वो खातुन मेरे बगल मे बैठी हुई सीट पर उछ्ल पडी जिससे उसका दुपट्टा सामने से हट गया और पहली मुझे उसके बडे बडे थन जैसे चुचो को उसके सूट के गले से देखने का मौका मिला ।
और रम्बल स्ट्रिप की उछाल से वो थोडा मेरे ओर गयी थी और उसके जांघो से उसका कुरता हट गया था ।
उसकी चिपकी हुई leggings मे उसके सुडौल जान्घे साफ साफ दिखने लगे और मेरे मुह मे पानी आने लगा ।
जैसे ही सब शांत हुआ उसने
सबसे खुद को सहेजा और अपने कपडे ठिक करते हुए मुस्करा कर मुझे देखने लगी
खातुन - ये सड़क के हचके भी ना ,,, सम्भाल के ना रहो तो चोट लग जाये
इधर हमारी बाते चल रही थी कि पीछे से एक आदमी ने कमेंट किया
आदमी - जब किसी को दिल से चाहो तो पूरी कायनात क्या बस ही उनको मिलाने की साजिश मे लग जाती है हाहाहा क्यो भाई
दुसरा आदमी हस्ता हुआ उसकी हा मे हा मिलाता है ।
उनकी आवाज सुन कर मै एक बार उस खातुन को देखता हू तो वो इग्नोर करने का इशारा करती है ।
तभी दुसरा आदमी बोलता है - भाई मै क्या कहता हू ,,, ये लम्बे सफर मे सबको एक साथी जरुर मिलना चाहिए ताकी बोरियत ना हो
पहला आदमी - हा भाई और जान पहचान अच्छे से हो जाये तो रात बेरात घर आने जाने का भी एक ठिकाना मिल जाता है
दुसरा आदमी -हा लेकिन फिर भी एक दिन के पहचान वाले के यहा रात कोई क्यू रुकेगा
पहला आदमी - अरे भाई साहब तभी तो समाज मे प्रेम बढता है ,,,लोग एक दुसरे की मदद करते ,,सफर मे जुड़ जाते है और फिर धीरे धीरे नजदीक भी होने लगते है ।
उनकी बात सुन कर अब मेरे साथ साथ उस खातुन का भी पारा चढ़ने लगा था
इस बार मैने उन्हे शांत होने का इशारा किया
खातुन - ये लोग बहुत दुष्ट है राज ,,, तुमको पता नही है ये मेरा नही तुम्हारा मजाक बना रहे है ।
मै हस कर - अरे जल रहे है साले ,,, आपको मेरे साथ देख कर हिहिहिही
इस पर वो खातुन थोडा लाज से मुस्कुरा दी और मेरे ओर सरकते हुए - चलो उनको थोडा और जलाते है
मै चौक कर - मतलब
वो खातुन एक बार अपने बगल वाले साइड की खाली सीट पर देखा और पीछे देखा तो सिर्फ वो दोनो ही बैठे थे ।
फिर उसने मेरा हाथ पकड कर अपने कन्धे पर रख दिया
मै चौक कर - ये ये क्याआ कर रही है आप ,,,कोई देख लेगा
खातुन - अरे मै ये सब उनको जलाने के लिए कर रही हू हिहिहिही और हमारे पीछे ये दोनो ही है तो कोई नही देखने वाला
मैने भी थोडा ताक झाक किया और फिर इत्मीनान से उसके कन्धे पर हाथ रखे रहा ।
थोडे पल की शान्ति रही और पीछे से कोई आवाज नही आई
तो मौका देख कर मैने भी ताना मारा - भाभी जी ,,, कुछ जलने की बू आ रही है क्या
खातुन मुस्कुरते हुए
हा थोडा मुझे भी लग रहा है
इतने वो खिलखिलाकर हस पड़ी तो मै उनको ताली देने के लिए दुसरा खाली वाला हाथ मारा ,,,मगर वो समझ नही पाई और मेरे हाथ सीधा उनकी नरम नरम चर्बीदार जांघ पर चट्ट से पड़ गयी
खातुन हल्का सा सिसकी - आऊच,, आराम से राज
मै तुरंत सॉरी बोलकर उसकी जगह पर सहलाने लगा ।
जिस पर पहले तो उसने कोई ध्यान नही दिया लेकिन जब काफी समय तक मैने वैसे ही हाथ रखे रहा
तो वो गले को खरास कर - उहू राज तुम अपना हाथ हटा सकते हो ,,,
मै चौक कर - ओह्ह हा सॉरी वो मै
खातुन - कोई बात नही
तभी पीछे बैठे उन आदमियो ने मेरी हरकत देख ली थी इसिलिए
आदमी 1 - भाई कुछ लोग इतने चुतिये होते है कि थोडे से मजे के बात बात मे सामने वाले की चाटते रहते है
आदमी 2 - हा भाई अब इन चमन चुतीयो को कौन समझाए हाहाहा कि जो देने वाली होगी वो नखरे नहीं करती
उन आदमीयो की बाते सुन कर मैने अपना हाथ भी अब उसके कन्धे से हटा लिया और थोडा देर तकचुप रहा
और वो खातुन भी कुछ सोचती रही
फिर अचानक से उसने मेरा हाथ पकड कर मेरी जांघ पर रखते हुए कहा - क्या राज तुम दुर क्यू बैठे हो ,,,थोडा करीब रहो ना
मै मुस्कुरा कर इस बार उसकी जांघो को अच्छे से मसलकर उसके पास आ गया
हम दोनो जान रहे थे हमारी इस हरकत की जाच करने के लिए वो दोनो आदमी कोई ना कोई बहाना करेंगे
आदमी 1 - भाई जरा वो मेरा बैग उतार के देना
उसकी बात सुनकर आदमी 2 फौरन खड़ा हुआ
मै जान रहा था वो मेरे हरकते देखने के लिए ही खड़ा हुआ है इसिलिए मैने उस खातुन की कुर्ती के नीचे हाथ डाल कर जान्घो पर घुमा रहा था और मुस्कुरा रहा था ।
हुआ भी वही जैसे ही वो बैठा वो फुसफुसा कर अपने पहले साथी को ब्ताया तो तुरंत वो देखने के लिए खड़ा हुआ ।
वो खातुन भी मेरा ही साथ दे रही थी और जैसे ही दोनो बैठे हम होठो मे ही के हस दिये
लेकिन उस खातुन को क्या पता था कि मेरे हाथ कुछ अलग ही जादू करने के फिराक मे उसके जांघो के चौडे हिस्से की तरफ बढ रहे थे ।
जैसे ही उसको अह्सास हुआ वो सहम गयी और उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी और उसकी चुचिय फूलने लगी ।
मैने हौले से दुसरे हाथ को उसके दुप्प्टे मे घुसा कर उसके चुचो को थाम लिया
खातुन कापती आवाज - अह्ह्ह नही राआअज्ज यहाआ नही उम्म्ंम
मैने फौरन वो हाथ वापस खीच लिया लेकिन जांघों की घिसाई अब भी जारी थी ।
थोडी देर की चुप्पी के बाद वो मेरे करीब आकर मेरे कान मे बोली - आज तुम मेरे घर चल सकते हो क्या ?
मेरा लण्ड पुरा टनं हो गया और दिल की धडकनें भी तेज हो गयी
मैने धीरे से - हा लेकिन मुझे बुआ के यहा जाना है
तो उस खातुन ने मेरे जीन्स मे उभरे लण्ड पर अपना हाथ रख कर - प्लीज राज मना मत करो ,,,मेरे शौहर 4 महीने से घर नही आये है और मै ।
मुझे थोडा डर भी लग रहा था कि क्या मुझे उस पर भरोसा करना चाहिए भी या नही ।
क्योकि अंजान सफर मे किसी के घर जाना !
मै थोडी देर चुप रहा । फिर मै दिमाग से बिल्कुल भी नही सोच रहा था
एक तो परसो रात के बाद से मैने चुदाई नही थी उपर से इतना रसिला माल सामने से हाथ बढा रहा था ।
लण्ड मेरा जीन्स मे अकड कर कस गया था और मुझे काफी सारे बहाने दिमाग आ रहे थे ।
पहली ये कि बुआ के यहा किसी को खबर नही कि मै आज आ रहा हू
दुसरा ये कि पापा कोई बहाना बना के देना पड़ेगा
थोडी देर मे वो खातुन फिर से मेरे जांघ को छुते हुए - क्या हुआ राज
मै थोडा चिढ़ कर - अरे यार कोई बहाना आने तो दो ,,,घर पर क्या बोलूंगा
मेरे जवाब पर वो खातुन हस दी और हा मे सर हिला कर मुस्कुराने लगी ।
थोडी देर बाद मैने तय किया कि बस खराब होने का बहाना ठीक रहेगा ,,,हा थोडा पापा को समझाना पडेगा लेकिन काम बन जायेगा
ये भी कि बोल दूँगा एक होटल मे रुका हू
और फोन मे मै देर रात मे ही करूंगा ताकी गाडी बदल कर जाने का बहाना ना रहे ।
सफ़र के आखिरी कुछ मिंट बचे हुए थे और जलालपुर बस स्टाप आने ही वाला था ।
वो दोनो आदमी जिन्होने मेरी और उस खातुन की पूरी जाच पडताल की थी तो उन्होने फिर से मेरा मजा लेने के लिए अपनी बकैती शुरु कर दी ।
और जब स्टाप आया तो वो खातुन अपना सारा समान उतारने लगी ।
आदमी 2 - ये दर्द की आहे
आदमी 1 - जुदा हुई राहे
आदमी 1 & 2 - भुला देंगे तुमको सनम धीरे धीरे
. मुहब्बत की सारे सितम धीरे धीरे
मै वो खातुन समझ रहे थे कि ये सब हमारे लिये ही गाया जा रहा था
लेकिन वो खातुन शांत रही और निचे उतर गयी फिर मै भी अपना बैग लिया और खड़ा होकर जाने लगा
Conductor- अरे बाबू ये जलालपुर है । हरपुर आयेगा तो बता देंगे ,,जाओ बैठो
मै मुस्कुराया और एक नजर उन आदमियो को देखा और बोला - नही अंकल ,,, मुझे यही काम है
Conductor- बेटा लेकिन टिकट बन गया है उसका पैसा नही वापस होगा
मै मुस्कुरा कर - अरे कोई बात नही अंकल मै जान रहा हू ,,
फिर मै उतर गया और चल कर उस खातुन के पास चला गया ,,,फिर हमाने मुड कर देखा तो वो दोनो आदमीयो खिडकी से बाहर हमे ही झाक रहे थे
तो मैने भी मजे लेने के लिए खातुन की बेटी को बोला - बेटा उन दोनो अंकल को बाय बोल दो तो
और वो उनको बाय करने लगी और हम दोनो खिलखिला कर हस पड़े ।
फिर हम सब उसके घर के लिए निकल पड़े ।
लेखक की जुबानी
JAANIPUR
सुबह की घटना के बाद कमलनाथ दोपहर तक निचे नही आया । लेकिन जब खाने का समय हुआ तो मजबूरन उसे निचे आना पड़ा ।
वो और रज्जो हाल मे बैठे हुए थे और रीना ने दो थाली लगाई । फिर वो खाना लेके हाल मे चली गयी ।
पहले उसने रज्जो के सामने फिर कमलनाथ के सामने खाना रखा । उसने देखा कि उसका ससुर नजरे चुरा रहा है तो वो मुस्कुरा कर अपनी सास को देखने लगी ।
फिर दोनो खाना खाने लगे और रीना वही किचन मे बाकी काम निपटा रही थी ।
इधर दोनो खाना खतम कर चुके थे
रज्जो - सुनिये जी जल्दी जाईये और रमन को भी खाने के लिए भेज दीजिए । उसके बाद फिर हमे सोनल की शादी के लिए शॉपिंग भी करनी है ना
रज्जो - बहू जरा इधर आओ
रीना किचन से बाहर आई - जी मा जी
रज्जो - देखो रमन के पापा अभी दुकान से वापस आये तो इनके साथ मिलकर सोनल बिटिया की शादी के पर्चे बनवा लेना
रज्जो की बात सुन कर रीना और कमलनाथ एक दुसरे को शर्म भरी निगाहो से देखते है जिसपर रज्जो बोल पड़ती है ।
रज्जो कड़े शब्दो मे - ओहो आप अब ये एक दुसरे से नजरे चुराना बन्द करेंगे ।
रज्जो - भई हमे एक ही घर मे रहना है ,,,अब जो हो गया उसको लेके एक दुसरे से बात करना नही ना बन्द कर दोगे आप लोग
रीना दबे आवाज मे - जी नही मा जी ऐसी कोई बात नही है
मै पापा जी के साथ सारी लिस्ट बना दूंगी
रज्जो कमलनाथ को डांट कर - अरे आप भी कुछ बोलोगे
कमलनाथ हड़बड़ा कर - हा हा ठिक है ,,मै जाता हू रमन को भेज देता हू
इतना बोल कर कमलनाथ घर से दुकान पर निकल जाता है ।
रज्जो हस कर - और बहू तु क्यू इत्ना झिझक रही है । अब क्या अच्छा लगता है तुम दोनो ऐसे रहो घर मे ,,,,कही रमन को भनक लगी तो
रीना - नही नही मा जी मै ख्याल रखुन्गी
रज्जो - हमम ठिक है चल मै आराम करने जा रही हू ।
करीब 3 बजे कमलनाथ दुकान से वापस आया और रीना हाल मे बैठी हुई चावल साफ रही थी ।
कमलनाथ सोफे पर बैठकर - बहू जरा पानी देना ,, गल सुख रहा है
रीना अपने ससुर की बात सुन कर फौरन भागकर किचन मे जाती है और पानी लाकर देती है ।
दोनो की नजरे मिलती है और दोनो ही मुस्कुरा देते है ।
पानी पीने तक रीना वही साम्ने खड़ी होती है और फिर गिलास लेके किचन मे जाने को होती है
कमलनाथ - बहू ऐसा करो वो मेरी डायरी और पेन लेके आओ और हम लोग जल्दी से वो लिस्ट बना ले
रीना बिना कुछ बोले किचन मे चली जाती है और फिर एक डायरी पेन लेके आती है और सोफे पर रख कर वही खड़ी हो जाती है ।
कमलनाथ देख कर रीना अभी भी उस्से बात नही कर रही है
कमलनाथ - अरे बहू तुम भी बैठो ना और बताओ क्या क्या लेना है ,
"क्या क्या बताया है रमन की मा ने ", कमलनाथ पेन खोल कर डायरी के पन्ने उलटता है ।
रीना अभी भी चुप होकर ही सोफे पर बैठ जाती है ।
कमलनाथ मुस्कुरा कर - तो क्या सुबह के लिए तुम अभी भी मुझ्से नाराज हो ।
रीना दबी आवाज मे - न नही पापा जी वो बात नही है ।
कमलनाथ - देखो बहू आज जो कुछ भी हुआ है उसमे कही ना कही मेरी ही गलती है और थोडा बहुत संयोग की बात है । तुम खुद को इसमे कसुरवार ना समझो
कमलनाथ झिझक कर - मै तुम्हे समझा भी नही सकता कि उस समय मै कैसे खुद को रोक नही पाया । तुम तो जान ही रही हो कि पिछले दो दिनो से मै और रमन की मा ...
" पापा जी मुझे मा जी सब बताया है " , रीना ने नजरे चुराते हुए कमलनाथ को बीच मे टोका ।
रीना झिझक कर - छोडिए ना ये सब , हम लोग पर्ची बना लेते है ।
कमलनाथ खुश होकर - वही तो मै भी कह रहा हू हाहाहा
कमलनाथ - बताओ क्या क्या लेना है ।
फिर रीना एक एक करके सामान की लिस्ट बना लेती है । फिर सोनल के लिए शगुन के समान की लिस्ट बनने लगती है
कमलनाथ हस कर - हे भगवान इतना सारा मेकअप का समान
रीना हस कर - अरे पापा जी ये सब अभी कम है और भी होता है लेकिन वो सब जरुरी नही है ।
कमलनाथ - सारी चीजे हो गयी एक बार तुम भी देख लो
रीना ने अपनी गरदन आगे बढा कर डायरी मे नजर मारी तो उसे समझ आया कि उसने सोनल के लिए ब्रा पैंटी तो लिख्वाई ही नही ।
रीना अब अपने ससुर से ब्रा पैंटी को बोले भी तो कैसे । उसको हसी भी आ रही थी कि आज का दिन ही उसके लिए खराब जाने वाला है शायद ।
कमलनाथ - क्या हुआ बहू कुछ बाकी नही है ना ,,,
"तो मै ये सारे समान कल लेते आऊंगा ", कमलनाथ वो समान वाली लिस्ट का पेज फाड़ कर अपनी जेब मे रखते हुए बोला
रीना उसे ऐसा करते देख कर मन मे ( हे भगवान )
रिना - पापा जी वो एक समान रह गया है
कमलनाथ जेब से वो पर्ची निकाल कर खोलता हुआ - हा बोलो मै लिख ले रहा हू
रीना हिचक कर - वो एक सेट ब्रा पैंटी ले लिजियेगा सोनल बहिनी के साइज़ का
रीना की बात सुन कर कमलनाथ की उंगलिया रुक गयी , कान और लण्ड दोनो खडे हो गये और आंखे बडी हो गयी साथ ही होठो पे स्माइल आ गयी ।
कमलनाथ बात को सामान्य ही रखने की कोसिस मे - अच्छा ठिक है ,,,साइज़ बताओ क्या लेना
रीना चौकी - साइज़ मुझे नही पता , मैने उनको उतना ध्यान से कभी देखा नही है
कमलनाथ पर्ची को देखता हुआ उसपे अपने कलम की नोक ठोकता हुआ - अरे बहू ,, सोनल बिटिया बिल्कुल तुम्हारे नाप की ही है ,,,अप्ना ही बता दो ना । वैसे भी इनसब पे कोई खास ध्यान नही देता है
रीना अब ही करती वो शर्म से लाल हुई जा रही थी और फिर उस्ने झिझकते हुए - जी वो 34C की ब्रा और 36 की पैंटी
अपनी बहू की नाप सुन कर कमलनाथ का लण्ड और भी ठुमक उठा । उसने कनअखियो से एक नजर रीना के साडी से झाकते ब्लाउज पर मारा और जल्दी से नोट किया
कमलनाथ- और कुछ बाकी है
रीना - नही पापा जी
इतना सुनते ही कमलनाथ वो परची जेब मे रखते हुए तुरंत खड़ा हुआ - ये डायरी पेन रख देना ,, मै इसको रमन की मा को दिखा दू एक बार
इधर कमलनाथ एक झटके मे खड़ा हुआ तो रीना के ठिक सामने उसके पजामे मे तना हुआ लण्ड साफ उभरा हुआ दिखने लगा ।
रीना मुस्कुरा दी और कमलनाथ उपर चला गया ।
रीना हस्ती हुई मन मे - हे भगवान पापा जी का इस उम्र ने भी हमेशा हिहिहिही
फिर वो अपने काम मे लग गयी ।
CHAMANPURA
एक बन्द कमरे मे दो रसिले जिस्म एक दुसरे को चूसे जा रहे थे । उनके चर्बीदार अन्गो पर कपडो के नाम पर धागा नही था ।
उफ्फ़ निशा तेरे कुल्हे तो पहले से ज्यादा नरम हो गये है रे , सोनल ने निशा के चर्बीदार गाड़ को मसलते हुए कहा और फिर उसके रसिले होठो को चूसने लगी ।
सोनल - और ये तेरे चुचे ,,उम्मममं पहले तो ऐसे नही फुले थे ,,,आआह लगता है राज तेरी जम कर ले रहा है
निशा थोडा उतर कर अपने हाथ उसकी चुत पर मलते हुए - क्यू जैसे तुने तो उससे चुदना ही बंद कर दिया क्या उम्म्ंं बोल ना
ये कहकर निशा सोनल ने नरम नरम फुले हुए 34 साइज़ के चुचे को मुह भर लेती है
निशा - उम्म्ंम सोनल तेरे दूध बहुत नरम है उम्म्ंम्ं अह्ह्ह साला अमन भी ब्डा नसीब वाला है ,,ऐसा गदराय माल पा गया
सोनल निशा से अपनी चुत मसल्वा कर बस सिससिस्किया लिये जा रही थी और जिस तरह से निशा उसके चुचियो के निप्प्ल अपनी जीभ से नचा रही थी
निशा - क्यू मेरी रान्ड दिखाया की नही इनहे अमन को उम्म्ंम वीडियो काल पर कभी नंगी हुई या नही बोल ना साली
सोनल हस कर - नही यार ,, वो थोडा नटखट है लेकिन जिद नही करता , मना कर दो तो मान जाता है ।
निशा उसकी चुत मे ऊँगली पेलते हुए - और तुने क्भी देखा है उसका मोटा लण्ड उम्म्ं
सोनल नशे से अकडती हुई - अह्ह्ह नही यार उम्म्म्ं सीईई मै उसे छेड़ती हू तो वो शर्त रखता है कि पहले मै शुरुवात करु
निशा उसके चुत मे उंगलिया पेलते हुए -ओह्हो फिर क्या सुहागरात पर तुम लोग बस मीठी बाते करोगे ,,, शादी के सेज पर मिलने की तडप का मजा तो लो ।
एक्दुसरे के लिए मूठ तो मारो तभी तो मजा आयेगा ना ।
सोनल अपनी गाड़ निशा के मुह पर दरते हुए -आह्ह नही यार मुझ्से ये नही हो पायेगा । मै पहले क्भी भी उससे ऐसे पेश नहो आई हू उम्म्ंं और चाट सीईई अह्ज्ज्ज
निशा - ओहू मेरी जान अगर अभी से खलेगी नही और उसे बतायेगी नही कि तुझे अप्नी चुत और गाड़ चटवाना कितना पसन्द है तो क्या वो शादी के बाद ये सब करेगा
सोनल निशा के उपर झुकी हुई कसमसा कर -उह्ह्ह सीईई तो तु ही बता क्या कर उम्म्ंम्ं
निशा ने पोजीशन बदला और सोनल की चुत से अप्नी चुत रगड़ती हुई - मै जो कहुन्गी वो करेगी तो अभी शादी को 10 दिन है इतने मे काम बन जायेगा
सोनल चरम पर पहुंच रही थी तो वो अप्नी कमर को अक्ड़ा कर तन गयी और निशा लगातार उसके चुत के होठों से अपने चुत मल रही थि और थोडी ही देर मे दोनो झड़ने लगे और थक कर आपस मे लिपट कर बिस्तर पर ढल गये ।
निशा - तो बता ये अमन कॉल कब करेगा
सोनल - वो हम लोग रात मे ज्यादा बाते करते है , लेकीन तु करेगी क्या ?
निशा - बस तू देख ना रात मे मेरा कमाल हिहिहिही
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आज की ये रात बहुत ही कामुक होने वाली थी ।
एक ओर जहा निशा सोनल और अमन के बिच कुछ मस्तियाँ करने का मूड बना चुकी थी ।
वही शालिनी और राहुल की अपनी अगल ही प्लानिंग हो रही थी ।
और राज ने एक गदराई हसिना को पूरी रात भोगने का इतेजांम कर लिया था ।
सपने तो काफी देखे जा चुके थे लेकिन किसका सपना हकीकत होगा ये अगले अपडेट मे पता चलेगा ।
जारी रहेगी
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