पहले नादान था ये दिलं अब थोडा मतलबी होने लगा है,..
तु खुद नहीं जानता तूने मेरे इश्क को कीतना अधुरा छोडा हैं....
बोहत खास होती है ईझहार के बाद की पहली मुलाकात,
तूने उस मुलाकात की आस में मुझे तडपता छोडां हैं...
तु खुद नहीं जानता तूने मेरे इश्क को कितना अधूरा छोडा हैं...
तुझसे तेरे अलावा कुछ और मांगा ही नहीं था,
तूने उस मांग को आधा अधुरा छोडा हैं...
तु खुद नहीं जानता तूने मेरे इश्क को कितना अधुरा छोडा हैं...
आखों में बसाया था तुझे हर पल,
तुने आखो से झलकता हर पल एक अश्क छोडा हैं...
तु खुद नहीं जानता तूने मेरे इश्क को कितना अधुरा छोडा हैं...