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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 148

पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा जंगीलाल की किस्मत लगातार उसे निशा के करीब लाये जा रही है । वही राज ने भी अपने नाना और मामी की चुदाई चोरी चुपके देख ली । लेकिन वो अभी भी उसकी तलाश अधूरी है तो हम लोग भी वापस वही चलते है उस कमरे मे जहा राज की मामी उसका लण्ड थामे बैठी हुई मदहोश हो रही है ।



राज की जुबानी

मामी मेरे लण्ड को थामे सहला रही थी ।
मैने उनकी कमर मे हाथ डाला और अपनी ओर खिच लिया ।
अब वो मुझसे लिपटी हुई मेरे लंड को सहलाने लगी ।

मै - मामी बताओ ना

मामी मुस्कुरा - अच्छा तुमको याद है वो पिछले साल राखी पर जब बाऊजी की तबीयत खराब हुई थी ।

मै - हा क्यू?
मामी मुस्कुरा कर - तुमको पता है बाऊजी को क्या सम्स्या होती है ??

मै जानता तो सब था। लेकिन मुझे अच्छे से ये भी याद था कि राखी वाले दिन मामी थी ही नही वो अगली सुबह आई थी और शायद उन्हे इस बात की जानकारी नही है कि मै सब जानता हू ।

मै - हा वो शायद उनको थोडी गर्मी की सम्स्या है ,,,बार बार पसीने से बेचैनी होने लगती है और तबीयत खराब हो जाती है ।

मामी मुस्कुरा कर - हा वो बात तो है , लेकिन असल बात कुछ और ही है जिससे उनको पसीना होता है ।

मै - वो क्या
मामी मुस्कुरा कर - उन्हे सेक्स की चसक और जब उन्हे मौके पर वो ना मिले तो उनके बदन मे ये सब चीजे होने लगती है ।


मै - ओह्ह फिर

मामी - और पता है बाऊजी हिहिहिही । वो अपने गोदाम पर एक दो काम करने वालियो को रखे हुए है, लगभग हर दुपहर मे ही .....।


मै - ओहो ये बात है ,लेकिन आप उनसे कैसे जुड़ गयी ।

मामी थोडा शर्मा कर - वो रमन बाबू की शादी के बाद से

मै - मतलब

मामी हस कर - रमन बाबू की शादी मे बाऊजी भी साथ गये थे और वहा पर उन्हे जो चाहिये था समय से मिला नही और शादी से वापस आने के बाद बाऊजी की तबियत बिगड़ गयी । फिर इसी बिच तुम्हारे मामा भी किसी काम को लेके बाहर चले गये थे ।


मामी की बाते सुन कर मेरे लण्ड मे कसावट बढ रही थी - तो फिर

मामी - अब मुझे चिंता होने लगी थी बाऊजी कि तो मैने रज्जो जीजी से बात की । तो उन्होने मुझे मालिश के लिए बताया कि बर्फ से सेकाई कर दो उन्हे आराम मिल जायेगा ।


मामी की बात सुन कर मुझे मेरे घर की याद आई जब मैने व्याग्रा खिला कर नाना के जिस्म की गर्मी बढा दी थी और मा उनके लण्ड की सेकाई कर रही थी । वो बीते पल याद करके मै और भी उत्तेजित हो उठा ।

मै - फिर क्या आपने उनकी ।

मामी शर्मा कर हस्ती हुई - हम्म्म करनी ही पडी ।

मै - फिर आगे कैसे हुआ

मामी - उधर दो दिन मैने दोपहर और रात मे उनकी सेकाइ की । जब उनकी तबीयत मे सुधार हुआ तो उन्होंने गोदाम पर हिहिहिही....।


मै - ओह्ह फिर

मामी - तब से सब कुछ सामान्य था । बाऊजी की तबियत ठीक होने के बाद मुझे उनका सामना करने मे झिझक होती थी और वो बस मुस्कुरा देते थे । लेकिन पिछले हफते जब तुम्हारे मामा वापस से शहर गये तो ....।


मै थोडा उत्सुक होकर - फिर क्या मामी । हिहिहिही बताओ ना

मामी मेरे आड़ो को हलोरती ही - और गीता बबिता भी अपनी मौसी के यहा गयी हुई थी । घर मे बस मै और बाऊजी ही थे ।


मामी की जुबानी


बाऊजी बडे सवेरे ही खा पीकर गोदाम चले जाते और फिर देर शाम तक ही आते थे । वो नही चाहते थे कि मुहल्ले बिरादरी मे कोई उनपे आक्षेप करे कि बहू के साथ दिन भर बुढा घर पर रहता है ।
मामी - उस दिन गर्मी बहुत थी । बाऊजी सवेरे 10 बजे तक खा पीकर ही गोदाम पर चले गये थे । मै भी किचन के सारे काम निपटा कर कपडे धुल कर नहा चुकी थी और तौलिया लपेट कर अपने कमरे आ गयी ।

उस दिन गर्मी ने हालत खराब कर दी थी और घर पर मौके से कोई था नही तो मैने बस एक लाल रंग पतली सी सिफान की साडी लपेट ली । उसमे मेरे जिस्मो को बहुत आराम मिल रहा था ।

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मैने कमरे का दरवाजा भी ठिक से बंद नही किया था और ना जाने कबके बाऊजी घर आ चुके थे । वो दरवाजे के गैप मे से अंदर झाक रहे थे ।

मुझे इस बात की जरा भी भनक नही थी कि मेरे ससुर मेरे कमरे मे झाक रहे होगे और उस पतली सी साडी मे झलकते मेरे अंगो को निहार कर अपना लण्ड मसल रहे होगे ।

मै पंखे के निचे खड़ी हो कर अपनी साडी जांघो तक उठा कर अपनी चुत तक हवा देने लगी । थोडा बहुत मुझे रूमानी सा अह्सास भी हो रहा था ।

मुझसे रहा ना गया और तुम्हारे मामा की कमी मुझे खलने लगी । इतने आराम मे अचानक से मेरे जिस्म की गर्मी बढ । मै मेरे ही स्पर्शो से उत्तेजित होने लगी ।

मुझे से रहा नही गया और मैने पुरा नंगा होकर अपने जिस्म को शांत करके एक गहरी नीद मे जाने का तय किया । शायद इसी से मुझे शांति मिल सकती थी ।

मैने अपनी साडी खोलनी शुरु कर दी ।

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इस बात से बेखबर कि दरवाजे पर खड़ा मेरा ससुर मेरे जिस्मो को बेपर्दा होता देख अपना मुसल हिला रहा है ।

मै दरवाजे की ओर अपना पिछवाडा किये अपनी साडी निकाल दी और जाने बाऊजी ने क्या क्या सोचा होगा मेरे बारे मे ।
मैने साडी को बिस्तर पर फ़क और खुद भी बिस्तर पर टेक लेके अपनी जान्घे खोल कर बैठ गयी ।

मेरे हाथ मेरे नंगे जिस्मो को मसल रहे थे । मै अपने छातियो को मसलकर अपनी कामाग्नी को और तेज कर रही थी । मगर मुझे क्या पता था कि दरवाजे पर खडे होकर बाऊजी मेरे सारे हरकतों को निहार रहे होगे और वो कुछ ऐसा कर देंगे कि मुझे इसकी उम्मीद भी ना रही होगी ।


मै अपने जांघो के बिच हाथ ले जाकर अपनी गीली चुत को दबाने लगी ,,जो मेरे हाथों से दबाव से बजबजाने लगी ।

मैने एक गहरी सास ली और आंखे बंद करके दो उन्गली चुत मे पेल दी ।

मै सिसकिया भर ही रही थी कि बाऊजी मुझे बुलाते हुए कमरे मे घुस आये ।

मैने फौरन अपनी साडी से अपने छाती और चुत को धक लिया ।

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हमारी नजरे मिली और मैने शर्म से नजरे निचे करते हुए - बाऊजी आप यहा ,,,कुछ चाहिये था आपको

बाऊजी बडी बेशरमी से मेरे अधनंगे जिस्मो को निहार रहे थे । उनकी नजरे मेरे नंगी जांघो को निहार रहे थे ।
धोती मे उनका मुसल पूरी तरह से तना हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि वो काफी समय से ही कमरे मे ताका झाकी कर रहे होगे ।

मैने फटाफट से साडी से अपनी जांघो भी कवर किया और बाऊजी मुह दुसरी को फेर कर खडे हो गये ।

बाऊजी - माफ करना बेटी वो मुझे थोडी बर्फ चाहिये थी ।

मै समझ गयी कि आज शायद उन्हे गोदाम पर कोई मिली नही थी और घर पर कोई था नहीं तो मुझे खोजते आये होगे ।

मै शर्म से पानी पानी हुइ जा रही थी और मन मे डर भी था । मै कैसे भी करके अपनी स्थिति सुधारना चाह रही थी ।

मै - बाऊजी आप चलिये मै अभी लेके आती हू

बाऊजी - ठिक है बहू मै मेरे कमरे मे हू
और बाऊजी बिना मेरे ओर देखे वहा से निकल गये ।
मै मन ही मन खुद को कोसा और जल्दी जल्दी ब्लाउज पेतिकोट पहन कर साडी लपेट कर किचन मे गयी।

वहा से मैने सिकाई वाला पैकेट लिया और उसमे बर्फ भर कर बाऊजी के कमरे की ओर गयी ।

मेरे पाव मानो जमने लगे थे । मेरी दिल की धडकनें तेज थी कि अभी जो हुआ उस्के बाद मै बाऊजी से सामना कैसे करूंगी । झिझक इस बात की भी थी कि बाऊजी के मुसल की सिकाई भी मुझे ही करनी थी ।

मै उनके कमरे मे गयी और बाऊजी सिर्फ धोती मे बिस्तर का टेक लिये पैर खोलकर बैठे हुए थे । मेरी नजर धोती मे तने हुए उनके मुसल पर गयी और मुझे डर सा मह्सूस हुआ ।

बाऊजी मुझे देखते ही - आजा बहू ,,,वो दरवाजा बन्द कर देना

मै जान रही थी कि मुझे उनके लण्ड की मालिश करनी है और बिना दरवाजा बंद किये वो होगा नही ।मगर मुझे डर भी लग रहा था कि कही बाऊजी मेरे साथ कोई जबरदस्ती ना करे ।

मै दरवाजा बन्द करके बिस्तर के पास आई और उन्होने मानो मेरी झिझक और लाज को भाप लिया हो ।

बाऊजी - माफ करना बहू मुझे ऐसे अचानक से नही आना चाहिए था ।

मै थोडी चुप रही और मेरी कोशिस थी कि उस मुद्दे पर कोई बात ना हो । मै जल्द से जल्द सेकाई करके वहा से निकल जाना चाहती थी ।

मै झिझक कर - बाऊजी इसे खोलिये ,,बर्फ गल रहा है

बाऊजी समझ गये कि मै उस बात को टाल रही हू।

बाऊजी - अह हा बहू रुको
फिर उन्होने अपनी धोती खोल कर अलग कर दी । अब बाऊजी मेरे सामने पुरे नन्गे थे और उनका मोटा लण्ड पूरी तरह से तनमनाया हुआ था ।

मै बीना उनसे नजरे मिलाए उनके बगल मे खडे होकर सेकाई का पैकेट उनके आड़ो और लण्ड के निचलर हिस्से पर रखा ।

लण्ड इतना तप रहा था कि बर्फ की शीलन भी भाप बन रही थी ।
वही बाऊजी की नजरे मेरे जोबनो को अपनी आंखो से नंगा किये जा रही थी । मुझे साफ आभास हो रहा था कि बाऊजी मुझे घूर रहे हैं । मेरी दिल की धड़कन अब बढने लगी थी जिससे ब्लाउज कसी मेरी चुचिया उपर निचे होने लगी थी ।


थोडे ही समय में बर्फ आधा हो गया लेकिन बाऊजी का लण्ड ज्यो का त्यो ही तना रहा ।

बाऊजी मुझे परेशान देख कर - रहने दे बहू , आज जो हुआ उसे देख कर नही लगता इससे कुछ भी आराम होगा ।


बाऊजी की बात सुन कर मुझे ग्लानि सी हुई कि शायद मेरी ही नादानी से बाऊजी को इतनी दिक्कत हो रही है ।


मै सफाई देते हुए - माफ कीजिएगा बाऊजी ,,मुझे लगा घर पर कोई नही है और आज गर्मी बहुत है तो ।


बाऊजी - अरे अरे नही बहू तु खुद को क्यू दोष दे रही है । गलती मेरी है , मुझे तेरे कमरे मे झाकना ही नही चाहिये था


मेरी आन्खे बडी हो गयी और मैने नजरे उठा कर उन्हे देखा और समझ गयी कि मेरा शक सही था । वो शुरु से ही मुझे कमरे मे निहार रहे थे ।

मुझे अपनी ओर घुरता देख बाउजि भी झिझके और सफाई देने लगे ।
बाऊजी - बेटा मै तो बस एक नजर देख कर हटने ही वाला था लेकिन ऐन मौके पर तुने अपनी साडी खोल दी और मै वही जम सा गया ।


बाऊजी की बाते सुन कर मेरा दिल जोरो से धडकने लगा ।
मैने उनसे नजरे फेर ली मुझे शर्म भी आ रही और झिझक भी कि मै मेरे ससुर से ये बाते कर रही हू .
इसिलिए मैने उनकी ओर पीठ कर लिया । बाऊजी को लगा कि मै ऐसे नजरे फेर कर उनसे नाराज हो रही हू तो वो वैसे ही नंगे मेरे पीछे खडे हो गये ।

बाऊजी - देख बहू तु ऐसे मुझसे नाराज ना हो । मै सच मे उस बात के लिए शर्मिंदा हू लेकिन जब मैने तेरे इन गोरे गोरे नितम्बो को देखा तो मै वहा से हिल भी नही पाया ।

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बाऊजी ने अपनी बात पूरी करते हुए साडी के उपर से ही मेरे चुतडो पर हाथ फेरने लगे । मै अकड कर रह गयी और खुद को हर जगह से सिकोड़ने लगी ।

बाऊजी का स्पर्श मुझे उत्तेजित भी कर रहा था और शर्मीन्दा भी । मेरी जुबान को जैसे क्या हो गया था । डर से मेरी आवाज गायब हो गयी थी । डर ये कि आगे क्या होगा ? बाऊजी का स्पर्श मुझे एक रोमांचक डर से रुबरू करवा रहा था । जिसकी जिज्ञासा मुझे पल पल हो रही थी कि अब क्या अब क्या ?

बाऊजी - बहू तु अपने मन मे कोई ग्लानि का भाव ना रख । मै जानता हू राजेश की कमी तुझे सता रही थी ।

बाऊजी की बाते सुन कर मेरे जहन मे वो तस्बिरे चलने लगी जब मै पूरी नंगी होकर कमरे मे अपनी चुत मे उन्गिलीया कर रही थी ।


बाऊजी आगे बढे और मेरे कूल्हो से हाथो को सहलाते हुए बडे प्यार से मेरी पीठ को छूआ । उनका स्पर्श पाकर मै गनगना गयी ।

बाऊजी - बहू अगर तु चाहे तो हम दोनो की सम्स्या दुर हो सकती है

बाऊजी की कहने का मतलब समझ गयी थी उन्होने साफ साफ मुझे चुदाई का आमंत्रण दे दिया था ।

मै उसी अवस्था मे खड़ी होकर - बाऊजी ये क्या कह ....।

बाऊजी मेरी बात काटते हुए मेरे कंधो को अपने दोनो हाथो से थामकर उन्हें सहलाते हुए - बहू मै वादा करता हु ये बात बस हमारे बीच ही रहेगी ।


मै उन्के स्पर्श से पिघलती जा रही थी और खुद को बेबस मह्सूस कर रही थी ।

मै बहुत हिम्मत करके उनकी ओर पलटी और उनसे नजरे मिला कर - बाऊजी ये सही नही है , किसी को पता चला तो बहुत बदनामी हो जायेगी ।

बाऊजी ने तो जैसे मेरी आखो की मदहोशि को पढ लिया था और उन्होने आगे बढ के मेरे चुतडो को पकड़कर उन्हे मसलते हुए मुझे अपनी ओर खिच लिया । मेरी चुत सिधा उन्के तने हूए मुसल से टकराई ।


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बाऊजी ने मेरे लाल होठो मुलायम को मुह मे भर कर चुसना शुरु कर दिया और मै समझ गयी कि अब ये खेल नही रुकने वाला । क्योकि बाऊजी को किसी की परवाह ही नही ।


लण्ड की तडप मे मै पहले से ही पागल थी उपर से बाऊजी का मुसल था ही इत्ना जबरदस्त,,हर बार उसकी सिकाई के बाद मेरी चुत ने पानी छोडा था ।

आज आया ये मौका कैसे जाने देती और मैने भी उनका साथ देना शुरु किया । हमारी किस्सिंग जारी थी । बाऊजी मेरे जिस्मो को मसलते रहे ।

बाऊजी अपनी लण्ड की मुझे दिखा कर - अह्ह्ह बहू अब जरा मेरे इस्को भी अपने मुलायम होठो का सुख देदे ।

मै मुसकुराई और थोडी इथ्लाई भी और उनके लण्ड को हाथो मे भरने लगी ।
बाऊजी के हाथ अभी भी मेरे जिस्मो पर घूम रहे थे और मै उन्हे देखते हुए निचे बैठ गयी ।

फिर मुह खोल कर आधा लण्ड मुह मे भर ली ।

बाऊजी - अह्ह्ह बहूउऊ उम्म्ंम्म्ं ओह्ह्ह मस्त ठन्डक है यहा ,औम्म्ंंऔर चुस मेरी बेटी ओह्ह्ह हाआ

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मै गप्प ग्प्प्प बाऊजी का लण्ड मुह मे भरने लगी । बाऊजी मेरे बालो को पकड कर मेरा सर लण्ड पर दबाने लगे ताकी मै उनका लण्ड और अन्दर ले सकू

मै भी वही किया ,,,उनका मोटा मुसल गले तक उतारने लगी और वही मेरी चुत मेरे जांघो पर रिसकर मेरी खुजली बढाने लगी ।

बाऊजी ने जब दो तिन बार मुझे साडी के उपर से अपनी चुत खुजाते देखा तो

बाऊजी - आह्ह बहू रुक मै तेरी मदद करता हू

फिर बाऊजी मे मुझे खड़ा किया और मुझे बिस्तर पर लिटाते हुए मेरी साड़ी पेतिकोट को जांघो तक उठा दिया और अपना मुह मेरे रस छोडती चुत पर लगा दिया ।


वो लपालप मेरी चुत को फैला फैला कर चाटे जा रहे थे और मै अपनी जिस्म की गर्मी से पगलाई अपनी छातिया मसल रही थी ।

तभी बाऊजी ने अपनी जीभ मेरे बुर मे घुसा दी और होठो से मेरे चुत की चमडी को जोरो से चुसने लगे ।

मै उत्तेजना से भर गयी और बाऊजी को अपनी जांघो मे बान्ध कर तेजी से अपनी गाड पटकने लगी ।

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मै - ओह्ह बाऊजी और चुसिये उम्म्ंम आह्ह मै झड़ रही हूउउई उम्मममं ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह माआअह्ह ओह्ह्ह बाउजीईई
मै झड़ कर सुस्त पड गयी और बाऊजी भी उठ कर बिस्तर पर पैर लटका कर बैठ गये और हल्का हल्का मेरे जांघो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपना लण्ड मुठिया रहे थे ।

कुछ मिंट बाद मै उठ कर बैठी और मुस्कुरा कर उन्हे देखा ।

बाऊजी - बहू जरा एक बार फिर से खोल ना इन्हे

बाऊजी ने मेरे मोटे थन जैसे चुचो की ओर इशारा किया और मै इतराते हुए खड़ी हुई और फिर से अपनी साडी निकालनी शुरु कर दी ।

बाऊजी मुझे देख कर बस जोरो से अपना लण्ड हिला रहे थे और मै धिरे धीरे करके अपना ब्लाउज फिर पेतिकोट सब निकाल कर पूरी तरह से नंगी होकर बाऊजी के पास आ गयी ।

उन्होने तो जैसे एक जादू सा कर दिया था मुझ पर । मै बस उनकी ओर खीची जा रही थी और फिर उन्होने मुझे अपनी जान्घो मे फसा कर मेरे नंगे चुचो को हाथो मे भर कर मस्लना शुरु कर दिया ।

मै फिर से एक बार आहे भरने लगी । फिर से बाऊजी का स्पर्श मुझे रोमांचक करने लगा ।
बाऊजी बेसब्रे होकर मेरे चुचो पर टुट पडे और उम्हे मुह मे भरने लगे ।

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मै भी उनके सर को अपने चुचो मे दफनाने लगी ।
उन्की खुरदरी जीभ मेरे निप्प्ल को मानो खरोच रही हो और जिस जोर वो मेरे निप्प्ल को मुह मे भर कर चुस रहे थे ,,,वैसा अह्सास मुझे कभी नही हुआ ।

उनके गठिले पंजे मेरे चुचो को मसल कर लाल कर रहे थे और ये कम था कि वो मेरे नंगे चुतडो को नोचने लगे ।

मै बुरी तरह से उन्के बाहो मे पिस रही थी और बहुत ही उत्तेजित मह्स्स कर रही थी ।

फिर वो पल आया जब बाऊजी ने मुझे बिसतर पर धकेला । मै नंगी अपनी जांघो को फैलाये लेट गयी और बाऊजी मेरे उपर चढ़ कर अपने मुसल पर थोडा थुक लगाते हुए मेरे चुत के महानो पर रगड़ने ल्गे


मै सिस्क सिस्क कर पागल हुई जा रही थी और अचानक एक जोर के झटके के साथ बाऊजी ने आधा लण्ड मेरी चुत मे घुसेड़ दिया ।

मै दर्द से छ्टप्टा कर अपनी गाड उचका कर रह गयी और बाऊजी बडी बेरहमी से धिरे धीरे पुरा लण्ड मेरी चुत मे उतारते चले

कुछ ही धक्को मे मुझे नशा सा होने लगा । जैसे उनका मुसल मेरे चुत की सुराख को और मोटा किये जा रहा था ।
मै बहुत समय बाद इतना जबरदस्त चुदाइ का मजा ले रही थी और मै सिस्क्ते हुए अपनी चुचिया मसलने लगी


मै - सीईई अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं ओह्ह्ज्ज

बाऊजी - आह्ह बहुत तु तो सच मे बहुत गरम है उम्मममं मस्त चुत है तेरी । मुझे बहुत पहले ही तुझे पेल देना चाहिए था अह्ह्ज्ज

मै भी मदहोशि मे अपने चुचियो की घुंडीया मरोडते हुए - अह्ह्ह बाऊजी देर तो हुई है ,,,उम्म्ं और तेज्ज्ज ओह्ह्ह मजा आ रहा है ओह्ह्ह

बाऊजी - हा मेरी बेटी ,,अब हम दोनो खुब मजे करेंगे उम्म्ंम राजेश के लिए तुझे तडपना नही पडेगा ,,ले और ले अह्ह्ह ओह्ज बहू

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मै बस सिसकती रही और अपनी चुचिय मस्लती रही ,,बाऊजी कुछ धक्को के बाद मेरे गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलने लगे और मेरी चुचियो को चुसने लगे


मै पागल सी होने लगी बाऊजी ताबड़तोड़ ध्क्के पेले जा रहे थे और मै मस्ती भरी आहे भरे जा रही थी ।

बाऊजी -आह्ह्ह बहू तू सच बहुत ही मस्त है ओह्ह्ह्ह कितना गदराया जोबन है तेरा ओह्ह्ह ये चुचि उम्मममंं ओह्ह्ह बहू तेरी कसी हुई चुत ने तो मजा दुगना कर दिया

मै- अह्ह्ह हा बाऊजी आपका भी मुसल बहुत मजबूत है अह्ह्ह माआआ इस उम्र मे भी उम्म्ंम ओह्ह्ह बाऊजी और तेज्ज पेलिये मुझे उम्म्ंं उफ्फ़फ्फ मा मै झड़ रही हू उंम्ंम्म्ं सीईई

बाऊजी तेज करारे धक्के लगाते हुए -हा ले बेटी झड़ जा ,,,अभी तो और चोदना है तुझे
मै झड़ गयी थी मगर बाऊजी का जोश कम नही हो रहा था

फिर पोजिसन बदला और बाऊजी ने मुझे घोडी बनने का इशारा किया और थोडा मेरे नंगे चर्बीदार गाडो से खेलने के बाद एक जोर का करारा धक्का मेरी चुत मे मारा और फिर से पेलने ल्गे

मै तो कबकी झडी हुई थी और उनके लण्ड को निचोड रही थी ,,मगर बाऊजी का लण्ड जरा भी ढिला नही हुआ ,,वो एक सुर मे मेरे गाडो को मसल्ते हुए तेज ध्क्के से मुझे चोदे जा रहे थे ।

तभी उन्ही आह्ह निकली - अह्ह्ह बहुउउऊऊ जल्दी निचे आ हहह

ये बोल कर बाऊजी ने मेरी चुत से लण्ड निकाल कर खडे होकर मुठीयाने लगे और मै फौरान उनके पैरो मे आ कर बैठ गयी ।

बाऊजी ने तेजी से हिलाते हुए लण्ड का सुपाडा मेरे खुले हुए मुह पर किया -अह्ह्ह बहुउउऊ ओह्ह्ह्ह लेएएहह अह्ह्ह ओह्ह्ह

मै उन्के लण्ड के सुपाड़े को पुरा मुह मे भर ली और उन्के लण्ड के झटको मह्सूस करती हूइ सारा माल गटकने लगी ।

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झड़ने के बाद बाऊजी ने मेरे बालो को सह्लाया और सुस्त होकर बिस्तर पर लेट गये ।

मैने भी खुद को सही किया और जल्दी से ब्लाउज पेतिकोट पहन कर बाऊजी के पास लेट गयी ।

बाऊजी - शुक्रिया बहू ,,,आज तुने मुझे तृप्त कर दिया

मै शर्मा कर - आपने भी हिहिही

बाऊजी - बहू अगर हो सके तो आज रात मे भी
मै बस हा मे सर हिला दी ।


फिर उस रात बाऊजी ने दो बार मुझे उसी तरह पेला और अगले दो दिन हमारी चुदाई जारी रही । फिर तीसरे दिन गिता बबिता वापस आ गयी ।
फिर मैने खुद से बाऊजी से कहा कि अब थोडा सबर करे ।

आज उनका प्रोग्राम था दोपहर मे जब गीता बबिता सिलाई सिखने जाये तब ।लेकिन आज तु आ गया ।



राज की जुबानी

मै - हा लेकिन फिर भी तो नही माने ना आप लोग ,,शुरु हो गये मेरे सामने ही हिहिही

मामी हस कर- धत्त बदमाश

मै - वैसे मानना पडेगा नाना को ,,इस उम्र मे भी ऐसी चुदाई

मै - उनकी कहानी सुन के ही मै झड़ गया
मामी मुस्कुरा कर - हा वो तो है हिहिहिही


मामी - अब उठो और जाओ नहा लो ,,गीता बबिता भी आ गयी होगी ।

मै हस के - मै तो लेकिन आज ट्यूबवेल पर जाऊंगा नहाने उनलोगो के साथ

मामी - नही नही आज नही । कल चले जाना । अभी फ्रेश हो लो मै नासता बना रही हू


मै - अच्छा ठिक है मेरी डार्लिंग मामी उउउउम्म्माआह

मामी मेरे चुम्मी लेने से थोडा शर्माइ और उठ खड़ी हुई फिर मै भी कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम मे चल गया ।



फ्रेश होकर मैने गीता बबिता के साथ नासता किया और फिर हम लोग ऐसे ही नाना के साथ बैठ कर थोडा मस्ती मजाक किये । रात हुई खाने के बाद मै गीता बबिता के साथ उनके कमरे मे चल गया ।

लेकिन जाने से पहले मामी को इशारे से रात के लिए आल द बेस्ट बोल दिया । वो भी मुस्कुरा कर आंखे दिखाने लगी। मै हसते हुए गीता बबिता के कमरे मे चला गया ।


जारी रहेगी

दोस्तो इस अपडेट के लिये स्पैशल gif और pics खोजे है जो कंटेंट से रिलेटेबल लग सके ।

अपडेट पसंद आये तो कृपया टिप्पणी जरुर करे मुझे भी लगेगा कि मेहनत सफल रही ।

धन्यवाद
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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superb update waiting for next

शानदार जबरदस्त जिंदाबाद

Bahot zaberdast shaandaar update bhai

Iaptop me porn dekhne ka program to thik hai par ghar mai Ragini bhi mast mal hai, kisitarha Rahul aur Anuj ko Ragini ke nage jism ke darsan bhi hojay, yah Ragini dono ke hathiyar dekhle

Awesome update tha dost... waiting more....

कहानी तो बहुत अच्छी चल रही है पर सेक्स सीन का वर्णन थोड़ा कम हो गया है जैसे सेक्स शुरू हुआ 2 मिनट चला और खतम हो गया इस सीन को थोड़ा बढ़ाना चाहिए ताकि दर्शक को और मजा आए ।

बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है राज ने मामी को नाना से चुदते हुए देख लिया है वाह इसकी क्या वजह ही ये मामी से पूछता है वही अनुज दुकान पर रहता है और लैपटॉप में देखता है राहुल का हाल बुरा है वह भी लैपटॉप में वीडियो देखना चाहता है वही जंगीलाल निशा को साडी पहनाने के बहाने पटाने में गाल रहा है देखते इन सब का क्या होता है ये सब अपने प्लान में कामयाब होते है या नही

Romanchak update. Pratiksha agle rasprd update ki

Maami ki kahani sunne ko humara bhi betaab hai dost... jaldi hi sunayein..
Bahut badhiya update.

Bro I m so much waiting for this scene to repeat again. Aur is baar nana ka thoda aur passion dikhana, raagini ke andar ki raand ko thoda aur expressive karo, usko thoda aur gaali khaatey huey karwao jisey wo aur enjoy karey. Hope you will come up with a update like this soon. ~Your fan.

हम भी मामी और नाना की चुदाई के बारे में जानने को उत्सुक हैं
दोस्तो नया अपडेट पोस्ट कर दिया है
आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
 

Rinkp219

Well-Known Member
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पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर जहा जंगीलाल की किस्मत लगातार उसे निशा के करीब लाये जा रही है । वही राज ने भी अपने नाना और मामी की चुदाई चोरी चुपके देख ली । लेकिन वो अभी भी उसकी तलाश अधूरी है तो हम लोग भी वापस वही चलते है उस कमरे मे जहा राज की मामी उसका लण्ड थामे बैठी हुई मदहोश हो रही है ।



राज की जुबानी

मामी मेरे लण्ड को थामे सहला रही थी ।
मैने उनकी कमर मे हाथ डाला और अपनी ओर खिच लिया ।
अब वो मुझसे लिपटी हुई मेरे लंड को सहलाने लगी ।

मै - मामी बताओ ना

मामी मुस्कुरा - अच्छा तुमको याद है वो पिछले साल राखी पर जब बाऊजी की तबीयत खराब हुई थी ।

मै - हा क्यू?
मामी मुस्कुरा कर - तुमको पता है बाऊजी को क्या सम्स्या होती है ??

मै जानता तो सब था। लेकिन मुझे अच्छे से ये भी याद था कि राखी वाले दिन मामी थी ही नही वो अगली सुबह आई थी और शायद उन्हे इस बात की जानकारी नही है कि मै सब जानता हू ।

मै - हा वो शायद उनको थोडी गर्मी की सम्स्या है ,,,बार बार पसीने से बेचैनी होने लगती है और तबीयत खराब हो जाती है ।

मामी मुस्कुरा कर - हा वो बात तो है , लेकिन असल बात कुछ और ही है जिससे उनको पसीना होता है ।

मै - वो क्या
मामी मुस्कुरा कर - उन्हे सेक्स की चसक और जब उन्हे मौके पर वो ना मिले तो उनके बदन मे ये सब चीजे होने लगती है ।


मै - ओह्ह फिर

मामी - और पता है बाऊजी हिहिहिही । वो अपने गोदाम पर एक दो काम करने वालियो को रखे हुए है, लगभग हर दुपहर मे ही .....।


मै - ओहो ये बात है ,लेकिन आप उनसे कैसे जुड़ गयी ।

मामी थोडा शर्मा कर - वो रमन बाबू की शादी के बाद से

मै - मतलब

मामी हस कर - रमन बाबू की शादी मे बाऊजी भी साथ गये थे और वहा पर उन्हे जो चाहिये था समय से मिला नही और शादी से वापस आने के बाद बाऊजी की तबियत बिगड़ गयी । फिर इसी बिच तुम्हारे मामा भी किसी काम को लेके बाहर चले गये थे ।


मामी की बाते सुन कर मेरे लण्ड मे कसावट बढ रही थी - तो फिर

मामी - अब मुझे चिंता होने लगी थी बाऊजी कि तो मैने रज्जो जीजी से बात की । तो उन्होने मुझे मालिश के लिए बताया कि बर्फ से सेकाई कर दो उन्हे आराम मिल जायेगा ।


मामी की बात सुन कर मुझे मेरे घर की याद आई जब मैने व्याग्रा खिला कर नाना के जिस्म की गर्मी बढा दी थी और मा उनके लण्ड की सेकाई कर रही थी । वो बीते पल याद करके मै और भी उत्तेजित हो उठा ।

मै - फिर क्या आपने उनकी ।

मामी शर्मा कर हस्ती हुई - हम्म्म करनी ही पडी ।

मै - फिर आगे कैसे हुआ

मामी - उधर दो दिन मैने दोपहर और रात मे उनकी सेकाइ की । जब उनकी तबीयत मे सुधार हुआ तो उन्होंने गोदाम पर हिहिहिही....।


मै - ओह्ह फिर

मामी - तब से सब कुछ सामान्य था । बाऊजी की तबियत ठीक होने के बाद मुझे उनका सामना करने मे झिझक होती थी और वो बस मुस्कुरा देते थे । लेकिन पिछले हफते जब तुम्हारे मामा वापस से शहर गये तो ....।


मै थोडा उत्सुक होकर - फिर क्या मामी । हिहिहिही बताओ ना

मामी मेरे आड़ो को हलोरती ही - और गीता बबिता भी अपनी मौसी के यहा गयी हुई थी । घर मे बस मै और बाऊजी ही थे ।


मामी की जुबानी


बाऊजी बडे सवेरे ही खा पीकर गोदाम चले जाते और फिर देर शाम तक ही आते थे । वो नही चाहते थे कि मुहल्ले बिरादरी मे कोई उनपे आक्षेप करे कि बहू के साथ दिन भर बुढा घर पर रहता है ।
मामी - उस दिन गर्मी बहुत थी । बाऊजी सवेरे 10 बजे तक खा पीकर ही गोदाम पर चले गये थे । मै भी किचन के सारे काम निपटा कर कपडे धुल कर नहा चुकी थी और तौलिया लपेट कर अपने कमरे आ गयी ।

उस दिन गर्मी ने हालत खराब कर दी थी और घर पर मौके से कोई था नही तो मैने बस एक लाल रंग पतली सी सिफान की साडी लपेट ली । उसमे मेरे जिस्मो को बहुत आराम मिल रहा था ।

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मैने कमरे का दरवाजा भी ठिक से बंद नही किया था और ना जाने कबके बाऊजी घर आ चुके थे । वो दरवाजे के गैप मे से अंदर झाक रहे थे ।

मुझे इस बात की जरा भी भनक नही थी कि मेरे ससुर मेरे कमरे मे झाक रहे होगे और उस पतली सी साडी मे झलकते मेरे अंगो को निहार कर अपना लण्ड मसल रहे होगे ।

मै पंखे के निचे खड़ी हो कर अपनी साडी जांघो तक उठा कर अपनी चुत तक हवा देने लगी । थोडा बहुत मुझे रूमानी सा अह्सास भी हो रहा था ।

मुझसे रहा ना गया और तुम्हारे मामा की कमी मुझे खलने लगी । इतने आराम मे अचानक से मेरे जिस्म की गर्मी बढ । मै मेरे ही स्पर्शो से उत्तेजित होने लगी ।

मुझे से रहा नही गया और मैने पुरा नंगा होकर अपने जिस्म को शांत करके एक गहरी नीद मे जाने का तय किया । शायद इसी से मुझे शांति मिल सकती थी ।

मैने अपनी साडी खोलनी शुरु कर दी ।

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इस बात से बेखबर कि दरवाजे पर खड़ा मेरा ससुर मेरे जिस्मो को बेपर्दा होता देख अपना मुसल हिला रहा है ।

मै दरवाजे की ओर अपना पिछवाडा किये अपनी साडी निकाल दी और जाने बाऊजी ने क्या क्या सोचा होगा मेरे बारे मे ।
मैने साडी को बिस्तर पर फ़क और खुद भी बिस्तर पर टेक लेके अपनी जान्घे खोल कर बैठ गयी ।

मेरे हाथ मेरे नंगे जिस्मो को मसल रहे थे । मै अपने छातियो को मसलकर अपनी कामाग्नी को और तेज कर रही थी । मगर मुझे क्या पता था कि दरवाजे पर खडे होकर बाऊजी मेरे सारे हरकतों को निहार रहे होगे और वो कुछ ऐसा कर देंगे कि मुझे इसकी उम्मीद भी ना रही होगी ।


मै अपने जांघो के बिच हाथ ले जाकर अपनी गीली चुत को दबाने लगी ,,जो मेरे हाथों से दबाव से बजबजाने लगी ।

मैने एक गहरी सास ली और आंखे बंद करके दो उन्गली चुत मे पेल दी ।

मै सिसकिया भर ही रही थी कि बाऊजी मुझे बुलाते हुए कमरे मे घुस आये ।

मैने फौरन अपनी साडी से अपने छाती और चुत को धक लिया ।

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हमारी नजरे मिली और मैने शर्म से नजरे निचे करते हुए - बाऊजी आप यहा ,,,कुछ चाहिये था आपको

बाऊजी बडी बेशरमी से मेरे अधनंगे जिस्मो को निहार रहे थे । उनकी नजरे मेरे नंगी जांघो को निहार रहे थे ।
धोती मे उनका मुसल पूरी तरह से तना हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि वो काफी समय से ही कमरे मे ताका झाकी कर रहे होगे ।

मैने फटाफट से साडी से अपनी जांघो भी कवर किया और बाऊजी मुह दुसरी को फेर कर खडे हो गये ।

बाऊजी - माफ करना बेटी वो मुझे थोडी बर्फ चाहिये थी ।

मै समझ गयी कि आज शायद उन्हे गोदाम पर कोई मिली नही थी और घर पर कोई था नहीं तो मुझे खोजते आये होगे ।

मै शर्म से पानी पानी हुइ जा रही थी और मन मे डर भी था । मै कैसे भी करके अपनी स्थिति सुधारना चाह रही थी ।

मै - बाऊजी आप चलिये मै अभी लेके आती हू

बाऊजी - ठिक है बहू मै मेरे कमरे मे हू
और बाऊजी बिना मेरे ओर देखे वहा से निकल गये ।
मै मन ही मन खुद को कोसा और जल्दी जल्दी ब्लाउज पेतिकोट पहन कर साडी लपेट कर किचन मे गयी।

वहा से मैने सिकाई वाला पैकेट लिया और उसमे बर्फ भर कर बाऊजी के कमरे की ओर गयी ।

मेरे पाव मानो जमने लगे थे । मेरी दिल की धडकनें तेज थी कि अभी जो हुआ उस्के बाद मै बाऊजी से सामना कैसे करूंगी । झिझक इस बात की भी थी कि बाऊजी के मुसल की सिकाई भी मुझे ही करनी थी ।

मै उनके कमरे मे गयी और बाऊजी सिर्फ धोती मे बिस्तर का टेक लिये पैर खोलकर बैठे हुए थे । मेरी नजर धोती मे तने हुए उनके मुसल पर गयी और मुझे डर सा मह्सूस हुआ ।

बाऊजी मुझे देखते ही - आजा बहू ,,,वो दरवाजा बन्द कर देना

मै जान रही थी कि मुझे उनके लण्ड की मालिश करनी है और बिना दरवाजा बंद किये वो होगा नही ।मगर मुझे डर भी लग रहा था कि कही बाऊजी मेरे साथ कोई जबरदस्ती ना करे ।

मै दरवाजा बन्द करके बिस्तर के पास आई और उन्होने मानो मेरी झिझक और लाज को भाप लिया हो ।

बाऊजी - माफ करना बहू मुझे ऐसे अचानक से नही आना चाहिए था ।

मै थोडी चुप रही और मेरी कोशिस थी कि उस मुद्दे पर कोई बात ना हो । मै जल्द से जल्द सेकाई करके वहा से निकल जाना चाहती थी ।

मै झिझक कर - बाऊजी इसे खोलिये ,,बर्फ गल रहा है

बाऊजी समझ गये कि मै उस बात को टाल रही हू।

बाऊजी - अह हा बहू रुको
फिर उन्होने अपनी धोती खोल कर अलग कर दी । अब बाऊजी मेरे सामने पुरे नन्गे थे और उनका मोटा लण्ड पूरी तरह से तनमनाया हुआ था ।

मै बीना उनसे नजरे मिलाए उनके बगल मे खडे होकर सेकाई का पैकेट उनके आड़ो और लण्ड के निचलर हिस्से पर रखा ।

लण्ड इतना तप रहा था कि बर्फ की शीलन भी भाप बन रही थी ।
वही बाऊजी की नजरे मेरे जोबनो को अपनी आंखो से नंगा किये जा रही थी । मुझे साफ आभास हो रहा था कि बाऊजी मुझे घूर रहे हैं । मेरी दिल की धड़कन अब बढने लगी थी जिससे ब्लाउज कसी मेरी चुचिया उपर निचे होने लगी थी ।


थोडे ही समय में बर्फ आधा हो गया लेकिन बाऊजी का लण्ड ज्यो का त्यो ही तना रहा ।

बाऊजी मुझे परेशान देख कर - रहने दे बहू , आज जो हुआ उसे देख कर नही लगता इससे कुछ भी आराम होगा ।


बाऊजी की बात सुन कर मुझे ग्लानि सी हुई कि शायद मेरी ही नादानी से बाऊजी को इतनी दिक्कत हो रही है ।


मै सफाई देते हुए - माफ कीजिएगा बाऊजी ,,मुझे लगा घर पर कोई नही है और आज गर्मी बहुत है तो ।


बाऊजी - अरे अरे नही बहू तु खुद को क्यू दोष दे रही है । गलती मेरी है , मुझे तेरे कमरे मे झाकना ही नही चाहिये था


मेरी आन्खे बडी हो गयी और मैने नजरे उठा कर उन्हे देखा और समझ गयी कि मेरा शक सही था । वो शुरु से ही मुझे कमरे मे निहार रहे थे ।

मुझे अपनी ओर घुरता देख बाउजि भी झिझके और सफाई देने लगे ।
बाऊजी - बेटा मै तो बस एक नजर देख कर हटने ही वाला था लेकिन ऐन मौके पर तुने अपनी साडी खोल दी और मै वही जम सा गया ।


बाऊजी की बाते सुन कर मेरा दिल जोरो से धडकने लगा ।
मैने उनसे नजरे फेर ली मुझे शर्म भी आ रही और झिझक भी कि मै मेरे ससुर से ये बाते कर रही हू .
इसिलिए मैने उनकी ओर पीठ कर लिया । बाऊजी को लगा कि मै ऐसे नजरे फेर कर उनसे नाराज हो रही हू तो वो वैसे ही नंगे मेरे पीछे खडे हो गये ।

बाऊजी - देख बहू तु ऐसे मुझसे नाराज ना हो । मै सच मे उस बात के लिए शर्मिंदा हू लेकिन जब मैने तेरे इन गोरे गोरे नितम्बो को देखा तो मै वहा से हिल भी नही पाया ।

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बाऊजी ने अपनी बात पूरी करते हुए साडी के उपर से ही मेरे चुतडो पर हाथ फेरने लगे । मै अकड कर रह गयी और खुद को हर जगह से सिकोड़ने लगी ।

बाऊजी का स्पर्श मुझे उत्तेजित भी कर रहा था और शर्मीन्दा भी । मेरी जुबान को जैसे क्या हो गया था । डर से मेरी आवाज गायब हो गयी थी । डर ये कि आगे क्या होगा ? बाऊजी का स्पर्श मुझे एक रोमांचक डर से रुबरू करवा रहा था । जिसकी जिज्ञासा मुझे पल पल हो रही थी कि अब क्या अब क्या ?

बाऊजी - बहू तु अपने मन मे कोई ग्लानि का भाव ना रख । मै जानता हू राजेश की कमी तुझे सता रही थी ।

बाऊजी की बाते सुन कर मेरे जहन मे वो तस्बिरे चलने लगी जब मै पूरी नंगी होकर कमरे मे अपनी चुत मे उन्गिलीया कर रही थी ।


बाऊजी आगे बढे और मेरे कूल्हो से हाथो को सहलाते हुए बडे प्यार से मेरी पीठ को छूआ । उनका स्पर्श पाकर मै गनगना गयी ।

बाऊजी - बहू अगर तु चाहे तो हम दोनो की सम्स्या दुर हो सकती है

बाऊजी की कहने का मतलब समझ गयी थी उन्होने साफ साफ मुझे चुदाई का आमंत्रण दे दिया था ।

मै उसी अवस्था मे खड़ी होकर - बाऊजी ये क्या कह ....।

बाऊजी मेरी बात काटते हुए मेरे कंधो को अपने दोनो हाथो से थामकर उन्हें सहलाते हुए - बहू मै वादा करता हु ये बात बस हमारे बीच ही रहेगी ।


मै उन्के स्पर्श से पिघलती जा रही थी और खुद को बेबस मह्सूस कर रही थी ।

मै बहुत हिम्मत करके उनकी ओर पलटी और उनसे नजरे मिला कर - बाऊजी ये सही नही है , किसी को पता चला तो बहुत बदनामी हो जायेगी ।

बाऊजी ने तो जैसे मेरी आखो की मदहोशि को पढ लिया था और उन्होने आगे बढ के मेरे चुतडो को पकड़कर उन्हे मसलते हुए मुझे अपनी ओर खिच लिया । मेरी चुत सिधा उन्के तने हूए मुसल से टकराई ।


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बाऊजी ने मेरे लाल होठो मुलायम को मुह मे भर कर चुसना शुरु कर दिया और मै समझ गयी कि अब ये खेल नही रुकने वाला । क्योकि बाऊजी को किसी की परवाह ही नही ।


लण्ड की तडप मे मै पहले से ही पागल थी उपर से बाऊजी का मुसल था ही इत्ना जबरदस्त,,हर बार उसकी सिकाई के बाद मेरी चुत ने पानी छोडा था ।

आज आया ये मौका कैसे जाने देती और मैने भी उनका साथ देना शुरु किया । हमारी किस्सिंग जारी थी । बाऊजी मेरे जिस्मो को मसलते रहे ।

बाऊजी अपनी लण्ड की मुझे दिखा कर - अह्ह्ह बहू अब जरा मेरे इस्को भी अपने मुलायम होठो का सुख देदे ।

मै मुसकुराई और थोडी इथ्लाई भी और उनके लण्ड को हाथो मे भरने लगी ।
बाऊजी के हाथ अभी भी मेरे जिस्मो पर घूम रहे थे और मै उन्हे देखते हुए निचे बैठ गयी ।

फिर मुह खोल कर आधा लण्ड मुह मे भर ली ।

बाऊजी - अह्ह्ह बहूउऊ उम्म्ंम्म्ं ओह्ह्ह मस्त ठन्डक है यहा ,औम्म्ंंऔर चुस मेरी बेटी ओह्ह्ह हाआ

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मै गप्प ग्प्प्प बाऊजी का लण्ड मुह मे भरने लगी । बाऊजी मेरे बालो को पकड कर मेरा सर लण्ड पर दबाने लगे ताकी मै उनका लण्ड और अन्दर ले सकू

मै भी वही किया ,,,उनका मोटा मुसल गले तक उतारने लगी और वही मेरी चुत मेरे जांघो पर रिसकर मेरी खुजली बढाने लगी ।

बाऊजी ने जब दो तिन बार मुझे साडी के उपर से अपनी चुत खुजाते देखा तो

बाऊजी - आह्ह बहू रुक मै तेरी मदद करता हू

फिर बाऊजी मे मुझे खड़ा किया और मुझे बिस्तर पर लिटाते हुए मेरी साड़ी पेतिकोट को जांघो तक उठा दिया और अपना मुह मेरे रस छोडती चुत पर लगा दिया ।


वो लपालप मेरी चुत को फैला फैला कर चाटे जा रहे थे और मै अपनी जिस्म की गर्मी से पगलाई अपनी छातिया मसल रही थी ।

तभी बाऊजी ने अपनी जीभ मेरे बुर मे घुसा दी और होठो से मेरे चुत की चमडी को जोरो से चुसने लगे ।

मै उत्तेजना से भर गयी और बाऊजी को अपनी जांघो मे बान्ध कर तेजी से अपनी गाड पटकने लगी ।

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मै - ओह्ह बाऊजी और चुसिये उम्म्ंम आह्ह मै झड़ रही हूउउई उम्मममं ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह माआअह्ह ओह्ह्ह बाउजीईई
मै झड़ कर सुस्त पड गयी और बाऊजी भी उठ कर बिस्तर पर पैर लटका कर बैठ गये और हल्का हल्का मेरे जांघो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपना लण्ड मुठिया रहे थे ।

कुछ मिंट बाद मै उठ कर बैठी और मुस्कुरा कर उन्हे देखा ।

बाऊजी - बहू जरा एक बार फिर से खोल ना इन्हे

बाऊजी ने मेरे मोटे थन जैसे चुचो की ओर इशारा किया और मै इतराते हुए खड़ी हुई और फिर से अपनी साडी निकालनी शुरु कर दी ।

बाऊजी मुझे देख कर बस जोरो से अपना लण्ड हिला रहे थे और मै धिरे धीरे करके अपना ब्लाउज फिर पेतिकोट सब निकाल कर पूरी तरह से नंगी होकर बाऊजी के पास आ गयी ।

उन्होने तो जैसे एक जादू सा कर दिया था मुझ पर । मै बस उनकी ओर खीची जा रही थी और फिर उन्होने मुझे अपनी जान्घो मे फसा कर मेरे नंगे चुचो को हाथो मे भर कर मस्लना शुरु कर दिया ।

मै फिर से एक बार आहे भरने लगी । फिर से बाऊजी का स्पर्श मुझे रोमांचक करने लगा ।
बाऊजी बेसब्रे होकर मेरे चुचो पर टुट पडे और उम्हे मुह मे भरने लगे ।

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मै भी उनके सर को अपने चुचो मे दफनाने लगी ।
उन्की खुरदरी जीभ मेरे निप्प्ल को मानो खरोच रही हो और जिस जोर वो मेरे निप्प्ल को मुह मे भर कर चुस रहे थे ,,,वैसा अह्सास मुझे कभी नही हुआ ।

उनके गठिले पंजे मेरे चुचो को मसल कर लाल कर रहे थे और ये कम था कि वो मेरे नंगे चुतडो को नोचने लगे ।

मै बुरी तरह से उन्के बाहो मे पिस रही थी और बहुत ही उत्तेजित मह्स्स कर रही थी ।

फिर वो पल आया जब बाऊजी ने मुझे बिसतर पर धकेला । मै नंगी अपनी जांघो को फैलाये लेट गयी और बाऊजी मेरे उपर चढ़ कर अपने मुसल पर थोडा थुक लगाते हुए मेरे चुत के महानो पर रगड़ने ल्गे


मै सिस्क सिस्क कर पागल हुई जा रही थी और अचानक एक जोर के झटके के साथ बाऊजी ने आधा लण्ड मेरी चुत मे घुसेड़ दिया ।

मै दर्द से छ्टप्टा कर अपनी गाड उचका कर रह गयी और बाऊजी बडी बेरहमी से धिरे धीरे पुरा लण्ड मेरी चुत मे उतारते चले

कुछ ही धक्को मे मुझे नशा सा होने लगा । जैसे उनका मुसल मेरे चुत की सुराख को और मोटा किये जा रहा था ।
मै बहुत समय बाद इतना जबरदस्त चुदाइ का मजा ले रही थी और मै सिस्क्ते हुए अपनी चुचिया मसलने लगी


मै - सीईई अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं ओह्ह्ज्ज

बाऊजी - आह्ह बहुत तु तो सच मे बहुत गरम है उम्मममं मस्त चुत है तेरी । मुझे बहुत पहले ही तुझे पेल देना चाहिए था अह्ह्ज्ज

मै भी मदहोशि मे अपने चुचियो की घुंडीया मरोडते हुए - अह्ह्ह बाऊजी देर तो हुई है ,,,उम्म्ं और तेज्ज्ज ओह्ह्ह मजा आ रहा है ओह्ह्ह

बाऊजी - हा मेरी बेटी ,,अब हम दोनो खुब मजे करेंगे उम्म्ंम राजेश के लिए तुझे तडपना नही पडेगा ,,ले और ले अह्ह्ह ओह्ज बहू

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मै बस सिसकती रही और अपनी चुचिय मस्लती रही ,,बाऊजी कुछ धक्को के बाद मेरे गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलने लगे और मेरी चुचियो को चुसने लगे


मै पागल सी होने लगी बाऊजी ताबड़तोड़ ध्क्के पेले जा रहे थे और मै मस्ती भरी आहे भरे जा रही थी ।

बाऊजी -आह्ह्ह बहू तू सच बहुत ही मस्त है ओह्ह्ह्ह कितना गदराया जोबन है तेरा ओह्ह्ह ये चुचि उम्मममंं ओह्ह्ह बहू तेरी कसी हुई चुत ने तो मजा दुगना कर दिया

मै- अह्ह्ह हा बाऊजी आपका भी मुसल बहुत मजबूत है अह्ह्ह माआआ इस उम्र मे भी उम्म्ंम ओह्ह्ह बाऊजी और तेज्ज पेलिये मुझे उम्म्ंं उफ्फ़फ्फ मा मै झड़ रही हू उंम्ंम्म्ं सीईई

बाऊजी तेज करारे धक्के लगाते हुए -हा ले बेटी झड़ जा ,,,अभी तो और चोदना है तुझे
मै झड़ गयी थी मगर बाऊजी का जोश कम नही हो रहा था

फिर पोजिसन बदला और बाऊजी ने मुझे घोडी बनने का इशारा किया और थोडा मेरे नंगे चर्बीदार गाडो से खेलने के बाद एक जोर का करारा धक्का मेरी चुत मे मारा और फिर से पेलने ल्गे

मै तो कबकी झडी हुई थी और उनके लण्ड को निचोड रही थी ,,मगर बाऊजी का लण्ड जरा भी ढिला नही हुआ ,,वो एक सुर मे मेरे गाडो को मसल्ते हुए तेज ध्क्के से मुझे चोदे जा रहे थे ।

तभी उन्ही आह्ह निकली - अह्ह्ह बहुउउऊऊ जल्दी निचे आ हहह

ये बोल कर बाऊजी ने मेरी चुत से लण्ड निकाल कर खडे होकर मुठीयाने लगे और मै फौरान उनके पैरो मे आ कर बैठ गयी ।

बाऊजी ने तेजी से हिलाते हुए लण्ड का सुपाडा मेरे खुले हुए मुह पर किया -अह्ह्ह बहुउउऊ ओह्ह्ह्ह लेएएहह अह्ह्ह ओह्ह्ह

मै उन्के लण्ड के सुपाड़े को पुरा मुह मे भर ली और उन्के लण्ड के झटको मह्सूस करती हूइ सारा माल गटकने लगी ।

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झड़ने के बाद बाऊजी ने मेरे बालो को सह्लाया और सुस्त होकर बिस्तर पर लेट गये ।

मैने भी खुद को सही किया और जल्दी से ब्लाउज पेतिकोट पहन कर बाऊजी के पास लेट गयी ।

बाऊजी - शुक्रिया बहू ,,,आज तुने मुझे तृप्त कर दिया

मै शर्मा कर - आपने भी हिहिही

बाऊजी - बहू अगर हो सके तो आज रात मे भी
मै बस हा मे सर हिला दी ।


फिर उस रात बाऊजी ने दो बार मुझे उसी तरह पेला और अगले दो दिन हमारी चुदाई जारी रही । फिर तीसरे दिन गिता बबिता वापस आ गयी ।
फिर मैने खुद से बाऊजी से कहा कि अब थोडा सबर करे ।

आज उनका प्रोग्राम था दोपहर मे जब गीता बबिता सिलाई सिखने जाये तब ।लेकिन आज तु आ गया ।



राज की जुबानी

मै - हा लेकिन फिर भी तो नही माने ना आप लोग ,,शुरु हो गये मेरे सामने ही हिहिही

मामी हस कर- धत्त बदमाश

मै - वैसे मानना पडेगा नाना को ,,इस उम्र मे भी ऐसी चुदाई

मै - उनकी कहानी सुन के ही मै झड़ गया
मामी मुस्कुरा कर - हा वो तो है हिहिहिही


मामी - अब उठो और जाओ नहा लो ,,गीता बबिता भी आ गयी होगी ।

मै हस के - मै तो लेकिन आज ट्यूबवेल पर जाऊंगा नहाने उनलोगो के साथ

मामी - नही नही आज नही । कल चले जाना । अभी फ्रेश हो लो मै नासता बना रही हू


मै - अच्छा ठिक है मेरी डार्लिंग मामी उउउउम्म्माआह

मामी मेरे चुम्मी लेने से थोडा शर्माइ और उठ खड़ी हुई फिर मै भी कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम मे चल गया ।



फ्रेश होकर मैने गीता बबिता के साथ नासता किया और फिर हम लोग ऐसे ही नाना के साथ बैठ कर थोडा मस्ती मजाक किये । रात हुई खाने के बाद मै गीता बबिता के साथ उनके कमरे मे चल गया ।

लेकिन जाने से पहले मामी को इशारे से रात के लिए आल द बेस्ट बोल दिया । वो भी मुस्कुरा कर आंखे दिखाने लगी। मै हसते हुए गीता बबिता के कमरे मे चला गया ।


जारी रहेगी

दोस्तो इस अपडेट के लिये स्पैशल gif और pics खोजे है जो कंटेंट से रिलेटेबल लग सके ।

अपडेट पसंद आये तो कृपया टिप्पणी जरुर करे मुझे भी लगेगा कि मेहनत सफल रही ।

धन्यवाद
Superb update tha dost.... humme to shadishuda beti Sonal ka intezar hai
 
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