अध्याय 9
जब आंख खुली तो सूरज भी चढ़ चुका था,और मेरे बाजू में सोने वाली निशा की जगह अब काजल ने ले लिया था,वो मुझे अपने बांहो में समेटे हुए सो रही थी,हमारे बीच जो कुछ भी चल रहा है उसके बाद भी वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी जैसे की अब भी वो मुझसे उतना ही प्यार करती हो,मैं उसके मासूम से चहरे को देख रहा था,उसके तन का वो पतला कपड़ा उसके यौवन को ढक पाने में असमर्थ था,उसके स्लेवलेस नाइटी से झांकते हुए उसके उजोर और जांघो के बीच से झांकते हुए उसके योनि के भाग इस बात का इशारा दे रहे थे की उसने नीचे कुछ भी नही पहना है,मेरे सीने में सर रखे वो एक मासूम सी बच्ची लग रही थी,उसके लिए मेरे मन में प्यार ही प्यार था,जो उसे देखते ही उमड़ कर सामने आने लगा,लेकिन………….???
लेकिन पूरी रात वो ना जाने क्या गुल खिला कर आई थी,उसकी इस मादक जवानी को भोगने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके कोमल उरोजों को मसलने और अपने दांतो के निशान उसमे छोड़ने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके योनि के रस से भीगा हुआ लिंग मेरा नही किसी और का रहा होगा…….
जलन,ईर्ष्या,दुख,और गुस्सा...सभी मेरे मन में एक साथ आ कर चले गए,वही मैं प्यार ,दर्द,उत्तेजना,के कम्पन को भी अपने दिल में महसूस कर रहा था,ये आज भी,सब जानते हुए भी,मेरे लिए सोच पाना कठिन हो गया था की काजल का जिस्म मेरे सिवा किसी और का भी है,लेकिन….
लेकिन जिस समय मैंने शबनम की पेंटी उतारी थी उसी समय काजल मेरे प्यार के बंधन से आजाद हो चुकी थी,.....अब वो बंधी नही थी क्योकि मैंने भी इस बंधन को तोड़कर आजदी को चुना था,अब ये आजादी मुझे कितना दर्द देने वाली थी ये तो मुझे भी नही पता था……….
मैं उठाने को हुआ तो काजल मचली,और मुझे और भी जोरो से जकड़ लिया ,मैं अपने होठो को उसके होठो के पास लाकर उसके गुलाबी होठो में अपने होठो को रख दिया,मैं हल्के हल्के से उसे चूसना चाहता था ताकि वो जग ना जाए...मैं डरने लगा था…..मैं डरने लगा था काजल को अपना प्यार दिखाने से ,मैं नही चाहता था की उसे पता चले की मैं उससे कितना प्यार करता हु,वो बस यही समझे की मैं उससे नफरत करने लगा हु,
लेकिन बाबू इश्क मुश्क छिपता तो नही …
मैं तो बहुत ही हल्के हल्के ही उसके होठो को चूम रहा था लेकिन उसने मेरे बालो में अपने हाथ रख दिए और इससे पहले की मैं वँहा से उठ भागता उसने अपनी पूरी जीभ ही मेरे होठो में घुसा दी ,...दोस्तो सच बताऊ की ये मजबूरी क्या थी??
मैं उसे छोड़ भी नही सकता था और पकड़ भी नही ...मैं अपने ही मन के कोलाहल में घूम सा हो चुका था,,लेकिन मैं उसके होठो को चूसने लगा,मैं भूल जाना चाहता था की मैं क्या हु,वो क्या है…
जब हम अलग हुए तो काजल की आंखे मुझे ही देख रही थी और होठ ...होठो में एक मुस्कान फैले हुए था जैसे मेरी चोरी पकड़ ली हो…
मैं थोड़ा नर्वस था मैं जल्दी से उठाना चाहता था लेकिन काजल ने मुझे जकड़ लिया था और वो अब मेरे ऊपर आ गई,उसके बाल फैले हुए थे ,माथे का सिंदूर थोड़ा फीका लग रहा था ,उसके कमर मेरे कमर के ऊपर थे ,मेरा लिंग उसके नंगे जांघो के बीच रगड़ खा रहा था,उसके बाल मेरे मुह में फैल गए जिसे मैंने हटाया,वो बहुत ही मादकता से मुस्कुरा रही थी,शायद मैं इस का दीवाना ही हो जाता अगर मुझे असलियत पता न होती…
लेकिन अब भी तो मैं उसका दीवाना ही था….
उसने मेरे हाथो को अपनी कमर में रख दिया और झुककर मेरे गालो को ,माथे को ,नाक,होठ ,आंखे बल,गला सब अपने होठो से भिगोने लगी थी,उसके हाथ मेरे छाती में चलते ,पीठ में चलते,मेरे कमर के नीचे पहुचते,बालो के सहलाते या दोनो हाथो से मेरे चहरे को पकड़ लेते और वो मुझे बेतहासा चूमती…..
वो पागल हो गई थी ,इतनी जितनी की वो पहले होती थी,मुझसे रहा नही गया और मैंने भी उसके बालो को पकड़ कर उसके चहरे को अपने चहरे से मिला लिया…..
उसकी आंखों से टपका हुआ आंसू मेरे गालो में फैल गया था,और मैं उसके होठो को अपने होठो से अलग करना ही नही चाहता था,.............
हम तब तक ऐसे ही रहे जब तक की निशा ने दरवाजा नही खटखटाया ,हम दोनो ही एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे के चहरे को देखकर मुस्कुराए …..
“भइया ...नाश्ता लगा दु क्या …”
“रुक फ्रेश होके आता हु “
मैं लेटे हुए ही चिल्लाया ..
“रुको ना थोड़ी देर “
काजल अब भी मेरे ऊपर ही थी..
“अगर तुम रात को आ जाया करो तो सारी रात तुम्हारे साथ बिताऊंगा “
मैंने बुझे स्वर में कहा जिसका कोई भी जवाब उसके पास नही था,उसका खिला हुआ चहरा मुरझा गया और वो मेरे ऊपर से हटी,मैं सीधे बाथरूम में घुस गया…..
मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था,काजल बाथरूम में थी,तभी उसका मोबाइल बजा..
“देव देखो तो किसका काल आया है”
वो बाथरूम से ही चिल्लाई ,,,
उसका मोबाइल उसके पर्स में रखा था मैंने उसे खोला मोबाइल निकाल कर उसे दे दिया ,वो बाथरूम में ही बात करने लगी ,...तभी मेरी नजर उसके पर्श पर पड़ी,एक काले रंग का कपड़ा उसके अंदर था जो की मोबाइल के साथ थोड़ा बाहर आ गया था,मैं जाकर उसे बाहर निकाला ,वो पेंटी थी…
काजल की पेटी जिसपर किसी के वीर्य को पोछा गया था,जिसके कारण वो कड़ा हो गया था,जैसे शबनम ने मेरे वीर्य को पोछा था…
काजल बात करके मुझे मोबाइल देने को हाथ बाहर निकाली और उसकी नजर मेरे ऊपर गई जो की उस पेंटी को ध्यान से देख रहा था,
“उसे भी दे दो ,धो लेती हु “
उसका स्वर ठंडा था,मैंने उसके हाथो से मोबाइल लिया और पेंटी उसके हाथो में थमा दिया ……..
एक बार हम दोनो की आंखे मिली ,
“अब छुपाने को हमारे बीच रहा क्या है देव……..”
काजल की बात का जवाब दिए बिना मैं पीछे मुड़ा ही था,
“लेकिन तुम मुझसे छिपाने लगे हो “मैं आश्चर्य से भरा हुआ फिर से मुड़ा ...इस बार काजल की आंखे पानी से भरी हुई थी ,
“अपना प्यार ...तुम मुझसे अपना प्यार छुपाने लगे हो देव”
उसका गाला रुंधा हुआ था,मेरे पास उसके सवाल का कोई जवाब भी तो नही था,मैं तुरंत ही वँहा से निकल गया……..
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अध्याय 10
होटल में घुसते ही मुझे रिसेप्शन में ही रवि दिखाई दिया (मेहता एंड सन्स होटल का मालिक) वो शबनम के साथ खड़ा हुआ था साथ ही ,एक अधेड़ आदमी और एक बहुत ही सुंदर सी लड़की भी खड़ी हुई थी…
“गुड मॉर्निंग सर “मैं रवि से मिलते हुए कहा ..
“गुड मॉर्निंग मिस्टर देव ..यार तुमने तो हमे कंगाल ही कर दिया,हमारी सबसे अच्छी बंदी को तुम अपने पास ले आये”
उसने शबनम की तरफ इशारा किया और शबनम मुस्कुराने लगी..
“सर नथिंग पर्सनल इट जस्ट बिजनेस “
“वो सब तो ठिक है देव जी लेकिन एक बात तो है रश्मि इस होटल को बहुत आगे लेके जाएगी,जंहा तुम जैसा मैनेजर हो और शबनम जैसी HR उसे कौन रोक सकता है..”
“थैंक यु सर “
मैंने सोचा नही था की रवि मुझसे इतने प्यार से बात करेगा ..
“हम्म और इनसे मिलो ये है डॉ चुतिया ,और ये आई इनकी सेकेट्री मिस मेरी मारलो “
उन्होंने उस अधेड़ और उस खूबसूरत लड़की की ओर इशारा करते हुए बोले ..मैं उनकी बात से चौक ही गया,किसी का नाम चुतिया कैसे हो सकता है..और मेरी मारलो ...
“हैल्लो सर “
“हैल्लो ,यार मुझे तुम्हारे होटल में एक कमरा चाहिए ..एक डबल बेडरूम,मेरे और नंबर हो 123 …”
मैं कभी रवि को देखता तो कभी उस शख्स को रवि अपने होटल में ना लेजाकर उसे मेरे होटल में क्यो ले आया था..
“ओक्के सर पर ये 123 में कोई खास बात है क्या ..मतलब कोई दूसरा रूम मिले तो ,”
साला ठरकी था,एक ही बेडरूम चाहिए था उसे अपने और अपनी सेकेट्री के लिए
“हा मेरा लक्की नंबर है इसलिए...रवि के होटल में वो नंबर खाली नही था तो मैं यंहा चला आया “
रवि ने खुद इसे यंहा तक छोड़ा था तो ये कोई आम आदमी तो होगा नही ,मेरे दिमाग में कई बाते एक साथ चल गई
“ओके सर ओके ..मैं अभी देखता हु “
मैं तुरंत ही काउंटर में जाकर 123 को बुक करने कहा और साथ ही उनका सभी समान उनके कमरे में पहुँचवा दिया,आश्चर्य था की समान के नाम पर उनके पास कुछ भी नही था,केवल एक बेग …
दोपहर में जब मैं होटल के राउंड पर था मुझे फिर से डॉ चुतिया दिखाई दिए ,वो रेस्टारेंट में अपनी सेकेट्री के साथ बैठे हुए थे ,साथ ही एक और लड़की भी थी जिसे मैं पीछे से पहचान नही पाया था,मैं जाकर उनका कुशल छेम पूछना चाहता था क्योकि यही तो मेरा काम था...मैं उनके पास पहुचा ..
“हैल्लो सर ,रूम में कोई प्रॉब्लम तो नही हुई ,कैसा लगा आपको हमारा ये होटल “
मैं बड़े ही नम्रता से सर झुकाए हुए उनसे बात कर रहा था,
“हम्म बहुत अच्छा ,और हा इनसे मिलो ये खान साहब के होटल की मैनेजर मिस काजल,आई थिंक तुम इसे जानते होंगे “
काजल ,मैंने तुरंत ही उनके साथ बैठी हुई लड़की को देखा,काजल मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी,ये यंहा क्या कर रही थी….,वो मेरे बोलने से पहले ही बोल पड़ी ..
“जी सर हम दोनो ही एक दूसरे को जानते है,हाय देव कैसे हो ..”
“अच्छा तुम कैसी हो ..”
“बहुत अच्छी …”
“हम्म अच्छी तो होगी ही,बहुत तरक्की जो कर रही होई खान साहब के होटल में “मैं थोड़ी दबी हुई आवाज में बोला जिसका मतलब काजल को साफ साफ समझ में आ गया था…
“लगता है तुम दोनो कुछ पर्सनल बात कर रहे हो ,बहुत ही कोड में..”डॉ हँसने लगा
“नही सर कुछ नही ...अच्छा सर मैं चलती हु,मेरे प्रस्ताव पर ध्यान दीजिएगा “काजल बोलकर उठ गई ,और उन्हें नमस्ते करते हुए वँहा से निकल गई ,
“बहुत ही सुंदर लड़की है क्यो देव …”
डॉ ने फिर से मुझसे कहा
“जी जी सर .एस्क्युस मि सर “
मैं भी जल्दी से वँहा से निकला,काजल गेट पर ही मुझे मिली,वो मुझे देखकर पार्किंग वाले जगह में जाने लगी और अपनी गाड़ी के पास जाकर रुक गई ,उसे पता था की मैं उसके पीछे ही आ रहा हु
“क्या हुआ तुम मेरे पीछे क्यो आ रहे हो “
“ये चल क्या रहा है ….रवि इसे हमारे होटल में छोड़कर जाता है और तुम इससे मिलने आती हो बात क्या है “
मैंने एक ही सांस में बोला,जिससे काजल के चहरे में एक मुस्कान उभर गई ,
“तुम और तुम्हारी मेडम रश्मि दोनो ही होटल बिजिनेस के खेल में कच्चे हो “
वो इतना ही बोलकर कार का दरवाजा खोलने लगी ,मैं तुरंत ही दरवाजा बंद कर दिया और उसका रास्ता रोक कर खड़ा हो गया..
“मतलब “
मैंने उसे घूर कर देखा ,
“मतलब की ये डॉ चुतिया उर्फ डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले है ,और अभी ये यंहा इंस्पेक्टर की हैसियत से आये है ,होटल के निरक्षण के लिए और उसे रेटिंग देने के लिए ,मुझे हैरानी है की तुम्हारी मेडम को भी ये बात नही पता ना ही तुम्हे...हम तो इन्हें खुस करने के लिए कुछ भी करने को तैयार बैठे है ,लेकिन इन्हें तुम्हारे होटल से ना जाने क्या दिलचस्पी है ...जो की ये यंहा आकर ठहर गए …”
काजल की बात सुनकर मुझे अपने ही ऊपर गुस्सा आने लगा और रश्मि के ऊपर भी ,उसे इन सब चीजो की जानकारी होनी चाहिए थी ..
काजल ने मुझे हटाया और दरवाजा खोलकर फिर से निकल पड़ी ...अब मुझे सब कुछ समझ आ गया था,काजल डॉ को अपने होटल बुलाने को ही यंहा आयी होगी ,शायद उसे अच्छी रेटिंग के लिए कोई डील भी दी होगी ...जो भी हो ये बिजिनेस था और काजल ने मुझे डॉ के बारे में बता कर मेरे ऊपर ही अहसान किया था ,मैं फिर से भागा हुआ वापस पहुचा इस बार डॉ ,रश्मि के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया ..मैं उनके पास पहुचा …
“ओह देव तुम इनसे मिले ये है डॉ ..”रश्मि के बोलने से पहले ही डॉ बोल उठा
“ये आज इससे तीसरी मुलाकात है,सच में तुम्हारा होटल तो कमाल का है जितना सोचा था उससे कही अच्छा “
“थैंक यु सर “मैंने आभार व्यक्त किया
“अंकल आप कब तक रुक रहे है यंहा पर “
रश्मि डॉ को अंकल बोल रही थी ,
“बस बेटा कुछ दिन मेरा काम हो जाए फिर मैं चला यंहा से “
“ओके और देव ये हमारे पर्सनल मेहमान है इन्हें कोई भी कमी नही होनी चाहिए “
“जी मेडम “
रश्मि ने मुझे देखा
“कितनी बात समझना पड़ेगा तुम्हे “
मैं हैरान था की वो क्या बोलना चाह रही है ,
“मेरा नाम है …”
मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ
“सॉरी रश्मि “
वँहा खड़े सभी हँसने लगे …………
मैं अभी रश्मि के सामने ही खड़ा हुआ था,और थोड़े गुस्से में भी था,
“रश्मि यार तुमने मुझे बताया क्यो नही ,”
“ओह अब मैं यार बन गयी ..”रश्मि ने मुझे बड़े ही अदा से देखा
“तुम पहले डिसाइड कर लो की मैं तुम्हे क्या बोलू,...”इस बार मैं गुस्से में था और मेरा गुस्सा देख कर वो हँस रही थी ,
“अच्छा अच्छा मजाक कर रही थी ,तुम्हे जो भी बोलना है वो बोल लो लेकिन बोलो तो सही की क्या नही बताया …”
“यही की डॉ चुतिया यंहा होटल को रेटिंग देने आये है,कम से कम मैं तैयारी…”
लेकिन रश्मि ने मुझे टोक दिया
“क्या क्या अंकल यंहा होटल को रेटिंग देने आये है ,पागल हो गए हो तुम किसने कहा तुम्हे …”
अब चौकने की बारी मेरी थी …मैं आंखे फाडे हुए उसे देख रहा था,
“तुम पहले अपने इंफॉर्मर्स को सही करो,अगर वो ऐसे न्यूज़ देंगे तो तुम इस होटल का बंटाधार कर दोगो …”
रश्मि ने मुझे झडक दिया …
“लेकिन ….वो किस काम से यंहा आये है “
मैं मूर्खो जैसे पूछ बैठा ..
“अब तुम कस्टमर से उनके पर्सनल कामो को भी पूछोगे “
रश्मि ने मुझे आंख दिखाया और मैं सॉरी बोलकर वँहा से निकल गया……
मैं झल्लाया हुआ था,काजल के कारण मुझे आज रश्मि के सामने बेइज्जत होना पड़ा था..मैं अपने केबिन की तरफ जा रहा था की मुझे शबनम किसी से मोबाइल में बात करते हुए आती दिखी,वो हँस रही थी जैसे मोबाइल में कोई उसे जोक सुना रहा हो …
मुझे देखते ही वो रुकी मैं भी रुक गया,
“ओके मैं बाद में बात करती हु “वो फोन रखकर मुझे देखने लगी,मुझे देखते हुए वो अपनी हँसी को कंट्रोल कर रही थी ,
“ऐसे क्या हँस रही हो ,और तुम्हे पता है आज काजल यंहा आयी थी “
“अच्छा “उसने थोड़ा सीरियस होने की एक्टिंग की जिसमे वो बिल्कुल भी नाकाम हो रही थी क्योकि उसके चहरे में अब भी मुस्कुराहट फैली हुई थी ..
“क्या अच्छा ,ये काजल समझती क्या है अपने आप को उसके कारण मुझे रश्मि से डांट खानी पड़ गई “
जो जोरो से हँसने लगी जैसे बहुत देर से हँसी दबा के रखी हो और हंसते हंसते ही मेरे कंधों पर हाथ रख लिया उसकी हँसी इतनी ज्यादा थी की वो खड़े भी नही हो पा रही थी ,उसने अपना चहरा मेरे सीने से ठिका लिया ,
“ऐसे क्यो पागलो जैसे हँस रही हो “मुझे और भी गुस्सा आया
“और नही तो क्या करू वो तुम्हे फिर से मूर्ख बना गई ..और क्या जरूरत थी उसका पीछा करने की “
वो हंसते हुए मुझसे अलग हुई ,
ओह तो इसे सब पता है,शायद अभी अभी वो काजल से ही बात कर रही थी ,
मैं नाराज होकर वँहा से जाने लगा लेकिन शबनम मेरे पीछे ही मेरे केबिन में आ गई ,
“अरे सुनो तो “
“कुछ नही सुनना मुझे तुम और तुम्हारी सहेली ...साला मेरी तो कोई औकात ही नही है “
मैं धड़ाम से अपने चेयर में बैठा ,शबनम मेरे बाजू में आकर खड़ी थी ,सामान्य से साड़ी पहने हुए ...उसके कमर की नंगी चमड़ी मेरे चहरे के पास थी जिसे देखकर मुझे कुछ होने लगा लेकिन मैं अभी गुस्से में था…
वो मेरे गोद में बैठ गई ..
“क्या डील हुई है डॉ और उसके बीच जिसके बारे में उसे सोचने को कह रही थी ..”
मैंने अपने मन की बात जाननी चाही ,उसने अपनी बांहे मेरे गले के चारो ओर डाल कर रखा था,और मेरे चहरे को देख रही थी ,ऐसा लग रहा था जैसे हम प्रेमी प्रेमिका ही है..
“तुम काजल के मामले में क्यो जानना चाहते हो देव,छोड़ो उसे …”
वो मेरे बालो को सहलाने लगी ,मैं किसी बच्चे की तरह रूठा हुआ बैठा था,
“अच्छा अगर नही बताना है तो जाओ यंहा से ,...उठो मेरी गोदी से “
मेरे बात को सुनकर वो हल्के से मुस्कराई ,
“अच्छा तुम तो ऐसे हुक्म झाड़ रहे हो जैसे तुम मेरे प्रेमी हो …”वो मेरी आंखों में देखकर कहने लगी ,
“सच कहती है काजल की तुम बहुत ही मासूम हो ,अब जाकर मुझे यकीन हो गया”
वो मेरे बालो को सहला रही थी ,इतने प्यार से जैसे की सच में उसका और मेरा कोई गहरा रिश्ता हो ,मैंने उसकी आंखों में देखा और उसके बालो को पकड़कर उसे अपने चहरे के पास ला दिया और उसके होठो में अपने होठो को डाल कर चूसने लगा,वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी ,उसके होठो की ना जाने कितनी लिपिस्टिक मेरे होठो के माध्यम से मेरे अंदर आ गई थी …
“बताओ ना जान क्या डील है “मैंने उसे छोड़ते ही कहा ,मैं जानने को बहुत ही उत्सुक था..वो मेरे गालो में हल्की सी चपत लगा कर हल्के से हँसने लगी …
“तुम सच में मेरे प्रेमी बनते जा रहे हो देव,..इतनी मोहोब्बत तो मेरे पति ने भी आज तक नही दिखाई..दुनिया के लिए मैं एक रांड हु और पति के लिए बस सेक्स और पैसे की मशीन ...तुम ही एक हो जो इतना प्यार दिखा रहे हो ..”शबनम की भावनाएं बढ़ रही थी ,शायद हम दोनो के तरफ से ,मैं फिर से उसे खीचकर उसके होठो को चूसने लगा .जब मैंने उसे छोड़ा तो दोनो के ही आंखों में एक चमक थी …
“अब इमोशनल करके बातो को घुमाओ मत बताओ की क्या डील है…”
वो हँसी …
“तुम तो पीछे ही पड़ गए यार …..मुझे भी नही पता की क्या डील है..सच में तुम्हारी कसम ..”
उसने मेरे सर पर हाथ रख दिया,ऐसे तो हमारा रिश्ता इतना नही था की वो मेरी कसम खाये लेकिन फिर भी मैंने उसकी बात मान ली,या ये कहो की दिल ने मुझे मानने के लिए मजबूर ही कर दिया ..
“हम्म तो वो क्या डील लेकर डॉ के पास आयी थी ????”
मैं थोड़ा अचंभित था,
“उसने कहा है की कल का अखबार देख लेना तुम्हे पता चल जाएगा “
शबनम की बात से मैं फिर से आश्चर्य में पड़ गया था,आखिर क्या हुआ है….डॉ किस काम से यंहा आया है,और वो है कौन ...क्या होने वाला है आज जो कल के अखबार में आने वाला है…
मैंने अपना सर झटका …
“अब छोड़ो ये सब जो भी होगा पता तो चल ही जाएगा ना “
शबनम के चहरे में मुस्कुराहट तैर रही थी ,उसके गुलाबी होठो की लाली मुझे ना जाने क्यो इतने आकर्षित करते थे,उसका मादक जिस्म देखकर कोई भी उसे छूने को बेताब हो जाए ...तो मैं क्या था,मेरे हाथ उसके कमर में चले गए,मैं उसके खुले हुए कमर को मसल रहा था,वो हल्के नाराजगी भरे स्वीकृति से मुझे देखने लगी ,
“चलो ना जान लग्जरी रूम में चलते है “
सच में मुझे बड़ा मन हो रहा था उससे सेक्स …...नही नही प्यार(इस नाम से सेक्स करने में मजा आता है) ...करने का …
वो मुस्करा कर मुझे देखने लगी .
“अच्छा जी ,एक रात का 1-5 लाख रेट है मेरा और तुम फोकट में ही मेरी रोज लेना चाहते हो …”
मैंने उसके कमर को और भी जोरो से रगड़ा ..
“ये हवस नही मेरी जान प्यार है मेरा “
मैंने आवाज को नशीला करते हुए एक अदा से कहा ..
“ओह जनाब का प्यार मेरे पिछवाड़े में गड़ने लगा है ..”वो जोरो से हँसी ,सच में मेरा लिंग तनकर उसके नितम्भो में गडने लगा था ..मैं भी हल्के से मुस्कुराया ..
“चलो ना यार “
उसने मेरे होठो में अपनी उंगली रख दी ,
“चुप रहो ,बहुत काम है ,और रोज रोज करके आदत खराब नही करनी मुझे...तुम्हारे बीवी की दोस्त हु,तुम्हारी कलीग हु .. तुम्हरी प्रेमिका नही …”वो हंसते हुए खड़ी हुई थी की मैंने उसके हाथो को पकड़ कर उसे फिर से अपने गोद में बिठा लिया ..
“मेरी जान लक्षण तो अब प्रेमिका वाले ही दिख रहे है..और पैसे का क्या है जान मांगो तो वो भी दे दे …”
मैं हल्के से मुस्कुराया
“हाय क्या अदा है तुम्हारी और ये गरीबो वाले डायलॉग मत बोलो,जिनके पास पैसे नही होते वो ही जान देने की बात करते है….और ऐसे भी तुम्हारी जान तो काजल की मुझे क्या दोगो “
उसकी वो बात सीधे दिल में लगी लेकिन थी तो सच्ची ही ,मेरी पकड़ उसकी सच्ची बात से ही ढीली हो गई,जिसका अहसास उसे हो गया,वो शायद मुझे नाराज या दुखी नही करना चाहती थी वो मेरे कानो के पास आयी और मेरे कानो में फुसफुसाने लगी..
“जान..इस जिस्म की जो कीमत तुम देते हो वो कोई नही दे सकता,लेकिन रोज नही ,प्लीज़ “उसकी इस अदा ने मेरे दिल को बहुत सुकून पहुचाया मैं उसे फिर से अपनी ओर खीचकर उसके होठो पर टूट पड़ा,और उन्हें तब तक चूसता रहा जब तक दिल नही भर गया,और वो कमरे से चली नही गई ………...