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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

sunoanuj

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ज अपडेट देदू याही :D ...
De do mitr … updates dene ke liye puchne ki jarurat hee nahin hai sabhi by default haan hai …
 

sunoanuj

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ab intezaar nahin ho raha hai…
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 139

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा अनुज निशा को चोदने मे कामयाब रहा । वही अन्जाने मे निशा खुद के प्रति अपने पापा को रिझाने लगी थी ।
अब आगे

लेखक की जुबानी

रात मे दो से तीन राउंड तक निशा की चुदाई राहुल और अनुज ने मिलकर की और उसे अपने वीर्य से नहालाया ।
वही दुसरे कमरे मे जंगीलाल की तृप्ति नही हुई क्योकि आज फिर शालिनी ने उसे वैसा सेक्स नही दिया जैसा वो चाहता था । शालिनी अपनी अदाओ से उसे गर्म तो बहुत कर देती थी लेकिन जंगीलाल को उसकी हवस को पूरी तरह से निकालने का मौका नही देती । वो सेफ़ सेक्स पर ही फोकस रहती थी ।

एक राउंड के बाद शालिनी नहाने चली गयी इधर जन्गिलाल ने तय किया कि कल दोपहर को ही वो बडे शहर निकल जायेगा ।


सुबह हुई तो अनुज अपने घर के लिए निकल गया था ।
वही शालिनी नहा धो कर नास्ते की तैयारी मे थी । निशा भी नहा कर किचन मे लग गयी थी । राहुल रोज की तरह दुकान खोलने और साफ सफाई मे व्यस्त था ।

जंगीलाल की भी रोज की तरह देर से ही आंख खुली । वो उठा तो उसका मूड उखड़ा हुआ ही था । इसिलिए बाथरूम जाने से पहले उसने शालिनी को शहर जाने वाली बात बताने के लिए किचन की ओर गया ।

जंगीलाल जांघिया और बनियान पहने जैसे ही किचन के दरवाजे के पास पहुचा किचन मे निशा निचे बैठ कर आंटा लगा रही थी । उसने एक ढीले गले का टीशर्ट डाल रखा था जिससे जंगीलाल को खडे खडे ही निशा के गोरे फुले हुए चुचे दिख गये ।

आंटा गुथते वक़्त निशा बार बार आगे की ओर झुक रही थी तो ऐसे मे उसके चुचे हल्के हल्के हिल रहे थे ।
ये नजारा देखते ही जंगीलाल के जांघिया मे उसका लण्ड तन गया ।

इधर निशा को भी थोडा आभास हुआ कि दरवाजे पर कोई है । जब वो नजरे तिरछी कर अपने पापा के टांगो को देखते हुए उपर जाती है तो उसकी आंख अपने पापा के जांघिया मे बने टेन्ट पर अटक जाती है ।

वो थोडा मुस्कुराते हुए मुह फेर लेती है ।
तभी शालिनी - क्या हुआ जी कुछ चाहिये था ?

जंगीलाल का ध्यान निशा के छातियो से हट कर शालिनी की ओर जाता है - न न नही , वो जरा आज खाना जल्दी तैयार कर देना मुझे बडे शहर निकलना है ।

शालिनी - अरे अभी पिछले महीने तो गये थे ।
जन्गिलाल उखड़ कर - अरे भाई शादियो का सीजन है , स्टॉक कम पड़ रहा है तो जाना पडेगा ।

शालिनी - ठिक है लेकिन आप भडक क्यू रहे है ?? , आप जायिये नहा कर आईये मै आपके कपडे निकाल देती हू ।

जंगीलाल चुप हो गया और तौलिया लेके छत पर चला गया । जीने पर जाते हुए उसे थोडा बुरा लग रहा था कि क्यू आखिर वो अपनी शालिनी से ये सब धोखा कर रहा है ।

जंगीलाल मन मे - मै क्या करु , मेरी तडप शालिनी समझती ही नही । मुझे उसे रन्डीयो के जैसे खुब हचक के चोदना है । शादी के इतने सालो मे सिर्फ एक ही बार उसने मुझे करने दिया था वो भी आखिरी बार ।
वो मजा मै वापस से पाने के लिए कितना बेताब रहता हू और शालिनी ये समझती ही नही ।


जन्गीलाल उखड़े मन से पाखाने मे जाता है और अभी भी उसके दिमाग मे निराशा ही भरी थी ।

जंगीलाल मन ने - क्यू ना मै शालिनी से एक बार और बात करु । वो मुझे हफते मे एक ही बार मेरे हिसाब से चुदाई करने दे । मै और उसे धोखा नही दे सकता । आखिर कब तक मै अपनी ही कमजोरियो के लिए उसे अन्धेरे मे रखे रहूंगा ।

जंगीलाल पाखाने से निकल कर हाथ धुलकर बाथरूम मे घुसता है कि सामने उसकी नजर हैंगर पर लटके निशा की पैंटी पर जाती है ।

जंगीलाल मे दिल ने एक बार को निशा के लिए हवस की लहर उठती तो है लेकिन अगले ही पल वो निराश हो जाता है ।
जन्गीलाल मन मे ग्लानि से भर कर - शालिनी देखो ! तुम मुझे मेरे हक का प्यार नही दे रही हो तो मेरा मन भटक रहा है । बार बार मेरी लाडो के लिए मेरा हवस मुझ पर हावी हो जा रहा है ।

जंगीलाल मन मे - नही ये नही हो सकता । मुझे इस मसले पर शालिनी से खुल कर बात करनी पड़ेगी और ये भी बताना पडेगा कि कैसे मै निशा की ओर आकर्षित हुआ जा रहा हू ।

जंगीलाल - अब मै शहर नही जाऊंगा । आखिर कब तक यू ही अपनी कमजोरि से भागता रहूंगा । शालिनी मेरी बीवी है उसे मेरी तकलिफ समझनी ही होगी ।


जन्गीलाल थोड़ा संकल्पी होकर नहाने बैठ गया और शालिनी से कैसे बात करनी है इस सोच मे मगन हो गया ।
जंगीलाल नहा धोकर दुकान ने ही अपना नासता राहुल से मगवा लिया और फिर शालिनी को कहलवा दिया कि वो आज शहर नही जायेगा ।

पहले तो शालिनी भी खिझी लेकिन फिर बच्चो के सामने उसने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी । बस अपने काम मे लग गयी ये सोच कर की खाने के समय बात करेगी इस बात को लेके ।

राज की जुबानी

रात मे दीदी की मस्त चुदाई के बाद मै उठा और फ्रेश होकर नहा धो कर नास्ते के लिए बैठा था कि मेरा मोबाइल बिप हुआ ।

निशा ने whatsaap पर कुछ भेजा था , मैने चेक किया तो उसने एक मिंट का रिकॉर्डिंग वीडियो भेजा था । जिसमे वो राहुल और अनुज का एक साथ लण्ड चुस रही थी ।

मै वीडियो देख कर हस पडा और रिप्लाई करने वाला था कि निशा का मैसेज आया ।

निशा - ab mujhe tumahari jarurt nahi . Bahut bhaaw khaate the na 😁😁
मै - Matlb
निशा - video dekho . Ek sath do do 😋😋
मै - waise ek baat puchu ?
निशा - kya bolo ??
मै - gaad kab dogi mujhe 😁 bahut chikani lag rahi hai 😋
निशा - 😏 tumhe to bilkul nahi dungi
मै - kyu meri jaan naraaj hai kya ...
मै - ya mujhe miss kar rhi thi rat me 😁
निशा - 😏 mai kyu yaad karungi . Mere pas kal do do the 😋😋

ऐसे ही थोडे देर निशा के साथ चैटींग हुई और मै दुकान के लिए निकल गया । मै जानता था , भले ही निशा दो लण्ड से चुदी हो लेकिन दोनो थे तो अनाडी ही ना । जल्द ही फिर से मिल कर ईसकौ भी खुश करना पडेगा । हिहिहिही


फिर मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।
दोपहर को मा खाना लेके आई ।
मै - क्या हुआ मा अनुज क्यू नही आया ?
मा - अरे बेटा पता नही उसको क्या हुआ वो सो रहा था । बोला कि कल रात मे देर तक फिल्म देखा हू ।

मै हस कर - अच्छा कोई बात नही आप बैठो मै पापा को खाना देके आता हू

मम्मी - हा ठिक है जा , जल्दी आना मुझे वापस से चौराहे वाले घर जाना है ।

मै टिफ़िन लेके पापा के पास चल दिया कि रास्ते मे काजल भाभी का फोन आया ।

मै - हा भाभी कहिये
काजल - वो मम्मी जी मार्केट गयी है ,तो तुम आ सकते हो क्या ?
मेरी तो आंखे चमक गयी लेकिन फिर हाथ मे टिफ़िन देख कर मा की बात याद आई ।
मै - सॉरी भाभी आज नही , वो मम्मी है ना दुकान पर , आज अनुज नही आया और मै अभी पापा को खाना देने जा रहा हू
काजल उखड़े मन से - अच्छा ठिक है कोई बात नही ,,बाय


फोन तो कट गया लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा कि कितनी उम्मीद से काजल भाभी ने मुझे बुलाया ।
खैर मै पापा के दुकान की ओर चल दिया
दुकान पर पहुचा तो वहा बबलू काका बैठे हुए थे ।

मै - काका , पापा कहा है ।
काका - छोटे सेठ , कोई रिश्तेदार आया तो सेठ जी उनको लेके अंदर कमरे मे गये है ।
मै - अच्छा ठिक है
मै काका के सामने तो समान्य रहा लेकिन वहा से निकलकर अन्दर जाते ही मेरे दिमाग मे खुराफात चलने लगी । इस समय कौन आया होगा चुदवाने । इस समय तो रोज अनुज खाना देने आता है ।
पापा भी जानते है इस बात को तो वो क्यू किसी को बुलाएंगे

खैर मै धीरे धीरे रेस्टरूम की ओर गया और दरवाजा खुला हुआ ही मिला मुझे । अन्दर शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।


मै - अरे बडी मम्मी आप यहा
शकुन्तला - हा लल्ला वो बस बाजार आई थी तो ऐसे ही भाई साहब से भेट करने चली आई

मै समझ गया कि ये क्यू आई थी ।

शकुन्तला - अच्छा भाई साहब मै चलती हू
मै - अरे रुको ना बडी मम्मी मै चलता हू , बस पापा को खाना देने आया था ।
शकुन्तला - अरे तु दुकान पर जायेगा और मुझे चौराहे पर जाना है बेटा
मै - अरे आप भी चलो ना दुकान पर , वहा से और मम्मी दोनो साथ मे चले जाना
शकुन्तला हस कर - अच्छा ठिक है चल भाई हिहिहिही

फिर पापा हमे छोड़ने बाहर आने लगे तो मै धीरे से पापा से पुछा - क्या हुआ कुछ किये या नही ।

पापा मुस्करा रहे थे । मतलब काम हो चुका था ।
फिर हम दोनो मेरे दुकान पर चले गये ।

वहा मैने सारी बात मा को बतायी कि शकुन्तला ताई बाजार आई थी तो पापा से मिलने गयी थी ।
मै फिर खाना खाने पीछे कमरे मे चला गया ।

मेरे कमरे मे जाते ही मा मुस्कुरा कर शकुन्तला को छेड़ते हुए - क्या बात दिदी , अपने देवर से छिप छिप कर मिल रही हो हिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हस्ते हुए - क्या तु भी रागिनी , ऐसा कोई बोलत है भला । अन्दर राज खाना खा रहा है और तु

मा हस कर - अरे तो आप धीरे से बता दो ना हिहिहिही , कही मेरे पीठ पीछे आप देवर भौजाई मे कुछ चल तो नही रहा

शकुन्तला ने हसी मजाक को गहरा करते हुए - करना होगा तो पीछे क्यू ? तेरे सामने करूंगी और तु मुझे रोक पायेगी क्या ? हिहिहिही

मा - अरे मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने आऊंगी । मै तो बस इस आश से कह रही थी कि एक आध शो हमे भी दिखा देना । मेरा शक दू हो जायेगा ।


शकुन्तला- कैसा शक ??

मा हस कर - यही कि कही अपनी भौजाई के कूल्हो पर मेरे से ज्यादा जोर तो नही दे रहे है । काफी फैल रही है इस समय ।

मा ने शकुन्तला के चुतड सहला कर बोली ।
शकुन्तला मा की इस हरकत से सकपका गयी ।

शकुन्तला - हे पागल , ये क्या कर रही है तु रागिनी । शर्म कर थोडा तेरा बेटा अन्दर ही है ।


मम्मी की छेड़खानी जारी रही और थोडी देर मे मै खाना खा कर बाहर आया और ये दोनो चौराहे के लिए निकल गयी ।

लेखक की जुबानी

निशा भी अनुज की तरह रात के नीद का कोटा दोपहर मे पूरी कर रही थी । इसिलिए आज जंगीलाल को शालिनी ने ही दोपहर का खाना परोसा ।

शालिनी थोडी चुप थी , उसे जन्गीलाल से थोडी नाराजगी थी । इसके उलट जन्गीलाल की नजरे निशा को खोज रही थी ।

जन्गीलाल - लाडो कहा है , दिख नही रही ।

शालिनी तुनकते हुए - सो रही है वो , क्यू कोई काम था ।

शालिनी के तीखे स्वर सुन कर जंगीलाल समझ गया कि सुबह की बात को लेके शालिनी नाराज है ।

जंगीलाल मुस्कुरा कर - नही । अच्छा है सो गयी है । तुम जरा यहा आओ मेरे पास ।

शलिनी मुह फुलाए सोफे पर जंगीलाल के पास बैठ गयी । सामने की टेबल पर खाना रखा हुआ था

जन्गीलाल ने बडे प्यार से एक निवाला निकाला और शालिनी की ओर बढ़ाया ।

शालिनी मुह फेर कर - मुझे भूख नही है ।

जन्गीलाल - हमम तो मेरी जान गुस्सा है , सॉरी मेरी स्वीटू मान जाओ ना ।

शालिनी अपने पति के मुह से स्वीटू शब्द सुन कर मुस्कुरा देती है - आप ना एक नम्बर के चालू को ,,बस फुसलाना जान्ते हो

जंगीलाल ने शालिनी की कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब किया और बडे प्यार से उसके गालो को चूमते हुए वापस से निवाला उसके मुह के पास लेके गया ।

जंगीलाल - खा लो ना मेरी जान,
शालिनी मुह खोल देती और खाने लगति है ।

इधर इन दोनो तोता मैना रोमांटिक लंच पार्टी चल रही थी । वही निशा अपने कमरे से निकल कर फ्रेश होने उपर की ओर जाती है ।
जैसे ही वो दरवाजा खोलकर बाहर आती है , उसकी नजर हाल मे बैठे अपने मम्मी पापा को रोमांटिक अंदाज ने खाना खाते देख । उसकी हसी निकल जाती है और वो फौरन छिप कर अपने कमरे से बाहर झाकने लगती है ।

दोनो दम्पति प्रेमियो के जैसे एक दुसरे को खिला रहे थे और काफी खुश थे। निशा उन्हे देख कर भगवान से प्रार्थना करती है कि उन्हे हमेशा ऐसे ही खुश रखे।

फिर वो धीरे से बिना कोई आहट के उपर चली जाती है ।
निचे आने तक जंगीलाल खाना खा कर जा चुका था और शालिनी किचन मे थी ।

निशा भी किचन मे जाती है अपने लिये खाना लेने ।

शालिनी - अरे तु आ गयी ,मै तुझे जगाने ही आ रही थी । चल हम लोग भी खा लेते है ।

शालिनी मुस्कुरा कर - लेकिन आप तो पापा के साथ खा ली ना हिहिहिही

शालिनी को समझते देर नही लगी कि निशा ने उन्हे साथ खाते हुए देख लिया है । तो वो शर्म से लाल हो गयी ।

निशा हसते हुए - अरे मम्मी मुझसे क्या शर्माना आप तो मेरी सहेली हो ना हिहिहिही

शालिनी हस्ते हूए खाना परोस रही थी ।
निशा ने देखा कि अभी भी उसकी मा ने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी तो वो उसे छेड़ने के अंदाज मे बोली - वैसे मुझे नही पता था कि जीजू इतने रोमांटिक है हिहिहीही

निशा जानती थी कि उसकी मा किसी बात के लिए परेशान हो या ना हो लेकिन अपने पापा को जीजू बनाने पर चिढ़ जरुर जायेगी ।

इसिलिए वो फौरन अपना थाली लेके अपने कमरे मे भाग गयी । शालिनी भाग कर उसके पीछे तो गयी लेकिन तब तक निशा ने दरवाजा बन्द कर लिया था ।

शालिनी हस्ती हुई मन मे बड़बड़ाती हुई किचन मे आ गयी ।

ऐसे ही चलता रहा शाम हो गयी । शाम के समय अनुज रोज की तरह निशा के घर आया और राहुल से थोडी बात करके निकल गया । क्योकि कल रात की 3 राउंड चुदाई मे निशा ने उसे बुरी तरह निचोड दिया था ।

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इधर ये सब चल रहा था , वहा राज के पापा भी अपने दुकान से 6 वजे के करिब निकल गये । जैसा कल राज की मा से उन्होंने कहा था कि आज वो सोनल के ससुराल मे बात करके आयेंगे ।

रन्गीलाल ने पहले ही अपने दुकान के एक नौकर को भेजवा कर चमनपुरा की फेमस खोवे वाली मिठाई पाच किलो मगवा लिया था ।

मिठाई लेके रंगीलाल अमन के दरवाजे पहुच गया
मेन गेट से अन्दर होकर रंगीलाल सीधा हाल मे प्रवेश करता है ।
सामने ममता एक पटीयाल सूट सलवार मे बिना दुपट्टे के टीवी की ओर मुह करके खड़ी थी ।

रंगीलाल की नजरे ममता के गठिले जिस्म पर गयी तो उस्का लण्ड बगावत पर आ गया । पहली बार वो ममता के इतने चौडे कुल्हे देख रहा था ।

पीठ पर ममता के ब्रा की कसावट सूट के उपर से ही पता चल रही थी ।

रन्गीलाल मुस्कुराता हुआ - भाभी जी नमस्ते

ममता ने नजर घुमाकर पल्टी की कौन आ गया बिना दस्तक के घर उसके ।
ममता के सामने होते ही रंगीलाल की नजरे उसके 44 साइज़ की मोटे थनो पर जम सी गयी ।
इतने बडे चुचे तो रज्जो के भी नही थे ,जितने ममता के सूट मे फैले हुए थे ।

ममता ने जैसे ही रंगीलाल को देखा और अगले ही पल उसकी नजरो का पीछा किया तो सकपका कर इधर उधर अपना दुपट्टा खोजने लगी ।


रंगीलाल ने भी नैतिकता दिखाते हुए नजरे फेर ली और मुस्कुरा कर बोला - वो भाई साहब नही है ।
ममता ने झट पट से सोफे पर पडा हुआ अपना सूती दुप्प्टा उठाया और जल्दी से आगे ओढ़ लिया ।

ममता मुस्कुरा कर - नमस्ते भाईसाहब, आप इस समय ? आईये बैठीये

रन्गीलाल मुस्कुरा कर सोफे पर बैठता हुआ मिठाई का झोला अपने बगल मे रखता हुआ - जी वो सोनल की मा बोली , थोडा हाल चाल लेते आओ । वैसे भाई साहब नही दिख रहे ।

ममता - जी वो बाजार मे ही गये एक जन के यहा तगादा करने , बैठीये मै पानी लाती हू।

ये बोल्कर ममता घूमकर किचन की ओर जाने लगी ।
रंगीलाल ने उसके मासल भारी चुतडो की थिरकन को देख कर लण्ड भीच कर रह गया ।

रंगीलाल मन मे - आह्ह इन्होने तो मुझे परेशान ही कर दिया । पता नही इस घोडी पर भाई साहब सवारी कैसे कर लेते होगे ।

रंगीलाल अपने ख्यालो मे गुम था कि ममता किचन से पानी लेके आती है और रंगीलाल के बगल वाले सोफे पर बैठ जाती है ।

ममत मुस्कुरा कर - लिजिए पानी पीजिए
रंगीलाल गला तर करता हुआ - और ब्तायिये भाभी जी घर मे सब कैसे है ।

ममता मुस्कुरा कर - जी सब अच्छे है , बस यही अपनी बहू के आने के दिन गिन रहे है हाहह्हहा

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - हा हा क्यो नही , अब दिन ही कितने बचे है । वैसे जमाई बाबू कब तक आयेंगे ।

ममता - बस अगले ही महिने
रंगीलाल - अच्छा अच्छा ।

ममता - आप बताईये आपके यहा क्या हाल चाल है ?
रंगीलाल मुस्कुरा कर - सब ठिक है भाभी जी , लेकिन रागिनी आपसे थोडी नाराज है । हाहाहहा

ममता अचरज से - क्यू ?
रंगीलाल हस कर- भई उसका तो कहना है कि समधन जी उसे अपना मानती ही नही । एक बार भी फोन नही किया । सगाई के बाद से

ममता हस कर - अरे नही ऐसी बात नही है । अब तो आप लोग ही हमारे सगे रिश्तेदार हो रहे है ।

रंगीलाल हस कर - हा तभी तो उसने खास तौर पर कहा है कि हमारी समधन जी का मोबाइल नंबर लेके ही आना ।हाहाहाहा

ममता भी हस कर - अच्छा ठिक है लिख लिजिए

रंगीलाल पहले नम्बर नोट करता है और फिर अपने ही फोन से डायल कर देता है ।

तभी बोर्ड मे चार्ज पर लगा फोन रिन्ग करता है तो ममता उसे लेके आती है और रंगिलाल को देती हुई - जरा इसमे नम्बर सेट कर दीजिये ।

रंगीलाल ममता का स्क्रीनटच मोबाइल हाथ मे लेके - जी किस नाम से सेट करु

ममता मुस्कुरा कर - उम्मम समधि जी करके डाल दीजिये । वो क्या है कि आपके नाम से एक मेरे मायके मे भी जानपहचान वाले है ।

रन्गीलाल उसी नाम से नम्बर सेट करके अपने मोबाइल मे भी समधन जी के नाम से नम्बर सेट कर देता है ।

रंगीलाल - लिजिए भाभी जी हो गया और बताईये शादी की तैयारिया कैसी चल रही है ।

ममता - जी भाईसाहब सब कुछ तो अमन के चाचा ही देख रहे है , आज ही वो बडे शहर गये है ।बहू के लिए जेवर का ओर्डेर देने


रन्गीलाल काफी खुश होता है - अच्छा अच्छा

ममता - हा फिर जब अमन आ जाएगा तो कपड़ो की शापिंग कर लेंगे ।

रंगीलाल थोडा झिझक दिखाता हुआ - भाभी जी एक बात थी ,, पता नही आपको उचित लगेगा की नही ।

ममता मुस्कुरा कर - अरे कहिये ना इसमे इतना झिझक क्यू रहे है ??

रंगीलाल - वो बच्चो की इच्छा थी और रागिनी भी कह रही थी कि दूल्हा दुल्हन के कपडे साथ मे ले लिये जाये । आप तो जानती ही अब हम लोगो का समय तो रहा नही । नये जमाने के बच्चे,

ममता मुस्कुरा कर - अरे ये तो बहुत अच्छी बात है ,,इसी बहाने समधन जी से भेट हो जायेगी । बहुत अच्छा सोचा है आपने।

रंगीलाल - अरे अपनी समधन से मिलने आप हमारे घर ही आ जाईये किसी दिन । अब वो भी आपका घर है ।

ममता मुस्कुरा कर - जी जरुर जरुर

इधर इनकी बाते चल रही थी कि मुरालीलाल हाल मे झोला लिये आता है ।
रंगीलाल उस्से भी मिलता और कुछ बाते दुहराई जाती है ।

फिर रंगीलाल मिठाई वाला झोला अपने बगल स्व उठाकर मुरारिलाल को देता हुआ - भाईसाहब ये रखिये और मुझे इजाजत दीजिये ।


मुरालीलाल हस कर झोला लेते हुए - अरे भाई रंगीलाल इतना सारा लाने की क्या जरुरत थी । यहा कौन इतनी मिठाई खायेगा

ममता - जी इनका सुगर बढा हुआ है और घर मे कोई बच्चे भी तो नही है ।

रंगीलाल - अरे भाभी अब रखिये इसे , आप और मदन भाई खा लिजिएग

मुरारिलाल हस्ता हुआ - रंगी भाई वैसे इनका भी वजन अब 90 के करीब हो गया है । हहहहा ..... डॉक्टर ने मीठा मना किया है ।


ममता अपने देह के लिए मजाक सुन कर रंगीलाल के सामने झेप सी जाती है । क्योकि उसे अभी थोडे देर पहले की घटना याद आ जाती है जब वो बिना दुपट्टे के ही रंगीलाल के सामने खड़ी थी ।


रंगीलाल हस कर - वो सब मै नही जानता ,भाई आपकी होने वाली बहू के यहा से । प्लीज मना ना करिये

ममता थोडा तुन्क कर - आप मुझे दीजिये भाईसाहब । मेरी बहू के यहा सगुन है मै तो जरुर चखूंगी । इनकी तो आदत ही खराब है ।

रंगीलाल ममता की बात सुन कर समझ गया कि उसे मुरारिलाल का मजाक अच्छा नही लगा ।
फिर वो वहा से विदा होकर अपने घर के लिए निकल गया

जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Review kya dein aap ko aap to kamaal pe dhamaal kar rahe ho👍🙏❣️ superb update bro 🔥

Superb update tha dost... waiting more...


superb update waiting for next

Mast wala update hai bhai. Waiting for next.

Good and exited update but mousi aur maa ko bhi laao

Romanchk aur Rochak. Pratiksha agle rasprad update ki

Do brother...besabri se intezaar hain :D

Kash aisa ho pata

De do mitr … updates dene ke liye puchne ki jarurat hee nahin hai sabhi by default haan hai …
आप सभी की प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद

अपडेट 139 पोस्ट कर दिया है

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sunoanuj

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Bahut hi barhiya update … khani ke patron main ab badhotari ho rahi hai toh unke tanke bhi bhidane shuru kar do mitr …
 
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