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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बालगोपाल पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
******** अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
ममता कमलनाथ पर बिना ध्यान दिये सामने की टेबल पर खाना रखा और अपने भैया के बगल मे बैठते हुए बडे प्यार से कमलनाथ को पुचकारा
ममता - भैया उठो ,,, भईआआ ऊ
ममता की आवाज रुक गयी ,,उसकी सांसे तेज होने लगी , क्योकि उसकी नजरे इस वक़्त उसके भैया के पैजामे से बाहर निकले लण्ड पर थी । जिसे वो आंखे फाडे देखे जा रही थी ।
अब आगे
ममता तो जैसे मुर्ति बन गयी । उसकी नजर अपने भैया के सोये हुए काले लण्ड कर गयी ,, जिसका चटक कथइ और आलू जैसा मोटा सुपाडा बाहर निकला था।
ममता की सासे बहुत तेज थी ,, वो थुक गटक कर कभी अपने भैया के चेहरे को देखती तो कभी उनके सास लेते लण्ड को ,,,
ममता की चुत ने रस छोडना शुरु कर दिया था , उसने एक बार फिर अपने भैया को हिलाया और जगाने की मालुमी सी कोसिस की । मगर कमलनाथ पूरी तरह से तन कर सोया था ।
ममता का दिल बहुत जोरो से धडक रहा था ,,, वो कमल्नाथ को जांचने के बाद लगातर अब उसके मोटे लण्ड को निहारे जा रही थी । उसकी जीभ ने लार छोड़नी शुरु कर दी थी जिसे वो बार बार गटक रही थी ।
ममता बडी हिम्मत की और कमलनाथ के कन्धे पर रखे हाथ को सरका कर लण्ड पर पास लाई और जैसे ही उसे छूना चाहा तो कमरे मे हवा का हल्का झोका आया और वो सतर्क हो गयी ।
उसे समझ आया कि वो क्या गलती करने जा रही थी । वो उठी और दौड़ कर दरवाजे के बाहर झांकी और फिर दरवाजा अन्दर से बंद कर दी
दरवाजा बंद करने के बाद ममता घूमी और एक बार अपने सोते हुए भैया को देख कर मन ही मन खुश हुई । धीरे धीरे वो कमलनाथ की ओर बढने लगी साथ ही उसकी सासे भी गहरी होने लगी ।
दबे पाव से ममता चल के कमलनाथ के सामने आई और घुटनो के बल बैठ गयी ।
ममता ने एक नजर कमलनाथ को देखा और फिर कापते हुए हाथो को आगे बढ़ाया ।
जैसे ही ममता की हथेली ने कमलनाथ के लण्ड के उपरी सतह को स्पर्श किया, ममता पूरी तरह से गनगना गयी ।
वो मुस्कुरा कर कापते हुए हौले से कमलनाथ के सोये हुए लण्ड को पकड़ा जो काफी भारी था ।
ममता ने दोनो हाथो अपने भैया के लण्ड थामा जो अभी थोडा ढिला था । जिससे ममता को बहुत गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी ।
वो मुस्कुरा कर हल्का हल्का अपने भैया की लण्ड को सहलाना शुरु किया ।
कुछ ही देर मे लण्ड अकडने लगा । लण्ड को कड़ा होता देख ममता की आंखे चमक उठी, उसने एक नजर कमलनाथ की ओर देखा और फिर उसके पाजामे मे हाथ डाल कर उसके मोटे मोटे आड़ो को हलोरते हुए बाहर निकाल दी ।
गरम आड़ो की तपन से ममता को नशा होने लगा और वो झुक कर लगातर कमलनाथ के चेहरे को देखते हुए आड़ो को चूमा ।
तुरंत कमलनाथ के बदन मे हल्की सी हरकत हुई तो ममता डर गयी और सहलाना रोक दिया ।मगर उसने लण्ड से हाथ नही हटाया ।
कुछ सेकेंड रुक ममता ने लगातार कमलनाथ के चेहरे को घूरा और फिर मुस्कुरा उसके सुपाड़े पर अपना अंगूठा फिराते हुए झुक कर ग्प्प्प से उसका सुपाडा मुह मे भर ली ।
ममता ने आधा लण्ड अन्दर लेके अपनी आंखे उपर कर एक बार फिर कमलनाथ को निहारा और फिर धीरे धीरे पुरा लण्ड गले तक उतारती चली गयी ।
फिर हल्का हल्का उसने लण्ड को चूसना शुरु कर दिया मगर उसपे आज एक अलग ही जुनून था ,,उसको ये सब अपने भैया के साथ करके एक नयी ऊततेजना मह्सूस हो रही थी ।
धीरे धीरे ममता की लण्ड चुसने की क्रिया तेज होने लगी और उसका असर कमलनाथ के उपर भी होने लगा था । वो नीद मे ही कुनमुनाने लगा ।
ममता जो अब तक कयी बार कमलनाथ को हरकत करते हुए देख चुकी थी तो उसने अपनी ऊततेजना मे कमलनाथ पर कोई खास ध्यान नही दिया और पहले से ज्यादा कामुक तरीके से अपने भैया का लण्ड निचोड़ने लगी ।
वही कमलनाथ को आभास हो चुका था कि कोई उसका लण्ड चुस रहा है मगर उसकी आंखे नही खुल पा रही थी ,,, तो वो निद मे कुममनाते हुए बड़बड़ाया - उम्म्ंम्म्ं जानू क्या कर रही हो ,,, उह्ह्ह्ह
ममता अपने भैया की आवाज सुन कर जहा थी वही रुक गयी और उसके दिल की धडकने तेज होने लगी । वो अपनी नाक से तेज सासे लेने लगी क्योकि अभी भी उसके मुह मे आधा लण्ड भरा हुआ था ।
ममता को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ,,, उसकी कुलबुलाती चुत उसे लण्ड छोडने से मना कर रही थी । मगर उससे कही ज्यदा उसे डर सता रहा था कि कही उसके भैया जग ना जाये ।
वही कमलनाथ को थोडी शान्ति मिलने पर वो वापस नीद के आगोश मे चला गया ।
ममता ने मौका देख कर हल्के से अपना मुह खोला और गरदन उपर कर ली । फिर बडे आराम से बिना कोई आहट के वैसे ही लण्ड को छोड दिया ।
फिर वो दबे पाव वैसे ही कमरे से बाहर निकल गयी । उसने दरवाज बन्द किया और फिर सीढियो से निचे की ओर जाने लगी ।
वो हाल मे पहुची ही थी कि उसे अनुज अपने कमरे से बाहर आता हुआ दिखा जो कल रात की तरह आज भी नजारे देखने की आश मे निकला था । मगर ऐन मौके पर ममता निचे आ गयी तो उसकी फट गयी ।
डर तो एक पल को ममता भी गयी थी अनुज को ऐसे सामने पाकर फिर उसने खुद को सम्भाला और बोली - क्या हुआ अनुज तू सोया नही
अनुज की आंखे बडी हो गयी कि क्या बोले ,, उसकी दिल की धडकनें तेज हो गयी थी,,तभी उसकी नजर किचन के खुले दरवाजे पर गयी ।
अनुज मुस्कुरा कर - वो वो मै पानी लेने जा रहा था बुआ
ममता मुस्कुरा कर - ठीक है पानी पीकर सो जाना ।
फिर ममता पल्लवि के कमरे मे चली गयी ।
इधर ममता के जाते ही अनुज ने एक गहरी सास ली और फौरन अपने कमरे मे भाग गया ।
अनुज मन मे - आज तो बच गया ,,,नही तो पकड़ा ही जाता ,,और ये ममता बुआ भी पता नही क्यो निचे आई है अब पता नही कब उपर जायेंगी । आज का सारा मजा खराब हो गया
अनुज भी उदास मन से बिस्तर पर चला गया और सो गया ।
वही एक तरफ धीरे धीरे करके सारे लोग सो गये थे । वही उपर टेरिस के बाथरुम मे रज्जो नहाने के लिए घुस गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया ।
रज्जो की इस हरकत से राजन के उम्मीदो पर पानी फिर गया । रज्जो अन्दर बाथरूम मे मन ही मन खिलखिलाई ।
फिर उसने भी अपने सारे कपडे निकाल कर थोडी देर मे नहा ली ।मगर कपडे तो उसके पास भी नही थे तो उसने वैसे ही नंगी दरवाजे को ओट मे होकर अपनी एक जांघ को थोडा बाहर निकाल कर दरवाजा खोला ।
रज्जो - जीजा जी तौलिया दीजियेगा ।
राजन वो तौलिया ही लपेट कर वही बाथरुम के पास टहल रहा था और रज्जो की आवाज सुन कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई और वो बाथरूम के पास गया और रज्जो के सामने ही तौलिया निकाल कर फिर से नंगा हो गया और तौलिया देते समय उसका लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था ।
तभी उसकी नजर बाथरुम मे एक किनारे भीगी हुई रज्जो के पेतिकोट ब्लाउज पर गयी तो उसका दिल गदगदा गया ।
क्योकि उसे समझ आ गया कि रज्जो ज्यादा से ज्यदा ये तौलिया ही लपेट कर आयेगी ।
रज्जो ने मुस्कुरा कर एक नजर राजन के खड़े लण्ड को निहारा और फिर उसके हाथ से तौलिया लेके दरवाजे के पीछे हो गयी ।
इस बार रज्जो ने दरवाजा बन्द नही किया । फिर हल्का फुल्का अपने बदन को पोछा
रज्जो ने फिर तौलिया लपेटा और दरवाजे के सामने आई तो उसका उभरा हुआ बदन देख कर राजन की हालत खराब हो गयी ।
फिर रज्जो ने दरवाजे की ओर पिठ कर झुकी और अपना पेतिकोट उठाया ,, इस छोटे से सीन ने राजन को रज्जो के गाड के निचले हिस्से के उभारो की झलक मिली ,,जिससे उसका लण्ड और फुदकने लगा ।
फिर रज्जो ने वही किनारे पर रखे राजन के बनियान और जान्घिये को उठाया
राजन ने मौका देखा और वो फौरन बाथरूम मे घुस गया और रज्जो को रोकते हुए - नही नही भाभी आप ये क्या कर रही है ,,एक तो मेरी गलती के कारण ये सब हुआ ।
रज्जो ने एक नजर बाथरुम मे बलब की रोशनी राजन के तने हुए लण्ड को निहारा और फिर उससे बोली -अरे कोई बात नही भाई साहब,,,बस दो मिंट का ही काम है ।
राजन - लेकिन
रज्जो मुस्कुरा कर - आप चिन्ता ना करिये ,,बस वो टोटी चालू किजीये ।
फिर रज्जो वही निचे बैठ गयी और राजन ने वही खडे होकर टोटी चालू की ।
फिर वही निचे बैठ कर रज्जो ने सारे कपडे कचाडने शुरु कर दिये , ऐसे मे उसने जो मोटा तौलिया लपेटा था उसकी गांठ खुल चुकी और जैसे ही रज्जो सारे कपड़े को लेके एक बालटी मे डाल कर उन्हे गारने के लिए उठी ,,,उसके तौलिये का गांठ खुल गया और वो चिहुक कर फौरन तौलिये को पकडना चाही मगर उसके हाथ मे कपड़े थे । फिर भी उसने वैसे ही भिगे कपड़ो के साथ ही अपना तौलिया चुचियो के पास पकड लिया और तौलिया सरकने से रह गया ।
राजन को ब्डा अफसोस हुआ कि ये मौका भी नही मिला उसे । फिर रज्जो ने बार राजन को देखा तो हसने लगी ।
मगर तबतक वो गीले कपडे से काफी सारा पानी धीरे धीरे तौलिए को भी भीग चुका था ।
रज्जो - जीजा जी ये पकड़ेन्गे जरा , वो मेरा तौलिया खुल रहा है हिहिहिही
राजन बडी बेशरमी से हाथ आगे किया और रज्जो के हाथ से कपडे ले लिये और उसने देखा कि तौलिया भी पूरी तरह से भीगा है ।
रज्जो ने राजन को कपडे देके तौलिया पकडे हुए घूम गयी और अच्छे से उसको लपेट लिया ,,मगर तौलिया ज्यादा होने से वो फिर से खुल रहा था ,,जिसे बार बार रज्जो सही कर रही थी
राजन - भाभी मुझे नही लगता कि वो रुकेगा , क्योकि तौलिया भी भीग गया ।
रज्जो - हा सही कह रहे हैं जीजा जी ,,,
राजन - ऐसा करते हैं कि मै ये बत्ती बुझा देता हू और आप तौलिया निचोड लिजिए
रज्जो मुस्कुरा कर - हम्म्म सही रहेगा
फिर राजन ने वो कपडे को वही एक बालटी मे रख दिया और स्विच बंद करके बाथरुम की लाईट बुझा दी ।
अब वहा पुरा अंधेरा हो चुका वही रज्जो ने अपने जिस्म से तौलिया उतार कर उसे गारने लगी ।
इधर राजन धीरे धीरे अनुमान लगाते हुए रज्जो के करीब जाने लगा
रज्जो ने तौलिया निचोड़ा लेकिन फिर भी वो सही से लिपटा नही रहा था ।
रज्जो - ये तो अब भी नही लिपटा रहा है,,,
राजन - लाईये मुझे दीजिये
रज्जो - हा लिजिए लेकिन आप कहा है दिख नही रहे
राजन ने हाथ आगे करके
हा दीजिये भाभी जी
राजन ने हाथ आगे बढ़ाया लेकिन उसका हाथ रज्जो के नंगे पेट को छुआ ,,इसका अह्सास पाते ही राजन के रज्जो के गुदाज पेट का सहलाने लगा ।
रज्जो गुदगुड़ी से खिलखिलाकर - अरे कहा खोज रहे हैं इधर है उपर मेरा हाथ
राजन समझ रहा था कि रज्जो भी थोडी मस्ती चाहती है इसिलिए वो अपने हाथ को उपर उसकी बड़ी बड़ी चुचियो के पास ले गया और निप्प्ल के पास हथेली को घुमा कर - कहा है भाभी जी मिल नही रहा ,,,
रज्जो अपने नंगे निप्प्ल और चूची पर अपने नंदोई के हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी ।
रज्जो - उम्म्ंम्ं कहा खोज रहे हैं जीजा जी अह्ह्ह्ह य्हाआआ है येईईईई उम्म्ंम्ं इस्स्स्स
राजन जो कि अब रज्जो की सही जगह जान गया था तो वो रज्जो के बगल मे खड़ा होकर अच्चे से उसके चुचो मे ही हाथो को घुमाने लगा ।
राजन - ओहो कहा है भाभी मिल नही रहा है
रज्जो अब पूरी तरह से गरम हो रही थी तो उसका हाथ निचे हो गया था ।
रज्जो सिस्क कर - उम्म्ंम जिजाआआआ जीईई मेरा हाथ निचे है
राजन की मानो लौटरी लग गयी । वो चुचियो पर से हाथ को सहलाते हुए उसके पेट फिर चुत के उपरी हिस्सो को सहलाने लगा । जिस्से रज्जो को कपकपी होने लगी ।
राजन थोडा उंगलियो से रज्जो की हल्की झान्टो वाली चुत का मुआयना करते हुए जांघो को सहलाया - ओह्हो भाभी कहा है मिल नही रहा ,,, आप मुझे परेशान करना चाह रही है ना हिहिहिही
रज्जो सिस्ककर - उह्ह्म्म्ं न्हीईई जीजाआआ जीई वही निचे ही तो है
राजन ने इस बार रज्जो के चुत के फाको के उपर से हथेली को घुमाया और फिर अपना दुसरा हाथ उसके चुतडो की ओर सहलाते हुए ले गया और थोडा आगे होकर अपना नुकीला लण्ड रज्जो की कमर के पास घिसने लगा ।
रज्जो को अब ज्यादा खुमारि होने लगी और वो राजन के गरम लण्ड की तपन अपने मुलायम कमर मे चुबता मह्सूस कर काप गयी और उसके हाथ से तौलिया निचे गिर गया ।
राजन ने मौका पाकर रज्जो की उभरी हुई गाड़ का भरपूर मुआयना करते हुए - ओह्ह भाभी कहा है आगे भी नही ना ही पीछे ।
रज्जो अब थोडा राजन की ओर झुकने लगी ,,,उसका शरीर अब धीरे धीरे अपना सन्तुलन खो रहा था ।
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम्ं जिजाआअह्ह जीईई वो निचे गिर गया तौलिया सीईईयीयू उह्ह्ह्ह्ह्ंंमम्मम्ंं
राजन रज्जो की गाड पाटो को सहलाते हुए - अच्छा रुकिये मै निचे देखता हू,
राजन फिर रज्जो के पीछे आ गया और उसकी कमर को छुता हुआ ठीक उसकी गाड़ के उभारो के सामने आ गया ।
राजन के हाथ अभी भी रज्जो के कूल्हो पर सरक रहे थे और उसे रज्जो के बदन से एक मादक सी खुस्बु मिल रही थी । उसने एक लम्बी सास लेते हुए अपने नथुनो को रज्जो की गाड़ की गहरी दरारो के करीब लाकर सुँघा और फिर मुह से सास छोड दी ।
रज्जो अपने गाड़ के उभारो पर राजन की सासो की गरमी पाकर अपने पाटो को सख्त कर लेती है और उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती है ।
मगर राजन के हाथ जैसे ही वापस उसके कूल्हो पर सरकते है वो अपने चुतड के पाटो को ढिला कर देती है और उसी समय राजन हल्का सा आगे होकर अपने शेविंग हुए गालो को हल्का सा रज्जो के गाड़ के एक पाट पर टच करवाता है और उन्हे घुमाता है ।
जहा राजन को अपने गालो पर रज्जो की नरम गाड की ठंडी चमडी आनन्द दे रही थी वही रज्जो की हालत और खराब होने लगी ,,,उसे राजन का स्पर्श बहुत ही कामुक लगा ।
राजन समझ रहा था कि अगर वो मुह से बोल कर भी रज्जो को सेक्स के लिए प्रस्ताव दे तो भी वो मना नही करेगी ,,मगर वो इस पल का मजा लेना चाह रहा था ।
वही रज्जो जो अब तक राजन के हल्के स्पर्शो से पागल हुई जा रही थी ,,उसको बहुत इच्छा होने लगी कि राजन उसके जिस्मो पर अपनी असली मरदाना छाप छोड़े ,,वो उसके बदन को नोच कर गाव के मर्द की ताकत दिखाये ।
राजन के हाथ रज्जो के कूल्हो से सरकते हुए अब उसके सख्त होते गाड़ के पाटो को थाम चुके थे ,,,राजन ने बहुत हल्का सा ही दबाव बनाते हुए रज्जो के गाड़ के मुलायम पाटो को फैलाया था की रज्जो ने खुद अपनी कमर को पीछे की ओर झुका दिया और राजन की नाक रज्जो के गाड़ के गहरी चौडी दरार मे घुस गयी ।
रज्जो सिसकी - उम्म्ंम्ं जिजाआअजीई
राजन को जब अह्सास हुआ कि रज्जो ने खुद पहल करके अपनी चुतडो को पीछे धकेला है वो बहुत ही उत्तेजित हो गया ।
उसने अब अपनी हथेली को रज्जो के चुतडो पर कसते हुए उसके पाटो को फैलाकर अपनी जीभ को उसके गाड़ के सुराख पर फिराया ।
रज्जो अपनी गाड़ के पाटों को सिकोड़ते हुए - उम्म्ंम्ं जिजाआआह्ह्ह जीईई क्याअह्ह्ह कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह
राजन बिना कोई प्रतिक्रिया के अपने काम मे लगा रहा और लपालप जीभ को गाड़ के सुराख पर चलाता रहा
रज्जो कसमसा कर खुद का सन्तुलन बनाने के लिए थोडा अगल बगल हाथ घुमा कर बाथरुम की दिवाल पर हाथ रख दिया और सिस्कने लगी
उसकी चुत ने रिसना शुरु कर दिया और एक मादक गन्ध राजन के नथुनो को रज्जो के चुत के निचले हिस्से की ओर खीचने लगी । राजन के अपने हाथों को रज्जो के चुतडो से हटाया और उसके मासल जांघो को सहलाते हुए उसके चुत के उपरी हिस्से और पेड़ू पर अपनी उगलीओ को घुमाया ।
राजन की मजबूत कलाई को अपनी जांघो और उसके ऊँगलीओ को अपने चुत के आस पास रेंगता पाकर रज्जो कापने लगी । वही राजन उसके गाड़ के पाटो को मुह मे भरने की कोसिस करता तो कभी कुत्तो की लम्बी जीभ निकाल कर उनको चाटता ।
धीरे धीरे उसके अपने हाथ को रज्जो के चुत के उपर ले आया और अपनी दो मोटी ऊँगलीयो से रज्जो के भोसडीदार चुत के फन्को को रगड़ा, जिससे रज्जो की चुत ने पिचपिचा कर थोडा रस छोडा ।
राजन वापस रज्जो की कमर को थामा और खड़ा हुआ जिससे रज्जो आगे होने वाले रोमांच को सोच कर और भी सिहर उठी ।
राजन ने एक हाथ से लण्ड को पकड कर रज्जो के गाड़ के पाटो पर घुमाया ,,
रज्जो मन मे - उफ्फ्फ नंदोई जी का सुपादा बहुत मोटा लग रहा है उम्म्ंम कब डालोगे जीजा जीईईई
राजन अपना लण्ड उपर कर रज्जो के गाड़ के दरारो मे फसा कर अपनी गरम छाती रज्जो के मुलायम पिठ से सटा दी , रज्जो को ऐसा मह्सूस हुआ कि मानो गरम तवा उसके बदन को छू गया मगर एक गजब भी ठंडक भी थी और रज्जो ने अपना बदन राजन के उपर ढिला कर दिया ।
राजन ने रज्जो के कमर के आगे हाथो को उसके पेट से होते हुए उपर उसकी तेजी से उपर निचे होती चुचियो के करीब ले गया फिर दोनो हाथो से उसकी भारी मुलायम चुचियो को थाम कर उन्हे प्यार से उठाया और अपनी कठोर खुरदरी हथेली मे उन्हे मिजना शुरु कर दिया ।
रज्जो एक काम कुण्ठा से भर गयी , उसे एक नये जोश का अनुभव हुआ ,,आखिर जिस मजबूत स्पर्श के लिए वो तडप रही थी वो उसे मिला और उसके हाथ खुद ब खुद उसके नदोई के हाथो के उपर आ गये और वो अपने नंदोई के हाथो को दबा मानो उन्हे उकसा रही थी कि उसके चुचियो को और कठोरता से मसला जाये ।
राजन ने इशारा समझा और अपने होठो से रज्जो एक गरदन के पास चुमते हुए उसने रज्जो के छातियो को और भी जोर से भिच्ना शुरु कर दिया ।
ऐसे मे रज्जो ने पहली बार अपनी भावना व्यक्त की - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह जीजाआअहह जीईई ऐसे हीईई उम्म्ंमममं
राजन रज्जो के वक्तव्य सुन कर और भी उत्तेजित हुआ और उसने भी अपनी भाव्नाओ के सागर से कुछ शब्दो को रज्जो के जिस्म के तारिफ के रूप मे बोलते हुए कहा - ओह्ह्ह्ह भाभी जी आपके ये जोबन बहुत ही गूलगुले और मोटे है अह्ह्ह्ह्ह , कमल भैया तभी तो नशे मे भी आपको भूल नही पाते उम्म्ंम
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम जिजाआह्ह्ह जीईई पकड तो आआपकीईई भी बहुतहह मजबूउउउत है अह्ह्ह्ह उम्मममं तभीईई तोओह्ह ममता इतनी निखर गयी है अह्ह्ह्ह
राजन मुस्कुरा कर - मजबूत तो मेरा कुछ और भी है भाभी ,,,कहो तो उसका भी
राजन के बात पूरी होने से पहले ही रज्जो ने अपनी गाड़ आगे कर थोडा साइड हुई और राजन के खड़े लण्ड को हाथ पीछे कर थामकर उसे सहलाते हुए - उम्म्ंम्ं यही ना ,,,लग तो रहा है काफी मजबूत है ,, मगर मेरी भट्टी की गरमी झेल पायेगा कि नही हिहिही
राजन मुस्कुरा कर रज्जो की चूचियो को सहलाता हुआ - आप ही जाच लो ना भाभी एक बार
रज्जो मुस्करा कर घूमी और राजन के लण्ड को मुठियाते हुए - हम्म्म्म देखना तो पडेगा ही एक बार कि मेरे पति ने अपनी बहन के लिए सही माल खोजा है भी या नही।
राजन ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने ओर खिच कर उसके होठो पर हाथ फिराते हुए कहा- शुरुवात इस्से करिये ना भाभी जी
रज्जो ने थोडी मुस्कुराई और सरकते हुए राजन के कदमो मे बैठ गयी और हाथो को अच्छे से राजन के जांघो और लण्ड के आस पास के एरिया मे सहलाया जिससे राजन के लण्ड मे और भी उत्तेजना आ गयी ।
रज्जो ने मुह खोला और लण्ड के जड़ के पास से उसको एक हाथो से पकडते हुए मुह मे आधा घोट लिया ।
राजन पूरी तरह से हिल गया - उम्म्ंम्ं भाअभीईईई जीईई अह्ह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह्ह ऐसे ही उफ्फ़फ्फ्फ अज्झ
इधर धीरे धीरे रज्जो ने राजन का लण्ड अपने मुह मे भरना शुरु कर दिया ,,वही राजन के मन मे ये दृश्य अपनी आँखो से देखने की इच्छा होने लगी ।
उसने अपने हाथ को इधर उधर पास की दिवाल पर रेगाया और स्विच का बटन पाते ही उसे जला दिया ।
बाथरुम मे रोशनी बाते ही रज्जो चौकी और लण्ड को मुह मे भरे ही अपनी बडी बडी आंखो से राजन को उपर की ओर देखी ।
राजन इस दृश्य को देखकर और भी गदगद हो गया और उसने अपने हाथ को रज्जो के बालो मे घुमाया और बोला - ओह्ह्ज्ज भाभी जी ना जाने कब से इस दृश्य के लिए मै लालयित था उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह ऐसे ही और अन्दर लिजिए अह्ह्ह्ह
रज्जो राजन की मनोभाव्ना सुन कर मुस्कुराइ और थोडी शर्माइ भी , फिर वापस लण्ड को मुह मे भरना शुरु कर दिया ।
थोडी देर बाद ही राजन ने रज्जो के सर को थाम कर उसे इशारा किया कि आगे बढा जाये ।
रज्जो ने वही बगल मे गिरा भीगा हुआ तौलिया उठाया और उसे वही बिछा कर सीधा लेट गयी और अपनी चुत को सहलाते हुए राजन को आमन्त्रण देंने लगी ।।
राजन रज्जो के नग्न बदन को इतने करीब से देख पागल सा होने लगा और तेजी से अपना लण्ड हिलाने लगा
रज्जो अपनी खुली हुई चुत को जान्घे फैला कर रगड़ती हुई - ओह्ह्ह जीजा जी आओ ना ,,इस बार भी सुबह की तरफ बस देख कर निकाल दोगे क्या अह्ह्ह
राजन रज्जो के वक्तव्य सम्झ कर मुस्कुराया - नही भाभी ऐसा मौका कैसे जाने दूँगा
राजन अपने घुटनो के बल आया और लण्ड को सहलाते हुए उसे रज्जो के गीले भोस्दे पर रखा और एक बार मे पुरा लण्ड रज्जो के चुत के जड़ मे उतार दिया ।
रज्जो तेज तेज सांसे लेने लगी - उह्ह्ह अह्ह्ह एक ही बार मे जान ले लोगे क्या आप अह्ह्ह माआ उह्ह्ह्ह अराम से थोडा उम्म्ंम्ं
राजन हस कर - मुझे लगा काफी खुला हुआ माल है तो आराम से चला जायेगा
रज्जो शर्माई- अब खोल दिया है तो रुके क्यू है ,,किजीये ना उम्म्ंम्ं
राजन अपने हाथ आगे ले जाकर उसके चुचियो को सहलाते हुए - क्या कर भाभी जी
रज्जो थोडा शर्मा के - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह जीजा जी वही जो आज भोर मे मेरे साथ करने के लिए सोच रहे थे अह्ह
राजन मे रज्जो के दोनो हाथो को पकड कर उपर किया और उसकी एक चुची को मुह मे भरते हुए एक बार फिर एक लम्बा जोरदार ध्क्क्का रज्जो के चुत मे लगाते हुए - मुझे तो आपके इस भोसडीदार चुत मे अपना लण्ड घुसा कर पेलना था भाभी जी अह्ह्ह
रज्जो राजन के मुह से ऐसे खुले और कामुक शब्द सुन कर सिहर गयी और उसने अपनी चुत के अंदर ही लण्ड को कसते हुए - उम्म्ंम तो पेल लिजिए ना जिजाआ जिईई जैसे मन हो अह्ह्ह्ह
राजन मे वैसे ही रज्जो के हाथ उपर किये हुए अपनी कमर को चलाना शुरु किया और लगातर रज्जो की आन्खो मे देखते हुए उसके भावो को पधने की कोशिस करता रहा
रज्जो राजन के तेज धक्के से पूरी हिल्कोरे मारे जा रही थी ,,बाथरुम थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाज और रज्जो की सिस्कियो से गूज रहा था ।
राजन - अह्ह्ह भाभी मेरा तो काफी सालो से ये सपना था कि कास आप को ऐसे खोल कर चौद पाऊ अह्ह्ह आज मेरा सपना हकीकत मे हुआ अह्ह्ज
रज्जो कस्मसा कर - अह्ह्ह जीजा जी उम्म्ंम ऐसेही अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह चोदिये मूझे जैसे आप चाह रहे हैं उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह उम्म्ंम
राजन - ओह्ह्ह भाभी जी बहुर मजा आ रहा है आपके भोस्ड़े मे उम्म्ंम बहुत गरम हो आप अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह मजा तो आपके इस लण्ड मे भी है जीजा जीई अह्ह्ज ऐसे ही ओह्ह्ह
राजन - उम्म्ंम लगता ही नही सिर्फ कमल भैया ने अकेले इसे इतना खुला कर दिया है उम्म्ंम्म्ं अह्ज्ज्ज
रज्जो - उम्म्ंम्ं और कौन करेगा जीजा जीईई मै कोई रंडी थोड़ी हू अह्ह्ह क्या मै आपको रन्डी लगती हू जीजा जी बोलिए ना ,,क्या मेरी चुत आपको रन्डी की चुत लगती है अह्ह्ह्ह जिजाआजहह जीईई
राजन तेजी से रज्जो के भोस्दे मे पेलता हुआ - उन्मममं किसी चुद्क्क्ड रन्डी से कम थोडी ना लग रही हो भाभी अह्ह्ह्ह आपको देख कर ही लगता है कि कितनी चुदवासी हो उम्म्ंम
रज्जो अपनी तारिफ सुन कर सिस्कते हुए - अह्ह्ह सच मे इत्नी कामुक हू मै जीजा जिईई अह्ह्ह
राजन - उम्म्ं हा भाभी जी,,इतनी बड़ी बड़ी चुचिया और ये बड़े बड़े गाड मैने किसी और के नही देखे । ऐसा लगता है कितना ज्यादा गाड़ मरवाति हो आप अपना
रज्जो मुस्कुरा कर -अह्ह्ह हा जीजा जीई मुझे बहुत पसन्द है अपनी गाड मे लण्ड लेना अह्ह्ह्ह आप भी दोगे ना उम्म्ंम्म्ं बोलो ना जीजा जीईई
राजन रज्जो की बातो से बहुत ही उत्तेजीत हो रहा था तो वो और लम्बे धक्के लगाते हुए - हा भाभी आज पूरी रात आपकी चुत और गाड मारने वाला हू उम्म्ंम अह्ह्ह
रज्जो- ओह्ह्ह जिजाआअजीई ये अह्सास उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आ रही हुईई ओह्ह्ह्ह पेलो ना मुझे और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आपको रन्डी जैसी दिखती हू ना अह्ह्ह्ह मुझे रन्डी समझ कर पेल दो अझ्हअह्ह्ब माआ
रज्जो ये बोल कर तेजी से अपनी गाड़ को उच्काने लगी और झड़ने लगी और वही राजन रज्जो के मुह से इतने कामुक और ऊततेज्क शब्दो को सुन कर पागल हो गया,,,उसके सुपाड़े मे वीर्य भरना शुरु हो गया वो तेजी से धक्के लगाने लगा ,,, रज्जो की चुत से पच्च्च्च प्च्च्च्च्च की आवाजे आने लगी
राजन - अह्ह्ह हा भाभी आप एक नम्बर की रन्डी लगती हो मुझे आह्ह्ह कितनी गर्म हो अह्ह्ह मेरी रन्डी अओह्ह्ह ये ले और ले औम्म्ंं अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह जीजा जी चोदिये मुझे अह्ह्ह्ह मै रन्डी हउउउऊ अह्ह्ह उम्म्ंम और तेज आह्ह्ह
राजन का खुद को अब रोक पाना बहुत मुस्किल वो झडने के बहुत ही करीब था - अह्ह्ह्व मेरी रन्डी भाभी अह्ह्ह मै आने वाला हूउउऊ अओह्ह्ह मेरी चुद्क्क्कड़ड़ ओह्ह्ह
राजन फौरन लण्ड निकाला और हिलाते हुए उठकर रज्जो के मुह के पास गया - अह्ह्ह मेरी रन्ड़ि ले सारा माल अह्ह्हअह्ह्ह्ह ले सरा पि जाआ हहह
राजन तेजी से रज्जो के मुह पर मुठिया कर झडने लगा और फिर रज्जो के मुह मे लण्ड ठूस दिया जिसे रज्जो ने अच्छे से निचोड दिया ।
राजन वही बगल के दिवाल का सहारा लेके पैर फैला कर बैठ गया । थोडी देर तक दोनो ने अपनी सास बरबार की और फिर दोनो एक दूसरे को देख कर ह्स्से
राजन ने अपने पैर के अंगूठे से रज्जो के चुची को ठेला तो रज्जो शर्मा गयी और उठकर टोटी चालू करने लगी ,,वही राजन रज्जो की फैली हुई गाड़ को देख कर एक बार फिर से सिहर उठा और लण्ड सहलाते हुए खड़ा हो गया ।
जारी रहेगी
पढ कर रेवो जरुर दे और कहानी के लिए अपना विचार जरुर रखे ।बिना उसके लिखने का मजा नही आता ।
आपके प्यार की खासा जरुरत है ।
धन्यवाद
Bahu hi umda update mitra dono taraf hi sahi scene chal raha hai... Bahan ko bhai ki fiqar..
Aur Salhaj aur nandoi ki jodi to peg lagane se lekar nahane tak pahunch gaye..
Agali Update ka besabri se intezar.
ममता कमलनाथ पर बिना ध्यान दिये सामने की टेबल पर खाना रखा और अपने भैया के बगल मे बैठते हुए बडे प्यार से कमलनाथ को पुचकारा
ममता - भैया उठो ,,, भईआआ ऊ
ममता की आवाज रुक गयी ,,उसकी सांसे तेज होने लगी , क्योकि उसकी नजरे इस वक़्त उसके भैया के पैजामे से बाहर निकले लण्ड पर थी । जिसे वो आंखे फाडे देखे जा रही थी ।
अब आगे
ममता तो जैसे मुर्ति बन गयी । उसकी नजर अपने भैया के सोये हुए काले लण्ड कर गयी ,, जिसका चटक कथइ और आलू जैसा मोटा सुपाडा बाहर निकला था।
ममता की सासे बहुत तेज थी ,, वो थुक गटक कर कभी अपने भैया के चेहरे को देखती तो कभी उनके सास लेते लण्ड को ,,,
ममता की चुत ने रस छोडना शुरु कर दिया था , उसने एक बार फिर अपने भैया को हिलाया और जगाने की मालुमी सी कोसिस की । मगर कमलनाथ पूरी तरह से तन कर सोया था ।
ममता का दिल बहुत जोरो से धडक रहा था ,,, वो कमल्नाथ को जांचने के बाद लगातर अब उसके मोटे लण्ड को निहारे जा रही थी । उसकी जीभ ने लार छोड़नी शुरु कर दी थी जिसे वो बार बार गटक रही थी ।
ममता बडी हिम्मत की और कमलनाथ के कन्धे पर रखे हाथ को सरका कर लण्ड पर पास लाई और जैसे ही उसे छूना चाहा तो कमरे मे हवा का हल्का झोका आया और वो सतर्क हो गयी ।
उसे समझ आया कि वो क्या गलती करने जा रही थी । वो उठी और दौड़ कर दरवाजे के बाहर झांकी और फिर दरवाजा अन्दर से बंद कर दी
दरवाजा बंद करने के बाद ममता घूमी और एक बार अपने सोते हुए भैया को देख कर मन ही मन खुश हुई । धीरे धीरे वो कमलनाथ की ओर बढने लगी साथ ही उसकी सासे भी गहरी होने लगी ।
दबे पाव से ममता चल के कमलनाथ के सामने आई और घुटनो के बल बैठ गयी ।
ममता ने एक नजर कमलनाथ को देखा और फिर कापते हुए हाथो को आगे बढ़ाया ।
जैसे ही ममता की हथेली ने कमलनाथ के लण्ड के उपरी सतह को स्पर्श किया, ममता पूरी तरह से गनगना गयी ।
वो मुस्कुरा कर कापते हुए हौले से कमलनाथ के सोये हुए लण्ड को पकड़ा जो काफी भारी था ।
ममता ने दोनो हाथो अपने भैया के लण्ड थामा जो अभी थोडा ढिला था । जिससे ममता को बहुत गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी ।
वो मुस्कुरा कर हल्का हल्का अपने भैया की लण्ड को सहलाना शुरु किया ।
कुछ ही देर मे लण्ड अकडने लगा । लण्ड को कड़ा होता देख ममता की आंखे चमक उठी, उसने एक नजर कमलनाथ की ओर देखा और फिर उसके पाजामे मे हाथ डाल कर उसके मोटे मोटे आड़ो को हलोरते हुए बाहर निकाल दी ।
गरम आड़ो की तपन से ममता को नशा होने लगा और वो झुक कर लगातर कमलनाथ के चेहरे को देखते हुए आड़ो को चूमा ।
तुरंत कमलनाथ के बदन मे हल्की सी हरकत हुई तो ममता डर गयी और सहलाना रोक दिया ।मगर उसने लण्ड से हाथ नही हटाया ।
कुछ सेकेंड रुक ममता ने लगातार कमलनाथ के चेहरे को घूरा और फिर मुस्कुरा उसके सुपाड़े पर अपना अंगूठा फिराते हुए झुक कर ग्प्प्प से उसका सुपाडा मुह मे भर ली ।
ममता ने आधा लण्ड अन्दर लेके अपनी आंखे उपर कर एक बार फिर कमलनाथ को निहारा और फिर धीरे धीरे पुरा लण्ड गले तक उतारती चली गयी ।
फिर हल्का हल्का उसने लण्ड को चूसना शुरु कर दिया मगर उसपे आज एक अलग ही जुनून था ,,उसको ये सब अपने भैया के साथ करके एक नयी ऊततेजना मह्सूस हो रही थी ।
धीरे धीरे ममता की लण्ड चुसने की क्रिया तेज होने लगी और उसका असर कमलनाथ के उपर भी होने लगा था । वो नीद मे ही कुनमुनाने लगा ।
ममता जो अब तक कयी बार कमलनाथ को हरकत करते हुए देख चुकी थी तो उसने अपनी ऊततेजना मे कमलनाथ पर कोई खास ध्यान नही दिया और पहले से ज्यादा कामुक तरीके से अपने भैया का लण्ड निचोड़ने लगी ।
वही कमलनाथ को आभास हो चुका था कि कोई उसका लण्ड चुस रहा है मगर उसकी आंखे नही खुल पा रही थी ,,, तो वो निद मे कुममनाते हुए बड़बड़ाया - उम्म्ंम्म्ं जानू क्या कर रही हो ,,, उह्ह्ह्ह
ममता अपने भैया की आवाज सुन कर जहा थी वही रुक गयी और उसके दिल की धडकने तेज होने लगी । वो अपनी नाक से तेज सासे लेने लगी क्योकि अभी भी उसके मुह मे आधा लण्ड भरा हुआ था ।
ममता को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ,,, उसकी कुलबुलाती चुत उसे लण्ड छोडने से मना कर रही थी । मगर उससे कही ज्यदा उसे डर सता रहा था कि कही उसके भैया जग ना जाये ।
वही कमलनाथ को थोडी शान्ति मिलने पर वो वापस नीद के आगोश मे चला गया ।
ममता ने मौका देख कर हल्के से अपना मुह खोला और गरदन उपर कर ली । फिर बडे आराम से बिना कोई आहट के वैसे ही लण्ड को छोड दिया ।
फिर वो दबे पाव वैसे ही कमरे से बाहर निकल गयी । उसने दरवाज बन्द किया और फिर सीढियो से निचे की ओर जाने लगी ।
वो हाल मे पहुची ही थी कि उसे अनुज अपने कमरे से बाहर आता हुआ दिखा जो कल रात की तरह आज भी नजारे देखने की आश मे निकला था । मगर ऐन मौके पर ममता निचे आ गयी तो उसकी फट गयी ।
डर तो एक पल को ममता भी गयी थी अनुज को ऐसे सामने पाकर फिर उसने खुद को सम्भाला और बोली - क्या हुआ अनुज तू सोया नही
अनुज की आंखे बडी हो गयी कि क्या बोले ,, उसकी दिल की धडकनें तेज हो गयी थी,,तभी उसकी नजर किचन के खुले दरवाजे पर गयी ।
अनुज मुस्कुरा कर - वो वो मै पानी लेने जा रहा था बुआ
ममता मुस्कुरा कर - ठीक है पानी पीकर सो जाना ।
फिर ममता पल्लवि के कमरे मे चली गयी ।
इधर ममता के जाते ही अनुज ने एक गहरी सास ली और फौरन अपने कमरे मे भाग गया ।
अनुज मन मे - आज तो बच गया ,,,नही तो पकड़ा ही जाता ,,और ये ममता बुआ भी पता नही क्यो निचे आई है अब पता नही कब उपर जायेंगी । आज का सारा मजा खराब हो गया
अनुज भी उदास मन से बिस्तर पर चला गया और सो गया ।
वही एक तरफ धीरे धीरे करके सारे लोग सो गये थे । वही उपर टेरिस के बाथरुम मे रज्जो नहाने के लिए घुस गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया ।
रज्जो की इस हरकत से राजन के उम्मीदो पर पानी फिर गया । रज्जो अन्दर बाथरूम मे मन ही मन खिलखिलाई ।
फिर उसने भी अपने सारे कपडे निकाल कर थोडी देर मे नहा ली ।मगर कपडे तो उसके पास भी नही थे तो उसने वैसे ही नंगी दरवाजे को ओट मे होकर अपनी एक जांघ को थोडा बाहर निकाल कर दरवाजा खोला ।
रज्जो - जीजा जी तौलिया दीजियेगा ।
राजन वो तौलिया ही लपेट कर वही बाथरुम के पास टहल रहा था और रज्जो की आवाज सुन कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई और वो बाथरूम के पास गया और रज्जो के सामने ही तौलिया निकाल कर फिर से नंगा हो गया और तौलिया देते समय उसका लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था ।
तभी उसकी नजर बाथरुम मे एक किनारे भीगी हुई रज्जो के पेतिकोट ब्लाउज पर गयी तो उसका दिल गदगदा गया ।
क्योकि उसे समझ आ गया कि रज्जो ज्यादा से ज्यदा ये तौलिया ही लपेट कर आयेगी ।
रज्जो ने मुस्कुरा कर एक नजर राजन के खड़े लण्ड को निहारा और फिर उसके हाथ से तौलिया लेके दरवाजे के पीछे हो गयी ।
इस बार रज्जो ने दरवाजा बन्द नही किया । फिर हल्का फुल्का अपने बदन को पोछा
रज्जो ने फिर तौलिया लपेटा और दरवाजे के सामने आई तो उसका उभरा हुआ बदन देख कर राजन की हालत खराब हो गयी ।
फिर रज्जो ने दरवाजे की ओर पिठ कर झुकी और अपना पेतिकोट उठाया ,, इस छोटे से सीन ने राजन को रज्जो के गाड के निचले हिस्से के उभारो की झलक मिली ,,जिससे उसका लण्ड और फुदकने लगा ।
फिर रज्जो ने वही किनारे पर रखे राजन के बनियान और जान्घिये को उठाया
राजन ने मौका देखा और वो फौरन बाथरूम मे घुस गया और रज्जो को रोकते हुए - नही नही भाभी आप ये क्या कर रही है ,,एक तो मेरी गलती के कारण ये सब हुआ ।
रज्जो ने एक नजर बाथरुम मे बलब की रोशनी राजन के तने हुए लण्ड को निहारा और फिर उससे बोली -अरे कोई बात नही भाई साहब,,,बस दो मिंट का ही काम है ।
राजन - लेकिन
रज्जो मुस्कुरा कर - आप चिन्ता ना करिये ,,बस वो टोटी चालू किजीये ।
फिर रज्जो वही निचे बैठ गयी और राजन ने वही खडे होकर टोटी चालू की ।
फिर वही निचे बैठ कर रज्जो ने सारे कपडे कचाडने शुरु कर दिये , ऐसे मे उसने जो मोटा तौलिया लपेटा था उसकी गांठ खुल चुकी और जैसे ही रज्जो सारे कपड़े को लेके एक बालटी मे डाल कर उन्हे गारने के लिए उठी ,,,उसके तौलिये का गांठ खुल गया और वो चिहुक कर फौरन तौलिये को पकडना चाही मगर उसके हाथ मे कपड़े थे । फिर भी उसने वैसे ही भिगे कपड़ो के साथ ही अपना तौलिया चुचियो के पास पकड लिया और तौलिया सरकने से रह गया ।
राजन को ब्डा अफसोस हुआ कि ये मौका भी नही मिला उसे । फिर रज्जो ने बार राजन को देखा तो हसने लगी ।
मगर तबतक वो गीले कपडे से काफी सारा पानी धीरे धीरे तौलिए को भी भीग चुका था ।
रज्जो - जीजा जी ये पकड़ेन्गे जरा , वो मेरा तौलिया खुल रहा है हिहिहिही
राजन बडी बेशरमी से हाथ आगे किया और रज्जो के हाथ से कपडे ले लिये और उसने देखा कि तौलिया भी पूरी तरह से भीगा है ।
रज्जो ने राजन को कपडे देके तौलिया पकडे हुए घूम गयी और अच्छे से उसको लपेट लिया ,,मगर तौलिया ज्यादा होने से वो फिर से खुल रहा था ,,जिसे बार बार रज्जो सही कर रही थी
राजन - भाभी मुझे नही लगता कि वो रुकेगा , क्योकि तौलिया भी भीग गया ।
रज्जो - हा सही कह रहे हैं जीजा जी ,,,
राजन - ऐसा करते हैं कि मै ये बत्ती बुझा देता हू और आप तौलिया निचोड लिजिए
रज्जो मुस्कुरा कर - हम्म्म सही रहेगा
फिर राजन ने वो कपडे को वही एक बालटी मे रख दिया और स्विच बंद करके बाथरुम की लाईट बुझा दी ।
अब वहा पुरा अंधेरा हो चुका वही रज्जो ने अपने जिस्म से तौलिया उतार कर उसे गारने लगी ।
इधर राजन धीरे धीरे अनुमान लगाते हुए रज्जो के करीब जाने लगा
रज्जो ने तौलिया निचोड़ा लेकिन फिर भी वो सही से लिपटा नही रहा था ।
रज्जो - ये तो अब भी नही लिपटा रहा है,,,
राजन - लाईये मुझे दीजिये
रज्जो - हा लिजिए लेकिन आप कहा है दिख नही रहे
राजन ने हाथ आगे करके
हा दीजिये भाभी जी
राजन ने हाथ आगे बढ़ाया लेकिन उसका हाथ रज्जो के नंगे पेट को छुआ ,,इसका अह्सास पाते ही राजन के रज्जो के गुदाज पेट का सहलाने लगा ।
रज्जो गुदगुड़ी से खिलखिलाकर - अरे कहा खोज रहे हैं इधर है उपर मेरा हाथ
राजन समझ रहा था कि रज्जो भी थोडी मस्ती चाहती है इसिलिए वो अपने हाथ को उपर उसकी बड़ी बड़ी चुचियो के पास ले गया और निप्प्ल के पास हथेली को घुमा कर - कहा है भाभी जी मिल नही रहा ,,,
रज्जो अपने नंगे निप्प्ल और चूची पर अपने नंदोई के हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी ।
रज्जो - उम्म्ंम्ं कहा खोज रहे हैं जीजा जी अह्ह्ह्ह य्हाआआ है येईईईई उम्म्ंम्ं इस्स्स्स
राजन जो कि अब रज्जो की सही जगह जान गया था तो वो रज्जो के बगल मे खड़ा होकर अच्चे से उसके चुचो मे ही हाथो को घुमाने लगा ।
राजन - ओहो कहा है भाभी मिल नही रहा है
रज्जो अब पूरी तरह से गरम हो रही थी तो उसका हाथ निचे हो गया था ।
रज्जो सिस्क कर - उम्म्ंम जिजाआआआ जीईई मेरा हाथ निचे है
राजन की मानो लौटरी लग गयी । वो चुचियो पर से हाथ को सहलाते हुए उसके पेट फिर चुत के उपरी हिस्सो को सहलाने लगा । जिस्से रज्जो को कपकपी होने लगी ।
राजन थोडा उंगलियो से रज्जो की हल्की झान्टो वाली चुत का मुआयना करते हुए जांघो को सहलाया - ओह्हो भाभी कहा है मिल नही रहा ,,, आप मुझे परेशान करना चाह रही है ना हिहिहिही
रज्जो सिस्ककर - उह्ह्म्म्ं न्हीईई जीजाआआ जीई वही निचे ही तो है
राजन ने इस बार रज्जो के चुत के फाको के उपर से हथेली को घुमाया और फिर अपना दुसरा हाथ उसके चुतडो की ओर सहलाते हुए ले गया और थोडा आगे होकर अपना नुकीला लण्ड रज्जो की कमर के पास घिसने लगा ।
रज्जो को अब ज्यादा खुमारि होने लगी और वो राजन के गरम लण्ड की तपन अपने मुलायम कमर मे चुबता मह्सूस कर काप गयी और उसके हाथ से तौलिया निचे गिर गया ।
राजन ने मौका पाकर रज्जो की उभरी हुई गाड़ का भरपूर मुआयना करते हुए - ओह्ह भाभी कहा है आगे भी नही ना ही पीछे ।
रज्जो अब थोडा राजन की ओर झुकने लगी ,,,उसका शरीर अब धीरे धीरे अपना सन्तुलन खो रहा था ।
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम्ं जिजाआअह्ह जीईई वो निचे गिर गया तौलिया सीईईयीयू उह्ह्ह्ह्ह्ंंमम्मम्ंं
राजन रज्जो की गाड पाटो को सहलाते हुए - अच्छा रुकिये मै निचे देखता हू,
राजन फिर रज्जो के पीछे आ गया और उसकी कमर को छुता हुआ ठीक उसकी गाड़ के उभारो के सामने आ गया ।
राजन के हाथ अभी भी रज्जो के कूल्हो पर सरक रहे थे और उसे रज्जो के बदन से एक मादक सी खुस्बु मिल रही थी । उसने एक लम्बी सास लेते हुए अपने नथुनो को रज्जो की गाड़ की गहरी दरारो के करीब लाकर सुँघा और फिर मुह से सास छोड दी ।
रज्जो अपने गाड़ के उभारो पर राजन की सासो की गरमी पाकर अपने पाटो को सख्त कर लेती है और उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती है ।
मगर राजन के हाथ जैसे ही वापस उसके कूल्हो पर सरकते है वो अपने चुतड के पाटो को ढिला कर देती है और उसी समय राजन हल्का सा आगे होकर अपने शेविंग हुए गालो को हल्का सा रज्जो के गाड़ के एक पाट पर टच करवाता है और उन्हे घुमाता है ।
जहा राजन को अपने गालो पर रज्जो की नरम गाड की ठंडी चमडी आनन्द दे रही थी वही रज्जो की हालत और खराब होने लगी ,,,उसे राजन का स्पर्श बहुत ही कामुक लगा ।
राजन समझ रहा था कि अगर वो मुह से बोल कर भी रज्जो को सेक्स के लिए प्रस्ताव दे तो भी वो मना नही करेगी ,,मगर वो इस पल का मजा लेना चाह रहा था ।
वही रज्जो जो अब तक राजन के हल्के स्पर्शो से पागल हुई जा रही थी ,,उसको बहुत इच्छा होने लगी कि राजन उसके जिस्मो पर अपनी असली मरदाना छाप छोड़े ,,वो उसके बदन को नोच कर गाव के मर्द की ताकत दिखाये ।
राजन के हाथ रज्जो के कूल्हो से सरकते हुए अब उसके सख्त होते गाड़ के पाटो को थाम चुके थे ,,,राजन ने बहुत हल्का सा ही दबाव बनाते हुए रज्जो के गाड़ के मुलायम पाटो को फैलाया था की रज्जो ने खुद अपनी कमर को पीछे की ओर झुका दिया और राजन की नाक रज्जो के गाड़ के गहरी चौडी दरार मे घुस गयी ।
रज्जो सिसकी - उम्म्ंम्ं जिजाआअजीई
राजन को जब अह्सास हुआ कि रज्जो ने खुद पहल करके अपनी चुतडो को पीछे धकेला है वो बहुत ही उत्तेजित हो गया ।
उसने अब अपनी हथेली को रज्जो के चुतडो पर कसते हुए उसके पाटो को फैलाकर अपनी जीभ को उसके गाड़ के सुराख पर फिराया ।
रज्जो अपनी गाड़ के पाटों को सिकोड़ते हुए - उम्म्ंम्ं जिजाआआह्ह्ह जीईई क्याअह्ह्ह कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह
राजन बिना कोई प्रतिक्रिया के अपने काम मे लगा रहा और लपालप जीभ को गाड़ के सुराख पर चलाता रहा
रज्जो कसमसा कर खुद का सन्तुलन बनाने के लिए थोडा अगल बगल हाथ घुमा कर बाथरुम की दिवाल पर हाथ रख दिया और सिस्कने लगी
उसकी चुत ने रिसना शुरु कर दिया और एक मादक गन्ध राजन के नथुनो को रज्जो के चुत के निचले हिस्से की ओर खीचने लगी । राजन के अपने हाथों को रज्जो के चुतडो से हटाया और उसके मासल जांघो को सहलाते हुए उसके चुत के उपरी हिस्से और पेड़ू पर अपनी उगलीओ को घुमाया ।
राजन की मजबूत कलाई को अपनी जांघो और उसके ऊँगलीओ को अपने चुत के आस पास रेंगता पाकर रज्जो कापने लगी । वही राजन उसके गाड़ के पाटो को मुह मे भरने की कोसिस करता तो कभी कुत्तो की लम्बी जीभ निकाल कर उनको चाटता ।
धीरे धीरे उसके अपने हाथ को रज्जो के चुत के उपर ले आया और अपनी दो मोटी ऊँगलीयो से रज्जो के भोसडीदार चुत के फन्को को रगड़ा, जिससे रज्जो की चुत ने पिचपिचा कर थोडा रस छोडा ।
राजन वापस रज्जो की कमर को थामा और खड़ा हुआ जिससे रज्जो आगे होने वाले रोमांच को सोच कर और भी सिहर उठी ।
राजन ने एक हाथ से लण्ड को पकड कर रज्जो के गाड़ के पाटो पर घुमाया ,,
रज्जो मन मे - उफ्फ्फ नंदोई जी का सुपादा बहुत मोटा लग रहा है उम्म्ंम कब डालोगे जीजा जीईईई
राजन अपना लण्ड उपर कर रज्जो के गाड़ के दरारो मे फसा कर अपनी गरम छाती रज्जो के मुलायम पिठ से सटा दी , रज्जो को ऐसा मह्सूस हुआ कि मानो गरम तवा उसके बदन को छू गया मगर एक गजब भी ठंडक भी थी और रज्जो ने अपना बदन राजन के उपर ढिला कर दिया ।
राजन ने रज्जो के कमर के आगे हाथो को उसके पेट से होते हुए उपर उसकी तेजी से उपर निचे होती चुचियो के करीब ले गया फिर दोनो हाथो से उसकी भारी मुलायम चुचियो को थाम कर उन्हे प्यार से उठाया और अपनी कठोर खुरदरी हथेली मे उन्हे मिजना शुरु कर दिया ।
रज्जो एक काम कुण्ठा से भर गयी , उसे एक नये जोश का अनुभव हुआ ,,आखिर जिस मजबूत स्पर्श के लिए वो तडप रही थी वो उसे मिला और उसके हाथ खुद ब खुद उसके नदोई के हाथो के उपर आ गये और वो अपने नंदोई के हाथो को दबा मानो उन्हे उकसा रही थी कि उसके चुचियो को और कठोरता से मसला जाये ।
राजन ने इशारा समझा और अपने होठो से रज्जो एक गरदन के पास चुमते हुए उसने रज्जो के छातियो को और भी जोर से भिच्ना शुरु कर दिया ।
ऐसे मे रज्जो ने पहली बार अपनी भावना व्यक्त की - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह जीजाआअहह जीईई ऐसे हीईई उम्म्ंमममं
राजन रज्जो के वक्तव्य सुन कर और भी उत्तेजित हुआ और उसने भी अपनी भाव्नाओ के सागर से कुछ शब्दो को रज्जो के जिस्म के तारिफ के रूप मे बोलते हुए कहा - ओह्ह्ह्ह भाभी जी आपके ये जोबन बहुत ही गूलगुले और मोटे है अह्ह्ह्ह्ह , कमल भैया तभी तो नशे मे भी आपको भूल नही पाते उम्म्ंम
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम जिजाआह्ह्ह जीईई पकड तो आआपकीईई भी बहुतहह मजबूउउउत है अह्ह्ह्ह उम्मममं तभीईई तोओह्ह ममता इतनी निखर गयी है अह्ह्ह्ह
राजन मुस्कुरा कर - मजबूत तो मेरा कुछ और भी है भाभी ,,,कहो तो उसका भी
राजन के बात पूरी होने से पहले ही रज्जो ने अपनी गाड़ आगे कर थोडा साइड हुई और राजन के खड़े लण्ड को हाथ पीछे कर थामकर उसे सहलाते हुए - उम्म्ंम्ं यही ना ,,,लग तो रहा है काफी मजबूत है ,, मगर मेरी भट्टी की गरमी झेल पायेगा कि नही हिहिही
राजन मुस्कुरा कर रज्जो की चूचियो को सहलाता हुआ - आप ही जाच लो ना भाभी एक बार
रज्जो मुस्करा कर घूमी और राजन के लण्ड को मुठियाते हुए - हम्म्म्म देखना तो पडेगा ही एक बार कि मेरे पति ने अपनी बहन के लिए सही माल खोजा है भी या नही।
राजन ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने ओर खिच कर उसके होठो पर हाथ फिराते हुए कहा- शुरुवात इस्से करिये ना भाभी जी
रज्जो ने थोडी मुस्कुराई और सरकते हुए राजन के कदमो मे बैठ गयी और हाथो को अच्छे से राजन के जांघो और लण्ड के आस पास के एरिया मे सहलाया जिससे राजन के लण्ड मे और भी उत्तेजना आ गयी ।
रज्जो ने मुह खोला और लण्ड के जड़ के पास से उसको एक हाथो से पकडते हुए मुह मे आधा घोट लिया ।
राजन पूरी तरह से हिल गया - उम्म्ंम्ं भाअभीईईई जीईई अह्ह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह्ह ऐसे ही उफ्फ़फ्फ्फ अज्झ
इधर धीरे धीरे रज्जो ने राजन का लण्ड अपने मुह मे भरना शुरु कर दिया ,,वही राजन के मन मे ये दृश्य अपनी आँखो से देखने की इच्छा होने लगी ।
उसने अपने हाथ को इधर उधर पास की दिवाल पर रेगाया और स्विच का बटन पाते ही उसे जला दिया ।
बाथरुम मे रोशनी बाते ही रज्जो चौकी और लण्ड को मुह मे भरे ही अपनी बडी बडी आंखो से राजन को उपर की ओर देखी ।
राजन इस दृश्य को देखकर और भी गदगद हो गया और उसने अपने हाथ को रज्जो के बालो मे घुमाया और बोला - ओह्ह्ज्ज भाभी जी ना जाने कब से इस दृश्य के लिए मै लालयित था उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह ऐसे ही और अन्दर लिजिए अह्ह्ह्ह
रज्जो राजन की मनोभाव्ना सुन कर मुस्कुराइ और थोडी शर्माइ भी , फिर वापस लण्ड को मुह मे भरना शुरु कर दिया ।
थोडी देर बाद ही राजन ने रज्जो के सर को थाम कर उसे इशारा किया कि आगे बढा जाये ।
रज्जो ने वही बगल मे गिरा भीगा हुआ तौलिया उठाया और उसे वही बिछा कर सीधा लेट गयी और अपनी चुत को सहलाते हुए राजन को आमन्त्रण देंने लगी ।।
राजन रज्जो के नग्न बदन को इतने करीब से देख पागल सा होने लगा और तेजी से अपना लण्ड हिलाने लगा
रज्जो अपनी खुली हुई चुत को जान्घे फैला कर रगड़ती हुई - ओह्ह्ह जीजा जी आओ ना ,,इस बार भी सुबह की तरफ बस देख कर निकाल दोगे क्या अह्ह्ह
राजन रज्जो के वक्तव्य सम्झ कर मुस्कुराया - नही भाभी ऐसा मौका कैसे जाने दूँगा
राजन अपने घुटनो के बल आया और लण्ड को सहलाते हुए उसे रज्जो के गीले भोस्दे पर रखा और एक बार मे पुरा लण्ड रज्जो के चुत के जड़ मे उतार दिया ।
रज्जो तेज तेज सांसे लेने लगी - उह्ह्ह अह्ह्ह एक ही बार मे जान ले लोगे क्या आप अह्ह्ह माआ उह्ह्ह्ह अराम से थोडा उम्म्ंम्ं
राजन हस कर - मुझे लगा काफी खुला हुआ माल है तो आराम से चला जायेगा
रज्जो शर्माई- अब खोल दिया है तो रुके क्यू है ,,किजीये ना उम्म्ंम्ं
राजन अपने हाथ आगे ले जाकर उसके चुचियो को सहलाते हुए - क्या कर भाभी जी
रज्जो थोडा शर्मा के - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह जीजा जी वही जो आज भोर मे मेरे साथ करने के लिए सोच रहे थे अह्ह
राजन मे रज्जो के दोनो हाथो को पकड कर उपर किया और उसकी एक चुची को मुह मे भरते हुए एक बार फिर एक लम्बा जोरदार ध्क्क्का रज्जो के चुत मे लगाते हुए - मुझे तो आपके इस भोसडीदार चुत मे अपना लण्ड घुसा कर पेलना था भाभी जी अह्ह्ह
रज्जो राजन के मुह से ऐसे खुले और कामुक शब्द सुन कर सिहर गयी और उसने अपनी चुत के अंदर ही लण्ड को कसते हुए - उम्म्ंम तो पेल लिजिए ना जिजाआ जिईई जैसे मन हो अह्ह्ह्ह
राजन मे वैसे ही रज्जो के हाथ उपर किये हुए अपनी कमर को चलाना शुरु किया और लगातर रज्जो की आन्खो मे देखते हुए उसके भावो को पधने की कोशिस करता रहा
रज्जो राजन के तेज धक्के से पूरी हिल्कोरे मारे जा रही थी ,,बाथरुम थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाज और रज्जो की सिस्कियो से गूज रहा था ।
राजन - अह्ह्ह भाभी मेरा तो काफी सालो से ये सपना था कि कास आप को ऐसे खोल कर चौद पाऊ अह्ह्ह आज मेरा सपना हकीकत मे हुआ अह्ह्ज
रज्जो कस्मसा कर - अह्ह्ह जीजा जी उम्म्ंम ऐसेही अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह चोदिये मूझे जैसे आप चाह रहे हैं उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह उम्म्ंम
राजन - ओह्ह्ह भाभी जी बहुर मजा आ रहा है आपके भोस्ड़े मे उम्म्ंम बहुत गरम हो आप अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह मजा तो आपके इस लण्ड मे भी है जीजा जीई अह्ह्ज ऐसे ही ओह्ह्ह
राजन - उम्म्ंम लगता ही नही सिर्फ कमल भैया ने अकेले इसे इतना खुला कर दिया है उम्म्ंम्म्ं अह्ज्ज्ज
रज्जो - उम्म्ंम्ं और कौन करेगा जीजा जीईई मै कोई रंडी थोड़ी हू अह्ह्ह क्या मै आपको रन्डी लगती हू जीजा जी बोलिए ना ,,क्या मेरी चुत आपको रन्डी की चुत लगती है अह्ह्ह्ह जिजाआजहह जीईई
राजन तेजी से रज्जो के भोस्दे मे पेलता हुआ - उन्मममं किसी चुद्क्क्ड रन्डी से कम थोडी ना लग रही हो भाभी अह्ह्ह्ह आपको देख कर ही लगता है कि कितनी चुदवासी हो उम्म्ंम
रज्जो अपनी तारिफ सुन कर सिस्कते हुए - अह्ह्ह सच मे इत्नी कामुक हू मै जीजा जिईई अह्ह्ह
राजन - उम्म्ं हा भाभी जी,,इतनी बड़ी बड़ी चुचिया और ये बड़े बड़े गाड मैने किसी और के नही देखे । ऐसा लगता है कितना ज्यादा गाड़ मरवाति हो आप अपना
रज्जो मुस्कुरा कर -अह्ह्ह हा जीजा जीई मुझे बहुत पसन्द है अपनी गाड मे लण्ड लेना अह्ह्ह्ह आप भी दोगे ना उम्म्ंम्म्ं बोलो ना जीजा जीईई
राजन रज्जो की बातो से बहुत ही उत्तेजीत हो रहा था तो वो और लम्बे धक्के लगाते हुए - हा भाभी आज पूरी रात आपकी चुत और गाड मारने वाला हू उम्म्ंम अह्ह्ह
रज्जो- ओह्ह्ह जिजाआअजीई ये अह्सास उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आ रही हुईई ओह्ह्ह्ह पेलो ना मुझे और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आपको रन्डी जैसी दिखती हू ना अह्ह्ह्ह मुझे रन्डी समझ कर पेल दो अझ्हअह्ह्ब माआ
रज्जो ये बोल कर तेजी से अपनी गाड़ को उच्काने लगी और झड़ने लगी और वही राजन रज्जो के मुह से इतने कामुक और ऊततेज्क शब्दो को सुन कर पागल हो गया,,,उसके सुपाड़े मे वीर्य भरना शुरु हो गया वो तेजी से धक्के लगाने लगा ,,, रज्जो की चुत से पच्च्च्च प्च्च्च्च्च की आवाजे आने लगी
राजन - अह्ह्ह हा भाभी आप एक नम्बर की रन्डी लगती हो मुझे आह्ह्ह कितनी गर्म हो अह्ह्ह मेरी रन्डी अओह्ह्ह ये ले और ले औम्म्ंं अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह जीजा जी चोदिये मुझे अह्ह्ह्ह मै रन्डी हउउउऊ अह्ह्ह उम्म्ंम और तेज आह्ह्ह
राजन का खुद को अब रोक पाना बहुत मुस्किल वो झडने के बहुत ही करीब था - अह्ह्ह्व मेरी रन्डी भाभी अह्ह्ह मै आने वाला हूउउऊ अओह्ह्ह मेरी चुद्क्क्कड़ड़ ओह्ह्ह
राजन फौरन लण्ड निकाला और हिलाते हुए उठकर रज्जो के मुह के पास गया - अह्ह्ह मेरी रन्ड़ि ले सारा माल अह्ह्हअह्ह्ह्ह ले सरा पि जाआ हहह
राजन तेजी से रज्जो के मुह पर मुठिया कर झडने लगा और फिर रज्जो के मुह मे लण्ड ठूस दिया जिसे रज्जो ने अच्छे से निचोड दिया ।
राजन वही बगल के दिवाल का सहारा लेके पैर फैला कर बैठ गया । थोडी देर तक दोनो ने अपनी सास बरबार की और फिर दोनो एक दूसरे को देख कर ह्स्से
राजन ने अपने पैर के अंगूठे से रज्जो के चुची को ठेला तो रज्जो शर्मा गयी और उठकर टोटी चालू करने लगी ,,वही राजन रज्जो की फैली हुई गाड़ को देख कर एक बार फिर से सिहर उठा और लण्ड सहलाते हुए खड़ा हो गया ।
जारी रहेगी
पढ कर रेवो जरुर दे और कहानी के लिए अपना विचार जरुर रखे ।बिना उसके लिखने का मजा नही आता ।
आपके प्यार की खासा जरुरत है ।
धन्यवाद
ममता कमलनाथ पर बिना ध्यान दिये सामने की टेबल पर खाना रखा और अपने भैया के बगल मे बैठते हुए बडे प्यार से कमलनाथ को पुचकारा
ममता - भैया उठो ,,, भईआआ ऊ
ममता की आवाज रुक गयी ,,उसकी सांसे तेज होने लगी , क्योकि उसकी नजरे इस वक़्त उसके भैया के पैजामे से बाहर निकले लण्ड पर थी । जिसे वो आंखे फाडे देखे जा रही थी ।
अब आगे
ममता तो जैसे मुर्ति बन गयी । उसकी नजर अपने भैया के सोये हुए काले लण्ड कर गयी ,, जिसका चटक कथइ और आलू जैसा मोटा सुपाडा बाहर निकला था।
ममता की सासे बहुत तेज थी ,, वो थुक गटक कर कभी अपने भैया के चेहरे को देखती तो कभी उनके सास लेते लण्ड को ,,,
ममता की चुत ने रस छोडना शुरु कर दिया था , उसने एक बार फिर अपने भैया को हिलाया और जगाने की मालुमी सी कोसिस की । मगर कमलनाथ पूरी तरह से तन कर सोया था ।
ममता का दिल बहुत जोरो से धडक रहा था ,,, वो कमल्नाथ को जांचने के बाद लगातर अब उसके मोटे लण्ड को निहारे जा रही थी । उसकी जीभ ने लार छोड़नी शुरु कर दी थी जिसे वो बार बार गटक रही थी ।
ममता बडी हिम्मत की और कमलनाथ के कन्धे पर रखे हाथ को सरका कर लण्ड पर पास लाई और जैसे ही उसे छूना चाहा तो कमरे मे हवा का हल्का झोका आया और वो सतर्क हो गयी ।
उसे समझ आया कि वो क्या गलती करने जा रही थी । वो उठी और दौड़ कर दरवाजे के बाहर झांकी और फिर दरवाजा अन्दर से बंद कर दी
दरवाजा बंद करने के बाद ममता घूमी और एक बार अपने सोते हुए भैया को देख कर मन ही मन खुश हुई । धीरे धीरे वो कमलनाथ की ओर बढने लगी साथ ही उसकी सासे भी गहरी होने लगी ।
दबे पाव से ममता चल के कमलनाथ के सामने आई और घुटनो के बल बैठ गयी ।
ममता ने एक नजर कमलनाथ को देखा और फिर कापते हुए हाथो को आगे बढ़ाया ।
जैसे ही ममता की हथेली ने कमलनाथ के लण्ड के उपरी सतह को स्पर्श किया, ममता पूरी तरह से गनगना गयी ।
वो मुस्कुरा कर कापते हुए हौले से कमलनाथ के सोये हुए लण्ड को पकड़ा जो काफी भारी था ।
ममता ने दोनो हाथो अपने भैया के लण्ड थामा जो अभी थोडा ढिला था । जिससे ममता को बहुत गुदगुदी सी मह्सूस हो रही थी ।
वो मुस्कुरा कर हल्का हल्का अपने भैया की लण्ड को सहलाना शुरु किया ।
कुछ ही देर मे लण्ड अकडने लगा । लण्ड को कड़ा होता देख ममता की आंखे चमक उठी, उसने एक नजर कमलनाथ की ओर देखा और फिर उसके पाजामे मे हाथ डाल कर उसके मोटे मोटे आड़ो को हलोरते हुए बाहर निकाल दी ।
गरम आड़ो की तपन से ममता को नशा होने लगा और वो झुक कर लगातर कमलनाथ के चेहरे को देखते हुए आड़ो को चूमा ।
तुरंत कमलनाथ के बदन मे हल्की सी हरकत हुई तो ममता डर गयी और सहलाना रोक दिया ।मगर उसने लण्ड से हाथ नही हटाया ।
कुछ सेकेंड रुक ममता ने लगातार कमलनाथ के चेहरे को घूरा और फिर मुस्कुरा उसके सुपाड़े पर अपना अंगूठा फिराते हुए झुक कर ग्प्प्प से उसका सुपाडा मुह मे भर ली ।
ममता ने आधा लण्ड अन्दर लेके अपनी आंखे उपर कर एक बार फिर कमलनाथ को निहारा और फिर धीरे धीरे पुरा लण्ड गले तक उतारती चली गयी ।
फिर हल्का हल्का उसने लण्ड को चूसना शुरु कर दिया मगर उसपे आज एक अलग ही जुनून था ,,उसको ये सब अपने भैया के साथ करके एक नयी ऊततेजना मह्सूस हो रही थी ।
धीरे धीरे ममता की लण्ड चुसने की क्रिया तेज होने लगी और उसका असर कमलनाथ के उपर भी होने लगा था । वो नीद मे ही कुनमुनाने लगा ।
ममता जो अब तक कयी बार कमलनाथ को हरकत करते हुए देख चुकी थी तो उसने अपनी ऊततेजना मे कमलनाथ पर कोई खास ध्यान नही दिया और पहले से ज्यादा कामुक तरीके से अपने भैया का लण्ड निचोड़ने लगी ।
वही कमलनाथ को आभास हो चुका था कि कोई उसका लण्ड चुस रहा है मगर उसकी आंखे नही खुल पा रही थी ,,, तो वो निद मे कुममनाते हुए बड़बड़ाया - उम्म्ंम्म्ं जानू क्या कर रही हो ,,, उह्ह्ह्ह
ममता अपने भैया की आवाज सुन कर जहा थी वही रुक गयी और उसके दिल की धडकने तेज होने लगी । वो अपनी नाक से तेज सासे लेने लगी क्योकि अभी भी उसके मुह मे आधा लण्ड भरा हुआ था ।
ममता को समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ,,, उसकी कुलबुलाती चुत उसे लण्ड छोडने से मना कर रही थी । मगर उससे कही ज्यदा उसे डर सता रहा था कि कही उसके भैया जग ना जाये ।
वही कमलनाथ को थोडी शान्ति मिलने पर वो वापस नीद के आगोश मे चला गया ।
ममता ने मौका देख कर हल्के से अपना मुह खोला और गरदन उपर कर ली । फिर बडे आराम से बिना कोई आहट के वैसे ही लण्ड को छोड दिया ।
फिर वो दबे पाव वैसे ही कमरे से बाहर निकल गयी । उसने दरवाज बन्द किया और फिर सीढियो से निचे की ओर जाने लगी ।
वो हाल मे पहुची ही थी कि उसे अनुज अपने कमरे से बाहर आता हुआ दिखा जो कल रात की तरह आज भी नजारे देखने की आश मे निकला था । मगर ऐन मौके पर ममता निचे आ गयी तो उसकी फट गयी ।
डर तो एक पल को ममता भी गयी थी अनुज को ऐसे सामने पाकर फिर उसने खुद को सम्भाला और बोली - क्या हुआ अनुज तू सोया नही
अनुज की आंखे बडी हो गयी कि क्या बोले ,, उसकी दिल की धडकनें तेज हो गयी थी,,तभी उसकी नजर किचन के खुले दरवाजे पर गयी ।
अनुज मुस्कुरा कर - वो वो मै पानी लेने जा रहा था बुआ
ममता मुस्कुरा कर - ठीक है पानी पीकर सो जाना ।
फिर ममता पल्लवि के कमरे मे चली गयी ।
इधर ममता के जाते ही अनुज ने एक गहरी सास ली और फौरन अपने कमरे मे भाग गया ।
अनुज मन मे - आज तो बच गया ,,,नही तो पकड़ा ही जाता ,,और ये ममता बुआ भी पता नही क्यो निचे आई है अब पता नही कब उपर जायेंगी । आज का सारा मजा खराब हो गया
अनुज भी उदास मन से बिस्तर पर चला गया और सो गया ।
वही एक तरफ धीरे धीरे करके सारे लोग सो गये थे । वही उपर टेरिस के बाथरुम मे रज्जो नहाने के लिए घुस गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया ।
रज्जो की इस हरकत से राजन के उम्मीदो पर पानी फिर गया । रज्जो अन्दर बाथरूम मे मन ही मन खिलखिलाई ।
फिर उसने भी अपने सारे कपडे निकाल कर थोडी देर मे नहा ली ।मगर कपडे तो उसके पास भी नही थे तो उसने वैसे ही नंगी दरवाजे को ओट मे होकर अपनी एक जांघ को थोडा बाहर निकाल कर दरवाजा खोला ।
रज्जो - जीजा जी तौलिया दीजियेगा ।
राजन वो तौलिया ही लपेट कर वही बाथरुम के पास टहल रहा था और रज्जो की आवाज सुन कर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई और वो बाथरूम के पास गया और रज्जो के सामने ही तौलिया निकाल कर फिर से नंगा हो गया और तौलिया देते समय उसका लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था ।
तभी उसकी नजर बाथरुम मे एक किनारे भीगी हुई रज्जो के पेतिकोट ब्लाउज पर गयी तो उसका दिल गदगदा गया ।
क्योकि उसे समझ आ गया कि रज्जो ज्यादा से ज्यदा ये तौलिया ही लपेट कर आयेगी ।
रज्जो ने मुस्कुरा कर एक नजर राजन के खड़े लण्ड को निहारा और फिर उसके हाथ से तौलिया लेके दरवाजे के पीछे हो गयी ।
इस बार रज्जो ने दरवाजा बन्द नही किया । फिर हल्का फुल्का अपने बदन को पोछा
रज्जो ने फिर तौलिया लपेटा और दरवाजे के सामने आई तो उसका उभरा हुआ बदन देख कर राजन की हालत खराब हो गयी ।
फिर रज्जो ने दरवाजे की ओर पिठ कर झुकी और अपना पेतिकोट उठाया ,, इस छोटे से सीन ने राजन को रज्जो के गाड के निचले हिस्से के उभारो की झलक मिली ,,जिससे उसका लण्ड और फुदकने लगा ।
फिर रज्जो ने वही किनारे पर रखे राजन के बनियान और जान्घिये को उठाया
राजन ने मौका देखा और वो फौरन बाथरूम मे घुस गया और रज्जो को रोकते हुए - नही नही भाभी आप ये क्या कर रही है ,,एक तो मेरी गलती के कारण ये सब हुआ ।
रज्जो ने एक नजर बाथरुम मे बलब की रोशनी राजन के तने हुए लण्ड को निहारा और फिर उससे बोली -अरे कोई बात नही भाई साहब,,,बस दो मिंट का ही काम है ।
राजन - लेकिन
रज्जो मुस्कुरा कर - आप चिन्ता ना करिये ,,बस वो टोटी चालू किजीये ।
फिर रज्जो वही निचे बैठ गयी और राजन ने वही खडे होकर टोटी चालू की ।
फिर वही निचे बैठ कर रज्जो ने सारे कपडे कचाडने शुरु कर दिये , ऐसे मे उसने जो मोटा तौलिया लपेटा था उसकी गांठ खुल चुकी और जैसे ही रज्जो सारे कपड़े को लेके एक बालटी मे डाल कर उन्हे गारने के लिए उठी ,,,उसके तौलिये का गांठ खुल गया और वो चिहुक कर फौरन तौलिये को पकडना चाही मगर उसके हाथ मे कपड़े थे । फिर भी उसने वैसे ही भिगे कपड़ो के साथ ही अपना तौलिया चुचियो के पास पकड लिया और तौलिया सरकने से रह गया ।
राजन को ब्डा अफसोस हुआ कि ये मौका भी नही मिला उसे । फिर रज्जो ने बार राजन को देखा तो हसने लगी ।
मगर तबतक वो गीले कपडे से काफी सारा पानी धीरे धीरे तौलिए को भी भीग चुका था ।
रज्जो - जीजा जी ये पकड़ेन्गे जरा , वो मेरा तौलिया खुल रहा है हिहिहिही
राजन बडी बेशरमी से हाथ आगे किया और रज्जो के हाथ से कपडे ले लिये और उसने देखा कि तौलिया भी पूरी तरह से भीगा है ।
रज्जो ने राजन को कपडे देके तौलिया पकडे हुए घूम गयी और अच्छे से उसको लपेट लिया ,,मगर तौलिया ज्यादा होने से वो फिर से खुल रहा था ,,जिसे बार बार रज्जो सही कर रही थी
राजन - भाभी मुझे नही लगता कि वो रुकेगा , क्योकि तौलिया भी भीग गया ।
रज्जो - हा सही कह रहे हैं जीजा जी ,,,
राजन - ऐसा करते हैं कि मै ये बत्ती बुझा देता हू और आप तौलिया निचोड लिजिए
रज्जो मुस्कुरा कर - हम्म्म सही रहेगा
फिर राजन ने वो कपडे को वही एक बालटी मे रख दिया और स्विच बंद करके बाथरुम की लाईट बुझा दी ।
अब वहा पुरा अंधेरा हो चुका वही रज्जो ने अपने जिस्म से तौलिया उतार कर उसे गारने लगी ।
इधर राजन धीरे धीरे अनुमान लगाते हुए रज्जो के करीब जाने लगा
रज्जो ने तौलिया निचोड़ा लेकिन फिर भी वो सही से लिपटा नही रहा था ।
रज्जो - ये तो अब भी नही लिपटा रहा है,,,
राजन - लाईये मुझे दीजिये
रज्जो - हा लिजिए लेकिन आप कहा है दिख नही रहे
राजन ने हाथ आगे करके
हा दीजिये भाभी जी
राजन ने हाथ आगे बढ़ाया लेकिन उसका हाथ रज्जो के नंगे पेट को छुआ ,,इसका अह्सास पाते ही राजन के रज्जो के गुदाज पेट का सहलाने लगा ।
रज्जो गुदगुड़ी से खिलखिलाकर - अरे कहा खोज रहे हैं इधर है उपर मेरा हाथ
राजन समझ रहा था कि रज्जो भी थोडी मस्ती चाहती है इसिलिए वो अपने हाथ को उपर उसकी बड़ी बड़ी चुचियो के पास ले गया और निप्प्ल के पास हथेली को घुमा कर - कहा है भाभी जी मिल नही रहा ,,,
रज्जो अपने नंगे निप्प्ल और चूची पर अपने नंदोई के हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी ।
रज्जो - उम्म्ंम्ं कहा खोज रहे हैं जीजा जी अह्ह्ह्ह य्हाआआ है येईईईई उम्म्ंम्ं इस्स्स्स
राजन जो कि अब रज्जो की सही जगह जान गया था तो वो रज्जो के बगल मे खड़ा होकर अच्चे से उसके चुचो मे ही हाथो को घुमाने लगा ।
राजन - ओहो कहा है भाभी मिल नही रहा है
रज्जो अब पूरी तरह से गरम हो रही थी तो उसका हाथ निचे हो गया था ।
रज्जो सिस्क कर - उम्म्ंम जिजाआआआ जीईई मेरा हाथ निचे है
राजन की मानो लौटरी लग गयी । वो चुचियो पर से हाथ को सहलाते हुए उसके पेट फिर चुत के उपरी हिस्सो को सहलाने लगा । जिस्से रज्जो को कपकपी होने लगी ।
राजन थोडा उंगलियो से रज्जो की हल्की झान्टो वाली चुत का मुआयना करते हुए जांघो को सहलाया - ओह्हो भाभी कहा है मिल नही रहा ,,, आप मुझे परेशान करना चाह रही है ना हिहिहिही
रज्जो सिस्ककर - उह्ह्म्म्ं न्हीईई जीजाआआ जीई वही निचे ही तो है
राजन ने इस बार रज्जो के चुत के फाको के उपर से हथेली को घुमाया और फिर अपना दुसरा हाथ उसके चुतडो की ओर सहलाते हुए ले गया और थोडा आगे होकर अपना नुकीला लण्ड रज्जो की कमर के पास घिसने लगा ।
रज्जो को अब ज्यादा खुमारि होने लगी और वो राजन के गरम लण्ड की तपन अपने मुलायम कमर मे चुबता मह्सूस कर काप गयी और उसके हाथ से तौलिया निचे गिर गया ।
राजन ने मौका पाकर रज्जो की उभरी हुई गाड़ का भरपूर मुआयना करते हुए - ओह्ह भाभी कहा है आगे भी नही ना ही पीछे ।
रज्जो अब थोडा राजन की ओर झुकने लगी ,,,उसका शरीर अब धीरे धीरे अपना सन्तुलन खो रहा था ।
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम्ं जिजाआअह्ह जीईई वो निचे गिर गया तौलिया सीईईयीयू उह्ह्ह्ह्ह्ंंमम्मम्ंं
राजन रज्जो की गाड पाटो को सहलाते हुए - अच्छा रुकिये मै निचे देखता हू,
राजन फिर रज्जो के पीछे आ गया और उसकी कमर को छुता हुआ ठीक उसकी गाड़ के उभारो के सामने आ गया ।
राजन के हाथ अभी भी रज्जो के कूल्हो पर सरक रहे थे और उसे रज्जो के बदन से एक मादक सी खुस्बु मिल रही थी । उसने एक लम्बी सास लेते हुए अपने नथुनो को रज्जो की गाड़ की गहरी दरारो के करीब लाकर सुँघा और फिर मुह से सास छोड दी ।
रज्जो अपने गाड़ के उभारो पर राजन की सासो की गरमी पाकर अपने पाटो को सख्त कर लेती है और उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती है ।
मगर राजन के हाथ जैसे ही वापस उसके कूल्हो पर सरकते है वो अपने चुतड के पाटो को ढिला कर देती है और उसी समय राजन हल्का सा आगे होकर अपने शेविंग हुए गालो को हल्का सा रज्जो के गाड़ के एक पाट पर टच करवाता है और उन्हे घुमाता है ।
जहा राजन को अपने गालो पर रज्जो की नरम गाड की ठंडी चमडी आनन्द दे रही थी वही रज्जो की हालत और खराब होने लगी ,,,उसे राजन का स्पर्श बहुत ही कामुक लगा ।
राजन समझ रहा था कि अगर वो मुह से बोल कर भी रज्जो को सेक्स के लिए प्रस्ताव दे तो भी वो मना नही करेगी ,,मगर वो इस पल का मजा लेना चाह रहा था ।
वही रज्जो जो अब तक राजन के हल्के स्पर्शो से पागल हुई जा रही थी ,,उसको बहुत इच्छा होने लगी कि राजन उसके जिस्मो पर अपनी असली मरदाना छाप छोड़े ,,वो उसके बदन को नोच कर गाव के मर्द की ताकत दिखाये ।
राजन के हाथ रज्जो के कूल्हो से सरकते हुए अब उसके सख्त होते गाड़ के पाटो को थाम चुके थे ,,,राजन ने बहुत हल्का सा ही दबाव बनाते हुए रज्जो के गाड़ के मुलायम पाटो को फैलाया था की रज्जो ने खुद अपनी कमर को पीछे की ओर झुका दिया और राजन की नाक रज्जो के गाड़ के गहरी चौडी दरार मे घुस गयी ।
रज्जो सिसकी - उम्म्ंम्ं जिजाआअजीई
राजन को जब अह्सास हुआ कि रज्जो ने खुद पहल करके अपनी चुतडो को पीछे धकेला है वो बहुत ही उत्तेजित हो गया ।
उसने अब अपनी हथेली को रज्जो के चुतडो पर कसते हुए उसके पाटो को फैलाकर अपनी जीभ को उसके गाड़ के सुराख पर फिराया ।
रज्जो अपनी गाड़ के पाटों को सिकोड़ते हुए - उम्म्ंम्ं जिजाआआह्ह्ह जीईई क्याअह्ह्ह कर रहे है उम्म्ंम्ं सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह
राजन बिना कोई प्रतिक्रिया के अपने काम मे लगा रहा और लपालप जीभ को गाड़ के सुराख पर चलाता रहा
रज्जो कसमसा कर खुद का सन्तुलन बनाने के लिए थोडा अगल बगल हाथ घुमा कर बाथरुम की दिवाल पर हाथ रख दिया और सिस्कने लगी
उसकी चुत ने रिसना शुरु कर दिया और एक मादक गन्ध राजन के नथुनो को रज्जो के चुत के निचले हिस्से की ओर खीचने लगी । राजन के अपने हाथों को रज्जो के चुतडो से हटाया और उसके मासल जांघो को सहलाते हुए उसके चुत के उपरी हिस्से और पेड़ू पर अपनी उगलीओ को घुमाया ।
राजन की मजबूत कलाई को अपनी जांघो और उसके ऊँगलीओ को अपने चुत के आस पास रेंगता पाकर रज्जो कापने लगी । वही राजन उसके गाड़ के पाटो को मुह मे भरने की कोसिस करता तो कभी कुत्तो की लम्बी जीभ निकाल कर उनको चाटता ।
धीरे धीरे उसके अपने हाथ को रज्जो के चुत के उपर ले आया और अपनी दो मोटी ऊँगलीयो से रज्जो के भोसडीदार चुत के फन्को को रगड़ा, जिससे रज्जो की चुत ने पिचपिचा कर थोडा रस छोडा ।
राजन वापस रज्जो की कमर को थामा और खड़ा हुआ जिससे रज्जो आगे होने वाले रोमांच को सोच कर और भी सिहर उठी ।
राजन ने एक हाथ से लण्ड को पकड कर रज्जो के गाड़ के पाटो पर घुमाया ,,
रज्जो मन मे - उफ्फ्फ नंदोई जी का सुपादा बहुत मोटा लग रहा है उम्म्ंम कब डालोगे जीजा जीईईई
राजन अपना लण्ड उपर कर रज्जो के गाड़ के दरारो मे फसा कर अपनी गरम छाती रज्जो के मुलायम पिठ से सटा दी , रज्जो को ऐसा मह्सूस हुआ कि मानो गरम तवा उसके बदन को छू गया मगर एक गजब भी ठंडक भी थी और रज्जो ने अपना बदन राजन के उपर ढिला कर दिया ।
राजन ने रज्जो के कमर के आगे हाथो को उसके पेट से होते हुए उपर उसकी तेजी से उपर निचे होती चुचियो के करीब ले गया फिर दोनो हाथो से उसकी भारी मुलायम चुचियो को थाम कर उन्हे प्यार से उठाया और अपनी कठोर खुरदरी हथेली मे उन्हे मिजना शुरु कर दिया ।
रज्जो एक काम कुण्ठा से भर गयी , उसे एक नये जोश का अनुभव हुआ ,,आखिर जिस मजबूत स्पर्श के लिए वो तडप रही थी वो उसे मिला और उसके हाथ खुद ब खुद उसके नदोई के हाथो के उपर आ गये और वो अपने नंदोई के हाथो को दबा मानो उन्हे उकसा रही थी कि उसके चुचियो को और कठोरता से मसला जाये ।
राजन ने इशारा समझा और अपने होठो से रज्जो एक गरदन के पास चुमते हुए उसने रज्जो के छातियो को और भी जोर से भिच्ना शुरु कर दिया ।
ऐसे मे रज्जो ने पहली बार अपनी भावना व्यक्त की - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह जीजाआअहह जीईई ऐसे हीईई उम्म्ंमममं
राजन रज्जो के वक्तव्य सुन कर और भी उत्तेजित हुआ और उसने भी अपनी भाव्नाओ के सागर से कुछ शब्दो को रज्जो के जिस्म के तारिफ के रूप मे बोलते हुए कहा - ओह्ह्ह्ह भाभी जी आपके ये जोबन बहुत ही गूलगुले और मोटे है अह्ह्ह्ह्ह , कमल भैया तभी तो नशे मे भी आपको भूल नही पाते उम्म्ंम
रज्जो कसमसा कर - उम्म्ंम जिजाआह्ह्ह जीईई पकड तो आआपकीईई भी बहुतहह मजबूउउउत है अह्ह्ह्ह उम्मममं तभीईई तोओह्ह ममता इतनी निखर गयी है अह्ह्ह्ह
राजन मुस्कुरा कर - मजबूत तो मेरा कुछ और भी है भाभी ,,,कहो तो उसका भी
राजन के बात पूरी होने से पहले ही रज्जो ने अपनी गाड़ आगे कर थोडा साइड हुई और राजन के खड़े लण्ड को हाथ पीछे कर थामकर उसे सहलाते हुए - उम्म्ंम्ं यही ना ,,,लग तो रहा है काफी मजबूत है ,, मगर मेरी भट्टी की गरमी झेल पायेगा कि नही हिहिही
राजन मुस्कुरा कर रज्जो की चूचियो को सहलाता हुआ - आप ही जाच लो ना भाभी एक बार
रज्जो मुस्करा कर घूमी और राजन के लण्ड को मुठियाते हुए - हम्म्म्म देखना तो पडेगा ही एक बार कि मेरे पति ने अपनी बहन के लिए सही माल खोजा है भी या नही।
राजन ने रज्जो की कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने ओर खिच कर उसके होठो पर हाथ फिराते हुए कहा- शुरुवात इस्से करिये ना भाभी जी
रज्जो ने थोडी मुस्कुराई और सरकते हुए राजन के कदमो मे बैठ गयी और हाथो को अच्छे से राजन के जांघो और लण्ड के आस पास के एरिया मे सहलाया जिससे राजन के लण्ड मे और भी उत्तेजना आ गयी ।
रज्जो ने मुह खोला और लण्ड के जड़ के पास से उसको एक हाथो से पकडते हुए मुह मे आधा घोट लिया ।
राजन पूरी तरह से हिल गया - उम्म्ंम्ं भाअभीईईई जीईई अह्ह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह्ह ऐसे ही उफ्फ़फ्फ्फ अज्झ
इधर धीरे धीरे रज्जो ने राजन का लण्ड अपने मुह मे भरना शुरु कर दिया ,,वही राजन के मन मे ये दृश्य अपनी आँखो से देखने की इच्छा होने लगी ।
उसने अपने हाथ को इधर उधर पास की दिवाल पर रेगाया और स्विच का बटन पाते ही उसे जला दिया ।
बाथरुम मे रोशनी बाते ही रज्जो चौकी और लण्ड को मुह मे भरे ही अपनी बडी बडी आंखो से राजन को उपर की ओर देखी ।
राजन इस दृश्य को देखकर और भी गदगद हो गया और उसने अपने हाथ को रज्जो के बालो मे घुमाया और बोला - ओह्ह्ज्ज भाभी जी ना जाने कब से इस दृश्य के लिए मै लालयित था उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह ऐसे ही और अन्दर लिजिए अह्ह्ह्ह
रज्जो राजन की मनोभाव्ना सुन कर मुस्कुराइ और थोडी शर्माइ भी , फिर वापस लण्ड को मुह मे भरना शुरु कर दिया ।
थोडी देर बाद ही राजन ने रज्जो के सर को थाम कर उसे इशारा किया कि आगे बढा जाये ।
रज्जो ने वही बगल मे गिरा भीगा हुआ तौलिया उठाया और उसे वही बिछा कर सीधा लेट गयी और अपनी चुत को सहलाते हुए राजन को आमन्त्रण देंने लगी ।।
राजन रज्जो के नग्न बदन को इतने करीब से देख पागल सा होने लगा और तेजी से अपना लण्ड हिलाने लगा
रज्जो अपनी खुली हुई चुत को जान्घे फैला कर रगड़ती हुई - ओह्ह्ह जीजा जी आओ ना ,,इस बार भी सुबह की तरफ बस देख कर निकाल दोगे क्या अह्ह्ह
राजन रज्जो के वक्तव्य सम्झ कर मुस्कुराया - नही भाभी ऐसा मौका कैसे जाने दूँगा
राजन अपने घुटनो के बल आया और लण्ड को सहलाते हुए उसे रज्जो के गीले भोस्दे पर रखा और एक बार मे पुरा लण्ड रज्जो के चुत के जड़ मे उतार दिया ।
रज्जो तेज तेज सांसे लेने लगी - उह्ह्ह अह्ह्ह एक ही बार मे जान ले लोगे क्या आप अह्ह्ह माआ उह्ह्ह्ह अराम से थोडा उम्म्ंम्ं
राजन हस कर - मुझे लगा काफी खुला हुआ माल है तो आराम से चला जायेगा
रज्जो शर्माई- अब खोल दिया है तो रुके क्यू है ,,किजीये ना उम्म्ंम्ं
राजन अपने हाथ आगे ले जाकर उसके चुचियो को सहलाते हुए - क्या कर भाभी जी
रज्जो थोडा शर्मा के - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह जीजा जी वही जो आज भोर मे मेरे साथ करने के लिए सोच रहे थे अह्ह
राजन मे रज्जो के दोनो हाथो को पकड कर उपर किया और उसकी एक चुची को मुह मे भरते हुए एक बार फिर एक लम्बा जोरदार ध्क्क्का रज्जो के चुत मे लगाते हुए - मुझे तो आपके इस भोसडीदार चुत मे अपना लण्ड घुसा कर पेलना था भाभी जी अह्ह्ह
रज्जो राजन के मुह से ऐसे खुले और कामुक शब्द सुन कर सिहर गयी और उसने अपनी चुत के अंदर ही लण्ड को कसते हुए - उम्म्ंम तो पेल लिजिए ना जिजाआ जिईई जैसे मन हो अह्ह्ह्ह
राजन मे वैसे ही रज्जो के हाथ उपर किये हुए अपनी कमर को चलाना शुरु किया और लगातर रज्जो की आन्खो मे देखते हुए उसके भावो को पधने की कोशिस करता रहा
रज्जो राजन के तेज धक्के से पूरी हिल्कोरे मारे जा रही थी ,,बाथरुम थ्प्प्प थ्प्प्प की आवाज और रज्जो की सिस्कियो से गूज रहा था ।
राजन - अह्ह्ह भाभी मेरा तो काफी सालो से ये सपना था कि कास आप को ऐसे खोल कर चौद पाऊ अह्ह्ह आज मेरा सपना हकीकत मे हुआ अह्ह्ज
रज्जो कस्मसा कर - अह्ह्ह जीजा जी उम्म्ंम ऐसेही अह्ह्ह ऐसे ही आह्ह चोदिये मूझे जैसे आप चाह रहे हैं उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह उम्म्ंम
राजन - ओह्ह्ह भाभी जी बहुर मजा आ रहा है आपके भोस्ड़े मे उम्म्ंम बहुत गरम हो आप अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह मजा तो आपके इस लण्ड मे भी है जीजा जीई अह्ह्ज ऐसे ही ओह्ह्ह
राजन - उम्म्ंम लगता ही नही सिर्फ कमल भैया ने अकेले इसे इतना खुला कर दिया है उम्म्ंम्म्ं अह्ज्ज्ज
रज्जो - उम्म्ंम्ं और कौन करेगा जीजा जीईई मै कोई रंडी थोड़ी हू अह्ह्ह क्या मै आपको रन्डी लगती हू जीजा जी बोलिए ना ,,क्या मेरी चुत आपको रन्डी की चुत लगती है अह्ह्ह्ह जिजाआजहह जीईई
राजन तेजी से रज्जो के भोस्दे मे पेलता हुआ - उन्मममं किसी चुद्क्क्ड रन्डी से कम थोडी ना लग रही हो भाभी अह्ह्ह्ह आपको देख कर ही लगता है कि कितनी चुदवासी हो उम्म्ंम
रज्जो अपनी तारिफ सुन कर सिस्कते हुए - अह्ह्ह सच मे इत्नी कामुक हू मै जीजा जिईई अह्ह्ह
राजन - उम्म्ं हा भाभी जी,,इतनी बड़ी बड़ी चुचिया और ये बड़े बड़े गाड मैने किसी और के नही देखे । ऐसा लगता है कितना ज्यादा गाड़ मरवाति हो आप अपना
रज्जो मुस्कुरा कर -अह्ह्ह हा जीजा जीई मुझे बहुत पसन्द है अपनी गाड मे लण्ड लेना अह्ह्ह्ह आप भी दोगे ना उम्म्ंम्म्ं बोलो ना जीजा जीईई
राजन रज्जो की बातो से बहुत ही उत्तेजीत हो रहा था तो वो और लम्बे धक्के लगाते हुए - हा भाभी आज पूरी रात आपकी चुत और गाड मारने वाला हू उम्म्ंम अह्ह्ह
रज्जो- ओह्ह्ह जिजाआअजीई ये अह्सास उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आ रही हुईई ओह्ह्ह्ह पेलो ना मुझे और तेज्ज्ज्ज अह्ह्ह मै आपको रन्डी जैसी दिखती हू ना अह्ह्ह्ह मुझे रन्डी समझ कर पेल दो अझ्हअह्ह्ब माआ
रज्जो ये बोल कर तेजी से अपनी गाड़ को उच्काने लगी और झड़ने लगी और वही राजन रज्जो के मुह से इतने कामुक और ऊततेज्क शब्दो को सुन कर पागल हो गया,,,उसके सुपाड़े मे वीर्य भरना शुरु हो गया वो तेजी से धक्के लगाने लगा ,,, रज्जो की चुत से पच्च्च्च प्च्च्च्च्च की आवाजे आने लगी
राजन - अह्ह्ह हा भाभी आप एक नम्बर की रन्डी लगती हो मुझे आह्ह्ह कितनी गर्म हो अह्ह्ह मेरी रन्डी अओह्ह्ह ये ले और ले औम्म्ंं अह्ह्ह
रज्जो - अह्ह्ह जीजा जी चोदिये मुझे अह्ह्ह्ह मै रन्डी हउउउऊ अह्ह्ह उम्म्ंम और तेज आह्ह्ह
राजन का खुद को अब रोक पाना बहुत मुस्किल वो झडने के बहुत ही करीब था - अह्ह्ह्व मेरी रन्डी भाभी अह्ह्ह मै आने वाला हूउउऊ अओह्ह्ह मेरी चुद्क्क्कड़ड़ ओह्ह्ह
राजन फौरन लण्ड निकाला और हिलाते हुए उठकर रज्जो के मुह के पास गया - अह्ह्ह मेरी रन्ड़ि ले सारा माल अह्ह्हअह्ह्ह्ह ले सरा पि जाआ हहह
राजन तेजी से रज्जो के मुह पर मुठिया कर झडने लगा और फिर रज्जो के मुह मे लण्ड ठूस दिया जिसे रज्जो ने अच्छे से निचोड दिया ।
राजन वही बगल के दिवाल का सहारा लेके पैर फैला कर बैठ गया । थोडी देर तक दोनो ने अपनी सास बरबार की और फिर दोनो एक दूसरे को देख कर ह्स्से
राजन ने अपने पैर के अंगूठे से रज्जो के चुची को ठेला तो रज्जो शर्मा गयी और उठकर टोटी चालू करने लगी ,,वही राजन रज्जो की फैली हुई गाड़ को देख कर एक बार फिर से सिहर उठा और लण्ड सहलाते हुए खड़ा हो गया ।
जारी रहेगी
पढ कर रेवो जरुर दे और कहानी के लिए अपना विचार जरुर रखे ।बिना उसके लिखने का मजा नही आता ।
आपके प्यार की खासा जरुरत है ।
धन्यवाद