• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    7
  • Poll closed .

Lib am

Well-Known Member
3,257
11,242
143
अंश निर्माण

सैतानासुर को छोड बाकी सभी छात्र चले गये तब, सैतानासुर को शुक्राचार्य ने कहा," तुम ऐसा कर सकते हो, परन्तु तुम्हें इसके लिये लोगों से भीषण पाप करवाने होंगे, वह भी इस तरह से की वह सब उनकी इच्छा से हो।"



तभी सैतानासुर ने कहा, "वह कैसे गुरुदेव?"



शुक्राचार्य,"तुम महिलाओं के मन में अपने प्रति वासना जगा कर उनके साथ संबंध स्थापित कर उनका पतिव्रत धर्म भंग कर सकते हो, और हो सके तो उनका संबंध अगर पुत्र के साथ स्थापित हो तो तुम अपना अंश उन वस्तुओं में डाल सकते हो।"



सैतानासुर ने विचलित होकर पूछा," अपना अंश बनाना तो छोडिये, पहले यह बताईये की मै किसी महिला का संबंध उसके पुत्र से कैसे कराये"



मुस्कराकर शुक्राचार्य ने उत्तर दिया," यह लो यंत्र, यह तुम्हारे पिता को वरदान में मिला था, इसी की सहायता से तुम्हारे पिता ने अपने और देवी रति के मिलन से तुम्हें जन्म दिया।"



सैतानासुर उस यंत्र को लेकर वन में एक तालाब पास चला गया। उसने अपना वह यंत्र गले में पहना और उसकी शक्ति को परखने के लिये उसने कहा,"हे यंत्र मै कामुकता और संभोग की देवी रति के साथ संभोग का अभिलाषी हुं।"




इतना कहते ही वहाँ का जैसे वातावरण ही बदल गया, मंद और शीतल हवा चलने लगी, डाल डाल पर फूल खिल कर महकने लगे। पानी में भी मछलियाँ आनंद में



योन क्रिया करने लगी, यहाँ पक्षी भी अपने साथी के साथ मन मोहक प्रेम क्रीड़ा करने लगे। सामने फूलों पर चलते हुये एक नारी तालाब के किनारे आकर बैठ गई, उसने साड़ी पहन रखी थी और साथ में अपने स्तनों को एक चोली से बांध रखा था। उसकी कध काठी पतली मगर उरोज और नितम्ब भरे हुये थे, पेट सपाट तथा कमर पतली थी, उसी पेट पर साड़ी से थोड़ा उपर उसकी नाभि उसकी सुंदरता में भर डाल रही थी।



सैतानासुर ने उसे पूछा,"देवी आप कौन है?"



रती बोली,"हम देवी रती है।"



सैतानासुर देखता ही रह गया।



तभी देवी रती ने सामने आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और वह हाथ उसके हाथ को अपने हाथ से सहलाते हुये उसके पंजे तक ले गई और उसे पकड़कर



अपनी कमर पर रख दिया। सैतानासुर बोला, "माँ, मै यह नहीं कर सकता, मै आपका पुत्र हूँ, यह गलत है।"



रति हंसते हुये बोली,"इसलिए तो तुम्हें संसार का गूढ़ रहस्य, काम शास्त्र के बारेमें पढ़ा रही हुं।"



सैतानासुर , "परन्तु, आप मेरी माता है, मै आपके साथ इसका अभ्यास कैसे करुंगा ?"



रति ने उसे पूछा, " शुक्राचार्य ने तुम्हें क्या क्या सिखाया है?"



सैतानासुर," उन्होंने मुझे शस्त्र और शास्त्रों का ग्यान दिया है।"



रति,"तो क्या तुमने उनके साथ द्वंद या शास्त्रार्थ नहीं किया।"



सैतानासुर ने कहा," हा माता, किया है उससे अभ्यास होता है।"



रति, " तो इसे भी अभ्यास समझकर ही करो।"



कूटील मुस्कान देते हुये सैतानासुर बोला,"माता अभ्यास तो बार बार लगातार करना पड़ता है।"



रति ने शर्माकर अपनी आंखें नीचे झुका ली, सैतानासुर ने अपना दूसरा हाथ भी उसकी कमर पर रखा और उसे जोर से अपने करीब खींचा।रति ने अपने शरीर को पीछे की और झूकाया, इससे उसका चेहरा सैतानासुर के सामने आ गया, उसने अपने हाथ उसके कंधों पर रखे और उसे अपने करीब लाकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, और अपने होंठों से उसके होंठ दबाने लगी। सैतानासुर भी उसका साथ देने लगा, दोनों अपने अपने हाथ एक दुसरे की पीठ पर घुमाने लगे, सैतानासुर ने उसके चोली के कपड़े की गांठ खोल दी, जिससे वह कपड़ा नीचे गिर गया और देवी रति के स्तन सैतानासुर के सामने खुलकर बाहर आ गये। देवी रति ने चूम्बन छोड़कर उसके कान में कहा, "इसे मुग्ध-नायिका-चूम्बन कहते है।"



वह पीछे मूड गई, सैतानासुर ने उसकी कमर पर हाथ रखा और उसे अपने नजदीक खींचकर अपनी बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन चूमने लगा। रति ने उसके दायें हाथ को पकड़कर अपने स्तन पर रखा रति के स्तन काफी भरे हुये और सक्त थे, तभी सैतानासुर ने उसकी कमर पर हाथ घुमाते हुये, साड़ी को उसकी कमर से खोल दिया जिससे उसकी साड़ी छूटकर नीचे गीर गई और वह पूरी तरह से नग्न हो गई। तभी सैतानासुर ने अवसर देख अपना लिंग रती की योनी पर रखकर एक तेज धक्का दिया जिससे उसका लिंग रति की योनी में चला गया। रति,"आआआआआआआआहाहाहाहाहाहा करके" चीखने लगी, सैतानासुर अपना लिंग दो घंटे तक अंदर बाहर करता रहा आखिरकार दोनों एक साथ झड़ गये,सैतानासुर ने उसके वीर्य से रति की योनी को भर डाला। रति वहाँ से लुप्त हो गई मगर उसके और सैतानासुर के मिलन से एक उर्जा मंडल तैयार हुआ जो धरती के उपर गिरता तो उससे बालक जन्म ले लेता, मगर सैतानासुर ने उस अंश को पकड़कर उसे अपने हार में डाल दिया, और वहाँ से चला गया। गुरुकुल जाकर उसने यह बात शुक्राचार्य को बता दी, शुक्राचार्य प्रसन्न होकर बोले,"अति उत्तम वत्स! तुमने वह अंश प्राप्त कर लिया है, अब इसकी सहायता से तुम अपने बाकी अंश भी निर्माण करोगे।"



सैतानासुर, "वह कैसे गुरुदेव?"



शुक्राचार्य ,"इसमें अब तुम्हारे और तुम्हारी माता राति के संभोग से बना एक पापी और अंधकारी अंश है, यह अंश इतना प्रभावी है की इसका धारक भी कामातुर होगा, इतना की अपनी माता, बहण, पुत्री, पुत्रवधु या कोई भी स्त्री हो, उसके मन में कमवासना का ही भाव आएग और यह यंत्र उसका कार्य सरल कर देगा।"



सैतानासुर,"तो गुरुदेव इससे मेरा अंश निर्माण कैसे होगा?"



शुक्राचार्य ने सैतानासुर से कहा,"यदि कोई तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हारी इस माला का उपयोग करेगा, तो उसके अंदर तुम्हारी आत्मा प्रवेश करेगी और संभोग पूर्ण होने के बाद पूरुष के शरीर में जो विस्फोट होगा, उस रक्त को अगर किसी वस्तु पर डाला जाय तो उस वस्तु मैं भी तुम्हारा अंश बस जायगा, अगर भविष्य में कोई तुम्हारी पूजा और साधना करेगा, और अगर उससे पुत्र या पुत्री प्राप्त हुई तो वह तुम्हारी पुत्री होंगी, और उन्होंने अगर आपसमें संभोग कर पुत्र प्राप्त किया तो तुम उस शरीर में प्रवेश कर सकते हो और तुम तुम्हारे पुत्रों पर वश कर सकते हो, परंतु धारक तुम्हारा पुत्र नहीं हुआ तो तुम्हें उससे सौदा कर उसकी सहायता लेनी होंगी।"



शुक्राचार्य ने सैतानासुर से कहा,"परंतु अगर तुम्हारी आत्मा ने अगर गलत देह में प्रवेश किया, तो तुम्हारे अंदर जो विस्फोट होगा उससे उस शरीर के साथ वह अंश भी नष्ट हो जायगा और यदि किसीने वह सारे अंश नष्ट कर दिए तो तुम कभी पुनः जीवित नहीं हो पाओगे।."



कथा समाप्त होते ही तरुण ने आयने से पूछा," यह सब पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में क्यों नहीं है?"



आयने ने कहा,"अगर कोई देवता किसी मनुष्य स्त्री के साथ संबंध बनाकर पुत्र देता है तो कोई बात नहीं, परंतु यदि कोई असुर पूरुष किसी देवी के साथ करेगा तो वह उनकी सबसे बड़ी पराजय होंगी, इसीलिए इसका उल्लेख कही भी नहीं।"
बहुत ही अच्छा अपडेट है बीच में एक अपडेट गायब है क्या उसको रिपोस्ट किया जा सकता है। क्या तरुण को सैतानासुर और उसके अंशो को समाप्त करने के लिए ही शक्तियां प्रदान की गई है।
 

Kamuk219

Member
265
414
64
बहुत ही अच्छा अपडेट है बीच में एक अपडेट गायब है क्या उसको रिपोस्ट किया जा सकता है। क्या तरुण को सैतानासुर और उसके अंशो को समाप्त करने के लिए ही शक्तियां प्रदान की गई है।
गायब अपडेट पढ़ने के लिए यहा पर क्लिक करे
तरुण को शक्तिया दी नहीं गई वह उसे मिली है, तरुण सैतानासुर से शक्तिशाली है, लेकिन उसे उन अंशों को बिना किसी शक्ति का उपयोग करके नष्ट करना होगा।
 

Napster

Well-Known Member
3,940
10,823
143
Part 2

UPDATE 3
अगली सुबह तरुण की नींद खुल गई, सुबह के सात बजे थे। तरुण ने उठकर देखा तो तेजल उसके बगल में नहीं थी। वह उठकर शौचालय चला गया, हल्का होकर बाहर निकला और हाथ धोकर और ब्रश करके रसोई में गया वहां तेजल पहले से ही तैयार होकर खाना बना रही थी। वह उस दिन कुछ अलग लग रही थी। उसने एक बेकलेस स्लिव लेस डीप थ्रोट का नीला ब्लाउज पहन रखा था, उसपर उसने नीले रंग का लेहेंगा नाभि से नीचे और एक नीले रंग की पतली पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। इसमें उसकी कमर के घुमाव बडे ही आकर्षक लग रहे थे।
531a966b33b17e6c7f40e47d4a485ccb.jpg

तरुण ने पीछे से जाकर उसे कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, तेजल शर्माकर लाल हो गई और बोली,"छोड़ो ना! ये क्या कर रहे हो?"
तरुण, "कल रात को जो हुआ उसके मुकाबले तो यह कुछ भी नहीं है।"
तेजल फिर से तरुण के लिंग तथा उसके अंदर जानेवाले एहसास की कल्पना करने लगी तरुण ने उसके नितम्ब पर एक फटकार चलाकर उसे होश में लाया। वह अब सिर्फ तरुण को मुस्कराकर देख रही थी। तब तरुण की जे ई ई की मेन्स परीक्षा थी। थोड़ी देर बाद तरुण को लेने राज और कोमल आ गये। कोमल गाड़ी चला रही थी, क्योंकि तरुण और राज के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तरुण अपने साथ ज्वालामुखी को भी ले आया था ताकि वह चारों एक साथ जा सके महाविद्यालय एक होने के कारण सभी का नंबर एक ही केन्द्र पर आया था। वह किसकी कितनी पढाई हुई है इसपर बातें कर रहे थे तब,
कोमल ने कहा," तुम्हारी कितनी पढाई हुई है? मेरी सारी हो चुकी है।"
राज,"कुछ खास नहीं, सो सो "
ज्वालामुखी,"मेरी इतनी हुई है की 40% तक मिल सकते है।"
तरुण," मेरी सारी हो चुकी है।"
कोमल," ऐसा क्या ?"
तरुण ," हाँ ।"
कोमल,"कुछ भी मत फेंक?"
तरुण ,"फेंक नहीं रहा हुं, सच में हुई है।"
कोमल," तो फिर लगी शर्त, अगर मुझे ज्यादा मिले तो तुम दस दिनों के लिये मेरे गुलाम।"
तरुण ,"अगर, मुझे ज्यादा मिले तो?"
कोमल,"तो दस दिनों के लिये, मैं तुम्हारी गुलाम,जो तुम कहोगे मै करूंगी, कुछ भी!"
तरुण ,"डन!"
कोमल,"डन!"
वह जल्दी ही वहां पहुंच गये। इस बार परीक्षा अॉनलाईन थी, जिस वजह से पेपर खत्म होते ही रिजल्ट आ गया सब आकर अपना अपना रिजल्ट दिखाने लगे।
राज,"मुझे 80/360 मिले है।"
ज्वालामुखी ," मुझे 83/360 मिले है।"
कोमल,"मुझे 120/360 मिले है, तुम्हें कितने मिले तरुण?"
तरुण,"खुद देख लो।"
तरुण के गुण देखकर सबके होश उड़ गये, उसे सीधे 360/360 मिले थे। तरुण ने कहा,"अपनी शर्त तो याद है ना कोमल तुम्हें?"
तरुण से यह सुनकर कोमल डर गई और कांपती हुई बोली ,"क्या करना होगा अब?"
तरुण,"घर जाते जाते बता दूंगा।"
वह सब अब गाड़ी में बैठ गये, ज्वालामुखी और राज पीछे बैठ गये, तरुण कोमल के साथ आगे बैठ गया, कोमल ने गाड़ी शुरू की, और थोड़ी देर बाद सब तरुण के घर पहुंच गये और तरुण के और ज्वालामुखी के घर पहुंच गये। ज्वालामुखी अपने घर चली गई और चंद्रमुखी ने तरुण को कहा की तेजल कुछ दस ग्यारह दिनों के लिये गांव चली गई है ,और अगर वह चाहे तो रात को उनके घर सो सकता है। इतना कहकर चंद्रमुखी ज्वालामुखी को साथ लेकर चली गई।
तभी राज ने कहा, "चलो कोमल, अब हम भी घर चले।"
तरुण ने कोमल का हाथ पकड़ लिया, और कहा,"तुम जाओ राज, कोमल मेरे साथ रहेगी अगले दस दिनों तक मेरी गुलाम बनकर।"
राज हंसते हुये बोला," क्यों मजाक कर रहा है यार? आने दे उसे।"
तरुण ने कोमल को जोर से अपने नजदीक खींचकर अपना हाथ उसकी कमर में कसकर कहा,"मजाक नहीं कर रहा हूं, इसने शर्त लगाई थी और हार गई।"
तब राज सोचकर बोला,"देख तरुण, मेरे पास लायसन्स नहीं है, कोमल को मेरे साथ आना ही होगा।"
तरुण बोला,"चलो फिर मै भी आता हूं मगर तेरे घर जाने के बाद इसे मेरे साथ मेरे घर आना होगा।"
तब तीनों गाड़ी में बैठकर राज के घर चले गये, राज के घर पहुंचने के बाद सब गाड़ी से उतर गये। राज का घर एक बंगलौ था उसमें एक रसोईघर, पांच कमरे, एक बैठक, और एक गेस्ट रूम था।
वो तीनों दरवाजे पर गये और घंटी बजाई थोड़ी देर बाद राज की माँ सरिता शर्मा ने दरवाजा खोला,
सरिता शर्मा राज शर्मा की माँ थी।
उसका कध पांच फुट चार इंच का था।
उसका सीना ३६
कमर ३०
और नितम्ब ३६
पेट उम्र की वजह से थोड़ा आगे था मगर उसका गोरा रंग उसके रुप को संगमरमर की मूर्ति की तरह दर्शाता था
images.jpg


सरिता ने सबको अंदर बुलाया, और बैठने को कहा। सब बैठ गये और सरिता टीवी चालू करके रसोई में चली गई। तब कोमल राज से कहने लगी," राज कुछ करो इसका!"
राज," तुम चिंता मत करो, मै कुछ करता हुं।"
तभी सरिता राज को अंदर से आवाज लगाती है,"बेटा राज, जरा यहां आना।"
तभी राज उठकर रसोई में चला जाता है। और अब तरुण और कोमल बैठक में अकेले थे। अब तरुण धीरे से कोमल की और खिसक कर उसके करीब आता है। और कोमल उससे दूर खिसकती है, इससे वह सोफे के हाथ के पास आ जाती है। अब वह ज्यादा दूर नहीं सरक सकती थी। इससे तरुण का काम आसान हो गया अब वह सरक कर कोमल के करीब आकर उससे सटकर बैठ जाता है। अब कोमल चैनल बदलती है, मगर तब कोई सी ग्रेड भोजपुरी फिल्म लगी हुई थी। टीवी पर एक काम उत्तेजित दृश्य शुरू होता है, वहां उसमें नायक नायिका के कपड़े उतार रहा होता है। कोमल को फिल्मों में बहुत ज्यादा रस था, और अक्सर ऐसे दृश्य उसे ज्यादा उत्तेजित करते थे, उसकी कामवासना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। तरुण को पता चल गया क्या करना है, वह अपना हाथ उसके पीछे सोफे पर रखता है।और धीरे से कोमल के सूट की पिछली चैन खोल देता है, और वह उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे सहलाता है। वह अब थोड़ी थोड़ी उत्तेजित होने लगती है। और तरुण की और देखती है। तरुण उसे वही जकड़ कर उसे चूमने लगता है। और वह उसका विरोध करती है मगर वह उसकी पकड़ के सामने कुछ भी नहीं था। अब उसका विरोध कम हो जाता है और तब तरुण उसके ब्रा का हुक खोल कर, उसके सूट नीचे कर उसके स्तन चूसने लगता है, अब वह उत्तेजित होने लगती है और विरोध छोड़ उसका साथ देने लगती है। तभी राज अंदर से तरुण को आवाज लगाता है, और तब दोनों रुक जाते है। और अपनी काम क्रीड़ा से बाहर आकर अपने कपड़े ठीक करते है।तरुण कोमल के सूट की झिप बंद कर, ब्रा उसके पर्स में छुपा देता है। और तरुण राज के पास चला जाता है। वहां राज तरुण को नल ठीक करने में सरिता की मदद करने कहता है, और कोमल के पास चला जाता है। वहां कोमल राज को लेकर अपने घर चली जाती है। और यहाँ तरुण एक झटके में ही तरुण बंद नल खोल देता है, जिस वजह से पानी की एक तेज धारा निकलकर सरिता पर उड़ती है और उसके सारे कपड़े भीग जाते है। सरिता अपना बदन सुखाने और अपने कपड़े बदलने अपने कमरे में चली जाती है। यहां पानी का दबाव कम हो जाता है क्योंकि मेन नल बंद था और यह सारा पानी पाईप में से ही आया था, तरुण ने जल्दी से नल बदल दिया और सरिता को बुलाने उसके कमरे की और चला गया वहाँ उसके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। तरुण सीधे अंदर चला गया वहाँ सरिता अपने कपड़े बदल रही थी, उसने अपनी साड़ी उतार के रखी थी और उसके ब्लाउज का पीछे वाला नाडा भी खुला हुआ था।

1628327832558.jpg

सरिता को ऐसे देख तरुण का लिंग फिर से खडा हो गया और उसका अंदर ही तम्बू बन गया।तरुण ने अब सरिता को पीछे से पकड़ लिया, और उसे किस गर्दन पर करने लगा। फिर वह सरिता की कमर से हाथ उसके ब्लाउज के अंदर ले जाता है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,इसलिए उसका हाथ सीधे उसके खुले स्तनों को स्पर्श करता है। वह थोड़ी गुस्से में तरुण से कहती है," तरुण छोड़! छोड़ ना!"
तभी उसका बड़ा लिंग और बड़ा होकर खड़ा हो जाता है तरुण ने अंदर ढीला कच्छा और उसके उपर एक पायजामा पहना होता है। जिस वजह से उसका लिंग आसानी से ज्यादा उपर आ जाता है,और सरिता की जंघा को पीछे से छूने लगता है। सरिता अब उसे अपनी जंघा पर महसूस करने लगी है, और तरुण का हाथ पकड़ कर उसे दबाने लगती है। सरिता यहा तरुण के लिंग के आकार का जायजा लगती है, तरुण का लिंग उसे काफी बड़ा लगता है। अब बडे लिंग का स्पर्श और तरुण के उसके स्तनाग्र पर मसलने की वजह से अब सरिता के मन में भी लड्डू फूटने लगे थे। अब वह उसका साथ तो नहीं दे रही थी मगर उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। असलियत में उसे भी कई दिनों से संभोग की इच्छा थी मगर उसके पति गिरधारी सिरीया में नौकरी करते थे, और साल में एक बार घर आते थे। और इस बार युद्ध जन्य परिस्थितियों के कारण वह तीन साल से, वही फस गये थे। जिस वजह से उसके मन में कामवासना की ज्वाला दबी हुई थी, आज उसका विस्फोट हो रहा था।
अब तरुण तेजी से अपना लिंग सरिता के नितम्ब पर घुमा रहा था, और स्तन पर मालिश भी तेज कर दी थी। सरिता कहने सिसकते हुये लगी,"तरुण अच्छा लग रहा है, करते रहो! करते रहो!"
तरुण ने अपने हाथ, जो ब्लाउज के अंदर थे तरुण ने उपर कर लिये जिस वजह से सरिता का ब्लाउज अब उतर गया। अब वह उपर से बिल्कुल नग्न थी, तरुण ने अब उसे अपनी और मोड़कर उसकी आंखों में देखा, उसके आंखों में थोड़ी सी शरारत थोड़ी सी शर्म थी, जिसके कारण उसकी आंखें नीचे जा रही थी। आंखें नीचे जाने की वजह से सरिता की नजर तरुण की पैंट पर पड़ी, वहां उसके लिंग ने बडा सा तम्बू बनाया हुआ था। पैंट पर पडे उभार को देखकर सरिता की आंखों खुली की खुली रह गई, वह लगातार तरुण के लिंग के उभार को देखती रही। उसके जो हाथ उसके स्तनों पर रखे हुये थे, वह अपने आप हटने लगे थे। सरिता अब तरुण के नजदीक आयी और वह थोड़ा सा नीचे झुककर अपने दोनों हाथों से तरुण के लिंग की लंबाई और और मोटाई का जायजा उसकी पैंट के उपर से ही लेने लगी। तरुण ने मौके का फायदा उठाकर सरिता के लेहंगे का नाडा खोल दिया, जिस वजह से सरिता का लेहंगा नीचे उतर गया और उसने अपने हाथ फिर से तरुण की पैंट से हटाकर अपनी योनी पर रखकर योनी ढक ली, और फिर एक बार शर्माकर आँखें बंद कर ली। तरुण ने अपने हाथों पर तेल लगाकर सरिता के स्तनों पर मालिश करने लगा। सरिता भी धीरे धीरे पीछे हटने लगी और तरुण उसकी तरफ और आगे बढ़ने लगा, आखिर में वह पलंग पर पीठ के बल लेट गई और तरुण उसके उपर आ गया, और अपने पैरों के बीच सरिता के पैर लेकर अच्छे से तेल लगाकर उसके स्तनों की मालिश कर रहा था, और अब तो उसने मालिश का जोर बढ़ा दिया था। जिससे सरिता अब संभोग के लिये बेताब थी उसने अपनी पैंटी को खुद नीचे कर दिया और अपनी टांगे फैलाने लगी, तरुण ने इशारा समझकर उसकी पैंटी उतार दी और अपनी पैंट और नीकर उतारकर सरिता के पैर खोल दिये, जिससे उसके सामने अब सरिता की योनी और गुद्द्वार आ गया। उसने अब अपने लिंग पर तेल लगाकर सरिता की योनी में डाल दिया सरिता चीखकर बोली,"कमीने! इतना बड़ा और इतना तेज डाल दिया राज के पापा का तो आधा भी नहीं है।"
तरुण बोला," मजा आया की नहीं?"
सरिता ,"पूरी चूत फट गई और..."
सरिता कुछ आगे बोलती इसके पहले तरुण ने सरिता के मुंह में अपना मुंह डालकर उसकी जबान पे अपनी जबान घुमाने लगा। और उसने स्तन की मालिश जारी रखी, और धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब सरिता को भी मजा आने लगा था, वह भी पूरी तरह तरुण का साथ दे रही थी। तरुण ने सरिता को अपने उपर ले लिया, सरिता अब जोश में आकार उछल उछलकर कर तरुण का लिंग अंदर बाहर ले रही थी, तरुण भी उसे नीचे से धक्के दिये जा रहा था। तरुण ने उसके स्तनाग्रों को मसला, और सरिता और उपर चली गई जिसकी वजह से नीचे आते वक्त लिंग और गहराई में चला गया और गर्भाशय के अंत तक चला गया,उसने राज के पिता गिरधारी का भी इतना अंदर नहीं लिया था, वह जोरों से चीखकर बोली,"हाय! मर गई! तरुण धीरे करो! बहुत मोटा है तुम्हारा...आ! आ!ई! ई!!!"
तरुण बोला,"आंटी, अभी तो आधा भी नहीं गया, अभी तो आपको मेरा पूरे दस इंच अंदर लेना है।"
सरिता घबराकर बोली,"नहीं!! इतना और अब तो आधा इंच भी ना जाये!!"
सरिता का इतना कहते ही पानी छूट गया और वह वही लेट गई, और मुस्कराकर तरुण से कहा," वाह! आज तो जैसे मजा ही आ गया।"
तरुण ने उनकी कमर पर हाथ रखकर कहा,"ऐसा है तो, और एक राउंड ले?"
सरिता बोली," नहीं बाबा नहीं! एक में ही हालत खराब हो गई,अब और नहीं।"
तरुण बोला,"वैसे अंकल के साथ कितनी देर करती है आप?"
सरिता बोली,"जवानी में एक दो घंटे आराम से चलता था,मगर अब वह आधा घंटा भी कर दे तो बहुत है।"
तरुण अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर, सरिता के नितम्ब पर ले जाकर दबाने लगता है।
सरिता कहती है,"वह भी साल में एक बार आते है, और अब पंद्रह मिनट में उनका निकल जाता है,और अगर बाहर कुछ किया, तो समाज थुंकेगा।"
तरुण पूछता है,"राज के साथ नहीं किया कभी?"
सरिता चौंककर बोली,"राज! मगर कैसे? वह तो बेटा है मेरा।"
तरुण सरिता के नितम्ब को सहलाकर बोला,"वैसे, मै भी आपके बेटे की उम्र का हुं, मेरे साथ किया तो उसके साथ करने में क्या हर्ज है?"
सरिता बोली,"कैसे पूछु उसे? क्या वह मानेगा?"
तरुण बोला,"जितनी जरुरत आपको है,उतनी उसे भी है। कोमल के साथ वह ट्राय कर रहा है, मगर उसने उसे जरा भी नहीं दिया।"
कोमल का नाम सुनते ही सरिता के होश उड़ गये,वह बोली,"कोण कोमल, जो सुबह आयी थी वह?"
तरुण,"हाँ वही, क्यों क्या हुआ?"
सरिता बोली,"अरे! यह वही लड़की है जिसने मेरे बड़े बेटे सतीश की जिंदगी बरबाद कर दी थी, उसपर झूठा इजांम लगाकर।"
तरुण उन्हें बोला,"राज तो अब उसके साथ अकेला है, हमें उसे अभी बुलाना चाहिए।"
ऐसा कहते हुये तरुण ने राज को फोन लगाया, राज तब कोमल के घर पहुंच चुका था, कोमल गाड़ी से उतरी, और तरुण को अंदर आने के लिये कहकर घर के अंदर चली गई। राज गाड़ी से उतरा ही था की उसे तरुण का फोन आ गया उसने तरुण से पूछा,"क्या बे? क्यों फोन किया?"
तरुण बोला,"तुझे कुछ दिखाना है, व्हीडीऔ कॉल अॉन कर।"
जैसे राज ने व्हीडीओ कॉल चला कर देखा उसके तो होश उड़ गये,उसकी अपनी माँ उसके दोस्त के साथ संभोग कर रही है, वह बोला,"रुक तुझे तो छोडूंगा नहीं।"
इतना कहकर वह गाड़ी लेकर अपने घर आ गया वह इतनी तेजी से आया की, वह पौना घंटे में वहां पहुंच गया। और गुस्से में वह घर के अंदर चला गया, और सरिता के बेड रूम का दरवाजा खटखटाने लगा और चिल्लाने लगा,"मम्मी दरवाजा खोलिये, वह नहीं बचेगा मेरे हाथ से।", जैसे ही सरिता ने दरवाजा खोला राज कमरे के अंदर आ गया। उसने खिड़की, बालकनी, सब छान मारा, मगर तरुण उसे नहीं मिला, तभी उसे घर के बाहर से गाड़ी शूरू होने की आवाज आई, उसने बाहर जाकर देखा तो, तरुण उसकी गाड़ी ले कर भाग गया राज ने भी थोड़ी देर उसका पीछा किया मगर वह उसे पकड़ नहीं पाया, सरिता भी उसके पीछे भागी।असल में तरुण ने संभोग करने के बाद गाड़ी की दूसरी चाबी लेकर नीचे छिपकर, राज की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे राज अंदर गया, तरुण उसकी गाड़ी लेकर भाग गया।

यहाँ राज और उसके पीछे सरिता बाहर आ गयी । वो दोनों घर की तरफ जाने लगे तभी बरसात शूरू हो गई। दोनों घर की तरफ भागने लगे तभी, और घर दूर होने की वजह से और आसपास खुला मैदान होने की वजह से सरिता और राज पूरी तरह से भीग गयें। सरिता ने सिर्फ एक गाउंड पहना हुआ था, जो की सिर्फ उसकी जाँघ तक आता था, उसमें बाहे नहीं थी, गला इतना गहरा था की स्तनों के बीच की गहराई आराम से दिखाई दे रही थी, पीछे से इतना की पीठ से कमर तक का हिस्सा दिखाई दे रहा था।
f7aeaef5cfcef172f6b9b64b4fa718c2.jpg

अपनी माँ को पहले अपने दोस्त के साथ पूरी तरह से नग्न, और अब इतने काम उत्तेजक कपड़ों में वो भी भीगी हुई देखकर राज के मन में खयाल आया की ,"इधर ही शुरू हो जाऊँ!"
वह सरिता को ताड रहा था, तभी उसका लिंग उसके पैंट में ही तम्बू बना लिया था। जब दोनों भागते हुये घर तक पहुंचे, तब सरिता की नजर राज की पैंट पर आये उस उभार पर पड़ी, जिसे देख वह हंसने लगी और जैसे ही राज ने वह जाना, उसने शर्माकर अपनी नजर घुमाकर दरवाजे का ताला खोल लिया। और वह दोनों अंदर चले गये। सरिता अपने कमरे में चली गई, और राज अपने कमरे में चला गया दोनों कपड़े बदलने लगे। सरिता ने कपड़े उतारकर अपने धड़ पर टॉवेल लपेटकर अपने बालों पर भी एक टॉवेल लपेट लिया।

IMG-20211009-223842.jpg

उसके बाद उसने तरुण को फोन लगाया और पूछा,"तरुण, वह तो अभी से इतना एक्साइटेड है, लगातार मुझे घुरे जा रहा था, और उसका खडा भी हो गया।"
तरुण ने गाड़ी सड़क के किनारे लगाकर फोन को स्टैंड पे रखकर बात की:-
तरुण ने कहां,"यह तो होना ही था, क्योंकि उस कोमल ने उसे बहुत सारा व्हायग्रा जुस में मिलाकर, पिलाया है।"
सरिता ने कहा,"तभी! बार बार मुझे इतनी हवस भरी नजरों से मुझे देख रहा था मुझे, अब क्या करूं में?"
सरिता ने घबराकर कहा,"अब उसे कैसे कंट्रोल करूंगी में उसे!"
तरुण ने कहा,"राज को शायद पूरी बोतल दि गई है, अगर आप उसका साथ नहीं दे सकती तो उसका विरोध भी मत करना, नहीं तो वह ज्यादा ॲग्रेसीव्ह हो जायेगा।"
तब सरिता ने पूछा,"मेरे पास तो कंडोम ही नहीं है, अगर वह मुझमें झड़ गया और में प्रेग्नंट हो गई तो?"
तरुण ने कहा आप,"आप ड्रावर चेक कीजिए जरा।", इतना कहकर तरुण ने अपना कमाल दिखाया, दिव्य आईने में हाथ डालकर एक मेडिकल से निरोध का डिब्बा निकाला और आयने को सरिता के कमरे का ड्रावर दिखाने को कहा, जैसे ही आयने में तरुण को वह दिखा उसने दो चार निरोध उसके अंदर डाल दिये। आयने की शक्ति ने उन्हें सही जगा प्रकट कर दिया, वह सरिता को ड्रावर में मिल गई।
सरिता ने देखकर कहा,"यह यहां कहां से आये?"
तरुण ने कहा,"मैने रखे थे।"
सरिता ने कहा,"मगर, यह तो लेडीज कंडोम है?"
तरुण ने कहा," शायद राज के आपके सामने आने पर तो आपको वक्त ही ना मिले, वह आते ही शुरु हो जाये।"
तब सरिता ने वह निरोध अपनी योनी में पहन लिया।
तभी सरिता को दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है। वह फोन काटकर दरवाजा खोलती है, तो देखकर चौंक जाती है। राज उसके सामने सिर्फ एक टॉवेल में खडा था, और वह खुद भी टॉवेल में थी, सरिता के स्तन आधे टॉवेल के बाहर थे, उसके स्तनों की गहराई साफ दिखाई दे रही थी। सरिता को ऐसे देख राज का लिंग खड़ा हो गया और रूमाल में तम्बू बनाने लगा। सरिता ने राज के टॉवेल में बने उस तम्बू को देखा और वह चौंक गई। सरिता कुछ समझ पाती, इससे पहले राज ने उसका
टॉवेल खींचकर उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। सरिता ने अपने स्तनों पर हाथ रखकर उन्हें ढकने की कोशिश की, मगर वह सिर्फ स्तनाग्रों को ढक पा रही थी, उसके तरबूज जैसे स्तनों की गोलाई दिखाई दे रही थी। राज ने उसे धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और उसके पैर खोलकर अपना लिंग उसकी योनी में डाल दिया, और तेजी से आगे पीछे धक्का लगाने लगा, सरिता ना विरोध कर रही थी ना ही उसका साथ दे रही थी। वह सिर्फ जो राज कर रहा था उसे करने दे रही थी। राज ने अपने धक्के तेज कर दिये, वह धक्कों की रफ्तार बढ़ाता ही जा रहा था। उसके उन तेज धक्कों की वजह से, सरिता के पुरे बदन में अच्छी तरह से कंपन उत्पन्न हो रहे थे। उन कंपनों के साथ सरिता के स्तन भी झटके खा रहे थे वह बड़े ही मादक अंदाज में उपर नीचे हो रहे थे। अपने शरीर में आ रहे झटके संभालने के लिए सरिता ने अपने हाथ हटाकर जैसे ही सरिता ने बेड की चादर पकड़ी, राज ने सरिता के दायें स्तनाग्र को अपने मुंह के अंदर ले लिया, और बायें स्तन को कभी दबा रहा था, और उसके स्तनाग्र को अपनी उंगलियों से मसला, जिसकी वजह से सरिता की चीख निकल गई," हाय! मर गई मे!"
उसके चीखने की वजह से राज और ज्यादा उत्तेजित होकर उसके स्तनाग्रों को और जोर से मसलने लगा जिस वजह से सरिता झड़ गई। मगर राज का अभी बाकी था इसलिए उसने सरिता को घोडी बनने के लिये कहा। वह घोडी बन गई और राज उसे पीछे से धक्के लगाने लगा। राज ने सरिता की जंघाये पकड़ ली, और उसे आगे पीछे करके धक्के लगाने लगा, उसने फिर से धक्के तेज कर दिये अब उसके लटकते स्तन बड़ी ही तेजी से और कामुकता से मटक रहे थे। ऐसे एक घंटे चलता रहा जिससे सरिता फिर से झड़ गई। राज की नजर अब सरिता के मोटे, भरे हुये नितम्ब पर पड़ी, और उनमें छिपे गुद्द्वार पर पड़ी जिससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो गया। और उसने अपना लिंग सरिता की योनी से निकाला और सरिता के गुद्द्वार पर रखा और एक तेज धक्का दे दिया, जिससे उसका ६ इंच का लिंग आधा सरिता की योनी में चला गया। लिंग अंदर जाने से सरिता को बहुत दर्द हुआ और वह चीख पड़ी,"राज!!! ये कहा डाल दिया!!!! बाहर निकाल जल्दी!!!"
राज ने उसका लिंग थोड़ा बाहर निकालकर एक जोरदार धक्का दिया जिससे उसका पूरा लिंग सरिता के अंदर चला गया। वह चीख उठी," आ!!! आ!!! आ!!!"
जैसे जैसे राज रफ्तार बढ़ा रहा था, सरिता की चीख बढ़ती जा रही थी, और बढ़ती चीख के साथ राज का जोश भी बढ़ता जा रहा था। अब सरिता का गुद्द्वार ढीला हो रहा था। अब उसे दर्द होने के साथ साथ मजा भी आ रहा था, वह मजे से चिल्ला रही थी,"राज!!! आ!!!!!! और !!! और!!! जोर !!! से!! आह!!!!"
राज अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था, वह पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था, और अचानक वह चीख पड़ा और वही झड़ गया, सरिता चार बार झड़ चुकी थी। राज थक कर वही सरिता की पीठ पर ही लेट गया और वही सो गया, सरिता ने राज का लिंग बाहर निकाला उसके सर को अपने स्तनों के बीच रखा, और उसे बाहों में भरकर सो गई।

Part 4
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राज और सरिता की चुदाई बडी ही जबरदस्त
 

Raj_sharma

Well-Known Member
10,905
19,435
228
भाई bohot hi kamuk or umda update hai.
Ati kamuk kahani.
Great update with awesome writing skills :applause:
:applause:
:party:
:party:
 

Raj_sharma

Well-Known Member
10,905
19,435
228
WIring for next update
 
Top