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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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Shivansh

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मित्रो अपडेट दे दिया है पृष्ठ संख्या 34 पर..... पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें
अपडेट कुछ जटिल है लेकिन इसी से आगे की कहानी सरल होकर बढ़ेगी तो अपना सहयोग बनाए रखें
ragini, anuradha aur prabal.. teeno apni pehchan se waakif nahi hain abhi, shayad wo lifafe unki confusion ko dur kar sakein, vikram ne sabko unka adhikaar de diya hai, par anuradha aur prabal ki shaadi tak unki property ragini k haathon mein hi rahegi... badhiya update kamdev ji..
 

Shivansh

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अध्याय 11

ऋतु की बात सुनकर बलराज सिंह कुछ देर सोचते रहे फिर ऋतु से बोले “बेटा! तुम्हें इन सब से दूर रखना चाहता था में... लेकिन जब तुम्हें कुछ पता चला है तो अब सबकुछ ही जान लो..... लेकिन किसी तरह का कोई सवाल नहीं पूंछोगी.....और ना ही किसी से कुछ जानने की कोशिश करोगी.....किसी की ज़िंदगी में तुम दखल भी नहीं दोगी”

“ऐसी क्या बात है पापा? ...ठीक है... अब आप जो भी मुझे बताना चाहें बता सकते हैं... में इस मामले में ना तो फिर कभी कुछ पूंछूंगी और न करूंगी..... अगर आप कुछ न भी बताना चाहें तो कोई बात नहीं” ऋतु ने गंभीरता से कहा

“बेटा! ये तो तुम्हें पता चल ही गया है कि रागिनी कि याददास्त जा चुकी है और वो तुम्हारे देवराज चाचा कि पत्नी नहीं है....... बल्कि रागिनी और दोनों बच्चे ही हमारे परिवार के नहीं हैं........ विक्रम ने उस समय पर उनकी मुसीबत-परेशानी में उनको सहारा दिया और उनकी पहचान भी बदली तो कुछ वजह होगी” बलराज सिंह ने कहना शुरू किया “अब जितना में जानता हूँ रागिनी के बारे में....वो तुम्हें बता देता हूँ..... रागिनी को मेंने गाँव में आते ही पहचान लिया था... और वो भी मुझे जानती थी अब से 20 साल पहले.... दिल्ली में जिस घर का तुमने जिक्र किया है.... वो घर रागिनी का ही है...शायद विक्रम ने ही उसके लिफाफे में उसे बताया होगा...और”

“लेकिन पापा जब वो घर रागिनी का है तो माँ विक्रम भैया के साथ हम लोगो को बताए बिना उस घर में क्यों गईं थीं... क्या माँ भी जानती हैं रागिनी जी को...क्या उन लोगों से हमारा कोई रिश्ता है? या किसी और तरीके से इतनी गहरी जान पहचान कि... विक्रम भैया ने उन्हें याददास्त चले जाने पर भी इतने दिन से अपने पास रखा और देखभाल भी की” ऋतु ने बलराज सिंह की बात बीच में ही काटते हुये कहा

“हाँ! मोहिनी भी जानती है रागिनी को.... और अनुराधा को भी....... वो रागिनी के भाई कि बेटी है...... उन लोगों से हमारा बहुत करीबी रिश्ता है... लेकिन विक्रम नहीं जानता था.... अब या तो उसे वो रिश्ता पता चल गया या फिर वो वैसे भी कॉलेज से रागिनी को जानता था इसलिए उसने रागिनी के बुरे वक़्त में पनाह दी” बलराज सिंह बोले

“क्या रिश्ता है? पापा आप भी बात को साफ-साफ नहीं बोल रहे.... नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं” ऋतु से अब अपनी उत्सुकता नहीं छिपाई गयी

“रागिनी की माँ विमला... मेरी सगी बहन है.... हम पाँ... तीन भाइयों कि इकलौती बहन....तुम्हारी और विक्रम कि बुआ...... रागिनी तुम्हारी बड़ी बहन है”

“पापा आप पहले पाँच कहते कहते रूक गए.... क्या आप पाँच भाई थे...?”

“नहीं! हम 3 ही भाई थे... और एक बहन .... वो मुझसे गलती से निकाल गया था” बलराज सिंह ने हड़बड़ाते हुये कहा

“तो पापा हम उनसे मिल तो सकते हैं..... वैसे विमला बुआ और उनका बाकी परिवार भी तो होगा... उन्होने रागिनी दीदी के बारे में कभी विक्रम भैया से कुछ पूंछा क्यों नहीं... या विक्रम भैया ने ही उन्हें उनके घरवालों को क्यों नहीं सौंपा?” ऋतु ने फिर से सवाल कर दिया

“बस! अब कुछ मत पूंछों ऋतु... बस ये ही समझ लो कि विमला के भी परिवार में रागिनी और अनुराधा को छोडकर कोई नहीं बचा......” बलराज सिंह ने दर्द भरी आवाज में कहा “जैसे हम भाइयों के परिवार में... सिर्फ में, तुम्हारी माँ और तुम बचे हैं”

“ठीक है पापा...... अब में आपसे इस सिलसिले में कभी कोई बात नहीं करूंगी” कहते हुये ऋतु ने फोन काट दिया

बलराज सिंह कॉल काटने के बहुत देर बाद तक भी फोन कि ओर देखते रहे... फिर उन्होने कॉल मिलाया

“कैसे हैं आप? सब ठीक तो है” कॉल उठते ही दूसरी ओर से मोहिनी देवी कि आवाज आयी

“में ठीक हूँ... तुम्हें कुछ बताना था...”

“क्या? जल्दी बताओ... मेरा दिल बहुत घबरा रहा है...क्या विक्रम के बारे में कोई बात है”

“नहीं! ऋतु के बारे में और.... रागिनी के बारे में भी” बलराज सिंह बोले “परसों मेंने तुम्हें बताया था कि रागिनी अनुराधा, प्रबल और पूनम के साथ कोटा गयी है... लेकिन आज मुझे ऋतु का फोन आया था ...कल उसने प्रबल और पूनम को किशन गंज वाले घर में जाते देखा...रागिनी के घर”

“इसका मतलब...” मोहिनी आगे कुछ बोल नहीं पायी

“नहीं रागिनी कि याददास्त एकदम से नहीं आ गयी.... उस मकान के बारे में शायद विक्रम ने ही उन लिफाफों में कुछ बताया होगा.... इसीलिए वो वहाँ पहुँच गयी”

“हाँ! यही हुआ होगा...... अगर रागिनी कि याददास्त वापस आ गयी होती.... तो अब तक न जाने क्या हो जाता...लेकिन याद रखना.... अब वो किशनगंज पहुँच गयी है.... वहाँ उसे बहुत कुछ जाना पहचाना मिलेगा तो उसकी पूरी याददास्त न सही कुछ तो यादें बाहर आएंगी ही, कुछ बातें वहाँ के लोग बताएँगे... मेरा तो दिल दहल जाता है ये सोचकर कि जिस दिन वो आकर हमारे सामने खड़ी होगी... हमारे लिए इस दुनिया में कहीं मुंह छुपाने को भी जगह नहीं मिलेगी..... कैसे कर पाऊँगी उसकी नज़रों का सामना....... और अगर ऋतु के सामने ये सब आया तो........” मोहिनी ने रोते हुये कहा....एक डर कि थरथराहट उसकी आवाज में साफ झलक रही थी

“मोहिनी अब जो होना है...होगा ही...आज या कल.... हर इंसान को उसकी गलतियों की सज़ा मिलती ही है....... चाहे वो कितना भी छुपा ले या पश्चाताप भी कर ले......... कर्म का फल तो भुगतना ही होता है..... में तो चाहता हूँ कि अब सबकुछ जल्दी से जल्दी सबके सामने आ जाए... इतने सालों से जो डर दिमाग पर हावी रहा है वो भी खत्म हो जाए, इस डर की वजह से हमारी आँखों के सामने ही हमारा परिवार हमारे अपने हमसे दूर होते चले और हम कुछ न कर सके...में तो तभी रागिनी और अनुराधा को सब बताना चाहता था लेकिन तुमने ही रोक दिया... आज मेंने ऋतु को रागिनी और अनुराधा के बारे में सब बता दिया है” बलराज सिंह रुँधे हुये स्वर में बोले

“क्या? अब क्या करना है...जब ऋतु को आपने सब बता ही दिया है तो मेरे ख्याल से अब आप भी यहाँ आ जाओ और हम सब चलकर एक बार रागिनी से भी मिलते हैं और ये सारी दूरियाँ खत्म करके एक साथ मिलकर फिर से ज़िंदगी शुरू करते हैं जैसी पहले थी” मोहिनी ने आशा भरे स्वर में कहा “अब तक तो मेंने सब कुछ विक्रम के भरोसे छोड़ा हुआ था ...उसने कहा था कि सही वक़्त आने पर वो सबकुछ सही कर देगा.......... लेकिन वो वक़्त आने से पहले विक्रम ही नहीं रहा.......अब सारे परिवार में एक आप ही अकेले हो ........अब तो जो करना है आप को ही करना है...... सही या गलत..... अगर अपने यही जिम्मेदारियाँ पहले ले ली होती तो इतना सबकुछ नहीं बिगड़ता....... चलो जब जागो तभी सवेरा” कहते हुये रागिनी ने फोन काट दिया

बलराज सिंह अपनी सोचों में गुम होकर वहीं बैठक में लेट गए

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उधर हवेली में ~~

रागिनी ने सुबह उठकर चाय बनाई तब तक अनुराधा और प्रबल भी अपने कमरों से निकलकर बाहर ड्राइंग रूम मे आकर बैठ गए और तीनों ने साथ बैठकर चाय पी... चाय पीकर रागिनी ने उन दोनों को अपना अपना सामान पैक करने को कहा और खुद अपने कमरे में अपना समान पैक करने चली गयी लगभग घंटे भर बाद तीनों ने अपने अपने बैग लाकर हॉल में रख दिये... तभी रागिनी के दिमाग में कुछ आया तो वो नीचे मौजूद एक मात्र कमरे की ओर बढ़ी और उसका दरवाजा खोला.... ये कमरा विक्रम का था... रागिनी और दोनों बच्चों के कमरे ऊपर थे...इस कमरे में कभी भी किसी को भी घुसने कि इजाजत नहीं थी... विक्रम से अगर रागिनी या बच्चों को बात करनी होती थी तो बाहर से ही आवाज देते थे और विक्रम ड्राइंग रूम में ही बात करता था....शुरू शुरू में तो रागिनी को ये बड़ा अजीब लगता था... लेकिन धीरे धीरे इसकी आदत हो गयी, बच्चे भी जब बड़े होने लगे तो उन्होने भी बिना कहे ही अपने आप समझकर इसी नियम का पालन किया...... लेकिन आज जब विक्रम नहीं रहा तो रागिनी के मन में आया कि जब हम यहाँ से जा ही रहे हैं तो शायद विक्रम के सामान में कुछ ऐसा हो जिसे ले जाना चाहिए और साथ ही उसके मन में दबी उत्सुकता भी कि आखिर इस कमरे में ऐसा क्या है जो विक्रम किसी को भी कमरे में नहीं आने देता था.... यहाँ तक कि उस कमरे कि साफ सफाई भी वो खुद ही करता था।

रागिनी दरवाजा खोलकर कमरे में घुसी तो वहाँ एक बैड, एक स्टडी टेबल, कुछ बुकसेल्फ एफ़जेएनमें किताबें भरी हुई थी और एक कोने में बार बना हुआ था। तभी रागिनी को अपने पीछे किसी के होने का आभास हुआ... पलटकर देखा तो अनुराधा और प्रबल भी अंदर आकर कमरे में खड़े थे तो रागिनी ने कहा

“कपड़ों वगैरह का तो कुछ करना नहीं है..... यहाँ कोई कागजात या ऐसी कोई चीज जिसमें किसी तरह कि जानकारी हो...वो साथ ले चलना है... तुम लोग टेबल और इन बुकसेल्फ में देखो... में उधर देखती हूँ” बार कि ओर इशारा करते हुये

प्रबल बुकसेल्फ में रखी किताबों को पलटकर देखने लगा कि कोई खास चीज हो... इधर अनुराधा ने टेबल को देखना शुरू किया...रागिनी ने बार कि सेल्फ में बने दराजों को खोलकर चेक करना शुरू किया और तीनों को जो भी काम कि छेज दिखी इकट्ठी करते गए...कुछ डायरियाँ, कुछ मेमोरी डिस्क, लैपटाप, कुछ फाइलें और कुछ फोटो जो भी मिला सब इकट्ठा करके पैक कर लिया और उस कमरे को फिर से बंद करके बाहर आ गए। फिर रागिनी ने गेट पर कॉल करके चौकीदार को बुलाया और सारे बैग गाड़ी में रखवाए और पूनम को फोन करके बताया की वो लोग आ रहे हैं और दोपहर का खाना उन्हीं के साथ खाएँगे...साथ ही सुरेश को भी घर ही मिलने का बोला। इसके बाद रागिनी और अनुराधा ने मिलकर नाश्ता तयार किया और वे सब नाश्ता करके घर से निकल पड़े। जाने से पहले रागिनी ने चौकीदारों को बताया की वे लोग किसी काम की वजह से कुछ समय दिल्ली में रुकेंगे, इसलिए घर का ध्यान रखें और कोई भी विशेष बात हो तो उनसे फोन पर संपर्क कर लें।

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ragini se bahut kuch chupaya ja raha hai... balraaj aur mohini ne bhi shayad kuch bura kiya hai ragini ke saath... rahasya se bhari hai kahani.. bahut badhiya update hai kamdev sir :thumbup:
 

kamdev99008

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अध्याय 21

“राधा तू यहाँ... क्या यहीं एड्मिशन ले रही है??” कॉलेज में प्रिन्सिपल ऑफिस के सामने खड़े प्रबल और अनुराधा को देखकर अनुपमा जो अभी-अभी अपनी क्लास से बाहर निकली थी... उनके पास आकर बोली

“हाँ अनु! में और प्रबल अब यहीं पढ़ेंगे.... ऋतु बुआ यहीं एड्मिशन करा रही हैं हमारा” अनुराधा ने कहा

“तुम तो 2nd इयर में होगी और प्रबल 1st इयर में” अनुपमा ने पूंछा

“नहीं हम दोनों ही 1st इयर में ही हैं..... बचपन से ही में प्रबल को छोडकर स्कूल नहीं जाती थी... इसलिए बाद में हम दोनों को एक साथ एक ही क्लास में पढ़ने भेजा गया... जब प्रबल भी स्कूल जाने लायक हो गया” अनुराधा ने बताया

“ही...ही...ही...ही... और तो सब भाई अपनी बहन का ध्यान रखते हैं स्कूल, कॉलेज या घर के बाहर लेकिन मुझे तो लगता है यहाँ उल्टा तुम अपने भाई का ध्यान रखोगी.... कहीं कोई लड़की उसे छेड़ न दे” अनुपमा ने हँसते हुये प्रबल की ओर देखकर उसे चिढ़ाते हुये कहा

“मज़ाक मत उड़ा मेरे भाई का.... वो कमजोर नहीं है...बस में उससे प्यार करती हूँ... इसलिए उसका ध्यान रखती हूँ... मेरा छोटा भाई है आखिर......... और मुझे लगता है...की और लड़कियों को तो वो खुद सम्हाल लेगा.... बस तुझसे मुझे ही बचाना होगा” अनुराधा ने भी हँसते हुये कहा

“दीदी आप भी मज़ाक बना रही हो मेरा” प्रबल ने शर्माते हुये अनुपमा से कहा तो अनुपमा ने भोंहें चढ़ाते हुये उसे घूरकर देखा

“मेरा नाम अनुपमा है... तुम प्यार से अनु भी कह सकते हो..... दीदी बस अपनी दीदी को कहा करो.... खबरदार जो मुझे दीदी कहा तो.......” अनुपमा ने कहा तो अनुराधा जवाब में उससे कुछ कहने को हुई तभी ऋतु प्रिन्सिपल ऑफिस से बाहर निकलकर उनके पास आ गयी...

“ये लो तुम्हारी रसीद .... तुम दोनों का एड्मिशन हो गया कल से कॉलेज आना शुरू कर दो” ऋतु ने अनुराधा को कागज देते हुये कहा तो अनुपमा ने प्रश्नवाचक दृष्टि से अनुराधा की ओर देखा

“ये मेरी ऋतु बुआ हैं... अभी बताया था न इन्होने ही एड्मिशन कराया है हमारा यहाँ...” अनुराधा ने उसे बताया और फिर ऋतु से बोली “बुआ ये अनुपमा है...अपने बराबर वाले घर में रहती है... हम दोनों बचपन में एक साथ खेलती थीं... जब में और माँ यहाँ रहा करते थे”

“बुआ जी नमस्ते” अनुपमा ने ऋतु को हाथ जोड़कर नमस्ते किया और अनुराधा से बोली “लेकिन ये बता ये बुआ कैसे हुई तेरी...क्योंकि यहाँ तुम्हारे परिवार का तो कोई कभी देखा सुना ही नहीं मेंने... और तू रागिनी बुआ को माँ क्यों कहती है”

“में बताती हूँ... विक्रमादित्य भैया को तो जानती थी न तुम... में उनकी छोटी और रागिनी दीदी मेरी बड़ी बहन हैं.... और में इसी कॉलेज में पढ़ती थी... बल्कि में ही नहीं.... रागिनी दीदी और विक्रम भैया भी इसी कॉलेज में पढे हैं.... विक्रम भैया ने मेरा एड्मिशन कराया था यहाँ.... अब मेंने इन दोनों का कराया है” ऋतु ने अनुराधा और प्रबल की पीठ पर हाथ रखते हुये कहा

“और पता है.... ऋतु बुआ वकालत करती हैं.... अब ये हमारे साथ यहीं रहेंगी....अब कल से तेरे साथ ही कॉलेज आया करेंगे हम....”अनुराधा ने अनुपमा से कहा “और तू क्या कह रही थी....माँ क्यों कहती हूँ.... अपने घर में सबसे पूंछ लेना... तुझे तो शायद याद नहीं.... में हमेशा से उन्हें माँ ही कहती थी... वो ही मेरी माँ हैं और हमेशा रहेंगी”

“ठीक है मेरी माँ, चल में भी घर चलती हूँ.... कॉलेज में पढ़के भी बंक नहीं मारा तो कॉलेज की बेइज्जती हो जाएगी” कहते हुये अनुपमा ने अनुराधा के चेहरे से नजर हटाई तो ऋतु को घूरते हुये पाया...उसकी हंसी वहीं की वहीं रुक गयी

“अच्छा तो कल से यही होगा...अब तो एक से दो बल्कि तीन का गिरोह बन जाएगा” ऋतु ने घूरते हुये कहा

“अरे नहीं बुआ... ऐसा कुछ नहीं... में कहीं और थोड़े ही जा रही हूँ…घर ही तो चल रही हूँ...वहाँ आपके पास ही आ जाऊँगी...आपसे भी तो जान पहचान करनी है....” अनुपमा ने हँसते हुये कहा और उन तीनों के आगे आगे कॉलेज के गेट की ओर चल दी...

ऋतु भी उन दोनों को लेकर बाहर की ओर चल दी... कुछ देर में वे सभी घर पहुँच गए। घर पहुँचकर अनुपमा अपने घर चली गयी। रागिनी ने उन्हें बोला की फ्रेश होकर खाना खा लें ... वो तीनों फ्रेश होकर कपड़े बदलकर आए तभी अनुपमा भी आ गयी और बोली की वो भी आज उनही के साथ खाना खाएगी... खाना खाते पर रागिनी ने अनुपमा और उसके परिवार के बारे में ऋतु को बताया और ऋतु के बारे में भी थोड़ी सी जानकारी दी जो अनुराधा पहले ही दे चुकी थी। खाना खाकर ऋतु और रागिनी एडवोकेट अभय प्रताप सिंह के ऑफिस को निकल गईं... अनुराधा, अनुपमा और प्रबल घर पर ही रहे।

प्रबल प्रताप सिंह के ऑफिस जाकर एक तो रागिनी ने विक्रम की मृत्यु से संबन्धित पुलिस कार्यवाही के बारे में जानकारी ली तो कुछ खास जानकारी नहीं मिल सकी... सिवाय इसके की मृत्यु किसी भी हथियार से नहीं हुई तो मामला हत्या का तो नहीं हो सकता.... और शायद अत्महत्या का भी नहीं.... बल्कि दुर्घटना का ज्यादा लग रहा था....

उसके बाद वसीयत से संबन्धित सारे कागजात की जानकारी ली....तो अभय ने बताया कि उसने उन कागजात का पिछला विवरण निकलवाया जो कि दिल्ली से मिले हुये उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में था...जिसे नोएडा शहर के रूप में ज्यादा पहचाना जाता है..... लेकिन उस जायदाद के पिछले विविरण में एक और बात सामने आयी कि ये सभी जायदाद विक्रमादित्य को सीधे तौर पर नहीं दी गयी थीं... इन सब जायदाद के इकलौते वारिस तो जयराज सिंह थे और उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र राणा रविन्द्र प्रताप सिंह इस परिवार के आजीवन मुखिया के तौर पर इस सारी संपत्ति के स्वामी बने....लेकिन राणा रविन्द्र प्रताप सिंह ने स्वेच्छा से अपने सारे अधिकार विक्रमादित्य सिंह पुत्र विजयराज सिंह को प्रबंधन के लिए सौंप दिये थे।

हालांकि उस संपत्ति में परिवार के सभी सदस्य बराबर के हिस्सेदार थे लेकिन उसमें एक व्यवस्था ये भी जोड़ दी गयी थी...कि .....परिवार को कोई भी सदस्य उस संपत्ति में से अपना हिस्से का बंटवारा कराकर नहीं ले सकता था.... बल्कि वो सिर्फ अपने हिस्से कि उस समय कि मौजूदा कीमत लेकर परिवार से अलग हो सकता था...... किसी भी स्थिति में शामिल परिवार की कुल संपत्ति का प्रबंधन और स्वामित्व केवल राणा रविन्द्र प्रताप सिंह का ही रहना है, विक्रमादित्य को केवल उस संपत्ति के प्रबंधन और परिवार के सदस्यों को घटाने या जोड़ने और उन्हें उस संपत्ति में हिस्सेदारी देने या निकालने का अधिकार था....उस संपत्ति से होने वाली आय को परिवार के सदस्यों में बांटने का भी अधिकार था।

इसी वजह से विक्रमादित्य ने जो संपत्ति के बँटवारे की वसीयत बनाई थी वास्तव में उसमें से सबको उस संपत्ति में हिस्सा तो मिलना था.... लेकिन वो अपने हिस्से को लेकर अलग नहीं हो सकते थे........ उसके लिए संपत्ति के कानूनी रूप से असली मालिक माने गए राणा रविन्द्र प्रताप सिंह की सहमति आवश्यक थी... विक्रमादित्य सिंह कि वसीयत के अनुसार केवल....आय में हिस्सेदारी ही ले सकते थे....

“दीदी! अब ये राणा रविन्द्र प्रताप सिंह जो बड़े ताऊजी के बेटे बताए गए हैं....इनका तो कुछ अता-पता नामोनिशान ही नहीं बल्कि यूं कहो कि बड़े ताऊजी जयराज सिंह और उनके पूरे परिवार के बारे में ही किसी भी तरह कि कोई भी जानकारी नहीं...सिवाय इसके कि उनके एक बेटी हुई 1979 में जो कि मम्मी-पापा ने बताया कि आप हो.... लेकिन सुधा दीदी ने जो बताया उसके अनुसार तो आप विजयराज ताऊजी की बेटी हैं...और हाँ........... इसमें विक्रम भैया भी तो विजयराज ताऊजी के बेटे हैं..........यानि आप और विक्रम भैया... सगे भाई बहन हैं... तो आप दोनों एक दूसरे को जानते क्यों नहीं थे...” ऋतु ने रागिनी से कहा.... सारे कागजात लेकर ऋतु रागिनी के साथ अपने केबिन में बैठी हुई थी

“मेंने तुम्हें पहले भी कहा था ऋतु! मुझे इस परिवार और परिवार कि जायदाद ....किसी के बारे में कुछ नहीं जानना..... अब हमें नए सिरे अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर शुरू करनी है..........इसलिए इस मामले को यहीं छोड़ो.........विक्रम के बारे में पता करना था मुझे....उसमें कुछ खास बात नहीं सामने आयी..... अब ये बताओ कि हम लोगों को अपने भविष्य के लिए क्या करना है... अपनी अपनी पसंद के अनुसार नौकरियाँ या व्यवसाय..... या फिर सब मिलकर एक व्यवसाय चलाएं....मेरे, प्रबल और अनुराधा के खाते में लगभग 10 करोड़ की रकम है... जो कि हमारे खातों में हर साल किसी कंपनी द्वारा प्रॉफ़िट में हिस्सेदारी के तौर पर धीरे-धीरे करके भेजी गयी....और शायद आगे भी भेजी जाएगी।“ रागिनी ने बात का रुख मोड़ते हुये ऋतु को जवाब दिया

“दीदी! मेरे ख्याल से तो हमें ऐसे काम में पैसा लगाना चाहिए जिसमें लगाया हुआ पैसा अगर तुरंत वापस न हो तो भी सुरक्षित रहे और उसकी कीमत भी बढ़े...जिससे अगर आज न सही ...भविष्य में कभी वो पैसा उस व्यवसाय से निकाल पाएँ तो उसकी कुछ अहमियत भी हो...” ऋतु ने कहा...उसने भी रागिनी के रुख को देखते हुये और वर्तमान परिस्थितियों में जरूरी समझते हुये व्यवसाय के मुद्दे पर ही आना सही समझा

“हाँ बात तो तुम्हारी सही है... इस नज़रिये से तो हमें किसी ऐसे समान में पैसा लगाना चाहिए जिसे लोग ज्यादा खरीदते हों ताकि हमारा पैसा वापस भी आता रहे....जल्दी से जल्दी...और साथ ही जो पैसा व्यवसाय में लगा हुआ रहे उसकी कीमत के बराबर का सामान भी हमारे हाथ में हो……… मेरी समझ में तो ऐसी चीजें खाना, कपड़े आदि ही हैं...जिन्हें लोग रोजाना खरीदते हैं...और हर जगह हमेशा बिकती भी हैं” रागिनी ने अपनी राय दी

“वो तो आप सही कह रही हैं दीदी! लेकिन इनके साथ एक समस्या होती है की अगर हमने ये सामान जल्दी नहीं बेचे तो इनके खराब होने पर इनकी कोई कीमत नहीं रहती और इनकी दुकानें भी हर जगह बहुत होती हैं तो शुरुआत में इतनी आसानी से बेचा भी नहीं जा सकता... धीरे-धीरे ही बाज़ार पर पकड़ बनेगी...तो मुझे लगता है की हमें इसके साथ साथ कुछ पैसा जमीन जायदाद में भी लगाना चाहिए.... क्योंकि वो बेशक न बिके या हम न बेचें.... लेकिन उसकी कीमत हमेशा बढ़ती रहेगी.... जब जरूरत हो तो उसे बेचे बिना भी कहीं से भी उसकी उस समय की कीमत का आधा तो लोन मिल ही जाएगा आसानी से....” ऋतु ने कहा

“हाँ ये भी ठीक है... लेकिन हमारे पास जो पैसा है उससे दिल्ली में कितना क्या खरीद पाएंगे... यहाँ तो जमीन जायदाद भी बहुत महंगी है....” रागिनी बोली

“दीदी इस बारे में में किसी से आपको मिलवाना चाहती हूँ...यहाँ एक जूनियर ने जॉइन किया है... उसका जमीन-जायदाद की खरीद-बेच में पिछले कई साल का अनुभव है... तो वो भी हुमें काफी सही सलाह दे सकता है” ऋतु ने बताया

“ठीक है... लेकिन यहाँ बात करना सही नहीं रहेगा.... उसे शाम को घर बुला लो...” रागिनी ने कहा तो ऋतु ने केबिन से बाहर निकलकर उस लड़के पवन को रागिनी के घर का एड्रैस देते हुये शाम को घर आने का कहा। इसके बाद दोनों बहनें वहाँ से घर को निकल गईं।

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kamdev99008

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Awesome update

Nice update

Nice one..

Superb bro.......
Wating for next update.....

Badi shiddat se intzaar rahega kamdev bhai,,,,, :dost:

प्रतिक्षा में ...
मित्रो!
21 वां अध्याय आपके सामने प्रस्तुत है
पढ़कर अपनी प्रतिकृया दें
 

kamdev99008

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एक नया संसार .. kyon shubham bhai ki dhukti nabz ko kured rahe ho judge saab .. :evillaugh:

bahut dino baad ye update diya hai aapne .. par chalo jo aaya aacha he hai .. ab kya Raagni bhi college mein padhai shuru karegi dobara se ...

balraj ne bhi Sudha ke upar haath saaf kiya hua hai .. ye saare ke saare bhai harami he hai ...

chalo kaafi baate clear ho chuki hai .. magar ek baat ye samajh mein ab bhi nahi aayi ki .. Vikram ki hatya hui thi ya suicide tha .. ya fir decoy death thi .. astonishing update kamdev99008 bhiya .. loved it

will wait for the next

firefox bhai ragini agar padhna chahti hai to ismein koi burai nahin.........na hi us par ghar ya chhote bachchon ki itni badi jimmedari hai jo wo samay na nikal sake padhne ko....

ab agar in bhaiyon-bahnon ke bare mein bat karein to 5 bhaiyon mein se sirf vijayraj aur balraj ke charitr ke bare mein pata chala hai........baki kaise honge...ye inko dekhkar dharna mat banana.... aur aise hi vimla ko dekhkar inki dusri bahan ke bare mein kuchh kahna sahi nahin hoga

vaise is ghar mein abhi jaise haalaat dikh rahe hain...jahan koi kisi ko nahin jaanta...sabke chhupe huye raaj.........ye dekhte huye ek baat to nischit hai ki.........inke ghar mein jyada nahin to kam se kam ek vyakti aisa jarur raha hai..........jo is gandgi se alag ek saaf suthre vyaktitv ka hai............isiliye ye sab milkar ghar mein gandgi failane ki bajay... khud ko aur apni pahchan ko yahan tak ki apne bachchon ko bhi chhupate firte rahe

ab dekhna ye hai ki wo kaun hai...kahan hai...aur wo kab samne ayega.... use inmein se kisi ke bare mein kuchh pata bhi hai ya nahi.............. wo hai bhi ya nahin

agle kuchh updates mein ye kahani suspense se bahar nikalkar flashback mein pahunch jayegi....

isliye padhte rahein
 

kamdev99008

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Nice update
amita ji apka swagat hai.............mein apka bahut bada fan hu....
bahut khushi hui ki apne samay nikalkar is kahani ko padhna shuru kiya

apki bahumulya salah aur tippaniyon ka intzar rahega
 

kamdev99008

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Chaliye der se aaye magar durust aaye kamdev bhai, iske liye bahut bahut shukriya aapka,,,, :)

Bahut hi khubsurat update raha ye. Kafi kuch pata chala aur kafi sari baato se parda bhi uth gaya. Pariwar ke beech itne bade kaand huye the iski zara bhi ummid nahi thi. Bade bujurg to bahut bade kaandi the aur dusro ko sahi galat ka paath bhi padhate rahe the. Ye to kamaal hi ho gaya. :)

To ab se ragini, anuradha, prabal aur ritu ek sath hi rahne wale hain. Bachhe ab yahi apni padhaayi karenge aur khud ragini bhi apni study restart karegi. Magar kya ye itna saan hoga.??? :dazed:

Ye to abhi shuruaat hai na jaisa ki aapne bataya tha to fir dekhte hain aage aur kya raaz khulte hain aur kahani kya mod leti hai,,,,, :dazed:

Vikram ki maut swabhaavik thi ya fir uski maut ka bhi koi rahasya hai...????? :hmm:
vikram ki maut ka raj bhi jald hi apke samne khulega............kyonki uske bad hi is kahani ka flashback shuru hoga...........pariwar ke banne aur bikharne ki kahani
 
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