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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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    42

Mr. Pandit

SAB KUCH JAYAZ HAI....
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aapki sabhi baate bahut acchi hai .. aur practical bhi hai .. but bharat mein baccho ko jyaada chhoot de ko to baap ko baap nahi kehte .. aur ye 11-12 mein specific stream choose karna .. sab bakwaas he hai .. mere hisaab se 11-12 mein to PCM he honi chahiye .. baad mein jo mann aaye Graduation uss stream mein kar lo .. hamesha saare option khule rehte hai .. aur agar baccha capable hai to PCM ke saath biology as a optional subject le lo .. agar clear bhi na ho ya fir numbers kam aaye to unse result par farak nahi padta ...

magar ye sab baate yaha karni bekaar he hai .. kyonki jinn baccho ke pita kamdev99008 ji aka Rana ji ho .. to unn baccho ko jyaada samjahana bekaar he hai .. kyonki light unke liye bhi bhaagti hai .. aur laptop ki battery bhi unke liye kharab he rahegi .. :D

waise abhi peeche ke kuch comments padhe .. usme Mr. Pandit bhai ne kahani na likhne walo ka jikrr kiya .. magar unke saath apna naam nahi joda .. kamaal hai story ko beech mein latkaane walo ki list mein apna naam daalna bhool gaye ... :hehe:
Bhaya apna name is liye dala kyo ki maine to apni story ko stop kar rakha hai jabki kamdev bhaya ki story running hai....

Aur ab se to main bhi kuch nahi boluga kyo ki kamdev bhaya sabke comments ko quote kar ke reply diye magar mere kisi comment ka reply nahi diya. Itna bada apmaan bade bhaiya sah lege magar main nahi....

:thankyou:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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TheBlackBlood bhai kaha ho yaar .. lagta hai ye masoom baccha rooth gaya ...

aur kamdev99008 bhiya aap kab meherbaani karenge .. lagta hai .. aapse to kehna he bekaar hai .. jab aapko koi baat maan-ni he nahi hai .. na to koi baat clear cut karte .. ki update aane mein 2 din lagenge ya 10 din lagenge .. bas jab bhi pucho .. ki aaj raat ko post karunga .. agar post nahi karsakte to bata to do .. magar har baar bahaana baana dete ho ...

ab jab aapke mann mein aaye .. aap karte rehna .. abse main nahi kahunga ...
Maybe kuch zyada hi kirdaar ho gaye story mein isliye confused hai woh shayad :dazed:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Bhaya apna name is liye dala kyo ki maine to apni story ko stop kar rakha hai jabki kamdev bhaya ki story running hai....

Aur ab se to main bhi kuch nahi boluga kyo ki kamdev bhaya sabke comments ko quote kar ke reply diye magar mere kisi comment ka reply nahi diya. Itna bada apmaan bade bhaiya sah lege magar main nahi....

:thankyou:
are pandit ji aap khamkha naraz ho rahen hai... is baari aisa nahi karenge kammo ji
Kyun kamdev99008 ji thik hai na :D
 

kamdev99008

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Bhaya apna name is liye dala kyo ki maine to apni story ko stop kar rakha hai jabki kamdev bhaya ki story running hai....

Aur ab se to main bhi kuch nahi boluga kyo ki kamdev bhaya sabke comments ko quote kar ke reply diye magar mere kisi comment ka reply nahi diya. Itna bada apmaan bade bhaiya sah lege magar main nahi....

:thankyou:
Pandit ji sabhi comments quote karna possible nahi ho pata to kuchh chhoot bhi jate hain.... Agar apke comment ke sath aisa hua to... Vishwas rakheon... Janbujhkar nahin kiya gaya.....
Abhi kuchh vyast hoon is wajah se update bhi nahi de paya 15 din se... Update dekar fir sabhi comments ka reply dunga
 

kamdev99008

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Maybe kuch zyada hi kirdaar ho gaye story mein isliye confused hai woh shayad :dazed:
Confusions nahin hain.... Kirdar to abhi jitne aye hain... Uske kai gune baki hain...
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Confusions nahin hain.... Kirdar to abhi jitne aye hain... Uske kai gune baki hain...

Btw action hai ki nahi aage chalke aur romance, thrill, maar pit, dhokha, suspense hai ki nahi aage chalke... aur heroine raginee ki kuch scenes dikhaiye... for example flashback mein college scenes, love scenes etc.. :D
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Confusions nahin hain.... Kirdar to abhi jitne aye hain... Uske kai gune baki hain...
abhi tak jawab nahi diya ki is dev ke liye koi kaajal hai ki nahi is story mein :waiting1:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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bhai abhi laptop on kiya hai.........update type karne ke liye..................... koshish jari hai
laptop ko gopi bahu ko de dijiye.. :lollypop:
just kidding yaar... waiting for next update update.....
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 42

“मुझे नहीं करनी कोई शादी-वादी, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो, वीरेंद्र! इससे कह दो अपना बेटा अपने पास रखे.... और अनुराधा को भी ले जाए अपने साथ.... अब मुझे किसी की जरूरत नहीं... ना इस घर की ना परिवार की” गुस्से से रागिनी ने कहा

“दीदी आपसे कोई जबर्दस्ती नहीं कर रहा और ना ही हम आपको घर से बाहर निकालने के बहाने ढूंढ रहे। मुझे तो सरला बुआ जी ने भी बताया था... कि आपके और देव फूफा जी के बीच कुछ था, और उनके घरवाले भी शादी के लिए तैयार थे, हमारे घर में भी सब तैयार थे लेकिन पता नहीं विजय चाचाजी ने क्या सोचकर आपकी शादी को टाल दिया और फिर सबकुछ इतनी तेजी से बदलता चला गया कि ना तो वो रिश्ते की बात रही, ना बात करने वाले और ना ही आप। आप एकबार उनसे मिल तो लो, फिर जो भी आपका फैसला होगा” सुशीला ने कहा

आखिरकार बहुत समझाने पर रागिनी सुमित्रा मौसी के घर जाने को तैयार हुई... लेकिन उसने साफ कह दिया कि देव से शादी का फैसला वो किसी दवाब में नहीं लेगी। वो पहले उससे मिलेगी फिर सोच समझकर बताएगी

अब ये सवाल उठा कि वहाँ जाएगा कौन-कौन तो फैसला हुआ कि वहाँ थोड़ी देर को ही इस गंभीर मसले पर बात करने जाना है इसलिए बच्चों को नहीं ले जाना और बड़ों में से भी निर्णायक लोग ही जाएंगे। रणविजय ने कहा कि बलराज चाचाजी, वीरेंद्र भैया, रागिनी दीदी और सुशीला भाभी चली जाएँ, लेकिन सुशीला ने कहा कि वहाँ बेटी के रिश्ते के बारे में बात होगी और सुमित्रा दादी भी अब रही नहीं,,,, सर्वेश चाचाजी की पत्नी भी उतनी परिपक्व नहीं हैं इसलिए बेला माँ को रागिनी दीदी के साथ भेजा जाए, तो बेला देवी ने शांति और रणविजय को भी साथ ले जाने को कहा.... क्योंकि बाकी सब तो परिवार के हैं लेकिन रणविजय भाई और शांति माँ हैं बेशक सौतेली ही सही....साथ ही रणविजय ने कहा की रवीद्र भैया यहाँ नहीं हैं तो सुशीला भाभी को तो जाना ही चाहिए, तो सभी ने सुशीला को चलने के लिए कहा, इस पर सुशीला ने कहा कि जब उनकी सास (बेला देवी) और जेठ (वीरेंद्र सिंह) जा रहे हैं तो उनका जाना जरूरी नहीं है....और उनसे बड़ी उनकी सास मोहिनी चाची और जेठानी मंजरी दीदी भी नहीं जा रही हैं ..... बड़ों को ही इस काम को करने दो।

आखिरकार ये सभी वहाँ के लिए निकल गए.........

........................................................

गढ़ी में सर्वेश सिंह के घर सबके पहुँचे। सभी को चाय-नाश्ता करने के बाद सर्वेश सिंह ने उन्हें बताया कि कुछ दिन पहले उनके भांजे गौरव की शादी में शामिल होने वो अपनी बहन सरला के घर मध्य प्रदेश गए थे तब वहाँ सरला के देवर देवराज सिंह भी आए हुये थे। देवराज सिंह दिल्ली में नौकरी करते हैं और उन्होने अभी तक शादी नहीं की।

सरला से बातचीत में जब सर्वेश ने देवराज सिंह के शादी ना करने की वजह पूंछी तो सरला ने बताया कि अब से लगभग 20 साल पहले देवराज सिंह की शादी सरला ने ही अपने मौसेरे भाई विजयराज सिंह की बेटी रागिनी से करवाने के लिए बातचीत की थी। रागिनी और देवराज की शादी के लिए उनकी निर्मला मौसी और जयराज-विजयराज भैया भी तैयार थे। शादी के लेए तैयारियां शुरू हो गईं थीं, शादी का मुहूर्त लगभग 6 महीने बाद था लेकिन दोनों परिवार अपनी तैयारियां पहले से ही किए ले रहे थे, विजयराज उस समय अपनी बहन विमला देवी के साथ दिल्ली में कहीं रह रहे थे, लेकिन देवराज कि उन सबसे मुलाक़ात और बातचीत जयराज सिंह के घर नोएडा में ही हुयी थी। फिर कुछ दिन रागिनी भी नोएडा रहने आयी हुयी थी उसी दौरान देवराज ने भी नोएडा आना जाना शुरू कर दिया था निर्मला मौसी के पास। ऐसे में देवराज और रागिनी की भी आपस में जान-पहचान होने लगी और धीरे धीरे उनकी बीच नज़दीकियाँ भी बढ्ने लगीं। हालांकि दोनों ही अपनी हद में रहे। बाद में रागिनी वापस दिल्ली विमला दीदी के यहाँ रहने चली गयी, देवराज और रागिनी की मुलाक़ात फिर भी कभी-कभी कॉलेज के समय में बाहर हो जाती थी। शादी के करीब 1 महीने पहले अचानक पता चला कि रागिनी और विमला गायब हो गईं हैं, विजयराज सिंह ने पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज करा दी और उन दोनों कि बहुत तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला और एक दिन विजयराज सिंह भी गायब हो गए। इस सब के दौरान शादी की तारीख भी निकल गयी, देवराज ने अपनी ओर से भी रागिनी और विजयराज सिंह का पता लगाने कि कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हो सका।

बाद में रागिनी के छोटे चाचा जिनका नाम भी देवराज सिंह है, वो अभी 2-3 साल पहले सरला की माँ यानि अपनी मौसी सुमित्रा की मृत्यु के समय यहाँ आए थे तब बता रहे थे कि विजयराज सिंह तो बहुत साल पहले ही सन्यास लेकर ऋषिकेश के पास कहीं जंगल में चले गए, विक्रम कोटा में है और रागिनी भी शायद विक्रम के साथ है....और उसकी शादी हो गयी है....दो बच्चे भी हैं..... हालांकि उन्होने इस बात से इन्कार किया की वो विक्रम या रागिनी से मिले हैं

अभी ये बातें चल ही रही थीं कि सरला और देवराज सिंह भी आ गए तो फिर उनके जलपान की भी व्यवस्था की गयी। फिर सब साथ में बैठे और आपस में परिचय कराया सर्वेश सिंह ने।

“बुआ जी! अभी सर्वेश चाचाजी ने बताया कि देवराज फूफाजी और रागिनी दीदी की शादी पहले तय हो गयी थी लेकिन फिर हालात बदलते गए और शादी हो नहीं सकी..... तो भी इन्होने शादी क्यों नहीं की अभी तक?” विक्रम ने बात शुरू करते हुये कहा

विक्रम की बात सुनकर सरला ने देवराज की ओर देखा फिर कुछ बोलने को हुई तो देवराज ने उन्हें रुकने का इशारा करते हुये खुद बोलना शुरू किया

“विक्रम! में बात को घुमाने की बजाय सीधा और साफ कहना पसंद करता हूँ..... पहली बात तो मुझे मालूम है कि रागिनी की याददास्त जा चुकी है.... लेकिन मैं समझता हूँ कि बहुत सी बातें इंसान के मन में कहीं न कहीं दबी रहती हैं जो याद दिलाने पर सामने आ जाती हैं.... लेकिन मुझे तो सब याद है.... मुझे रागिनी से प्यार था, है और हमेशा रहेगा। रागिनी से मेरे रिश्ते की बात तुम्हारे घर से या मेरे घर से शुरू नहीं हुयी थी ये बात मेरे और रागिनी के बीच शुरू हुई थी.... लेकिन रागिनी ने पहली ही बात यही काही थी..... कि अगर प्यार करते हो, तो बारात लेकर आना..... और मेंने भी सबसे पहला काम यही किया.... सरला भाभी से कहकर रिश्ते की बात शुरू कराई और ये बात आगे बढ़कर शादी तय होने तक पहुँच गयी... लेकिन हमारी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था.... शादी से एक महीने पहले विमला भाभी रागिनी को साथ लेकर लापता हो गईं और फिर तुम्हारे पिताजी भी.... मेरी ज़िंदगी में रागिनी के अलावा कोई और नहीं आ सकती, इसीलिए मेंने शादी नहीं की.... और ये मेरे विश्वास की ही ताकत थी जो आज लगभग 20 साल बाद फिर से रागिनी को अपने सामने देख रहा हूँ”

देवराज बात तो विक्रम से कर रहा था लेकिन देख रागिनी की ओर रहा था रागिनी ने हालांकि अपनी नजरें नीचे जमीन कि ओर कि हुई थी लेकिन कनखियों से वो भी देवराज को ही देख रही थी। एक दो बार रागिनी ने आँखें उठाकर देवराज की ओर देखा तो दोनों कि नजरें मिलते ही रागिनी को देवराज कि आँखों में एक अपनापन सा लगा.... एक और भी चीज थी देवराज की आँखों में जिसे देखते ही रागिनी का मन बेचैन होने लगा, दिल में दर्द सा उठने लगा..... देवराज की आँखों में आँसू, हालांकि आँसू छलके नहीं थे, पलकों पर रुके आँखों में नमी ला रहे थे।

“सरला ये सब तो बच्चे थे लेकिन में और तुम तो सब जानते हैं.... देवराज ने कितने साल तक तो पहले इंतज़ार किया पहले तो अपनी नौकरी और परिवार की समस्याओं कि वजह से और फिर विजय भैया की वजह से...... जब शादी का समय आया तो विमला ने ऐसा कर दिया..... हमें अब दोबारा कुछ नहीं पूंछना..... कुछ नहीं जानना..... अब बताओ कि शादी कब करनी है” बलराज ने भावुक होते हुये कहा

“बल्लु भैया! शादी जल्दी से जल्दी करनी है.... अब में नहीं चाहती कि फिर से कोई नया मामला बने और फिर से इनकी शादी अटक जाए ...... वैसे भी अब इनकी उम्र अपनी शादी करने कि नहीं बच्चों की शादी करने की हो चुकी है” सरला ने कहा

तभी रागिनी ने नजरें उठाकर सभी की ओर देखा और सरला से कहा “बुआजी! कोई भी फैसला लेने से पहले में आपसे और इनसे कुछ बात करना चाहती हूँ”

“मुझे सबकुछ रवीद्र ने बता दिया है जो तुम कहना चाहती हो....” सरला ने जवाब दिया और अपने बराबर में बैठी रागिनी के कंधे पर हाथ रखकर अपने से सटा लिया

“भाभी! अगर रागिनी कुछ कहना चाहती है तो उनकी बात भी सुन लो.... क्या पता उनको कुछ और ही कहना हो.... आप कुछ और समझ रही हो” देवराज ने सरला से कहा तो सरला मुस्कुरा दी और रागिनी के कंधे पकड़कर अपनी ओर घुमाते हुये कहा

“ऐसा है तो अगर किसी को ऐतराज ना हो तो इन दोनों को ही आपस में अकेले बात कर लेने दो”

“नहीं...” सरला की बात सुनते ही देवराज और रागिनी के मुंह से एकसाथ निकला

“हा हा हा .... तुम दोनों तो अभी से एक सुर में बोलने लगे..... कोई बात नहीं....तुम दोनों ही आपस में बात कर लो। तुम्हें ही ज़िंदगी साथ में बितानी है.... हमें तो सिर्फ शादी का इंतजाम करना है सो आपस में बैठकर बात कर लेंगे.....”मोहिनी देवी ने हँसते हुये कहा तो सब हंस पड़े तो देव और रागिनी शर्मा गए... रागिनी के चेहरे पर मुस्कान देखकर देव भी मुस्कुराकर उसकी आँखों में देखकर इशारा करने लगा जैसे कह रहा हो...चलें।

“जाओ अंदर चले जाओ.... अब तुम दोनों कोई बच्चे नहीं हो....जो इतना शर्मा रहे हो” शांति देवी ने भी हँसते हुये कहा तो रजनी, सर्वेश की पत्नी उठ खड़ी हुई और दोनों को साथ आने का इशारा करती हुई अंदर को चल दी

देव भी उठ खड़ा हुआ और रागिनी की ओर देखने लगा तो सरला ने रागिनी का हाथ पकड़कर उसे उठने का इशारा किया तो आखिरकार रागिनी को उठना ही पड़ा, वैसे तो रागिनी खुद ही बात करना चाहती थी सरला और देवराज से लेकिन अकेले देवराज के साथ एकांत में बात करने जाना, वो भी सारे परिवार के सामने से... इस अहसास से ही रागिनी लजा गयी और आँखें झुकाये देव के पीछे अंदर की ओर चल दी

अंदर गैलरी में कुछ कमरे थे उसके बाद एक बड़ा सा आँगन था और आँगन के दूसरी ओर एक बड़ा सा हॉल था जिसमें दो सिंगल बैड पड़े हुये थे .... रजनी ने देवराज को उसी कमरे में जाने का इशारा किया और देव के अंदर जाने के बाद पीछे आ रही रागिनी जो कि देव को कमरे में जाते देख वहीं रुक गयी.... रजनी ने रागिनी का हाथ पकड़कर कमरे की ओर बढ़ाते हुये कहा....

“आप ऐसे मुझसे मत शर्माओ..... बेशक में आपकी चाची हूँ लेकिन उम्र में तो आपसे बहुत छोटी हूँ.... कम से कम 10-15 साल....” और रागिनी को अंदर करके बाहर से दरवाजा बंद करती हुई सबके पास वापस लौट गयी

.....................................

“गरिमा! श्री कहाँ है...?” रसोई में खाना बनती गरिमा ने आवाज सुनी तो निकालकर बाहर हॉल में आयी

“जी राणा जी! बताइये क्या सेवा कर सकती हूँ आपकी” अपनी कमर पर हाथ रखे गरिमा ने बड़े कामुक अंदाज में हॉल में सोफ़े पर बैठे रवीद्र से कहा

“सेवा तो जो भी कर दो कम ही रहेगी.... फिर भी जितनी कर सकती हो कर ही दो” कहते हुये रवीन्द्र ने बेडरूम की ओर इशारा किया

“सुबह-सुबह फिर से मूड बन गया.... कोई और काम नहीं है क्या?” गरिमा ने चिढ़ाते हुये कहा

“काम ही काम .............. बस काम ही तो करता हूँ में इसीलिए तो मेंने अपना नाम कामदेव रखा है..... लेकिन मेंने जो पूंछा उसका तो कोई जवाब नहीं दिया तुमने.... श्री कहाँ है”रवीन्द्र ने सोफ़े पर और भी पसरते हुये कहा

“दूध पिलाकर सुलाकर आयी हूँ.... नाश्ता करा दूँ आपको फिर उसे भी उठाकर नहला-धुला दूँ”

“उसकी तो माँ दूध पिलाकर सुला देती है और फिर नहला-धुला भी देती है.... इस बिन माँ के बच्चे का ख्याल रखने वाला कौन है” रवीद्र मुस्कुराकर बोला

“बिन माँ का बच्चा! अरे और बच्चों के तो एक माँ होती है.... तुम्हारे 2-2 माँ और 3-3 चाचियाँ हैं....उनमें से ही किसी का दूध पी लो जाकर और नहला-धुला भी देंगी.... कपड़े उतारके खड़े हो जाना” गरिमा ने भी मजे लेते हुये कहा

अच्छा जी” रवीद्र ने आँखें दिखते हुये कहा

“हाँ! तुम्हारी बुआ तो अब रही नहीं.... बहनें तो हैं उनसे ही काम चला लो.....” गरिमा ने मासूम सी सूरत बनाते हुये कहा तो रवीन्द्र सोफ़े से झटके से उठ खड़ा हुआ और गरिमा को पकड़कर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये

“सुशीला दीदी!” कहते हुये गरिमा एकदम रवीद्र से दूर हुई और रवीद्र भी नाम सुनकर गरिमा को अपनी बाहों से निकालकर पीछे घूमकर देखने लगा

“हा हा हा हा ...... वैसे तुमने ये तो पूंछा ही नहीं कि तुम्हारी ‘बहन’ सुशीला या मेरी दीदी” बहन शब्द पर ज़ोर देते हुये गरिमा ने कहा

“बहुत कमीनी है तू” रवीन्द्र ने भी झेपते हुये से हँसकर कहा

“बीवी किसकी हूँ..... कामदेव कि बीवी कमीनी नहीं होगी तो किसकी होगी” गरिमा ने मुसकुराते हुये कहा

“अच्छा जाओ नाश्ता ले आओ आज कुछ लोगों से मुलाक़ात कर लूँ..... बहुत दिन से कहीं गया नहीं”

“चलो में भी साथ चलती हूँ..... कुछ काम-धाम भी देख लेते हैं...कैसा चल रहा है.... सुशीला से वैसे तो रोज ही बात होती रहती है.... लेकिन कभी-कभी खुद भी देख लेना चाहिए” गरिमा ने रवीद्र की आँखों में झाँकते हुये कहा

“वहीं जाने की सोच रहा था.... तुम साथ चल रही हो तो और भी बढ़िया है.... वहाँ का काम तुम देख लेना” रवीन्द्र ने कमीनी मुस्कान के साथ कहा

“हाँ क्यों नहीं..... में काम देख लूँगी और तुम भी फुर्सत से अपनी बहन के हालचाल ले लोगे...बहुत दिन हो गए बहन को ‘प्यार’ किए हुये” गरिमा ने कहा और जीभ दिखती हुई रसोई में भाग गयी

......................................

“सुशीला! क्या बात हो गयी तुम्हारे और रवीद्र के बीच जो वो घर छोडकर चले गए” मंजरी और सुशीला उन सबके जाने के बाद खाना खाकर मंजरी के कमरे में बैठकर बात कर रही थी। बेला देवी बच्चों क साथ घेर में चली गईं थी घर पर अब कोई भी नहीं था, इन दोनों के अलावा

“दीदी ऐसी कोई बात नहीं कि वो घर छोडकर चले गए, बस अब वो हमेशा घर पर नहीं रहते पहले की तरह.... महीने में 1-2 बार आते रहते हैं या कोई जरूरी काम हो तो फोन करके बुला लेती हूँ...... फोन पर तो सारे दिन बात होती रहती है.... ये तो अपने भी देखा होगा कि हर घंटे – दो घंटे में मुझे फोन जरूर करते हैं” सुशीला ने कहा

“फिर भी कुछ तो बात है.... अगर तुम नहीं बताओगी तो भी मुझे पता है.... विनायक बता रहा था वहाँ किसी लड़की के साथ रह रहे हैं.... विनायक ने पूंछा कौन है तो बोले तुम्हारी चाची हैं ये भी” मंजरी ने चिंतित स्वर में कहा

“सही बताया विनायक ने उन्होने गरिमा से शादी कर ली है.....” सुशीला ने दर्द भरी मुस्कान के साथ कहा

“फिर तुम चुप क्यों हो.... पहले पिताजी ने 2 शादियाँ की, फिर धीरेंद्र ने और रवीद्र जो ऐसे बिलकुल नहीं लगते थे....उन्होने इस उम्र में आकर ऐसा किया.... अब तो मुझे विनायक के पापा से भी डर लगने लगा है...पता नहीं किस दिन तुम्हारी नयी जेठानी दरवाजे पर खड़ी हो” मंजरी ने गंभीरता से कहा

“आप भी दीदी.... इतना मत सोचो.... बाकी सबमें और इनमें बहुत फर्क है.... पिताजी ने इन माँ से अलग होने के बाद दूसरी शादी की, धीरेंद्र ने भी ऐसा ही किया.... लेकिन तुम्हारे देवर.... वो तो कभी मुझसे अलग हुये ही नहीं....आजतक एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ कि मुझे ये लगा हो कि उन्होने मुझे छोड़ दिया है.... हर बात या काम के लिए ही नहीं.... खाने के समय पर भी हमेशा तीनों समय फोन करके ये जरूर पूंछते हैं कि मेंने और बच्चों ने खाना खाया या नहीं.... यहाँ तक कि क्या बनाया और क्या नहीं बनाना चाहिए..... आपको सुनकर हंसी आ जाएगी.... आज भी वो मुझसे एक बात को लेकर परेशान हैं... क्या बना लूँ.... हर बार खाना बनाने से पहले पूंछती हूँ..... बस ये नहीं पूंछ पाती.... क्या खाओगे?” मुस्कुराकर बोलते हुये बात पूरी करते-करते सुशीला की आँखों में आँसू आ गए

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kamdev99008

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Btw action hai ki nahi aage chalke aur romance, thrill, maar pit, dhokha, suspense hai ki nahi aage chalke... aur heroine raginee ki kuch scenes dikhaiye... for example flashback mein college scenes, love scenes etc.. :D
अपने पढ़ा नहीं ढंग से.... एक्शन, रोमैन्स थ्रिल, सस्पेन्स, मार-पीट, धोखा सबकुछ तो था सुधा और नीलोफर की कहानी में........... और अभी तो विक्रम और विजयराज की भी कहानी बाकी है, रागिनी और देवराज की, रवीद्र की तो पूंछों ही मत....कितनी कहानियाँ बाकी हैं.... फिलहाल इस अपडेट में सुशीला के अलावा दूसरी कहानी 'गरिमा' की एक झलक दी है............... बाकी हाल फिलहाल रागिनी और देवराज की प्रेम और विरह की कहानी सामने आएगी......... :love3:

abhi tak jawab nahi diya ki is dev ke liye koi kaajal hai ki nahi is story mein :waiting1:
इस देव के लिए रागिनी है..... और रागिनी को तो आप पहले अपडेट से पढ़ती ही आ रही हैं...... उनके होते हुये किस काजल की मजाल कि देव के पास फटक भी जाए :D
 
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