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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Sanju@

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UPDATE 125
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछले अपडेट मे आपने पढा एक ओर हल्दी के रस्मो के बिच राज ने मस्ती करते हुए पल्लवि से कुछ प्रस्ताव रखे है ,,,वही रंगीलाल का दिल भी रात के लिए गार्डन गार्डन हुआ जा रहा है ।
देखते आगे क्या होने वाला


लेखक की जुबानी

समय : रात के 8 बजे
लोकेशन : राज का चौराहा वाला घर

रंगीलाल इस वक्त मस्त अपने कमरे की बेड को सेट करने मे व्यस्त था और बेड के पास ही तेल की सिशी रख दी । कुछ एक वैसलीन के डिबिया मे रख दी ।

कमरे मे झाडू लगा कर उसमे अच्छा वाला इत्र मे छिड़क दिया और फिर नहाने चला गया ।

इधर किचन मे शकुन्तला खाना बना रही थी । गर्मी से परेशान होकर उसकी हालत खराब हो रही थी

इधर रंगीलाल नहा कर फुल बनियान और पाजामा पहने बाहर आया । सीधा किचन मे चला गया ।


रंगीलाल - ओह्हो आपको कितनी गरमी हो रही है भाभी

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हा वो मुझे जरा गरमी ज्यादा होती है ।

रंगीलाल - अच्छा तो अभी समय लगेगा

शकुन्तला - नही बस ये दो रोटी बाकी है , फिर हो गया

रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर मै बाथरूम मे पानी लगा देता हू और आपके कल वाले कप्डे निकाल देता हू ,,,आप नहा लिजिए तुरन्त

शकुंतला कल के कपड़ो पर विचार करते हुए - अच्छा ठिक है लेकिन क्या रागिनी की कोई नाइटी नही होगी ,,,वो क्या है मुझे साडी मे सोने की आदत नही है ।

रंगीलाल ने कुछ बिचार किया - अब ब ब आल्मारि चेक करके बताता हू भाभी जी ,,क्योकि इस बार मै गरमी मे उसके लिए कोई मैकसी लाया नही था ,,वो ब्लाऊज पेतिकोट मे ही सोती थी रोज


शकुंतला रंगीलाल की बात पर मुस्कुराती है - अरे रहने दीजिये परेशान ना होयीये मै कल वाले कपडे ही पहन लूंगी ,,

रंगीलाल - अरे इसमे परेशान होने जैसा क्या है ,,बस खोजना है ,मिल जायेगा ??

शकुंतला हस के - अरे मिल तो जायेगा ,,लेकिन उस खोजबिन के चक्कर मे आप रागिनी के समान को उलट पलट कर रख देंगे और जब वो वापस आयेगी तो बहुत नाराज होगी ।।


रंगीलाल कुछ सोच कर हस्ता हुआ - हा भाभी जी बात तो आपकी सही है ,,रागिनी को बिल्कुल नही पसंद की बिना पुछे कोई उसके सामानो मे उलटफेर करे तो

शकुन्तला हस कर - अरे ये सिर्फ रागिनी की नही ,,,सब औरतो की आदत है ,किसी को नहो पसंद आता है हिहिहिही

रंगीलाल - अच्छा ठिक है फिर आप आईये मै कपडे आपको दे देता हू

शकुन्तला- अरे लेकिन पहले मुझे साड़ी भी प्रेस करनी पड़ेगी

रंगीलाल हस कर - अरे उसकी कोई जरुरत नही है ,,मै आज सुबह की आपके सारे कपडे प्रेस करके रख दिये थे ।

शकुंतला शर्म से लाल हो गयी कि रंगीलाल ने उस्के पैंटी को फिर से छुआ होगा ।

फिर वो दोनो कमरे मे गये जहा रंगीलाल ने बडी तह के साथ शकुन्तला के कपड़ो को रखा था । सबसे निचे साड़ी, फिर पेतिकोट फिर ब्लाऊज और फिर उपर पैंटी ।

रन्गिलाल जब सारे कपड़ो को हाथो मे लेके शकुन्तला के सामने हुआ तो शकुन्तला अपनी प्रेस हुई पैंटी देख कर शर्माने लगी । एक मुस्कराहट उसके होठो पर थी ।

पैंटी इतनी स्लिम थी मानो रंगीलाल ने सारा जोर पैंटी पर लगा कर उसे चिपटा कर दिया था और क्रिच भी एक दम टाइट ।
रंगीलाल - लिजिए भाभी जी ,,आप नहा लिजिए मै बाहर ही हू


फिर रंगीलाल बाहर निकल आता है ।
इधर शकुंतला नहा कर तैयार होती है और रंगीलाल की दी हुई साड़ी पहन कर हाथ मे बालटी लिये हुए बाहर आती है ।

जिसमे सबसे उपर रंगीलाल का बनियान और कच्छा रखा हुआ था ।

रंगीलाल - अरे भाभी आज तो मैने धुल दिया था फिर क्यू

शकुन्तला मुस्कुरा कर - अरे वो मैने सोचा बाकि के कपडे छत पर ले जाने ही है तो क्यू ना इनहे भी

रंगीलाल हाथ बढा कर बालटी पकडता हुआ - अच्छा लाईये मै ले चलता हू
फिर दोनो उपर की छत पर चले जाते है ,,जहा मस्त ठंडी बयार चल रही थी ।

जीने की बत्ती जल रही थी और उसी से छत पर उजाला था ।
इधर शकुन्तला ने छत पर कपडे डालने लगी । तभी उसे अपने घर के जीने की आवाज आई और उसने देखा कि रोहन छत पर आया है ।

शकुन्तला फौरन रंगीलाल को पकड कर निचे बैठ गयी ।

रन्गीलाल चौका - क्या हुआ भाभी जी ,,आप मुझे ऐसे क्यू खीची

शकुन्तला थोडी परेशान होती हुई - वो रोहन छत पर आया है और कही उसने आपको देख लिया तो

रंगीलाल अचरज से - मै समझा नही भाभी जी ,,, क्या हुआ अगर वो मुझे देख लेगा तो

शकुंतला ने तभी वापस से अपने छत का दरवाजा बंद होता पाया तो गरदन उचका कर अपने घर की ओर देखी तो छत पर कोई नही था ।

फिर वो खड़ी हुई और जीने की बत्ती बुझा दी

रंगीलाल असमंजस से भरा हुआ खड़ा होकर - हुआ क्या भाभी जी ,,आप इतनी परेशान क्यू है ???

शकुन्तला हिचकती हुई - चलिये पहले निचे चलते है ।

रन्गीलाल को समझ नही आया कि क्या चल रहा है ।
फिर वो दोनो निचे के हाल मे आगये ।

रंगीलाल - क्या हुआ भाभी ,, क्या बात है ।

शकुंतला अब थोडा समान्य होती हुई मगर मुस्कुरा कर - वो दरअसल मैने रोहन से झूठ बोल कर यहा आयी हू

रन्गीलाल अचरज से - कैसा झूठ भाभी जी मै कुछ सम्झा नही।

शकुन्तला शर्मा कर मुस्कुराते हुए - वो मैने कहा कि आप यहा कोई है नही तो मुझे घर की देख रेख के लिए यहा सोना पडेगा

रंगीलाल की आंखे चमक गयी कि शकुंतला ने उस्के लिये झूठ बोला फिर भी वो अपनी भावनाये छिपाता हुआ - अरे तो इसमे झूठ बोलने की क्या जरूरत थी भाभी ।

शकुंतला शर्मा कर मुस्कुराते हुए - जरुरी था तभी मैने ऐसा किया

रंगीलाल को लगने लगा कि शायद शकुंतला खुद से ही कुछ पहल करने वाली है तो वो गदगद हो गया और शकुन्तला के करीब जाकर धीरे से चढ़ती सासो के साथ बोला - बताईये ना भाभी जी क्या बात है

शकुंतला रंगीलाल को अपने इतने करीब मह्सूस कर थोडी कमजोर सी होने लगी , एक सिहरन सी होने लगी थी उस्के देह मे उस बात को लेके जो वो रंगीलाल से छिपा रही थी ।

शकुंतला एक कदम बढ कर रन्गीलाल से दुरी बनाई और एक गहरी सास लेके हस कर बोली - वो आज रोहन आया है ना इसिलिए

रंगीलाल - मतलब
शकुंतला हस कर किचन मे जाती हुई - क्या देवर जी आप भी ,,जैसे कुछ समझते नही । बैठिए मै खाना लगाती हू ।

रंगीलाल समझ तो पुरा रहा था मगर वो शकुन्तला से खुल कर इस मुद्दे पर बाते करना चाहता था । इसिलिए फिलहाल के लिए उसने ये बात टाल दी ।

करिब आधे घंटे बाद खाना खा पीकर हाल मे बैठे थे ।

रंगीलाल - चलिये भाभी जी कमरे मे चलते हैं सोते हुए ही बात किया जाये


शकुन्तला को थोडा अटपटा सा लगा कि उसे रंगीलाल के साथ एक ही बिस्तर पर सोना पडेगा

रंगीलाल - दरअसल मुझे नही लगा था कि आप सच मे रात मे रुकेंगी ,,नही तो मै एक रूम तैयार कर देता । फिर कोई चिंता की बात नही है आप आराम से लेतिये मै यही सोफे पर सो जाऊंगा

शकुंतला रंगीलाल के वक्तव्य पर - अररे नही नही ,,इत्ना बडा बेड है , आप भी सो जायिये

रन्गीलाल हस कर - सोच लिजिए भाभी जी मेरे हाथ पाव सोटे समय बहुत चलते है ,,इसिलिए तो रागिनी मुझे पकड कर सोती है हिहिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हसते हुए - हिहिहिही आप भी ना देवर जी ,,,चलिये आईये

रंगीलाल और शकुन्तला बिस्तर पर आ गये और उन्होने थोडा जगह बना लिया बिच मे ।

रंगीलाल - भाभी आपने बताया नही अभी

शकुन्तला हस कर - अब क्या
रन्गीलाल - यही कि आपने रोहन से झूठ क्यू बोला

शकुन्तला हसते हुए अपना माथा पिट ली - मतलब आप अभी नही समझे

रंगीलाल ने ना मे सर हिलाया ।
शकुन्तला थोडा शर्मा कर नजरे नीची करते हुए - वो आज रोहन बहुत दिन बाद आया है घर तो वो और बहू रात मे मिलाप कर सके इसिलिए ।

रंगीलाल हस कर- अरे तो वो लोग अपने कमरे मे करते ना हिहिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त , आप भी ना ,,दरअसल वो लोग शोर बहुत करते हैं इसिलिए हिहिहिही

रंगीलाल हस कर - अरे तो आपको उनलोगो को समझाना चाहिए ना ,,,अभी जवाँ खुन है जोश मे ..... । समझ रही है ना मेरा मतलब

शकुन्तला शर्माते हुए हस कर - हम्म्म्म लेकिन अब ये सब बाते बच्चो से कैसे कर सकते है । उन्हे खुद समझना चाहिए इससे उनकी मा को परेशानी होती है ।

रंगीलाल शकुन्तला की बात पकडता हुआ - परेशानी मतलब

शकुंतला की आंखे ब्ड़ी हो गई और वो मुस्कुराने लगी कि हसी हसी मे वो क्या बोल गयी ।

शकुन्तला- वो वो ,कुछ नही । हिहिहिही

रन्गीलाल - अरे भाभी मुझे चिंता हो रही है और आप हस रही हैं ।

शकुन्तला रंगीलाल के सवालो और जिज्ञासुकता से थक कर थोडे रुखे स्वर मे - क्या देवर जी आप भी ,,,मतलब जैसे कुछ समझते नही है । कि ऐसे स्थिति मे किसी औरत को क्या परेशानी तंग कर सकती है जब उसका पति बाहर हो ।
रंगीलाल - अ ब ब सॉरी भाभी जी । मैने सच मे ऐसा कुछ नहीं सोचा था ।

शकुन्तला रन्गिलाल के भोले स्वरुप पर हसते हुए - कोई बात नही ।


थोडी देर चुप्पी छायी रही तो शकुन्तला- क्या हुआ क्या सोच रहे हैं?

रन्गिलाल - वो एक सवाल था ,,,लेकिन जाने दीजिये ये उचित नही होगा ।

शकुन्तला हस कर - अरे आप पूछिये तो उचित अनुचित मै देखूँगी ना हिहिही । बोलिए

रंगीलाल हिचक कर - वो दरअसल कल से रागिनी नही है तो थोडा ..... । समझ रही है ना आप ?

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म्म तो
रंगीलाल - तो मेरा एक सवाल था कि आप कैसे खुद को संयम मे रख लेती इतने समय से ,,,मतलब भाईसाहब नही है तो । मेरा दो ही दिन मे बुरा हाल है ।


रंगीलाल अपनी बातो पर शकुन्तला की आखे बडी होता देख सफाई देता हुआ - मतलब ऐसा क्या करती है कोई योगा वोगा या कोई और तरीका जिससे वो सब थोडा कन्ट्रोल मे रहे मतलब परेशान ना करे ।

शकुन्तला रंगीलाल की बात पर हस पडी और काफी समय तक हस्ती रही ।
रंगीलाल - सॉरी सॉरी ,,मुझे लगा ही था कि सवाल ठिक नही है ।

शकुंतला हसी रोकते - देखीये आपका सोचना जायज है कि अगर आपसे अपनी दिल की वेदना संभाली नही जा रही तो मै कैसे रह लेती हू ।

रंगीलाल ने शकुन्तला के बात पर सहमती दिखाई ।
शकुन्तला - ये सब प्यार की बात है ,, आपका प्यार यानी रागिनी कुछ समय मे वापस आयेगी ही इसिलिए आपकी इच्छाए तीव्र है मगर मेरे मे कोई उम्मीद नही है ,,,मै बस कुछ पुराने बीते ख्यालो के साथ ही जी सकती हूँ और तरस सकती हू क्योकि मेरे पति अब नही आने वाले ।

ये बोलते हुए शकुंतला का गला भर सा गया - तो बस यही अन्तर है , औए इस्का कोई खास योगा नही होता है । परेशान मै भी होती हू इसिलिए तो आज यहा भाग कर आ गयी हू हिहिहिहिही

रंगीलाल हस कर - अरे हा ,,, हिहिहिही वैसे भाभी एक बात पूछू

शकुन्तला - हा हा जो भी मन मे पुछ लिजिए ,,
रन्गीलाल हसता हुआ - वो मै बस सोच रहा था कि अगर मान लो रोहन आया है और आपको घर पर रूकना पड़ता तो ऐसे मे आप खुद पर कैसे .....। हिहिहिही

शकुन्तला हसकर अपने बगल का तखिया उठा कर रंगीलाल के पैर पर मारती हूई- धत्त बेसरम कही के ।

रंगीलाल हस्ता हुआ -सच मे भाभी बताओ ना
शकुंतला मुस्कुरा कर - मै सब समझ रही हू कि आप क्या सुनना चाह रहे है मुझसे ।

रंगीलाल हस कर - क्या ? हिहिहिही

शकुन्तला मुस्कुराती हुई - यही ना कि मै अपनी आग कैसे शांत करती हू । हम्म्म ऐसे ही शब्द सुनना चाहते हैं ना आप मुझसे

रन्गीलाल हसकर - नही नही मेर ऐसा कोई इरादा नही है। बस जिज्ञासा थी

शाकुंतला - अच्छा सिर्फ जिज्ञासा हम्म्म्म ।क्यू आप रागिनी के बिना कैसे खुद को शांत करते है ।

शकुन्तला - बोलिए! चुप क्यू है ?? बोलिए बोलिए !!!

रंगीलाल थोडा हसता हुआ हिचकता हुआ - अ ब ब वो वो बस हाथो से थोडी मेहनत करनी पड़ती है । कभी कभी आराम होता है कभी नही ।

शकुन्तला हस कर - धत्त बेशर्म आदमी । मतलब पुछ ली तो बता ही दोगे हम्म्म

रंगीलाल - अब आप ही बार बार पुछ रही थी तो

शकुन्तला हस कर - आप ना ,,,चलो सो जाओ अब

रंगीलाल - हा हा ,,,वो मै जरा बाथरूम से आता हू
फिर रंंगीलाल उठ कर बाथरूम गया और पाजामा खोल कर लन्ड़ बाहर निकालते हुए एक गहरी सास लेकर बड़बड़ाया - ये साली बडी चालाक है ,,इतनी आसानी से हाथ नही आने वाली । कुछ अलग करना पडेगा ताकि ये नोटिस करे मेरे लण्ड को और क्या पता प्यासी मोर है चोच लगा ही दे हिहिहिहिही ।

फिर रंगीलाल ने मुस्कुरा कर अपना बनियान और पाजामा पेट के पास भिगो लिया ।

कमरे मे आते ही वो आलमारी से कपडे निकालने लगा

शकुन्तला उत्सुक होकर - अरे क्या खोज रहे है जी आप ,,,आईये सो जाईये

रन्गिलाल शकुन्तला की ओर घूम कर जबरन की हसी मुह पर लाता हुआ - वो भाभी जी ये हाथ धुल्ते समय भीग गया कपडा तो बदलने जा रहा हू

शकुन्तला ने रम्गिलाल के पेट के निचले हिस्से और लण्ड के उभार पर नजर मारी तो खड़े लण्ड का तनाव साफ दिख गया उसे । वो फौरन नजर फेरते हुए - अच्छा बदल लिजिए हिहिहिही

फिर रंगीलाल ने शकुंतला की ओर पीठ करके पहले बनियान निकाली फिर वैसे ही पाजामे मे आलमारी मे खोजने लगा ।

रन्गीलाल - ओह्हो ये रागिनी ने मेरे बाकी के बनियान और कपड़े कहा रख दिये

शकुन्तला रंगीलाल को अधनंगा देख कर हस्ती है।
कपडे तो सारे आल्मारि मे ही थे मगर रंगीलाल पहनना नही चाह रहा था ।

उसने थोडा खोज बिन कर एक पाजामा निकाला और कपडे देखने लगा ।
शकुंतला को लगा सच मे रंगीलाल परेशान है - अरे क्या हुआ भाई साहब इसपे कुर्ता ही डाल लिजिए

रंगीलाल - भाभी वो मुझे गरमी बहुत होती है और फुल कपडे पहन कर मै सो नही पाता ,,,वो तो आप है नही तो मै ये पाजामा भी .....।

शकुन्तला मुस्कुराकर - अच्छा कोई बात नही आप अपने हिसाब के कपडे पहन लिजिए ।

रंगीलाल उखड़ कर - क्या पहनू भाभी जी ,,मेरा तो जांघिया भी नही मिल रहा है ।

शकुन्तला रंगीलाल की स्थिति पर हस रही थी ।
फिर रंगीलाल वो पाजामा लेके बाथरूम मे चला जाता है क्योकि तौलिया तो था नही निचे । वो तो शकुंतला के नहा लेने के बाद छत पर सुखने के लिए पड़ा था ।

इसिलिए मजबुरन रंगीलाल को कमरे के बजाय बाथरूम मे जाना पड़ा नही तो वो अपना जलवा कमरे मे ही दिखाने वाला था ।

इधर शकुन्तला मुह मे हसती रही ,,वही रंगीलाल बाथरूम मे चला गया ।

रंगीलाल को गये अभी 2 मिंट हुई ही थे कि बाथरूम से कुछ भडभड़ाने की और चिखने की आवाज आई जो रंगीलाल की थी ।

शकुन्तला की आंखे फैल गयी वो दौड़ कर बाथरूम के दरवाजे को खोल कर अंडर घुस गयी
शकुन्तला घबराई हुई - अरे आप ठिक तो है


जैसे ही उसने रंगीलाल को देखा तुरंत उसकी हसी छूट गयी और उसने मुह फेर लिया ।
कारण था रंगीलाल बाथरूम मे बेसिन के पास निचे फर्श पर पाव फैलायी पसरा पडा हुआ था उसके एक पाव मे पाजामा घूटने तक जबकि दुसरे पाव मे एड़ियो मे फसा हुआ था और उसका मोटा लण्ड साफ नंगा दिख रहा था ।
बेसिन के उपर के रैक के साबुन शैंपू और टूथपेस्ट ब्रश सब बाथरूम के फर्श पर बिखरे पड़े थे और पानी की की बालटी भी लुढ्की हुई थी ,,जिससे रंगीलाल का बेसमेन्ट भीग गया ।

रंगीलाल ने जैसे ही शकुन्तला को देखा तो वो हड़बड़ी दिखाता हुआ पाजामा खिचने लगा और एक दर्द की टीस से कराह दिया ।

शकुन्तला ने तुरंत रंगीलाल के हाथो की स्थिति देखी और उसके भिचे हुए चेहरे से उसके दर्द की असहनीयता को परखा और मानवता के तौर पर उसे जो
सही लगा उसने रंगीलाल के बगल मे बैठते हुए उसका पाजामा खिच्ते हुए बोली - अरे आप गिर कैसे गये ।

रंगीलाल अपने हाथो से अपना मोटा लण्ड छिपाता हुआ - वो ये पैर पाजामा मे फस गया और उसी मे बैलेंस बिगड़ गया ।

शकुनत्ला थोडा जोर लगाते हुए पाजामा खिच्ती है - ओह्ह्ह ये चढ़ क्यू नही रहा है देवर जी

रंगीलाल परेशान होता हुआ - पता नही भाभी जी ,, तभी ना मै गिर गया ,,,और ये पाजामा भी भीग गया है ।

शकुन्तला ने भी पाजामे का गिला पन नोटिस किया और उसे पैर से निकालते हुए - चलिये इसको निकाल देती हू और कोई और कपड़ा देती हू ।

इधर शकुन्तला की बात सुन कर रंगीलाल की आंखे बडी हो गयी क्योकि अगर शकुन्तला आलमारी चेक करती तो उसका सारा भेद खुल जाता ।
उसका सारा ड्रामा और लण्ड दिखाने के लिए जो उसने खुद को बाथरूम मे गिराया सब शकुन्तला जैसी तेज औरत भाप लेगी ।

रंगीलाल - अरे भाभी वहा बस यही पाजामा भर था ,,रागिनी ने सारे कपडे शायद बकसे मे रखे हुए है ।

शकुन्तला ने बडी जद्दोजहद के बाद वो गिला पाजामा रंगीलाल के पैर से निकाला और एक तिरछी नजर रंगीलाल के हाथो पर मारी को अपना लण्ड ढके हुए था ।

शकुन्तला की हसी छूटी मगर वो मुस्कुरा कर रंगीलाल का बाजू पकड कर उससे उठाने लगी - उठ जायेंगे ना ,,

रंगीलाल कराहने का नाटक करता हुआ एक हाथ से अपना लण्ड छिपाता हुआ लड़खड़ाते हुए खड़ा हुआ ।
शकुन्तला मुस्कुरा कर - कही दर्द तो नही है ना

रंगीलाल कुछ सोचा और बोला - नही बस ये बालटी कूल्हे पर लग गयी थी ।

शकुंतला ने फौरन रंगीलाल के उसी कुल्हे पर जिस ओर बालटी थी यानी बाई तरफ ,,उसे हाथो से मलने लगी ।

रंगीलाल ने शकुन्तला के स्पर्श से चहका और हस्ते हुए - अह्ह्ह भाभी हिहिहिही दर्द हो रहा है हिहिही

शकुन्तला हस कर- अरे तो आप हस रहे है क्यू ?
रंगीलाल थोडा शर्माता हुआ - वो आप छू रहे हो तो गुदगुदी सी लग रही है ह्हिहिहिही अह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं धीरे धीरे करिये

शकुन्तला - अच्छा आप चलिये मै मालिश कर देती हू

फिर शकुन्तला रंगीलाल को पकड कर बिस्तर पर ले गयी तो रंगीलाल ने लपक कर एक तकिया अपने लण्ड के आगे कर लिया ।
अब तक शकुन्तला के स्पर्श से रंगीलाल का लण्ड पूरी तरह से तन चुका था
जिसको तकिया रखते समय शकुन्तला ने भी देखा था ।
शकुन्तला कमरे मे इधर उधर कुछ ढूँढने लगी और तभी रंगीलाल की नजर शकुन्तला की चुतड पर एक तरफ भीगी हुई साडी पर गयी ।

रंगीलाल - अरे भाभी आप कैसे भीग गयी
शकुन्तला चौकी और उसने खुद को निहारा की कहा से भीगी हुई है वो
रंगीलाल हस कर - अरे वो पीछे से ,

शकुन्तला ने फौरन अपने चुतड पर हाथ फिराया तो उसे अपनी साडी भीगी हुई मिली - अरे हा ये कैसे भीग गयी


रंगीलाल - शायद जब आप मेरे बगल मे बैठी होगी तभी ,,,,कोई बात नही बदल लिजिए आप

शकुन्तला - लेकिन पहनू क्या,,मेरे भी कपडे धुले हुए है ना

रंगीलाल एक बार खुद देखा और किसी तरह से खड़ा होता हुआ - अरे रुकिये मै देखता हू कुछ है क्या

कारण था रन्गिलाल शकुन्तला को आल्मारि नही देखने देना चाहता था ।

रंगीलाल उठा और तकिया आगे किये हुए आलमारी तक गया और इधर शकुन्तला ने मुह फेर कर हसने लगी ,,क्योकि रंगीलाल का गहरे भूरे रंग की गाड़ दिख रही थी उसे ।

इधर रंगीलाल ने एक भारी साड़ी निकालते हुए - भाभी जी ये चलेगा

शकुन्तला साडी देखते ही - अरे नही नही इत्नी गर्मी मे ये कैसे ,,वैसे भी मुझे बिना साडी के ही सोने की आदत ..... । मतलब मुझे भी गर्मी ज्यादा होती है हिहिहिही

रंगीलाल ने फिर सिफान की सफेद चुन्नी निकाली और तकिया बेड पर फेककर वो चुन्नी कमर मे लपेट लिया ।
फिर रंगीलाल के लण्ड का कालापन और मोटा उभार साफ दिख रहा था ।

रन्गिलाल वो चुन्नी लपेट कर - अरे ऐसी बात है तो आप भी आराम से सोयिये ना ,,,अब जो भी कोई बाहर का आने वाला है नही तो ।

तभी शकुन्तला की नजर रंगीलाल के कमर मे बधि सफेद चुन्नी पर गयी तो उसने रंगीलाल से आग्रह किया - अच्छा ऐसी कोई चुन्नी और है क्या ,,देखेंगे

रंगीलाल हस कर - अरे नही ,,अब नही है ,,ये भी पुरानी है देखीये

रंगीलाल उस चून्नी का एक छोटा सा कटा हुआ भाग शकुन्तला को दिखाता है तो उसके चेहरे का भाव बदल जाते है ।

रंगीलाल हस कर अपने क्मर से चुन्नी खोलने लगा - अगर आपको चाहिये तो ले लिजिए,,,मै तकिये से .....।

शकुनत्ला हसी और मना करते हुए -अरे नही नही आप रखिये उसे ढकना जरुरी है नही तो आनायास ही मेरा ध्यान .... ।सॉरी वो हिहिही

रंगीलाल हस कर - हिहिहिही आप तो ऐसे डर रही है जैसे मानो आप अपना नियन्त्रण खो देन्गी

शकुन्तला हस्कर अपनी साडी निकालते हुए - धत्त बेशरमी कही के ,,, ऐसी कोई बात नही है मै बहुत संयमि हू समझे हिहिहिही लेकिन अच्छा नही लगता ना आखिर मर्यादा भी तो ....

रंगीलाल शकुन्तला को रोकता हुआ - नही नही आप झूठ बोल रही है ,,,आपके चेहरे से साफ दिख रहा है हिहिहिही

शकुन्तला अब झेप सी गयी कि रंगीलाल उस्से कैसी बाते लेके बैठ गया ,,मगर माहौल ऐसा था कि मानो उसके स्वाभिमान को रंगीलाल ने ललकारा हो ।


शकुन्तला तुनक कर - तो आपको लगता है कि मै बाकी औरतो की तरह आम हू और बहक सकती हू ।

रंगीलाल हस कर - अरे आप नाराज ना हो ,,मै तो बस मजाक कर रहा था

शकुन्तला- नही नही अब आप इसे निकालिये ,, मै आपको गलत साबित कर दूँगी

इधर रंगीलाल ना नुकुर करने लगा और वही शकुन्तला जो अब ब्लाउज पेतिकोट मे थी वो रंगीलाल के कमर की चुन्नी जबरदस्ती खोलने लगी और इसी ना हा मे चुन्नी फट गयी ।

रंगीलाल चाह कर भी उसे लपेट नही सकता था और उसका खुला काला मोटा लण्ड अब शकुन्तला के सामने था ।

शकुन्तला ने पहली बार नजर भर के रंगीलाल के लण्ड की फुली हुई नसो को देखा ,,वो मचल उठी ,,उसके सुखे चुत मे उफान सा उठ गया ।

रंगीलाल ने जब शकुन्तला को ऐसे खोया देखा तो समझ गया अब मंजिल दुर नही ।

रंगीलाल हस कर अपने हाथ को अपने लण्ड पे लाता हुआ - क्या भाभी ये क्या किया ,,फट गया ना वो

शकुन्तला चौकी और उसे अपने बेहोसी का ध्यान आया और फिर कुछ पलो मे उसने रंगीलाल के वक्तव्य को समझा और हस्ते हुए - अरे तो क्या हुआ आप ही चैलेंज कर दिये मुझे ,,, हिहिहिही तो मै क्या करती

रंगीलाल तिरछी नजरो से शकुन्तला के छातियों को निहारता हुआ - हा लेकिन फिर भी आप हार ही गयी ना

शकुन्तला हस कर - अरे कैसे ,, मुझे तो कुछ हुआ ही नही

रंगीलाल चल कर बिस्तर की ओर जाता हुआ - जाने दीजिये मै जान गया ना ,,, चलिये सो जाते है


रंगीलाल के ऐसे इग्नोर करके जाने से शकुन्तला के स्वाभिमान को ठेस लगी और वो चल कर रन्गीलाल के पास गयी - अरे तो मुझे भी बताईए ना कि आपने ऐसे कैसे समझ लिया कि मै हार गयी ।

रंगीलाल मुस्कुरा कर - रहने दीजिये भाभी जी , मै जान रहा हु आप हार गयी ,,भले ही आप दिखावा करे ।

शकुन्तला को समझ नही आ रहा था और रंगीलाल जैसे जैसे बात टालता उसकी बेचैनी उस बात को जानने के लिए और बढ जाती ।

और जब बार बार पूछने पर रंगीलाल ने उसे बताने से मना किया तो वो आवेश मे आकर आगे बढी और रम्गिलाल का गर्म मोटा लण्ड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी ।

रंगीलाल को इसकी उम्मीद नही थी ,,वो तो बस बाते सोच रहा था कि कैसे शकुन्तला को बातो मे उल्झाऊ लेकिन उस्से पहले ही शकुन्तला ने उसका लंड थाम लिया ।

रंगीलाल गनगना गया उसके पैर हिलने लगे । वो कापते स्वर मे - हिहिहिही भाआआभीईई ये ये ये क्याआ कर रही है आप्प्प्प हुहिही अह्ह्ह्ह प्प्लिज्ज्ज छोओओड़ दीजिये अह्ह्ह आह्ह

शकुन्तला इस वक़्त बस गुस्से मे थी और उसे जवाब चाहिये था - नही आप बतायिये पहले , देखीये मैने तो इसे पकड भी रखा है फिर भी नही हुआ मुझे कुछ

रंगीलाल समझ गया कि क्या करना है तो वो बाते बढ़ाते हुए - मै इसका प्रमाण दे सकता हू भाभी जी ,,एक नही दो दो

शकुन्तला की आंखे और बड़ी हो गयी ,,,वो एक असमंजस की स्थिति में आ गयी , बस यही उसका गुस्सा हल्का पड़ा और उस्का ध्यान अपने हाथ मे पकड़े रंगीलाल के मोटे लण्ड पर गयी । जिसे वो भीच रही थी ।

शकुन्तला को अब खुद पर शरम आने लगी कि आवेश मे ये उसने क्या कर दिया

इधर रन्गीलाल हस कर अपना हाथ ऊँगली सीधा शकुन्तला के नुकीले हो चुके निप्प्ल पर रख कर उसे सहला देता है जिससे शकुन्तला की सिसकी निकल जाती है

रन्गीलाल हस कर - देखा भाभी जी , हो गया ना असर

शकुन्तला शर्म से पानी पानी हो गयी और वो उसका लण्ड छोड कर घूम कर अपना मुह ढक ली ।
रंगीलाल समझ गया कि यही सही मौका है

लेकिन वो आगे बढता उस्से पहले शकुन्तला ने गरदन पीछे कर एक सवाल पुछ लिया - लेकिन आप बोले दो प्रमाण, दुसरा कौन सा है ??

रंगीलाल इस सवाल से गदगद हो गया और वो शकुन्तला के बगल मे आकर अपना हाथ उसकी दुसरी चुची के निप्प्ल पर रख कर मसल दिया - ये है भाभी दुसरा वाला

वो फिर से सिहर गयी और वही रंगीलाल ने पीछे से शकुन्तला को पकड कर उसकी दोनो चूचियो पर क्बजा कर लिया

शकुन्तला सिस्की - अह्ह्ह देवर जी ये क्याआअह्ह्ह कर रहे उम्मममं सीईई

रन्गीलाल अपना मोटा लण्ड शकुन्त्ला के गाड मे घिसता हुआ उसकी चुचिया मिजते हुए - वही बता रहा हू भाभी जो पुछ रही थी ,,यही दोनो आपके निप्प्ल मेरे लिंग को देख के खड़े हो गये थे ।

शकुन्तला कसमसा कर - अह्ह्ह लेकिन आपको कैसे पता कि हहह येएह्ब खड़े हो गये है उम्म्ंम्म्ं ये तो अंदर है ना

रंगीलाल उसकी चुचियो को मसलता हुआ
भाभी आपके दूध इतने मोटे और बडे है कि ब्लाउज मे छिप नही सकते ,,ये देखो ना निप्प्ल आपका कितना कड़ा हो गया है ।
रंगीलाल शकुन्तला के ब्लाउज मे हाथ घुसा कर एक चुची को बाहर निकालता हुआ बोला ।

शकुनत्ला पूरी तरह से पिघलने लगी थी रंगीलाल के बाहो मे ,,,
रन्गीलाल ने एक एक करके शकुन्तला के सारे हुक खोल दिये और उसकी नंगी चुचियो को हाथो मे लेके मसल दिया ।
शकुन्तला ने अरसे बाद अपने छातियो पर एक मरदाना स्पर्श मह्सुस कर पागल सी होनी लगी ।

रंगीलाल ने उसे अपने गिरफ्त मे ले रखा था और उसकी गोरी चुचियो को मसलते हुए बोला - अह्ह्ह भाभी आपके दूध सच मे कड़े है ,,कैसे आप खुद को रोक लेती है उम्मममंं क्या मस्त दूध है
ये बोल कर रंगीलाल शकुन्तला के बगल मे आते हुए सामने से अपने मुह उसकी चुची भर ली

शकुन्तला - अह्ह्ह देवर जीईई मर गयीईई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह माआ आरामम्मं से उम्म्ंम्म्ं
रंगीलाल सामने होकर शकुन्तला के कूल्हो को थाम कर अपने ओर खिचकर अपना लण्ड पेतिकोट के उपर से ही उसकी चुत पर धसाने लगा । फिर उसकी आंखो मे देखते हुए बोला - आह्ह भाभीई क्या सच मे इतने सालो से किसी से इन्हे नही छुआ ।

शकुन्तला अपनी पिचपिचाती चुत पर लण्ड की कड़क चुबन पाकर मद मे थी और रंगीलाल के तारीफो से लाल हुई जा रही थी ।

रंगीलाल ने शकुन्तला की मद भरी आंखो मे निहारा और उसकी मुस्कुरा देख के एक उतेज्ना से भरते हुए अपना लण्ड की ओर उसके कूल्हो को खिचते हुए उसके होठ चुसने लगा ।


शकुन्तला एक प्यासी मछली के जैसे रंगीलाल से लिपट गयी । इधर रंगीलाल उसके होठो को चुसते हुए उसके फैले हुए चुतडो को मलने मे कोई कसर नही छोड़ी ।

पेतिकोट के आगे पीछे सीलवटे आ चुकी थी ।
रंगीलाल लगातार अपने लण्ड को उसके चुत के उपर ठोके जा रहा था । लण्ड की घिसन से शकुन्तला व्याकुल हुई जा रही थी उसे बहुत तलब सी थी की रंगीलाल अब उसे ना तड़पाये ,,बस उसकी चुत मे घुसा दे।

इधर रन्गिलाल ने धीरे से मद भरे स्वर मे उसके कानो मे बोला - भाभी चुस दो ना

शकुन्तला ने नजर भर उठा कर रंगीलाल को देखा और फिर शर्मा कर ना मे सर हिलाते हुए मुस्कुराने लगी ।

रंगीलाल ने गुहार की तो - वो मैने कभी किया नही,,,मेरे वो मना करते थे ।

रंगीलाल ने उसका हाथ पकड कर अपने गर्म सख्त लण्ड पर रखता हुआ - तो मै कह रहा हू ना भाभी जी प्लीज

इधर अपने हथेली मे रंगीलाल के लण्ड का कड़ापन और गर्मी मह्सूस कर वो सिस्क पडी और निचे एक नशे मे सरकती चली गयी ।

थोडा उसने अपनी नशीली आंखो से रंगीलाल को देखा और अगले की क्षण लण्ड मुह मे

रंगीलाल की एडिया खड़ी हो गयी और सासे गहरी ।
रंगीलाल - ओह्ह्ह भाभीईई उन्म्म्ं अह्ह्ह आप कमाल हो औम्म्ंं सीई ऐसे ही अह्ह्ह

मगर शकुंतला को लण्ड चूसना कुछ खास जम नही रहा था तो वो खड़ी हो गयी

रंगीलाल उसकी भावना समझ गया और उसको पीछे से दबोच कर उसकी चुचिया मसलते हुए - ओह्ह भाभी छोड क्यू दिया ? मेरी बात नही मानने की सजा देता हू मै उम्म्ंम्ं


शकुन्तला मादक सिसकिया लेती हुई - ओहहह आह्ह उम्म्ंम क्या देवर जीईई उउम्ंमम्मं

रंगीलाल ने हाथ निचे ले जाकर पेतिकोट का नाड़ा खोल दिया और वो शकुन्तला के पैरो मे था ।
शकुन्तला समझ गयी कि आगे क्या होने वाला है ,,लेकिन फिर भी उसे इस कामुक वार्ता मे एक जोश सा मह्सूस हो रहा था और वो जानती थी अगर ये बातचित रुकी तो उसकी मर्यादा उसपे हावी हो जायेगी और सालो से जिस सुख के लिए वो तरस रही है वो अधूरी रह जायेगी ।

शकुन्तला कसमसा कर - उम्म्ं कैसी सजा देवर जी उम्म्ंम

रंगीलाल ने उसे बिस्तर पर धकेला और तेल की शिशि से खुब सारा तेल अपने लण्ड पर चभेडने लगा ।
शकुन्तला बिस्तर पर चित नंगी टाँगे खोले लेती रंगीलाल के कृत्यो को निहारे जा रही थी ।

इधर रंगीलाल मुस्कुरा कर तेल मे सना हुआ लण्ड मसलता हुआ बेड पर चढ़ गया और शकुन्तला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख कर अपना लण्ड उसके झाटो से भरी चुत के उपर घिसने लगा।

शकुन्तला कसमसा कर- बोलिए ना देवर जी क्या सजा देने जा रहे है उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह

रंगीलाल - देखो इसी डंडे से आपकी पिटाई होगी ,,,ये बोलते ही उसने अपना लण्ड ख्चाक से उसकी बुर मे पेल दिया ।

शकुन्तला चीखी - अह्ह्ह माआआआ उह्ह्ह्ह देवर जी उम्म्ंम्ं ओह्ह बह्हुउऊऊत्त्त मोटाहह है उम्म्ं आह्ह

रंगीलाल ने वापस से धक्का दिया और लण्ड सीधा शकुन्तला के चुत को चिरता हुआ आधे से ज्यादा घुस गया

शकुन्तला के जांघो मे भी चिलिक सी होने लगी ,,नसो मे खिचाव सा होने लगा ,,मानो ये उसकी पहली चुदाई थी ।
इधर रंगीलाल ने अपना जगह तय कर लिया और धीरे धीरे चुत की गहराई मे जाने लगा।

शकुन्तला हर धक्के को मस्ती और दर्द मे लेती रही और सिस्क्ती मुस्कुराती कभी शर्माती रही ।

थोडे समय बाद रंगीलाल ने उसका पाव कन्धे से उतारा और जांघो को खोल कर उपर चढ कर घपाघ्प पेलाई शुरु कर दी
रंगीलाल - ओह्ह्ह भाभी आपकी चुत तो सच मे कसी हुई है ,, लग रहा है किसी जवान चुत मे .... अह्ह्ह्ह

शकुन्तला - हम्म्म वो तोहहह लगेगा ही ना देवर जी कितने सालो से कुछ गया नही था अन्दर,,,लेकिन आपने आज अह्ह्ह माआअह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं


रंगीलाल - मै तो जिस दिन से देखा था आपको तभी से नजर पड़ ज
गयी थी आपके इन मोटे दूधो पर ।

शकुन्तला मुस्कुराते हुए - हा जान रही हू ,,,पहले दिन ही मै भी आपकी नियत समझ गयी जब आपने मेरी कच्छी के साथ ....हिहिही
रंगीलाल उस पल को याद करते ही और जोश मे आ गया और गहरे धक्के लगाता हुआ - आह्ह भाभी उसी दिन से तय कर लिया था कि इस पैंटी के निचे का खजाना च्खना पडेगा अह्ह्ह बहुत ही मस्त हो आप भाभी उम्म्ंम


शकुन्तला तो दुसरी बार झड़ रही थी और कामुक होकर अपने चुत के छल्ले को लंड पर कसे जा रही थी ,,मगर जोशिला रंगीलाल कहा थमने वाला था ,,वो ताबड़तोड़ धक्के मारे ही जा रहा था और आखिर मे उसने कहा- अह्ह्ह भाभी निचे आओ मेरा होने वाला है अह्ह्ह
शाकुंतला - नही नही वैसे नही प्लीज ,,, अह्ह्ह मुझे पसन्द नही उम्मममं

इधर रंगीलाल ने जल्दी से लण्ड निकाला और हिलाने लगा और उसका सारा वीर्य तेजी से शकुन्तला की छातियो पर गया और एक दो छीटें उसके निचले होठो पर गये ।

दोनो हाफ रहे और हसे जा रहे थे और अभी के स्थिति को देख को कुछ पल पहले तक के माहौल को सोच रहे थे । कि कैसे हवस ने दोनो को अन्धा किया और वो बहक ही गये ।

इधर रंगीलाल ने पहले ही तय कर रहा था कि अगर शकुन्तला एक चुदाई के बाद झिझक या कोई दुखी भाव दिखायेगी तो वो उसे दुबारा पेल कर उसकी सारी झिझक दुर कर देगा ,,,मगर यहा सब उल्टा था ,शकुन्तला खुद ही फिर से रंगीलाल के लण्ड को थाम ली और अगले राउंड की तैयारी होने लगी थी ।
दोनो ने देर रात तक चुदाई की और शकुन्तला ने सालो की कसर पूरी की ,,क्योकि रंगीलाल के साथ उसे एक सिक्योरिटी मह्सूस की उसने ।
अगली सुबह शकुन्तला फटाफट नासता और दोपहर का खाना बना कर अपने घर चली गयी ,,,क्योकि उसने अपने घर पर झूठ बोला था तो वो दोपहर मे रंगीलाल को खाना देने भी नही जा सकती थी ।


इधर रंगीलाल भी खुशि खुशी अपना लंच लेके 9 बजे तक दुकान पर निकल गया ।

अब एक ओर जहा चमनपुरा मे ये सब हो रहा था वही जानीपुर की सुबह कैसे फीकी होती ।

राज की जुबानी

सुबह 5 बजे ही मेरी निद खुल गयी क्योकि मौसी ने हमसब की जगाया ,,,कारण था झाडू पोछा होना था ।

धीरे धीरे सारे जेन्स लोग कुछ इस घर मे तो कुछ बगल वाले घर मे जिसने खाने पीने के लिए व्यव्स्था की गयी थी ,,वहा जाकर नहाने लगे ।

सबके लिए वही पर चाय पकौड़ी बनवाया गया ।
सबने नासता किया और इधर फिर बारात के पहले के भोज की व्य्व्स्था होने लगी ।

कुछ आये हुए मेहमानो , राजन फूफा ,अनुज और मोहल्ले के लड़के मिल कर दोपहर के खाना बनवाने मे मदद करवाने लगे ।
इधर घर मे औरतो की अलग ही भागा दौडी चल रही थी ।

सुबह से दूल्हे की सारी तैयारिया हो रही थी ।
मै भी रसोई से लेके घर के कामो मे उल्झा था। मौसा भी सारे बुकिंग वालो से फोन पर बाते किये जा रहे थे ।

10 बजे से दूल्हे की कार की सजावट होने लगी थी ।
मेरे अलावा घर के और भी लोगो ने रमन भैया को छेड़ने मे कोई कसर नही छोड़ी ।
सारे लोगो ने मजा लिया ।

इधर मुहल्ले की सड़क पर ही बफर लगा कर सारे बरातियो को खाना खिलाया जाने लगा । घर की औरतो ने एक दो झुंड मे पहले ही खाना खा लिया क्योकि उन्हे ही दूल्हे को तैयार करना था ।

1 बजे तक सारा खाना पीना हुआ । अब तक राजेश मामा भी आ चुके थे ।

तो मैने राजन फूफा और मामा ने मिलकर सारा खाना पीना और बाहर का समान सेट करवाया और नहाने के लिए चले गये ।

घर मे हर कोई खुश था ,,सबके चेहरे पर हसी थी ।
क्योकि बैंड वाले आ चुके थे ।
मौसी ने पहले उनकी द्वारपूजा करवाई फिर उनहोने ने बजाना शुरु कर दिया ।


इधर घर की सबसे उपर की छत पर रमन भैया के नहलाने का कार्यक्रम हो रहा था ,,मामी और एक दो मुहल्ले की भाभिया उन्हे घिस घिस कर नहा रही थी और गुदगुदी की कोई रोक नही थी ।

लगभग सभी ने रमन भैया को इसी बात से चिढ़ाया कि आखीरी बार मामी और भाभी को छू लेने दो ,,फिर तो तुम्हारी वाली किसी को छूने नही देगी ।
कुछ जरुरी कामो के दौरान एक दो बार मेरा उपर जाना हुआ तो मामी मुझे भी खिच कर वही बिठाने लगी कि आओ तुम भी नहा लो ,,,

मै तो जान छुड़ा कर भागा और बगल के घर मे सबके साथ नहा कर तैयार हुआ ।

3 बजे तक सब लोग तैयार हो चुके थे ,,, घर की महिलाओ और लड़कियो के क्या कहने ,,, सेक्सी और गुदाज नाभिया दिखाने मे कोई भी पीछे न्ही रही ,,,चाहे साडी वाली हो या लह्गे वाली ।सब कयामत ढा रही थी । नाना मामा , मौसा , राजन फुफा तो छोडो कुछ बुजुर्ग मेहमानो ने भी घर की गदराई मालो के कूल्हो पर कसी साडी और रसिली नाभि को देख कर आहे भरी ।
इधर सारे जेन्स लोगो ने ड्रेस कोड के नाम पर एक पिंक साफा लिया हुआ था और सब ट्रेडिशनल कपड़ो मे थे ।


अनुज को सहबाला बनाया गया था ।
गाजे बाजे के साथ बारात क्षेत्र के स्थानीय देवी देवताओं के दरो से गुजरने लगी । औरत हो या मर्द सब डांस किये जा रहे थे ।

गीता बबिता सोनल और पल्लवि के साथ उनकी दोस्ती कुछ और मेहमान वाली लडकियो से हुई थी तो उनका गैंग अलग था ,,अनुज राजन फूफा मामा को लेके मै अलग ही नाच रहा था ।

बिच मे कभी मामी तो ममता बुआ के साथ ,,, हाथ पकड कर बडी सभ्यता से ठुमके लगाये जा रहे थे । मगर भोजपूरी गानो पर मामी ने जो अदाये दिखाई आह्ह वो मजा ही अलग था। बारात गाडी आगे बढती ,,, इधर जोड़ो वाला डांस होने लगा ,,ममता - राजन , मामा - मामी यहा तक कि मौसा के चाचा और चाची ने भी थोडे बहुत उछल कूद की ।

मगर फिर चाची को मौसी के साथ कार मे बिठा दिया गया क्योकि उन्हे थकान हो रही थी । इधर गीता बबिता के साथ मैने ठूमके लगाये लेकिन भोजपूरी गानो पर भिड़ मे बहनो के साथ मुझे मस्ती मे नाचता देख पल्लवि किनारे खड़ी हसी जा रही थी ।
थोडा बहुत जोर देके मैने उसको और अनुज को जानबुझ कर साथ मे नचवाया ये देखने के लिए कि अनुज का क्या रियेक्शन आता है ।, उम्मीदन वही हुआ ,,दोनो ने नजरो से बाते की और थोडा मुस्कुराते शर्माते डांस किये ।

अब इतने सारे रसिले माल्दार हसिन महिलाओ को लेके चल रहा हू तो लोगो की नजरे ना जाये उन्के मोटे कुल्हो पर ये कैसे हो पाये ।
जवाँ बूढ़ो सबने जमकर घर की औरतो के मटकते कूल्हो और हिलती चुचियो के नजारे सेके ।
धीरे धीरे अन्धेरा बढा और तय समय पर बारात निकल गयी ।
घर की औरतो मे सिर्फ मामी और सारी लड़किया बारात के लिए गयी ।
हमलोग भी अपने अपने बोलोरो मे बैठ कर निकल गये ।

दो घन्टे का सफर और होने वाली जनमासय मे पानी पीने की व्य्व्स्था करायी गयी थी । जो कि एक सरकारी स्कूल था । जैसा की आम बरातो मे होता था ,,यहा भी था सारे बराती एक साथ मीठे और चाट के स्टालो पर टुट पडे ।
इसलिये मुझे ही अकेले भाग दौड़ कर लडकियो के लिए मीठा और चाट चाऊमीन का इन्तेजाम करना पडा ।

पल्लवी के साथ अब तक एक खास रिश्ता बन चुका था ,,हम दोनो भी इशारे और मुस्कराहट मे बाते करने लगे थे ।

इधर मामी ने तो मेरे साथ अपनी मिठाई साझा करने लगी ।
मै - क्या भाभी इसमे भी आधा हिहिहिह

मामी धीमे से आंख मारते हुए - अरे मामी मे आधा होता ही है ।
(कहने का मतलब था हमारे उत्तर पूर्वी भारत के क्षेत्रों मे मामी के साथ भांजे का रिश्ता हसी मजाक वाला होता है ,,जैसे देवर भाभी और जीजा साली का ।)
थोडी देर बाद हम सब बारात लेके होने वाली भाभी के दरवाजे पहुचे ,,वहा से द्वारपूजा के जयमाल और फिर एक ओर बारातियो का खाना पीना होने लगा ।
वहा भी ग्लैमर मे कोई कमी नही थी ,, लडकी वालो के तरह से भी एक से एक कमसिन हसीनाये खड़ी थी मगर मेरी नजरे तो पल्लवि की कातिल मुसकान पर जमी थी । मेरा स्वार्थ तो उसी से था और कोसिस थी कैसे भी करके घर जाने से पहले ऐसी गदरायी माल को पेलना जरुर है । मगर वो यहा पोस्सिब्ल नजर नही आ रहा था ।

इधर धिरे मौसा , मामा नाना , ये लोग शादी करवाने लगे थे ।
हालकि शादी मे गाव मे हो रही थी । जयमाल के दौरान भाभी को पहली बार देखा । रमन भैया की किस्मत खुल गयी थी जो गाव की देसी छोरि मिली थी । मैने एक बार मा से सुना था कि लड़की यानी कि भाभी खेत मे बहुत काम करती हैं गौशाला मे भी काम करती है ।
तभी तो मैने उनके चौडे कन्धे देख कर समझ गया कि बहुत ही कसा हुआ माल है ,,रमन भैया ने अगर थोडा अच्छे से मेहनत कर दिया तो एक बच्चे के बाद भाभी एक दम गदरा कर मस्त देसी भाभी तैयार होंगी और तब उनको देखने वालो के लण्ड टपक जायेंगे ।
मगर मेरी किस्मत मे मौसा ने घर की औरतो की जिम्मेदारी थी कि भाई मै ही उनका ख्याल रखू और खाना पीने का इन्तेजाम कर दू ।

मेरी भागा दौडी जारी रही और भिड़ कम होने पर मैने अपनी बहनो और पल्लवि को लेके स्टेज पर गया । हमारी तस्वीरे निकाली गयी ।

इधर मैने अनुज को भी छेडा जो रमन भैया के बगल मे बैठा था ताकि भाभी की नजर मुझपर पडे । हुआ भी

मै अनुज के कन्धे पकड़ कर - अबे भैया का सारा सगुन आधा ले लिया तुने ,,,भाभी आधी ना ले लेना हिहिही
अनुज जो कबसे शर्म से लाल हुआ जा रहा था वो मेरे आने और भी परेशान हुआ ।
इधर गीता बबिता ने हसी ठिठोली मे रमन भैया को स्टेज की कुर्सी के हटा कर किनारे कर दी और नयी भाभी से बाते और तस्बिरे निकलवाने लगी ।

फिर मुझे भी साथ बिठा कर फ़ोटो निकल्वाया । हालकी मुझे थोडी हिचक हो रही थी भाभी के बगल मे बैठने पर मगर मामी जी ने तंज कस दिया - अरे हीरो लजा तो ऐसे रहे हो जैसे ,,रमन बहू तुम्को व्याह के ले जा रही है हिहिही

मामी हस कर - अरे नयकी दुल्हीन पहचान लो इनको ,,सबसे चालू देवर यही है बच के रहना

भाभी ने भी हस कर हा मे सर हिलाया ,,इधर मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मै नजरे उठा कर लड़की वालो की तरफ आयी लडकियो को नही देखा
थोडी देर बाद दुल्हन अंदर चली गयी और फिर हम सब घर वालो के लिए एक जगह व्यव्स्था करवाया गया कि घर की औरते दूल्हा सहबाला खाना खा सके ।

खाने के बाद ये तय हुआ कि लड़किया और मामी सब घर वापस जायेंगी रात मे ही ,,लेकिन घर का एक जेन्स आदमी गाडी मे होना चाहिये ।

सामने निकल कर दो ही आ रहे थे,,,एक मै और एक नाना
फिर मैने पहल की मै घर जाता हू ,,नाना जी को यही रहने दीजिये शादी मे बुजुर्ग का होना शुभ ।

फिर मै गाडी मे ड्राईवर के बगल मे बैठ कर निकल गया मौसी के घर वापस ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया रंगीलाल ने तो शकुन्तला भाभी को पटा कर दमदार बैंड बजा दिया दूसरी और राज ने शादी के बैंड के साथ खूब धमाल किया अब देखते हैं की राज किसी का बैंड भी बजा पता है या नहीं
 

Sanju@

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Bhai socha tha ajj good Friday par chutti mil jayegi office se .... lekin bijli vibhag walo ne gaad me :up-urs: kar rakhi h ...

Matlb chuttti k din bhi chuttti nahi h
Thoda bahut likha tha kal ..aaj pura karunga .... UPDATE 126 me CHODAMPUR SPECIAL UPDATES khatam ho jayega.
Raaj ki ghar waapsi :rock:
कोई बात नही अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
 

DREAMBOY40

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बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया रंगीलाल ने तो शकुन्तला भाभी को पटा कर दमदार बैंड बजा दिया दूसरी और राज ने शादी के बैंड के साथ खूब धमाल किया अब देखते हैं की राज किसी का बैंड भी बजा पता है या नहीं
Bahut bahut shukriya bhai ji
 

DREAMBOY40

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UPDATE 126
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
( मिलन एवं विदाई )

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा रंगीलाल ने शकुन्तला के साथ अपना बिस्तर लगा लिया वही राज भौरे की तरह पल्लवि के आगे पीछे मडरा है ,,देखते है उसकी मेहनत क्या रंग लाती है ।

अब आगे

राज की जुबानी
तकरीबन आधी रात बीत चुकी थी और हम लोग रमन भैया के ससुराल से निकल गये थे ।

दिनभर की भाग दौड़ और लम्बे समय तक नाचने के कारण सभी के पैर थके हुए थे। बोलोरो मे बैठी सभी लड़कीया और मामी सब झपकी लेते लेते गहरी नीद मे सो गये ।

मै आगे ड्राईवर के साथ बैठा था , निद मुझे भी आ रही थी मगर उससे कही ज्यादा मेरे मन में एक बात घूम रही थी कि कैसे भी करके चमनपुरा वापस जाने से पहले पल्लवि के साथ मजे लेने ही है ।

उसी उधेड़बुन मे एक दो मै गरदन पीछे मोड कर पल्लवि को सोते हुए देखता भी हू और लहगे के साथ उसकी कसी हूइ चोली मे दो बडे मुलायम रसिले चुचे भरे मे हुए थे ।

लगभग डेढ़ घंटे के सफ़र के बाद रात के करीब 2 बजे हम लोग घर पहुचे ।

दरवाजा पिटने और फोन करने के बाद कही 15 मिंट बाद मौसी आई और फिर हम सब घर मे गये ।
सबकी हालत खराब थी ,, जिसको जहा जगह मिली वो वही सो गया ।

घर मे मर्द के नाम पर मै और मौसा जी के चाचा ही थे । क्योकि वो बारात नही गये थे ।
वो भी सो चुके थे ।

सोनल और पल्लवि ने अपना निचे वाला कमरा ले लिया और मै रमन भैया के कमरे मे गया तो मेरे पीछे गीता बबिता भी चली आई ।

मामी और मौसी उपर चली गयी ।
मै भी उन दोनो को अपने पास सूलाया ।दोनो ने मुझे एक एक तरफ से पकड लिया और सो गयी ।
मै भी बहुत थका था तो सो गया ।

सुबह 6 बजे निद खुली क्योकि कमरे मे सोनल दीदी मुझे जगाने आई थी । उसके साथ पल्लवि भी थी ।

वही गीता बबिता ने मुझे ऐसे कब्जा कर रखा था कि मानो कोई भी मुझसे अलग होना ही नही चाहती थी ।

सोनल हस कर पल्लवि से - ये देखो नवाब को ।

पल्लवि मुझे गीता बबिता के चिपक कर सोता देख हसती है ।
सोनल - अरे नवाब साहब ये बिस्तर खाली करो ,,,यहा अभी थोडी देर बाद भाभी आने वाली है ।

मै कुनमुना कर उठना चाहा तो देखा कि गीता बबिता ने अपने एक एक पैर मेरे उपर फेके हुए है और पेट को पकड कर सोयी हुई ।

मुझे परेशान देख कर सोनल कमरे मे आई और गीता बबिता के पिछवाड़े पर उन्के लहगे के उपर से ही मारते हुए उन्हे ज्गाने लगी ।

गीता थोडा बुदबुदा कर वापस से मुझे और कसके पकड कर सोने लगी ।
इधर बबिता के पिछवाड़े पर एक और चपाट लगी तो बबिता गुस्से से छ्टपटा कर उठती हुई - क्या दीदी आप इतना जलती क्यू हो ,,,हा नही तो सोने दो ना बहुत नीद आ रही है प्लिज्ज ।


सोनल हस कर - अरे मै क्यू तुझसे जलने लगी ,,तू कौन सा मेरी होने वाली सौतन है हिहिही ,,चल उठ अब भाभी आने वाली है ।

मुह बना कर बबिता उठी और गीता को सोता देख - उसे क्यू नही उठाया आपने ,,बस मेरे पीछे पडी रहती हो आप हा नही तो ।

सोनल हस कर वापस से गीता के पिछवाड़े को बजा देती है - उठ जा मोटी,,, खा खा के बस पिछवाडा बडी कर रही हौ ।

इनसब से अगल पल्लवि हम भाई बहनों की मस्तीया देख कर हस रही थी ।
गीता भी नीरस मन से उठते हुए अधूरी नीद के गुस्साती हूआई - हा तो आप भी कर लो ना दीदी बड़ा ,,,,वैसे भी जीजा जी कर ही देंगे शादी के बाद

सोनल चौकी की अभी ये इसे सब पता है कि कब क्या होना है ,और मुझे भी थोडा ताज्जुब हुआ कि शायद मेरी बहने अब शयानी होने लगी है ।

सोनल गीता के सर को टिपते हुए - बहुत बिगड़ गयी है तू ,,,बहुत जीभ चल रही है तेरी , रुक अभी मामी को बोलती हू क्या बोला तुने मुझे

इधर गीता के वक्तव्य के बाद मेरी नजरे पल्लवि से टकराई तो वो मुस्कुरा रही थी ।


सोनल गीता को धमका बाहर जाने लगी तो गीता ने जल्दी से उठी और उसको पीछे से पकडते हुए - अरे नही नही दिदि ना प्लीज ,,,,हिहिही आप मेरी प्यारी दीदी हो ना प्लीज

सोनल गीता के गुदाज हाथो और जिस्मो का अस्पर्श पाकर छ्टकने लगी क्योकि गीता इत्नी गोल म्टोल थी कि जिसको भी वो हग करती उसे गुदगुदी सी होने लगती ।

फिर सोनल उसे पकड हसते हुए बाहर चली गयी और बबिता भी उसके साथ निकाल गयी ।

इधर पल्लवि भी उन्के पीछे जाने को हुई तो मै फटाक से उठा - पल्लवि रुको ना !!

पल्लवि मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं बोलिए क्या हुआ ???

मै बिस्तर से उतर कर उसकी ओर जाने लगा तो मेरे पाजामे मे तना मेरा लण्ड कुर्ते को उठाए हुआ था।।जिसपर पल्लवि की नजर गयी थी ।

मै एक नजर बाहर देखा और थोडा रुक कर बोला - वो तुमने जवाब नही दिया अब तक

पल्लवि समझ गयी मेरे कहने का मतल्ब तो वो शर्मा कर नजरे फेरते हुए मुस्कुराने लगी ।
मै आगे बढा और उसके कलाई को पकड कर उपर लाते हुए अपने दोनो हाथो से सहलाते हुए उसकी उंगलियो को चुमा और मुस्कुरा कर आगे बढ कर उसके गालो को चुम लिया ।

हालकी आज तक मैने किसी को भी ऐसे व्यवहारित नही किया था ,,जितना पल्लवि के लिए क्योकि वो इस लायाक थी । मैने उसके गालो को चूमा और उसके कानो मे बोला - मुझे हा तुम्हारे मुह से सुनना है ।

ये बोल कर मै वहा से निकल गया और पल्लवि वही सिहर कर रह गयी ,,,मेरे हरकतो ने उसे पिघलाना शुरु कर दिया और मुस्कुरा कर रह गयी ।

इधर मै फ्रेश होकर नहाने चला गया । 9 बजे तक भाभी आ गयी उनके स्वागत मे तैयारियाँ होने लगी और धीरे धीरे करके 2 वजे तक का समय बीत गया ।

नयी दुल्हन से मिलने के बाद सारे मेहमान छ्टने लगे ।
इधर मामा की पूरी फैमिली भी घर चली गयी । मौसा के चाचा चाची भी अपने परिवार के साथ गाव चले गये ।

पुरे घर मे अब सिर्फ़ तीन फैमिली थी । एक मेरी ,,एक मौसी की और एक उनकी ननद की ।
खाना पीना कुछ बनाना नही था । हा अलबतक मौसा और राजन फुफा ने मिल कर टेन्ट बर्तन के समानो उनके मालिक के हवाले करने मे व्यस्त रहे ।

इधर जब तक रमन भैया का कमरा रात के सजाया जा रहा था जब तक भाभी को उपर मौसी के कमरे मे रखा गया था । सारी महिला मंडली वही जमी थी यहा तक कि अपना अनुज भी ।

मगर रमन भैया के कमरे की सजावट की जिम्मेदारी तो भाभी के नन्दो की थी । हालकि सुहागरात के सेज के लिए मैने पहले ही फुलो और सजावटी सामान का इन्तेजाम किया था ,,मगर समय समय पर बिच बिच मे सोनल मुझे बुलाती रही ।

थोडे समय बाद मै निचे एक कमरे मे रमन भैया के पास गया जहा वो मोबाईल मे थोडे अपने दोस्तो से बाते कर के आराम फरमा रहे थे ।

मै उन्के पास गया और हस कर - वैसे भैया अगर कोई जानकारी चाहिए तो बेहिच्क पुछ लेना हिहिही मुझसे ।

रमन भैया हस कर - अच्छा अब तू मुझे बतायेगा

मै मजे ले कर - हा ,अब देखो ना । हमारे पास कोई और बडे भैया है और ना ही जीजा जी है तो मैने सोचा क्यू ना मै ही थोडा समझा दू हिहिहिह


रमन भैया हस कर मुझे पीछे गले से पकड के - अच्छा जैसे तुझे बड़ा अनुभव है इनसब का

मै हस कर - अरे अनुभव हिहिहिही..... अनुभव नही भैयाआआ हिहिही वो नेट पर पढा था ना हिहिही

मै उठकर उन्के चंगुल से अलग हुआ - अच्छा वो छाता लिये हो की नही हिहिही या मै लाऊ स्टोर से हीही

ये बोल कर मै भागा और रमन भैया मुझे पकडने के लिए मेरे पीछे भागे ।
मै जान बुझ कर उपर गया सीधा मौसी के कमरे की ओर और भैया भी मेरे पीछे पीछे घुस गये और कमरे का माहौल देख कर वो शांत हो गये ।

मै हस कर उन्हे छेड़ता हुआ - आओ भैया भाभी से मिल लो हिहिहहीही

इतने मे कमरे मे मुहल्ले की एक भाभी बैठी थी वो रमन भैया को छेड़ते हुए बोली - अरे देवर जी तनी पलंग सज जाने दो फिर ये देसी माल तुम्हारा ही है ।

उन मुहल्ले के भाभी के व्यंग पर सबने ठहाके लगाये तो मैने अपनी नयकी भौजी के चेहरे के मुस्कान पर फॉकस किया ,,उन्होने भी अपने मुहल्ले की जेठानी के तन्ज पर होठ दबा कर मुस्की मार ली ।

इधर मौसी - अरे लल्ल्ला तुम लोग यहा क्या करने आये हो
मै हस कर - मौसी वो भैया कह रहे थे कि चलो चोर सिपाही खेलते है और तुम भाग कर भाभी के पास जाना ,,उसी बहाने वो भाभी को देख लेंगे ।

मेरी बात पर सब हसे और रमन भैया शर्म से पानी हो कर मुझे आंखे दिखाने लगे तो मै फटाक से नयी वाली भाभी के बगल बैठता हुआ - देखो ना भाभी ,,भैया मुझे परेशान कर रहे है हिहिही


रमन भैया समझ गये कि यहा उनका चौपट होना ही है तो वो चुपचाप निकल गये ।
मा - चल अब तू भी जा ,,बदमाश कही का ।

मै तुनक कर - मै क्यू जाऊ ,मै तो भाभी से मिलने आया हू

इधर हसी ठिठौली चल रही थी और धीरे धीरे कमरे से एक दो जो मुहल्ले की औरते थे वो भी अपने घर चली गयी ।

मैने एक दो बार भाभी से बात करने की कोसिस की तो वो चुप ही रही तो मै मौसी से - मौसी आपने भाभी का रेमोट कहा रखा है ।

सब चौके और मौसी - मतलब
मै हस कर - अरे देख रहा हू कब से किसी ने इनको म्यूट पर रखा हुआ है हिहिहिही

मेरे जोक पर पहली बार भाभी खिस्स से हसी और चेहरे पर मुस्कान फैल गयी । फिर खासने का नाटक करते हुए चुप हो गयी ।

मौसी हस्ते हुए - धत्त बदमास कही का ,,,तू भी ना

मै - हा अब और क्या ,,देख रहा हू भाभी ने तो तय कर रखा है कि वो सिर्फ भैया से ही बात करेंगी ।

तभी भाभी की पहली महीन से आवाज आई - कहिये क्या बात करनी है आपको ??

सब खुश और अट्टाहस करने लगे कि देखो देखो बहू बोल पडी ।
मै हस कर - चलो चलो अब आप लोग बाहर जाओ ,,मुझे भाभी से कुछ बात करनी है ।

मैने मौसी, मा और ममता बुआ को कमरे से बाहर ख्देड़ा और वो लोग भी हस कर बाहर चली गयी । मगर कमरे का दरवाजा खुला था और वो लोग उपर हाल मे ही थे ।

मै - हम्म्म लो , आपकी तीनो सासो को बाहर खदेड़ दिया,,अब आपको डरने की जरुरत नही है ।।

भाभी धीमी आवाज मे - मै नही डरती किसी से

मुझे उन्के जवाब मे थोडा बचकानापन नजर आया और कुछ वो सिख नजर आई जो शायद मायके से विदा होते समय उनकी मा बुआ ने समझाया होगा ।

मै हस कर - ये हुई ना बात ,,वैसे भाभी आपका नाम क्या है

भाभी - रीना और आपका ??
मै - मै राज ,,आपका लाडला देवर हिहिहिही

भाभी मुस्कुराइ और बोली - अच्छा एक बात पछू
मै - हा हा क्यू नही
भाभी - आपके भैया क्यू आये थे यहा ???
मै हस कर - अरे पता नही क्या हुआ जब से आये हैं बस आपको याद कर रहे है । पता नही क्यू बार बार रात होने का इन्तेजार कर रहे है ।

भाभी हसी और शर्मायी मगर कुछ बोली नही ।
मै उनकी प्रतिक्रिया देख कर बोला - हा तभी ना हम दोनो चोर सिपाही खेलते हुए यहा घुस आये ।

भाभी हसी - आप बहुत नटखट है ।
इधर तब तक कमरे मे मौसी के साथ एक मुहल्ले की औरत आई थी भाभी से मिलने तो मै उनके पास से उठता हुआ धीरे से बोला - मुझसे ज्यादा तो भैया नटखट है ,,बच के रहियेगा हिहिही


फिर मै बाहर निकल कर जाने लगा तो मौसी ने मुझे शरारती भाव से मुस्कुराता देखा तो मेरे पिछवाड़े पर चपट लगायी और मै निचे भाग गया ।
रात हुई हमसब ने खाना पीना किया और फिर दुल्हन को उसके कमरे मे शिफ्ट कर दिया गया ।

इधर चाची जी के जाने के घर के बडे दम्पतियो ने भी अपने अपने कमरो मे सोने का विचार मन मे बना लिया था और मा की इस बात को लेके मौसी से शायद पहले ही बात चित हो गयी थी ।

इसीलिये मौसा मौसी और ममता - राजन और पल्लवि को उपर उनका व्यक्तिगत कमरा दिया गया ।
मा और सोनल एक साथ एक कमरे मे निचे सो गये । फिर मुझे और अनुज को एक साथ सोने के लिए कहा गया ।

लगभग सारे लोग अपने अपने कमरे मे चले गये थे ।
निचे हाल मे मै , मौसी - मौसा और रमन भैया हाल मे थे ।

इधर मौसा ने इशारे से मौसी को मुझे दुर ले जाने को कहा ताकी वो रमन भैया से कुछ बात कर सके ।

मै समझ गया तो मस्ती मे - अरे मुझे भी सुनने दो ना मौसी ,,,आखिर कुछ टाईम बाद मुझे भी काम ही आयेगा।

मौसी मुझे पकड के किचन की ओर ले गयी - चल बदमाश कही का । तेरा समय आयेगा तो रमन सिखा देगा

हम दोनो किचन मे आ गये और मै धिरे से मौसी से - मौसी ,, वैसे तो रमन भैया को सब आपने सिखाया ही है तो अब मौसा क्या बता रहे होगे उनको

मौसी रमन भैया के लिए दुध का ग्लास तैयार करती हुई - चुप पागल कही का ।

फिर हम दोनो बाहर आये
और सीधा भैया के कमरे मे गये जहा भाभी सोफे पर बैठी शायद अपने मायके बात कर रही थी । जैसे ही उन्होने हमे आते देखा तो हमारे मन मे कोई संदेह ना उठे इसिलिए उन्होने फौरन मौसी फोन देते हुए बोली - मा , वो मम्मी जी आई है मै देती हू आप बात कर लो ।

फिर भाभी ने फोन मौसी को दे दिया और मौसी ने फोन लेते हुए वो दूध का बड़ा वाला ग्लास बेड के पास एक स्टूल पर रख दिया ।
इधर मौसी फोन पर बाते कर रही थी और मै खड़ा होकर कमरे में नजरे घुमा रहा ।
कमरे की सजावट बहुत मस्त थी ,,जगह गुब्बारे लगाये हुए थे ।

तभी मुझे मेरे पैंट के पास कुछ हलचल मह्सुस हुई मै चिहुका तो देखा कि वो भाभी थी जो मेरा पैंट घुटने के पास से चुटकी से पकड़ी हुई मुझे इशारे बुला रही थी ।

मैने उनको मुस्कुराते देखा तो फौरन उनके बगल मे - क्या हुआ भाभी , ये कैसे कैसे इशारे कर रही हो?? हिहिही

भाभी ने एक बार मौसी को देखा और धीरे से मेरे टखने के पास चट्ट से हाथ मारते हुए - बदमाश कही के ,,, अभी उपर क्या बोल के गये थे हम्म्म्म

मुझे हसी आई और धीरे से बोला - वही बोला जो सच है, आप बच के रहना हिहिहिही

भाभी मुस्कुरा कर - ऐसी बात है तो आने दो ,,,आज बान्ध कर रखुन्गी आपके भैया को

मै मुस्कुरा कर - हा भाभी कस के पकड़ के रख्ना , बहुत भागते हैं हिहिही

भाभी मेरे दोहरे व्यंग को समझ कर मुस्कुराने लगी तभी मौसी अपनी समधन से बात खतम की और हमे खुसफुसाते देखा ।

मौसी - अरे क्या बाते हो रही है तुम दोनो मे हा ।

मै हस कर - अरे मौसी ये हम देवर भौजी वाली बाते है ,आपको नही जानना चाहिये ।

मै हस कर -अच्छा आप भी भाभी को कुछ समझाओगे ,जैसे बाहर मौसा भैया को समझा रहे है हिहिही

मौसी मेरे गाल खिचते हुए - तू बहुत शरारती हो गया है ।

इधर भाभी मुह अपने होठ दबाए हसी जा रही थी ।


मौसी - चल तू जा बाहर मुझे बहू से कुछ बात करनी है

मै हस कर - आप बताओ या ना बताओ । मै तो भाभी से पुछ लूंगा क्यू भाभी ? हिहिहिही

फिर मै बाहर आया तो देखा रमन भैया अकेले थे ।

मै - अरे मौसा कहा गये
रमन भैया - वो सोने गये उपर
मै - फिर आप भी जाओ , नही तो अगर मै लिवा के गया भाभी तक तो 21000 का सगुन लूंगा हिहीहिही

रमन भैया - चल चल भाग यहा से ,ब्डा आया सगुन लेने वाला ,,,अभी सोनल पल्लवी ने कम लुटा है क्या

मै उत्सुकता से - अच्चा बताओ ना कितना मिला उनको

रमन - पुरे 11 हजार ले गयी मेरे से
मै मुह बिचका के - बस 11 हजार भैया ,,,बस 11 ....। मै होता तो यू यू करके 21000 देता सबको हिहिहिही

ये बोल कर मै वापस मौसी के पास भागा ,लेकिन मौसी कमरे से बाहर आ रही थी ।

मौसी - ओहो तुम लोगो की शैतानी कब खतम होगी ,,रमन तू जा अंदर

मै - हा और दरवाजे की चटखनि लगा लेना हिहिहिही

मौसी मेरे कान पकड मुझे बाहर खिच कर लाई - चल अब तू भी सो जा

मै हस कर - ना मै तो आज जागूँगा और सुनूंगा हिहिहिही

मौसी मुझे लेके हाल मे आगयी थी और उधर रमन भैया कमरे मे चले गये थे ।


मौसी - बदमाश कही का , चल सो जा
मै मुह बनाते हुए - मौसी मुझे भी आज करना है ,,,कितना मन है

मौसी - लेकिन आज तेरे मौसा भी मेरा इन्तजार कर रहे है
मै चहक कर - तो मै भी चलू आपके साथ सोने ,, मौका मिला तो थोडा बहुत हिहिही

मौसी - धत्त नही रे ,,, तू यही सो जा
मै - अच्छा कम से कम दरवाजा खोल कर रखना ,,थोडा बहुत हिला कर काम चला लूंगा

मौसी मुस्कुरा कर - तू नही मानेगा ना
मै हस के - ना
मौसी - ठिक है लेकिन कोई शोर मत करना

मै - हम्म्म ओके मौसी
फिर मै थोडा अपने कमरे में गया और देखा कि सोया हुआ है ।
इधर मै भी थोडा लेता । करीब आधे घण्टे तक मोबाईल मे सर खपाने के बाद मै उठा और कमरे से बाहर आया ।

सबसे पहले मै दबे पाव रमन भैया के कमरे के पास गया और कान लगा कर सुना तो कुछ खास समझ नही आया ।

फिर मै सीधा उपर निकल गया और मौसी ने अपना काम कर रखा था ,,,हल्का सा दरवाजा भिड्का रखा था ।

इधर मै आंखे महीन कर अन्दर देखता हू तो मौसा , मौसी को बाहो मे भरे उनकी नंगी चुचिया मसल रहे थे ,,,मगर कुलर की अवाज मे मुझे कुछ आवाज नही आ रही थी ।

मैने अपना मोटा लण्ड निकाला और हिलाना शुरु किया ,,क्योकि आज शायद यही होने वाला था । मा और सोनल एक साथ सोये थे । वही पल्लवि ने मेरा मस्त काटा था । साली ने मुस्कुरा मुस्कुरा कर मुझे बस लपेटे रखा ।
अब मौसी भी मौसा के साथ थी ।


इधर बारी बारी से मौसा ने एक एक पोज बदल कर मौसी को चोद्ना शुरु किया । हाल मे अन्धेरा था, बस एक नाइट बलब जलने से कोई डर नही था
मगर तभी मुझे कुछ आहट सुनाई दी और मै सतर्क होकर निचे वाले जिने की सीढिओ पर चला गया

तभी राजन फुफा का कमरा खुला । पहले ममता बुआ ब्लाउज पेतिकोट मे , फिर राजन फूफा जान्घिये के साथ फुल बनियान मे बाहर निकले । वो दोनो ने बडी सावधानी से बिना कोई आहट के चुपचाप उपर चले गये ।
मै समझ गया कि शायद कमरे मे पल्लवि के सोने का इन्तेजार कर रहे थे ये दोनो और अभी उपर छत पर जाकर अपनी टपाटप वाली मस्ती शुरु करने वाले है ।

मैने सोचा क्यू ना एक बार इनको भी देख लू ,मगर कमरे का दरवाजा भिड़का हुआ था और पल्लवि का लालच मुझे परेशान कर रहा था ।

इसिलिए मै उपर ना जाकर सोचा क्यू ना पल्लवि के साथ थोडा ....।
फिर मै दबे पाव उनके कमरे की ओर बढा और एक बार जीने पर नजर मारी फिर चुपचाप से कमरे का दरवाजा खोल कर जैसे ही कमरे मे घुसा मेरी आंखे फैल गयी ।


पल्लवि इस समय पूरी नंगी होकर आईने के सामने खड़ी होकर अपने ब्रा के हुक लगा रही थी और ... ।

उफ्फ्फ क्या कयामत थी ,उसके उभरे हुए कुल्हे , नंगी कमर , सुडौल जान्घे और पपीते जैसी चुचिया ।

उसने मुझे देखा तक नही बस अपने काम मे लगी रही ।
मुझे समझ नही आया कि अभी एक मिंट पहले ही तो पल्लवि के मम्मी पापा बाहर गये है तो ये इत्नी जल्दी पूरी नंगी कैसे । कही पल्लवि अपने पापा से तो नही ....।

मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी और फिर मैने खुद को शांत किया और मुस्कुराते हुए गले को खरासा

पल्लवि की नजरे जैसे ही मुझ पर गयी वो मूरत जैसी अकड गयी । फिर उसने मुझे मुस्कुराते देखा तो जल्दीबाजी मे अपना दुपट्टा अपने सीने पर रख दिया ,,मगर शायद वो इस जल्दीबाजी मे भूल गयी कि उसकी चुत अभी भी दिख रही है ।

मैने आंखो से उसकी चुत पर इशारा करके मुस्कुराया तो उसकी आंखे फैल गयी और वो फटाक से बिसतर मे घुस गयी और एक चादर से खुद को ढक लिया ।

मै मुस्कुरा कर एक बार बाहर देखा और उसकी ओर बढा

पल्लवि हडबड़ा कर - तुम यहा क्या कर रहे हो ,,जाओ यहा से पापा आ जायेंगे

मै मुस्कुरा कर - वैसे मुझे नही पता था कि तुम अपने पापा से ही ....।

पल्लवि ने शर्मिंदी से नजरे फेर ली और उतरे हुए चेहरे से - त त त तुम जाओ यहा से प्लीज

मै मुस्कुरा कर - अरे डरो नही मै नही किसी से कहूँगा प्रोमिस

पल्लवि को कुछ उम्मीद जगी और वो नजरे उठा कर - हा फिर भी तुम जाओ यहा से ,,,नही कही पापा मम्मी ने देख लिया तो

मै - हा लेकिन मेरे सवाल का जवाब नहो दिया तुमने

पल्लवि परेशान होकर - अब यहा कैसे , तुम जाओ

फिर वो थोडा डर मे उठी और बाहर नजरे घुमाते हुए चादर से खुद को ढके हुए मुझे बाहर निकालमे लगी ।

मै भी हस कर बाहर चल गया ,,तभी उपर के जीने से आहट हुई और मै निचे अपने कमरे मे चला आया
मै बिस्तर पर लेटा हुआ जब से मै यहा आया और जितनी भी अजीब घटनाये हुई उनको सोचने लगा कि मौसी , मौसा और राजन फूफा के साथ अलग ,,वही ममता बुआ और मौसा के साथ अलग मस्ती कर रही है । उधर राजन फुफा अपनी बीवी और बेटी एक साथ चोद रहा है ।

बाप बेटी के सम्बंध से बार बार मेरा ख्याल मेरे पापा की ओर जा रहा था कि अब तक पापा ने क्यो सोनल दीदी पर ट्राई क्यू नही किया ।

सोनल ही क्या उन्होने तो कभी किसी जवाँ लडकी को अपने लपेटे मे नही लाया और ना ही कभी किसी जवाँ लडकी के साथ सेक्स करने की कोई बात छेड़ी ।

ना जाने क्यू मुझे पापा को लेके ये ख्याल बार बार आने लगे । क्या पता पापा को जवाँ लड़कीयो मे रुचि ना हो या नये जमाने की पढी लिखी लड़कियो ने ही उन्हे दरकिनार कर दिया हो । क्योकि पापा भले ही बातो और चुदाई के जादूगर थे मगर शकल सूरत मे वो एक आम परिवार के मर्द जैसे ही थे ।
ना कोई विशेष कपड़ो पर ध्यान ना अपने बदन पर । पेट थोडा निकला हुआ , दाढ़ी और बालो मे भी सफेदी आ ही गयी थी । मगर ना जाने कैसे अपने उम्र की औरतो को लपेट ले जाते ???

इन्ही विचारो में घिरा हुआ मै सोने की कोसिस मे था

मगर मेरे जहन मे कुछ नये सवाल आने लगे थे ।
कि अब घर जाने के बाद पापा पर थोडी निगरानी करु , क्या पापा का सोनल दीदी या किसी और जवाँ लड़की मे कोई रुचि है भी या नही । मेरा लंड तो ये सोच कर ही तन गया कि वो सीन कैसा होगा जब पापा सोनल दीदी के चुत मे लण्ड डालेन्गे ,,,क्या ये इतना आसान है ? क्या ये हो भी पायेगा ?

फिर मेरी नजर बगल मे सोये अनुज पर गयी तो पल्लवि का ख्याल वापस आ गया ।
मै मुस्कुराकर मन मे - ये भी साला मुझसे आगे निकला ,,पल्लवि जैसी माल को ठोक कर शुरुवात की है । लेकिन अब इसका क्या होगा ? इसे भी चुत की चस्क लग ही गयी होगी । इसपे भी बराबर नजर रखनी पड़ेगी ।
थोडी देर बाद मै भी सो गया ।
अगली सुबह उठा तो घर मे चहल पहल थी और नहा धो कर तैयार हुआ ।

इधर हम लोगो की विदाई का समय हो रहा था । मौसा ने हमारे लिए और पल्लवि के घर वालो के दो गाडी बुक करवा दी ताकी सब आसानी से अपने घर जा सके ।

दोपहर में खाना खाने के बाद हम सब अपना समान बान्ध कर तैयार थे ।
सारे लोग हाल मे एकजुट थे और सबके चेहरे खिले हुए थे तो मन मे थोडी उदासी भी थी ।
मै बारी बारी से सबसे मिला और फिर पल्लवि से भी मिला । उसकी वो कातिल मुस्कान ने मुझे अह्सास दिलाया मानो मुझे चिढा रही हो । हम सबने विदा लिया और अपने अपने गाडी मे बैठ कर निकल गये ।

कुछ दुर तक मेरी और पल्लवी की गाडी आगे पीछे होती रही फिर वो एक दुसरी सड़क से अपने गाव के लिए निकल गयी । सीसा खोल कर मै उसकी गाडी को जाता देखता रहा ।

फिर वापस अपनी सीट पर आकर एक गहरी सास ली और घर के लम्बे सफ़र के लिए इत्मीनान से बैठ गया ।

आंखे बंद करके मैने पल्लवि के साथ बिताये उन आखिरी पलो को याद करने लगा ,जब मै नास्ते के बाद करीब 11 बजे मम्मी का बैग लेने उपर मौसी के कमरे मे गया था ।

उस समय पल्लवि छत पर जा रही थी अपने कपडे उतारने जो सुबह उसने नहाते समय धुले थे ।
मै चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा और छत पर जाकर बाहर से जीने का दरवाजा बन्द कर दिया ।
तेज धूप मे पल्लवि ने मुझे अपनी आंखे महीन करके देखा और मुस्कुराने लगी ।

मै भाग कर उसके पास गया और उसके हाथो से सारे कपडे वही अरगन पर डाल कर उसे लेके बाथरूम मे चला गया ।

पल्लवी हस कर - अरे राज छोडो मुझे कोई देख लेगा ।

मै उदास होकर बडी उम्मीद से पल्लवि के आंखो मे देखता हुआ - अभी तक तुमने मेरा जवाब नही दिया और फिर मै अभी चला जाऊंगा घर ।

पल्लवि मुझे देख कर हसी और बोली - तुम तो अनुज से भी भोले हो ,
फिर उसने मेरे गालो को चुम लिया
मै समझा गया और उसके कमर मे हाथ डाल कर उसके होठो को अपने मुह मे भर लिया ।

पल्लवि भी मेरा साथ देने लगी मेरे हाथ उसके कूल्हो को दबोचने लगे और वो भी कम जल्दीबाजी मे नही थी । पैंट के उपर से मेरे लण्ड को मसलने लगी ।

मै भी जल्दी करना चाहता था और अपना पैंट खोल कर फटाक से लण्ड निकाल दिया

पल्लवि ने मेरी आंखो मे देखते हुए मेरा लण्ड थाम लिया और उसे भीचना शुरु ही किया था कि जीने के दरवाजे पर खटख्ट हुई और हम दोनो की हवा टाइट हो गयी ।

पल्लवि मुझसे अलग हुई और बाहर जाने लगी ।
इधर मै भी अपना लण्ड अन्दर करके बाथरूम से निकल कर पाखाने मे घुस गया ।
पल्लवि ने जीने का दरवाजा खोला तो वहा सोनल दीदी आई थी ।

फिर वो उसी के साथ अपने कपडे लेके निचे चली गयी और मै हाथ मलता रह गया ।
मै निचे आया और मौसी के कमरे मे गया जहा पल्लवि तो थी साथ मे मा और मौसी भी ।

पल्लवि अब मेरे मजे ले रही थी और मै भी अपनी हाल पर मुस्कुरा रहा था कि किस्मत के बिना कुछ हासिल नही हो सकता ।
वैसे भी दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और पल्लवि पर सिर्फ़ अनुज नाम वालो का ही हक है शायद हिहिहिही



बस उन पलो को याद कर आंखे बंद किये गाडी मे बैठा हुआ था कि अनायास मेरे मुह से खिस्स्स से हसी छूट गयी और तभी मा बोली - क्या हुआ राज हस क्यू रहा है ?

मै मेरे यादो से बाहर आया और मुस्कुरा कर - कुछ नही बस यहा की हुई मस्तिया याद करके हसी आ रही थी । कितना मजा आया ना यहा

सोनल - हा यार सच मे , पता ही नही चला कब 15 दिन बित गये और शादी भी हो गयी ।

मा - कोई बात नही ,,तेरी शादी को भी तो ज्यादा समय नही है अब । वो भी जल्द ही आ जायेगी हिहिही

सोनल शर्मा कर मा से लिपट गयी -मा आप भी ना

मा सोनल को अपने सीने से लगाते हुए - वैसे परसो लहगे मे बहुत प्यारी लग रही थी तू

मै तुनकते हुए - अच्छा और मै , मेरी तो कोई फ़िकर ही नही आपको

अनुज - हा मेरी भी नही हुउउह्ह

हम सब हस दिये ।
मा - चलो चलो हम लोगो की मस्ती तो हो गयी लेकिन तेरे पापा बेचारे 4 दिन से अकेले घर दुकान देख सम्भाल रहे है । मुझे तो उनकी फ़िकर है समझा

मै भी मा की बातो पर सहमती दिखाई और सही भी था जितना पापा सन्तोष करके रह जाते हैं और हम लोग घूम टहल कर मस्ती कर लेते है ।

इधर हम लोगो की गाड़ी लगातार आगे बढ़ी जा रही थी और मै भी कुछ यादो को दूहराते मुस्कुराते हुए । घर की ओर निकल गया ।



लेखक की जुबानी
इधर राज की घर वापसी हो रही थी । वही रन्गीलाल ने बीते दो रातो मे शकुन्तला की ताबड़तोड़ चुदाई करी थी । ना अब शकुन्तला को लण्ड मुह मे लेने मे झिझक थी ना उसका रस चाटने मे ।

वही उधर चोदमपुर से आये मेहमान अपने वतन लौट चुके थे । उनसे जुडे किस्से तो आपको हमारे TharkiPo भाई साहब की KATHAA CHODAMPUR KI मे ही मिलेंगे ।

एक बार फिर से TharkiPo भाई का आभार जो उन्होने इतने प्यारे मेहमान की खिदमत का मौका हमे दिया ।
आभार आप पाठको का भी जिन्होने इस EVENT पर अपना विचार रखा और इसे सफल बनाने मे मेरा साथ दिया ।

तो आज से ये CHODAMPUR SPECIAL UPDATES समाप्त होते है ।
आगे से चमनपुरा लाइव से सारे प्रसारण देखने को मिलेंगे कुछ राज की तो कुछ लेखक की जुबानी ।


कहानी जारी रहेगी

धन्यवाद
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Wow... mast update tha dost.. waiting more...Sonal..


Wah bhai, mami theek hi boli thi ki sabse chaalu dewar tumhi ho.
Chupke chupke nayi naweli bhabhi ko tadna bhi shuru kar diya?

जैसा सोचा था एकदम वैसा ही अपने भाई की गांव में शादी का दिन याद आ गया ।

Abe yar ye kya likh rahe ho , sex story hai ya pariwarik drama ? story me bas faltu baat likhi hai itna koi nahi padhta

Rochak aur Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

Nice update

बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है मजा आ गया रंगीलाल ने तो शकुन्तला भाभी को पटा कर दमदार बैंड बजा दिया दूसरी और राज ने शादी के बैंड के साथ खूब धमाल किया अब देखते हैं की राज किसी का बैंड भी बजा पता है या नहीं
New update is posted
Plzz read and review
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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आभार पट्टीका 👩‍🏫

एक खुबसूरत इवेंट का अन्त हो चुका है ।
आखिरी अपडेट 126 पोस्ट कर दिया गया है ।

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मुझे नही पता आप पाठको ने इस CHODAMPUR SPECIAL UPDATES के इवेंट को किस तरीके से देखा । मगर मेरी नजर मे मेरी कहानी के ये उत्तम विशिष्ट परिकल्पनाओ का बहुत ही सुन्दर रचना थी । इस इवेंट ने मेरे लेखन मे अभूतपूर्व सुधार किये और बहुत ही चंचल और रसप्रद कलपनाओ ने मुझे व्यकितगत तौर पर बहुत ही मनोरंजित किया ।

इसके लिए हमारे TharkiPo भाई साहब का बहुत बहुत शुक्रिया और आभार कि उन्होने इतने कामुक और मजेदार किरदारो से हमे रुबरू करवाया ।


इवेंट की झलकियां

आईये इस इवेंट की उन खास झलकियों पर एक नजर डालें जो आप लोगो मे से कुछ ने अगर स्किप किया हो तो उनकी रिकवरी हो जाये आगे कि कहानी के लिए ।

1. रज्जो और कमलनाथ(पति) का समागम
2. रज्जो और राजन ( नंदोई ) के साथ समागम
3. रज्जो का कमलनाथ और राजन के साथ मिलन
4. कमलनाथ और ममता (बहन) के साथ मिलन
5. कमलनाथ का ममता (बहन) और रज्जो (बीवी) के साथ मिलन
6 अनुज का पारिवारिक सम्बन्ध के बारे मे जानना (IMP)
7. अनुज का पहला सेक्स पल्लवि के साथ (IMP)
8. राज का चमनपुरा मे काजल भाभी से नजदीकिया बढना (IMP)
9. चमनपुरा मे राज के पापा और शाकुंतला का मिलन (IMP)
10. कहानी मे रीना भाभी की एन्ट्री जो कि एक गाव की देसी लड़की है (IMP)
11. राज का रीना भाभी से मस्ती मजाक (IMP)
12. राज का बाप बेटी के सम्भोग को लेके विचार आना (IMP)




धन्यवाद
 
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