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Incest रंडियो का घर (Completed)

Chutiyadr

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अध्याय 4
मेरी
आंखे खुली तो मैंने काजल को अपने पास पाया वो झीनी सी नाईटी में मुझे दिखाई दि,उसके उजोर बड़े ही प्यारे लग रहे थे मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा,मैंने देखा की वो आँखे मूंदे हुए बड़ी प्यारी लग रही थी ,उसने अभी तक अपने माथे की छोटी सी बिंदी नहीं हटाई थी जो उसके गोर चहरे को और भी खूबसूरत बनती थी ,उसके होठो में काटने का निशान देख मेरी दिल की धड़कन रुक सी गयी मुझे कल की सारी बाते याद आने लगी ,मैंने उसके उस जखम को छुआ,मुझे हल्का सा खून का जमाव महसूस हुआ,मैंने उसके प्यारे चहरे को फिर से देखा ,क्या मेरी प्यारी काजल ऐसा कुछ कर सकती थी की मैं उसपर शक कर सकू पर ये खून का जमाव ,और साफ़ पता चल रहा था की किसी ने उसे दांतों से काटा है,मेरे प्यार में क्या कमी रह गयी थी की मेरी प्यारी बीबी किसी गैर मर्द का बिस्तर गर्म करेगी ,मुझे अब भी ये यकीं नहीं हुआ मैंने फिर से काजल के उरोजो को देखा जो की बहार आने को बेताब थे मैंने उसे आजाद ही कर दिया,उनके आजाद होने पर काजल के मुह से एक मदभरी सी आह निकली ,
'नहीं
ना जी क्या कर रहे हो ,'मैंने देखा काजल नींद में ही थी पर उसका जी कहना मुझे सुकून दे गया क्योकि वो मुझे ही जी कहा करती थी,मैंने उसके उजोरो को निहारा तो मुझे लाल घेरे दिखाई दिए जैसे की किसी ने उसे बुरी तरह से मसला हो ,काजल बहुत गोरी थी और मैंने उसे कभी कभी मसला भी था उसके वो निशान ऐसे ही थे जैसा मेरे मसलने पर उसके वक्षो पर पड़ते थे ,मेरी आंखे नम होने लगी मैंने फिर उसके मासूम से चहरे की ओर देखा ,मुझे यकीं ना आया की वो मुझे किसी भी सूरत में धोखा दे सकती है,मैंने उसके उजोरो को मसलना शुरू किया,
'नहीं
ना जान प्लीज् नहीं ना कोई जायेगा ,'काजल अभी भी नींद में थी मैंने अपने होठो को उसके होठो के पास ले जाकर उसके होठो को चूमने लगा वो अपने होठो को मेरे लिए खोल दि मैंने अपने होठो को उसके होठो में घुसा दिया मुझे दारू की बू आनी शुरू हो गयी ,हमारे लिए दारू पीना कोई बड़ी बात नहीं थी ,शायद काजल ने कल शराब पि हो मैंने अपने हाथ उआकी नाईटी के निचे से उसकी प्यारी योनी के पास ले गया मैंने पाया की उसमे कुछ कड़ा सा अहशास हुआ मनो वीर्य सुख गया हो मैंने अपने दिल को समझाया की ये वीर्य नहीं होगा मैं उसके निचे गया उसके कपडे को ऊपर उठाया,उसके गोर जांघ मेरे सामने थे मैं उसे चटने लगा ,काजल बहुत ही नशे में थी पर वो मचलने लगी थी मैं जन्घो को चाटते हुए उसकी योनी तक गया ,मैंने पाया की वह कुछ कड़ा सा है मेरी लार पड़ते ही वो चिपचिपा हो गया मैंने उसे जीभ से चखकर देखा ,वो वीर्य ही था मेरा दिल बैठ गया था ,मेरी आँखों में आंसू था पर मेरा लिंग वो तो ताना था अपनी ही धून में मुझे लगा था की मैं उसे उठा के उसे मार ही डालू पर मैंने ऐसा नहीं किया मुझे उसे भोगना था ,जाने किसने उसे भोग होगा ये वीर्य किसका था मुझे नहीं पता था पर ....
मैं
मैं तो बस अब पागल ही हो गया था मैंने अपने कपडे उतार फेके और उसके ऊपर चढ़ गया मैंने ये परवाह नहीं की कि उसकी योनी में गीलापन है या नहीं मैंने अपने थूक से ही अपने लिंग को भिगोया और एक जोरदार धक्का ...
'अआह्ह्ह
नहीं ना क्या कर रहे हो ,इतना तो किये हो ना अब बस करो ना दर्द हो रहा है घर भी जाना है,'काजल की बातो से मैं पूरी तरह टूट चूका था मैं अपने पुरे जोर से उसे फिर से धक्का लगाया काजल की आँखे अब भी बंद थी और उसने मुझे अपनी बहो के घेरे में भर लिया
'आपका
तो कभी ख़तम ही नहीं होता है ना 'उसने बहुत ही नशीली आवाज में कहा ,
'चलो
अब जल्दी करो ना प्लीज ,सर भी करेंगे क्या ,'अब तो मैं रो ही पड़ा मैं चाहता था की मैं वहा से उठ कर भाग जाऊ पर मैंने दूसरा रास्ता अपनाया मैंने एक जोरदार झापड़ काजल को मारा मेरे मारने से वो तड़फ गयी और होश में आकर मुझे देखने लगी ,
'ये
क्या कर रहो हो जी ,हटो ना ,मुझे मार क्यों रहे हो ,'
'मदरचोद
चुपचाप पड़ी रह रात भर दूसरो से चुद्वाकर आई है और अपने पति से नखरे कर रही है ,'
'अआह्ह्ह
आह्हह्हह्हह्हह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् प्लीज् ना जान ,छोड़ दो ना रुक जाओ ना थोड़ी देर बस .थोड़ी देर बस जाआआन ..'
मैंने
बेहिसाब धक्के मारने शुरू कर दिए ,काजल दर्द से तडफ रही थी उसकी योनी अभी भी गीली नहीं हुई थी वो दर्द से छटपटा रही थी पर मैंने कोई रहम नहीं की मैंने उसके चहरे को अपने हाथो से दबा लिया .ये पहली बार था जब मैंने काजल से जबरदस्ती की थी पर मैं क्या करता मेरा दिल आज टूट चूका था मेरी प्यारी बीवी बेवफा थी,मेरी चाहत लुट चुकी थी वो भी ना जाने कितनो से ...मैंने अपने वीर्य की धार सीधे काजल के योनी में छोड़ दि ,वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही मैं वहा से उठकर अपने बाथरूम में चला गया ,पर जब मैं बिस्तर से उठा तो मैंने एक परछाई दरवाजे की पीछे देखि जो तुरंत भाग गयी मुझे अहसास था की वो मेरी बहने ही थी जो काजल के आवाज के कारन वह गयी थी ,...

______________________________
 

Rajesh Sarhadi

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ye purani story hai rajesh bhai ...ek do updates me samjh aa jayega ,ise pahle xp me post kar chuka hu..:superb:
vahi to maine kaha tha :D

ek shaks mere thread pe aa kar bolte hain ki main yahan jo pdf ki dukan hai vahan se copy kar raha hun, shukra hai shayad abhi aap tak pahuncha nahi ya aapka thread pdf tak nahi pahunch paya:D
 
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Chutiyadr

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अध्याय 5
मैं सुबह से ही बिना खाए पिए ही होटल चला गया ,आज मेरा दिन बिलकुल ही बेकार होने वाला था ऐसा मुझे लग रहा था ,लेकिन किसे पता था की क्या होना है ,सुबह से ही मैं होटल स्टाफ को व्यस्त रखा था ,सभी मेरे स्वभाव से परचित थे इसलिए उन्हें भी ये शक हो चला था की मैं आज बिलकुल ही अपसेट हु,दोपहर को रश्मि आई और आते ही उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया,

"क्या बात है आज बहुत ही उदास हो ,"मैं अब भी सर झुकाए खड़ा था,

"तु सर कब उठाएगा मादरचोद"रश्मि चिल्ला के बोली की मेरी रूह भी काप गयी ,और मेरे आँखों ने अपने सब्र का बांध तोड़ दिया मैं रोने लगा ,रश्मि ऐसे तो बहुत ही खतरनाक और प्रोफेशनल लड़की थी पर ना जाने उसे क्यों मेरे लिए एक सहानभूति सी पैदा हो गयी थी ,मैं काँपता हुआ और रोता हुआ वहा खड़ा था और वो मेरे पास आकर मुझे एक पानी का ग्लास पकड़ा देती है ,और धीरे धीरे मेरे सर पर अपना हाथ घुमाने लगती है ,मुझे कुछ कुछ आराम मिला और मैंने सोचा भी नहीं था की इस होटल की मालकिन और इतने बड़े बाप की ये बिगलैड लड़की मुझे इसतरह से प्यार दिखाएगी ,



"देव जानते हो पापा ने मुझसे यहाँ की जिम्मेदारी देते हुए कहा था की तुम्हे यहाँ से निकाल दू ,तुम किसी काम के नहीं ,"मैंने सर उठाया तब तक वो अपने खुर्सी में जाकर बैठ चुकी थी ,

"लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योकि मुझे पता है की तुम कितने काम के हो ,हमारा होटल बिना कुछ गलत काम किये भी चल रहा है तो वो तुम्हारे ही लगन और मेहनत के बदोलत है ,हा यहाँ पर वक्त के साथ बदलाव की भी जरुरत है और वो शायद दुनिया के नजर में गलत भी हो पर ..................बिजिनेस में सब जायज हो जाता है समझे मिस्टर "रश्मि हलके से हसी वही मेरा दिल भी थोडा हल्का हो गया था ,मैं अब रश्मि को देखने का साहस कर सकता था,


"देव तुम मुझे एक मालकिन के तरह नही एक दोस्त की तरह मानो जो भी आईडिया तुम्हारे दिमाग में हो वो मुझे खुलकर बताओ ,खुलकर यानि समझते हो ना ,खुलकर बिना किसी भी हिचक के ,मैं तुम्हे एक और मौका देती हु ,पापा को गलत साबित करने का ,सोचो अगर तुम्हारी नौकरी गयी तो तुम्हारी बहनों का क्या होगा ,"रश्मि की सहानभूति और अपनत्व ने मुझे जीत लिया था ,मैं क्यों उदास हु और मैं क्यों वो ना करू जो तरक्की के लिए और पैसे कमाने के लिए जरुरी है ,मेरी बीवी तो अपना जिस्म भी इस नौकरी के लिए लगा रही है ,उसे तो कभी गलत नहीं लगा होगा और मैं किसी दूसरी लडकियों के लिए भी शर्मा रहा हु ,

"मेडम मैं आपकी बातो को समझ गया ,मैं अपना दिलो जान लगा दूंगा इस होटल के लिए ,ये होटल ही यहाँ का नंबर वन होटल होगा ,मेरा आपसे वादा है ,"मैंने इतने जोश से बोला की रश्मि भी खुस हो गयी और आश्चर्य से मुझे देखने लगी ,

"ह्म्म्म बढ़िया लेकिन देव तुम मुझे मेडम बुलाना छोडो यार मुझे रश्मि ही बुलाया करो .पता नहीं तुमसे कुछ अपना सा लगता है मुझे तुम अच्छे आदमी हो ,और अगर कोई आईडिया हो तो बताओ अभी "मेरे भी चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,

"मेडम जी ,(रश्मि ने मुझे घुर के देखा ) सॉरी रश्मि एक आईडिया तो है मेरे पास "वो उत्सुकता से मुझे देखने लगी

"हमें कुछ लडकिया हायर करनी पड़ेगी "रश्मि हसने लगी

"ये भी कोई बात हुई कल ही तो ये बात हमने कही थी ,और मैंने कुछ प्रोफेशनल लोगो से बात भी की है ,वो भी लडकियों की सप्लाई करने को मान गयी है ,"

"नहीं मेडम,सॉरी रश्मि (रश्मि हसने लगती है ) मैं प्रोफेसनल लडकियों की बात नहीं कर रहा हु ,मैं बात कर रहा हु ऐसी लडकियों की जो प्रोफेसनल ही ना दिखे ,वो बिलकुल सामान्य सी यहाँ पर काम करने वाली लडकिया लगनी चाहिए ,मैंने अधिकतर देखा है की लोग शरीफ लडकियों के साथ करना चाहते है ,प्रोफेशनल तो उन्हें कही भी मिल जाएगी पर सामान्य सी खुबसूरत और कामकाजी लड़की जिसे वो पटाने की सोच भी नहीं सकते बस देख कर ही खुश रहते है वो अगर उन्हें मिल जाए तो कैसा रहेगा ,"रश्मि ने मुझे बड़े गौर से देखा

"ह्म्म्मम्म देव ,.....देव यार तुम तो शराफत से सीधे ही कमीनेपन में उतर आये मैंने सोचा नहीं था की तुम इतने बड़े कमीने होगे ,पर ये होगा कैसे एक पढ़ी लिखी लड़की जिसे हम उसके क्वालिफिकेशन के आधार पर जॉब में रखेंगे वो क्यों अपना जिस्म का सौदा करने देगी ,"मेरे चहरे पर एक कातिल मुस्कान निखर गयी ,

"हमें जादा कुछ भी करना है बस कुछ ऐसी बन्दिया हमें चाहिए जो ये काम पहले से कर रही है ,जैसे मेहता ग्रुप वाली HR शबनम ,"रश्मि की आँखे चौड़ी हो गयी ,मैंने अपनी बात जारी रखी ,

"देखिये होगा ये की ये सिर्फ क्लाईंट का मनोरंजन ही नहीं करेंगी बल्कि यहाँ काम करने वाली लडकियों को भी इस काम के लिए उक्सयेंगी ,उन्हें पैसे और मजे का लालच देंगी कोई भी पढ़ी लिखी शरीफ लड़की को भी कभी ना कभी तो इन सब चीजो की जरुरत पड़ती है ना मेडम सॉरी रश्मि जी "रश्मि ने हसकर मुझे देखा ,

"हम्म्म्म तुम सही कह रहे हो ,एक और लड़की है मेरे दिमाग में जो इस काम में एक्सपर्ट है ,काजल .................(मेरा चहरा ही उतर गया जिसे उसने समझ लिया था )सॉरी वो तो संस्कारी लड़की है ना जैसा तुमने कहा था ,"

"नहीं मुझे समझ आ चूका है वो संस्कारी तो नहीं है पर मैं उसके साथ काम नहीं करना चाहता,"रश्मि ने अपने भव चड़ा लिए ,

"क्यों "

मैं ख़ामोशी से उसे देखता रहा जैसे मैं अपने सपनो में गम हो चूका था

"बस समझ लीजिये की उसने मेरा दिल तोडा है और अब वो भी मेरे लिए वैसे ही दुश्मन है जैसा की अजीम आपके लिए "मैंने रश्मि के कमजोर नश पर हाथ रख दिया था ,पर उसके चहरे पर एक मुस्कान खिल गयी उसे भी ये समझ आ चूका था की मैं और वो मिलकर खान के होटल को बर्बाद कर सकते है पर कैसे ...ये एक कहानी ही थी ........

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Chutiyadr

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अध्याय 6
मैं आज घर लेट से जाने का प्लान बनाया मुझे शबनम से अपने होटल को जॉइन करने की बात करनी थी,ये तो स्वाभाविक था की वो बहुत ज्यादा कीमत बोलने वाली थी लेकिन उसके पास वो हुनर था जो कोई सामान्य लड़की के पास नही मिलता….

वो पढ़ी लिखी थी शादी शुदा थी,दिखने में कातिल सी खूबसूरत थी और सबसे बड़ी बात वो अपने जिस्म का सौदा करना और उसकी कीमत दोनो जानती थी….यंहा का मैनेजर तो मैं था लेकिन उसे हमने HR का पोस्ट देने की सौची,अभी जो HR का काम देख रही थी वो भी बहुत टैलेंटेड लकडी थी इसलिए उसे हटाने की जगह हमने दो पोस्ट बना दिए...क्योकि इसे कुछ अलग ही काम करना था….

मैं होटल के ही रेस्टारेंट में बैठा हुआ शबनम का इंतजार कर रहा था...

“हाय देव “

वो बला की खूबसूरत लग रही थी…जिसपर मेरी नजर थोड़े देर के लिए जम ही गई थी..




“हाय आओ आओ “मैं उसके स्वागत के लिए खड़ा हुआ

“तो बहुत इमरजेंसी में बुलाया है मुझे क्या बात है”

“कुछ नही एक जॉब का ऑफर था तुम्हारे लिए “

वो खिलखिला कर हँस पड़ी

“जॉब तुम मुझे जॉब ऑफर कर रहे हो ,यार मैंने तो सुना की तुम्हारी जॉब में ही खतरा है ,कपूर साहब बहुत ही भड़के हुए है तुम्हारे ऊपर “

हाय उसकी अदा उसकी मुस्कान ,इन गलियारों में बाते इतनी तेजी से फैलती है मुझे समझ आ गया था,

“ह्म्म्म वो कल की बात थी मेडम ...आज कहानी कुछ अलग ही है,हम कुछ नए रिक्रूटमेंट करना चाहते है ,हमे एक HR मैनेजर चाहिए तुम्हारे जैसी ,और कुछ लड़कियों का भी रिक्रूटमेंट है ..जो तुम्हे हमारे साथ मिलकर फाइनल करना होगा “

शबनम को कुछ जैसे समझ सा आ गया

“ओह ,मुझे लगा की तुम्हारे रहते इस होटल को कभी मेरे जैसे मैनेजर की जरूरत नही पड़ेगी ,”वो थोड़ी से उदास हो गई थी ना जाने क्यो..

“तुम क्यो उदास हो रही हो,आजकल टैलेंट से क्या होता है “अब मैं थोड़ा उदास हो गया

“पता नही क्यो लेकिन तुम्हें ये सब करते देखना अच्छा नही लगता,तुम हमारे कालेज के टॉपर थे यार ,इतने टैलेंटेड हो और फिर भी “

शबनम मेरे ही कॉलेज की जूनियर थी ..

“ह्म्म्म छोड़ो वो सब, अब अगर मार्किट मे बने रहना है तो सब कुछ करना पड़ेगा “

उसके चहरे में थोड़ी चमक आई ,तभी एक वेटर आ गया

“मेरे लिए ब्लैक काफी और तुम “

“सेम “

“हम्म तो मुद्दे की बात करे ..”

“देखो देव रवि ऐसे भी मुझे अच्छी खासी तनख्वाह देता है,जो की मेरे टैलेंट से कही ज्यादा है ...तो मैं तुम्हारा प्रपोसल क्यो एक्सेप्ट करू “

पता नही क्यो लेकिन उसकी खूबसूरती ने मुझे दीवाना बना दिया था,

“क्योकि बात सिर्फ पैसों की नही है,रवि के पास तुम्हारी इज्जत क्या है ये हम दोनो को पता है,यंहा तुम्हे इज्जत भी मिलेगा और उससे ज्यादा पैसा भी ,...”

“उससे ज्यादा पैसा ...तुम पागल हो गए हो कपूर जैसा कंजूस आदमी उतने पैसे दे पायेगा,उतनी तो तुम्हारी सेलरी भी नही है “

“ह्म्म्म देखो अब कपूर साहब होटल के काम को छोड़कर दूसरे बिजनेस में ध्यान देने की सोच रहे है,तो यंहा का पूरा काम रश्मि देखेगी,जाहिर सी बात है की वो नए सोच की लड़की है और सच मानो पैसे खर्च करने में कोई कमी नही करेगी,बस एक चीज की कमी नही होनी चाहिए …”

शबनम ध्यान से मेरी बातो को सुन रही थी,

“उन्हें काम सॉलिड चाहिए ,तुम्हे हर बंदी को तैयार करने पर इंसेंटिव भी मिलेगा जो की सेलरी से कही ज्यादा हो सकता है,रवि के जैसे यंहा कोई जबरदस्ती करने वाला नही होगा,तुम अपने पति और घर को भी टाइम दे पाओगी और पैसे ...वो तो तुमने सुन ही लिया “

“ह्म्म्म MBA किया था तो सोचा नही था की ये सब भी करना पड़ेगा “

शबनम हल्के से हँसी जिसे देखकर मेरे चहरे में भी हँसी आ गई ,हमारी काफी आ चुकी थी ..

“यार देव लेकिन एक बात बताऊ ,मुझसे ज्यादा टैलेंटेड तो काजल है ,तुमने उसे हायर करना चाहिए था “वो हल्के से मुस्कुराई ,लेकिन मेरा चहरा उतर गया ..

“हम्म मुझे पता है तुम दोनो के बारे में “शबनम की बात से मैं चौका और उसकी ओर देखने लगा ..

“फिक्र मत करो किसी को नही बताऊंगी ,लेकिन काजल मेरी अच्छी दोस्त रही है,हमारी बात होते रहती है और वो भी तो बेचारी मेरे ही जैसे है बस उसके पति को उसके काम का पता चल गया है “

शबनम के चहरे में आयी हुई कातिल मुस्कान से मेरे पैरो की जमीन खिसक गई ..

“तुम तुम बोलना क्या चाहती हो “

“वही जो तूम सुन रहे हो ...लेकिन देखो यार देव हमारा फील्ड ही कुछ ऐसा हो गया है,तुमने ही तो कहा था की सिर्फ टैलेंट से आजकल कुछ भी नही होता,,उसे भी तो अपनी जॉब बचानी पड़ी जैसे तुम्हें बचानी पड़ी...यहां बहुत कंपीटिशन है देव वो नही करेगी तो कोई और कर लेगा ...और अब तो तुम भी मान गए हो की इन सब चीजो की जरूरत तुम्हारे होटल को भी है ...मैं भी तो शादी शुदा होने के बाद भी रवि के साथ ...करना पड़ता है देव तुम मर्द हो तुम नही समझो की औरतों के दिल में क्या गुजरती है जब कोई पराया मर्द …”

मेरे आंखों में आंसू आ गए थे…

शबनम ने मेरे हाथ को अपने कोमल हाथो से पकड़ा और उसे सहलाया इसमें बहुत ही अपनत्व था…

“मैं जानती हु की हम गलत कर रहे है और मैं इसे पूरी तरह से सही भी नही कहती,और ना ही ये कहती हु की इसके बिना हम रह नही पाएंगे,लेकिन हमारे खर्चे अब इतने हो गए है की इसे सिर्फ काम करके पूरा करना मुश्किल है ...और फिक्र मत करो जो सीक्रेट है वो सीक्रेट ही रहेगा और कब से जॉइन करना है …”

शबनम की बात से मुझे थोड़ा सुकून तो मिला ,असल में बात से नही उसके कोमल हाथो के अहसास से ..

“कल से “

“ओके “ वो खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे गालो में एक हल्की से पप्पी लेकर वँहा से निकल गई ……...

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Chutiyadr

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अध्याय 7
मुझे घर जाने का मन ही नही कर रहा था ,मैं बड़े ही भारी मन से घर पहुचा ,मेरी बहने बड़ी ही बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी,उनके प्यारे चहरो को देखकर मेरे मन की सभी थकान मिट गई,अगर मैंने कोई गलती की तो इन लोगो का क्या होगा,मुझे इनके लिए जीना था,इन लोगो के लिए मुझे काजल का साथ चाहिए था,ताकि मैं इनको पढ़ा सकू ,कुछ ऐसी जगह में भेज सकू जंहा इनको वो ना करना पड़े जो की काजल कर रही थी...मैं सोफे में बैठा हुआ उन्हें देख रहा था और मेरी आंखों में पानी आ गया,पूर्वी मेरे गोद में आकर बैठ गई ,कितनी प्यारी थी मेरी जान ,मैंने बड़े ही प्यार से उसके माथे को किस किया ,निशा भी आ चुकी थी उसके हाथो में पानी का ग्लास था ,और मेरे लिए ब्लैक काफी …

वो भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई थी ,मैं उसके बालो को सहलाने लगा ,

“तुम लोगो की पढ़ाई कैसी चल रही है,”

“अच्छी चल रही है भइया लेकिन ये शहर के लोग लोग बड़े ही अजीब से है,”पूर्वी ने अपने मासूम अंदाज में कहा

“क्यो क्या हुआ “

“कुछ नही यंहा के लड़के साले पता नही कैसी कैसी ड्रेश पहनते है,और बाल देखो तो हँसी आ जाती है,और लडकिया भी कितने मॉर्डन टाइप के कपड़े पहनती है “

“तो तुम्हे भी पहनना है क्या “

मैंने उसके गालो को पकड़कर खिंचा

“आउच दर्द होता है अब बच्ची नही हु जो गालो को खिंचते रहते हो “पूर्वी का गुस्सा मुझे सबसे भाता था

“अच्छा बहुत बड़ी हो गई है तू “

“वो तो हो गई हु ,लड़के देख के सीटियां मारते है मुझे “

निशा उसकी बात से गुस्से में आ गई

“कोई तमीज नही है क्या तुझे भइया के सामने ऐसे बात कर रही है “

शायद पूर्वी को इसका अहसास हो गया ,और मुझे भी की मेरी बहने अब बच्ची नही रह गई है और मुझे इनके ऊपर थोड़ा और ध्यान देना होगा लेकिन मेरे पास वक्त की कहा था,,अगर ये गांव में ही रहती तो ऐसी बात मेरे सामने नही कह पाती लेकिन अब मुझे लगा की उन्हें भी शहर का थोड़ा रंग चढ़ रहा है ,लेकिन मैं अपनी बहनों को बांध कर भी तो नही रख सकता था ना ही रखना चाहता था ,बस वो बिगड़ ना जाए यही दिल में एक डर सा लगा रहता था ,

“कोई बात नही निशा ये तो पागल है ...तो तुम लोगो को भी ड्रेश चाहिए क्या “मैंने दोनो को पूछा

“नही भइया वो सब बहुत महंगी आती है “निशा बहुत ही समझदार की तरह बात करने लगी थी

“तो तेरा भाई क्या इतना गरीब है ,और ऐसे भी मुझे इंक्रीमेंट भी मिलने वाला है “मैने उन्हें खुस होते हुए बताया

“ऐसे भइया एक बात बोलू बुरा तो नही मानोगे “निशा थोड़ा धीरे से बोली

“हम्म क्या हो गया “उसके इस तरह बोलना मुझे अजीब लगा था,

“वो भाभी ने आज हमे बहुत सारी ड्रेशस दिलवाई है ,लेकिन उन्होंने कहा की आपको पता लगेगा तो शायद आप हमे डांटेंगे ..”उसका सर झुक गया था ,

“वो कब आयी “

“वो तो दोपहर से आ गई है,हम बाहर शॉपिंग किये और बाहर ही खाना खा कर आ रहे है,आपके लिए भी पैक करवा के लाया है….वँहा से आने के बाद वो थककर सोई हुई है...प्लीज उन्हें मत डांटना आप लोगो का कल भी झगड़ा हुआ था “

निशा की बात सुनकर मैंने निशा को देखा ,वो सहम गई ...अब मेरे घर में दो जवान बहने थी जिनकी जिम्मेवारी मेरे ऊपर थी,और मैं भी पागलो जैसे काजल के साथ ऐसा व्यवहार कर बैठा मुझे पता था की काजल मेरी बहनों का ध्यान अपनी बहनों की तरह ही रखती है,मैं तो अपने ही कामो और परेशानियो में उलझा रहता था लेकिन काजल जब भी वक्त मिलता मेरी बहनों के साथ हमने फिरने चली जाती,वो उनके लिए दोस्तो जैसी थी और मैं….मैं किसी खड़ूस बाप की तरह ,मुझे अब अपनी बहनों से नजदीकियां बढ़ानी थी ताकि मैं उन्हें समय दे पाउ और उन्हें खुस भी रख पाउ...मैंने प्यार से निशा के सर पर हाथ फेरा और उठाकर अपने कमरे में चला गया ,वँहा काजल बेफिक्र सोई हुई थी ,मैंने उसे जगाना भी ठीक नही समझा …..

लेकिन मेरी आहट से वो जाग चुकी थी और आंखों में थोड़ा डर लिए मुझे ही देख रही थी ,उसका वो मासूम चहरा ,,,




मैं तो बस उसे निहारता ही रह गया,ये मेरी काजल थी,मेरी जान ..;लेकिन क्या करू अब मैं इससे वो प्यार नही कर सकता था जो कभी किया करता था,मैंने इसे पटाने के लिए ना जाने क्या क्या पापड़ बेले थे,मैं एक गहरी सांस छोड़कर बाथरूम की तरफ जाने लगा लेकिन मैं फिर से मुड़ा,उसका चहरा मायूस था और वो थोड़ी सहमी हुई लग रही थी,मैं फ्रेश होकर आया वो भी थोड़ी पूरी तरह से उठ चुकी थी ,हम दोनो ने ही कोई बातचीत नही की जब तक की हम फिर से अपने कमरे में नही आ गए,हम दोनो ही खामोश बिस्तर में बैठे हुए थे….बोलने को कुछ बाकी भी तो नही था,

“तुमने जो बहनों को कपड़े दिलवाए उनके लिए थैंक्स “

असल में मुझे ये खामोशी खाए जा रही थी.

“वो मेरी भी बहने है “

उसने एक सपाट सा जवाब दिया ,

“तुम शबनम से बात करती हो…”मुझसे रहा नही जा रहा था,

“ह्म्म्म “

“तब तो ये भी जानती होगी की मैं उसे अपने साथ रख रहा हु “

“ह्म्म्म “

“हर चीज उसे बताती हो ,हमारे बेडरूम की बाते भी “

अब काजल खामोश थी,मैं उसके चहरे को नही देख रहा था ,लेकिन मुझे उसकी सिसकिया सुनाई देनी शुरू हो गई थी,

मैंने उसे देखा ,मैं क्या कहता...कि कोई बात नही जो हुआ ऐसा होता है,मैंने तुम्हे माफ कर दिया ...ये तो मैं नही कह सकता था,तो क्या कहता की निकल जाओ मेरी जिंदगी से ….

नही ये भी मैं नही कह सकता…

“रो क्यो रही हो”मैंने ये कहा ,क्योकि मेरे पास कहने को कुछ था भी तो नही ..वो हल्के से मुझे देखी ,मेरी आंखों में झांकते हुए वो मेरे सीने से लग गई ,और उसके आंसू मेरे सीने को ही भिगोने लगे,मेरे हाथ ना जाने किस ताकत के कारण उसके बालो को सहलाने लगे थे...मैं उसपर प्यार तो बिल्कुल भी नही जताना चाहता था लेकिन क्या करू,...

मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया,उसके काले बाल बिस्तर में ही फैल गए थे






उसके गुलाबी फुले हुए गाल आंसुओ से गीले थे,आंखों में अभी भी नमी थी,पलके अब भी झुकी हुई थी ,होठ अब भी फड़फड़ा रहे थे,सिसकिया अब भी हल्के हल्के से निकल रही थी ,धड़कने अब भी थोड़ी तेज थी,सांसे अब भी थोड़ी गर्म थी,

मेरे हाथ उसके गालो को सहलाने लगे,मेरा मन चाहता था की मैं उससे लड़ाई करू,उसे जान से मार डालू और मैं किसी प्रेमी की तरह उसे निहार रहा था,शायद वो भी मेरे इस बर्ताव को लेकर थोड़े आश्चर्य में थी लेकिन मेरा खुद पर काबू ही नही रहा ,मैं उसके फड़फड़ाते हुए होठो के पास अपने होठो को लेजाकर उसकी नरमी को महसूस करने लगा,उसकी सिसकिया अब बंद हो गई थी लेकिन उसकी सांसे थोड़ी तेज हो चली थी,मेरे होठो की त्वचा हल्के हल्के ही उसके होठो से स्पर्श कर रही थी,उसके सांसे उत्तेजना से बढ़ने लगी थी,वो एक अजीब से दौर से गुजर रही थी ,वैसा ही कुछ हाल मेरा भी तो था,एक डर ,उसके जेहन में था लेकिन वो इस अचानक हुए बदलाव से और भी घबराई हुई थी,वही नफरत और दर्द मेरे जेहन में था पर मैं अपने उमड़ते हुए प्यार की धार को रोक ही नही पा रहा था,मैं भी इस बात को लेकर घबराया हुआ था और अपने होठो को उसके होठो से मिलने से रोकना चाहता था,लेकिन मेरे अंदर का वो प्रेमी जो इस सामने लेटे हुए शख्स से बेपनाह मोहोब्बत करता था वो मुझे रोक रहा था,वो मुझे उसके ओर बड़ा रहा था,मैं जैसे किसी लोहे की तरह उस चुम्बक की ओर खिंचा जा रहा था,

हमारे फड़फड़ाते हुए होठ एक दूसरे में मिल ही गए ,मैं उन्हें उतने ही प्यार के चूम रहा था जितने की जीवन में कभी किया होऊ..वो हल्के हल्के से रोने लगी थी,उसके हाथ मेरे गले से आकर लिपट गए ,वो भी अपने होठो को ताकत से मेरे होठो में भरने लगी...हम दोनो ही एक दूसरे में गुथे जा रहे थे,हमारा पूरा अस्तित्व ही एक दूसरे में मिलने लगा था…….

जब हम अलग हुए हमारी सांसे उखड़ी हुई थी,आंसू की एक बून्द मेरे आंखों से भी टपक गई ,काजल के चहरे में छोटी सी ही सही लेकिन मुस्कान थी ,वो मेरे बालो को सहलाने लगी मैं उसके आंखों में देखने लगा ……..

“तुम्हारी बेवफाई के लिए मैं तुम्हे माफ नही कर सकता “

मेरे मुह से ये अल्फाज निकलेंगे ये तो ना काजल ने सोचा था ना मैंने ,वो दंग सी रह गई वो बस मुझे देखती रही

“लेकिन क्या करू तुम्हे प्यार करना भी तो नई छोड़ सकता “

मैं भी जानता था और वो भी की मेरे दिल ने जो ये दोनो बाते कही है वो सच ही तो थी..वो मुझे जोरो से अपनी ओर खिंची और मैं उससे लिपट गया..

“मैं जानती हु….मैं जानती हु की जो मैंने किया वो माफी के काबिल नही है ,और मैं ये भी जानती हु की आप मुझे बेतहासा प्यार करते है ,...लेकिन एक बार आप ही बताइये की मैं अब क्या करू ,जो आप बोलोगे वो मैं करूँगी …”काजल की बातो में सच्चाई थी लेकिन उसने मेरे लिए ही मुश्किल पैदा कर दी थी ,अब मैं उसे कैसे कहु की उसे क्या करना चाहिए वो तो मुझे भी नही पता था..

मैं उठा और एक सिगरेट जला कर सीधे बालकनी में पहुच गया,

मैं गहरे कस लगता हुआ गहरे सोच में था…काजल मेरे पास आकर खड़ी हो गई थी,

“तुम वो होटल छोड़ दो “

“तुम्हे लगता है ये इतना आसान है,हमारा घर लोन में है,और बहनों की पढ़ाई और आगे का खर्च ...”

“मैं जितना कमाता हु उसमे हम अच्छे से जी सकते है,और किसी दूसरे होटल में कोई जॉब तो तुम्हें मिल ही जाएगी,”

“बात सिर्फ पैसों की नही है देव...तुम्हे क्या लगता है अजीम मुझे होटल छोड़कर जाने देगा “

मेरी आंखे चौड़ी हो गई मैं काजल को देखने लगा ..

“वो इतना शरीफ नही है देव ,मेरे लिए होटल छोड़कर जाना शबनम जितना आसान नही है,वो बहुत ही कमीना है देव..मुझे अपनी चिंता नही है पर मेरी वजह से बहनों की जिंदगी में कोई तकलीफ नही आनी चाहिए …”

काजल की बात से मैं दंग रह गया,

“हा देव अजीम पागल है,रश्मि से पूछो की उसने उसे क्यो छोड़ा था,वो बहुत ही खतरनाक है..”

“तो क्या मैं ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहू,मैं अपने जान में खेल जाऊंगा काजल तुम एक बार हिम्मत तो करो हम ये शहर ही छोड़कर चले जाएंगे..”

मैंने काजल की बांहो को पकड़ लिया था..

“देव बात को समझो ,जब प्रॉब्लम इतनी बड़ी नही है तो क्यो इसे बड़ा बनाना “

“मतलब “मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,

वो मेरे सीने इस लागकर मेरे पीठ को सहलाने लगती है…

“देखो,अजीम अपने कारोबार के लिए और अपने स्वार्थ के लिए मेरा यूज़ करता है लेकिन बदले में अच्छे खासे पैसे भी तो देता है,मेरी सेलरी तुमसे 5 गुनी ज्यादा है,और वो मुझे कोई तकलीफ भी तो पहुचने नही देता………”

मैं उसके तर्क से हैरान था..

“और तुम ही सोचो कल से पहले क्या तुम्हे मेरे प्यार में कोई कमी दिखाई दी थी,..मैं तुमसे दिलो जान से प्यार करती हु देव,क्या जो चल रहा है वैसा ही नही चल सकता,ये ना सिर्फ हमारे केरियर का सवाल है बल्कि हमारी खुसी भी इससे जुड़ी हुई है,मैं अपने काम से खुस हु देव मुझे कोई भी परेशानी नही है,लेकिन क्या तुम मुझे इस रूप में स्वीकार कर पाओगे...मैं तुमसे वादा करती हु की तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नही होगा..”

काजल की बातो पर मुझे विस्वास ही नही हो रहा था,वो चाहती क्या थी ??

वो चाहती थी की मैं उसके दुसरो के साथ सोने पर स्वीकृति दे दु,..

“तुम पागल हो गई हो “मैंने उसे अपने से हटा लिया

“तुम समझती क्या हो मुझे,मैं तुमहे पैसे के लिए बेच दु “

काजल की आंखे फिर से नम होने लगी थी जबकि मुझे गुस्सा आ रहा था

“देव मेरी जान ,ये एक बिजनेस है तुम समझते क्यो नही ,किसी और के चोदने से मेरी चुद घिस नही जाएगी “

काजल की इस बात पर मुझे विस्वास ही नही हुआ वो ऐसा कैसे बोल सकती है ,वो किसी रंडी की तरह बोल रही थी.

मेरे चहरे में आये भाव को उसने पढ़ लिया ,

“देव मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए है ,अगर मेरा शरीर किसी और का हो भी जाय तो क्या फर्क पड़ता है,क्या हम एक ओपन रिलेशनसिप में नही रह सकते ...मेरी तरफ से तुम किसी के साथ भी सेक्स करने को आजद हो ,और मुझे मेरी आजादी दे दो,क्यो हम इस रिश्ते की वजह से अपने केरियर और आजादी को दाव पर लगा रहे है देव…”

उसकी बात मेरे दिमाग के ऊपर से जा रही थी,मैंने आज तक उसके सिवा किसी दूसरी लड़की से सेक्स नही किया था और वो ...वो मुझे ओपन रिलेशन में लाना चाहती थी..

“क्या तुमने कभी शबनम के बारे में गलत नही सोचा,सच सच बताना देव क्योकि मुझे सब कुछ पता है”

काजल बात से मैं थोड़ा सहम गया ,

“देव तुम उसके बारे में सोच सकते हो लेकिन मैं तुम्हारे सिवा किसी के बारे में नही सोच सकती,जो मैं करती हु वो बस मेरा काम है,मुझे ग्राहकों को खुस करने के ही तो पैसे मिलते है”

“तुम एक रंडी की तरह बात कर रही हो “मैं उग्र हो गया था..

“देव आराम से सोचना इस बारे में ,कोई जल्दी नही है,और तुम मुझे रंडी कहो या और कुछ लेकिन असलिलयत यही है की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु ,,,,”

वो मेरे गालो में एक किस देकर बिस्तर में चली गई ,और मैं सिगरेट के गहरे कस लगाता हुआ बस काजल को देखता रहा और उसके प्रस्ताव के बारे में सोचता रहा……..

क्या सही और क्या गलत के खेल में मेरे सर में दर्द होने लगा था,मैं बालकनी में ही बैठा बैठा सोने लगा था…….

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Chutiyadr

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अध्याय 8
शबनम अभी भी नंगी लेटी हुई थी और मेरे वीर्य को अपने पेंटी से पोछ रही थी ...मुझे तब आश्चर्य हुआ जब उसने अपनी पेंटी को अपने पर्स में डाल लिया ,

“अरे ये क्या कर रही हो,फेक दो इसे “

वो जोरो से हँसी …

“इतनी महंगी पेंटी फेक दु ...और ऐसे भी ये मुझे तुम्हारी याद दिलाएगा,इसे मैं नही धोने वाली..”उसने मुझे आंख मारी,लेकिन उसकी बात से मेरे लिंग में एक उछाल जरूर आ गया…

“चलो रश्मि मेडम से भी मिल लेता हु और तुम उन लकड़ियों की ट्रेनिंग शुरू कर दो …..



मैं रश्मि के केबिन में बैठा हुआ था,वो किसी से फोन से बात कर रही थी,हमेशा की तरह खूबसूरत रश्मि,अच्छी खासी हाइट थी,गोरों चिट्टी लड़की,और चहरे में मालकिनों वाला रुआब ,,..

“ह्म्म्म तो मिस्टर देव कैसा रहा पहला दिन शबनम के साथ “वो फोन रखते हुए बोली,उसके चहरे में एक मुसकान थी,

“अच्छा था मेडम “

“तुम नही सुधारोगे “

मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ,

“सॉरी रश्मि “

वो फिर से हल्के से मुस्कुराई और अपनी कुर्सी से उठाकर मेरे सामने टेबल में आकर बैठ गई,उसके मिनी टाइट स्कर्ट से उसकी दोनो जाँघे चमकने लगी ,वो कमाल की सेक्सी लग रही थी,होठो पे लगा हुआ लाल लिपिस्टिक और उसके काले खुले हुए बाल उसे और भी सेक्सी लुक दे रहे थे,रश्मि को इतना सजकर आते मैंने पहली बार देखा था,

“नजर बचा के क्यो देख रहे हो सीधे ही देख लो..”

वो फिर से हँसी ,लेकिन मैं झेप गया,उसने मुझे अपनी जांघो को छुपकर देखते पकड़ लिया था,वो मेरे बालो में हाथ फेरकर मुस्कुराई ..

“कमान यार देव,इतना शर्माना बंद करो अब तो तुम्हे कस्टमर और लड़कियों के साथ डील करना पड़ेगा…”

वो साली कातिल थी,गजब की मुस्कान थी ,आज तो दिल और लंड दोनो ही बेताब हो रहा था,पहले शबनम और फिर ये …

शायद उसे मेरे पेंट की ऊँचाई का पता चल गया..

“ओह मिस्टर ,ऐसे ऊँचा करने की जरूरत नही है ,फ्रेंड बोला है तुम्हे बॉयफ्रेंड नही “

उसने मेरे पेंट की तरफ इशारा करके मुझे हल्के से डांट दिया और मैं थोड़ा घबरा सा गया,

“सॉरी वो ,....”

“क्या सॉरी साले घंटे भर से तुम शबनम के साथ ऐयासी कर रहे थे और फिर से खड़ा कर रहे हो ,...”वो टेबल से उठकर फिर से अपनी कुर्सी में बैठ गई लेकिन इससे मेरे दिल में एक डर भर गया,वो सच में मुझसे इतना फ्रेंडली थी अगर वो गुस्सा हो गई तो…

“सॉरी मेडम …”मैंने अपना सर झुका लिया था,

“चलो कोई नही आईन्दा से ध्यान रखना ,हम दोस्त है उससे ज्यादा बढ़ने की कोशिस मत करना ओके “

“ओके मेडम “

मैं अभी भी सर झुकाए हुए था,

“अब अगर एक बार भी तुमने मुझे मेडम कहा तो साले जान से मार दूंगी “वो झूठे गुस्से से बोली और हँस पड़ी ,मैं भी उसकी बात से थोड़ा रिलेक्स हो गया था….

“तो….मुझे होटल के सारे डिटेल्स चाहिए ,खासकर अकाउंट के,हो सके तो आज ही ..”

“जी ……..रश्मि “मैंने अपने को सुधारते हुए कहा जिससे वो हल्के से मुस्कुराने लगी ………



आज रश्मि को होटल का पूरा कारोबार समझते मुझे देर हो गई थी,शबनम के साथ हुआ एनकाउंटर और इतना सारा माथापच्ची वाला काम ,मैं बुरी तरह से थका हुआ घर पहुचा ,निशा सोफे में ही सोई हुई मिली,रात 1 बज रहे थे…

मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके माथे में हाथ फेरने लगा …

मेरे स्पर्श से वो जागी ,

“आप आ गए भइया “वो सोफे से उठ चुकी थी

“हाथ पैर धो लीजिये खाना लगा देती हु “

“अरे पागल तू क्यो परेशान हो रही है मैं खा के आया हु,तेरी भाभी आ गई ,”

“नही थोड़ी देर पहले तो फिर से गई है,रात को नही आ पाऊंगी बोल रही थी…”उसकी बात सुनकर मेरा चहरा थोड़ा उदास हो गया,जिसे निशा ने पढ़ लिया,

“भइया आपके और भाभी के बीच सबकुछ ठीक तो है ना ……”

“हा मेरी जान सब ठीक है,जा जाके सो जा,”

मैं अपने कमरे में आ गया,और फ्रेश होकर बिस्तर में लेट गया,बीते हुए पूरे दिन की तस्वीर मेरे दिमाग में आने लगी थी,मैं सोच रहा था की आखिर काजल क्या प्लान कर रही है...उसके पास इतने पैसे कहा से आने वाले है,

काजल जैसी भी हो लेकिन वो मूर्ख तो नही थी,वो पढ़ी लिखी थी,और इस बिजनेस की एक्सपर्ट भी थी,वो टैलेंट के मामले में भी कमाल की मैनेजर थी,उसे अकाउंट की भी अच्छी जानकारी थी ,तो मैं इतना तो समझता था की अगर वो कुछ करने वाली है तो उसके पास कुछ तो सॉलिड प्लान होगा….

क्या मुझे उससे पूछना चाहिए ,क्या मुझे उसकी मदद करनी चाहिए…????

मेरे दिमाग में हर चीज बहुत ही तेजी से चल रही थी की दरवाजे में दस्तक हुई ,दरवाजा लॉक नही था तो वो खुलता चला गया ,वो निशा थी ,उसने अभी अभी चेंज किया था वो एक काले रंग की झीनी सी नाइटी में थी,आज पहली बात मैं उसे इस रूप में देख रहा था,हा वो मेरी बहन थी और मैं उसके बारे में कुछ भी गलत नही सोच सकता लेकिन वो सच में सेक्सी लग रही थी,वो धीरे से मेरे पास आयी और मेरे साथ ही बिस्तर में लेट गई और मुझे कसकर पकड़ लिया …

“क्या हो गया बड़ा प्यार आ रहा है भाई पर ..और ये किसने दिया ..”

“नींद नही आ रही भइया,इसे तो भाभी जी ने लिया है हमारे लिए,बहुत से मॉर्डन कपड़े दिलवाए है ...कैसी है “

वो मुझे छोड़कर उठी और अपने कपड़े को पकड़ कर मुझे दिखाने लगी..

“हम्म ठिक है पर सोते समय ही पहना कर इसे ,बहुत ट्रांसपरेंट है,आज मुझे भी पता चला की मेरी बहन कितनी बड़ी हो गई है”

मैं ये सब अचानक ही बोल गया था लेकिन निशा ने जैसे सब समझ लिया उसका चहरा शर्म से लाल हो गया था,

“छि भइया मैं जा रही हु,”

वो बिस्तर से उठाने वाली थी की मैं उसका हाथ पकड़कर खिंचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया..वो भी मेरे बालो से भरे नंगे सीने में खुद को समेटने लगी,उसके गाल मेरे बालो से रगड़ खाने लगे थे जिसका कोमल अहसास मेरा प्यार और भी बढ़ा रहा था,मैं उसके बालो में हाथ फेरने लगा था...मेरी बांहे उसके कोमल जिस्म को समेटे हुए थी और उसकी सांसे मैं अपने सीने में महसूस कर पा रहा था,ना ही वो कुछ बोल रही थी ना ही मैं लेकिन मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था,दिन भर की थकान और दिमाग का पूरा टेंसन ही धूल गया,मैं उसके सर पर एक किस करके अपनी आंखे बंद कर बस उसके अहसास को महसूस करने लगा…….

शरीर की थकावट ने आंखे कब लगा दी पता भी नही चला ……..

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