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Incest यह क्या हुआ

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दोस्तों कहानी को अब आगे बढ़ाते हैं हमने देखा किस प्रकार सुनीता और राजेश के बीच शर्म कुछ कम हो रहा था

शाम को 4:30 बजे स्वीटी कॉलेज से घर आती है और देखती है उसकी मां कीचन में काम कर रही है

वह अपने मम्मी से कहती है मम्मी भैया कहां है

सुनीता कहती है कॉलेज से आ गई बेटी

स्वीटी कहती है हां मम्मी

सुनिता कहती है कि तुम्हारे भैया अपने रूम में आराम कर रहाहैं

स्वीटी राजेश के रूम की तरफ चली जाती हैं

राजेश के कमरे में प्रवेश करती है वह देखते हैं कि राजेश सोया हुआ है

वह राजेश से कहती है भैया उठो आपकी तबीयत कैसी है

राजेश switi की आवाज सुनकर उठ जाता है
अरे स्वीटी कॉलेज से आ गई वह स्वीटी से कहता है

हां भैया मुझे आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था कॉलेज में मेरा मन नहीं लग रहा था तुम्हारी चिंता हो रही थी

राजेश कहता है अरे पगली मैं बिल्कुल ठीक हूं मेरी चिंता मत करो और तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ

स्वीटी कहती है भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है सॉरी भैया

राजेश कहता है नहीं पगली इसमें तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तुम्हें अपने भैया से सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं

भैया तुम मुझे कितना प्यार करते हो और भाई राजेश को गले लगा लेती हैं

स्वीटी राजेश से कहती है ठीक है भैया मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं कुछ काम रहेगा तो मुझे आवाज देना

राजेश के कैमरे से जाने को होती है तभी राजेश स्वीटी से से कहता है स्वीटी थोड़ा मम्मी को भेजना

स्वीटी कहती भैया मम्मी किचन में काम कर रही है कुछ काम है तो मुझे बता दो मैं कर दूंगी

नहीं स्वीटी तुम मम्मी को बुला दो
भैया कुछ काम हो तो मुझे बताओ ना मैं कर दूंगी नहीं

स्वीटी तुम मॉ को भेजो

ठीक है भैया मैं मम्मी को भेजती हूं और स्वीटी किचन क्यों चली जाती है

स्वीटी किचन में जाक वह अपनी मम्मी से कहती है

मम्मी भैया को आपसे कुछ काम है वह आपको बुला रहे हैं

सुनीता कहती है क्या काम है

स्वीटी कहती है मैंने भैया से कहा कि क्या काम है मैं कर देती हूं तो उसने मुझे कुछ बताया नहीं

सुनीता कहती है अभी शायद उसको पेशाब लगी हो उसके मुंह से अचानक ही निकल जाता है जिसे सुनकर स्वीटी चौक जाती है

सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

Switi सोचने लगती है क्या सच में भैया को पेशाब लगी होगी और वह मम्मी को बुला रही है मम्मी कैसी मदद करेगी भैया की यह सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है

उसे जाकर देखने की इच्छा होती है और वह भी राजेश की कमरे की ओर जाने लगती है

इधर सुनीता राजेश के कमरे में पहुंच चुकी होती है और राजेश से पूछती है बेटा कुछ काम है

राजेश पहले की अपेक्षा आसानी से बोल दिया कि मुझे पेशाब लग रही और बोल कर थोड़ा शर्मा गया

सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा चलो बाथरूम में

इधर स्वीटी राजेश के कमरे में पहुंचते हैं वह राजेश और अपनी मम्मी को बाथरूम में घुसते हुए देखती हैं

सुनीता स्वीटी को देख लेती है

Switi को देखते ही वह स्वीटी से कहती है अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गई

अरे मां मैं यहां देखने आई हूं भैया को ऐसा क्या काम है जो मुझसे नहीं कहा

सुनीता ने कहा राजेश को पेशाब लगा है उसकी मदद करनी होगी

तुम जाओ यहां से और सुनीता बाथरूम के अंदर चली जाती हैं और बाथरूम के दरवाजे बंद कर देती है
इधर राजेश urinal pot के सामने खड़ा हो चुका था

वह अपनी मम्मी से कहता हैं मम्मी क्या स्वीटी आई थी

सुनीता ने कहा हां बेटा वह चली गई है कि नहीं पता नहीं

बेटा मैंने उसको कमरे से जाने के लिए कहा उसको छोड़ो तुम पेशाब करो

राजेश के दिल का धड़कन बढ़ चुका था इधर सुनीता ने राजेश के लोअर और अंडरवियर को उनके जांग से नीचे किसका दिया सुनीता ने अपने दाएं हाथ आगे ले जा कर राजेश के लिंग को पकड़ लिया इस बार राजेश के शरीर में कपकपी आ गया

राजेश अपने लिंग पर थोड़ा दबाव डालें जिससे उसका पेशाब तेजी से बाहर आने लगा

इस समय सुनीता सोच रही थी स्वीटी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी उसे बहुत ही गिल्टी फील हो रहा था

इधर राजेश को उसकी मां का लिंग पकड़ना अच्छा महसूस हो रहा था

राजेश जब पेशाब कर लिया ततव वह सुनीता से कहा मम्मी हो गया

तब सुनीता ने राजेश के लिंग को थोड़ा दिलाया राजेश को यह बहुत ही अच्छा लगा

पेशाब करने के बाद दोनों कमरे से बाहर निकले

स्वीटी बाहर हाल में बैठी थी जब उसकी मां किचन की ओर आई

अपनी मां से पूछी मम्मी क्या भैया ने पेशाब कर लिया

सुनीता यह सुनकर शरमा गई चुप रे पगली

उसे अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा था

उसने स्वीटी से कहा बेटा देखो तुम्हारे भैया को पेशाब कर पाने में दिक्कत होती है इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है

तब स्वीटी ने कहा मैं समझ सकती हूं मम्मी और थैंक्स देती है अपने भैया की मदद करने के लिए

तब सुनीता कहती है मैं उसकी मम्मी मम्मी हूं मेरे लिए वह छोटा बच्चा ही है मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा

स्वीटी अपने मां को गले लगा लेती हैऔर कहती है आप सही कह रही है मम्मी और स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

सुनीता को अच्छा महसूस हो रहा था क्योंकि स्वीटी समझदार लड़की है वह मजबूरी को समझ सकती है

इधर स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद उस पल को
याद करने लगती है जब राजेश और उसकी मां बाथरूम मे राजेश को पेशाब कराने ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती हैं

और वह सोचती रहती हैं की मम्मी ने भैया का कैसे किस तरह मदद की होगी यह सोचकर ही उसके शरीर में अजीब सी हलचल होना शुरू हो जाती हैं
 

sunoanuj

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Nice start keep posting bro ….
 
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रात्रि 8:00 बजे शेखर ड्यूटी से अपने घर आता है वैसे तो बैंक का कार्य आम लोगों के लिए शाम के 5:00 बजे तक के लिए ही रहता है लेकिन कर्मचारियों को दिन भर का हिसाब किताब करना होता है हिसाब किताब करते-करते रात्रि के 7 से 8 बज जाते हैं इस तरह शेखर को घर आने में रोज रात्रि के 8:00 से 8:30 बजे का समय हो ही जाता है

घर आते ही वह अपने रूम में चला जाता है और वहां कपड़े चेंज कर फ्रेश होता है वह कीचन में जाता सुनीता किचन में काम कर रही होती है

सुनीता से पूछता है राजेश कहां है उसकी तबीयत कैसी है

सुनीता कहती है राजेश अपने रूम में आराम कर रहा होगा

शेखर राजेश के कमरे की ओर चला जाता है

वहां जाकर देखता है तो राजेश सोया हुआ रहता है

राजेश से कहता है कैसे हो बेटा तबीयत कैसी है

अपने पापा के बातों को सुनकर राजेश कहता है मैं ठीक हूं पापा आप ड्यूटी से कब आए

शेखर ने कहा जस्ट अभी आया हूं

फिर राजेश से पूछता है तुम्हारे बदन का दर्द ठीक हुआ राजेश कहता है पहले से ठीक हूं पापा पहले से दर्द कम है

शेखर कहता है अच्छी बात है तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे

तब राजेश कहता है जी पापा

फिर शेखर राजेश से कहता है ठीक है बेटा तुम आराम करो और वह राजेश के कमरे से चला जाता है

और हाल में जाकर बैठ जाता है और टीवी पर आज तक न्यूज़ देखने लगता है

इधर संगीता रात का भोजन तैयार कर चुकी होती है वह भोजन लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

राजेश के कमरे में जाकर वह राजेश हुए कहती है उठो बेटा भोजन करो

सुनीता राजेश को सहारा देकर बेड से उठाती है और वह राजेश को अपने हाथों से भोजन कराने लगती है

राजेश अपनी मां की सेवा को देखकर उसकी आंख भर आता है

सुनीता उनकी आंखों में आंसू देख कर राजेश से पूछती है क्या हुवा बेटा तुम्हारी आखो मे आंसू कैसी

मम्मी तुम कितना प्यार करती हो हमें तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मम्मी

सुनीता कहती है यह तो हर मां अपने बच्चों के लिए करती है बेटा

और आंखों से उसके बहते हुए आंसू को पूछने लगती है

सुनीता राजेश को अपने गले से लगा लेती

कुछ समय तक वह राजेश को अपने गले से लगाए रखती है फिर सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा अब खाना जल्दी से खत्म करो तुम्हारे पापा भी खाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे

राजेश कहता है ओके मम्मी

भोजन कर लेने के बाद सुनीता राजेश के कमरे से बाहर जाने लगती है जाते हुए हुआ राजेश से कहती है बेटा कुछ समय के बाद में दवाई लेकर फिर आऊंगी

तब तक तुम आराम करो

और वह राजेश के कमरे से चली जाती है

वहां से वह सीधे किचन में चली जाती है किचन से ही शेखर को आवाज लगाती है चलिए आप लोग भी खाना खा लीजिए

और बेटी को खाने के लिए बुला
लो
शेखर स्वीटी को आवाज लगाती है

स्वीटी पढ़ाई कर रही होती है अपने पापा की आवाज सुनकर वह खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठजाती है
सुनीता डाइनिंग टेबल पर खाना लगाती है तीनों भोजन कर लेते हैं

स्वीटी भोजन करके अपने रूम में चली जाती है शेखर हार में बैठकर टीवी देखने लगता है

सुनीता दवाई लेकर राजेश के कैमरे में चली जाती है और उसे दवाई खिलाकर वापस आ जाती है

इधर शेखर टीवी देख रहा हूं ता है कुछ समय टीवी देखने के बाद उसे नींद आने लगती है वह सोने के लिए अपने रूम में चला जाता है

सुनीता किचन का काम निपटाने के बाद अपने रूम में चली जाती है

शेखर अभी सोया नहीं रहता सुनीता को देखकर वह

सुनीता से कहता है तुम्हें राजेश की मदद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं हुई

सुनीता शर्माते हुए बोली नहीं जी हमारा बेटा बहुत समझदार है

राजेश ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी

सुनीता बोली मैं उनकी मां हूं तो यह मेरा फर्ज भी है कि मैं अपने बेटे का मदद करू

शेखर ने आगे कहा तुम सोने से पहले एक बार राजेश के पास जाकर उससे पूछ लेना उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं
नहीतो रात में उसे परेशानी होगी

सुनीता अपने पति से कहती है ठीक है जी

सुनीता सोने की तैयारी करने लगती है वह सोने के लिए नाइटी पहन लेती है

सोने से पहले वह घर हो अच्छे से चेक कर लेती है सब दरवाजा खिड़की से बंद है कि नहीं और

सीधे राजेश के कैमरे की ओर चल देती है राजेश के कमरे में जाने के बाद वह देखती है कि राजेश सो रहा है

वाह राजेश को जगाती है बेटा सो गया क्या

मां की आवाज को सुनकर राजेश उठजाता है

मम्मी नींद लग गई थी क्या बात है

मैं पूछने आई थी कि तुम्हें किसी चीज जरूरत तो नहीं है नहीं तो रात में तुम्हें परेशानी होगी

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहा मां तुमने अच्छा किया जो यहां आ गई

बोलो बेटा कुछ काम काम है क्या राजेश में सुनीता से थोड़ा शर्माते हुए संकोच करते हुए कहा मां मुझे रात में पेशाब करके सोने की आदत है परंतु पेशाब अभी नहीं लग रही

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा चलो तुम्हें पेशाब करा देती हूं नहीं तो रात में तुम परेशान हो जाओगे

पेशाब ज्यादा ना लगे होने पर भी राजेश पेशाब करने बाथरूम की ओर जाने लगता है सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है

राजेश पेशाब करने के लिए नयूरिनल पारट के सामने खड़ा हो जाता है
राजेश का दिल फिर से धड़कने लगता है क्योंकि वह
सोचने लगता है कि उसकी मां उसके लिंग को फिर से अपने हाथों में लेने वाली है

सुनीता राजेश के पीछे खड़े होकर अपना दाया हाथ राजेश के लिंग की ओर बढ़ा देती है उसका भी दिल धड़कने लगता है
आखिर वह एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और इस तरह किसी के लिंग को अपने हाथ से पकड़ लेना राजेश अब छोटा नहीं था इसलिए उसके हाथों में भी कपकपी आने लगता है

अपने कप कपाते हाथों से राजेश के लिंग को फिर से एक बार पकड़ लेती है

राजेश को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता है

राजेश पेशाब करने के लिए अपने लिंग पर जोर लगाता है पर पेशाब ज्यादा ना लगे होने के कारण पेशाब बाहर नहीं निकलता

सुनीता पूछती है क्या हुआ बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे
राजेश अपनी मम्मी से कहता है पेशाब ज्यादा नहीं लगे होने के कारण बाहर आने मैं थोड़ा समय लगेगा

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करें

कुछ समय के बाद फिर से वह राजेश से कहती है बेटा पेशाब आ रही है

राजेश अपने मां से कहती है मैं कोशिश कर रहा हूं अब शायद आने वाली है

सुनीता को ना जाने क्या सुझता है कि वह राजेश के लिंग पर अपने अंगूठे दबाव बढ़ा देता है और लिंग को आगे की ओर खींचने लगती है
अंगूठे का दबाव लिंग के मुख पर पढ़ते हैं राजेश को बहुत ही अच्छा लगने लगता वह दूसरी दुनिया में खो जाता है
कुछ देर सुनीता के ऐसे करने के बाद पेशाब की धार लिंग से बाहर निकलने लगता है

पेशाब रुक जाने के बाद सुनीता राजेश के लिंग को हिलाती है ताकि पेशाब की बूंद अगर लिंग में में रुका हो वह बाहर निकल जाए

इधर राजेश होश में आता है उसकी मम्मी उसके लोवर को ऊपर कर देती है

दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं

सुनीता राजेश को गुड नाईट बेटा करके उसके कमरे से चली जाती है अपने कमरे में आकर देखती है शेखर सो चुका था सुनीता भी बेड पर लेट जाती है

सुनीता बेड पर लेट कर आज दिनभर हुई घटना को याद करती है

मैं किस प्रकार अपने बेटे के लिए को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करायी

यह सोचकर ही उसे बहुत ही शर्म महसूस होने लगती है और मन में कहती है यह भगवान यह मुझे क्या दिन देखने पड़ रहे हैं

कुछ पल के बाद फिर वह राजेश के लिंग को याद करने लगती है
राजेश का अंडकोष कितना बड़ा है सोए हुए भी वह कितना बड़ा लगता है
फिर अगले ही पल वाह ग्लानि से भर जाती है

यह क्या सोचने लगी अपने ही बेटे बेटे के बारे में

हे भगवान मुझे क्षमा कर दो यह सब सोचते सोचते हैं उसे पता नहीं कब नींद लग जाती है
 

Ek number

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दोस्तों कहानी को अब आगे बढ़ाते हैं हमने देखा किस प्रकार सुनीता और राजेश के बीच शर्म कुछ कम हो रहा था

शाम को 4:30 बजे स्वीटी कॉलेज से घर आती है और देखती है उसकी मां कीचन में काम कर रही है

वह अपने मम्मी से कहती है मम्मी भैया कहां है

सुनीता कहती है कॉलेज से आ गई बेटी

स्वीटी कहती है हां मम्मी

सुनिता कहती है कि तुम्हारे भैया अपने रूम में आराम कर रहाहैं

स्वीटी राजेश के रूम की तरफ चली जाती हैं

राजेश के कमरे में प्रवेश करती है वह देखते हैं कि राजेश सोया हुआ है

वह राजेश से कहती है भैया उठो आपकी तबीयत कैसी है

राजेश switi की आवाज सुनकर उठ जाता है
अरे स्वीटी कॉलेज से आ गई वह स्वीटी से कहता है

हां भैया मुझे आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था कॉलेज में मेरा मन नहीं लग रहा था तुम्हारी चिंता हो रही थी

राजेश कहता है अरे पगली मैं बिल्कुल ठीक हूं मेरी चिंता मत करो और तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ

स्वीटी कहती है भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है सॉरी भैया

राजेश कहता है नहीं पगली इसमें तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तुम्हें अपने भैया से सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं

भैया तुम मुझे कितना प्यार करते हो और भाई राजेश को गले लगा लेती हैं

स्वीटी राजेश से कहती है ठीक है भैया मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं कुछ काम रहेगा तो मुझे आवाज देना

राजेश के कैमरे से जाने को होती है तभी राजेश स्वीटी से से कहता है स्वीटी थोड़ा मम्मी को भेजना

स्वीटी कहती भैया मम्मी किचन में काम कर रही है कुछ काम है तो मुझे बता दो मैं कर दूंगी

नहीं स्वीटी तुम मम्मी को बुला दो
भैया कुछ काम हो तो मुझे बताओ ना मैं कर दूंगी नहीं

स्वीटी तुम मॉ को भेजो

ठीक है भैया मैं मम्मी को भेजती हूं और स्वीटी किचन क्यों चली जाती है

स्वीटी किचन में जाक वह अपनी मम्मी से कहती है

मम्मी भैया को आपसे कुछ काम है वह आपको बुला रहे हैं

सुनीता कहती है क्या काम है

स्वीटी कहती है मैंने भैया से कहा कि क्या काम है मैं कर देती हूं तो उसने मुझे कुछ बताया नहीं

सुनीता कहती है अभी शायद उसको पेशाब लगी हो उसके मुंह से अचानक ही निकल जाता है जिसे सुनकर स्वीटी चौक जाती है

सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

Switi सोचने लगती है क्या सच में भैया को पेशाब लगी होगी और वह मम्मी को बुला रही है मम्मी कैसी मदद करेगी भैया की यह सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है

उसे जाकर देखने की इच्छा होती है और वह भी राजेश की कमरे की ओर जाने लगती है

इधर सुनीता राजेश के कमरे में पहुंच चुकी होती है और राजेश से पूछती है बेटा कुछ काम है

राजेश पहले की अपेक्षा आसानी से बोल दिया कि मुझे पेशाब लग रही और बोल कर थोड़ा शर्मा गया

सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा चलो बाथरूम में

इधर स्वीटी राजेश के कमरे में पहुंचते हैं वह राजेश और अपनी मम्मी को बाथरूम में घुसते हुए देखती हैं

सुनीता स्वीटी को देख लेती है

Switi को देखते ही वह स्वीटी से कहती है अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गई

अरे मां मैं यहां देखने आई हूं भैया को ऐसा क्या काम है जो मुझसे नहीं कहा

सुनीता ने कहा राजेश को पेशाब लगा है उसकी मदद करनी होगी

तुम जाओ यहां से और सुनीता बाथरूम के अंदर चली जाती हैं और बाथरूम के दरवाजे बंद कर देती है
इधर राजेश urinal pot के सामने खड़ा हो चुका था

वह अपनी मम्मी से कहता हैं मम्मी क्या स्वीटी आई थी

सुनीता ने कहा हां बेटा वह चली गई है कि नहीं पता नहीं

बेटा मैंने उसको कमरे से जाने के लिए कहा उसको छोड़ो तुम पेशाब करो

राजेश के दिल का धड़कन बढ़ चुका था इधर सुनीता ने राजेश के लोअर और अंडरवियर को उनके जांग से नीचे किसका दिया सुनीता ने अपने दाएं हाथ आगे ले जा कर राजेश के लिंग को पकड़ लिया इस बार राजेश के शरीर में कपकपी आ गया

राजेश अपने लिंग पर थोड़ा दबाव डालें जिससे उसका पेशाब तेजी से बाहर आने लगा

इस समय सुनीता सोच रही थी स्वीटी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी उसे बहुत ही गिल्टी फील हो रहा था

इधर राजेश को उसकी मां का लिंग पकड़ना अच्छा महसूस हो रहा था

राजेश जब पेशाब कर लिया ततव वह सुनीता से कहा मम्मी हो गया

तब सुनीता ने राजेश के लिंग को थोड़ा दिलाया राजेश को यह बहुत ही अच्छा लगा

पेशाब करने के बाद दोनों कमरे से बाहर निकले

स्वीटी बाहर हाल में बैठी थी जब उसकी मां किचन की ओर आई

अपनी मां से पूछी मम्मी क्या भैया ने पेशाब कर लिया

सुनीता यह सुनकर शरमा गई चुप रे पगली

उसे अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा था

उसने स्वीटी से कहा बेटा देखो तुम्हारे भैया को पेशाब कर पाने में दिक्कत होती है इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है

तब स्वीटी ने कहा मैं समझ सकती हूं मम्मी और थैंक्स देती है अपने भैया की मदद करने के लिए

तब सुनीता कहती है मैं उसकी मम्मी मम्मी हूं मेरे लिए वह छोटा बच्चा ही है मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा

स्वीटी अपने मां को गले लगा लेती हैऔर कहती है आप सही कह रही है मम्मी और स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है

सुनीता को अच्छा महसूस हो रहा था क्योंकि स्वीटी समझदार लड़की है वह मजबूरी को समझ सकती है

इधर स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद उस पल को
याद करने लगती है जब राजेश और उसकी मां बाथरूम मे राजेश को पेशाब कराने ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती हैं

और वह सोचती रहती हैं की मम्मी ने भैया का कैसे किस तरह मदद की होगी यह सोचकर ही उसके शरीर में अजीब सी हलचल होना शुरू हो जाती हैं
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रात्रि 8:00 बजे शेखर ड्यूटी से अपने घर आता है वैसे तो बैंक का कार्य आम लोगों के लिए शाम के 5:00 बजे तक के लिए ही रहता है लेकिन कर्मचारियों को दिन भर का हिसाब किताब करना होता है हिसाब किताब करते-करते रात्रि के 7 से 8 बज जाते हैं इस तरह शेखर को घर आने में रोज रात्रि के 8:00 से 8:30 बजे का समय हो ही जाता है

घर आते ही वह अपने रूम में चला जाता है और वहां कपड़े चेंज कर फ्रेश होता है वह कीचन में जाता सुनीता किचन में काम कर रही होती है

सुनीता से पूछता है राजेश कहां है उसकी तबीयत कैसी है

सुनीता कहती है राजेश अपने रूम में आराम कर रहा होगा

शेखर राजेश के कमरे की ओर चला जाता है

वहां जाकर देखता है तो राजेश सोया हुआ रहता है

राजेश से कहता है कैसे हो बेटा तबीयत कैसी है

अपने पापा के बातों को सुनकर राजेश कहता है मैं ठीक हूं पापा आप ड्यूटी से कब आए

शेखर ने कहा जस्ट अभी आया हूं

फिर राजेश से पूछता है तुम्हारे बदन का दर्द ठीक हुआ राजेश कहता है पहले से ठीक हूं पापा पहले से दर्द कम है

शेखर कहता है अच्छी बात है तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे

तब राजेश कहता है जी पापा

फिर शेखर राजेश से कहता है ठीक है बेटा तुम आराम करो और वह राजेश के कमरे से चला जाता है

और हाल में जाकर बैठ जाता है और टीवी पर आज तक न्यूज़ देखने लगता है

इधर संगीता रात का भोजन तैयार कर चुकी होती है वह भोजन लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

राजेश के कमरे में जाकर वह राजेश हुए कहती है उठो बेटा भोजन करो

सुनीता राजेश को सहारा देकर बेड से उठाती है और वह राजेश को अपने हाथों से भोजन कराने लगती है

राजेश अपनी मां की सेवा को देखकर उसकी आंख भर आता है

सुनीता उनकी आंखों में आंसू देख कर राजेश से पूछती है क्या हुवा बेटा तुम्हारी आखो मे आंसू कैसी

मम्मी तुम कितना प्यार करती हो हमें तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मम्मी

सुनीता कहती है यह तो हर मां अपने बच्चों के लिए करती है बेटा

और आंखों से उसके बहते हुए आंसू को पूछने लगती है

सुनीता राजेश को अपने गले से लगा लेती

कुछ समय तक वह राजेश को अपने गले से लगाए रखती है फिर सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा अब खाना जल्दी से खत्म करो तुम्हारे पापा भी खाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे

राजेश कहता है ओके मम्मी

भोजन कर लेने के बाद सुनीता राजेश के कमरे से बाहर जाने लगती है जाते हुए हुआ राजेश से कहती है बेटा कुछ समय के बाद में दवाई लेकर फिर आऊंगी

तब तक तुम आराम करो

और वह राजेश के कमरे से चली जाती है

वहां से वह सीधे किचन में चली जाती है किचन से ही शेखर को आवाज लगाती है चलिए आप लोग भी खाना खा लीजिए

और बेटी को खाने के लिए बुला
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शेखर स्वीटी को आवाज लगाती है

स्वीटी पढ़ाई कर रही होती है अपने पापा की आवाज सुनकर वह खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठजाती है
सुनीता डाइनिंग टेबल पर खाना लगाती है तीनों भोजन कर लेते हैं

स्वीटी भोजन करके अपने रूम में चली जाती है शेखर हार में बैठकर टीवी देखने लगता है

सुनीता दवाई लेकर राजेश के कैमरे में चली जाती है और उसे दवाई खिलाकर वापस आ जाती है

इधर शेखर टीवी देख रहा हूं ता है कुछ समय टीवी देखने के बाद उसे नींद आने लगती है वह सोने के लिए अपने रूम में चला जाता है

सुनीता किचन का काम निपटाने के बाद अपने रूम में चली जाती है

शेखर अभी सोया नहीं रहता सुनीता को देखकर वह

सुनीता से कहता है तुम्हें राजेश की मदद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं हुई

सुनीता शर्माते हुए बोली नहीं जी हमारा बेटा बहुत समझदार है

राजेश ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी

सुनीता बोली मैं उनकी मां हूं तो यह मेरा फर्ज भी है कि मैं अपने बेटे का मदद करू

शेखर ने आगे कहा तुम सोने से पहले एक बार राजेश के पास जाकर उससे पूछ लेना उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं
नहीतो रात में उसे परेशानी होगी

सुनीता अपने पति से कहती है ठीक है जी

सुनीता सोने की तैयारी करने लगती है वह सोने के लिए नाइटी पहन लेती है

सोने से पहले वह घर हो अच्छे से चेक कर लेती है सब दरवाजा खिड़की से बंद है कि नहीं और

सीधे राजेश के कैमरे की ओर चल देती है राजेश के कमरे में जाने के बाद वह देखती है कि राजेश सो रहा है

वाह राजेश को जगाती है बेटा सो गया क्या

मां की आवाज को सुनकर राजेश उठजाता है

मम्मी नींद लग गई थी क्या बात है

मैं पूछने आई थी कि तुम्हें किसी चीज जरूरत तो नहीं है नहीं तो रात में तुम्हें परेशानी होगी

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहा मां तुमने अच्छा किया जो यहां आ गई

बोलो बेटा कुछ काम काम है क्या राजेश में सुनीता से थोड़ा शर्माते हुए संकोच करते हुए कहा मां मुझे रात में पेशाब करके सोने की आदत है परंतु पेशाब अभी नहीं लग रही

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा चलो तुम्हें पेशाब करा देती हूं नहीं तो रात में तुम परेशान हो जाओगे

पेशाब ज्यादा ना लगे होने पर भी राजेश पेशाब करने बाथरूम की ओर जाने लगता है सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है

राजेश पेशाब करने के लिए नयूरिनल पारट के सामने खड़ा हो जाता है
राजेश का दिल फिर से धड़कने लगता है क्योंकि वह
सोचने लगता है कि उसकी मां उसके लिंग को फिर से अपने हाथों में लेने वाली है

सुनीता राजेश के पीछे खड़े होकर अपना दाया हाथ राजेश के लिंग की ओर बढ़ा देती है उसका भी दिल धड़कने लगता है
आखिर वह एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और इस तरह किसी के लिंग को अपने हाथ से पकड़ लेना राजेश अब छोटा नहीं था इसलिए उसके हाथों में भी कपकपी आने लगता है

अपने कप कपाते हाथों से राजेश के लिंग को फिर से एक बार पकड़ लेती है

राजेश को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता है

राजेश पेशाब करने के लिए अपने लिंग पर जोर लगाता है पर पेशाब ज्यादा ना लगे होने के कारण पेशाब बाहर नहीं निकलता

सुनीता पूछती है क्या हुआ बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे
राजेश अपनी मम्मी से कहता है पेशाब ज्यादा नहीं लगे होने के कारण बाहर आने मैं थोड़ा समय लगेगा

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करें

कुछ समय के बाद फिर से वह राजेश से कहती है बेटा पेशाब आ रही है

राजेश अपने मां से कहती है मैं कोशिश कर रहा हूं अब शायद आने वाली है

सुनीता को ना जाने क्या सुझता है कि वह राजेश के लिंग पर अपने अंगूठे दबाव बढ़ा देता है और लिंग को आगे की ओर खींचने लगती है
अंगूठे का दबाव लिंग के मुख पर पढ़ते हैं राजेश को बहुत ही अच्छा लगने लगता वह दूसरी दुनिया में खो जाता है
कुछ देर सुनीता के ऐसे करने के बाद पेशाब की धार लिंग से बाहर निकलने लगता है

पेशाब रुक जाने के बाद सुनीता राजेश के लिंग को हिलाती है ताकि पेशाब की बूंद अगर लिंग में में रुका हो वह बाहर निकल जाए

इधर राजेश होश में आता है उसकी मम्मी उसके लोवर को ऊपर कर देती है

दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं

सुनीता राजेश को गुड नाईट बेटा करके उसके कमरे से चली जाती है अपने कमरे में आकर देखती है शेखर सो चुका था सुनीता भी बेड पर लेट जाती है

सुनीता बेड पर लेट कर आज दिनभर हुई घटना को याद करती है

मैं किस प्रकार अपने बेटे के लिए को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करायी

यह सोचकर ही उसे बहुत ही शर्म महसूस होने लगती है और मन में कहती है यह भगवान यह मुझे क्या दिन देखने पड़ रहे हैं

कुछ पल के बाद फिर वह राजेश के लिंग को याद करने लगती है
राजेश का अंडकोष कितना बड़ा है सोए हुए भी वह कितना बड़ा लगता है
फिर अगले ही पल वाह ग्लानि से भर जाती है

यह क्या सोचने लगी अपने ही बेटे बेटे के बारे में

हे भगवान मुझे क्षमा कर दो यह सब सोचते सोचते हैं उसे पता नहीं कब नींद लग जाती है
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