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Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी ।

किस तरह की कहानी चाहते हैं आप , Tell me your taste .


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Sis lover

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Update 13.

Hi Dosto kaise ho ap I think tadap rahe honge sab next update k liye...jyada na tadapte hue anand lijiye is update ka.

Chaliye badhate h is kahani ko age
*******

जैसे ही उपासना की नजर चीख निकली की नही ये नही हो सकता।
तभी धर्मवीर ने देखा कि कौन है खिड़की पर ।

जैसे ही धर्मवीर उठकर चला तभी दरवाजे पर से तालियों की आवाज आने लगी ।

उपासना की बहन पूजा (राकेश की साली) और उपासना के पापा सोमनाथ जी खड़े थे।

यह देखकर धर्मवीर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया ।
साथ मे उपासना भी चुन्नी से अपने आपको ढंकते हुए बैठी बैड पर ।

सोमनाथ जी ने गुर्राते हुए कहा कि मैंने सोचा भी नही था मैं अपनी बेटी की शादी एक ऐसे परिवार में कर रहा हूँ जहां हैवान रहते हैं।
धर्मवीर और उपासना चुपचाप बैठे देख रहे थे।

सोमनाथ - मैं अब इस घर मे एक भी पल नही रुक सकता।
उपासना - पापाजी इसमें हमारी गलती नही है ये मैं आपको बताना चाहती हूं।
ऐसा कहते हुए उपासना ने नजरें नीची कर ली तभी उपासना की बहन पूजा अपने पापा सोमनाथ से बोली ।

पूजा - पापाजी अभी तो काफी रात हो गयी है , हम सुबह जलड़ी ही निकल लेंगे।

ऐसा कहकर पूजा सोमनाथ जी का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर की तरफ निकलने लगी ।

तबतक धर्मवीर कपड़े पहनकर उनके पीछे पीछे चल दिया और आगे आकर हाथ जोड़ते हुए बोला ।

धर्मवीर - समधी जी आप मुझे गलत न समझे मैने एक बाप होने का फर्ज निभाया है, मैं जानता हूँ इसमे गलती आपकी बेटी उपासना की नही मेरे बेटे राकेश की है। लेकिन दोनों बच्चे हमारे अपने ही तो है, इन्ही बच्चो से हमारा सबकुछ है।
मैं आपको सारी बात बताऊंगा उसके बाद जो सजा आप मुझे देना चाहें मुझे मंजूर होगी ।

सोमनाथ ने ऐसा सुना तो उसके दिल मे कुछ दया के भाव आये और वो ऊपर वाले फ्लोर की तरफ चल दिया ।
तीनों सोमनाथ, धर्मवीर और पूजा लिफ्ट से न जाकर सीढ़ियों से चल रहे थे । आगे आगे सोमनाथ और पूजा थे पीछे पीछे धर्मवीर चल रहा था ।

चलते चलते जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसका मुह खुला का खुला रह गया ।
उसने देखा कि पूजा तो उपासना को भी पीछे छोड़ गई है अपनी जवानी की तुलना में।
धर्मवीर ने ध्यान से देखा कि पूजा चलते वक्त बिल्कुल ऐसी लगती है जैसे दो बच्चो की मां हो ।पूजा को देखकर कोई नही कह सकता कि वो कुंवारी है।
पूजा के चूतड़ों का हिलना ही बता रहा था कि उसने एक नही कई सारे लंडो के बीच मे खेल खेले हैं । उपासना की गांड में पूजा के मुकाबले काफी कसाव था शादीशुदा होने के बावजूद भी । जबकि पूजा की गांड में वो कसाव नही था जो कंवारी लड़कियों में होता है। पूजा की गांड कुछ ढीली और फैली हुई सी प्रतीत हो रही थी ।
उसकी जांघो को सही से तो नही देख पाया धर्मवीर क्योंकि सलवार ढीली थी पर इतना उसने सोच लिया था कि गांड के हिसाब से जांघे मोटी होंगी जो चूत को छुपकर रखती होंगी ।


इतना सोचते सोचते सभी ऊपर पहुंच गए ।

तीनों जाकर हॉल में बैठ गए।

धर्मवीर सोमनाथ जी के सामने बैठा था और पूजा साइड में। स्टूल रखा हुआ था उस पर जैसे ही पूजा बैठी तो पूजा के चूतड़ दोनों तरफ फैल गए और स्टूल उसके चूतड़ों में धंस गया ।

यह देखकर धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया सोचने लगा काश इस स्टूल की जगह मेरा मुह होता , तभी सोमनाथ जी ने धर्मवीर की ओर देखते हुए पूछा कि मैं जानना चाहता हूं आखिर बात क्या है ।

इस घर में चल क्या रहा है है रहा है है ।

धर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा कोई नपुंसक नहीं है, मेरा बेटा हष्टपुष्ट है, लंबा तगड़ा है किंतु उसके वीर्य में बच्चे पैदा करने की काबिलियत नहीं है।
और यह बात मुझे आज ही पता चला फिर उसने सारी बातें सोमनाथ जी को बताई कि किस तरह उस बाबा ने उन्हें बताया ।
घर डूबने से लेकर आने वाले भविष्य की भविष्यवाणी को बताते हुए सारी बातें बताई धर्मवीर ने।

कुछ देर खामोशी छाई रही।
पूजा अपनी नजरें झुका के बस टेबल को देख रही थी ।
रात का 1:00 बज रहा था ।

खामोशी को तोड़ते हुए सोमनाथ जी ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।
देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।
और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए सोमनाथ में खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

सोमनाथ जी बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा पूजा तुम जाकर चाय बना लो ।
पूजा चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।

सोमनाथ ने बताया कि वो और उसकी बेटी पूजा इधर रास्ते से गुजर रहे थर तो सोचा उपासना से मिलता चलूं ।
जैसे ही मैन गेट पर आया तो गटर खुला हुआ था। फोन करना फिर जरूरी नही समझा।
और मैं अंदर आया तो ग्राउंड फ्लोर पर कमरे से तेज रोशनी आरही थी । कमरे में खिड़की से देखा तो आप उपासना के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही सोमनाथ के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया ।
धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया है तो इसमें शर्माना क्या।

धर्मवीर बोला - हां उपासना बेटी का मुंह थोड़ा कम खुल रहा था जिस वजह से थोड़ा टाइट गया ।

सोमनाथ - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था ।

धर्मवीर बोला - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि उपासना तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

सोमनाथ - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी उपासना की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

सोमनाथ अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह उपासना पूरा लंड खा गई थी।

सोमनाथ - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है।

सोमनाथ -समधी जी बताना तो नही चाहता पर दिल नही मान रहा अभी कुछ दिन पहले अपनी छोटी बेटी पूजा को एक लड़के के साथ पकड़ा था मैंने। वो लड़का 15 साल का था , उसका लंड लगभग 4 इंच का था।

धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।

पूजा जाकर चाय बनाने लगी तभी सोमनाथ जी ने कहा कि मुझे आपके कार्य से कोई एतराज नहीं है। और यह बात मैं बेटी को भी कहना चाहता हूं कि उसने भी अपने घर की इज्जत के लिए किया है । आप उपासना बेटी को भी बुला लीजिये।
यह सुनते ही धर्मवीर ने उपासना को फोन किया और ऊपर आने को कहा हॉल में ।


उपासना ने डरते हुए आने के लिए हां कह दिया और फोन रख दिया।
उपासना उठी और ऊपर की तरफ चलने लगी लेकिन जैसे ही उठकर वह चलने चलने लगी उसकी आंखों के सामने अंधेरा हो गया ।
क्योंकि एक भयंकर चुदाई उसकी हुई थी उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।
उसने जैसे तैसे धीरे धीरे चलना शुरू किया ।
उसने जल्दी से सजे सूट सलवार पहना और लिफ्ट से ऊपर आगयी लड़खड़ाते हुए ।
लिफ्ट से निकल के हॉल की तरफ चली तो उसकी चाल देखकर धर्मवीर ने अपनी गर्दन झुकाली और सोमनाथ का मुंह खुला का खुला रह गया ।

उपासना किसी बुरी तरह से चुदी हुई रंडी की तरह धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी।
उपासना के चेहरे पर काजल फैल गया था ।उसके होठों का लिपिस्टिक उसके होठों के आसपास था जो कि बिल्कुल हल्का हो गया था ।
जैसे ही टेबल के पास आई उपासना बैठने को बैठते बैठे फिर लड़खड़ा गयी ।

तभी पूजा चाय बना कर ले आई और सब लोग चाय पीने लगे ।

सोमनाथ जी ने उपासना की ओर देखते हुए कहा कि बेटा समधी जी ने मुझे बताया है और इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
मैं तुम्हारे फैसले का स्वागत करता हूं इतना सुनकर चुदी-चुदाई उपासना जो अपनी फटी हुई चूत लेकर वहां बैठी थी वह धीरे से शरमा गई ।

सोमनाथ जी ने माहौल को ज्यादा सीरियस ना बनाते हुए धर्मवीर से कहा कि समधी जी आपने मेरी बच्ची को मार ही डाला ।
उसकी हालत क्या कर दी आपने।

धर्मवीर - सोमनाथ जी आपकी बच्ची ने ही न्योता दिया था हमे तो ।

यह सुनकर पूजा और उपासना दोनों शर्म से लाल हो गयी।

सोमनाथ चलो बेटा तुम हमारे सोने का इंतजाम करो मैं और समधी जी साथ ही सोएंगे आज।

ऐसा सुनकर उपासना और पूजा उठकर चली गयी। जातर वक्त दोनों रंडियों की गांड ऐसे हिचकोले ले रही थी जैसी किसी बड़े तगड़े लौड़े की ख्वाहिश कर रही हों ।

सोमनाथ और धर्मवीर भी अब आपस मे खुलने लगे थे ।
दोनों हॉल में बैठे बातें कर रहे थे आधा घंटा हो चुका था।

उधर कमरे में जाते ही पूजा हंसकर कहने लगी - दीदी आज तो लगता है किसी मर्द से पाला पड़ गया है चाल भी बदल गयी ।

दोस्तो उपासना और पूजा बहन होने के बावजूद आपस मे बहुत फ्रेंडली थी।

उपासना शर्माते हुए।

उपासना - इस मर्द के निचे तू आजाती तो आंखे बाहर आजाती समझ गयी । मैं थी जो झेल गयी ।

पूजा - शर्माते हुए - आंखे तो बाहर नही आती पर पिछवाड़ा जरूर बाहर निकल जाता ।

उपासना - बड़ी बदमाश हो गयी है और तेरी बदमाशी की गवाही तेरे ये ढोल से चूतड़ दे रहे है।

पूजा - चूतड़ तो दीदी आपके भी ढोल से कम नही है । ऐसा लगता है किसी के मुह पर बैठ गयी तो मुह दिखना बैंड हो जाएगा ।

उपासना - चल बाद में बातें करेंगे अपने कमरे में चलकर अब दोनों पापा का बिस्तर लगा दिया है उनको सोने के लिए बोलकर चलते है ।

दोनों उठकर धीरे धीरे हॉल की तरफ आने लगी ।

लेकिन जैसे ही हॉल में आने को मुड़ी अचानक धर्मवीर के हंसने की आवाज आई ।
इतना खुधनुमा माहौल देखकर उपासना पूजा को इशारा करते हुए पीछे को हट गई और दोनों बहन छुपकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - बात तो अपने सही कही सोमनाथ जी । दोनों ही बहन एक से बढ़कर एक हैं।

सोमनाथ - तो बताइए समधीजी कैसा लगा मेरा प्लान।

धर्मवीर - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन डर यही है कि पूजा मुझे झेल पाएगी या नही।

सोमनाथ - और मुझे डर उपासना का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा पतला हो लेकिन पूरे दो इंच लंबा है।

धर्मवीर - तो फिर कल दोनों बहनों की चीखें गूंजेंगी इस घर मे। कल दोनों को गोद मे उठा उठा कर बारी बारी से उनकी चूतों का भोसड़ा बनाएंगे दोनों। देखते है कौन सी बहन चुदाई समारोह में लंडों को चूतड़ उठा उठाकर लेगी।

उधर पूजा और उपासना को कानों पर विश्वास नही हो रहा था । की उनके ससुर और पापा मिलकर उनकी चूतों और गांड का छेद चौड़ा करने का प्लान बना रहे त
है।

सोमनाथ - लेकिन कल शाम तक दोनों को इस बारे में कुछ पता नही चलना चाहिए।

धर्मवीर - बिल्कुल पता नही लगेगा सोमनाथ जी इतना तड़पा देंगे कुतियाओ को खड़ी खड़ी मूतने लगेंगी । तड़पकर खुद ही कहेंगी कि-

अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
कल क्या हो किसने देखा हमारी चूतों का भोसड़ा आज और अभी करदो।



सोमनाथ - शायरी तो अच्छी करलेते हैं समधीजी। चलिए अब बिस्तर लग गया होगा चलकर बात करते हैं।

ऐसा कहते हुए दोनों खड़े हुए और कमरे की तरफ चलने लगे ।

उधर पूजा और उपासना भी हॉल की तरफ आने लगे अनजान बनते हुए जैसे उन्होंने कुछ नही सुना हो।

पूजा - पापाजी बिस्तर लग गया है । मैं और दीदी भी सोने जा रहे है।

पूजा और उपासना कमरे में आकर ।
उपासना - ले पूजा अब तो तैयार हो जा कल को मेरे ससुर का लौड़ा लेने के लिए।

पूजा यह सुनकर लाल हो गयी और कहने लगी ।
पूजा - आप भी तैयार हो जाइये पापा से चुदने के लिए ।

उपासना- लेकिन पूजा हम भी इतनी आसानी से उनकी बातों में नही आएंगे । जैसे वो हमें खड़ी खड़ी मुताना चाहते है हम भी इतना तड़पाएँगे कि खड़े खड़े ही पानी छोड देंगे उनके लंड।

पूजा - हां ये सही रहेगा दिनभर तड़पाएँगे दोनों को।लेकिन दीदी मेरी चूत पर तो काफी घने बाल है कल मुंहे हेयर रिमूवर दे देना।

उपासना - ये तो और भी अच्छी बात है क्योंकि तू नही जानती मंझे हुए खिलाड़ी जब चोदते हैं तो घनी झांटो में जाता हुआ लंड उन्हें बहुत प्यारा लगता है और ऐसी चुदाई करते है कि रंडी को भी हिलाकर रख दें।

इस तरह दोनों बातें करती हुई कल का इंतजार करते हुए सो गयीं।

*********

दोस्तों कहानी कैसी चल रही है कोई सुझाव हो तो जरूर देना। कहानी आगे जारी रहेगी। सपोर्ट के लिए दिल से धन्यवाद।
*********
मस्त कहानी है कल तो और भी मजा आएगा जब दोनों बहनें अपने बाप और ससुर से चुदन्गी।
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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Update 20

चलो दोस्तो आगे की कहानी की शुरुआत फिर एक शायरी के साथ करते हैं

खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है,
खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है

वो वही तक देख सकता है नजर जिसकी जहां तक है ।

******

सोमनाथ जी फर्श पर से उठकर सर झुकाए हुए बैड पर बैठ गए ।

धर्मवीर जोर से हसने लगा । यह देखकर सोमनाथ हैरान होते हुए धर्मवीर का मुह ताकते हुए कहने लगा ।

सोमनाथ- समधीजी जी , आपको अभी भी हँसी आरही है ।

धर्मवीर - अरे मैं हालातों पर नही बल्कि तुम्हारे खड़े लंड पर हसा हूं , तुम्हारी बेटी तो खड़े लंड पर लात मार गयी भईया । hahahaha।

सोमनाथ - उड़ा लीजिये आप भी मेरी हंसी । क्योंकि आप तो पहले ही उपासना से मजे ले चुके है । अगर उसने आपके साथ ऐसा किया होता तो पता चलता ।

धर्मवीर - हंसी तुम्हारी नही उड़ा रहा हूँ मेरे दोस्त । और मैं यही समझने की कोशिस कर रहा हूँ कि जब हमने उनकी बातें सुनी थी तब तो वो चुदवाने के लिए मरी जा रही थीं दोनों फिर अचानक ये क्या हुआ ।


उधर उपासना जैसे ही अपने रूम में पहुंची तो रोने लगी । अभी तक पूजा को भी कुछ समझ नही आरहा था कि दीदी को अचानक क्या हुआ ।

पूजा - दीदी आप अचानक इस तरह रोने क्यों लग गयी । मैं कुछ समझी नही ।

उपासना ने अपना मोबाइल पूजा को दिया पूजा ने देखा तो उसमें शालीनी का मैसेज था - Daddy Rakesh bhaiya ne atmahatya kar li hai . Or ek note likhkar gye h vo .

यह पढ़कर पूजा के सर का आसमान घूम गया । नही जीजू कहते हुए वो भी रोने लगी ।

तभी 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नीचे आये तो दोनों को रोता देखकर वो भागकर दोनों के पास आये ।

धर्मवीर सर झुकाकर - बेटा यदि हमसे और तुम्हारे पापा से इतनी बड़ी गलती हो गयी है तो हमे मांफ कर दो ।

तभी पूजा ने धर्मवीर को मोबाइल पकड़ाया ।
और जैसे ही धर्मवीर ने मैसेज पढ़ा धर्मवीर को सदमा आगया ।

घर मे बिल्कुल शांति हो गयी जहाँ अभी तक मादक सिसकारियों की आवाज आरही थी याब वहां सिर्फ रोने पीटने की आवाजें आने लगी ।
धर्मवीर को हॉस्पिटल ले जाया गया ।


सुबह के 7 बज रहे थे । धर्मवीर जी को होश आ चुका था । धर्मवीर जी के पास इस वक्त उपासना पूजा बैठे हुए थे ।
तभी रूम में डॉक्टर की एंट्री हुई ।

डॉक्टर - सर आप इस वक्त बिल्कुल स्वस्थ हो । बस आपको किसी बात की चिंता या कोई भी ऐसी बात नही सोचनी है जिससे आपके दिमाग पर जोर पड़े ।

धर्मवीर - रा-राकेश मेरा बेटा कहाँ है ?

उपासना डॉक्टर के साथ बाहर जाकर बात करने लगी ।

और 1 घंटे बाद जब धर्मवीर की आंखे खुली तो इस वक्त वो अपने घर मे था ।

तभी शालीनी की एंट्री होती है । शालीनी आते ही उपासना के गले लगकर रोने लगी ।

शालीनी रोते हुए - भाभी ये क्या हुआ ये क्या किया भैया ने ।

उपासना की आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे ।

तभी रूम में एक नए किरदार की एंट्री होती है जिनका नाम बलवीर है । ये बलवीर भाई है धर्मवीर जी के जो अमेरिका में सेटल है अपने परिवार के साथ।
इनकी उम्र अभी 45 साल है । अमेरिका में रहते है लेकिन फिर भी दिल है इनका हिंदुस्तानी ।
पूरे सात फीट इनकी हाइट है । तगड़े तंदरुस्त है पर रंग से काले है । कोई भी देखकर इन्हें इंडियन नही अफ्रीकन ही कहेगा । इनकी कद काठी अनुसार ही इनके लंड का साइज भी 14 इंच है जिनकी मोटाई लगभग हाथ की कलाई के बराबर होगी । इनकी एक ही खासियत है कि जिसे भी आजतक इन्होंने चोदा है फिर उसे किसी और के चोदने लायक नही छोड़ा , मतलब सीधा और साफ है जिसे भी ये एकबार चोद लेते है उसकी चूत को भोसड़ा बना देते है । रहम नाम की चीज इनके अंदर है ही नही । अब आगे पढ़िए ।



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उपासना ने तुरंत पर्दा किया । शालीनी चाचाजी के गले लगकर रोने लगी।

बलवीर - नही बेटा शायद हमारी किस्मत में ये ही लिखा था । कोई ऐसी बात जरूर थी जिसने हमारे बेटे को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया ।

तभी पूजा पानी लेकर आ चुकी थी पानी की प्यास किसको थी कुछ देर बैठने के बाद बलवीर जी अपने भाई धर्मवीर के पास गए और गले से लिपट कर रो पड़े।

बलबीर ने मन ही मन सोचा यदि मैं ही भैया को नहीं संभालूंगा तो भैया को कौन संभालेगा ऐसा सोचकर उन्होंने अपने आपको हिम्मत दी और अपने भाई धर्मवीर का हाथ अपने हाथों में लेकर उन्हें ढांढस बंधाया ।

तभी घर में आरती की एंट्री होती है आरती की आंखों से बहते आंसू को देखकर बलबीर ने अपनी बहन को गले से लगाया और तीनों बहन भाई कुछ देर की खामोशी के बाद एक दूसरे की आंखों में देखकर एक दूसरे को हिम्मत देने लगे ।


14 दिन बीत चुके थे घर में शांति का माहौल था
राकेश की तेहरवीं भी हो चुकी थी ।


उधर जापान में पुलिस वालों को नदी में एक बॉडी तैरती हुई दिखाई दी ।उन्होंने जल्दी से उस बॉडी को पानी से निकाला बॉडी के पेट से खून निकल रहा था ।
उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया जहां जाकर पता चला कि इंसान के शरीर में चाकू से हमला हुआ है लेकिन दिल या फेफड़ों में कोई घाव नहीं है।
और अभी कोई कोई सांस ले रहा है।
पुलिस को उसकी जेब से उसका बटुआ मिला तो पता लगा कि वह राकेश नाम का कोई इंडियन है ।
राकेश को हॉस्पिटलाइज कर दिया गया जहां उसे अभी तक कोई होश नहीं था ।
ब्लड चढ़ाया गया शाम के वक्त राकेश को होश आया उसमें अब इतनी जान नहीं बची थी कि वह खड़ा हो सके।
उसके मुंह से बस इतना ही निकला - नहीं नहीं नहीं । बस ऐसा ही वह कह सका ।
दो-तीन दिन बीत गए जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे राकेश की हालत में सुधार हो रहा था 4 दिन में राकेश अपना खाना खुद खाने लगा और आराम से उठने बैठने लगा इन 4 दिनों में राकेश के दिमाग में कोहराम मचा रहा।
कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों उसकी ही बहन ने उसकी यह हालत करदी ।
5 दिन बीत चुके थे । हॉस्पिटल से राकेश को की छुट्टी कर दी गई लेकिन राकेश ने अभी तक अपने किसी भी मिलने वाले से संपर्क नहीं किया था।

उसने हॉस्पिटल में भुगतान किया और कुछ दिन जापान में ही रहने की ठानी उसने एक होटल में रूम लिया और वहीं पर सेटल होकर अपनी हालत सुधारने लगा ।


उधर 20 25 दिन के बाद अब धर्मवीर की हालत में काफी सुधार हो चुका था ।
धीरे-धीरे एक सपना समझकर अपने बेटे को भुलाने की कोशिश करने लगा था धर्मवीर ।

उपासना भी अपने आप को समझा रही थी और अपनी जिंदगी से समझौता कर रही थी।
बलवीर और आरती दिनभर धर्मवीर और उपासना को बिजी रखते जिससे की उन्हें याद ही ना आ सके ।
अब सब कुछ सामान्य होने लगा था।


अब उस घर में 7 लोग रहते थे धर्मवीर बलवीर सोमनाथ उपासना आरती शालिनी और पूजा ।

रात के 10:00 बज चुके थे सब डिनर कर चुके थे ।
धर्मवीर , बलवीर , सोमनाथ और आरती बैठे गपशप कर रहे थे ।
बलवीर अपने भाई धर्मवीर की बहुत ही ज्यादा शर्म करता था बहुत ज्यादा इज्जत करता था ।

बलबीर बोला - भैया जी मैं सोच रहा हूं कि काफी दिन हो गए हैं आपको कहीं घूम कर आना चाहिए ।

धर्मवीर - मैं तो यहां पर घूमता ही रहता हूं बलबीर एक काम करो तुम काफी सालों बाद इंडिया आए हो तुम घूम कर आओ ।

बलवीर - जी भैया जैसा आप कहें लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आप मुझे अकेले ही घूमने भेज रहे हैं या कोई मुझे गाइड करने वाला भी साथ है।

यह सुनकर धर्मवीर हंस पड़ा धर्मवीर बोला जिसे तुम ले जाना चाहो उन्हें अपने साथ ले जाओ ।

बलवीर पूछने लगा कि कोई है जो घूमना चाहता हो । वर्ल्ड टूर नहीं लेकिन इंडिया टूर तो जरूर ही घूम लेंगे ।

यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई बहन चलते हैं घूमने ।
तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।

आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था । अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6 दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे । ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।


अब घर में बचे थे धर्मवीर , सोमनाथ, उपासना और पूजा ।

सोमनाथ और धर्मवीर बिल्कुल शांत बैठे हुए थे तभी रूम में पूजा चाय लेकर आती है ।

पूजा चाय रखकर चली गयी । सोमनाथ और धर्मवीर चाय की चुस्की लेने लगे ।

सोमनाथ जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा - समधीजी , जो हुआ वो होना ही था । अब कितना भी हम सोच ले लेकिन अपने भूतकाल को नही बदल सकते । मैं समझता हूं लेकिन राकेश आपका ही बेटा नहीं हमारा भी दामाद था । और मैने तो कभी दामाद समझा ही नही बेटा ही समझा था । पर होनी को कौन टाल सकता है ।

धर्मवीर - हम्म शायद किस्मत को यही मंजूर था ।

सोमनाथ - अब आगे की जिंदगी बच्चो के सहारे खुशियों के साथ गुजारिये और गम को भुलाने में ही हम सबकी भलाई है ।


उधर उपासना ने भी जिंदगी से संधि कर ली थी । अब वो भी सामान्य होने लगी थी । पूजा उसको दिन भर हसाती रहती । उनके कमरे में से भी अब चहकती आवाज और हँसने की आवाजें आने लगी थी ।

पूजा - दीदी तुम चलते में इतनी मत मटका करो ।

उपासना - अच्छा मतलब अब तुम हमे बताओगी की मैं ज्यादा मटक रही हूं ।

पूजा हंसते हुए - ओह दीदी तो चिढ़ती भी है ।

उपासना - चल पूजा एक काम करो जरा ।

पूजा - क्या दीदी ?

उपासना - गेट तक जाकर वापस आओ ।

पूजा ने वैसा ही किया । पूजा गेट के पास तक गयी और वापस आगयी ।

उपासना - अब तू बता पूजा की चलते में तू नही मटक रही थी क्या जो मुझे बोल रही थी । पिछवाड़ा तो तेरा भी ऊपर नीचे हिल रहा था ।

पूजा शर्माती हुई - दीदी जब है ही भारी तो हिलेगा ही ये तो ।

उपासना - अच्छा एक बात बता ।

पूजा - हां दीदी पूछो ।

उपासना - नीचे जो जंगल था वो साफ किया तूने या नही । जब तू आयी थी तब तो तेरी झांटों से ढका हुआ था सबकुछ ।

पूजा यह सुनकर शर्माकर झेंप गयी ।

पूजा - क्या दीदी आप भी ना । बताया तो था कि वहां के बाल सेव नही करती और तबसे तो टाइम भी नही मिला है करने का।

उपासना - अच्छा दिखा तो जरा देखूं तो की तू अंदर से दिखती कैसी है ।

पूजा के गाल लाल हो गये ।

उपासना - मैं तो एक लड़की हूँ और तेरी बहन भी हूँ , मुझसे तो तू बड़ी शर्मा रही है और बेशक किसी दुसरे के सामने टांग फैलाकर लेट जाएगी ।

पूजा - ऐसी बात नही है दीदी ।

उपासना ने पूजा की कोई बात ना सुनते हुए पूजा की सलवार का नाड़ा एक झटके में खोल दिया । नाड़ा खुलते ही सलवार नीचे गिर गयी ।

उपासना ने देखा कि पूजा की मोटी जांघो के बीच मे उसकी चूत पैंटी से ढकी हुई है लेकिन चूत के साइड में से काले काले बाल निकलते दिखाई पड़ रहे थे ।

पूजा ने शर्म से अपने मुंह पर हाथ रखा हुआ था ।
फिर उपासना ने पूजा की पैंटी में अपनी उंगलिया फसाई और पैंटी घुटनों तक सरका दी ।

उपासना के मुह से देखकर इतना ही निकला - हाय रब्बा । और पूजा ने ऐसा कहते हुए अपने मुह पर हाथ रख लिया ।

उपासना ने देखा कि पूजा की चुत घनी काली काली झांटों से ढकी हुई है । झांटों के बाल उंगली से भी ज्यादा लंबे है ।

उपासना - पूजा एक बात बोलू ।

पूजा - याब बोलने को रह ही क्या गया है दीदी । अब तो जो बोलना है बोलिये ।

उपासना - तेरी चूत तो मुझे झांटों की वजह से दिख नही रही पर चूत के ऊपर फैले इस घने जंगल को देखकर ही मैं कह सकती हूं कि तेरी चूत तो लुगाइयों की चूतों को भी मात देती है ।

पूजा - दीदी अब ये तो सभी की ऐसी ही होती है ।

उपासना - नही पूजा तेरी चुत को देखकर यही कहा जा सकता है कि इस चूत का पानी निकालना हर किसी के बस की बात नही ।

पूजा - अच्छा अब जरा आप खड़ी होना एक मिनट के लिए ।

उपासना खड़ी हो गयी । पूजा से उसकी सलवार भी नीचे खिसकाकर घुटनो पर कर दी ।
दोस्तो एक महीने से उपासना ने भी झांटों को साफ नही किया था । लेकिन उपासना की चूत पर पूजा की चूत के बराबर बाल नही थे ।

पूजा की चूत पर बालों का जमावड़ा था जबकि उपासना की चूत पर बाल नाखून से थोड़े ही ज्यादा बड़े थे ।

यह देखकर पूजा कहने लगी- मैं मानती हूं कि मेरी चूत पूरी ढकी हुई है लेकिन कम तो आप भी नहीं हो दीदी , देखो तो आपकी चूत को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चूत निगलना चाहती हो कुछ और निगलना ही क्या पूरा मोटा लंड खाना चाहती है । तुम्हारी चूत को रौंदना भी कौन सा बच्चों का खेल है जो आप मुझे कह रही हो ।

यह सुनकर उपासना भी शर्मा दी । दोनों बहने एक दूसरे की चूतों को हाथ से सहलाने लगी और गर्म होने लगी ।

हाथ से सहलाते हुए उपासना बोली- पूजा तेरी चूत पर बाल ही लंबे नही बल्कि तेरी तो चूत भी मेरे पूरे हाथ में मुश्किल से आ रही है । तेरी चूत के होंठ काफी मोटे मोटे हैं ।

पूजा भी सिसकारी भरते हुए बोली- दीदी चूत तो आपकी भी मेरे पूरे हाथ में नहीं आ रही है ।आपकी भी कचोरी जैसी चूत है और इसके लिए कोई मोटा लंबा लौड़ा ही होना चाहिए ।आपकी चूत पर झंडा गाड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है

दोनों बहने काफी गर्म हो चुकी हो चुकी गर्म हो चुकी हो चुकी थी अब तो उनकी आंखों में लंड नाचने लगे थे

पूजा बोली - मैं एक बात पूछूं दीदी ।

उपासना- हां पूछो ।

पूजा - दीदी अब दिल नहीं करता क्या आपका । कैसे संभाल पाती हो अपने आप को । जिस औरत के पास तुम्हारे जैसी चूत हो उसको तो सुबह-शाम लंड से खेलते रहना चाहिए ।

पूजा इतना कह कर चुप हो गई। बड़ी ही तपाक से वह बोल गई थी ये बात ।

उपासना ने एक नजर उसको देखा और बोली - बहुत बोलना सीख गई है तू चल जब तू ने पूछा है तो बता ही देती हूं । किस का मन नहीं करता लंड लेने को । सबका करता है और जैसा तूने कहा कि अगर औरत मेरे जैसी हो तो। हां पूजा यह बात सही है मेरी जैसी औरत को दिनभर लंड पर चढ़े रहना चाहिए । लेकिन फिर भी मैं अपने आप को संभाल लेती हूं ।कोई चारा भी तो नहीं क्या करूं ।

पूजा बोली- दीदी चारा तो है और आप जानती भी हैं , लेकिन पता नहीं क्यों आप इस तरह से बदली बदली रहने लगी है ।

उपासना बोली - पहले बात अलग थी अब मुझे नहीं लगता कि धर्मवीर मेरे ससुर या मेरे पापा सोमनाथ इस रिश्ते को कबूल करेंगे ।

पूजा बोली - लेकिन फिर भी एक बार पता तो करना चाहिए कि उनके दिल में क्या है?

उपासना को यह बात थोड़ा जंची और उसने हामी भर दी ।

दोनों ने अपने बंगले के बगीचे में नहाने का प्लान बनाया और स्विमिंग पूल में चले गए।

दोस्तों धर्मवीर के बंगले में स्विमिंग पूल पार्किंग वाली जगह के साइड में बना हुआ था ।जहां से वह धर्मवीर के रूम से बिल्कुल साफ दिखाई देता था ।

पूजा ने दो बिकनी निकाली लेकिन उपासना ने बिकनी पहनने को मना कर दिया और उसने एक सलवार उसके ऊपर ब्रा पहनने के लिए बोला ।

दोनों ने सलवार पहनी और ऊपर ब्रा पहनी ।
सलवार जो पहनी थी दोस्तों शालिनी की सलवार दोनों घोड़ियों ने पहन ली। जो कि चूतड़ों पर वैसे ही टाइट हो गई थी दोनों ने अपने बालों का जुड़ा बनाकर सर पर रख लिया।
पीछे से कमर बिल्कुल नंगी हो गई दोनों की और उस पतली कमर के नीचे तबले जैसे चूतड़ों पर पहनी हुई सलवार ।
गजब का रूप बना लिया था दोनों ने ।
किसी काम देवी की तरह दोनों स्विमिंग पूल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगी ।


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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है मुझे कमैंट्स करके जरूर बताएं क्योंकि मुझे लिखने का कोई ज्यादा तजुर्बा नही है । इस 24 साल के नवयुवक से यदि कोई गलती हो लिखने में तो माफ कीजियेगा । यह शब्दो से खेलने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी ।

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बहुत तगड़ा ट्विस्ट दिया है आपने कहानी में।
 

Sis lover

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UPDATE- 23

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चारों लोग कमरे में थे उपासना और पूजा बेड पर लेटी हुई थी।
चारों लोग मन ही मन सोच रहे थे की बात को आगे कैसे बढ़ाया जाए , कैसे पहल की जाए । यही उधेड़बुन चारों के दिमाग में चल रही थी तभी सोमनाथ की नजर कमरे की दीवार पर लगे एक फोटो पर गई जिसमें उपासना ने एक पेटीकोट पहना हुआ था और ऊपर एक चोली पहन रखी थी ।

यह देख कर सोमनाथ बोला- बेटी इस फोटो में तो तुम बहुत ही सुंदर दिख रही हो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई सोमनाथ बोला बेटी जो तुमने यह पहनावा पहना हुआ है फोटो में । मैं इस पहनावे में तुम्हें देखना चाहता हूँ।

उधर धर्मवीर मन ही मन सोचने लगा कि सोमनाथ को क्या हो गया है इतनी सेक्सी ड्रेस पहनकर दोनों लेटी हैं और यह इन्हें दोबारा कपड़े पहनाने में लगा हुआ है ।

उधर उपासना बोली - पापा जी यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको पहन कर कर दिखाती हूं ।
उधर धर्मवीर बोला पूजा से - तुम भी अपनी दीदी के साथ यही ड्रेस पहनो तुम भी सुंदर लगोगी।

यह सुनकर दोनों शर्माती हुई बेड से उतर गई और कमरे से बाहर जाने लगी।

दोस्तों उस पारदर्शी गगरी में उनके चूतड़ों की थिरकन कहर बरपा रही थी सोमनाथ और धर्मवीर पर और दूसरी तरफ पूजा और उपासना अपने कूल्हों को और भी ज्यादा मटका कर चल रही थी ।
अपनी गांड को हिलाते हुए दोनों कमरे से बाहर चली गई।


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कमरे में जाकर दोनों ने कपड़े चेंज करने लगी उपासना ने पूजा को एक हरे रंग का पेटिकोट दिया और एक छोटा सा ब्लाउज ।
खुद के लिए उपासना ने एक नीले रंग का पेटिकोट निकाला और लाल रंग का छोटा सा ब्लाउज।
यह पेटिकोट और ब्लाउज दोनों ही उनके साइज के हिसाब से काफी छोटे थे जिस वजह से उनकी गांड पर पेटिकोट बिल्कुल फस गया ।
उनकी भारी-भारी कांड कांड उस पेटीकोट में निकल कर पीछे की तरफ उभर गई ।
ब्लाउज की बात करें तो ब्लाउज भी स्लीवलैस था , ब्लाउज की जगह चोली कहें तो बेहतर होगा क्योंकि कमर पर सिर्फ एक डोरी थी जिसने इस ब्लाउज को संभाला हुआ था और आगे मोटे मोटे दो पपीते जिनको ब्लाउज ने कसकर जकड़ रखा था ।

दोनों ने अपने आप को शीशे में देखा तो शर्मा गयीं पर मस्तानी चाल चलती हुई उन दोनों के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।


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कमरे के गेट पर जाकर दोनों ने देखा के अंदर सोमनाथ और धर्मवीर बैठे हुए हैं ।

उपासना ने पूजा को अंदर धक्का दिया, धक्का इतना तेज लगाया गया था की पूजा सीधा बीच रूम में जाकर रुकी ।

पूजा ने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने जब पूजा की तरफ देखा तो अपने होश खो बैठे।

ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउज और पेटीकोट में कोई कसी हुई जवानी आजाद होना चाहती हो।
पूजा की जवानी उसके कपड़ों को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी ।

सोमनाथ ने कहा- उपासना बेटी कहां है ?

पूजा ने कहा- दीदी बाहर गेट पर खड़ी है ।


सोमनाथ ने उपासना को आवाज लगाई - उपासना अंदर आओ ।

उपासना धीरे धीरे अंदर की तरफ आने लगी तो उसकी जवानी तो पूजा से भी ज्यादा गदरायी हुई थी।

दोनों कमरे में खड़ी हो गई।

सोमनाथ ने कहा - देखा समधी जी मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।

धर्मवीर ऐसा सुनकर खड़ा हुआ और दोनों को निहारने लगा फिर धर्मवीर और सोमनाथ पीछे की तरफ घूम कर आए तो उनकी आंखें चौड़ी हो गई।
क्योंकि उपासना और पूजा के कूल्हे ऐसे लग रहे थे जैसे पीछे दो मोटे मोटे तबले हो और उनके नितंब उस पेटीकोट में कसे हुए थे जिससे कि उनकी गांड और भी बाहर को उभरकर दिख रही थी ।

धर्मवीर बोला- मानना तो पड़ेगा सोमनाथ जी कि आप की बेटियां करोड़ों में एक है।


यह सुनकर पूजा बोली- रहने दीजिए क्यों झूठी तारीफ करने में लगे हो तुम दोनों ।


तभी धर्मवीर के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गयी।

उसने सोमनाथ से कहा - चलो सोमनाथ जी नींद आ रही है , चलो सोने चलते हैं ।
ऐसा उसने सोमनाथ को आंख मारते हुए कहा था।

सोमनाथ उसका इशारा समझ गया और धर्मवीर के साथ ऊपर चला गया ।


पूजा और उपासना एक दूसरे का चेहरा ताकती हुई हैरानी से एक दूसरे को देखने लगीं ।


पूजा ने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है दीदी। तुमने तो कहा था कि ये दोनों हमें बिना चोदे नहीं छोड़ेंगे आज , लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है ।

उपासना बोली- जहां तक मैं जानती हूं हम जैसी घोड़ियों को देखकर बिना चोदे तो यह मर्द रह नहीं पाएंगे । इसमें जरूर कोई राज की बात है चलो चल कर देखते हैं ।

दोनों धर्मवीर और सोमनाथ के रूम की तरफ जाने लगीं।
जैसे ही वह रूम के पास पहंची उन्हें धर्मवीर और सोमनाथ की आवाज सुनाई देने लगी ।

सोमनाथ धर्मवीर से कह रहा था - समधी जी आपने यह है क्या किया?


धर्मवीर बोला - सोमनाथ मैंने नोट किया था कि पूजा और उपासना हम दोनों के सामने शर्मा रही थी । इसका सीधा सा मतलब है कि हमें अलग-अलग कमरे चुनने होंगे, अगर हम अलग अलग होकर उनकी चूतों को फाड़ेंगे तो वह चोदने में पूरा मजा देंगी और खुलकर चुदवायेगी। इसलिए मैंने ऐसा किया । अब तुम मेरा प्लान सुनो।
तुम नीचे उपासना और पूजा के पास जाना और जाकर कहना की समधी जी का टीवी चल नहीं रहा है और मुझे टीवी देखना है इसलिए मैं तो नीचे आ गया और समधी जी दूध मंगा रहे थे पीने के लिए, जब तुम जाकर ऐसा बोलोगे तो उपासना जरूर पूजा को भेजेगी दूध लेकर और अपना काम बन जाएगा । तुम पूरी रात उपासना को रगड़ना और मैं यहां पूजा की चूत को खोलकर उसे भोसड़ा बना दूंगा ।

यह सुनकर सोमनाथ बोला- तुम्हारे दिमाग की भी दाद देनी पड़ेगी समधी जी।


इतना सुनकर उपासना और पूजा की धड़कन तेज हो गई वह आने वाले वक्त के बारे में सोचने लगीं और उत्तेजित होने लगी ।

जल्दी से वह दोनों अपने कमरे में आकर बैठ गई और सोमनाथ का इंतजार करने लगी ।


सोमनाथ को पता नहीं था कि वह दोनों उनका प्लान सुन चुकी है ।

सोमनाथ 10 मिनट बाद पूजा और उपासना के कमरे में गया तो यह देख कर उपासना और पूजा एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा पड़ी। लेकिन यह सब सोमनाथ की समझ में कुछ नहीं आया।


सोमनाथ में अपने प्लान के मुताबिक कहा- कि समधी जी का टीवी तो चल नहीं रहा है और मेरा मन आज टीवी देखने का था।

उपासना बोली - हां हां पापा जी क्यों नहीं आप हमारे पास टीवी देख लीजिए।

सोमनाथ सोफे पर बैठ गया तभी सोमनाथ ने कहा - उपासना धर्मवीर जी दूध मंगा रहे हैं उनको दूध देकर आओ।

उपासना किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी पूजा ने उसे रोका- दीदी आप पापा जी से बात कीजिए उनको दूध मैं देकर आती हूँ ।

उपासना मुस्कुरा पड़ी और बदले में पूजा ने भी मुस्कान के साथ उसका साथ दिया ।

उधर सोमनाथ की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि जब उपासना और पूजा चहलकदमी कर रही थी तो पेटीकोट में फंसी उनकी गांड इस तरह हिल रही थी जिसे देखकर सोमनाथ का कलेजा मुंह को आ गया ।

उधर पूजा दूध लेकर धर्मवीर के कमरे की तरफ चली गई ।


उपासना आकर सोमनाथ से पूछने लगी - पापा जी आपके लिए भी दूध कर दूं क्या ।

सोमनाथ बोला- नहीं बेटी अभी नहीं , अभी तो मुझे टीवी देखना है अपनी बेटी से ढेर सारी बातें करनी है फिर दूध पीना है ।

यह सुनकर उपासना बड़ी ही एक्टिंग के साथ बोली - ओके डैडी एस यू विश विश ।


उपासना ने पूछा - पापा जी यदि आप कहें तो आपका बिस्तर भी यहीं पर लगा दूं , आप भी यही सो जाना।

सोमनाथ बोला बेटी एक ही बेड है रूम में तो।

उपासना बोली- तो क्या हुआ पापा जी आप इसी पर सो जाना मैं दूसरी साइड सो जाऊंगी ।

तब सोमनाथ धीरे से बोला - यह बेड तो तुम्हारा ही वजन मुश्किल से संभाल पाता होगा ।
(यह वाक्य धीरे से बोला गया था लेकिन इतना भी धीरे नहीं था की उपासना सुन ना सके, उपासना ने सुन लिया और एक साथ हैरानी से आंखे फैलाकर बोली ।

उपासना- पापा जी आपको मैं इतनी भारी लगती हूं क्या?

अंदर तो आप बड़ी तारीफ कर रहे थे कि मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।
यहां पर आप मेरी बुराई कर रहे हैं ।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी बुराई कहां की मैंने , यदि तुमने सुन ही लिया है तो मैं तो यही कह रहा था कि यह बेड तो तुम्हारे वजह से ही टूटने को हो जाता होगा।

उपासना - आपको मैं इतनी मोटी लगती हूं क्या ?

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी मैंने कब कहा तुम मोटी हो लेकिन तुम भारी हो ।

उपासना ने बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से कहा- फिर तो पापा जी आप भी टूट जाने चाहिए थे लेकिन आपने तो मुझे शाम गोद में उठा लिया था । आप क्यों नहीं टूटे?



सोमनाथ के पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए उसके मुंह से उत्तेजना में निकल गया - तुम जैसी को सिर्फ हम ही संभाल सकते हैं ।


यह सुनकर उपासना की नजरें शर्म से जमीन में गढ़ गयीं लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली - तुम जैसी का क्या मतलब है पापा जी, और इसका क्या मतलब है की हम ही संभाल सकते हैं केवल । क्यों और कोई नहीं संभाल सकता क्या ?



सोमनाथ यह सुनकर सपकपा गया क्योंकि दो बार उपासना उसकी टांगों के नीचे आकर निकल चुकी थी अबबयह मौका जाने नहीं देना चाहता था वह कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहता था ।
लेकिन सोमनाथ यह भी जानता था की उपासना के अंदर जो आग भरी हुई है अगर उसे एक बार भड़का दिया जाए तो उसका लंड उसकी चूत में गोते लगाने से कोई नहीं रोक सकता ।
और उसे यही काम करना था उसे उसके अंदर भरी हुई आग को भड़काना था ,

सोमनाथ- उपासना मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हें संभालने के लिए किसी हल्के मोटे इंसान की बस की बात नहीं है तुम ।
जैसी का मतलब है कि बेटी तुम भारी-भरकम हो और तुम्हें संभालने के लिए किसी भारी भरकम आदमी की ही जरूरत पड़ेगी अगर मैं आदमी ना कहकर सांड कहूं तो ज्यादा अच्छा होगा ।

यह सुनकर उपासना और ज्यादा शर्माकर बोली - पापा जी इतनी भी भारी नहीं हूं मैं ।

सोमनाथ बोला - मैं कैसे मानूं , देखने में तो तुम कितनी ____ ।
ऐसा कहकर सोमनाथ चुप हो गया ।

उपासना बोली - कितनी ______ आगे बोलिए ।

सोमनाथ - रहने दो बेटी मुझे शर्म आती है।


उपासना - पापा जी बेटी से क्या शर्माना बोलिए ना कितनी_______ ।

सोमनाथ - मेरे कहने का मतलब था सभी औरतों से तुम कितनी ज्यादा चौड़ी हो ।

यह सुनकर उपासना होंठ अपने दांतो से काटते हुए बोली - कहां से चौड़ी हो पापा जी मैं।


सोमनाथ बोला - बेटी कमर को छोड़कर सब जगह से चौड़ी गई हो ।


यह सुनकर उपासना शर्मा गयी लेकिन अनजान बनते हुए सोमनाथ से खुलते हुए बोली - मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा पापा जी। बताइए ना कहां से चौड़ी हो गई है आपकी बेटी ।
उपासना ने यह कहते हुए आपकी बेटी पर ज्यादा जोर लगाया था।



जब सोमनाथ नहीं देखा की उपासना खुलने लगी है तो उसने कहा - बेटी तुम्हारी जांघे हैं पहले से काफी मोटी हो गई है ।

उपासना बोली- और पापा जी ।

सोमनाथ बोला- और तुम्हारी छातियां भी भारी हो गई हैं।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली- और कहां से चौड़ी हो गई हूँ मैं पापा जी।


सोमनाथ उपासना को तरसाने की सोच रहा था इसलिए उसने कहा - और कहीं से नहीं बेटी।


उपासना यह सुनकर सोमनाथ की तरफ पीठ करके खड़े हो गई उसकी कसी हुई गांड सोमनाथ के सामने थी फिर उपासना ने पूछा - और पापा जी कहां से चौड़ी हो गयी हूं।

लेकिन सोमनाथ में फिर भी वही कहा- और कहीं से नहीं बेटी।


इस पर उपासना को अपनी आशाओं पर पानी पीता हुआ दिखाई देने लगा तो उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ निकालते हुए बहुत ही कामुक आवाज में पूछा- ध्यान से देखिए ना पापा जी आपकी बेटी और कहीं से भी जरूर चौड़ी हो गयी होगी ।

सोमनाथ को अब लगने लगा था कि उसकी उपासना बेटी की आग भड़कने लगी है ,वह खुलने लगी है और धीरे-धीरे बेशर्म भी पड़ने लगी है ।


और उसने उसे इस बात का फायदा उठाते हुए कहां - हां बेटी तुम्हारे नितंब दिख रहे हैं इन्होंने तो चौड़ाई की हद ही पार कर दी हैं देखो तो बिल्कुल फैल गए हैं ।

उपासना ने जब यह सुना तो उसके जेहन में एक तेज लहर दौड़ गयी , उसका सीना जोरो से धड़कने लगा । वह समझ गई थी अब रेल पटरी पर है।

अपना अगला वार करते हुए बोली - पापा जी कूल्हे तो सभी औरतों के चौड़े ही होते हैं ।

सोमनाथ बोला- हां बेटी औरत के नितंब उम्र के हिसाब से चौड़े होते हैं लेकिन तुम्हारे कूल्हे है तुम्हारी उम्र के हिसाब से बहुत ज्यादा मोटे और चौड़े हैं। और सबसे खास बात कि तुम्हारे कूल्हे बिल्कुल कसे हुए हुए हैं ।


उपासना शरमाते हुए बोली हुए - पापा जी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी के नितंबों को घूरते हुए ।

यह सुनकर सोमनाथ सपकपा गया और बोला- नहीं बेटे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था ।

उपासना बोलो चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं सो रही हूं ।


उपासना ने टीवी चला दिया।


सोमनाथ समझ गया की उपासना शर्मआ रही है अभी। अभी उसे बेशर्म बनाना पड़ेगा इसलिए वह सोने का नाटक करने जा रही है।


उपासना टीवी की तरफ पीठ करके करवट लेकर लेटी थी और सोमनाथ सोफे पर बैठ कर ही टीवी देख रहा था ।

आधा घंटा हो चुका था सोमनाथ को टीवी देखते देखते हैं लेकिन उसका ध्यान टीवी पर कम उपासना की गांड पर ज्यादा था ।

मन ही मन कह रहा था आज इस गांड को गोदाम ना बना दिया तो मेरा नाम भी सोमनाथ नहीं, इस कमरे में तुम्हारी चीखें नहीं गूंजी तुम मेरा नाम सोमनाथ ।

उधर उपासना बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि अब कुछ होगा अब कुछ कुछ होगा ।
तभी उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया , दरअसल यह तेज चुटकी सोमनाथ ने चेक करने के लिए बजाई थी की उपासना जाग तो नहीं ।


उपासना सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं मिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर सोमनाथ ने टीवी को बंद किया, गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।


उपासना की धड़कन तेज हो गई फिर सोमनाथ घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।
अब उपासना के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था सोमनाथ ।
उपासना को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी सोमनाथ ने अपनी शर्ट के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।
अपनी शर्ट और बनियान को उतार कर उसने सोफे पर फेंक दिया ।

अब तो उपासना का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर सोमनाथ ने अपनी पेंट का हुक खोला और पेंट को उतार कर कर फेंक दिया।

अब सोमनाथ उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर उपासना यह नजारा देख रही थी तभी सोमनाथ ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर उपासना की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे सोमनाथ को लगे उपासना सो रही है।


उपासना ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।
वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा उपासना को उत्तेजित कर रहा था।


फिर सोमनाथ ने घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब उपासना को सोमनाथ दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि दोस्तों सोमनाथ बेड पर लेट चुका था ।


5 मिनट हो चुके थे दोनों तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तभी उपासना के कान के पास फिर एक तेज चुटकी बजी उपासना फिर चुपचाप लेटी रही और गहरी नींद का नाटक करती रही।

फिर उपासना को को पीछे से कोई साया अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । उपासना के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे सोमनाथ का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी लेकिन वह अपनी सांसो पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी वो यह नहीं जताना चाहती थी कि वह जाग रही है।
वह तो सोने का नाटक कर रही थी सोमनाथ ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।
उपासना का पिछवाड़ा अब सोमनाथ से बिल्कुल सटा हुआ था
तभी सोमनाथ ने अपना हाथ धीरे से उपासना के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।

सोमनाथ ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।
सोमनाथ आराम आराम से उपासना की चुचियों को सहलाने लगा।

फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और उपासना के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से उपासना के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब उपासना भी भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।
उपासना के पीछे से हट गया अब सोमनाथ ।



उपासना के मन में एक साथ कई सारे सवाल उठे कि उसका नंगा बाप उसके बदन से अभी तक चिपका हुआ था और अचानक हट गया।

तभी जो हुआ उसने उपासना को मदहोश कर दिया क्योंकि तभी उसे अपनी गांड पर अपने बाप की गरम गरम सांसे महसूस हुईं हालांकि उसने पेटीकोट पहना हुआ था लेकिन सोमनाथ की तेज सांसें उसे महसूस हो गई।

उसे महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उसके पिछवाड़े में जांघों के बीच कोई अपना मुंह घुसा राह है । उपासना को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके पिछवाड़े से उसका बाप खेल रहा हो अपने गालों से उसके कूल्हों को सहला रहा हो अपनी नाक को उसके चूतड़ों के बीच में रखकर जैसे कोई उसका नंगा बाप कुछ गहरी सांस लेकर सूंघ रहा हो।

सोमनाथ ने अब अपने दोनों हाथों से उपासना के चूतड़ों को फैलाया लेकिन पेटीकोट की वजह से ज्यादा नहीं फैला सका और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।
उसकी चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद सोमनाथ ने उपासना का कंधा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा लिटाने की कोशिश करने लगा।

उधर उपासना समझ गई और उसने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी आंखें मींचे रखी थी

अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फंसी हुई देखकर सोमनाथ का लंड करंट पकड़ने लगा ।
उपासना के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।

तभी उपासना ने देखा की उसका बाप बेड से उतर गया है ।
वह समझ नहीं पाई कि सोमनाथ क्यों उतरा है ।
लेकिन उसने तभी अपनी आंखें कॉल कर देखा तो सोमनाथ कुछ ढूंढ रहा था।

तभी उसे बेड की तरफ आता हुआ दिखाई दिया और उसके हाथ में कैंची थी ।

उपासना समझ गई और उसकी धड़कनें तेज हो गई ।

उपासना बेड पर सीधी पड़ी हुई थी सोमनाथ ने उसकी चुचियों के बीच में कैंची रखी और उसके ब्लाउज को काट दिया ।
ब्लाउज के कटते ही उसके मोटे मोटे चूचे जिनकी निप्पल अब तक खड़ी हो चुकी थी, खुलकर सामने आ गए ।

अपनी बेटी की मोटी मोटी छातियों को देखकर सोमनाथ का लंड अब अपनी औकात में आना शुरू हो गया ।

फिर सोमनाथ ने उसके पेटीकोट को बीच में से काटना स्टार्ट किया और उसके पूरे पेटीकोट को काटकर जैसे ही दोनों पल्लों को अलग अलग खोलकर फैलाया तो उसकी बेटी की नंगी जवानी उसकी आंखों के सामने थी।


उसका कलेजा मुंह को आ गया आंखें फैल गई क्योंकि उपासना चीज ही कुछ ऐसी थी ।
उपासना की चूत तो उसे दिखाई नहीं दी क्योंकि उसकी चूत पर झांटे नहीं पूरा जंगल था। काली काली झांटों में ढकी, उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच उसकी जवानी में चार चांद लगा रही थी उसकी चूत।

सोमनाथ ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चूत की तरफ ले जाना शुरू किया तो उसकी चूत से उसे मादक खुशबू आई और उपासना को भी अपनी झांटों भरी चूत पर गर्म गर्म सांसे महसूस हुई लेकिन तभी अचानक सोमनाथ का फोन पर वाइब्रेशन शुरू हो गया।

सोमनाथ ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।


सोमनाथ फोन उठाते हुए बोला- कैसे फोन किया समधी जी।

दूसरी तरफ से धर्मवीर कुछ बोला ___________ जो कि उपासना को सुनाई नहीं दे रहा था ।

फिर सोमनाथ ने रिप्लाई किया - पूजा नखरे कर रही है यह उसकी आदत है जब वह खुल जाएगी तो बेशर्मी पर उतर आएगी ।

यह सुनकर उपासना समझ गई कि धर्मवीर के रूम में पूजा नखरे कर रही है और धर्मवीर भी उसे चोदने की कोशिश कर रहा है और एक मैं हूं कि बिल्कुल भी नखरे नहीं कर रही हूं फिर भी अभी तक लंड नसीब नहीं हुआ।


तभी सोमनाथ ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था उपासना का जिस्म बिल्कुल वैसा ही है।

धरवीर- ____________।


सोमनाथ - नहीं मैंने नंगी कर दिया है मेरे सामने बेड पर नंगी पड़ी है ।

धर्मवीर_____________।



सोमनाथ - आज तो उसकी चूत को पी जाऊंगा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।

धर्मवीर - ____________ ।

सोमनाथ - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कुत्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।

धर्मवीर __________

सोमनाथ - क्या समधी जी 10:00 बजे तक चोदना है क्या पूजा को ओके। कोई बात नहीं उपासना की चूत को भी मैं सुबह 10:00 बजे तक ही बजाऊंगा ।

ऐसा कहकर सोमनाथ ने फोन रख दिया ।

उपासना को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटियों के बारे में कर रहा है। अपने बाप और ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ ।

सोमनाथ ने झुक कर उपासना के पैरों को चूमना शुरू किया।

उपासना का दिल धक-धक करने लगा अब तो वह अपने बाप के आगे बिल्कुल नंगी पड़ी थी और। उसके पैरों को उसका बाप चाट रहा था।
फिर चाटते चाटते सोमनाथ घुटनों तक आया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को आराम से सहलाता हुआ उसकी जांघों को चाटने लगा ।

उसकी जांघों पर चुम्मा की बरसात करते हुए अब उसकी सांसे उपासना की चूत से टकराने लगी ।
सोमनाथ ने उपासना की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया।
जैसे ही सोमनाथ की नाक पूजा की चूत से टच हुई पूजा के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।

उधर सोमनाथ को भी अपनी नाक पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ

सोमनाथ ने अपने हाथ की उंगली को उसकी चूत पर झांटों को हटाकर फेरना शुरू किया तो उसकी उंगली पर लसलसा सा पानी आ गया।

सोमनाथ का माथा ठनका।
सोमनाथ ने मन ही मन कहा यह क्या? मतलब उपासना जाग रही है, मतलब उपासना गर्म हो रही है , मतलब उपासना की चूत पानी छोड़ रही है।
और ऐसा सोचते हुए कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गयी फिर सोमनाथ ने इस बात का फायदा उठाते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू किया।
यह सब उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर था लेकिन फिर भी वह अपनी आंखें मींचकर लेटी रही ।
उपासना की मोटी मोटी जांघो में सोमनाथ का चेहरा बहुत ही छोटा सा दिख रहा था । उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच फूली हुई झांटों से ढकी हुई चूत पर मुह लगाना सोमनाथ को जन्नत की सैर करा रहा था।


उसकी चूत के बालों को हटाकर व उसके चूत के दाने को चूसने लगा ।

चूत के दाने पर हुआ यह हमला उपासना के लिए कम नहीं था उसके हाथों ने बेडशीट को मुट्ठी में भर लिया और वह नियंत्रण में रहने की कोशिश करने लगी।

उपासना की चूत को चाटते हुए जब सोमनाथ को 10 मिनट हो गए ।
जब जी भर के चूत को चाट लिया तब अपना मुह हटाया ।
उपासना की चूत के पानी से सना हुआ अपना चेहरा उसने उपासना की जांघो से पोंछकर साफ किया और बेड पर खड़ा हो गया ।


फिर धीरे से सोमनाथ उपासना के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत ही धीरे से बोलने लगा उपासना के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू ।

उपासना की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।



सोमनाथ में फिर बोलना शुरू किया तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊंगा बनाऊंगा कि इस चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा ही दिखेगा ही दिखेगा उपासना के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित समझा।

सोमनाथ ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में।
पूरा दिन अपनी गांड को मेरे आंखों के आगे मटकाकर घूमती है ना तू । आज निकालता हूं तेरी गांड की मस्ती। तुझे देख कर ही मेरा लंड ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।

आज तेरी वह हालत करूंगा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कुतिया है ।
अपना ये कुतियापना दिखाना आज ।
रात भर मैं तेरी चूत चूत कूटने वाला हूं उपासना । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे फैला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।
तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कुतिया ।

उपासना यह सब सुनकर सहम गई । लेकिन उसे इसमे कुछ आनंद का अनुभव भी हो रहा था । तभी सोमनाथ हट गया वहाँ से ।

उपासना को समझ नहीं आया उसका बाप क्यों हट गया।

उसने हल्की सी आंखें खोली और देखा जैसे ही दोस्तों उपासना ने हल्की सी आंखें खोली तभी अचानक से उसने अपनी आंखें वापस बैंड कर ली ।
क्योंकि उसने नजारा ही कुछ ऐसा देखा था उसने देखा था कि उसका बाप बेड पर खड़ा होकर उसके दोनों तरफ पैर रखकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बैठ रहा है और उसका काला लटकता हुआ लंड धीरे-धीरे उपासना को अपने चेहरे की तरफ आता हुआ दिखाई दिया था ।
जिस वजह से उसने तुरंत आंखें वापस बंद कर ली थी और वह समझ गई सोमनाथ का लंड अब उसके मुंह पर आएगा।


इसलिए उसके होंठ धीरे-धीरे कांपने लगे उन थरथराते हुए होठों को देखकर अचानक सोमनाथ रुक गया, और उसके सीने पर झुक कर उसके होंठो को ध्यान से देखने लगा।
अपनी शादीशुदा बेटी के लाल लिपस्टिक से रचे होंठ धीरे-धीरे कांप रहे थे । उपासना के होंठ सोमनाथ को बहुत ही प्यारे लगे लेकिन उन होठों को चूसने से पहले उन होंठो पर अपना लंड रखना चाहता था सोमनाथ इसलिए उसने अपने लंड को उपासना की चीन पर रखा।

उपासना अपने आप को नियंत्रण में रखने की भरपूर कोशिश कर रही थी।

फिर अचानक अपने बाप के लंबे लौड़े की गंध उपासना को अपने नथुनों में महसूस हुई वह मदहोश हो गई उस लैंड की गंद लेकर।

तभी उपासना के होठों पर सोमनाथ ने अपने लंड का सूपाड़ा रख दिया।

सोमनाथ का लंड पूरी औकात में खड़ा था उसकी बेटी के होंठ लंड के नीचे दब गए ।
सोमनाथ में अपना लंड थोड़ा दबाया और लंड का सुपाड़ा होंठो के बीचो बीच जगह बनाने लगा ।

उपासना समझ गई कि बिना मुंह में लंड डाले उसका बाप नहीं मानेगा।

और सोने का नाटक वह करे भी तो कब तक लेकिन उसने सोचा जब तक चलता है इस नाटक को चलने दो।

इस तरह दबने से उसके होंठ धीरे-धीरे खुल गए अब तो उपासना के दोनों होंठ लंड के सुपाड़े पर चढ़ चुके थे।
सोमनाथ में हल्का सा दबाव दबाव और बनाया तो उपासना का मुंह चौड़ा होता चला गया क्योंकि सोमनाथ के लोड़े सुपाड़ा उपासना के मुंह में था।
यह बात सोमनाथ भी जानता था कि उपासना जगी हुई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही है इसलिए अब उसे कोई डर नहीं था ।

उसने अपना लंड पर और दबाव बनाया तो आधा लंड उपासना के मुंह में चला गया और आधे लंड से ही उसका मुंह पूरा भर गया था ।

अपने लंड को आधा ही उसके मुंह में अंदर-बाहर करने लगा और एक हाथ उपासना की चूत पर ले जाकर उसे सहलाने लगा।

सोमनाथ में देखा की उपासना की चूत का पानी जांघों से होते हुए उसके गांड के छेद तक गीला करता हुआ बेडशीट पर गिर रहा है ।

सोमनाथ समझ गया कि अब चोट करने का सही समय है ।
उसने लंड पर और दबाव बनाया और ध्यान से उपासना की चेहरे की तरफ देखने लगा ।

सोमनाथ लगातार उपासना के चेहरे की देख रहा था इसलिए उपासना आंखें तो नहीं खोल सकती थी ।
उपासना ने अपनी आंखें बंद किए हुए ही हल्की सी गों-गों की आवाज की जिससे सोमनाथ समझ गया की लंड हलक तक चला गया है लेकिन अभी भी आधे से थोड़ा कम लंड बाहर था।


सोमनाथ ने उपासना के गालों को सहलाया और आखिरकार लंड का एक झटका उसके मुंह में मार ही दिया।
पूरा लौड़ा उपासना के मुंह में चला गया लेकिन क्या कहने दोस्तों उपासना ने भी हद ही कर दी अपने बाप का लौड़ा हलक तक मुंह में लेकर भी बंदी सोने का नाटक कर रही थी ।
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे लेकिन आंखें कुतिया की तब भी बंद थी।

सोमनाथ ने 8-10 झटके उसके मुंह में मारे और उसके मुंह को चोद कर झटके से लंड बाहर कर दिया ।
उपासना के मुंह से थूक की लार लंड के साथ खींचती हुई चली गई।

अब सोमनाथ उपासना की दोनों जांघों के बीच आकर बैठा और उसकी जांघों को मोड़ कर उसकी छातियों से लगा दिया ।

क्या नजारा था दोस्तों चौड़ी चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघों के बीच खिला हुआ वह चूत का जंगल मानो पुकार रहा था सोमनाथ के हल्लाबी लौड़े को।

सोमनाथ में जांघो को मोड़ कर चुचों से लगाया और अपने लंड का टोपा उपासना की चूत पर रखा ।
उपासना तो इस हमले के लिए तैयार थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमला कितना घातक होगा।

उपासना ने सोचा था कि सोमनाथ धीरे-धीरे लौड़ा लौड़ा उसकी चूत में सरकायेगा लेकिन हद तो तब हो गई दोस्तों जब सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर लंड को एक ही झटके में आधे से ज्यादा लौड़ा उपासना की चूत में उतार दिया ।
चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में, गर्म भट्टी भट्टी में फंसा हुआ सोमनाथ का लंड और भी ज्यादा फूल गया।

और जैसे ही यह झटका उपासना की चूत पर पड़ा उपासना के मुंह से बहुत ही जोर से चीख निकली , जिससे पूरा कमरा गूंज गया । उसके मुंह से iiiiiiiiieeeeeeeeee mar gyi बहुत तेज चीख निकली थी दोस्तों जिसे सुनकर एक बार के लिए सोमनाथ भी घबरा गया ।

लेकिन वह जानता था इस घोड़ी को काबू इसी तरह किया जा सकता है।

उपासना अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलने लगी लेकिन यह क्या तभी सोमनाथ में दूसरा झटका उसकी चूत में पूरी जान लगा कर मारा अब तो पूरा लौड़ा उपासना की चूत में फंस गया ।
यह दर्द उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया उसने एक साथ चीख कर कहा कर कहा - बेटी की चूत को फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।

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आगे की कहानी next update में ।
दोस्तों कहीं कोई कमी लगे तो बताना ।
साथ बने रहने के लिए और आपके प्यार के लिए धन्यवाद मेरे चोदू भाइयो और चुदक्कड़ बहनों ।

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आअह्ह्ह जब तुम ने चुदक्कड भाई बोल ही दिया है तो किसी बहन की चूत भी दिलवा दो।
 
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