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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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deeppreeti

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- - आपको मेरी कहानी - पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे - में कुछ ऐसे ऐसे और अन्य रंग भी मिलेंगे
 

Kamuk219

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- - आपको मेरी कहानी - पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे - में कुछ ऐसे ऐसे और अन्य रंग भी मिलेंगे
क्या आपने अपनी मम्मी के साथ कुछ ऐसा सोचा है।
 

Ladies man

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Update 5:

तरुण ने अपने आप को फीर से उस जगह पाया, जहाँ से उसे यह सारी शक्तियां मिली थी, वही कृतानंद ऋषि का आश्रम वहां उसे अयाना वह ऋषिपत्नी संपूर्ण नग्न अवस्था में मिली। वह जैसे वहाँ खड़ी तरुण का इंतजार कर रही थी उसे इस अवस्था में देख तरुण ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके मोटे मोटे उरोजों को दबाने लगा तब अयाना उसे बोली, “तरुण में यहां तुम्हारी गुलाम हुं और तुम्हारी हर चिंता का समाधान मै करूंगी।”
तरुण ने पुछा, “मेरे ऐसे स्पर्श करने से कोई भी औरत कामोत्तेजित हो जायेगी मगर तुम तो ना ही उत्तेजित हो रही हो, ना ही विरोध कर रही हो, कैसे क्या मुझमें सचमुच ऐसी शक्तियां है? क्या वह सचमुच असीमित है?”
अयाना ने उसे जवाब देते हुये कहा , “तरुण हां! यह बात सच है की तुम्हारे पास परमात्मा से भी अनंत गुणा शक्तियां है, मगर जब तक तुम्हें उनकी जानकारी ना हो तुम उनका उपयोग नहीं कर सकते।”
तरुण ने अयाना से पुछा, “अगर में इतना ही शक्तिशाली हूं तो मुझे तुम्हारी आवश्यकता क्या है?”
अयाना ने जवाब दिया, “मेरा कार्य तुम्हारी शक्तियों को नियंत्रण में रखना है, अगर ऐसा ना किया जाये तो तुम्हारी शक्तियाँ इतनी फैल जायेगी की हर मादा तुम्हारी तरफ आकर्षित होगी चाहे वह मनुष्य हो, पशु हो, पक्षी हो या कीट हो।”
तरुण इससे चौंक गया, उसने एक और सवाल पूछा,“क्या मै किसी भी लड़की को अपने और आकर्षित कर सकता हूँ?”
अयाना बोली, “ तुम्हारी इच्छा पर निर्भर है की तुम्हें क्या चाहिये तुम चाहो तो किसी भी कन्या को अपने लिये उत्तेजित करके उसके योन का फल चख सकते हो, तुम चाहो ताजी कच्ची कलियाँ फूला सकते हो, मगर तुम हो की बासी और जूठे फल तोड़ रहे हो।”
तरुण ने कहा, “तुम तो एक आत्मा हो, तो तुम नग्न कैसे हो?”
अयाना ने कहा, “देह ही आत्मा के वस्त्र होते है, तो बिना वस्त्र की आत्मा तो नग्न ही होगी।”
तरुण, “ तुम क्या मुझे जरुरत के हिसाब से हर शक्ति दे सकती हो?”
अयाना, “हाँ, जितनी तुम चाहो या तुम्हें जितनी आवश्यकता होगी।”
तब तरुण अयाना का हाथ पकड़कर, उसे अपनी और खींचकर उसके स्तन दबाने लगा और पूछा ,“मै कितने समय तक बिना झडे कर सकता हुं?”
अयाना ने कहा, “ तुम अनंत काल तक बिना झडे रह सकते हो, और तुम्हारे वीर्य को भी कोई मर्यादा नहीं है, तुम दुनिया भर की महिलाओं को खुश करके भी तुम्हारा लिंग सक्त ही रहेगा।”
तरुण कुछ पूछता इसके पहले उसकी आँख खुल गई, उसने देखा की वह जिसके स्तन दबा रहा था वह रानी थी। रानी तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न थी, वह उसकी योनी का भंग तो कर ही चुका था, मगर उसकी और करने की इच्छा हो रही थी। तरुण के सामने रानी के भरे हुये स्तन थें, जोकि बालों से ढके हुये थें। तरुण ने बालों की लताओं में उंगली डालकर, रानी के स्तनाग्र रूपी फलों को चखने के लिये जैसे ही दबाया, रानी बोली, “तरुण रात भर बहुत हो चुका है, और अब...”, इतने में तरुण के लिंग पर रानी की नजर पड़ी, और उसने जो देखा वह देखकर वह दंग रह गई, तरुण का लिंग अभी भी लोहे की तरह सक्त था। यह देख रानी चौंककर शर्माकर तरुण को देखने लगी, अब शर्म के मारे उसके गाल भी लाल होने लगे थे, वह तरुण को बोली, “अब बस हो गया, बाकी सब घर जाकर करेंगे!” तब तरुण और सरिता तैयार हो गये और शहर के लिये निकल गये।
वह कुछ ही घंटों में वापस कोमल के पास पहुंच गये, अपनी माँ रानी को देखकर खुशी से फूली नहीं समा रही थी, वह तो सीधे घर में से भागकर आयी और अपनी माँ को गले लगाकर फुट फुटकर रोने लगी, उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। जीस माँ का वह इतने सालों से इंतजार कर रही थी, जिसके लिये उसने जेल की चक्की पीसी थी वह आज खुद उसके सामने थी। तब रानी ने कोमल को बताया की कैसे तरुण ने उसकी जान बचाकर, उसे उस गैंग की चंगुल से आझाद कराया था। कोमल ने माँ(रानी) को अंदर बुलाया और उसे कमरे में ले जाकर आराम करने को कहा। रानी सफर और तरुण के साथ हुये संभोग की वजह से काफी थकान, महसूस कर रही थी, इसलिए वह एक कमरे में जाकर सो गई। तरुण को एक कमरे में ले जाकर कोमल ने उससे कहा, “तुम सोच भी नहीं सकते तरुण की, आज तुमने मुझ पर कितना बड़ा एहसान किया है, मुझे समझ ही नहीं आ रहा की तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाना है!”
तरुण कोमल को उपर से नीचे देखने लगा, उसने एक टी शर्ट और शॉर्ट पैंट पहन रखी थी, जैसे वह नियमित रूप से घर में पहना करती थी। तरुण ने उसका हाथ कोमल की खुली जाँघ पर रखा, और उसकी पैंट के अंदर हाथ डालकर उसकी जंघाओं को सहलाते हुये कहा, “कोमल तुम जानती हो मुझे क्या चाहिये, यु बनो मत।” कोमल उसका साथ तो नहीं दे रही थी, क्योंकि उसके मन में द्वन्द्व चल रहा था, उसकी दो विचारों के बीच। जहाँ उसका एक विचार कह रहा था, “कोमल यह क्या कर रही हो, वह जो भी करेगा वह तुम उसे करने दोगी, तुम्हारी कोई सेल्फ रिस्पेक्ट नहीं है क्या?”
फिर उसकी दूसरी विचारधारा उसे कहने लगी, “सेल्फ रिस्पेक्ट है तुम्हारे पास? तुम तो पहले ही एक बच्चा गिरा चुकी हो, और उसके बाप को अपने उपर रेप करने का झुठा केस डालकर अंदर करवाया था।”
फिर पहली विचारधारा ने बोला, “वो तुमने अपनी माँ की जान बचाने के लिये किया था, उसमें शर्म वाली कोई बात ही नहीं थी।”
फिर दूसरे विचारधारा बोली, “अगर तुम अपनी माँ की जान बचाने के लिये, किसी के साथ एक साल राते बीता सकती हो, तो क्या जिसने तुम्हारी उसी माँ की जान बचायी उसके साथ एक रात नहीं बिता सकती, उसके एहसान के बदले उसे एक रात की खुशी नहीं दे सकती?”
इसके दौरान तरुण अपना हाथ उसकी पैंट में डालकर उसके नितम्ब दबा रहा था। कोमल अब उत्तेजित हो चुकी थी, उसके अंदर कामुकता की आग लग चुकी थी, वह अब तक तरुण का साथ तो नहीं दे रही थी, परंतु उसका विरोध भी नहीं कर रही थी। तरुण तो कोमल के विचार पढ़ सकता था, वह यह बात अच्छी तरह से जानता था की कोमल की तरफ से, उसे पूरी स्वतंत्रता है, मगर वह उसे और उत्तेजित करना चाहता था। तरुण ने कोमल को और उत्तेजित करने के लिये उसके टी शर्ट में हाथ डालकर उसकी कमर सहलाने लगा और अपने दुसरे हाथ से उसके गुद्द्वार और योनी में अपनी उंगलियों को फेर रहा था। इससे कोमल के अंदर लगी वासना की आग को उत्तेजना की हवा मिलने लगी। कोमल, “आह! आह!” करके सिसकारिया देने लगी, तभी तरुण ने अपना हाथ कोमल की पीठ पर घुमाने लगा, तब उसे उसकी पीठ नग्न प्रतीत हुई। उसे पता चला की कोमल ने अंदर से कुछ नहीं पहना है, तरुण ने कोमल को पीछे मोड़कर खड़ा किया। अब तरुण अपना दायां हाथ उसके पेट पर रखकर उसे घुमाकर ऊपर की और ले जाकर उसके स्तन दबाने लगा। तभी उसने नाडा खोलकर उसकी शाँर्ट और टी शर्ट उतार दी। अब कोमल पूरी तरह से नग्न थी, तरुण उसके स्तनों को तरुण दोनों हाथों से दबा रहा था और साथ ही साथ वह उंगलियों से उसके स्तनाग्र मसलने भी लगा था, जिस वजह से कोमल के अंदर वासना की आग ज्वाला की तरह भड़क रही थी, इस वजह से कोमल, “म्! म्! म्!” करके सिसकारिया निकाल रही थी।
अब तरुण ने अपने पैंट भी उतार दी और अपना लिंग कोमल के दोनों पैरों के बीच उसकी योनी पर घुमाने लगा और आगे पीछे करके रगड़ने लगा, तरुण का लिंग किसी वज्र की तरह सक्त था, और २० इंच लंबा और तीन इंच मोटा था। कोमल तरुण को लिंग का आकार महसूस कर सकती थी, मगर इससे वह ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी, उसकी योनी ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। कोमल अब पीछे मुड़कर तरुण की तरफ देखने लगी, तरुण उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगा वह शर्माकर नीचे देखने लगी तभी उसकी नज़र तरुण के विशालकाय लिंग पर पड़ी, वैसे तो वह कई बार संभोग ले चुकी थी मगर उसने इतना बड़ा लिंग नहीं देखा था, इसीलिए उसकी नज़र वही अटक गई। कोमल अब अपने घुटनों पर आ गई और तरुण के लिंग चूमने लगी जिससे वह और सक्त हो गया, फिर वह अपनी जीभ निकालकर उसके लिंग पर घुमाने लगी, थोड़ी देर ऐसा करने के बाद कोमल तरुण का लिंग अपने मुंह में ले रही थी मगर वह पूरा लेने में असमर्थ थी। अब कोमल का खुद पर नियंत्रण नहीं रहा, अब वह स्वयं ही पलंग पर लेट गई और उसने अपने पैर मोड़कर फैला दिये, ताकि तरुण सहजता से अपना लिंग डाल सके, अब तरुण ने कोमल के पास आकर अपना लिंग उसकी योनी पर रखा, और एक जोर का झटका देकर उसकी यॊनी मॆं डाल दिया, कॊमल पहलॆ भी सम्भॊग कर चुकि थी इसलियॆ, तरुण का लिंग उसकी यॊनी मॆं गर्भाषय तक पहुंच गया। कॊमल नॆ इतना बडा लिंग कभी अपनी यॊनी मॆं नही लिया था, उपर सॆ तरुण नॆ दियॆ झटकॆ की वजह सॆ उसॆ इतना दर्द हुआ की वह चिल्ला उठी," आ! तरुण! क्या ? है यह इतना बडा!!! और कडक लंड है या लोहे का डंडा," फिर तरुण ने लिंग बाहर निकाला और बोला, "तेरे लिये कौन सा मुश्किल है? तु तो सतीश से कै बार चुद चुकी है, और सतीश से बच्चा भी कर चुकी है, तो क्या कहूँ तुझे रां...।" इतना बोलते ही तरुण ने कोमल को एक जोरदार धक्का देकर तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डाल दिया। भले ही कोमल पहले राज और सतीश से कई बार संभोग कर चुकी हो, मगर तरुण का विशालकाय लिंग अंदर जाने से उसे बहुत तेज दर्द हुआ और वह, "आ! आ! आ! मर गई!!!" करके चीख उठी। उसकी इस चीख की वजह से बगल के कमरे में सो रही रानी की नींद उड़ गई वह उठकर दीवार को कान लगाकर कमरे में क्या हो रहा है यह सुन रही थी। यहां पहला झटका देते ही तरुण ने अपना लिंग कोमल की योनी में डालकर थोड़ा बाहर निकाला और एक झटका दिया, अब वह फिर जोर से, "आ!!हा" करके चीखने लगी, तरुण ने झटके देना चालू रखा। कोमल के अंदर भड़कती वासना की आग अब और ज्यादा भड़क रही थी, और उसकी लपटे रानी तक पहुंचने लगी थी। रानी के मन में तरुण और उसके विशालकाय लिंग के खयाल आने लगे। यहाँ तरुण ने अपने झटके की रफ्तार बढ़ा दी थी, और इसके साथ कोमल की चीखने की आवाज भी तेज हो चुकी थी। वह अपने मुंह से, "आ!!!ह!! आ!!!ह!! की आवाजें लगातार आने लगी, वह आवाजें रानी साफ सुन सकती थी।
कोमल की यह सिसकारिया रानी के लिये उसकी वासना की आग में घी का काम कर रही थी उसने अपना लहंगा उठाया और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर घुमाने लगी। तरुण के पास तो दीवारों के भी आर पार देखने की क्षमता थी, वह उससे यह जान गया था की रानी के अंदर वासना की आग भड़क गई है। वह चाहता तो पहले ही अपने होठों को कोमल के होठों पर रखकर उसकी चीख दबा सकता था, मगर उसका इरादा तो कुछ और ही था। कोमल का वह पतला शरीर, वह भरे हुये स्तन वह एक लय के साथ लहरा रहे थे। उसके अंदर अब शर्म खत्म हो चुकी थी, अब वह भी तरुण के पीठ में हाथ डालकर अपने नाखून गाड़ना चाहती थी मगर तरुण ने उसे हाथों के पंजों को बिस्तर से
सटाकर पकड़ रखे थे। इसलिए कोमल ने अपने पैरों से तरुण की कमर को जकड़ लिया, अब वह अपने चरम पर थी, और उसका जल्द ही पानी निकल गया तरुण का अभी भी नहीं निकला था। पानी निकलते ही तरुण की कमर पर जो कोमल ने अपने पैर लपेट रखे थे, वह पकड़ अब छुट गई। कोमल अब थक चुकी थी मगर तरुण अभी भी जोश में था। वह उसे और उत्तेजित करने के लिये कोमल के स्तनों को दबाने लगा, और उसके स्तनाग्रों को चूसने और मसलने भी लगा कोमल के अंदर इच्छा तो जग रही थी मगर वह थकी हुई भी बहुत थी, इसलिए वह सो गई।
तब रानी को आवाजें आना बंद हो गई, वह उत्सुकता से क्या हुआ यह देखने बाहर निकल आई। तभी तरुण ने उसे देख लिया, अक्सर रानी सोते वक्त अपनी साड़ी उतारकर सोती थी, वह सिर्फ ब्लाउज और लहंगा पहनती थी। वह उसी अवस्था में बरामदे में घूम रही थी। तरुण ने वहाँ जाकर रानी को पीछे से पकड़ लिया तब रानी तरुण के साथ बिताये हुये पल याद आ रहे थे। तरुण के रानी को अचानक पकड़कर उसके अंदर लगी हुई वासना की आग भड़क उठी, वह पीछे मुड़कर तरुण को चूमने लगी। रानी ने अब अपने होंठ तरुण के होठों पर रखे फिर तरुण के चेहरे को दायीं और अपना चेहरा बायीं और झुकाकर अपने होंठ थोड़े खोले, इसी बीच तरुण ने भी उसके होंठ खोलकर थोड़े खोले फिर दोनों अपनी अपनी जुबान एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे। तरुण ने अपना हाथ रानी की कमर पर घुमाकर उसे उसकी पीठ पर ले गया और उसके ब्लाउज के अंदर डाल दिया, और उसकी पीठ को सहलाने लगा। तब उसे यह पता चला की रानी ने ब्लाउज के अंदर कुछ भी नहीं पहना है और उसका ब्लाउज भी पीछे से खुलता है। तरुण ने एक झटके में उसे खोल दिया और रानी के हाथों को पंजों से पकड़कर उसे खंबे से सटा दिया और उसे होठों से उतरकर उसके गले पर चूमने लगा। फिर वहां से चूमते हुये उसके दायें कंधे तक पहुंचा और उसके ब्लाक की पट्टी उसके कंधे से हटा दी, फिर वहा से चूमते हुये उसके दुसरे कंधे पर पहुंचा और दूसरी पट्टी भी अपने मुंह से उतार दी। अब वह कंधे से चूमते हुये छाती तक आया और उसके दोनों स्तनों के बीच की गहराई से चूमते हुये उसकी नाभि तक आया और नाभि में अपनी जुबान डालकर घुमाने लगा। अब रानी काफी उत्तेजित और गर्म हो चुकी थी, वह उत्तेजना के मारे," आ!!ह, तरुण क्या कर रहे हो आहा!आह!आह!", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तभी तरुण ने थोड़ा सा नीचे जाकर अपने मुंह से ही रानी के लहंगे का नाडा खींचकर उसका लहंगा उतार लिया, अब रानी की योनी तरुण के सामने नग्न थी, वह तरुण से पहले भी संभोग कर चुकी थी इसीलिए वह खुली थी। तरुण ने रानी का हाथ छोड़कर उसकी कमर को पकड़ लिया और उसकी योनी में अपनी जुबान डालकर उसे चाटने लगा। रानी की वासना अब चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी, रानी अपने हाथों से तरुण का सर दबाकर उसे बोल रही थी की,"तरुण आ!ह!!, आह!!,आह!!,आह!!, चाटो और आह!! सब तुम्हारा ही है," तभी उसकी चीख निकली,"आ!!!" और रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया तरुण ने वह पानी पी लिया। अब रानी ने तरुण का सिर भी छोड़ दिया, तरुण अब रानी को उठाकर उसके कमरे में ले गया और उसके पलंग पर लेटा दिया। अब तरुण ने रानी के पैरों को मोड़कर फैलाया और अपने कंधे पर ले लिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखा और एक धक्का दिया जिससे वह लिंग एक झटके में सरिता की योनी के अंदर चला गया। सरिता जोर से चिल्लाकर बोली,"तरुण!!! धीरे करो!! दर्द हो रहा है। आऊ!"
तरुण बोला,"आप तो ऐसे चिल्ला रही है जैसे मेरे साथ पहली बार कर रही है।" इतना कहकर तरुण ने लिंग आधी योनी से बाहर निकाला और एक झटका दिया, जिससे रानी को दर्द हुआ और वस चीखकर बोली ,"आऊच!! हाये में मर गई रे!", तरुण को इससे काफी जोश आया और उसने और झटके जोर के और तेज कर दिये। तरुण बोला,"पहले तो काफी मजा आ रहा था ना, नाटक बंद करो!" तरुण के ऐसा बोलते ही रानी भी उसे कमर से झटके देकर उसका साथ दे रही थी। तरुण ने अब उसके एक स्तनाग्र को चूसना शुरु किया, इससे रानी और उत्तेजित होने लगी और वह, अपने मुंह से,"आ!!!हा, आ!!!ह और!!! तरुण और!!!" कहते हुये अपने पैर तरुण पर लपेट लिये, और अपनी कमर के झटके तेज कर दिये, दोनों एक दुसरे का पूरा साथ दे रहे थे, तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह नीढाल हो गई। तब तरुण ने उसे पलटकर रखा और अपना हाथ उसकी कमर पर घुमाने लगा, यह एहसास रानी को अच्छा लगा। फिर तरुण ने वह हाथ घुमाते हुये उसके नीतम्ब की मालिश करने लगा इससे रानी और उत्तेजित हो गई, और वह उसे बोलने लगी," तरुण वाह! मजा आ रहा है और करो।" तरुण इसे हामी समझकर तैयार हुआ और अपना लिंग उसके गुद्द्वार पर आगे पीछे करने लगा जिससे रानी को मजा आने लगा। फिर तरुण ने नितम्बों के बीच तेल डालकर अपने लिंग की गति बढाने लगा, जिससे तरुण का लिंग चिकना हो गया। अब तरुण को लगा की यह सही अवसर है, उसने अपना लिंग झटका देकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया, रानी,"आ!!!! तरुण!!!! मर गई में!! हाय!!! कहाँ डाल दिया!!!, जल्दी बाहर निकाल!!" ऐसे वह चिल्लाने लगी और वह आगे पेट के बल रेंगकर खिसक गई तरुण ने भी अपना लिंग पीछे लिया। तरुण जब लिंग पीछे निकाल रहा था तब उसके स्पर्श से वह राहत से,"हम्!! आहा!!आहा!!आहा!!" करके सिसकारिया ले रही थी। तभी पूरा निकालने से पहले तरुण ने रानी के स्तनों को जकड़ के एक झटका दिया, और अपना लिंग गुद्द्वार में और गहराई में डाल दिया, उससे रानी की,"आ!!!!" करके चीख निकल गई। अब तरुण रानी को झटके दिये जा रहा था और रानी कभी ,"आ!!" "ई!!!" करके चीखकर उसका जोश बढाने लगी थी। अब रानी को भी मजा आ रहा था उसकी चीखे अब सिसकारिया बन गई थी। तभी रानी की योनी ने पानी छोड़ दिया और वह थकान की वजह से नीढाल हो गई, और सो गई। तरुण तो बिना वीर्य पात के अनंत काल तक रह सकता था, और वह नहीं झडा था। वह और करना चाहता था, मगर रानी थक चुकी थी, और सो गई और तरुण भी उसे लिपट कर सो गया।
यहाँ तरुण ने सपने में देखा की वह उसी जगह ऋषि कृतानंद के आश्रम में है और अयाना नग्न अवस्था में उसके साथ पलंग पर लेटी है। तरुण के मन में सैतानासुर के जन्म को लेकर काफी प्रश्न थे।

तरुण ने अपना हाथ अयाना के स्तनों पर रखा और पूछा की,"सैतानासुर क्यों नहीं मरा, जैसे बाकी असुर मारे गये वैसे?" तब अयाना ने बताया, "सैतानासुर कोई साधारण असुर नहीं था, उसके पीता तो असुर थे मगर माँ एक देवी थी"
चौंककर तरुण ने पूछा,"देवी? कौन सी देवी?"
आयाना ने कहां, "कामदेव की पत्नी देवी रति"
तब तरुण की उत्सुकता बढ़ी और उसने पूछा,"कैसे?"
तब अयाना ने कहा," इसके पीछे एक कहानी है, तुम कहो तो सुनाती हूं?"
तरुण बोला ,"सुनाओ।"
तब अयाना ने उसे कथा सुनाई वह ऐसे:-
एक बार सतयुग में एक असुर हुआ करता था। उसका नाम मण्डूकासुर था, वह रूप से काफी कुरूप था मनुष्य तो छोड़ो असुरकन्या, राक्षसी भी उससे विवाह करने को तैयार नहीं थी, उसका मुख भी देखा पसंद नहीं करती थी। वह कई बार अपमानित हो चुका था, उसने सोचा की वह अब सबको सुन्दर और आकर्षक व्यक्ति बनकर दिखायेगा। उसने सुंदरता की देवी, रति की तपस्या आरम्भ कर दी, उसकी यह तपस्या इतनी घोर थी की, उससे अर्जित तपोबल से देवराज इंद्र का सिंहासन अस्थिर होने लगा।
देवराज इंद्र: यह सब क्या हो रहा है, कौन सा संकट आयेगा अब स्वर्ग पर?
(तभी देव ऋषि नारद वहाँ प्रकट हुये)
इंद्रदेव: आपका स्वागत है, देव ऋषि नारद।
नारद : इस असुर से आपके सिंहासन को कोई संकट नहीं है, देवराज।
इंद्रदेव: परंतु सावधान रहना तो आवश्यक है, और भले इससे ना हो लेकिन इसकी तपस्या से तो है।

तब इंद्रदेव ने अप्सराओं को उसके पास उसकी तपस्या भंग करने भेजा मगर अप्सराओं के लाख प्रयास करने के बाद भी वह उसकी तपस्या करने में बाधा ना डाल सकीं। तब उन्होंने कामदेव और रति को वहां भेजा कामदेव ने अपने पुष्पबाण चलाकर उसकी तपस्या भंग करनी चाही, मगर सौ पुष्पबान चलाने पर भी वह ऐसा करने में आसमर्थ थे। उसकी तपस्या चरम पर पहुंच गई और देवी रति को उसके सामने आने के लिये विवश होना पड़ा।


देवी रति मण्डूकासुर के सामने प्रकट हुई और बोली,"आँखें खोलो मण्डूकासुर, मै तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं, बताओ क्या वरदान चाहिये तुम्हें?"

तब मण्डूकासुर ने बोला,"हे देवी मुझे कुछ ऐसा वरदान दीजिए की जिससे मै जिस स्त्री को चाहू उसे अपनी और आकर्षित कर सकूं, और अपने प्रति उसके मन में कामुकता जगा सकूं।"
स्वर्ग से यह सब देवराज इंद्र देख रहे थे, वह हंसकर बोले,"यह इसलिए तप कर रहा था! हम तो मिथ्या ही चिंता कर रहे थे।"
तब देवी रति ने उसे एक तावीज दिया और कहा," यह लो मण्डूकासुर, तुम इसे दोनों हाथों मे पकड़कर जीस भी स्त्री का नाम लोगे वह तुम्हारे साथ संभोग करने के लिये तत्पर हो जायेगी। वह उनसे लेकर
मण्डूकासुर ने कहा,"धन्यवाद देवी रति!"।

असल में तब मण्डूकासुर ने अपने दोनों हाथों में उसे पकड़कर देवी को प्रनाम किया, और यह कहा था। उस वरदान में देवियां भी आती थी, इससे रति प्रभावित हुई और वह नीचे भूमि पर लेट गई। उन्होंने अपना एक पैर घुटने से मोड़कर अपने दोनों हाथों को अपने सिर के पीछे अपने दोनों हाथों को रखकर एक कामुकता भरी मुद्रा दिखाई। तब मण्डूकासुर पर कामदेव के सौ बाणों का प्रभाव शुरू हुआ, वह अब देवी रति की और बढ़ा, उसने उनके वस्त्र उतारकर उन्हें नग्न किया और अपने होंठ उसके होठों पर रखकर चूमने लगा और अपना लिंग उसकी योनी में डालकर उसके साथ सम्भोग करने लगा और देवी रति भी उसका साथ देने लगी दोनों तीन दिन तक सम्भोग करते रहे। फिर मण्डूकासुर का वीर्य पात हुआ और उससे देवी रति का गर्भाधान हुआ, नौ महीने बाद उन्होंने एक आकर्षक पुत्र को जन्म दिया। जन्म देने के बाद देवी रति स्वर्ग के लिये प्रस्थान करने लगी, तब मण्डूकासुर ने उसे कहा,"देवी आप इसकी माता है, अगर आप नहीं होगी तो इसे दूध कौन पीलायेगा?" तब देवी ने एक अक्षय पात्र प्रकट किया और उसमें अपने स्तन से कुछ बूंद दूध डाला, मगर जैसे ही वह बूंद पात्र में गिरी वह पात्र दूध से भर गया। देवी रति ने कहा, "यह अक्षय पात्र है, इसमें अगर किसी पदार्थ की थोड़ी सी मात्रा भी डाल दी जायें तो उसका अनंत स्त्रोत बन जाता है, यह उसकी माँ के दूध की आवश्यकता को पूरा करेगा।" यह कहकर देवी रति स्वर्ग के लिये निकल गई। फिर बारा दिन बाद उसका नामकरण कराया, वहाँ समस्त असुर संप्रदाय के साथ असुर गुरु शुक्राचार्य भी उपस्थित थे। तब उन्होंने उसकी कुंडली का अभ्यास किया और वह खुश भी हुये और चकित भी हुये। उनके यह भाव देखकर मण्डूकासुर ने उनसे पूछा,"क्या हुआ गुरुदेव? कोई समस्या है क्या?"
तब उन्होंने कहा,"हे मण्डूकासुर, ऐसी कुंडली हमने आज तक नहीं देखी, यह तो मरने के उपरांत भी जीवित रहने की क्षमता रखता हे!"
मण्डूकासुर ने कहा, "मुझे आपसे कुछ बात करनी है।"
शुक्राचार्य ने कहा," संकोच कैसा? बताओ।"
मण्डूकासुर,"यहां नहीं, एकान्त में।"
शुक्राचार्य ने हाथ से सब को इशारा करके बाहर भेज दिया।
शुक्राचार्य ने कहा ,"अब बताओ।"
मण्डूकासुर, "इसका पीता तो मैं हूं, मगर उसकी माता देवी रति है।"
शुक्राचार्य ने पूछा,"सत्य में! कैसे?"
फिर मण्डूकासुर ने उन्हें सारा सार सुनाया। शुक्राचार्य प्रसन्न होकर बोले,"अरे वाह मण्डूकासुर, तुमने तो वह कर दिखाया जो मेरे, अजय शिष्य भी प्राप्त ना कर सके, तुमने एक देवी से उत्पन्न पुत्र प्राप्त किया है,इसके रक्त में अमृत के अंश है, परन्तु तुम छह मास तक इसकी दूध की आवश्यकता कैसे पूर्ण करोगे?"
तब वह रोने लगा, तब मण्डूकासुर ने उसे अक्षय पात्र से कुछ दूध पिलाया। और शुक्राचार्य से कहा,"देवी रति ने उसे यह अक्षय पात्र दिया है जो अनंत काल तक दूध की धारा प्रदान कर सकता है।"
तब शुक्राचार्य ने कहा,"अगर ऐसा है तो तुम पूरी आयु इसे यह दुग्ध देते रहो, इससे ना केवल उसकी दुग्ध की आवश्यकता पूर्ण होगी, इसके साथ उसे कामदेव की दिव्य शक्तियां और अमृत भी प्राप्त होगा।"
फिर शुक्राचार्य ने सब को भीतर बुलाया और नामकरण विधि संपन्न की उसका नाम सैतानासुर रखा गया। फिर शुक्राचार्य ने वहाँ से प्रस्थान किया।
यहा कथा खत्म करने के बाद अयाना तरुण से बोली, "यह तो है सैतानासुर के जन्म का रहस्य"
Intresting update please keep posting
 

Kamuk219

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पीछला अपडेट
Update 6: तरुण और तेजल की लॉटरी


तरुण की यहां नींद खत्म हो गई और वह जाग गया उसने देखा की रानी उसके साथ पूरी तरह नग्न अवस्था में है, और उसने कुछ भी ओढ़े नहीं रखा है। तरुण अब कोमल को भी उत्तेजित करना चाहता था, इसीलिए उसने रानी को वैसे ही नग्न छोड़ दिया और वह कमरे से बाहर आया और कोमल के सामने से ही रानी के कमरे से निकला कोमल उसे देखकर चौंक गई, जब वह अपनी माँ के कमरे में गई तो समझ गई की क्या हुआ है। उसके सामने उसकी माँ नग्न अवस्था में थी, और उसकी योनी और गुद्द्वार काफी फैल चुके थे। तब तक तरुण कपड़े पहनकर तैयार हो गया और कोमल को आवाज लगाई, तब कोमल बोली, "आती हूँ। " इतना कहकर कोमल बैठक में आ गई, तरुण वही मौजूद था। कोमल को देखते ही तरुण ने उसका हाथ पकड़कर जोर से खींचा, और अपने नजदीक सोफे पर बैठा लिया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे जकड़ लिया। तरुण कोमल के स्तनों को दबाकर बोला,"कोमल मै तो तैयार हूं क्या, तुम लेना चाहती हो?"
कोमल बोली,"अभी नहीं, अभी हमें राज के घर जाना है, मै उसे सब कुछ सच सच बता दूंगी अपने बारेमें।"
फिर दोनों बाईक पर बैठ कर राज के घर निकल गये। तरुण ने बाईक पर कोमल की कमर पर हाथ रखा और उसे अपनी बाहों में भिंच लिया, थोड़ी देर बाद वह लोग राज के घर पहुंच गये। कोमल ने दरवाजे की घंटी बजाई सामने सरिता ने दरवाजा खोला, सामने सरिता खड़ी थी और कोमल को देखकर थोड़ी गुस्सा हुई। तब सरिता बोली, "अब क्या लेने आयी है यहां?"
तब तरुण ने कहा ,"यह आपको सच बताने आई है, वैसे राज दिखाई नहीं दे रहा?"
तब राज भी आ गया और सबको सरिता ने सबको अंदर आने के लिये कहा। और अंदर बैठकर तरुण और कोमल ने, क्यों कोमल को राज के परिवार के खिलाफ साजिश में शामिल होना पड़ा था, यह बताया। कोमल की कहानी सुनकर सब हैरत में पड़ गये।
राज ने तरुण से पूछा,"तरुण तुम तो रानी को बचाने के लिये गये थे? तुमने पहचाना या जानते हो वह कौन थे।"
तरुण ने बताया, "यकीन के साथ तो नहीं कह सकता मगर रानी जी का कहना है की वह उनके खानदानी दुश्मन थें।"
तब कोमल ने पूछा,"अगर वह हमारे खानदानी दुश्मनी की वजह से होते तो उन्होंने राज पर ही क्यों निशाना साधा था?"
तब कोमल ने राज को कहा, "राज वैसे मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया"
राज बोला, "अरे कोमल! भूल जाओ ऐसा कुछ नहीं है"
कोमल बोली, "मै तुम्हारे लिये एक गीफ्ट लायी हूँ।"
राज, "वैसे गीफ्ट क्या है?"
कोमल बोली,"यहाँ नहीं, रुम में।"
राज कोमल के साथ रूम में चला गया। यहाँ सिर्फ सरिता और तरुण थे, तरुण ने सरिता से पूछा, "वैसे राज और आप की वो रात कैसी थी?"
यह सुन सरिता थोड़ी घबराकर बोली, "कौन सी रात, तरुण ?"
तरुण थोड़ा सरिता के नजदीक आकर बोला,"वैसे, कोमल भी पूछ रही थी की दवा कितनी देर असर करती है? वह कह रही थी की दो घंटे की गैरंटी है।"
सरिता बोली, "नहीं! नहीं! ये तो कम है वह तो छह घंटे बाद ....", सरिता बोलते बोलते रुक गई और उसने अपने जबान दांतों के बीच दबा ली। वह शर्म के मारे उठकर वहाँ से चली गई।
यहाँ कमरे में कोमल और राज के बीच कामुकता का अलग ही मंजर चल रहा था, अंदर जाकर जब राज ने कोमल को पूछा," गिफ्ट कहां है कोमल?"
तब कोमल ने उसे कहाँ की "आँखें बंद करो।"
राज ने पूछा,"क्यों?"
कोमल बोली, "सरप्राईज है!"
राज ने पूछा,"क्या है?"
कोमल बोली, "बताया, तो सरप्राईज कैसा, आँखें बंद करो!"
राज ने आँखें बंद की, और थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठोंपर एक अलग सी गर्मी महसूस की, उस गर्मी में उसे अजीब सी राहत मील रही थी। तभी उसने अपनी आँखें खोलकर देखा तो वह देखता ही रह गया, कोमल उसे बडे समर्पण के साथ उसके होठों पर चूम रही थी। उसने सारे कपड़े उतार दिये थे, वह सिर्फ़ एक क्वार्टर कप ब्रा और लेस थाँग पहने हुये थी, उनका रंग गुलाबी था और ब्रा से उसके स्तनाग्र आराम से बाहर आ रहे थे। राज भी अब जोश में आ गया था, वह कोमल को चेहरे पर काफ़ी चूमने लगा फिर वह चूमते चूमते उसकी गर्दन पर अपनी जीभ घुमाने लगा। कोमल अब बहुत कामुक हो रही थी, और जोर जोर से,"आह! राज आह! और करो और करो" बोले जा रही थी, इससे राज का जोश तो बढ़ रहा था, जिससे राज कोमल को अपनी बाहों में और जोर से कसकर चूमने लगा था। कोमल का उद्देश्य राज का जोश जगाना था, मगर उसके साथ साथ तरुण को अपनी सिसकारिया सुनाकर जलाना और कामुक करके तडपाना भी था, क्योंकि तरुण उससे नहीं झड़ सका और उसने उसकी माँ के साथ तो उसने योनी और गुद्द्वार में करने के बाद भी नहीं झडा था, एक सामान्य लड़के के से दस से बारा बार पानी निकलवाकर भी, उसका वीर्यपात करवाने में मिली असफलता के कारण वह अंदर से उसका अहंकार को चोट पहुंची थी। उसपर वीर्य निकालने का जैसे आवेश छा गया था, वह भी जोर जोर से सिसकारिया निकाल रही थी।
कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर तक सुनाई दे रही थी, तरुण और सरिता बातें कर रहे थे, और जब सरिता उठकर जाने लगी तब उसे कोमल की कामुकता भरी सिसकारिया बाहर सुनाई देने लगी और उसके मन में कुतूहल जाग्रत हुआ, वहाँ दरवाजे को एक कि-होल था, सरिता ने उसी कि-होल से अंदर झांक कर देखा तो वह दंग रह गई ।वहाँ कोमल उसके सामने पूरी तरह से नग्न थी, और राज उसके स्तनों को बड़ी जोर से दबा रहा था और स्तनाग्रों को चूस रहा था। अब तरुण सरिता के पीछे आकर खड़ा हो गया, सरिता को इस बात का ध्यान ही नहीं था। अंदर राज ने कोमल की नाभि में जबान डालकर उसे घुमाना शूरू कर दिया, और कोमल, "आह! राज अब बस भी करो, डाल दो अंदर!! और मत तडपाओ!" ऐसे बार बार चिल्ला रही थी। यह देखकर बाहर सरिता के मन में भी वासना की आग भड़क रही थी, वह अंदर तो जा नहीं सकती थी; क्योंकि ताला लगा हुआ था , और अगर वह दरवाजा खटखटाती तो वह दोनों रुक जाते, और उसका इतना अच्छा सम्भोग देखने का आनन्द भी चला जाता। सरिता अंदर का दृश्य देखने मे इतनी व्यस्त थी, की उसे इस बात का भी ध्यान नहीं था की तरुण उसके पीछे खड़ा है। सरिता की उत्तेजना इतनी बढ चुकी थी की, कामुकता के मारे उसके स्तनाग्र सक्त हो चुके थे और जब से व्हायग्रा के प्रभाव में आकर राज ने उसके साथ सम्भोग किया था, तब से वह हर रात उसे साथ संभोग कर रही थी, रोज राज का वीर्य निकलने तक सम्भोग करती थी और उसे सम्भोग की लत लग चुकी थी। सरिता की वासना अब नियंत्रण के बाहर थी, उसने अपनी साड़ी कमर से उपर कर दी, और अपनी उंगली अपनी योनी में डालकर अंदर बाहर करने लगी और घुमाने लगी। अब सरिता उंगली घुमाने के साथ साथ, "आह! आह!" करने लगी।
वह बोल रही थी," ओह! राज! कोई चोदो मुझे! फाड़ दो मेरी चूत!! फाड दो मेरी चूत!!! फाड़ दो मेरी गाँड!!!"
सरिता अपनी धुन में यह भूल गई थी की, पीछे तरुण खड़ा था। तब तरुण ने साड़ी से बाहर आती उसकी चिकनी जंघाओं पर धीरे से हाथ रखा, मगर सरिता को इसका एहसास भी नहीं हुआ। तरुण का साहस अब और बढ गया सरिता ने जो ब्लाउज पहना था, वह बैकलेस था और पीछे नाड़ियों से बंधा हुआ था। तरुण ने धीरे से नाड़ी खोल दी और उसके भरे हुये स्तन खुल गये और जब से उसने राज के साथ सम्भोग किया था, उसने घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया था, ज्यादातर बैकलेस पश्चिमी कपड़े पहना करती थी। उसने आज ही साड़ी पहने रखी थी, तरुण को अपनी दिमाग पढ़ने की कला से यह पता चलते देर नहीं लगी की सरिता वासना में इतनी डूब चुकी थी की, उसे इस बात का भी एहसास नहीं था की तरुण ने उसका ब्लाउज खोल दिया है। सरिता को लेहंगे का नाडा कमर की बाजू मे बांधने की आदत थी, तरुण ने फिर धीरे से वह नाडा पकड़कर खींच लिया और सरिता की साड़ी छूटकर नीचे गिर गई।
तब सरिता को एहसास हुआ की उसका ब्लाउज भी खुल चुका है। उसने झट से पीछे मुड़कर अपने स्तनों पर हाथ रखकर ढक लिये, जिससे उसका लेहंगा खिसक कर नीचे गिर गया। जैसे ही सरिता अपनी साड़ी उठाने के लिये नीचे झुकी, तभी तरुण ने उसके स्तनों को जोर से पकड़ कर दबा दिया। सरिता डरकर पीछे हट गई और दीवार से सटकर खड़ी हो गई, तरुण बड़ी फुर्ती से उसकी साड़ी और लेहंगा उठाकर भाग गया।

सरिता बोली,"तरुण! छोड़ मेरे कपड़े, वापस कर मुझे" तरुण उसे छेड़ कर बोला, "चाहिए तो ले लो," इतना कहकर वह भागा। सरिता के कपड़े जिस कमरे में थे वह बंद था, इसीलिए सरिता को तरुण के पीछे ऐसी ही अवस्था में भागना पड़ा। सरिता पीछे थी, तरुण आगे था सरिता के भागने की वजह से उसके भरे हुये स्तन बड़ी कामुक लय के साथ डोल रहे थे। तरुण भागते भागते सरिता के सीने में होती हुई स्तनों के कंपन का आनंद ले रहा था, तरुण सरिता को दौड़ाते हुये घर के बाहर ले आया था। वह घर के आसपास सिर्फ़ खुली जगह थी जहाँ, सिर्फ़ हरी घास उगी हूई थी। आसपास दूर दूर तक कोई घर नहीं था, सिर्फ जंगल था। तरुण कुछ दूर जाकर रूक गया, सरिता भागते भागते थक चुकी थी, वह हांफते हांफते बोली,"तरुण!! बस बहुत भगा लिया, अब वह कपड़े मुझे दे दो।"
तरुण ने साड़ी नीचे डाल दी और सरिता से कहा, "यह लो, ले लो।"
तरुण जान भूजकर सरिता को वही ले आया था जहाँ रबर का टब था।
जैसे ही सरिता आगे बढ़ती है, तरुण उसके ब्लाउज पर एक जोरदार धक्का दे देता है, वह पीछे पानी से भरी रबर की टब में पूरी तरह से नग्न अवस्था में गीर जाती है। उसके अंदर पानी था, जिससे सरिता पूरी तरह भीग गई। वह अब तरुण की और गुस्से में देखने लगी, तभी तरुण ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और सरिता के साथ टब में उतर गया। सरिता बोली, "बेशरम! अपनी माँ जैसी औरत के साथ ऐसी..."
तरुण उसकी बात पूरी होने से पहले उसको जकड़ कर बोला, "और जो सगे बेटे के साथ सात दिन से कर रही थी, वो क्या था"
यह सुनकर सरिता का मुंह खुला का खुला रह गया, तरुण ने तभी सरिता को नीचे टब में गिरा दिया और स्तनों के बीच में अपना लिंग डाल दिया और उसके स्तनों के बीच अपने लिंग को रगड़ने लगा। सरिता उसके लिंग का विशालकाय आकार और मजबूती देखकर आश्चर्यचकित हो गई, और तरुण से बोली, "तेरा लंड है या, लोहे का मूसल?"
तरुण उसके स्तनाग्रों को उंगलियों से मसलते हुये बोला, "आप तो ऐसे बोल रही है जैसे पहली बार अंदर ले रही हो, तुम्हारी चूत का भोसडा मेरे ही लंड ने बनाया था।"
सरिता की चीख निकल गई और वह बोली, "आ!आ! धीरे दबा में कोई रंडी नहीं हू जो तू इतनी जोर से दबा रहा है।"
तरुण बोला, "जो अपने सगे बेटे से चुदी हो उसे क्या बोलेंगे?"
इतना बोलते ही तरुण ने अपना लिंग सरिता की योनी पर रखा और एक जोर का धक्का दिया जिससे तरुण का लिंग सरिता के गर्भाशय तक पहुँच गया। और सरिता के मुंह से, "आ!!!" करके चीख निकल गई।
तरुण सरिता के स्तनों को जोर से दबाकर बोला,"इतना क्या चीखना, पहले भी ले चुकी हो ना?"
और तरुण जोर जोर से अपना लिंग सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता की योनी पानी छोड़ने लगी थी, मगर वह टब में होने की वजह से पता नहीं चल रहा था।धीरे धीरे सरिता की चीखें सिसकारियों में बदलने लगी थी।
सरिता तरुण को बोल रही थी,"आह! तरुण और करो! मेरे राजा!"
तरुण बोला, "बोल कौन है तू मेरी?"
सरिता चीखकर बोली,"रंडी!!!"
तरुण इससे और उत्साहीत हो रहा था, और सरिता को और जोर से धक्के दे रहा था, यहां सरिता अपने चरम पर थी, और उसने अपनी एक चीख के साथ सारा पानी छोड़ दिया, और वह वही नीढाल हो गई मगर तरुण का अभी तक नहीं हुआ था, और वहां राज ५ बार कोमल के सामने झड़ चुका था, और कोमल राज से निराश हो गई थी क्योंकि वह एक बार भी नहीं झड़ी थी। कोमल का ज्यादातर वक्त राज का लिंग चूस कर उसे खड़ा करने में ही गया था। अब तो राज इतना थक चुका था की वह सो गया अब कोमल जब बाहर आई तो उसने देखा की तरुण ने तो सरिता का पानी निकाल दिया था और वह अब वह सरिता के साथ अँनल करने वाला था, तरुण ने थूक लगाकर अपना लिंग सरिता की योनी में डाला तो सरिता की चीख निकल गई, मगर उसे मजा भी आ रहा था उसकी योनी लगातार पानी छोड़ रही थी, और जैसे जैसे तरुण सरिता के उपर धक्के लगाता गया सरिता भी लगातार उसका साथ दे रही थी, थोड़ी देर में सरिता भी थक गई और वही सो गई वह कई बार झड़ चुकी थी। तब तरुण ने सरिता को नग्न अवस्था में ही वहाँ बगीचे में सुला दिया और अपने कपड़े पहनकर कोमल के साथ स्कूटर पर बैठकर निकल आया।
तरुण कोमल के पीछे बैठा था, और उसने अपने हाथ कोमल की कमर पर रख दिये। कोमल के अंदर की हवस शांत नहीं हुई थी, तरुण ने अपने हाथ उपर ले जाते हुये उसके स्तनों पर ले गया और दबाने लगा। कोमल के मन में कामुकता अभी भी भरी हुई थी, और वह तरुण के छूने से ही उत्तेजित हो रही थी। तरुण भी उसके स्तन दबाये जा रहा था। कोमल ने एक जगह गाड़ी रोक दी और वह नीचे उतरकर एक पेड के पास खड़ी हो गई, और तरुण को देखते हुये उसने बड़े ही कामुक अंदाज में अपने हाथ उपर करके अपने रस के पीछे लिये। तरुण यह समझ गया की, कोमल उसे अपने पास आने के लिये न्योता दे रही है। तरुण उसकी आंखों में देखने लगा और उसकी तरफ बढ़ने लगा, कोमल धीरे धीरे अपने कदम पीछे लेने लगी और वह दोनों जंगल के काफ़ी अंदर चले गये। कोमल के पीछे एक पहाड़ी का सीधा कड़ा था, वहाँ उसने अपनी पीठ टेक दी। तरुण कोमल के और करीब आया और उसका चेहरा कोमल के चेहरे के एकदम करीब आ गया। कोमल ने अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी सांसे तेज होने लगी, तरुण कोमल के और करीब आया और उसने अपने होंठ कोमल के होंठों पर रख दिये। तरुण उसे चूमने लगा और कोमल भी उसका साथ देने लगी वह दोनों अपनी जीभ एक दुसरे के मुंह में डालकर घुमाने लगे, कोमल अब तैयार होने लगी उसने अपने हाथ तरुण की पीठ पर रख दिये और जवाब में तरुण ने भी कोमल कोमल का सुट उपर उठाकर अपना हाथ उसकी कमर पर रखा और घुमाने लगा। तरुण उसे होठों पर चूमते चूमते उसकी गर्दन पर चूमने लगा उसने नीचे आते आते उसकी सलवार उसकी नीकर के साथ कमर से नीचे खींच ली। और चूमते चूमते वह उसके स्तनों को कमीज के उपर से ही चूमने लगा, जिससे कोमल के मुंह से, "आह! आह! ओह तरुण!! जल्दी करो" करके सिसकारिया करने लगी। अब कोमल तरुण के सर को अपने उपर दबाने लगी, तरुण अब उसके स्तनों को चूमते चूमते उसके पेट से होते हुये उसकी नाभि और बाद में उसकी योनी, को चूमने लगा।ऐसा करते हुये तरुण ने उसकी सलवार और पैंटी एक साथ उतार दी। तरुण कोमल की योनी चूमते चूमते उसके अंदर अपनी जबान डालकर चाटने लगा, कोमल भी उसके सर को अपनी योनी में दबाते हुये सिसकारिया लेने लगी। तरुण अब उसे चाटते हुये उपर की और जाने लगा, जैसे जैसे वह उपर की और बढ़ने लगा वैसे वैसे वह कोमल की कमीज भी उपर कर रहा था। जब वह कोमल की नाभि पर पहुँचकर उसकी नाभि में जबान डालकर घुमाने लगा, तब उसने कोमल की कमीज के साथ साथ उसकी ब्रा भी उतार दी। वह कोमल के स्तन दबाने लगा, और उसकी नाभि को चाटते हुये उपर जाने लगा। कोमल ने अपने हाथ तरुण के हाथों पर रखकर घुमाने लगी, तरुण ने उपर आते आते उसके हाथ बाजू में कर दिये। और उसके स्तनों से चाटते चाटते उसके होठों को चूमने लगा। तरुण ने अपनी पैंट भी उतार दी थी, और अपना लिंग कोमल की योनी पर रखा और एक जोरदार धक्का दिया, जिससे उसका बीस इंच का लिंग आठ इंच अंदर चला गया, वह सीधे बच्चेदानी(गर्भाशय) के अंत तक चला गया और उससे कोमल को दर्द हुआ और वह "आह!!!" करके चिल्लाने लगी। भले ही यह तरुण और कोमल का पहली बार नहीं था मगर तरुण का लिंग इतना विशालकाय था की किसी की भी चीख निकल जाये। अब कोमल भी तरुण का साथ देने लगी थी, वह अब तरुण के लिंग को उपर नीचे होकर अपनी योनी के अंदर बाहर करती थी। अब कोमल अपने चरम पर थी और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकल गया, वह अब झड़ चुकी थी। मगर तरुण अभीभी सक्त था, उसने कोमल को कमर से पकड़कर पास ही में बहते एक झरने के नीचे ले गया। कोमल को उसने पीछे से पकड़कर उसके स्तनों को दबाने लगा और उसकी गांड में अपना लिंग डाल दिया जिससे वह चिल्लाने लगी।और तरुण अपना लिंग आगे पीछे करने लगा, थोड़ी देर बाद कोमल झड़ गई और दोनों अपने कपड़े पहनकर घर निकल गये।

यहां राज की नींद खुल जाती है, और वह अपने पास कोमल को अपने पास ना पाकर थोड़ा परेशान हो जाता है, और वह बाहर निकलकर अपने घर के बगीचे में देखता है तो वह अपनी माँ सरिता को नग्न अवस्था में देखकर हैरान हो जाता है। वह उसके पास जाकर उसे उठाने के लिये जैसे ही उसे छूता है, सरिता बोलती है,"ओह! तरुण , आज तो तुमने खुश कर दिया!"। मगर जैसे ही वह आँखें खोलती है, तो अपने बेटे को सामने देख शर्माकर घर के अंदर भाग जाती है।
यहाँ राज मन में ही सोचता है,"तरुण के बच्चे, मै तुझे छोडुंगा नहीं बदला जरुर लूंगा।"
और वह निकल जाता है।

यहां तरुण और कोमल जैसे ही घर पहुंचते है, तरुण को घर से फोन आता है, वह फोन उठाता है। वह फोन तेजल का था,
फोन पर,
तेजल : तरुण कैसे हो?
तरुण : मै तो ठीक हु, तुम कैसी हो? आखिर मेरे लंड की याद आ ही गई।
तेजल : हाँ , यह सब छोड़ तेरे लिये एक गुडन्युज है, हम करोड़पती बन चुके है।
तरुण : कैसे? कोई लोटरी लगी क्या?
तेजल : ऐसा भी कह सकते है, घर आकर बताऊंगी।
तरुण ने कोमल को बाय बोला और तेजल को लेने स्टेशन पर चला गया। वहाँ उसने अपनी स्कूटी लगाई और जैसे ही स्टेशन के गेट पर देखा तो उसे वहा तेजल दिखाई दी। वह बहुत खुश थी, उसने काली साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहना हुआ था, जो सिर्फ दो पट्टियों से बंधा हुआ। तेजल तरुण को बोली, " तु पीछे बैठ तरुण, मै चलाती हुं।" इतना कहकर वह आगे बैठ गई और तरुण पीछे बैठ गया।
तेजल ने स्कूटी शुरू की और घर की और चलाने कहा,"तरुण कस कर पकड़ मै तेज चलाने वाली हूं।"
तरुण ने कस कर तेजल की कमर को जकड़ लिया।
तेजल ने शर्माकर उसे पूछा," तरुण यह क्या कर रहे हो,छोड़ो!!"
तरुण ने उसके नजदीक आकर उसे लिपट गया और उसके कान के करीब आकर उसके कान में कहा," तुमने ही तो कहा था कसकर पकड़ने को" और उसने उसके कानों पर धीरे से फूंक मारी, जिससे तेजल को कपकपी छुटी और वह गर्माने लगी।
तरुण के हाथों ने तेजल की कमर को सहलानेका काम शुरू किया, वह अपने एक हाथ से तेजल की नाभी तो दुसरे हाथ से उसे स्तनों को नीचे से स्पर्श कर रहा था। तेजल अब तरुण के साथ कामुकता की बाढ़ में डूबना चाहती थी, मगर उससे उसका ध्यान हटकर दुर्घटना होने की संभावना थी। तेजल अपने अंदर की वासना की आग को दबाये हुये थी। अगर कोई और होता तो प्रयास रोक देता, मगर यहाँ तरुण के पास ब्रह्मराक्षस से मिली हुई दो शक्तियां थी,Gspot ढुंडने की और मन की बातें जानने की क्षमता थी, इसलिए तरुण अपना प्रयास लगातार करता गया। इससे तेजल की हालत खराब हो रही थी, लेकिन वह गाड़ी चलाने पर ध्यान देती है। तरुण अब अपने हाथों को तेजल के पेट से उपर की और होते हुये आपने हाथ उसके स्तनों पर ले जाता है। और तेजल के स्तनों को दबाने लगता है, तेजल अब और उत्तेजित होने लगती है तभी वह दोनों घर पहुंच जाते है। वहाँ तेजल घर में जाते ही बाथरूम चली जाती है, और अपने कपड़े उतारकर नहाने लगती है। उसने शावर शुरू करके नहाने लगी, वह जानती थी की उसके अंदर की हवस की आग शावर के पानी से नहीं बूझेगी मगर वह कोशिश तो कर रही थी। तेजल यह बात भूल गई थी बाथरूम का दरवाजा खुला है, तरुण रसोई में खाना बनाने की तैयारी करने जा रहा था। तरुण की नजर अपनी योनी में उंगली चलाती हुई तेजल पर पड़ती है, और उसे यही सही अवसर लगता है। तरुण अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर धीरे से बाथरूम के अंदर घुसकर तेजल को पीछे से पकड़ता है। तेजल की जंघा पर तरुण का लिंग स्पर्श करता है, तेजल उसपर अपना हाथ रखकर उसे पकड़ती है, वह काफी हैरान हो जाती है, क्योंकि उसका लिंग बीस इंच लंबा और 4 इंच मोटा था। वह उसे आगे पीछे करती रहती है, और तरुण भी उसकी कमर और सपाट पेट पर हाथ घुमाकर उसकी गर्दन को चूमने लगा। और अपने हाथों को पेट से होते हुये उपर लाकर उसके स्तनों को आपने पंजों में लेकर दबाने लगा। तेजल "आह! तरुण और नहीं डाल दो, अंदर अब" ऐसा कहकर उसका साथ देने लगी, वह इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उसके स्तन पुरी तरह से फुलकर सक्त हो चुके थे और स्तनाग्र सक्त होकर खड़े थे। तरुण ने उसे झुकने को कहा तो वह आगे की तरफ झुककर घोडी बन गई, तरुण ने अपना लिंग तेजल की योनी पर रखा और एक झटका दिया जिससे तरुण का लिंग तेजल की योनी में चला गया। तेजल जोर से चीख पड़ी,"आ!!! मर गई में !!!!" तरुण ने हंसते हुये कहा,"हा!हा!हा! तुम ही तो लेना चाहती थी ना अंदर अब झेलो।"
इतना कहकर तरुण ने एक और झटका दिया, तरुण का लिंग सीधे तेजल के गर्भाशय ( बच्चेदानी) के अंतिम छोर तक पहुँच रहा था और उसे टकरा रहा था इसके बावजूद वह तीन चौथाई बाहर ही था। तरुण ने अब आगे झुककर तेजल की नग्न और चिकनी पीठ पर अपना विशाल सीना सटा दिया और उसके सक्त हो चुके स्तनाग्रों को अपनी उंगलियों से मसलते जा रहा था। तेजल भी चीख चीखकर कह रही थी," तरुण! बसस्!!! तुमने तो मेरी चूत ही फाड़कर रख दी। आ!!!" तरुण अपने धक्के तेज करता जा रहा था और तेजल को गर्दन पर चूमते जा रहा था। थोड़ी ही देर में तेजल झड़ गई मगर तरुण तो युगों युगों तक लगातार कर सकता था, उसने तेजल की एक टाँग आपने कंधे पर ली और उसकी योनी से अपना लिंग निकालकर उसके नितम्बों के बीच रगड़ना शुरू किया, और तेजल अब फिर से उत्तेजित होने लगी और तभी तरुण ने उसकी गाँड में अपना लिंग डाल दिया। तेजल "आ!!!! मर गई !!!!! यह कहा डाल दिया !!!!! निकाल तरुण!!!" करके चिल्लाने लगी। तभी तरुण ने उसकी गांड से अपना लिंग निकालकर उसकी योनी में डाल दिया, और अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में तेजल ने पानी छोड़ दिया। वह दोनों बाहर निकल आये और दोनों ने अपने आप को पोछा। तरुण जाकर नग्न ही पलंग पर लेट गया, तेजल भी नंगी ही उसके साथ बैठ गई वह तरुण का २० इंच लंबा और 4 इंच मोटा लिंग देखकर चौंक गई। तेजल उसे अपने हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी, तब तरुण ने भी अपना एक हाथ तेजल के स्तन पर रखा और वह भी उसके स्तन दबाने लगा और उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा, जिससे तेजल फिर से उत्तेजित हो गई और वह तरुण के विशालकाय लिंग को अपने मुंह में डालने लगी, वैसे तो लिंग का अग्र भाग ही वह अपने मुंह में ले पाई। मगर वह अपना सारा जोर लगाकर तरुण के लिंग को चूस रही थी, फिर वह आकर तरुण के मुंह के उपर बैठ गई जिससे उसकी योनी तरुण के मुंह पर आ गई,वह दोनों 69 की स्थिति में आ गये। तरुण ने अपनी जुबान तेजल की योनी पर चलानी शुरू कर दी, वह अपनी जुबान तेजल की योनी में डालकर घुमाने लगा आगे पीछे करने लगा। तेजल भी उसका लिंग ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा उसके लिये मुश्किल हो रहा था। वह किसी भी तरह से चाहती थी की तरुण का वीर्य निकल जाये, इस चक्कर में उसने तरुण के लिंग में अपने दांत गाडने की कोशिश की मगर तरुण का लिंग तो था निहायती फौलाद उससे उसी के दांतों में दर्द हुआ, उपर से तरुण ने उसकी योनी में दांत गाड़ दिये, लेकिन तरुण का लिंग उसके मुंह में होने की वजह से वह चीख नहीं सकी, मगर उसकी आखों के साथ साथ उसकी योनी में पानी आ गया।तरुण उसकी योनी का वह पानी पी लिया। अब तरुण ने उसके स्तन दबाने शुरु किये, जिससे तेजल को वापस जोश आ गया उसने उठकर तरुण का लिंग अपने मुंह से निकाल लिया।
उसने जो देखा वह देखकर वह चौंक गई, तरुण का जरा भी पानी नहीं निकला था, उसका लिंग एकदम ४ इंच मोटा और २० इंच लंबा फौलाद की तरह खड़ा था।
यह देख तेजल तरुण को बोली
तेजल :तरुण ऐसा कैसे पोसिबल है।
तरुण : मै कैसे बताऊँ, जो है तुम्हारे सामने है।
तेजल: तुम जबरदस्ती क्यों रोक रहे हो, बहता है तो बहने दो।
तरुण: मेरा अभी तक नहीं निकल रहा।
तेजल: यह सचमुच नामुमकिन है, ज्यादा से ज्यादा कोई भी एक घंटा चलता है, और तुम छह घंटों से फौलाद की तरह खड़े हो।
(उसके लिंग को हाथ में पकड़कर आगे पीछे घुमाकर)

हफ्ते भर ऐसे ही थे क्या? हिलाया भी नहीं?
तरुण: नहीं, मैने तो कोमल, उसकी मम्मी रानी, राज की मम्मी सरिता सब को चोदा था, मै तभी भी नहीं झडा।
तेजल:(चौंककर)सच में!
तरुण: हाँ मम्मी, मैने उनकी गांड भी मारी, फिर भी नहीं झडा।
तेजल: तो ठीक है, लेट्स ट्राय शायद काम कर जाये!

तरुण बाजू वाले कमरे में जाकर व्हेसलिन लेकर आया और उसने उसे अपनी उंगली पर लेकर तेजल को अपने पास खिंचा, उस उंगली को तेजल के गुद्द्वार से अंदर बाहर करने लगा, तेजल ने भी थोड़ा व्हेसलिन अपने हाथों में लिया और उसे तरुण के लिंग पर लगाने लगी। तरुण के लिंग लिंग को छूने का मजा तेजल ले रही थी, उसके दिमाग में बार बार यही खयाल आ रहा था की 'इतना बडा उसके अंदर जायेगा तो क्या होगा?'।
तरुण उसकी योनी पर व्हेसलिन लगाना, उसे राहत पहुंचा रहा था और धीरे धीरे वह राहत उत्तेजना में बदल रही थी।
तेजल: (मुस्कराकर तरुण की और देखते हुये।)
तरुण: क्या हुआ?
तेजल ने शर्माकर अपनी आँखें नीचे कर ली। तरुण ने उसके गुलाबी मुलायम होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करना शुरु किया, उसने अपनी गर्दन थोड़ी दाई और टेढी करते हुये तेजल के बाल पकड़कर उसकी गर्दन अपनी बाई और टेढ़ी की, दोनों ने अपना मुंह खोलकर एक दुसरे की जीभ को आपस में घुमाने लगे। तेजल अपनी आँखें बंद करते हुये तरुण के साथ होते चूम्बन में पुरी तरह से खो गई, उसे तरुण की लार का स्वाद भा गया था। अब तरुण धीरे धीरे तेजल को पीछे धकेलते हुये बेड तक ले जाता है, उससे अलग होकर तरुण उसके पैर अपने कंधों पर लेता है। तरुण तेजल के करीब आकार उसे चूमने लगता है, और तेजल भी उसमें डूब जाती है। तेजल का शरीर अभी भी गर्म था इसीलिए वह फिर से तरुण में खो जाती है, तरुण मौका साध कर अपना लिंग सीधे तेजल के गुद्द्वार में डाल देता है, जिसे तेजल झेल नहीं पाती और तुरंत बेहोश हो जाती है। तभी वहां राज आता है और तेजल और तरुण को देखकर हैरान हो जाता है।

राज:-(मन में) साला मादरचोद! इसका तो सचमुच बहुत बड़ा है।

तरुण:-(राज जिस खिड़की से देख रहा था, वहाँ देखते हुये) राज अंदर आओ।

राज:-(तरुण की और डरते हुये देखकर )तरुण वह में

तरुण:-(राज की आँखों में देखते हुये)बताओ क्या इच्छा है तुम्हारी?

राज:-(आखों में अजीब सी चमक लाते हुये) तुम्हारी मम्मी (तेजल) को चोदना चाहता हुँ।

तरुण:-तो कर लो जो करना है, लेकिन तुम्हारा जुस चूत में गीराना।

तब राज बेहोश पड़ी तेजल की योनी में अपना लिंग अंदर बाहर करता है, और थोड़ी ही देर में उसका वीर्य निकल जाता है, और वह वही गिर जाता है। तरुण उसे उठाता है, और उसे भेज देता है।फिर राज को एहसास होता है की वह इतनी देर से तरुण के सम्मोहन में था। थोड़ी देर बाद तेजल को भी होश आ जाता है, और वह अपनी योनी में वीर्य देखकर खुश होती है।


तेजल:-(मन में) आखिर जो चाहिये था वह मील गया।

तरुण:-तो मजा आया?

तेजल:-(शर्माकर)कुछ भी, चल छोड़ कल हम डाक्टर चुतिया के पास जायेंगे। मुझे प्रेग्नंसी टेस्ट करवानी है।

तरुण:- डाक्टर के पास क्यों जाना? कोन्ट्रासेप्टिव ले आता हूँ मेडिकल से।

तेजल:- (थोड़ा हिचक कर) एक्चुअली में माँ बनना चाहती हुँ।

तरुण:-(चौंककर) क्यों? आपको और नहीं करना क्या?

तेजल:-(घबराकर)नहीं बाबा! तुझे करना है तो तू हाथ से कर या कहीं भी मुंह मार, मेरी तरफ से खुली छुट है तुझे।


तरुण :- वैसे कौन सी गुड़न्युज देने वाली थी तुम ?

तेजल:- वह मेरे पापा ने तुम्हारे नाम पर ३००० करोड़ की प्रोपर्टी की थी, और मुझे तुम्हारी कस्टडी दी गई थी और जब तुम १८ साल के हो जाओगे तो वह तुम्हारे नाम होती, और अगर तुम्हें कुछ हो जाता है तो, वह चँरिटी में चली जाती।

तरुण:-(तेजल की आँखों में देखकर) बोलो तुम्हारी इच्छा क्या है।

तेजल:-(आँखों में चमक लाकर)तुम्हारे बच्चे की माँ बनना।

तरुण:-तो ठीक है, मै अपाँइंटमेंट लेकर आता हूँ।

तरुण उसे देख कूटील मुस्कान देता है और वह भी चला जाता है।

वह जब डॉ. चूतिया(डॉ. चमनलाल छत्रीवाला ) के अस्पताल में पहुँचता है तो वहाँ उसे पता चलता है की डॉ चूतीया तो किसी मेडिकल कॉन्फरंस के लिये दिल्ली गये हुये है।

तरुण:- (कम्पाउंडर से) डॉ छत्रीवाला कब तक आयेंगे।

कम्पाउंडर:- क्या काम था?

तरुण:- वह एक प्रेगनन्सी टेस्ट कराना था।

कम्पाऊंडर:- पेशंट का नाम क्या है?

तरुण :- तेजल खन्ना।

कम्पाउंडर:- तो सर, मै आपको मौर्या म्याडम का अपाँइंटमेंट दु क्या? डाक्टर साहब ने अगर आप आये तो यही कहा था।

तरुण:- हाँ ठीक है, दे दीजिए।


कम्पाउंडर:-( लिस्ट में नाम लिखते हुये) सर, आपका अगले सोमवार दस बजे का अपाँइंटमेंट है।

तरुण वहाँ से घर जाने के लिये निकलता है। तभी
कम्पाऊंडर:- आपको डाक्टर साहब ने उनके घर से एक फाइल लेने को कहा था।


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तब तरुण सीधे डॉक्टर के घर प्रकट हो गया, उसे वरदान में मिली शक्तियों में यह भी एक शक्ति थी। वहाँ उनकी पत्नी तभी नहा कर निकली थी,वह सिर्फ एक रूमाल में लिपटी हुई थी। जैसे ही उसने तरुण को देखा वह चौंक गई, और इसी हड़बड़ी में उसके बदन से रूमाल नीचे खिसक गया और वह तरुण के सामने पूरी तरह से नग्न अवस्था में आ गई। वरदान के कारण तरुण का बदन अच्छे से कसा हुआ बन गया था और उसका कध ६ फीट 10 इंच था। यहाँ डाक्टर चूतीया की पत्नी काजल के बारेमें बताऊँ तो वह 35 साल की थी लेकिन वह लग 25 की रही थी उसके स्तन ३८ के कमर २४ की और नीतम्ब ३६ के थे। उसका रंग गोरा और कध 5.6 फीट का था, उसे देखते ही तरुण का लिंग खड़ा होने लगा, और उसके ढीले पायजामे पर भी तम्बू बनाने लगा। तरुण का तम्बू देख उसने शर्माकर पूछा, "आपको क्या चाहिए?"
तरुण ने कहाँ," डॉक्टर साहब ने एक फाइल देने के लिये कहीं थी, तेजल को?"
काजल," हाँ, वह मै देती हुं।" ऐसा कहकर वह मुड़कर अलमारी की और गई, और अलमारी खोलते ही, उसमें से एक छिपकली उसपर कूद जाती है। काजल चौंककर पीछे हटकर तरुण के उपर गिर जाती है, तरुण उसे अपनी बांहों में भर लेता है। तरुण का लिंग उसकी योनी से किसी नाग की तरह फुंकारता हुआ बाहर निकलता है और उसकी योनी को स्पर्श करता है। तरुण अपना हाथ काजल के पेट पर रखता है, काजल कहती है,"जल्दी इसे मेरी उपर से हटाओ!"
तरुण काजल के पेट और नाभि को सहलाने लगता है, और आपने दुसरे हाथ से उसकी योनी पर उंगली ले जाकर सहायता है। काजल की सांसे अब तेज हो रही थी,उसके स्तन उसकी सांसो के साथ तेजी से उपर नीचे हो रहे थे। तब तरुण ने हल्के से उस चिपकली को उठाकर बाहर दूर फेंक दिया,और जल्दी से अपना वह हाथ काजल के स्तन पर रखकर दबाने लगा। अपने दुसरे हाथ की उंगली उसने काजल की योनी को सहलाते सहलाते उसकी योनी के अंदर डाल दी और अंदर गोल गोल घुमाने लगा, अपना मुंह उसकी गर्दन पर से जाकर उसे चूमने लगा। काजल अब जैसे हवा में उड़ने लगी थी, उसकी योनी से पानी बहना शुरू हो गया था। तब काजल ने पीछे मुड़कर देखा और तरुण के होंठों पर अपने होंठ रखकर तरुण के अंदर से निकलती गर्म सांसे अपनी चेहरे पर महसूस करने लगी। धीरे धीरे तरुण अपने होंठ उसके होंठों पर घुमाने लगा, और अपना एक हाथ उसकी पीठ पर घुमाकर कमर से नीचे होते हुये नितम्ब पर ले जाकर उसके गुद्द्वार में डाल दिया जिससे वह और मचल गई, वही हाथ पकड़कर तरुण उसकी मांसल जंघा उठाकर अपनी कमरतक ले आया। काजल से अब रहा नहीं जा रहा था, उसने झट से तरुण का पायजामा उसकी नीकर के साथ नीचे खींच लिया जिससे उसका लिंग बाहर निकलकर उसके सामने आ गया उसका विशालकाय २० इंच लंबा और ५ इंच मोटा लिंग उसके सामने फौलाद की तरह खड़ा था। लिंग का विशाल आकर देख वह एकदम चौंक गई और उसका मुंह खुला का खुला रह गया, उसने अपने हाथ लिंग पर रखे और आगे पीछे करने लगी। काजल अपने घुटनों पर बैठ गई और उसके लिंग पर एक चुम्बन दिया, और उसे चांटने लगी, चाटते चाटते उसने अपना मुंह खोलकर उसके लिंग के अग्र भाग को अपने मुंह में लेने लगी, जिससे एक "कट्" करके आवाज आयी। उसने जल्दी से तरुण का लिंग का अग्र भाग बाहर निकाला तो उसे पता चला की इससे उसके मुंह में एक मसल चटक गया, जिससे उसे मुंह में दर्द होने लगा मगर उसकी योनी में भी खुजली होने लगी। वह खड़ी हुई और उसने तरुण को किस किया तो तरुण ने उसे जोर से धक्का देकर पीछे बेड पर लेटा दिया और उसे चूमते हुये उसकी योनी पर अपने लिंग का अग्रभाग रखा। तरुण अब उसे चूमते हुये उसके स्तनों को दबाने लगता है और अपनी कमर से एक हल्का सा झटका देता है, जिससे तरुण का के लिंग का अग्रभाग काजल की योनी में चला जाता है। तरुण का हल्का सा झटका भी इतना जोरदार था की तरुण का लिंग उसके गर्भाशय को भेदता हुआ उसके पूरे अंदर तक चला जाता है, जिससे काजल की एक तेजी से चीख पड़ती है मगर उसका मुंह बंद होने की वजह से उसकी आवाज वही दब जाती है, मगर उसके आखों के साथ साथ उसकी योनी भी बहुत सारा पानी छोड़ देती है।काजल वहीं थकान के मारे सो जाती है, उसकी योनी का हाल ऐसा था मानों किसी ने बडा सा बंबू डाल दिया हो, उसकी योनी पूरी तरह से सुन्न हो जाती है। तरुण वह फाइल लेकर घर प्रकट(टेलिपोर्ट) हो जाता है। तरुण की सात दिन बाद बाद JEE advance की परीक्षा थी। इसीलिए वह पढ़ने बैठ जाता है, मगर जैसे ही वह पहली किताब हाथ में उठाता है उसे सारा ज्ञान मिल जाता है, इसी तरह वह सारी किताबें कुछ पलों में ही पढ़ता है और उसे सब याद हो जाता है। फिर वह दुकान जाता है जहां उसे नवनीत से लेकर एम टी जी, एस चंद की किताबें मील जाती है।एक घंटे अंदर अंदर वह सब कुछ पढ लेता है, लेकिन रिव्हिजन के लिये वह उन्हें घर ले आता है उसके पास पैसे की तो कोई कमी नहीं थी। वह सात दिन सब पढ़ते रहता है, और सात दिन बाद उसकी Jee advance कि परीक्षा होती है, जिसमें वह 360 में से 360 स्कोअर करता है।उसकी यहाँ भारत में पहली RANK आई थी, इसीलिए उसे उसके इनाम के तौर पर उसकी कोलेज की और से bmw इनाम के तौर पर मिली थी। तेजल उसके ड्राइवर सीट पर बैठ गई, तरुण उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया।
दोनों डॉ चूतीया के अस्पताल चले गये, वहाँ डॉ चूतीया तो नहीं थे, मगर उनकी सहायक डॉ महिमा मौर्या थी।

उनके बारेमें बता दू तो वह एक २५ साल की कूंवारी लड़की थी। उसकी साइझ सामान्य स्तन 33 इंच कमर 30 इंच और नितम्ब 33 के थे उनका रंग हल्कासा सांवला और लंबाई साडे पांच फीट वैसे वह बहुत पतली थी, जिस वजह से उसका शरीर ज्यादा मादक तो नहीं था।

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डॉ महिमा:- चेक अप किसे कराना है?
तेजल :- मेरा।
डॉ महिमा:- (तेजल को)आप अंदर आइए, और(तरुण को) आप बाहर वेट कीजिए।
फिर दोनों अंदर चली गई
बाहर तरुण इंतजार कर रहा था। और अंदर
डॉ महिमा:- (तेजल से)आप जरा साड़ी उपर करें गी
तेजल :- (साड़ी उपर करते हुये) यस डॉक्टर।
डॉ महिमा:- (टेस्ट सैम्पल लेते हुये)वैसे पति कौन है आपके?
तेजल :- मै सिंगल हुं, और एक सिंगल मदर बनना चाहती हुं।
डॉ महिमा:- ओके।
महिमा ने जैसे ही उसकी योनी पर नजर डाली वह चौंककर बोली
डॉ महिमा:- यह क्या हालत है इसकी! अंदर रॉड डाला था क्या?
तेजल :- (शर्माकर) नहीं! नहीं! उसका है ही इतना मोटा।
डॉ महिमा:- क्या? सच में!(चौंककर )
तेजल :-और इतना ही नहीं, उससे लगातार पर डे सिक्स अवर्स पंद्रह दिन तक किया, निकला है।
महिमा को यकीन नहीं हो रहा था, उसकी पढाई के अनुसार कोई भी ज्यादा से ज्यादा एक दो घंटे में वीर्यपात होता है। उसने फिर से होश में आते हुये टेस्ट कीट देखा और कहा
"मुबारक हो, आप माँ बन सकती है"
फिर उसने कुछ दवाइयां लिख दी और तरुण को अंदर बुलाया।
डॉ महिमा:- मुझे आपके कुछ चेकअप करने है।
तरुण :- जी डॉक्टर, कहाँ जाऊ?
डॉ महिमा:- जी, उस बेड पर लेट जाइए।
तरुण :- यस।(इतना कहकर वह बेड पर लेट गया)
डॉ महिमा:- चलिए पैंट उतारिए।
तरुण :- जी...?
डॉ महिमा:- डोन्ट शाय! मै डॉक्टर हुं, मेरे लिये यह आम बात है।
(तरुण ने पैंट उतारकर बाजू में रखी)
डॉ महिमा :- (चौंककर )अन बिलिव्हेबल, इतना बडा!तुमने कुछ बाहर का लिया तो नहीं?
तरुण :- नहीं मैम, मैने कुछ नहीं लिया।
डॉ महिमा :- आर यु शूअर?
तरुण :- हाँ मैम, सच में कुछ नहीं।
क्योंकि तरुण का लिंग भले ही सोया हुआ था, मगर फीर भी वह १६ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था, महिमा ने बहुत लोगों का देखा था मगर इतना विशाल किसी का नहीं था।
महिमा ने जांच के लिये उसपर सक्षन पंप लगाया और चलाने लगी, थोड़ी देर बाद जैसे ही तरुण का लिंग खड़ा हुआ सक्षन पंप ने दम तोड़ दिया।
डॉ महिमा:-(तरुण के लिंग पर हाथ घुमाते हुये)कितनी गर्लफ्रेंड है तुम्हारी?
तरुण :- मै किसी सिरिअस रिलेशन में तो नहीं हुं मगर, यही कुछ आठ-नौ लड़कियों को पेल चुका हुं।
अब महिमा के भी अरमान जाग चुके थे, उसके भी उत्तेजना के मारे स्तन फुल रहे थें और ब्रा टाईट होने लगी थी। वह बार बार अपनी ब्रा कपड़ों के उपर से ठीक कर रही थी।
तरुण :- क्या हुआ मैडम? आप अनकंफरटेबल क्यों है?
डॉ महिमा :- (धीरे से)पता नहीं मेरी ब्रा, टाईट हो रही है?
तरुण :- आप व्हर्जिन है क्या?
डॉ महिमा :- (असमंजस में ) मतलब?
तरुण :- नहीं, आप लग रही थी इसीलिए पूछा ?
डॉ महिमा :- तो इसका इससे क्या लेना देना ?
तरुण :- आपको नहीं पता, की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :- क्या मतलब ?
तरुण :- आपके साथ पहले कभी ऐसा हुआ है?
डॉ महिमा :- हाँ, पहले होता था जब मेरा एक्स बॉयफ्रेंड मुझे छूता था।
तरुण :- उसने कभी आपको एप्रोच नहीं किया ?
डॉ महिमा :- हाँ किया था, मगर मै अपनी व्हर्जिनीटी अपने पती को ही देना चाहती थी।
तरुण :- आप गायनेकोलोजिस्ट है, और आपको पता ही नहीं की ब्रा कब टाईट होती है?
डॉ महिमा :-(चौंककर)मतलब तुम्हें लगता है, की मै एक्साइटेड हुं।
तरुण :- अगर आपको लगता है की ऐसा नहीं है तो, आप अपने कम्फर्ट के लिये ब्रा निकालकर रख सकती है।
महिमा ने उपर से निकालने की कोशिश की मगर वह नहीं निकाल पाई, और वह तरुण के सामने अपना बदन नहीं खोलना चाहती थी।
तरुण :- अगर आपको निकालने में तकलीफ हो रही हो तो मै हेल्प करुं?
महिमा :-(तरुण की और पीठ करके बैठकर) तो ठीक है, खोल दो।
तरुण ने अपना हाथ उसकी कमीज में डाला, और अपना हाथ उसकी पीठ पर घुमाते हुये उसके ब्रा के हुक तक ले गया और उसकी ब्रा खोल दी। महिमा ने खुद को पहली बार इतना आझाद महसूस किया, तरुण के छूने से उसके रोंगटे खड़े हो गये। उसने अपनी ब्रा निकालकर अपनी पर्स में रख ली, ब्रा निकालने से उसके फूले हुये स्तनों ने वहाँ उसकी ड्रेस पर एक उभार बना दिया। अगर उसने दूपट्टा ना पहना होता तो, उसके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी। वह वार्ड के बाथरूम में चली गई और उसने अपनी कमीज उतारी, और अपने स्तन देखने लगी और उनपर अपनी उंगलियां घुमाने लगी। तरुण को बाथरूम का दरवाजा खुला दीखा और वह अंदर चला गया, वहाँ उसने जो देखा उसे देखकर उसका लिंग भी खड़ा हो गया, अंदर महिमा अर्धनग्न अवस्था में थी, उसने उपर से कुछ नही पहना



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operation kindness
डॉ महिमा मौर्या, माही मौर्या


हुआ था और वह अपनी ही धुन में अपने स्तनों से खेल रही थी। तभी तरुण ने धीरे से दरवाजा बंद किया, और महिमा की पतली और चिकनी कमर को पीछे से पकड़ लिया लेकिन महिमा ने उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। तरुण फिर अपने हाथों को उसकी कमर पर घुमाते घुमाते उसके पेट पर ले गया, वह अपना दायां
हाथ उसकी नाभि के आस पास घुमा रहा था, और अपना बायां हाथ उसके उपर ऐसे घुमा रहा था की स्तनों को उसका स्पर्श हो सके। अपना हाथ दायां हाथ घुमाते घुमाते जैसे ही तरुण ने महिमा की नाभि में उंगली की, वह सिसकारिया भरने लगी, उसने तरुण के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हें अपने स्तनों पर ले आकर घुमाने लगी । तरुण मौके पे चौका मारते हुये उसके स्तनों को दबाने लगा, उसके दबाने से वह और गर्माने लगी और मुंह से "अम्म्म्!! अम्म्म्!?" करके सिसकारिया निकालने लगी। तरुण ने उसके दोनों स्तन बहुत जोर से दबा दिये, जिससे वह जोर से चीख पडी, और उसने पलट कर पीछे देखा और तरुण की और देखकर स्तब्ध हो गई। तरुण ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसके मुंह में अपनी जबान डाल दी, महिमा अंदर से इतनी गर्म हो चुकी थी की उसने भी तरुण को अपनी आहोश में भर लिया और उसका साथ देने लगी। महिमा अब पूरी तरह से काम रस में डूब चुकी थी, तरुण ने उसकी कमर को जकड़ लिया और उसपर अपना हाथ घुमाते घुमाते उसे उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसके नितम्बों पर अपने हाथ घुमाने लगा। महिमा के नितम्ब बहुत चिकने थे और काफी नर्म और मांसल भी, तरुण उन्हें ऐसे दबा रहा था जैसे निचोड़ कर रस निकालेगा। महिमा अब काफी खुल चुकी थी, उसकी योनी ने इतना पानी छोड दिया था की अब उसकी पैंटी के साथ साथ उसकी सलवार पर भी पानी का दाग दिखायी दे रहा था। तरुण ने अलग होकर जैसे ही उसपर नज़र डाली वह शर्माकर नीचे देखने लगी, तरुण ने तेजी से उसकी सलवार का नाडा खींच लिया और उसकी सलवार झट से उसके पैरों से फिसलते हुये नीचे गीर गई। तरुण अब उसके स्तनों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा, वह अब अपने हाथों से इतना ज्यादा जोर लगा रहा की महिमा के मुंह से सिसकारिया निकलने लगी वह अब तड़प ने लगी थी। तरुण इतनी जोर से उसके उरोज निचोड़ रहा था की वहाँ से दूध निकलना शुरु हो गया, तरुण ने अपनी जबान बाहर निकालकर उसके स्तनों का दूध चाट रहा था। महिमा इतनी उत्तेजित हो रही थी की अपने मुंह से,"म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म् म्म्म्म्म् हा... म्म्म्... आ.... हा.... तरुण अब नहीं रहा जाता , जल्दी से डालो अंदर म्म्म्...."
तरुण :-( उसे छेड़ते हुये) क्या और कहाँ डालू?
डॉ महिमा :-आआह!!!!आआ!!!ह!!!!आ!!!!आ!!!!आह!!!! तुम्हारा आह!!!! आ!! लं!!! लंड!!!म्म्म्म्म्!!! मेरी आह!!!! आह!!!!!!! आह!!!!!!चूचू!!!!!!चूत आह!!!! में जल्दी!!ईईई!!!
तरुण अभी भी उसे और तडपाना चाहता था, वह उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके स्तनों से बहता दूध पी रहा था, उसके स्तनों को इतनी जोर से मसले जा रहा था की वहां से बूंद की जगह धाराएं बहने लगी। तरुण सारा दूध अपने मुंह में ले रहा था, वह सिसकारिया लिये जा रही थी। तरुण अब उसके स्तन भी चूस रहा था, चूसते चूसते वह अब उसकी गर्दन पर चूमने लगा।गर्दन से उपर ले जाकर उसके होंठ गाल सबपर चूम्बन बरसाने लगा, और उसके होंठ अपने होठों में दबाकर उसने एक जोरदार धक्का दिया जिससे तरुण के लिंग की नोक उसकी योनी में चली गई। तरुण के लिंग की नोक किसी सिजन बॉल जितनी बड़ी थी, माही जोर से चीखने लगी मगर उसका मुंह तरुण ने अपने होंठों से दबाकर रखा था, जिसके कारण उसकी चीख अंदर ही दब गई। फिर तरुण ने एक और झटका देकर अपना लिंग उसकी योनी के आखिर तक ले गया, माही ने उसकी पीठ में नाखून गाड़ने की कोशिश की मगर उसके नाखून नहीं घूसे। यहा तरुण का लिंग उसके गर्भाशय तक पहुंचने के बाद भी आधे से ज्यादा बाहर था, इससे माही के आखों से आंसू बहने लगे। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा सा पीछे ले कर एक और झटका दिया, जिससे उसका लिंग माही के गर्भाशय के अंदर घूस गया, वह एक और बार दर्द से कराह उठी। माही की योनी कुवांरी होने के कारण उसका खून बहने लगा, तरुण ने उसे झटके देना शूरू रखा। माही चीख रही थी, अब धीरे धीरे वह चीखें सिसकारिया बन गई। तरुण ने अपने धक्के तेज कर दिये, थोड़ी ही देर में माही की योनी सिकुड़ने लगी, उसने अपने पैर तरुण की कमर पर लपेट लिये, "आ!!!" , की चीख के साथ उसने पानी छोड़ दिया। तरुण का तो झड़ने का सवाल ही नहीं था, उसका खड़ा देखकर माही को तरुण की बात पर यकीन हो गया। तरुण ने कहा," हो गया, या और करना है?"
माही," नहीं, नहीं अब बस" दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये, और बाथरूम से बाहर आ गये।
बाहर
तेजल :- इतनी देर?
माही:- वह चेक अप थोड़ा लंबा चला।
तेजल उसकी बदली हुई चाल देखकर समझ गई की क्या हुआ है, तेजल ने शरारत भरी नजरों से तरुण को देखा तो तरुण ने भी उसे थोड़ी अभिमान भरी मुस्कान दी और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे ले गया।

दोनों फिर जाकर गाड़ी में बैठ गये।


यहाँ गाड़ी तेजल चला रही थी, और तरुण गाड़ी के पीछे बैठ गया। तेजल ने बोला, "पीछे क्यों? आगे बैठ।" तरुण बोलता है, " तुम कहती हो तो आज गाड़ी मै चला लु?"
तेजल ने पूछा," तुझे आता है क्या?"
तरुण बोला, "हाँ।"
तो तेजल उठाकर पीछे आ गई, और तरुण आगे बैठ गया, दोनों ने सीट बेल्ट लगा लिये।तरुण ने गाड़ी शूरू की और थोड़ी ही देर में दोनों घर पहुँच गये। तेजल जाकर सो गई, और तरुण जाकर अपने कमरे में चला गया। तरुण ने आयना निकाला और अयाना को पूछा, "मुझे सैतानासुर के जन्म का रहस्य तो तुमने बता दिया, अब मुझे उसकी मृत्यु का रहस्य बताओ।"

अयाना आयने में अपने आत्मा रूप में प्रकट होती है, और तरुण को आगे की कहानी सुनाने लगती है:-
फिर मण्डूकासुर ने सैतानासुर का पालन किया, तब ताडकासुर असुरों के राजा थे। समय के साथ जब वह छह वर्ष का हो गया, तब उसे गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में भेज दिया। जहाँ वह भी बाकी विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई करता था और दिन में दो बार उसी अक्षया पात्रों से दुग्ध पीता था। एक दिन शुक्राचार्य ने प्रश्न पूछा," आप बडे होकर क्या करना चाहते है? कैसे असुर बनना चाहते है?"
तो कोई बोला वजरांग जैसा, तो कोई बोला ताडकासुर जैसा, तो कोई मधु कैटभ तो कोई वृत्रासूर जैसा बनना चाहता था। और जब उन्होंने सैतानासुर से पूछा तो उसने बताया ," गुरुदेव यह सब ऐसे है की, इनकी मृत्यु हो गई तो उनका प्रभाव समाप्त हो जायेगा, मै ऐसा असुर बनना चाहता हूं की जिसका प्रभाव मरने के बाद भी रहे।"
शुक्राचार्य मुस्कराकर बोले," तुम यह कैसे करोगे?"
सैतानासुर बोला,"देवता तब तक शक्तिशाली रहेंगे, जब तक पृथ्वी पर यग्य होंगे, क्या हो अगर लोग यज्ञ करना ही छोड़ दे?"
शुक्राचार्य ने पुछा,"तो जरूर देवता निर्बल हो जायेंगे,परन्तु तुम यह करोगे कैसे? "
सैतानासुर ने बताया ," मनुष्य यज्ञ, पूजन, तप और व्रत किसलिए करता है? उसका जीवन यापन सहज हो इसलिए, अगर हम नास्तिक तथा, असुरों को पूजने वालों को कम भक्तिभाव के बदले अधिक धन दे तो?"
शुक्राचार्य, "इसलिए तुम्हे श्री चक्र उपासना करनी होगी।"
सैतानासुर, "नहीं, हम अगर किसी भी देवता से वरदान प्राप्त करेंगे तो हम देवताओ की दृष्टी में आ जायेंगे, फिर हमारा उद्देश्य पूर्ण नही हो पाएगा, हमें यह कार्य किसी देवता की दृष्टी में आये बगैर करना होगा।"
शुक्राचार्य, "ठीक है, आज की शिक्षा यह समाप्त हुई, सैतानासुर को छोड सभी जा सकते है। "

इस तरह सैतानासुर के गुरुकुल की कथा समाप्त हुई।
 
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