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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी बड़े बुजुर्गो एवं बाल गोपापाठकों को होली की हार्दिक शुकानाएं
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अपने लाड़ले भतिजे अमन की शादी होने की खुशी मे आपकी अपनी संगीता बुआ के तरफ से सप्रेम भेंट
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Last edited:

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 173


लेखक की जुबानी

रात तो बीत गयी लेकिन चढ़ती सुबह और अंगड़ाई लेती कमर ने सबसे पहले अनुज को जगाया ।

अपने पावो को फैलाते हुए एक जम्हाई के साथ बड़ा सा मुह खोलते हुए पुरे जिस्म की नसो के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करते हुए अनुज ने उठ कर बैठ गया ।

कुछ पल का धुन्धलापन रहा और वो आंख मिजते हुए गरदन घुमा कर दिवाल घड़ी पर नजर घुमाया तो सुबह 6 बज रहे थे ।

एक और उबासी से बड़ा सा मुह फैलाते हुए उठ खड़ा हुआ और आगे बढते हुए अपना तना हुआ लण्ड अंडरवियर मे हाथ डाल कर पकडते हुए उसको उपर लास्टीक मे दबा दिया , ताकी कही कमरे से बाहर निकलने पर दीदी या घर की कोई अन्य सद्स्य से ऐसे ही तने तम्बू मे सामना ना हो जाये ।

ज्महाई लेते और अपनी नसे खोलता हुआ अनुज जीने से होकर उपर छत पर जाने लगा ,

लेकिन आज जीने का दरवाजा उसे ही खोलना पड़ा जिससे उसे भनक पड़ गयी कि अभी घर मे उसके सिवा कोई नही जगा है । यहा तक कि उसकी सोनल दीदी भी नही , जो कि वो घर मे सबसे पहले उठने की आदी थी ।


दरवाजा खोल कर अनुज ने अधखुली आंखो से लालिमा भरे सूरज को देखा और हलके हल्के रोशनी अपनी पूरी आंख फैलाई कि सामने अरगन पर उसके मौसी की लहराती ब्रा पैंटी पर नजर गयी और बीती रात की सारी दासता उसके सामने आ गयी ।


पुरा लण्ड झटके भर मे फौलादी हो गया , इतना कि सुपाडे ने लास्टीक फैला कर बाहर की झाकने लगा था ।
एक गहरी आह भरते हुए अनुज ने अपने लण्ड के कुनमुनाते मुहाने को दबाया और पाखाने मे घुस गया ।

गाड़ से सरकती टट्टी और टुल्लू से बालटी मे पानी भरने की आवाज को अनदेखा करके अनुज अपनी रज्जो मौसी के ख्यालो मे गुम था ।

लण्ड अरमान सजोते सजोते उसकी आन्ते खाली हो चुकी थी , चुतड पर लगा मल सुखने लगा था और करीब 20 मिन्ट से भी अधिक का समय बीत गया था ।

मगर मजाल है लण्ड की कसावट और अनुज के सपनो की उड़ान मे कोई गिरावट दर्ज हो पाती , लेकिन तभी किसी ने दरवाजा पीटा

और अनुज हड़बड़ाया , तुरन्त अपना पिछवाडा चमकाकर अपना कच्छा चढाते हुए बाहर निकला ।

सामने उसकी सोनल दिदी खड़ी थी ।


सोनल हस्ती हुई - कितने दिन से रोक के रखा था जो इतना टाईम लगा रहा था

अनुज स्वभाव से ही शर्मिला था और अपनी दीदी से बहुत ही लजाता था । सोनल भी इस बात का बखूबी फायदा लेती थी और अपने छोटे भाई को थोडा बहुत छेड़ती ही रहती ।


मुस्कुराकर अनुज बाहर लगे बेसिन पर हाथ धुलने लगा और सोनल पाखाने घुस गयी ।

अनुज ने अपना ब्रश निकाला और घुमाने लगा और फिर बाथरूम मे जाकर नहाने के लिए दरवाजा बन्द कर दिया ।

दरवाजा बन्द होते ही बाथरूम की अरगन पर उसे उसकी सोनल दीदी के कपडे टंगे मिले जिन्हे लेकर वो उपर नहाने के लिए आई थी ।


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तौलिया लोवर टीशर्त छोड कर अनुज का ध्यान उसकी दीदी की ब्लैक ब्रा और लाल पैंटी सेट ने खींचा ।

जो एकदम कोरी थी , शायद एक भी बार ना पहनी गयी हो ऐसा अनुज को लगा ।

एतना अच्छा आया मौका अनुज कैसे जाने देता , और उसने वो मखमाली अह्सास अपने हाथो मे भरते हुए अपने नथुनो को उन्के करीब ले गया ।


ताजा नयू रेडीमेट पैंटी मे भी अनुज ने अपनी बहन के चुत की गन्ध तालाशने लगा और अपना मुसल सहलाते हुए सिस्क पड़ा ।


तभी बाहर से सोनल की आवाज आई कि जलदी से नहा कर वो बाहर आये ,

बहन की आवाज सुन्कर अनुज हड़बड़ाया और पैंटी छोड कर नहाने बैठ गया और फटाफट नहाते हुए बाहर निकल गया ।
निचे कमरे मे आकर उसने अपने कपडे पहने और दरवाजा बन्द करके कुछ पुरानी सेक्स कहानीया खोलने जिसमे रिशतेदारों से चुदाई के तरीके बताये थे ।

इधर अनुज अपनी तैयारी मे लगा रहा और 8बजे के करीब वो अपना मुसल शान्त कर निचे हाल मे आया ।

किचन मे सोनल और निशा नाश्ता बनाने मे लगी थी ।

उसके पापा रंगीलाल और राज हाल मे बैठे आज की तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

लेकिन अनुज की निगाहे तो बस उसकी मौसी को खोज रही थी ।
तभी राज के कमरे से रज्जो अपने बालो को मे तौलिया लपेटे एक काटन मैकसी मे बाहर आई

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तरोताजा जिस्म और शैम्पू की भीनी खुस्बु हाल मे फैल गयी ।
रज्जो ने अपने सीने पर कोई दुपट्टा नही ले रखा था ।

रज्जो ने आते ही पहले रंगीलाल को देखा और मुस्कुराई , जिसे देख कर अनुज को अजीब सा लगा और कल रात वाली बहस याद आने लगी ।फिर उसके लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।


"अरे जीजी आईये बैठीये" , अनुज के बाप ने उसकी मौसी को अपने पास मे बैठने का न्योता दिया ।

रज्जो अनुज के सामने से इथलाती हुई अपनी बड़ी सी गाड़ ठिक उसके मुह के सामने से हिलाते हुए आगे गयी और उसके पापा के पास अपनी चर्बीदार गाड़ फैला कर बैठ गयी ।
इधर उनका हाल चाल और बाते चल रही थी कि अनुज का मन हुआ वो भी अपनी मौसी के करीब बैठे , लेकिन कैसे कुछ बात तो हो


तभी अनुज का दिमाग ठनका और वो उठ कर अपनी मौसी के पास बैठते बहुत ही बेफिक्रे ढंग से उनका बाजू थामते हुए - मौसी आप अकेले क्यू आ गयी , भाभी को क्यू नही लाई ?


अनुज के इस सवाल पर उसके भैया ने भी साथ दिया ।

राज - हा मौसी आप अकेले क्यू ?

रज्जो - अरे बहु अगर आ जाती तो वहा बाप पेटो की भूख कौन शान्त करता , उन्हे बनाता खिलात कौन


अनुज रज्जो के बाहो मे हाथ घुसा कर उल्टे पंजे से अपनी मौसी की गुदाज चुचियो को मैक्सि के उपर से छुते हुए उसके चर्बीदार कन्घे पर अपना सर लगाकर - अरे तो सारे लोग चले आते ना


रज्जो हस कर अपना कन्धा उचकाकर - हमम हम्म्म जैसे तुम लोग बड़ा आ गये थे एक साथ घर छोड कर


अब अनुज के पास दाँत दिखा कर हसने के अलावा कोई उपाय नही था और वो मन ही मन खुश था कि उसको थोड़ी कामयाबी तो हाथ लगी , उल्टे हाथ ही सही लेकिन उसने मौसी के मोटी नरम चुचियो के स्पर्श तो पा लिये ।


कुछ देर तक ऐसी ही बाते चलती रही और अनुज नास्ते तक अपनी मौसी की चर्बीदार कूल्हो के स्पर्श के साथ साथ हौले हौले से रज्जो की चुची को उल्टे हाथ से घिसता रहा ।


रज्जो को पहले तो ये सब सामान्य लगा लेकिन जब बातो ही बातो मे अनुज ने उंगलियाँ भी फिरानी शुरु कर दी तो रज्जो समझ गयी कि उसके लाडके भतीजे को उसकी चुचियो की नरमी भा गयी और बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप मुस्कुराकर उस पल के मजे लेने लगी ।


राज की जुबानी

सुबह के नास्ते के बाद सारे लोग अपने अपने कामो मे लग गये ।

मेरे उपर काम का बोझ बढ़ गया ।
कारण था कल से घर मे 24 घन्टे का अखंड पाठ होना था , जिसकी मनती मा ने पहले ही ले रखी थी । जब गृह प्रवेश होना था ।

समानो की लिस्ट से लेके आने वाले मेहमानो की व्यव्स्था भी देखनी थी ।
फिर उसके अगले दिन भोज भी होना था जिसमे क्षेत्र ज्वार के 400-500 लोग खाने आने वाले थे ।


खैर फ़ुरसत के पल तो अब शायद ही मुझे मिल पाते लेकिन मैने मेरे पापा से सिख रखा था ।
कि कोई भी काम बोझ समझ कर नही उनमे छिपी मस्तीयो को खोज कर करो , फिर काम काम नही खेल लगेगा ।

फिर क्या था , मैने मम्मी से पर्ची ली और निकल गया ।

सबसे पहले मैने किराने के समान के लिए लिस्ट वहा नोट करवाइ और उहे घर पहचाने को बोल दिया
फिर पंसारी के यहा से पूजा की सामाग्री ली ।
और इतनी भागा दौडी मे मुझे 11 बज गये ।

फिर अगला काम था मेरे बाजार वाले घर की गली मे , एक चाचा के यहा से कुछ कपडे लेने था दुसरा मुझे चंदू से मिलना था क्योकि मुझे उसके घर में मेहमानो के लिए व्यव्स्था करनी थी । जिसमे मेहनत बहुत होनी थी ।


इस लिए मैने सोचा क्यू ना पहले चंदू की थोडी खोज खबर लू फिर चाचा के यहा ज्यादा समय नही लगेगा ।


फिर मै बिना कोई देरी के मस्त होकर उसके घर मे घुसा , ना कोई आवाज ना ठकठक

सरपट जीने की सीढिया फांदता उपर हाल मे आ गया ।

गरदन घुमाया तो कोई नजर नही आया और रजनी दिदी का कमरा अन्दर से बन्द था ।

मै समझ गया कि मा बेटे अपने धुन मे ताल से ताल मिला रहे होगे

समय तो था नही लेकिन हवस ने मेरे लण्ड की बेताबी बढा दी , सोचा क्यू ना एक बार दरवाजा खोला जाये

जैसे ही मै दरवाजे के करीब पहुंच कर उसका हैंडल पकदता कि पीछे से आकर चंपा ने मेरे हाथ रोक लिये


मै चौक कर देखा तो वो खड़ी मुस्करा रही थी

चंपा ने ना मे गरदन हिलाती हुई - उहु , पापा है अन्दर

पापा शब्द सुनकर मेरे कान खडे हो गये और सामने चंपा खिलखिला रही थी ।

मै दबी आवाज मे - चंदू कहा है ?

चंपा मुस्कुरा कर इठलाती हुई - वो तो बाबूसाहब के यहा है

मैने चम्पा के व्य्व्हार को नोटिस किया और फिर उस्के कपडो पर नजर मारी तो वो समान्य दिनो जैसे ही कप्डे मे थी टीशर्त और स्कर्ट मे ।

मै समझ रहा था कि अगर मै उससे कुछ कहू तो वो बिल्कुल भी मना नही करेगी लेकिन कम्बख्त मुझे समय ही कहा था ।


मै हस कर - वो कब आयेगा
चंपा - जब पापा जायेंगे अभी तब

मै - उससे बात करनी थी जरा काम था
तभी चंपा ने मुस्कुराई और अपने गाड़ उछालते हुए अपने कमरे मे गयी ।

उसकी हिलती हुई गाड़ देख कर आखिर मेरा मन डोल ही गया और मैने कस कर अपने लण्ड को भींच उसके कमरे मे लपक गया

मेरे आने का अह्सास चंपा को हुआ तो वो भी मेरी ओर पलटी

फिर क्या अगले ही मेरे होठ उसके होठो से लिपट गये और मेरे हाथ उसके चर्बीदार गाड़ को भर भर के स्कर्ट के उपर से मसलने लगे ।

वो जोरो से मेरे होठ को चुस रही थी और मैने उसकी गाड मसलकर महसुस की उसके आज पैंटी नही पहन रखी है , फिर क्या

मैने उसका स्कर्ट उठाने मे देरी नही की और उसके नंगी गाड़ की हाथो मे लेके फैलाने लगा ।

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कितने दिनो बाद ये मौका आया था कि चम्पा की चर्बीदार गाड मेरे हाथ मे थी ।

हाथो मे भरके मसलने के बाद ही कुछ ही देर मे मुझे अपने काम की सुझी और मेरा होश वापस आया ।

अगले ही पल मै चम्पा से अलग हो गया ।

चंपा उखड़ कर इशारे पुछने लगी कि क्या हुआ ?
मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको वापस से अपनी ओर खिंच कर उसके होठ चुमते हुए - सॉरी मेरी जान, यहा मै रिस्क नही ले सकता । समझ रही हो ना तुम

मेरा इशारा चंपा के मम्मी पापा की ओर था

चंपा - तो निचे चलते है ना

मै - समझो ना मेरी जान, मुझे काम भी तो बहुत है और दीदी की शादी मे टाईम नही मिल पा रहा है । सॉरी

चंपा मुस्कुराई - कोई बात नही ।

मै - तो बताओगी उस कमीने से बात कैसे होगी

चंपा ने हाथ मे अपना मोबाइल लिया और एक नम्बर डायल किया ,

तभी सामने से किसी ने कॉल उठाया

चंपा - हा मालती , वो जरा चंदू से बात करवाना

चंपा की बात सुनकर मेरी आंखे फैल गयी और अगले ही पल मालती की आवाज आई - हम्म्म लो बात करो दिदी है ।

मेरी हालत और खराब हो गयी कि मालती चंदू के पास कैसे ?

तभी चंदू की आवाज आई - हा दिदी बोलो

चंपा - लो राज बात करेगा तुमसे

मै - हा कहा है तु कमीने
चण्दू हस कर - तेरी भाभी की बाहो मे हिहिहिही
तभी मुझे मालती और चंदू की खिलखिलाहट भरी फुसफुसाहट आई

मै समझ गया कि इसने मालती को पटा ही लिया ।
मै हस के - अरे यार वो तेरे चौराहे वाले घर मे मेहमानो के लिए व्यवथा करनी है तु कब फ्री होगा ।


चंदू - बस पापा को आने दे फिर मै आ जाता हू

मै - ठिक है 1बजे तक आ उस वाले घर पर

चंदू - ठिक है ।

फिर फोन कट गया और मैने चंपा से विदाई मागी

वो मुस्कुरा एक और गहरा चुम्बन करके मुझे निचे तक छोडने आई और आखिर मे मैने वाप्स से एक बार उसके चुतडो को हथेली मे भरके दबोचा और निकल गया चाचा के यहा ।

लेखक की जुबानी


तैयारियाँ तो सब ओर हो रही थी और इन्ही तैयारियो के बीच राहुल की मा शालिनी ने भी अपनी खास तैयार कर रखी थी ।

सुबह नास्ते के बाद उसने अपने बेटे और पति दोनो को सरप्राइज देने के लिए वही छोटी वाली नाइटी पहनी जिसमे देखने की आस दोनो बाप बेटो को थी ।

लेकिन मौका पहले जन्गीलाल को ही मिला घड़ी मे सवा ग्यारह बज चुके थे और घर के हाल मे जन्गीलाल शालिनी को आगे झुकाये हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वही राहुल इनसब से बेफिकर होकर दुकान पर बैठा हुआ ग्राहक से डील कर रहा था ।


ऐन मौके पर राज दुकान पर आ पहुचता है ।

राहुल उसे देख कर नम्स्ते करता हुआ बैठने के लिए बोलता है ।

राज - चाचा कहा है राहुल ?

राहुल मुस्कुरा कर - भैया वो अन्दर है , क्या हुआ

राज - ठिक है मै मिल लेता हुआ ,
इतने मे उठ कर भीतर जाने को होता कि राहुल के दिमाग की घंटी बज उठती है क्योकि वो भली भाति जान रहा था कि इन दिनो निशा के ना रहने के कारण घर का माहौल क्या है और कही उसका बाप हाल मे ही उसकी मा के मुह मे लण्ड पेल रहा हो ।


राहुल हिच्ककर खड़ा हुआ - अह रुको भैया वो सो रहे होगे मै जगा के लाता हू

और राज इससे पहले कुछ प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले ही राहुल लपक के गैलरी से भीतर चला गया । राज को थोडा अजीब तो लगा लेकिन उसने राहुल पर ध्यान ना देते हुए समान की लिस्ट पढने लगा ।

इधर मुहाने पर जाते ही राहुल ने सामने का नजारा देखा तो हैरान हो गया उसका बाप उसकी मा को झुकाये हुए उसकी गाड़ मे खुब हच्क ह्च्क के लण्ड दे रहा था ,


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उसकी मा उस गुलाबी नाइटी मे सामने झुकी हुई झटके खा रही थी और आखिर कुछ झट्को के साथ उसके बाप ने उसकी मा को ऐसे ढकेला जैसे किसी रोड छाप रन्डी को चोद कर छोड देते है तड़पने के लिए


वही उसकी मा फर्श पर औंधे मुह झुके हुए हाफते हुए मुस्कुरा रही थी और उस्का बाप सोफे पर बैठा हाफ रहा था ।

जन्गीलाल - ऊहह जान मजा ही ला लिया तुमने तोह , एकदम रन्डी है तू

शालिनी हाफते हुए जन्गीलल के पाव के पास बैठ कर - अभी आपने देखा ही कहा है अपनी जान का रंडीपना , और देखना है उम्म

जन्गीलाल हाफ कर - क्यू नही मेरी रन्डी आ एक बार और हो जाये , देख लण्ड तो तैयार ही है
और अगले ही पल शालिनी ने जंगीलाल के लण्ड को पकड कर चुसना शुरु कर दिया ।

वही राहुल का ये सब देख कर हालत खराब हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ।

इस लिये वो थोडा पीछे हुआ और अपने पापा को आवाज देने लगा

राहुल की आवाज सुनते ही जन्गीलाल उठ खड़ा हुआ - जान उठो उठो , तुम जल्दी से छिप जाओ ये कपडे बदल लो


शालिनी हस कर - ओहो आप भी ना अपना ही बेटा है उस्से क्या शर्माना

ये बोलकर शालिनी ने अपनी नाइटी सही की और सोफे के पास खड़ी हो गयी ।

इधर जन्गीलाल ने भी लण्ड को चढ़ढे मे घुसा दिया और बनियान पहन लिया

राहुल हाल मे आता हुआ - पापा वो राज भैया आये है , आपसे मिलने


फिर राहुल अपने पा पा के सामने ही अपनी मा को उस नाइटी मे देखता है जिसमे उसकी मा की चिकनी जान्घे साफ साफ दिख रही थी ।

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राहुल समझ रहा था कि उसकी मा को फर्क नही पड रहा है लेकिन वो अपने बाप से थोडा असहज हो रहा था इसिलिए उसने इस माहौल को मजाक का रूप देते हुए हस कर बोला


राहुल - हिहिहिही कया मम्मी , निशा दिदी के बचपन वाली फ्रॉक क्यू पहनी हो आप


राहुल ही मासूमियत भरी बात सुनकर दोनो मिया बीवी हस दीये खास कर जंगीलाल , उसे और खुशी हुई कि उसके बेटे को ये सब अजीब नही लगा

इतने मे शालिनी बोल पड़ी- देखा मै ना कहती थी कि ये छोटा हुउह


जन्गीलाल अपनी बीवी का तुनकना रास आया और वो हस कर - अच्चा बाबा अगली बार बड़ा लाउन्गा तब तक यही पहनो


राहुल ने भी मौके का फाय्दा लेकर बोला - हिहिहिही हा मम्मी यही पहनो आप छोटी बच्ची जैसे दिख रहे हो हहह्शा

शालिनी - चुप कर बदमाश

जंगीलल - ठिक ही तो कह रहा वो , मेरी गुड़िया हिहिहिही

शालिनी तुनक कर - अच्छा गुड़िया के गुड्डा जी अब जाईये देखीये राज को क्या काम है ।


अपनी मा की बात सुनकर राहुल खिलखिला कर हस दिया और जन्गीलाल भी हस्कर उठते हुए राहुल से बोला - चल बेटा निकल ले , ये गुड़िया काटने वाली है ।

फिर दोनो बाप बेटे हस्ते हुए बाहर आ गये ।

इधर राज ने अपने चाचा से सारे कपडे लिये और बिल लेके घर के लिए निकल गया ।


जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Superb update waiting for next

Super update Bhai waiting for next update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💯💯🙏🙏🙏🙏🙏🙏❣️🔥🥵❤️❤️ please upload next update soon i can't wait Bhai ❤️🙏💯❤️

Superb but bat regular update ki ho toh aap mast joke mara re baba ......


nice update bhai 💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻

Regular update se pathak aap se jude rahte hai. unko bhi muh modte der nahi lagti yeh aapne bhi mahsus kiya hoga. Pratiksha agle rasprad update ki

superb update,..keep it up...

बहुत बढ़िया अपडेट भाई....अगले अपडेट का इंतजार रहेगा

Bhia..Kahani bahut jayada slow ho gayi hai...Next update ke aate aate pichla update kya tha bhool hi jate hain ..

Lajawab update Bhai


Waiting nex update
UPDATED 173 IS POSTED
 

Raj Kumar Kannada

ಸಂದರ್ಭದ ಕಾಮ
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94
UPDATE 173


लेखक की जुबानी

रात तो बीत गयी लेकिन चढ़ती सुबह और अंगड़ाई लेती कमर ने सबसे पहले अनुज को जगाया ।

अपने पावो को फैलाते हुए एक जम्हाई के साथ बड़ा सा मुह खोलते हुए पुरे जिस्म की नसो के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करते हुए अनुज ने उठ कर बैठ गया ।

कुछ पल का धुन्धलापन रहा और वो आंख मिजते हुए गरदन घुमा कर दिवाल घड़ी पर नजर घुमाया तो सुबह 6 बज रहे थे ।

एक और उबासी से बड़ा सा मुह फैलाते हुए उठ खड़ा हुआ और आगे बढते हुए अपना तना हुआ लण्ड अंडरवियर मे हाथ डाल कर पकडते हुए उसको उपर लास्टीक मे दबा दिया , ताकी कही कमरे से बाहर निकलने पर दीदी या घर की कोई अन्य सद्स्य से ऐसे ही तने तम्बू मे सामना ना हो जाये ।

ज्महाई लेते और अपनी नसे खोलता हुआ अनुज जीने से होकर उपर छत पर जाने लगा ,

लेकिन आज जीने का दरवाजा उसे ही खोलना पड़ा जिससे उसे भनक पड़ गयी कि अभी घर मे उसके सिवा कोई नही जगा है । यहा तक कि उसकी सोनल दीदी भी नही , जो कि वो घर मे सबसे पहले उठने की आदी थी ।


दरवाजा खोल कर अनुज ने अधखुली आंखो से लालिमा भरे सूरज को देखा और हलके हल्के रोशनी अपनी पूरी आंख फैलाई कि सामने अरगन पर उसके मौसी की लहराती ब्रा पैंटी पर नजर गयी और बीती रात की सारी दासता उसके सामने आ गयी ।


पुरा लण्ड झटके भर मे फौलादी हो गया , इतना कि सुपाडे ने लास्टीक फैला कर बाहर की झाकने लगा था ।
एक गहरी आह भरते हुए अनुज ने अपने लण्ड के कुनमुनाते मुहाने को दबाया और पाखाने मे घुस गया ।

गाड़ से सरकती टट्टी और टुल्लू से बालटी मे पानी भरने की आवाज को अनदेखा करके अनुज अपनी रज्जो मौसी के ख्यालो मे गुम था ।

लण्ड अरमान सजोते सजोते उसकी आन्ते खाली हो चुकी थी , चुतड पर लगा मल सुखने लगा था और करीब 20 मिन्ट से भी अधिक का समय बीत गया था ।

मगर मजाल है लण्ड की कसावट और अनुज के सपनो की उड़ान मे कोई गिरावट दर्ज हो पाती , लेकिन तभी किसी ने दरवाजा पीटा

और अनुज हड़बड़ाया , तुरन्त अपना पिछवाडा चमकाकर अपना कच्छा चढाते हुए बाहर निकला ।

सामने उसकी सोनल दिदी खड़ी थी ।


सोनल हस्ती हुई - कितने दिन से रोक के रखा था जो इतना टाईम लगा रहा था

अनुज स्वभाव से ही शर्मिला था और अपनी दीदी से बहुत ही लजाता था । सोनल भी इस बात का बखूबी फायदा लेती थी और अपने छोटे भाई को थोडा बहुत छेड़ती ही रहती ।


मुस्कुराकर अनुज बाहर लगे बेसिन पर हाथ धुलने लगा और सोनल पाखाने घुस गयी ।

अनुज ने अपना ब्रश निकाला और घुमाने लगा और फिर बाथरूम मे जाकर नहाने के लिए दरवाजा बन्द कर दिया ।

दरवाजा बन्द होते ही बाथरूम की अरगन पर उसे उसकी सोनल दीदी के कपडे टंगे मिले जिन्हे लेकर वो उपर नहाने के लिए आई थी ।


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तौलिया लोवर टीशर्त छोड कर अनुज का ध्यान उसकी दीदी की ब्लैक ब्रा और लाल पैंटी सेट ने खींचा ।

जो एकदम कोरी थी , शायद एक भी बार ना पहनी गयी हो ऐसा अनुज को लगा ।

एतना अच्छा आया मौका अनुज कैसे जाने देता , और उसने वो मखमाली अह्सास अपने हाथो मे भरते हुए अपने नथुनो को उन्के करीब ले गया ।


ताजा नयू रेडीमेट पैंटी मे भी अनुज ने अपनी बहन के चुत की गन्ध तालाशने लगा और अपना मुसल सहलाते हुए सिस्क पड़ा ।


तभी बाहर से सोनल की आवाज आई कि जलदी से नहा कर वो बाहर आये ,

बहन की आवाज सुन्कर अनुज हड़बड़ाया और पैंटी छोड कर नहाने बैठ गया और फटाफट नहाते हुए बाहर निकल गया ।
निचे कमरे मे आकर उसने अपने कपडे पहने और दरवाजा बन्द करके कुछ पुरानी सेक्स कहानीया खोलने जिसमे रिशतेदारों से चुदाई के तरीके बताये थे ।

इधर अनुज अपनी तैयारी मे लगा रहा और 8बजे के करीब वो अपना मुसल शान्त कर निचे हाल मे आया ।

किचन मे सोनल और निशा नाश्ता बनाने मे लगी थी ।

उसके पापा रंगीलाल और राज हाल मे बैठे आज की तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

लेकिन अनुज की निगाहे तो बस उसकी मौसी को खोज रही थी ।
तभी राज के कमरे से रज्जो अपने बालो को मे तौलिया लपेटे एक काटन मैकसी मे बाहर आई

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तरोताजा जिस्म और शैम्पू की भीनी खुस्बु हाल मे फैल गयी ।
रज्जो ने अपने सीने पर कोई दुपट्टा नही ले रखा था ।

रज्जो ने आते ही पहले रंगीलाल को देखा और मुस्कुराई , जिसे देख कर अनुज को अजीब सा लगा और कल रात वाली बहस याद आने लगी ।फिर उसके लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।


"अरे जीजी आईये बैठीये" , अनुज के बाप ने उसकी मौसी को अपने पास मे बैठने का न्योता दिया ।

रज्जो अनुज के सामने से इथलाती हुई अपनी बड़ी सी गाड़ ठिक उसके मुह के सामने से हिलाते हुए आगे गयी और उसके पापा के पास अपनी चर्बीदार गाड़ फैला कर बैठ गयी ।
इधर उनका हाल चाल और बाते चल रही थी कि अनुज का मन हुआ वो भी अपनी मौसी के करीब बैठे , लेकिन कैसे कुछ बात तो हो


तभी अनुज का दिमाग ठनका और वो उठ कर अपनी मौसी के पास बैठते बहुत ही बेफिक्रे ढंग से उनका बाजू थामते हुए - मौसी आप अकेले क्यू आ गयी , भाभी को क्यू नही लाई ?


अनुज के इस सवाल पर उसके भैया ने भी साथ दिया ।

राज - हा मौसी आप अकेले क्यू ?

रज्जो - अरे बहु अगर आ जाती तो वहा बाप पेटो की भूख कौन शान्त करता , उन्हे बनाता खिलात कौन


अनुज रज्जो के बाहो मे हाथ घुसा कर उल्टे पंजे से अपनी मौसी की गुदाज चुचियो को मैक्सि के उपर से छुते हुए उसके चर्बीदार कन्घे पर अपना सर लगाकर - अरे तो सारे लोग चले आते ना


रज्जो हस कर अपना कन्धा उचकाकर - हमम हम्म्म जैसे तुम लोग बड़ा आ गये थे एक साथ घर छोड कर


अब अनुज के पास दाँत दिखा कर हसने के अलावा कोई उपाय नही था और वो मन ही मन खुश था कि उसको थोड़ी कामयाबी तो हाथ लगी , उल्टे हाथ ही सही लेकिन उसने मौसी के मोटी नरम चुचियो के स्पर्श तो पा लिये ।


कुछ देर तक ऐसी ही बाते चलती रही और अनुज नास्ते तक अपनी मौसी की चर्बीदार कूल्हो के स्पर्श के साथ साथ हौले हौले से रज्जो की चुची को उल्टे हाथ से घिसता रहा ।


रज्जो को पहले तो ये सब सामान्य लगा लेकिन जब बातो ही बातो मे अनुज ने उंगलियाँ भी फिरानी शुरु कर दी तो रज्जो समझ गयी कि उसके लाडके भतीजे को उसकी चुचियो की नरमी भा गयी और बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप मुस्कुराकर उस पल के मजे लेने लगी ।



राज की जुबानी

सुबह के नास्ते के बाद सारे लोग अपने अपने कामो मे लग गये ।

मेरे उपर काम का बोझ बढ़ गया ।
कारण था कल से घर मे 24 घन्टे का अखंड पाठ होना था , जिसकी मनती मा ने पहले ही ले रखी थी । जब गृह प्रवेश होना था ।

समानो की लिस्ट से लेके आने वाले मेहमानो की व्यव्स्था भी देखनी थी ।
फिर उसके अगले दिन भोज भी होना था जिसमे क्षेत्र ज्वार के 400-500 लोग खाने आने वाले थे ।


खैर फ़ुरसत के पल तो अब शायद ही मुझे मिल पाते लेकिन मैने मेरे पापा से सिख रखा था ।
कि कोई भी काम बोझ समझ कर नही उनमे छिपी मस्तीयो को खोज कर करो , फिर काम काम नही खेल लगेगा ।

फिर क्या था , मैने मम्मी से पर्ची ली और निकल गया ।

सबसे पहले मैने किराने के समान के लिए लिस्ट वहा नोट करवाइ और उहे घर पहचाने को बोल दिया
फिर पंसारी के यहा से पूजा की सामाग्री ली ।
और इतनी भागा दौडी मे मुझे 11 बज गये ।

फिर अगला काम था मेरे बाजार वाले घर की गली मे , एक चाचा के यहा से कुछ कपडे लेने था दुसरा मुझे चंदू से मिलना था क्योकि मुझे उसके घर में मेहमानो के लिए व्यव्स्था करनी थी । जिसमे मेहनत बहुत होनी थी ।


इस लिए मैने सोचा क्यू ना पहले चंदू की थोडी खोज खबर लू फिर चाचा के यहा ज्यादा समय नही लगेगा ।


फिर मै बिना कोई देरी के मस्त होकर उसके घर मे घुसा , ना कोई आवाज ना ठकठक

सरपट जीने की सीढिया फांदता उपर हाल मे आ गया ।

गरदन घुमाया तो कोई नजर नही आया और रजनी दिदी का कमरा अन्दर से बन्द था ।

मै समझ गया कि मा बेटे अपने धुन मे ताल से ताल मिला रहे होगे

समय तो था नही लेकिन हवस ने मेरे लण्ड की बेताबी बढा दी , सोचा क्यू ना एक बार दरवाजा खोला जाये

जैसे ही मै दरवाजे के करीब पहुंच कर उसका हैंडल पकदता कि पीछे से आकर चंपा ने मेरे हाथ रोक लिये


मै चौक कर देखा तो वो खड़ी मुस्करा रही थी

चंपा ने ना मे गरदन हिलाती हुई - उहु , पापा है अन्दर

पापा शब्द सुनकर मेरे कान खडे हो गये और सामने चंपा खिलखिला रही थी ।

मै दबी आवाज मे - चंदू कहा है ?

चंपा मुस्कुरा कर इठलाती हुई - वो तो बाबूसाहब के यहा है

मैने चम्पा के व्य्व्हार को नोटिस किया और फिर उस्के कपडो पर नजर मारी तो वो समान्य दिनो जैसे ही कप्डे मे थी टीशर्त और स्कर्ट मे ।

मै समझ रहा था कि अगर मै उससे कुछ कहू तो वो बिल्कुल भी मना नही करेगी लेकिन कम्बख्त मुझे समय ही कहा था ।


मै हस कर - वो कब आयेगा
चंपा - जब पापा जायेंगे अभी तब

मै - उससे बात करनी थी जरा काम था
तभी चंपा ने मुस्कुराई और अपने गाड़ उछालते हुए अपने कमरे मे गयी ।

उसकी हिलती हुई गाड़ देख कर आखिर मेरा मन डोल ही गया और मैने कस कर अपने लण्ड को भींच उसके कमरे मे लपक गया

मेरे आने का अह्सास चंपा को हुआ तो वो भी मेरी ओर पलटी

फिर क्या अगले ही मेरे होठ उसके होठो से लिपट गये और मेरे हाथ उसके चर्बीदार गाड़ को भर भर के स्कर्ट के उपर से मसलने लगे ।

वो जोरो से मेरे होठ को चुस रही थी और मैने उसकी गाड मसलकर महसुस की उसके आज पैंटी नही पहन रखी है , फिर क्या

मैने उसका स्कर्ट उठाने मे देरी नही की और उसके नंगी गाड़ की हाथो मे लेके फैलाने लगा ।

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कितने दिनो बाद ये मौका आया था कि चम्पा की चर्बीदार गाड मेरे हाथ मे थी ।

हाथो मे भरके मसलने के बाद ही कुछ ही देर मे मुझे अपने काम की सुझी और मेरा होश वापस आया ।

अगले ही पल मै चम्पा से अलग हो गया ।

चंपा उखड़ कर इशारे पुछने लगी कि क्या हुआ ?
मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको वापस से अपनी ओर खिंच कर उसके होठ चुमते हुए - सॉरी मेरी जान, यहा मै रिस्क नही ले सकता । समझ रही हो ना तुम

मेरा इशारा चंपा के मम्मी पापा की ओर था

चंपा - तो निचे चलते है ना

मै - समझो ना मेरी जान, मुझे काम भी तो बहुत है और दीदी की शादी मे टाईम नही मिल पा रहा है । सॉरी

चंपा मुस्कुराई - कोई बात नही ।

मै - तो बताओगी उस कमीने से बात कैसे होगी

चंपा ने हाथ मे अपना मोबाइल लिया और एक नम्बर डायल किया ,

तभी सामने से किसी ने कॉल उठाया

चंपा - हा मालती , वो जरा चंदू से बात करवाना

चंपा की बात सुनकर मेरी आंखे फैल गयी और अगले ही पल मालती की आवाज आई - हम्म्म लो बात करो दिदी है ।

मेरी हालत और खराब हो गयी कि मालती चंदू के पास कैसे ?

तभी चंदू की आवाज आई - हा दिदी बोलो

चंपा - लो राज बात करेगा तुमसे

मै - हा कहा है तु कमीने
चण्दू हस कर - तेरी भाभी की बाहो मे हिहिहिही
तभी मुझे मालती और चंदू की खिलखिलाहट भरी फुसफुसाहट आई

मै समझ गया कि इसने मालती को पटा ही लिया ।
मै हस के - अरे यार वो तेरे चौराहे वाले घर मे मेहमानो के लिए व्यवथा करनी है तु कब फ्री होगा ।


चंदू - बस पापा को आने दे फिर मै आ जाता हू

मै - ठिक है 1बजे तक आ उस वाले घर पर

चंदू - ठिक है ।

फिर फोन कट गया और मैने चंपा से विदाई मागी

वो मुस्कुरा एक और गहरा चुम्बन करके मुझे निचे तक छोडने आई और आखिर मे मैने वाप्स से एक बार उसके चुतडो को हथेली मे भरके दबोचा और निकल गया चाचा के यहा ।


लेखक की जुबानी


तैयारियाँ तो सब ओर हो रही थी और इन्ही तैयारियो के बीच राहुल की मा शालिनी ने भी अपनी खास तैयार कर रखी थी ।

सुबह नास्ते के बाद उसने अपने बेटे और पति दोनो को सरप्राइज देने के लिए वही छोटी वाली नाइटी पहनी जिसमे देखने की आस दोनो बाप बेटो को थी ।

लेकिन मौका पहले जन्गीलाल को ही मिला घड़ी मे सवा ग्यारह बज चुके थे और घर के हाल मे जन्गीलाल शालिनी को आगे झुकाये हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वही राहुल इनसब से बेफिकर होकर दुकान पर बैठा हुआ ग्राहक से डील कर रहा था ।


ऐन मौके पर राज दुकान पर आ पहुचता है ।

राहुल उसे देख कर नम्स्ते करता हुआ बैठने के लिए बोलता है ।

राज - चाचा कहा है राहुल ?

राहुल मुस्कुरा कर - भैया वो अन्दर है , क्या हुआ

राज - ठिक है मै मिल लेता हुआ ,

इतने मे उठ कर भीतर जाने को होता कि राहुल के दिमाग की घंटी बज उठती है क्योकि वो भली भाति जान रहा था कि इन दिनो निशा के ना रहने के कारण घर का माहौल क्या है और कही उसका बाप हाल मे ही उसकी मा के मुह मे लण्ड पेल रहा हो ।


राहुल हिच्ककर खड़ा हुआ - अह रुको भैया वो सो रहे होगे मै जगा के लाता हू

और राज इससे पहले कुछ प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले ही राहुल लपक के गैलरी से भीतर चला गया । राज को थोडा अजीब तो लगा लेकिन उसने राहुल पर ध्यान ना देते हुए समान की लिस्ट पढने लगा ।

इधर मुहाने पर जाते ही राहुल ने सामने का नजारा देखा तो हैरान हो गया उसका बाप उसकी मा को झुकाये हुए उसकी गाड़ मे खुब हच्क ह्च्क के लण्ड दे रहा था ,


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उसकी मा उस गुलाबी नाइटी मे सामने झुकी हुई झटके खा रही थी और आखिर कुछ झट्को के साथ उसके बाप ने उसकी मा को ऐसे ढकेला जैसे किसी रोड छाप रन्डी को चोद कर छोड देते है तड़पने के लिए


वही उसकी मा फर्श पर औंधे मुह झुके हुए हाफते हुए मुस्कुरा रही थी और उस्का बाप सोफे पर बैठा हाफ रहा था ।

जन्गीलाल - ऊहह जान मजा ही ला लिया तुमने तोह , एकदम रन्डी है तू

शालिनी हाफते हुए जन्गीलल के पाव के पास बैठ कर - अभी आपने देखा ही कहा है अपनी जान का रंडीपना , और देखना है उम्म

जन्गीलाल हाफ कर - क्यू नही मेरी रन्डी आ एक बार और हो जाये , देख लण्ड तो तैयार ही है
और अगले ही पल शालिनी ने जंगीलाल के लण्ड को पकड कर चुसना शुरु कर दिया ।

वही राहुल का ये सब देख कर हालत खराब हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ।

इस लिये वो थोडा पीछे हुआ और अपने पापा को आवाज देने लगा

राहुल की आवाज सुनते ही जन्गीलाल उठ खड़ा हुआ - जान उठो उठो , तुम जल्दी से छिप जाओ ये कपडे बदल लो


शालिनी हस कर - ओहो आप भी ना अपना ही बेटा है उस्से क्या शर्माना

ये बोलकर शालिनी ने अपनी नाइटी सही की और सोफे के पास खड़ी हो गयी ।

इधर जन्गीलाल ने भी लण्ड को चढ़ढे मे घुसा दिया और बनियान पहन लिया

राहुल हाल मे आता हुआ - पापा वो राज भैया आये है , आपसे मिलने


फिर राहुल अपने पा पा के सामने ही अपनी मा को उस नाइटी मे देखता है जिसमे उसकी मा की चिकनी जान्घे साफ साफ दिख रही थी ।

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राहुल समझ रहा था कि उसकी मा को फर्क नही पड रहा है लेकिन वो अपने बाप से थोडा असहज हो रहा था इसिलिए उसने इस माहौल को मजाक का रूप देते हुए हस कर बोला


राहुल - हिहिहिही कया मम्मी , निशा दिदी के बचपन वाली फ्रॉक क्यू पहनी हो आप


राहुल ही मासूमियत भरी बात सुनकर दोनो मिया बीवी हस दीये खास कर जंगीलाल , उसे और खुशी हुई कि उसके बेटे को ये सब अजीब नही लगा

इतने मे शालिनी बोल पड़ी- देखा मै ना कहती थी कि ये छोटा हुउह


जन्गीलाल अपनी बीवी का तुनकना रास आया और वो हस कर - अच्चा बाबा अगली बार बड़ा लाउन्गा तब तक यही पहनो


राहुल ने भी मौके का फाय्दा लेकर बोला - हिहिहिही हा मम्मी यही पहनो आप छोटी बच्ची जैसे दिख रहे हो हहह्शा

शालिनी - चुप कर बदमाश

जंगीलल - ठिक ही तो कह रहा वो , मेरी गुड़िया हिहिहिही

शालिनी तुनक कर - अच्छा गुड़िया के गुड्डा जी अब जाईये देखीये राज को क्या काम है ।


अपनी मा की बात सुनकर राहुल खिलखिला कर हस दिया और जन्गीलाल भी हस्कर उठते हुए राहुल से बोला - चल बेटा निकल ले , ये गुड़िया काटने वाली है ।

फिर दोनो बाप बेटे हस्ते हुए बाहर आ गये ।

इधर राज ने अपने चाचा से सारे कपडे लिये और बिल लेके घर के लिए निकल गया ।


जारी रहेगी
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