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Vacations✈ 🏖 are Planned for this summer week
So update will comes after next week.
Enjoy your day
& very imp
हिलाते रहो
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हिलाते रहो
Last edited:
Awesome update bhai
Nice update... bhai waiting more
Fantastic update waiting for next
Awesome Update...
Nice update
Awesome update
Romanchak aur Rochak update. Pratiksha agle rasprad update ki
Keep Going
Waiting For Next Update
Waiting for next update. Very nice
Genre change nahi ho raha bas thoda sa interesting banane ki koshish ki hai agar main bhi same cheez karke aage badhun to repetitive lagega to aap log hi bore honge isliye and sirf do updates mein kuch decide mat keejiye thoda sa patience ke sath bane rahein aur aage dekhiye kya hota hai agar na pasand aaye to chhota samajhkar maaf kr dena pahli story hai meri thodi galti hongi hi but usse pahle thoda sa intezar keejiye jo main karna chahta hun ek baar dekh leejiye.
Apki pratikriya k liye dhanywaad dostowaiting
Behtareen shaandaar update bhaiUPDATE 101
मा और नाना की जोरदार चुदाई और दो बार बुरी तरह से लण्ड निचोडने के बाद मन मार कर मै थक कर सो गया ।
सुबह मेरी निद रोज से पहले खुल गयी थी और मैने मोबाईल मे चेक भी नही किया था कि कितने बजे होगे ।
मै रोज की तरह उठा और बाथरूम गया । फिर फ्रेश होकर बाहर हाल मे आया तो देखा सब खाली खाली है ,,,कोई चहल पहल नही ,,,नही तो रोज मा और दीदी उठ ही जाते थे ।
फिर मै हाल मे टंगी घड़ी पर नजर मारी तो अभी तो सुबह के 4:30 ही हो रहे थे तो कैसे कोई दिखता और मुझे तभी मा का ख्याल आया और रात की सारी बाते याद आई ।
फिर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मेरे लण्ड से सुबह की अंगड़ाई ली ,,, मै उसे दबा कर मा के रूम की ओर बढा । फिर मैने दरवाजे को हल्का धक्का दिया तो वो खुला नही मतलब वो अन्दर से ही बन्द था ।
मैने कान लगा कर कुछ सुनना चाहा तो बस कुलर की घनघनाहट ही गुज रही थी ।
फिर मैने सोचा अभी समय है तो क्यू ना थोड़ा छत पर टहल लू ,,,
मै सीढ़ी से उपर गया वहा भी सब शांत था ,,,मै उपर चला गया और जीने का दरवाजा खोल कर छत पर खुली हवा मे टहलने लगा ।
गजब की खुशी थी चेहरे पर कोई खास कुछ दिख नही रहा था ,,,अभी भी अंधेरा था और मै मोबाईल लेके आया नही था ।
सोचा अभी समय है एक घन्टे और सो ही लू तो मै वापस दरवाजा बन्द कर सबसे निचे के हाल मे आया और अपने कमरे मे चला गया ।
फिर मैने मोबाईल उठाया और लेटे हुए चलाने लगा
रात मे सरोजा के मैसेज आये थे हालकी वो जान्ती थी कि मै दीदी की सगाई को लेके काफी व्यस्त हू तो कोई रियक्ट नही किया था लेकिन कोमल के 4 मिस्काल थे और कुछ इतराने भरे मैसेज
कारण मै जानता था क्योकि विमला घर पर थी नही और वो मुझे बुलाना चाहती थी इसिलिए,,,मगर मैने तो कल रात के लिए अलग ही शो बुक कर रखा था ।
खैर मै ऐसे ही मोबाईल चला रहा था कि थोडी देर बाद मेरा दरवाजा खुला और मा वही रात का ब्लाउज पेतिकोट पहने कमरे मे आई ।
हम दोनो की नजरे टकराई और उन्होने दरवाजा बंद कर दिया
मै मा को देख कर ही खुश हो गया फटाक से बिस्तर से उतर कर मा के पास गया ।
मै - अभी को आ रही हो आप
मा फटाफट मेरे कमरे मे रखे नाना के कपडे लेके जाने लगी
मै - अरे कहा जा रही हो
मा खुसफुसा कर - ब्स ये कपडे देके आ रही हू बेटा
मै हा मे सर हिलाया और मा दरवाजे से बाहर गयी और सीधा अपने कमारे और फिर दो मिंट बाद मा वापस मेरे कमारे आई ।
मा ने दरवाजा बन्द किया और इत्मीनान हो गयी ।
मै मुस्कुरा कर मा को हग कर लिया
मा भी मुझसे चिपकी रही
मै मा को सामने कर - तो कितना राउंड हुआ
मा शर्मा कर मुझ्से अलग होकर बिस्तर पर जाने लगी ।
मै मा को लेके बिसतर पर लेट गया और उनको अपनी बाहो मे लेके उन्के होठ चुस्ते हुए बोला - बोलो ना मा कितनी बार लिया नाना का
मा ह्स दी और मेरे होठ चूम कर मेरे गाल सहलाते हुए एक टक मेरी आंखो मे देखने लगी ।
मै इशारे मे अपनी भौहे उठा कर पुछा क्या हुआ तो वो ना मे सर हिला कर मुस्कराने लगी।
मैने उन्के कूल्हो को थाम कर अपने ओर खीचा और लंड को सिधा उनकी पेड़ू पर चढा दिया ।
मै - बताओ ना मा
मा - क्यू तुने कितनी बार देखा
मै - मैने तो एक ही बार
मा हस कर - हा तो उत्ना ही हुआ
मै तुनक कर - तो आई क्यू नही रात मे
मा शर्मा कर - वो बाऊजी ने बोला सुबह चली जाना
मै खुशी से- ओह्ह मतलब और भी कई राउंड हुआ था
मा ह्स कर - नही रे बस अभी को थोडी देर पहले एक बार और हुआ
मै तपाक से मा की चुत को पेतिकोट के उपर से ही दबोच लिया और सिस्क उठी ।
मै - अब तो खुश हो ना मा
मा लपक के मेरे अंडरवियर के उपर से लण्ड को थाम लिया
मा - हम्म्म्म्ं
मैने वैसे ही पेतिकोट के उपर से ही मा की चुत को कुरेदते हुए - तो इस टाईम किस पोजीशन मे हुआ
मा एक कातिल मुस्कान के हाथ लण्ड को उपर से मसल्ते हुए उठ गयी और फटाक से मेरा अंडवियर खिंच लिया ।
मेरा लण्ड फनफना कर खड़ा हो गया और मा ने बिना हाथो के प्रयोग किये सीधा मुह खोलते हुए लण्ड को भर लिया ।
मै सिहर गया और थोडा गिला कर उठी और पेतिकोट अपनी कमर तक उठा कर मेरे जांघो के दोनो तरफ पैर किया ।
मै समझ गया मा बैठने वाली है तो मैने लण्ड को जड़ के पकड कर सीधा कर दिया और मा मुस्कुरा कर अपना पेतिकोट उठाए सीधा लण्ड को अपनी तपती चुत मे सोख लिया ।
मा लण्ड की जड़ तक कचकचा कर भर लिया अपनी चुत मे और मेरे जांघो पर अपनी गाड को मथते हुए बडी ही कामुक अदा से मुस्कुराइ
मै मा की नशीली अदा से सिहर गया और बोला - ऐसे ही चुदवाया क्या मा अभी
मा मेरे लण्ड को निचोड़ हुए अपनी गाड़ को उठाया और वापस वैसे ही लण्ड को भर लिया ।
मै गनगना गया
मा - हा बेटा ऐसे ही लिया है अभी बाऊजी का लण्ड उम्म्ंम्म्ं
मै अपने हाथ मा के कूल्हो को थामा और जोर से एक करारा धक्का मा की चुत मे लगा दिया
मा सिस्क उठी
मैने मा को पकड कर अपने उपर खिच लिया और अपनी जांघो लो खोलते हुए निचे से गचाग्च पेलना शुरु कर दिया
मा मेरे होठ चुस्ते हुए उसी पोजीशन मे बनी रही और थोडी ही देर हम दोनो चरम पे थे ,,,ना मा हिली ना मै
हम दोनो एक-दूसरे से चिपके रहे और मेरा लण्ड झटके देते हुए झडने लगा।
मा मेरे सीने पर वैसे ही लण्ड को अपनी चुत मे लिये लेती रही ।
मै मा के बालो मे हाथ फेरा और बोला - तब नाना से कुछ कबूलवाया की नही
मा मुस्कुरा कर मेरे आन्खो मे देखते हुए - हम्म्म्म
मै - क्या बताओ ना
मा - रात मे वही हो जाने के बाद मैने उनसे पूछा कि क्या रज्जो जीजी के साथ भी आपने किया है तो वो बताये कि कैसे जीजी ने मा के मरने के बाद उनको सम्भाला था ।
मै भी एक संतुष्टि की हुन्कारि भरी और हम ऐसे ही लेटे रहे और पता नही कब सो गये ।
7 बजे के करीब सोनल मेरे दरवाजे को पीट कर आवाज दे रही थी ।
हम दोनो चौक कर उठे और अभी भी मेरा लण्ड सिकुड़ कर उनकी चुत मे था और मुझे इसका अह्सास होते ही अगले ही पल वो कस कर फिर से तन गया ।
मा मुस्कुराई और उठ गयी और अपने कपडे सही कर बाहर चली गयी और मै भी फ्रेश होने चला गया
थोडी देर नास्ते के समय से पहले पापा भी आये और फिर हम सब ने मिल कर नासता किया और आज का प्रोग्राम तय किया गया ।
पापा ने बताया कि मुझे फुलपुर गाव जाना पडेगा रंजू ताई के यहा सगाई के लिए न्योता देने ।
गाव तो पास मे ही था और पंखुडी भाऊजी का ख्याल आते ही मै प्रसन्न हो गया ।
इधर नास्ते के टेबल पर नाना और मा की एक गुपचुप सी इशारे बाजी चल रही थी जिसका अन्दाजा मुझे था ही कि इधर पापा और अनुज दुकान पर जायेन्गे ,, गीता-बबिता सोनल के साथ उसके बुटीक जायेगी ही और मै फुलपुर जाने वाला था ।
तो घर मे अकेले दोनो बाप बेटी धमाल तो करने ही वाले थे ।
थोडे ही समय में सब अपने अपने काम पर निकल गये ।
अब घर मे मै नाना और मा ही बचे थे ।
नाना नहा चुके थे लेकिन मुझे और मा को नहाना था ।
मै और नाना हाल मे बैठे थे , वही मा किचन मे साफ सफाई करने मे लगी थी ।
नाना की नजर अब भी मा के उपर थी जो अभी तक ब्लाउज पेतिकोट पर एक दुपट्टा लेके काम कर रही थी ।
मै - नाना जी अब कैसी है आपकी तबियत
नाना मुस्करा कर - ठीक है बेटा,, कल रात मे तो सच मे परेशान हो गया था ।
मै उनके कान के पास जाकर - लेकिन उसको शांत कैसे किया
नाना चौक कर मेरी ओर देखे और मुस्कुराने लगा
नाना हस कर - तू बहुत नटखट है रे ,, अब यहा कोई इन्तेजाम तो है नही तो तेरी मा के जाने के बाद हाथगाडी चलानी पड़ी थी ।
मै हस कर - फिर तो आज भी कल के जैसे काम चला लो ,,,कल से मौज ही रहेगा आपका
नाना को ये ख्याल आते ही की कल उनको घर जाना है तो उनहे अच्छा नही लगा ।
मै समझ गया और बोला - हा अगर यही मन लग गया हो तो रह सकते हो हिहिहिही
नाना हसने लगे और बोले - बेटा मन तो बहुत है और यहा अपनी बेटी और नाती के साथ हू इससे अच्छा क्या होगा ,,,लेकिन गाव मे भी काफी जरुरी काम पडे हुए है ।
इधर मा किचन मे काम खतम कर हाल मे आई
मा - बाऊजी मै नहाने जा रही हू तब तक आप आराम कर लिजिए , मै खाने के वक्त पर जगा दूँगी ।
मै - अच्छा ठीक है मा ,,मै भी नहाने जा रहा हू फिर मुझे भी गाव पर जाना है
मा ने सहमती दिखाई और अपने मे गयी यहा नाना खुश से फुल गये और उनका लण्ड भी ।
मै भी मुस्कुरा कर अपने कमरे मे गया और कपडे निकाल कर एक बार बाहर दरवाजे के ओट से झाका तो देखा कि मा के कमरे का दरवाजा खुला है
मै फटाक से बाहर आया और मा के कमरे मे झाका
जहा बाथरूम के पास ही नाना मा को पीछे से जकडे हुए अपना लण्ड की गाड मे घिस रहे थे और हाथो मे मा की चुचिय ब्लाउज के उपर से मिज रहे थे ।
मै मुस्कुराया और नहाने के लिए चला गया क्योकि मै जानता था कि सिर्फ आज ही ये प्रेम मिलाप चलेगा तो क्यू ना इन्हे करने दिया जाये ।
मै नहा कर बाहर आया तो नाना हाल मे लेते हुए थे और मै नाना को बोल दिया कि मै जा रहा हू गाव पर ,वो मा को बता देंगे ।
फिर मैने एक ई-रिक्शा किया और निकल गया ।
फूलपुर गाव , चमनपुरा मे प्रवेश वाली पुलिया के थोडी ही दुर पर नारायणपुर के ठीक सामने वाला गाव था ।
मतलब मेन रोड एक तरफ नारायणपुर और दुसरी तरफ फुलपुर ।
ई-रिक्शा मुझे गाव के सड़क पर छोड कर वाप्स चला गया ।
मै काफी समय बाद गाव जा रहा था , हालाकि यहा मेरे पिता का बचपन बिता था और बचपन मे मै काफी बार यहा कोई प्रोग्राम के समय पापा के साथ आता था ,,,मगर अब बहुत कुछ बदल गया था ।
मिट्टी और खडंजे सडको की जगह अब पक्की सड़क थी और पक्के घर अब काफी बन चुके थे तो ऐसे मे मुझे रंजू ताई का घर खोजने मे दिक्कत हो रही थी ।
आखिर कार मुझे एक बुजुर्ग से मेरे ताऊ जमुना प्रसाद का घर पुछना पडा ।
फिर उन्होंने थोडा आगे जाने को बोल और मै उसी जगह गया तो मुझे सब याद आ गया ।
चुकी ताऊ का घर बहुत ही पुराना था ,,आखिरी बार 6 साल पहले आया था जब रोहन भैया की शादी पंखुडी भाभी से होनी थी ।
ये आगन और वो बगल का कूआ याद है मुझे ।
लेकिन अब उस खपरैल की जगह दो मन्जिली कोठी थी ,,,, आखिर रोहन एक बडे कोर्पोरेशन मे नौकरी करते थे और उन्ही के भेजे पैसे से ये नहा मकान बना था ।
इस समय मुस्किल से 10:30 बज रहे थे , और मै आगे बढा ।
बाहर आंगन मे कोई नही दिखा ,,उम्मीदन ताऊजी खेत के लिए निकल गये होगे तो घर मे ताई और भाऊजी ही होगी ।
चुकी ये मेरे घर जैसा ही था तो मै बिना किसी की अनुमती या किसी को आवाज लगाये
मैने ओसारे से लगे गलियारे का परदा हटा कर अन्दर घुसा तो निचे कोई नजर नही आया ।
मै किचन के बगल से लगी एक सीढ़ी से उपर गया और फिर सबसे उपर चला गया।
जैसे ही जीने से बाहर निकला सामने की हसिना को देख कर मेरा लण्ड टनटना गया ।
सामने छत पर लगी अरगन पर पंखुडी भऊजी सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट पहने बालटी से कपडे निकाल कर फैला रही थी । शायद वो अभी अभी नहा कर निकाली थी तभी उन्होने अपने गिले बालो मे तौलिया लपेटा हुआ था ।
ग्रे ब्लाउज के उनकी कसी हुई 34DD की मोटी चुचिय और गाड़ का फैलाव पेतिकोट मे भरा हुआ था ।
मै ह्स कर बिना संकोच किये - नमस्ते भौजी
पंखुडी भाभी अचानक से मेरी आवाज सुन कर चौकी और फटाक से अपने चुचो पर हाथो से क्रॉस कर लिया ।
लेकिन जब मुझे देखा तो थोडी नोर्मल हुई
भाभी - क्या देवर जी हम तो डर गये थे
मै मुस्कुरा कर उनके करीब जाकर - हाहाहाह ,,कौन सा मै आपको लुटने आया हू
भाभी ने नजर मेरे पैंट मे उभरे हुए लन्ड़ पर मारा और इतरा कर बोली - तुम्हारी नही उस चोर की बात कर रही हू
मै झेप सा गया और मस्ती मे बोला - अब उसका काम वो जाने हमे उससे क्या
भाभी हस के कपडे निकाल कर फैलाने लगी ।
मै उन्हे छेड़ते हुए - लग रहा है कि आपको निचोडना नही आता भौजी हिहिहिही
वो मुस्कुरा कर अचरज से देखी
मै ह्स्कर - अरे कपडे को कह रहा हू ,,,इसको ऐसे निचोड के डालो बहुत जल्दी सुख जाता है ।
भौजी - हमको निचोडना ना सिखाओ ये बताओ आज अपनी मेहरारू को कैसे याद कर लिये
मै - अब आप हमको अपने पास बुलाती नही है तो सोचे हम खुद ही चले जाये ,,,वैसे भी रोहन भैया है नही तो क्या पता कुछ दाल गल जाये हमारा ही
भाभी हसी - यहा तोहार दाल ना गलेगा देवर जी
मै भाभी की भोजपुरी टयून पर हसी आई और मै भी उन्ही के रंग मे रगता हुआ
मै - काहे हो भौजी ,, चूल्हा मे आग नईखे का
वो हसी और बालटी लेके निचे जाते हुए - आग इतना बा कि राऊर दाल जल जाई ये देवरु
मै ह्स कर उनके पीछे जाता हुआ - अरे इ हमार दाल ह ,,, 3 से 4 सिटी मे गले ला
मेरी डबल मिनिंग बात से भाभी हसने लगी
भाभी - लागत बा पुरान चूल्हा यूज़ करीला राऊरे ,,,,हमार यूज़ करबे तो एक ही सिटी मे पानी पानी हो जाई
मै उनकी बात से हसने लगा और आगे बोलने को होता तभी निचे से रंजू ताई की आवाज आई
हम दोनो चौके क्योकि भौजी जिस हाल मे थी उस समय मेरा उनके साथ रहना उचित नही था ,,,,
मै ह्स के - जाई राउर सास बुलावत बातीन
वो हसी - भ्क्क्क ,, जाओ अब निचे हम आ रहे कपडा पहन के
मै भी ह्स कर निचे हाल मे आया और ताई के पैर छुए
रन्जू ताई चौकी और खुश भी हुई - अरे बचवा तुम ,,,आओ आओ बैठो लल्ला
रन्जू - कहो कैसे आना हुआ और तुम उपर थे तो दुल्हीन कहा है
मै ह्स कर - वो बडकी अम्मा ,, भौजी छत पर कपडा डाल रही है अभी आ रही है ।
ताई हस कर - और बताओ लल्ला घर पर सब कैसे है और अचानक से यहा सब ठीक तो है
मै ह्स कर - हा बडकी अम्मा सब ठीक है । वो दिदी की सगाई का न्योता देने आया था ।
ताई खुश होते हुए - अरे वाह ,, इ तो बहुत अच्छी खबर सुनायो लल्ला ,,,,कहा हो रही है शादी
फिर मैने उनको दीदी के ससुराल के बारे मे बताया और सगाई का दिन भी
फिर थोडी देर मे भाभी साड़ी पहन कर आई और मेरे लिये किचन से चाय नासता भी लाई ।
फिर ऐसे ही बाते चली ।
मै - बडकी अम्मा ,,वो मम्मी ने बोला था कि घर का कोई मोबाईल नम्बर लेते आना ,,,ताकी आगे के प्रोग्राम के लिए जानकारी देने मे दिक्कत ना हो ।
ताई ह्स के - अब बचवा कहा हम मोबाइल चलावत है ,,,,ये दुल्हीन तनिक आपन मोबैल के नम्बर लल्ला को देदो ।
भौजी मुस्कुरा कर - लिखिए बाबू ,,,
फिर वो नमबर बोली और मैने कॉल घुमा दिया और मोबाईल किचन मे बजा
भाभी दौड़ कर गयी और लेके आई और मुझे मोबाईल देके बोली - बाबू तनिक इमा भी नाम सेट कर दो
मै हस कर - का नाम लिखे भौजी
भौजी ह्स कर - छोटका भतार लिख दो , तोहरी बहिन के ,,हिहिहिही हा नाही तो पुछ रहे है का नाम लिखे
भाभी की बात पर ताई मुह पर हाथ रख कर हसने लगी
मै भी हस कर छोटका भतार लिख कर दे दिया ।
भाभी नाम पढ कर - देख रही है अम्मा ,,बाबू सही मे लिख दिये वही
ताई हस कर - अरे तो का हुआ ,, छोटका भतार बनाओ चाहे देवर, बात एक्के है दुल्हीन
मै ताई की बातो पर हस कर उनसे छिपकर भौजी को आंख मार दी ।
वो भी मुस्कुरा दी ।
थोडा और हाल चाल लेके मै वापस घर की ओर आया ।
दोपहर के 12 बजने को थे और मै घर पहुचा ।
हाल मे काफी चहल पहल थी ,,नाना मा गीता बबिता सोनल सब बैठे हुए थे और आज निशा भी आई हुई थी ।
मुझे देख कर निशा ने स्माइल पास की और यहा मेरे लंड ने अगडाई ली ।
फिर मा ने मुझे पानी दिया और गाव के बारे मे हाल चाल लिया ।
फिर सारी जानकारी देने के बाद मै खाना खा कर निकल गया दुकान पर ,,,
दिन बिता और रात के खाना खतम हुआ, मै जानता था कि आज रात भी मा और नाना लगे रहेंगे तो क्यू ना मै गीता बबिता मे से किसी को रोक लू ,, मगर पता नही उन्हे सोनल ने क्या पट्टी पढाई थी कि वो आज उसके साथ ही सोने के लिए गयी ।
स्बके उपर जाने के बाद
नाना - बेटी अगर तुझे एतराज ना हो तो मै तेरे कमरे मे ही सो जाऊ ,,,यहा की गर्मी बर्दाश्त नही होती मुझसे
मा ह्स कर - आपकी जैसी इच्छा बाऊजी ये आपका भी घर है ,,,, मै राज के साथ सो जाऊंगी
नाना थोडा मन गिराने लगे तो मा फिर से बोली - और आप दरवाजा खोल के ही सोयीएगा , मै अभी दवा देने आऊंगी
नाना मा की बात सुन कर मुस्कुराते हुए कमरे मे चले गये
मै भी अपने कमरे मे गया और थोडी देर बाद मा नाना को दवा देके मेरे कमरे मे आई और दरवाजा बंद कर दिया ।
मै मुस्कुरा कर - आज मेरे साथ ही रहोगी क्या मा
मा - हा क्यू ,,चली जाऊ क्या बाऊजी के पास
मै मा को पकड कर अपने पास लाया - नही मेरी सेक्सी मम्मी ,,अभी नही थोडा मेरा ख्याल रख लो फिर जाना
मा मुस्कुराई और फिर एक राउंड हमारा जोरदार चुदाई संग्राम चला और फिर मा थोडा सुस्ता कर निकल गयी नाना के पास ।
इधर रात भर मा नाना के साथ ही मस्तियाँ करती रही और मै भी आज रात खुल कर कोमल से बात की बहुत दिन बाद ।
उसे मेरी तडप बहुत स्ताती है तो वो खुद पर नियंत्रण नही कर पाती है । उसने बताया कि कैसे कल रात वो मुझे याद करते हुए मनोज के हाथो पकड़ी गयी । इसिलिए वो इतना गुस्सा भरा मैसेज की थी । रात के घटना के बाद से आज दो बार मनोज ने उससे सेक्स के टॉपिक पर बाते की। हमारी बाते चल रही होती है कि कोमल बाद मे बात करने का कह के काट देती है ,,, शायद मनोज आया था ।
मै मुस्कुराया और थोडा सरोजा से खोज खबर लिया और सो गया ।
इधर अगली सुबह ही नाश्ते के बाद नाना गीता बबिता के साथ अपने गाव की ओर रवाना हो गये ये बोल कर सगाई के दिन सारे परिवार के साथ वो लोग आयेंगे ।
और आज का दिन बीत गया ।
आज शाम को पापा घर आ गये तो सगाई की तैयारियो के लिए काफी काम बचा था ।
समय बिता और सगाई के 3 दिन पहले
पापा ने चाचा को बोल कर निशा, चाची और राहुल को घर बुला लिया ताकि सारे काम समय से हो सके ।
उस दिन बडे सवेरे से ही समान की सारी लिस्ट बनाई गयी और मैने चंदू को फोन कर बुलाया ,,,फिर हम सब खरीददारि कर सारा समान ,बरतन , सगुन का समान उस दिन सब चंदू के चौराहे वाले घर पर ही रखवाया गया ।
उस दिन पुरा समय मेरा और चंदू का भागा दौडी मे निकल गया और घर मे भी सारी महिला मंडली अपने कार्य मे लगी थी ।
अगले दिन मै और चंदू एक रिक्शा कर बडे शहर गये और शगुन के फल और भोजन के लिए सब्जियां लाद कर शाम तक आये । तब तक पापा ने मीठाइयो और कपड़ो का काम देख लिया था । वो दिन भी थकान और भागा दौडी मे निकल गया ।
सगाई को एक दिन बाकी था अब और बडे सुबह से ही मै चंदू के साथ मिल कर ठेले और टेम्पो के माध्यम से सारे समान को शिवमंदिर के धर्मशाले मे जहा हमे कमरा मिला था ,,वहा रखना शुरु कर दिया । शाम तक टेन्ट और हल्वाई भी अपने अपने कामो मे जूट गये । वहा की देख रेख के लिए मैने अनुज और राहुल को लगा दिया । फिर इधर चौराहे वाले घर पर देर शाम तक धीरे धीरे मेहमान भी आने लगे थे । रज्जो मौसी , शिला बुआ ,शकुन्तला ताई , रजनी दीदी काफी सारी महिला मंडली एकत्र थी ।
देर रात मे सारे काम निपटा कर मै और चंदू चौराहे पर वापस गये तो देखा पुरा हाल महिलाओ की शोर शराबे से भरा हुआ था ।
उपर से भी कुछ चहल पहल की आवाजे आ रही थी ।
इधर मै बारी बारी से सबसे मिला और तभी किचन से रज्जो मौसी आई
मैने उनके पैर छुए और उनहौने मुझे गले लगा लिया, ,आह्ह्ह सारी थकान दूर हो गयी उन्के गद्देदार चुचो का अह्सास पाते ही ।
यहा थोडा बहुत गपशप जारी रही और फिर थोडी देर मे पापा चाचा भी आये ,,,सबसे मिलने के बाद वो मुझे लेके बाहर आ गये ।
फिर मै चाचा और पापा ने कल के सगाई की तैयारियो और बाकी के कामो पर चर्चा की ।
देर रात मे खाना पीना हुआ
फिर रजनी दीदी और चंदू , शकुन्तला ताई , और चाचा अपने अपने घर चले गये ।
अनुज और राहुल मन्दिर पर ही थे ,,,उनका खाना चाचा लेके गये थे ।
इधर निशा और सोनल अपना काम खतम कर अपने कमरे मे चले गये ।
चाची और शिला बुआ गेस्ट रूम मे चली गयी ।
मा और पापा अपने कमरे मे और मै रज्जो मौसी के साथ अपने कमरे मे आ गया ।
जारी रहेगी
Superb fantastic update brotherUPDATE 102रात मे सभी लोग अपने अपने कमरो मे चले गये ।रज्जो मौसी मेरे कमरे मे आ गयी ,,,
लेकिन जब ये तय हो रहा था कि कौन कहा सोयेगा तो पापा और बुआ की आपसी जुगलबन्दी काफी कुछ शरारत भरी थी ।
यहा मै रज्जो मौसी को पाकर मस्त था .
हम लोग कमरे मे आये और मैने रज्जो मौसी को हग कर लिया ,,,वो भी मुस्कुराई और मुझे कस कर दबोच लिया
मेरा सीना उनकी मुलायम भारी चुचियॉ पर बहुत ही गुदगुदी मह्सूस कर रहा था ।
मैने मेरे हाथ मौसी के उठे हुए कूल्हो पर ले गया और साड़ी के उपर से ही उन्हे सहलाते हुए मौसी के होठ चूसने लगा ।
ना जाने क्यू लेकिन मौसी से मुझे एक खासा लगाव था ,,,, उनका भरा और गुदाज जिस्म मुझे पागल कर देता था ,,,
उनका सावला रूप और निखरा हुआ जिस्म , वो नशीली आंखे और नरम मोटे होठ ,
उम्म्ंम्ममम्ंं मै बंद आंखो से मौसी के उन्ही चब्बी होठो को चुब्लाता हुआ उन्के कुल्हे सहलाए जा रहा था ।
निचे मेरा लण्ड अकड कर पूरी तरह से तन गया था तो मैने खुद अपनी कमर को ठेल कर और मौसी के कूल्हो को अपनी ओर दबा कर लण्ड को उनके चुत वाले हिस्से के पास दबा दिया ।
लोवर मे तना मेरा सख्त सुपाडे का कोना मौसी के चुत के उपरी भागो को चुबने लगा । जिससे वो सिस्क पड़ी और मेरे होठ छोड कर मुझे अपने सीने से कस लिया ।
मै और भी जोश मे आ गया और ब्ड़ी ही मादकता से अपना लण्ड उनकी चुत पर दबाते हूए उनके कान मे जीभ फिराते हुए बोला - मौसीईई लण्ड लोगि
मौसी गनगना गयी और सिहर उठी - उम्म्ंमममंं अह्ह्ह हा बेटा
मैने साडी के उपर से उनके कूल्हो को मसला और बोला - चुत मे लोगि मौसी
वो और भी मादक होने लगी और बस मेरे सीने पर अपने चुचे दबाते हुए बोली - हम्म्म्मममं
मै देर ना करते हुए मौसी का साड़ी सामने से हटाया और जल्दी जल्दी ब्लाउज खोलना शुरु कर दिया ,,,वही मौसी मेरी आतुरता देख कर मुस्कुराइ और लपक कर मेरा लण्ड थाम लिया ,,, मै एक एक करके सिर्फ पेतिकोट छोड़ कर मौसी को उपर से नंगा कर दिया और पीछे से चिपक गया ।
वो सिहर गयी और मैने निचे से उन्के 42 साइज़ के चुचो लो थामा और हथेली सरका कर निप्प्ल तक ले आया और अपनी खुरदरी हथेली को मौसी के मोटे काले निप्प्लो पर घुमाया ,,वो सिसकी सिहरि और मुझसे और चिपक गयी ।
मै वापस से उन मोटे मोटे खरबुज जैसे चुचो को थामा और उन्के निप्प्ल को सामने की ओर खिच कर छोड दिया और फिर से हाथो मे भरभर कर मसला ।
रज्जो मौसी सिस्कती रही और अपना बदन मे उपर निढ़ाल करती रही ।
मै उन्हे पकड कर बिसतर तक लाया और खुद बैठ कर उनको अपने साम्ने किया ।
मैने अपने पैर खोले और मौसी को अपनी जांघो मे कैद कर एक हाथ उनकी नंगी गुदाज पीठ पर रख कर दुसरा हाथ मौसी के एक चुचे को थाम लिया ।
मौसी उत्तेजीत देख कर मुस्कुराई और मेरे बालो मे हाथ फेरते हुए खुद एक हाथ से चुची को उठाया और उनका निप्प्ल वाला हिस्सा मेरे मुह तक लाई
मैने एक बार को थुक गटका और जीभ निकाल कर मौसी की आंखो मे देखते हुए निप्प्ल की टिप को जीभ से छुआ
मौसी सिस्क कर कांप उठी और मै और भी उत्तेजित होकर उस निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।
मुह मे मैने उसे चुबलाया ,,कभी दाँतो मे काटा,,कभी उसपे जीभ से फ्लिप किया
हर एक नये एहसास से मौसी को रुबरू करवाते हुए उन्हे आहे भरने को मजबुर करता रहा
बारी बारी मैने दोनो चुचियॉ को खुब मसला और चूसा ।
यहा मौसी की हालत खडे खडे खराब होने लगी ।
मौसी - ओह्ह्ब बेटा मुझे लेट जाने दे ना ,फिर कर तू
मै मुस्कुरा कर उठा और घुमा कर मौसी को धकेल दिया बिस्तर पर और वो जान्घे फ़ोल्ड किये लेट कर हसने लगी ।
मै बिना कच बोले उन्के बराबर मे आया और उनकी ओर करवट लेके वापस से उनकी चुची को मुह मे भर चुसते हुए हाथ को उनकी चुत वाले हिस्से पर सहलाने लगा ।
चुत पर हाथो का स्पर्श पाते ही मौसी और भी मधोश होने लगी ।
मुझे भी अह्सास हुआ कि वहा मौसी गीली हो चुकी है तो मै मुस्कुरा कर उथा और निचे उन्के जांघो के बिच गया ।
बिना नाड़ा खोले मैने मौसी के पेटीकोट को उपर कर दिया तो देखा कि निचे मौसी ने कुछ नही पहना था ।
मै मौसी को देखा तो वो मुस्कुराई मानो पुछ रही हो कि क्या हुआ
मैने मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया और जांघो को सहलाते हुए चुत की ओर झुकता चला गया ।
मैने धीरे से अपनी जीभ को निकाला और मौसी की पिच्पिचाती चुत पर लगा दिया ।
मौसी सिहर उथी ।।
उन हल्के बालो वाले हिस्से पर एक दो बार मैने अपनी थुक से उन्हे गिला कर मौसी के चुत के बाहर निकली चमडी की चुबलाने लगा ।
मैने अपना पुरा का पुरा मुह मौसी के भोसड़े मे दे दिया ,,, जिससे पागल होकर मौसी मेरे सर और पकड कर उसके उपर दबाने लगी
वही निचे मै अपने होठ और नथुने उनकी चुत के दानो और चमडी पर रगड़ रहा था और कभी कभी उपर की चमडी को मुह मे खिच के चुबला लेता ,,,, आखिर कार मौसी अपने आवेग को रोक ना सकी और अपनी गाड उचकाते हुए झड़ने लगी ।
शुरु के कुछ ड्रॉप सीधा मेरे होठ के पास पिचपिचाये और बाकी सब रिसने लगे ।
मैने मौसी के जांघो को अच्छे से खोल कर चुत के हिस्से पर चढ़ी चर्बी को दोनो हाथो से फैलाते हुए अच्छे से जीभ से चाट चाट कर साफ करने लगा ,,,,वही रज्जो मौसी की आअहे रुक नही रही थी ,,,वो हाफ भी रही थी ।
मै वापस उपर गया और अपने कपडे निकाल दिये
मै मौसी से चिप कर उनके होठ चुस्ते हुए उनकी चुत के स्वाद को उन तक के गया ।
मेरे हाथ वापस से मौसी के चुचो को छुते ही मौसी मे उत्तेजना लौट आई और वो मेरे लण्ड को थाम कर उसे उपर की ओर भीचने लगी ।
हमारी आंखे आपनी मे टक टकी लगाये दिल ही दिल मे अपनी भावना बताये जा रही थी ।
हवस के हाथ हम दोनो पर आलस भी हावी था , शायद इसिलिए मौसी ने अपने हथेली मे थुक लेके उसे मेरे लण्ड पर मसला और खुद मेरे ओर सरक कर लण्ड के मुहाने को अप्नी चुत की ओर ले जाने लगी ।
लेकिन आलस उन्हे था मुझे नही
मै फटाक से उठा और वापस से मौसी के जांघो को खोलकर उन्के बीच आ गया और लण्ड को उन्के बड़े से भोस्ड़ेदार चुत पर लगा कर गचाक से एक बार मे उतार दिया
मौसी - आआआ लल्ल्लाअह्ह्ह उफ्फ्फ अरामं से बेटा
मै हसा और उन्के उपर चढ़ कर धक्का लगाते हुए उनकी एक चुची को मुह मे भर लिया ।
मौसी - आ आ आह्ह्ह लल्ल्ला उम्म्ंम और अन्दर बेटा उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह
मौसी के गुदाज बदन पर लेट कर चोदने मे मुझे बहुत ही मजा आ रहा था ,,,
मै उनके उपर से उठ कर उनकी जांघो को खोलते हुए और तेजी से घपाघप उन्के भोस्ड़े मे लण्ड को पेलने लगा और चुत के उपर की मुलायम चर्बी को मसलते सहलाते हुए उनकी नाभि तक हाथो को ले गया । इस दौरान मेरे कमर लगातर चलते रहे और फिर मै रुका
मौसी जो आन्नद के सुख ले रही थी वो तडप कर रह गयी और गरदन उथा कर देखने लगी ,,,
मै मुस्कुरा कर उनका एक पैर पकड कर घुमाया और वो समझ गयी ।
मै थोडा पीछे हुआ और मौसी फटाक से करवट लेते हुए घोड़ी बन गयी और मै अपनी घुटनो के बल आकर उन्के कूल्हो को सहलाते हुए अपनी ओर निचे की तरफ खीचकर लण्ड के लेबल मे लाया और उनकी गाड़ के पाट को फैलाते हुए लण्ड को पकड के अनुमान ल्गाकर चुत के मुहाने पर ले गया और थोडा सा सुपाडे को फसा कर हाथ बाहर लाया और एक जोर का धक्का मौसी के कूल्हो को थाम कर पेल दिया
रज्जो मौसी - उम्म्ंम्ं अफ्फ्फ बेताआह्ह्ह ,,,, उफ्फ्फ्फ सीईईई उम्म्ंम्म्ं
मुझे मौसी के बड़े बड़े गुदाज और चाकलेती गाड को देखकर और भी ऊततेज्ना हो रही थी और मै तेज धक्के लगाते हुए पुरा का पुरा लण्ड मौसी की चुत मे देने लगा
मौसी की गाड़ मेरे जांघो की थाप से हिल्कोरे मार रही थी और मेरा हर तेज धक्का दुगनी थाप से वाप्स फेक रही थी
जिससे लगातार थपथप की आवाज सुनाई दे रही थी उपर से मौसी दुबारा झडने के करीब थी और मेरे लण्ड को निचोडना शुरु कर दी थी
मै भी उनकी इसी अदा का दीवाना था और उनका भोस्डा मेरे लण्ड पर कसने से मुझे और भी मजा आ रहा था जिससे मेरे आड़ो से नसो मे भी सोमरस भरने लगा ।
मेर लण्ड हर धक्के के साथ और सख्त हुआ जा रहा था ,,,सुपाड़े पर जलन सी होने लगी थी ,,,लण्ड की निचली नसो मे चिलिक सी होने लगी
कारण था मै अपनी गाड के छेद को सिकोड़ते हुए अपनी सास बाँधे आखिरी धक्के मौसी की बहती हुई चुत मे मार रहा था ।
कमरे मे आवाज की टोन अब बदल चुकी थी ,,जहा थप्पथप्प के साथ चुत से फच्च फ्च्च्ज की अवाजे आ रही थी ,,वही मौसी झदते हुए और भी जोशीली हो गयी।थी वो हाफते हुए मुझे उत्तेजित कर रही थी
मौसी -अह्ह्ह आह्ह हा बेटा पेल और पेल और और और हआआ अहाआ हाआ और और ऐसे ही ही हा हा ह्ह्होह्ह ओह्ह्ह्ह हा अह
मै भी अपनी गाड के पाट सख्त किये लण्ड की नसो पर जोर दिये आखिरी धक्को के सुपाडा ढिला छोड़ते हुए लण्ड को मौसी की चुत की गहराई मे ले गया और झडने लगा
मै - अह्ह्ह मौसीईईई उह्ह्ह्ह मैहहह आआआ रहा हुउउऊ
मै लगातार मौसी की चुत मे झड़ता रहा और ढह कर उन्के उपर झुक गया ।
मौसी अब भी उसी पोज मे सुस्ताती रही ,,,उनका चुत पूरी तरह से लबालब हुआ टपक रहा था बेडशीट पर ।
मौसी थोडी देर बाद कसमसाइ और बोली - अह्ह्ह लल्ल उतर कमर अकड जायेगी मेरी उह्ह्ह
मै उठा और बगल मे बैठ गया ,,,मौसी ने अपने पेतिकोट से ही अपनी चुत को पोछा और वो पलट कर बैठी
मौसी कराह कर - अह्ह्ह अम्मा
मै - क्या हुआ मौसी
मौसी ह्स के - अरे वो एक पाव मे झुनझुनी हो रही है ,,,रुक पैर सीधा करने दे
मौसी मुस्कुरा कर - तू उपर चढा रहा गया था इसिलिए हुआ शायद
मै उनको देख कर मुस्कुरा रहा
मौसी भी मुस्कुरा कर मेरे गाल को सह्लाया
मै हस कर - तो जाना है पापा के पास
मौसी शर्मा कर - धत्त जमाई जी ने मुझे पुछा तक नही आज ,,,
मै ह्स कर उनकी कमर मे हाथ डाल कर - अरे पुछते कैसे ,,,देखा नही कितने लोग जमा थे ,,,,मैने तो देखा उनकी और चाचा दोनो की नजरे बराबर आप पर ही थी
मौसी हस कर ब्लाउज उठाकर पहनते हुए - धत्त बदमाश कही का ,,,
मै मौसी को रोक कर - मै जानता हू आपकी इच्छा है मौसी ,,आप चले जाओ ना
मौसी उलझन भरे भाव मे - और तू
मै ह्स कर - मै तो सोने जा रहा हू वैसे भी हिहिहिही
मौसी चहक कर - पक्का ना
मै हा मे सर हिलाया
मौसी - ठीक है फिर तू एक बार बाहर देख कोई है तो नही
मै इशारे से मौसी को छेडा और वो शर्मा गयी
मै उठा और अपना लोवर पहन लिया और टीशर्ट पहन कर बड़े आराम से दरवाजे की चटखनि खोली ।
इस समय अभी मुशकील से 10:30 भी नही बजे थे और फिर भो एक चुप्पी थी ।
सामने पापा के कमरे से कुलर की तेज घनघनाहट आ रही थी मगर दरवाजा बंद था ।
तभी मुझे गेस्ट रूम का दरवाजा हल्का भिड्का दिखा दिखा और मेरे दिमाग मे विचार आया
और मै मेरे मन मे उठी शंका को दुर करने गेस्टरूम के पास गया और हल्का सा दरवाजा को खोला तो देखा- अन्दर सिर्फ चाची सो रही है और शिला बुआ नजर नही आ रही है ।
मै समझ गया कि पापा ने अपना दाव खेल दिया था ,,,कारण था कि कल शाम को ही सगाई के बाद बुआ वापस अपने घर जाने वाली थी क्योकि वहा उन्के ससुराल के खानदान मे कोई शादी थी । इसिलिए पापा ने आज बुआ को अपने पास बुला लिया था ।
मै मुस्कुरा कर वापस मौसी के पास आया और दरवाजा बंद कर चटखनि लगा दी ।
मुझे दरवाजा बंद करता देख मौसी चौकी - क्या हुआ लल्ला
मै ह्स कर - वो मौसी ,,वो हिहिही
मौसी मानो मेरे मन की बात को ताड़ गयी ।
मौसी हस कर - लग रहा है कि ननद रानी गयी है आज
मै शौक मे था - हिहिही आपको कैसे पता
मौसी इतरा के हसी
मै समझ गया कि ये भी मम्मी ने नही छिपाया उनसे
मै -तो मम्मी ने बता दिया आपको हिहिही
मौसी - हम्म्म्म और बाऊजी वाला भी ,,खुब समझती हू तेरी बदमाशी
मै भी अपनी तारिफ कर थोडा झेप सा गया और हम दोनो बाते करते हुए बिस्तर पर आ गये ।
मौसी ने अब तक ब्लाउज पहन लिया था और साड़ी पहनने वाली थी कि मै आ गया था,,,,
हम दोनो बिस्तर पर एक दूसरे की ओर करवट लिये टकटकी लगाये देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे
मेरे लण्ड मे वापस से कसाव बढने लगा था और मैने एक बार फिर अपने हाथ मौसी के चुचियॉ पर ले गया और हल्के उभरे हुए निप्प्ल को सहलाया
मौसी सिहर गयी और आंखे बन्द कर ली , मै उन्के करीब गया और उनका हाथ पकड कर अपने लोवर मे तने हुए लण्ड पर रखा और हाथ को दबाया , जिससे मुझे और भी उत्तेजना होने लगी ,,,लण्ड पूरी तरह से फौलादी होने लगा
मै अपने गर्दन आगे बढ़ाया और मौसी के मुलायम होठो को चूम लिया
इधर हमारा चूमना जारी रहा और इसी दौरान मौसी ने मेरा लण्ड लोवर से बाहर निकाल कर उसे सहलाना शुरु कर दिया ।
मैने थोडा खुद के होठो को रोका और बहते भावनाओ मे भी अपनी चेतना को जागृत कर बोला - अह्ह्ह्ब मौसीईई चुसो ना आअम्म्मम्म
वो मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने और पास थी ,,,उनकी मोटी आंखो ने थोडा मुझे देखा और फिर मौसी मुस्कुरा कर उठी ।
उन्होने मेरे बगल मे पैरो के पास बैठ कर मेरा लोवर जांघो तक किया और मेरे लण्ड को उपर से सह्लाया
मै सिस्क उठा ,,,वो वापस से हाथ को मेरे आड़ो तक ले गयी और मुठीया शुरु कर दी लण्ड को
मै आहे भरते हुए मौसी को निहारने लगा ।
मौसी झुकी और मुह खोलते हुए मेरा सुपाडा एक बार मे ही गपक ली
उनके होठो की नरमी और मुह के अंदर की गरमी मुझे बैचैनी और पागल करने लगी । मेरे हाथ खुद ब खुद मौसी के बालो मे घूमने लगे
धिरे धिरे मौसी ने पुरा लंड मुह मे ले लिया और गले तक ले गयी और मै बडी उत्तेजना मे मेरे गाड को उचका कर उनका सर दबाया
मौसी की गुउउउउज्गऊउऊक्क और ख्वीईइज्ज्ज खवीइंज्ज्ज की आवाज के साथ उन्के मुह की लार भी बाहर आने लगी , उन्के लिये और रुकना मुस्किल हुआ जा रहा था लेकिन मुझे इस बेरहमी मे मजा आ रहा था
जब मौसी ने मेरे जांघो की थप्की दी तो मै चौका और दबाव कम किया
मौसी ने फटाक से मुह खिच लिया और एक गहरि सास ली
मौसी का चेहरा एकदम लाल पडा था ,,,मुह की लार भी गालो तक बहि हुई थी ,,, बाल भी थोडे बिखर गये थे,,,मगर अब भी मौसी ने मेरे लण्ड को छोडा नही था
वो वापस झुकी और उनकी लार से भीग चुके लण्ड को वापस से सुरपना शुरु कर दिया और लण्ड को तेजी से मुठियाना भी
जब मुझे अह्सास हुआ कि अब लण्ड पूरी तरह से तनमना गया है तो मैने हाथो से मौसी को रोका
वो रुक सी गयी और बडी उम्मीद से मुझे देख कर बोली कि क्यू रोक दिया उन्हे ।
मै उठ कर बैठ गया और बिना कुछ बोले मौसी को बिस्तर पर घुमा कर धकेल दिया
वो समझ गयी और वापस घोड़ी बन गयी
मै वापस से उन्का पेतिकोट उपर किया और इस बार मेरा इरादा अलग था
मै मौसी के गाड के पाटो को सहलाते हुए दोनो पंजो को जोर से दोनो पाटो पर थ्पेड़ा ।
मौसी सिस्क पड़ी
मौसी के चुतड हाथो की थाप से झकझोर उठे
मैने वाप्स से उन्के मखमली मुलायम और मोटे गाड़ की दोनो पाटो फैलाते हुए अपनी जीभ की टिप सीधा मौसी के गाड की सुराख पर लगा दी और थुक से उसे गिला करने लगा ।
मौसी छ्टकने लगी तो मैने उन्के कुल्हे थामे और चुत सहलाते हुए मुह को उनकी गाड के सुराख पर लगाये रखा ।
बिच बिच मै अपनी जीभ को निचे चुत के निचले हिस्सों पर भी फिरा देता जिस्स्से मौसी को एक न्या एहसास मिलता था ।
अब देर ना करते हुए मै उठा और थोडा सा थुक से अपना सुपाडा गिला कर उसे मौसी के गाड की छेद पर रखा।
मौसी ने खुद को ढिला छोडा और मैने सुपाडे को पकड कर उनकी गाड़ के मुहाने पर दबाते हुए जोर लगाया और पेल दिया ।
मौसी की आंखे बाहर को आ गयी और वो मुह खोल कर तेजी से हाफने लगी
मगर मेरा सुपाडा घुस चुका था उन्की गाड़ मे और मै वही रुका हुआ था ।
उन्होने खुद को बराबर कर मुझे ह्न्मममं बोल कर इशारा किया कि मै आगे बढू
मै भी मुस्कुरा कर उन्के कूल्हो को सहलाते हुए लंड को वहि से जोर देकर आगे ठेल दिया और आधा से ज्यादा लण्ड मौसी की गाड मे चला गय ।
मौसी की हालत खराब होने लगी ,,कारण था कि वो अभी अच्छे से गरम हुई नही थी और मेरा लण्ड उनकी गाड़ मे घुस चुका था
मैने मौसी की पीठ कमर औए कूल्हो को सहलाते हुए धीरे धीरे धक्का लगाना शुरु किया ।
पीठ और कमर पर मेरे हाथ का स्पर्श पाकर मौसी सिहर लगी ,,,क्योकि जब मेरे हाथ उन्की पीठ की तरफ जाते तब मेरा लण्ड उनकी गाड मे अंदर की ओर जा रहा होता था ।
ऐसे ही कुछ ही धक्को मे मौसी गरम होने लगी और सिसकने लगी
मौका देखकर मै अपना धक्का तेज करने लगा
अब मेरा ज्यादा से ज्यादा लण्ड मौसी की गाड मे घुसने लगा ।
इतनी चुदाई के बाद भी मौसी की गाड़ बहुत टाइट थी ,,,कारण था कि मौसी बहुत कम गाड़ मरवाती थी ,,,क्योकि ज्यादतर लोग उन्हे सामने से चोद्ना पसन्द करते थे उनकी खर्बुज सी चुचियॉ को चुस्ते हुए और गुदाज जिस्म पर चढ़ कर
मै तेज धक्को से लगातार मौसी को पेलता रहा और कुछ ही मिंट मे मै झडने के करीब था
उससे पहले ही मौसी ने मुझे चेता दिया था कि वो मुह मे लेंगी
इसिलिए मैने फौरन लण्ड को बाहर खिच लिया और खड़ा हो गय , मौसी भी इस्का मतलब समझ ली और फौरन घुटनो के बल आकर मेरे लण्ड को मुह मे लेके मुथियाना शुरु कर दी
कुछ ही पलो मे मेरे गाड के पाटे सख्त होने लगे और मैने अपनी पैर की एड़ियो को उचका कर लण्ड को मौसी के मुह मे भर दिया और उनक सर दबाते हुए मुह मे झडने लगा ।
लण्ड झाड़ने के बाद मै नोर्मल हुआ और वही मौसी ने अच्छे से मेरे लण्ड को साफ किया और लेट गयी
मै भी तृप्त हो कर उन्के बगल मे लेट गया ।
थकान की वजह से कब मुझे निद आ गयी मुझे याद ही नही आया
रात मे किसी पहर मेरी नीद खुली तो देखा मै पसीने से भीगा हुआ हू और लाईट नही है ।
मैने आस पास टटोला तो मौसी नजर नही आइ,,मैने आवाज भी दी
जारी रहेगी
Superb very nice update brotherUPDATE 103
रात के किसी पहर मे मेरी निद गर्मी से तर बतर होने से खुली ,,, चुकी घर बड़ा था और 8 पंखे और 20 बलब , के लिए ज्यादा बड़े इनवर्टर की जरुरत थी ,उपर से शादी का खर्च देखते हुए पापा ने अभी इनवर्टर नही लगवाया था ।
मेरा बदन चिपचिपाहत दे रहा था और मुझे बर्दाश्त नही हो रहा था ,, मैने आस पास टटोल कर मौसी को आवाज दी ,, लेकिन वो थी ही नही ।
मै उठा और वैसे ही अन्दाजा लगाते हुए बिस्तर से उतर कर दरवाजे तक आया तो दरवाजा भिडका हुआ था ।
मैने खोला उसे तो हाल मे काफी राहत मिली ।
मैने मा के कमरे का दरवाजा चेक किया तो वो भी हाथ लगाते ही खुल गया , मतलब था कोई बाहर आया जरुर था ।
एक तो मैने मोबाईल कहा रख दिया वो नही ध्यान आ रहा था
मै धीरे धीरे अन्धेरे मे सोफे के साइड से होते हुए गेस्टरूम तक आया और उसका दरवाजे पर हाथ लगाया लेकिन वो बंद था ।
मतलब चाची और बुआ सो रहे होगे ,, तभी मुझे गेस्टरूम से कुछ आवाजे आई जो बुआ की थी ,वो चाची से इसी गर्मी को लेके बाते कर रही थी ।
तो चाची कहती है कि नही खिडकी खोलने से बहुत आराम है ।
तो मुझे ध्यान आया कि हा गेस्टरूम मे तो एक बाहर से खिडकी भी है , तभी वो लोग नही आये बाहर ।
मै खुश हुआ कि चलो मेहमानो को दिक्कत कम है लेकिन अभी नही तो शादी से पहले एक बड़ा इनवर्टर लेना ही पडेगा ।
मै ऐसे ही सोचते हुए गैलरी की दिवार पकड कर आगे गया तो गैलरी का दरवाजा ब्नद था ,,मतलब वो लोग उपर गये होगे । मैने सोचा जाने दो अभी थोडे समय मे लाईट आ ही जायेगी तो क्या जाऊ उपर
फिर मै अन्दाजा लगाते हुए वापस हाल की ओर आया और मुझे ना जाने क्या सुझा कि क्यो ना एक बार उपर जाकर देख ही लू
मै फटाक से घुमा और धीरे धीरे सीढ़ी पकड कर निकल गया उपर हाल मे ।
यहा ही चुप सन्नाटा ,,,एक तो मोबाईल ना लाने की वजह से कुछ दिख भी नही रहा था ।
मै बिना कुछ सोचे बगल से उपर वाली सीढि पकड़ ली और मुझे हल्की रोशनी और खुले दरवाजे से आस्माँ दिखा । मै खुश हुआ और बड़े आराम से धीरे धीरे आगे बढ रहा था ।
मै छत पर बहुत हल्की रोशनी थी वो भी ढलती चांदनी की ।
मै धीरे धीरे आगे बढ रहा था और जीने के मुहाने पर जाने से पहले ही मुझे किसी की सरसराहट और महीन सिसकिया सुनाई दी ।
मै चौका और सोचा नही ये लोग खुले आस्माँ के निचे लगे तो नही है ।
मेरे चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आई और लण्ड मे नयी जान ।
मै दबे पाव धीरे धीरे दरवाजे तक आया और सामने देखा तो बाथरूम के पास की चारदीवारी पर पापा किसी को झुकाये गचागच उसकी कूल्हो को थामे पेल रहे है और एक और औरत वही बगल मे खड़ी हुई ये सब देख रही है ।
पेतिकोट के रंग से मै जानगया कि पापा जिन्हे चोद रहे है वो रज्जो मौसी है और उनके साथ मा पापा के बगल मे खड़ी है ।
मै मन मे - यार रज्जो मौसी कितनी बड़ी चुदक्क्ड है ,, दो बार मुझसे बुरी तरह चूदने के बाद भी उनका दिल नही भरा , और पापा ,,इनकी तो चांदी है ही ,,घर मे माल और दुकान पर भी माल और अब देखो कल सगाई मे अपनी संधन से क्या रन्गबाजी करते है ।
मै मन मे - लेकिन कुछ भी हो दीदी की सास है एक दम पंजाबी माल ,,,क्या बडी गाड है उसकी आह्ह लण्ड खड़ा कर दिया साली ने तो,,,, लेकिन मेरा बाप छोड़ेगा तब ना मुझे मिलेगी हिहिहिही
मै सामने की ओर उनकी चुदाई देख्कर मन मे - आह्ह मन तो कर रहा है अभी जाके मा को झुका कर चोद दू उम्म्ंम
मै अपने कड़े लण्ड को दबाया और थोड़ी देर बाद मन मार कर निचे हाल मे आ गया और बिजली आने तक हाल मे बैठा रहा ,,थोडी देर बाद बिजली भी आ गयी तो मै जाकर अपने कमरे मे सो गया ।
सुबह 6 बजे का अलार्म मेरे मोबाईल पर ही बजा और निद खुली तो घर मे कौतूहल मचा हुआ था ।
किचन से कुकर की सिटिया बज रही थी तो बाथरूम से नहाने की आवाजे ।
पापा भी हाल से बार बार मा को आवाज देकर सब पुछ रहे थे ।
मै उठा और सोचा यार बाथरूम मे तो कोई गया है तो चलो बाहर किसी के कमरे मे फ्रेश हो लू ।
मै मन मार कर अपना तौलिया लेके बाहर आया और सीधा मा के कमरे का दरवाजे पर जोर दिया तो वो हल्के झटके से तुरंत खुल गया ।
मैने दरवाज बंद किया और बाथरूम की ओर देखा तो बाथरूम खुला मिला
मै फटाक से बाथरूम मे घुस गया तो अन्दर शिला बुआ पेतिकोट पहने नहा रही थी ।
मै - अरे बुआ आप अभी नहा रही हो
बुआ पहले चौकी और फिर बोली - अरे बेटा तू है ,, हा मै बस नहा चुकी हू
मै पेट पकडते हुए - बुआ जल्दी करो आअहह ,,जोर की लगी है
बुआ हसी और साइड होकर बाथरूम मे बने टोइलेट सीट को दिखा कर बोली - हिहिही जा कर ले ना
मै हस कर लेकिन कराह कर - आह्ह बुआ जल्दी करो ना मै वैसे नही कर पाऊन्गा
बुआ हसी - तू दो मिंट बैठ मै बस ये पानी डाल कर नहाना है
मै जल्दी से बाहर आकर बाथरूम मे झाकते हुए चक्कर लगाने लगा ।
और दो मिंट बाद बुआ एक तौलिया लपेटे बाहर आई
बुआ अभी भी गीली थी - हिहिबी जा जल्दी ,,मेरे कपडे पडे अभी अंदर उन्हे भी धुलना है ।
मै हसा और फटाक से दरवाजा बंद कर बाथरूम मे घुस गया ।
5 मिंट बिता तो बुआ ने आवाज दी - क्या हुआ बेटा कितना टाईम लगेगा ,,मेरे कपडे अभी भी अन्दर ही है ।
मै - हा हा बुआ बस हो गया है ।
मै फटाक से फ्रेश हुआ और हाथ धुलने बाद मै बाथरूम की हैंगर पर से तौलिया लेके हाथ पोछ रहा था कि मुझे वहा बुआ का पेतिकोट ब्लाउज ब्रा दिखी
मुझे एक शरारत सुझी और मेरे लण्ड ने उसके लिए अपनी सहमती भी दिखाई ।
मै फटाफट करके अपने सारे कपडे निकाल कर वही बालटी मे डाल कर भिगो दिये यहा तक की अंडरवियर भी ,वैसे भी मेरे कपडे मम्मी ही धुलती थी ।
यहा मेरा लण्ड खड़ा हो गया था आने वाले रोमांच को लेके ।
मै एक बार चेक करने के लिए कि कमरे मे कोई और तो नही आया ना ।
मै हल्का सा दरवाजा खोल कर बाहर झाका और सामने बुआ अभी भी तौलिया लपेटे खड़ी थी
मै - हा बुआ आजाओ
बुआ मुस्कुराई और दरवजा खोल कर अंदर आई
बुआ हस कर - अरे तू ऐसे क्यू है , ऐसे नहाता है क्या
मै बुआ को पकड लिया और उन्के बडी सी गाड पे हाथ फेर कर उन्के होठ चुस्ते हुए बोला - नही अपनी सेक्सी बुआ के साथ नहाना है ।
बुआ मुझसे अलग हुइ- धत्त मै नहा चुकी हू रे ,,,जल्दी से नहा के आ
फिर बुआ अपने कपडे हैंगर से लेके जाने को मुड़ी तो मै लपक कर पीछे से दबोच लिया
आहह क्या नरम और फुली हुई गाड़ थी उम्म्ंम्ं
मै सीधा अपना हाथ बुआ की चुत पर ले गया और उसे तौलिये के उपर से ही दबाते हुए - अह्ह्ह बुआ रुको ना
बुआ सिस्क के - ओह्ह लल्ला मान जा ना ,,बहुत काम है अभी
मै धीरे से पीछे से तौलिया उठाकर लण्ड को बुआ की गाड की लकीरो मे घुसा दिया
बुआ - सीईई उम्म्ंं अह्ह्ह बेटा रहने दे ना उफ्फ्फ
मैने बुआ की एक ना सुनी
और उनको बेसिन की ओर घुमा दिया और दरवाजे के पास लगे एक दरख्कत से तेल की सिशी उतारि
बुआ हाथ मे लिये कपड़े अपने कन्धे पर रखते हुए बोली - ओहह लल्ला क्या करने जा रहा है तू
मै बिना कुछ बोले बुआ का तौलिया उपर किया और उनकी गोरी फैली हुई गाड़ को सहलाते हुए तेल को सीसी से तेल को उनकी गाड़ की मोटी लकीर मे टिपकाना शुरु किया
बुआ सिहरते हुए - उम्म्ं सीईईई ओह्ह बेटा ये क्याह्ह्ह्ह्ह
बुआ आगे कुछ बोलती उससे पहले ही मैने अपना लण्ड तेल मे चुपड़ कर उनकी गाड के मूहाने पर लगा दिया
मै धीरे से एक हाथ से बुआ के मोटी नरम गाड के एक पाट को पकड कर उनकी सुराख को फैलाया और दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर अपनी एड़ियो को उच्काते हुए लण्ड को उनकी गाड़ मे पेल दिया
बुआ - अह्ह्ह लल्लाअह्ह ,,उह्ह्ह आराम से उम्म्ंम्म्ं उफ्फ्फ्फ
मै मुस्कुरा कर सामने बेसिन के उपर लगे सीसे मे बुआ का दर्द और कामुक्ता से भरा चेहरा देख कर और भी उत्तेजना आई और मैने उन्के कुल्हे को थामते हुए धक्के लगाना शुरु कर दिया
अभी मेरा लण्ड तेल मे अच्छे से चिपुडा नही था तो लण्ड सुखी चमडी को बुआ की गाड मानो छील दे रही थी
ऐसे मे मुझे एक आइडिया आया और मैने वैसे ही बुआ की गाड़ मे हल्का हल्का धक्का देते हुए बुआ की गाड़ की लकीर मे तेल फिर से टिपकाना शुरु किया
बुआ को फिर से गुदगुदी मह्सूस हुई सामने आईने मे मुझे हस्ता देख बोली - अह्ह्ज सीई तू हस रहा अह्ह्ह ये तेल क्यू डाल रहा है अह्ह्ह मुझे फिर से नहाना पडेगा ओह्ह्ह बेटा उम्म्ंम्ं आराम से आह्ह
मैने देखा की अब बुआ भी रंग मे आ रही है और मेरे लण्ड की ओइलिंग हो चुकी थी जो बडे आराम से बुआ की गाड की गहराइयों मे जा रहा था
तो मैने भी बुआ के कूल्हो को थामा और उन्हे थोडा झुका कर तेजी से थप्प थ्प्प्प थ्प्प्प लम्बे लम्बे धक्के उनकी गाड मे पेलने लगा
बुआ की आवाज थम सी गयी
सुबह सुबह मोटा लण्ड अपनी गाड़ की जड़ो तक मह्सूस कर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मुह खोल कर हाफते हुए सिसिक रही थी
मेरे तेज धक्को से उन्के तौलिये की गाठ खुलने लगी और वो निचे ना गिरे इसिलिए मै थोडा रुक कर उसे निकाल कर अपने गले मे लपेट लिया और अब बुआ पूरी तरह से नंगी थी और मुझे और भी उत्तेजना होने लगी
मेरा एक हाथ धीरे धीरे बुआ की हिलती चुचियॉ पर गया
अह्ह्ह ये नरम ताजी चुची उफ्फ्फ
मै लगातार बुआ की चुची को नोचते हुए बुआ की गाड मे पेल रहा था और झडने के करीब भी था और
मै - अह्ह्ह्ह्ह बुआआअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ज हा हा ओह्ह्ह
मै झड़ने लगा बुआ की गाड़ मे
बुआ भी ना जाने कबकी झड़ गयी थी और वही मेरा माल बुआ की गाड़ की जड़ो मे भरने लगा , पूरी तरह निचड़ जाने के बाद मै बुआ के उपर ही ढह गया ।
हम दोनो ने थोडी देर अपनी सासे बराबर की फिर मैने अपना लण्ड बुआ की गाड़ ने निकाला और सामने आईने मे बुआ को देखा वो खुश थी और शर्मा भी रही थी ।
मै उनको पीछे से हग कर उन्के चब्बी चब्बी गाल को काट लिया
बुआ हस कर - हट बदमाश कही का ,,चल अब नहा ले
फिर मै और बुआ वापस मे एक साथ नहा कर बाहर आये और मै तौलिया लपेट कर अपने कमरे मे चला गया ।
जहा मौसी नहा कर एक मैक्सि डाल ली थी ।
और बालो को तौलिये से लपेटा हुए बाहर निकल रही थी ।
मै मुस्कुरा कर उनको देखा और कमरे मे चला गया ।
थोडी बाद मै भी टीशर्ट लोवर पहन कर बाहर आया तो पापा गेस्टरूम से कुछ समान निकलवा रहे थे ।
पापा - अरे राज ,तू नहा लिया क्या
मै - हा पापा क्यू
पापा - अरे बेटा ये सब सारा समान जो है सगुन का वो भी तो लेकर जाना है अभी ।
मै - कोई बात नही वैसे भी प्रोग्राम दोपहर तक है ना तो फिर से नहाना ही पडेगा
फिर मैने बारी बारी से समान निकलवाया जो कि दूल्हे को देने के लिए रखा गया था ।
सारे समान को लेकर मै एक टेम्पो मे लादकर मै निकल गया मंदिर की ओर।
अभी सुबह के 7 बज रहे थे फिर भी लड़की वालो की तरफ की तैयारियो मे समय बहुत ही लगता है ।
मै फटाफट 10 मिंट मे मंदिर पंहुचा , जहा चाचा पहले से पहुच कर सारा काम देख रहे थे ।
भंडारी आ चुके थे और रसोई के लिये दिये कमरे मे अपना काम शुरु कर दिये थे ।
टेन्ट स्टेज स्टाल ये सब पे अनुज और राहुल लगे हुए थे ।
मै जाकर उन्से हाल चाल लिया और उन्हे अपने साथ लेके टेम्पो से सामान उतरवा कर लड़की वालो को जो कमरा तय हुआ था उस कमरे मे रखवा दिया ।
इधर हम खाली हुए थे कि पापा भी एक ई-रिक्शा लिये मिठाईया लेके आ गये ।
फिर चाचा और पापा दोनो ने मिल कर वो सारी मिठाईया स्टाल के पास ही रखवा दी ताकि बार बार असुविधा ना हो ।
इधर मै भी एक बार सारा मुआयना किया और फिर पापा को भी दिखाया कि सब काम सही रूप से चल रहा है ।
थोडी देर बाद मैने वहा रुक अनुज और राहुल को भेज दिया कि वो दोनो जाकर नहा ले और कुछ खा पी ले ।
फिर पापा भी चले गये घर के लिए ।
इधर 8 बजने को था कि चंदू ने फोन किया तो मैने बोला कि सीधा मन्दिर पर आजा ।
इधर मैने और चाचा ने मिल्कत धीरे धीरे स्टेज और स्टाल का सारा काम देख लिया । जब चंदू आया तो उसे भी रसोई घर मे भेज दिया कि कुछ काम देख ले ।
10 बजने तक हमारे सारे काम खतम हो गये थे ,,
बस एक ही चीज बाकी था वो था कोल्डड्रिंक लाने का ,,, पापा ने उसे आखिरी मे लाने को कहा था कि जब सारे काम हो जाये तो उसे लेके आऊ ।
फिर मैने चाचा को सुचना दी और चन्दू को बोला की दो बोरी लेले ।
फिर हम लोग मंदिर मे खड़ी एक ई-रिक्से को लेके निकल गये ।
पापा ने आज के पुरे दिन के लिए दो ई-रिक्से को बूक कर दिया । ताकि कोई जरुरत हो तो जल्दी समस्या ना हो ।
इधर हम दोनो निकल गये कोल्ड ड्रिंक के लिये ।
पहले तो हम तय किये हुए शॉप पर गये जहा से कोल्ड ड्रिंक की पैकेट को लादा और फिर हम लोग एक बर्फ वाली फ़ैक्ट्री पर गये । जहा से हमने बर्फ की बडी शिल्ली को बोरे मे भरा और उसे भी लाद लिया ।
मै फटाक से आगे बैठ गया और पीछे सारी जगह फुल हो गयी
चंदू - अबे साले मै कहा बैठू
मै हस कर - अबे बोरी पर बैठ जा ना कितना दुर जाना है
चंदू - साले देख कितना ठन्डा है ,, मेरी गाड बर्फ बन जानी है इसमे
मै थोडा रौब दिखा - अबे बैठ साले ,,बक्चोदी ना कर ,,कितना काम पडा है
वो चुपचाप तुरंत बैठ गया और मै सामने मुह के हसने लगा ।
रास्ते भर चंदू अपनी गाड सिकोड़ते हुए मन्दिर तक आया ।
जब वो उतरा तो उसका पैंट भीग चुका था ,,,जिसका मजा वहा पर चाचा ने भी लिया ।
फिर हमने सारे कोल्ड ड्रिंक के पैकेट उतार और सबको स्टाल के पास ले गये और वही एक बडे भगोने मे बर्फ को तोड कर रखा गया और सारी कोल्ड ड्रिंक की बोतले उसमे रख कर बोरी से धक दी गयी ।
अब लगभग सारा काम खतम हो चुका था और इधर पापा भी एक ई-रिक्से से अपने साथ जमुना ताऊ और अनुज राहुल को लिवा के आये ।
पापा - बेटा तुम ये दोनो ई-रिक्शा लेके चले जाओ और तैयार होकर फटाफट सबको लिवा कर चले आओ ,,,क्योकि 11बज गया है और 12बजे लडके वाले आयेंगे ।
मै - जी पापा ,,चंदू चल तू भी
फिर हम दोनो एक एक ई-रिक्से मे बैठ कर निकल गये चौराहे वाले घर
घर पहुचा तो देखा तो महिला मंडलो का तान्ता लगा हुआ था ।
हाल मे मा , रज्जो मौसी , शिला बुआ , चाची ,रन्जू ताई , शकुन्तला ताई , काजल भाभी ,पंखुडी भाभी ,विमला मौसी , रजनी दीदी ,,, लगभग सभी ने साडी पहनी थी ।
इधर इतनी महिलाओ को देख कर मै और चंदू थोडा शर्माहट फील कर रहे थे ।
मै - मा मेरे कपडे निकाल दो
मा - हा तेरे और चंदू के कपडे तेरे कमरे मे है ,,जल्दी से तैयार होकर आ ।
मै - अबे तू यही नहाएगा
चंदू को वहा हाल मे बात करने मे शर्म आ रही थी तो वो मुझे खिच कर कमरे मे ले गया - हा बे , मम्मी ने सुबह ही बोला था कि यही आकर तैयार हो लू क्योकि घर पर ताला मारना था न ।
मै - ओह्ह मतलब तेरी दीदी भी आई है
चंदू - हा बे ,,चाहिये तो बोल रोक दू क्या
मै ह्स कर - हट बे बाद मे हिहिही
फिर मै और चंदू साथ मे नहा कर अच्छे से तैयार हुए और हाल मे आये ।
हाल मे और भी भीड़ बढ गयी थी ।
क्योकि मामी के यहा से फुल फैमिली आ चुकी थी मामा को छोड कर ।
मै सबसे मुखातिब हुआ और अपनी सेक्सी और चुल्बुली मामी से भी जो आज लाल चन्देरी साड़ी मे कहर ढा रही थी । पूरी महिला मंडली मे सबसे डिफरेंट और सेक्सी लूक मे थी वो ।
गीता बबिता जो कि सेम पैटर्न मे अच्छी सी गाऊन मे थी और मुझ्से मिल कर उपर निकल गयी । जहा सोनल दीदी के कमरे मे कोमल, चन्दू की बहन चंपा , निशा पहले से ही मौजुद थे ।
नाना - रागिनी बेटा सुनो
मा थोडी शर्माई और बोली - हा बाऊजी ।
नाना - ऐसा करो थोड़ा थोडा करके सब लोग निकलते चलो ,,समय ज्यादा नही है ।
मा - हा बाउजी बस आपकी ही राह थी ,,, आईये दीदी आप लोग भी चलिये ।
फिर दो इ-रिक्से मे रज्जो मौसी , चाची , विमला मौसी , रजनी दीदी , शकुन्तला ताई, रंजू ताई , और मेरी दोनो सेक्सी भाभी बैठ कर निकल गयी ।
फिर नाना ने बोलोरो मे मामी ,
गीता बबिता चंदू और मुझे बिठा कर निकल गये ।
बैठते वक़्त नाना ने बताया कि अभी अगले चक्कर मे वो मा कोमल ,निशा और सोनल को लिवा लेंगे ।
इधर 2 मिंट मे ही हम लोग मन्दिर मे पहुच गये और उतर कर अन्दर गये ।
जहा गीता बबिता ने पापा और चाचा से मिली और फिर
पापा खुद जाकर नाना और मामी से मिले ।
नाना हमे छोड कर फीर से निकल गये चौराहे पर मा और बाकी लोगो को लेने ।
इधर लगभग सारी तैयारिया हो चुकी थी ।
खाने का स्टाल तैयार था ,,मिठाईयो का भी
और पानी का इन्तेजाम हो गया था ।
थोडी देर बाद नाना सबको लिवा कर आये और सारी महिला मंडली एक साथ एक कमरे मे थी ।
इधर पापा ने भी अमन के पापा को फोन कर जानकारी देदी और अगले 15 मिंट मे लड़के वाले आ गये 3 बोलोरो की गाडिया आई थी ।
अमन की फैमिली से सब लोग परिचित थे , लेकिन और भी कुछ मेहमान लोग और एक पांडित जी आये थे उनके साथ ।
फिर चाचा पापा और मै मिल कर सबका स्वागत किये ।
सभी जेन्स लोगो बिठाया गया और महिला लोगो को लड़के वालो के लिए जो कमरा मिला था उसमे भेज दिया गया ।
सभी की आव्भगत और मेल मिलाप हुआ और फिर सबको मै , चंदू और अनुज राहुल ने मिल कर पानी पिलाया ।
थोडी देर बाद ही पंडित ने मुहूर्त के हिसाब से काम आगे बढ़ाने को कहा ।
स्टेज पर सबसे पहले अमन के पाव पुज कर पापा ने सगुन की थाली और सारा समान उसके पिता मुरालिलाल को सौपा ,, फिर अमन की मा यानी सोनल की होने वाली सास ने भी अपने होने वाली बहू के पाव पुज कर उसे सगुन के समान दिये ।
फिर सारे कार्यकर्म विधिवत संपन्न हुआ और अब बारी थी अंगूठी बदलने की ।
लड़का लडकी को स्टेज पर लगे सोफे पर बिठाया गया और पुजा , सगुण के सारे सामान को इधर उधर रखा गया ।
फिर तय समय पंडित जी ने मंत्रोच्चारण के साथ रिंग की अदला बदली की गयी ।
फिर थोडे फैमिली फ़ोटो निकाले गये और आशीर्वाद लेन देन भी हुआ दोनो पक्षो से लड़का लड़की का ।
फिर हमने थोडी मस्ती मजाक भी किये।
इधर फ़ोटो शूट के दौरान मेरे तरफ की महिलाओ ने अमन को बुरी तरह से घेर लिया था,,,बाकी मर्द लोग आपसी मेल मिलाप मे लगे थे और पंखुडी भौजी ने कमान सम्भालते हुए
पंखुडी भौजी - तब हो नंदोई जी ,,ब्डा चोखा माल पायिल बाटी रउरे
सोनल और अमन दोनो उनकी बाते सुन कर शर्मा कर मुस्कुरा रहे थे ।
पंखुडी अमन की खिचाई करते हुए - हई देखा हो इनकी बहिनचोदो ,, लजात बाटे
तभी मेरी सेक्सी मामी आई और अमन की गोद मे बैठ गयी और बोली - ये बाबू तनी खिचा हो फोटुवा हमार और इनकी बहिनचोदो के
अमन को बहुत ही अजीब फील हो रहा था ,वही दीदी मजे ले रही थी ।
इधर अमन की खिचाई हो रही थी और मै उछल कूद कर मजे ले ले कर तस्वीरे निकाल रहा था ,कि तभी अमन की मम्मी आई और मुझे पकड ली ।
मेरे गाल खिच कर बोली - बड़ी उछल कूद कर रहे हो आप तो हा ,,,खुद के दोस्त को परेशान करवा रहे हो
ममता एक हसिन सी सेक्सी औरत से - ए बहिनी तनी बाबू के भी खोज खबर ले लीं ,आईं
तभी वो औरत आई और मुझे लेके अपनी गोद मे बैठ गयी और छोटे बच्चे की तरह दुलारते हुए - औरि बाबू , का नाम बाते राऊर
मै हसा और थोडा उसकी गोद से उतरने लगा तो वो वापस मुझे पकड कर अप्नी तरफ खिच ली और बोली - आह्हा , पहिले बोलब फिर हम जाये देब
मै हस कर - वो हम दुल्हन के भाई है
वो औरत बोली - ते हमहू राऊर दीदी के बुआ सास लागब
मै अमन की बुआ के गोद मे छ्टपटा रहा था और वो मुझे अपनी ओर खीच रही थी ,, इसी कसमसाहट मे मेरा पीठ ना जाने कित्नी बार उनकी चुचियो को मिज दिया था
आखिरकार हालत खराब होने पर वो छोड दी और अपनी साड़ी सही करने लगी ,,मौका पाते ही मै वापस भाग गया स्टेज पर
थोडी देर तक ऐसे हसी खुशि भरा माहौल जमा रहा और फिर थोडा दोनो तरफ के मेहमानो ने आपस मे बात चित की और फिर नाना के पहल पर दोनो तरफ के लोगो ने खाना खाने की शुरुवात की ।
इधर पापा ने अमन की मा से जुड़ने का और उन्हे ताड़ने का एक भी मौका नही छोडा ,,,उधर अनुज और राहुल भी लड़के वालो की तरफ से आई कुछ लड़कीयो को ताड़ रहे थे और उधर के लड़के भी हमारी तरफ की हसिन लड़कीयो और भौजाई लोगो की ताड़ रहे थे ।
आज पंखुडी भाभी की मदद से खाने के दौरान ही मै और काजल भाभी काफी खुल गये और थोडी बहुत जान पहचान आगे बढ़ी ।
शाम 4 बजे होते होते सारे प्रोग्राम खतम हुए और लड़के वाले निकल गये ।
इधर हमारी तरफ से आई महिलाए भी निकल गयी चौराहे वाले घर पर ।
फिर हम सब मर्द और लड़को ने मिल कर सारे समान को वापस टेम्पो मे लाद जो कुछ सगुन के थे तो कुछ अपने घर के राशन और अन्य समान ।
सारा समान लाद कर और धर्मशाला खाली करने के बाद हम सब भी निकल गये चौराहे पर ।
हमलोगो को आने मे थोडा वक़त लग गया था तो , शिला बुआ और नाना की फैमिली अपने अपने घर चली गयी ।
विमला और कोमल , पंखुडी भाभी का परिवार , काजल भाभी और शकुन्तला ताई, रजनी दीदी और चंपा , सब के सब निकल गये अपने घर ।
इधर हम आये और सारा समान गेस्टरूम मे रखवा दिया गया ।
फिर पापा ने टेम्पो और ई-रिक्शा वालो का हिसाब किया और हम सब हाल मे आ गये ।
थोडा आराम हुआ और मा ने हम सबके लिये चाय बनवाई ।
सब काम खतम होने के बाद चाचा चाची ने अपने घर जाने की इजाजत मागी तो पापा ने साफ मना कर दिया ।
क्योकि थके सब थे और वैसे भी खाना बनाना नही था ,,क्योंकि काफी सारा खाना बचा था जिसे मा ने सारे मेहमानो के साथ कुछ न कुछ रात के लिए पार्सल करवा दिया था उसी समय ताकि खाना बेकार ना जाये ।
सारे लोगो ने खाना खाया और अब बारी थी सोने की ।
जारी रहेगी
Behtareen shaandaar update bhai
Superb fantastic update brother
Thank you so much for your support and lobe Keep supporting and enjoy storySuperb very nice update brother