अपडेट - 1
बारिश का मौसम पहाड़ो का सबसे सुहाना मौसम होता है, जब गर्मियों में सारे सैलानी अपनी छुट्टिया बिता कर वापस अपने घर चले जाते है, तब दुसरे मेहमान बादल तशरीफ़ लाते है, मानो कोई माली अपने लगाये बाग को सींचने आया हो | पहाड़ो कि हर ढलान झरना बन जाती है और हर झरना छोटी मोटी नदी का रूप ले लेता है, जब बादल छंटते है तो हरियाली पहाड़ो का नव श्रंगार उसे हरी चुनरी ओढाकर करती है |
इस सुन्दरता को निहारने कम ही सैलानी इस मौसम में यहाँ आते है, इसीलिए इस समय मसूरी का बस स्टैंड पूरी तरह से सुनसान पड़ा था, चाय कि चुस्की लेते हुए उसने अपने मोबाइल में समय देखा 6:15 हुए थे, देहरादून से मसूरी आने वाली आखरी बस के आने में कुछ ही देर बाकि थी और वो रोज कि तरह वह अपने ग्राहकों के इंतजार में बैठा था, यु तो पहाड़ो पर बादल अक्सर राहगीरों के साथ होली खेलते थे और ऐसे स्नान करवा कर रफूचक्कर हो जाते थे जैसे कोई बच्चा होली के दिन रंग डाल कर भाग गया हो, पर उस दिन बादल कुछ और ही योजना बना कर आये थे कुछ ज्यादा ही पानी भर कर लाये थे, पिछले एक घंटे से हो रही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और वो दोनों उस बस स्टैंड पर सबसे आशावादी व्यापारी कि तरह आखरी बस का इंतजार कर रहे थे कि शायद इस बस में कोई ग्राहक आ जाये तो हम अपने अपने घर चले उनमे एक चाय वाला था और दूसरा मयूर था जो यही पैदा हुआ और पला बढ़ा
एक पच्चीस छब्बीस साल का दिलचस्प रूप से खुबसुरत नौजवान था, दिलचस्प इसलिए क्योकि वो पहाड़ी और अंग्रेजी जीन्स का मिक्सचर था, उसके पिता पहाड़ी और माँ समन्था एक अंग्रेज थी उसने अपने माँ की लम्बाई पाई थी और अपने पिता से गठीला बदन, उसका स्किन कलर माँ पे गया था तो चेहरे के तीखे नाक नक्श पिता पे, और उसके सिक्स पैक अप्स इन पहाड़ो की देन थे जिन पर वो रोज चढ़ता था और उतरता था, उस इलाके का कोई ऐसा पहाड़ नही था जिस पर उसने फतह नही पाई हो |
उसकी माँ समन्था, अपनी जवानी के दिनों में अपने लिए एक इंडियन लड़का ढूंढते हुए लगभग 30 साल पहले इंग्लैंड से इंडिया आई थी, उसकी माँ ने निश्चय किया था कि किसी इंडियन लडके से ही शादी करेगी, क्योकि जब उसका जन्म होने वाला था उसके पिता उसको और उसकी माँ को छोड़ कर चले गये थे, और उनका परिवार तितर बितर हो गया था, वो अपने लिए ऐसा लड़का ढूंढ रही थी जो परिवार शब्द के महत्व को समझता हो, उसने कही पढ़ा था कि इंडियन लडके लॉयल होते है और अपनी फॅमिली वैल्यूज को अधिक महत्व देते है | जिसने भी वो लिखा था वो किताब लिखने वाला नही जानता था कि मयूर के भारत में जन्म लेने का कारण उसकी किताब थी जिससे प्रभावित होकर उसकी माँ भारत आई थी, ये देखने कि संयुक्त परिवार आखिर होता क्या है, कैसे लोग आपस में मिल जुल कर रहते है और वो सबसे पहले उदयपुर पहुची वहाँ के एक गेस्ट हाउस में अपने पहले स्टे में ही प्रभावित हो गई ये देख कर कि न सिर्फ पति पत्नी और उनके बच्चे बल्कि दादा दादी भी साथ में मिलकर रहते है और एक दुसरे को प्यार, सहारा देते है |
और जब वो मसूरी आई तो उसकी मुलाकात मयूर के पिता से हुई जिनका पहाड़ो पर एक 8 रूम का होटल था | अपने लम्बे निवास के लिए वो सस्ता स्टे ढूंढते हुए उसके पिता के गेस्ट हाउस तक पहुची पर पहले उसे मसूरी कि सुन्दरता, पहाड़ो, झरने, जंगल से प्यार हुआ और पहाड़ो में जड़ी बूटियों का नॉलेज लेते लेते वो उसके पिता के प्यार में ही पड़ गयी और बिना किराया दिए हमेशा के लिए उस होटल में ही रह गयी |
उसके पिता की मृत्यु तक उनमे प्रेम बना रहा और जब वो जीवित थे, उसकी माँ के पास उसके पिता कि दी हुई वो होटल रूम के किराए कि पहली रसीद सम्भाल के रखी थी जो उन्होंने उसको उसके पहेली बार आने पर दी थी, और उसके पिता तब वो रसीद मिलने पर मजाक में उसकी माँ से पिछले 30 साल का बकाया किराया मांगते है और उसकी माँ उसके पिता पर फ्लाइंग किस उछाल कर अपना किराया भर देती थी|
क्रमश: