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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बाल गोपापाठकों को होली की हार्दिक शुकानाएं
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अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
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Last edited:

Nevil singh

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UPDATE 105

💥CHODAMPUR SPECIAL UPDATE💥


रात में रज्जो मौसी को एक राउंड चोदने के बाद मैने उन्हे पापा के पास भेज दिया ,,,, और खुद दीदी से मिलने उपर चला गया ।

मगर किस्मत उतनी अच्छी नही थी ,,,क्योकि उपर दीदी के कमरे मे अनुज और दीदी दोनो अपनी पैकिंग मे लगे थे ।

मैने दीदी को इशारा किया तो वो मना कर दी ,,,आखिरकार मन गिरा कर मै थोडा बहुत बाते कर अपने कमरे मे आया ।
मुझे सूझ ही नही रहा था कि क्या करू ,,, मौसी को एकबार चोद कर भी मेरे लण्ड की तडप नही मिट रही थी ।

मै सोचा सरोजा जी इंटेरेक्ट करू लेकिन वो कही बिज़ी थी ,,,फिर मैने कोमल को ट्राई किया लेकिन वो फोन पिक नही की ,,,क्योकि रात के साढ़े दस हो रहे थे ।

मुझे नीद नही आ रही थी ,,,बार बार मेरा ख्याल बगल के कमरे मे चल रहे चुदाई के बारे मे ही जा रहा था ।
इसिलिए मैने भी मोबाइल पर मूवी लगाई और देखते देखते सो गया ।

अगले दिन बड़े सवेरे ही किचन मे छौका भूनना सुरु हो गया । मै भी 8 बजे तक तैयार हुआ और 9 बजे तक नाश्ता करने के बाद मौसी सोनल और अनुज सब एक बोलोरो मे बैठ गये और समान कुछ अंदर तो कुछ उपर बान्ध दिया गया । फिर वो लोग भी निकल गये जानिपुर शहर के लिए ।

उनके जाने के बाद मै और पापा भी अपने अपने दुकान के लिए निकल गये ।
दोपहर मे 12 बजे तक मा टिफ़िन लेके दुकान पर आई और फिर मै पापा का खाना लेके उनको देने गया तो पापा ने बताया कि मौसी का फोन आया था और वो लोग भी पहूच गये सकुशल घर ।

मै खुश हुआ और मा को सूचना दी ।
शाम को करीब 4 बजे मा के जाने के बाद चंदू मेरे पास आया ।

चंदू - अबे साले कब पेलेगा मेरी दीदी को ,, चली जायेगी तब

मै हस कर - मुझसे ज्यादा तू उतावला है साले अपनी बहिन चूदवाने के लिए हिहिहिही

चंदू कुछ सोच कर एक आह्ह भरता है और उत्तेजित होकर अपना खड़ा लण्ड लोवर के उपर से दबाते हुए कहता है - भाई मै तो कब से चाहता हू कि कोई मेरी बहन और मा को चोदे और मै छिप कर देखू ,
मै भी चन्दू की बाते सुन के काफी उत्तेजित मह्सूस करता हू और चम्पा की फैली हुई गाड़ याद आ जाती है ।

चंदू - भाई बता ना कब लेके आऊ यहा
मै कुछ सोच कर मुस्कराया - भई देख इस समय किसमत मेहरबां है और चौराहे वाले घर पर मम्मी के अलावा कोई नही है और अगर मै उन्हे किसी काम का बहाना बना के बुला दू तो काम बन जायेगा ।

चंदू खुश होकर - भाई तब तो कोई दिक्कत ही नही है ,,,क्योकि परसो मै मम्मी और दीदी हमारे चौराहे वाले घर जा रहे है और वही से मै दीदी को तेरे पास भेज दूँगा

मै कुछ सोचकर - लेकिन रज्नी दीदी ने पुछा तो

चंदू हस कर - अबे जब मा के गाड मे मेरा लण्ड घुसा रहेगा ना तो उसे किसी की फिकर नही रहेगी

चंदू की बात से मै भी सहमत हुआ और हमने हाईफाइ किया ।

रात को खाना खाने के बाद मै और पापा हाल मे बैठे थे । वही मा किचन मे बर्तन खाली कर रही थी ।

इधर हमारी और पापा की आपसी सहमति हो गयी थी रात मे मा की धमाकेदार चुदाई के लिए, वही मा भी इस बात से बखुबी वाकिफ थी।

इसी बीच सोनल दीदी का फोन आया ।

मै - हा दीदी बोलो

सोनल हस्ते हुए - भाई पता है आज हमारे यहा आने के बाद बडी मजेदार बात हुई है ।
मै ह्स कर - अरे क्या हुआ बताओ तो

सोनल - भाई यहा मौसी की ननद नन्दोई और उनकी बेटी आई है । बडे ही मजेदार लोग है और ममता बुआ तो मौसी से ऐसे ऐसे गंदे मजाक कर रही थी कि पुछो मत

मै ह्स कर - हा वो सब तो कामन है दीदी ननद-भौजाई मे हिहिही

सोनल - अरे भाई उनके गाव का नाम सुनेगा तो और भी मजा आयेगा

मै अचरज से हस के - मतलब ऐसा क्या खास गाव है हिहिही

सोनल ह्सते है - हिहिहिही चोदमपूर गाव का नाम सुना है भाई हाहहहा

मुझे तो हसी आई बडी जोर की - हिहिही चो चो चोदमपुर

सोनल - हा भाई हिहिही , लेकिन उनकी बेटी पल्लवि बडी खुबसुरत और बडी फिट भी है , लगता ही नही कि गाव से है ।

मै हस कर - चलो आपको मिल गया ना कोई टाईमपास के लिए,,, मौज करो

सोनल - हा , चलो मै रखती हू मम्मी पापा का ख्याल रखना बाय

मै - हा बाय

इधर दिदी ने फोन काटा और मुझे मेरी जिज्ञासा ने बहुत मजबुर कर दिया कि मै ये बात पापा से पूछू लेकिन मै दीदी को इसमे नही लाना चाहता था । मगर और कोई रास्ता नही था ।

मै पापा से - पापा आप किसी चोदमपुर गाव के बारे मे जानते है क्या

पापा ह्स कर - हाह्हा नही बेटा ,, मै तो पहली बार सुना हू

मै - मै भी ,,वो अभी अनुज बता रहा था कि रज्जो मौसी के यहा कोई रिशतेदार आये है चोदमपुर गाव से हिहिहिही

पापा थोडा सोचते हुए - बेटा मेरी जानकारी मे नही है , हा अगर तेरी मौसी के यहा की बात है तो तेरी मा को जरुर पता होगा

तब तक मा भी किचन का काम खतम करके हाल मे आई और हमे बाते करता देख बोली - क्या बात हो रही है जी दोनो बाप बेटे मे

मै उतावला होकर - मा आप जानते हो क्या चोदमपुर गाव कहा है ??

मा बहुत ही सरलता से बोली - हा जानती हू , क्यू ???

मै और पापा एक दुसरे को देखने लगे।
मै उत्सुकता से - अरे लेकिन इतना अजीब नाम है ना और रज्जो मौसी की क्या रिशतेदारि है वहा ??

मा हस कर - अरे इसमे अजीब क्या है बेटा, गाव का नाम क्या , ना जाने कितने शहरो और देशो के नाम भी अजीब होते है । तू इतना पढ लिख कर मुझसे पुछ रहा है । ये अजीब है हिहिहिहिही

मै सामान्य होता हुआ - हम्म्म ये भी सही है मा ,,लेकिन आपको कैसे पता उस गाव के बारे मे ??

पापा भी जिज्ञासू भाव से - हा रागिनी तुम कैसे जानती हो ये चोदमपुर गाव को

मा मुस्कुरा कर - अरे जी आप को कुछ याद भी रहता है

पापा सोचते हुए - मतलब
मा मुस्कुरा कर - अरे रज्जो जीजी की ननद ममता का व्याह उसी गाव मे तो हुआ है ना ।

मै और पापा एक दुसरे को देखते हुए - ओह्ह्ह ये बात है ।
इधर मा चोदमपूर के लोगो के बारे मे कुछ बताने लगी ।
वही मै और पापा ये सोचने लगे कि चोदमपूर से आये लोग कैसे होंगे ,उन्का व्यव्हार और वहा की औरते । अह्ह्ह्ह

सूचना - इस अपडेट और आगे के सभी चोदमपुर स्पेशल अपडेट मे कहानी का दिशा निर्देश और वाचन कभी राज और कभी लेखक के माधय्म से होगा । तो बिना स्किप किये शब्दो पर ध्यान जरुर दे । जब चोदमपूर स्पेशल अपडेट समाप्त होगे तब वापस से कहानी का मूल वाचक राज को बना दिया जायेगा । वैसे भी आपको ज्यादा परेशानी नही होगी क्योकि फॉन्ट कलर मै अलग रखूंंगा ।


लेखक की जुबानी


अगर चमनपुरा मे राज के परिवार मे चोदमपुर से आये मेहमानो की चर्चा हो रही है तो आईये हम लोग भी एक नजर उन किरदारो पर मार लेते है कि कौन है क्या है और किस रंग ढंग के है ।


परिचय

ममता - रज्जो मौसी की ननद , बड़ा चौड़ा भूगोल है और काफी खुली विचार की है । चोदमपुर मे काफी काण्ड कर चुकी है देखते है अपनी भौजाई के यहा क्या रंगमंच बान्धने वाली है ।
राजन - ममता के पति और रज्जो मौसी के नंदोई, काफी खुशमिजाज इन्सान हैं और भाव्नाओ के मामले बहुत ही गुप्त है लेकिन हार्मोनल रसायनो पर इनका भी संयम एक स्तर तक ही है ।

पल्लवि उर्फ पल्ली - सेक्सी , हॉट , चुलबुली और झन्नाटेदार माल है , काफी लण्ड घोंट चुकी हैं । उम्र 18+ है । ये ममता और राजन की एक्लौती लाडली सुपुत्रि है ।

तो ये है चोदमपुर से आये किरदार , अधिक जानकारी के हमारे
TharkiPo भाई साहब द्वारा लिखित कहानी KATHA CHODAMPUR KI पर जाये । क्योकि ये सारे किरदार मूल रूप से उन्ही की कहानी के पात्र है ।
वापस कहानी पर

रात के 10 बजे का समय
स्थान - राज के मौसी का घर , जानीपुर शहर

एक नजर राज के मौसी के घर पर :

सिटी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले मे एक बड़ा सा दो मंजिला मकान । ग्राउंड फ्लोर पर 3 तिन कमरे , एक किचन एक हाल और पीछे की ओर खुला आँगन है । उपर की मन्जिल पर 3 कमरे , एक स्टोर रूम और पीछे के आगन वाले हिस्से को बाल्किनी मे कर दिया गया । रज्जो मौसी का कमरा उपर के फ्लोर पर है जबकि रमन निचे के फ्लोर पर रहता है । उपर टेरिस पर खुली छ्त है और पीछे की तरफ बाथरुम की वयवस्था की गयी है ।

राज के मौसी के घर की उपर की टेरिस पर राज मौसा कमलनाथ और उनके जीजा यानी राजन एक साथ बैठे हुए रात का मौसम बना रहे थे ।

राज के मौसा कमलनाथ ने काफी समय से पंजाब मे नौकरी करते है और शहर मे लम्बा जीवन यापन के कारण ड्रिंक की आदत है उनको । कमलनाथ अपने बहनोई राजन से उम्र मे भले ही बड़े थे लेकिन फिर भी बडे ही रंगदार किसम के इन्सान थे । वही राजन गाव से सम्बंधित थे तो थोडा खुद्दार थे और अपने साले का सम्मान भी करते थे ।

कमलनाथ दो प्लास्टिक के ग्लास मे अपनी कोई ब्रांड की दो पैक बनाई और राजन को आफर किया ।

राजन - अरे नही भाईसाहब मै नही लेता ,,हा ये नमकीन खा लेता हू ,

कमलनाथ अपनी पैग को एक बार मे ही खतम करते हुए - अरे क्या यार राजन तुम भी ,,भाई जीजा हो और हमारे यहा आये हो थोडा तो लो , ऐसे मजा नही आयेगा ।

राजन - जी नही भाईसाहब, अगर मै पीता तो आपका साथ जरुर देता

कमलनाथ हसता हुआ - भई तुम तो बड़े सीधे निकले हाहहहह कोई बात नही मै तो लूंगा ही ।

इधर थोडी देर मे धीरे धीरे करके कमलनाथ ने 375ml की बॉटल खाली कर दी और पूरी तरह से टनं हो गये । इतना पी लिये की बॉडी पर नियंत्रण ही नही रहा ।

राजन अकेले उनको सम्भाल पाने मे असमर्थ हो रहा था कि इतने मे राज की मौसी रज्जो वहा पहुचती है ।

रज्जो - अरे जी कहा है ,,सोना नही है क्या
रज्जो जब अपने पति को नशे मे टल्ली देखती है तो अपने नंदोई के सामने उसे बहुत ही शर्मीन्दगी होती है ।

रज्जो इस वक़्त एक ढीली मैकसी मे थी और बिना कोई दुप्प्टे के । हालाकि उपर छत पर ज्यादा उजाला नही था लेकिन फिर भी पहचान हो सकती थी ।

राजन हस्ते हूए - अरे भाभी आज लग रहा है भाईसाहब ने ज्यादा ले ली है
रज्जो राजन को हस्ता देख थोडा राहत मह्सूस करती है और चल कर अपने पति को सम्भालती है ।


रज्जो अपने पर गुस्सा करते हुए - क्या जी आपको कुछ ध्यान है कि नही ,,घर मे चार मेहमान आये है और आप छीईई
रज्जो - चलो निचे कमरे मे सोवो

राजन हस कर - अरे भाभी जी इन्हे पकड कर ले जाना पड़ेगा ,, आप रमन को बुला दीजिये

रज्जो - वो क्या है जीजाजी , रमन और अनुज बाहर गये है कुछ सामान लाने ,,हमे ही इन्हे लेके जाना पडेगा

राजन - कोई बात नही भाभी ,,चालिये पकडिए
फिर दोनो ने बारी बारी से एक एक तरफ से कमलनाथ को पकड़ा और खिंचते हुए निचे लेके जाने लगे ।

जीने पर उतरते हुए कमलनाथ अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान मे बड़ब्डाता है - कहा ले जा रही हो रमन की अम्मा हमको

रज्जो अपने पति को कसके पकड कर गुस्सा कर बोली - हमारे कमरे मे और कहा

कमलनाथ - ओह्ह माफ करना जान आज मै तुम्हे चोद नही पाऊन्गा , मैने ज्यादा पी ली है सोओओरीरीईईई

नशे मे धुत कमलनाथ के मुह से ऐसी बाते सुन कर राजन और रज्जो दोनो आवाक रह जाते हैं और दोनो एक-दूसरे को एक पल देखते है ।

मजबूरी मे रज्जो को इस बात को काटने के लिए मुस्करा कर राजन को जवाब देना पड़ता है - लग रहा है कि आज सच मे बहुत चढ़ गयी है इनको हिहिही

रज्जो झल्लाते हुए कमलनाथ को कमरे मे ले जाती है - क्या कह रहे है आप जी आपको पता है कुछ

कमलनाथ लड़खड़ाते हुए जुबान मे - सोओओरीईईई जान,,सोओओरीईई राजन ,,, वो मैने रज्जो से वादा किया था कि आज मै उसे चोदूँगा ,,,सॉरी तुमको बुरा तो नही लगा

रज्जो अपना माथा पीट लेती है और झटक कर अपने पति को बिस्तर पर धकेल देती है ।

अपने पति को धकेलते वक़्त रज्जो की मैकसी के बटन खुल जाते है और ऐन मौके पर राजन की नजर रज्जो के मोटी मोटी बडी बड़ी हिलती चुचियॉ के क्लिवेज पर जाती है और राजन जी एक पल को खो जाते है ।

रज्जो को इसका आभास होते ही वो फटाक से घूम जाती है और अब कमरे की रोशनि मे राजन के सामने रज्जो के फैले हुए बडे चुतड थे ।

रज्जो बडी ही शर्म से राजन की ओर घूमती है - माफ करियेगा जीजाजी , ये सब थोडा अजीब है ।

राजन मानो किसी कलपना से उभरा हो - अह क्या कह रही है भाभी ,,,ये सब घर की बाते है ,हो जाता है कभी कभी । उसकी चिन्ता ना करे आप

रज्जो मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं
राजन - ठीक है भाभी मै भी अपने कमरे मे जा रहा हू
रज्जो - जी ठीक है


तभी राजन कमरे से बाहर निकल रहा होता है कि कमलनाथ बडबड़ाता है - सॉरी मेरी जान,,मै आज तेरी गाड नही मार पाऊन्गा ,,माफ कर दो ना रमन की मा

राजन फौरन पलट कर रज्जो को देखता है ,,रज्जो शर्म से पानी पानी हो गयी और कर भी क्या सकती थी आखिरकार वो भी राजन को देख कर हस दी ।

राजन हस कर - ठीक है मै चलता हू भाभी , कोई दिक्कत होगा आवाज दीजिये

राजन भी मुस्कुरा कर बाहर निकल गया ।



जारी रहेगी
Kaamuk update dost
 

Nevil singh

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UPDATE 106

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पीछले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा मे राज ने चंदू के साथ उसकी बहन को चोदने का खाका तैयार कर लिया वही राज के मौसी के यहा यानी कि जानीपुर मे आये चोदमपुर के मेहमानो की मौज हुई पडी है । कमलनाथ ने पीने के बाद अपने जीजा के सामने नशे मे अपनी बीवी को शर्मीन्दा कर दिया । देखते है ये घटना क्या नये हंगामे खड़ी करेगी ।

अब आगे

राजन के कमरे से जाने के बाद रज्जो मन ही मन खुब मुस्कुराइ और थोडा बहुत अपने पति को गुस्से से लताड़ा भी ।

रज्जो मन मे - लग रहा है इनकी बकबक ऐसे ही रात भर चलेगी , और नंदोई जी के सामने क्या क्या बक गये । ना जाने क्या क्या सोच रहे होगे वो भी ।

रज्जो कुछ सोच कर रमन के पास फोन ल्गाती है और जल्दी घर आने को कहती है ।

रज्जो मन मे बुदबुदा कर - मै कहा सोने जाऊ अब , देख रही हू क्या हो सकता है ।

रज्जो ऐसे ही सोचते हुए सबसे निचे हाल मे आती है । जहा ममता राजन , पल्लवि और सोनल बैठ कर बाते कर रहे होते है ।

रज्जो - अरे भाई आप लोगो को सोना नही है क्या , कल और भी काम है ना ।

ममता रज्जो से मजे लेते हुए बोली - हम औरते और ये बच्चे तो सो तो जाये भाभी ,,लेकिन अपने नंदोई जी को कहा सुलाएंगि

रज्जो की नजर वापस से राजन से मिली और वो शर्म से झेप कर मुस्कुरा दी ।

रज्जो - अरे यहा कमरो की कमी नही है ।
बस थोडी साफ-सफाई नही हो पाई है कमरो की
फिलहाल दो ही कमरे साफ है । एक मेरा कमरा है तो वहा रमन के पापा सोये है , और एक रमन का कमरा है ।

राजन - ऐसा करिये भाभी , यही हाल मे ही बिस्तर लगवाईये ,,यही सोया जाये ।

ममता राजन को छेड़ते हुए - ओहो क्या बात है , हमारी भाभी के साथ सोने का प्लान बना रहे हैं

ममता - क्या भाभी , कुछ जादू कर दी हो क्या इनपे

रज्जो और राजन की नजरे मिलती है और रज्जो शर्म से लाल हो जाती है , मगर उसे भी अपनी ननद का जवाब देना ही था ।
रज्जो - अरे जादू तो तुम की अपने भैया पे ,,,की दारु पी टूल्ल है और तुमको ही याद कर रहे है ।

ममता भी अपने भाभी की मस्तीयो से खुब खिलखिलाई , वही सोनल और पल्लवि थोडा असहज मह्सूस कर रहे थे तो वो उठ कर जाने लगे ।

सोनल - मौसी हम आते है अभी फ्रेश होकर ,,तब तक आप लोग देख लो कहा सोना है हिहिहिही । चलो पल्लवि

फिर सोनल पल्ल्वी को लिवा कर पिछे आँगन मे लेके चली गयी ।
इधर हाल मे राजन - अब बस कर ममता , देख नही रही बच्चे है ।

रज्जो अब थोडा खुल कर - अरे जीजा जी , बच्चे समझदार थे तो चले गए , क्यू ननद रानी जाना है अपने भैया के पास

ममता भी मौका देख कर बहुत तगडा जवाब देती है वो भी खुल कर - अरे जब आपके जैसी भारी गाड वाली नही खुश कर पाई हमारे भैया को तो हमारा तो बहुत छोटा सामान है भाभी हाहहह्हहा

रज्जो पूरी तरह से झेप सी गयी और ममता के कन्धे को ठोकर मारकर सामने बैठे हुए राजन की ओर इशारा किया

ममता रज्जो को शर्माते देख और मजे लेती हुई बोली - अरे अपने नंदोई से क्या शर्माना भाभी , उन्होने तो हमारा नाप भी रखा है ,,क्यो जी

रज्जो ममता की बात सुन कर आंखे उठाकर राजन को ऐसे देखती है कि मानो पुछ रही हो कि ममता सच कह रही है क्या ।

राजन रज्जो को ऐसे घूरता देख सकपका जाता है - अब ब ब क् क क क्या कह रही हो ममता तुम ये सब
रज्जो हस कर - लग रहा है हमारी ननद रानी को भी उनके भैया की तरह चढ़ गयी है
राजन रज्जो की बात पर हसने लगता है
रज्जो - मै तो कह रही हूँ कि आज दोनो भाई बहन को मजे ले लेने दो ,,,क्यू जीजा जी

ममता - हा हा मुझे किनारे कर दो ताकि आप मेरे पति से अपनी मनमानी कर सको ,,खुब समझ रही हू भाभी आपकी चालाकी

इधर बाते आगे बढती की अनुज और रमन कुछ सामान लेके हाल मे घुसते है तो सारे लोग चुप हो जाते है ।

थोडी देर की झिकझिक और जद्दोजहेद के बाद रमन अनुज को लेके अपने कमरे मे चला जाता है । और बाकी लोग हाल मे हो बिस्तर डाल के सो जाते है ।

अब हाल मे स्थिति ये थी कि
एक तरफ पल्लवि फिर सोनल फिर रज्जो मौसी , फिर ममता और राजन ।

सारी लाईटस ऑफ़ की गयी और नाइट बलब जला दिये गये । फिर सारे लोग धीरे धीरे सोने लगे ।


एकतरफ जहा जानीपुर मे ये सब काण्ड हो रहे थे कि वही चमनपुरा मे राज के घर मे घमासान थ्रीसोम चुदाई हो रही थी


राज की जुबानी

एक राउंड पापा के साथ मा को चोदने के बाद हम तीनो एक दुसरे को देख कर हाफ रहे थे और मुस्कुरा रहे थे।

पापा - आह्ह आज कितने दिनो बाद मजा आया ओह्ह्ह

मै - मजा तो आपका रोज ही था पापा , पहले बुआ और इधर तिन रात मे मौसी भी हिहिहिही

पापा - हा बेटा सच मे मजा तो बहुत आया , तेरी मौसी और बुआ सच मे बहुत ही चुदवासी माल है

मै रज्जो मौसी को याद कर फिर से गर्म होने लगा - पापा एक बार मौसी या बुआ के साथ मुझे भी शामिल करो ना

मा गुस्सा दिखाते हुए - पागल हो गया है क्या तू

पापा - ओहो जान उसका भी मन है , वो भी बडा हो रहा है ना

मै उखड़ कर - हा वही ना

मा चिंता के भाव मे - लेकिन ये सब कैसे ,, आखिर रज्जो दीदी कैसे मानेगी इनसब के लिए,, और कही गुस्स्सा हो गयी तो

पापा हस कर मा के गाल को चूमते हुए - अरे मेरी जान रज्जो दीदी तो एक नम्बर की चुदक्क्ड है ,,वो भला एक साथ दो लण्ड के लिए क्यू मना करने लगी

मा - फिर भी
पापा - ओह्ह जानू अब मजा ना किरकिरा करो आओ चुसो इसे ,,,देखो रज्जो दीदी की याद मे खड़ा हो रहा है

पापा की बात पर मै और मा हसने लग जाते है ।
एक बार फिर हमारी धक्कम्पेल चुदाई होती है और हम लोग भी सो जाये है ।

अगली सुबह उठ कर हम सब अपने रोज के कामो मे लग जाते है ।



लेखक की जुबानी

एक तरफ जहा चमनपुरा की सुबह बहुत ही शांत और व्यस्त गुजरी ,, वही राज के मौसी के यहा कुछ अलग ही हंगामे के साथ सुबह की शुरुवात होने वाली थी ।

भई चोदमपूर से किरदार आये और मस्तीया ना हो ऐसे कैसे हो जाये ।
राजन और ममता तो गाव मे रहने के आदी थे तो उनको आदत थी सुबह ही उठने की ।

इसिलिए सबसे पहले राजन की नीद सुबह सुबह 4 बजे के करीब खुली और उसके साथ ही उन्के लण्ड ने पायजामे मे अंगड़ाई ली ।

हल्की रोशनी मे राजन मे एक बार गरदन घुमा कर सबको देखा और फिर उठ कर धीरे से पीछे आँगन की ओर चला गया । थोडी देर बाद फ्रेश होने के बाद वो वापस आता है और तभी ममता भी उठ जाती है ।

ममता कुनमूनाते हुए - उम्म्ंम उठ गये क्या आप जी
राजन - हा ममता अब रोज की आदत है तो ,,,
ममता उबासी लेते हुए - ठीक है आप सो जाओ थोडा देर ,मै आती हू पाखाने से

राजन ने उबासी लेते हुए वापस अपनी जगह लेट गया ।
मगर उसको नीद कहा थी , उसकी नजरे तो उससे एक हाथ की दुरी पर लेती उसकी गदराई सेक्सी सल्हज रज्जो पर थी ,,जिसकी गाड फैली हुई थी और वो करवट लेके राजन की ओर पीठ करके सोयी हुई थी ।

राजन अपनी सल्हज रज्जो के उभरे हुए कुल्हे और कमर देख कर उत्तेजित हो जाता है और पायजामे मे उसका लण्ड बगावात पर आजाता है ।

राजन मन मे - आह्ह रज्जो भाभी की गाड कितनी बड़ी है ,, मेरा साला कमलनाथ तो बहुत ही किस्मत वाला है । पता नही ये सो रही है कि जाग रही है। कल रात मे तो उसकी चुचीयो की उपरी झलक ही देखी थी । इनकी चुचियॉ की दरार बहुत गहरी है ।

राजन एक बार हौले से लण्ड को पायजामे है उपर से सहलाता तो उसे और भी उत्तेजना मह्सूस होती है ।
राजन स्वभाव से बहुत शान्त और समान्य दिखता हो ,,लेकिन कामूकता हावी होने पर वो अपना सन्तुलन खोने लगता है ।
[ उदाहरण के लिए KATHA CHODAMPUR KI मे UPDATE 115 पढ़े । जहा राजन के बारे मे उसके हवसी चरित्र का सुन्दर वर्णन हमारे TharkiPo भाई द्वारा किया गया है ]

राजन मन पर हवस हावी होने लगा था और वो आगे बढ़ कर रज्जो के गाड को मह्सूस करना चाहता था । वो थोडा खसक कर रज्जो की ओर बढा ,,कि रज्जो ने करवट बदली और सीधी लेट गयी ।

राजन थोडा सतर्क हुआ और उसकी नजर रज्जो की लम्बी लम्बी सांस लेती भारी छातियो पर गयी । जिससे राजन के लण्ड का कडकपन और बढ गया ।

राजन अब रज्जो के बिल्कुल करीब था उसकी तरफ करवत लिये हुए ।
उसमे थोडी हिम्मत की और एक हाथ से धीरे धीरे रज्जो की उस चुची पर ले गया जो मैक्सि के अंदर उसकी तरफ फैला हुआ था ।

बहुत ही हौले से राजन ने मैकसी के उपर से रज्जो की सास लेती चुची पर हथेली को रखा और उसको पुरे बदन मे कपकपी सी मह्सूस हुई । हवस राजन के दिमाग पर हावी होने लगा था ,,, और थोडा हिम्मत करके रज्जो की चुची को ऊँगलीयो से दबाया ,,, राजन को बहुत ही मुलायम सा अह्सास हुआ और रज्जो के कोई हरकत ना करने पर उसकी हिम्मत बढ़ी ,,उसमे वापस से एक बार अपने पंजो को फैला कर चुची को पकड लिया और हल्का हल्का दबाने लगा ।

राजन को बहुत ही उत्तेजना मह्सूस हो रही थी ।
वो एक हाथ से तेजी से अपना लण्ड मुठीयाये जा रहा था पायजामे के उपर से और वही दुसरा हाथ रज्जो को मुलायम चुची को पकड़े हुए था ।

तभी रज्जो थोडी कूनमूनाई और राजन ने अपनी पकड़ ढीली कर दी लेकिन हाथ वैसे ही रहने दिया रज्जो की छाती पर ।
इधर रज्जो की नीद खुल गयि और उसे इसका आभास होते ही कि उसके नंदोई का हाथ उसकी छाती पर है वो सिहर उठी ,उसकी सांसे तेज हो गयी ।

रज्जो मन मे - ये नंदोईजी का हाथ यहा कैसे ,,और ममता कहा चली गयी । कही ये नीद मे तो नही है ना

रज्जो एक बार धीरे से चेक करने के लिए बोली- जीजा जी

राजन को ये आभास हुआ कि रज्जो जाग गयी तो उसकी फट गयी और उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे ,, उसने अपने पायजामे से लण्ड की पकड को ढिला किया और वैसे रुका रहा ।

राजन से जवाब ना पाकर रज्जो को लगा शायद उसका हाथ नीद मे ही आ गया तो उसने बडी सावधानी से राजन का हाथ अपनी छाती से हटाया और वापस उसी की ओर करवट लेके घूम गयी ।
लेकिन रज्जो को अभी भी शक था कि राजन कही जाग तो नही रहा इसिलिए वो लगातार आंखे खोले राजन को निहार रही थी ।
वही राजन अपनी आंखे भींचे डर रहा था कि कही उसकी सल्हज ने शक तो नही किया एक बार देखू क्या ,,,

तभी ममता हाल मे आ जाती है और रज्जो को ऐसे अपने पति के करीब और सामने से उसको घूरता देख मुस्कुराती है । फिर वो राजन के पीछे की खाली जगह पर लेट जाती है और अपने कोहनी के बल पर सर टिका कर करवट लेके रज्जो की ओर मुह कर लेती है ।

ममता हस कर खुसफुसाते हुए - क्या बात है भाभी , बडे ध्यान से निहार रही है मेरे पति को

रज्जो मुस्कुरा कर - नजर रख रही हू , कही तुमको समझ कर मुझे ही ना दबोच ले इसिलिए

तभी ममता राजन के पीछे से चिपक कर रज्जो के सामने ही राजन के पायजामे के उपर से लण्ड पकड कर बोली - नजर तो आपकी सिर्फ इसपे है भाभी हिहिहिही ,,लेकिन मिलेगा नही ।

राजन जो अबतक किसी तरह गुमसुम होकर सोने का नाटक करते हुए अपनी कामोत्तेजना को रोके हुए था ,वो ममता के हाथो का स्पर्श अपने लंड पर पाकर गनगना गया ।

रज्जो हस कर - मेरे लिए तुम्हारे भैया ही काफी है ,,हा तुम्हे कम पड रहा हो तो कहो ,,बात करू तुम्हारे भैया से

ममता ह्स कर - क्या भाभी आप भी शुरु हो गयी सुबह सुबह

रज्जो मुस्कुरा कर खुसफुसा कर बोली - शुरु तो मेरी ननदरानी हो गयी है ,,,जो सुबह सुबह ही जीजा जी का खुन्टा पकड लिया ।

ममता हस कर धीमी आवाज मे - आपका मन हो तो आप भी पकड लो ,,आपके जीजा जी बुरा नही मानेगे ।

ये बोल कर ममता रज्जो के सामने ही राजन का लन्ड़ पाजामे के उपर से मुठीयाति है और ये देख कर रज्जो की सांसे भारी होने लगती है ।
रज्जो तो एक नम्बर की रान्ड औरत थी ,,खड़ा लण्ड उसकी कमजोरी थी चाहे किसी का भी क्यो ना हो । धीरे धीरे उसके हाथ चटाई पर निचे की ओर सरक रहे थे ।
ममता ये सब बखूबी देख रही थी और उसने आगे की ओर लपक कर मस्ती मे रज्जो का हाथ पकड कर राजन मे खडे लण्ड पर रख कर दबा दिया ।

रज्जो मे मुह से सिसकी निकल गयी और वही राजन की हालत बहुत ही ज्यादा खराब होने लगी । ममता की मस्ती उसपे भारी पडने लगी और रज्जो के हाथो का स्पर्श पाकर वो बहुत उत्तेजित होने लगा था ,,जिससे उसका लण्ड फड़कने लगा ।

लण्ड के फड़कने से रज्जो का ध्यान टूटा तो वो अपना हाथ ममता के हाथ से छूड़ाने की कोसिस करती हुई - ओह्ह्ब पागल ,ये क्या कर रही है ममता ,,जीजाजी जग जायेंगे छोड

ममता भी हस्ते हुए एक बार अच्छे से रज्जो की हथेली को राजन से आड़ो तक पकड कर रगड़ा और छोड दिया ।

ममता हस कर धीमी आवाज मे - हिहिहिही क्यू भाभी मजा आया ना
रज्जो शर्म से लाल होते हुए धीमी आवाज मे हस्ते हुए बोली - बहुत मजा ले रही है ना तू ,, मैने भी तेरे भैया का लण्ड तुझसे ना पकडवाया तो मेरा नाम रज्जो नही ।

यहा ननद भौजाई की मस्ती और जोक जारी रहे वही दोनो के बीच थोडी सी मस्ती के चक्कर मे राजन की हालात बहुत खराब हो गयी थी ।
हालत खराब तो रज्जो की भी हो गयी थी इसिलिए वो बाथरूम का बहाना मार कर निकल गयी । वही रज्जो के जाते ही राजन पलट कर ममता पर झूठ का गुस्सा दिखाता हुआ - ये क्या पागलपन है ममता हा
ममता ने वापस से राजन के लण्ड को आड़ो सहित दबोचते हुए बोली - उम्म्ंम्ं क्यू अपनी सल्हज का स्पर्श पसन्द नही आया हम्म्म

राजन सिहर उथा और उसने ममता को दबोच कर उसकी गाड़ को मसलने लगा ।

ममता - ओह्ह बस करिये मेरे राजा ,,बच्चे है पास मे
राजन ममता की साडी के उपर से उसकी चुचिया दबाते हुए बोला - अभी तक बच्चे नही थी क्या हम्म्म ,, अब ये खड़ा हो गया है ,इसे शान्त तो कर दे ।

ममता - क्या जी मै तो ब्स मजाक कर रही थी ,,यहा कैसे मै ,समझो ना आप
राजन कसमसा कर - मुझसे रहा नही जा रहा है ममता ,,,तू इसे चुस दे बस

ममता - अरे भाभी आँगन मे गयी है आती ही होगी ।

राजन - अरे अंधेरा है ममता ,,जल्दी से कर दे ना , मै काफी गरम हू ज्यादा समय नही लगेगा

ममता मुस्कुराइ और उठ कर राजन के पैर के पास बैठ गयी । तब तक राजन ने अपना पाजामा खोल कर लण्ड बाहर निकाल दिया ।
ममता मे लपक कर वो लण्ड मुह मे भर लिया और चूसने लगी । इधर राजन और ममता बगल मे सोते हुए बच्चो से ही क्या जागती हुई रज्जो से भी बेखबर थे ।
वही रज्जो धीरे धीरे हाल मे आ चुकी थी ।

रज्जो ने सोचा अब सुबह होने को है तो हाल की बत्ती जला दू और वो धीरे से बोर्ड के पास गयी और स्विच ऑन कर दिया ।

अचानक से उसकी नजर ममता पर गयी जो राजन का लण्ड आधा मुह मे भरी हुई थी , वही राजन गरदन उठाये रज्जो की ओर देख रहा था ।

रज्जो को अपनी गल्ती का अह्सास हुआ और वो फौरन बत्ती बुझा दी ।

रज्जो मुस्कराती हुई दबी हुई हसी के साथ - सॉरी ममता , मुझे नही पता था ।

इधर ममता राजन पर गुस्सा थी और वो उसे धीमी आवाज मे डांट रही होती है ।
रज्जो मारे शर्म के उपर चली जाती है अपने पति के कमरे मे । जहा कमलनाथ अभी भी खर्राटे भर कर सो रहा होता है ।
मगर निचे से आने के बाद वो इतनी गरम मह्सूस कर रही थी कि उसे बिना लण्ड के सुकून कहा । वही कमलनाथ का लण्ड भी उसके पायजामे में सुबह की बेला मे तनमनाया हुआ था ।
रज्जो को लण्ड की बहुत ही ज्यादा तलब मह्सूस हो रही थी , इसिलिए वो जल्दी मे दरवाजे को बस भिड्का दी और फटाफट कमलनाथ का लण्ड निकाल कर उसे चूसना शुरु कर दी ।

वही निचे हाल मे राजन और ममता काफी शर्मिंद्गी मह्सूस कर रहे थे ।

राजन - ममता ये ठीक नही हुआ ,,,हम मेहमान है और भाभी जी ने हमे ऐसे देख के उपर चली गयी । हसी मजाक तो अपने जगह पर

ममता भी राजन के बातो मे आ गयी - हम्म्म मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा है,ना जाने भाभी क्या सोच रही होंगी

राजन - चलो हम लोग उपर चलते है , एक बार माफी मांगना हमारी जिम्मेदारी बनती है ।

ममता भी उतरे मन से - हा जी सही कह रहे है,,नही तो अभी शादी तक हमे यही रहना है तो कब तक नजर चूराते हुए फिरेंगे ।

फिर वो दोनो सीढि से उपर कमलनाथ के कमरे की ओर आये ,,,जहा अंदर रज्जो सबसे बेफ़िकर होकर पूरी तरह से पागलो के जैसे अपने पति का लण्ड गले तक उतारे हुए उसके मोटे बडे बडे आड़ो को सहलात रही होती है ।
उसी समय ममता और राजन दरवाजा खोल कर बिना दस्तक के ही कमरे मे घुस जाते है और कमरे का सीन देख कर ठीठक कर रह जाते है ।


ममता और राजन की आंखे फटी रह जाती है जब वो रज्जो को कमलनाथ का 7 इन्च का लण्ड अपने गले से निकालता हुआ देखते है ।

ममता की नजरे अपने सोये हुए भाई के मोटे काले लण्ड पर जमी होती है ,वही राजन के दिल की धड़कन ये सोच कर बढने लगती है कि अगर रज्जो उसका लण्ड मुह मे लेगी तो क्या होगा ।

वही रज्जो एक बार फिर से खुद को शर्मिंदा कर लेती है और फटाक से अपने पति का काला लण्ड पर पायजामा चढाते हूए - अरे आप लोग यहा

मगर पायजामा चढ़ाने के बाद भी लण्ड बहुत साफ दिख रहा था और ममता की निगाहे वही जमी थी । रज्जो को इसका अह्सास होते ही वो कमलनाथ का कुर्ता ही खिच कर सही करती है ।
इधर राजन बिना कुछ बोले खसक लेता है बाहर की ओर
रज्जो फटाक से उठती है दरवाजा बन्द कर देती है ।

ममता खीसखीसा कर हसी और बोली - माफ करना भाभी ,,मेरी वजह से आपका अधूरा रह गया

रज्जो मुस्कुरा कर - तू यहा क्या करने आई थी ,,,अपने भैया का खुन्टा पकडने हम्म्म

ममता ह्स्ते हुए - मै कैसे पकड सकती हू भाभी ,,भैया का खुन्टा तो आपने हड़प रखा था

रज्जो आंखे बडी करके हस कर ममता को देखने लगती है ।
वही ममता को अभी थोडी देर पहले हुए हंगामे से इतनी हसी आ रही थी की वो क्या बोल गयी फलो मे उसे खुद नही समझ आया और जब रज्जो ने उसे घूरा तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और वो अपना माथा पीट कर बोली ।
ममता - माफ करना भाभी मै जा रही हू ,, पता नही आज का दिन ही ऐसे सुरु हुआ तो आगे क्या होगा ।

मगर रज्जो ऐसे कैसे जाने देती वो लपक कर ममता को पकडते हुए बिस्तर तक खिच कर ले आई ।
रज्जो ममता का हाथ पकड कर - ऐसे कैसे मेरी लाडो ननद रानी , इतना अरमान लेके आई हो तो बिना भैया का खुन्टा पकडे चली जाओगी ।

ममता समझ गयी कि क्या होने वाला है तो हस कर छ्टकने लगी ।
रज्जो उसका हाथ पकड कर - देख ममता अभी तेरे भैया सोये है तो जो मै कह रही हू कर दे ,,,नही अगर जग गये तो मै तो बोल दूँगी की आपकी बहन मुझे छिप कर आपका काला लण्ड चुसते हुए देख रही थी ।

ममता तो सकपका गयी और हसने लगी - ये ये क्या कह रही हो भाभी,,भैया है वो मेरे

ममता ने बार बार मिन्नते की मगर रज्जो ने ठान लिया था कि हिसाब बराबर करवाना है और ममता भी अपने भाभी रज्जो की जिद और मस्तियो से वाकिफ थी ,,,वो जानती थी कि अगर वो यहा मना करेगी तो आगे जाकर उसकी भाभी उसके लिए कुछ बड़ा प्लान कर लेंगी ।

इसिलिए ममता ने भी ना नुकुर करते हुए अपने हाथ को ढिला कर दिया और मौका पाते ही रज्जो ने फटाक से एक हाथ से कुरता हटाया और पायजामे को हटा दिया और कमलनाथ का काला मोटा लण्ड सर उठाए टनटना गया ।

इधर ममता को इस बात की उम्मिद ही नही थी कि उसकी भाभी उसका हाथ मे उसके भैया का खुले लण्ड थमा देंगी ।इसके लिए ममता फिर से खिलखिलाते हुए कसमसाइ, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।

ममता - यीईई भाभी ये गलत है उम्म्ंम्ं उह्ह्ह्ह

रज्जो ममता मी हथेली को उसके भैया के काले
लण्ड पर निचे झुलते आड़ो से लेकर उपर सुपाडे तक अच्छे से हाथो मे भर कर सहलवाने लगी ।
वही ममता अपने भैया के गरम सलाख से तपते लण्ड की सख्ती अपनी हथेली मे मह्सूस करके गनगना गयी ।
रज्जो की नजर ममता की तेजी से उपर निचे होती छातियों पर गयी और उसकी खराब हालत के चलते उसने उसे छोड दिया ।

ममता मौका पाते ही खीलखिलाते हुए कमरे से भागी और भागते हुए बोली - भाभी इसका बदला मै भी लूंगी देखना ।


रज्जो अपनी नन्द को भागता देख कर खिलखिलाई ।

जारी रहेगी
Nice update dost
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।

राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Mast update tha dost.......bhai waiting more...Sonal..........

बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है

Waah bhai waah kya sundar chitran kia hai apane..
Aur sath hi itana kamuk ki bas poochhiye mat kya kya khada ho gaya...
Nandoi aur Salhaj ka masti bhara khel aur sath Mein hi Bhabhi nanad ka aapas mein kamuk mazaak ati kamuk tha aur sabse ant mein bahan ke hath mein bhai ka lund aa jana... aahhhhh
.
Aur jo kirdaron ke beech aapane meethi nokjhok sath hi vartalap ko dikhaya hai... Wo bilkul sajeev hai.. sahayd hi koi bhabhi nand ki jodi hoti hogi jisme aise mazaak na hote ho...
Bahut hi khoob bhai..
Waiting for more.

Bhai yeh chodapur ka masala dala hai update mai superb


Bahot mazedaar
Lajawab update bhai
Maza aa gaya

ये जो दारू के बक्चोदी करने वाले लोग होते है, साले एक नंबर के चू**या होते है। अब इस कमलनाथ के चक्कर में बचाती रज्जो का नंबर लग जायेगा। मस्त अपडेट।

Fantastic update waiting for next

Waiting for the next update


Rochak aur Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

Kaamuk update dost

Next update kab aayega sir
Ap sabhi ki pratikriya k liye dhanywaad dosto

New update posted Read and review my story
 

Lib am

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UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।


राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
सही है दोनो जगह मस्ती चल रही है लगता है अनुज के भी जवान होने का नंबर आ गया है। जबरदस्त अपडेट।
 
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