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Shayari शायरी और गजल™

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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मद्धम हुई तो और निखरती चली गई।
ज़िंदा है एक याद जो मरती चली गई।।

थी ज़िंदगी की मिस्ल शब-ए-हिज्र दोस्तो,
और ज़िंदगी की मिस्ल गुज़रती चली गई।।

हम से यहाँ तो कुछ भी समेटा न जा सका,
हम से हर एक चीज़ बिखरती चली गई।।

आए थे चंद ज़ख़्म गुज़र-गाह-ए-वक़्त पर,
गुज़री हवा-ए-वक़्त तो भरती चली गई।।

इक अश्क क़हक़हों से गुज़रता चला गया,
इक चीख़ ख़ामुशी में उतरती चली गई।।

हर रंग एक रंग से हम-रंग हो गया,
तस्वीर ज़िंदगी की उभरती चली गई।।

_______अमीर इमाम
 
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TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
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मैं ढूँडता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता।
नई ज़मीन नया आसमाँ नहीं मिलता।।

नई ज़मीन नया आसमाँ भी मिल जाए,
नए बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता।।

वो तेग़ मिल गई जिस से हुआ है क़त्ल मिरा,
किसी के हाथ का उस पर निशाँ नहीं मिलता।।

वो मेरा गाँव है वो मेरे गाँव के चूल्हे,
कि जिन में शोले तो शोले धुआँ नहीं मिलता।।

जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ,
यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता।।

खड़ा हूँ कब से मैं चेहरों के एक जंगल में,
तुम्हारे चेहरे का कुछ भी यहाँ नहीं मिलता।।

_______कैफ़ी आज़मी
 
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TheBlackBlood

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Supreme
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इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े।
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े।।

जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क,
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े।।

इक तुम कि तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ है,
इक हम कि चल पड़े तो बहर-हाल चल पड़े।।

साक़ी सभी को है ग़म-ए-तिश्ना-लबी मगर,
मय है उसी की नाम पे जिस के उबल पड़े।।

मुद्दत के बा'द उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े।।

_______कैफ़ी आज़मी
 
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TheBlackBlood

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Supreme
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शोर यूँही न परिंदों ने मचाया होगा।
कोई जंगल की तरफ़ शहर से आया होगा।।

पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था,
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा।।

बानी-ए-जश्न-ए-बहाराँ ने ये सोचा भी नहीं,
किस ने काँटों को लहू अपना पिलाया होगा।।

बिजली के तार पे बैठा हुआ हँसता पंछी,
सोचता है कि वो जंगल तो पराया होगा।।

अपने जंगल से जो घबरा के उड़े थे प्यासे,
हर सराब उन को समुंदर नज़र आया होगा।।

_______कैफ़ी आज़मी
 
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TheBlackBlood

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Supreme
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दरिया-ए-शब के पार उतारे मुझे कोई।
तन्हाई डस रही है पुकारे मुझे कोई।।

गो जानता हूँ सब ही निशाने पे हैं यहाँ,
पागल हूँ चाहता हूँ न मारे मुझे कोई।।

मुट्ठी सदफ़ ने भेंच रखी है कि छू के देख,
मोती पुकारता है उभारे मुझे कोई।।

काँटों में रख के फूल हवा में उड़ा के ख़ाक,
करता है सौ तरह से इशारे मुझे कोई।।

अब तक तो ख़ुद-कुशी का इरादा नहीं किया,
मिलता है क्यूँ नदी के किनारे मुझे कोई।।

बिखरा हुआ हूँ वक़्त के शाने पे गर्द सा,
इक ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन हूँ सँवारे मुझे कोई।।

_______मुज़फ्फ़र हनफ़ी
 
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TheBlackBlood

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तूफ़ान-ए-बला से जो मैं बच कर गुज़र आया।
वो पूछ के सहरा से पता मेरे घर आया।।

आग़ाज़-ए-तमन्ना हो कि अंजाम-ए-तमन्ना,
इल्ज़ाम बहर-ए-हाल हमारे ही सर आया।।

इस में तो कोई दिल की ख़ता हो नहीं सकती,
जब आँख लगी आप का चेहरा नज़र आया।।

बस्ती में मिरी कज-कुलही जुर्म हुई है,
देखूँगा अगर अब कोई पत्थर इधर आया।।

आया तिरी महफ़िल में जो भूले से मिरा नाम,
आँखों में ज़माने की वहीं ख़ून उतर आया।।

ऐसा भी कहीं तर्क-ए-तअल्लुक़ में हुआ है,
नामा कोई आया न कोई नामा-बर आया।।

फ़न है वो समुंदर कि किनारा नहीं जिस का,
डूबा हूँ 'मुज़फ़्फ़र' तो मिरा नाम उभर आया।।

______मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
 
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TheBlackBlood

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यूँ तोड़ न मुद्दत की शनासाई इधर आ।
आ जा मिरी रूठी हुई तन्हाई इधर आ।।

मुझ को भी ये लम्हों का सफ़र चाट रहा है,
मिल बाँट के रो लें ऐ मिरे भाई इधर आ।।

ऐ सैल-ए-रवान-ए-अबदी ज़िंदगी नामी,
मैं कौन सा पाबंद हूँ हरजाई इधर आ।।

इस निकहत-ओ-रानाई से खाए हैं कई ज़ख़्म,
ऐ तू कि नहीं निकहत-ओ-रानाई इधर आ।।

आसाब खिंचे जाते हैं अब शाम ओ सहर में,
होने ही को है मारका-आराई इधर आ।।

सुनता हूँ कि तुझ को भी ज़माने से गिला है,
मुझ को भी ये दुनिया नहीं रास आई इधर आ।।

मैं राह-नुमाओं में नहीं मान मिरी बात,
मैं भी हूँ इसी दश्त का सौदाई इधर आ।।

________मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
 
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Sanki Rajput

Abe jaa na bhosdk
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TheBlackBlood bhaya idhar ko mai bhi apni likhi hui aur manpasand shayriya aur kuch alfazz jo dil ko mantra mugdh krde likhna chta hu to kya mughe anumati hai,waise mai puch to sirf formality ke liye raha tha kyunki apne to pahle hi suruat me bol diya hai to ab mai bhi suru krdeta hu likhna
 
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Sanki Rajput

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Kisne kaha nasha sharab deti hai,
Mughse puch kr to dekho janaab,

Nasha to unki nain-e-nashk me thi,
Uski jhulfe to nashe ki paigam laayi thi,

Ab kya kahu unki taarife krte krte to aaj bhi n thakte ham,

Lekin ab kya jab hum nashe krte to sharab bhi fiki pad jaati,
uss bewafa ke nafrati yaad me.......!!


(By S.R)
 

Sanki Rajput

Abe jaa na bhosdk
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They are burning inside heart,

Falling with a love is easy but carry on is stiff,

They getting curious for love,

That's emotion just that emotion is getting changing into dense love,

It's falling in that beautiful emotion that is not be easy,

"But trust me it is love that is totally depend upon on trust and bondness of emotions,

It is full of happiness until you not getting die,

Love is that wonder that is not god gifted,

It's created from heart"**

(By S.R)
 
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