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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


  • Total voters
    42

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,511
34,402
219
dhett teri ki..... :doh:
Ab hero bhi sayad buddha niklega :doh:

तभी तो कहानी फ्लैशबैक में चलेगी............

अब इतना भी बुड्ढा नहीं हूँ में :angry:
ज़िंदगी में तो हीरो बन नहीं सका.........हमेशा खलनायक रहा..........अपने घर-परिवार में अब भी खलनायक ही हूँ
कम से कम कहानी में तो हीरो बन ही सकता हूँ.............क्या अपनी ही लिखी कहानी का हीरो बनने का भी हक़ नहीं मुझे?
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,620
92,252
189
तभी तो कहानी फ्लैशबैक में चलेगी............

अब इतना भी बुड्ढा नहीं हूँ में :angry:
ज़िंदगी में तो हीरो बन नहीं सका.........हमेशा खलनायक रहा..........अपने घर-परिवार में अब भी खलनायक ही हूँ
कम से कम कहानी में तो हीरो बन ही सकता हूँ.............क्या अपनी ही लिखी कहानी का हीरो बनने का भी हक़ नहीं मुझे?
cool..... saant........ Jor Jor saans lijiye..
Toh ye baat sach ki ye kahani aapki apbiti hain..... :approve:
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,222
113,718
354
एक कोशिश है..... मन के अंदर दबी हुई आग, धुआँ और राख़ बाहर निकालने की..............
इन्हीं परिस्थितियों ने मुझे एक बेहतरीन पाठक बना दिया
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि में स्कूल में 5 साल की उम्र में पढ़ने गया था कक्षा 1 में
और 3 साल कि उम्र से पत्रिकाएँ, उपन्यास पढ़ता आ रहा हूँ..........5 साल की उम्र से हिन्दी अखबार और 8 साल कि उम्र से अङ्ग्रेज़ी अखबार पढ़ रहा हूँ............. हिन्दी, अङ्ग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत, पंजाबी और गुजराती की बहुत सी किताबें पढ़ी....अध्यात्म से लेकर इंजीन्यरिंग तक की..... बस जब मन बहुत बेचैन हो जाता....पढ़ने लगता...जो भी किताब या कागज सामने पड जाए
Waaah kamdev bhai kya baat hai, jawaab nahi aapka,,,, :claps:
 

TheBlackBlood

αlѵíժα
Supreme
78,222
113,718
354
पात्र परिचय ---- संदर्भ वर्ष 2019

कथा नायक : राणा रविन्द्र प्रताप सिंह उम्र 44 वर्ष

दादा जी का परिवार

रुद्र प्रताप सिंह - बाबा (दादा जी) 40 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

निर्मला देवी - दादी जी 7 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

जयराज सिंह - पिता 19 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

विजयराज सिंह - बड़े चाचा 2 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

गजराज सिंह - दूसरे चाचा 11 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

विमला देवी - बड़ी बुआ 19 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

कमला देवी - छोटी बुआ 37 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

बलराज सिंह - तीसरे चाचा उम्र 61 वर्ष

देवराज सिंह - छोटे चाचा उम्र 52 वर्ष

जयराज सिंह का परिवार :

बेला देवी - पहली पत्नी उम्र 70 वर्ष

वीरेंद्र सिंह - बेला देवी के इकलौते बेटे उम्र 47 वर्ष

वसुंधरा सिंह - दूसरी पत्नी उम्र लगभग 70 वर्ष

राणा रविन्द्र प्रताप सिंह - वसुंधरा सिंह का बड़ा बेटा

रुक्मिणी सिंह - वसुंधरा सिंह की बेटी

धीरेंद्र प्रताप सिंह - वसुंधरा सिंह का छोटा बेटा

विजयराज सिंह का परिवार :

कामिनी सिंह - पहली पत्नी 35 वर्ष पहले मृत्यु

रागिनी सिंह - कामिनी की पुत्री उम्र लगभग 50 वर्ष

विक्रमादित्य सिंह - कामिनी का पुत्र उम्र लगभग 43 वर्ष

शांति देवी - दूसरी पत्नी उम्र लगभग 40 वर्ष

अनुभूति सिंह - शांति देवी की पुत्री उम्र लगभग 18 वर्ष

गजराज सिंह के परिवार का विवरण :

मोहिनी सिंह - पत्नी उम्र लगभग 48 वर्ष

ऋतु सिंह - इकलौती बेटी उम्र 27 वर्ष

बलराज सिंह - अविवाहित

देवराज सिंह के परिवार का विवरण :

स्नेहलता - पत्नी

सहदेव - पुत्र

कामना - पुत्री

विमला देवी के परिवार का विवरण :

विजय सिंह - पति उम्र लगभग 80 वर्ष

वंदना - सौतेली बेटी उम्र लगभग 47 वर्ष

हेमा - बेटी-1 उम्र 41 वर्ष

जया - बेटी-2 उम्र 39 वर्ष

ज्योति - बेटी-3 मृत्यु 18 वर्ष पहले

दीपक - बेटा उम्र 37 वर्ष

कुलदीप - बेटा-2 उम्र 36 वर्ष

प्रदीप - बेटा-3 मृत्यु 18 वर्ष पहले

कमला देवी के परिवार का विवरण :

रणवीर सिंह - पति

दादी जी के मायके का परिवार

शम्भूनाथ सिंह - निर्मला देवी के पिता मृत्यु लगभग 50 वर्ष पहले

जयदेवी - निर्मला देवी की माँ मृत्यु लगभग 45 वर्ष पहले

सुमित्रा देवी - निर्मला की छोटी बहन मृत्यु 3 वर्ष पहले

माया देवी - निर्मला की दूसरी छोटी बहन मृत्यु लगभग 50 वर्ष पहले

शम्भूनाथ सिंह की जायदाद के एकमात्र वारिस

जयराज सिंह व विजयराज सिंह - पुत्र निर्मला देवी एवं रूद्र प्रताप सिंह

वर्तमान में कहानी में मौजूद पात्रों के परिवार का परिचय साथ-साथ आता रहेगा
जैसे :-
राणा रविन्द्र प्रताप सिंह का परिवार
विक्रमादित्य सिंह का परिवार
एवं अन्य इनके समकालीन

फिर भी यदि किसी को कोई परेशानी हो समझने में तो............. बेझिझक प्रश्न करें
Waaah kya baat hai kamdev bhai,,,,, :claps:

Kafi lamba chauda pariwar hai ye. Paatra itne saare hain ki agar zara sa bhi dhyaan bhatka to fir se confuse ho jana tay hai. Khair koi baat nahi, Yaha par vikramaditya ko ragini se chhota bataya aapne, jabki shayad ham sab yahi samajh rahe the ki wo ragini se bada hi hai ya hoga. :dazed:

Dusri baat kahani ka naayak bhi vikram nahi balki koi dusra hai jiska kahi koi pata hi nahi hai. Khair abhi to raaz par raaz khul rahe hain to mumkin hai ki aane wale waqt me sab kuch pata chal hi jayega. :dazed:

Agle update ka badi shiddat se intzaar rahega,,,,,,, :waiting:
 

Chutiyadr

Well-Known Member
16,889
41,092
259
पात्र परिचय ---- संदर्भ वर्ष 2019

कथा नायक : राणा रविन्द्र प्रताप सिंह उम्र 44 वर्ष

दादा जी का परिवार

रुद्र प्रताप सिंह - बाबा (दादा जी) 40 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

निर्मला देवी - दादी जी 7 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

जयराज सिंह - पिता 19 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

विजयराज सिंह - बड़े चाचा 2 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

गजराज सिंह - दूसरे चाचा 11 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

विमला देवी - बड़ी बुआ 19 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

कमला देवी - छोटी बुआ 37 वर्ष पहले मृत्यु हो गयी

बलराज सिंह - तीसरे चाचा उम्र 61 वर्ष

देवराज सिंह - छोटे चाचा उम्र 52 वर्ष

जयराज सिंह का परिवार :

बेला देवी - पहली पत्नी उम्र 70 वर्ष

वीरेंद्र सिंह - बेला देवी के इकलौते बेटे उम्र 47 वर्ष

वसुंधरा सिंह - दूसरी पत्नी उम्र लगभग 70 वर्ष

राणा रविन्द्र प्रताप सिंह - वसुंधरा सिंह का बड़ा बेटा

रुक्मिणी सिंह - वसुंधरा सिंह की बेटी

धीरेंद्र प्रताप सिंह - वसुंधरा सिंह का छोटा बेटा

विजयराज सिंह का परिवार :

कामिनी सिंह - पहली पत्नी 35 वर्ष पहले मृत्यु

रागिनी सिंह - कामिनी की पुत्री उम्र लगभग 50 वर्ष

विक्रमादित्य सिंह - कामिनी का पुत्र उम्र लगभग 43 वर्ष

शांति देवी - दूसरी पत्नी उम्र लगभग 40 वर्ष

अनुभूति सिंह - शांति देवी की पुत्री उम्र लगभग 18 वर्ष

गजराज सिंह के परिवार का विवरण :

मोहिनी सिंह - पत्नी उम्र लगभग 48 वर्ष

ऋतु सिंह - इकलौती बेटी उम्र 27 वर्ष

बलराज सिंह - अविवाहित

देवराज सिंह के परिवार का विवरण :

स्नेहलता - पत्नी

सहदेव - पुत्र

कामना - पुत्री

विमला देवी के परिवार का विवरण :

विजय सिंह - पति उम्र लगभग 80 वर्ष

वंदना - सौतेली बेटी उम्र लगभग 47 वर्ष

हेमा - बेटी-1 उम्र 41 वर्ष

जया - बेटी-2 उम्र 39 वर्ष

ज्योति - बेटी-3 मृत्यु 18 वर्ष पहले

दीपक - बेटा उम्र 37 वर्ष

कुलदीप - बेटा-2 उम्र 36 वर्ष

प्रदीप - बेटा-3 मृत्यु 18 वर्ष पहले

कमला देवी के परिवार का विवरण :

रणवीर सिंह - पति

दादी जी के मायके का परिवार

शम्भूनाथ सिंह - निर्मला देवी के पिता मृत्यु लगभग 50 वर्ष पहले

जयदेवी - निर्मला देवी की माँ मृत्यु लगभग 45 वर्ष पहले

सुमित्रा देवी - निर्मला की छोटी बहन मृत्यु 3 वर्ष पहले

माया देवी - निर्मला की दूसरी छोटी बहन मृत्यु लगभग 50 वर्ष पहले

शम्भूनाथ सिंह की जायदाद के एकमात्र वारिस

जयराज सिंह व विजयराज सिंह - पुत्र निर्मला देवी एवं रूद्र प्रताप सिंह

वर्तमान में कहानी में मौजूद पात्रों के परिवार का परिचय साथ-साथ आता रहेगा
जैसे :-
राणा रविन्द्र प्रताप सिंह का परिवार
विक्रमादित्य सिंह का परिवार
एवं अन्य इनके समकालीन

फिर भी यदि किसी को कोई परेशानी हो समझने में तो............. बेझिझक प्रश्न करें
ye sahi kaam kiya :)
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,511
34,402
219
अध्याय 26

दरवाजे से आयी आवाज सुनकर तीनों ने पलटकर देखा तो ऋतु और तीनों बच्चे खड़े हुये थे.... तीनों ने एक दूसरे की ओर देखा की ऋतु ने सवाल किस से किया है....

“माँ में आप से ही पूंछ रही हूँ? दीदी को तो जो कुछ पता चला है, दूसरों ने बताया है। लेकिन आप तो सबकुछ जानती हैं...अपने क्यों नहीं बताया अब तक” ऋतु ने मोहिनी देवी से कहा तो मोहिनी ने मुसकुराते हुये चारों को अपने पास आने का इशारा किया

“मेंने बलराज की वजह से नहीं बताया था, तुम्हें अजीब लग रहा होगा न बलराज का नाम मेरे मुंह से सुनकर... तुम्हारे सामने मेंने कभी उसका नाम लिया भी नहीं... में आज तुम लोगों को सबकुछ बताने ही आयी हूँ... क्योंकि अब तुम सब ही इस घर में रह गए हो... तुम्हें ही ये घर सम्हालना है.... रवि के बारे में तो शायद मुझसे ज्यादा कोई जानता भी नहीं होगा... वसुंधरा दीदी भी नहीं... और सुशीला भी नहीं” मोहिनी ने ऋतु से कहा “में आज यहीं रुकूँगी तुम सब अभी बाहर से आ रहे हो... हाथ मुंह धोकर पहले खाना खा लेते हैं फिर बताती हूँ सबके बारे में”

“अब ये रवि कौन है” ऋतु ने फिर पूंछा

“राणा रविन्द्र प्रताप सिंह.... मेरा रवि... मेरे लिए वो तुम सब से बढ़कर है ... मेरा पहला बेटा....” मोहिनी ने भावुक होते हुये जवाब दिया साथ ही उनकी आँखों में नमी उतार आयी “आज कितने बरस हो गए उसे देखे हुये... अब तो उसकी शक्ल भी याद नहीं... लेकिन आज भी सामने आते ही पहचान लूँगी... उसको तो बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ में”

ऋतु ने उनकी ओर शंकित भाव से देखते हुये अनुराधा, प्रबल और अनुभूति को हाथ मुंह धोने को कहा और खुद भी चल दी। उनके जाते ही शांति देवी भी उठकर रसोईघर की ओर चल दीं, रागिनी भी उनके पीछे चल दी तो मोहिनी ने उठते हुये कहा

“बेटा तुम बैठो आज तुम्हारी माँ नहीं हैं तो चाचियाँ हैं... और में तो तुम्हारी मौसी भी हूँ... तुम्हारी माँ कामिनी मेरी बड़ी बहन थी... तुम्हें याद नहीं है... तुम मुझसे 2 साल बड़ी हो और में और तुम बचपन में साथ-साथ खेलते थे... तुम मुझे बहुत मारती थी.... फिर दीदी ने ही मेरी शादी तुम्हारे चाचा से करा दी”

कहते हुये मोहिनी देवी भी रसोईघर की ओर चली गईं... रागिनी भी उनके पीछे-पीछे चली गयी। थोड़ी देर बाद उन्होने खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दिया और सभी बच्चे भी वहीं आ गए। इस बार कोई कुछ नहीं बोला और सभी ने चुपचाप बैठकर खाना खाया... खाना खाकर मोहिनी और शांति देवी रसोईघर में साफ सफाई और बर्तन साफ करने लगीं।

रागिनी ने ऋतु और बच्चों को अपने पास हॉल में बैठाया और उनके रहने की व्यवस्था समझाई तो तीनों बच्चों ने अपनी सहमति जताई और ऋतु ने अपना नया सुझाव दिया कि क्यों ना वो भी बच्चों के साथ दूसरी मंजिल पर ही रहे और अनुराधा व अनुभूति को एक साथ एक ही कमरे में रखा जाए जिससे नीचे एक कमरा खाली रहे किसी विशेष अतिथि के आने पर प्रयोग के लिए... और तीसरी मंजिल के कमरों को पढ़ाई और व्यायाम के लिए सभी के प्रयोग हेतु रखा जाए... जिस पर रागिनी और बच्चों ने भी अपनी सहमति दे दी।

तब तक रसोईघर से शांति और मोहिनी भी आ गईं तो वो सभी पहले कि तरह सोफ़े पर बैठकर बात करने कि बजाय रागिनी के कमरे में पहुंचे ताकि आराम से बैठकर पूरी बात की जा सके

“अब बताइये आप क्या बताना चाहती हैं” वहाँ सभी के बैठते ही ऋतु ने मोहिनी से कहा

“ऋतु! ऐसे बात करते हैं माँ से?” रागिनी ने गुस्से से ऋतु की ओर देखा

“कोई बात नहीं बेटा! उसका भी गुस्सा जायज है... लेकिन अब में तुम्हें बताती हूँ... जो कुछ में जानती हूँ... हालांकि में कभी परिवार के साथ नहीं रही... इसलिए बहुत ज्यादा मुझे नहीं पता सिर्फ अपने से जुड़े मामले ही पता हैं....लेकिन में वो बाद में सुनाऊँगी कभी फुर्सत से... अभी खास-खास बातें और परिवार के लोगों के बारे में बताती हूँ

सबसे पहले तो वो बात जो ऋतु के ही नहीं तुम सब के दिमाग में भी होगी कि बलराज और मेरे बीच में कैसा रिश्ता है और विक्रम के साथ में यहाँ क्यों आती थी....

मेरे पति का नाम गजराज सिंह था तुम्हारे बड़े चाचा, और ऋतु मेरी और उनकी ही बेटी है.... उनकी एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी.... उसके बाद मेरे मायके वाले मुझे नोएडा ले आए... में भी कभी परिवार के साथ नहीं रही तो मुझे भी अपने मायकेवालों के साथ रहना ज्यादा बेहतर लगा.... लेकिन कुछ समय बाद मेरे भाई के परिवार में भी वही कहानी शुरू हो गयी जो मेरे घर में थी, सब अलग-अलग हो गए तो मेंने ऋतु के साथ अकेले रहना शुरू कर दिया... तब ऋतु 4-5 साल कि थी। मेरे अकेले रहने की बात मेरे बड़े देवर बलराज सिंह को पता चली जिनकी शादी नहीं हुई थी... क्योंकि वो किसी काम में भी उतने तेज नहीं थे ... ना नौकरी में, न व्यवसाय में और ना ही उतने आकर्षक थे... इसलिए उनके लिए अनेवाले रिश्ते उनके छोटे भाई देवराज के लिए ज़ोर देने लगे... देवराज कि भी उम्र बढ़ रही थी और आर्थिक हालात हमारे परिवार के दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे थे उसे देखते हुये आखिरकार देवराज कि शादी कर ली गयी... जिससे उनकी शादी होने कि संभावनाएँ ही खत्म हो गईं। बलराज को जब पता चला कि में ऋतु को लेकर अकेली रह रही हूँ तो वो आकर मेरे पास रहने लगे, मेरे पास पति कि दुरघाना कि क्षतिपूर्ति में मिला काफी पैसा था तो आर्थिक रूप से कोई परेशानी नहीं थी... लेकिन उनके साथ रहने से मेरे भाई-भतीजों को परेशानी होने लगी... उन्हें लाग्ने लगा कि मेरे पास जो पैसा है वो में कहीं अपने परिवार वालों को न दे दूँ और वो लोग हाथ मलते रह जाएँ, जिस उम्मीद में मुझे नोएडा लेकर आए थे। जब हालात काबू से बाहर होने लगे तो मेंने और बलराज ने फैसला किया कि कहीं ऐसी जगह चलकर रहते हैं जहां मेरे मायके का कोई कभी पहुँच ना सके। फिर हम नोएडा से दिल्ली आ गए और रहने लगे... लेकिन जिस मकान में रहते थे उसके मकान मालिक और आसपड़ोस के लोग मेरे और बलराज के रिश्ते को लेकर बातें करने लगे तो हमने ये फैसला किया कि अब हम फिर से किसी नयी जगह रहते हैं और वहाँ खुद को देवर भाभी नहीं पति-पत्नी बताएँगे और वैसे ही रहेंगे भी.... सिर्फ एक ही शर्त होगी कि अपने कमरे के अंदर हम देवर भाभी ही रहेंगे... कोई शारीरिक या भावनात्मक रिश्ता पति-पत्नी वाला नहीं होगा हमारे बीच कभी भी। और वो रिश्ता आजतक वैसा ही चला आ रहा है.... हम दोनों ने बाहर वालों को तो छोड़ो आजतक ऋतु को भी महसूस नहीं होने दिया कि वो ऋतु के पिता नहीं या ऋतु उनकी बेटी नहीं है....

अब बात करते हैं विक्रम के साथ मेरे यहाँ आने की... तो विक्रम के और मेरे संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे तो खराब भी नहीं रहे। पारिवारिक मामलों में रवि के बाद अपने ऊपर ज़िम्मेदारी आने पर विक्रम मुझसे सलाह लेने लगा, बलराज तो पहले ही ना तो इन मामलों को ज्यादा जानते थे और ना दखल देते थे। में विक्रम के साथ यहाँ शांति से मिलने आती थी... और इनके पास रुकती भी थी... ये रिश्ते में बेशक मुझसे बड़ी, मेरी जेठानी हैं लेकिन उम्र में मेरे बराबर ही हैं और बेटी को लेकर यहाँ अकेली रहती थीं तो कभी कभी में पूरा दिन यहाँ आकर इनके पास रुकती थी... रात को रुकने के लिए बहुत बार इनहोने भी कहा और मेरा भी मन हुआ, लेकिन में इसलिए नहीं रुकती थी कि तुम्हें क्या बताऊँगी कि में किसके पास गयी और उनका रिश्ता क्या है....

अब बात करें बाकी परिवार की.... तो पहले तुम्हारे बड़े ताऊजी जयराज भाई साहब के परिवार से शुरू करते हैं.... जयराज भाई साहब 5 भाई और 2 बहनों में सबसे बड़े थे... वो इंडियन नेवी में थे .... ऑफिसर रैंक में.... उनकी पहली पत्नी से उनका तलाक हो गया था... किस वजह से हुआ, मुझे आजतक पता नहीं ... उनके बच्चों के बारे में जो मुझे पता चला बहुत साल बाद कि उनकी पहली पत्नी से एक बेटा है ....वो अपने बेटे के साथ अपने मायके में रहने लगीं... उनके कोई भाई-बहन भी नहीं थे इसलिए अपने पिता कि जायदाद की वो अकेली वारिस थीं

तलाक के बाद जयराज भाई साहब ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी और दूसरी शादी कर ली ... वसुंधरा दीदी से .... उनके 3 बच्चे हैं ... बड़ा बेटा रवि जो मुझसे 3 साल छोटा है जिसे राणा रविन्द्र प्रताप सिंह के नाम से जाना जाता है... उससे छोटी बेटी है रुक्मिणी सिंह जिसकी शादी हो चुकी है और अपने घर है उससे छोटा एक और बेटा है धीरु उर्फ धीरेंद्र प्रताप सिंह इसकी 2 शादियाँ हुई हैं पहले एक लड़की से प्रेम विवाह किया... फिर कुछ समय बाद दोनों अलग हो गए पहली पत्नी से एक बेटी है जो अपनी माँ के साथ ननिहाल में रहती है...फिर दूसरी शादी हुई और उसे तुम जान सकती हो.... हमारे परिवार का ही सुरेश जो विक्रम के साथ पढ़ता था.... उसकी पत्नी पूनम की छोटी बहन स्वाति से दूसरी शादी हुई धीरेंद्र की, स्वाति के अभी कोई बच्चा नहीं है”

“पूनम की बहन.... यानि पूनम भी उन लोगों के बारे में जानती है... फिर उसने हमें क्यों नहीं बताया?” रागिनी ने पूंछा

“वो इसलिए कि अब उनमें से कोई भी किसी से संपर्क नहीं रखना चाहता न कोई किसी के संपर्क में रहा ....अब” मोहिनी ने जवाब दिया

“अच्छा अब आगे बताइये” रागिनी ने उत्सुकता से कहा

“रवि का तो मेंने बताया ही नहीं.... रवि की भी शादी हो गयी थी... रवि की पत्नी सुशीला बहुत मिलनसार, समझदार और सुंदर है.... मेरी हमउम्र है तो बहू से ज्यादा सहेली हुआ करती थी मेरी, रवि के 2 बच्चे हैं .... बेटा भानु और बेटी वैदेही। भानु तो लगभग अनुभूति की उम्र का होगा.... और बेटी शायद 3 साल छोटी है

अब बात करते हैं विजयराज भाई साहब की, उनका अंदाज हमेशा से ही निराला रहा है... वो पिछले 50 साल से घर से अलग रहे हैं हमेशा.... जब उनकी बेटी यानि तुम पैदा हुईं थीं तभी वो परिवार से अलग हो गए...कभी-कभी आते जाते रहे थे... लेकिन किसी को नहीं पता की कब क्या करते थे.... परिवार में कोई उनके बारे में कुछ नहीं बता सकता .......

लगभग 35 वर्ष पहले कामिनी दीदी की मौत हो गयी... उस समय तो हैजा होने से मौत बताई थी लेकिन बाद में वसुंधरा दीदी ने बताया था कि उन्होने जहर खाकर एटीएम हत्या कर ली थी... पति-पत्नी में आपस में किसी विवाद कि वजह से उस समय तुम 15 साल कि थी और विक्रम 8 साल का ….. लेकिन कामिनी दीदी के बाद तो विजयराज भइसहब तो सुधारने कि बजाय और भी आज़ाद हो गए... यहाँ तक कि कभी कभी तो महीनों तक घर में किसी को ये भी पता नहीं होता था की वो कहाँ रहते हैं और तुम लोग कहाँ पर हो....जयराज भाई साहब ने कहा कि बच्चे उनके साथ रहेंगे.... लेकिन विजयराज भाई साहब तैयार नहीं हुये... फिर विक्रम एक दिन घर से भाग गया.... पता नहीं कहाँ............. बहुत साल तक पता ही नहीं चला....बाद में विक्रम बहुत साल बाद पता लगाता हुआ रवि के पास पहुंचा... और वहीं से सबके संपर्क में आया.... लेकिन वो भी विजयराज भाई साहब कि तरह ही घर में कभी नहीं रहा... किसी के भी पास... बस जब कभी आता रहता था सबसे मिलने.... बाकी,…. कहाँ रहता है और क्या करता है... कोई नहीं जानता............ उधर उसी समय विक्रम के गायब होने के बाद ही विजयराज भाई साहब तुम्हें लेकर विमला दीदी के यहाँ रहने चले गए.... और फिर विमला दीदी के पति के एक मामले में जेल चले जाने के बाद विमला दीदी और विजयराज भाई साहब भी पता नहीं कहाँ गायब हो गए.... बहुत सालों तक कुछ पता नहीं चला.... जब विक्रम ने मुझे ये सारा मामला जिसमें तुम्हारी याददास्त चली गयी थी, बताया तब मुझे पता चला....

मेंने अपने और बलराज के बारे में तो तुम्हें बता ही दिया है............. देवराज की शादी हुई थी.... उस समय सारा परिवार नोएडा में रहता था और देवराज दिल्ली में.... शादी के बाद देवराज कि पत्नी स्नेहलता भी कभी परिवार के साथ नहीं रही...... हमेशा देवराज के साथ ही रही... हाँ! स्नेहलता को रवि से बहुत लगाव था और रवि को भी.... तुम, रवि, विक्रम, में और स्नेहलता लगभग एक ही उम्र के थे 2-3-4-5 साल का अंतर था आपस में.... लेकिन तुम और विक्रम कभी परिवार के साथ नहीं रहे ........... लेकिन रवि हम दोनों के साथ हमेशा रहा.... हमारी शादी के बाद इस घर में पहले दिन से......... इसलिए हमें उससे बहुत लगाव रहा।

हालांकि देवराज को परिवार में सभी से लगाव था... सबकी इज्जत करता था.... लेकिन सबसे अलग भी रहना पसंद था उसे.... परिवार के किसी भी सदस्य से कोई मतलब नहीं रखता था कि कौन क्या कर रहा है.... देवराज के 2 बच्चे हैं... 1 बेटा सहदेव अभी लगभग 26-27 साल का होगा ..... ऋतु से 2 साल बड़ा है... पिछली साल शादी हो गयी है उसकी... लेकिन परिवार में से कोई शामिल नहीं हुआ.... बेटी कामना 22-23 साल की है.... अभी पढ़ रही है.............. लेकिन घर में किसी को भी उनका पता-ठिकाना मालूम नहीं... ना वो आते-जाते और ना ही किसी से कोई संपर्क रखते” कहकर मोहिनी ने एक गहरी सांस ली जैसे मन से एक बहुत बड़ा बोझ उतार गया हो

“तो पापा, असल में मेरे चाचा हैं.... मेरे पापा तो इस दुनिया में रहे ही नहीं” ऋतु ने दर्द भरी आवाज में कहा

“मानो तो सब हैं......... ना मानो तो कोई भी नहीं.... तुम्हें मालूम है.... जब तुम्हारे बाबा (दादाजी) खत्म हुये थे.... तब विजयराज भाई साहब के अलावा 3 तीनों भाई और दोनों बहनें छोटे-छोटे थे.......... जयराज भाई साहब ने अपने बीवी बच्चों से ज्यादा इन सबके लिए किया.... पढ़ाया-लिखाया, काम-धंधे से लगाया और शादियाँ भी कीं ... सबकी... गजराज, बलराज, देवराज, कमला, विमला ... सबकी शादियाँ ... जयराज भाई साहब ने कीं ............. और जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके किसी भी बच्चे कि शादी नहीं हुई थी......... और .... जिन भाई बहनों की शादियाँ उन्होने कीं... उनमें से कोई भाई बहन उनके बच्चों की शादी कराने के लिए आगे नहीं आया .... यहाँ तक कि शादी में कुछ खर्च करना तो दूर.... शामिल तक होने से भी बचने कि कोशिश कि गयी........ सिर्फ इसलिए कि जयराज भैया कि मृत्यु कैंसर से हुई थी और उनके इलाज में उनका न सिर्फ सबकुछ खर्च हो गया बल्कि उनका व्यवसाय भी खत्म हो गया और कर्ज-देनदारी भी हो गयी.........” मोहिनी ने बड़े दर्द भरे स्वर में कहा

“माँ! ऐसा था तो आप तो उनके लिए कुछ कर सकती थीं” ऋतु ने कहा

“उस समय तुम्हारे पापा जिंदा थे, उन्होने और कुछ तो नहीं किया... लेकिन हाँ... हम शादियों में मौजूद जरूर रहे..... में उस समय किसी मामले में दखल नहीं देती थी” मोहिनी ने कहा

“कोई बात नहीं चाचीजी.......... वक़्त-वक़्त की बात है...... कल उनके साथ कोई नहीं था... आज उनके साथ की वजह से ही सब हैं... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि वो आखिर हैं तो कहाँ हैं............ और उन्होने सबकुछ अपने हाथ में आने के बाद..... विक्रम भैया को क्यों सौंप दिया.... आखिर क्या वजह थी?” रागिनी ने कहा

“इस बारे में मुझे पता नहीं.... आखिरी बार में उन सबसे गाँव में मिली थी... रवि परिवार सहित गाँव में ही रहने लगा था तो में वहाँ जब कभी आती जाती रहती थी.... लेकिन धीरे-धीरे वो भी बंद हो गाय...और फिर कुछ पता नहीं.... क्या हुआ.... बस एक दिन विक्रम ने आकर बताया कि रवि ने सबकुछ उसके हाथ में सौंप दिया है” मोहिनी ने कहा....

“ठीक है चाचीजी.... अब इसमें आपका या बलराज चाचा का तो कोई दोष नहीं है.........इसलिए आप लोग ऐसे मुंह मत छुपाओ.... अब आराम से खाने कि तैयारी करते हैं... छाछजी को भी फोन करके बुला लो... यहीं खाना खाना होगा उन्हें भी हमारे साथ” रागिनी ने मोहिनी से बोला....

और वो सभी शाम के खाने और घर के कामों में व्यस्त हो गए..........

उसी दौरान ऋतु के मोबाइल पर किसी का कॉल आया, ऋतु ने बात करने के बाद उन सबको बताया कि उसे अभी चंडीगढ़ जाना है.... जरूरी काम है.... किसी से मिलना है..............मोहिनी और रागिनी ने जब पूंछा कि क्या काम है तो ऋतु ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया..........लेकिन मोहिनी और रागिनी ने उसे ज़ोर देकर सुबह जाने के लिए बोला.... ऋतु को आखिरकार मानना ही पड़ा.... लेकिन वो एक मिनट भी चैन से नहीं बैठी.... पता नहीं क्या था उसके दिमाग में.......

...................................................
 

Rahul

Kingkong
60,556
70,667
354
तभी तो कहानी फ्लैशबैक में चलेगी............

अब इतना भी बुड्ढा नहीं हूँ में :angry:
ज़िंदगी में तो हीरो बन नहीं सका.........हमेशा खलनायक रहा..........अपने घर-परिवार में अब भी खलनायक ही हूँ
कम से कम कहानी में तो हीरो बन ही सकता हूँ.............क्या अपनी ही लिखी कहानी का हीरो बनने का भी हक़ नहीं मुझे?
bhai shant ho jaye high BP ki dava le lo aap ye naina na mere sath aapki jaan le legi bhai:cry:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,620
92,252
189
अध्याय 26

दरवाजे से आयी आवाज सुनकर तीनों ने पलटकर देखा तो ऋतु और तीनों बच्चे खड़े हुये थे.... तीनों ने एक दूसरे की ओर देखा की ऋतु ने सवाल किस से किया है....

“माँ में आप से ही पूंछ रही हूँ? दीदी को तो जो कुछ पता चला है, दूसरों ने बताया है। लेकिन आप तो सबकुछ जानती हैं...अपने क्यों नहीं बताया अब तक” ऋतु ने मोहिनी देवी से कहा तो मोहिनी ने मुसकुराते हुये चारों को अपने पास आने का इशारा किया

“मेंने बलराज की वजह से नहीं बताया था, तुम्हें अजीब लग रहा होगा न बलराज का नाम मेरे मुंह से सुनकर... तुम्हारे सामने मेंने कभी उसका नाम लिया भी नहीं... में आज तुम लोगों को सबकुछ बताने ही आयी हूँ... क्योंकि अब तुम सब ही इस घर में रह गए हो... तुम्हें ही ये घर सम्हालना है.... रवि के बारे में तो शायद मुझसे ज्यादा कोई जानता भी नहीं होगा... वसुंधरा दीदी भी नहीं... और सुशीला भी नहीं” मोहिनी ने ऋतु से कहा “में आज यहीं रुकूँगी तुम सब अभी बाहर से आ रहे हो... हाथ मुंह धोकर पहले खाना खा लेते हैं फिर बताती हूँ सबके बारे में”

“अब ये रवि कौन है” ऋतु ने फिर पूंछा

“राणा रविन्द्र प्रताप सिंह.... मेरा रवि... मेरे लिए वो तुम सब से बढ़कर है ... मेरा पहला बेटा....” मोहिनी ने भावुक होते हुये जवाब दिया साथ ही उनकी आँखों में नमी उतार आयी “आज कितने बरस हो गए उसे देखे हुये... अब तो उसकी शक्ल भी याद नहीं... लेकिन आज भी सामने आते ही पहचान लूँगी... उसको तो बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ में”

ऋतु ने उनकी ओर शंकित भाव से देखते हुये अनुराधा, प्रबल और अनुभूति को हाथ मुंह धोने को कहा और खुद भी चल दी। उनके जाते ही शांति देवी भी उठकर रसोईघर की ओर चल दीं, रागिनी भी उनके पीछे चल दी तो मोहिनी ने उठते हुये कहा

“बेटा तुम बैठो आज तुम्हारी माँ नहीं हैं तो चाचियाँ हैं... और में तो तुम्हारी मौसी भी हूँ... तुम्हारी माँ कामिनी मेरी बड़ी बहन थी... तुम्हें याद नहीं है... तुम मुझसे 2 साल बड़ी हो और में और तुम बचपन में साथ-साथ खेलते थे... तुम मुझे बहुत मारती थी.... फिर दीदी ने ही मेरी शादी तुम्हारे चाचा से करा दी”

कहते हुये मोहिनी देवी भी रसोईघर की ओर चली गईं... रागिनी भी उनके पीछे-पीछे चली गयी। थोड़ी देर बाद उन्होने खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दिया और सभी बच्चे भी वहीं आ गए। इस बार कोई कुछ नहीं बोला और सभी ने चुपचाप बैठकर खाना खाया... खाना खाकर मोहिनी और शांति देवी रसोईघर में साफ सफाई और बर्तन साफ करने लगीं।

रागिनी ने ऋतु और बच्चों को अपने पास हॉल में बैठाया और उनके रहने की व्यवस्था समझाई तो तीनों बच्चों ने अपनी सहमति जताई और ऋतु ने अपना नया सुझाव दिया कि क्यों ना वो भी बच्चों के साथ दूसरी मंजिल पर ही रहे और अनुराधा व अनुभूति को एक साथ एक ही कमरे में रखा जाए जिससे नीचे एक कमरा खाली रहे किसी विशेष अतिथि के आने पर प्रयोग के लिए... और तीसरी मंजिल के कमरों को पढ़ाई और व्यायाम के लिए सभी के प्रयोग हेतु रखा जाए... जिस पर रागिनी और बच्चों ने भी अपनी सहमति दे दी।

तब तक रसोईघर से शांति और मोहिनी भी आ गईं तो वो सभी पहले कि तरह सोफ़े पर बैठकर बात करने कि बजाय रागिनी के कमरे में पहुंचे ताकि आराम से बैठकर पूरी बात की जा सके

“अब बताइये आप क्या बताना चाहती हैं” वहाँ सभी के बैठते ही ऋतु ने मोहिनी से कहा

“ऋतु! ऐसे बात करते हैं माँ से?” रागिनी ने गुस्से से ऋतु की ओर देखा

“कोई बात नहीं बेटा! उसका भी गुस्सा जायज है... लेकिन अब में तुम्हें बताती हूँ... जो कुछ में जानती हूँ... हालांकि में कभी परिवार के साथ नहीं रही... इसलिए बहुत ज्यादा मुझे नहीं पता सिर्फ अपने से जुड़े मामले ही पता हैं....लेकिन में वो बाद में सुनाऊँगी कभी फुर्सत से... अभी खास-खास बातें और परिवार के लोगों के बारे में बताती हूँ

सबसे पहले तो वो बात जो ऋतु के ही नहीं तुम सब के दिमाग में भी होगी कि बलराज और मेरे बीच में कैसा रिश्ता है और विक्रम के साथ में यहाँ क्यों आती थी....

मेरे पति का नाम गजराज सिंह था तुम्हारे बड़े चाचा, और ऋतु मेरी और उनकी ही बेटी है.... उनकी एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी.... उसके बाद मेरे मायके वाले मुझे नोएडा ले आए... में भी कभी परिवार के साथ नहीं रही तो मुझे भी अपने मायकेवालों के साथ रहना ज्यादा बेहतर लगा.... लेकिन कुछ समय बाद मेरे भाई के परिवार में भी वही कहानी शुरू हो गयी जो मेरे घर में थी, सब अलग-अलग हो गए तो मेंने ऋतु के साथ अकेले रहना शुरू कर दिया... तब ऋतु 4-5 साल कि थी। मेरे अकेले रहने की बात मेरे बड़े देवर बलराज सिंह को पता चली जिनकी शादी नहीं हुई थी... क्योंकि वो किसी काम में भी उतने तेज नहीं थे ... ना नौकरी में, न व्यवसाय में और ना ही उतने आकर्षक थे... इसलिए उनके लिए अनेवाले रिश्ते उनके छोटे भाई देवराज के लिए ज़ोर देने लगे... देवराज कि भी उम्र बढ़ रही थी और आर्थिक हालात हमारे परिवार के दिनोंदिन बिगड़ते जा रहे थे उसे देखते हुये आखिरकार देवराज कि शादी कर ली गयी... जिससे उनकी शादी होने कि संभावनाएँ ही खत्म हो गईं। बलराज को जब पता चला कि में ऋतु को लेकर अकेली रह रही हूँ तो वो आकर मेरे पास रहने लगे, मेरे पास पति कि दुरघाना कि क्षतिपूर्ति में मिला काफी पैसा था तो आर्थिक रूप से कोई परेशानी नहीं थी... लेकिन उनके साथ रहने से मेरे भाई-भतीजों को परेशानी होने लगी... उन्हें लाग्ने लगा कि मेरे पास जो पैसा है वो में कहीं अपने परिवार वालों को न दे दूँ और वो लोग हाथ मलते रह जाएँ, जिस उम्मीद में मुझे नोएडा लेकर आए थे। जब हालात काबू से बाहर होने लगे तो मेंने और बलराज ने फैसला किया कि कहीं ऐसी जगह चलकर रहते हैं जहां मेरे मायके का कोई कभी पहुँच ना सके। फिर हम नोएडा से दिल्ली आ गए और रहने लगे... लेकिन जिस मकान में रहते थे उसके मकान मालिक और आसपड़ोस के लोग मेरे और बलराज के रिश्ते को लेकर बातें करने लगे तो हमने ये फैसला किया कि अब हम फिर से किसी नयी जगह रहते हैं और वहाँ खुद को देवर भाभी नहीं पति-पत्नी बताएँगे और वैसे ही रहेंगे भी.... सिर्फ एक ही शर्त होगी कि अपने कमरे के अंदर हम देवर भाभी ही रहेंगे... कोई शारीरिक या भावनात्मक रिश्ता पति-पत्नी वाला नहीं होगा हमारे बीच कभी भी। और वो रिश्ता आजतक वैसा ही चला आ रहा है.... हम दोनों ने बाहर वालों को तो छोड़ो आजतक ऋतु को भी महसूस नहीं होने दिया कि वो ऋतु के पिता नहीं या ऋतु उनकी बेटी नहीं है....

अब बात करते हैं विक्रम के साथ मेरे यहाँ आने की... तो विक्रम के और मेरे संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे तो खराब भी नहीं रहे। पारिवारिक मामलों में रवि के बाद अपने ऊपर ज़िम्मेदारी आने पर विक्रम मुझसे सलाह लेने लगा, बलराज तो पहले ही ना तो इन मामलों को ज्यादा जानते थे और ना दखल देते थे। में विक्रम के साथ यहाँ शांति से मिलने आती थी... और इनके पास रुकती भी थी... ये रिश्ते में बेशक मुझसे बड़ी, मेरी जेठानी हैं लेकिन उम्र में मेरे बराबर ही हैं और बेटी को लेकर यहाँ अकेली रहती थीं तो कभी कभी में पूरा दिन यहाँ आकर इनके पास रुकती थी... रात को रुकने के लिए बहुत बार इनहोने भी कहा और मेरा भी मन हुआ, लेकिन में इसलिए नहीं रुकती थी कि तुम्हें क्या बताऊँगी कि में किसके पास गयी और उनका रिश्ता क्या है....

अब बात करें बाकी परिवार की.... तो पहले तुम्हारे बड़े ताऊजी जयराज भाई साहब के परिवार से शुरू करते हैं.... जयराज भाई साहब 5 भाई और 2 बहनों में सबसे बड़े थे... वो इंडियन नेवी में थे .... ऑफिसर रैंक में.... उनकी पहली पत्नी से उनका तलाक हो गया था... किस वजह से हुआ, मुझे आजतक पता नहीं ... उनके बच्चों के बारे में जो मुझे पता चला बहुत साल बाद कि उनकी पहली पत्नी से एक बेटा है ....वो अपने बेटे के साथ अपने मायके में रहने लगीं... उनके कोई भाई-बहन भी नहीं थे इसलिए अपने पिता कि जायदाद की वो अकेली वारिस थीं

तलाक के बाद जयराज भाई साहब ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी और दूसरी शादी कर ली ... वसुंधरा दीदी से .... उनके 3 बच्चे हैं ... बड़ा बेटा रवि जो मुझसे 3 साल छोटा है जिसे राणा रविन्द्र प्रताप सिंह के नाम से जाना जाता है... उससे छोटी बेटी है रुक्मिणी सिंह जिसकी शादी हो चुकी है और अपने घर है उससे छोटा एक और बेटा है धीरु उर्फ धीरेंद्र प्रताप सिंह इसकी 2 शादियाँ हुई हैं पहले एक लड़की से प्रेम विवाह किया... फिर कुछ समय बाद दोनों अलग हो गए पहली पत्नी से एक बेटी है जो अपनी माँ के साथ ननिहाल में रहती है...फिर दूसरी शादी हुई और उसे तुम जान सकती हो.... हमारे परिवार का ही सुरेश जो विक्रम के साथ पढ़ता था.... उसकी पत्नी पूनम की छोटी बहन स्वाति से दूसरी शादी हुई धीरेंद्र की, स्वाति के अभी कोई बच्चा नहीं है”

“पूनम की बहन.... यानि पूनम भी उन लोगों के बारे में जानती है... फिर उसने हमें क्यों नहीं बताया?” रागिनी ने पूंछा

“वो इसलिए कि अब उनमें से कोई भी किसी से संपर्क नहीं रखना चाहता न कोई किसी के संपर्क में रहा ....अब” मोहिनी ने जवाब दिया

“अच्छा अब आगे बताइये” रागिनी ने उत्सुकता से कहा

“रवि का तो मेंने बताया ही नहीं.... रवि की भी शादी हो गयी थी... रवि की पत्नी सुशीला बहुत मिलनसार, समझदार और सुंदर है.... मेरी हमउम्र है तो बहू से ज्यादा सहेली हुआ करती थी मेरी, रवि के 2 बच्चे हैं .... बेटा भानु और बेटी वैदेही। भानु तो लगभग अनुभूति की उम्र का होगा.... और बेटी शायद 3 साल छोटी है

अब बात करते हैं विजयराज भाई साहब की, उनका अंदाज हमेशा से ही निराला रहा है... वो पिछले 50 साल से घर से अलग रहे हैं हमेशा.... जब उनकी बेटी यानि तुम पैदा हुईं थीं तभी वो परिवार से अलग हो गए...कभी-कभी आते जाते रहे थे... लेकिन किसी को नहीं पता की कब क्या करते थे.... परिवार में कोई उनके बारे में कुछ नहीं बता सकता .......

लगभग 35 वर्ष पहले कामिनी दीदी की मौत हो गयी... उस समय तो हैजा होने से मौत बताई थी लेकिन बाद में वसुंधरा दीदी ने बताया था कि उन्होने जहर खाकर एटीएम हत्या कर ली थी... पति-पत्नी में आपस में किसी विवाद कि वजह से उस समय तुम 15 साल कि थी और विक्रम 8 साल का ….. लेकिन कामिनी दीदी के बाद तो विजयराज भइसहब तो सुधारने कि बजाय और भी आज़ाद हो गए... यहाँ तक कि कभी कभी तो महीनों तक घर में किसी को ये भी पता नहीं होता था की वो कहाँ रहते हैं और तुम लोग कहाँ पर हो....जयराज भाई साहब ने कहा कि बच्चे उनके साथ रहेंगे.... लेकिन विजयराज भाई साहब तैयार नहीं हुये... फिर विक्रम एक दिन घर से भाग गया.... पता नहीं कहाँ............. बहुत साल तक पता ही नहीं चला....बाद में विक्रम बहुत साल बाद पता लगाता हुआ रवि के पास पहुंचा... और वहीं से सबके संपर्क में आया.... लेकिन वो भी विजयराज भाई साहब कि तरह ही घर में कभी नहीं रहा... किसी के भी पास... बस जब कभी आता रहता था सबसे मिलने.... बाकी,…. कहाँ रहता है और क्या करता है... कोई नहीं जानता............ उधर उसी समय विक्रम के गायब होने के बाद ही विजयराज भाई साहब तुम्हें लेकर विमला दीदी के यहाँ रहने चले गए.... और फिर विमला दीदी के पति के एक मामले में जेल चले जाने के बाद विमला दीदी और विजयराज भाई साहब भी पता नहीं कहाँ गायब हो गए.... बहुत सालों तक कुछ पता नहीं चला.... जब विक्रम ने मुझे ये सारा मामला जिसमें तुम्हारी याददास्त चली गयी थी, बताया तब मुझे पता चला....

मेंने अपने और बलराज के बारे में तो तुम्हें बता ही दिया है............. देवराज की शादी हुई थी.... उस समय सारा परिवार नोएडा में रहता था और देवराज दिल्ली में.... शादी के बाद देवराज कि पत्नी स्नेहलता भी कभी परिवार के साथ नहीं रही...... हमेशा देवराज के साथ ही रही... हाँ! स्नेहलता को रवि से बहुत लगाव था और रवि को भी.... तुम, रवि, विक्रम, में और स्नेहलता लगभग एक ही उम्र के थे 2-3-4-5 साल का अंतर था आपस में.... लेकिन तुम और विक्रम कभी परिवार के साथ नहीं रहे ........... लेकिन रवि हम दोनों के साथ हमेशा रहा.... हमारी शादी के बाद इस घर में पहले दिन से......... इसलिए हमें उससे बहुत लगाव रहा।

हालांकि देवराज को परिवार में सभी से लगाव था... सबकी इज्जत करता था.... लेकिन सबसे अलग भी रहना पसंद था उसे.... परिवार के किसी भी सदस्य से कोई मतलब नहीं रखता था कि कौन क्या कर रहा है.... देवराज के 2 बच्चे हैं... 1 बेटा सहदेव अभी लगभग 26-27 साल का होगा ..... ऋतु से 2 साल बड़ा है... पिछली साल शादी हो गयी है उसकी... लेकिन परिवार में से कोई शामिल नहीं हुआ.... बेटी कामना 22-23 साल की है.... अभी पढ़ रही है.............. लेकिन घर में किसी को भी उनका पता-ठिकाना मालूम नहीं... ना वो आते-जाते और ना ही किसी से कोई संपर्क रखते” कहकर मोहिनी ने एक गहरी सांस ली जैसे मन से एक बहुत बड़ा बोझ उतार गया हो

“तो पापा, असल में मेरे चाचा हैं.... मेरे पापा तो इस दुनिया में रहे ही नहीं” ऋतु ने दर्द भरी आवाज में कहा

“मानो तो सब हैं......... ना मानो तो कोई भी नहीं.... तुम्हें मालूम है.... जब तुम्हारे बाबा (दादाजी) खत्म हुये थे.... तब विजयराज भाई साहब के अलावा 3 तीनों भाई और दोनों बहनें छोटे-छोटे थे.......... जयराज भाई साहब ने अपने बीवी बच्चों से ज्यादा इन सबके लिए किया.... पढ़ाया-लिखाया, काम-धंधे से लगाया और शादियाँ भी कीं ... सबकी... गजराज, बलराज, देवराज, कमला, विमला ... सबकी शादियाँ ... जयराज भाई साहब ने कीं ............. और जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके किसी भी बच्चे कि शादी नहीं हुई थी......... और .... जिन भाई बहनों की शादियाँ उन्होने कीं... उनमें से कोई भाई बहन उनके बच्चों की शादी कराने के लिए आगे नहीं आया .... यहाँ तक कि शादी में कुछ खर्च करना तो दूर.... शामिल तक होने से भी बचने कि कोशिश कि गयी........ सिर्फ इसलिए कि जयराज भैया कि मृत्यु कैंसर से हुई थी और उनके इलाज में उनका न सिर्फ सबकुछ खर्च हो गया बल्कि उनका व्यवसाय भी खत्म हो गया और कर्ज-देनदारी भी हो गयी.........” मोहिनी ने बड़े दर्द भरे स्वर में कहा

“माँ! ऐसा था तो आप तो उनके लिए कुछ कर सकती थीं” ऋतु ने कहा

“उस समय तुम्हारे पापा जिंदा थे, उन्होने और कुछ तो नहीं किया... लेकिन हाँ... हम शादियों में मौजूद जरूर रहे..... में उस समय किसी मामले में दखल नहीं देती थी” मोहिनी ने कहा

“कोई बात नहीं चाचीजी.......... वक़्त-वक़्त की बात है...... कल उनके साथ कोई नहीं था... आज उनके साथ की वजह से ही सब हैं... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि वो आखिर हैं तो कहाँ हैं............ और उन्होने सबकुछ अपने हाथ में आने के बाद..... विक्रम भैया को क्यों सौंप दिया.... आखिर क्या वजह थी?” रागिनी ने कहा

“इस बारे में मुझे पता नहीं.... आखिरी बार में उन सबसे गाँव में मिली थी... रवि परिवार सहित गाँव में ही रहने लगा था तो में वहाँ जब कभी आती जाती रहती थी.... लेकिन धीरे-धीरे वो भी बंद हो गाय...और फिर कुछ पता नहीं.... क्या हुआ.... बस एक दिन विक्रम ने आकर बताया कि रवि ने सबकुछ उसके हाथ में सौंप दिया है” मोहिनी ने कहा....

“ठीक है चाचीजी.... अब इसमें आपका या बलराज चाचा का तो कोई दोष नहीं है.........इसलिए आप लोग ऐसे मुंह मत छुपाओ.... अब आराम से खाने कि तैयारी करते हैं... छाछजी को भी फोन करके बुला लो... यहीं खाना खाना होगा उन्हें भी हमारे साथ” रागिनी ने मोहिनी से बोला....

और वो सभी शाम के खाने और घर के कामों में व्यस्त हो गए..........

उसी दौरान ऋतु के मोबाइल पर किसी का कॉल आया, ऋतु ने बात करने के बाद उन सबको बताया कि उसे अभी चंडीगढ़ जाना है.... जरूरी काम है.... किसी से मिलना है..............मोहिनी और रागिनी ने जब पूंछा कि क्या काम है तो ऋतु ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया..........लेकिन मोहिनी और रागिनी ने उसे ज़ोर देकर सुबह जाने के लिए बोला.... ऋतु को आखिरकार मानना ही पड़ा.... लेकिन वो एक मिनट भी चैन से नहीं बैठी.... पता नहीं क्या था उसके दिमाग में.......

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Hmm bahot saare baate clear ho gayi hain.. kuch raaz ke upor se parde bhi haate...
Ab kiska phone aa gaya joh ritu itni bechain aur utawali ho rahi hain chandigarh jane ke liye....
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill kamdev ji... :rose:
 
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