• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest यह क्या हुआ

385
2,444
124
दोस्तों कहानी को आगे बढ़ाते हैं

जब स्वीटी कॉलेज से घर पहुंचती है, सुनीता स्वीटी को अकेले देख कर पूछती है।

स्वीटी तुम अकेले ही आई हो, राजेश कहां है?

स्वीटी ने कहा मां भैया को कुछ काम था ।उसने कहा कि मैं थोड़ा लेट आऊंगा तुम अपनी सहेली के साथ घर चली जाना।

सुनिता -पर् वह कहां है, क्या काम है । तुम् पूछी नहीं।

स्वीटी ने कहा- नहीं मा।

सुनीता ने खीझते हुए कहा ,तुम्हें पूछना चाहिए था कि वह कहां है ?वह बोला और तुम आ गई।

स्वीटी- मां तुम मुझ पर ,क्यों चिल्ला रही हो। भैया आएगा तब उसी से पूछ लेना वह कहा था।मुझ पर क्यों चिल्ला रही हो?

सुनीता को अपनी गलती का एहसास हुआ।वह बोली ठीक है ,ठीक है। स्वीटी अपने कमरे मे चली जाती है।

सुनीता अपने आप से कहती है ,मुझे स्वीटी से एेसा नहीं पूछना चाहिए था ये मुझे क्या हो गया । वैसे भी राजेश यह सब जानबूझकर कर रहा है ।

सुनीता किचन में जाकर काम करने लगी ,वह सोचती है । जनाब ऐसा करके अपना नराजगी जताना चाह रहा है।पर वह कहा गया होगा ।वह कॉलेज गया था कि नहीं । वह सुबह भी कुछ खाया नहीं था अभी तक कुछ खाया होगा कि नहीं उसे राजेश की चिंता होने लगी।

उसका मन राजेश को फोन करके पूछने का हुआ। राजेश को फोन करके पूछना चाह रही थी, लेकिन सुबह की की घटना को याद करके।वह कॉल ना कर सकी।

वह सोची अभी वह गुस्से में है ।नाराजगी दिखाने के लिए ऐसा हरकत कर रहा है।धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा । मैं भी देखती हूं अपनी मां से कब तक नाराज रहता है ।

1 घंटे के बाद राजेश घर पहुंचता है इस समय सुनीता किचन में काम कर रही थी। राजेश बिना कुछ बोले सीधे अपने कमरे में चला जाता है।

सुनीता का मन किया कि वह राजेश से पूछे की वह कहां था ।पर दूसरा मन , ऐसा करने से रोक दिया। उसे कमरे मे जाते हुए देखती रही ।वह सोचती है पता नहीं मैं सुबह से कुछ खाया भी है कि नहीं।

राजेश अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा रात्रि भोज के समय स्वीटी और शेखर ,भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए। सुनीता ने शेखर से कहा राजेश को भी बुला लाओ। पता नहीं सुबह से कुछ खाया है भी कि नहीं।

शेखर ,राजेश के कमरे में गया। वह देखा कि राजेश समय पढ़ाई कर रहा था। उसने राजेश कहां बेटा डिनर का टाइम हो गया है ।चलो डिनर कर लो ।

राजे ने अपने पिताजी से कहा पापा जी आज मेरा खाने का मन नहीं कर रहा है। शेखर ने कहा बेटा तुमने सुबह भी कुछ नहीं खाया था। राजेश ने कहा पापा मैंने दोपहर में लंच किया था ।अभी मेरा खाने का बिल्कुल मन नहीं है ।

शेखर ने कहा बेटा कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना।

राजेश ने कहा पापा मेरी तबीयत ठीक है ।पर खाने खाने का बिल्कुल भी मन नहीं।

शेखर ने कहा, ठीक है बेटा।

शेखर चला गया ।जब वह डायनिंग टेबल पर पहुंचा सुनीता ने शेखर से पूछा क्यो जी राजेश नहीं आया शेखर ने कहा नहीं। उसका खाने का मन नहीं है ।

सुनीता ने कहा ठीक है जी तुम लोग खाना खा लो उसे भूख लगेगा तब वह खाना खा लेगा।

सुनीता स्वीटी और शेखर दोनों को खाना परोसने लगी। शेखर ने देखा कि सुनीता अपने लिए खाना नहीं निकाल रही है वह सुनीता से पूछा ,तुम नहीं खाओगी

सुनीता ने कहा मैं राजेश को खिलाने के बाद खा लूंगी। तुम लोग खाना खालो।

शेखर को कुछ अजीब सा लगा। इन मां बेटा के बीच आखिर चल क्या रहा है?

स्वीटी और शेखर दोनों भोजन कर लेने के बाद ।अपने अपने कमरे में चले गए। सुनीता बर्तन धोने और किचन का कुछ काम निपटा लेने के बाद। एक थाली में भोजन निकालकर राजेश के कमरे की ओर चली गयी।

कमरे में जाने के बाद देखा राजेश लेटा हुआ है। कमरे मे एक स्टूल नाम रखा हुआ था ।सूनिता स्टूल को पास खींच कर ,उसमें भोजन की थाली रख दी ।और बेड पर बैठ गई ।उसने राजेश से कहा चलो खाना खा लो।

राजेश ने कहा ,मुझे भूख नहीं है। मुझे नहीं खाना है।

सुनीता ने कहा, तुम्हें क्या लगता है कि तुम खाना नहीं खाओगे तो मैं पीघल जाऊंगी और जो तुम करना चाहते हो। वह सब करने दूंगी ।मैं अपनी मर्यादा भूल जाऊंगी। ऐसा कभी नहीं होगा।

तुम खाना नहीं चाहते तो ठीक है मत खाओ।मैं भी नहीं खाऊंगी। यहां मेरी चिंता किसको है ।मैंने सुबह से कुछ नहीं खायी है ।वह सुबकने लगी ।

कुछ देर बाद फिर बोली ,तूम नहीं खाना चाहते हो तो ठीक है मैं जा रही हूं ।मैं भी नहीं खाऊंगी और भूखी रहूंगी ।

वह भोजन की थाली उठाकर जाने को हुई।

राजेश अपनी मां को अच्छी तरह से जानता था ।उसे लगा था कि उसकी मां कुछ नहीं खाई होगी ।वह नहीं चाहता था कि उसकी मां भूखी रहे ।जब सुनीता भोजन की थाली ले जा रही थी ।तो उसने उसे रोक दिया थाली को अपने हाथों में ले लिया और बेड पर ही बैठ कर ।भोजन करने लगा।

सुनीता राजेश को भोजन करते देख मुस्कुराने लगी। राजेश बिना कुछ बोले ही खाना जल्दी से खत्म कर दिया वह चाहता था, उसकी मां कमरे से जल्द से जल्द चली जाए ।

सुनीता राजेश से पूछना चाहती थी कि आज तुम्हें कॉलेज से घर आने में लेट क्यों हो गया ।कहां थे ?पर उस उसे इस समय कुछ पूछना ना कुछ ना ठीक नहीं लगा । राजेश ने भोजन कर लिया वह उसी पर संतुस्ट हो गई थी।

वह भोजन की थाली लेकर किचन में चली गई और खुद भी भोजन कर ,अपने रूम में चली गई।

सुनीता अपने बेड पर लेट गई। शेखर अभी सोया नहीं था। उसने सुनीता से पूछा, राजेश ने भोजन किया।

सुनीता ने कहा हां ।

राजेश आखिर भोजन क्यों नहीं कर रहा था लगता है वह नाराज है ।आखिर बात क्या है? मुझे भी कुछ बताओ।

सुनीता कहती है वह मुझसे इजाजत मांग रहा है ?

शेखर कहता है ,कैसी इजाजत?

सुनीता मन में कहती है, मैं क्या बताऊं, तुम्हारा बेटा अपने ही मां पर चढना चाहता है ।अपनी मां को अपनी बच्चे की मां बनाना चाहते हैं। अपनी मां को भोगना चाहता है।

शेखर फिर पूछा, क्या सोचने लगी ?कुछ बताती क्यों नहीं ?

सुनिता ने कहा ,अब क्या बताऊं जी ।राजेश अब बिगड़ गया है। वह कालेज में गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है ।तुम तो जानते हो बिना मेरे इजाजत राजेश कोई भी नया काम नही करता ।वह मुझसे इजाजत मांग रहा है मैंने इजाजत नहीं दी,तो वह जिद करने लगा ।मैंने उससे कहा कि तुम लड़कियों के चक्कर में ना पड़ो पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। उसके बाद कोई गर्लफ्रेंड बनाना इसलिए वो नाराज है संगीता ने शेखर से सही बात नहीं बताई।

शेखर ने कहा ,राजेश अब जवान हो चुका है उसका भी मन करता होगा ।कुछ करने का ।गर्लफ्रेंड बनाने दो।वह इस समय में इंजॉय नहीं करेगा तो कब करेगा।

सुनीता ने कहा ,नहीं जी लड़कियों के चक्कर में वह पढ़ाई में ध्यान नहीं देगा ।जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए उसे लड़कियों से दूर रहना चाहिए ।मैं उसके भविष्य को बर्बाद होते नहीं देख सकती इसलिए मैं राजेश को किसी लड़कियों के चक्कर में पडने की में इजाजत नहीं दे सकती । चाहे वह मुझसे कितना ही नाराज क्यों ना हो जाए और आप मां बेटा के बीच में ना पढ़ें ।उसकी नाराजगी धीरे-धीरे दूर हो जाएगी ।रात काफी हो गई है ,आप सो जाइए ।

शेखर ने सुनीता से कहा , ठीक है भाग्यवान तुम तो मुझे पर ही चिल्लाने लगी । जैसी तुम्हारी इच्छा हो करो, पर राजेश का इस तरह रूठना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा।

सुनीता ने कहा सब ठीक हो जाएगा ।आप परेशान मत होइए।

इधर स्वीटी अपने बेड पर लेटे हुए राजेश की मदद करते समय अपने भाई के लंड को हाथ से हिलाना उसे चूसना सब याद आने लगी । वह राजेश के लंड को याद करते हुए उत्तेजित हो गई थी।

वह मन में कह रही थी, अब भाई तो ठीक हो गया है अब पता नहीं मुझे भाई के लंड* को देखने का का मौका कब मिले। कितना बड़ा , लंबाऔर प्यारा है भाई का लंड । काश मुझे और मौका मिल पाता, भाई के लैंड से खेलने का।

वह अपना एक उंगली है अपनी चूत * के अंदर ले जाकर उसे अंदर-बाहर करने लगी और अपने भैया के लंड को याद करते हुए उंगली को चूत मे तेज तेज चलाने लगी । और कुछ देर बाद ही वह आह भैया आह करते हुए झडने लगी।

इधर राजेश बेड पर लेटा हुआ दोपहर में कौशल्या की चूदाई करने में जो मजा आया था उसे याद करते हुए उत्तेजित हो गया था। उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था ।

उसका चुदाई*करने का मन करने लगा। वह सोचने लगा, काश मां मान जाती तो मेा। मां को भोग रहा होता ।वह अपने लंड को अपने हांथ से सहला रहा था।

राजेश ने सोची मां नहीं मान रही तो क्यों ना स्वीटी के साथ आगे बढ़ू ।स्वीटी मना नहीं करेगी ,कम से कम वह लंड तो चूसेगी ही ।

फिर वह सोचने लगता है नहीं ,नहीं ,मां ने मुझे स्वीटी की मदद लेने से मना किया है ।अगर मेै स्वीटी के साथ अभी कुछ किया और मा द्वारा पकड़ा गया तो मां मुझे कभी नहीं मिलेगी। वह मुझे हवस की पुजारी समझेगी। मैं उसकी नजरों में गिर जाऊंगा ।मुझे पहले मां को प्राप्त करना होगा और उसके कहने पर ही स्वीटी के साथ आगे बढ़ूगा ।मुझे अपने पर नियंत्रण रखना होगा और चूत का का जुगाड़ बाहर ही करना होगा।

इधर भगत को भी चुदाई करने का मन कर रहा था वह कौशल्या देवी को कॉल करता है।

इ स समय कौशल्या देवी और उसका पति कामता प्रसाद दोनों बेड पर लेटे हुए थे। कामता प्रसाद सो चुका था, पर कौशल्या देवी का नींद नहीं लगी थी।मोबाइल पर रिंगटोन बजने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी अपने बेड से उठ कर, मोबाइल उठाती है।

वह देखती है ,भगत कॉल हैं। उसका पति ना जग जाए , इसलिए कॉल उठा कर वह हाल के बाथरूम मे चली गई और फिर भगत से बोली बेटा कैसे फोन किए हो।

भगत- मा जी आओ ना ऊपर मुझे चूदाई* करने का बड़ा मन कर रहा है।

कौशल्या देवी कहती है ,नहीं बेटा ,अभी मैं ऐसी स्थिति में नहीं हूं कि चूद* सकूं ।राजेश की चूदाई**** से मेरी चूत* बुरी तरह सूज गई है। बूर के अंदर की दिवारे छिल गई है जिससे चूत में दर्द हो रहा है। मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही ।जब तक मैं ठीक नहीं हो जाती, मैं नहीं चूद नही* पाऊंगी ।

भगत ने कहा ,मां जी यह तो राजेश का पहली बार था पहली बार में ही तुम्हारी ऐसी हालत कर दी ।

कौशल्या देवी कहां ,बेटा राजेश का लंड* काफी बड़ा है, गजब का जोश है उसके अंदर, पूरे शरीर को हिला कर रख दिया । मेरे शरीर का पूरा अंग अंग टूट गया। मै पांच-छह दिन तक चुद नही पाऊंगी ।

भगत ने कहा राज भाई को मैं अनाड़ी समझ रहा था वह तो खिलाड़ी निकला ,पर मा जी मै 5 दिनों तक बिना चोदे नहीं रह सकता। अगर चूत में दर्द हो रहा है तो मै गांड मार के संतुष्ट हो जाऊंगा। आओ ना,।

कौशल्या देवी ने कहा, नहीं बेटा मैं नहीं चूद पाऊंगी ,तुम जवानों का कोई भरोसा नहीं रहता, जोश में होश खो बैठते हो ।कब लंड गांड से निकालकर बूर मे चला जाएगा। पता ही नहीं चलेगा ।मै रिस्क लेना नहीं चाहती अगर तुम बिना चूदाई के नहीं रह सकते ,तो कोई दूसरा जुगाड़ कर लो और कौशल्या देवी मोबाइल रख दी।

इधर भगत अपने लंड* को अपने हाथों से हिलाते हुए सोना पड़ा ।

अगले सुबह जब राजेश सो कर उठा वह बिना ,अपनी मां से बात किए हैं जिम के लिए निकल गया और जिम से आने के बाद सुनीता से कोई बात नहीं किया।

नाश्ता करते समय भी वह खामोश बैठा था ,शेखर जान चुका था ।राजेश अपनी मां से नाराज है । यह मां बेटे के बीच का मामला है ।वह इस मेटर पर कुछ नहीं बोला ।

सुनीता भी चूप थी, वह सोच रही थी । बेटा कब तक तुम अपनी मां से नाराज रहता है ,मैं भी देखती हूं, सुनिता भी अकड़ में आ गई थी ।

नाश्ता करने के बाद शेखर अपनी ड्यूटी पर चला गया कुछ देर बाद राजेश और स्वीटी भी कालेज के लिए निकल गए ।

कॉलेज में लंच ब्रेक के समय राजेश और भगत दोनों कैंटीन में बैठे थे ।भगत ने राजेश से बोला , भाई राजेश तुमने तो मेरा खेल ही बिगाड़ दिया।

राजेश ने कहा , क्यो बे ?क्या हुआ ?

भगत-भाई रात में मुझे चुदाई * करने का बड़ा मन था। मैंने मां जी को कमरे में आने को कहा, पर मा जी मेरे कमरे में नहीं आई ,कह रही थी तुमने उसे जम कर चोदा है जिससे उसकी चूत * सूज गई है ।वह बोली कि मै 5 दिनो तक नहीं चुद पाऊंगी।

राजेश -क्या कहा मा जी ने ,वह 5 दिनों तक नहीं चूद* पाएगी ।यार मेरा मन आज फिर उसे चोदने* का था ।

भगत ने कहा ,भाई कॉलेज में सभी लड़कियां तुम पर मरती है । तुम्हारा जुगाड़ तो आसानी से हो जाएगा। तुम्हारा इशारा करने की देर है। लड़कियां तुम्हारी बाहों में आ जाएगी ।कई लड़कियां तो ऐसी है जो तुमसे चुदने के लिए मरी जा रही है ।

राजेश ने कहा यार किसी के भावनाओं के साथ खेलना ठीक नहीं ।किसी को बहला-फुसलाकर चोदन मे मजा नहीं। प्यासी औरत को चोदने में ,जो बिना किसी शर्त के मजे के लिए चुदवाए, उसको चोदने में बड़ा मजा आएगा ।इन कॉलेज की लड़कियों को धोखे में रख कर , बहला-फुसलाकर चोदना है ठीक नहीं है। कोई प्यासी गदर आई माल का जुगाड़ हो तो बताओ।

भगत ने कहा भाई ऐसा माल का जुगाड़ करने में कई दिन निकल जाती है। लगता है अब हाथ से काम चलाना पड़ेगा ।भगत कैटिन के खिड़की से बाहर के तरफ देखने लगता है। तभी उसकी नजर कॉलेज के चौकीदार सुखीराम पर पड़ता है ।वह देखता है कि सुखीराम अपने साइकिल से कॉलेज के बाहर कहीं जा रहा है ,जिसे देखकर वह राजेश से कहता हैं भाई प्यासी और गदर आई मांल का जुगाड़ हो गया समझो।

राजेश -क्या बोल रहा है बे कहां है गदर आई माल और वह भी भी खिड़की से बाहर देखने लगा। उसने देखा कि कालेज का चौकीदार सुखी राम अपनी सायकल से कॉलेज के बाहर जा रहा था। उसने कहा अबे वह चौकीदार चाचा सुखीराम है।

भगत ने कहा अरे हां भाई गदर आई माल तो इसकी बीवी चमेली बाई है। भूल गया क्या ?क्या मस्त चूची है साली की ?इस वक्त घर पर अकेली होगी ।चाचा जी तो किसी काम से बाहर जा रहे है ।चलो चलते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि चमेली बाई प्यासी है ।क्या तराशा हुआ बदन है साली का ? उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आएगा। चलो उसके घर चलते हैं।

राजेश कहता हैं पर अचानक से उसका घर जाना ठीक रहेगा ।कहीं गलत समझी तो। लेने के देने न पड़ जाऐगे।

भगत- भाई लगता है तुम सब भूल गए उसने तो हमें घर आते जाते रहने के लिए कहा है भूल गए क्या ?

राजेश -चाची ने कहां कहा तो था ,पर काफी दिन हो गए ।

भगत -अरे ट्राई करने में क्या जाता है?

असल में सुखीराम कॉलेज का चौकीदार था जो रात में चौकीदारी करता था ।कालेज परिसर में एक कोने पर चौकीदार के रहने के लिए कॉलेज प्रशासन के द्वारा रहने के लिए एक मकान बनाया गया था ।जिसमें एक बेड एक ,बैठक रूम और किचन था। कालेज के द्वारा ही सुखीराम को रहने के लिए दिया गया था ।सुखीराम के दो बच्चे थे जो स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे ।उसकी बीवी चमेली काफी खूबसूरत थी ।उसका बदन का गदराया हुआ था । वह जवान थी ।उसकी उम्र मैं 35- 36 वर्ष की होगी। परिवार के चार सदस्य कालेज प्रशासन के द्वारा दिए गए मकान रहकर कॉलेज की रात में चौकीदारी करते थे ।

तभी कालेज में 1 दिन ,एक घटना घट गई

कॉलेज में रात मे चोरी हो गया ।उस दिन सुखीराम चौकीदारी कर रहा था । चोर कैसे आया और कैसे चोरी की उसे पता ही नहीं चला। कॉलेज प्रशासन ने सारा दोष सुखी राम पर डाल दिया और ठीक से ड्यूटी ना करने का इल्जाम लगाकर । उसे डांटते हुए नौकरी से निकालने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया ।

सुखी राम कॉलेज के पदाधिकारियों से काफी हाथ पाव जोड़ते रहे लेकिन किसी ने उस पर दया नहीं दिखाई।

भगत और राजेश ने सुखीराम को रोते गिडगिडाते देखकर ,उस पर दया आ गया। उसने सुखीराम से सारी बातें जानने की कोशिश की ,सुखीराम ने बताया कि आखिर उस दिन हुआ क्या था ।

राजेश और भगत को लगा कि सुखीराम निर्दोष है उसका बचाव करना चाहिए और उन दोनों ने कॉलेज प्रशासन के सामने ,सुखीराम का बचाव किया और अपनी सूझबूझ असली चोर को पकड़वा भी दिया।

भगत और राजेश के द्वारा सपोर्ट करने से कालेज प्रशासन ने सुखीराम को एक और मौका दिया।

सुखीराम राजेश और भगत के मुरीद हो गए ।उसने दोनो से हाथ जोडकर बहुत धन्यवाद किया और यह बात अपनी पत्नी चमेली बाई को बताई । किस तरह राजेश्वर भगत उनकी मदद की ।

चमेली बाई ने अपने पति सुखीराम से राजेश और भगत से मिलकर उन्हे धन्यवाद देने की इच्छा जाहिर की।

सुखी राम जी अपनी बीवी चमेली बाई से कहा मैं उन दोनों को घर में लंच के लिए आमंत्रित करूंगा फिर तुम उनसे मिलकर धन्यवाद दे देना ।

चमेली बाई बोली - हां ,यह ठीक रहेगा ।कल तुम उन दोनो को लंच के लिए आमंत्रित कर देना और पूछ लेना कि उन्हें खाने में क्या पसंद है ?

सुखी राम ने कहां, हां, मैं आज ही उनसे मिलकर उन्हें कल लंच के लिए आमंत्रित कर देता हूं ।

सुखीराम राजेश और भगत से मुलाकात किया और उनसे कहा बेटा तुमने जो हमारी मदद की उसकी शुक्रिया अदा करने के लिए तुम्हारी चाची तुम लोगों से मिलना चाहती है। वह तुम दोनों को लंच के लिए आमंत्रित की है ।

राजेश -चाचा जी आप निर्दोष थे ।आपका मदद करना हमारा फर्ज था ।हमारे लिए आप लोगों को कष्ट उठाने की जरूरत नही ।हम आपके घर आकर चाची जी से मिल लेंगे ।हमें भी चाची जी से मिलकर खुशी होगी ।

सुखीराम -फिर भी बेटा हमारा भी मान रख लो। कल लंच हमारे यहां करना।

सुखीराम के जिद करने पर राजेश ने लंच के लिए हामी भर दी ।

सुखीराम ने खाने में क्या चीज पसंद है राजेश और भगत से पूछ लिया ।

दूसरे दिन जब कॉलेज में लंच ब्रेक हुआ सुखीराम दोनों को घर ले जाने के लिए राजेश और भगत से मिले उनसे बोले , चलो बेटा लंच के लिए ,घर चलो , तुम्हारी चाची तुम लोगों का राह देख रही है ।

राजेश और भगत दोनों सुखीराम के साथ उसके घर की ओर चल देते हैं ।घर जाने के बाद तीनों के घर के बैठक रूम में जाकर बैठ जाते हैं। सुखीराम अपनी बीवी चमेली को आवाज लगाती है । इस समय चमेली बाई , कीचन मे ,भोजन की तैयारी कर रही थी ।

अजी सुनती हो राजेश् और भगत आ गए है ।चमेली किचन से बाहर निकलती है। चमेली को देखते ही भगत की आंखें खुला का खुला रह गया ।

दरअसल सुखीराम 50 से ज्यादा के लगते थे ।उसी हिसाब से भगत ने अंदाजा लगाया था उसकी बीवी काफी उम्र की होगी और एक देहात किस्म की होगी।

पर चमेली बाई काफी जवान गदराया हुआ बदन और बन ठन कर रहने वाली महिला थी ।उसने एक नई साड़ी पहनी हुई थी ।उसकी ब्लाउज पीछे से काफी खुला और सामने से काफी डिप था साड़ी को नाभि के नीचे बांधी हुई थी ।जिससे नाभि गदराए बदन की शोभा बढ़ा रही थी।

जब चमेली किचन से बाहर आई सुखीराम ने चमेली बाई से राजेश और भगत का परिचय कराया ।

राजेश ने चमेली बाई से - नमस्ते चाची ।

भगत उसकी मदमस्त जवानी को देखकर कहीं खो सा गया था ।राजेश ने भगत को अपने कहानी मारा ।भगत होश में आया और उसने चमेली भाई को नमस्ते चाचू कहा।

चमेली बाई बोली -नमस्ते बेटा ,बेटा तुम्हारे चाचा जी ने तूम दोनो के बारे में मुझे बताया किस तरह से तूम दोनो ने हमारी मदद की ।अगर तुम नहीं होते हमारी इज्जत मान सम्मान सब चला जाता ।मुझे आप लोगों से मिलने की बड़ी इच्छा थी आप दोनों ने जो उपकार हम पर किए उसके लिए हम सदा आभारी रहेंगे।

राजेश ने कहा चाची जी यह तो हमारा फर्ज था। चाचा जी निर्दोस थे ,इसलिए हमने चाचा जी का सपोर्ट किया ।

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा, भगत कहीं खो गया था ।वह होश में आया ।भगत लड़खड़ाते आवाज में कहा हां चाची जी राजेश सही कह रहा है यह तो हमारा फर्ज था ।

चमेली बाई ने कहा बेटा यह तुम दोनों का बड़प्पन है खाना तैयार है चलो हाथ धो लो भोजन करना ।

चमेली बाई पानी का गिलास टेबल पर रख दी ।राजेश ,भगत और सुखी राम तीनो हाथ धोकर भोजन करने के लिए बैठ गए ।

चमेली बाई तीनों के लिए थाली में भोजन लेकर आई और थाली नीचे रखने के लिए नीचे झूकी तो उसके बड़ी-बड़ी चूचियां सामने झूलने लगी उसका गोरे गोरे दूध ,भगत को अपना दीवाना बना दिया।

भगत अपने मन में कहने लगा क्या मस्त माल है यार साली की क्या मस्त चुचीया है ।भगत का लंड* खड़ा खडा हो गया ।

जब चमेली भोजन की थाली लगाकर वह किचन की ओर गई, तो वह अपने चूतड को मटकाते हुए ।कमर को लचकाते हुए गई जिससे भगत समझ गया चाची भी हमें रिझाने की कोशिश कर रही है ।लगता है चाची भी प्यासी है ।

जब वह भोजन परोसती थी तो भगत को लगता था कि वह जानबूझकर ज्यादा झुक जाती थी ताकि उसकी चूचियां सामने झुलने लगे और भगत और राजेश अच्छे से देख सके ।भगत अपने मन में कहां यह साली तो चालू लगती है । कैसी अपनी चुचिया दिखा रही है।

राजेश ने चमेली बाई से कहा ,चाची जी क्या स्वादिष्ट खाना बनाई हो, मटर पनीर का स्वाद तो पूछो मत, होटल से भी ज्यादा स्वादिष्ट बना है। आपके हाथों में तो जादू है। क्यों भगत ?

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा भगत ने लड़खड़ाते हुए आवीज मे कहा हां चाची खाना काफी स्वादिष्ट बना है ।

चमेली बाई राजेश के द्वारा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।

इधर राजेश ने भगत से धीरे से कहां अबे कहां खो जाता है है । खाने पर ध्यान दें ।क्यो इज्जत का भाजीपाला कर रहा है ?चाची जी ऐसे तुम्हें घूरते हुए देखेगी तो हमारे बारे मे क्या समझेगी ?

भगत राजेश की बात से थोड़ा शर्मिंदा हुआऔर खाने में पर ध्यान देने लगा ।

भोजन कर लेने के के बाद भगत की नजर दीवार पर लगे फोटो की तरफ गया ।उसमें एक महिला की फोटो थी ।जिसे देखकर राजेश ने सुखीराम से पूछा चाचा जी यह किसकी फोटो है ?

सुखीराम ने बताया ,बेटा यह मेरे पहले बीवी की फोटो है ।जब वह बच्चे जन्म दे रही थी तक गुजर गई। बच्चा भी ना बच सका। लोगों के बार बार कहने पर मैंने दूसरी शादी की ।चमेली मेरी दूसरी पत्नी है। यह दोनों फोटो मेरे बच्चों की है,जो इस समय स्कूल गए हुए है।

भगत ने मन मे कहा तभी चाची इतनी जवान है।

कुछ समय तक चमेली बाई , राजेश, भगत और सुखीराम आपस मे बातचीत करते रहे ।भगत तो चमेली बाई के गदराया बदन को ही निहार रहा था बातचीत के दौरान भगत ने अनुभव किया कि कैसे तिरछी नजरों से चमेली बाई राजेश को चुपके से निहारती है । चमेली बाई राजेश की तरफ आकर्षित थी जिससे पता चलता था कि चमेली बाई प्यासी है।

राजेश् और भगत को आया एक घंटा हो चुका था क्लास लगने का समय हो चुका था ।राजेश ने कहा चाची जी आपसे बातें करते करते ,समय ,कैसा निकला, पता ही नहीं चला ।क्लास लगने का समय हो चुका है। अब हमें चलना होगा। हमें इजाजत दीजिए।

चमेली बाई ने कहां ठीक है बेटा ।अपनी चाचा चाची से मिलने के लिए आते रहना। भूल ना जाना और भोजन करने का मन हो तो मुझे बतला देना तुम दोनों के लिए लंच बना दूंगी ।

राजेश ने कहा ठीक है चाची जी और धन्यवाद इतना स्वादिष्ट भोजन कराने के लिए। जब भी हमारा मन करेगा । स्वादिष्ट खाना खाने जरूर आएंगे ।अच्छा चाचा जी हम चलते हैं ।

सुखीराम ने कहा ठीक है बेटा बेटा तुम्हारी चाची ने बिल्कुल ठीक कहा हमारे घर आते रहना ।राजेश बोला ठीक है चाचा जी ।

राजेश् और भगत क्लास अटेंड करने के लिए चले गए ।

उस दिन के बाद से अभी तक दोनों सुखीराम के घर फिर नहीं गए थे लेकिन आज काफी कुछ बदल गया था आज राजेश और भगत दोनाे को एक चूत की जरूरत थी । इसलिए आज दोनो फिर से सुखी राम के घर की ओर चल पड़े। इस आस मे की सुखी राम के घर चूत * का जुगाड़ हो जाए।

दोस्तों क्या चेतन और भगत दोनों चमेली बाई को भोग पाएंगे, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए ,यह क्या हो गया,?
 

sunoanuj

Well-Known Member
2,152
6,029
159
Jabardast updates…
 

Ek number

Well-Known Member
7,166
15,490
173
दोस्तों कहानी को आगे बढ़ाते हैं

जब स्वीटी कॉलेज से घर पहुंचती है, सुनीता स्वीटी को अकेले देख कर पूछती है।

स्वीटी तुम अकेले ही आई हो, राजेश कहां है?

स्वीटी ने कहा मां भैया को कुछ काम था ।उसने कहा कि मैं थोड़ा लेट आऊंगा तुम अपनी सहेली के साथ घर चली जाना।

सुनिता -पर् वह कहां है, क्या काम है । तुम् पूछी नहीं।

स्वीटी ने कहा- नहीं मा।

सुनीता ने खीझते हुए कहा ,तुम्हें पूछना चाहिए था कि वह कहां है ?वह बोला और तुम आ गई।

स्वीटी- मां तुम मुझ पर ,क्यों चिल्ला रही हो। भैया आएगा तब उसी से पूछ लेना वह कहा था।मुझ पर क्यों चिल्ला रही हो?

सुनीता को अपनी गलती का एहसास हुआ।वह बोली ठीक है ,ठीक है। स्वीटी अपने कमरे मे चली जाती है।

सुनीता अपने आप से कहती है ,मुझे स्वीटी से एेसा नहीं पूछना चाहिए था ये मुझे क्या हो गया । वैसे भी राजेश यह सब जानबूझकर कर रहा है ।

सुनीता किचन में जाकर काम करने लगी ,वह सोचती है । जनाब ऐसा करके अपना नराजगी जताना चाह रहा है।पर वह कहा गया होगा ।वह कॉलेज गया था कि नहीं । वह सुबह भी कुछ खाया नहीं था अभी तक कुछ खाया होगा कि नहीं उसे राजेश की चिंता होने लगी।

उसका मन राजेश को फोन करके पूछने का हुआ। राजेश को फोन करके पूछना चाह रही थी, लेकिन सुबह की की घटना को याद करके।वह कॉल ना कर सकी।

वह सोची अभी वह गुस्से में है ।नाराजगी दिखाने के लिए ऐसा हरकत कर रहा है।धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा । मैं भी देखती हूं अपनी मां से कब तक नाराज रहता है ।

1 घंटे के बाद राजेश घर पहुंचता है इस समय सुनीता किचन में काम कर रही थी। राजेश बिना कुछ बोले सीधे अपने कमरे में चला जाता है।

सुनीता का मन किया कि वह राजेश से पूछे की वह कहां था ।पर दूसरा मन , ऐसा करने से रोक दिया। उसे कमरे मे जाते हुए देखती रही ।वह सोचती है पता नहीं मैं सुबह से कुछ खाया भी है कि नहीं।

राजेश अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा रात्रि भोज के समय स्वीटी और शेखर ,भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए। सुनीता ने शेखर से कहा राजेश को भी बुला लाओ। पता नहीं सुबह से कुछ खाया है भी कि नहीं।

शेखर ,राजेश के कमरे में गया। वह देखा कि राजेश समय पढ़ाई कर रहा था। उसने राजेश कहां बेटा डिनर का टाइम हो गया है ।चलो डिनर कर लो ।

राजे ने अपने पिताजी से कहा पापा जी आज मेरा खाने का मन नहीं कर रहा है। शेखर ने कहा बेटा तुमने सुबह भी कुछ नहीं खाया था। राजेश ने कहा पापा मैंने दोपहर में लंच किया था ।अभी मेरा खाने का बिल्कुल मन नहीं है ।

शेखर ने कहा बेटा कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना।

राजेश ने कहा पापा मेरी तबीयत ठीक है ।पर खाने खाने का बिल्कुल भी मन नहीं।

शेखर ने कहा, ठीक है बेटा।

शेखर चला गया ।जब वह डायनिंग टेबल पर पहुंचा सुनीता ने शेखर से पूछा क्यो जी राजेश नहीं आया शेखर ने कहा नहीं। उसका खाने का मन नहीं है ।

सुनीता ने कहा ठीक है जी तुम लोग खाना खा लो उसे भूख लगेगा तब वह खाना खा लेगा।

सुनीता स्वीटी और शेखर दोनों को खाना परोसने लगी। शेखर ने देखा कि सुनीता अपने लिए खाना नहीं निकाल रही है वह सुनीता से पूछा ,तुम नहीं खाओगी

सुनीता ने कहा मैं राजेश को खिलाने के बाद खा लूंगी। तुम लोग खाना खालो।

शेखर को कुछ अजीब सा लगा। इन मां बेटा के बीच आखिर चल क्या रहा है?

स्वीटी और शेखर दोनों भोजन कर लेने के बाद ।अपने अपने कमरे में चले गए। सुनीता बर्तन धोने और किचन का कुछ काम निपटा लेने के बाद। एक थाली में भोजन निकालकर राजेश के कमरे की ओर चली गयी।

कमरे में जाने के बाद देखा राजेश लेटा हुआ है। कमरे मे एक स्टूल नाम रखा हुआ था ।सूनिता स्टूल को पास खींच कर ,उसमें भोजन की थाली रख दी ।और बेड पर बैठ गई ।उसने राजेश से कहा चलो खाना खा लो।

राजेश ने कहा ,मुझे भूख नहीं है। मुझे नहीं खाना है।

सुनीता ने कहा, तुम्हें क्या लगता है कि तुम खाना नहीं खाओगे तो मैं पीघल जाऊंगी और जो तुम करना चाहते हो। वह सब करने दूंगी ।मैं अपनी मर्यादा भूल जाऊंगी। ऐसा कभी नहीं होगा।

तुम खाना नहीं चाहते तो ठीक है मत खाओ।मैं भी नहीं खाऊंगी। यहां मेरी चिंता किसको है ।मैंने सुबह से कुछ नहीं खायी है ।वह सुबकने लगी ।

कुछ देर बाद फिर बोली ,तूम नहीं खाना चाहते हो तो ठीक है मैं जा रही हूं ।मैं भी नहीं खाऊंगी और भूखी रहूंगी ।

वह भोजन की थाली उठाकर जाने को हुई।

राजेश अपनी मां को अच्छी तरह से जानता था ।उसे लगा था कि उसकी मां कुछ नहीं खाई होगी ।वह नहीं चाहता था कि उसकी मां भूखी रहे ।जब सुनीता भोजन की थाली ले जा रही थी ।तो उसने उसे रोक दिया थाली को अपने हाथों में ले लिया और बेड पर ही बैठ कर ।भोजन करने लगा।

सुनीता राजेश को भोजन करते देख मुस्कुराने लगी। राजेश बिना कुछ बोले ही खाना जल्दी से खत्म कर दिया वह चाहता था, उसकी मां कमरे से जल्द से जल्द चली जाए ।

सुनीता राजेश से पूछना चाहती थी कि आज तुम्हें कॉलेज से घर आने में लेट क्यों हो गया ।कहां थे ?पर उस उसे इस समय कुछ पूछना ना कुछ ना ठीक नहीं लगा । राजेश ने भोजन कर लिया वह उसी पर संतुस्ट हो गई थी।

वह भोजन की थाली लेकर किचन में चली गई और खुद भी भोजन कर ,अपने रूम में चली गई।

सुनीता अपने बेड पर लेट गई। शेखर अभी सोया नहीं था। उसने सुनीता से पूछा, राजेश ने भोजन किया।

सुनीता ने कहा हां ।

राजेश आखिर भोजन क्यों नहीं कर रहा था लगता है वह नाराज है ।आखिर बात क्या है? मुझे भी कुछ बताओ।

सुनीता कहती है वह मुझसे इजाजत मांग रहा है ?

शेखर कहता है ,कैसी इजाजत?

सुनीता मन में कहती है, मैं क्या बताऊं, तुम्हारा बेटा अपने ही मां पर चढना चाहता है ।अपनी मां को अपनी बच्चे की मां बनाना चाहते हैं। अपनी मां को भोगना चाहता है।

शेखर फिर पूछा, क्या सोचने लगी ?कुछ बताती क्यों नहीं ?

सुनिता ने कहा ,अब क्या बताऊं जी ।राजेश अब बिगड़ गया है। वह कालेज में गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है ।तुम तो जानते हो बिना मेरे इजाजत राजेश कोई भी नया काम नही करता ।वह मुझसे इजाजत मांग रहा है मैंने इजाजत नहीं दी,तो वह जिद करने लगा ।मैंने उससे कहा कि तुम लड़कियों के चक्कर में ना पड़ो पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। उसके बाद कोई गर्लफ्रेंड बनाना इसलिए वो नाराज है संगीता ने शेखर से सही बात नहीं बताई।

शेखर ने कहा ,राजेश अब जवान हो चुका है उसका भी मन करता होगा ।कुछ करने का ।गर्लफ्रेंड बनाने दो।वह इस समय में इंजॉय नहीं करेगा तो कब करेगा।

सुनीता ने कहा ,नहीं जी लड़कियों के चक्कर में वह पढ़ाई में ध्यान नहीं देगा ।जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए उसे लड़कियों से दूर रहना चाहिए ।मैं उसके भविष्य को बर्बाद होते नहीं देख सकती इसलिए मैं राजेश को किसी लड़कियों के चक्कर में पडने की में इजाजत नहीं दे सकती । चाहे वह मुझसे कितना ही नाराज क्यों ना हो जाए और आप मां बेटा के बीच में ना पढ़ें ।उसकी नाराजगी धीरे-धीरे दूर हो जाएगी ।रात काफी हो गई है ,आप सो जाइए ।

शेखर ने सुनीता से कहा , ठीक है भाग्यवान तुम तो मुझे पर ही चिल्लाने लगी । जैसी तुम्हारी इच्छा हो करो, पर राजेश का इस तरह रूठना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा।

सुनीता ने कहा सब ठीक हो जाएगा ।आप परेशान मत होइए।

इधर स्वीटी अपने बेड पर लेटे हुए राजेश की मदद करते समय अपने भाई के लंड को हाथ से हिलाना उसे चूसना सब याद आने लगी । वह राजेश के लंड को याद करते हुए उत्तेजित हो गई थी।

वह मन में कह रही थी, अब भाई तो ठीक हो गया है अब पता नहीं मुझे भाई के लंड* को देखने का का मौका कब मिले। कितना बड़ा , लंबाऔर प्यारा है भाई का लंड । काश मुझे और मौका मिल पाता, भाई के लैंड से खेलने का।

वह अपना एक उंगली है अपनी चूत * के अंदर ले जाकर उसे अंदर-बाहर करने लगी और अपने भैया के लंड को याद करते हुए उंगली को चूत मे तेज तेज चलाने लगी । और कुछ देर बाद ही वह आह भैया आह करते हुए झडने लगी।

इधर राजेश बेड पर लेटा हुआ दोपहर में कौशल्या की चूदाई करने में जो मजा आया था उसे याद करते हुए उत्तेजित हो गया था। उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था ।

उसका चुदाई*करने का मन करने लगा। वह सोचने लगा, काश मां मान जाती तो मेा। मां को भोग रहा होता ।वह अपने लंड को अपने हांथ से सहला रहा था।

राजेश ने सोची मां नहीं मान रही तो क्यों ना स्वीटी के साथ आगे बढ़ू ।स्वीटी मना नहीं करेगी ,कम से कम वह लंड तो चूसेगी ही ।

फिर वह सोचने लगता है नहीं ,नहीं ,मां ने मुझे स्वीटी की मदद लेने से मना किया है ।अगर मेै स्वीटी के साथ अभी कुछ किया और मा द्वारा पकड़ा गया तो मां मुझे कभी नहीं मिलेगी। वह मुझे हवस की पुजारी समझेगी। मैं उसकी नजरों में गिर जाऊंगा ।मुझे पहले मां को प्राप्त करना होगा और उसके कहने पर ही स्वीटी के साथ आगे बढ़ूगा ।मुझे अपने पर नियंत्रण रखना होगा और चूत का का जुगाड़ बाहर ही करना होगा।

इधर भगत को भी चुदाई करने का मन कर रहा था वह कौशल्या देवी को कॉल करता है।

इ स समय कौशल्या देवी और उसका पति कामता प्रसाद दोनों बेड पर लेटे हुए थे। कामता प्रसाद सो चुका था, पर कौशल्या देवी का नींद नहीं लगी थी।मोबाइल पर रिंगटोन बजने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी अपने बेड से उठ कर, मोबाइल उठाती है।

वह देखती है ,भगत कॉल हैं। उसका पति ना जग जाए , इसलिए कॉल उठा कर वह हाल के बाथरूम मे चली गई और फिर भगत से बोली बेटा कैसे फोन किए हो।

भगत- मा जी आओ ना ऊपर मुझे चूदाई* करने का बड़ा मन कर रहा है।

कौशल्या देवी कहती है ,नहीं बेटा ,अभी मैं ऐसी स्थिति में नहीं हूं कि चूद* सकूं ।राजेश की चूदाई**** से मेरी चूत* बुरी तरह सूज गई है। बूर के अंदर की दिवारे छिल गई है जिससे चूत में दर्द हो रहा है। मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही ।जब तक मैं ठीक नहीं हो जाती, मैं नहीं चूद नही* पाऊंगी ।

भगत ने कहा ,मां जी यह तो राजेश का पहली बार था पहली बार में ही तुम्हारी ऐसी हालत कर दी ।

कौशल्या देवी कहां ,बेटा राजेश का लंड* काफी बड़ा है, गजब का जोश है उसके अंदर, पूरे शरीर को हिला कर रख दिया । मेरे शरीर का पूरा अंग अंग टूट गया। मै पांच-छह दिन तक चुद नही पाऊंगी ।

भगत ने कहा राज भाई को मैं अनाड़ी समझ रहा था वह तो खिलाड़ी निकला ,पर मा जी मै 5 दिनों तक बिना चोदे नहीं रह सकता। अगर चूत में दर्द हो रहा है तो मै गांड मार के संतुष्ट हो जाऊंगा। आओ ना,।

कौशल्या देवी ने कहा, नहीं बेटा मैं नहीं चूद पाऊंगी ,तुम जवानों का कोई भरोसा नहीं रहता, जोश में होश खो बैठते हो ।कब लंड गांड से निकालकर बूर मे चला जाएगा। पता ही नहीं चलेगा ।मै रिस्क लेना नहीं चाहती अगर तुम बिना चूदाई के नहीं रह सकते ,तो कोई दूसरा जुगाड़ कर लो और कौशल्या देवी मोबाइल रख दी।

इधर भगत अपने लंड* को अपने हाथों से हिलाते हुए सोना पड़ा ।

अगले सुबह जब राजेश सो कर उठा वह बिना ,अपनी मां से बात किए हैं जिम के लिए निकल गया और जिम से आने के बाद सुनीता से कोई बात नहीं किया।

नाश्ता करते समय भी वह खामोश बैठा था ,शेखर जान चुका था ।राजेश अपनी मां से नाराज है । यह मां बेटे के बीच का मामला है ।वह इस मेटर पर कुछ नहीं बोला ।

सुनीता भी चूप थी, वह सोच रही थी । बेटा कब तक तुम अपनी मां से नाराज रहता है ,मैं भी देखती हूं, सुनिता भी अकड़ में आ गई थी ।

नाश्ता करने के बाद शेखर अपनी ड्यूटी पर चला गया कुछ देर बाद राजेश और स्वीटी भी कालेज के लिए निकल गए ।

कॉलेज में लंच ब्रेक के समय राजेश और भगत दोनों कैंटीन में बैठे थे ।भगत ने राजेश से बोला , भाई राजेश तुमने तो मेरा खेल ही बिगाड़ दिया।

राजेश ने कहा , क्यो बे ?क्या हुआ ?

भगत-भाई रात में मुझे चुदाई * करने का बड़ा मन था। मैंने मां जी को कमरे में आने को कहा, पर मा जी मेरे कमरे में नहीं आई ,कह रही थी तुमने उसे जम कर चोदा है जिससे उसकी चूत * सूज गई है ।वह बोली कि मै 5 दिनो तक नहीं चुद पाऊंगी।

राजेश -क्या कहा मा जी ने ,वह 5 दिनों तक नहीं चूद* पाएगी ।यार मेरा मन आज फिर उसे चोदने* का था ।

भगत ने कहा ,भाई कॉलेज में सभी लड़कियां तुम पर मरती है । तुम्हारा जुगाड़ तो आसानी से हो जाएगा। तुम्हारा इशारा करने की देर है। लड़कियां तुम्हारी बाहों में आ जाएगी ।कई लड़कियां तो ऐसी है जो तुमसे चुदने के लिए मरी जा रही है ।

राजेश ने कहा यार किसी के भावनाओं के साथ खेलना ठीक नहीं ।किसी को बहला-फुसलाकर चोदन मे मजा नहीं। प्यासी औरत को चोदने में ,जो बिना किसी शर्त के मजे के लिए चुदवाए, उसको चोदने में बड़ा मजा आएगा ।इन कॉलेज की लड़कियों को धोखे में रख कर , बहला-फुसलाकर चोदना है ठीक नहीं है। कोई प्यासी गदर आई माल का जुगाड़ हो तो बताओ।

भगत ने कहा भाई ऐसा माल का जुगाड़ करने में कई दिन निकल जाती है। लगता है अब हाथ से काम चलाना पड़ेगा ।भगत कैटिन के खिड़की से बाहर के तरफ देखने लगता है। तभी उसकी नजर कॉलेज के चौकीदार सुखीराम पर पड़ता है ।वह देखता है कि सुखीराम अपने साइकिल से कॉलेज के बाहर कहीं जा रहा है ,जिसे देखकर वह राजेश से कहता हैं भाई प्यासी और गदर आई मांल का जुगाड़ हो गया समझो।

राजेश -क्या बोल रहा है बे कहां है गदर आई माल और वह भी भी खिड़की से बाहर देखने लगा। उसने देखा कि कालेज का चौकीदार सुखी राम अपनी सायकल से कॉलेज के बाहर जा रहा था। उसने कहा अबे वह चौकीदार चाचा सुखीराम है।

भगत ने कहा अरे हां भाई गदर आई माल तो इसकी बीवी चमेली बाई है। भूल गया क्या ?क्या मस्त चूची है साली की ?इस वक्त घर पर अकेली होगी ।चाचा जी तो किसी काम से बाहर जा रहे है ।चलो चलते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि चमेली बाई प्यासी है ।क्या तराशा हुआ बदन है साली का ? उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आएगा। चलो उसके घर चलते हैं।

राजेश कहता हैं पर अचानक से उसका घर जाना ठीक रहेगा ।कहीं गलत समझी तो। लेने के देने न पड़ जाऐगे।

भगत- भाई लगता है तुम सब भूल गए उसने तो हमें घर आते जाते रहने के लिए कहा है भूल गए क्या ?

राजेश -चाची ने कहां कहा तो था ,पर काफी दिन हो गए ।

भगत -अरे ट्राई करने में क्या जाता है?

असल में सुखीराम कॉलेज का चौकीदार था जो रात में चौकीदारी करता था ।कालेज परिसर में एक कोने पर चौकीदार के रहने के लिए कॉलेज प्रशासन के द्वारा रहने के लिए एक मकान बनाया गया था ।जिसमें एक बेड एक ,बैठक रूम और किचन था। कालेज के द्वारा ही सुखीराम को रहने के लिए दिया गया था ।सुखीराम के दो बच्चे थे जो स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे ।उसकी बीवी चमेली काफी खूबसूरत थी ।उसका बदन का गदराया हुआ था । वह जवान थी ।उसकी उम्र मैं 35- 36 वर्ष की होगी। परिवार के चार सदस्य कालेज प्रशासन के द्वारा दिए गए मकान रहकर कॉलेज की रात में चौकीदारी करते थे ।

तभी कालेज में 1 दिन ,एक घटना घट गई

कॉलेज में रात मे चोरी हो गया ।उस दिन सुखीराम चौकीदारी कर रहा था । चोर कैसे आया और कैसे चोरी की उसे पता ही नहीं चला। कॉलेज प्रशासन ने सारा दोष सुखी राम पर डाल दिया और ठीक से ड्यूटी ना करने का इल्जाम लगाकर । उसे डांटते हुए नौकरी से निकालने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया ।

सुखी राम कॉलेज के पदाधिकारियों से काफी हाथ पाव जोड़ते रहे लेकिन किसी ने उस पर दया नहीं दिखाई।

भगत और राजेश ने सुखीराम को रोते गिडगिडाते देखकर ,उस पर दया आ गया। उसने सुखीराम से सारी बातें जानने की कोशिश की ,सुखीराम ने बताया कि आखिर उस दिन हुआ क्या था ।

राजेश और भगत को लगा कि सुखीराम निर्दोष है उसका बचाव करना चाहिए और उन दोनों ने कॉलेज प्रशासन के सामने ,सुखीराम का बचाव किया और अपनी सूझबूझ असली चोर को पकड़वा भी दिया।

भगत और राजेश के द्वारा सपोर्ट करने से कालेज प्रशासन ने सुखीराम को एक और मौका दिया।

सुखीराम राजेश और भगत के मुरीद हो गए ।उसने दोनो से हाथ जोडकर बहुत धन्यवाद किया और यह बात अपनी पत्नी चमेली बाई को बताई । किस तरह राजेश्वर भगत उनकी मदद की ।

चमेली बाई ने अपने पति सुखीराम से राजेश और भगत से मिलकर उन्हे धन्यवाद देने की इच्छा जाहिर की।

सुखी राम जी अपनी बीवी चमेली बाई से कहा मैं उन दोनों को घर में लंच के लिए आमंत्रित करूंगा फिर तुम उनसे मिलकर धन्यवाद दे देना ।

चमेली बाई बोली - हां ,यह ठीक रहेगा ।कल तुम उन दोनो को लंच के लिए आमंत्रित कर देना और पूछ लेना कि उन्हें खाने में क्या पसंद है ?

सुखी राम ने कहां, हां, मैं आज ही उनसे मिलकर उन्हें कल लंच के लिए आमंत्रित कर देता हूं ।

सुखीराम राजेश और भगत से मुलाकात किया और उनसे कहा बेटा तुमने जो हमारी मदद की उसकी शुक्रिया अदा करने के लिए तुम्हारी चाची तुम लोगों से मिलना चाहती है। वह तुम दोनों को लंच के लिए आमंत्रित की है ।

राजेश -चाचा जी आप निर्दोष थे ।आपका मदद करना हमारा फर्ज था ।हमारे लिए आप लोगों को कष्ट उठाने की जरूरत नही ।हम आपके घर आकर चाची जी से मिल लेंगे ।हमें भी चाची जी से मिलकर खुशी होगी ।

सुखीराम -फिर भी बेटा हमारा भी मान रख लो। कल लंच हमारे यहां करना।

सुखीराम के जिद करने पर राजेश ने लंच के लिए हामी भर दी ।

सुखीराम ने खाने में क्या चीज पसंद है राजेश और भगत से पूछ लिया ।

दूसरे दिन जब कॉलेज में लंच ब्रेक हुआ सुखीराम दोनों को घर ले जाने के लिए राजेश और भगत से मिले उनसे बोले , चलो बेटा लंच के लिए ,घर चलो , तुम्हारी चाची तुम लोगों का राह देख रही है ।

राजेश और भगत दोनों सुखीराम के साथ उसके घर की ओर चल देते हैं ।घर जाने के बाद तीनों के घर के बैठक रूम में जाकर बैठ जाते हैं। सुखीराम अपनी बीवी चमेली को आवाज लगाती है । इस समय चमेली बाई , कीचन मे ,भोजन की तैयारी कर रही थी ।

अजी सुनती हो राजेश् और भगत आ गए है ।चमेली किचन से बाहर निकलती है। चमेली को देखते ही भगत की आंखें खुला का खुला रह गया ।

दरअसल सुखीराम 50 से ज्यादा के लगते थे ।उसी हिसाब से भगत ने अंदाजा लगाया था उसकी बीवी काफी उम्र की होगी और एक देहात किस्म की होगी।

पर चमेली बाई काफी जवान गदराया हुआ बदन और बन ठन कर रहने वाली महिला थी ।उसने एक नई साड़ी पहनी हुई थी ।उसकी ब्लाउज पीछे से काफी खुला और सामने से काफी डिप था साड़ी को नाभि के नीचे बांधी हुई थी ।जिससे नाभि गदराए बदन की शोभा बढ़ा रही थी।

जब चमेली किचन से बाहर आई सुखीराम ने चमेली बाई से राजेश और भगत का परिचय कराया ।

राजेश ने चमेली बाई से - नमस्ते चाची ।

भगत उसकी मदमस्त जवानी को देखकर कहीं खो सा गया था ।राजेश ने भगत को अपने कहानी मारा ।भगत होश में आया और उसने चमेली भाई को नमस्ते चाचू कहा।

चमेली बाई बोली -नमस्ते बेटा ,बेटा तुम्हारे चाचा जी ने तूम दोनो के बारे में मुझे बताया किस तरह से तूम दोनो ने हमारी मदद की ।अगर तुम नहीं होते हमारी इज्जत मान सम्मान सब चला जाता ।मुझे आप लोगों से मिलने की बड़ी इच्छा थी आप दोनों ने जो उपकार हम पर किए उसके लिए हम सदा आभारी रहेंगे।

राजेश ने कहा चाची जी यह तो हमारा फर्ज था। चाचा जी निर्दोस थे ,इसलिए हमने चाचा जी का सपोर्ट किया ।

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा, भगत कहीं खो गया था ।वह होश में आया ।भगत लड़खड़ाते आवाज में कहा हां चाची जी राजेश सही कह रहा है यह तो हमारा फर्ज था ।

चमेली बाई ने कहा बेटा यह तुम दोनों का बड़प्पन है खाना तैयार है चलो हाथ धो लो भोजन करना ।

चमेली बाई पानी का गिलास टेबल पर रख दी ।राजेश ,भगत और सुखी राम तीनो हाथ धोकर भोजन करने के लिए बैठ गए ।

चमेली बाई तीनों के लिए थाली में भोजन लेकर आई और थाली नीचे रखने के लिए नीचे झूकी तो उसके बड़ी-बड़ी चूचियां सामने झूलने लगी उसका गोरे गोरे दूध ,भगत को अपना दीवाना बना दिया।

भगत अपने मन में कहने लगा क्या मस्त माल है यार साली की क्या मस्त चुचीया है ।भगत का लंड* खड़ा खडा हो गया ।

जब चमेली भोजन की थाली लगाकर वह किचन की ओर गई, तो वह अपने चूतड को मटकाते हुए ।कमर को लचकाते हुए गई जिससे भगत समझ गया चाची भी हमें रिझाने की कोशिश कर रही है ।लगता है चाची भी प्यासी है ।

जब वह भोजन परोसती थी तो भगत को लगता था कि वह जानबूझकर ज्यादा झुक जाती थी ताकि उसकी चूचियां सामने झुलने लगे और भगत और राजेश अच्छे से देख सके ।भगत अपने मन में कहां यह साली तो चालू लगती है । कैसी अपनी चुचिया दिखा रही है।

राजेश ने चमेली बाई से कहा ,चाची जी क्या स्वादिष्ट खाना बनाई हो, मटर पनीर का स्वाद तो पूछो मत, होटल से भी ज्यादा स्वादिष्ट बना है। आपके हाथों में तो जादू है। क्यों भगत ?

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा भगत ने लड़खड़ाते हुए आवीज मे कहा हां चाची खाना काफी स्वादिष्ट बना है ।

चमेली बाई राजेश के द्वारा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।

इधर राजेश ने भगत से धीरे से कहां अबे कहां खो जाता है है । खाने पर ध्यान दें ।क्यो इज्जत का भाजीपाला कर रहा है ?चाची जी ऐसे तुम्हें घूरते हुए देखेगी तो हमारे बारे मे क्या समझेगी ?

भगत राजेश की बात से थोड़ा शर्मिंदा हुआऔर खाने में पर ध्यान देने लगा ।

भोजन कर लेने के के बाद भगत की नजर दीवार पर लगे फोटो की तरफ गया ।उसमें एक महिला की फोटो थी ।जिसे देखकर राजेश ने सुखीराम से पूछा चाचा जी यह किसकी फोटो है ?

सुखीराम ने बताया ,बेटा यह मेरे पहले बीवी की फोटो है ।जब वह बच्चे जन्म दे रही थी तक गुजर गई। बच्चा भी ना बच सका। लोगों के बार बार कहने पर मैंने दूसरी शादी की ।चमेली मेरी दूसरी पत्नी है। यह दोनों फोटो मेरे बच्चों की है,जो इस समय स्कूल गए हुए है।

भगत ने मन मे कहा तभी चाची इतनी जवान है।

कुछ समय तक चमेली बाई , राजेश, भगत और सुखीराम आपस मे बातचीत करते रहे ।भगत तो चमेली बाई के गदराया बदन को ही निहार रहा था बातचीत के दौरान भगत ने अनुभव किया कि कैसे तिरछी नजरों से चमेली बाई राजेश को चुपके से निहारती है । चमेली बाई राजेश की तरफ आकर्षित थी जिससे पता चलता था कि चमेली बाई प्यासी है।

राजेश् और भगत को आया एक घंटा हो चुका था क्लास लगने का समय हो चुका था ।राजेश ने कहा चाची जी आपसे बातें करते करते ,समय ,कैसा निकला, पता ही नहीं चला ।क्लास लगने का समय हो चुका है। अब हमें चलना होगा। हमें इजाजत दीजिए।

चमेली बाई ने कहां ठीक है बेटा ।अपनी चाचा चाची से मिलने के लिए आते रहना। भूल ना जाना और भोजन करने का मन हो तो मुझे बतला देना तुम दोनों के लिए लंच बना दूंगी ।

राजेश ने कहा ठीक है चाची जी और धन्यवाद इतना स्वादिष्ट भोजन कराने के लिए। जब भी हमारा मन करेगा । स्वादिष्ट खाना खाने जरूर आएंगे ।अच्छा चाचा जी हम चलते हैं ।

सुखीराम ने कहा ठीक है बेटा बेटा तुम्हारी चाची ने बिल्कुल ठीक कहा हमारे घर आते रहना ।राजेश बोला ठीक है चाचा जी ।

राजेश् और भगत क्लास अटेंड करने के लिए चले गए ।

उस दिन के बाद से अभी तक दोनों सुखीराम के घर फिर नहीं गए थे लेकिन आज काफी कुछ बदल गया था आज राजेश और भगत दोनाे को एक चूत की जरूरत थी । इसलिए आज दोनो फिर से सुखी राम के घर की ओर चल पड़े। इस आस मे की सुखी राम के घर चूत * का जुगाड़ हो जाए।

दोस्तों क्या चेतन और भगत दोनों चमेली बाई को भोग पाएंगे, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए ,यह क्या हो गया,?
Shandaar update
 

Sanju@

Well-Known Member
4,206
17,215
143
दोस्तों कहानी को आगे बढ़ाते हैं

जब स्वीटी कॉलेज से घर पहुंचती है, सुनीता स्वीटी को अकेले देख कर पूछती है।

स्वीटी तुम अकेले ही आई हो, राजेश कहां है?

स्वीटी ने कहा मां भैया को कुछ काम था ।उसने कहा कि मैं थोड़ा लेट आऊंगा तुम अपनी सहेली के साथ घर चली जाना।

सुनिता -पर् वह कहां है, क्या काम है । तुम् पूछी नहीं।

स्वीटी ने कहा- नहीं मा।

सुनीता ने खीझते हुए कहा ,तुम्हें पूछना चाहिए था कि वह कहां है ?वह बोला और तुम आ गई।

स्वीटी- मां तुम मुझ पर ,क्यों चिल्ला रही हो। भैया आएगा तब उसी से पूछ लेना वह कहा था।मुझ पर क्यों चिल्ला रही हो?

सुनीता को अपनी गलती का एहसास हुआ।वह बोली ठीक है ,ठीक है। स्वीटी अपने कमरे मे चली जाती है।

सुनीता अपने आप से कहती है ,मुझे स्वीटी से एेसा नहीं पूछना चाहिए था ये मुझे क्या हो गया । वैसे भी राजेश यह सब जानबूझकर कर रहा है ।

सुनीता किचन में जाकर काम करने लगी ,वह सोचती है । जनाब ऐसा करके अपना नराजगी जताना चाह रहा है।पर वह कहा गया होगा ।वह कॉलेज गया था कि नहीं । वह सुबह भी कुछ खाया नहीं था अभी तक कुछ खाया होगा कि नहीं उसे राजेश की चिंता होने लगी।

उसका मन राजेश को फोन करके पूछने का हुआ। राजेश को फोन करके पूछना चाह रही थी, लेकिन सुबह की की घटना को याद करके।वह कॉल ना कर सकी।

वह सोची अभी वह गुस्से में है ।नाराजगी दिखाने के लिए ऐसा हरकत कर रहा है।धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा । मैं भी देखती हूं अपनी मां से कब तक नाराज रहता है ।

1 घंटे के बाद राजेश घर पहुंचता है इस समय सुनीता किचन में काम कर रही थी। राजेश बिना कुछ बोले सीधे अपने कमरे में चला जाता है।

सुनीता का मन किया कि वह राजेश से पूछे की वह कहां था ।पर दूसरा मन , ऐसा करने से रोक दिया। उसे कमरे मे जाते हुए देखती रही ।वह सोचती है पता नहीं मैं सुबह से कुछ खाया भी है कि नहीं।

राजेश अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा रात्रि भोज के समय स्वीटी और शेखर ,भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए। सुनीता ने शेखर से कहा राजेश को भी बुला लाओ। पता नहीं सुबह से कुछ खाया है भी कि नहीं।

शेखर ,राजेश के कमरे में गया। वह देखा कि राजेश समय पढ़ाई कर रहा था। उसने राजेश कहां बेटा डिनर का टाइम हो गया है ।चलो डिनर कर लो ।

राजे ने अपने पिताजी से कहा पापा जी आज मेरा खाने का मन नहीं कर रहा है। शेखर ने कहा बेटा तुमने सुबह भी कुछ नहीं खाया था। राजेश ने कहा पापा मैंने दोपहर में लंच किया था ।अभी मेरा खाने का बिल्कुल मन नहीं है ।

शेखर ने कहा बेटा कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना।

राजेश ने कहा पापा मेरी तबीयत ठीक है ।पर खाने खाने का बिल्कुल भी मन नहीं।

शेखर ने कहा, ठीक है बेटा।

शेखर चला गया ।जब वह डायनिंग टेबल पर पहुंचा सुनीता ने शेखर से पूछा क्यो जी राजेश नहीं आया शेखर ने कहा नहीं। उसका खाने का मन नहीं है ।

सुनीता ने कहा ठीक है जी तुम लोग खाना खा लो उसे भूख लगेगा तब वह खाना खा लेगा।

सुनीता स्वीटी और शेखर दोनों को खाना परोसने लगी। शेखर ने देखा कि सुनीता अपने लिए खाना नहीं निकाल रही है वह सुनीता से पूछा ,तुम नहीं खाओगी

सुनीता ने कहा मैं राजेश को खिलाने के बाद खा लूंगी। तुम लोग खाना खालो।

शेखर को कुछ अजीब सा लगा। इन मां बेटा के बीच आखिर चल क्या रहा है?

स्वीटी और शेखर दोनों भोजन कर लेने के बाद ।अपने अपने कमरे में चले गए। सुनीता बर्तन धोने और किचन का कुछ काम निपटा लेने के बाद। एक थाली में भोजन निकालकर राजेश के कमरे की ओर चली गयी।

कमरे में जाने के बाद देखा राजेश लेटा हुआ है। कमरे मे एक स्टूल नाम रखा हुआ था ।सूनिता स्टूल को पास खींच कर ,उसमें भोजन की थाली रख दी ।और बेड पर बैठ गई ।उसने राजेश से कहा चलो खाना खा लो।

राजेश ने कहा ,मुझे भूख नहीं है। मुझे नहीं खाना है।

सुनीता ने कहा, तुम्हें क्या लगता है कि तुम खाना नहीं खाओगे तो मैं पीघल जाऊंगी और जो तुम करना चाहते हो। वह सब करने दूंगी ।मैं अपनी मर्यादा भूल जाऊंगी। ऐसा कभी नहीं होगा।

तुम खाना नहीं चाहते तो ठीक है मत खाओ।मैं भी नहीं खाऊंगी। यहां मेरी चिंता किसको है ।मैंने सुबह से कुछ नहीं खायी है ।वह सुबकने लगी ।

कुछ देर बाद फिर बोली ,तूम नहीं खाना चाहते हो तो ठीक है मैं जा रही हूं ।मैं भी नहीं खाऊंगी और भूखी रहूंगी ।

वह भोजन की थाली उठाकर जाने को हुई।

राजेश अपनी मां को अच्छी तरह से जानता था ।उसे लगा था कि उसकी मां कुछ नहीं खाई होगी ।वह नहीं चाहता था कि उसकी मां भूखी रहे ।जब सुनीता भोजन की थाली ले जा रही थी ।तो उसने उसे रोक दिया थाली को अपने हाथों में ले लिया और बेड पर ही बैठ कर ।भोजन करने लगा।

सुनीता राजेश को भोजन करते देख मुस्कुराने लगी। राजेश बिना कुछ बोले ही खाना जल्दी से खत्म कर दिया वह चाहता था, उसकी मां कमरे से जल्द से जल्द चली जाए ।

सुनीता राजेश से पूछना चाहती थी कि आज तुम्हें कॉलेज से घर आने में लेट क्यों हो गया ।कहां थे ?पर उस उसे इस समय कुछ पूछना ना कुछ ना ठीक नहीं लगा । राजेश ने भोजन कर लिया वह उसी पर संतुस्ट हो गई थी।

वह भोजन की थाली लेकर किचन में चली गई और खुद भी भोजन कर ,अपने रूम में चली गई।

सुनीता अपने बेड पर लेट गई। शेखर अभी सोया नहीं था। उसने सुनीता से पूछा, राजेश ने भोजन किया।

सुनीता ने कहा हां ।

राजेश आखिर भोजन क्यों नहीं कर रहा था लगता है वह नाराज है ।आखिर बात क्या है? मुझे भी कुछ बताओ।

सुनीता कहती है वह मुझसे इजाजत मांग रहा है ?

शेखर कहता है ,कैसी इजाजत?

सुनीता मन में कहती है, मैं क्या बताऊं, तुम्हारा बेटा अपने ही मां पर चढना चाहता है ।अपनी मां को अपनी बच्चे की मां बनाना चाहते हैं। अपनी मां को भोगना चाहता है।

शेखर फिर पूछा, क्या सोचने लगी ?कुछ बताती क्यों नहीं ?

सुनिता ने कहा ,अब क्या बताऊं जी ।राजेश अब बिगड़ गया है। वह कालेज में गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है ।तुम तो जानते हो बिना मेरे इजाजत राजेश कोई भी नया काम नही करता ।वह मुझसे इजाजत मांग रहा है मैंने इजाजत नहीं दी,तो वह जिद करने लगा ।मैंने उससे कहा कि तुम लड़कियों के चक्कर में ना पड़ो पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। उसके बाद कोई गर्लफ्रेंड बनाना इसलिए वो नाराज है संगीता ने शेखर से सही बात नहीं बताई।

शेखर ने कहा ,राजेश अब जवान हो चुका है उसका भी मन करता होगा ।कुछ करने का ।गर्लफ्रेंड बनाने दो।वह इस समय में इंजॉय नहीं करेगा तो कब करेगा।

सुनीता ने कहा ,नहीं जी लड़कियों के चक्कर में वह पढ़ाई में ध्यान नहीं देगा ।जब तक वह अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए उसे लड़कियों से दूर रहना चाहिए ।मैं उसके भविष्य को बर्बाद होते नहीं देख सकती इसलिए मैं राजेश को किसी लड़कियों के चक्कर में पडने की में इजाजत नहीं दे सकती । चाहे वह मुझसे कितना ही नाराज क्यों ना हो जाए और आप मां बेटा के बीच में ना पढ़ें ।उसकी नाराजगी धीरे-धीरे दूर हो जाएगी ।रात काफी हो गई है ,आप सो जाइए ।

शेखर ने सुनीता से कहा , ठीक है भाग्यवान तुम तो मुझे पर ही चिल्लाने लगी । जैसी तुम्हारी इच्छा हो करो, पर राजेश का इस तरह रूठना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा।

सुनीता ने कहा सब ठीक हो जाएगा ।आप परेशान मत होइए।

इधर स्वीटी अपने बेड पर लेटे हुए राजेश की मदद करते समय अपने भाई के लंड को हाथ से हिलाना उसे चूसना सब याद आने लगी । वह राजेश के लंड को याद करते हुए उत्तेजित हो गई थी।

वह मन में कह रही थी, अब भाई तो ठीक हो गया है अब पता नहीं मुझे भाई के लंड* को देखने का का मौका कब मिले। कितना बड़ा , लंबाऔर प्यारा है भाई का लंड । काश मुझे और मौका मिल पाता, भाई के लैंड से खेलने का।

वह अपना एक उंगली है अपनी चूत * के अंदर ले जाकर उसे अंदर-बाहर करने लगी और अपने भैया के लंड को याद करते हुए उंगली को चूत मे तेज तेज चलाने लगी । और कुछ देर बाद ही वह आह भैया आह करते हुए झडने लगी।

इधर राजेश बेड पर लेटा हुआ दोपहर में कौशल्या की चूदाई करने में जो मजा आया था उसे याद करते हुए उत्तेजित हो गया था। उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था ।

उसका चुदाई*करने का मन करने लगा। वह सोचने लगा, काश मां मान जाती तो मेा। मां को भोग रहा होता ।वह अपने लंड को अपने हांथ से सहला रहा था।

राजेश ने सोची मां नहीं मान रही तो क्यों ना स्वीटी के साथ आगे बढ़ू ।स्वीटी मना नहीं करेगी ,कम से कम वह लंड तो चूसेगी ही ।

फिर वह सोचने लगता है नहीं ,नहीं ,मां ने मुझे स्वीटी की मदद लेने से मना किया है ।अगर मेै स्वीटी के साथ अभी कुछ किया और मा द्वारा पकड़ा गया तो मां मुझे कभी नहीं मिलेगी। वह मुझे हवस की पुजारी समझेगी। मैं उसकी नजरों में गिर जाऊंगा ।मुझे पहले मां को प्राप्त करना होगा और उसके कहने पर ही स्वीटी के साथ आगे बढ़ूगा ।मुझे अपने पर नियंत्रण रखना होगा और चूत का का जुगाड़ बाहर ही करना होगा।

इधर भगत को भी चुदाई करने का मन कर रहा था वह कौशल्या देवी को कॉल करता है।

इ स समय कौशल्या देवी और उसका पति कामता प्रसाद दोनों बेड पर लेटे हुए थे। कामता प्रसाद सो चुका था, पर कौशल्या देवी का नींद नहीं लगी थी।मोबाइल पर रिंगटोन बजने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी अपने बेड से उठ कर, मोबाइल उठाती है।

वह देखती है ,भगत कॉल हैं। उसका पति ना जग जाए , इसलिए कॉल उठा कर वह हाल के बाथरूम मे चली गई और फिर भगत से बोली बेटा कैसे फोन किए हो।

भगत- मा जी आओ ना ऊपर मुझे चूदाई* करने का बड़ा मन कर रहा है।

कौशल्या देवी कहती है ,नहीं बेटा ,अभी मैं ऐसी स्थिति में नहीं हूं कि चूद* सकूं ।राजेश की चूदाई**** से मेरी चूत* बुरी तरह सूज गई है। बूर के अंदर की दिवारे छिल गई है जिससे चूत में दर्द हो रहा है। मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही ।जब तक मैं ठीक नहीं हो जाती, मैं नहीं चूद नही* पाऊंगी ।

भगत ने कहा ,मां जी यह तो राजेश का पहली बार था पहली बार में ही तुम्हारी ऐसी हालत कर दी ।

कौशल्या देवी कहां ,बेटा राजेश का लंड* काफी बड़ा है, गजब का जोश है उसके अंदर, पूरे शरीर को हिला कर रख दिया । मेरे शरीर का पूरा अंग अंग टूट गया। मै पांच-छह दिन तक चुद नही पाऊंगी ।

भगत ने कहा राज भाई को मैं अनाड़ी समझ रहा था वह तो खिलाड़ी निकला ,पर मा जी मै 5 दिनों तक बिना चोदे नहीं रह सकता। अगर चूत में दर्द हो रहा है तो मै गांड मार के संतुष्ट हो जाऊंगा। आओ ना,।

कौशल्या देवी ने कहा, नहीं बेटा मैं नहीं चूद पाऊंगी ,तुम जवानों का कोई भरोसा नहीं रहता, जोश में होश खो बैठते हो ।कब लंड गांड से निकालकर बूर मे चला जाएगा। पता ही नहीं चलेगा ।मै रिस्क लेना नहीं चाहती अगर तुम बिना चूदाई के नहीं रह सकते ,तो कोई दूसरा जुगाड़ कर लो और कौशल्या देवी मोबाइल रख दी।

इधर भगत अपने लंड* को अपने हाथों से हिलाते हुए सोना पड़ा ।

अगले सुबह जब राजेश सो कर उठा वह बिना ,अपनी मां से बात किए हैं जिम के लिए निकल गया और जिम से आने के बाद सुनीता से कोई बात नहीं किया।

नाश्ता करते समय भी वह खामोश बैठा था ,शेखर जान चुका था ।राजेश अपनी मां से नाराज है । यह मां बेटे के बीच का मामला है ।वह इस मेटर पर कुछ नहीं बोला ।

सुनीता भी चूप थी, वह सोच रही थी । बेटा कब तक तुम अपनी मां से नाराज रहता है ,मैं भी देखती हूं, सुनिता भी अकड़ में आ गई थी ।

नाश्ता करने के बाद शेखर अपनी ड्यूटी पर चला गया कुछ देर बाद राजेश और स्वीटी भी कालेज के लिए निकल गए ।

कॉलेज में लंच ब्रेक के समय राजेश और भगत दोनों कैंटीन में बैठे थे ।भगत ने राजेश से बोला , भाई राजेश तुमने तो मेरा खेल ही बिगाड़ दिया।

राजेश ने कहा , क्यो बे ?क्या हुआ ?

भगत-भाई रात में मुझे चुदाई * करने का बड़ा मन था। मैंने मां जी को कमरे में आने को कहा, पर मा जी मेरे कमरे में नहीं आई ,कह रही थी तुमने उसे जम कर चोदा है जिससे उसकी चूत * सूज गई है ।वह बोली कि मै 5 दिनो तक नहीं चुद पाऊंगी।

राजेश -क्या कहा मा जी ने ,वह 5 दिनों तक नहीं चूद* पाएगी ।यार मेरा मन आज फिर उसे चोदने* का था ।

भगत ने कहा ,भाई कॉलेज में सभी लड़कियां तुम पर मरती है । तुम्हारा जुगाड़ तो आसानी से हो जाएगा। तुम्हारा इशारा करने की देर है। लड़कियां तुम्हारी बाहों में आ जाएगी ।कई लड़कियां तो ऐसी है जो तुमसे चुदने के लिए मरी जा रही है ।

राजेश ने कहा यार किसी के भावनाओं के साथ खेलना ठीक नहीं ।किसी को बहला-फुसलाकर चोदन मे मजा नहीं। प्यासी औरत को चोदने में ,जो बिना किसी शर्त के मजे के लिए चुदवाए, उसको चोदने में बड़ा मजा आएगा ।इन कॉलेज की लड़कियों को धोखे में रख कर , बहला-फुसलाकर चोदना है ठीक नहीं है। कोई प्यासी गदर आई माल का जुगाड़ हो तो बताओ।

भगत ने कहा भाई ऐसा माल का जुगाड़ करने में कई दिन निकल जाती है। लगता है अब हाथ से काम चलाना पड़ेगा ।भगत कैटिन के खिड़की से बाहर के तरफ देखने लगता है। तभी उसकी नजर कॉलेज के चौकीदार सुखीराम पर पड़ता है ।वह देखता है कि सुखीराम अपने साइकिल से कॉलेज के बाहर कहीं जा रहा है ,जिसे देखकर वह राजेश से कहता हैं भाई प्यासी और गदर आई मांल का जुगाड़ हो गया समझो।

राजेश -क्या बोल रहा है बे कहां है गदर आई माल और वह भी भी खिड़की से बाहर देखने लगा। उसने देखा कि कालेज का चौकीदार सुखी राम अपनी सायकल से कॉलेज के बाहर जा रहा था। उसने कहा अबे वह चौकीदार चाचा सुखीराम है।

भगत ने कहा अरे हां भाई गदर आई माल तो इसकी बीवी चमेली बाई है। भूल गया क्या ?क्या मस्त चूची है साली की ?इस वक्त घर पर अकेली होगी ।चाचा जी तो किसी काम से बाहर जा रहे है ।चलो चलते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि चमेली बाई प्यासी है ।क्या तराशा हुआ बदन है साली का ? उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आएगा। चलो उसके घर चलते हैं।

राजेश कहता हैं पर अचानक से उसका घर जाना ठीक रहेगा ।कहीं गलत समझी तो। लेने के देने न पड़ जाऐगे।

भगत- भाई लगता है तुम सब भूल गए उसने तो हमें घर आते जाते रहने के लिए कहा है भूल गए क्या ?

राजेश -चाची ने कहां कहा तो था ,पर काफी दिन हो गए ।

भगत -अरे ट्राई करने में क्या जाता है?

असल में सुखीराम कॉलेज का चौकीदार था जो रात में चौकीदारी करता था ।कालेज परिसर में एक कोने पर चौकीदार के रहने के लिए कॉलेज प्रशासन के द्वारा रहने के लिए एक मकान बनाया गया था ।जिसमें एक बेड एक ,बैठक रूम और किचन था। कालेज के द्वारा ही सुखीराम को रहने के लिए दिया गया था ।सुखीराम के दो बच्चे थे जो स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे ।उसकी बीवी चमेली काफी खूबसूरत थी ।उसका बदन का गदराया हुआ था । वह जवान थी ।उसकी उम्र मैं 35- 36 वर्ष की होगी। परिवार के चार सदस्य कालेज प्रशासन के द्वारा दिए गए मकान रहकर कॉलेज की रात में चौकीदारी करते थे ।

तभी कालेज में 1 दिन ,एक घटना घट गई

कॉलेज में रात मे चोरी हो गया ।उस दिन सुखीराम चौकीदारी कर रहा था । चोर कैसे आया और कैसे चोरी की उसे पता ही नहीं चला। कॉलेज प्रशासन ने सारा दोष सुखी राम पर डाल दिया और ठीक से ड्यूटी ना करने का इल्जाम लगाकर । उसे डांटते हुए नौकरी से निकालने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया ।

सुखी राम कॉलेज के पदाधिकारियों से काफी हाथ पाव जोड़ते रहे लेकिन किसी ने उस पर दया नहीं दिखाई।

भगत और राजेश ने सुखीराम को रोते गिडगिडाते देखकर ,उस पर दया आ गया। उसने सुखीराम से सारी बातें जानने की कोशिश की ,सुखीराम ने बताया कि आखिर उस दिन हुआ क्या था ।

राजेश और भगत को लगा कि सुखीराम निर्दोष है उसका बचाव करना चाहिए और उन दोनों ने कॉलेज प्रशासन के सामने ,सुखीराम का बचाव किया और अपनी सूझबूझ असली चोर को पकड़वा भी दिया।

भगत और राजेश के द्वारा सपोर्ट करने से कालेज प्रशासन ने सुखीराम को एक और मौका दिया।

सुखीराम राजेश और भगत के मुरीद हो गए ।उसने दोनो से हाथ जोडकर बहुत धन्यवाद किया और यह बात अपनी पत्नी चमेली बाई को बताई । किस तरह राजेश्वर भगत उनकी मदद की ।

चमेली बाई ने अपने पति सुखीराम से राजेश और भगत से मिलकर उन्हे धन्यवाद देने की इच्छा जाहिर की।

सुखी राम जी अपनी बीवी चमेली बाई से कहा मैं उन दोनों को घर में लंच के लिए आमंत्रित करूंगा फिर तुम उनसे मिलकर धन्यवाद दे देना ।

चमेली बाई बोली - हां ,यह ठीक रहेगा ।कल तुम उन दोनो को लंच के लिए आमंत्रित कर देना और पूछ लेना कि उन्हें खाने में क्या पसंद है ?

सुखी राम ने कहां, हां, मैं आज ही उनसे मिलकर उन्हें कल लंच के लिए आमंत्रित कर देता हूं ।

सुखीराम राजेश और भगत से मुलाकात किया और उनसे कहा बेटा तुमने जो हमारी मदद की उसकी शुक्रिया अदा करने के लिए तुम्हारी चाची तुम लोगों से मिलना चाहती है। वह तुम दोनों को लंच के लिए आमंत्रित की है ।

राजेश -चाचा जी आप निर्दोष थे ।आपका मदद करना हमारा फर्ज था ।हमारे लिए आप लोगों को कष्ट उठाने की जरूरत नही ।हम आपके घर आकर चाची जी से मिल लेंगे ।हमें भी चाची जी से मिलकर खुशी होगी ।

सुखीराम -फिर भी बेटा हमारा भी मान रख लो। कल लंच हमारे यहां करना।

सुखीराम के जिद करने पर राजेश ने लंच के लिए हामी भर दी ।

सुखीराम ने खाने में क्या चीज पसंद है राजेश और भगत से पूछ लिया ।

दूसरे दिन जब कॉलेज में लंच ब्रेक हुआ सुखीराम दोनों को घर ले जाने के लिए राजेश और भगत से मिले उनसे बोले , चलो बेटा लंच के लिए ,घर चलो , तुम्हारी चाची तुम लोगों का राह देख रही है ।

राजेश और भगत दोनों सुखीराम के साथ उसके घर की ओर चल देते हैं ।घर जाने के बाद तीनों के घर के बैठक रूम में जाकर बैठ जाते हैं। सुखीराम अपनी बीवी चमेली को आवाज लगाती है । इस समय चमेली बाई , कीचन मे ,भोजन की तैयारी कर रही थी ।

अजी सुनती हो राजेश् और भगत आ गए है ।चमेली किचन से बाहर निकलती है। चमेली को देखते ही भगत की आंखें खुला का खुला रह गया ।

दरअसल सुखीराम 50 से ज्यादा के लगते थे ।उसी हिसाब से भगत ने अंदाजा लगाया था उसकी बीवी काफी उम्र की होगी और एक देहात किस्म की होगी।

पर चमेली बाई काफी जवान गदराया हुआ बदन और बन ठन कर रहने वाली महिला थी ।उसने एक नई साड़ी पहनी हुई थी ।उसकी ब्लाउज पीछे से काफी खुला और सामने से काफी डिप था साड़ी को नाभि के नीचे बांधी हुई थी ।जिससे नाभि गदराए बदन की शोभा बढ़ा रही थी।

जब चमेली किचन से बाहर आई सुखीराम ने चमेली बाई से राजेश और भगत का परिचय कराया ।

राजेश ने चमेली बाई से - नमस्ते चाची ।

भगत उसकी मदमस्त जवानी को देखकर कहीं खो सा गया था ।राजेश ने भगत को अपने कहानी मारा ।भगत होश में आया और उसने चमेली भाई को नमस्ते चाचू कहा।

चमेली बाई बोली -नमस्ते बेटा ,बेटा तुम्हारे चाचा जी ने तूम दोनो के बारे में मुझे बताया किस तरह से तूम दोनो ने हमारी मदद की ।अगर तुम नहीं होते हमारी इज्जत मान सम्मान सब चला जाता ।मुझे आप लोगों से मिलने की बड़ी इच्छा थी आप दोनों ने जो उपकार हम पर किए उसके लिए हम सदा आभारी रहेंगे।

राजेश ने कहा चाची जी यह तो हमारा फर्ज था। चाचा जी निर्दोस थे ,इसलिए हमने चाचा जी का सपोर्ट किया ।

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा, भगत कहीं खो गया था ।वह होश में आया ।भगत लड़खड़ाते आवाज में कहा हां चाची जी राजेश सही कह रहा है यह तो हमारा फर्ज था ।

चमेली बाई ने कहा बेटा यह तुम दोनों का बड़प्पन है खाना तैयार है चलो हाथ धो लो भोजन करना ।

चमेली बाई पानी का गिलास टेबल पर रख दी ।राजेश ,भगत और सुखी राम तीनो हाथ धोकर भोजन करने के लिए बैठ गए ।

चमेली बाई तीनों के लिए थाली में भोजन लेकर आई और थाली नीचे रखने के लिए नीचे झूकी तो उसके बड़ी-बड़ी चूचियां सामने झूलने लगी उसका गोरे गोरे दूध ,भगत को अपना दीवाना बना दिया।

भगत अपने मन में कहने लगा क्या मस्त माल है यार साली की क्या मस्त चुचीया है ।भगत का लंड* खड़ा खडा हो गया ।

जब चमेली भोजन की थाली लगाकर वह किचन की ओर गई, तो वह अपने चूतड को मटकाते हुए ।कमर को लचकाते हुए गई जिससे भगत समझ गया चाची भी हमें रिझाने की कोशिश कर रही है ।लगता है चाची भी प्यासी है ।

जब वह भोजन परोसती थी तो भगत को लगता था कि वह जानबूझकर ज्यादा झुक जाती थी ताकि उसकी चूचियां सामने झुलने लगे और भगत और राजेश अच्छे से देख सके ।भगत अपने मन में कहां यह साली तो चालू लगती है । कैसी अपनी चुचिया दिखा रही है।

राजेश ने चमेली बाई से कहा ,चाची जी क्या स्वादिष्ट खाना बनाई हो, मटर पनीर का स्वाद तो पूछो मत, होटल से भी ज्यादा स्वादिष्ट बना है। आपके हाथों में तो जादू है। क्यों भगत ?

राजेश ने भगत को फिर कोहनी मारा भगत ने लड़खड़ाते हुए आवीज मे कहा हां चाची खाना काफी स्वादिष्ट बना है ।

चमेली बाई राजेश के द्वारा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई।

इधर राजेश ने भगत से धीरे से कहां अबे कहां खो जाता है है । खाने पर ध्यान दें ।क्यो इज्जत का भाजीपाला कर रहा है ?चाची जी ऐसे तुम्हें घूरते हुए देखेगी तो हमारे बारे मे क्या समझेगी ?

भगत राजेश की बात से थोड़ा शर्मिंदा हुआऔर खाने में पर ध्यान देने लगा ।

भोजन कर लेने के के बाद भगत की नजर दीवार पर लगे फोटो की तरफ गया ।उसमें एक महिला की फोटो थी ।जिसे देखकर राजेश ने सुखीराम से पूछा चाचा जी यह किसकी फोटो है ?

सुखीराम ने बताया ,बेटा यह मेरे पहले बीवी की फोटो है ।जब वह बच्चे जन्म दे रही थी तक गुजर गई। बच्चा भी ना बच सका। लोगों के बार बार कहने पर मैंने दूसरी शादी की ।चमेली मेरी दूसरी पत्नी है। यह दोनों फोटो मेरे बच्चों की है,जो इस समय स्कूल गए हुए है।

भगत ने मन मे कहा तभी चाची इतनी जवान है।

कुछ समय तक चमेली बाई , राजेश, भगत और सुखीराम आपस मे बातचीत करते रहे ।भगत तो चमेली बाई के गदराया बदन को ही निहार रहा था बातचीत के दौरान भगत ने अनुभव किया कि कैसे तिरछी नजरों से चमेली बाई राजेश को चुपके से निहारती है । चमेली बाई राजेश की तरफ आकर्षित थी जिससे पता चलता था कि चमेली बाई प्यासी है।

राजेश् और भगत को आया एक घंटा हो चुका था क्लास लगने का समय हो चुका था ।राजेश ने कहा चाची जी आपसे बातें करते करते ,समय ,कैसा निकला, पता ही नहीं चला ।क्लास लगने का समय हो चुका है। अब हमें चलना होगा। हमें इजाजत दीजिए।

चमेली बाई ने कहां ठीक है बेटा ।अपनी चाचा चाची से मिलने के लिए आते रहना। भूल ना जाना और भोजन करने का मन हो तो मुझे बतला देना तुम दोनों के लिए लंच बना दूंगी ।

राजेश ने कहा ठीक है चाची जी और धन्यवाद इतना स्वादिष्ट भोजन कराने के लिए। जब भी हमारा मन करेगा । स्वादिष्ट खाना खाने जरूर आएंगे ।अच्छा चाचा जी हम चलते हैं ।

सुखीराम ने कहा ठीक है बेटा बेटा तुम्हारी चाची ने बिल्कुल ठीक कहा हमारे घर आते रहना ।राजेश बोला ठीक है चाचा जी ।

राजेश् और भगत क्लास अटेंड करने के लिए चले गए ।

उस दिन के बाद से अभी तक दोनों सुखीराम के घर फिर नहीं गए थे लेकिन आज काफी कुछ बदल गया था आज राजेश और भगत दोनाे को एक चूत की जरूरत थी । इसलिए आज दोनो फिर से सुखी राम के घर की ओर चल पड़े। इस आस मे की सुखी राम के घर चूत * का जुगाड़ हो जाए।

दोस्तों क्या चेतन और भगत दोनों चमेली बाई को भोग पाएंगे, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए ,यह क्या हो गया,?
जबरदस्त अपडेट है
 
Top