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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

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Mitro.... Bharat ke ek chhote se gaon me rehta hu.... Jisme sirf 22 ghar hain... Jinme se 13 khali ho chuke hain... Bujurgo ki mrityu ke karan... Naujawan ya adhed to dikhte hi nahi... Gaon ka govt school bachche na hone ki wajah se band hone ke kagar par hai ...... Bade shahro me badhti abaadi ko dekhkar hi apko samajh a jayega ki gaon dehat me sarkari facility kitni mil rahi hain..jo log gaon ki natural life ko chhodkar shahar ki gandgi mein bhi rahnw ko tayyar hain... . Laat 8 din me totally 8 ghante bijli nahi ayi.... Yahan tak ki lagatar 1 ghante bina shut down ke nahi chali... Ab ap samajhiye ki update... Chahte huye bhi nahi de paya.. Infrastructure problem se... Yahan inverter bhi kisi kam ke nahi....
Ab agar 2 ghante bhi regular laptop use kar saku to update de du... Fir bhi koshish hai ki holi tak jyada se jyata samay dekar... Is kahani ka shuruati charan... Pura kar du... Jo 25-26 adhyay ka hai... Uske bad kahani ek naye sire se aage badhegi... Jiska sirf hint diya hai pichhle updates me... Lekin abhi kuchh bhi samne nahi aya hai....
Aj ek update deta hu sham tak...
 
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TheBlackBlood

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Mitro.... Bharat ke ek chhote se gaon me rehta hu.... Jisme sirf 22 ghar hain... Jinme se 13 khali ho chuke hain... Bujurgo ki mrityu ke karan... Naujawan ya adhed to dikhte hi nahi... Gaon ka govt school bachche na hone ki wajah se band hone ke kagar par hai ...... Bade shahro me badhti abaadi ko dekhkar hi apko samajh a jayega ki gaon dehat me sarkari facility kitni mil rahi hain..jo log gaon ki natural life ko chhodkar shahar ki gandgi mein bhi rahnw ko tayyar hain... . Laat 8 din me totally 8 ghante bijli nahi ayi.... Yahan tak ki lagatar 1 ghante bina shut down ke nahi chali... Ab ap samajhiye ki update... Chahte huye bhi nahi de paya.. Infrastructure problem se... Yahan inverter bhi kisi kam ke nahi....
Ab agar 2 ghante bhi regular laptop use kar saku to update de du... Fir bhi koshish hai ki holi tak jyada se jyata samay dekar... Is kahani ka shuruati charan... Pura kar du... Jo 25-26 adhyay ka hai... Uske bad kahani ek naye sire se aage badhegi... Jiska sirf hint diya hai pichhle updates me... Lekin abhi kuchh bhi samne nahi aya hai....
Aj ek update deta hu sham tak...
Badi ajeeb baat hai kamdev bhai. Ye kaun si aisi jagah rahte hain aap jaha itni saari pareshaniya kundali maar ke baithi huyi hain.??? :dazed:

firefox420 Bhai, aapse guzarish hai ki kamdev bhai ke is comment ki sandarbh prasang sahit tippadi kijiye,,,,,, :adore:
 

amita

Well-Known Member
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Update aa jayega, uski chinta nahi, bas pehle aap apne kaam kariye.
Will wait.
Thanks
Mitro.... Bharat ke ek chhote se gaon me rehta hu.... Jisme sirf 22 ghar hain... Jinme se 13 khali ho chuke hain... Bujurgo ki mrityu ke karan... Naujawan ya adhed to dikhte hi nahi... Gaon ka govt school bachche na hone ki wajah se band hone ke kagar par hai ...... Bade shahro me badhti abaadi ko dekhkar hi apko samajh a jayega ki gaon dehat me sarkari facility kitni mil rahi hain..jo log gaon ki natural life ko chhodkar shahar ki gandgi mein bhi rahnw ko tayyar hain... . Laat 8 din me totally 8 ghante bijli nahi ayi.... Yahan tak ki lagatar 1 ghante bina shut down ke nahi chali... Ab ap samajhiye ki update... Chahte huye bhi nahi de paya.. Infrastructure problem se... Yahan inverter bhi kisi kam ke nahi....
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Aj ek update deta hu sham tak...
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 20

सुधा के इतना बताकर चुप हो जाने के बाद भी वहाँ बैठे सभी कुछ देर तक बिना कुछ बोले उसके मुंह की ओर देखते रहे तो सुधा ने असहज होते हुये रागिनी के कंधे पर हाथ रखा रागिनी ने और बाकी सब ने तब चौंक कर सुधा की ओर देखा

“इसके अलावा तुम्हारे परिवार में से किसी के भी बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं ....और न ही उनमें से कोई कभी यहाँ आया” सुधा ने रागिनी से कहा

“सुधा दीदी! क्या कभी विजय अंकल ...मतलब विजय ताऊजी और विमला बुआ के पास कोई उनके अपने परिवार का सदस्य कभी आता जाता था....या कोई ऐसा जो इन दोनों के बारे में इनकी असलियत जानता हो....” ऋतु ने पूंछा

“हाँ! एक इनके बड़े भाई आते थे कभी-कभी वो यहीं दिल्ली में रहते थे... उनके बारे में मुझे बस इतना पता है कि उनकी पत्नी उन्हें अपने पास भी नहीं फटकने देती थी और उनके कोई बच्चा भी नहीं था।“ सुधा ने कहा तो ऋतु ने छोंकते हुये उसकी तरफ देखा... सुधा के होठों पर फीकी सी मुस्कुराहट आयी और उसने आगे बोलना शुरू किया

“हाँ! तुम जो सोच रही हो वही..... लेकिन जब से तुम्हारे बारे में रागिनी ने बताया है तब से यही सोच रही हूँ कि अगर तुम उनकी बेटी हो तो उन्होने ये क्यों कहा कि उनके कोई बच्चा ही नहीं है.....जबकि तुम्हारी उम्र इतनी कम भी नहीं... और दूसरी बात...तुम जो समझ रही हो कि उन्होने भी मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए... तो सही समझ रही हो..... विजय सिंह और बलराज सिंह दोनों ने साथ मिलकर भी मेरे साथ ये सब किया.... ममता भी साथ होती थी.... और ये सब होता था.... ममता के उसी कमरे में..... हाँ बाहर कभी बलराज सिंह ने मुझसे बात तक नहीं की”

सुधा की बात सुनते ही ऋतु का चेहरा नफरत और गुस्से से काला पड़ गया... और आँखों से आँसू बहने लगे...कुछ देर बाद उसने कहा “दीदी! में आपके सामने शर्मिंदा हूँ...और खुद अपने आपसे नफरत हो गयी है मुझे.... कि में ऐसे माँ-बाप की बेटी हूँ..... माँ के विक्रम भैया से नाजायज ताल्लुकात थे और पापा भी ऐसे निकले.... तभी में समझी कि पापा कभी माँ के खिलाफ क्यों नहीं गए.... यहाँ तक कि अभी तो मेंने उनके सामने माँ और विक्रम भैया के यहाँ आने का जिक्र और उनके नाजायज सम्बन्धों का शक भी जाहिर किया लेकिन उन्होने माँ से एक शब्द भी नहीं कहा.... कहते ही कहाँ से...वो खुद इसी गंदगी में घुसे हुये थे”

रागिनी ने अनुराधा को इशारा किया तो उसने साइड टेबल से पानी का ग्लास उठाकर ऋतु को दिया और रागिनी ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुये दिलासा देते हुये पनि पीने का इशारा किया

फिर रागिनी ने घड़ी कि ओर देखा तो सुबह के 4 बजने वाले थे...रागिनी ने सभी को अपने-अपने कमरे में जाकर सोने को कहा... सुधा को अपने साथ ही सोने को उसने पहले ही बता दिया था.... नींद तो रागिनी को भी नहीं आ रही थी... लेकिन उसने सोचा कि अगर मन में उठ रहे सवालों के जवाब जानने के लिए वो सोचती रहेगी या सुधा से और पूंछताछ करेगी तो शायद मन कि बेचैनी घटेगी नहीं...बल्कि और बढ़ ही जाए... इसलिए वो चुपचाप लेटकर सारी बातों से दिमाग हटाने कि कोशिश करती रही और थोड़ी देर बाद उसे भी नींद आ गयी

................................................

सुबह सबसे पहले ऋतु ने आकर रागिनी का दरवाजा खटखटाया रागिनी ने नींद से जागकर घड़ी की ओर देखा 9 बज रहे थे... हालांकि उसे अब भी नींद आ रही थी लेकिन उसने उठना ही बेहतर समझा और सुधा को भी उठाकर बाहर निकली लो देखा कि अनुराधा और प्रबल भी हॉल में सोफ़े पर बैठे पता नहीं किस सोच में डूबे हुये थे... रागिनी को देखते ही वो दोनों भी उठकर खड़े हो गए....सुधा ने ऋतु का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ लाकर सोफ़े पर बैठा लिया... साथ ही अनुराधा और प्रबल को भी थोड़ी थोड़ी जगह बनाकर वहीं बैठा लिया और उन सभी के सिर पर हाथ फिराने लगी... ऐसा करते करते कुछ सोचते हुये रागिनी की आँखों में आँसू आ गए जो ऋतु की गर्दन पर गिरे क्योंकि ऋतु ने अपना सिर रागिनी के सीने पर रखा हुआ था... गर्दन पर बूंदों का गीलापन महसूस होते ही ऋतु ने सिर उठाकर रागिनी की ओर देखा तो उसे रोता हुआ देखकर अपने हाथ बढ़ाकर उसके आँसू पोंछने लगी...

“दीदी आप क्यों रो रही हैं.... अब हमें किसी से भी कोई मतलब नहीं ..... आपने देखा ना... में भी उन दोनों को छोडकर आप सब के साथ आ गयी हूँ.... अब आप ही मेरी भी माँ हो जैसे अनुराधा और प्रबल की माँ हो....मुझे अब किसी से कोई रिश्ता नहीं रखना.... अब हम सभी साथ रहेंगे ....एक नया संसार...एक नया परिवार....एक नया घर बसाएँगे.... जिसमें इन सब के लिए कोई जगह नहीं होगी... दीदी आपको बस एक वादा करना होगा मुझसे कि अब हमारे घर में इनमें से किसी को भी घुसने कि इजाजत नहीं मिलनी चाहिए... चाहे मेरे माँ-बाप हों, आपके माँ-बाप हों या अनुराधा के..... प्रबल के माँ-बाप का जैसा अपने बताया कि वो विक्रम भैया और नीलोफर भाभी का बेटा है तो अगर कभी नीलोफर भाभी आयीं तो उनके बारे में देखा जाएगा...कि प्रबल क्या फैसला करता है....ये उसके ऊपर छोड़ा है”

अनुराधा और प्रबल भी ऋतु को रागिनी से ये सब कहते हुये बड़े गौर से देख रहे थे.... प्रबल कुछ कहने को हुआ तभी सुधा अंदर से फ्रेश होकर हॉल में आयी और दूसरे सोफ़े पर बैठ गयी

“क्या बात है रागिनी? कैसे तुम सभी एक ही सोफ़े में फंसे हुये बैठे हो.... इधर आ जाओ” सुधा कि बात सुनकर रागिनी उठकर खड़ी हुई और सुधा के पास बैठ गयी.... और फिर गंभीर लहजे में बोली

“सुधा! आज मेंने इन सभी बच्चों की सहमति से ये फैसला किया है कि अब हमें किसी के बारे में न कुछ जानना है और ना समझना..... अब हम चारों यहाँ एक साथ एक परिवार के रूप में रहेंगे.... मेंने बेशक इन बच्चों को जन्म नहीं दिया और ना मेरी शादी हुई.... लेकिन अब तक जो रिश्ता हमारे बीच था वही आगे भी चलेगा..... ऋतु मेरी बहन है और इन दोनों बच्चों को इनके जन्म से मेंने अपने बच्चों के रूप में पाला है..... ये बच्चे भी हमेशा से मुझे ही अपनी माँ के रूप में जानते और मानते आए हैं........ अब आगे से तुम भी कभी इन सब बातों को न मुझे याद दिलाओगी... जो रात हमारे बीच हुई... और न ही में या मेरे इस परिवार का कोई सदस्य तुमसे इस बारे में कुछ पूंछेगा.... अब से तुम मेरी सहेली, मेरी बहन के रूप में इस परिवार से जुड़ी रहोगी.........बोलो अगर तुम्हें अभी कुछ कहना है?”

“रागिनी तुम्हारे इस फैसले से में भी खुश हूँ....... पिछली बातों को कुरेदने से न सिर्फ मेरी-तुम्हारी बल्कि इन सबकी ज़िंदगी उलझनों, दर्द और चिंताओं में डूब जाएगी.... इसलिए अब नयी ज़िंदगी की नए सिरे से शुरुआत करो... और सबकुछ भूलकर.... एक दूसरे के साथ खुशियाँ बांटो....... मुझे सिर्फ एक आखिरी बात कहनी है...... तुम्हारे परिवार कि वजह से मेरे साथ जो कुछ भी हुआ.... लेकिन मेरी ज़िंदगी में आज जो खुशियाँ है... बल्कि ये ज़िंदगी ही जो में जी रही हूँ... तुम्हारे ही परिवार के एक सदस्य...तुम्हारे भाई विक्रम की वजह से है... लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी में जो मुश्किलें आयीं या आज तक हैं... उनमें में भी कहीं न कहीं दोषी हूँ.... इसके लिए तुमसे एक बार फिर माफी चाहती हूँ... और अगर में तुम्हारे किसी काम आ सकूँ तो मुझे बहुत खुशी होगी”

“हाँ! एक काम तो आ सकती हो...” रागिनी ने मुसकुराते हुये कहा

“बताओ किस कम आ सकती हूँ... में हर हाल में करूंगी” सुधा ने फिर भी संजीदा लहजे में कहा तो रागिनी ने ऋतु का हाथ अपने हाथ में लेते हुये हँसकर उससे कहा

“मेरी छोटी बहन के लिए एक ऐसा लड़का ढूंढ कर लाओ जो इसका घर सम्हाल सके.... घर का सारा काम सम्हाल सके.... और आगे चलकर बच्चे भी खिला सके”

“दीदी आप भी... में वकील हूँ इसका मतलब ये नहीं कि में घर नहीं सम्हाल सकती” ऋतु ने शर्माते हुये कहा

“अच्छा जी! तो वकील साहिबा का भी मन है कि अब शादी में देर न कि जाए” सुधा ने हँसते हुये कहा “कोई लड़का भी पसंद किया हुआ है क्या”

“नहीं दीदी मेंने कॉलेज में पढ़ाई की है या दिल्ली शहर में रही हूँ, इसका मतलब ये नहीं कि अपने संस्कारों को भूल जाऊँ .... मम्मी-पापा खुद चाहे जैसे हों ...उन्होने मुझे कभी कोई गलत रास्ता नहीं चुनने दिया... हमेशा सही रास्ते पर चलना सिखाया... इसीलिए ज़िंदगी में बहुत से मौके मिले, बहुत से लोग मिले लेकिन मेंने ये सोचा हुआ था कि में शादी उसी से करूंगी... जिससे मेरे मम्मी-पापा चाहेंगे.... क्योंकि वो मुझसे ज्यादा समझदार हैं...इसलिए उनका फैसला भी मुझसे ज्यादा सही होगा....” कहते हुये ऋतु कि आँखों में नमी आ गयी... अपने माँ-बाप को याद करके “लेकिन जैसे जैसे मुझे उनकी असलियत पता चलती गयी.... मुझे उनकी समझदारी पर भी अब भरोसा नहीं रहा...और न उनके फैसलों के सही होने पर.... अब में वही करूंगी... हर वो बात मानूँगी.... जो फैसला रागिनी दीदी मेरे बारें में लेंगी”

“में नहीं...अब हर फैसला हम दोनों लेंगे....बल्कि हम चारों...मिलकर.... अच्छा अब ये बताओ इन बच्चों कि पढ़ाई का क्या करना है” रागिनी ने कहा

“दीदी उसकी चिंता आप मत करो...आखिर आपकी बहन दिल्ली में वकालत कर रही है....में इन्हें यहाँ कहीं न कहीं एड्मिशन दिला ही दूँगी... वैसे तो जिस कॉलेज में आप, सुधा दीदी, विक्रम भैया और में सभी पढे हैं ...उसी में इनका भी एड्मिशन हो जाएगा... क्योंकि उस कॉलेज में विक्रम भैया का नाम चलता है... मेरा एड्मिशन विक्रम भैया ने कराया था वो भी सिर्फ एक चिट्ठी लिखकर दे दी थी... मुझे भी कॉलेज में प्रिन्सिपल से लेकर स्टाफ तक सभी जानते हैं कि में विक्रम भैया कि बहन हूँ........... इधर मुझे एक साल तक किसी अनुभवी वकील के पास प्रैक्टिस करनी थी बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए वो मेंने पूरी कर ली और मेरा रजिस्ट्रेशन भी हो गया.... अब में चाहती हूँ कि पवन भैया के पास प्रैक्टिस करने की बजाय अपना अलग ऑफिस बनाकर अपने दम पर अपना कैरियर बनाऊँ .... इस बारे में में आज ऑफिस जाकर पवन भैया से बात करती हूँ और इन दोनों के कागजात मुझे दे दें... इनके एड्मिशन की बात भी कर लेती हूँ” ऋतु ने कहा तो रागिनी ने अनुराधा और प्रबल की ओर देखा... वो दोनों उठकर खड़े हुये और अपने-अपने कमरे से कागजात लेने अंदर चले गए

“ठीक है रागिनी... अब में भी चलती हूँ... माँ के पास होकर में भी घर जाऊँगी... और तुम सब भी मेरे घर आना” कहती हुई सुधा भी सोफ़े से उठ खड़ी हुई तो रागिनी भी उठकर उसके साथ बाहर चलकर आ गयी

“सुन अब तुझे यहाँ रहना ही है... और बच्चे भी इतने छोटे नहीं हैं...समझदार हैं... अब तक तो जो भी जैसी भी व्यवस्था विक्रम चला रहा था तुम सब रह रहे थे... लेकिन अब यहीं कोई कम शुरू कर दो ऐसा जो... तुम्हारी आमदनी भी होती रहे... और बच्चों को भी कुछ अनुभव हो जाएगा.... जब तक इनकी पढ़ाई पूरी होगी तब तक व्यवसाय भी सही से चलने लगेगा..... फिर आज ऋतु कल अनुराधा...दोनों लड़कियों की शादी भी करनी है... और प्रबल की भी.... तो आज से सोच समझकर चलोगी तभी आगे कुछ कर पाओगी” बाहर निकलते हुये गेट पर खड़े होकर सुधा ने कहा

“हाँ! तेरा कहना भी सही है, माना विक्रम की वसीयत से हमें बहुत कुछ मिला है... लेकिन उसे भी अगर बैठे-बैठे खाते रहेंगे तो कब तक चलेगा......... और वैसे भी अब में परिवार के किसी भी व्यक्ति या किसी भी संपत्ति से कोई मतलब नहीं रखना चाहती … ना तो स्वयं और न ही अपने बच्चों को में वापस उसी दलदल में घुसने दूँगी.... जिसमें हमारा पूरा परिवार डूबकर खत्म हो गया... इस सिलसिले में मुझे यहाँ की ज्यादा जानकारी तो नहीं है... ऋतु से सलाह करूंगी की क्या किया जा सकता है....” रागिनी ने भी जवाब में कहा। फिर सुधा अपने घर चली गयी और रागिनी वापस आकार हॉल में ऋतु के पास बैठ गयी... तभी थोड़ी देर में अनुराधा और प्रबल भी अपने कागजात लेकर आए और वहीं सोफ़े पर बैठकर ऋतु को वो कागजात दे दिये

ऋतु ने सारे कागजात को पढ़कर देखा और बोली की इनमें जो मटा पिता के नाम दिये हैं...उनका क्या कुछ बदलाव कराना है... इस पर रागिनी ने कहा की शायद इसकी जरूरत नहीं... क्योंकि इसमें किसी और का नाम नहीं... परिवार के ही बुजुर्ग देवराज सिंह का नाम है.... हाँ अगर बच्चों के मन में अपने असली माता-पिता का नाम डलवाने की इक्षा हो तो देख लो अगर कुछ हो सकता है.... इस पर अनुराधा ने कहा कि अगर रागिनी गलत न समझे तो उसकी राय यही है कि इसमें उन दोनों के असली माता पिता का नाम ही डलवा दिया जाए जिससे कोई भ्रम कि स्थिति आगे चलकर न पैदा हो...और रागिनी बुआ के भी कागजात उस कॉलेज से निकलवा कर उनकी भी पढ़ाई पूरी कारवाई जाए.... उनकी असली पहचान से

“दीदी आपकी याददास्त तो जा चुकी है... तो क्या आप आगे अपनी पढ़ाई कर पाओगी?” ऋतु ने रागिनी से पूंछा

“में जब से विक्रम के साथ रही...शुरू में तो इन बच्चों के साथ समय कट जाता था, लेकिन जैसे जैसे ये बड़े होते गए...खासकर अनुराधा ने पबल को सम्हालना शुरू कर दिया तो वहाँ मेरे पास कोई काम ही नहीं रहता था... विक्रम के पास बहुत सारी किताबें हुआ करती थी... में उन्हें ही पढ़कर अपना समय बिता लेती थी... शायद ही किसी विषय कि किताब मेंने न पढ़ी हो.... इसलिए मुझे लगता है कि में ना सिर्फ पढ़ाई कर सकती हूँ बल्कि बहुत अच्छे अंक भी प्राप्त कर सकती हूँ परीक्षा में” रागिनी ने मुसकुराते हुये कहा तो ऋतु ने भी हँसते हुये बोला

“तभी में सोच रही थी कि इस घर में रहते हुये इन सब के बारे में मेंने इतने सालों में जो नहीं पा लगा पाया आपने 3 दिन में ही सब पता कर लिया.... जरूर जासूसी उपन्यास बहुत पढे होंगे आपने... जो मेरी वकालत कि काबिलियत भी आपके सामने ना के बराबर रही”

“हाँ पढ़ा तो बहुत कुछ है... अब जो कुछ भूल गयी वो तो याद नहीं कर सकती कहीं भी पढ़कर.... लेकिन जो कुछ भी जानना चाहिए... वो सब जान सकती हूँ” रागिनी ने भी मुस्कुराकर कहा

अनुराधा, प्रबल और ऋतु तीनों रागिनी को बाहों में भरकर बोले “आप हमारी माँ जो हो”

तो रागिनी ने ऋतु के सिर पर चपत मरते हुये कहा.... “तुम्हारी भी.......माँ”

“और नहीं तो क्या?” ऋतु ने भी मुसकुराते हुये कहा....

फिर ऋतु ने रागिनी से कहा की वो और अनुराधा खाना बनाने जा रही हैं... क्योंकि अब दोपहर ही होनेवाला है.... फिलहाल कुछ नाश्ता तैयार करते हैं जिसके बाद ऋतु दोनों बच्चों को लेकर कॉलेज जाएगी... वहाँ से लौटकर दोपहर को खाना खाकर... ऋतु और रागिनी पवन के ऑफिस जाएंगे।

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