• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery रंगीन ज़िन्दगी के किस्से

Secretfucker

New Member
2
8
4
हेलो दोस्तों मैं इस कहानी के कुछ हिस्से दूसरी साइट पर पोस्ट कर चुका हूँ पर समय की कमी के चलते जारी नहीं रख पाया ये कहानी लगभग पूरी तरह से सत्य है और थोड़ा बहुत परिवर्तन केवल उस समय की घटना के भूल जाने की वजह से हो सकता है| जैसा की मैंने बताया की समय की कमी के चलते मैं जारी नहीं रख सकता तो बुआ ही इस कहानी को आगे बढ़ाएंगी पहले वो हिस्से जो मैंने पोस्ट किये हैं और उसके बाद की बातें बुआ खुद ही बताएंगी. तो आप सभी उन्हें सहयोग करें और उनकी रंगीन जिंदगी के किस्सों का मजा लें.
ये कहानी मेरी बुआ की है जो एक सरकारी टीचर है जो 38 साल की औरत है और दो बच्चों की माँ है. ये कहानी ७ साल पहले की है मैं १०वी के एग्जाम के बाद बुआ के घर गया था जो की उप में ही एक छोटे शहर में है.तब बुआ कोई ३०-३१ के आस पास होगी और एक ही बेटी थी जो ३-४ साल की होगी. मेरी उम्र तब 15 साल थी. बुआ मुझे बच्चे की तरह प्यार करती थी और मुझे भी उनके साथ अच्छा लगता था.फिर एक दिन ऐसा आया की सब कुछ बदल गया.

image
 
Last edited:

sunoanuj

Well-Known Member
2,152
6,028
159
मुबारक हो मित्र नई कहानी के लिए ।
अपडेट की प्रतीक्षा में ।।
 

Secretfucker

New Member
2
8
4
मैं छुट्टियों में बुआ के घर जाता था. एक बार जब मैं उनके घर पर ही था बुआ वाशरूम में थी मैं बाहर हॉल में बैठा टीवी देख रहा था अचानक मुझे टॉयलेट लगी तो मैं चला गया. साथ वाले वाशरूम में बुआ नहा रही थी जैसे ही मैंने फ्लश किया बुआ की आवाज आयी कौन है? घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था.बुआ भी जानती थी सो मैंने बोला मैं हूँ उन्होंने बोला "बीच का दरवाजा मत खोलना मैंने कुछ नहीं पहना है" मैंने बोला ठीक है पर एक मिनट के बाद बुआ की आवाज आयी "अंदर आ जाओ." मैंने भी सोचा शायद नहा चुकी होगी मैं अंदर चला गया दरवाजा खुलते ही देखा क्या नज़ारा था. बुआ बिना कपड़ो के पूरी नंगी खड़ी थी सिर्फ हाथो से चूचियां ढक रखी थी साइड में होने की वजह से उनकी नंगी कमर और चूतड़ दिख रहे थे. मुझे देखते ही वो बैठ गयी
Eg-Rp7-XOXg-AEIv-Yo.jpg

मैं मुड़के जाने लगा तो उन्होंने बोलै “आ जाओ शर्माओ मत मैंने भी तुम्हे ऐसे देखा है आओ जरा पीठ पर साबुन लगा दो” मैं झिझकते हुए उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा अचानक से साबुन फिसल कर उनकी चूचियों में चला गया जो उन्होंने हाथों से ढक रखी थी.फिर उन्होंने निकाल के दे दिया पर उस वक़्त उनकी एक चूची हवा में लटक गयी अब मेरा दिमाग ठनका मैंने बोला “बुआ आपने मुझे ऐसे बहुत बार देखा है पर मैंने आपको कभी नहीं देखा”.ये सुनके उन्होंने ऊपर देखा और कहा की “पहले जो कर रहे हो करो” और मुस्कुरा दी तभी साबुन फिर से कंधे से फिसल कर चूचियों में चला गया इस बार मैंने खुद हाथ डाल दिया पर साबुन की जगह चूची हाथ में आ गयी आअह्ह्ह्हह क्या नरम चीज थी बुआ ने ऊपर देखा और हाथ हटा दिए मैं चूचियों में भी साबुन लगाने लगा और उन्हें दबाने हिलाने लगा.थोड़ी देर बाद बुआ पलटी और मेरी तरफ देखने लगी मैंने बोला “बुआ क्या आप खड़ी हो सकती हो मुझे आपको नंगी देखना है”. ये सुनके बुआ मुस्कुरायी बोली "नहीं खड़ा नहीं होना ऐसे ही देख लो".फिर मैंने बोला “अच्छा घोड़ी की तरह हो जाओ” ये सुनके वो हसने लगी बोली “अच्छा अब घोड़ी बनाओगे”. मैं हंसा और बोला हाँ. फिर बुआ मेरी तरफ मुँह करके घोड़ी बन गयी मैं तुरंत पीछे गया और उनकी गांड देखने लगा वाह क्या मस्त लग रही थी बुआ भरी हुई हवा में लहराती चूचियां. मांसल जाँघे. उभरे बड़े गोल चूतड़ जो की हवा में उठे हुए थे बुआ का गोरा बदन चमक रहा था मैंने पूछा बुआ आपका फिगर क्या है.उन्होंने बोला मुझे नहीं पता फिर जोर देने पर उन्होंने बताया उनकी चूचियां ३६′ कमर ३४′ और कूल्हे ३८′ के थे. मैंने अब मुख्य चीज पर ध्यान दिया उनकी चूत जो क्लीन शेव की वजह से साफ़ दिख रही थी और बड़े गोल चूतड़ों में छिपी हुई उनकी गांड. मैं नीचे बैठ गया और उनकी चूत पर हल्का सा हाथ फेरा बुआ के मुँह से ससससीईई की आवाज आयी मुझे मजा आया.मैंने फिर से किया फिर आवाज आयी मैंने और जोर से किया बुआ की आआह्ह निकल गयी मैंने पूछा क्या हुआ वो कुछ नहीं बोली चुपचाप घोड़ी बनी आगे देखती रही फिर मैंने एक ऊँगली अंदर डाल दी उनकी चूत थोड़ी चिकनी हो रही थी तो आराम से चली गयी बुआ एकदम चौंक पड़ी और पीछे देखने लगी मैंने इशारे से पूछा क्या हुआ वो मुस्कुराके बोली “ऊँगली नहीं डालते वहां कुछ और है तो दिखाओ”.मैंने ये सुनते ही अपना शॉर्ट्स खींच दिया बुआ ने एक हाथ से अंडरवियर खींच दिया अब मेरा लौड़ा बुआ के सामने था जो तब ६.५ लम्बा” और ठीक ठाक मोटा था. लौड़ा देख के बुआ खुश हो गयी बोली “बचपन में जो घी खिलाया था काम कर गया”.मैंने बुआ को बोला लो खेलो इससे मेरा मन तो था उन्हें मुँह में लेने को बोलता पर हिम्मत नहीं हुई उन्होंने थोड़ी देर सहलाया जब पूरी तरह सख्त हो गया तो बोली अब ठीक है. और वापस घोड़ी बन गयी मैं बुआ के पीछे आया मेरा पहली बार था इससे पहले सिर्फ मुट्ठियां मारी थी. बुआ ने अपना एक हाथ पीछे करके मेरा लौड़ा पकड़के अपनी चूत पर टिकाया और बोली धीरे से करना मैंने धीरे से धक्का मारा फिसल गया.फिर बुआ ने दोबारा टिकाया और मैंने जोर से शॉट मार दिया उन्होंने हाथ नीचे नहीं रख पाया था और सुपाड़ा अंदर चला गया वो झटके से गिर गयी पर सुपाड़ा अंदर ही रहा वो थोड़ा कराही मैंने उनकी कमर पकड़ के वापस घोड़ी बनाया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.थोड़ी देर बाद बुआ ने कहा "बस इतना ही दम है?और जोर लगाओ" मैंने एक दम दो जोर के धक्के लगाए और पूरा लंड बुआ की चूत में घुसा दिया बुआ के मुँह से आह की आवाज आयी मैंने बोला "क्या हुआ फट गयी?" और जोर से धक्के लगाने लगा.

unnamed-2.gif


बुआ की चूचियां हवा में हिल रही थी और हर धक्के पर चूतड़ भी हिल रहे थे मेरा मन कर रहा था की एक चूतड़ पर एक चांटा मारू मैंने पोर्न मूवीज में देखा था. थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं अंदर ही झड़ गया और हम दोनों अलग हुए साथ में नहा के बाहर आये. दोपहर में जब मैं और बुआ रोज की तरह सोने बेड पर आये तो हमारा नजरिया काफी बदल चूका था.अब हम काफी ओपन थे मैंने बुआ से पूछा "कैसा लगा?" बोली "क्या तुम्हारा हथियार?" मैं हंसा. बोली "अच्छा है" मैंने पूछा "और किसी का देखा है?" तो वो हंसने लगा मैं समझ गया वो खेली खाई औरत है मैंने पूछा "और कितने लिए हैं?" तो पहले गुस्सा हो गयी और बोली "मैं क्या रंडी हूँ?"मैंने उनकी गांड पर धीरे से हाथ फेरते हुए कहा "नहीं, ऐसे ही पूछ रहा हु कही और मजे नहीं लिए?" फिर वो आराम से बैठ गयी और बोलने लगी "देखे है एक दो और तुम्हारे फूफा के अलावा." मैंने बोला "और लिए भी" वो हंसने लगी और बोली "सब कुछ बता दूँ क्या तुम्हे?" मैंने कहा "अब क्या छुपाना" और उनकी चूचियां दबाने लगा बुआ गरम होने लगी.मैंने मौके का फायदा उठाया और पूछा "बुआ बताओ ना कितने देखे और कितने लिए?" वो कुछ नहीं बोली तो मैंने बोला "अच्छा एक तो बताओ" और उनके कुर्ते में हाथ डाल दिया उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी तो सीधी नंगी चूची हाथ में आ गयी बुआ के मुँह से उफ़ की आवाज आयी और मैंने फिर से पूछा. बुआ बोली अच्छा बताती हूँ सुनो. आगे बुआ की कहानी उन्ही की जबानी
- कुछ वक़्त पहले की बात है मैं एक बार गाँव गयी थी. वहां काफी जगह खाली पड़ी है और घर के हिस्से अलग अलग जगह बने हैं और काफी जगह में हैं. गाँव के घर में सास ससुर. जेठ जेठानी और उनके बच्चे रहते हैं. लोग कम और जगह ज्यादा होने से कोई भी कही आता जाता दिखाई नहीं देता था और चहल पहल भी कम रहती क्यूकी नौकर घर के अंदर कम ही आते थे.इस वजह से गर्मियों में औरते भी बाहर आँगन में सो जाती हैं. एक बार मैं टॉयलेट के लिए उठी और बाहर गयी वहां कुछ दूर पर मुझे एक साया दिखाई दिया मैंने सोच इतनी रात में कौन हो सकता है मैं चुपके से गयी और एक झाड़ के पीछे छुप गयी. मैंने ध्यान से देखा वो मेरे ससुर जी थे और टॉयलेट कर रहे थे अपने ससुर के बारे में बता दू वो गाँव के जमींदार थे और पक्का काला रंग के शरीर से मजबूत आदमी थे. उन्होंने थोड़ी देर अपने लिंग को हाथ में पकडे रखा फिर उसे उठा कर हिलाया तब मेरी नजर पड़ी क्या मस्त दमदार लग रहा था. और ससुर जी उसे धीरे धीरे हिला रहे थे उनका लिंग खटके खा रहा था और मेरा दिल जोर से धड़क रहा था मेरी नजर उनके लिंग पर थी.फिर वो चले गए मैं भी आकर लेट गयी पर नींद गायब थी मैं उनके लिंग के बारे में सोच रही थी इस उमर में इतना दमदार लिंग है उनका. कुछ देर बाद मैं हलकी सी सोने लगी और तभी मुझे लगा की पैरों पर किसी ने हाथ रखा मैंने आँखे खोली तो देखा ससुर जी खड़े थे मैं चौंक के उठ गयी उन्होंने चुप रहने का इशारा किया सब पास में सो रहे थे.उन्होंने चुपचाप चलने को कहा मैं उनके साथ थोड़ा बाहर चली गयी मैं घबरा रही थी की इतनी रात में इन्हे क्या बात करनी है कही इन्होने देख तो नहीं लिया था मुझे इनका लिंग देखते हुए ये सब बाते सोच कर मैं चली जा रही थी तभी ससुर जी मेरी तरफ घूमे और बोलै बहु क्या देख रही थी बाहर? मैं कुछ नहीं बोली और नीचे देखने लगी उन्होंने मेरा घूँघट हटाया और बोले "दूर से ही देखोगी? मैं तो खुद आया हूँ पास से देख लो." मैं कुछ नहीं बोल रही थी उन्होंने मेरा चेहरा उठाया और कहा "शर्माओ मत चलो तुम्हे कुछ दिखाता हूँ". ये कहके उन्होंने अपना लिंग धोती से बाहर निकला और मेरे हाथ में रख दिया. उफ़ कितना गर्म था एक दम सख्त लोहे की रॉड जैसा.मैंने झटके से छोड़ दिया वो मुस्कुराये और धीरे से बोले "घबरा गयी क्या?" फिर उन्होंने मुझे पास खींचा और मेरे कूल्हे दबा दिए मैंने एक दम उनकी तरफ देखा और वो मुस्कुरा रहे थे. मुझे भी कुछ होने लगा मेरा दिल जोर से धड़क रहा था और शर्म भी ख़त्म हो रही थी मैं उन्हें देखने लगी.उन्होंने मुझे पकड़ा और वही खुले में मेरी साडी निकल दी मैं घबरा गयी की यही नंगी हो जाउंगी लगता है आज पर उनको मना नहीं कर पा रही थी. फिर उन्होंने मुझसे कहा की बाल खोल दो मैंने वैसे ही किया.फिर उन्होंने मुझे अपने बाहर वाली बैठक में आने को कहा जहाँ वो दिन में बैठते थे. वो चले गए और मैं छुपती छुपाती वहां पहुंची वो एक हवादार फूस का झोपड़ीनुमा कमरा था किसकी दीवारे पक्की थी. उसमे हर तरफ बड़ी विंडोज थी.मैंने देखा ससुरजी अपने तख़्त पर बैठे है और मैं वहां खुले बालो में बिना साड़ी के पहुंची तो लग नहीं रहा था के हम ससुर और बहु हैं. मुझे देख कर ससुरजी मुस्कुराये बोले "वाह बहु बड़ी जल्दी आ आगयी लगता है बहुत जल्दी है नंगी होने की." मैं शर्मा गयी फिर उन्होंने मुझे दरवाजा बंद करने को कहा और सारी विंडोज की मैट नीचे करने लगे सिर्फ एक खुली छोड़ दी उधर एक पेड़ था.फिर वो बैठ गए और मुझसे बोले "नंगी हो जाओ." मैं शर्मा रही वो ऐसे बोल रहे थे फिर वो थोड़ा झुंझला कर बोले "अब तो आधी नंगी यहाँ आ गयी हो अब क्या शर्माना? जल्दी नंगी हो जाओ वरना बाहर ले जाके नंगा करूँगा" मैं डर गयी और उनकी तरफ देखने लगी. वो उठे और मुझे बाहर ले जाने लगे मैंने कहा "नहीं. मैं करती हूँ" वो हँसे और बैठ गए.मैंने अपना ब्लाउज खोला और पेटीकोट का नारा खोला वो अपने आप खिसक गया ससुर जी की आँखे चमक उठी. फिर मैंने ब्लाउज हटा के साइड में रख दिया और ब्रा खोल दी. अब मैं सिर्फ पैंटी में थी और अपने चूचियों को हाथो से ढक के खड़ी थी. ससुर जी ने मुझे पास बुलाया और अपनी धोती हटाकर मुझे अपने नंगी जांघ पर बिठा लिया. धोती हटने के बाद उनका लिंग सर ऊपर कर के खड़ा था और मेरी नंगी जांघो से रगड़ रहा था मेरी नजर उनके लिंग पर ही टिकी थी वो मेरी नंगी चूचियां मसलने लगे फिर मुझसे बोले "अब भी शर्माना है क्या? थोड़ी देर पहले छुप के मेरा लंड देख रही थी फिर आधी नंगी चलके मेरे पास आयी और अब नंगी होके मेरी जांघ पर बैठी है और नंगी चूचियां मसलवा रही है अब नाटक छोड़ और पुरे मजे ले". मैं भी मुस्कुरा दी ससुर जी समझ गए मैं तैयार हूँ उन्होंने मुझे नीचे घुटनो पर बिठाया मेरा सर पकड़ कर झुकाया मैं समझ नहीं पायी.तो उन्होंने मेरा सर पकड़के मेरा मुँह अपने लिंग पे लगा दिया मुझे घिन आयी की ये क्या कर रहे हैं मैंने ऊपर देखा तो उन्होंने बोला “क्या देख रही हो मुँह में लो”. मैं घबरा गयी और उठ गयी.
 
Top