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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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Kamuk219

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यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसे, हमेशा लड़कियाँ चिढाया करतीं थीं। उसका नाम तरुण था।

काँलेज के बडे बच्चे उसे बहुत परेशान किया करते थे। वह एक अनाथ बच्चा था जिसे एक बीस साल की जवान लड़की ने आठ साल पहले गोद लिया हुआ था, तब वह एक मासूम, और अनजान बच्चा था और अनाथ आश्रम से स्कूल आया करता था। उसकी क्लास में एक टिचर आया करती थी। वह एक कमसीन हसीना थी, तब उसका रंग गोरा,

कध 5 फूट 6 इंच उसका नाम तेजल था।

सीना 33, कमर 24, गांड 34 की थी, लेकिन वह बहुत सक्त लड़की थी वह हमेशा ऐसी साडी पहनती थी जो पूरी तरह उसके बदन को ढक सके, क्योंकि वह ये मानती थी की, बढ़ते रेप का कारण लड़कियों का बदलता पेहराव है। अब आठ साल बाद वह २८ साल की हो चुकी थी और वह लड़का १८ साल का बारवी में चला गया दसवीं में लड़के उसे बहुत चीढाया करते थे। और लड़कियां भी। वह जिस स्कूल में था वहाँ एक लिडर थी।

उसका नाम ज्वालामुखी चौटाला था। वह इनस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला की बेटी थी, बिलकुल अपनी माँ पर गयी हूई थी। उसकी माँ भी हवलदार से छोटीसी गलती होने पर भी अच्छेसे पिटती थी। वैसे भी वह दिखने में भी माल थी। मगर सब उससे डरते थे।
चंद्रमूखी चौटाला

और एक दिन तरुण की ट्रीप गई। वह भी उसमें गया था,

सभी लड़कियों की एक गँग थी, वैसे कहने के लिये तो वह एक महिला संगठन था, मगर उनका काम सिर्फ, लड़कियों को ट्रेन करना था, वह भी कैसे लड़कों को, हुस्न के जाल में, फसाना और उनको कूछ दिये बिना उनसे अपना काम, निकलवाना और जानभुजकर परीक्षा के समय उन्हें, भटकाना ताकि लडकोंका निकाल कम आये। इस साल उस गँग की हेड ज्वालामुखी थी। वह हर बार लड़कों को चँलेंज करतीं धोकेसे जीतकर, लड़कों की रँगींग करती। अब सभी लड़कों कों एक रस्सी खेच का चँलेंज दिया गया था। अगर लड़के जिते तो, लड़के जिस लड़की को चुनेंगे वह नंगी होकर सबके सामने नाचेगी, और, अगर लड़कियाँ जीती तो वह एक लड़के को नंगा करके नचायगी। यह बात सब लड़कियों को पता थीं, क्योंकि उन्हें सिनीयर लड़कियों ने उन्हें सबकुछ सिखाया हुआ था। मगर हारने की वजह से सिनीयर लड़के लड़कों को नहीं बताते थे। फिर बच्चों के लिडर रोहित ने तरुण को बाहर भेज दिया ताकि वह कुछ फल ला सके, उन्होंने चँलेंज शूरू कर दिया।

वहाँ आगे किसी देवी का एक मंदिर था, आयना देवी उसका नाम। तरुण ने अंदर जाकर देखा तो, वहाँ एक औरत की मूर्ति थी। एकदम कमसीन साडे पांच फूट उचाई। ३६ २४ ३६ का बदन। तरुण ने सोचा की, अगर यह जिंदा होती तो। मै इसे ऐसेही चोद देता। फिर वह थोड़ा आगे गया।

तरुण रास्ता भटक गया। और वह एक पेड़ के पास पहुंच गया और वहाँ एक ब्रह्मराक्षस कहीं कल्पों से वहाँ बैठा इंतजार कर रहा था,


तरुण जैसे ही, वहाँ पहुंचा ब्रह्मराक्षस उसे बोला

ब्रह्मराक्षस:- मै तुम्हें आब तीन प्रश्न पुछुंगा तुम्हें उसके जवाब देने होंगे, अगर दो सही आयेंगे तो तुम यहाँ से सुरक्षित बाहर जा सकते हो। और अगर तीनों सही हुए तो मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी। और अगर पहले दों में से अगर एक भी गलत हुआ तो मै तुम्हें खा जाऊंगा।

तरुण :-ठींक है, पूछो।

ब्रह्मराक्षस:-ऐसा कौन सा विकार है, जो एक पुरुषार्थ भी है?

तरुण :-काम।

ब्रह्मराक्षस:- दूसरा सवाल, ऐसा कौन सा पुरुषार्थ है, जो केवल व्यक्ति का अपना होता है। पत्नी या पती को उसका आधा नहीं मिलता?

तरुण :- मोक्ष।

ब्रह्मराक्षस:- सही, तीसरा सवाल देने के लिये तुम्हें एक कहानी सुननी पडेगी। ( फिर कहानी शुरू होती है।)

" बहुत साल पहले, एक राजा था,भानूप्रताप उसका नाम। वह बहुत पराक्रमी था, मगर बेऔलाद था। क्योंकि उसकी जवानी, युद्ध में गई थी। और साठ की उम्र में उसने अपने मित्र की जवान बेटी, श्यामली से विवाह किया था। वह एक सुंदर कन्या थी। मगर राजा के बुढे होने के कारण, वह बे औलाद थीं। वह अब २० साल की हो चुकी थी। उसकी आकृति ३६ २३ ३६ की थी सब कहते थें की, "बूढ़े बंदर के गलेमें मोतीयोंका हार।"

राजा जो की, बूढ़ा हो चला था और अपने राज्य के लिये चिंतित था, राज्य गुरु सदानंद के पास गया और अपनी समस्या रखी। सदानंद ने तब कहा,"महाराज सिर्फ पुत्र होने से कुछ नहीं होगा, राज्य की रक्षा के लिये आपको आपकी भांति एक तेजस्वी पुत्र चाहिए होगा। और किसी सामान्य मनुष्य के संभोग यह नहीं होगा, उसके लिये आपको किसी तपस्वी का संभोग चाहिए होगा।"

राजाने कहां "अब तपस्वी कहां से लायेंगे गुरुदेव"

तब आचार्य ने कहा ,"मेरे मित्र, कृतानंद जी आपके राज्य के बाहर काली पहाड़ियों में चालीस सालों से तपस्या कर रहे है। उन्होंने इतना तपोबल अर्जित कर लिया है, की आठ दस प्रहर तक लगातार स्त्री के साथ संभोग कर सके, मगर इस कार्य के लिये आप बस महारानी को तैयार कीजिए।"

रानी यह सब सुन लेती है, और कहती है,"हम तैयार है, महाराज, आप बस मुझे एक दिन का समय दीजिए, हम कर लेंगे।" तब राजा खुश होता है। फिर महारानी मंत्री को आज्ञा देकर सजावट और मेहेंदी निकालनेवाली लड़कियों को बुलाकर अपने पूरे शरीर पर मेहेंदी निकलवाती है। और दुसरे दिन स्नान करने के बाद वह सोलह श्रृंगार कर सबसे सुंदर वस्त्र और आभूषण धारण करती है। और वहा जाने के लिये निकलती है, उनके जाने के लिये सेनापति ने पहलेसे ही तेज घोडोंके साथ रथ बनाया होता है। और सब पहले प्रहर के अंदर ही वहां पहुंच जाते है।वहां सुरक्षा के लिए सेनापति,सारथी,सैनिक और सदानंद जी होते है। फिर सदानंद जी सैनिक और सेनापति को वहीं ठहरा कर आगे निकल जाते है, और सदानंद जी उन्हें ऋषि कृतानंद तक पहुंचा देते है। वहां कृतानंद के तेज से, रानी अपने आप आकर्षित होती है, और आगे बढ़ती है और राजा आचार्य जी के साथ। वहाँ से दूर चले जाते है। और फिर रानी नृत्य करती है, मगर ऋषि पर उका कोई असर नहीं पड़ता। फिर वह उन्हें स्पर्श करने लगती है, मगर वह भी बेअसर होता है। फिर यह बात उसके अहं पर आ जाती है। और वह अपने सारे वस्त्र उतारकर नंगी होकर ऋषि की जंघा पर बैठ जाती है। इससे ऋषि की तपस्या भंग होती है। और वे आंखें खोल देते है, पर एक सुंदर नंगी स्त्री को देखकर क्रोध करने के बजाय उत्साहीत होकर रानी के स्तन दबाने लगे फिर, रानी के होटों को चुमते है। फिर उसकी जुबान पर जुबान घुमाकर फिर उसे नीचे चुमता हुआ उसकी गर्दन से होकर, उसके वक्ष को चुमते चुसते और दूसरे स्तन और स्तनाग्र को मसल रहे थे। अब रानी भी उत्तेजित हो रही थी, उसके मुंह से,"आह..मं..मं" जैसी सिसकारीया निकल रही थी। उससे ऋषि और ज्यादा उत्तेजित हो गये, और उन्होंने अपना डेड वित(8 इंच) का लिंग उसके योनी के अंदर पुरा डाल दिया । रानी चिल्लाती इसके पहले ऋषि ने उसके मूहपर होट कस दिये। और उनकी चिख दब गई। और ऋषि उन्हें जोर जोर से धक्के लगाते रहे। एक प्रहर बीत गई, इसके साथ रानी चार बार झड़ चुकी थी, मगर ऋषि एक बार भी नहीं झडे। उन्होंने रानी के पीछे आकर, उन्हें झुकाकर उनके स्तन पकड़कर जोर जोर से धक्के लगाने लगे। और जोर जोर से उनके स्तन मसलने लगे। ऐसा आठ प्रहर चलता रहा और आखिरकार ऋषि झड गये। और रानी की योनि वीर्य से भर गई और दोनों वहीं। नीढाल होकर वहीं सो गये। और सुबह उठ कर जब रानी ने ऋषि को कुछ मांगने को कहा, तो ऋषि ने रानी को दासी बनकर सदा उनके साथ रहने की मांग की, मगर रानी लालची थी उसने कहा, की वह कुछ भी मांग ले, मगर मगर राज्य छोड़ने को ना कहे, फिर ऋषि ने उसकी बेटी को मांग लिया, रानी बोली अगर बेटा हुआ तो मै राजमाता बनुंगी, बेटी आपकी हुई। औरा वह कपड़े पहनकर राजा के पास चली गई। और ऋषि ने इस बार एक पैर के अंगूठेपर खड़े होकर तपस्या शुरू कर दी। रानी को नौ महीने नौ दिन बाद एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई। बेटे का नाम रोहित और बेटी का नाम अयाना था।सदानंद जी के आश्रम में उनकी शिक्षा पूरी हुई। २० साल बीत गये। और ऋषि वापस आये उनकी तपस्या पूरी हो चुकी थी और विश्वकर्मा से उन्हें वह आयना प्राप्त हो चुका था। वह तब रानी ने अयाना का विवाह ऋषि से कराया, इससे अयाना ज्यादा खुश नहीं थी। क्योंकि ऋषि की उम्र ७० साल थी। ऋषि राजकुमारी को लेकर आश्रम चले गये और आश्रम का सारा कार्यभार अयाना पर डाल कर वरदान में मिला आयना सिद्ध करने चले गये।

यहा पांच साल बीत गये, वहाँ अयाना की हवस, दिन दिन बढ रहीं थी। एक बार राजा उग्रसेन वहां शिकार करने आये। वह बहुत पराक्रमी राजा थे तप करके उन्होंने ईश्वर से भी अनंत गुणा शक्ति,दिव्य, और जब चाहे उतने ब्रम्हांड बनाने और मिटाने की शक्ति थी, अस्र प्राप्त कर लिये थे। उन्होंने अंतरिक्ष में अपना खुद के तारे ग्रह बनाये थे, वहां उनका राज था। चलिए कहानी आगे बढाते है-

तब अयाना नदी पर पानी भरने गयी थी, और वह नदी के किनारे गई, उसने मटके में पानी भरा, और मटका किनारे रख कर अपनी साडी उतारी फिर अपने तरबूज जैसे स्तनों को उस पीले कपड़े से स्वतंत्र कीया, और एक कपडा लपेटकर पानी में स्नान करने उत गई, तभी अचानक पीछे से उसपर एक मगरमच्छ ने हमला कर दिया, वह अपने आप को बचाने के लिये बहार कुद पडी लेकिन उसका कपड़ा मगरमच्छ के मुंह में फंस गया और वह पूरी नग्न हो गई तभी एक बान तेजी से मगरमच्छ के मुंह मे लगा और वह वही ढेर हो गया। अयाना उसे देखती ही रह गयी, और तभी वहा राजा उग्रसेन आ गये। और अयाना का वह सुडौल शरीर, उनके सामने पूरी तरह से नग्न था, अयाना अभी भी झटके में थी। डर के मारे वह जोर जोर से हांफ रही थी, और उसकी सांसो के साथ उसके वह जवानी के साथ भरे हुये उरोज, बडे ही मादक लग रहे थे। उसकी वह नागिन की तरह पतली कमर और भरे हुये नितम्ब मादकता बढा रहे थे, राजा के मन में। उसका वह दूध जैसा गोरा रंग उस कागज़ की तरह था, जिसपर किसी ने दस्तखत नहीं की थी, अब राजा उसपर पूरा निबंध लिखने जा रहा था। राजा ने धीरे धीरे से अपना दायां हात उसके बायें कंधे पर रखा तब अयाना होश में आयी और खडी हो गयी, उसने राजा की आंखों में देखा और राजा ने उसका बायां हाथ अयाना के दायें कंधे पर रखा, तभी होश सम्भाल कर अयाना ने अपने स्तन ढक लिये मगर, अब देर हो चुकी थी, राजा ने अपने हात उसके कंधों से नीचे सरकाते हुये उसकी कोन्ही तक ले आये,और जोर से कोन्ही पर अंगूठा दबाया उससे अयाना उत्तेजित हो उठी और उसके हाथ अपनेआप उसके स्तनों से हट गये। अब राजा ने अयाना के उरोजों पर चूम्बन दिया, जिससे अयाना की उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी और उसके यौन के मुख से कामवासना की नदी बहने लगी। वह भी विरोध रोककर राजा का साथ देने लगी थी। और वहाँ कृतानंद ऋषि की सिद्धि पूरी हो चुकी थी। जब देवता जाने लगे तब देवताओं ने कहां, "यही आयना तुम्हें सबसे ज्यादा दुख देगा" तब ऋषि ने आयने से कहा की मुझे मेरी पत्नी दिखाओ तब आयनेने उन्हें वहाँ का माहोल दिखाया। तब ऋषि क्रोधित हो उठे, उन्होंने आयने की मदत से सीधे वहाँ प्रस्थान किया और चिल्लाकर कहा ,"देवी!!! एक ऋषिपत्नी होकर भी आपमें जरा भी संयम नहीं है, मेरे जाते ही आप मार्ग डगमगाने लगी तो जाइए हम आप को श्राप देते है की आप अनंत काल तक पाषाण बनी रहेगी", और देखते ही देखते वह एक पाषाण में परिवर्तित हो गई। और फीर वह राजा से बोले,"राजन!! इस कार्य में आप भी बराबर के भागीदार है, इसीलिये हम आपको भी श्राप देते है की, आप सदा के लिये यही एक ब्रह्मराक्षस बन कर इसी वृक्ष पर निवास करेंगे, और जब भी कोई आप को आपके प्रश्नों का उचित उत्तर देगा उसे आप की सारी शक्तियां और वरदान प्राप्त होंगे और आपको मोक्ष और हर क्षण के साथ आप की शक्तियां जो उसे मिलने वाली है वह अनंत गुणा बढ़ती जायेंगी।"और उसके साथ राजा देखते ही देखते ब्रह्मराक्षस बनकर वृक्ष पर लटक गये। और कहीं कल्प बित गये मगर वह अभीभी इंतजार कर रहे है।"(और इस तरह ब्रह्मराक्षस की कथा समाप्त हुई)

ब्रह्मराक्षस:- क्या उत्तर देने के लिये तैयार हो?

तरुण:- हां।

ब्रह्मराक्षस:- तो बताओ वह राजा और ऋषिपत्नी कौन है।

तरुण:- वह राजा आप है। और ऋषि पत्नी है वह देवी जिसका मंदिर मैंने देखा था।

ब्रह्मराक्षस :- सही आज और इसी समय से मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी हुई, अब तुम जो चाहे वह कर सकते हो, जिसे चाहे अपना दास बना सकते हो, जितने चाहे विश्व निर्माण और नष्ट कर सकते हो, अपनी शक्ति से किसी भी स्त्री के मन में वासना भर के उसे संभोग कर सकते हो, पर मेरा एक काम करो मेरी यह माला जिस देवी के मंदिर से तुम आ रहे हो उसे चढा दो।

इतना कहते ही वह राक्षस अदृश्य हो गया और उसके कहे मुताबिक तरुण सीधे मंदिर में चला गया और मूर्ति के गले में हार डाल दिया ऐसा करते ही, मूर्ति जी उठी और वह एक कमसीन औरत में बदल गयी, उसके बदन पर जरा भी जरुरत से ज्यादा मांस नहीं था मगर जहां होना चाहिए वहा भरपूर था, उसका कटिला बदन तरुण को आकर्षित कर रहा था। उसने सिर्फ एक हल्के पीले रंग की साडी पहन रखी थी, जो उसने कमर में कस रखी थी, उसने ब्लाउज नहीं पहना था।उसके तरबूज समान उरोज तरुण के मन मे वासना तब तरुण ने उसे कहा,"आपका बदन तो कामरस की नदी समान है, आज्ञा हो तो कुछ प्याले मै भी पी लू?" तरुण के ऐसा कहते ही ऋषिपत्नी पीछे मुड़कर जाने लगी तभी तरुण ने उसकी साडी का पल्लू पकड़ लिया और उसकी वजह से उसकी कंधे से साडी उतर गई और उसके गोरे दूध जैसे उरोज और उसके साथ उसके गुलाबी स्तनाग्र दिखने लगे, उसने अपने हाथों से उन्हें ढक लिया, पर तभी तरुण ने साडी जोर से खींच ली, जिससे वह गोल गोल घूमते हुये सिधे तरुण के बदन पर आ गिरी, तरुण और वह साथ में फर्श पर गीर पडे और तरुण के होठ उसके होठोंपर लग गये जिससे तरुण का लिंग खड़ा हो गया, उसने पँट उतार दी, वह उसकी योनी पर झटके मारने लगा इससे ऋषिपत्नी उत्तेजित हो उठी और उसने तरुण का लिंग अपनी योनि में डाल लिया और उसकी चीख निकल गई और वह उपर नीचे होकर उछलने लगी, मगर तरुण का लिंग वरदान की बजह से १० इंच का हो चुका था, और उस वजह से वह, "म्म्म् !आहा!" करके कामूक सिसकारीया निकाल रही थी। तब तरुण अपने हातोंसे उसके स्तन मसल रहा था, इसी तरह दोनो साल भर काम के समंदर में गोते लगाते रहे और वहां उन्हें आखिरकार वह चरम सुख का मोती मिल गया दोनों झड गये उनका रस उस दिव्य आयने पर गिरा और वह निले पदार्थ में बदल गया, और बहुत प्यास लगने की वजह से तरुण उसे पी गया इससे जैसे उसे कोई झटका लगा उसका बदन तनने लगा उसे अपने अंदर अजीब शक्ति का अहसास होने लगा उसका लिंग अब तनकर १५ इंच लंबा और ३ इंच मोटा हो चुका था, उसका बदन किसी पहलवान की तरह मस्क्युलर हो चुका था। और जब उसने इस बारे में अयाना से कहा तो उसने बताया की यह नीलनीर था जो अमृत बनाने के लिये उपयोग में लाया जा सकता है। उसकी एक बूंद से अमृत का पूरा सागर बन सकता है। और उस नीलनीर को तुमने नदी भरकर पी लिया। इससे तुम्हारी शक्तियां और दिव्य अस्त्र अनंत गुना शक्तिशाली हो गये है और तुम मृत्यु, शाप, कुदृष्टि, कुदशशा से सुरक्षित हो और इससे ऐसी महक आयेगी की तुम कीसी को, भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हो, और उसकी हवस को चरम पर पहुंचा कर संभोग के लिये विवश कर सकते हो। और इसके साथ तुम्हारा विर्यपात भी तुम्हारी इच्छा पर आधारित रहेगा।

ज्वालामुखी चौटाला
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तेजल
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इतना कहते ही अयाना एक नीली रोशनी में बदल कर आयने में चली गई।
फिर तरुण वहां से भागा मगर, समय सेतु की वजह से वह उसी समय में पहुंच गया जहां से वह आया था।
वहा लेडी गँग ने अपनी चाल शुरू कर दी थी, उन्होंने जो सिरा उनकी तरफ था वह पिछे वाले एक पेड़ को बांध दिया था। जो लड़कियों के बिच में होने के कारण लड़कों को नहीं दिखाई दे रहा था। सब थकने लगे थे लड़कियाँ सिर्फ खडी खड़ी लड़कों के थकने का इंतजार कर रहीं थी, जिसके कारण अब लड़के थकने लगे थे अब लड़कियों ने जोर लगाया और थकान के कारण लड़के हारने लगे की तभी तरुण आ गया और उसने एक हाथ से रस्सी के साथ लड़कियाँ तो खींच ली पर, पेड़ भी जड़ों से उखाड़ दिया जिस वजह से लड़कियाँ हार गई और उनके जितने का रहस्य भी उजागर हो गया। अब सब लड़कियों की पंचायत हो चुकी थी। अब सब लड़के तरुण को सुझाव देने लगे थें की किसे चुने, मगर
मगर तरुण ने सिधे ज्वालामुखी को चुन लिया, जिससे सभी उसका साहस देखकर चौंक गये उसने सीधे पत्थर पर पैर दे मारा,तब ज्वालामुखी ने उससे कहा,"क्या ऐसे बदला लोगे? जाने दो, ना यार! प्लिज, आगे से कभी तंग करेंगे", तभी बीच में पड कर राज ने कहा,"अगर तुम्हारी जगह कोई और आ गई, तो हम तुम्हें छोड़ देंगे मगर शर्त यह है की तुम किसी पर ना तो जबरदस्ती करोगी ना ही कोई लालच दोगी, और यह तुम्हें सिर्फ़ २० मिनीट में करना होगा।", तेजल को यह पहले आसान लगा मगर जब भी वह किसी लड़की की तरफ जाती, वह उससे मुहं मोड लेती,कोई भी इसके लिये तैयार नहीं हुई। जब उसने कहा,"मैने हमेशा तुम्हें लड़कों की बुरी नजरों से बचाया और आज तुम सिर्फ न्युड..." तभी, उसकी बात को काटते हुये कोमल बोली,"तुमने जो किया वह तुम्हारे अहंकार और तुम्हारा कोई BF नहीं, या कोई लड़का नॉर्मल लड़की की तरह तुमसे दोस्ती नहीं करता इसी लिये, हमारी सुरक्षा के लिये नहीं, और जब तुमने कहा था की तुम पर कोई भी संकट आ जाये तुम हम पर कोई आंच भी नहीं आने दोगी। और जब आज सचमुच तुम पर आ गया तो तुम हम पर डालना चाहती हो और न्युड तुम्हें इतना ही नॉर्मल लगता है, तो तुम खुद क्यों नहीं हो जाती।" और सब कोमल के यह शब्द सुनकर सभी चौंक गये, और सभी लड़कियाँ कोमल का साथ देने लगी और कोमल को भी यह पता नहीं चल रहा था की वह ये क्या बोल गई। असल में यह तरुण की मोहिनी शक्ति का कमाल था, जो उसे उस वरदान में मिली थी, उसने कोमल के दिमाग में घुसकर यह बुलवाया था। तो अब सब कुछ ज्वालामुखी पर आ गया वहां करीब ५० से ६० लड़के थे, और उनके सामने उसे नग्न होना था। वह अब अपने कपड़े उतारने लगी, उसने एक नीले रंग का टॉप और एक काले रंग की जिन्स पहनी थी।

उसने अपने टाँप की अगली झिप खोलकर उसे उतार फेंका और क्याब्रे शुरू किया, ऐसे लग रहा था जैसे कोई अप्सरा नाच रही हो। उस वक्त डूबते सूरज की रोशनी में उसका बदन और उभर कर दिख रहा, था उसके गोरे गोरे ३० के स्तनों की गहराई उसके नितम्ब ३० के हो चुके थे, जो उसकी २६ की कमर के साथ बहुत मादक लग रहे थे, फिर उसने अपनी ब्रा उतारी इससे वह पूरी तरह से टॉपलेस हो चुकी थी। उसके गुलाबी स्तनाग्र बहुत ही ज्यादा मादक लग रहे थे। जिस वजह से वह आब आगे बढ कर ये खत्म करने जा रही थी। वह अब पीठ के बल नीचे लेट गई। और टांग हव में लहरा कर उसने अपनी जींस और पैंटी उतार फेकी, फिर पास ही में खड़े एक बांस के पेड़ को जाकर लिपट गयी। और फिर धीरे धीरे उससे अलग हुई, मगर सिर्फ अपना सीना अलग किया पैर बास के पास रखे। और फिर आगे पिछे होकर, दायां पैर उपर उठाते हुये उसी पैर के घुटने से बांस को पकड़ कर उसके आसपास गोल गोल घुमाकर पोल डांस करने लगी। और उसमें उसका पसीना उसके संगमरमर जैसे बदन को चमकदार बना रहा था। फिर ट्रेन आने का वक्त हो गया और ज्वालामुखी का डांस रूक गया, और उसने कपड़े पहन लिये। और सब जाने लगे और तब सभी लड़के तरह तरह के कमेंट करके उससे फ्लर्ट कर रहे थे। और वह विरोध करने के बजाय उसका आनंद ले रही थी। तब तरुण राज के पास गया और धीरे से उससे पूछा,"तूने उसकी पैंटी और ब्रा पर व्हिक्स क्यों लगाया?", तब राज ने उसे बताया की,"वह व्हिक्स नहीं बल्कि एक खास तरह की दवाई है, जो जंगल की खास जडी बुटी यों से बनाई जाती है। यह मुझे मेरे दोस्त मंगल ने बनाना सिखाया था, यह भारत में गैर कानूनी है, क्योंकि इसका असर बहुत तेज होता है। अगर किसी औरत के नाजुक अंगों पर इसे लगा दिया जाये तो वह इतनी गर्म हो जायेगी की, किसी से भी चुदने को तैयार हो जायगी, हाँ और इसका असर तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कोई उसे चोदकर शांत नहीं कर देता।",
तरुण :- इसका मतलब यह है की अब यह बस में भी?
राज:- हां वह बस में भी तैयार हो जायेगी और वह ये भी नहीं देखेगी की कौन है, उसे सिर्फ लंड चाहिए फिर वह कोई भी हो इंसान, कुत्ता या घोडा ही क्यो ना हो।
तरुण :- वैसे इसकी कितनी मात्रा तुने लगाई है?
राज :- असल मै इसका २ ग्राम किसी भी लड़की या औरत को तैयार कर देता है, मगर मैने इसकी पैंटी में पूरा २० ग्राम लगा दिया है।
तरुण:- अबे अगर तुझे उसे चोदना ही था, तो हम फिर कभी प्लान बनाकर चोदते।
राज:- बात अगर सिर्फ हवस की होती तो अबतक मै उसे चोद चुका होता। मगर मुझे मेरा बदला चाहिए।
तरुण :- बदला?
राज:- हाँ, बदला उसकी माँ चंद्रमुखी चौटाला ने मिलकर मेरे बडे भाई की जिंदगी खराब कर के रख दी। मेरा भाई जब निट की तैयारी कर रहा था तब इसकी माँ ने मेरे भाई पर किसी के रेप का झूठा इंझाम लगाकर फंसा दिया, और वह ठीक तरह से अपनी पढाई पर भी फोकस नहीं कर पाया, फिर भी उसने ऐसी तैयारी की थी की, वह जरुर सरकारी कोठे में mbbs के लिये आ जाता, मगर उसे परीक्षा के दिन ही कोर्ट में जाना पडा, और उसकी परीक्षा छुट गई जिस वजह से वह सिलेक्ट नहीं हो पाया, और उस केस से छूटने के बाद भी उसे समाज ने उसे स्वीकार नहीं किया। और एक दिन इस सब से परेशान हो कर उसने आत्महत्या कर ली। फिर बाद में पता चला की चंद्रमुखी चौटाला ने पैसा खा कर
तरुण :- अबे अगर किसी को AIDS या HIV हुआ तो पूरी क्लास में वह सर्दी जुखाम की तरह फैलेगा
राज:- तेरे पास तो जादू है ना, तू चाहे तो दुनिया से HIV और AIDS खत्म कर सकता है।
तब तक ट्रेन स्टेशन तक सब पहुंच चुके थे सब ट्रेन में चढ़ गये। और तरुण टॉयलेट में गया और उसने आयना निकाला और कहा की HIV और AIDS हमेशा के लिये विश्व से नष्ट हो जाये, इतना बोलते ही एक रोशनी आयने से निकली और सारी दुनिया में फैल गयी जिसकी वजह से अब कोई डर नहीं था, वहां ज्वालामुखी के लिये अब खुद को काबू में करना मुश्किल हो रहा था। राज की दवाई अपना असर दिखा रही थी, ज्वालामुखी के अंदर हवस तेजी से बढ रही थी, उसकी सांस तेज हो रही थी, स्तन अकड कर सक्त हो चुके थै, धीरे धीरे वह भी अब पसीना आ रहा था करीब दस मिनट बाद वह पसीने से भीग गई, वह खुद को शांत करने के लिये सब लड़कियों से छुपा कर अपनी योनी पर अपनी टॉर्च का डंडा रगड़ रही थी पर वह कहते है ना की, हाथ लड़कों के लिये काफी नहीं होता , उसी तरह उंगली या डंडा लड़की के लिये काफी नहीं होती, अब ज्वालामुखी चौटाला में हवस किसी ज्वालामुखी फटने को बेताब थी , अब वह बाथरूम के बहाने कुछ हवा खाने के लिये, और पैंटी के अंदर हाथ डालकर अपनी वासना शांत करने बाहर चली गई। वहां राज पहले से ही उसकी प्रतीक्षा कर रहा था, वह जिस बाथरूम में तरुण था उसके, बाजू वाले बाथरूम में छिपकर बैठा था, और एक मौके की प्रतीक्षा में था ताकि वह ज्वालामुखी के अंदर जो बारूद की तरह जमी कामवासना को हल्की सी चिंगारी दे कर उसे ज्वालामुखी के विस्फोट की तरह भड़का सके। और जैसे ही वह वहां आयी राज ने उसे पीछे से जकड़ लिया और उसके स्तन पर उसके टॉप के उपर से दबाने लगा और धीरे धीरे हाथ घुमाने लगा, वह उसका विरोध कर रही थी,"छोड़ो ना!! राज!! क्या कर रहे हो यह? दर्द हो रहा है!! आ!! आ!! म्!म्!", क्योंकि उसमें अभी भी थोड़ी लज्जा बाकी थी। मगर उसके पैंटी में लगी दवाई में मौजूद कपूर के रस की वजह से वह दवाई उसके बदन की बढाती गरमी के कारण ज्यादा भाप बनकर उसकी योनी में जा रही थी। और उसका प्रभाव इतना था की, राज को हो रहा उसका विरोध अब कमजोर होने लगा था अब राज ने अगला कदम बढाने लगा वह अब अपने एक हाथ से उसके टॉप की झीप खोल रहा था। और दूसरे हाथ से उसके जिंस के अंदर, पैंटी के बाहर से हाथ डाल कर खुजली कर रहा था। वह अंदर हाथ डाल सकता था मगर उसे यह अहसास हुआ की उसकी दवाई पूरी तरह से भाफ नही बनी थी, मतलब दवा अभी भी उसकी योनी में पुरी तरह से घुलना बाकी थी, मगर अब उसके खुजली करने से वह दवाई तेजी से उसके अंदर जाने लगी थी। जल्द ही वह दवाई उसके योनी में चली गयी जिस वजह से अब उसके अंदर वासना की ज्वालामुखी का विस्फोट हुआ, अब वह इतनी तप चुकी थी की उसके अंदर बढ़ती गर्मी पसीना बन कर बाहर बह रही थी वह अब बडी ही कामूक आवाज में कहने लगी,"ओह!!!!राज!!! अब बर्दाश्त नहीं!!! हो रहा!!! प्लिज फक मी!!! चोदो मुझे!!! फाड डालो मेरी बूर!! मार दो मेरी गांड, आह..." अब तक राज उसके टॉप की झिप उतार चुका था उसने ज्वालामुखी के सामने आकर कॉलर के पिछले हिस्से को खींचकर ज्वालामुखी की टॉप उतार दी और दुसरे हाथ से उसके जींस की झिप खोल दी। और उसके सपाट पेट और पतली कमर को चूमते चूमते उसकी नाभी से होकर चूमता रहा और उसकी जींस पैरों से होते हुये नीचे गिर गई, जिसके साथ ज्वालामुखी की शर्म के सारे परदे गिर गये, उसके अंदर अब कामवासना के ज्वालामुखी के कै सो विस्फोट हो रहे थे। और वह अब काबू से बाहर जा रही थी। अब राज उसे अपने साथ लड़कों के डिब्बे में ले गया और जोर से घोषणा कर दी,"गाइज, मै आपके सामने ले आया हूं हाँट स्लट ज्वालामुखी चौटाला, आज यह हम सबसे चुदेगी!!", इसके बाद ज्वालामुखी अपनी हवस के नशे में बोली," जल्दी करो!!! चोदो मुझे !!! जल्दी!!! जल्दी!!!" वह सिर्फ नीली ब्रा और पैंटी में थी। अब सारे लड़के तैयार हो गये, दो लड़कों ने कंपार्टमेंट को अंदर से बंद कर लिया, फिर राज ने उस लड़की के ब्रा और पैंटी उतार कर उसे बिलकुल नग्न कर दिया। और फिर राज के दोस्त मंगल ने उसे घोडी बना दी और उसका ८ इंच का हथियार सीधे उसकी योनी पर रखा और उसे योनी के उपर से रगड़ने लगा, आज ज्वालामुखी प्रथम बार अपनी योनी पर किसी लड़के के लिंग को महसूस कर रही थी। अब उसके अंदर वासना की ज्वाला बहुत तेजी से भड़क रही थी। जिससे उसकी योनी भीग रही थी, और वह बहुत चिकनी हो चुकी थी। अब मंगल ने एक जोरदार धक्का मारा, जिस वजह से उसका आधे से ज्यादा लिंग उसकी योनी के अंदर चला गया, अब उसकी एक चीख निकल ने लगी, लेकिन वह चीखने ही वाली थी, तभी मंगल के दोस्त कालू ने अपना लिंग उसके मुहं में डाल कर उसका मुंह बंद कर दिया, जिस वजह से उसकी चीख दब गई। और मंगल के धक्के के वजह से उसकी सील टूट गई और उसके योनी से खून निकलने लगा। अब राज आगे आया, उसने मंगल को नीचे लेटने को कहा मंगल वैसे ही बर्थ पर लेट गया उसपर ज्वालामुखी लेट गई और कालू पिछे आकर उसके मुंह में लिंग चालाता गया , और अपना लिंग
वहां तरुण बाथरूम में वह दवाई बनाने की विधि सिख रहा था। वह अब बाहर निकला वहां उसे कोमल मिली, उसने पूछा,"तुम यहां? ज्वालामुखी कहां है?", तब तरुण ने कहां "मुझे नहीं पता,शायद लड़कों के डिब्बे में होगी?" लेकिन जब वह दरवाजे की और बढे, तब उसने पाया की दरवाजा अंदर से बंद है। तब उसने कहा "जरा सुनो कोमल, यह दरवाजा तो अंदर से बंद है?",तब कोमल वहां आयी और उसने दरवाजा चेक किया तब पाया की जरवाजा तो अंदर से बंद था। उसने वहाँ एक सुराग देखा जो कुंजी के लिये था। कोमल ने उसके अंदर झांक कर देखा तब उसे दिखाई दिया की, अंदर तो ज्वालामुखी एक साथ तीन तीन लड़कों से संभोग कर रही थी, एक का लिंग मुह से चुद रही थी। एक का योनी में । और एक गांड में, तब कोमल ने तरुण को सारी लड़कियों को बुलाने को कहा और तब तरुण ने सब को बुलाया, तब तक वह मोबाइल का कैमरा शुरू कर के उसे सुराग में लगा चुकी थी। उसमें अंदर का सब दिखाई दे रहा था। अंदर एक लिंग उसकी योनी में,एक उसकी गांड में और एक मुंह में था, और दोनों हाथोंसे एक एक लिंग को हस्तमैथुन दे रही थी। यह देख कर सारी लड़कियाँ भड़क उठीं। और उसे भला बुरा कहने लगीं।
लड़की 1:- अरे करमजली, हमारे बॉय फ्रेड को हमसे छीन लिया ।
लड़की 2:-हमे लगा की यह हमें, लड़कों को बस में करना सिखायेगी, मगर यह तो खुद ही लड़कों का खिलौना बन गई।
लड़की 3:- करे तो क्या करे, सारे लड़के एक जैसे ही होते है, उन्हें तो बस चूत चाहिए...
कोमल:- बस भी करो सब और इसमें गलती ना तो तुम्हारे बॉयफ्रेंड की है,और ना ही उसकी, अगर तुम उन्हें इतना तडपाने के बजाय वक्त पे दे देती, तो अब पछताना नहीं पड़ता।
फिर कोमल को छोड़कर सारी लड़कियाँ उनके कंपार्टमेंट में वापस चली गयी।और कोमल जब जाने लगी तब उसने तरुण को कहा,"तुम आ जाओ यहां अकेले अकेले खडे रहने से अच्छा, हम बातें करेंगे समय बीत जायेगा।", तरुण ने बडी शरारत से कोमल की पतली कमर पे उसके कमीज के उपर हाथ रखते हुये कहा,"सिर्फ बातें करेंगे या आग भी बढेंगे..." कोमल,"क्या ?" कहकर और शर्मा कर वहां से अपनी सीट की और भागी। और तरुण भी उसके पिछे भागा और दोनों सीट तक पहुंचकर इधर उधर की बाते करते रहै।
वहाँ अंदर ज्वालामुखी की काम क्रीड़ा तेज हो चुकी थी।अब राज उसकी गांड, मंगल योनी और कालु मुहं मे तेजी से संभोग कर रहे थे, अब तीनों आपने वीर्य पात की चरम सीमा पर पहुंच गये थे। और जिस तरह बंदूक से गोली निकलती है। उस तरह तीनों के लिंग से वीर्य निकला। तीनों झड चुके थे अब वह जिनके मूठ मार रही थी उनके योनी और गांड की बारी थी, मगर वह भी झड़ गये। तब वह बोली," सिर्फ आधा घंटा?", लेकिन उसका यह बोलना सिर्फ एक गलती थी। वह पांच सोने चले गये। और पांच तैयार हो गये, इसी तरह ट्रेन के छह घंटे के सफर में वह साठ लड़कों से पांच पांच के गृप में हर लड़के से एक बार यानी बारा बार संभोग कर चुकी थी। अब उसे थकान हो रही थी। और वह वीर्य से पूरी तरह भीग चुकी थी, उसका सारा शरीर जैसे किसी ने संगमरमर की मूर्ति को किसी ने दूध से नहलाया हो। अब वह बाथरूम में चली गई। और उसने खुद को नहलाकर साफ कर दिया। और उसके कपडे राज ने रख दिये थे। असल में वह रेल "हॉटेल अॉन ट्रेक" कंपनी की थी और उस कंपनी ने उनके महाविद्यालय को ट्रीप के लिये दी थी। और जब यहां यह सब चल रहा था। तब तरुण कोमल के साथ बैठ कर बाते कर रहा था। क्यों की, अगर वह वहां जाता तो किसी को मौका नहीं मिलता। उसके पास तो अनंत काल तक संभोग करने की शक्ति थी।
तरुण:- कोमल वैसे तुम भी कोई कम हॉट नहीं हो, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्या?
कोमल:- (मोबाईल में फोटो दिखाते हुये)यह है मेरा बॉयफ्रेंड।
तरुण:-सतीश, इसने तो आत्महत्या कर ली थी, ना?
कोमल :- हाँ, मै बचपन से मै अनाथ थी। सतीश मेरा बहुत पक्का दोस्त था, हम अपनी सुख-दुख, पसंद नापसंद, सारी बातें एक दूसरे के साथ शेयर किया करते थे। जवानी में मेरी वही दोस्ती प्यार में बदल गयी,मगर यह प्यार एकतर्फा था, वह किसी और से प्यार करता था मगर मैने इसे अपनी बुरी किस्मत समझ कर स्वीकार कर लिया। पर किस्मत तो उसकी बुरी थी, वह एक टाइम डिगर लड़की थी, उसे २४ घंटे उसपर ध्यान देने वाला , और १० १० मिनट में फोन करने वाला लड़का चाहिए था, मगर सतीश एक पढाकू लड़का था, इसीलिये उसने इसे छोड़ दिया, मगर उसने इसे छोड़ दिया, और मेने इसे सहारा दिया था, वह मेरे साथ कंफरटेबल महसूस कर रहा था और उसका पढाई में भी मन लग रहा था, मगर इससे वह लड़की इंसल्टींग फिल कर रही थी, इसीलिए उसने सतीश को अपने ही झूठे रेप केस में अंदर करवाया, और दस महीने उसे अंदर रखा, जिस वजह से उसके केस जितने के बाद भी, समाज की नजर में वह अपराधी रहा और उसने खुदखुशी कर ली, और यह सब कुछ हुआ, चंद्रमुखी चौटाला के अति महिला वादी सोच की वजह से, इसी वजह से मै पागल हो गई और मैने उसपर हमला कर दिया, और मुझे दो साल जेल में गूजारे, वहां मुझे कम्मोबाई नाम की एक दलाल मिली, उसने मुझे एक ड्रग के बारेमें बताया जो वह लड़कियों को धंधे पे लगाने से पहले देती थी।यह औरत के अंदर वासना बढा देती है। और अगर कोई उसकी चुदाई कर दे तो बस उसे उसकी लत लग जायेगी। जब मै बाहर निकली तो, मैंने ग्यारहवीं में अँडमिशन ले लिया, उसकी पढाई में मदद करके उसका भरोसा जीता, और रोज चाय, कोल्डड्रिंक के बहाने उसे वह दवाई देने लगी और उसके अंदर हार्मोन भर दिये, जिससे अगर कोई उसका खाता खोलेगा तो उसे रोज़ चुदनेका मन हुआ।
तरुण :- क्या यह बात सच है की चंद्रमुखी चौटाला ने पैसे लिये थे?
कोमल:- वह और रिश्वत! नहीं, यह तुमसे किसने कहा?
तरुण :- बस, उड़ती उड़ती खबर सुनी थी।
कोमल :- वैसे छोड़ो यह सब, तुम्हारी वजसे मेरी इकट्ठा की बारूद को आग लगादी, मेरी तरफ से तुम्हें आज तुम मेरे बाँल दबा सकते हो।
इतना कहकर उसने अपना कुर्ता सीने से उपर तक उठा लिया और ब्रा भी उपर कर ली। और तरुण के सामने उसके बडे दूध स्तन और उसके गुलाबी स्तनाग्र थे। उसने अपने हाथ रखे और जोर जोर से दबाने लगा। उसका दबाव इतना
इतना कहकर उसने अपना कुर्ता सीने से उपर तक उठा लिया और ब्रा भी उपर कर ली। कोमल एक बीस साल की लड़की थी।जिस वजह से उसके स्तन पूरी तरह से भरे हुये थे,और दो साल जेल में चक्की पिसने की वजह से उसका बदन अच्छी तरह से कसा हुआ था। और तरुण के सामने उसके बडे दूध स्तन और उसके गुलाबी स्तनाग्र थे। उसने अपने हाथ रखे और जोर जोर से दबाने लगा। उसका दबाव इतना था, कोमल की चीख निकल गई, जिसकी आवाज से बगल वाले सीट से लड़की ने पूछा, "कोमल ठीक तो हो ना?" कोमल ने खुद को ठीक कर लिया। और कहा "कुछ नहीं, वह थोडा सा लग गया था उठते वक्त।" तब लड़की ने समलकर उठने को कहा। तब तरुण कहा," वैसे इसका कारण में नहीं, कोई और है।"
कोमल ,"तो कमिने पहले क्यों नहीं बताया?"
तरुण,"बताता तो दबाने देती?"
कोमल पर्स उठाकर गुस्से से उसे मारने के लिये उठी मगर उसका सर छत से टकरा गया , असल में उस ट्रेन के सीट स्लीपर कोच बस की तरह थे। जिस वजह से वह नीचे तरुण पर गिर पडी। उसके होंठ कोमल के होठों से लग गये। और कोमल वही सो गई। और तरुण ने उसके सलवार का नाडा खोल दिया, और और उसकी कमीज के अंदर हात डालकर ब्रा का हूक भी पिछे से खोल दिया लेकिन उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थीं, वह गहरी नींद में सो गयी थी। इसीलिये तरुण भी उसके साथ वहीं हाथ डालकर सो गया।
सुबह हो गयी, कोमल उठ गई, उसने अपने आप को देखा उसने सलवार का नाडा बांध लिया और वह कोशिश करने लगी, लेकिन उसे उपर से लगना मुश्किल हो रहा था, तभी तरुण ने यह देखा और आगे से उसे हग करते हुये अपने हाथ उसकी कमीज में डाल दिये और उसके ब्रा का हुक लगा दिया। तब वह उसके कान में बोली,"रात को तो अच्छा मौका था, चौका क्यों नहीं मारा?" तरुण के हाथ अभी भी उसके कमीज के अंदर थे उसने पेट के बाजू के हिस्से से कमर पर हाथ घुमाया और जोर से कमर पर हाथ जकड़ के कहा,"इसका हकदार मै नहीं बल्कि राज है,तुम्हारे इकट्ठा किये बारूद में आग उसने लगाई।",कोमल ने चौंककर कहा,"राज!! पर कैसे?मगर जो भी हो, थँक्यू व्हेरी मच!", तब तरुण ने कहा,"और एक बात सुनो जब तुम उसके साथ करोगी, तो थोड़े सनी लिओनी के व्हिडीओ देख लेना, तुम जरा भी को ओपरेटिव नही हो, इस तरह लाश की तरह पडी रहने से वह बोर हो जायेगा।" कोमल को उसका बोलना पसंद आने लगा क्योंकि, पहली बार उसने किसी को बिना स्वार्थ के किसी को सम्भोग के बारे में सलाह देते हुये सुना था।उसने झट से उसे होठों पर एक लंबा चूम्बन दिया और आंखें बंद करके उसमें खो गई, उसे ऐसा करते हुये एक लड़की ने देख लिया और वह हल्के से खाँसी जिससे वह होश में आ गई, उसे छेड़ते हुये रानी ने कहा,
"क्या बात है! आपने तो सीधे हि-मैन को पटा लिया।", कोमल शर्माते हुये बोली,"पगली! ऐसा कुछ नहीं है।" वहां रात भर जागने और लगातार हुये सम्भोग की वजह से ज्वालामुखी थक चुकी थी, उसके कदम लडखडा रहे थे। तब तरुण ने उसे सहारा दिया, उसका हाथ अपने कंधे पर रखकर उसके साथ ट्रेन से उतर गया। वहाँ सामने ही उसकी माँ चंद्रमुखी चौटाला खड़ी थी। उसने तरुण को साथ देखकर कहा,"अच्छा हुआ तरुण की तुम यहां मिल गये, तेजल ने मुझे तुम्हें लेने के लिये भेजा है, और वह दो दिन घर पर नहीं है, इसीलिये तुम हमारे घर रह सकते हो।हाँ एक और बात खाना मैने बना कर टेबल पर रखा है, ठंडा होने से पहले खा लेना।", फिर चंद्रमुखी ने उन दोनों को घर छोड़ दिया, और वह थाने चली गयी। वहाँ तरुण ने ज्वालामुखी को बेडरुम में ले जा कर सुला दिया और वहाँ पडी हुई फाइलें पढता रहा तब उसे एक नाम दिखाई दिया डेव्हिल, उसका सिर्फ नाम वहाँ था। उसे देखने वाला या तो फरार था, या मर चुका था। उस फाइल में यह भी लिखा हुआ था, की दाऊद इब्राहीम के डेव्हिल के साथ संबंध है और इतना ही नहीं, ओसामा-बिन-लादेन के मुंह से भी मरते वक्त अमेरिकी कमांडोज द्वारा डेव्हिल का नाम सुना गया था। मगर इसका कोई पक्का प्रमाण, जैसे की कोई ध्वनि मुद्रण या चल चित्र मुद्रण नहीं था, इसीलिए इसपर अधिकृत कार्यवाही करना ना मुमकिन था। उसने फाइल रख दी। और वह सोचने लगा तभी उसे कुछ सूझा, उसने अपने दिव्य दर्पण को स्मरण किया और वह दिव्य दर्पण उसके सामने आ गया, तब उसने उससे डेव्हिल के बारे में पूछा तब दर्पण ने उसे एक आदमी का चेहरा दिखाई दिया, तब उसने दर्पण से डेव्हिल के बारेमें शुरू से पूछा, तब उसे तारकासुर और स्कंद का संग्राम दिखाई दिया, जिसमें स्कंद ने तारकासुर के साथ साथ समस्त असुर सेना का अंत कर दिया। उसी सेना में सैतानासुर नाम का एक असुर सैनिक था उसकी विशेषता यह थी की, जो भी उसका रक्त पियेगा उसके अंदर सैतानासुर की आत्मा आ जायेगी। उसके मरने के बाद उसके सात शिष्य तांत्रिक उसका शव लेकर उसके पुत्र किल्विष और पत्नी कार्कता के पास चले गये, उन्होंने उन्हें एक पत्र दिया, जिसके मुताबिक किल्विष को पहले सैतानासुर का रक्त पीना था और अपनी माँ कार्कता के साथ संभोग करना था। तब दोनों तैयार हो गये और जब किल्विष ने रक्त पिया तब उसके शरीर में तनाव होने लगा, उसके रक्त की गति बढ गई और उसका लिंग मोटा हो कर १२ इंच का हो गया और उसकी मोटाई २ इंच बढ गई। उसने मुड़कर अपनी माँ कार्कता को देखा मगर उसे वह आदर से नहीं मगर हवस से देख रहा था वैसे तो कार्कता ४५ साल की थी, मगर असुर होने की वजह से उसकी योनी उसके सामने खुली पड गई, तब किल्विष ने उसे जोर से धक्का दिया वह पलंग पर गिर पडी। फिर किल्विष ने अपना लिंग जबरदस्ती उसकी योनी में डाल दिया और दर्द के कारण उसकी चीख निकल गई।
मगर इससे किल्विष का जोश और बढ गया, उसने कार्कता के स्तन पर बांधा हुआ कपड़ा इतनी जोर से खींचा की वह टर् टर् .... करके फट गया। उसके दुधारू स्तन उसके सामने खुली अवस्था में थे। अब उसके सावले स्तन और गेहूँ के रंग के स्तनाग्र देखकर उसके अंदर हवस का शैतान जाग उठा। वह उसकी माँ के वह स्तन जोर जोर से दबा रहा था, या नौच रहा था क्या कहे। और जैसे जैसे कार्कता की चीखने की आवाज़ तेज हो रही थी। वैसे वैसे किल्विष का जोश भी बढ़ रहा था, और जोश के साथ साथ वह तेजी और बेदर्दि दोनों बढाने लगा था। और अब उसने कार्कता का दायां स्तन छोड़ दिया और बायां स्तन जोरों से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसके स्तनाग्र को जोरों से मसलने जिससे कार्कता की चीख निकल गई। और वह झड़ गयी। और अब उसकी यौवन के पानी ने उसकी हवस की आग में घी डालने का काम किया, जिससे अब वह और भड़क उठा और वह उसके दुसरे स्तन के स्तनाग्र को चूसने और काटने लगा जिससे कार्कता तड़प उठी, उसकी इस तड़प से उसकी वासना जाग उठी। और उसके स्तनाग्र सक्त हो गये। अब किल्विष ने हाथ दायें स्तन पर और मुंह बाये स्तन पर चलाना शूरू किया। अब दोनों साथ में झड़ गये। कार्कता के इस यौवन रस और किल्विष के वीर्य का मिश्रण कार्कता की योनी से बहने लगा, जमीन पर गिरने से पहले तांत्रिकों ने वह मिश्रण सैतानासुर के रक्त से भरे पात्र में ले लिया। और सात तावीज जो उनके पास थे वह उसमें डाल दिये। और अब सैतानासुर की आत्मा किल्विष के देह से निकल गई, जिस वजह से उसकी सारी कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह बढ़ने लगा, वह इतना बढ़ा की उसकी सारी कोशिकायें फट गई और उसका देह छिन्न-वि-छिन् हो गया। इस झटके से कार्कता की भी मृत्यु हो गई। फिर वहीं तांत्रिकों ने अपने मालिक सैतानासुर को शैतान नाम से पूजा और उसका प्रचार और प्रसार किया। मरने के बाद भी सैतानासुर शैतान के नाम से प्रचलित रहा। और जिन जिन लोगों ने उसके तावीज को धारण किया। वह बुरे होकर भी संपन्न रहे, उन्होंने साम्राज्य चलाया, मगर जब उन्होंने तावीज को छोड़ा उनके साथ साथ उनके साम्राज्य का भी अंत हो गया। चंगेज खान, अॕडोल्फ हिटलर के पास भी इनमें से एक तावीज था। और जब ओसामा-बिन-लादेन ने तावीज छोड़ा वह अमेरिकी कमांडोज द्वारा मारा गया। और डेव्हिल कोई और नहीं बल्कि, सैतानासुर ही था, वह तावीज के माध्यम से अपने लोगों के साथ बात करता था। और उन्हें आज्ञा करता था, और जब तक वह इंसान तावीज पहने रहता था,तब तक उसे पुलिस और सेना जैसी यंत्रणाओं से बचाये रखता था। जब तरुण ने तावीज धारकों का नाम आयने से पूछा तब एक को देखकर वह चौंक गया। तभी उसको अंदर से कुछ आवाज आयी। जब उसने वहाँ जाकर देखा, तब उसे दिखाई दिया की ज्वालामुखी जाग गई थी। तब तरुण ने उसे पूछा,"अब कैसा फील हो रहा है?" वह बोली,"अब अच्छा लग रहा है, भूख बहुत लगी है।" तब तरुण अंदर गया और दोनों ने खाना खा लिया। ज्वालामुखी पढ़ने बैठ गई, और तरुण ने भी एक किताब उठायी। उसके किताब की और केवल देखने से ही सारा ज्ञान उसके दिमाग में चला गया। और अब वह प्रश्नावली ले कर सुलझाने लगा, और उसके सोचने की गति इतनी थी, की उसने वह सारे १००० वस्तुनिष्ठ प्रश्न एक मिनट में खत्म कर दिये। तब उसने दुसरे विषय की किताब उठाई और इसी तरह उसने सभी विषयों की पढाई कुछ ही देर में कर ली। और वह फिर से पढ़ने लगा, तब तक शाम हो गई और चंद्रमुखी चौटाला ड्यूटी से वापस आ गई। और कपड़े बदल कर रात के खाने की तैयारी करने लगी। असल में उसका पति जोश, एक चोर था जो पुलिस दरोगा बनकर पुलिस में घुस गया। और ज्वालामुखी चौटाला के जन्म के बाद इंस्पेक्टर बजरंग पांडे के गुप्त सूत्रों से सच सामने आया। कानून को धोखा देने के जुर्म में उसे गिरफ्तार कर लिया गया, मगर पुलिस की वर्दी में उसने कै अपराधियों को पकड़ा था, उनमें से कुछ उसी जेल में थे जिस जेल में उसे भेजा गया था। उन्होंने एक साजिश रची, जिसके तहत चंद्रमुखी चौटाला को जोश की जान के बदले, सतीश को गिरफ्तार करना था। मगर कोर्ट से उसे छोड़ने पर उन्होंने जोश को जेल में ही मार डाला। यह तरुण को उस दर्पण से तब पता चला, जब उसने पढ़ने के बाद 'सतीश' केस के बारेमें पूछा था। अब वह रसोई में जाकर चंद्रमुखी चौटाला की खाना बनाने में मदद कर रहा था। चंद्रमुखी ने उससे पूछा,"तुम्हें खाना बनाना आता है?"
तरुण ने कहा,"घर पर मैं भी माँ(तेजल) के साथ खाना बनाता हूं।"
चंद्रमुखी ने कहा,"वैसे तुम्हारी होनेवाली बीवी, बडी नसीब वाली होगी।"
तरुण,"अब मुझ जैसे से कोण शादी करेगी?"
चंद्रमुखी,"क्यों? तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"
तरुण,"नहीं है, क्या आप बनना चाहती हो?"
चंद्रमुखी,"चल हट! कुछ भी!"
तरुण,"सही में, आप तो मुझे २१ की लग रही है, बिल्कुल ज्वालामुखी की बड़ी बहन।"
चंद्रमुखी आंखें दिखाकर बोली,"तू सब्जी काट।", और इतना कहकर वह तड़का देने के लिये मुड़ गई और मंद मंद मुस्कराकर तड़का देने लगी।और तरुण ने कटी हुई सब्जी तड़के के बर्तन में डाल दी। और तरुण की मदद करने से खाना जल्दी बन गया था। इसलिए वह जल्दी खाना खाने बैठ गये। आज ज्वालामुखी चौटाला को अजीब लगा, क्योंकि उसकी माँ के चेहरे पर जरा भी चिंता नहीं थी। उसने पूछा,"क्या हुआ मम्मी आज थाने में?" इस सवाल से वह गंभीर हो गई और कहा,"ऐसा कुछ नहीं, आज MLA के लड़के के साथ, दो और आवारा लड़कों को छेडखानी करते हुये पकड़ कर अंदर डाला और बहुत सुता है।"
तरुण,"क्या आप भी? इतनी खूबसूरत है की किसी का भी मन मचल जायेगा।"
चंद्रमुखी के चेहरे पर वापस मुस्कान आ गई, और बोली,"तुम भी ना! अरे मुझे नहीं, कॉलेज की लड़कियों को छेड़ रहे थे।"
तरुण,"आप जैसी थानेदारणी हो, तो बंदा अपने बाप की जेब काटकर अंदर हो जाये! उन्होंने शायद इसीलिए किया होगा?"
चंद्रमुखी, "तुम भी ना...." ऐसा कहकर वह खाना खत्म करके सोने चली गई। ज्वालामुखी भी रुम में जाकर सो गई। फिर चंद्रमुखी ने कहा,"तरुण, तुम अंदर आकार सो जाओ।" तरुण अंदर चला गया, अंदर एक डबल बेड था। उसपर दोनों के लिये चंद्रमुखी ने गोधाडी निकालकर रखी थी। और फिर दोनों लेट गये। गर्मी बहुत थी, इसलिए चंद्रमुखी ने टी शर्ट और नाइट पैंट पहन रखी थी,अंदर कुछ नहीं था। वह रात को एक करवट ले कर सो गई,उसकी पीठ तरुण की तरफ थी, उसकी टी शर्ट उसकी कमर से उपर आ गई थी, उसकी चिकनी पतली कमर उसके सामने थी। तरुण करवट ले कर सीधे उसके पीछे, एकदम नजदीक आ गया। वह थोड़ी कच्ची नींद में थी, तरुण ने उसकी कमर पर हाथ रख दिया, इससे वह चौंक उठी उसने अब थोड़ा अब वह पीठ के बल होकर तरुण को देखने लगी, उसकी आँखें बंद थी। उसके पीठ के बल होने से तरुण का जो हाथ उसकी कमर पर था, अभी वह हात उसकी नाभि पर आ गया, उसने प्यार से उसपर मारा और करवट बदल कर तरुण की और चेहरा करके सो गई। इससे वह तरुण के इतने नजदीक आ गयी थी,की उसके उरोज जो ३८ के भरे हुये मांसल उरोज तरुण के चट्टान जैसे सक्त सीने को छू रहे थे, और तरुण का लिंग सक्त हो गया था और चंद्रमुखी की योनी को छू रहा था। तरुण ने अपनी एक टांग चंद्रमुखी की कमर पे डाल दी, और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और सो गया।
 
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Ajay

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यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसे, हमेशा लड़कियाँ चिढाया करतीं थीं। उसका नाम तरुण था।
काँलेज के बडे बच्चे उसे बहुत परेशान किया करते थे। वह एक अनाथ बच्चा था जिसे एक बीस साल की जवान लड़की ने गोद लिया हुआ था, तब वह एक दस साल का मासूम, और अनजान बच्चा था और अनाथ आश्रम से स्कूल आया करता था। उसकी क्लास में एक टिचर आया करती थी। वह एक कमसीन हसीना थी, तब उसका रंग गोरा,
कध 5 फूट 6 इंच उसका नाम तेजल था।
सीना 33, कमर 24, गांड 34 की थी, लेकिन वह बहुत सक्त लड़की थी वह हमेशा ऐसी साडी पहनती थी जो पूरी तरह उसके बदन को ढक सके, क्योंकि वह ये मानती थी की, बढ़ते रेप का कारण लड़कियों का बदलता पेहराव है। अब ७ साल बाद वह २७ साल की हो चुकी थी और वह लड़का १८ साल का बारवी में चला गया दसवीं में लड़के उसे बहुत चीढाया करते थे। और लड़कियां भी। वह जिस स्कूल में था वहाँ एक लिडर थी।
उसका नाम ज्वालामुखी चौटाला था। वह इनस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला की बेटी थी, बिलकुल अपनी माँ पर गयी हूई थी। उसकी माँ भी हवलदार से छोटीसी गलती होने पर भी अच्छेसे पिटती थी। वैसे भी वह दिखने में भी माल थी। मगर सब उससे डरते थे।

और एक दिन तरुण की ट्रीप गई। वह भी उसमें गया था,
सभी लड़कियों की एक गँग थी, वैसे कहने के लिये तो वह एक महिला संगठन था, मगर उनका काम सिर्फ, लड़कियों को ट्रेन करना था, वह भी कैसे लड़कों को, हुस्न के जाल में, फसाना और उनको कूछ दिये बिना उनसे अपना काम, निकलवाना और जानभुजकर परीक्षा के समय उन्हें, भटकाना ताकि लडकोंका निकाल कम आये। इस साल उस गँग की हेड ज्वालामुखी थी। वह हर बार लड़कों को चँलेंज करतीं धोकेसे जीतकर, लड़कों की रँगींग करती। अब सभी लड़कों कों एक रस्सी खेच का चँलेंज दिया गया था। अगर लड़के जिते तो, लड़के जिस लड़की को चुनेंगे वह नंगी होकर सबके सामने नाचेगी, और, अगर लड़कियाँ जीती तो वह एक लड़के को नंगा करके नचायगी। यह बात सब लड़कियों को पता थीं, क्योंकि उन्हें सिनीयर लड़कियों ने उन्हें सबकुछ सिखाया हुआ था। मगर हारने की वजह से सिनीयर लड़के लड़कों को नहीं बताते थे। फिर बच्चों के लिडर रोहित ने तरुण को बाहर भेज दिया ताकि वह कुछ फल ला सके, उन्होंने चँलेंज शूरू कर दिया।
वहाँ आगे किसी देवी का एक मंदिर था, आयना देवी उसका नाम। तरुण ने अंदर जाकर देखा तो, वहाँ एक औरत की मूर्ति थी। एकदम कमसीन साडे पांच फूट उचाई। ३६ २४ ३६ का बदन। तरुण ने सोचा की, अगर यह जिंदा होती तो। मै इसे ऐसेही चोद देता। फिर वह थोड़ा आगे गया।
तरुण रास्ता भटक गया। और वह एक पेड़ के पास पहुंच गया और वहाँ एक ब्रह्मराक्षस कहीं कल्पों से वहाँ बैठा इंतजार कर रहा था,

तरुण जैसे ही, वहाँ पहुंचा ब्रह्मराक्षस उसे बोला
ब्रह्मराक्षस:- मै तुम्हें आब तीन प्रश्न पुछुंगा तुम्हें उसके जवाब देने होंगे, अगर दो सही आयेंगे तो तुम यहाँ से सुरक्षित बाहर जा सकते हो। और अगर तीनों सही हुए तो मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी। और अगर पहले दों में से अगर एक भी गलत हुआ तो मै तुम्हें खा जाऊंगा।
तरुण :-ठींक है, पूछो।
ब्रह्मराक्षस:-ऐसा कौन सा विकार है, जो एक पुरुषार्थ भी है?
तरुण :-काम।
ब्रह्मराक्षस:- दूसरा सवाल, ऐसा कौन सा पुरुषार्थ है, जो केवल व्यक्ति का अपना होता है। पत्नी या पती को उसका आधा नहीं मिलता?
तरुण :- मोक्ष।
ब्रह्मराक्षस:- सही, तीसरा सवाल देने के लिये तुम्हें एक कहानी सुननी पडेगी। ( फिर कहानी शुरू होती है।)
" बहुत साल पहले, एक राजा था,भानूप्रताप उसका नाम। वह बहुत पराक्रमी था, मगर बेऔलाद था। क्योंकि उसकी जवानी, युद्ध में गई थी। और साठ की उम्र में उसने अपने मित्र की जवान १६ साल की बेटी, श्यामली से विवाह किया था। वह एक सुंदर कन्या थी। मगर राजा के बुढे होने के कारण, वह बे औलाद थीं। वह अब २० साल की हो चुकी थी। उसकी आकृति ३६ २३ ३६ की थी सब कहते थें की, "बूढ़े बंदर के गलेमें मोतीयोंका हार।"
राजा जो की, बूढ़ा हो चला था और अपने राज्य के लिये चिंतित था, राज्य गुरु सदानंद के पास गया और अपनी समस्या रखी। सदानंद ने तब कहा,"महाराज सिर्फ पुत्र होने से कुछ नहीं होगा, राज्य की रक्षा के लिये आपको आपकी भांति एक तेजस्वी पुत्र चाहिए होगा। और किसी सामान्य मनुष्य के संभोग यह नहीं होगा, उसके लिये आपको किसी तपस्वी का संभोग चाहिए होगा।"
राजाने कहां "अब तपस्वी कहां से लायेंगे गुरुदेव"
तब आचार्य ने कहा ,"मेरे मित्र, कृतानंद जी आपके राज्य के बाहर काली पहाड़ियों में चालीस सालों से तपस्या कर रहे है। उन्होंने इतना तपोबल अर्जित कर लिया है, की आठ दस प्रहर तक लगातार स्त्री के साथ संभोग कर सके, मगर इस कार्य के लिये आप बस महारानी को तैयार कीजिए।"
रानी यह सब सुन लेती है, और कहती है,"हम तैयार है, महाराज, आप बस मुझे एक दिन का समय दीजिए, हम कर लेंगे।" तब राजा खुश होता है। फिर महारानी मंत्री को आज्ञा देकर सजावट और मेहेंदी निकालनेवाली लड़कियों को बुलाकर अपने पूरे शरीर पर मेहेंदी निकलवाती है। और दुसरे दिन स्नान करने के बाद वह सोलह श्रृंगार कर सबसे सुंदर वस्त्र और आभूषण धारण करती है। और वहा जाने के लिये निकलती है, उनके जाने के लिये सेनापति ने पहलेसे ही तेज घोडोंके साथ रथ बनाया होता है। और सब पहले प्रहर के अंदर ही वहां पहुंच जाते है।वहां सुरक्षा के लिए सेनापति,सारथी,सैनिक और सदानंद जी होते है। फिर सदानंद जी सैनिक और सेनापति को वहीं ठहरा कर आगे निकल जाते है, और सदानंद जी उन्हें ऋषि कृतानंद तक पहुंचा देते है। वहां कृतानंद के तेज से, रानी अपने आप आकर्षित होती है, और आगे बढ़ती है और राजा आचार्य जी के साथ। वहाँ से दूर चले जाते है। और फिर रानी नृत्य करती है, मगर ऋषि पर उका कोई असर नहीं पड़ता। फिर वह उन्हें स्पर्श करने लगती है, मगर वह भी बेअसर होता है। फिर यह बात उसके अहं पर आ जाती है। और वह अपने सारे वस्त्र उतारकर नंगी होकर ऋषि की जंघा पर बैठ जाती है। इससे ऋषि की तपस्या भंग होती है। और वे आंखें खोल देते है, पर एक सुंदर नंगी स्त्री को देखकर क्रोध करने के बजाय उत्साहीत होकर रानी के स्तन दबाने लगे फिर, रानी के होटों को चुमते है। फिर उसकी जुबान पर जुबान घुमाकर फिर उसे नीचे चुमता हुआ उसकी गर्दन से होकर, उसके वक्ष को चुमते चुसते और दूसरे स्तन और स्तनाग्र को मसल रहे थे। अब रानी भी उत्तेजित हो रही थी, उसके मुंह से,"आह..मं..मं" जैसी सिसकारीया निकल रही थी। उससे ऋषि और ज्यादा उत्तेजित हो गये, और उन्होंने अपना डेड वित(8 इंच) का लिंग उसके योनी के अंदर पुरा डाल दिया । रानी चिल्लाती इसके पहले ऋषि ने उसके मूहपर होट कस दिये। और उनकी चिख दब गई। और ऋषि उन्हें जोर जोर से धक्के लगाते रहे। एक प्रहर बीत गई, इसके साथ रानी चार बार झड़ चुकी थी, मगर ऋषि एक बार भी नहीं झडे। उन्होंने रानी के पीछे आकर, उन्हें झुकाकर उनके स्तन पकड़कर जोर जोर से धक्के लगाने लगे। और जोर जोर से उनके स्तन मसलने लगे। ऐसा आठ प्रहर चलता रहा और आखिरकार ऋषि झड गये। और रानी की योनि वीर्य से भर गई और दोनों वहीं। नीढाल होकर वहीं सो गये। और सुबह उठ कर जब रानी ने ऋषि को कुछ मांगने को कहा, तो ऋषि ने रानी को दासी बनकर सदा उनके साथ रहने की मांग की, मगर रानी लालची थी उसने कहा, की वह कुछ भी मांग ले, मगर मगर राज्य छोड़ने को ना कहे, फिर ऋषि ने उसकी बेटी को मांग लिया, रानी बोली अगर बेटा हुआ तो मै राजमाता बनुंगी, बेटी आपकी हुई। औरा वह कपड़े पहनकर राजा के पास चली गई। और ऋषि ने इस बार एक पैर के अंगूठेपर खड़े होकर तपस्या शुरू कर दी। रानी को नौ महीने नौ दिन बाद एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई। बेटे का नाम रोहित और बेटी का नाम अयाना था।सदानंद जी के आश्रम में उनकी शिक्षा पूरी हुई। २० साल बीत गये। और ऋषि वापस आये उनकी तपस्या पूरी हो चुकी थी और विश्वकर्मा से उन्हें वह आयना प्राप्त हो चुका था। वह तब रानी ने अयाना का विवाह ऋषि से कराया, इससे अयाना ज्यादा खुश नहीं थी। क्योंकि ऋषि की उम्र ७० साल थी। ऋषि राजकुमारी को लेकर आश्रम चले गये और आश्रम का सारा कार्यभार अयाना पर डाल कर वरदान में मिला आयना सिद्ध करने चले गये।
यहा पांच साल बीत गये, वहाँ अयाना की हवस, दिन दिन बढ रहीं थी। एक बार राजा उग्रसेन वहां शिकार करने आये। वह बहुत पराक्रमी राजा थे तप करके उन्होंने ईश्वर से भी अनंत गुणा शक्ति,दिव्य, और जब चाहे उतने ब्रम्हांड बनाने और मिटाने की शक्ति थी, अस्र प्राप्त कर लिये थे। उन्होंने अंतरिक्ष में अपना खुद के तारे ग्रह बनाये थे, वहां उनका राज था। चलिए कहानी आगे बढाते है-
तब अयाना नदी पर पानी भरने गयी थी, और वह नदी के किनारे गई, उसने मटके में पानी भरा, और मटका किनारे रख कर अपनी साडी उतारी फिर अपने तरबूज जैसे स्तनों को उस पीले कपड़े से स्वतंत्र कीया, और एक कपडा लपेटकर पानी में स्नान करने उत गई, तभी अचानक पीछे से उसपर एक मगरमच्छ ने हमला कर दिया, वह अपने आप को बचाने के लिये बहार कुद पडी लेकिन उसका कपड़ा मगरमच्छ के मुंह में फंस गया और वह पूरी नग्न हो गई तभी एक बान तेजी से मगरमच्छ के मुंह मे लगा और वह वही ढेर हो गया। अयाना उसे देखती ही रह गयी, और तभी वहा राजा उग्रसेन आ गये। और अयाना का वह सुडौल शरीर, उनके सामने पूरी तरह से नग्न था, अयाना अभी भी झटके में थी। डर के मारे वह जोर जोर से हांफ रही थी, और उसकी सांसो के साथ उसके वह जवानी के साथ भरे हुये उरोज, बडे ही मादक लग रहे थे। उसकी वह नागिन की तरह पतली कमर और भरे हुये नितम्ब मादकता बढा रहे थे, राजा के मन में। उसका वह दूध जैसा गोरा रंग उस कागज़ की तरह था, जिसपर किसी ने दस्तखत नहीं की थी, अब राजा उसपर पूरा निबंध लिखने जा रहा था। राजा ने धीरे धीरे से अपना दायां हात उसके बायें कंधे पर रखा तब अयाना होश में आयी और खडी हो गयी, उसने राजा की आंखों में देखा और राजा ने उसका बायां हाथ अयाना के दायें कंधे पर रखा, तभी होश सम्भाल कर अयाना ने अपने स्तन ढक लिये मगर, अब देर हो चुकी थी, राजा ने अपने हात उसके कंधों से नीचे सरकाते हुये उसकी कोन्ही तक ले आये,और जोर से कोन्ही पर अंगूठा दबाया उससे अयाना उत्तेजित हो उठी और उसके हाथ अपनेआप उसके स्तनों से हट गये। अब राजा ने अयाना के उरोजों पर चूम्बन दिया, जिससे अयाना की उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी और उसके यौन के मुख से कामवासना की नदी बहने लगी। वह भी विरोध रोककर राजा का साथ देने लगी थी। और वहाँ कृतानंद ऋषि की सिद्धि पूरी हो चुकी थी। जब देवता जाने लगे तब देवताओं ने कहां, "यही आयना तुम्हें सबसे ज्यादा दुख देगा" तब ऋषि ने आयने से कहा की मुझे मेरी पत्नी दिखाओ तब आयनेने उन्हें वहाँ का माहोल दिखाया। तब ऋषि क्रोधित हो उठे, उन्होंने आयने की मदत से सीधे वहाँ प्रस्थान किया
Congratulations for new thread and nice start
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Congratulations 🎉 for new Story …

Khani ka arambh bahut he jabardast hai agle update ki pratiksha hai mitr …
 

Kamuk219

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वरदान में सब मिलेगा

और इस साईट पर हिंदी फाँट का उपयोग नहीं होता जो लोग हिंदी में लिखना चाहते है वह यह उपयोग में ले:-
 

ChhotuD

New Member
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यह कहानी एक ऐसे बच्चे की है जिसे, हमेशा लड़कियाँ चिढाया करतीं थीं। उसका नाम तरुण था।
काँलेज के बडे बच्चे उसे बहुत परेशान किया करते थे। वह एक अनाथ बच्चा था जिसे एक बीस साल की जवान लड़की ने गोद लिया हुआ था, तब वह एक दस साल का मासूम, और अनजान बच्चा था और अनाथ आश्रम से स्कूल आया करता था। उसकी क्लास में एक टिचर आया करती थी। वह एक कमसीन हसीना थी, तब उसका रंग गोरा,
कध 5 फूट 6 इंच उसका नाम तेजल था।
सीना 33, कमर 24, गांड 34 की थी, लेकिन वह बहुत सक्त लड़की थी वह हमेशा ऐसी साडी पहनती थी जो पूरी तरह उसके बदन को ढक सके, क्योंकि वह ये मानती थी की, बढ़ते रेप का कारण लड़कियों का बदलता पेहराव है। अब ७ साल बाद वह २७ साल की हो चुकी थी और वह लड़का १८ साल का बारवी में चला गया दसवीं में लड़के उसे बहुत चीढाया करते थे। और लड़कियां भी। वह जिस स्कूल में था वहाँ एक लिडर थी।
उसका नाम ज्वालामुखी चौटाला था। वह इनस्पेक्टर चंद्रमुखी चौटाला की बेटी थी, बिलकुल अपनी माँ पर गयी हूई थी। उसकी माँ भी हवलदार से छोटीसी गलती होने पर भी अच्छेसे पिटती थी। वैसे भी वह दिखने में भी माल थी। मगर सब उससे डरते थे।

और एक दिन तरुण की ट्रीप गई। वह भी उसमें गया था,
सभी लड़कियों की एक गँग थी, वैसे कहने के लिये तो वह एक महिला संगठन था, मगर उनका काम सिर्फ, लड़कियों को ट्रेन करना था, वह भी कैसे लड़कों को, हुस्न के जाल में, फसाना और उनको कूछ दिये बिना उनसे अपना काम, निकलवाना और जानभुजकर परीक्षा के समय उन्हें, भटकाना ताकि लडकोंका निकाल कम आये। इस साल उस गँग की हेड ज्वालामुखी थी। वह हर बार लड़कों को चँलेंज करतीं धोकेसे जीतकर, लड़कों की रँगींग करती। अब सभी लड़कों कों एक रस्सी खेच का चँलेंज दिया गया था। अगर लड़के जिते तो, लड़के जिस लड़की को चुनेंगे वह नंगी होकर सबके सामने नाचेगी, और, अगर लड़कियाँ जीती तो वह एक लड़के को नंगा करके नचायगी। यह बात सब लड़कियों को पता थीं, क्योंकि उन्हें सिनीयर लड़कियों ने उन्हें सबकुछ सिखाया हुआ था। मगर हारने की वजह से सिनीयर लड़के लड़कों को नहीं बताते थे। फिर बच्चों के लिडर रोहित ने तरुण को बाहर भेज दिया ताकि वह कुछ फल ला सके, उन्होंने चँलेंज शूरू कर दिया।
वहाँ आगे किसी देवी का एक मंदिर था, आयना देवी उसका नाम। तरुण ने अंदर जाकर देखा तो, वहाँ एक औरत की मूर्ति थी। एकदम कमसीन साडे पांच फूट उचाई। ३६ २४ ३६ का बदन। तरुण ने सोचा की, अगर यह जिंदा होती तो। मै इसे ऐसेही चोद देता। फिर वह थोड़ा आगे गया।
तरुण रास्ता भटक गया। और वह एक पेड़ के पास पहुंच गया और वहाँ एक ब्रह्मराक्षस कहीं कल्पों से वहाँ बैठा इंतजार कर रहा था,

तरुण जैसे ही, वहाँ पहुंचा ब्रह्मराक्षस उसे बोला
ब्रह्मराक्षस:- मै तुम्हें आब तीन प्रश्न पुछुंगा तुम्हें उसके जवाब देने होंगे, अगर दो सही आयेंगे तो तुम यहाँ से सुरक्षित बाहर जा सकते हो। और अगर तीनों सही हुए तो मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी। और अगर पहले दों में से अगर एक भी गलत हुआ तो मै तुम्हें खा जाऊंगा।
तरुण :-ठींक है, पूछो।
ब्रह्मराक्षस:-ऐसा कौन सा विकार है, जो एक पुरुषार्थ भी है?
तरुण :-काम।
ब्रह्मराक्षस:- दूसरा सवाल, ऐसा कौन सा पुरुषार्थ है, जो केवल व्यक्ति का अपना होता है। पत्नी या पती को उसका आधा नहीं मिलता?
तरुण :- मोक्ष।
ब्रह्मराक्षस:- सही, तीसरा सवाल देने के लिये तुम्हें एक कहानी सुननी पडेगी। ( फिर कहानी शुरू होती है।)
" बहुत साल पहले, एक राजा था,भानूप्रताप उसका नाम। वह बहुत पराक्रमी था, मगर बेऔलाद था। क्योंकि उसकी जवानी, युद्ध में गई थी। और साठ की उम्र में उसने अपने मित्र की जवान १६ साल की बेटी, श्यामली से विवाह किया था। वह एक सुंदर कन्या थी। मगर राजा के बुढे होने के कारण, वह बे औलाद थीं। वह अब २० साल की हो चुकी थी। उसकी आकृति ३६ २३ ३६ की थी सब कहते थें की, "बूढ़े बंदर के गलेमें मोतीयोंका हार।"
राजा जो की, बूढ़ा हो चला था और अपने राज्य के लिये चिंतित था, राज्य गुरु सदानंद के पास गया और अपनी समस्या रखी। सदानंद ने तब कहा,"महाराज सिर्फ पुत्र होने से कुछ नहीं होगा, राज्य की रक्षा के लिये आपको आपकी भांति एक तेजस्वी पुत्र चाहिए होगा। और किसी सामान्य मनुष्य के संभोग यह नहीं होगा, उसके लिये आपको किसी तपस्वी का संभोग चाहिए होगा।"
राजाने कहां "अब तपस्वी कहां से लायेंगे गुरुदेव"
तब आचार्य ने कहा ,"मेरे मित्र, कृतानंद जी आपके राज्य के बाहर काली पहाड़ियों में चालीस सालों से तपस्या कर रहे है। उन्होंने इतना तपोबल अर्जित कर लिया है, की आठ दस प्रहर तक लगातार स्त्री के साथ संभोग कर सके, मगर इस कार्य के लिये आप बस महारानी को तैयार कीजिए।"
रानी यह सब सुन लेती है, और कहती है,"हम तैयार है, महाराज, आप बस मुझे एक दिन का समय दीजिए, हम कर लेंगे।" तब राजा खुश होता है। फिर महारानी मंत्री को आज्ञा देकर सजावट और मेहेंदी निकालनेवाली लड़कियों को बुलाकर अपने पूरे शरीर पर मेहेंदी निकलवाती है। और दुसरे दिन स्नान करने के बाद वह सोलह श्रृंगार कर सबसे सुंदर वस्त्र और आभूषण धारण करती है। और वहा जाने के लिये निकलती है, उनके जाने के लिये सेनापति ने पहलेसे ही तेज घोडोंके साथ रथ बनाया होता है। और सब पहले प्रहर के अंदर ही वहां पहुंच जाते है।वहां सुरक्षा के लिए सेनापति,सारथी,सैनिक और सदानंद जी होते है। फिर सदानंद जी सैनिक और सेनापति को वहीं ठहरा कर आगे निकल जाते है, और सदानंद जी उन्हें ऋषि कृतानंद तक पहुंचा देते है। वहां कृतानंद के तेज से, रानी अपने आप आकर्षित होती है, और आगे बढ़ती है और राजा आचार्य जी के साथ। वहाँ से दूर चले जाते है। और फिर रानी नृत्य करती है, मगर ऋषि पर उका कोई असर नहीं पड़ता। फिर वह उन्हें स्पर्श करने लगती है, मगर वह भी बेअसर होता है। फिर यह बात उसके अहं पर आ जाती है। और वह अपने सारे वस्त्र उतारकर नंगी होकर ऋषि की जंघा पर बैठ जाती है। इससे ऋषि की तपस्या भंग होती है। और वे आंखें खोल देते है, पर एक सुंदर नंगी स्त्री को देखकर क्रोध करने के बजाय उत्साहीत होकर रानी के स्तन दबाने लगे फिर, रानी के होटों को चुमते है। फिर उसकी जुबान पर जुबान घुमाकर फिर उसे नीचे चुमता हुआ उसकी गर्दन से होकर, उसके वक्ष को चुमते चुसते और दूसरे स्तन और स्तनाग्र को मसल रहे थे। अब रानी भी उत्तेजित हो रही थी, उसके मुंह से,"आह..मं..मं" जैसी सिसकारीया निकल रही थी। उससे ऋषि और ज्यादा उत्तेजित हो गये, और उन्होंने अपना डेड वित(8 इंच) का लिंग उसके योनी के अंदर पुरा डाल दिया । रानी चिल्लाती इसके पहले ऋषि ने उसके मूहपर होट कस दिये। और उनकी चिख दब गई। और ऋषि उन्हें जोर जोर से धक्के लगाते रहे। एक प्रहर बीत गई, इसके साथ रानी चार बार झड़ चुकी थी, मगर ऋषि एक बार भी नहीं झडे। उन्होंने रानी के पीछे आकर, उन्हें झुकाकर उनके स्तन पकड़कर जोर जोर से धक्के लगाने लगे। और जोर जोर से उनके स्तन मसलने लगे। ऐसा आठ प्रहर चलता रहा और आखिरकार ऋषि झड गये। और रानी की योनि वीर्य से भर गई और दोनों वहीं। नीढाल होकर वहीं सो गये। और सुबह उठ कर जब रानी ने ऋषि को कुछ मांगने को कहा, तो ऋषि ने रानी को दासी बनकर सदा उनके साथ रहने की मांग की, मगर रानी लालची थी उसने कहा, की वह कुछ भी मांग ले, मगर मगर राज्य छोड़ने को ना कहे, फिर ऋषि ने उसकी बेटी को मांग लिया, रानी बोली अगर बेटा हुआ तो मै राजमाता बनुंगी, बेटी आपकी हुई। औरा वह कपड़े पहनकर राजा के पास चली गई। और ऋषि ने इस बार एक पैर के अंगूठेपर खड़े होकर तपस्या शुरू कर दी। रानी को नौ महीने नौ दिन बाद एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई। बेटे का नाम रोहित और बेटी का नाम अयाना था।सदानंद जी के आश्रम में उनकी शिक्षा पूरी हुई। २० साल बीत गये। और ऋषि वापस आये उनकी तपस्या पूरी हो चुकी थी और विश्वकर्मा से उन्हें वह आयना प्राप्त हो चुका था। वह तब रानी ने अयाना का विवाह ऋषि से कराया, इससे अयाना ज्यादा खुश नहीं थी। क्योंकि ऋषि की उम्र ७० साल थी। ऋषि राजकुमारी को लेकर आश्रम चले गये और आश्रम का सारा कार्यभार अयाना पर डाल कर वरदान में मिला आयना सिद्ध करने चले गये।
यहा पांच साल बीत गये, वहाँ अयाना की हवस, दिन दिन बढ रहीं थी। एक बार राजा उग्रसेन वहां शिकार करने आये। वह बहुत पराक्रमी राजा थे तप करके उन्होंने ईश्वर से भी अनंत गुणा शक्ति,दिव्य, और जब चाहे उतने ब्रम्हांड बनाने और मिटाने की शक्ति थी, अस्र प्राप्त कर लिये थे। उन्होंने अंतरिक्ष में अपना खुद के तारे ग्रह बनाये थे, वहां उनका राज था। चलिए कहानी आगे बढाते है-
तब अयाना नदी पर पानी भरने गयी थी, और वह नदी के किनारे गई, उसने मटके में पानी भरा, और मटका किनारे रख कर अपनी साडी उतारी फिर अपने तरबूज जैसे स्तनों को उस पीले कपड़े से स्वतंत्र कीया, और एक कपडा लपेटकर पानी में स्नान करने उत गई, तभी अचानक पीछे से उसपर एक मगरमच्छ ने हमला कर दिया, वह अपने आप को बचाने के लिये बहार कुद पडी लेकिन उसका कपड़ा मगरमच्छ के मुंह में फंस गया और वह पूरी नग्न हो गई तभी एक बान तेजी से मगरमच्छ के मुंह मे लगा और वह वही ढेर हो गया। अयाना उसे देखती ही रह गयी, और तभी वहा राजा उग्रसेन आ गये। और अयाना का वह सुडौल शरीर, उनके सामने पूरी तरह से नग्न था, अयाना अभी भी झटके में थी। डर के मारे वह जोर जोर से हांफ रही थी, और उसकी सांसो के साथ उसके वह जवानी के साथ भरे हुये उरोज, बडे ही मादक लग रहे थे। उसकी वह नागिन की तरह पतली कमर और भरे हुये नितम्ब मादकता बढा रहे थे, राजा के मन में। उसका वह दूध जैसा गोरा रंग उस कागज़ की तरह था, जिसपर किसी ने दस्तखत नहीं की थी, अब राजा उसपर पूरा निबंध लिखने जा रहा था। राजा ने धीरे धीरे से अपना दायां हात उसके बायें कंधे पर रखा तब अयाना होश में आयी और खडी हो गयी, उसने राजा की आंखों में देखा और राजा ने उसका बायां हाथ अयाना के दायें कंधे पर रखा, तभी होश सम्भाल कर अयाना ने अपने स्तन ढक लिये मगर, अब देर हो चुकी थी, राजा ने अपने हात उसके कंधों से नीचे सरकाते हुये उसकी कोन्ही तक ले आये,और जोर से कोन्ही पर अंगूठा दबाया उससे अयाना उत्तेजित हो उठी और उसके हाथ अपनेआप उसके स्तनों से हट गये। अब राजा ने अयाना के उरोजों पर चूम्बन दिया, जिससे अयाना की उत्तेजना चरम पर पहुंच गयी और उसके यौन के मुख से कामवासना की नदी बहने लगी। वह भी विरोध रोककर राजा का साथ देने लगी थी। और वहाँ कृतानंद ऋषि की सिद्धि पूरी हो चुकी थी। जब देवता जाने लगे तब देवताओं ने कहां, "यही आयना तुम्हें सबसे ज्यादा दुख देगा" तब ऋषि ने आयने से कहा की मुझे मेरी पत्नी दिखाओ तब आयनेने उन्हें वहाँ का माहोल दिखाया। तब ऋषि क्रोधित हो उठे, उन्होंने आयने की मदत से सीधे वहाँ प्रस्थान किया और चिल्लाकर कहा ,"देवी!!! एक ऋषिपत्नी होकर भी आपमें जरा भी संयम नहीं है, मेरे जाते ही आप मार्ग डगमगाने लगी तो जाइए हम आप को श्राप देते है की आप अनंत काल तक पाषाण बनी रहेगी", और देखते ही देखते वह एक पाषाण में परिवर्तित हो गई। और फीर वह राजा से बोले,"राजन!! इस कार्य में आप भी बराबर के भागीदार है, इसीलिये हम आपको भी श्राप देते है की, आप सदा के लिये यही एक ब्रह्मराक्षस बन कर इसी वृक्ष पर निवास करेंगे, और जब भी कोई आप को आपके प्रश्नों का उचित उत्तर देगा उसे आप की सारी शक्तियां और वरदान प्राप्त होंगे और आपको मोक्ष और हर क्षण के साथ आप की शक्तियां जो उसे मिलने वाली है वह अनंत गुणा बढ़ती जायेंगी।"और उसके साथ राजा देखते ही देखते ब्रह्मराक्षस बनकर वृक्ष पर लटक गये। और कहीं कल्प बित गये मगर वह अभीभी इंतजार कर रहे है।"(और इस तरह ब्रह्मराक्षस की कथा समाप्त हुई)
ब्रह्मराक्षस:- क्या उत्तर देने के लिये तैयार हो?
तरुण:- हां।
ब्रह्मराक्षस:- तो बताओ वह राजा और ऋषिपत्नी कौन है।
तरुण:- वह राजा आप है। और ऋषि पत्नी है वह देवी जिसका मंदिर मैंने देखा था।
ब्रह्मराक्षस :- सही आज और इसी समय से मेरी सारी शक्तियां तुम्हारी हुई, अब तुम जो चाहे वह कर सकते हो, जिसे चाहे अपना दास बना सकते हो, जितने चाहे विश्व निर्माण और नष्ट कर सकते हो, अपनी शक्ति से किसी भी स्त्री के मन में वासना भर के उसे संभोग कर सकते हो, पर मेरा एक काम करो मेरी यह माला जिस देवी के मंदिर से तुम आ रहे हो उसे चढा दो।
इतना ही
दास्ताँ का आगाज़ तो निहायत शानदार किया है, कामुक भाई। नींव पड़ गई, अब महल बनाओ जल्दी से, देखने की उत्सुकता है।
 
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