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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


  • Total voters
    42

Mathur

°◥◣_◢◤°
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Hello, Ladies  & Gentleman, 
We are so glad to Introduce Ultimate Story Contest of this year.

Jaise ki aap sabhi Jante Hain is baar Hum USC contest chala rahe hain aur Kuch Din pahle hi Humne Rules & Queries Thread ka announce kar diya tha aur ab Ultimate Story Contest ka Entry Thread air kar diya hai jo 10th, June 2020, 11:59 PM ko close hoga.

Khair ab main point Par Aate Hain Jaisa ki entry thread aired ho chuka hai isliye aap Sabhi readers aur writers se Meri personally request hai ki is contest mein aap Jarur participate kare aur Apni kalpnao ko shabdon ka rasta dikha ke yaha pesh kare ho sakta hai log use pasand kare.
Aur Jo readers nahi likhna chahte wo bakiyo ki story padhke review de sakte hai mujhe bahut Khushi Hogi agar aap is contest mein participate lekar apni story likhenge to.

Ye aap Sabhi Ke liye ek bahut hi sunhara avsar hai isliye Aage Bade aur apni Kalpanao ko shabdon Mein likhkar Duniya Ko dikha De.

Ye ek short story contest hai jisme Minimum 800 words se maximum 6000 words tak allowed hai itne hi words mein apni story complete Karni Hogi, Aur ek hi post mein complete karna hai aur Entry Thread mein post karna hai.
I hope aap mujhe niraash nahi Karenge aur is contest Mein Jarur participate Lenge.

Rules Check Karne k Liye Ye Thread Use karein :- Rules And Queries Thread

Entry Post Karne k Liye Ye thread Use Karein :- Entry Thread
Reviews Post Karne K liye Ye thread Use karein :- Reviews Thread
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kamdev99008

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अध्याय 36

मुन्नी के घर के बाहर पहुँचकर विक्रम ने नीलोफर को अंदर जाने को कहा और खुद अपनी गाड़ी को एक ओर लगाकर आने का बताया। नीलोफर जब मुन्नी के घर पहुंची तो वहाँ मुन्नी के साथ-साथ नाज़िया भी मौजूद थी। नीलोफर को देखते ही उसने उठकर नीलोफर के मुंह पर थप्पड़ मारा तो ममता और मुन्नी ने आगे बढ़कर नाज़िया और नीलोफर को सम्हाला

“ये क्या किया तूने... पता है... विक्रम ने उन दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया और अब में या तू उस घर या इस शहर तो छोड़ इस देश में भी नहीं रह सकते... पुलिस ने उस पूरे मकान कि तलाशी ली और उन्हें मेरे बारे में सब पता चल गया... वो तो उस लड़के और लड़की को इन सबके बारे में कोई जानकारी नहीं थी... इसलिए हम यहाँ बैठे हैं... वरना अब तक इन सब ठिकानों पर पुलिस पहुँचकर हमें और इन सबको ले गयी होती...” नाज़िया ने गुस्से से नीलोफर को घूरते हुये धीरे से कहा

“तो क्या करतीं आप? कब तक उन दोनों को छिपाकर रखतीं... कभी न कभी तो उन्हें बाहर निकालना ही था...” नीलोफर ने भी गुस्से से ही कहा

तब तक विक्रम भी गाड़ी खड़ी करके मुन्नी के फ्लॅट पर पहुँच गया जब उसने अंदर से नाज़िया और नीलोफर की तेज आवाजें सुनी तो दरवाजे को धकेलते हुये अंदर घुसा

“नाज़िया आंटी! पहले मेरी बात सुनो...फिर कुछ बोलना” भिड़े हुये दरवाजे को खोलकर अंदर आते हुये विक्रम ने कहा

“बोलो अब क्या बोलना है तुम्हें... तुमने अपने बाप और बुआ को तो बचा लिया ... में ही कुर्बानी के लिए मिली...तुम बाप-बेटे ने भी हम माँ-बेटी की ज़िंदगी जहन्नुम बनाने में कोई कसर नहीं रखी....” गुस्से से भड़कते हुये नाज़िया ने कहा

“आंटी आपके बारे में नेहा ने भी कुछ नहीं कहा था... मेंने उसे समझा दिया था... लेकिन उस लड़के पर जब पुलिस ने अपना कहर ढाया तो वो तोते कि तरह सब बोलता चला गया... अब इसमें मेरी कोई गलती नहीं है... में सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि आप यहाँ से कहीं गायब हो जाओ... इस बारे में पापा से बात करो... वो कुछ इंतजाम कर ही देंगे... लेकिन न जाने कैसे हालात हों... इसलिए में नीलोफर को अपने कोटा वाले घर में छोड़ देता हूँ.... अब ये न तो उस घर में रह सकती है और न ही उस कॉलेज में पढ़ सकती है... अगर इस शहर में भी रही तो पुलिस इसे पकड़कर आपको दबोचने की कोशिश करेगी .... आपको कोटा ले जाने में ये मुश्किल है कि परिवार के लोगों से में क्या कहूँगा... इसलिए आपके लिए जो करना होगा पापा ही कर सकते हैं” विक्रम ने कहा

“लेकिन में नीलोफर को ऐसे अकेला कैसे भेज सकती हूँ तुम्हारे साथ” नाज़िया बोली

“आंटी आपको मुझ पर भरोसा हो या न हो... नीलोफर पर तो भरोसा है... और नीलोफर को मुझ पर भरोसा है या नहीं ....ये आप उससे पूंछ लो” विक्रम ने कहा तो नीलोफर ने तुरंत कहा

“माँ में विक्रम के साथ कहीं भी जाने या रहने को तैयार हूँ.... आप मेरी चिंता मत करो.... अपना देखो कि इस मामले से कैसे निकलोगी” कहते हुये नीलोफर विक्रम के साथ जाकर खड़ी हो गयी

“लेकिन जब तुम्हारी हमउम्र नीलोफर को साथ रखने पर तुम्हारे परिवार वालों को कोई ऐतराज नहीं तो मुझे साथ रखने में क्यों होगा... में तो तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ? कहीं इसमें तुम्हारी कोई चाल तो नहीं... मेरी बेटी को क्या घुट्टी पीला दी जो वो मुझे छोडकर तुम्हारे साथ जाने को मारी जा रही है” नाज़िया ने भड़कते हुये कहा और घूरकर विक्रम व नीलोफर को देखा

“आंटी मेंने आजतक आपको कोई नुकसान पहुंचाया है कभी? मेरे पापा के साथ आप अपनी मजबूरी में जुड़ीं लेकिन उन्होने भी आपको कुछ न कुछ सहारा ही दिया होगा... मुझे नहीं पता हमारे बारे में आपके मन में क्यों और कैसे ये जहर भर गया... में आपको इसलिए नहीं ले जा रहा क्योंकि इस धंधे सिर्फ लड़कियों के ही नहीं, ड्रग्स और पासपोर्ट के भी... हर उस धंधे से जुड़ा व्यक्ति जो आप और पापा चलते हो.... आपको जानता और पहचानता है.... उनमें से कुछ पुलिस के मुखबिर भी हैं.... जब मुझे पता चल गया कि आपके उस लड़के ने क्या बयान दिया है पुलिस के सामने, आपको भी पता चल गया ....तो कल को आपके बारे में भी कोई बता सकता है.... और पुलिस आपके पीछे पागलों की तरह पड़ी हुई है.... आपके पड़ोसी देश की नागरिक होने के कारण......... मामला बड़ा है... इसलिए आपको ले जाने का रिस्क में नहीं लूँगा............रहा नीलोफर का सवाल ...तो... नीलोफर का सिर्फ नाम पता है उन्हें... फोटो मिला है उन्हें.... लेकिन उनका कोई मुखबिर या आपके धंधों से जुड़ा कोई भी व्यक्ति नीलोफर को नहीं जानता... इसलिए में नहीं चाहता कि ऐसे माहौल में नीलोफर आपके साथ रहे और वो पुलिस या आपके धंधे से जुड़े लोगों की नज़र में आए, कुछ भी हो... लेकिन हम सब में, नीलोफर, ममता, शांति, दीपक, कुलदीप और रागिनी दीदी... सब बचपन से एक परिवार कि तरह किसी न किसी तरह आपस में जुड़े रहे हैं.... इसलिए मुझे नीलोफर कि इतनी चिंता है...” विक्रम कि बात सुनने के बाद ना सिर्फ नाज़िया बल्कि नीलोफर, ममता, शांति और मुन्नी देवी भी थोड़ी देर तक उसकी ओर देखती रह गईं और कुछ कह ना सकीं

“ठीक है... लेकिन मुझे वहाँ का पता और अगर कोई फोन नंबर हो तो वो भी, दे दो जिससे में तुमसे संपर्क में रहूँ” आखिर हथियार डालते हुये नाज़िया ने कहा

“आंटी में आपको कोई भी जानकारी नहीं दूँगा... हो सकता है कल को कोई आपके जरिये नीलोफर तक भी पहुँच जाए.... रही नीलोफर से मिलने की बात... तो जब सब कुछ शांत हो जाएगा तो पापा आपको मुझ तक पहुंचा देंगे या आपकी सूचना मुझ तक पहुंचा देंगे तो में नीलोफर को लेकर आ जाऊंगा.... बीच में भी आप पापा से बोलकर मुझसे नीलोफर कि जानकारी प्रपट कर सकती हैं...” विक्रम ने सपाट लहजे में नाज़िया को समझते हुये कहा

इस सारी बातचीत के दौरान जिकों लेकर ये सब बातें हो रही थीं... यानि नीलोफर... वो चुपचाप खड़ी उनकी बातें ही सुनती रही... खुद कुछ भी नहीं बोली। विक्रम ने बात खत्म कि और नीलोफर को अपना जरूरी सामान कपड़े आदि लेकर साथ आने के लिए कहा और नेचे जाकर अपनी गाड़ी में बैठ गया

“विजय... अब विक्रम नीलोफर को अपने साथ ले जा रहा है... कह रहा है कि वो उसे कोटा में अपने घर में सुरक्शित रखेगा” नाज़िया ने विक्रम के जाते ही विजयराज को फोन मिलाया और सारी बात बता दी जो उसके और विक्रम के बीच हुई थी

“कोई बात नहीं ... ये तो और भी अच्छा रहा... तुम किसी बात कि चिंता मत करो कोटा के पास मेरे भाई देवराज की हवेली है वो वहीं ले जा रहा है... वहाँ मेरा भतीजा रविन्द्र रहता है... अगर कोई परेशानी हुई तो वो सबकुछ सम्हाल भी लेगा... किसी भी तरह से....... और तुम्हें जब भी नीलोफर से बात करनी हो में करवा दिया करूंगा” उधर से विजयराज ने कहा तभी अंदर से अपना बैग लेकर नीलोफर भी वहाँ आ गयी

“अब तो हो गयी तसल्ली आपको? विजयराज अंकल ने भी कह दिया... अब तो में जाऊँ?” नीलोफर ने कहा तो नाज़िया ने फोन रखते हुये सहमति में सिर हिलाया और आगे बढ़कर नीलोफर को गले लगा लिया

“आज पहली बार तू मुझसे दूर जा रही है? अपना ख्याल रखना। मेरा तेरे सिवा कोई भी नहीं इस दुनिया में। में ये ज़िंदगी सिर्फ तेरे लिए ही जी रही हूँ” नाज़िया ने नीलोफर को गले लगाकर कहा तो एक बार को तो नीलोफर का मन हुआ कि वो विक्रम से हुई सारी बात नाज़िया को बता दे... लेकिन फिर उसने सोचा कि पहले शादी हो जाए... तभी बताऊँगी तो आखिरकार इन्हें और विजयराज अंकल दोनों को ही ये रिश्ता कबूल करना ही पड़ेगा। फिर नीलोफर वहाँ से निकलकर विक्रम की गाड़ी में बैठी और चल दी एक अंजान सफर पर, अपने बचपन के प्यार के साथ।

नीलोफर को लेकर विक्रम चल दिया, नीलोफर अपने ख्यालों में खो गयी। नीलोफर सिर्फ प्यार या आकर्षण की वजह से विक्रम से शादी नहीं करना चाहती थी.... उसे भलीभाँति पता था कि उसकी माँ का पाकिस्तानी घुसपेथिया होना कभी भी ना सिर्फ उसकी माँ की ज़िंदगी में बल्कि उसकी अपनी ज़िंदगी में भी अस्थिरता ला सकता है। विक्रम से शादी करने से उसे ना सिर्फ यहाँ का नागरिक होने का प्रमाणन मिल जाना था बल्कि उसकी ऐसी सब पहचान भी खत्म हो जानी थीं जो उसके लिए परेशानी खड़ी करतीं।

अचानक नीलोफर ने देखा कि वो एक शहर से होकर निकल रहे हैं तो उसने वहाँ दुकानों पर लगे बोर्ड पर ध्यान दिया तो वहाँ बागपत उत्तर प्रदेश लिखा देखकर वो चौंक गयी। हालांकि वो कभी दिल्ली क्षेत्र से बाहर नहीं गयी थी लेकिन पढ़ लिखकर उसे ये तो मालूम ही चल गया था कि कौन सी जगह कहाँ पर है।

“ये हम इधर कहाँ जा रहे हैं... ये तो कोटा से बिलकुल उल्टी तरफ है” नीलोफर ने विक्रमादित्य से कहा

“अगर हम कोटा जाते तो वहाँ तुम्हारे माँ और मेरे पापा भी पहुँच जाते और शायद हमारे पीछे-पीछे ही पहुँच जाते... तब क्या करते... फिर तो वही दिल्ली वाली हालत हो जाती... इसलिए हम कहीं और जा रहे हैं... वहाँ चलकर शादी करते हैं फिर देखते हैं कहाँ रहना है, क्या करना है”

“ठीक है, जैसा तुम्हें सही लगे” नीलोफर ने कहा और विक्रम के कंधे से सिर टिकाकर गाना गाने लगी

तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है........

बांध लिया है...........

तेरे जुल्मो सितम सर आँखों पर


.............................................

इसी तरह इधर विक्रम और नीलोफर शहर-शहर बदलते इन लोगों कि नज़रों से छुपते फिरते रहे उधर विजयराज ने जब नाज़िया को बताया कि विक्रम और नीलोफर का कोई आता पता ही नहीं तो नाज़िया भी अपने छुपने के ठिकाने से बाहर निकलकर दिल्ली आ गयी और चुपचाप इन दोनों की तलाश करने लगी। जब किसी भी तरह से उसे कुछ पता नहीं चला तो नाज़िया ने विजय पर दवाब बनाना शुरू किया कि या तो वो नीलोफर को तलाश करके विक्रम से छुड़कर उसके हवाले करे या फिर बदले में अपनी बेटी रागिनी को नाज़िया कि जगह ये धंधा सम्हालने के लिए नाज़िया के हवाले करे वरना नाज़िया ना सिर्फ विजय बल्कि मुन्नी और विमला को भी अपने साथ जेल तक पहुंचा देगी। विजय शुरू में तो भड़क गया लेकिन मुन्नी और विमला ने जब डर कि वजह से नाज़िया के साथ मिलकर उसपर दवाब बनाना शुरू किया तो वो भी ना-नुकुर के बाद बेमन से तैयार हो गया... पर उसने अपनी एक शर्त राखी कि उसकी बेटी रागिनी के साथ कोई भी बाहरी आदमी कुछ नहीं करेगा...जो कुछ भी करना है वो खुद करेगा। इस बात पर नाज़िया सहमत तो हो गयी लेकिन उसने विजय को कोई चालाकी करने से रोकने और दवाब बनाए रखने के लिए मुन्नी की बेटी और विमला की बहू ममता को इस काम पर लगाया कि वो रागिनी को विजयराज के साथ चुदाई करने का इंतजाम करे और उसकी विडियो रिकॉर्डिंग करके नाज़िया को दे। ममता ने इस काम में रागिनी कि सहेली सुधा को शामिल करना चाहा और सुधा को ब्लैकमेल करके तैयार कर लिया... साथ ही उसने सोचा कि विजयराज के साथ-साथ अगर बलराज को भी इस मामले में शामिल कर लिया जाए तो सबूत और भी मजबूत बन जाएगा। आखिरकार ममता ने अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया इधर सुधा ने भी किसी तरह नेहा का पता लगाकर उसे ममता की इस योजना के बारे में विक्रम को खबर करने को कहा... सुधा का अंदाजा सही था, विक्रम दिल्ली की गतिविधियों की जानकारी के लिए सिर्फ नेहा के ही संपर्क में था। और किसी पर वो भरोसा भी नहीं कर सकता था क्योंकि नाज़िया को जननेवाला उसका हर परिचित... विजय का जानकार था...

विक्रम को ये खबर मिलते ही उसने अपने छुपने के ठिकाने से नीलोफर को लेकर वापसी की, उस समय नीलोफर के पेट में बच्चा होने की वजह से विक्रम उसे अकेला भी नहीं छोडना चाहता था। विक्रम ने दिल्ली आकर सुधा से मुलाक़ात की तो पता चला की विमला रागिनी को लेकर गायब है, विजय मुन्नी और नाज़िया विमला और रागिनी की तलाश कर रहे हैं। हुआ ये कि ऐन वक़्त पर जब विमला रागिनी को लेकर नाज़िया के हवाले करने जा रही थी जहां ममता विजयराज और बलराज को लेकर अनेवाली थी... तभी विमला कि अंतरात्मा ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। विमला को याद आया कि कैसे उसे बचपन में उसकी भाभियों यानि रागिनी कि ताई और माँ ने अपनी बेटी कि तरह पाला... उसकी सगी माँ से ज्यादा ख्याल रखा... तो वो रागिनी को उनके हवाले करने की बजाय उसे लेकर अपनी ससुराल आगरा चली गयी।

इधर विक्रम ने सुधा के बताए अनुसार पहले ममता से मुलाक़ात की तो विक्रम के खौफ से ममता ने उसे सारा सच बता दिया। विक्रम, बलराज और नाज़िया सभी विमला और रागिनी की तलाश करने लगे... लेकिन विक्रम कि विजयराज और नाज़िया से मुलाक़ात नहीं हुई। इधर किसी तरह अंदाजा लगाकर अचानक ही विजयराज के दिमाग में विमला की ससुराल का ख्याल आया तो वो नाज़िया को लेकर वहाँ को चल दिया... इधर विक्रम के दिमाग में विमला को लेकर पहला ख्याल ही आगरा जाने का आया। इस तरह से सभी लगभग साथ-साथ ही विमला की ससुराल पहुंचे। वहाँ पहुँचकर जब सभी का आमना सामना हुआ तो विमला ने मौके कि नज़ाकत को देखते हुये रागिनी को विक्रम के हवाले कर दिया और खुद विजयराज व नाज़िया के साथ दिल्ली वापस लौटने को तैयार हो गयी। नाज़िया ने विक्रम के साथ रागिनी को जाने देने के लिए अपनी शर्त रख दी कि दिल्ली पहुँचकर विक्रम नीलोफर को उसके हवाले कर देगा। तो विक्रम ने नाज़िया को बताया कि उसने और नीलोफर ने शादी कर ली है साथ ही नीलोफर माँ बननेवाली है। नाज़िया ने कहा कि उसे इससे कोई ऐतराज नहीं है... लेकिन विक्रम एक बार नीलोफर से मिलवाये। इसके बाद वो सभी दिल्ली वापस आने लगे तो रास्ते में पलवल के पास मेवात इलाके के जंगल में उन्हें पाकिस्तानी इंटेलिजेंस के लोगों ने घेर लिया। वहाँ आपस में गोलीबारी हुई जिसमें विमला मारी गयी और रागिनी के सिर में चोट लगकर वो बेहोश हो गयी। आखिरकार इंटेलिजेंस वाले इन सबको मेवात के एक मुस्लिम गाँव में ले गए और विक्रम को इस शर्त पर छोड़ा कि वो नीलोफर को लेकर यहाँ वापस आए और रागिनी को ले जाए। रागिनी चोट लगने के बाद से ही बेहोश थी। विक्रम ने भी मौके की नज़ाकत और रागिनी की हालत को देखते हुये दिल्ली वापसी कि और नीलोफर को सबकुछ बता दिया तो नीलोफर ने भी उससे कहा कि अभी उसके हालात को देखते हुये उसके साथ कोई कुछ नहीं कर पाएगा जब तक कि उसके बच्चे का जन्म नहीं हो जाता, क्योंकि अगर उसके बच्चे को मरने कि कोशिश कि या उसके साथ जबरन बलात्कार करने कि कोशिश कि गयी तो बच्चे के साथ-साथ वो भी मारी जाएगी, अगर ऐसा हुआ तो नाज़िया उनके हाथ से निकल जाएगी...जो कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस नहीं चाहेगा। अभी विक्रम उसे उन लोगों के हवाले करे और रागिनी को बचाए उसके बाद अगर विक्रम को सच में नीलोफर से प्यार है तो वो लाहौर आकार उसे वापस लेकर आयेगा।

और हुआ भी ऐसे ही... बस कुछ तब्दीलियों के साथ

............. विक्रम और नीलोफर मेवात पहुंचे तो नीलोफर के हालात को देखते हुये इंटेलिजेंस वालों ने नीलोफर को गुपचुप तरीके से पाकिस्तान में घुसाने में असमर्थता जाहिर की और नीलोफर के बिना नाज़िया ने जाने से इंकार कर दिया। तब विक्रम ने कहा कि वो रागिनी को सुरक्षित जगह पर छोडकर यहाँ नीलोफर के साथ बच्चा होने तक रहेगा... बच्चा होने के बाद वो और नीलोफर बच्चे के साथ पाकिस्तान आ जाएंगे और फिर हमेशा वहीं रहेंगे.... नाज़िया के साथ। विक्रम को नए नाम राणा शमशेर अली के नाम से और नीलोफर को उसकी पत्नी के तौर पर पाकिस्तानी पासपोर्ट, भारतीय वीजा और उनके भारत में आने की जानकारी दर्ज करना पाकिस्तानी इंटेलिजेंस का काम होगा.... जिससे कि बच्चा होने के बाद वो लाहौर वापिस जा सकें।

इस तरह नाज़िया को लेकर वो लाहौर वापस लौट गए और विक्रम रागिनी व नीलोफर दोनों को लेकर दिल्ली वापस लौटा। दिल्ली आकर विक्रम ने ममता को रागिनी के अफरन और जान से मारने के मामले में पुलिस को ले जाकर गिरफ्तार करा दिया... विजय और मुन्नी पहले ही गायब हो गए मेवात से निकलते ही। रागिनी कि तबीयत ठीक होने पर जब उसे होश आया तो पता चला कि उसकी याददास्त चली गयी है तो विक्रम ने उसे ले जाकर कोटा में अपनी हवेली में छोड़ा... जहां पहले ही वो ममता की बेटी अनुराधा को पुलिस से अपनी कस्टडि में लेकर छोड़े हुये था...

इधर दिल्ली में जब नीलोफर को बच्चा पैदा होने के लिए भर्ती कराया गया तब तक लाहौर से कागजात आ चुके थे तो नाम पता राणा शमशेर आली और उसकी पत्नी जो उमेरकोट पाकिस्तान के रहने वाले थे दर्ज कराया गया। यहाँ एक रहस्योद्घाटन हुआ... नीलोफर के जुड़वां बच्चे थे.... इसकी जानकारी मिलते ही विक्रम ने अस्पताल के लोगों से मिलकर इस बात को दबा दिया और बच्चे पैदा होते ही रेकॉर्ड में केवल एक बच्चा दर्ज करवाया तथा दूसरे बच्चे को ले जाकर कोटा रागिनी के पास छोड़ आया।

अब नीलोफर कि वजह से विक्रम को पाकिस्तान तो जाना ही था... क्योंकि उन लोगों से बिगाड़कर वो नीलोफर को यहाँ नहीं रख सकता था वरना यहाँ की पुलिस नीलोफर को पकड़कर पाकिस्तान भेज देती...इन सब हालात को गौर करते हुये विक्रम उर्फ राणा शमशेर अली अपनी पत्नी नीलोफर और बेटे राणा समीर के साथ पाकिस्तान में रहने लगा... बीच-बीच में वो चुपके-चुपके घुसपैठिए के रूप में सरहद पार करके कोटा भी आता जाता रहता था।

फिर एक दिन नाज़िया अपनी ज़िंदगी से आज़ाद हो गयी... नाज़िया की मौत के बाद विक्रम ने वापस हिंदुस्तान लौटने के लिए एक योजना बनाई। विक्रम की नकली लाश श्रीगंगानगर में बरामद करा दी गयी जिससे यहाँ उसकी मौत प्रमाणित हो जाए साथ ही पाकिस्तान में उनका घर आतंकवादी हमले में बम से उड़ा दिया गया जीमें राणा शमशेर अली, नीलोफर जहां और राणा समीर मारे गए। विक्रम नीलोफर और समीर को लेकर गुपचुप तरीके से सरहद पार करके चंडीगढ़ पहुंचा और नए नामों... रणविजय सिंह, नीलम सिंह व समर प्रताप सिंह …….. के रूप में चंडीगढ़ में बस गया।

...............................................

“अब बताइये रागिनी दीदी और सुशीला दीदी आप भी......... इस सब में हमारी क्या गलती थी... या हमने क्या गलत किया... किसी के भी साथ... आज क्या मुझे अपने ही बेटे को अपने सीने से लगाने का हक नहीं है

.........................................
 

kamdev99008

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bahut badhiya explain kiya par wo teeno vikram nilam aur beta kahi fase huye thay waha se bhagke sidha chandigadh kaise pahuche( wo update jab vikram ka naam muslim type tha waha dono ke bich ki baatchit)
bhai kisi bhi coment ka bura mat maanana , jaanne ki ichcha hoti hai aisi kahani padhkar ,suspense se bharpur , aage ke update me pata chal jaye shayad ,
Omg meri baato me kaminapan nazar aane laga, ye kab hua aur kaise ho sakta hai,,,,, :hmm:

:nana: main har haal me sharif aur masoom hu..koi maane ya na maane,,,, :yo:
chalo akhir dono set to gaye :)
Bahut khoob kamdev bhai. Waise aise hi vistaar se batane ki zarurat thi. Agar yahi sab vistaar se pahle bata dete aap to is tarah aapko yaha par batane ki zarurat hi nahi padti. Dusre hamare firefox420 bhai ko bhi aapse itne sawaal karne ka kast nahi uthana padta. Khair aapki maya aap hi jane. Aage ka bafi shiddat se intzaar rahega,,,,, :jump:
Bahut achcha explain kiya bhai. Bs thoda update ki speed bada do.
firefox420 bhai ko tasalli dena aapke liye zaruri hai..warna unke sawaal aur unke tewar besure ho jate hain,,,,, :lol1:
ab yeh kya naya chyappa hai.....
Khud hi fanshaya jhanjhat mein ab bol raha shaadi kar liyo toh all is well... Tharki kahin ka :doh:
Ab ek aur naya rishtedar rana rabindra patrap singh....
Khair let's see what happens next
Brilliant update.... Great going :applause: :applause:
Shandaar update
ab kisi ko to maze karne do yaar .. waha Chutiyadr Saab ki kahani mein to aap kajal ke peeche padi rehti ho .. aur yaha Vikram ke .. ve to waise he markar jinda hua hai .. kuch to raham khao .. saari jindagi to bechara apne baap ke kukarmo se bachta-bachata fir raha tha .. ab bhala maanush kuch to karega he .. aur waise bhi pyaar karne ka hak to har kisi ko hai .. kam se kam apne baap ki tarah to nahi ki jo mila uspar he chadh jao ...
ye comment padhne ke baad muzhe to yahi laga ki ye comment Dr. saab Chutiyadr ne likhi hogi .. kyonki aise lazzez aur mere dil ko chu-ne wale comments with itna hasne wali emoji wo he daalte hai .. par jab maine comments par signature check kiya to muzhe laga shayad ye meri aankho ka dhoka hai .. 2-3 baar repeatedly padhne ke baad muzhe .. vishwaas nahi hua .. ki ye to masoom bacche ne likhi hai .. phir maine apne sir ko jhatka diya .. aur bina aawaaz kiye jor se hasa .. phir muzhe comment likhne wale par taras aaya .. ki bechara kitna shareef baccha tha .. aur kaha se kaha tak aa gaya ...

abb bhai dekhlo maine to advance mein he aagha kiya tha ...

sorry to say brother .. now you have reached in an UN-treatable stage ...
bhiya itna bhadak kyu rahe ho .. maine to bahut he pyaar aur sam-maan dete hue aapse guhaar lagayi thi .. ki mere kuch prashann hai .. aur unke liye koi dabav bhi nahi banaya tha .. magar aapne meri dabi hui awaaz mein meri vinti ko galat dharna mein le liya .. waise iska outcome to accha he nikla ...

magar muzhe aapki ye baat bilkul hazam nahi hui ki aap meri lagatar request karne se pressure mein aa gaye aur ye update post kar di ... ?

but still no complain .. kam se kam aab update to aa he jaate hai .. waise bhi lomdi ko angur khane se matlab hona chahie .. beshak he unme kuch khatte he kyu na ho ... :lollypop:
Oh really......
toh yeh kya hai.... bhajan...

aage bhi hain... see..

:bat:
sukar kijiye.. baki ke kirdaar bache huye hai abhi tak..aade hatho naa li abhi tak.. . :D
Kuch bhi kahiye ya kuch bhi samajhiye bhai, main shareef aur masoom hu to hu, haan nahi toooo... :blush1:
Jaldi se Next update :waiting:
Naina kamdev baba ne rat ko post karne ki bat ki hai, lekin koun si rat ye nahi bataya hai :lol1:
ab ye purnima ka wada karke amavshya ko nibhate hai :haha:
Intzaar,,,, :waiting:
Update ka hai Intajar
bebasi ka aalam kya hai.. ye mere dil se pucho....

aise na kilsao mere chahne wale harami paathako.. by kamdev99008
WWAITINGGGGGGGGG.... :evillaugh:
iss maamle mein to main abhi bhi confuse hu ki.. aap dono mein se kaun jyaada kaabil hai :hehe: .. par har baar jab main nirnay par pahuchta hu to.. dusre ko sehan nahi hota.. aur wo dilo-jaan se lag jaata hai.. apne aapko iss daud mein vijeta ghoshit karne ke liye... magar ab to aapka he palda bhaari hota nazar aa raha hai... Pritam.bs bhai....
waiting. ... :tease3:
abhi tak likh rahe hai kya :hmm2:
डाल डाल पात पात करके अमरुद नहीं तोड़ना है यही रहिए और बस वही अपने पुराने अंदाज में जरा दो चार बातें अपडेट के ऊपर लिखते रहिएगा हमें अति प्रशंत्ता होती है ।
yani ki abhi 2 din aur lagne wale hai....
Great story full of family drama and suspense...
Update bhai
Intzaar kamdev bhai,,,, :waiting:

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अध्याय 36 आपके सामने प्रस्तुत है
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