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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

ramj26460

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कबतक याएग लेकिन राज की ही कहानी ही लिखो जादा घुमाओ नही बहुत अच्छे लगती है आप की कहानी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 160



बस का सफ़र शुरु हुए एक घन्टा बीत चुका था और मैने पापा को फोन करके सूचना दे दी कि मै जानीपुर से ही बुआ के घर के लिए निकल गया हू ।

स्टाप दर स्टाप पर सवारियो की आवा जाहि लगी रही ,, सफर के कुछ गिने चुने लोग थे जो शायद मेरे साथ बुआ के टाउन तक जाने की पूरी टिकट कराये हुए थे ।

कितने हसिन चेहरे और उनके मादक कुल्हो को मैने बस के गलियारे मे आना जाना करते देखा ,,,लेकिन मेरी नजरे सामने दो सीट आगे बैठी एक महिला पर बार बार रुक रही थी ।

उसकी कदकाठी काफी ठिक थी और उसने सल्वार कमीज पहन रखा था । शायद वो अपने एक बुजुर्ग के साथ मेरे ही तय मंजिल तक जाने का इरादा लिये बस पर चढ़ी थी ।

चेहरे पर कोई पर्दा नही होने से मुझे लगने लगा था कि ये जरुर बाप बेटी ही होगे और कुछ समय मे मेरा अंदाजा सही हुआ क्योकि उस खातुन की एक छोटी बेटी ने उस बुजुर्ग को नानू बोला ।

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मेरी नजरे उसपे तबसे थी जबसे मै बस मे चढा था और उसके कूल्हो ने दो सीट की जगह ले रखी थी । चुचे तो दुपट्टे को भी बेपर्दा किये हुए साफ साफ झलक रहे थे ।
उसकी बेटी उन बुढऊ के गोदी मे बैठी थी ।

इस घन्टे भर के सफ़र के दौरान मेरी चाह थी कि काश मेरी सीट की अदला-बदली हो जाती और मै उसके साथ हो पाता ।
लण्ड के भी अपने अरमान उभर रहे थे ।

करीब आधे घंटे बाद एक बड़ा बस स्टाप आया । चुकि दोपहर का वक़्त हो चला था तो बस conductor और ड्राईवर ने बस खड़ी कर दी और सबको खाने पीने के लिए बोल दिया ।

शायद ये उनका रोज का खाने का जगह था जैसा कि आम सरकारी बस मे होता है वो दोपहर मे कही ना कही किसी बस स्टाप पर आधे घंटे के लिए रुकते ही है ।

बस रुकते ही सारे यात्री तेजी से उतरने लगे और कुछ नये यात्री भी चढ़ रहे थे ।
इसी कस्सीकस्सा ने गलियारे मे एक दो महिलाए भी दबी हुई थी ।
मै साफ साफ देखा दो आदमियो को उन औरतो के कुल्हे के बीच के उंगलियाँ करते और वो औरते भी गुस्से में पलट कर देखी लेकिन वो दोनो आदमी बड़ी बेशरमी से दान्त दिखा कर हस दिये और बोले - अरे भाई धक्का ना दो ,,, कही किसी के कुछ चुभ गया तो


वो दोनो औरते बेबस अपने गुस्से को पी गयी और करती भी क्या ही बेचारी ,,जो स्थिति थी बस मे ।
इस भीड़ मे भी मेरी नजरे उस खातुन पर जमी हुई थी कि वो निचे उतरी क्या ?
लेकिन वो बैठी हुई थी और उसके चेहरे पर बेचैनी के भाव थे । शायद वो भी निचे उतरना चाह रही थी ,,,लेकिन इन मर्दो की भीड़ मे वो भी पीस ही जाती और जो कोई भी उसके करीब होता उससे दुरी तो बिल्कुल भी नही बनाता ।

तभी उसकी नन्ही बेटी ने फिर से कुछ कहा तो वो खातुन बोली - हा बेटा चल रही हू ,,,सबको उतर तो जाने दे


तबतक वो दोनो आदमी भी उस खातुन के पास पहुच गये थे और उन्होने नजरें गड़ा कर उस खातुन के भड़कीले जिस्मो को तबतक निहारा जब तक पीछे के लोग के आगे बढने को नही बोला ।

हालाँकि ये मजह कुछ पलो की बात थी लेकिन वो खातुन थोडी शर्मिंदा थी क्योकि उन आदमियो की वजह से अब जितने भी लोग आगे बढ रहे थे वो सब उस खातुन को एक नजर निहार कर ही जा रहे थे और सबकी निगाहे चमक उठती थी यहा तक कि महिलाओ की भी ।

पुरा बस खाली हुआ और मै अभी भी बैठा रहा ।
फिर वो खातुन खड़ी हुई और जिसके भारी बदन को देख कर मेरी आंखे फैल गयी , गले मे थुक भरने लगा और लण्ड उसका हाल ही ना पुछो ।

उस खातुन ने पूरी बस का मुआयना किया और एक पल को हमारी नजरे टकराई तो मैने खुद से ही नजरे निची कर ली ।

फिर वो खातुन अपने बाप से कुछ बोल्कर सीट से बाहर निकाली और मुझे उसके सूट मे फैले हुए चुतड दिखे ।

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अब तक के अनुभव मे मैने इतना बड़ा कुल्हा मेरे मुहल्ले की वो रुबीना काकी का देखा था । लेकिन उसके मुकाबले ये खातुन काफी जवाँ थी ,,महज 35 साल ही उम्र होगी और 50 इन्च मे फैली हुई गाड़ ने जब पहली थिरकन ली तो मेरे लण्ड की नसे फड़क उठी ।

वो उतर कर निचे गयी तो मैने खिड़की से बाहर झाका तो पाया कि साला ये जगह तो काफी खस्ता हालत मे है ।
ना कोई शौचालय ना कुछ खास खाने पीने की जगह ।

बस स्टैंड के परिसर मे ही एक ओर जहा की फर्श टूट चुकी थी ,,सारे मर्द जन खडे होकर मुते जा रहे थे और एक ही नल था जिससे पानी लेने वाले खडे थे । एक बार जिसने हैंडल पकड लिया समझो 50 हैंडल बाद ही कही अपना बॉटल भर पायेगा ।

वही एक तरफ झुग्गी टाइप क एक ढाबा था । वहा भी लोग टुट पड़े थे ।
परिसर मे एक दो बसे और रुकी हुई थी इसिलिए भीड़ कुछ ज्यादा थी ।
वही जहा से वो खातुन गुजर रही थी सारे लोग उसके भड़कीले जिस्म को निहार रहे थे ।
यहा कोई था ही कि किसी को रोके कि क्यू उसे देख रहे हो ,,,सब चोर नजरो से उसके मादक कूल्हो की थिरकन को देख कर आहे भर रहे थे ।
कुछ औरते तो उसके जिस्म पर चर्चाये भी छेड़ चुकी थी ।


मैने देखा कि वो खातुन काफी समय से इधर उधर भटक रही है और उसकी बेटी पैर पटक कर जिद कर रही थी

मै समझ गया कि शायद उसको अपनी बेटी के लिये शौचालय की तालाश थी
मैने देखा सब कोई अपने मे मस्त था और किसी ने उसकी सुध नही ली ,,,और ना ही वो किसी से मदद के लिए पुछ पा रही थी । जिस तरफ वो जाती सब पलके झपकाये बिना उसके गदराये जोबनो की निहारते थे ।
वही वो दोनो आदमी जिन्होने बस मे बदतमिजी की थी ,,,वो एक पान की दुकान पर खडे होकर उस खातुन को ही ताडे जा रहे थे ।

मुझसे रहा नही गया और मै उतर कर निचे आया और फिर मै बस स्टाप के बाहर आया तो देखा एक बडी सी बिल्डिंग यहा से 20 मिटर की दुरी पर है और उधर ही कुछ औरते पेसाब के लिये गयी थी ।

मैने हिम्मत किया और उस खातुन की ओर गया ।
उसने भी मुझे अपनी आता देखकर थोडा सहमी और दुसरी ओर मुड़ी थी

मै - भाभी जी सुनिये

जैसे ही मैने उस खातुन को भाभी जी बोला वो हस दी
खातुन मुस्कुरा कर - हा बोलो ,,मै तुम्हे भाभी दिखती हू क्या

मै मुस्कुरा कर - सॉरी मुझे नही पता कि मै आपको क्या कह कर बुलाऊ

मै - वो मै बस मे था और देखा कि आप काफी समय से परेशान है और इधर उधर भटक रही है
वो खातुन थोडा असहज हुई और इधर उधर देखने लगी तो मै समझ गया कि वो सामने से नही बोलेगी

मै धीमी आवाज मे - अगर आप वाशरूम खोज रही है तो ये बससटाप के बाहर एक बिल्डिंग है कुछ लेडिज लोग उधर गयी थी ।

वो खातुन समझ गयी और मुस्कुरा कर बोली - किस तरफ

मैने उसे बससटाप के एक तरफ इशारा किया और फिर खुद चाय पीने के लिए बस सटाप के बाहर निकल गया उसी झुग्गी मे ।

वो खातुन भी बाहर निकली और एक नजर मुझे देखा और फिर उस बिल्डिंग की ओर चल दी ।

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मै उसे सड़क पर से देखे जा रहा था उसके गदराये चुतड़ बहुत ही जबरजस्त तरीके के हिचकोले खा रहे थे ।

करीब 20 मीटर जाने के बाद वो खातुन उस बिल्डिंग के पास खड़ी हो गयी , शायद उसे पता नही था कि औरते किधर गयी थी ।

वो फिर से मेरी देखने लगी और मै समझ गया कि मुझे वहा जाना ही पडेगा ।

मै चल कर उधर आगे गया और पान के स्टाल पर खड़े उन दोनो आदमियो ने मुझे देखा भी लेकिन मैने उन्हे नजरअन्दाज किया।

मै - क्या हुआ
खातुन - यहा तो कोई नही है

मै थोडा मुस्कुरा कर - वो आपको इस बिल्डिंग के पीछे की ओर जाना पडेगा ।

खातुन - अच्छा तो क्या आप जरा मेरी बेटी को थोड़ी देर के लिए देखेंगे ,,मै जरा

मै चौका - क्या ? म म मेरा मतलब आपको जाना है , मुझे लगा इस गुड़िया को जाना है इसिलिए जिद कर रही है

वो खातुन थोडा शर्म से लाल होकर मुस्कुरा कर - अरे इसको चॉकलेट चाहिये , अच्छा तो क्या वहा मै नही जा सकती क्या मतलब

मै थोडा असहज होकर मुस्कुरा कर - अरे नही नही जाईए ना ,,मै हू इसके साथ

खातुन - बेटा अंकल के साथ रहो मै अभी आ रही हू ना

वो छोटी लड़की जिद करने लगी कि वो भी उसके साथ जायेगी ,,,

आखिरकार वो खातुन अपने बेटी की जिद पर हार गयी और उसे लेके बिल्डिंग के बगल के पहुच गयी ।

खातुन - बस बेटा यही रहो मै सुसु करके आती हू ,, बस यही बगल मे हू ,,अंकल के साथ रहो ना

इससे पहले वो बच्ची अपना जिद स्टार्ट करती कि वो खातुन तेज कदमो से चल कर करीब 5 6 मिटर आगे से बिल्डिंग के पीछे चली गयी ।

मै उस छोटी बच्ची का हाथ पकड कर उसका नाम घर पुछने लगा ,,, वो लगातार हाथ छुड़ाने की कोसिस कर रही थी लेकिन मै उसको पकडे हुए खड़ा था


इतने मे मेरे फोन की घंटी बजी और मै उसे उठाने के लिए उसका हाथ छोड कर जेब से मोबाइल निकालने को हुआ कि वो सरपट बिल्डिंग के पीछे की ओर भागी और मै उसको पकडने के लिए उसको आवाज देता हुआ लपका

मै - अरे बेटा रुको !!!
लेकिन तबतक देर हो चुकी थी

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मै भी बिल्डिंग के पीछे आ चुका था और सामने वो खातुन अपना लेग्गिंग्स को खोले अपनी बडी सी चुतड को फैलाये मुत रही थी

और जैसे ही उसे हमारे आने की भनक हुई वो गरदन घुमा कर हमारी ओर देख - हाय अल्लाह !!

मेरी नजरे एक बार उसपे गयी और फिर एक बार मैने उसके गुदाज नरम गोरी चिकनी गाड़ को देखा ,,,उसके हल्के भूरे सुराख को देखकर साफ लग रहा था कि कोई बहुत तबियत से उन छेदो मे अपना मुसल भरता होगा ।

अगले ही पल मैने नजरे फेर ली और उस बच्ची को गोद मे पकड कर अपनी जगह पर वापस आ गया ,,,वो बच्ची मुझे दौडा कर खुश थी और थोडी देर मै उसकी खुशी मे शामिल हुआ

तभी वो खातुन मेरी ओर आती दिखी ,,,मैने उसकी बेटी को निचे उतारा और नजरे नीची करके - सॉरी वो आपकी बेटी भागने लगी थी तो

वो खातुन भी शर्म से लाल थी और मेरी नियत देख कर मुस्कुरा कर - कोई बात नही हो जता है ,,,तुम अच्छे लडके लगते हो । कहा घर है तुम्हारा


फिर बस सटाप तक आते आते मैने अपना घर और बस के सफ़र की वजह बतायी ।
उसने मेरी बहन की शादी के लिए बधाई दी और बताया कि वो यहा अपने अब्बू के इलाज के लिए आई थी अब वापस घर जाना है ।

फिर मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाने के लिए उसी पान वाले स्टाल पर गया । जहा वो दोनो हरामी अभी भी खडे थे ,

मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाया और खुद के लिए एक दो स्नैक्स के पैकेट ले लिये ।

फिर हम बस की ओर जाने को हुए ही थे कि पीछे से उन दोनो मे से एक ने कमेंट किया

आदमी 1 - यार कोई हमसे मदद माग लेता ,, मेरी नजर मे भी एक मस्त पेसाबघर था

आदमी 2 - हा यार वहा तो कोई चाह कर भी कुछ देख नही पाता

मै समझ गया कि वो साले मेरा ही मजा ले रहे है । मैने एक नजर उस खातुन को देखा तो वो चुप थी ।

खातुन - जाने दो बाबू इनकी बाते ध्यान ना दो ,, बहुत दुष्ट है ये सब ,,अभी बस मे थोडी देर पहले ही

मै उसकी बात काटकर - हा देखा था मैने भी , चलिये अन्दर चलते है ।

फिर मै मेरी सीट पर आ गया और कुछ ही देर मे बस का सफ़र फिर शुरु हो गया ।



लेखक की जुबानी

CHAMANPURA

राहुल अपने घर आ चुका था और शालिनी दोपहर के खाने की तैयारी मे जुटी हुई थी ।

राहुल आते ही अपने कमरे मे गया और वहा से एक रेजर और सिर्फ एक तौलिया लेके उपर छत पर नहाने के लिए निकल गया ।

बाथरूम मे जाकर राहुल ने अच्छे से अपने लण्ड के बालो को साफ किया और बाथरूम को वैसा ही छोड दिया ताकी जब भी उसकी मा आये तो उसको भनक लगे कि राहुल ने अपने झाट के बाल बनाये है ।

फिर वो अपना लण्ड ख्दा करके तौलिया लपेटे हुए सीढ़ी से निचे आता है और एक नजर किचन मे देखता है कि उसकी मा खाना बनाने मे व्यस्त है

अपनी मा के गाड को लोवर मे कसा हुआ देख कर वो अपने तौलिये के उपर से ही अपना मुसल मसल देता है और फिर अपने कमरे मे चला जाता है ।

फिर वो तैयार होकर किचन मे आता है और अपनी मा के पास सट कर खड़ा होता है ।

राहुल - तो बताओ मम्मी मुझे क्या करना है

शालिनी मुस्कुरा कर - तुझे क्या हुआ ,,,जो काम करने का मन कर रहा है

राहुल - अरे अब कुछ दिनो के लिए दीदी नही है तो मैने सोचा क्यू ना मै आपकी मदद करू

शालिनी हस कर - अच्छा ऐसी बात है तो चल ये सारे नास्ते वाले बर्तन धुल दे

राहुल का मन थोडा उखड़ा जरुर लेकिन मा के करीब जाने के लिए उसे जो करना पडे सब करना ही था ।

इधर वो बरतन धुल रहा था और शालिनी बखूबी उसकी चालाकिया समझ रही थी ।
और वो राहुल के बोलने का इन्तजार कर रही थी ।

राहुल - अरे मम्मी दीदी अपने कपडे नही लेके गयी क्या ,,,आपने उसके कपडे पहने है और छत पर नही सुखने के लिए कपडे डाले है

शालिनी समझ गयी कि अब खेल शुरु हो चुका है - हा वो मैने उसके एक दो सेट कपड़े ले लिये ,,, इसमे मुझे बहुत आराम मिलता है


राहुल हस कर - मै तो कहता ही हू की आप ऐसे ही कपडे पहनो , अच्छा दीदी का स्कर्ट ट्राई किया आपने


शालिनी सोच कर - नही !! शायद वो लेके भी नही गयी है

राहुल की आंखे चमक उठी और वो गीले हाथो से ही अपना लण्ड सेट करके फिर से बरतन धुलने लगा - तो ट्राई करो ना मम्मी अच्छा लगेगा वो भी आप और वो नाइटी तो जरुर पहनना आप प्लीज


शालिनी हस कर खुले लहजे मे - धत्त पागल देखी भी है वो नाइटी,,, छिनी सी है औ उसमे मेरा पुरा पिछवाडा दिखेगा


राहुल को उम्मीद भी नही थी कि उसकी मा ऐसे शब्द भी यूज़ करेगी । जिसने उसके लण्ड मे और कसावट भर दी
राहुल थोडा शरमाता हुआ - क्या मम्मी आप भी ,,, इतना भी छोटा नही है ।

शालिनी - नही नही बाबा रहने दे मुझे नही ट्राई करना उसे ,,,कही तेरे पापा की नजर पड़ गयी तो ...

राहुल जिज्ञासु होकर - तो क्या हुआ पापा देख लेंगे तो

शालिनी अब मुस्कुराने लगी और इतराते हुए - अरे तु नही समझेगा , तेरे पापा बहुत वो है

राहुल - वो है ! मतलब

शालिनी हस कर - अब बंद कमरे मे वो क्या क्या करते हैं मै सब नही ना बता सकती तुझे ,,,,

राहुल सब समझ रहा था कि इन कपडो मे उसकी मा को देख कर किसी के अरमान जाग जायेंगे और वो हैवानो के जैसे चोदेगा तो उसका बाप कहा पीछे रहने वाला था ।

राहुल हस कर - हिहिहिही अच्छा समझ गया

शालिनी उसकी ओर घूम कर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए - क्या समझ गया तु,,, तुझे पता है क्या होता है उम्म्ं

राहुल हस कर - क्या मा मै इतना भी छोटा नही हू अब ,,,

शालिनी हस कर - तु भी तेरे पापा से कम नही है ,,,बदमाश कही का ।

राहुल - हिहिही तो क्या पापा अभी भी शरारत करते है

शालिनी - हा तो ,,, ये बस बाहर ही बडे शरीफ है नही तो रात मे कमरे मे तो पुछो ही मत


राहुल चहक कर -हिहिही बताओ ना मम्मी क्या करते है पापा

शालिनी शर्मा कर - धत्त बदमाश ,,, तु जा मुझे काम करने दे

राहुल जिद करते हुए अपनी मा के पीछे आ गया और उसके बाजू पकड कर अपना लण्ड का नुकीला भाग सीधा अपनी मा के गुदाज गाड की दरारो मे चुभोता हुआ - मम्मी प्लीज बताओ ना

शालिनी अपने बेटे के लण्ड के स्पर्श से गनगना गयी उसे लगा कि

Cock-penetrates-trough-tights

जैसे राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसके गाड़ मे घुसा दिया हो वो सिस्क कर हस्ते हुए - उम्मममं आआह हट पागल कही का ,,जा अपने पापा से पुछ हा नही तो

राहुल - तो पक्का आप नही बताओ
शालिनी उसे छेड़ते हुए - ऊन्हु ,,,

राहुल - तो मै रात मे छिप कर देख लूंगा हिहिहिही

ये बोल कर राहुल दुकान मे भाग गया और शालिनी उसको आवाज तो दी फिर खुद हसने लगी

शालिनी मन मे - ये तो बड़ा चालू निकला ,,,मेरे कमरे मे ताका झाकी करेगा उम्म्ंम

फिर शालिनी ने राहुल को परेशान करने का कुछ प्लान बनाया और अपने काम मे लग गयी ।

JAANIPUR


कमरे की स्थिति बहुत ही असहज हो गयी थी
रीना की निगाहे

20221230-183636


अपने ससुर से मोटे काले लण्ड पर जमी थी जिसकी फूली हुई नसे उसको और भी फौलादी किये जा रही थी । सुपाड़े का कालापन साफ बता रहा था कि वो बहुत बार चुदाई कर चुका था और उसपे लसराई हुई रज्जो की थुक से वो चमक रहा था ।


कमलनाथ के हाथ मे अब भी रज्जो के बाल थे और रज्जो के मुह पर जहा जहा उसने अपना गीला लण्ड रगड़ा था वो सब थुक से लसराय हुआ था ।
रज्जो के चेहरे की हालत और अपने ससुर के विकराल लण्ड को देख कर रीना का कलेजा धकधक होने लगा ,,, वो आंखे फाडे निहार रही थी

कुछ पलो के संयोग मे सब कुछ थम सा गया था कि तभी रीना के साथ से वो ट्रे कब सरक कर फरस पर गिरा और पानी की गिलास तेज छनछनाहट ने सबको जड़ से होश मे लाया

कमलनाथ ने लपक कर तकिया लेके अपना लिंग ढक किया , रज्जो भी फटाफट से अपने मुह को पोछने लगी और मैक्सि ठिक करते हुए तौलिया अपने पति को दिया ।

इस दौरान रीना ने बडी ही शर्मीन्दगी से मुह फेर लिया था और नजरे झुकाये निचे बैठ कर फर्श से गिलास और ट्रे उठाया ।

फिर निचे ही नजरे दौडा कर पानी साफ करने के लिए कुछ कपडा ढ़ूंढ़ने लगी

रज्जो - अह बहू रहने दो अभी मै वो साफ कर लूंगी ,, तुम जाओ

रीना बिना कुछ बोले नजरे झुकाये कमरे के बाहर चली गयी और बाहर आते ही उसने अपनी तेज धडकती सासो को बराबर किया - हे भगवान आज क्या हो रहा है मेरे साथ ,,, ना जाने क्या होगा अब ।


रीना - पापा जी के सामने मै फिर कैसे जाऊंगी ,,, मुझे एक बार दरवाजा नॉक कर लेना चाहिये था
रीना अपने ही ख्यालो मे बड़ब्डाती किचन मे चली गयी और वही कमरे मे दोनो मिया बीवी की बाते शुरु हो गयी ।


कमलनाथ अपना पाजामा पहनते हुए- रज्जो मेरे ख्याल से हमे बहू से बात करनी चाहिए

रज्जो - हा जी ,,, पहले वाला तो चलो ठिक था लेकिन अब ये । अभी नयी नयी आई है और उसके विचार हम लोगो के लिए बदल जायेन्गे तो ठिक नही होगा ।

मै बात करती हू उससे आप यही आराम करिये ।

फिर रज्जो कमरे से निकल कर निचे किचन मे चली जाती है ,,, जहा रीना सब्जी काटते हुए बार बार अपने ससुर के मोटे काले लण्ड के बारे मे सोच रही थी ।

रीना मन मे - उफ्फ़ पापा जी का कितना डरावना था ,,, ऐसे हथियार से चार लेने पर मा जी क्या किसी हाथी का भी सूज जायेगा , और कही ये मेरे मे घुसा तो अह्ह्ह नही नही ,,मै नही ले पाऊंगी इतना मोटा ,,, रमन का ही बहुत मुशकिल से झेल पाती हू


रीना अपने ख्यालो मे खोई हुई थी कि रज्जो किचन मे आती है ।

रज्जो - क्या बना रही हो बहू आज दोपहर के लिये

रीना नजरे चराते हुए - मा जी दाल चढा दिया है मैने और ये सब्जिया काट रही हू

रज्जो उसके बगल मे खड़े होकर - अह देखो बहू उपर कमरे मे जो हुआ उसके लिए हमे माफ करना ,,, तुम तो जानती ही हो कि रमन के पापा कितने उतावले रहते है

रीना शर्म से लाल होती हुई - अरे मा जी गलती तो मेरी है ,,,मै वो हाथ मे ट्रे पकडे हुए थी तो खटखटाने के बजाय कोहनी से धक्का दे दिया

रज्जो चिढ़ कर - हा जो भी हुआ हो ,,,लेकिन अगर रमन के पापा उतावले नही होते तो ये सब नही होता ना

रीना अपनी सास की बात सुन कर मन मे - खुद गपागप उनका मुसल घोट रही थी और उनको बोल रही थी हिहिही

रीना की खिस्स्खिसाह्त भरी हसी रज्जो ने सुन ली और वो मुस्कुरा कर - हा मतलब मै भी थी , अब इतना मोटा मुसल देख कर किसका जी नही ललचाएगा


रीना हस कर - धत्त मा जी आप भी ना ,,मै ऐसा कुछ नही सोच रही थी ।

रज्जो - लेकिन मै अपनी गलती तो मान सकती हू ना

रीना बस मुस्कुरा कर एक नजर अपनी सास को देखा और खाना बनाने मे लग गयी ।


जारी रहेगी
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
6,307
17,727
174
Mast..maza aayega ab reena sasur ka...

Mst h bhai but thoda update time se diye karo

der aaye par durust aaye
Year ye reena aur kamalnaath ka scene thoda seductive rakhna

Super super super super super super update 💯🍑❤️❣️🙏🔥👏 keep it up i will always support u u made my Friday please update soon and please write Raj words more please request ❣️❤️🍑💯🔥🔥👏🙏💯🍑❤️ great update ❤️🍑

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

superb update waiting for next

कबतक याएग लेकिन राज की ही कहानी ही लिखो जादा घुमाओ नही बहुत अच्छे लगती है आप की कहानी
UPDATE 160 IS POSTED
 

Raj Kumar Kannada

ಸಂದರ್ಭದ ಕಾಮ
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94
UPDATE 160



बस का सफ़र शुरु हुए एक घन्टा बीत चुका था और मैने पापा को फोन करके सूचना दे दी कि मै जानीपुर से ही बुआ के घर के लिए निकल गया हू ।

स्टाप दर स्टाप पर सवारियो की आवा जाहि लगी रही ,, सफर के कुछ गिने चुने लोग थे जो शायद मेरे साथ बुआ के टाउन तक जाने की पूरी टिकट कराये हुए थे ।

कितने हसिन चेहरे और उनके मादक कुल्हो को मैने बस के गलियारे मे आना जाना करते देखा ,,,लेकिन मेरी नजरे सामने दो सीट आगे बैठी एक महिला पर बार बार रुक रही थी ।

उसकी कदकाठी काफी ठिक थी और उसने सल्वार कमीज पहन रखा था । शायद वो अपने एक बुजुर्ग के साथ मेरे ही तय मंजिल तक जाने का इरादा लिये बस पर चढ़ी थी ।

चेहरे पर कोई पर्दा नही होने से मुझे लगने लगा था कि ये जरुर बाप बेटी ही होगे और कुछ समय मे मेरा अंदाजा सही हुआ क्योकि उस खातुन की एक छोटी बेटी ने उस बुजुर्ग को नानू बोला ।

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मेरी नजरे उसपे तबसे थी जबसे मै बस मे चढा था और उसके कूल्हो ने दो सीट की जगह ले रखी थी । चुचे तो दुपट्टे को भी बेपर्दा किये हुए साफ साफ झलक रहे थे ।
उसकी बेटी उन बुढऊ के गोदी मे बैठी थी ।

इस घन्टे भर के सफ़र के दौरान मेरी चाह थी कि काश मेरी सीट की अदला-बदली हो जाती और मै उसके साथ हो पाता ।
लण्ड के भी अपने अरमान उभर रहे थे ।

करीब आधे घंटे बाद एक बड़ा बस स्टाप आया । चुकि दोपहर का वक़्त हो चला था तो बस conductor और ड्राईवर ने बस खड़ी कर दी और सबको खाने पीने के लिए बोल दिया ।

शायद ये उनका रोज का खाने का जगह था जैसा कि आम सरकारी बस मे होता है वो दोपहर मे कही ना कही किसी बस स्टाप पर आधे घंटे के लिए रुकते ही है ।

बस रुकते ही सारे यात्री तेजी से उतरने लगे और कुछ नये यात्री भी चढ़ रहे थे ।
इसी कस्सीकस्सा ने गलियारे मे एक दो महिलाए भी दबी हुई थी ।
मै साफ साफ देखा दो आदमियो को उन औरतो के कुल्हे के बीच के उंगलियाँ करते और वो औरते भी गुस्से में पलट कर देखी लेकिन वो दोनो आदमी बड़ी बेशरमी से दान्त दिखा कर हस दिये और बोले - अरे भाई धक्का ना दो ,,, कही किसी के कुछ चुभ गया तो


वो दोनो औरते बेबस अपने गुस्से को पी गयी और करती भी क्या ही बेचारी ,,जो स्थिति थी बस मे ।
इस भीड़ मे भी मेरी नजरे उस खातुन पर जमी हुई थी कि वो निचे उतरी क्या ?
लेकिन वो बैठी हुई थी और उसके चेहरे पर बेचैनी के भाव थे । शायद वो भी निचे उतरना चाह रही थी ,,,लेकिन इन मर्दो की भीड़ मे वो भी पीस ही जाती और जो कोई भी उसके करीब होता उससे दुरी तो बिल्कुल भी नही बनाता ।

तभी उसकी नन्ही बेटी ने फिर से कुछ कहा तो वो खातुन बोली - हा बेटा चल रही हू ,,,सबको उतर तो जाने दे


तबतक वो दोनो आदमी भी उस खातुन के पास पहुच गये थे और उन्होने नजरें गड़ा कर उस खातुन के भड़कीले जिस्मो को तबतक निहारा जब तक पीछे के लोग के आगे बढने को नही बोला ।

हालाँकि ये मजह कुछ पलो की बात थी लेकिन वो खातुन थोडी शर्मिंदा थी क्योकि उन आदमियो की वजह से अब जितने भी लोग आगे बढ रहे थे वो सब उस खातुन को एक नजर निहार कर ही जा रहे थे और सबकी निगाहे चमक उठती थी यहा तक कि महिलाओ की भी ।

पुरा बस खाली हुआ और मै अभी भी बैठा रहा ।
फिर वो खातुन खड़ी हुई और जिसके भारी बदन को देख कर मेरी आंखे फैल गयी , गले मे थुक भरने लगा और लण्ड उसका हाल ही ना पुछो ।

उस खातुन ने पूरी बस का मुआयना किया और एक पल को हमारी नजरे टकराई तो मैने खुद से ही नजरे निची कर ली ।

फिर वो खातुन अपने बाप से कुछ बोल्कर सीट से बाहर निकाली और मुझे उसके सूट मे फैले हुए चुतड दिखे ।

Fcfv-Jrag-AQm-GHA
अब तक के अनुभव मे मैने इतना बड़ा कुल्हा मेरे मुहल्ले की वो रुबीना काकी का देखा था । लेकिन उसके मुकाबले ये खातुन काफी जवाँ थी ,,महज 35 साल ही उम्र होगी और 50 इन्च मे फैली हुई गाड़ ने जब पहली थिरकन ली तो मेरे लण्ड की नसे फड़क उठी ।

वो उतर कर निचे गयी तो मैने खिड़की से बाहर झाका तो पाया कि साला ये जगह तो काफी खस्ता हालत मे है ।
ना कोई शौचालय ना कुछ खास खाने पीने की जगह ।

बस स्टैंड के परिसर मे ही एक ओर जहा की फर्श टूट चुकी थी ,,सारे मर्द जन खडे होकर मुते जा रहे थे और एक ही नल था जिससे पानी लेने वाले खडे थे । एक बार जिसने हैंडल पकड लिया समझो 50 हैंडल बाद ही कही अपना बॉटल भर पायेगा ।

वही एक तरफ झुग्गी टाइप क एक ढाबा था । वहा भी लोग टुट पड़े थे ।
परिसर मे एक दो बसे और रुकी हुई थी इसिलिए भीड़ कुछ ज्यादा थी ।
वही जहा से वो खातुन गुजर रही थी सारे लोग उसके भड़कीले जिस्म को निहार रहे थे ।
यहा कोई था ही कि किसी को रोके कि क्यू उसे देख रहे हो ,,,सब चोर नजरो से उसके मादक कूल्हो की थिरकन को देख कर आहे भर रहे थे ।
कुछ औरते तो उसके जिस्म पर चर्चाये भी छेड़ चुकी थी ।


मैने देखा कि वो खातुन काफी समय से इधर उधर भटक रही है और उसकी बेटी पैर पटक कर जिद कर रही थी

मै समझ गया कि शायद उसको अपनी बेटी के लिये शौचालय की तालाश थी
मैने देखा सब कोई अपने मे मस्त था और किसी ने उसकी सुध नही ली ,,,और ना ही वो किसी से मदद के लिए पुछ पा रही थी । जिस तरफ वो जाती सब पलके झपकाये बिना उसके गदराये जोबनो की निहारते थे ।
वही वो दोनो आदमी जिन्होने बस मे बदतमिजी की थी ,,,वो एक पान की दुकान पर खडे होकर उस खातुन को ही ताडे जा रहे थे ।

मुझसे रहा नही गया और मै उतर कर निचे आया और फिर मै बस स्टाप के बाहर आया तो देखा एक बडी सी बिल्डिंग यहा से 20 मिटर की दुरी पर है और उधर ही कुछ औरते पेसाब के लिये गयी थी ।

मैने हिम्मत किया और उस खातुन की ओर गया ।
उसने भी मुझे अपनी आता देखकर थोडा सहमी और दुसरी ओर मुड़ी थी

मै - भाभी जी सुनिये

जैसे ही मैने उस खातुन को भाभी जी बोला वो हस दी
खातुन मुस्कुरा कर - हा बोलो ,,मै तुम्हे भाभी दिखती हू क्या

मै मुस्कुरा कर - सॉरी मुझे नही पता कि मै आपको क्या कह कर बुलाऊ

मै - वो मै बस मे था और देखा कि आप काफी समय से परेशान है और इधर उधर भटक रही है
वो खातुन थोडा असहज हुई और इधर उधर देखने लगी तो मै समझ गया कि वो सामने से नही बोलेगी

मै धीमी आवाज मे - अगर आप वाशरूम खोज रही है तो ये बससटाप के बाहर एक बिल्डिंग है कुछ लेडिज लोग उधर गयी थी ।

वो खातुन समझ गयी और मुस्कुरा कर बोली - किस तरफ

मैने उसे बससटाप के एक तरफ इशारा किया और फिर खुद चाय पीने के लिए बस सटाप के बाहर निकल गया उसी झुग्गी मे ।

वो खातुन भी बाहर निकली और एक नजर मुझे देखा और फिर उस बिल्डिंग की ओर चल दी ।

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मै उसे सड़क पर से देखे जा रहा था उसके गदराये चुतड़ बहुत ही जबरजस्त तरीके के हिचकोले खा रहे थे ।

करीब 20 मीटर जाने के बाद वो खातुन उस बिल्डिंग के पास खड़ी हो गयी , शायद उसे पता नही था कि औरते किधर गयी थी ।

वो फिर से मेरी देखने लगी और मै समझ गया कि मुझे वहा जाना ही पडेगा ।

मै चल कर उधर आगे गया और पान के स्टाल पर खड़े उन दोनो आदमियो ने मुझे देखा भी लेकिन मैने उन्हे नजरअन्दाज किया।

मै - क्या हुआ
खातुन - यहा तो कोई नही है

मै थोडा मुस्कुरा कर - वो आपको इस बिल्डिंग के पीछे की ओर जाना पडेगा ।

खातुन - अच्छा तो क्या आप जरा मेरी बेटी को थोड़ी देर के लिए देखेंगे ,,मै जरा

मै चौका - क्या ? म म मेरा मतलब आपको जाना है , मुझे लगा इस गुड़िया को जाना है इसिलिए जिद कर रही है

वो खातुन थोडा शर्म से लाल होकर मुस्कुरा कर - अरे इसको चॉकलेट चाहिये , अच्छा तो क्या वहा मै नही जा सकती क्या मतलब

मै थोडा असहज होकर मुस्कुरा कर - अरे नही नही जाईए ना ,,मै हू इसके साथ

खातुन - बेटा अंकल के साथ रहो मै अभी आ रही हू ना

वो छोटी लड़की जिद करने लगी कि वो भी उसके साथ जायेगी ,,,

आखिरकार वो खातुन अपने बेटी की जिद पर हार गयी और उसे लेके बिल्डिंग के बगल के पहुच गयी ।

खातुन - बस बेटा यही रहो मै सुसु करके आती हू ,, बस यही बगल मे हू ,,अंकल के साथ रहो ना

इससे पहले वो बच्ची अपना जिद स्टार्ट करती कि वो खातुन तेज कदमो से चल कर करीब 5 6 मिटर आगे से बिल्डिंग के पीछे चली गयी ।

मै उस छोटी बच्ची का हाथ पकड कर उसका नाम घर पुछने लगा ,,, वो लगातार हाथ छुड़ाने की कोसिस कर रही थी लेकिन मै उसको पकडे हुए खड़ा था


इतने मे मेरे फोन की घंटी बजी और मै उसे उठाने के लिए उसका हाथ छोड कर जेब से मोबाइल निकालने को हुआ कि वो सरपट बिल्डिंग के पीछे की ओर भागी और मै उसको पकडने के लिए उसको आवाज देता हुआ लपका

मै - अरे बेटा रुको !!!
लेकिन तबतक देर हो चुकी थी

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मै भी बिल्डिंग के पीछे आ चुका था और सामने वो खातुन अपना सलवार खोले अपनी बडी सी चुतड को फैलाये मुत रही थी

और जैसे ही उसे हमारे आने की भनक हुई वो गरदन घुमा कर हमारी ओर देख - हाय अल्लाह !!

मेरी नजरे एक बार उसपे गयी और फिर एक बार मैने उसके गुदाज नरम गोरी चिकनी गाड़ को देखा ,,,उसके हल्के भूरे सुराख को देखकर साफ लग रहा था कि कोई बहुत तबियत से उन छेदो मे अपना मुसल भरता होगा ।

अगले ही पल मैने नजरे फेर ली और उस बच्ची को गोद मे पकड कर अपनी जगह पर वापस आ गया ,,,वो बच्ची मुझे दौडा कर खुश थी और थोडी देर मै उसकी खुशी मे शामिल हुआ

तभी वो खातुन मेरी ओर आती दिखी ,,,मैने उसकी बेटी को निचे उतारा और नजरे नीची करके - सॉरी वो आपकी बेटी भागने लगी थी तो

वो खातुन भी शर्म से लाल थी और मेरी नियत देख कर मुस्कुरा कर - कोई बात नही हो जता है ,,,तुम अच्छे लडके लगते हो । कहा घर है तुम्हारा


फिर बस सटाप तक आते आते मैने अपना घर और बस के सफ़र की वजह बतायी ।
उसने मेरी बहन की शादी के लिए बधाई दी और बताया कि वो यहा अपने अब्बू के इलाज के लिए आई थी अब वापस घर जाना है ।

फिर मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाने के लिए उसी पान वाले स्टाल पर गया । जहा वो दोनो हरामी अभी भी खडे थे ,

मैने उस बच्ची को चॉकलेट दिलाया और खुद के लिए एक दो स्नैक्स के पैकेट ले लिये ।

फिर हम बस की ओर जाने को हुए ही थे कि पीछे से उन दोनो मे से एक ने कमेंट किया

आदमी 1 - यार कोई हमसे मदद माग लेता ,, मेरी नजर मे भी एक मस्त पेसाबघर था

आदमी 2 - हा यार वहा तो कोई चाह कर भी कुछ देख नही पाता

मै समझ गया कि वो साले मेरा ही मजा ले रहे है । मैने एक नजर उस खातुन को देखा तो वो चुप थी ।

खातुन - जाने दो बाबू इनकी बाते ध्यान ना दो ,, बहुत दुष्ट है ये सब ,,अभी बस मे थोडी देर पहले ही

मै उसकी बात काटकर - हा देखा था मैने भी , चलिये अन्दर चलते है ।

फिर मै मेरी सीट पर आ गया और कुछ ही देर मे बस का सफ़र फिर शुरु हो गया ।



लेखक की जुबानी

CHAMANPURA

राहुल अपने घर आ चुका था और शालिनी दोपहर के खाने की तैयारी मे जुटी हुई थी ।

राहुल आते ही अपने कमरे मे गया और वहा से एक रेजर और सिर्फ एक तौलिया लेके उपर छत पर नहाने के लिए निकल गया ।

बाथरूम मे जाकर राहुल ने अच्छे से अपने लण्ड के बालो को साफ किया और बाथरूम को वैसा ही छोड दिया ताकी जब भी उसकी मा आये तो उसको भनक लगे कि राहुल ने अपने झाट के बाल बनाये है ।

फिर वो अपना लण्ड ख्दा करके तौलिया लपेटे हुए सीढ़ी से निचे आता है और एक नजर किचन मे देखता है कि उसकी मा खाना बनाने मे व्यस्त है

अपनी मा के गाड को लोवर मे कसा हुआ देख कर वो अपने तौलिये के उपर से ही अपना मुसल मसल देता है और फिर अपने कमरे मे चला जाता है ।

फिर वो तैयार होकर किचन मे आता है और अपनी मा के पास सट कर खड़ा होता है ।

राहुल - तो बताओ मम्मी मुझे क्या करना है

शालिनी मुस्कुरा कर - तुझे क्या हुआ ,,,जो काम करने का मन कर रहा है

राहुल - अरे अब कुछ दिनो के लिए दीदी नही है तो मैने सोचा क्यू ना मै आपकी मदद करू

शालिनी हस कर - अच्छा ऐसी बात है तो चल ये सारे नास्ते वाले बर्तन धुल दे

राहुल का मन थोडा उखड़ा जरुर लेकिन मा के करीब जाने के लिए उसे जो करना पडे सब करना ही था ।

इधर वो बरतन धुल रहा था और शालिनी बखूबी उसकी चालाकिया समझ रही थी ।
और वो राहुल के बोलने का इन्तजार कर रही थी ।

राहुल - अरे मम्मी दीदी अपने कपडे नही लेके गयी क्या ,,,आपने उसके कपडे पहने है और छत पर नही सुखने के लिए कपडे डाले है

शालिनी समझ गयी कि अब खेल शुरु हो चुका है - हा वो मैने उसके एक दो सेट कपड़े ले लिये ,,, इसमे मुझे बहुत आराम मिलता है


राहुल हस कर - मै तो कहता ही हू की आप ऐसे ही कपडे पहनो , अच्छा दीदी का स्कर्ट ट्राई किया आपने


शालिनी सोच कर - नही !! शायद वो लेके भी नही गयी है

राहुल की आंखे चमक उठी और वो गीले हाथो से ही अपना लण्ड सेट करके फिर से बरतन धुलने लगा - तो ट्राई करो ना मम्मी अच्छा लगेगा वो भी आप और वो नाइटी तो जरुर पहनना आप प्लीज


शालिनी हस कर खुले लहजे मे - धत्त पागल देखी भी है वो नाइटी,,, छिनी सी है औ उसमे मेरा पुरा पिछवाडा दिखेगा


राहुल को उम्मीद भी नही थी कि उसकी मा ऐसे शब्द भी यूज़ करेगी । जिसने उसके लण्ड मे और कसावट भर दी
राहुल थोडा शरमाता हुआ - क्या मम्मी आप भी ,,, इतना भी छोटा नही है ।

शालिनी - नही नही बाबा रहने दे मुझे नही ट्राई करना उसे ,,,कही तेरे पापा की नजर पड़ गयी तो ...

राहुल जिज्ञासु होकर - तो क्या हुआ पापा देख लेंगे तो

शालिनी अब मुस्कुराने लगी और इतराते हुए - अरे तु नही समझेगा , तेरे पापा बहुत वो है

राहुल - वो है ! मतलब

शालिनी हस कर - अब बंद कमरे मे वो क्या क्या करते हैं मै सब नही ना बता सकती तुझे ,,,,

राहुल सब समझ रहा था कि इन कपडो मे उसकी मा को देख कर किसी के अरमान जाग जायेंगे और वो हैवानो के जैसे चोदेगा तो उसका बाप कहा पीछे रहने वाला था ।

राहुल हस कर - हिहिहिही अच्छा समझ गया

शालिनी उसकी ओर घूम कर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए - क्या समझ गया तु,,, तुझे पता है क्या होता है उम्म्ं

राहुल हस कर - क्या मा मै इतना भी छोटा नही हू अब ,,,

शालिनी हस कर - तु भी तेरे पापा से कम नही है ,,,बदमाश कही का ।

राहुल - हिहिही तो क्या पापा अभी भी शरारत करते है

शालिनी - हा तो ,,, ये बस बाहर ही बडे शरीफ है नही तो रात मे कमरे मे तो पुछो ही मत


राहुल चहक कर -हिहिही बताओ ना मम्मी क्या करते है पापा

शालिनी शर्मा कर - धत्त बदमाश ,,, तु जा मुझे काम करने दे

राहुल जिद करते हुए अपनी मा के पीछे आ गया और उसके बाजू पकड कर अपना लण्ड का नुकीला भाग सीधा अपनी मा के गुदाज गाड की दरारो मे चुभोता हुआ - मम्मी प्लीज बताओ ना

शालिनी अपने बेटे के लण्ड के स्पर्श से गनगना गयी उसे लगा कि

Cock-penetrates-trough-tights

जैसे राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर उसके गाड़ मे घुसा दिया हो वो सिस्क कर हस्ते हुए - उम्मममं आआह हट पागल कही का ,,जा अपने पापा से पुछ हा नही तो

राहुल - तो पक्का आप नही बताओ
शालिनी उसे छेड़ते हुए - ऊन्हु ,,,

राहुल - तो मै रात मे छिप कर देख लूंगा हिहिहिही

ये बोल कर राहुल दुकान मे भाग गया और शालिनी उसको आवाज तो दी फिर खुद हसने लगी

शालिनी मन मे - ये तो बड़ा चालू निकला ,,,मेरे कमरे मे ताका झाकी करेगा उम्म्ंम

फिर शालिनी ने राहुल को परेशान करने का कुछ प्लान बनाया और अपने काम मे लग गयी ।

JAANIPUR


कमरे की स्थिति बहुत ही असहज हो गयी थी
रीना की निगाहे

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अपने ससुर से मोटे काले लण्ड पर जमी थी जिसकी फूली हुई नसे उसको और भी फौलादी किये जा रही थी । सुपाड़े का कालापन साफ बता रहा था कि वो बहुत बार चुदाई कर चुका था और उसपे लसराई हुई रज्जो की थुक से वो चमक रहा था ।


कमलनाथ के हाथ मे अब भी रज्जो के बाल थे और रज्जो के मुह पर जहा जहा उसने अपना गीला लण्ड रगड़ा था वो सब थुक से लसराय हुआ था ।
रज्जो के चेहरे की हालत और अपने ससुर के विकराल लण्ड को देख कर रीना का कलेजा धकधक होने लगा ,,, वो आंखे फाडे निहार रही थी

कुछ पलो के संयोग मे सब कुछ थम सा गया था कि तभी रीना के साथ से वो ट्रे कब सरक कर फरस पर गिरा और पानी की गिलास तेज छनछनाहट ने सबको जड़ से होश मे लाया

कमलनाथ ने लपक कर तकिया लेके अपना लिंग ढक किया , रज्जो भी फटाफट से अपने मुह को पोछने लगी और मैक्सि ठिक करते हुए तौलिया अपने पति को दिया ।

इस दौरान रीना ने बडी ही शर्मीन्दगी से मुह फेर लिया था और नजरे झुकाये निचे बैठ कर फर्श से गिलास और ट्रे उठाया ।

फिर निचे ही नजरे दौडा कर पानी साफ करने के लिए कुछ कपडा ढ़ूंढ़ने लगी

रज्जो - अह बहू रहने दो अभी मै वो साफ कर लूंगी ,, तुम जाओ

रीना बिना कुछ बोले नजरे झुकाये कमरे के बाहर चली गयी और बाहर आते ही उसने अपनी तेज धडकती सासो को बराबर किया - हे भगवान आज क्या हो रहा है मेरे साथ ,,, ना जाने क्या होगा अब ।


रीना - पापा जी के सामने मै फिर कैसे जाऊंगी ,,, मुझे एक बार दरवाजा नॉक कर लेना चाहिये था
रीना अपने ही ख्यालो मे बड़ब्डाती किचन मे चली गयी और वही कमरे मे दोनो मिया बीवी की बाते शुरु हो गयी ।


कमलनाथ अपना पाजामा पहनते हुए- रज्जो मेरे ख्याल से हमे बहू से बात करनी चाहिए

रज्जो - हा जी ,,, पहले वाला तो चलो ठिक था लेकिन अब ये । अभी नयी नयी आई है और उसके विचार हम लोगो के लिए बदल जायेन्गे तो ठिक नही होगा ।

मै बात करती हू उससे आप यही आराम करिये ।

फिर रज्जो कमरे से निकल कर निचे किचन मे चली जाती है ,,, जहा रीना सब्जी काटते हुए बार बार अपने ससुर के मोटे काले लण्ड के बारे मे सोच रही थी ।

रीना मन मे - उफ्फ़ पापा जी का कितना डरावना था ,,, ऐसे हथियार से चार लेने पर मा जी क्या किसी हाथी का भी सूज जायेगा , और कही ये मेरे मे घुसा तो अह्ह्ह नही नही ,,मै नही ले पाऊंगी इतना मोटा ,,, रमन का ही बहुत मुशकिल से झेल पाती हू


रीना अपने ख्यालो मे खोई हुई थी कि रज्जो किचन मे आती है ।

रज्जो - क्या बना रही हो बहू आज दोपहर के लिये

रीना नजरे चराते हुए - मा जी दाल चढा दिया है मैने और ये सब्जिया काट रही हू

रज्जो उसके बगल मे खड़े होकर - अह देखो बहू उपर कमरे मे जो हुआ उसके लिए हमे माफ करना ,,, तुम तो जानती ही हो कि रमन के पापा कितने उतावले रहते है

रीना शर्म से लाल होती हुई - अरे मा जी गलती तो मेरी है ,,,मै वो हाथ मे ट्रे पकडे हुए थी तो खटखटाने के बजाय कोहनी से धक्का दे दिया

रज्जो चिढ़ कर - हा जो भी हुआ हो ,,,लेकिन अगर रमन के पापा उतावले नही होते तो ये सब नही होता ना

रीना अपनी सास की बात सुन कर मन मे - खुद गपागप उनका मुसल घोट रही थी और उनको बोल रही थी हिहिही

रीना की खिस्स्खिसाह्त भरी हसी रज्जो ने सुन ली और वो मुस्कुरा कर - हा मतलब मै भी थी , अब इतना मोटा मुसल देख कर किसका जी नही ललचाएगा


रीना हस कर - धत्त मा जी आप भी ना ,,मै ऐसा कुछ नही सोच रही थी ।

रज्जो - लेकिन मै अपनी गलती तो मान सकती हू ना

रीना बस मुस्कुरा कर एक नजर अपनी सास को देखा और खाना बनाने मे लग गयी ।


जारी रहेगी
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