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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 149

चमनपुरा

रात का पहर ढल चुका था । करीब 10 बज चुके थे ।
राहुल अनुज के यहा उसके कमरे मे लैपटाप खोलकर बैठा हुआ था और दोनो नयी नयी वीडियो ईयरफोन लगाये चला रहे । वही बगल के कमरे मे सोनल का अमन के संग कुछ रोमांटिक पल गुजर रहे थे तो निचे कमरे मे रन्गीलाल रागिनी की गाड़ मे घुसा हुआ उसे चोद रहा था । साथ ही कभी रज्जो को तो कभी सोनल की होने वाली सास ममता की चर्चा पर वो और जोश मे आकर अपनी बीवी की दमदार चुदाई कर रहा था ।

इनसब के अलग निशा के घर पर कुछ अलग ही माहौल था । खाने के बाद जन्गीलाल की बेताबी बहुत बढ गयी थी ।

उसने अपने कमरे का माहौल ठिक किया ताकि किसी भी बात को लेके उसकी लाडो का ध्यान भटके नही । वही शालिनी अपने पति की बेताबी देख कर मन ही मन खुश थी ।


जंगीलाल खाने के बाद अपने कमरे मे था और दोनो मा बेटी किचन मे बतरन खाली कर रहे थे ।

शालिनी - तो तु भी अब साड़ी पहनेगी हम्म्म

निशा हस कर - क्यू आपको जलन हो रही है क्या कि मै आपसे अच्छी दिखून्गी । हिहिहिही

शालिनी - धत्त , मै वो नही कह रही थी

निशा - फिर ??
शालिनी धीमी आवाज मे - अरे मतलब पापा के सामने ब्लाउज पेतिकोट मे जायेगी तो थोडा अन्दर के कपडे पहन लेना

निशा उखड़ कर - ओह्हो मम्मी आप भी ना , इतनी गर्मी मे मै ब्रा पैंटी नही पहनने वाली । गर्मी से आराम रहे इसिलिए तो साडी पहनना सिख रही हू


शालिनी मुस्कुराते हुए मन मे - ये देखो इस पगली को ।मै इसके भले के लिए कह रही हू तो नखरे कर रही है । अरे बेटी तेरा बाप तो तुझे पुरा नंगा करने के मूड मे है । हुउह मुझे क्या तू ही झेलेगी ।


निशा अपनी को देख कर - क्या हुआ मम्मी ? क्या सोच रही हो ??

शालिनी मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा । जा तु अपने कपडे पहन ले मै भी हाथ धुल कर आती हू । तेरे पापा भी इन्तजार कर रहे होगे ।

इधर निशा खुश होकर कमरे मे चली जाती है और अपने कपड़े निकाल कर एक पीले रंग का सूती ब्लाउज जो बिना अस्तर का था । उसको पहनाते हुए मन मे बड़बड़ाती है - क्या कह रही थी मा कि ढ़क कर आना । हुह । मेरे पापा ना जाने कितना तरसते है मेरे जोबनो को देखने के लिए

निशा ने ब्लाऊज पहन कर आईने मे खुद को निहारा तो उसके गहरे भूरे निप्प्ल उसके ब्लाउज से साफ साफ झाक रहे थे ।

निशा इतरा कर - हमम ये हुई ना बात ,,,आज तो पापा को ऐसा सताउन्गी की पागल ही हो जायेगे वो हिहिहिही । बहुत चोरी छिपे मेरे जोबनो को निहारते रहते है ना । आज मौका मिला तो खोल कर दिखाने से मै भी बाज नही आऊंगी हिहिहिही

निशा ने फिर मैचिन्ग पेतिकोट पहना । फिर अपना दुसरा ब्लाऊज पेतिकोट और दोनो साड़िया लेके पापा के कमरे की ओर चल दी ।

जहा जन्गीलाल और शालिनी पहले से ही खुस्फुसा कर बाते कर रहे थे ।

शालिनी - देखीये जी जरा आप खुद पर काबू रखियेगा । मै कोसिस करूंगी की उसकी शादी की बात छेड़ दू और अगर उसने आपके सामने मना किया तो आप समझ रहे है ना क्या करना है ??

जंगीलाला चहक कर अपना फन्फ्नाता मुसल जान्घिये के उपर से मसल कर - हा मेरी जान,,, मुझे पता है

शालिनी अपने पति को उसके लण्ड पर इशारा करते हुए - हा तो जरा उसे छेड्ना बन्द करिये । वो आ रही है ।

फिर दरवाजे पर दस्त्क हुई और शालिनी अपने सृंगार वाले आईने के पास चली गयी और वही बैठे हुए ही बोली - हा बेटा आजा ,,खुला ही है दरवाजा

निशा कमरे मे घुसती है तो जन्गीलाल टीवी चालू किये हुआ था और शालिनी अपने गहने उतार कर बाल सवार रही थी । दोनो यही दिखा रहे थे कि सब कुछ समान्य हो रहा है ।

तभी निशा की आहट से जंगीलाल ने एक नजर उसे देखा और उसकी सासे अटक गयी । सामने निशा पीले रंग के ब्लाउज पेतिकोट मे अपने हाथ मे झोला लेके खड़ी थी। और उसके खडे हुई निप्प्ल डीप गले वाले ब्लाउज से झाक रहे थे ।

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चुचियो का फुलाव इतना था कि लगभग एक तिहार उभरी हिस्सा बाहर ही झलक रहा था । उस नजारे को देखते ही जन्गीलाल का लण्ड ठुमक उठा ।
जंगीलाल मुसकुरा कर टीवी म्यूट पर डालते हुए - अरे बेटा तु आ गयी

अपने पति की बात सुन कर शालिनी भी घूम कर निशा की ओर देखा और उस्के ब्लाऊज से झाकते निप्प्ल देख कर उसे थोडी हसी आई । लेकिन उसने खुद पर कन्ट्रोल किया ।


निशा चहक के - हा पापा । देखो मै दोनो साड़ीया लाई हू

जंगीलाल - अच्छा ठिक है आजा इधर पहले एक ट्राई करते है फिर दुसरा देखेंगे

निशा मुस्कुरा कर इठलाती हुई अपने पापा के पास गयी जो सोफे पर बैठा हुआ था ।

निशा अपने पापा के सामने आकर खड़ी हो गयी । वही जंगीलाल सोफे पर बैठे हुए बडे गौर से निशा के नंगी चर्बीदार पेट और गहरी नाभि देख रहा था । पास ने निशा के चुचे और भी रसिले दिख रहे थे ।

निशा अपनी थैली से एक पीले रंग की साडी निकाल कर उसे देती है ।

जन्गीलाल होश मे आता हुआ - हा हा बेटी दे मुझे

फिर जंगीलाल साडी खोल कर फर्श पर गिरा कर उसका अन्दर वाला सिरा खोजने लगता है । इस सब हरकतो को शालिनी वही आईने सामने बैठी नोटिस कर रही थी और हस रही थी ।

मगर जंगीलाल के लिये साडी पहनाना कोई बडी बात नही थी । वो सालो से इस फील्ड मे धंधा कर रहा था तो उसे हर तरीके से साडी पहनाने आता था । यहा तक कि वो कभी कभी कुछ खास ग्राहको के लिए खुद ही साडी लपेट कर दिखाता । खैर वो बाते और माहौल अलग है और यहा अलग ।

यहा तो जन्गीलाल की हवस ने उसे आज अपनी बेटी के लिए मज्बुर कर दिया था । साड़ी पहनाना मजह के एक बहाना था अपने बेटी के कोमल और अनछुए जिस्मो का स्पर्श लेने का ।

जंगीलाल ने साडी का सिरा पकड़ा और निशा के पीछे से घुमाकर उसे पेतिकोट मे अच्छे से अपनी उन्गलिया घुसा घुसा कर खोसने लगा ।

अपनी बेटी के कमर के निचले हिस्से और सामने पेड़ू पर उंगलियाँ घुसा कर जन्गीलाल को बहुत अच्छा महसूस हुआ । वही निशा गुदगुदी से थोडी खिलखिला रही थी ।

फिर जंगीलाल ने पल्लू का पलेटींग बना कर उसे निशा के कन्धे पर डालते हुए - इसे जरा सम्भालना बेटी हा ,,,मै जरा निचे साडी खोस दू ।

फिर जंगीलाल ने बाकी की बची हुई साडी का हिस्सा जो सामने रहता ,,उसकी तह लगा कर तैयार किया ।

जन्गीलाल - बेटा जरा तू अपना पेट पचकायेगी ताकी मै ये साड़ी खोस सकू

निशा खिलखिला कर - हीहीहीही ओके पापा

फिर निशा ने पुरा जोर लगा कर सारी सास अपने सिने मे भर ली जिससे उसके चुचे फुल कर कुप्पे हो गये और वही जन्गीलाल ने जब उसका पेतिकोट मे सामने से गैप बनाकर साडी को खोसने गया तो उसे निशा के चुत की ढलान साफ साफ नजर आई ।

जन्गीलाल का लण्ड निशा के चिकने और हल्के बालो वाली चुत की ढलान देख कर फड़फडा कर तन गया ।

लेकिन जल्द ही निशा की सासो पर पकड ढीली होने लगी और उसका पेट वापस ए सामान्य होने लगा तो ना चाहते हुए भी जंगीलाल को साडी खोसनी पडी ।


फिर वो खड़ा हुआ और निशा के साड़ी का पल्लू उस्से चुचो पर चढ़ाने के बहाने उससे मुलायम चुचो का स्पर्श लेने लगा ।
फिर सब सेट करके वापस इत्मीनान से बैठता हुआ - हा अब हो गया ,,, देखो तो कितनी प्यारी लग रही है मेरी लाडो

निशा चहक कर अपना पल्लू उड़ा कर घूमते हुए - सच मे पापा हिहिही

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निशा - मम्मी कैसी लग रही हू मै
शालिनी अपनी लाडो को साड़ी मे देख कर थोडी भावुक तो हुई लेकिन उसने खुद को सम्भाल कर - बहुत प्यारी लग रही है मेरी गुड़िया

इधर निशा अपने पापा के सामने घूम चहक रही थी कि जंगीलाल को एक शरारत सुझी उसने अपने पाव की उन्गिलीयो से निशा के साडी पल्लू हल्का सा खीचा तो बिना पिन का पल्लू उसके कंधे से सरका और निचे गिर गया

जिसे सम्भालने के लिए निशा को अपने पापा के सामने झुकना पडा और उसके आधे से ज्यादा ब्लाऊज मे कसे हुए उस्के चुचे जन्गीलाल के सामने दिख गये ।

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शालिनी ने अपने पति की सारी हरकतो पर नजरे रखे हुई थी और जब निशा झुकी तो जन्गीलाल की आंखो की चम्क और जान्घिये मे लण्ड का उभार कैसा बढा ये भी उसने देख लिया ।

वही निशा को भी थोडी बहुत भनक लग गयी जब उसने अपने पापा का तना हुआ लण्ड टेन्ट बनाये जान्घिये मे खड़ा देखा । तो उसने भी अपने पापा को रिझाने के लिए बडी अदा से अपना पल्लू आधा ही उठाया और चुचिय खुली ही रखी ।

इधर शालिनी समझ गयी कि बात अब आगे बढानी चाहिये इसिलिए उसने योजना अनुसार निशा के पीछे गयी और उसके साडी का पल्लू उसके सर पर चढाते हुए ।

शालिनी - अरे तु और भी खुबसूरत लग रही है मेरी बच्ची

निशा चहक कर सर पर पल्लू काढ़े एक नजर आईने मे देखा खुद को तो उसे थोडी शर्म आई और वो अपना मोबाइल शालिनी को दे कर - मम्मी प्लीज मेरा फ़ोटो निकालो ना ,प्लीज

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फिर शालिनी खुश होकर कुछ तस्वीरे निकलती है और वापस उसे दिखाते हुए - देख लग रही है ना एकदम नयी नवेली दुल्हन हिहिहिही

जंगीलाल भी निशा के पास खड़ा होकर - अरे वाह , हमारी लाडो तो सच मे बडी हो गयी है । इसके लिए तो कोई अच्छा सा रिश्ता देखना ही चाहिये

निशा को शर्म आई और वो भी अपनी शादी के लिए काफी excited होती है । दुल्हन बनने का अह्सास , ढेर सारी शॉपिंग और फिर एक नये लण्ड से जी भर के चुदाई ।

मगर निशा अपने पापा के सामने अपनी शालीनता ही दिखाती हुई शर्मा कर - धत्त नही ,,,पापा मुझे शादी नही करनी अभी


निशा की प्रतिक्रिया सुन कर जंगीलाल और शालिनी की नजरे आपस मे टकराई और वो मुस्कुरा दिये कि उनका दुसरा स्टेप भी कम्प्लीट हो गया ।


शालिनी - इसका तो हर बार का हो गया है जी । हमेशा मना करती है । आखिर कब तक उस डर से भागेगी बेटा । हर लडकी को वो दिन का सामना करना पड़ता है ।


निशा की आंखे बडी हो गयी कि उसकी मा ये क्या बोल रही है ।

तभी जन्गीलाल - क्या हुआ शालिनी क्या बात है । कैसा डर??

निशा मन मे - हे भगवान अब क्या मा ये सब भी पापा को बतायेगी क्या ??? धत्त मुझे कितनी शर्म आ रही है हिहिहीही । और पापा क्या सोचेंगे मेरे बारे मे कि मै चुदाई से डरती हू

शालिनी हताश होने का दिखावा कर - अब क्या बताऊ जी आपको ,,, इसको शादी के बाद के कामो से डर लगाता है ।

जन्गीलाल हस कर - अरे इसमे क्या डरना बेटी , जैसे तु यहा हमे बनाती खिलाती है और हमारा ध्यान रखती है । वैसे ही शादी के बाद वो घर का ध्यान रखना

निशा को जब अह्सास हुआ कि उसके पापा उसकी मम्मी की बात समझ नही पाये तो वो खिखी करके हस दी और शालिनी की भी हसी छूट गयी ।

जंगीलाल अचरज का भाव दिखाता हुआ - क्या हुआ ? तुम लोग हस क्यू रहे भई!!

शालिनी हस कर - आप समझे नही क्या इधर आईये ।

फिर शालिनी जन्गीलाल को एक किनारे ले जाकर थोडा बहुत खुस्फुसाती है तो वापसी मे जंगीलाल के चेहरे के भाव मे थोडी गम्भीरता दिखने लगती है ।
वही निशा शर्म से लाल हुई जा रही थी कि उसकी मा ने पापा को सब बता दिया होगा ।पता नही वो क्या रियेक्शन देंगे ।

जन्गीलाल गला खराश कर निशा के पास जाता है सोफे पर बैठते हुए - इधर आ बेटी यहा बैठ मेरे पास

निशा थोडा मुस्कुराते , थोडा शरमाते हुए अपने पापा के पास बैठ जाती है । उसके दिल की धडकनें बहुत तेज हो गयी थी ।

फिर जन्गीलाल शालिनी को इशारा करता है कि वो निशा के पास जाकर बैठे ।

जंगीलाल एक हाथ से बडे प्यार से निशा के गालो को सहलाता है और उसके माथे को चूम लेता है । निशा मानो इस प्रेम स्पर्श से पूरी तरह पिघल ही गयी ।

जंगीलाल थोडा झिझक दिखा कर - अब देखा बेटा जैसा तेरी मा ने बताया मुझे , वो सब लड़कियो के साथ होता है । माना कि तुम उस लड़के से पहले बार मिलोगी और ऐसे अनजान लोगों से शरीरिक हो पाना शुरु मे बहुत मुश्किल होता है । लेकिन यही समाज और प्रकृति की रीति है बेटा , हमे ये रीति निभाने ही पडते है ।


निशा मन ही मन शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी । उसकी आवाज तो मानो गायब सी थी ।
शालिनी उसके कन्धे पर हाथ रख कर - हा बेटा तेरे पापा सही कह रहे है । मै भी जब पहली बार ,,,,मतलब हम दोनो जब पहली बार मिले थे तो मुझे भी डर था लेकिन सब धिरे धीरे सही हो गया था ।

निशा अब धीरे से बोली - हा लेकिन पापा तो आपको प्यार करते थे ना और वो क्यू आपको तकलिफ देंगे । मेरा कौन सा कोई ....।


ये बोलकर निशा चुप हो गयी और नजरे झुकाये रखी । वही शालिनी और जन्गीलाल को मह्सूस हुआ कि उसकी लाडो तो सच मे डर रही है । शालिनी ने आंखो से ही इशारा करके जंगीलाल से पुछा कि अब क्या करे तो जन्गीलाल ने उसे आश्वत किया ।

जंगीलाल - हा बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन ससुराल मे तेरी जिम्मेदारी घर सम्भालने , सास ससुर की देखभाल के साथ साथ तुझे अपने पति को भी प्यार देना ही पडेगा । वो उसका हक है ।


निशा वैसे ही नजरे निची किये हुए अपना साड़ी का पल्लू उंगलियो मे घुमा रही थी - और पता नही मेरी जिस्से शादी होगी वो मुझसे खुश रहेगा या नही , मुझे तो पता भी नही है इस बारे मे कुछ भी ।

शालिनी को अपनी बेटी पर बहुत तरस आ रहा था और वो उसके अपने सीने से लगा लेती है । वही जंगीलाल चहक उठता है कि मानो निशा ने उसे एक बड़ा मौका दे दिया हो ।

जंगीलाल खुश होकर - अरे बेटा उसकी चिंता तू क्यू करती है । हर लडकी को उसके घर वाले सारे गुण सिखाने के बाद ही ससुराल भेजते है

शालिनी समझ गयी कि उसका पति ने आगे बढना शुरु कर दिया है - हा बेटी , और मैने तुझे बताया था मुझे भी किसी ने बताया था इस बारे । आमतौर अब ये सब बाते घर की भाभी या पड़ोस की कोई सहेली बताती है और अभी ऐसा कोई खास रिश्तेदार तो है नही तो वो सब तुझे बताने सिखाने की जिम्मेदारी भी हम मा बाप की ही है ।


निशा शर्म से लाल हो गयी कि अब उसके मम्मी पापा उसे सेक्स के बारे बताएगे ।

निशा ह्सते हुए शर्मा कर अपनी मा के सीने मे छिप गयी - धत्त नही मम्मी मुझे शर्म आयेगी

और उसे ऐसा कहते देख कर बाकि दोनो भी हसने लगे क्योकि वो जानते थे कि उनका तिन अपने निशाने पर लग गया है


शालिनी अब उसे थोडी डांट लगाते हुए - क्या नही !! इसमे भी तेरे ड्रामे खतम नही हो रहे है

जन्गीलाल - ओहो शालिनी तुम भी ना ,,अरे ये सब उसके लिए नया है तो शर्म आयेगी ही ना और हम उसके मा बाप है कोई दोस्त थोडी है ।

जंगीलाल निशा के बाह पकड कर उसे उठाता और अप्नी ओर घुमाता है । निशा शर्म से लाल हूइ मुसकुराते हुए नजरे निचे किये रहती है ।

जंगीलाल - देख बेटा माना की लाज शरम अच्छी बात है लेकिन मै चाहता हू तु इस मसले पर हम दोनो से खुल कर बाते करे । क्योकि ये बहुत ही नाजुक मसला है थोडी बहुत गलत जानकारी या लापरवाही से तुझे बहुत सम्स्या हो सकती है ।

निशा इस समय बस एक रोमांच से भरी हुई थी एक चंचल खुशी उसके तन को सिहरा रही थी लेकिन वो अपने पापा से व्यक्त नही करना चाहती थी ।

वो बस मुस्कुरा कर नजरे निचे किये हुए हमम्म बोल दी।
निशा की सहमती पर जंगीलाल शालिनी को देख कर मुस्कुराने लगता है ।


राज की जुबानी

खाने के बाद मै गीता और बबिता को लेके उनके कमरे मे चला गया । वो दोनो पहले के जैसे ही मुझसे चिपकी हुई मेरे साथ मोबाइल देखने लगी। पहले तो उन्होने रमन भैया के शादी की तस्विरे देखने को बोली और फिर जब मुझे लगा कि अब रात ढलने लगी है तो मै मोबाइल बबिता को देकर - गुड़िया जरा ये पकड़ो मै जरा पेसाब करके आता हू ।


पेसाब तो महज एक बहाना था मुझे तो नाना का कमरा चेक करना था और वापस आकर आज गीता की सील खोलनी थी । उस्के किचन से तेल की सीसी भी लेनी थी ।

मै बाहर आकर धिरे से कमरे का दरवाजा बन्द किया और दबे पाव पहले नाना के कमरे की ओर गया ।

नाना तो वैसे भी कमरे की खिडकी खुली रखते थे क्योकि एक तो उनका कमरा सबसे अलग और किनारे पर था वही उन्हे किसी का डर था ही नही

मै जैसे ही खिड़की खुली देखी तो मन ही मन बहुत खुश हुआ और कमरे मे झाका तो नजारा ही अलग था । देख कर लण्ड खड़ा हो गया ।

अन्दर नाना और मामी पुरे नन्गे होकर चुदाई कर रहे थे । नाना मामी को घोडी बना कर पीछे से जो करारे धक्के लगा लगा रहे थे कि मामी की आंखे फैल जा रही थी ।

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मामी जैसा बताया उससे कही ज्यादा जोश मे नाना मामी की ध्क्क्मपेल चुदाई कर रहे थे ।

मै इनको बिजी देख कर बहुत खुश हुआ और वापस वहा से किचन की ओर चल दिया । वहा से मैने तेल की शीशी ली और दवाई वाले बॉक्स से दर्द वाली दवाइयों की पैकेट भी । सोचा क्या पता उसका क्या हाल हो क्योकि पिछले साल के मुकाबले अब मेरा लण्ड भी काफी आकार ले चुका था । उम्र और चुदाई के साथ उसकी नशे और भी मजबूत होने लगी थी ।

मै धीरे से बिना कोई खास आहट किये कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि गीता और बबिता मे किसी बात को लेके खुसफुसाहट भरी बहस हो रही थी और गीता के चेहरे पर गुस्से के भाव साफ झलक रहे थे ।

मुझे कुछ अजीब नही लगा क्योकि दोनो अकसर लड़ती झगड़ती रहती थी ।
मै कमरे मे वाप्स आया तो दोनो चुप हो गयी और गीता ने जैसे ही मेरे हाथ दवाई देखी वो परेशान हो गयी ।

गीता - क्या हुआ भैया आपकी तबीयत नही ठिक है क्या ??

मै मुस्कुराकर उनदोनो के बीच मे जाकर बैठ गया और उनहे अपनी ओर खिच कर - नही मेरी मीठी ये तो बस कुछ खास चीज़ के लिये है ।

गीता - मतलब
मै उसके नरम नरम कुल्हे मसलता हुआ - क्यू तु इसे लेगी क्या अपनी चुत मे । उम्म्ं बोल

गीता लोवर मे खडे हुए लण्ड को अपनी चुत मे लेके के अह्सास भर से गनगना गयी और नशीली भरी आंखो से मुझे निहारते हुए मेरा लण्ड थाम ली - हा लूंगी ना भैया ।


मै बबिता की ओर देख के - और तु नही लेगी क्या मेरी गुड़िया रानी उम्म्ं

तभी गीता भडक कर - उसे क्यू चाहिये उसे तो मिल जाता है ना

मै अचरज से - मिल जाता है मतलब
बबिता की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वही गीता की जुबान हकलाने लगी - वो मेरा मतलब उसे तो आपने दिया है ना एक बार ,,,आज मुझे दो ना प्लीज भैया

मै मुस्कुराकर - उम्म इतना पसन्द है तुझे अपने भैया का लण्ड

गिता - बहुत ज्यादा भैया

मै - तो चलो सारे लोग कपडे निकाल लेते है जलदी जल्दी

मै गीता ही बाते किये जा रहे थे वही बबिता चुप सी थी ना वो कपडे निकालने के लिए उठी ना उसे मेरे लिए कोई उत्साह जगा ।

वही गीता ने फटाफट सारे कपडे निकाल दिये और घुटनो के बल आकर मेरा लण्ड चुसने लगी

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उसके मुलायम होठो और छोटे छोटे कोमल हाथो का मेरे लण्ड पर स्पर्श मुझे रोमांचित कर दिया और मेरा लण्ड उसके मुह मे और कस गया ।

तभी मेरे जहन मे बबिता का ख्याल आया और मैने उसे देखा तो वो वैसी ही बैठी हुई गीता को लण्ड चुसते हुए निहार रही थी ।

मै - अरे क्या हुआ गुड़िया ,,तुझे नही करना अपने भैया को प्यार

बबिता उखड़ कर - अम्म नही भैया आज गीता को कर लेने दो
मै - अरे क्या हुआ मेरी गुड़िया को उम्म्ं क्यू उदास है ,,आना तु भी तेरे बिना अच्चा नही लग रहा है ।

बबिता बेबस होकर उठी और गिता के बगल मे घुटनो के बल आ गयी और उसने मेरे आड़ो को छुना शुरु कर दिया ।

उसके स्पर्श मे मुझे कुछ नयापन सा लगा वही गीता के स्पर्श मे वही भोलापन और मासूमियत । वो उसी अन्दाज से मेरे लण्ड को दुलार रही थी जैसे पहली बार मे थी ।

लेकिन बबिता के उंगलियो मे एक गजब की थिरकन मह्सूस की मैने जैसा शालिनी चाची किया करती थी ।

तभी उसके अपनी जीभ नुकीली करके मेरे लण्ड निच्ले नशो को छेडा और मै गनगना गया ।मैने फौरं गीता के मुह से लण्ड निकाल कर बबिता के मुह मे भर दिया ।


उसने लण्ड बड़ी ही अदा से पुरा रस ले ले कर चुसना शुरु कर दिया । उसकी आन्खे बन्द थी मगर मुह के अन्दर मेरे सुपाड़े पर फ्लिक होती जीभ से मै पागल होने लगा था ।

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मेरे मन मे काफी सवाल थे कि ऐसा कुछ तो मैने कभी इसे नही सिखाया और तभी उसने लण्ड को गले मे उतार लिया ।

मै हवा मे उड़ने लगा । उसके हाथ मेरे आड़ो को मसल रहे थे वो गले मे लण्ड को भरे जा रही थी

मै अकड कर रह गया । उत्तेजना से सुपाड़ा जलने लगा मानो सारा वीर्य उसमे भर गया हो ।

आज पहली बार मेरी चिख निकली - अह्ह्ह गुड़िया ओह्ह्ह्ज ओह्ह्ह

मै भलभला कर उसके मुह मे झड़ रहा था और वो तेजी से मेरा लण्ड मुठिया रही थी ।

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मै झड़ कर शांत हो गया और थक कर बिस्तर पर लेट गया ।

बबिता चुपचाप उठी और अपना मुह साफ कर मेरे बाई ओर लेट गयी । वही गीता नंगी ही मेरे दाई हो लेट गयी ।

मै थकने लगा था ,,मानो उसने मुझे बुरी तरह निचोड लिया हो । ऐसा अनुभव मुझे शालिनी चाची के साथ ही हुआ था पहली बार जब ऊनके साथ मेरी दुकान मे ।


मै ढ़ेरो सवालो से घिर गया और हाल ही की बीती बाते कुछ घटनाओ को आपस जोडने लगा । एक शक सा मेरे जहन मे ऊबरने लगा था और मेरी आन्खे बस बंद हो रही थी। क्योकि आज तीसरी बार था कि मै बुरी तरह निचुड गया था । दोपहर मे कमला , फिर शाम को मामी और अब बबिता ने ।

मेरी आंखे बन्द हो ही रही थी कि गीता के गीले जीभ का स्पर्श मेरे निप्प्प्ल पे मैने दाई हो से म्हसुस किया ।

मैने उसके अपने ओर खिच कर हग करते हुए - सॉरी मीठी ,,मै बहुत थक गया हू कल करेंगें ना ।

गीता मुझ्से लिपट कर - कोई बात नही भैया

मैने एक नजर बबिता को देखा जो बस चुपचाप छत को घुरे जा रही थी । मैने उसे भी पकड कर अपने से सटा लिया - आजा तु भी हिहिही अब सो जाते है ।

बबिता भी फीकी मुस्कराहट के साथ मेरे ओर करवट लेके मुझसे लिपट कर सो गयी ।

फिर हम सब सो गये ।


जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Superb update tha dost.... humme to shadishuda beti Sonal ka intezar hai

Romanchak update. Pratiksha agle rasprad update ki

Kasam se hilane pe majboor Kar diya update ne aise hi nana ragini ki chudai Karen aur maza aayega.

Bahut


Bahut hi behatareen update bhai, akhir pata chal hi gaya mami aur nana ka raaj ab is raaj ke khulne se kitne dhage judenge ye dekhne layak hoga,
Aur images aur gifs ne to shobha badhadi bhai bahut ache

Gajab update hai … superb

superb update waiting for next

Bahot behtareen
Shaandaar update bhai

शानदार अपडेट है दोस्त
लगता है निशा भी घर मे सबसे खुल कर चोदा चोदी कर पाएगी
रंगीलाल के बाद वो पूरे घर मे बिना कपड़े के रहेगी

बहुत ही कामुक गरमागरम और उतेजनक अपडेट है
मामी ने नाना और से बीच बने संबंध के बारे में बता दिया है अब तो मामी भी राज से चूद जायेगी गीता बबीता के रूम में जाने पर मामी ने ऑल द बेस्ट कहा या मामी को गीता बबीता के बारे में पता है देखते हैं अगले अपडेट में ?????
Images aur gift bahut hi shandhar aur hot hai

आज रात में गीता और बबीता दोनो अपनी मां को अपने दादा से चुदवाते देख ले फिर राज दोनो को एक साथ पेले तो बहुत ही मजा जाए

Waah. Kya shaandar update hain bhai. Maja aa gaya.

148 ने तो आग लगा दी भाई
149 पता नही क्या करेगा

बहुत खूब

UPDATE 149 IS POSTED

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Ladies man

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UPDATE 149

चमनपुरा

रात का पहर ढल चुका था । करीब 10 बज चुके थे ।
राहुल अनुज के यहा उसके कमरे मे लैपटाप खोलकर बैठा हुआ था और दोनो नयी नयी वीडियो ईयरफोन लगाये चला रहे । वही बगल के कमरे मे सोनल का अमन के संग कुछ रोमांटिक पल गुजर रहे थे तो निचे कमरे मे रन्गीलाल रागिनी की गाड़ मे घुसा हुआ उसे चोद रहा था । साथ ही कभी रज्जो को तो कभी सोनल की होने वाली सास ममता की चर्चा पर वो और जोश मे आकर अपनी बीवी की दमदार चुदाई कर रहा था ।

इनसब के अलग निशा के घर पर कुछ अलग ही माहौल था । खाने के बाद जन्गीलाल की बेताबी बहुत बढ गयी थी ।

उसने अपने कमरे का माहौल ठिक किया ताकि किसी भी बात को लेके उसकी लाडो का ध्यान भटके नही । वही शालिनी अपने पति की बेताबी देख कर मन ही मन खुश थी ।


जंगीलाल खाने के बाद अपने कमरे मे था और दोनो मा बेटी किचन मे बतरन खाली कर रहे थे ।

शालिनी - तो तु भी अब साड़ी पहनेगी हम्म्म

निशा हस कर - क्यू आपको जलन हो रही है क्या कि मै आपसे अच्छी दिखून्गी । हिहिहिही

शालिनी - धत्त , मै वो नही कह रही थी

निशा - फिर ??
शालिनी धीमी आवाज मे - अरे मतलब पापा के सामने ब्लाउज पेतिकोट मे जायेगी तो थोडा अन्दर के कपडे पहन लेना

निशा उखड़ कर - ओह्हो मम्मी आप भी ना , इतनी गर्मी मे मै ब्रा पैंटी नही पहनने वाली । गर्मी से आराम रहे इसिलिए तो साडी पहनना सिख रही हू


शालिनी मुस्कुराते हुए मन मे - ये देखो इस पगली को ।मै इसके भले के लिए कह रही हू तो नखरे कर रही है । अरे बेटी तेरा बाप तो तुझे पुरा नंगा करने के मूड मे है । हुउह मुझे क्या तू ही झेलेगी ।


निशा अपनी को देख कर - क्या हुआ मम्मी ? क्या सोच रही हो ??

शालिनी मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा । जा तु अपने कपडे पहन ले मै भी हाथ धुल कर आती हू । तेरे पापा भी इन्तजार कर रहे होगे ।

इधर निशा खुश होकर कमरे मे चली जाती है और अपने कपड़े निकाल कर एक पीले रंग का सूती ब्लाउज जो बिना अस्तर का था । उसको पहनाते हुए मन मे बड़बड़ाती है - क्या कह रही थी मा कि ढ़क कर आना । हुह । मेरे पापा ना जाने कितना तरसते है मेरे जोबनो को देखने के लिए

निशा ने ब्लाऊज पहन कर आईने मे खुद को निहारा तो उसके गहरे भूरे निप्प्ल उसके ब्लाउज से साफ साफ झाक रहे थे ।

निशा इतरा कर - हमम ये हुई ना बात ,,,आज तो पापा को ऐसा सताउन्गी की पागल ही हो जायेगे वो हिहिहिही । बहुत चोरी छिपे मेरे जोबनो को निहारते रहते है ना । आज मौका मिला तो खोल कर दिखाने से मै भी बाज नही आऊंगी हिहिहिही

निशा ने फिर मैचिन्ग पेतिकोट पहना । फिर अपना दुसरा ब्लाऊज पेतिकोट और दोनो साड़िया लेके पापा के कमरे की ओर चल दी ।

जहा जन्गीलाल और शालिनी पहले से ही खुस्फुसा कर बाते कर रहे थे ।

शालिनी - देखीये जी जरा आप खुद पर काबू रखियेगा । मै कोसिस करूंगी की उसकी शादी की बात छेड़ दू और अगर उसने आपके सामने मना किया तो आप समझ रहे है ना क्या करना है ??

जंगीलाला चहक कर अपना फन्फ्नाता मुसल जान्घिये के उपर से मसल कर - हा मेरी जान,,, मुझे पता है

शालिनी अपने पति को उसके लण्ड पर इशारा करते हुए - हा तो जरा उसे छेड्ना बन्द करिये । वो आ रही है ।

फिर दरवाजे पर दस्त्क हुई और शालिनी अपने सृंगार वाले आईने के पास चली गयी और वही बैठे हुए ही बोली - हा बेटा आजा ,,खुला ही है दरवाजा

निशा कमरे मे घुसती है तो जन्गीलाल टीवी चालू किये हुआ था और शालिनी अपने गहने उतार कर बाल सवार रही थी । दोनो यही दिखा रहे थे कि सब कुछ समान्य हो रहा है ।

तभी निशा की आहट से जंगीलाल ने एक नजर उसे देखा और उसकी सासे अटक गयी । सामने निशा पीले रंग के ब्लाउज पेतिकोट मे अपने हाथ मे झोला लेके खड़ी थी। और उसके खडे हुई निप्प्ल डीप गले वाले ब्लाउज से झाक रहे थे ।

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चुचियो का फुलाव इतना था कि लगभग एक तिहार उभरी हिस्सा बाहर ही झलक रहा था । उस नजारे को देखते ही जन्गीलाल का लण्ड ठुमक उठा ।
जंगीलाल मुसकुरा कर टीवी म्यूट पर डालते हुए - अरे बेटा तु आ गयी

अपने पति की बात सुन कर शालिनी भी घूम कर निशा की ओर देखा और उस्के ब्लाऊज से झाकते निप्प्ल देख कर उसे थोडी हसी आई । लेकिन उसने खुद पर कन्ट्रोल किया ।


निशा चहक के - हा पापा । देखो मै दोनो साड़ीया लाई हू

जंगीलाल - अच्छा ठिक है आजा इधर पहले एक ट्राई करते है फिर दुसरा देखेंगे

निशा मुस्कुरा कर इठलाती हुई अपने पापा के पास गयी जो सोफे पर बैठा हुआ था ।

निशा अपने पापा के सामने आकर खड़ी हो गयी । वही जंगीलाल सोफे पर बैठे हुए बडे गौर से निशा के नंगी चर्बीदार पेट और गहरी नाभि देख रहा था । पास ने निशा के चुचे और भी रसिले दिख रहे थे ।

निशा अपनी थैली से एक पीले रंग की साडी निकाल कर उसे देती है ।

जन्गीलाल होश मे आता हुआ - हा हा बेटी दे मुझे

फिर जंगीलाल साडी खोल कर फर्श पर गिरा कर उसका अन्दर वाला सिरा खोजने लगता है । इस सब हरकतो को शालिनी वही आईने सामने बैठी नोटिस कर रही थी और हस रही थी ।

मगर जंगीलाल के लिये साडी पहनाना कोई बडी बात नही थी । वो सालो से इस फील्ड मे धंधा कर रहा था तो उसे हर तरीके से साडी पहनाने आता था । यहा तक कि वो कभी कभी कुछ खास ग्राहको के लिए खुद ही साडी लपेट कर दिखाता । खैर वो बाते और माहौल अलग है और यहा अलग ।

यहा तो जन्गीलाल की हवस ने उसे आज अपनी बेटी के लिए मज्बुर कर दिया था । साड़ी पहनाना मजह के एक बहाना था अपने बेटी के कोमल और अनछुए जिस्मो का स्पर्श लेने का ।

जंगीलाल ने साडी का सिरा पकड़ा और निशा के पीछे से घुमाकर उसे पेतिकोट मे अच्छे से अपनी उन्गलिया घुसा घुसा कर खोसने लगा ।

अपनी बेटी के कमर के निचले हिस्से और सामने पेड़ू पर उंगलियाँ घुसा कर जन्गीलाल को बहुत अच्छा महसूस हुआ । वही निशा गुदगुदी से थोडी खिलखिला रही थी ।

फिर जंगीलाल ने पल्लू का पलेटींग बना कर उसे निशा के कन्धे पर डालते हुए - इसे जरा सम्भालना बेटी हा ,,,मै जरा निचे साडी खोस दू ।

फिर जंगीलाल ने बाकी की बची हुई साडी का हिस्सा जो सामने रहता ,,उसकी तह लगा कर तैयार किया ।

जन्गीलाल - बेटा जरा तू अपना पेट पचकायेगी ताकी मै ये साड़ी खोस सकू

निशा खिलखिला कर - हीहीहीही ओके पापा

फिर निशा ने पुरा जोर लगा कर सारी सास अपने सिने मे भर ली जिससे उसके चुचे फुल कर कुप्पे हो गये और वही जन्गीलाल ने जब उसका पेतिकोट मे सामने से गैप बनाकर साडी को खोसने गया तो उसे निशा के चुत की ढलान साफ साफ नजर आई ।

जन्गीलाल का लण्ड निशा के चिकने और हल्के बालो वाली चुत की ढलान देख कर फड़फडा कर तन गया ।

लेकिन जल्द ही निशा की सासो पर पकड ढीली होने लगी और उसका पेट वापस ए सामान्य होने लगा तो ना चाहते हुए भी जंगीलाल को साडी खोसनी पडी ।


फिर वो खड़ा हुआ और निशा के साड़ी का पल्लू उस्से चुचो पर चढ़ाने के बहाने उससे मुलायम चुचो का स्पर्श लेने लगा ।
फिर सब सेट करके वापस इत्मीनान से बैठता हुआ - हा अब हो गया ,,, देखो तो कितनी प्यारी लग रही है मेरी लाडो

निशा चहक कर अपना पल्लू उड़ा कर घूमते हुए - सच मे पापा हिहिही

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निशा - मम्मी कैसी लग रही हू मै
शालिनी अपनी लाडो को साड़ी मे देख कर थोडी भावुक तो हुई लेकिन उसने खुद को सम्भाल कर - बहुत प्यारी लग रही है मेरी गुड़िया

इधर निशा अपने पापा के सामने घूम चहक रही थी कि जंगीलाल को एक शरारत सुझी उसने अपने पाव की उन्गिलीयो से निशा के साडी पल्लू हल्का सा खीचा तो बिना पिन का पल्लू उसके कंधे से सरका और निचे गिर गया

जिसे सम्भालने के लिए निशा को अपने पापा के सामने झुकना पडा और उसके आधे से ज्यादा ब्लाऊज मे कसे हुए उस्के चुचे जन्गीलाल के सामने दिख गये ।

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शालिनी ने अपने पति की सारी हरकतो पर नजरे रखे हुई थी और जब निशा झुकी तो जन्गीलाल की आंखो की चम्क और जान्घिये मे लण्ड का उभार कैसा बढा ये भी उसने देख लिया ।

वही निशा को भी थोडी बहुत भनक लग गयी जब उसने अपने पापा का तना हुआ लण्ड टेन्ट बनाये जान्घिये मे खड़ा देखा । तो उसने भी अपने पापा को रिझाने के लिए बडी अदा से अपना पल्लू आधा ही उठाया और चुचिय खुली ही रखी ।

इधर शालिनी समझ गयी कि बात अब आगे बढानी चाहिये इसिलिए उसने योजना अनुसार निशा के पीछे गयी और उसके साडी का पल्लू उसके सर पर चढाते हुए ।

शालिनी - अरे तु और भी खुबसूरत लग रही है मेरी बच्ची

निशा चहक कर सर पर पल्लू काढ़े एक नजर आईने मे देखा खुद को तो उसे थोडी शर्म आई और वो अपना मोबाइल शालिनी को दे कर - मम्मी प्लीज मेरा फ़ोटो निकालो ना ,प्लीज

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फिर शालिनी खुश होकर कुछ तस्वीरे निकलती है और वापस उसे दिखाते हुए - देख लग रही है ना एकदम नयी नवेली दुल्हन हिहिहिही

जंगीलाल भी निशा के पास खड़ा होकर - अरे वाह , हमारी लाडो तो सच मे बडी हो गयी है । इसके लिए तो कोई अच्छा सा रिश्ता देखना ही चाहिये

निशा को शर्म आई और वो भी अपनी शादी के लिए काफी excited होती है । दुल्हन बनने का अह्सास , ढेर सारी शॉपिंग और फिर एक नये लण्ड से जी भर के चुदाई ।

मगर निशा अपने पापा के सामने अपनी शालीनता ही दिखाती हुई शर्मा कर - धत्त नही ,,,पापा मुझे शादी नही करनी अभी


निशा की प्रतिक्रिया सुन कर जंगीलाल और शालिनी की नजरे आपस मे टकराई और वो मुस्कुरा दिये कि उनका दुसरा स्टेप भी कम्प्लीट हो गया ।


शालिनी - इसका तो हर बार का हो गया है जी । हमेशा मना करती है । आखिर कब तक उस डर से भागेगी बेटा । हर लडकी को वो दिन का सामना करना पड़ता है ।


निशा की आंखे बडी हो गयी कि उसकी मा ये क्या बोल रही है ।

तभी जन्गीलाल - क्या हुआ शालिनी क्या बात है । कैसा डर??

निशा मन मे - हे भगवान अब क्या मा ये सब भी पापा को बतायेगी क्या ??? धत्त मुझे कितनी शर्म आ रही है हिहिहीही । और पापा क्या सोचेंगे मेरे बारे मे कि मै चुदाई से डरती हू

शालिनी हताश होने का दिखावा कर - अब क्या बताऊ जी आपको ,,, इसको शादी के बाद के कामो से डर लगाता है ।

जन्गीलाल हस कर - अरे इसमे क्या डरना बेटी , जैसे तु यहा हमे बनाती खिलाती है और हमारा ध्यान रखती है । वैसे ही शादी के बाद वो घर का ध्यान रखना

निशा को जब अह्सास हुआ कि उसके पापा उसकी मम्मी की बात समझ नही पाये तो वो खिखी करके हस दी और शालिनी की भी हसी छूट गयी ।

जंगीलाल अचरज का भाव दिखाता हुआ - क्या हुआ ? तुम लोग हस क्यू रहे भई!!

शालिनी हस कर - आप समझे नही क्या इधर आईये ।

फिर शालिनी जन्गीलाल को एक किनारे ले जाकर थोडा बहुत खुस्फुसाती है तो वापसी मे जंगीलाल के चेहरे के भाव मे थोडी गम्भीरता दिखने लगती है ।
वही निशा शर्म से लाल हुई जा रही थी कि उसकी मा ने पापा को सब बता दिया होगा ।पता नही वो क्या रियेक्शन देंगे ।

जन्गीलाल गला खराश कर निशा के पास जाता है सोफे पर बैठते हुए - इधर आ बेटी यहा बैठ मेरे पास

निशा थोडा मुस्कुराते , थोडा शरमाते हुए अपने पापा के पास बैठ जाती है । उसके दिल की धडकनें बहुत तेज हो गयी थी ।

फिर जन्गीलाल शालिनी को इशारा करता है कि वो निशा के पास जाकर बैठे ।

जंगीलाल एक हाथ से बडे प्यार से निशा के गालो को सहलाता है और उसके माथे को चूम लेता है । निशा मानो इस प्रेम स्पर्श से पूरी तरह पिघल ही गयी ।

जंगीलाल थोडा झिझक दिखा कर - अब देखा बेटा जैसा तेरी मा ने बताया मुझे , वो सब लड़कियो के साथ होता है । माना कि तुम उस लड़के से पहले बार मिलोगी और ऐसे अनजान लोगों से शरीरिक हो पाना शुरु मे बहुत मुश्किल होता है । लेकिन यही समाज और प्रकृति की रीति है बेटा , हमे ये रीति निभाने ही पडते है ।


निशा मन ही मन शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी । उसकी आवाज तो मानो गायब सी थी ।
शालिनी उसके कन्धे पर हाथ रख कर - हा बेटा तेरे पापा सही कह रहे है । मै भी जब पहली बार ,,,,मतलब हम दोनो जब पहली बार मिले थे तो मुझे भी डर था लेकिन सब धिरे धीरे सही हो गया था ।

निशा अब धीरे से बोली - हा लेकिन पापा तो आपको प्यार करते थे ना और वो क्यू आपको तकलिफ देंगे । मेरा कौन सा कोई ....।


ये बोलकर निशा चुप हो गयी और नजरे झुकाये रखी । वही शालिनी और जन्गीलाल को मह्सूस हुआ कि उसकी लाडो तो सच मे डर रही है । शालिनी ने आंखो से ही इशारा करके जंगीलाल से पुछा कि अब क्या करे तो जन्गीलाल ने उसे आश्वत किया ।

जंगीलाल - हा बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन ससुराल मे तेरी जिम्मेदारी घर सम्भालने , सास ससुर की देखभाल के साथ साथ तुझे अपने पति को भी प्यार देना ही पडेगा । वो उसका हक है ।


निशा वैसे ही नजरे निची किये हुए अपना साड़ी का पल्लू उंगलियो मे घुमा रही थी - और पता नही मेरी जिस्से शादी होगी वो मुझसे खुश रहेगा या नही , मुझे तो पता भी नही है इस बारे मे कुछ भी ।

शालिनी को अपनी बेटी पर बहुत तरस आ रहा था और वो उसके अपने सीने से लगा लेती है । वही जंगीलाल चहक उठता है कि मानो निशा ने उसे एक बड़ा मौका दे दिया हो ।

जंगीलाल खुश होकर - अरे बेटा उसकी चिंता तू क्यू करती है । हर लडकी को उसके घर वाले सारे गुण सिखाने के बाद ही ससुराल भेजते है

शालिनी समझ गयी कि उसका पति ने आगे बढना शुरु कर दिया है - हा बेटी , और मैने तुझे बताया था मुझे भी किसी ने बताया था इस बारे । आमतौर अब ये सब बाते घर की भाभी या पड़ोस की कोई सहेली बताती है और अभी ऐसा कोई खास रिश्तेदार तो है नही तो वो सब तुझे बताने सिखाने की जिम्मेदारी भी हम मा बाप की ही है ।


निशा शर्म से लाल हो गयी कि अब उसके मम्मी पापा उसे सेक्स के बारे बताएगे ।

निशा ह्सते हुए शर्मा कर अपनी मा के सीने मे छिप गयी - धत्त नही मम्मी मुझे शर्म आयेगी

और उसे ऐसा कहते देख कर बाकि दोनो भी हसने लगे क्योकि वो जानते थे कि उनका तिन अपने निशाने पर लग गया है


शालिनी अब उसे थोडी डांट लगाते हुए - क्या नही !! इसमे भी तेरे ड्रामे खतम नही हो रहे है

जन्गीलाल - ओहो शालिनी तुम भी ना ,,अरे ये सब उसके लिए नया है तो शर्म आयेगी ही ना और हम उसके मा बाप है कोई दोस्त थोडी है ।

जंगीलाल निशा के बाह पकड कर उसे उठाता और अप्नी ओर घुमाता है । निशा शर्म से लाल हूइ मुसकुराते हुए नजरे निचे किये रहती है ।

जंगीलाल - देख बेटा माना की लाज शरम अच्छी बात है लेकिन मै चाहता हू तु इस मसले पर हम दोनो से खुल कर बाते करे । क्योकि ये बहुत ही नाजुक मसला है थोडी बहुत गलत जानकारी या लापरवाही से तुझे बहुत सम्स्या हो सकती है ।

निशा इस समय बस एक रोमांच से भरी हुई थी एक चंचल खुशी उसके तन को सिहरा रही थी लेकिन वो अपने पापा से व्यक्त नही करना चाहती थी ।

वो बस मुस्कुरा कर नजरे निचे किये हुए हमम्म बोल दी।
निशा की सहमती पर जंगीलाल शालिनी को देख कर मुस्कुराने लगता है ।



राज की जुबानी

खाने के बाद मै गीता और बबिता को लेके उनके कमरे मे चला गया । वो दोनो पहले के जैसे ही मुझसे चिपकी हुई मेरे साथ मोबाइल देखने लगी। पहले तो उन्होने रमन भैया के शादी की तस्विरे देखने को बोली और फिर जब मुझे लगा कि अब रात ढलने लगी है तो मै मोबाइल बबिता को देकर - गुड़िया जरा ये पकड़ो मै जरा पेसाब करके आता हू ।


पेसाब तो महज एक बहाना था मुझे तो नाना का कमरा चेक करना था और वापस आकर आज गीता की सील खोलनी थी । उस्के किचन से तेल की सीसी भी लेनी थी ।

मै बाहर आकर धिरे से कमरे का दरवाजा बन्द किया और दबे पाव पहले नाना के कमरे की ओर गया ।

नाना तो वैसे भी कमरे की खिडकी खुली रखते थे क्योकि एक तो उनका कमरा सबसे अलग और किनारे पर था वही उन्हे किसी का डर था ही नही

मै जैसे ही खिड़की खुली देखी तो मन ही मन बहुत खुश हुआ और कमरे मे झाका तो नजारा ही अलग था । देख कर लण्ड खड़ा हो गया ।

अन्दर नाना और मामी पुरे नन्गे होकर चुदाई कर रहे थे । नाना मामी को घोडी बना कर पीछे से जो करारे धक्के लगा लगा रहे थे कि मामी की आंखे फैल जा रही थी ।

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मामी जैसा बताया उससे कही ज्यादा जोश मे नाना मामी की ध्क्क्मपेल चुदाई कर रहे थे ।

मै इनको बिजी देख कर बहुत खुश हुआ और वापस वहा से किचन की ओर चल दिया । वहा से मैने तेल की शीशी ली और दवाई वाले बॉक्स से दर्द वाली दवाइयों की पैकेट भी । सोचा क्या पता उसका क्या हाल हो क्योकि पिछले साल के मुकाबले अब मेरा लण्ड भी काफी आकार ले चुका था । उम्र और चुदाई के साथ उसकी नशे और भी मजबूत होने लगी थी ।

मै धीरे से बिना कोई खास आहट किये कमरे का दरवाजा खोला तो देखा कि गीता और बबिता मे किसी बात को लेके खुसफुसाहट भरी बहस हो रही थी और गीता के चेहरे पर गुस्से के भाव साफ झलक रहे थे ।

मुझे कुछ अजीब नही लगा क्योकि दोनो अकसर लड़ती झगड़ती रहती थी ।
मै कमरे मे वाप्स आया तो दोनो चुप हो गयी और गीता ने जैसे ही मेरे हाथ दवाई देखी वो परेशान हो गयी ।

गीता - क्या हुआ भैया आपकी तबीयत नही ठिक है क्या ??

मै मुस्कुराकर उनदोनो के बीच मे जाकर बैठ गया और उनहे अपनी ओर खिच कर - नही मेरी मीठी ये तो बस कुछ खास चीज़ के लिये है ।

गीता - मतलब
मै उसके नरम नरम कुल्हे मसलता हुआ - क्यू तु इसे लेगी क्या अपनी चुत मे । उम्म्ं बोल

गीता लोवर मे खडे हुए लण्ड को अपनी चुत मे लेके के अह्सास भर से गनगना गयी और नशीली भरी आंखो से मुझे निहारते हुए मेरा लण्ड थाम ली - हा लूंगी ना भैया ।


मै बबिता की ओर देख के - और तु नही लेगी क्या मेरी गुड़िया रानी उम्म्ं

तभी गीता भडक कर - उसे क्यू चाहिये उसे तो मिल जाता है ना

मै अचरज से - मिल जाता है मतलब
बबिता की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वही गीता की जुबान हकलाने लगी - वो मेरा मतलब उसे तो आपने दिया है ना एक बार ,,,आज मुझे दो ना प्लीज भैया

मै मुस्कुराकर - उम्म इतना पसन्द है तुझे अपने भैया का लण्ड

गिता - बहुत ज्यादा भैया

मै - तो चलो सारे लोग कपडे निकाल लेते है जलदी जल्दी

मै गीता ही बाते किये जा रहे थे वही बबिता चुप सी थी ना वो कपडे निकालने के लिए उठी ना उसे मेरे लिए कोई उत्साह जगा ।

वही गीता ने फटाफट सारे कपडे निकाल दिये और घुटनो के बल आकर मेरा लण्ड चुसने लगी

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उसके मुलायम होठो और छोटे छोटे कोमल हाथो का मेरे लण्ड पर स्पर्श मुझे रोमांचित कर दिया और मेरा लण्ड उसके मुह मे और कस गया ।

तभी मेरे जहन मे बबिता का ख्याल आया और मैने उसे देखा तो वो वैसी ही बैठी हुई गीता को लण्ड चुसते हुए निहार रही थी ।

मै - अरे क्या हुआ गुड़िया ,,तुझे नही करना अपने भैया को प्यार

बबिता उखड़ कर - अम्म नही भैया आज गीता को कर लेने दो
मै - अरे क्या हुआ मेरी गुड़िया को उम्म्ं क्यू उदास है ,,आना तु भी तेरे बिना अच्चा नही लग रहा है ।

बबिता बेबस होकर उठी और गिता के बगल मे घुटनो के बल आ गयी और उसने मेरे आड़ो को छुना शुरु कर दिया ।

उसके स्पर्श मे मुझे कुछ नयापन सा लगा वही गीता के स्पर्श मे वही भोलापन और मासूमियत । वो उसी अन्दाज से मेरे लण्ड को दुलार रही थी जैसे पहली बार मे थी ।

लेकिन बबिता के उंगलियो मे एक गजब की थिरकन मह्सूस की मैने जैसा शालिनी चाची किया करती थी ।

तभी उसके अपनी जीभ नुकीली करके मेरे लण्ड निच्ले नशो को छेडा और मै गनगना गया ।मैने फौरं गीता के मुह से लण्ड निकाल कर बबिता के मुह मे भर दिया ।


उसने लण्ड बड़ी ही अदा से पुरा रस ले ले कर चुसना शुरु कर दिया । उसकी आन्खे बन्द थी मगर मुह के अन्दर मेरे सुपाड़े पर फ्लिक होती जीभ से मै पागल होने लगा था ।

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मेरे मन मे काफी सवाल थे कि ऐसा कुछ तो मैने कभी इसे नही सिखाया और तभी उसने लण्ड को गले मे उतार लिया ।

मै हवा मे उड़ने लगा । उसके हाथ मेरे आड़ो को मसल रहे थे वो गले मे लण्ड को भरे जा रही थी

मै अकड कर रह गया । उत्तेजना से सुपाड़ा जलने लगा मानो सारा वीर्य उसमे भर गया हो ।

आज पहली बार मेरी चिख निकली - अह्ह्ह गुड़िया ओह्ह्ह्ज ओह्ह्ह

मै भलभला कर उसके मुह मे झड़ रहा था और वो तेजी से मेरा लण्ड मुठिया रही थी ।

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मै झड़ कर शांत हो गया और थक कर बिस्तर पर लेट गया ।

बबिता चुपचाप उठी और अपना मुह साफ कर मेरे बाई ओर लेट गयी । वही गीता नंगी ही मेरे दाई हो लेट गयी ।

मै थकने लगा था ,,मानो उसने मुझे बुरी तरह निचोड लिया हो । ऐसा अनुभव मुझे शालिनी चाची के साथ ही हुआ था पहली बार जब ऊनके साथ मेरी दुकान मे ।


मै ढ़ेरो सवालो से घिर गया और हाल ही की बीती बाते कुछ घटनाओ को आपस जोडने लगा । एक शक सा मेरे जहन मे ऊबरने लगा था और मेरी आन्खे बस बंद हो रही थी। क्योकि आज तीसरी बार था कि मै बुरी तरह निचुड गया था । दोपहर मे कमला , फिर शाम को मामी और अब बबिता ने ।

मेरी आंखे बन्द हो ही रही थी कि गीता के गीले जीभ का स्पर्श मेरे निप्प्प्ल पे मैने दाई हो से म्हसुस किया ।

मैने उसके अपने ओर खिच कर हग करते हुए - सॉरी मीठी ,,मै बहुत थक गया हू कल करेंगें ना ।

गीता मुझ्से लिपट कर - कोई बात नही भैया

मैने एक नजर बबिता को देखा जो बस चुपचाप छत को घुरे जा रही थी । मैने उसे भी पकड कर अपने से सटा लिया - आजा तु भी हिहिही अब सो जाते है ।

बबिता भी फीकी मुस्कराहट के साथ मेरे ओर करवट लेके मुझसे लिपट कर सो गयी ।

फिर हम सब सो गये ।


जारी रहेगी
Lage raho
 
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