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Incest यह क्या हुआ

Sanju@

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दोस्तों पिछले अपडेट में आपने पढ़ा था कि राजेश को जोरों से पेशाब लगी है उसकी मम्मी सुनीता उसे बाथरूम में जाने के लिए कहती है और साथ ही राजेश के पीछे पीछे सुनीता भी बाथरूम की ओर जाने लगती है

शेखर जब ड्यूटी पर जा रहा था उस समय वह सुनीता को इसके बारे में बताया था तुम्हें राजेश की मदद करनी होगी तब सुनीता ने कहादेखो जी यह मुझसे कैसे हो पाएगा अब राजेश छोटा नहीं है वह बड़ा हो गया है

राजेश ने कहा अब तुम्हें ही मदद करनी होगी तुम उसे छोटा बच्चा ही समझो क्योंकि मुझे ड्यूटी में जाना है घर में रहता तो मैं राजेश का मदद करता अब तुम ही उसकी मदद करनी होगी
सुनीता कहती है जी कोशिश करूंगी

साथ ही शेखर ने ने सुनीता को यह भी बताया था कि जब राजेश को पेशाब लगे तब तुम उसके लोअर और अंडरवियर थोड़ा नीचे कर देना फिर राजेश पेशाब कर लेगा

राजेश बाथरूम के अंदर चला पहुच गया पेशाब करने के लिए यूरिनल पाट के सामने खड़ा हो गया सुनीता उसके पीछे खड़ी थी राजेश कुछ बोल नहीं रहा था सुनीता को कुछ अजीब सी लग रही थी पर उसे राजेश की मदद करनी थी तब सुनीता ने शेखर के बताए अनुसार राजेश के लोअर और अंडरवियर को पकड़ के कमर से थोड़ा नीचे किया

सुनीता इस समय राजेश के पीछे खड़ी थी और वह दोनों हाथों से कमर के आजू-बाजू लोअर को पकड़कर थोड़ा नीचे की उसे आभास हो गया कि राजेश कॉलिंग लोअर के बाहर आ गया है तब उसने राजेश से कहा बेटा तुम पेशाब कर लो पर राजेश ऐसे ही खड़ा था क्योंकि उसका लिंग लटका हुआ था अगर वह पेशाब करता तो पेशाब पॉट में न जाकर उसके लोअर में ही गिरता इसलिए वह वैसे ही खड़ा था सुनीता ने जब देखा कि राजेश पेशाब नहीं कर रहा है तो सुनीता राजेश से कहती है
बेटा खड़े क्यों हो पेशाब करो जल्दी
इधर राजेश कुछ कह नहीं पा रहा था राजेश को जोरों से पेशाब लगी थी उसे पेशाब रोक पाना अब संभव नहीं लग रहा था इसलिए वह पेशाब करना शुरू कर दिया जैसे ही राजेश पेशाब शुरू किया पेशाब यूरिनल पाट में ना जाकर उसके लोवर मे में ही गिरने लगा

राजेश पेशाब करना बंद कर दिया

इधर सुनीता को पेशाब गिरने की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो वह राजेश को फिर बोला बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे हो

राजेश ने कहा मां मेरा लो वर गंदा हो गया पेशाब मेरे लोवर में गिर गया
सुनीता राजेश की बात सुनती है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें

सुनीता राजेश से कहती है बेटा पहले कैसे पेशाब करते थे
राजेश चुप था राजेश को भी यह सब अच्छा नहीं लग रहा था
सुनीता फिर राजेश से पूछती है बेटा कुछ बताते क्यों नहीं

सुनीता के बार बार पूछने पर राजेश अपनी मम्मी से हकलाते हुए कहती है
मम्मी नन्नू को पकड़ना पड़ता है तब पेशाब यूरिनल पाट मे जाएगा

सुनीता क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था सुनीता का दिल धड़कने लगा था उसे बहुत गंदा फीलिंग हो रहा था वह सोचती है अब क्या करूं मुझे राजेश की मदद करनी पड़ेगी उसने जोरों की पेशाब लगी है पर मुझे उसके नन्नू को पकड़ना होगा हे भगवान अब मैं क्या करूं कुछ देर सोचती रहती है फिर वह अपने मन मे कहती है यहां पर और कोई है भी नहीं जो राजेश की मदद करें मुझे ही करना पड़ेगा और ना चाहते हुए वह अपने दाहिने हाथ को धीरे धीरे राजेश के लिंग की ओर आगे बढ़ाई

सुनीता राजेश के पीछे खड़ी थी वह लिंग को नहीं देख रही थी वह अपने ने हाथ धीरे धीरे लिंग की ओर बढ़ाने लगी उसका उसका हाथ कापने ने लगा दिल धक धक करने लगा उसका हाथ लिंग से टच हुआ

राजेश कॉलिंग जो लटका हुआ था उसे वह हाथों से हल्का पकड़ ली और उसे उठाकर सीधा कर ली

इधर राजेश को बहुत शर्म महसूस हो रहा था उसका दिल भी धड़क रहा था सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब जल्दी पेशाब करो

राजेश अपने लिंग पर दबाव डालता है राजेश के लिंग से पेशाब निकल करें यूरिनल पाटमें जाने लगता है पेशाब करने की आवाज आने लगती है साथ ही पेशाब की गंध उड़ने लगती है आवाज सुनीता सुनती है उसे बहुत ही शर्म महसूस हो रही थी

पेशाब की गंध सुनीता के नाक तक पहुंचती है सुनीता को अजीब सा लगने लगता है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था

इधर राजेश को भी अजीब लग रहा था उसे भी बहुत शर्म महसूस हो रहा था उसका भी दिल धड़क रहा था राजेश ने पेशाब करना बंद कर दिया

सुनीता राजेश से कहती है बेटा हो गयाक्या

तब राजेश अपने मां से कहती है हां मां हो गया

सुनीता राजेश के लिंग को थोड़ा हिलाती है ताकि पेशाब के बुंदे लोअर में ना गिरे बची हुई बुंदे भी यूरिनल पाट में चली जाए

राजेश को बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था और उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था

सुनीता राजेश के लिंग को छोड़ देती है और उसके लोवर को ऊपर उठा देती है
राजेश अपने मां से कहता है मालोवर गंदा हो गया है इस पर पेशाब लगी है इसको बदलना पड़ेगा

सुनीता कहती है ठीक है बेटा तुम्हारे पास और भी अंडरवियर और लोअर होगा इसे तुम बदल लो कहां रखते हो तुम अपने लोअर और अंडरवियर

राजेश ने कहा मां अलमारी में होगा

दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं

राजेश पलंग किनारे बैठ जाता है सुनीता लोअर और अंडरवियर ढूंढने लगती हैं उसे अलमारी में लोअर और अंडरवियर मिल जाता है

सुनीता लोअर और अंडरवियर लेकर राजेश के पास आती है वह राजेश से कहती है बेटा यह रहा तुम्हारा लोअर और अंडरवियर और वह राजेश को खड़ा होने के लिए कहती है

राजेश का दिल फिर धड़कने लगता है सुनीता दोनों हाथों से राजेश के लोअर को पकड़कर नीचे खींचती है और लोअर को निकाल देती है

अब राजेश केवल अंडरवियर में था उसे बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था
सुनीता को भी बहुत शर्म महसूस हो रही थी दोनों मां-बेटे अजीब से सिचुएशन में फंस गए थे

सुनीता ना चाहते हुए भी अपने बेटे के अंडर वियर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे करने लगी अंडर वियर नीचे होने पर राजेश कॉलिंग सुनीता के आंखों के सामने आ गया सुनीता उससे नजरें चुराने लगी फिर भी वाह उसे तिरछी नजरों से देखने लगी राजेश का लिंग इस समय लटका हुआ था

राजेश कालिंग काफी लंबा था उसका अंडकोष भी काफी बड़ा था उसके लिंग और अंडकोष पर काले काले बाल थे

सुनीता तुरंत अपनी नजरें हटा ली राजेश के अंडरवियर को हुआ पैरों से अलग कर बोली लो बेटा अब अंडरवियर को पहन लो

राजेश अंडरवियर पहनने के लिए अपने पैर को उठाया और अंडरवियर में पैर डाला
सुनीता अंडरवियर को राजेश के पैरों के ऊपर खींचने लगी
Nice update
राजेश और सुनीता को बहुत शर्म आ रही थी लेकिन कर भी क्या सकते थे देखते हैं आगे क्या होगा
 

Sanju@

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सुनीता जैसे ही अंडरवियर को पैरों क् ऊपर की ओर खींची एक बार फिर राजेश का लिंग सुनीता के नजरों के सामने आ गया

सुनीता फिर से ना चाहते हुए भी उसे देखने लगी

राजेश कॉ लिंग काफी लंबा था एकदम गोरा था काले काले घने बालों से घिरा हुआ था वह इस समय लटका हुआ था

राजेश अपनी मां को अपने लिंग को देखते हुए पाया

उसे बहुत शर्म महसूस होने लगा

सुनीता राजेश की ओर देखा राजेश अपनी मां की और ही देख रहा था दोनों की नजरें मिली

सुनीता ने अपनी नजरें झुका ली और शर्म महसूस करने लगी सुनीता जल्दी से राजेश को लोअर पहना दी और निकाले हुए अंडर वियर और लोवर को उठाकर उसे धोने के लिए अपने साथ ले गई

जाते हुए वह राजेश से बोली ठीक है बेटा अब तुम आराम करो किसी चीज की कोई जरूरत हो तो मुझे आवाज देना

उसके मां के जाने के बाद राजेश सोचने लगा यह क्या हो गया उसे अभी भी शर्म महसूस हो रहा था

राजेश अभी तक अपने मां के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था और अभी जो हादसा हुआ उसे भी एक मजबूरी ही समझ रहा था

इधर सुनीता अपने रूम में जाकर थोड़ा आराम करने लगी और वह सोचने लगी हे भगवान यह क्या हो गया मुझे राजेश का लिंग को हाथ लगाना पड़ा और राजेश अभी मुझे उसके लिंग की ओर देखते हुए देख लिया वह बहुत ही गिल्टी फील कर रही थी

फिर वह सोचती है मैं उसकी मां हूं मैं मदद भी करूंगी तो और कौन करेगी औरयह सब सोंचते उसकी आंख लग गई कुछ समय के बाद उसकी आंख खुली फिर वह किचन में चले गई और खाना बनाने लगी

खाना बनाने के बाद वह खाना लेकर राजेश के कमरे की ओर चल दी
राजेश इस समय सो रहा था

सुनीता ने राजेश को आवाज देकर उठाई बेटा उठो खाना खा लो फिर तुम्हें दवाई भी खानी है

राजेश अपनी मां की आवाज सुनकर उठ जाता है सुनीता राजेश को खाना खिलाती हैं उसे पानी पिलाती है और उसे आराम करने के लिए कहती है

सुनीता कमरे से जाते समय राजेश से कहती है बेटा मै10 मिनट के बाद दवाई लेकर आऊंगी

सुनीता किचन में जाकर स्वयं खाना खाती हैउसके बाद फिर दवाई लेकर वहां राजेश के कमरे में आती है

सुनीता राजेश को दवाई खिलाकर कमरे से चली जाती है जाते हुए राजीव से कहती है कि बेटा किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे आवाज देना
सुनीता कमरे चली जाती है और वह अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है दोपहर 3:30 बजे उसकी नींद खुलती है नींद खुलने के बाद उसे राजेश की याद आती है उसे किसी चीज की जरूरत नहीं है

वह राजेश के कमरे की ओर चली जाती है इधर राजेश अपनी पलंग पर बैठा हुआ था सुनीता कमरे के अंदर आती है

राजेश से कहती है कैसे हो बेटे

राजेश कहता है ठीक हूं मम्मी

राजेश के शरीर में अभी भी दर्द था क्योंकि लड़कों ने उसे बुरी तरह से पीटा था वह दर्द अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था

सुनीता राजेश से पूछती है शरीर का दर्द कम हुआ

राजेश कहता है पहले से थोड़ा कम हुआ ना राजेश को इसमें भी पेशाब लग लग रहा था उसे पेशाब करने जाना था पर वह मां को कह नहीं पा रहा था सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा कुछ काम हो तो मुझे बताना अब मैं जा रही हूं घर के काम करने हैं हरवा कमरे से जाने लगी ठीक उसी समय राजेश ने अपने मां को आवाज दी मां सुनीता अपने को पुकारते हुए सुनकर रुक गई और बोली क्या है बेटा कुछ काम था क्या राजेश ने हक लाते हुए कहा ना वह पेशाब आ रही सुनीता आया सुनकर उसके पास आती है और कहती है बेटा इसमें शर्माते क्या पहले बताना था चलो बाथरूम में राजेश बाथरूम में चला गया उसके साथ सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली गई राजेश वीर नल पाठ के सामने खड़ा हो गया सुनीता अब जानती थी कि उसे क्या करना है वाह राजेश के पीछे खड़ी हो गई और दोनों हाथों से उसके लोगों और अंडरवियर को नीचे किसका दी इस समय राजेश का दिल जोरों से धड़क रहा था इधर सुनीता का भी यही हाल था सर्व कुछ कम हो गया था सुनीता अपने दाएं हाथ राजू के लिंग की ओर ले गई और वह राजू के लिंग को अपने दाएं हाथ से अच्छे से पकड़ ली लिंग अभी भी लटका हुआ था सुनीता उसे अपने हाथों से पकड़ कर सीधा कर ली और और राजेश से बोली लो बेटा अब पेशाब करो सुनीता राजीव के लिंग को अच्छे से पकड़ी थी और सावधानी भी रख रही थे कहीं पेशाब लो वरना गिर जाए और वह लिंग को पीछे से देखने लगी राजू अपने लिंग पर दबाव डाला पेशाब की तेज धार यूरिनल पोट फॉर जाने लगा पेशाब के गिरने की आवाज आने लगी इधर सुनीता राजू के लिंग को ही देख रही थी और पेशाब कहीं इधर-उधर ना गिरने लगे अच्छे से पकड़े हुई थी इस समय सुनीता को बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था राजू राजेश की पेशाब की गन सुनीता के नाक तक पहुंची उसे अजीत सा महसूस होने लगा राजेश ने पेशाब करना बंद कर दिया राजेश ने मां से कहा हां हो गया तब सुनीता ने राजू के लिंग पर थोड़ा दबाव बनाया और लिंक को दबाकर थोड़ा आगे पीछे किया उसे ही माया ताकि पेशाब के बुंदे लिंग के अंदर हो हुआ अभी बाहर आ जाए उसके बाद युवकों अंडर वियर को ऊपर खींच दी और दोनों मां-बेटे बाथरूम से से बाहर आ गए इस बार दोनों को इतना ज्यादा शर्म महसूस नहीं हुआ सुनीता राजू से गोली ठीक है बेटा अब मैं चलती हूं और कुछ काम हो तो बताना राजेश ने कहा ठीक है मां
Superb update
 
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Sanju@

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दोस्तों कहानी को अब आगे बढ़ाते हैं हमने देखा किस प्रकार सुनीता और राजेश के बीच शर्म कुछ कम हो रहा था

शाम को 4:30 बजे स्वीटी कॉलेज से घर आती है और देखती है उसकी मां कीचन में काम कर रही है

वह अपने मम्मी से कहती है मम्मी भैया कहां है

सुनीता कहती है कॉलेज से आ गई बेटी

स्वीटी कहती है हां मम्मी

सुनिता कहती है कि तुम्हारे भैया अपने रूम में आराम कर रहाहैं

स्वीटी राजेश के रूम की तरफ चली जाती हैं

राजेश के कमरे में प्रवेश करती है वह देखते हैं कि राजेश सोया हुआ है

वह राजेश से कहती है भैया उठो आपकी तबीयत कैसी है

राजेश switi की आवाज सुनकर उठ जाता है
अरे स्वीटी कॉलेज से आ गई वह स्वीटी से कहता है

हां भैया मुझे आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था कॉलेज में मेरा मन नहीं लग रहा था तुम्हारी चिंता हो रही थी

राजेश कहता है अरे पगली मैं बिल्कुल ठीक हूं मेरी चिंता मत करो और तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ

स्वीटी कहती है भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है सॉरी भैया

राजेश कहता है नहीं पगली इसमें तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तुम्हें अपने भैया से सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं

भैया तुम मुझे कितना प्यार करते हो और भाई राजेश को गले लगा लेती हैं

स्वीटी राजेश से कहती है ठीक है भैया मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं कुछ काम रहेगा तो मुझे आवाज देना

राजेश के कैमरे से जाने को होती है तभी राजेश स्वीटी से से कहता है स्वीटी थोड़ा मम्मी को भेजना

स्वीटी कहती भैया मम्मी किचन में काम कर रही है कुछ काम है तो मुझे बता दो मैं कर दूंगी

नहीं स्वीटी तुम मम्मी को बुला दो
भैया कुछ काम हो तो मुझे बताओ ना मैं कर दूंगी नहीं

स्वीटी तुम मॉ को भेजो

ठीक है भैया मैं मम्मी को भेजती हूं और स्वीटी किचन क्यों चली जाती है

स्वीटी किचन में जाक वह अपनी मम्मी से कहती है

मम्मी भैया को आपसे कुछ काम है वह आपको बुला रहे हैं

सुनीता कहती है क्या काम है

स्वीटी कहती है मैंने भैया से कहा कि क्या काम है मैं कर देती हूं तो उसने मुझे कुछ बताया नहीं

सुनीता कहती है अभी शायद उसको पेशाब लगी हो उसके मुंह से अचानक ही निकल जाता है जिसे सुनकर स्वीटी चौक जाती है

सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

Switi सोचने लगती है क्या सच में भैया को पेशाब लगी होगी और वह मम्मी को बुला रही है मम्मी कैसी मदद करेगी भैया की यह सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है

उसे जाकर देखने की इच्छा होती है और वह भी राजेश की कमरे की ओर जाने लगती है

इधर सुनीता राजेश के कमरे में पहुंच चुकी होती है और राजेश से पूछती है बेटा कुछ काम है

राजेश पहले की अपेक्षा आसानी से बोल दिया कि मुझे पेशाब लग रही और बोल कर थोड़ा शर्मा गया

सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा चलो बाथरूम में

इधर स्वीटी राजेश के कमरे में पहुंचते हैं वह राजेश और अपनी मम्मी को बाथरूम में घुसते हुए देखती हैं

सुनीता स्वीटी को देख लेती है

Switi को देखते ही वह स्वीटी से कहती है अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गई

अरे मां मैं यहां देखने आई हूं भैया को ऐसा क्या काम है जो मुझसे नहीं कहा

सुनीता ने कहा राजेश को पेशाब लगा है उसकी मदद करनी होगी

तुम जाओ यहां से और सुनीता बाथरूम के अंदर चली जाती हैं और बाथरूम के दरवाजे बंद कर देती है
इधर राजेश urinal pot के सामने खड़ा हो चुका था

वह अपनी मम्मी से कहता हैं मम्मी क्या स्वीटी आई थी

सुनीता ने कहा हां बेटा वह चली गई है कि नहीं पता नहीं

बेटा मैंने उसको कमरे से जाने के लिए कहा उसको छोड़ो तुम पेशाब करो

राजेश के दिल का धड़कन बढ़ चुका था इधर सुनीता ने राजेश के लोअर और अंडरवियर को उनके जांग से नीचे किसका दिया सुनीता ने अपने दाएं हाथ आगे ले जा कर राजेश के लिंग को पकड़ लिया इस बार राजेश के शरीर में कपकपी आ गया

राजेश अपने लिंग पर थोड़ा दबाव डालें जिससे उसका पेशाब तेजी से बाहर आने लगा

इस समय सुनीता सोच रही थी स्वीटी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी उसे बहुत ही गिल्टी फील हो रहा था

इधर राजेश को उसकी मां का लिंग पकड़ना अच्छा महसूस हो रहा था

राजेश जब पेशाब कर लिया ततव वह सुनीता से कहा मम्मी हो गया

तब सुनीता ने राजेश के लिंग को थोड़ा दिलाया राजेश को यह बहुत ही अच्छा लगा

पेशाब करने के बाद दोनों कमरे से बाहर निकले

स्वीटी बाहर हाल में बैठी थी जब उसकी मां किचन की ओर आई

अपनी मां से पूछी मम्मी क्या भैया ने पेशाब कर लिया

सुनीता यह सुनकर शरमा गई चुप रे पगली

उसे अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा था

उसने स्वीटी से कहा बेटा देखो तुम्हारे भैया को पेशाब कर पाने में दिक्कत होती है इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है

तब स्वीटी ने कहा मैं समझ सकती हूं मम्मी और थैंक्स देती है अपने भैया की मदद करने के लिए

तब सुनीता कहती है मैं उसकी मम्मी मम्मी हूं मेरे लिए वह छोटा बच्चा ही है मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा

स्वीटी अपने मां को गले लगा लेती हैऔर कहती है आप सही कह रही है मम्मी और स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

सुनीता को अच्छा महसूस हो रहा था क्योंकि स्वीटी समझदार लड़की है वह मजबूरी को समझ सकती है

इधर स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद उस पल को
याद करने लगती है जब राजेश और उसकी मां बाथरूम मे राजेश को पेशाब कराने ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती हैं

और वह सोचती रहती हैं की मम्मी ने भैया का कैसे किस तरह मदद की होगी यह सोचकर ही उसके शरीर में अजीब सी हलचल होना शुरू हो जाती हैं
Behtrin update
 

Sanju@

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रात्रि 8:00 बजे शेखर ड्यूटी से अपने घर आता है वैसे तो बैंक का कार्य आम लोगों के लिए शाम के 5:00 बजे तक के लिए ही रहता है लेकिन कर्मचारियों को दिन भर का हिसाब किताब करना होता है हिसाब किताब करते-करते रात्रि के 7 से 8 बज जाते हैं इस तरह शेखर को घर आने में रोज रात्रि के 8:00 से 8:30 बजे का समय हो ही जाता है

घर आते ही वह अपने रूम में चला जाता है और वहां कपड़े चेंज कर फ्रेश होता है वह कीचन में जाता सुनीता किचन में काम कर रही होती है

सुनीता से पूछता है राजेश कहां है उसकी तबीयत कैसी है

सुनीता कहती है राजेश अपने रूम में आराम कर रहा होगा

शेखर राजेश के कमरे की ओर चला जाता है

वहां जाकर देखता है तो राजेश सोया हुआ रहता है

राजेश से कहता है कैसे हो बेटा तबीयत कैसी है

अपने पापा के बातों को सुनकर राजेश कहता है मैं ठीक हूं पापा आप ड्यूटी से कब आए

शेखर ने कहा जस्ट अभी आया हूं

फिर राजेश से पूछता है तुम्हारे बदन का दर्द ठीक हुआ राजेश कहता है पहले से ठीक हूं पापा पहले से दर्द कम है

शेखर कहता है अच्छी बात है तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे

तब राजेश कहता है जी पापा

फिर शेखर राजेश से कहता है ठीक है बेटा तुम आराम करो और वह राजेश के कमरे से चला जाता है

और हाल में जाकर बैठ जाता है और टीवी पर आज तक न्यूज़ देखने लगता है

इधर संगीता रात का भोजन तैयार कर चुकी होती है वह भोजन लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

राजेश के कमरे में जाकर वह राजेश हुए कहती है उठो बेटा भोजन करो

सुनीता राजेश को सहारा देकर बेड से उठाती है और वह राजेश को अपने हाथों से भोजन कराने लगती है

राजेश अपनी मां की सेवा को देखकर उसकी आंख भर आता है

सुनीता उनकी आंखों में आंसू देख कर राजेश से पूछती है क्या हुवा बेटा तुम्हारी आखो मे आंसू कैसी

मम्मी तुम कितना प्यार करती हो हमें तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मम्मी

सुनीता कहती है यह तो हर मां अपने बच्चों के लिए करती है बेटा

और आंखों से उसके बहते हुए आंसू को पूछने लगती है

सुनीता राजेश को अपने गले से लगा लेती

कुछ समय तक वह राजेश को अपने गले से लगाए रखती है फिर सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा अब खाना जल्दी से खत्म करो तुम्हारे पापा भी खाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे

राजेश कहता है ओके मम्मी

भोजन कर लेने के बाद सुनीता राजेश के कमरे से बाहर जाने लगती है जाते हुए हुआ राजेश से कहती है बेटा कुछ समय के बाद में दवाई लेकर फिर आऊंगी

तब तक तुम आराम करो

और वह राजेश के कमरे से चली जाती है

वहां से वह सीधे किचन में चली जाती है किचन से ही शेखर को आवाज लगाती है चलिए आप लोग भी खाना खा लीजिए

और बेटी को खाने के लिए बुला
लो
शेखर स्वीटी को आवाज लगाती है

स्वीटी पढ़ाई कर रही होती है अपने पापा की आवाज सुनकर वह खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठजाती है
सुनीता डाइनिंग टेबल पर खाना लगाती है तीनों भोजन कर लेते हैं

स्वीटी भोजन करके अपने रूम में चली जाती है शेखर हार में बैठकर टीवी देखने लगता है

सुनीता दवाई लेकर राजेश के कैमरे में चली जाती है और उसे दवाई खिलाकर वापस आ जाती है

इधर शेखर टीवी देख रहा हूं ता है कुछ समय टीवी देखने के बाद उसे नींद आने लगती है वह सोने के लिए अपने रूम में चला जाता है

सुनीता किचन का काम निपटाने के बाद अपने रूम में चली जाती है

शेखर अभी सोया नहीं रहता सुनीता को देखकर वह

सुनीता से कहता है तुम्हें राजेश की मदद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं हुई

सुनीता शर्माते हुए बोली नहीं जी हमारा बेटा बहुत समझदार है

राजेश ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी

सुनीता बोली मैं उनकी मां हूं तो यह मेरा फर्ज भी है कि मैं अपने बेटे का मदद करू

शेखर ने आगे कहा तुम सोने से पहले एक बार राजेश के पास जाकर उससे पूछ लेना उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं
नहीतो रात में उसे परेशानी होगी

सुनीता अपने पति से कहती है ठीक है जी

सुनीता सोने की तैयारी करने लगती है वह सोने के लिए नाइटी पहन लेती है

सोने से पहले वह घर हो अच्छे से चेक कर लेती है सब दरवाजा खिड़की से बंद है कि नहीं और

सीधे राजेश के कैमरे की ओर चल देती है राजेश के कमरे में जाने के बाद वह देखती है कि राजेश सो रहा है

वाह राजेश को जगाती है बेटा सो गया क्या

मां की आवाज को सुनकर राजेश उठजाता है

मम्मी नींद लग गई थी क्या बात है

मैं पूछने आई थी कि तुम्हें किसी चीज जरूरत तो नहीं है नहीं तो रात में तुम्हें परेशानी होगी

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहा मां तुमने अच्छा किया जो यहां आ गई

बोलो बेटा कुछ काम काम है क्या राजेश में सुनीता से थोड़ा शर्माते हुए संकोच करते हुए कहा मां मुझे रात में पेशाब करके सोने की आदत है परंतु पेशाब अभी नहीं लग रही

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा चलो तुम्हें पेशाब करा देती हूं नहीं तो रात में तुम परेशान हो जाओगे

पेशाब ज्यादा ना लगे होने पर भी राजेश पेशाब करने बाथरूम की ओर जाने लगता है सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है

राजेश पेशाब करने के लिए नयूरिनल पारट के सामने खड़ा हो जाता है
राजेश का दिल फिर से धड़कने लगता है क्योंकि वह
सोचने लगता है कि उसकी मां उसके लिंग को फिर से अपने हाथों में लेने वाली है

सुनीता राजेश के पीछे खड़े होकर अपना दाया हाथ राजेश के लिंग की ओर बढ़ा देती है उसका भी दिल धड़कने लगता है
आखिर वह एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और इस तरह किसी के लिंग को अपने हाथ से पकड़ लेना राजेश अब छोटा नहीं था इसलिए उसके हाथों में भी कपकपी आने लगता है

अपने कप कपाते हाथों से राजेश के लिंग को फिर से एक बार पकड़ लेती है

राजेश को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता है

राजेश पेशाब करने के लिए अपने लिंग पर जोर लगाता है पर पेशाब ज्यादा ना लगे होने के कारण पेशाब बाहर नहीं निकलता

सुनीता पूछती है क्या हुआ बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे
राजेश अपनी मम्मी से कहता है पेशाब ज्यादा नहीं लगे होने के कारण बाहर आने मैं थोड़ा समय लगेगा

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करें

कुछ समय के बाद फिर से वह राजेश से कहती है बेटा पेशाब आ रही है

राजेश अपने मां से कहती है मैं कोशिश कर रहा हूं अब शायद आने वाली है

सुनीता को ना जाने क्या सुझता है कि वह राजेश के लिंग पर अपने अंगूठे दबाव बढ़ा देता है और लिंग को आगे की ओर खींचने लगती है
अंगूठे का दबाव लिंग के मुख पर पढ़ते हैं राजेश को बहुत ही अच्छा लगने लगता वह दूसरी दुनिया में खो जाता है
कुछ देर सुनीता के ऐसे करने के बाद पेशाब की धार लिंग से बाहर निकलने लगता है

पेशाब रुक जाने के बाद सुनीता राजेश के लिंग को हिलाती है ताकि पेशाब की बूंद अगर लिंग में में रुका हो वह बाहर निकल जाए

इधर राजेश होश में आता है उसकी मम्मी उसके लोवर को ऊपर कर देती है

दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं

सुनीता राजेश को गुड नाईट बेटा करके उसके कमरे से चली जाती है अपने कमरे में आकर देखती है शेखर सो चुका था सुनीता भी बेड पर लेट जाती है

सुनीता बेड पर लेट कर आज दिनभर हुई घटना को याद करती है

मैं किस प्रकार अपने बेटे के लिए को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करायी

यह सोचकर ही उसे बहुत ही शर्म महसूस होने लगती है और मन में कहती है यह भगवान यह मुझे क्या दिन देखने पड़ रहे हैं

कुछ पल के बाद फिर वह राजेश के लिंग को याद करने लगती है
राजेश का अंडकोष कितना बड़ा है सोए हुए भी वह कितना बड़ा लगता है
फिर अगले ही पल वाह ग्लानि से भर जाती है

यह क्या सोचने लगी अपने ही बेटे बेटे के बारे में

हे भगवान मुझे क्षमा कर दो यह सब सोचते सोचते हैं उसे पता नहीं कब नींद लग जाती है
बहुत ही कामुक गरमागरम और उतेजनापूर्ण अपडेट है
 

Sanju@

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सुनीता रोज की तरह अगली सुबह सोकर उठती है फिर नहाने की तैयारी करनी लगती है

वह बाथरूम में जाकर व्रश करने लगती है

जब वह ब्रश कर रही होती है तब उसे राजेश का ख्याल आता है

वह अपने मन में कहती हैं राजेश को अगर किसी चीज की जरूरत होगी तो कहीं वह सोकर उठ न गया हो

अरे मुझे उसके कमरे में जाकर देखना चाहिए

वह ब्रश करने के बाद वह नाइटी पहने हुए राजेश के कमरे की ओर चल पड़ती है

राजेश के कमरे का दरवाजा लॉक नहीं था क्योंकि वह दरवाजा बंद नहीं कर सकता था अतः वह दरवाजा धकेल कर कमरे में प्रवेश कर गई

सुनीता ने राजेश को देखा कि वह लेटा हुआ परंतु उसकी आंख खुली हुई है वह राजेश से कहती है गुड मॉर्निंग बेटा कैसे हो

राजेश अपनी मां सुनीता से कहती हैं गुड मॉर्निंग मम्मी मैं ठीक हूं मम्मी

सुनीता कहती है बेटा मैं यहां देखने आई थी कि तुम्हे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है तुम्हें मेरी मदद की आवश्यकता तो नहीं है

राजेश कुछ बोलता नहीं है इस समय राजेश को जोरो से पेशाब के साथ-साथ टॉयलेट भी लग रहा होता है लेकिन एक बड़ी समस्या हो गई थी पेशाब के कारण उसका लिंग पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जैसा किअधिकांश लोगों के साथ सुबह-सुबह होता है इसलिए राजेश वह अपनी मां को बताने में हिचकी जा रहा था कि उसे जोरों की पेशाब और टॉयलेट लग रहा है

वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करें

तभी सुनीता को ये महसूस हो जाता है की राजेश को जरूर कोई समस्या है पर वह मुझे बता नहीं पा रहा है

वह राजेश को फिर से पूछती है बेटा बताओ क्या कुछ समस्या है तुम शरमाओ मत

मां के जोर देने पर राजेश शर्माते हुए धीरे से कहता है
मां वह पेशाब और टॉयलेट भी लगी है

सुनीता कहती हैं बेटा इसमें शर्माने की क्या बात है चलो उठो

इस समय राजेश का शरीर चादर से ढका हुआ था और उसका लिंग उसके लोवर मे सीधा खड़ा हुआ था

अभी सुनीता इससे अनजान थी

इधर राजेश सोच रहा था अब क्या होगा इस हालत में देखेगी तो क्या समझेगी

इधर सुनीता राजेश को उठाने के लिए चादर उसके शरीर से हटा देती है

जैसे ही चादर उठाती है तो उसकी नजर राजेश के लोअर पर जाती है वह देखती है कि लोवर का सामने वाला भाग एकदम उठा हुआ है

हुआ समझ जाती है कि उसके बेटा कॉ लिंग इस समय खड़ा हुआ है

यह सोचते ही उसके शरीर में कपकपी आने लगती है

उसे बहुत ही शर्मिंदा महसूस होने लगती है वह सोचने लगती है हे भगवान मैं कहां फस गई यह मेरी कैसे परीक्षा ले रहे हो

फिर भी वह सोचती है कि मुझे राजेश की मदद तो करनी होगी और वह हिम्मत जुटा कर कहती है चलो बेटा उठो और राजेश को बेड से उठाती है बेटा चलो बाथरूम में

इस समय राजेश बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी मां को अपने लोवर को घूरते हुए देख लिया था उसे बहुत ही खराब महसूस हो रहा था

राजेश बाथरूम की ओर जाने लगता है पीछे पीछे सुनीता चली जाती है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था अब क्या होगा

राजेश टॉयलेट सीट के पास जाकर खड़ा हो जाता है वह टॉयलेट सीट में बैठने के लिए घुम जाता है

सुनीता को मालूम था कि अब क्या करना होगा वह नीचे झुक कर राजेश लोवर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच कर उसके पैरों से पूरा अलग कर देती है

इस समय सुनीता अपनी नजरों को दूसरी ओर कर ली थी अब अंडरवियर निकालने की बारी थी

सुनीता का हाथ कापने लगा

वह अपने कांपते हुए हाथों से राजेश के अंदर वियर को पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे करने लगी

जैसे ही वह नीचे की राजेश का लिंग उछलकर उसके मुख के सामने आ गया सुनीता की नजरें ना चाहते हुए भी उसके लिंग की ओर चला गया

इस समय सुनीता का दिल की धड़कन बड़ गई थी उसकी सांसे तेज होने लगी थी

सुनीता विकास के विशाल लंड को देखकर उसके शरीर में सिहरन होने लगी

वह अपने आप को बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी कुछ छन राजेश के लंड* को देखने के बाद वह खड़ाीहो गई
इस समय राजेश भी बहुत ही शर्म महसूस कर रहा था

सुनीता राजेश से बोली लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो

मैं बाहर बैठी हूं जब टॉयलेट हो जाए तो मुझे बताना और बाहर चली गई

बाहर जाते हुए व बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा बंद कर दी ताकि राजेश बिना किसी झिझक के अच्छे से टॉयलेट कर सके और जाकर वह बेड पर बैठ गई और अभी जो घटना घटित हुई उसे सोच कर बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी

इधर राजेश टॉयलेट सीट पर बैठ जाता है उसका लंड सीधा खड़ा था

जब राजेश टॉयलेट करने के लिए अपनी गांड पर जोर लगाता है उसके लंड से मूत निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर पड़ने लगता है क्योंकि राजेश का लिंग खड़ा था जिससे उसकी मूत टॉयलेट सीट के अंदर ना जाकर उड़ता हुआ सीधे बाथरूम के दरवाजे पर गिरने लगा

पेशाब के दरवाजे पर गिरने की आवाज सुनकर सुनीता चौक जाती है और वह बाथरूम की ओर चली जाती है

यह देखने के लिए कि क्या हुआ वह दरवाजा खोल देती है जैसे ही दरवाजा खोलती है पेशाब सुनीता के ऊपर गिरने लगता है

राजेश या देख कर डर जाता है यह क्या हो गया वह पेशाब करना बंद कर देता है

सुनीता राजेश बेटा यह क्या किया मेरा पूरा कपड़ा खराब हो गया

मुझे माफ कर दो मा वह बहुत ही शर्मिंदा होने लगा

मैंने यह जानबूझकर नहीं किया मुझे माफ कर दो

सुनीता यह सोचने लगती है कि आखिर यह हुआ कैसे

तब वह राजेश के लंड* की ओर देखती है जो कि अभी भी खड़ा हुआ था

वह समझ जाती है माजरा क्या है

बेटा गलती मेरी है पहले तुम्हें पेशाब करा देना चाहिए था

हां मम्मी तुम सही कह रही

सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा तुम पहले पेशाब कर लो

राजेश टॉयलेट सीट से खड़ा हो जाता है इस समय उसका लंड खड़ा हुआ था

वह यूरिनल पाट के सामने जाकर खड़ा हो जाता है

इस समय उसका लंड ऊपर की ओर था

सुनीता समझ चुकी थी उसे क्या करना है

वह राजेश के लिंग को पीछे से अपने दाएं हाथ से पकड़ लेती है और सीधा कर देती है ताकि पेशाब यूरिनल पाठ में चली जाए

सुनीता लिंग को पकड़कर शर्म महसूस कर रही थी फिर सोचने लगी कि राजेश का लैंड कितना मोटा और लंबा है

उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी इधर राजेश को अपनी मां द्वारा लंड को पकड़ना बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था उसका भी शरीर कप कपा रहा था

पेशाब कर लेने के बाद सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो मैं बाहर बैठी हूं

राजेश टॉयलेट सीट में बैठकर टॉयलेट करने लगता है
गजब का अपडेट है
 

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सुनीता राजेश की मदद करके वह अपने रूम में वापस आ जाती है

वह अपनी बाथरूम में जाकर नहाने के लिए के लिएपूरी तरह नंगी हो जाती है।

जब वह सावर में नहा रही होती है उसकी आंखें बंद हो जाती है और बेटे के रूम मे हुई घटनाओं को याद करने लगती है ।

वह अपने मन में अपने बेटे के लिंग को याद करके कहती है राजेश का लिंग कितना लंबा और मोटा है उसका लिंग अब नून्नू नहीरहा वह अब लंड बन चुका है।

वह अपने पति से राजेश की लंड की तुलना करने लगती और मन में कहती है राजेश के लंड शेखर के लंड से दोगुना हो गया और काफी मोटा भी है।

यह सोचते सोचते वह गर्म होने लगती है

उसका एक हाथ उसकी चुत पर चली जाती है दुसरे हाथ से अपने स्तन को मसलने लगती हैं ।

वह हाथ से अपने चूत को सहलाने लगती है ।
अपने बेटे के लंड को याद करते हुए वह गर्म होने लगती है ।
वह अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगती है ।

अपने एक हाथ से अपने चूची के जोर जोर से मसलने लगती है ।

उसकी सांसे भारी हो चुकी होती है ।

वह अपनी चूत पर रगड़ बढा देती है। चूत को रगढते समय उसकी उंगली अचानक से उसके चूत की भग्नासा से टकरा है जाती है।

उंगली उसके भग्नासा से टकराने के कारण उसे चरम आनंद की अनुभूति होती है।

उसकी सांसे तेज होने लगती है वह जोर जोर से सांस लेने लगती है ।

सुनिता अपनी उंगली से अपनी चूत की भग्नासा को रगड़ने लगती है ।

उसकी सांसे धौकनी की तरह चलने लगती है।

उसकी चूचियां फूलने और पिचकने लगती है ।

अब उसेक् बर्दाश्त से बाहर होने लगता है ।
वह लंबी लंबी सासे लेने लगी। उसके शरीर कांपने लगी।

वह ह चरम सुख की अनुभुति मेअपने पैरों को आपस में रगड़ने लगी ।

अपने होठों को दांतो से चबाने लगी धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ रही थी ।ऐसा चरम सुख का अहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ था।

वह अपने चुत की भग्नासा को तेजी से रगडे जा रही थी

उसकी उंगलियां चूत के रस से पूरी तरह भीग चुकी थी।

सुनीता के चुत से रस निकलकर उसकी जांघों में बहने लगी ।
वह ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी उसके पैर आनंद की अनुभूति के कारण थरथरा रहे थे।

वह काम विहिल होकर अपने हाथों की उंगलियों को को अपनी चूत के अंदर डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगी

उंगलियों की रफ्तार उसके चूत के अंदर समय के साथ बढ़ने लगी और कुछ ही पल के बाद उसके मुख से आह आह मम्मी की आवाज निकलने के साथ ही वह खड़े-खड़े झड़ने लगती है।

झड़ने के कुछ समय बाद उसे होश आता हैऔर अपने आप में बहुत ही शर्मिंदा महसूस करने लगती है।

वह सोचने लगती है कि यह मैंने क्या कर डाली अपने
बेटे के लंड को याद करते हुए मैं झड़ गई ।

यह मैं क्या कर बैठी वह आत्मग्लानि महसूस करने लगती है ।

वह भगवान से क्षमा मांगने लगती है हेभगवान मुझसे बहुत बड़ीपापहो गई ।मुझे क्षमा कर दो

उसे नॉर्मल होने में कुछ समय लगता है।
नहाने के बाद वह पूजा करके अपने रोज के काम में लग जाती है।
Nice update
 

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सुनीता एक संस्कारी महिला थी वह अपने पति के अलावा और किसी के बारे में आज तक नहीं सोची थी और ना ही अपने पति के अलावा और किसी मर्द के लंड को देखी थी

वह किचन में काम करते हुए आज की हुई घटना को याद करते हुए अपने मन में कह रही थी यह मैं कैसे कर सकती हूं मैं अपनी उंगली अपने छत पर डालकर मैं झड़ गई और वह भी अपने बेटे के लंड को याद करते हुए

यह पाप मैं कैसे कर सकती हूं

वह अपने आप में बहुत ही आत्मग्लानि महसूस कर रही थी

इधर शेखर और स्वीटी भी सो कर उठ चुके थे हर रोज की तरह अपने अपने काम में लगे हुए थे

इधर सुनीता जब नाश्ता तैयार कर लेती है तब वह नाश्ता लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती हैं

वह राजेश के कमरे में जाने के बाद कुछ असहज महसूस कर रही थी

कमरे मे जाकर राजेश से बोली चलो बेटा नाश्ता कर लो

राजेश अपने बेड से उठ जाता है

सुनीता राजेश को नाश्ता कराने लगती हैं सुनीता इस समय खामोश थी जिसका एहसास राजेश को हो जाता है
राजेश अपनी मां की चुप्पी को देखकर

राजेश अपनी मां सुनीता से कहता है ।मां तू मुझसे नाराज तो नहीं। मुझे माफ कर दो मां।

सुनीता ने कहा नहीं बेटे मैं तुमसे क्यों नाराज रहूंगी।

राजेश कहता है मम्मी आज जो घटना हुआ उसके कारण मुझसे नाराज तो नहीं हो मैंने तुम पर सुसु कर दिया ना

मैंने जानबूझकर नहीं की मम्मी मुझे माफ कर दो

तक सुनीता राजेश की बातों को सुनकर शरमा जाती है और अपने बेटे से कहती है नहीं बेटा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है मैं तुमसे नाराज नहीं हूं और वह राजेश को अपने सीने से लगा लेती है

मां तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मॉम

सुनीता अपने बेटे के बालों को सहलाने लगती है ।
कुछ समय के बाद वह राजेश से कहती है चलो बेटा जल्दी नाश्ता कर लो ।

सुनीता राजेश को नाश्ता करा लेती है और राजेश को आराम करने के लिए कहते हुए राजेश के कमरे से बाहर चली जाती हैं

वह किचन में जाने के बाद शेखर और स्वीटी को भी नाश्ते के लिए बुला लेतीहैं ।

तीनों नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं और नाश्ता करने लगते हैं

नाश्ता करते हुए शेखर सुनीता से कहता है। अब राजेश की तबीयत कैसी है ।

सुनीता शेखर से कहती है पहले से बेहतर होता जा रहा है वह जल्दी ठीक हो जाएगा।

शेखर कहता है अच्छी बात है ।तुम अच्छे से देखभाल कर रही हो। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी ।

सुनीता कहती है यह कैसी बातें कर रहे हो जी यह तो मेरा फर्ज है ।

Switi इन दोनों की बातों को सुन रही थी। हां पापा मम्मी भैया की बहुत अच्छी तरह से देखभाल कर रही है देखना भैया बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे

तीनों नाश्ता कर लेने के बाद स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

शेखर अपने कमरे में जाकर ड्यूटी में जाने के लिए तैयारी करने लगता है।
सुनीता अपने किचन का काम संभालने लगती है ।

शेखर ड्यूटी के लिए तैयार हो जाता है ।वह राजेश के कमरे में जाकर उसकी सेहत की जानकारी लेता है ।फिर वह ड्यूटी के लिए सुनीता से बोलकर घर से निकल जाता है।

आधे घंटे के बाद स्वीटी भी कॉलेज जाने को तैयार हो जाती है ।

बैग लेकर स्वीटी अपने कमरे से से बाहर निकलती है ।

वह सीधे किचन में चली जाती है उसे कुछ पैसों की जरूरत थी वह अपनी मम्मी को आवाज देती है पर किचन पर कोई नहीं रहता तब वह अपनी मां को उसके कमरे में ढूंढने चली जाती है वह वहां भी भी नहीं होती तभी

वह मन में सोचती है ।यह मां कहां चली गई और वह सोफे पर बैठ जाती है मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रही है यह मां कहां चली गई मुझे कुछ पैसों की भी जरूरत है तब वह सोचती है कहीं मां भैया के रूम में तो नहीं गई है मुझे वहां जाकर देखनी चाहिए और वह अपने भैया के कमरे की ओर चली जाती है।

रूम का दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था वह थोड़े से धक्के देते ही खुल जाती है।

स्वीटी कमरे में देखने लगती है उसके भैया अपने बेड पर नहीं थे ।

वह सोचती है यह भैया भी बैड पर नहीं है ।भैया भी कहां चले गए ।मम्मी भी नहीं है ।
तभी वहा देखती है कि बाथरूम का दरवाजा खुला है ।

वह सोचती है कहीं भैया बाथरूम के अंदर तो नहीं। कुछ क्षण वहीं खड़ी रहती है फिर पता नहीं वह क्या सोचती है

और कमरे के अंदर चली जाती है और बाथरूम के दरवाजे से दूर,,वह दरवाजे के सामने खड़ा होकर बाथरूम की ओर देखने लगती है।

देखते ही switi की होस उड़ जाती है उसकी सांस तेज तेज चलने लगती है उसका दिल धड़कने लगता है उसकी नसों में रक्त तेज गति से प्रवाहित होने लगती है ।

वह देखती है कि उसका भैया यूरिनल पोट के सामने खड़ा है और उसका लोवर उसके घुटने के नीचे गिरा हुआ ।उसकी मां पीछे खड़ी होकर एक हाथ से राजेश के लंड को पकड़ हुई है ।

उसकी मां की नजर राजेश के लंड पर ही थी।
राजेश अपने लंड से पेशाब को निकलते हुए देख रहा था ।
अनीता और राजेश दोनों अपने कार्य करते हुए कहीं खो चुके थे उन दोनों का ध्यान ही नहीं था कि उसे दरवाजे के बाहर से कोई देख भी रहा है ।

इधर स्वीटी लंबी लंबी सांस लेने लगी ।उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी उसका एक हाथ उसके बूर में चली गई
अपने एक हाथ से अपने बूर को सहलाने लगी ।

उसके उसके चुत से रस रिसना शुरू हो गई ।वह एकटक अपनी मां और भैया की हरकतों को देखे जा रही थी।

वह बहुत गर्म हो चुकी थी। वह तेजी से अपनी चूतको रगड़ने लगी ।अब उसे बर्दाश्त से बाहर लगने लगी और वह झड़ने लगी।

झड़ते समय उसके मुंह से आवाज निकल गई आह ह मम्मी
Switi के मुख से निकली आवाज राजेश और सुनीता के कानों तक पहुंची l

वे दरवाजे की ओर देखने लगे सामने सिटी खड़ी थी और उन दोनों को ही देख रही थी

सिटी की नजर भी उसकी मम्मी की ओर गई और उसने उसकी मां को अपनी ओर देखते हुए देख लिया वह घबरा गईl
वह तेज कदमों से कमरे से बाहर जाने लगी और अपने रूम में जाकर हांप रही थी ।

इधर सुनीता और राजेश स्वीटी को उन्हें इस अवस्था में देखे जाने पर वह भी घबरा गए।

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहां मां स्वीटी ने हमें ऐसी अवस्था में देख लिया है कहीं वह गलत ना समझने लगे ।

इस समय सुनीता भी बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी राजेश पेशाब कर चुका था और वे दोनों बाथरूम से बाहर आए ।
राजेश ने कहा मां स्वीटी हमारे बारे में क्या सोच रही होगी ।
तब सुनीता ने कहा बेटा तुम घबराओ नहीं मैं संभाल लूंगी स्वीटी समझदार लड़की है वह समझ जाएगी

सुनीता राजेश के कमरे से बाहर निकलकर किचन की ओर चली गई और किचन का काम संभालने लगी।

इधर स्वीटी को समझ नहीं आ रहा था अब वह अपने मां के सामने कैसे जाएगी । यह मैंने क्या देख लिया।

इधर किचन में जाने के बाद सुनीता भी सोचने नहींलगी मैंने राजेश को तो कह दी कि मैं सब संभाल लूंगी पर उसे भी बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह सोच हां वह सोच रही थी कि वह स्वीटी की सामना कैसे करेगी।

उनके मन में क्या चल रहा होगा वह क्या सोच रही होगी ।

इधर स्वीटी को कॉलेज जाने मैं देरी हो रही थी वह घड़ी की ओर देखती है ।
वह कहती है मैं कॉलेज के लिए लेट हो हो गई मुझे निकलना होगा और वह अपना बैग लेकर अपने रूम से बाहर निकल जाती है और हाल में आ जाती है।

इधर सुनीता स्वीटी की राह देख रही थी। वह किचन के दरवाजे के पास ही खड़ी थी ।

स्वीटी अपनी मां की ओर देखती है पर उसे कुछ नहीं कहती और वह जाने लगती हैं ।

तब सविता स्वीटी से कहती है बेटी थोड़ा रुको तो

मां की आवाज सुनकर उसके कदम रुक जाती है और

स्वीटी सिर नीचा करके खड़ी हो जाती है ।
सुनीता उसके पास जाती है बेटी मुझे तुमसे कुछ कहना है।
Switi असहज होते हुए कहती है। क्या बात है मम्मी

मैं कह रही थी कि तुम मेरे और राजेश के बारे में कुछ कुछ गलत तो नहीं समझ रही हो ।

स्वीटी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले वह चुप थी।

सुनीता ने स्वीटी से कहा देखो बेटा तुम्हारे भैया के दोनों हाथों पर पट्टी बंधे होने के कारण वह पेशाब करने में उसे दिक्कत होती है ।इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है।
यह सब मजबूरी में करना पड़ता है इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है ।मैं उसकी मां हूं अगर मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा तुम समझ रही हो ना कि मैं क्या कर रही हूं ।

तब स्वीटी नजर नीच करे हीअपनी मां सुनीता से कहती है।मां तुम गलत नहीं हो ।
भैया की मदद करने के लिए धन्यवाद मम्मी ।

और वह अपने मां के गले से लग जाती हैं ।
सुनीता स्वीटी को अपने गले से लगा ली । बेटी तु कितनी समझदार हैं ।और वह उसकी बालो को सहलाने लगी।

अब दोनों हल्का महसूस कर रहे थे ।इसके पहले दोनों बहुत असहज थे ।
फिर स्वीटी कहती है अच्छा मम्मी अब मैं कॉलेज के लिए चलती हूं ।लेट हो गई हूं ।

सुनिता -ठीक है बेटा
और switi कॉलेज के लिए चली जाती हैं ।
Lajwab update hai
 

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स्वीटी जब कॉलेज पहुंचती है, आज हुए घटनाओं को ही याद करके उसी में खोई रहती है ।
उसका आज पढ़ाई लड़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था।
उसकी आंखों के सामने वह दृश्य ही नजर आ रहा था, जिसमें उसकी मां उसके भाई का लंड पकड़ रखी थी और उसे पेशाब कर आ रही थी।

इस दृश्य को देखकर वह कैसे उत्तेजित हो गई थी और उसके चूत से पानी छूटने लगा था और किस प्रकार वह अपनी उंगलियों से अपने चूत को रगड़ने लगी और वही झड़ गईथी।

इन सब बातों को याद करते हुए उसका मन बेचैन हो रहा था।

उन पलों को याद करते करते उसका च अभी भी रिस रही थी।

इधर सुनीता अपने किचन में काम कर रही थी तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया ।

सुनीता ने इस वक्त कौन होगा यह सोचते हुए दरवाजा खोलने चली जाती है ।

दरवाजा के खुलते ही सामने एक लड़का नजर आया। उस लड़के ने सुनीता से कहा हेलो आंटी।

सुनीता ने कहा मैंने तुम्हें पहचाना नहीं

तब उस युवक ने कहा मेरा नाम भगत है और मैं राजेश का दोस्त हूं हम एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं मुझे राजेश के बारे में पता चला तो उससे मिलने आया हूं ।

अब मैं आप लोगों को भगत के बारे में बता देता हूं भगत शहर से 100 किलोमीटर दूर राजपुर गांव का रहने वाला था। उसके दादाजी गांव के सरपंच थे। उसके पिताजी गांव में ही खेत का काम देखता था। 100 एकड़ जमीन था उनके पास, भगत की मां गांव के ही सरकारी स्कूल में एक शिक्षिका थी।भगत शहर में ही मकान किराए पर लेकर वहीं रहकर पढ़ाई कर रहा था।

अब राजेश और भगत की दोस्ती कैसे हुआ इसके बारे में बतलाता हूं ।असल में भगत आगे चलकर नेता बनना चाहता था अतः वह कॉलेज में जब छात्र संघ का चुनाव हुआ तब वह चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़ा हो गया ।कॉलेज के अन्य छात्र भी चुनाव में खड़े थे ।राजेश पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद एवं कॉलेज के अन्य गतिविधियों में भी हमेशा आगे रहता था ।इसलिए कालेज के अन्य छात्र छात्राएं और शिक्षक राजेश को कॉलेज का अध्यक्ष बनाना चाहते थे और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने के लिए कह रहे थे, लेकिन जब राजेश ने यह बात अपनी मां सुनीता को बताया तो सुनीता ने राजेश से कहा, बेटा तुम सिर्फ पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो यह राजनीति ठीक नहीं है। तुम उससे दूर रहो, इससे तुम्हारा पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होगा और वह छात्र संघ के चुनाव से खुद को अलग कर लिया ।कई छात्र-छात्राएं छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर खड़े थे।
क्योंकि राजेश कॉलेज में लोकप्रिय था अतः जिस उम्मीदवार को राजेश का समर्थन प्राप्त होता उनका जीतना तय तथा भगत भी राजेश से समर्थन मांगने उससे संपर्क किया ।वह जानता था कि अगर राजेश का समर्थन मिल गया तो मैं यह चुनाव जीत जाऊंगा।

भगत में कुछ बुराइयां जरूर थी लेकिन राजेश ने पाया कि वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है अतः उसने भगत का समर्थन किया।

राजेश के समर्थन करने से भगत कालेज के छात्र छात्र संघ का अध्यक्ष बन गया।
भगत अपना अध्यक्ष बनने का श्रेय राजेश को दीया और उन दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई ।भगत राजेश से सलाह लेकर ही कोई कार्य करता था।

लेकिन भगत की एक कमजोरी थी गदराई औरत

किसी गदर आई औरत को देखते ही भगत का लंड खड़ा हो जाता था इसका कारण भी था ।

वह किसी गदर आई औरत का मजा लूट रहा था। वह गदराई औरत को चोदने का सुख भोग रहाथा ।वैसे तो वह गांव की कई लड़कियों को भी चोद चुका था । लेकिन गदराई औरत को चोदने में उसे जितना मजा आता था उतना मजा कुंवारी लड़कियों को चोदने में नहीं आता था।

वह जब किसी गदराई औरत को देखता था तो उसका लंड ठुनकी की मारने लगता था।

जब सुनीता ने यह बात सुनी किभगत राजेश का दोस्त है ।वह उसे अंदर आने को कहती है सुनीता इस समय साड़ी पहनी हुई थी।

सुनीता खूबसूरत थी और गदराए बदन की महिला थी सुनीता जैसे ही पीछे मुड़ी भगत की नजर उसके पिछवाड़े पर चला गया ।
सुनीता भगत को सोफे पर बैठने के लिए कहा।

भगत को हाल में बिठाकर सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली गई।
राजेश के कमरे में जाकर राजेश को इस बात की जानकारी दी कि भगत नाम का कोई दोस्त उससे मिलने आया है ।

तब राजेश ने कहा ,मॉ उस मेरे पास मेरे कमरे में भेजो।

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा और सुनीता हाल में जाकर भगत से कहा राजेश अपने रूम में तुम्हें बुला रहा है ।

भगत राजेश के रूम में चला गया ।
कमरे में जाते ही राजेश ने भगत को देखते ही कहा अरे यार तुम गांव से कब आए

तब भगत ने कहा आज ही आया और तुम्हारे बारे में जानकारी मिला तो तो सीधे कॉलेज न् जाकर तुमसे मिलने चला आया ।तबीयत कैसी है? तुम्हारी।

राजेश ने कहा ठीक हूं यार डॉक्टर ने कहा है ।मैं बहुत जल्द ठीक हो जाऊंगा।
भगत ने राजेश से कहा यार जिन लड़काे ने तुम्हारी ये
हालत की है। सालों को ऐसा सबक सिखाऊंगा। साले जिंदगी भर चलने फिरने लायक नहीं रहेंगे।

मैं लड़कों को उन्हें पता करने के लिए कहा है कि वे साले कहां रहते हैं जैसे ही हो दिखाई पड़े मुझे कॉल करके बताने के लिए कहा है

और इस तरह दोनों दोस्त आपस में बातचीत करने लगे ईधर सुनीता राजेश के कमरे में पानी लेकर आई ।

सुनीता जैसे ही भगत को पानी देने के लिए नीचे झुकी भगत की नजर सुनीता के चूची पर चली गई जोकि ब्लाउज से बाहर निकलने को आतुर दिखाई पड़ रही थी ।

उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड की नसों में खून बढ़ने लगा और पानी देकर जब सुनीता कमरे से बाहर अपनी गांड मटकाते हुए जा रही थी तब सुनीता के गांड को देखकर भगत का लैंड खड़ा हो गया और वो अपने मन में कहा क्या मस्त माल हां यार।

राजेश ने जब भगत की नजरों को अपनी मां की गांड को घूरते हुए देखा तो राजेश ने भगत से कहा अबे कहां खो गया ।तू साले सुधरेगा नहीं अब मेरी मां पर भी बुरी नजर रख रहा है ।
भगत ने राजेश से कहा सॉरी यार आदत से मजबूर हूं पर मैं एक बात तुमसे कहना चाहूंगा तुम बुरा मत मानना तुम्हारी मां बहुत ही खूबसूरत और हॉट हैं तुम लकी हो यार इतनी खूबसूरत ना है तुम्हारे पास ।

मैं सच कह रहा हूं ।

राजेश ने कहा अब बस कर साले नहीं तो दो झापड़ पड़ेगा ।
तब भगत ने कहा सॉरी यार

यार अभी तू नहीं समझेगा क्योंकि अभी तुमने चुदाई किसी का किया ही नहीं है।
जिस दिन तुम किसी गदराई औरत की चुदाई* करेगा ना तब पता चलेगा।
चुदाई से बड़ा सुख इस दुनिया मैं कोई है ही नहीं तब तुम मुझे समझ पाओगे।

इधर सुनीता चाय नाश्ता लेकर राजेश के कमरे के पास ही पहुंची ही थी तभी राजेश और भगत के बीच होने वाली वार्तालाप उसके कानों पर पड़ी तो उसके पैर दरवाजे के पास ही जम गए और दोनों के बीच होने वाली वार्तालाप को सुनने लगी।

पंकज राजेश से कहता यार गद राई औरत को कुतिया बनाकर उसके चुत में लंड* डालकर अंदर बाहर करने में इतना मजा आता है कि मैं बता नहीं सकता।

अपना लंड में बैठा कर, उसकी कमर को पकड़ कर अपने लंड में पटक पटक कर चोदने और चूची मसलने मे जो आनंद आता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता ।
राजेश बोला अब् बंद कर अपना चुदाई वर्णन कहीं मां आ गई तो , क्या समझेगी ?

इधर सुनीता दोनों की की बातों को सुन रही थी।

भगत आवे कहता है यार मुझे तो कभी-कभी तुम पर शक होता है तुम्हारा हथियार खड़ा होता भी है कि नहीं कई बार तुम्हें अपने साथ च**** करने के लिए साथ चलने के लिए कहा केवल एक ही रट लगाए रहते हो जो भी करूंगा अपनी बीवी के साथ ही करूंगा आज तक कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बनाया है ।

तब राजेश कहता है यार मां ने मुझे लड़कियों से दूर रहने और सिर्फ पढ़ाई लिखाई पर ध्यान देने के लिए कहा है ।

मा कहती है कि दूसरे लड़कियों पर बुरी नजर डालना पाप है । मेैने किसी औरत के बारे में ऐसा सोचता ही नहीं।

भगत कहता है यार यह तू किस पाप और पुण्य के चक्कर में फंसा है ।आजकल के कई लड़के तो अपने मां बहन को चोदते हैं।

राजेश कहता है अबे यह क्या तू अनाप-शनाप बके जा रहा है।
पंकज ने फिर कहा अरे मैं झूठ नहीं कह रहा मै तो2- 3 लड़कों को जानता हूं जो अपनी मां को चोदते हैं और उनका कहना है कि मां चोदने में जो मजा आता है ऐसा मजा और किसी को चोदने नहीं।

राजेश ने कहा अब बस कर साले ।

भगत- मेरी बात को मान ले यार तू शादी करने से पहले टेस्ट कर ले और चुदाई के बारे में कुछ सीख ले, अगर कुछ गड़बड़ हो तो पता चल जाएगा नहीं तो शादी करने के बाद तुम्हें पछताना भी पड़ जाएगा।

राजेश कहता है ऐसा क्यों होगा।
पंकज कहता हैं ,अगर शादी करने के बाद कहीं तुमने अपने बीवी को ठीक से चोद नहीं पाया तो वह किसी दूसरे को ढूंढ लेगी चुदवाने।तब ये तुम्हारी सारी डिग्रियां बेकार हो जाएगी ।किसी काम की नहीं रहेगी तुम्हारा इज्जत मान सम्मान सब चला जाएगा।

मैंने गांव में ऐसे दो तीन औरतों को भी चोदाहै। वह कहती हैं कि उसके पति से चुदवाने****** में जरा भी मजा नहीं आता। उसके पति उसको़ ठीक से चोद नहीं पाता है।

पंकज राजेश से पूछता है तू यह बता क्या तुम्हारा ल** कभी खड़ा होता है।

राजेश ने कहा हां सुबह खड़ा रहता है।

पंकज ने कहा यार सुबह तो सभी का खड़ा रहता है सुबह लंड* में मूत भर जाने के कारण लंड खड़ा हो जाता है।
तू यह बता क्या कभी किसी औरत के चूची को देखकर तुम्हारा लंड खड़ा होता है ।क्या किसी औरत के चूची को देखने का मन करता है।

राजेश कहता है यार मैंने कभी इस और ध्यान ही नहीं दिया और ना मुझे कोई इंटरेस्ट है ।अब बस कर मां आती होगी अपना चुदाई* ज्ञान अपने पास ही रखो।

इधर सुनीता इन दोनों के वार्तालाप को सुन रही थी

भगत की इन बातों की बातों को सुनकर उसकी सांसे तेज हो जाती थी पर राजेश के बाद को सुनकर ठंडी पड़ने लगती थी ।

सुनिता चाय नाश्ता लेकर कमरे में प्रवेश कर गई चाय नाश्ता देने के बाद वह कमरे से चले गई। किचन में जाकर राजेशऔर भगत के बीच हुई वार्तालाप के बारे में सोचने लगी।

इधर भगत भी चाय नाश्ता करने के बाद कुछ समय तक और राजेश के पास रुका फिर वह राजेश से जाने की इजाजत मांग कर और फिर आने के बात कह कर वह भी चला गया।
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सुनीता किचन में काम करते हुए यह सोच रही थी कि मेरा बेटा कितना सुशील है, संस्कारी है और उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस होने लगा।

उसका बेटा किसी औरत को बुरी नजर से नहीं देखता है। अपनी मर्यादा में रहता है यह जानकर उसे बहुत ही अच्छा लगा ।

पर कुछ ही समय के बाद वह सोचने लगी ।भगत ने जो बात कही, वह बात अगर हुआ सच हो गया तो ।नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।

फिर भी उसके मन में एक डर बन गया ।उसे भगत द्वारा कही जाने वाली बातें याद आने लगी, किस तरह गांव की औरतें भगत से चदवातीहै और यह कहती है कि उसे अपने पति से चुदवाने**** में मजा नहीं आता। उसका पति उसे ठीक से से चोद नहीं पाता।


वह सोचने लगी कहीं मेरा बेटा भी अपनी पत्नी को ठीक से चोद नहीं पाया तो।

फिर याद करती है कि अभी तक वह राजेश के लिंग को अपने हाथों में कई बार ले चुका है फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं हुआ उसका मन घबराने लगता है। कहीं सच में राजेश को कोई प्रॉब्लम ना हो।

फिर सोचने लगती है नहीं ऐसा नहीं हो सकता राजेश एक नेक सुशील और मर्यादित लड़का है।

पर कुछ ही क्षण के पश्चात फिर सोचने लगती है, आजकल के मोबाइल के जमाने में सभी लड़के बिगड़ चुके होते हैं कई लड़के गंदे गंदे वीडियो भी देखते हैं।

भगत तो कह रहा था कि आजकल के कुछ लड़के इतने गंदे होते हैं कि वह अपनी मां बहन कॉ चोदते हैं। छी छी क्या जमाना आ गया है पता नहीं कलयुग में और क्या-क्या होने वाला है।

परवह अपने मन को यह मनाने में सफल रही कि मेरा बेटा ऐसा नहीं है वह सुशील और संस्कारी है। वह अपने घर के कामों में ध्यान देने लगी ।

सुनीता को याद आती है कि अरे नाश्ता का प्लेट राजेश रूम से लाना है। और वह नाश्ता प्लेट लाने के लिए राजेश् के कमरे की ओर चली जाती है ।

इधर राजेश सोचता रहता है कहीं भगत के द्वारा कही गई बातों को मेरी मां सुनीता ने तो नहीं सुन ली और यदि मा ने बातें सुन ली हो तो क्या समझ रही होगी ।वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था।

तभी सुनीता राजेश के कमरे में आई, वह राजेश के पास उसके बेड पर बैठ गई और राजेश से बोली, बेटा यह तुम्हारा दोस्त भगत मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। कैसे मुझे घूर घूर कर देख रहा था ।मुझे उसकी नजरें ठीक नहीं लगी ।

बेटा तुम उससे दूर ही रहा करो नहीं तो वह तुमको भी बिगाड़ देगा ।

तब राजेश मन में सोचने लगता है कि माने सब बातें सुन ली है ।वह अपने आप में शर्म महसूस करने लगा। वह सुनीता से बोला, मां भगत दिल का अच्छा है और लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता है ।हां लड़कियों के मामले में थोड़ा दिला जरूर है, पर दिल से काफी अच्छा है ।

सुनीता बोली ,फिर भी बेटा उससे ज्यादा मेलजोल रखना ठीक नहीं। वह तो बिगड़ा हुआ है ही कहीं तुम्हें भी ना बिगाड़ दे ।

राजेश बोला ,मां ऐसा नहीं होगा मैं तुम्हारी दी गई संस्कारों को नहीं भूलूंगा ,ऐसा कोई अमर्यादित काम नहीं करूंगा ,जिससे तुम को शर्मिंदा होना पड़े।

यह सुनकर सुनीता ने राजेश को अपने गले से लगा लिया ।थैंक्यू बेटा मुझे तुम पर गर्व है और सुनीता नाश्ते का प्लेट लेकर की राजेश के रूम से बाहर आ आ गई।

इधर भगत राजेश के घर से आने के बाद वह कॉलेज नहीं गया। वह सीधे घर चला आया जहॉ वह किराए पर रहता था ।

भगत जिस मकान पर किराया पर रहता था ।वह दो मंजिला मकान था । मकान के ऊपर वाले हिस्से में भगत किराए पर रहता था। ऊपर वाले भाग में एक बैडरूम था ।एक बैठक रूम था और एक किचन था। बेडरूम से बाथरूम अटैच था

मकान के नीचे वाले भाग में मकान मालिक के परिवार रहते थे ।नीचे वाले भाग में दो रूम एक हाल और एक किचन बना हुआ था ।

मकान मालिक के परिवार में 5 सदस्य थे । आइए उनका परिचय करा देता हूं।

कांता प्रसाद --यह पेसे से हलवाई था। बाजार में ही उसका छोटा सा दुकान था। जहां दोनों कर भी काम करते थे ,कांता प्रसाद का उम्र 54 वर्ष था। वह सुबह 10:00 बजे ही दुकान के लिए निकल जाता था और रात में 9:00 बजे के बाद ही घर आता था।
दोपहर 1:00 बजे नौकर खाना ले जाने के लिए कामता प्रसाद के घर आता था।

परिवार की दूसरी सदस्य
कौशल्या देवी - 48 वर्ष की एक गदराई औरत थी। रंग गेहुआ बड़ी-बड़ी चूचियां और उभरी हुई गांड इसकी सुंदरता बढ़ा रही थी। यह सारा दिन घर में ही रहती थी। और घर के काम मे ही अपने को व्यस्त रखती थी।

घर की तीसरी सदस्य
कविता --कौशल्या की बड़ी लड़की थी।इसकी उम्र 29 वर्ष थी ।इसकी शादी हो गई थी। यह दो बच्चों मां बन चुकी थी ।वह अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।

घर की चौथी सदस्य
काजल --यह कौशल्या देवी की दूसरी लड़की थी। इसकी उम्र 26 वर्ष थी। इसके भी शादी हो चुकी थी। इसकी एक लड़की थी। वह भी अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।
घर का अंतिम सदस्य

किशोर - कौशल्या देवी का पुत्र था। इसकी आयु 24 वर्ष था। पढ़ाई पूरा करने के बाद वह दिल्ली में जॉब करता था ।और वह वहीं रहता था।

इस प्रकार वर्तमान मे , मकान के नीचे भाग मे केवल 2 सदस्य कामता प्रसाद और उसकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी रहते थे।

मकान के ऊपर वाले हिस्से में पहले किशोर रहता था। उसकी जॉब लग जाने के बाद ऊपर वाला हिस्सा खाली रह जाने पर उसे किराए पर दे दिया गया ।

इस मकान पर रहते हुए भगत को 1 वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका था ।

अब चलते है कहानी की ओर

भगत राजेश के घर से आने के बाद वह सीधे अपने रूम में चला गया ।वह अपने बेड पर लेटा था ।राजेश से हुई मुलाकातों के बारे में वह सोच रहा था

तभी सुनीता की खूबसूरती उसके आंखों के सामने आ गया ।सुनीता की खूबसूरत बदन को याद करने से उसका लंडखड़ा हो गया।

वह एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा उसे चुदाई करने की इच्छा होने लगी।

वह अपने ही रूम से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतर कर मकान के मेन दरवाजा बंद कर दिया और सीधे वह मकान मालिक के किचन की ओर चला गया क्योंकि उसे पता था कि इस समय घर में केवल कौशल्या देवी ही है और वह खाना बना रही होगी।

किचन पर जा कर देखता है। कौशल्या देवी खाना बना रही थी ।वह कौशल्या देवी के पास चला गया। उसके पास जाकर उसके पीछे खड़ा होकर उससे जाकर चिपक गया और अपने लंड को उसके गांड में दबाने लगा ।

कौशल्या देवी चौक गई वह पीछे मुड़कर देखी।

वह भगत को देख कर मुस्कुराने लगी अरे बेटा तुम कॉलेज नहीं गए।

भगत ने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की चुचियो को पकड़कर मसलते हुए कहा, नहीं मां जी ।

आज कॉलेज गया था, पर वहां मेरा मन नहीं लगा। तुम्हारी याद आने लगी तो मैं कॉलेज से घर आ गया।

ऐसा कहते हुए भगत ने कौशल्या देवी के चुचियों को अपने हाथों से जोर जोर से मसलने लगा ।अपने लंड से कपड़े के ऊपर से ही उसके गांड पर धक्के लगाने लगा।

कौशल्या देवी का बदन गर्म होने लगा ।उसकी सांसे तेज होने लगी। उसने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहे हो अभी मैं खाना बना रही हूं।

भगत ने कौशल्या देवी से उसके कानों में धीरे से कहा। मां जी बहुत मन कर रहा है ।मैं नहीं रुक सकता और वह अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी ब्लाउज की बटन को खोल कर उसकी चुचियों को नंगा कर दिया। और भगत चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए उसके गालों को चूमने लगा ।

कौशल्या देवी की सांसें तेज़ होने लगी उसके बदन और गर्म हो गया ।उसके चूत से अब पानी िरसना शुरू हो गया।

कौशल्या देवी इस समय सब्जी बना रही थी। वह अपने हाथों से करछुल पकडे कढ़ाई पर सब्जियां भून रही थी।

वह भगत से बोली बेटा थोड़ी देर बाद करते हैं।मै सब्जी बना लेती हूं ।तुम जाओ कमरे में मैं सब्जी को भून कर ,उसे पकने छोड़कर तेरे पास आती हूं।

भगत ने उसके कानों में कहा तू सब्जी बनाना। तुम्हें किसने रोका है। मुझे मेरा काम करने दो और वह कौशल्या देवी के होठों को चूसने लगा।

कौशल्या देवी को भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसके बूर से पानी बहने लगा।

अब भगत से बर्दाश्त नहीं हुआ वह नीचे झुका और कौशल्या देवी के पेटीकोट को ऊपर उठाया। अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की पेंटी को पकड़कर उसे नीचे खींच दिया ।पेंटी पूरा गीली हो गई थी।उसे उसके पैरों से अलग कर दिया।

भगत पेंटी को ,पहले अपने नाक के पास ले जाकर सुघने लगा। उस पर लगी बूर रस की खुशबू नाक मेजाते ही , वह जोश से भर गया और कौशल्या देवी के पेटीकोट को उसके कमर तक ऊपर चढ़ा कर उसके चूत में अपने दो बड़ी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा ।

कौशिल्या देवी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी। ।

भगत अपनी पैंट को निकाल कर पैरो से अलग कर दिया।

अब वह देर न करते हुए अपना अंडर वियर भी निकाल दिया और नीचे से नंगा हो गया ।

अंडर वियर निकलते ही उसका लंड हवा में लहराने लगा वह लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो गया था और कौशल्या देवी की चूत को देखकर ठुनकी मार रहा था।

और उसके लंड* मुख से चिपचिपा सा पदार्थ निकल रहा था।

भगत का लंड काफी लंबा था। उसके लंड* का सुपाड़ा थोड़ा पतला था, लेकिन वह जड़ से मोटा था ।

राजेश अपने हाथों से अपने लंड* को पकड़ा और कौशल्या देवी चूत में ल गया और जोर से धक्का मारा।

कौशल्या देवी जोर से सिसक उठी ।

भगत का लंड सरसराते हुए कौशल्या देवी के चुत में आधा चला गया ।

भगत ,कौशल्या देवी की नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा। फिर एक जोरदार धक्का अपने लंड से कौशल्या देवी के चूत पर मारा ।

भगत का लंड कौशल्या देवी के चूत में फच की आवाज के साथ पूरा जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी अपने मुख से सिसकारी निकाल रही थी जोर जोर से सांस ले रही थी।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के कमर को पकड़ लिया और अपना पीछे से पोजीशन बनाकर अपने लंड को सुनीता देवी के बूर में अंदर बाहर करने लगा ।

वह कौशल्या देवी के बूर को जोर जोर से चोदने लगा। कमरे में फच फच गच गच की आवाज गूंजने लगी ।

चुदवाने के साथ , कौशल्या देवी कढ़ाई में सब्जी को बनाने का काम भी कर रही थी और चुदवाने का मजा भी ले रही थी ।

कुछ देर तक इसी पोजीशन में चुदाई होता रहा। सब्जी भून चुकी थी अब उसे पकने के लिए ,कढ़ाई को ढक्कन से ढक दिया।

कौशल्या ने भगत से कहा चलो बेटा बिस्तर पर चलते हैं ।

भगत ने धक्का लगाना बंद कर दिया और कौशल्या देवी के दोनों टांगों को पकड़ कर उसे अपने लंड में बिठाए हुए बेड बेडरूम में ले गया ।

बेडरूम में ले जाकर उसे बेड पर कुत्तिया बना दिया और फिर दोनों हाथों से उसके चूची को पहले जोर-जोर से मसाला फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके चूत में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लगा ।

उसका लंड चुत के रस से पूरी तरह गीला हो गया थाऔर वह बिना किसी रूकावट के फच फच की आवाज के साथ अंदर जा रहा था और गच गच की आवाज के साथ बाहर आ रहा था।कमरे में फच फच और गच गच की आवाज गूंजने लगा।

भगत अपनी आंखें बंद करके चुदाई* का सुख भोगने लगा ।
उधर कौशल्या देवी भी सिसकारी लेते हुए अपने आंखें बंद कर ली थी ।और चुदाई कि मजे ले रही थी।

उसके मुंह से ऊई़ मां आह आह आह की आवाजें निकल रही थी ।
भगत ने कुछ समय इसी पोजीशन में चोदने के बाद अपनी आंखे खोला।

वह अचानक से अपने ल़ंड को कौशल्या देवी के चूत से बाहर निकाला।

उसका लंड फचाक की आवाज के साथ बाहर निकला। उसका लंड चूत के रस से पूरी तरह गीला हो गया था और वह चमक रहा था ।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखने लगी।

भगत अपने लंड को अपने हाथों से पकड़े हुए बिस्तर पर लेट गया।

भगत ने कौशल्या देवी को आंखों से इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई भगत क्या चाहता है ।

वह भगत के लंड पर झुक कर ,उसे अपने हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी ,फिर अपने होठों को लंड़ पास ले जाकर , लंड के सुपाडे को अपने मुंह में भर लिया

फिर वहां चूसना शुरु कर दी। किसी पोर्न स्टार की तरह कौशल्या देवी भगत के लंड को चूसने लगी ।

भगत ने कौशल्या देवी के बालों को जो बंधा हुआ था, उसे खोल दिया और उसके सिर को अपने लंड पर दबाए रखा ।

कौशल्या देवी भगत के ल़ड को सकासक चूसे जा रही थी ।
भगत अपनी आंखें बंद कर मुख चुदाई का आनंद लेने लगा।

कौशल्या देवी पूरे जड़ तक लंड को अपने मुंह में ले कर चूस रही थी ।

भगत लंच चुसवाते हुए बोले जा रहा था ।चुस मेरी जान चस, बहुत मजा आ रहा है।


भगत कुछ समय मुख चुदाई करने के बाद कौशल्या देवी के मुख से लंड को निकाल दिया।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखा ।

भगत ने कौशल्या देवी को इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई कि अब उसे क्या करना है।

वह बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से ऊपर उठा कर । भगत के लंड पर बैठ गई।

वह अपने एक हाथ से भगत के लंड को पकडी और अपनी चूत के मुख पर रख दी ।

भगत ने भी अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चूतड़ को पकड़ लिया।

इधर कौशल्या देवी भी लंडपर अपने चूत का दबाव बनाने लगी। उधर भगत भी कौशल्या देवी के चूतड़ को अपने हाथों से पकड़ कर लंड पर दबाया । नतीजा ये हुआ कि लंड चूत अंदर जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी भगत के लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी इसने पोजीशन में दोनों को अपार सुख प्राप्त हो रहा था ।

कौशल्या देवी के उछलने के साथ-साथ उसकी दोनों चूचियां भी उछलने लगी, जिसे देखकर भगत से रहा न गया।

वह दोनों हाथों से चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।

इधर लंड* चूत में गपा गप अंदर बाहर हो रहा था


दोनों आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगे ।

भगत का लंड कौशल्या देवी की चूत में गच गच अंदर बाहर होता देख , दोनों चुदाई की मस्ती में में खो गए थे । कौशल्या देवी सिसक रही थी और लंड* पर अपनेी चूतड़ पटक पटक कर चुद रही थी।

तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ।खटखटाने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी होश में आईऔर भगत से बोली लगता है कि बाहर कोई आया है ।

भगत सिंह को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे चुदाई * बंद करने का बिल्कुल मूड नहीं था ।


उसने कौशल्या देवी से कहा मादरचोद कौन गाड मराने आ गया ।साला ठीक से चोदने भी नहीं देते ।

तब कौशल्या देवी ने मस्कराते हुए कहा लगता है दुकान से नौकर खाना ले जाने के लिए आया है ।

मुझे दरवाजा खोलना होगा और वह भगत के लंड से ऊपर उठी।
लंड फक की आवाज के साथ चूत से बाहर निकला ।

लंड कौशल्या देवी के चूत के रस से भीगा हुआ था और वह चमक रहा था। कुछ मोटा भी हो गया था। वह अभी भी ठूनकी मार रहा था ।

उसके लंड को देखकर कौशिल्या देवी मुस्कुरा रही थी ।

भगत सिंह कौशल्या देवी से बोला उस मादरचोद को * को जल्दी से निपटा ।मुझसे रहा नहीं जाएगा। ।

कौशल्या देवी अपने ब्लाउज के बटन को लगाते हुए बैडरूम सीन बाहर चली गई।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उतेजनापूर्ण अपडेट है
 
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