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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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174
UPDATE 144

पिछले अपडेट के आपने पढा कि कैसे शालिनी ने बिस्तर पर जन्गीलाल से उसके दिल की बात निकलवा ली और उसे निशा को चोदने के लिए राजी भी कर लिया , देखते है आगे वो निशा को इस चीज़ के लिए कैसे बात करती है ।


लेखक की जुबानी


अगली सुबह निशा के घर मे रोज का रूटीन रहा , शालिनी नासता बना रही थी कि निशा नहा कर उसकी मदद के लिए किचन मे आती है ।

निशा इस समय एक टीशर्ट और प्लाजो के थी ।
शालिनी एक नजर उसे देखती है और मुस्कुराते हुए वाप्स काम मे लग जाती है ।

निशा को समझ नही आता है कि उसकी मा आखिर उसे देख कर मुस्कुराइ क्यू ?

निशा - मा आप मुस्कुरा क्यू रहे हो मुझे देख कर ,,मैने कपडे ठिक नही पहने क्या

शालिनी हाथ मे लिया बेलन से निशा के काले रंग के हल्के महीन सूत वाले पलाजो मे झलकती उसके गोरी गाड़ के उभार पर मारती हुई - ये क्या सुबह सुबह झलका रही है । तेरे पापा देख लिये तो ???

निशा समझ गयी कि उसके पलाजो का कपड़ा हल्का है और उसने पैंटी नही पहनी तो थोदा बहुत दिख रहा होगा । वो मुस्कुरा कर - अरे मा वो इस पलाजो का अस्तर खराब हो गया था तो कल काट कर निकाल दी हू हिहिहिही

शालिनी - तो जा बदल ले कुछ और पहन ,सब दिख रहा है

निशा हस कर - क्या मा आप भी , वैसे भी कौन निहारेगा । मै तो पुरा दिन घर मे हू हिहिहिही

शालिनी - अरे तो घर मे मर्द नही है क्या !!! तेरा भाई है और तेरे पापा ?

निशा मन मे - भाई ने तो सब देखा हुआ है ,,,हा पापा आजकल जरुर कुछ ज्यादा ही मेरे कूल्हो पर नजर रख रहे है हिहिही

निशा - ओहो तो क्या उससे ?

शालिनी - क्या हुआ की बच्ची ! तेरे पापा मुझे डांटते समझी

निशा को हसी आई और वो अपनी मा को छेड़ने के लिए- ऐसी बात है तो रुको मै खुद पापा से पुछ लेती हू कि उनको मेरे कपड़ो से क्या तकलिफ है ।

निशा किचन से बाहर निकाली और यहा शालिनी हड़बड़ा गयी कि एक तो पहले ही जन्गीलाल ने उसको निशा पर रोकटोक ना लगाने को कहा था और कल रात मे जो हुआ उसके हिसाब से उसे निशा को तो बिल्कुल भी नही रोकना चाहिए ।


मगर जबतक शालिनी उसे रोकती निशा पैर पटकते हुए अपने पापा के कमरे मे जा चुकी थी और वहा जन्गीलाल अपना कपड़ा पहन रहा था ।

तब तक शालिनी भी आ गयी और निशा के कुछ बोलने से पहले ही उसने उसे रोकना चाहा ।

निशा - पापा आपको मेरे कपडे खराब लगते है क्या ?

जंगीलाल को कुछ सम्झ नही आया और ऊसने निशा को उपर से निचे झाका तो पलाजो मे उसकी गोरी जान्घे झलकती दिखी और उसका लण्ड अकड गया - नही तो बेटा, मै कब कहा कुछ तुझे ।

निशा - तो देखो ना मा हमेशा आपका नाम लेके डराती है मुझे कि ये मत पहन वो मत पहन , तेरे पापा डाटेंगे

जंगीलाला शालिनी को आंख दिखाता हुआ इशारे मे पुछा कि ये सब क्या है ? क्यू कर रही है वो

शालिनी - अरे नही जी वो तो मै बस ऐसी ही बोली ,,,ये भी ना पागल है ।

जंगीलाल - ऐसे भी ना बोलो भई उसे । उसकी जो मर्जी पहने वो ।

जन्गीलाल निशा से - बेटा तेरी जो मरजी हो वो पहना कर ,,मै तो कहता हू कुछ ऐसा पहन कि तेरी मा को खुब जलन हो हिहिहिही

निशा भी खुश हुई कि उसके पापा ने उसका साथ दिया और वो अपनी मा को भौहे दिखा दिखा कर हसने लगी ।


निशा तुनक कर - हा और क्या ,,खुद तो साडी पहन कर रहती है तो इनको गर्मी मे प्रोब्लम नही होती है ,,लेकिन मुझे होती है ना

जन्गीलाल निशा के पास जाकर उसे अपने गले से लगा कर -तो तु भी पहन ले ना लाडो,, तेरे पापा की तो साड़ीयो की दुकान है तुझे कहा कुछ खोजने जाना है ।

निशा - हा लेकिन मुझे पहनाने कहा आता है और मम्मी मुझे सिखाती ही नही ।

जन्गीलाल - अरे तो क्या हुआ मै हू ना ,,मै तुझे पहनाना सिखा दूँगा

ये बोल कर जंगीलाल ने शालिनी को आंख मारा और इशारे ये कह दिया कि वो साडी वाले मामले से दुर ही रहेगी ।

शालिनी मुस्कुराने लगी और किचन मे चली गयी ।

जन्गीलाल - चल आज गर्मीयो पहनने वाली साड़ीया दिला दूंगा ,,तु अपने नाप के ब्लाउज बना लेना फिर मै तुझे पहनना सिखा दूँगा ??


निशा खुश हुइ और चहक कर अपने पापा के गले लगी रही ,,,उसके मन भी कुछ रोमांचक सा चल रहा था । क्योकि हाल के दिनो मे उसने भी अपने पापा की हरकतो और उनकी हवस भरी नजरो को ध्यान दिया था । वो जानती थी कि उसके पापा मौका पाकर उस्के साथ कुछ जरुर करेंगे । वो अनुभ्व की कल्पना से ही निशा की चुत गीली होने लगी थी ।


नासते के बाद निशा अपने पापा के पास गयी तो जन्गीलाल ने दो बढिया सिफान की हल्की साड़िया दी उसे ।

निशा - पापा इस्का ब्लाउज मै सोनल दीदी से बनवाउन्गी वो अच्छा सीलती है

जंगीलाल को लगा कि शायद ये आज ही हो जायेगा ,,मगर दो चार दिन की बात थी तो वो रुक गया ।

जन्गीलाल - कोई बात नही बेटा जब भी तेरा बन जाये मुझे बता देना

निशा खुश हुई और चहकते हाल चावल साफ करती हुई अपनी मा के सामने हसी मानो उसे जीत मिल गयी हो

शालिनी उसकी नादान भरी हरकतो और अपने पति की चालाकी पर हसी आ रही थी ।

शालिनी चावल साफ करते हुए - पापा की चमची ,,,ज्यदा दाँत ना दिखा ,,दाल चढा जल्दी से।

निशा - हा अभी आयी मा
उसके बाद निशा किचन के कामो मे व्यस्त हो गयी ।

रात मे कल की तरह आज भी जंगीलाल ने शालिनी के साथ निशा को चोदाने वाली बात चर्चा की और उसे अपनी योजना ब्तायी ।

शालिनी उसकी योजना सुन कर थोडा बहुत अपने पति को छेडा कि जलद ही उसे एक नयी चुत मिलेगी ।
फिर वो दोनो सो गये ।



राज की जुबानी


अग्ली सुबह मै उठा कर रोज की तरह नासता करके तैयार हुआ और दुकान चला गया ।


वैसे तो आज शॉपिंग के लिए जाना था लेकिन मा ने कहा कि शादियो का सीजन है तो दोपहर तक दुकान देख ले । फिर वही आजाना ।


मै दोपहर तक दुकान पर रहा और फिर सिधा सरोजा कॉम्प्लेक्स पहुचा

वहा पहुचकर मैने सोनल को कॉन्टैक्ट किया तो पता चला कि वो लोग उपर के फ्लोर पर है और अभी दुल्हे का ड्रेस देखा जा रहा है ।

मै वहा पहुचा और पहले अमन से मिला और फिर उसके मम्मी के पाव छुए ।
अमन की मा को देख कर किसी का लण्ड ना खड़ा हो वो मर्द कैसा । क्या बवाल चीज़ थी यार ,,, कहने को तो सूट सलवार मे थी लेकिन इतने भारी चुतड तो मेरी शिला बुआ के नही थे । वो जब माल मे टहलती तो मेरी नजरे बस उसकी थिरकती हुई चुतडो पर जमी हुई थी ।

खैर थोडे समय बाद दूल्हा दुल्हन का ड्रेस ले लिया गया।
फिर मै राहुल अमन और अनुज जेन्स वाले सेकसन मे गये और वहा कपड़ो की शॉपिंग करने लगे ।

इधर सोनल, निशा को कुछ अच्छा सा ड्रेस दिलाने लगी । वही मा और चाची , ममता को लिवा कर साड़ियो वाले डिपार्टमेंट मे ले गये ।



लेखक की जुबानी

रागिनी - अरे समधन जी आईये तो ,, आप एक बार ट्राई करिये यहा बहुत अच्छी साड़िया मिलती है

ममता - नही नही समधन जी जिद ना करिये ,,मै सूट ही पहनूंगी

रागिनी - देखीये अगर आप बिना साडी पहने बारात लेके आयी तो , मै मेरी बेटी को विदा नही करूंगी

ममता हस कर - ओह्हो आप समझ क्यू नही रही है ,,मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है साड़ी मे

शालिनी - क्या जीजी झूठ क्यू बोलती है ,, सगाई वाले दिन कितना खिल रही थी आप ।भाइसाहब(मुरारीलाल) तो नजर ही नही हटा पा रहे थे हिहिहिही

ममता शर्म से लाल होकर मन मे ( अरे सिर्फ वही देखे तो बात अलग थी ना ,,बाकी के मेहमानो ने भी तो मजे ले लिये उस्का क्या )

ममता - धत्त आप भी ना छोटी समधन जी हिहिही वो बात ऐसी है कि मै मेरे ब्लाउज पेतिकोट पड़ोस की एक बहू है उसे ही सिल्वाती हू । इस समय वो पेट से है और ब्लाउज तैयार नही हो पायेगा ना ।

रागिनी हस कर - धत्त बस इतनी सी बात , अरे आपकी बहू को सारे गुण आते है ।

शालिनी - हा तब क्या ? सोनल को सीलना आता है जीजी ,,आप उसी से सीलवा लो ना

ममता - अरे नही नही,,अभी से बहू को परेशान करू अच्छा नही लगता

रागिनी - मै कुछ नही जानती आप साडी पसंद करिये और आज शाम को सोनल के पापा दुकान से आते वक़्त आपके यहा चले जायेंगे । आप उन्हे अपना कोई ब्लाउज दे देना और नये वाले पीस भी


ममता हिचक कर - लेकिन समधि जी आयेंगे लेने ??

रागिनी हस कर - अरे आपके समधि जी ब्लाउज लेने आ रहे है उसके अंदर का खजाना नही ।

ममता हस कर शर्म से लाल हो गयी - धत्त आप भी ना । कैसी बाते कर रही है हिहिही

शालिनी - चलिये जीजी अब तो पसंद कर लिजिए साडी

ममता हस कर - अच्छा ठिक है चलिये


फिर दोनो ने ममता के लिए साड़िया पसन्द की और इस दौरान रागिनी ममता को किसी ना किसी बहाने छेड़ती रही और हसी मजाक करती रही । ताकी उसकी झिझक शादी तक कम हो जाये और उनकी रिश्ते मे थोडी मज्बुती भी आ जाये ।


थोडी देर बाद सारे लोग एकजुट हुए और अनुज को उसका नया लैपटॉप मिल गया था । वो भी काफी खुश था ।

बिलिन्ग के बाद सारे लोग अपने अपने घर चले गये ।

इधर चौराहे वाले घर पहुच कर रागिनी ने रन्गीलाल को कहा कि आते वक़्त समधन से उनका ब्लाऊज लेते आना ।

इस बात पर रन्गीलाल की आंखे चमक गयी और लण्ड फैल गया ।

इसी वजह से आज वो जल्दी ही दुकान से शाम को करीब 6 बजे ही निकल गया । फिर उसने एक किलो मिठाई ली और चल दिया अमन के घर की ओर


गेट खोलकर वो घर मे दाखिल हुआ तो अमन कही बाहर जा रहा है । उसने रंगीलाल को प्रणाम किया और थोडी देर मे आने का बोल कर निकल गया ।


रंगीलाल अन्दर हाल मे गया और आवाज दी - भाईसाहब कहा है ??

तभी ममता सूट सलवार पर दुपट्टा चढ़ाते हुए अपने कमरे से आई - अरे आप आ गये ,,,नमस्कार बैठीये , खड़े क्यू है ?

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - अरे ठिक है भाभी , और बताईये क्या हाल चाल है ?

ममता - जी सब ठिक है

रंगीलाल - वो सोनल की मा कह रही थी कि आपसे आपका ब्लाउज लेना है मुझे

रंगीलाल ने सीधे शब्दो मे बडी बेशरमी से ब्लाउज माग लिया जिससे ममता थोडी सी झेप सी गयी - अ ब ब हा वो बात हुई थी आज हमारी

रंगीलाल - अच्छा फिर लाईये

ममता - अरे आप बैठीये मै कुछ नासता लाती हू ,फिर

रंगीलाल ममता के पेट पर पसीने से भीग कर चिपके हुए सूट को निहारता हुआ - अरे नही भाभी जी वो गर्मी इतनी है कि कुछ खाने की इच्छा नही है । आप परेशान ना होईये

ममता - अच्छा ठिक है रुकिये मै वो कपड़ा लाती हू

रंगीलाल मुस्कुरा कर - जी जरुर

फिर ममता वाप्स कमरे की ओर घूमी , उसके कमर पर भी सूट पसीने से चिपक गया था और कुल्हे ही मादक थिरकन ने रंगीलाल को लण्ड मसलने पर मज्बुर कर ही दिया ।

थोडे समय बाद ममता एक कपडे का झोला लेके आयी और हाथ मे उसके एक अस्तरदार ब्लाउज लटक रहा था ।

ममता रंगीलाल के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी । ब्लाउज का पीस और अपना एक ब्लाउज सिला हुआ उसे पकड़ाकर - लिजिए भाईसाहब और बहू से कहियेगा कि बाजू थोडा लम्बा वाला ही बनाये ।


रंगीलाल ने एक बार ममता के सामने उसका ब्लाऊज फैलाया और उसके बड़े बड़े गहरे कप देख कर उसको थुक गटकने की नौबत आ गयी थी ।

ममता को थोडा अटपटा महसूस हो रहा था कि उसका समधि उसके ब्लाउज को हाथ मे लेके उसे जाच परख रहा है

रंगीलाल उस ब्लाऊज को भी झोले मे रखता हुआ - भाभी जी एक बात कहू ,, अगर बुरा लगे तो माफ करियेगा

ममता मुस्कुरा कर - अरे भाईसाहब आप भी ना ,,कहिये क्या बात है ।

रंगीलाल - आप इस गर्मी मे पूरी बाह का ब्लाऊज बनवाने को कह रही है ???

ममता - हा लेकिन मुझे सूट पहनने की आदत है ना तो ब्लाउज पूरी बाह की ही बनवाति हू ।

रंगीलाल - लेकिन आप एक बार वैसे भी ट्राई करिये वो भी अच्छा दिखेगा

ममता को रन्गीलाल से ऐसी बात करने मे झिझक और लाज आ रही थी इसिलिए वो बात को खतम करने के लिए- अच्छा ठिक है आप बहू से कह दीजियेगा कि जैसा उसे पसंद हो वो सील दे । मै ऐतराज नही करूंगी


रंगीलाल खुश हुआ और मन ही मन उसने तय किया कि वो सोनल को ऐसा कुछ डिजाइन बतायेगा कि ममता की जवानी खुल कर सामने आयेगी और वो उसके मजे ले सकेगा ।

थोडी देर बाद रंगीलाल वहा से भी निकल गया
और अपने घर जाकर उसने रागिनी को बताया कि ममता ने कहा है कि ब्लाऊज डीप गले मे और स्लिवलेस मे सीलना ।


रागिनी हस कर - ये समधन जी का भी कुछ समझ नही आता ,,,अभी आज माल मे साडी लेने से मना कर रही थी और अब एकदम से मॉडर्न लूक चाहिये हिहिहिही

रन्गीलाल हस कर - अरे कोई बात नही ,,,उनकी इच्छा है सीलवाने दो , तुम बताओ तुम कैसा डिजाइन बनवा रही हो

रंगीलाल ने रागिनी के कुल्हो को सहला कर कहा ।
रागिनी उसे झटक कर - धत्त क्या जी आप भी ,, सोनल किचन मे ही है ।


रंगीलाल ने एक नजर किचन मे सोनल को काम करते देखा तो शांत हो गया ।


इधर अनुज उपर अपने कमरे मे आज जब से माल से आया था लैपटॉप मे व्यस्त था ।
उसने दो बार फुल एचडी क्वालिटी मे पोर्न देख कर हिलाया और सो गया था ।
आज का दिन भी रोज की तरह दोनो परिवारो मे बीत गया ।



________********_______*********___________******

अगले दो तीन दिनो तक सब वैसे ही चलता रहा ।
जन्गीलाल बहाने बहाने से निशा के पास जाता और उसे थोडा दुलार देता , उसके कपड़ो के उपर से ही उसे अपनी नजरो मे नंगा कर लेता । निशा भी सब समझ रही थी लेकिन उसने कभी इस बात पर कोई खास ध्यान नही दिया ।

इधर सोनल के शादी के कार्ड छप कर आ चुके थे और उसे बाटने की तैयारिया शुरु होने वाली थी । वही सोनल ने निशा के ब्लाउज तैयार कर दिये थे ।


राज की जुबानी

शाम को रोज की तरह दुकां बंद करके मै घर आया था और शादियो की चर्चा ही जारी थी ।
कार्ड पर नाम लिखे जा रहे थे कि कैसे किसको कहा बाटना है । खैर कार्ड बाटने की जिम्मेदारि मेरी थी ।

मा - देख ये पहला कार्ड तो तेरे नाना के यहा जायेगा ,,फिर वहा दो एक दिन रुक कर तु रज्जो दीदी के यहा चला जाना ।

मै - और बुआ के यहा

मा - फिर वहा से शिला जीजी के यहा चला जाना और वहा भी एक दो दिन रुक लेना जैसी तेरी मर्जी

मै - हा मा बुआ के यहा गये काफी समय हो गया है , मै तो वहा रुकुंगा ही

मा - हा लेकिन रह मत जाना वही ,, यहा और भी काम रहेंगे ,,फिर गाव मे , फिर यहा टाउन मे भी सबको कार्ड देना है ।

मै - अरे मा आप टेन्सन ना लो ,, आप मेरा बैग पैक करवा दो कल सुबह ही मै निकल जाऊंगा मामा के यहा

मा - हा ठिक है


फिर ऐसे ही थोडी चर्चाये बढी और मै खा पीकर अपना बैग तैयार करने मा के साथ कमरे मे चला गया


जारी रहेगी
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Mast update tha dost... waiting more....

waiting for update !

बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
शालिनी भी निशा को अपने पति से चुदवाने की कोशिश कर रही है देखते हैं आगे क्या होता है

superb update waiting for next

Romanchak update. Pratiksha agle rasprad update ki

Jaisa socha tha ekdum vaisa hi nikla update shalini hi un dono ke beech madhyastha ka kaam karegi ekdum aag ki Tarah tha update shayad agle 2 update me jangilal apni beti ko chod de

Maja aa gaya bhai, Jangilal Nisha ko chodna chahta hai aur Shalini bhi apni beti ko uske baap se chudane ko taiyyar hai.

Zabardast and super erotic update waiting for next update

Waiting for next update

Shuru se le kar abhi tak bahut hi shandar bhai .

Saali pakki raand hai abhi toh apne devar aur bhai se bhi chudegi phir iska damad bhi thokega, saali sadakchhaap randi hai....
Update 144 पोस्ट कर दिया है

आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
 

Rinkp219

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UPDATE 144

पिछले अपडेट के आपने पढा कि कैसे शालिनी ने बिस्तर पर जन्गीलाल से उसके दिल की बात निकलवा ली और उसे निशा को चोदने के लिए राजी भी कर लिया , देखते है आगे वो निशा को इस चीज़ के लिए कैसे बात करती है ।


लेखक की जुबानी


अगली सुबह निशा के घर मे रोज का रूटीन रहा , शालिनी नासता बना रही थी कि निशा नहा कर उसकी मदद के लिए किचन मे आती है ।

निशा इस समय एक टीशर्ट और प्लाजो के थी ।
शालिनी एक नजर उसे देखती है और मुस्कुराते हुए वाप्स काम मे लग जाती है ।

निशा को समझ नही आता है कि उसकी मा आखिर उसे देख कर मुस्कुराइ क्यू ?

निशा - मा आप मुस्कुरा क्यू रहे हो मुझे देख कर ,,मैने कपडे ठिक नही पहने क्या

शालिनी हाथ मे लिया बेलन से निशा के काले रंग के हल्के महीन सूत वाले पलाजो मे झलकती उसके गोरी गाड़ के उभार पर मारती हुई - ये क्या सुबह सुबह झलका रही है । तेरे पापा देख लिये तो ???

निशा समझ गयी कि उसके पलाजो का कपड़ा हल्का है और उसने पैंटी नही पहनी तो थोदा बहुत दिख रहा होगा । वो मुस्कुरा कर - अरे मा वो इस पलाजो का अस्तर खराब हो गया था तो कल काट कर निकाल दी हू हिहिहिही

शालिनी - तो जा बदल ले कुछ और पहन ,सब दिख रहा है

निशा हस कर - क्या मा आप भी , वैसे भी कौन निहारेगा । मै तो पुरा दिन घर मे हू हिहिहिही

शालिनी - अरे तो घर मे मर्द नही है क्या !!! तेरा भाई है और तेरे पापा ?

निशा मन मे - भाई ने तो सब देखा हुआ है ,,,हा पापा आजकल जरुर कुछ ज्यादा ही मेरे कूल्हो पर नजर रख रहे है हिहिही

निशा - ओहो तो क्या उससे ?

शालिनी - क्या हुआ की बच्ची ! तेरे पापा मुझे डांटते समझी

निशा को हसी आई और वो अपनी मा को छेड़ने के लिए- ऐसी बात है तो रुको मै खुद पापा से पुछ लेती हू कि उनको मेरे कपड़ो से क्या तकलिफ है ।

निशा किचन से बाहर निकाली और यहा शालिनी हड़बड़ा गयी कि एक तो पहले ही जन्गीलाल ने उसको निशा पर रोकटोक ना लगाने को कहा था और कल रात मे जो हुआ उसके हिसाब से उसे निशा को तो बिल्कुल भी नही रोकना चाहिए ।


मगर जबतक शालिनी उसे रोकती निशा पैर पटकते हुए अपने पापा के कमरे मे जा चुकी थी और वहा जन्गीलाल अपना कपड़ा पहन रहा था ।

तब तक शालिनी भी आ गयी और निशा के कुछ बोलने से पहले ही उसने उसे रोकना चाहा ।

निशा - पापा आपको मेरे कपडे खराब लगते है क्या ?

जंगीलाल को कुछ सम्झ नही आया और ऊसने निशा को उपर से निचे झाका तो पलाजो मे उसकी गोरी जान्घे झलकती दिखी और उसका लण्ड अकड गया - नही तो बेटा, मै कब कहा कुछ तुझे ।

निशा - तो देखो ना मा हमेशा आपका नाम लेके डराती है मुझे कि ये मत पहन वो मत पहन , तेरे पापा डाटेंगे

जंगीलाला शालिनी को आंख दिखाता हुआ इशारे मे पुछा कि ये सब क्या है ? क्यू कर रही है वो

शालिनी - अरे नही जी वो तो मै बस ऐसी ही बोली ,,,ये भी ना पागल है ।

जंगीलाल - ऐसे भी ना बोलो भई उसे । उसकी जो मर्जी पहने वो ।

जन्गीलाल निशा से - बेटा तेरी जो मरजी हो वो पहना कर ,,मै तो कहता हू कुछ ऐसा पहन कि तेरी मा को खुब जलन हो हिहिहिही

निशा भी खुश हुई कि उसके पापा ने उसका साथ दिया और वो अपनी मा को भौहे दिखा दिखा कर हसने लगी ।


निशा तुनक कर - हा और क्या ,,खुद तो साडी पहन कर रहती है तो इनको गर्मी मे प्रोब्लम नही होती है ,,लेकिन मुझे होती है ना

जन्गीलाल निशा के पास जाकर उसे अपने गले से लगा कर -तो तु भी पहन ले ना लाडो,, तेरे पापा की तो साड़ीयो की दुकान है तुझे कहा कुछ खोजने जाना है ।

निशा - हा लेकिन मुझे पहनाने कहा आता है और मम्मी मुझे सिखाती ही नही ।

जन्गीलाल - अरे तो क्या हुआ मै हू ना ,,मै तुझे पहनाना सिखा दूँगा

ये बोल कर जंगीलाल ने शालिनी को आंख मारा और इशारे ये कह दिया कि वो साडी वाले मामले से दुर ही रहेगी ।

शालिनी मुस्कुराने लगी और किचन मे चली गयी ।

जन्गीलाल - चल आज गर्मीयो पहनने वाली साड़ीया दिला दूंगा ,,तु अपने नाप के ब्लाउज बना लेना फिर मै तुझे पहनना सिखा दूँगा ??


निशा खुश हुइ और चहक कर अपने पापा के गले लगी रही ,,,उसके मन भी कुछ रोमांचक सा चल रहा था । क्योकि हाल के दिनो मे उसने भी अपने पापा की हरकतो और उनकी हवस भरी नजरो को ध्यान दिया था । वो जानती थी कि उसके पापा मौका पाकर उस्के साथ कुछ जरुर करेंगे । वो अनुभ्व की कल्पना से ही निशा की चुत गीली होने लगी थी ।


नासते के बाद निशा अपने पापा के पास गयी तो जन्गीलाल ने दो बढिया सिफान की हल्की साड़िया दी उसे ।

निशा - पापा इस्का ब्लाउज मै सोनल दीदी से बनवाउन्गी वो अच्छा सीलती है

जंगीलाल को लगा कि शायद ये आज ही हो जायेगा ,,मगर दो चार दिन की बात थी तो वो रुक गया ।

जन्गीलाल - कोई बात नही बेटा जब भी तेरा बन जाये मुझे बता देना

निशा खुश हुई और चहकते हाल चावल साफ करती हुई अपनी मा के सामने हसी मानो उसे जीत मिल गयी हो

शालिनी उसकी नादान भरी हरकतो और अपने पति की चालाकी पर हसी आ रही थी ।

शालिनी चावल साफ करते हुए - पापा की चमची ,,,ज्यदा दाँत ना दिखा ,,दाल चढा जल्दी से।

निशा - हा अभी आयी मा
उसके बाद निशा किचन के कामो मे व्यस्त हो गयी ।

रात मे कल की तरह आज भी जंगीलाल ने शालिनी के साथ निशा को चोदाने वाली बात चर्चा की और उसे अपनी योजना ब्तायी ।

शालिनी उसकी योजना सुन कर थोडा बहुत अपने पति को छेडा कि जलद ही उसे एक नयी चुत मिलेगी ।
फिर वो दोनो सो गये ।



राज की जुबानी


अग्ली सुबह मै उठा कर रोज की तरह नासता करके तैयार हुआ और दुकान चला गया ।


वैसे तो आज शॉपिंग के लिए जाना था लेकिन मा ने कहा कि शादियो का सीजन है तो दोपहर तक दुकान देख ले । फिर वही आजाना ।


मै दोपहर तक दुकान पर रहा और फिर सिधा सरोजा कॉम्प्लेक्स पहुचा

वहा पहुचकर मैने सोनल को कॉन्टैक्ट किया तो पता चला कि वो लोग उपर के फ्लोर पर है और अभी दुल्हे का ड्रेस देखा जा रहा है ।

मै वहा पहुचा और पहले अमन से मिला और फिर उसके मम्मी के पाव छुए ।
अमन की मा को देख कर किसी का लण्ड ना खड़ा हो वो मर्द कैसा । क्या बवाल चीज़ थी यार ,,, कहने को तो सूट सलवार मे थी लेकिन इतने भारी चुतड तो मेरी शिला बुआ के नही थे । वो जब माल मे टहलती तो मेरी नजरे बस उसकी थिरकती हुई चुतडो पर जमी हुई थी ।

खैर थोडे समय बाद दूल्हा दुल्हन का ड्रेस ले लिया गया।
फिर मै राहुल अमन और अनुज जेन्स वाले सेकसन मे गये और वहा कपड़ो की शॉपिंग करने लगे ।

इधर सोनल, निशा को कुछ अच्छा सा ड्रेस दिलाने लगी । वही मा और चाची , ममता को लिवा कर साड़ियो वाले डिपार्टमेंट मे ले गये ।



लेखक की जुबानी

रागिनी - अरे समधन जी आईये तो ,, आप एक बार ट्राई करिये यहा बहुत अच्छी साड़िया मिलती है

ममता - नही नही समधन जी जिद ना करिये ,,मै सूट ही पहनूंगी

रागिनी - देखीये अगर आप बिना साडी पहने बारात लेके आयी तो , मै मेरी बेटी को विदा नही करूंगी

ममता हस कर - ओह्हो आप समझ क्यू नही रही है ,,मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है साड़ी मे

शालिनी - क्या जीजी झूठ क्यू बोलती है ,, सगाई वाले दिन कितना खिल रही थी आप ।भाइसाहब(मुरारीलाल) तो नजर ही नही हटा पा रहे थे हिहिहिही

ममता शर्म से लाल होकर मन मे ( अरे सिर्फ वही देखे तो बात अलग थी ना ,,बाकी के मेहमानो ने भी तो मजे ले लिये उस्का क्या )

ममता - धत्त आप भी ना छोटी समधन जी हिहिही वो बात ऐसी है कि मै मेरे ब्लाउज पेतिकोट पड़ोस की एक बहू है उसे ही सिल्वाती हू । इस समय वो पेट से है और ब्लाउज तैयार नही हो पायेगा ना ।

रागिनी हस कर - धत्त बस इतनी सी बात , अरे आपकी बहू को सारे गुण आते है ।

शालिनी - हा तब क्या ? सोनल को सीलना आता है जीजी ,,आप उसी से सीलवा लो ना

ममता - अरे नही नही,,अभी से बहू को परेशान करू अच्छा नही लगता

रागिनी - मै कुछ नही जानती आप साडी पसंद करिये और आज शाम को सोनल के पापा दुकान से आते वक़्त आपके यहा चले जायेंगे । आप उन्हे अपना कोई ब्लाउज दे देना और नये वाले पीस भी


ममता हिचक कर - लेकिन समधि जी आयेंगे लेने ??

रागिनी हस कर - अरे आपके समधि जी ब्लाउज लेने आ रहे है उसके अंदर का खजाना नही ।

ममता हस कर शर्म से लाल हो गयी - धत्त आप भी ना । कैसी बाते कर रही है हिहिही

शालिनी - चलिये जीजी अब तो पसंद कर लिजिए साडी

ममता हस कर - अच्छा ठिक है चलिये


फिर दोनो ने ममता के लिए साड़िया पसन्द की और इस दौरान रागिनी ममता को किसी ना किसी बहाने छेड़ती रही और हसी मजाक करती रही । ताकी उसकी झिझक शादी तक कम हो जाये और उनकी रिश्ते मे थोडी मज्बुती भी आ जाये ।


थोडी देर बाद सारे लोग एकजुट हुए और अनुज को उसका नया लैपटॉप मिल गया था । वो भी काफी खुश था ।

बिलिन्ग के बाद सारे लोग अपने अपने घर चले गये ।

इधर चौराहे वाले घर पहुच कर रागिनी ने रन्गीलाल को कहा कि आते वक़्त समधन से उनका ब्लाऊज लेते आना ।

इस बात पर रन्गीलाल की आंखे चमक गयी और लण्ड फैल गया ।

इसी वजह से आज वो जल्दी ही दुकान से शाम को करीब 6 बजे ही निकल गया । फिर उसने एक किलो मिठाई ली और चल दिया अमन के घर की ओर


गेट खोलकर वो घर मे दाखिल हुआ तो अमन कही बाहर जा रहा है । उसने रंगीलाल को प्रणाम किया और थोडी देर मे आने का बोल कर निकल गया ।


रंगीलाल अन्दर हाल मे गया और आवाज दी - भाईसाहब कहा है ??

तभी ममता सूट सलवार पर दुपट्टा चढ़ाते हुए अपने कमरे से आई - अरे आप आ गये ,,,नमस्कार बैठीये , खड़े क्यू है ?

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - अरे ठिक है भाभी , और बताईये क्या हाल चाल है ?

ममता - जी सब ठिक है

रंगीलाल - वो सोनल की मा कह रही थी कि आपसे आपका ब्लाउज लेना है मुझे

रंगीलाल ने सीधे शब्दो मे बडी बेशरमी से ब्लाउज माग लिया जिससे ममता थोडी सी झेप सी गयी - अ ब ब हा वो बात हुई थी आज हमारी

रंगीलाल - अच्छा फिर लाईये

ममता - अरे आप बैठीये मै कुछ नासता लाती हू ,फिर

रंगीलाल ममता के पेट पर पसीने से भीग कर चिपके हुए सूट को निहारता हुआ - अरे नही भाभी जी वो गर्मी इतनी है कि कुछ खाने की इच्छा नही है । आप परेशान ना होईये

ममता - अच्छा ठिक है रुकिये मै वो कपड़ा लाती हू

रंगीलाल मुस्कुरा कर - जी जरुर

फिर ममता वाप्स कमरे की ओर घूमी , उसके कमर पर भी सूट पसीने से चिपक गया था और कुल्हे ही मादक थिरकन ने रंगीलाल को लण्ड मसलने पर मज्बुर कर ही दिया ।

थोडे समय बाद ममता एक कपडे का झोला लेके आयी और हाथ मे उसके एक अस्तरदार ब्लाउज लटक रहा था ।

ममता रंगीलाल के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी । ब्लाउज का पीस और अपना एक ब्लाउज सिला हुआ उसे पकड़ाकर - लिजिए भाईसाहब और बहू से कहियेगा कि बाजू थोडा लम्बा वाला ही बनाये ।


रंगीलाल ने एक बार ममता के सामने उसका ब्लाऊज फैलाया और उसके बड़े बड़े गहरे कप देख कर उसको थुक गटकने की नौबत आ गयी थी ।

ममता को थोडा अटपटा महसूस हो रहा था कि उसका समधि उसके ब्लाउज को हाथ मे लेके उसे जाच परख रहा है

रंगीलाल उस ब्लाऊज को भी झोले मे रखता हुआ - भाभी जी एक बात कहू ,, अगर बुरा लगे तो माफ करियेगा

ममता मुस्कुरा कर - अरे भाईसाहब आप भी ना ,,कहिये क्या बात है ।

रंगीलाल - आप इस गर्मी मे पूरी बाह का ब्लाऊज बनवाने को कह रही है ???

ममता - हा लेकिन मुझे सूट पहनने की आदत है ना तो ब्लाउज पूरी बाह की ही बनवाति हू ।

रंगीलाल - लेकिन आप एक बार वैसे भी ट्राई करिये वो भी अच्छा दिखेगा

ममता को रन्गीलाल से ऐसी बात करने मे झिझक और लाज आ रही थी इसिलिए वो बात को खतम करने के लिए- अच्छा ठिक है आप बहू से कह दीजियेगा कि जैसा उसे पसंद हो वो सील दे । मै ऐतराज नही करूंगी


रंगीलाल खुश हुआ और मन ही मन उसने तय किया कि वो सोनल को ऐसा कुछ डिजाइन बतायेगा कि ममता की जवानी खुल कर सामने आयेगी और वो उसके मजे ले सकेगा ।

थोडी देर बाद रंगीलाल वहा से भी निकल गया
और अपने घर जाकर उसने रागिनी को बताया कि ममता ने कहा है कि ब्लाऊज डीप गले मे और स्लिवलेस मे सीलना ।


रागिनी हस कर - ये समधन जी का भी कुछ समझ नही आता ,,,अभी आज माल मे साडी लेने से मना कर रही थी और अब एकदम से मॉडर्न लूक चाहिये हिहिहिही

रन्गीलाल हस कर - अरे कोई बात नही ,,,उनकी इच्छा है सीलवाने दो , तुम बताओ तुम कैसा डिजाइन बनवा रही हो

रंगीलाल ने रागिनी के कुल्हो को सहला कर कहा ।
रागिनी उसे झटक कर - धत्त क्या जी आप भी ,, सोनल किचन मे ही है ।


रंगीलाल ने एक नजर किचन मे सोनल को काम करते देखा तो शांत हो गया ।


इधर अनुज उपर अपने कमरे मे आज जब से माल से आया था लैपटॉप मे व्यस्त था ।
उसने दो बार फुल एचडी क्वालिटी मे पोर्न देख कर हिलाया और सो गया था ।
आज का दिन भी रोज की तरह दोनो परिवारो मे बीत गया ।



________********_______*********___________******

अगले दो तीन दिनो तक सब वैसे ही चलता रहा ।
जन्गीलाल बहाने बहाने से निशा के पास जाता और उसे थोडा दुलार देता , उसके कपड़ो के उपर से ही उसे अपनी नजरो मे नंगा कर लेता । निशा भी सब समझ रही थी लेकिन उसने कभी इस बात पर कोई खास ध्यान नही दिया ।

इधर सोनल के शादी के कार्ड छप कर आ चुके थे और उसे बाटने की तैयारिया शुरु होने वाली थी । वही सोनल ने निशा के ब्लाउज तैयार कर दिये थे ।


राज की जुबानी

शाम को रोज की तरह दुकां बंद करके मै घर आया था और शादियो की चर्चा ही जारी थी ।
कार्ड पर नाम लिखे जा रहे थे कि कैसे किसको कहा बाटना है । खैर कार्ड बाटने की जिम्मेदारि मेरी थी ।

मा - देख ये पहला कार्ड तो तेरे नाना के यहा जायेगा ,,फिर वहा दो एक दिन रुक कर तु रज्जो दीदी के यहा चला जाना ।

मै - और बुआ के यहा

मा - फिर वहा से शिला जीजी के यहा चला जाना और वहा भी एक दो दिन रुक लेना जैसी तेरी मर्जी

मै - हा मा बुआ के यहा गये काफी समय हो गया है , मै तो वहा रुकुंगा ही

मा - हा लेकिन रह मत जाना वही ,, यहा और भी काम रहेंगे ,,फिर गाव मे , फिर यहा टाउन मे भी सबको कार्ड देना है ।

मै - अरे मा आप टेन्सन ना लो ,, आप मेरा बैग पैक करवा दो कल सुबह ही मै निकल जाऊंगा मामा के यहा

मा - हा ठिक है


फिर ऐसे ही थोडी चर्चाये बढी और मै खा पीकर अपना बैग तैयार करने मा के साथ कमरे मे चला गया


जारी रहेगी
Superb... waiting more sonal
 

TharkiPo

Dramatic Entrance
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144
UPDATE 144

पिछले अपडेट के आपने पढा कि कैसे शालिनी ने बिस्तर पर जन्गीलाल से उसके दिल की बात निकलवा ली और उसे निशा को चोदने के लिए राजी भी कर लिया , देखते है आगे वो निशा को इस चीज़ के लिए कैसे बात करती है ।


लेखक की जुबानी


अगली सुबह निशा के घर मे रोज का रूटीन रहा , शालिनी नासता बना रही थी कि निशा नहा कर उसकी मदद के लिए किचन मे आती है ।

निशा इस समय एक टीशर्ट और प्लाजो के थी ।
शालिनी एक नजर उसे देखती है और मुस्कुराते हुए वाप्स काम मे लग जाती है ।

निशा को समझ नही आता है कि उसकी मा आखिर उसे देख कर मुस्कुराइ क्यू ?

निशा - मा आप मुस्कुरा क्यू रहे हो मुझे देख कर ,,मैने कपडे ठिक नही पहने क्या

शालिनी हाथ मे लिया बेलन से निशा के काले रंग के हल्के महीन सूत वाले पलाजो मे झलकती उसके गोरी गाड़ के उभार पर मारती हुई - ये क्या सुबह सुबह झलका रही है । तेरे पापा देख लिये तो ???

निशा समझ गयी कि उसके पलाजो का कपड़ा हल्का है और उसने पैंटी नही पहनी तो थोदा बहुत दिख रहा होगा । वो मुस्कुरा कर - अरे मा वो इस पलाजो का अस्तर खराब हो गया था तो कल काट कर निकाल दी हू हिहिहिही

शालिनी - तो जा बदल ले कुछ और पहन ,सब दिख रहा है

निशा हस कर - क्या मा आप भी , वैसे भी कौन निहारेगा । मै तो पुरा दिन घर मे हू हिहिहिही

शालिनी - अरे तो घर मे मर्द नही है क्या !!! तेरा भाई है और तेरे पापा ?

निशा मन मे - भाई ने तो सब देखा हुआ है ,,,हा पापा आजकल जरुर कुछ ज्यादा ही मेरे कूल्हो पर नजर रख रहे है हिहिही

निशा - ओहो तो क्या उससे ?

शालिनी - क्या हुआ की बच्ची ! तेरे पापा मुझे डांटते समझी

निशा को हसी आई और वो अपनी मा को छेड़ने के लिए- ऐसी बात है तो रुको मै खुद पापा से पुछ लेती हू कि उनको मेरे कपड़ो से क्या तकलिफ है ।

निशा किचन से बाहर निकाली और यहा शालिनी हड़बड़ा गयी कि एक तो पहले ही जन्गीलाल ने उसको निशा पर रोकटोक ना लगाने को कहा था और कल रात मे जो हुआ उसके हिसाब से उसे निशा को तो बिल्कुल भी नही रोकना चाहिए ।


मगर जबतक शालिनी उसे रोकती निशा पैर पटकते हुए अपने पापा के कमरे मे जा चुकी थी और वहा जन्गीलाल अपना कपड़ा पहन रहा था ।

तब तक शालिनी भी आ गयी और निशा के कुछ बोलने से पहले ही उसने उसे रोकना चाहा ।

निशा - पापा आपको मेरे कपडे खराब लगते है क्या ?

जंगीलाल को कुछ सम्झ नही आया और ऊसने निशा को उपर से निचे झाका तो पलाजो मे उसकी गोरी जान्घे झलकती दिखी और उसका लण्ड अकड गया - नही तो बेटा, मै कब कहा कुछ तुझे ।

निशा - तो देखो ना मा हमेशा आपका नाम लेके डराती है मुझे कि ये मत पहन वो मत पहन , तेरे पापा डाटेंगे

जंगीलाला शालिनी को आंख दिखाता हुआ इशारे मे पुछा कि ये सब क्या है ? क्यू कर रही है वो

शालिनी - अरे नही जी वो तो मै बस ऐसी ही बोली ,,,ये भी ना पागल है ।

जंगीलाल - ऐसे भी ना बोलो भई उसे । उसकी जो मर्जी पहने वो ।

जन्गीलाल निशा से - बेटा तेरी जो मरजी हो वो पहना कर ,,मै तो कहता हू कुछ ऐसा पहन कि तेरी मा को खुब जलन हो हिहिहिही

निशा भी खुश हुई कि उसके पापा ने उसका साथ दिया और वो अपनी मा को भौहे दिखा दिखा कर हसने लगी ।


निशा तुनक कर - हा और क्या ,,खुद तो साडी पहन कर रहती है तो इनको गर्मी मे प्रोब्लम नही होती है ,,लेकिन मुझे होती है ना

जन्गीलाल निशा के पास जाकर उसे अपने गले से लगा कर -तो तु भी पहन ले ना लाडो,, तेरे पापा की तो साड़ीयो की दुकान है तुझे कहा कुछ खोजने जाना है ।

निशा - हा लेकिन मुझे पहनाने कहा आता है और मम्मी मुझे सिखाती ही नही ।

जन्गीलाल - अरे तो क्या हुआ मै हू ना ,,मै तुझे पहनाना सिखा दूँगा

ये बोल कर जंगीलाल ने शालिनी को आंख मारा और इशारे ये कह दिया कि वो साडी वाले मामले से दुर ही रहेगी ।

शालिनी मुस्कुराने लगी और किचन मे चली गयी ।

जन्गीलाल - चल आज गर्मीयो पहनने वाली साड़ीया दिला दूंगा ,,तु अपने नाप के ब्लाउज बना लेना फिर मै तुझे पहनना सिखा दूँगा ??


निशा खुश हुइ और चहक कर अपने पापा के गले लगी रही ,,,उसके मन भी कुछ रोमांचक सा चल रहा था । क्योकि हाल के दिनो मे उसने भी अपने पापा की हरकतो और उनकी हवस भरी नजरो को ध्यान दिया था । वो जानती थी कि उसके पापा मौका पाकर उस्के साथ कुछ जरुर करेंगे । वो अनुभ्व की कल्पना से ही निशा की चुत गीली होने लगी थी ।


नासते के बाद निशा अपने पापा के पास गयी तो जन्गीलाल ने दो बढिया सिफान की हल्की साड़िया दी उसे ।

निशा - पापा इस्का ब्लाउज मै सोनल दीदी से बनवाउन्गी वो अच्छा सीलती है

जंगीलाल को लगा कि शायद ये आज ही हो जायेगा ,,मगर दो चार दिन की बात थी तो वो रुक गया ।

जन्गीलाल - कोई बात नही बेटा जब भी तेरा बन जाये मुझे बता देना

निशा खुश हुई और चहकते हाल चावल साफ करती हुई अपनी मा के सामने हसी मानो उसे जीत मिल गयी हो

शालिनी उसकी नादान भरी हरकतो और अपने पति की चालाकी पर हसी आ रही थी ।

शालिनी चावल साफ करते हुए - पापा की चमची ,,,ज्यदा दाँत ना दिखा ,,दाल चढा जल्दी से।

निशा - हा अभी आयी मा
उसके बाद निशा किचन के कामो मे व्यस्त हो गयी ।

रात मे कल की तरह आज भी जंगीलाल ने शालिनी के साथ निशा को चोदाने वाली बात चर्चा की और उसे अपनी योजना ब्तायी ।

शालिनी उसकी योजना सुन कर थोडा बहुत अपने पति को छेडा कि जलद ही उसे एक नयी चुत मिलेगी ।
फिर वो दोनो सो गये ।



राज की जुबानी


अग्ली सुबह मै उठा कर रोज की तरह नासता करके तैयार हुआ और दुकान चला गया ।


वैसे तो आज शॉपिंग के लिए जाना था लेकिन मा ने कहा कि शादियो का सीजन है तो दोपहर तक दुकान देख ले । फिर वही आजाना ।


मै दोपहर तक दुकान पर रहा और फिर सिधा सरोजा कॉम्प्लेक्स पहुचा

वहा पहुचकर मैने सोनल को कॉन्टैक्ट किया तो पता चला कि वो लोग उपर के फ्लोर पर है और अभी दुल्हे का ड्रेस देखा जा रहा है ।

मै वहा पहुचा और पहले अमन से मिला और फिर उसके मम्मी के पाव छुए ।
अमन की मा को देख कर किसी का लण्ड ना खड़ा हो वो मर्द कैसा । क्या बवाल चीज़ थी यार ,,, कहने को तो सूट सलवार मे थी लेकिन इतने भारी चुतड तो मेरी शिला बुआ के नही थे । वो जब माल मे टहलती तो मेरी नजरे बस उसकी थिरकती हुई चुतडो पर जमी हुई थी ।

खैर थोडे समय बाद दूल्हा दुल्हन का ड्रेस ले लिया गया।
फिर मै राहुल अमन और अनुज जेन्स वाले सेकसन मे गये और वहा कपड़ो की शॉपिंग करने लगे ।

इधर सोनल, निशा को कुछ अच्छा सा ड्रेस दिलाने लगी । वही मा और चाची , ममता को लिवा कर साड़ियो वाले डिपार्टमेंट मे ले गये ।



लेखक की जुबानी

रागिनी - अरे समधन जी आईये तो ,, आप एक बार ट्राई करिये यहा बहुत अच्छी साड़िया मिलती है

ममता - नही नही समधन जी जिद ना करिये ,,मै सूट ही पहनूंगी

रागिनी - देखीये अगर आप बिना साडी पहने बारात लेके आयी तो , मै मेरी बेटी को विदा नही करूंगी

ममता हस कर - ओह्हो आप समझ क्यू नही रही है ,,मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है साड़ी मे

शालिनी - क्या जीजी झूठ क्यू बोलती है ,, सगाई वाले दिन कितना खिल रही थी आप ।भाइसाहब(मुरारीलाल) तो नजर ही नही हटा पा रहे थे हिहिहिही

ममता शर्म से लाल होकर मन मे ( अरे सिर्फ वही देखे तो बात अलग थी ना ,,बाकी के मेहमानो ने भी तो मजे ले लिये उस्का क्या )

ममता - धत्त आप भी ना छोटी समधन जी हिहिही वो बात ऐसी है कि मै मेरे ब्लाउज पेतिकोट पड़ोस की एक बहू है उसे ही सिल्वाती हू । इस समय वो पेट से है और ब्लाउज तैयार नही हो पायेगा ना ।

रागिनी हस कर - धत्त बस इतनी सी बात , अरे आपकी बहू को सारे गुण आते है ।

शालिनी - हा तब क्या ? सोनल को सीलना आता है जीजी ,,आप उसी से सीलवा लो ना

ममता - अरे नही नही,,अभी से बहू को परेशान करू अच्छा नही लगता

रागिनी - मै कुछ नही जानती आप साडी पसंद करिये और आज शाम को सोनल के पापा दुकान से आते वक़्त आपके यहा चले जायेंगे । आप उन्हे अपना कोई ब्लाउज दे देना और नये वाले पीस भी


ममता हिचक कर - लेकिन समधि जी आयेंगे लेने ??

रागिनी हस कर - अरे आपके समधि जी ब्लाउज लेने आ रहे है उसके अंदर का खजाना नही ।

ममता हस कर शर्म से लाल हो गयी - धत्त आप भी ना । कैसी बाते कर रही है हिहिही

शालिनी - चलिये जीजी अब तो पसंद कर लिजिए साडी

ममता हस कर - अच्छा ठिक है चलिये


फिर दोनो ने ममता के लिए साड़िया पसन्द की और इस दौरान रागिनी ममता को किसी ना किसी बहाने छेड़ती रही और हसी मजाक करती रही । ताकी उसकी झिझक शादी तक कम हो जाये और उनकी रिश्ते मे थोडी मज्बुती भी आ जाये ।


थोडी देर बाद सारे लोग एकजुट हुए और अनुज को उसका नया लैपटॉप मिल गया था । वो भी काफी खुश था ।

बिलिन्ग के बाद सारे लोग अपने अपने घर चले गये ।

इधर चौराहे वाले घर पहुच कर रागिनी ने रन्गीलाल को कहा कि आते वक़्त समधन से उनका ब्लाऊज लेते आना ।

इस बात पर रन्गीलाल की आंखे चमक गयी और लण्ड फैल गया ।

इसी वजह से आज वो जल्दी ही दुकान से शाम को करीब 6 बजे ही निकल गया । फिर उसने एक किलो मिठाई ली और चल दिया अमन के घर की ओर


गेट खोलकर वो घर मे दाखिल हुआ तो अमन कही बाहर जा रहा है । उसने रंगीलाल को प्रणाम किया और थोडी देर मे आने का बोल कर निकल गया ।


रंगीलाल अन्दर हाल मे गया और आवाज दी - भाईसाहब कहा है ??

तभी ममता सूट सलवार पर दुपट्टा चढ़ाते हुए अपने कमरे से आई - अरे आप आ गये ,,,नमस्कार बैठीये , खड़े क्यू है ?

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - अरे ठिक है भाभी , और बताईये क्या हाल चाल है ?

ममता - जी सब ठिक है

रंगीलाल - वो सोनल की मा कह रही थी कि आपसे आपका ब्लाउज लेना है मुझे

रंगीलाल ने सीधे शब्दो मे बडी बेशरमी से ब्लाउज माग लिया जिससे ममता थोडी सी झेप सी गयी - अ ब ब हा वो बात हुई थी आज हमारी

रंगीलाल - अच्छा फिर लाईये

ममता - अरे आप बैठीये मै कुछ नासता लाती हू ,फिर

रंगीलाल ममता के पेट पर पसीने से भीग कर चिपके हुए सूट को निहारता हुआ - अरे नही भाभी जी वो गर्मी इतनी है कि कुछ खाने की इच्छा नही है । आप परेशान ना होईये

ममता - अच्छा ठिक है रुकिये मै वो कपड़ा लाती हू

रंगीलाल मुस्कुरा कर - जी जरुर

फिर ममता वाप्स कमरे की ओर घूमी , उसके कमर पर भी सूट पसीने से चिपक गया था और कुल्हे ही मादक थिरकन ने रंगीलाल को लण्ड मसलने पर मज्बुर कर ही दिया ।

थोडे समय बाद ममता एक कपडे का झोला लेके आयी और हाथ मे उसके एक अस्तरदार ब्लाउज लटक रहा था ।

ममता रंगीलाल के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी । ब्लाउज का पीस और अपना एक ब्लाउज सिला हुआ उसे पकड़ाकर - लिजिए भाईसाहब और बहू से कहियेगा कि बाजू थोडा लम्बा वाला ही बनाये ।


रंगीलाल ने एक बार ममता के सामने उसका ब्लाऊज फैलाया और उसके बड़े बड़े गहरे कप देख कर उसको थुक गटकने की नौबत आ गयी थी ।

ममता को थोडा अटपटा महसूस हो रहा था कि उसका समधि उसके ब्लाउज को हाथ मे लेके उसे जाच परख रहा है

रंगीलाल उस ब्लाऊज को भी झोले मे रखता हुआ - भाभी जी एक बात कहू ,, अगर बुरा लगे तो माफ करियेगा

ममता मुस्कुरा कर - अरे भाईसाहब आप भी ना ,,कहिये क्या बात है ।

रंगीलाल - आप इस गर्मी मे पूरी बाह का ब्लाऊज बनवाने को कह रही है ???

ममता - हा लेकिन मुझे सूट पहनने की आदत है ना तो ब्लाउज पूरी बाह की ही बनवाति हू ।

रंगीलाल - लेकिन आप एक बार वैसे भी ट्राई करिये वो भी अच्छा दिखेगा

ममता को रन्गीलाल से ऐसी बात करने मे झिझक और लाज आ रही थी इसिलिए वो बात को खतम करने के लिए- अच्छा ठिक है आप बहू से कह दीजियेगा कि जैसा उसे पसंद हो वो सील दे । मै ऐतराज नही करूंगी


रंगीलाल खुश हुआ और मन ही मन उसने तय किया कि वो सोनल को ऐसा कुछ डिजाइन बतायेगा कि ममता की जवानी खुल कर सामने आयेगी और वो उसके मजे ले सकेगा ।

थोडी देर बाद रंगीलाल वहा से भी निकल गया
और अपने घर जाकर उसने रागिनी को बताया कि ममता ने कहा है कि ब्लाऊज डीप गले मे और स्लिवलेस मे सीलना ।


रागिनी हस कर - ये समधन जी का भी कुछ समझ नही आता ,,,अभी आज माल मे साडी लेने से मना कर रही थी और अब एकदम से मॉडर्न लूक चाहिये हिहिहिही

रन्गीलाल हस कर - अरे कोई बात नही ,,,उनकी इच्छा है सीलवाने दो , तुम बताओ तुम कैसा डिजाइन बनवा रही हो

रंगीलाल ने रागिनी के कुल्हो को सहला कर कहा ।
रागिनी उसे झटक कर - धत्त क्या जी आप भी ,, सोनल किचन मे ही है ।


रंगीलाल ने एक नजर किचन मे सोनल को काम करते देखा तो शांत हो गया ।


इधर अनुज उपर अपने कमरे मे आज जब से माल से आया था लैपटॉप मे व्यस्त था ।
उसने दो बार फुल एचडी क्वालिटी मे पोर्न देख कर हिलाया और सो गया था ।
आज का दिन भी रोज की तरह दोनो परिवारो मे बीत गया ।



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अगले दो तीन दिनो तक सब वैसे ही चलता रहा ।
जन्गीलाल बहाने बहाने से निशा के पास जाता और उसे थोडा दुलार देता , उसके कपड़ो के उपर से ही उसे अपनी नजरो मे नंगा कर लेता । निशा भी सब समझ रही थी लेकिन उसने कभी इस बात पर कोई खास ध्यान नही दिया ।

इधर सोनल के शादी के कार्ड छप कर आ चुके थे और उसे बाटने की तैयारिया शुरु होने वाली थी । वही सोनल ने निशा के ब्लाउज तैयार कर दिये थे ।


राज की जुबानी

शाम को रोज की तरह दुकां बंद करके मै घर आया था और शादियो की चर्चा ही जारी थी ।
कार्ड पर नाम लिखे जा रहे थे कि कैसे किसको कहा बाटना है । खैर कार्ड बाटने की जिम्मेदारि मेरी थी ।

मा - देख ये पहला कार्ड तो तेरे नाना के यहा जायेगा ,,फिर वहा दो एक दिन रुक कर तु रज्जो दीदी के यहा चला जाना ।

मै - और बुआ के यहा

मा - फिर वहा से शिला जीजी के यहा चला जाना और वहा भी एक दो दिन रुक लेना जैसी तेरी मर्जी

मै - हा मा बुआ के यहा गये काफी समय हो गया है , मै तो वहा रुकुंगा ही

मा - हा लेकिन रह मत जाना वही ,, यहा और भी काम रहेंगे ,,फिर गाव मे , फिर यहा टाउन मे भी सबको कार्ड देना है ।

मै - अरे मा आप टेन्सन ना लो ,, आप मेरा बैग पैक करवा दो कल सुबह ही मै निकल जाऊंगा मामा के यहा

मा - हा ठिक है


फिर ऐसे ही थोडी चर्चाये बढी और मै खा पीकर अपना बैग तैयार करने मा के साथ कमरे मे चला गया


जारी रहेगी
Bahut khoob guru Sonal ki shadi ki taiyariyan zoron par hain to idhar Nisha aur Rangilal ki suhagrat ki taiyari ho rahi hai... Baki Mamta ko dekhne ki badi utsukta rahegi sleeveless blouse mein...

Bahut hi uttam Update dost.
 
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