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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 18

उन दोनों के जाने के बाद रागिनी ने सुधा को आगे सुनने का इशारा किया तो सुधा ने ऋतु की ओर देखते हुये इशारा किया और कहा

“पहले मुझे ये बताओ ये ऋतु कौन है? ये तुम्हें दीदी कह रही है और बच्चे इसे बुआ कह रहे हैं.... और घर पर भी सुबह तुम्हारे साथ नहीं थी ये?”

“वैसे तो बहुत करीबी रिश्ता है मेरा ऋतु से... लेकिन जैसे तुम्हें समझने में आसानी होगी वो बताती हूँ। ये विक्रम के चाचा बलराज सिंह की बेटी है...यानि विक्रम की चचेरी बहन...और ये आज दोपहर से ही हमारे साथ रहने आ गयी है। अब ये हमारे साथ ही रहेगी। और एक बात जो तुम्हें भी नहीं पता और पहले मुझे भी नहीं पता था अभी यहाँ आने के बाद पता लगी है.... तुम्हारी विमला आंटी जिसे तुम मेरी माँ के तौर पर जानती हो.... वो ऋतु की सगी बुआ थीं और शायद मेरी भी” रागिनी ने सुधा को बताया तो सुधा मुंह फाड़े उन दोनों की ओर देखने लगी

“सुधा दीदी! आप अभी ज्यादा मत सोचो और मेरे सामने ये सब बताने में कोई झिझक भी मत रखो... में कोई अनुराधा प्रबल की तरह बच्ची नहीं हूँ... यहीं दिल्ली में वकालत करती हूँ.... वकील हूँ...एडवोकेट.... और साथ ही जिनकी अप कहानी सुना रही हो उनसे मेरा भी उतना ही रिश्ता है...जितना रागिनी दीदी का” ऋतु ने सुधा के आश्चर्य को देखते हुये उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुये कहा

“ठीक है” सुधा ने गहरी सांस लेते हुये कहा “अब आगे सुनो :-

...........................................................

ममता और विजय को ऐसे देखकर सुधा की जैसे सांस ही थम गयी... लेकिन फिर ममता की बात याद आते ही उसने चुपचाप देखना ही बेहतर समझा और उनकी बातें सुनने लगी

“तो आज कैसा रहा? मजा आया की नहीं?” विजय ने उसको धीरे धीरे मसलते हुये कहा

“अब मजा आए या ना आए... जो काम दिया गया था वो तो करना ही था... एक तरह से समझ लो नौकरी करने गयी थी.... काम किया और आ गयी” ममता ने चिढ़ाते हुये कहा

“तू बहुत बड़ी रंडी है.... विमला से भी बड़ी... उसने तो जो कुछ भी किया ...अपने घर और अपने बच्चों के फायदे के लिए किया... लेकिन तू तो मजा लेने के लिए करती है” विजय ने फिर उसे छेड़ते हुये कहा

“हाँ! एक उम्र थी जब मजा लिया मेंने... लेकिन आज वो सजा बन गयी है... सोचा था शादी हो जाएगी अपना घर, अपना पति अपने बच्चे होंगे तो इन सबसे पिण्ड छूट जाएगा और चैन से अपना घर चलाऊँगी.... लेकिन यहाँ भी तेरे जैसे कमीने के चंगुल में फंस गयी” ममता ने कहा

“हाँ मुझे भी पता है.... कितनी बड़ी शरीफजादी है तू.... अहसान मान मेरा की दीपक से तेरी शादी करा दी... तेरा घर बस गया... अब कुछ दिन की बात और है... धीरे धीरे वहाँ तेरा काम खत्म हो जाएगा... उम्र हो रही है तेरी भी... बस तेरे हुनर की वजह से कुछ खास लोग ही तेरी डिमांड करते हैं.... नाज़िया मेडम ने कहा है कि वो तुझसे बात करना चाहती हैं.... कल जाकर मिल लियो...राधु पैलेस के पास जो कॉफी हाउस है.... 12 बजे” विजय ने कहा और फिर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और धीरे धीरे करके एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे.... सुधा ने पहले तो वहाँ से वापस अपने कमरे में आने का सोचा... लेकिन फिर उसने भी सोचा कि क्यों न देखकर मजा भी लिया जाए.... अब दोनों बिलकुल नंगे होकर एक दूसरे को चूमने चाटने चूसने पर लग गए, थोड़ी देर बाद ममता बिस्तर पर घुटने और हाथों के बल कुतिया बन गयी और विजय पीछे से आकार उसे चोदने लगा.... सुधा भी उन्हें देखकर बेचैन होने लगी...उसे भी अपने शरीर में गर्मी का अहसास होने लगा... लेकिन उनकी बातें फिर से शुरू हो गईं जिनको सुनकर सुधा के कान खड़े हो गए और अपनी हालत को भूलकर फिर से उनकी बातों पर ध्यान देने लगी.........

“क्या हुआ मामाजी बुड्ढे हो गए क्या? दम नहीं रहा?” ममता ने बोला

मामाजी सुनते ही सुधा चौंक गयी कि ममता अपने ससुर को मामाजी क्यों कह रही है

“दम तो बहुत है मुझमें लेकिन तू ही रंडी है.... साला पता ही नहीं चलता कि कहाँ जा रहा है.... तुझसे ज्यादा मजा तो विमला में आता है” विजय ने धक्के लगते हुये कहा

“मौसी के साथ मजा क्यों नहीं आयेगा... बहनचोद जो ठहरे” ममता ने भी पीछे की ओर धक्के लगाते हुये कहा

“कोई नया माल देख..... नाज़िया के तो भाव बढ़ गए हैं........ वो तो मुझे लूटने पर आ गयी है....कोई कमसिन सी बिना खुली हो” विजय ने फिर से ज़ोर लगते हुये कहा

“कहाँ ढूंढते फिरते हो, बहनचोद तो हो ही...बेटीचोद भी बन जाओ... रागिनी को ही उतार लो नीचे... कुछ में तैयार कर देती हूँ...कुछ तुम कोशिश करो” ममता ने कहा

“नहीं यार... रागिनी तो पहले ही विमला की वजह से मुझसे बात तक नहीं करती है...वो मेरे हाथ नहीं आएगी... कोई और देख” इतना कहते हुये विजय झड के हाँफता हुआ बिस्तर पर लेट गया...ममता ने उठकर उसकी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाकर बोली

“मुझे तो झेल नहीं पाते... नया माल ढूंढते हो.... तुमसे बढ़िया तो दीपक ही चोद लेता है.... मजबूरी है कि तुमने और उस कमीनी नाज़िया ने ऐसा फंसा रखा है कि कुछ कर नहीं सकती.... वरना गाण्ड पर लात मारके भगाती”

विजय ने कुछ कहा नहीं और खिसियानी सी हंसी हँसता हुआ उठकर अपने कपड़े पहनने लगा। इधर सुधा ने विजय को कपड़े पहनते देखा तो भागकर अपने कमरे में जाकर आँखें बंद करके लेट गयी...थोड़ी देर बाद उसे दरवाजा खुलने और बंद होने कि आवाज आयी और किसी के कमरे में घुसने की कदमों कि आवाज महसूस हुयी तो उसने पलकों में से देखा... ममता को देखकर वो उठकर पलंग से उतरी और बाहर को चल दी... ममता के पीछे। ममता उसे लेकर हॉल में रुकने कि बजाय उसी तीसरे कमरे में वापस आ गयी और पलंग पर बैठकर सुधा को भी बैठने का इशारा किया

“ये सब क्या है भाभी?” सुधा ने पूंछा

“देखकर मजा आया या नहीं?” ममता ने उल्टा मुस्कुराकर कहा तो सुधा ने चिढ़कर उसे घूरते हुये कहा

“फालतू कि बकवास करने कि बजाय मेरे सवाल का जवाब दो”

“तूने देख ही लिया... इस घर का जो मुखिया है वो मेरी चूत चाटता है... तू किसी को भी कुछ भी बता दे मुझे कोई डर नहीं...लेकिन पूंछ क्या पूंछना चाहती है मुझसे? आज तेरे हर सवाल का जवाब दूँगी... मेरे भी मन में आता है कि किसी से अपने मन की कहूँ... लेकिन कोई पूंछता ही नहीं... सब अपने मन कि कहते और करते हैं मेरे साथ” ममता ने दर्द भरी आवाज में कहा

“पहले तो ये बताओ कि तुम विजय अंकल को मामा क्यों कह रहीं थीं...और विमला आंटी को मौसी?” सुधा ने पूंछा

“इसलिए कि यही उनका रिश्ता है... विमला मौसी मेरी माँ की सहेली हैं... बचपन की... वो दोनों साथ-साथ पढ़ा करती थीं जैसे तुम और रागिनी पढ़ते हो... और विजय मामा उनके भाई हैं... दीपक और कुलदीप विमला मौसी के बेटे हैं... लेकिन रागिनी विजय मामा की बेटी है” ममता ने कहा तो सुधा का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया

.........................................

इधर ये सुनते ही रागिनी और ऋतु के भी मुंह से एकसाथ निकला “क्या?”

“हाँ! ये राज तुम और ऋतु भी नहीं जानते। में पहली बार ऋतु से मिली लेकिन जब तुमने बताया कि ये भी विमला आंटी कि भतीजी है तो मेंने इसके सामने बताना और ज्यादा सही समझा... लेकिन तुमने तो अभी मुझसे कहा था कि वो तुम्हारी भी बुआ हैं.... तो तुम्हें कैसे पता चला... मेरे बताने से पहले ही...???” सुधा ने ताज्जुब से पूंछा

“मेंने जो विक्रम की वसीयत के लिफाफे से हॉस्पिटल का एड्रैस मिला था वहाँ से पता किया था... और ऋतु की माँ ने भी बताया था.... लेकिन उन्होने मेरे पिता का नाम जयराज बताया था और वही हॉस्पिटल के भी रेकॉर्ड में था .... विजयराज के बड़े भाई” रागिनी ने बताया

“अब मुझे नहीं पता .... में तुम्हें वो बता रही हूँ जो मुझे ममता ने बताया था” सुधा ने कहा तो रागिनी ने उसे आगे बताने को कहा

..............................

सुधा ने फिर आगे बताना शुरू किया :-

“ठीक है भाभी! में तो अब सोने जा रही हूँ.... मुझे तो आप लोगों का ही समझ में नहीं आया... कि कौन क्या है? आज तक रागिनी ने भी मुझे नहीं बताया कि विमला आंटी उसकी माँ नहीं हैं.... और ना ही विमला आंटी और विजय अंकल का ही किसी को पता कि वो मियाँ-बीवी नहीं भाई-बहन हैं” कहते हुये सुधा उठ खड़ी होने लगी तो ममता ने कहा कि चाहो तो दोनों यहाँ भी सो सकते हैं... लेकिन सुधा ने माना कर दिया और जाकर रागिनी के पास सो गयी

दूसरे दिन सुबह ममता ने सुधा से कहा कि आज वो नाज़िया से मिलने जाएगी.... चाहे तो सुधा भी चल सकती है... लेकिन सुधा ने साफ माना कर दिया कि अब उसे इन सब बातों से कोई मतलब नहीं। धीरे धीरे समय बीतता गया और ममता सुधा से ज्यादा से ज्यादा करीब होती गयी... यहाँ तक कि वो अब आपस में ममता के बाहर चुदने के अनुभवों को भी आपस में सिर्फ पूंछने या बताने तक ही नहीं... गहराई से समझने और मजा लेने तक भी आ गयी... ममता हमेशा खुद को मजबूर और लाचार दिखाकर सुधा कि सहानुभूति से नज़दीकियाँ बढ़ती और फिर उनमें वासना का रंग घोलने लगती, साथ ही सुधा को कहती कि... इस दलदल से बाहर निकालने में उसकी सहता करे।

इधर सुधा कि जो उम्र थी उसमें इन चुदाई के लिए ही नहीं... इस बारे में छोटी बड़ी हर बात के लिए एक जिज्ञासा होती ही है, सो वो भी अब ममता के साथ बातें करके मजा लेने लगी... ममता ने भी रागिनी और विमला के परिवार के बारे में सुधा को जो बताना शुरू किया उससे सुधा कि रागिनी से दोस्ती सिर्फ नाम मात्र कि ही रह गयी थी ऊपरी मन से.... अन्तर्मन से तो सुधा को भी लगने लगा था कि ये सभी बहुत गलत लोग हैं और इनहोने एक लाचार विधवा माँ कि बेटी को मजबूर और बेबस कर रखा है... उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे रागिनी तक से नफरत होने लगी थी कि उसने भी कभी अपने घर कि सच्चाई नहीं बताई।

अब सुधा कभी-कभी ममता के कहने पर कभी अपनी मर्जी से भी ममता के पास रुकने लगी...और रात के विजय और ममता के कारनामों का छुपकर मजा लेने लगी... ऐसे ही एक दिन जब सुधा ममता के पास रुकी हुई थी तो रात को कॉफी पीने के बाद सुधा कि आँख सुबह ही खुली... ममता के जगाने पर... उठते ही सुधा ने जब देखा कि सुबह हो गयी है... और वो रात को कॉफी पीते ही सो गयी तो वो दर से काँप गयी... लेकिन अपने शरीर में उसे कुछ भी अजीब नहीं महसूस हुआ तो उसने सवालिया नज़रों से ममता कि ओर देखा, जैसे पूंछ रही हो कि ममता ने रात उसे क्यों नींद कि दवा देकर सुला दिया तो ममता ने धीरे से उसे दोपहर को घर आने को कहा और कहा कि इसी सिलसिले में उसे कुछ जरूरी बात करनी है।

दोपहर को स्कूल से आकर सुधा ममता से मिलने आयी तो ममता कहीं जाने को तयार दिखी... सुधा ने पूंछा तो ममता ने कहा कि उसे बाज़ार जाना है कुछ सिलाई का सामान लेने, सुधा भी उसके साथ चली चले। सुधा उसके इशारे को समझ के साथ चल दी वहाँ से निकलकर फाटक पर करके ममता ने करोल बाग पी एण्ड टी कॉलोनी के लिए रिक्शा लिया और वहाँ पार्क के सामने उतरकर पार्क में अंदर जाकर एक बेंच पर बैठ गयी... दोपहर का समय था तो पार्क में वो दोनों ही थे बाकी खाली था। बेंच पर बैठकर ममता ने सुधा को एक लिफाफा दिया। लिफाफा खोलकर जब सुधा ने देखा तो उसमें सुधा की कुछ तस्वीरें थी बिना कपड़ों के जिन्हें देखकर ही पता चल रहा था कि वो रात को उसी तीसरे कमरे में ली गईं थीं। तस्वीरों को देखकर सुधा पहले तो रो पड़ी फिर गुस्से में ममता को बुरा भला कहने लगी कि उसने ऐसा क्यों किया। ममता ने लाचार सी सूरत बनाकर कहा कि पिछली बार जब सुधा उसके घर रुकी थी तो उस रात विजय ने उसे खिड़की से झाँकते देख लिया था और उसने ममता को मजबूर करके ये सब करवाया है। विजय ने ये तस्वीरें न सिर्फ उसे दी हैं बल्कि नाज़िया को भी दे दी हैं और अब नाज़िया इन तसवीरों के दम पर उसे अपने काम में लगाना चाहती है.... अगर सुधा ने इन्कार किया तो न सिर्फ सुधा के घर बल्कि आसपास के सब लोगों तक ये तस्वीरें पहुँच जाएंगी.... सुधा अगर इस मामले में कोई कानूनी कार्यवाही करना चाहे तो अदालत में किसी भी तरह ममता या विजय को मुजरिम साबित नहीं कर पाएगी...उल्टे उसकी खुद कि बदनामी होगी.... लेकिन अगर वो चुपचाप मान जाती है तो उसे भी ममता कि तरह बिना किसी को कानोकान खबर हुये... इस काम से मज़ा और पैसा दोनों मिलते रहेंगे...

सुधा ने उस वक़्त तो कुछ नहीं कहा और उठकर चल दी घर आकार उसने खुद को पढ़ाई और घर में व्यस्त रखने कि कोशिश कि लेकिन दिमाग से वो बातें हटने का नाम नहीं ले रही थीं। आज उसे महसूस हुआ कि उसने ममता पर भरोसा करके कितनी बड़ी गलती कर दी... फिर भी वो खुद को सम्हालने कि कोशिश करने लगी... लेकिन अगले दिन ही शाम को ममता उसके घर आयी और एकांत में उसे फिर समझाया कि वो नाज़िया कि बात को मन ले वरना अंजाम भुगतने को तयार रहे.... आखिरकार सुधा को झुकना ही पड़ा और 2 दिन बाद ममता ने फिर उसे अपने साथ बाज़ार जाने के नाम पर लिया और नाज़िया से मुलाक़ात कराई.... धीरे धीरे ये सिलसिला चलता रहा।

एक दिन विजय ने ममता और सुधा को बताया कि नाज़िया के यहाँ की एक लड़की नेहा कक्कड़ को लेकर कुछ बवाल हो गया है और वो दोनों भी नाज़िया के किसी भी कांटैक्ट को संपर्क ना करें…. सुधा और रागिनी अब कॉलेज में पढ़ती थीं नेहा भी उन्हीं के कॉलेज में पढ़ती थी, सुधा तो नाज़िया वाले काम से जुड़े होने की वजह से कॉलेज में नेहा से कोई बात नहीं करती थी लेकिन रागिनी से नेहा कि अच्छी दोस्ती थी। दूसरे दिन कॉलेज से लौटते समय रागिनी ने सुधा को बताया कि नेहा को कोई नाज़िया नाम कि औरत ब्लैकमेल करके देह व्यापार कराती थी॥ उनके कॉलेज के ही एक दबंग लड़के विक्रम को इस मामले का पता चला तो विक्रम ने उस गिरोह के चंगुल से नेहा सहित कई लड़कियों को मुक्त करा दिया है.... नाज़िया पकड़ में आने से पहले ही फरार हो गयी लेकिन नाज़िया की बेटी का पता चला है जिसका नाम नीलोफर है... वो पुलिस हिरासत में है.... तो सुधा ने पूंछा कि रागिनी को ये सब किसने बताया...रागिनी बोली कि ये सब उसे विक्रम के साथ जो पूनम नाम कि लड़की और सुरेश नाम का लड़का रहता है... उन्होने बताया... क्योंकि नेहा रागिनी कि दोस्त थी और रागिनी विक्रम और पूनम के चरित्र को लेकर बहुत कुछ कहती रहती थी कॉलेज में इसलिए उसने रागिनी को नीचा दिखने के लिए ये सब बताया कि रागिनी की सहेली कितनी गिरी हुई है और विक्रम कितना महान है।

.........................................

ऋतु और रागिनी बड़े ध्यान से ये सब सुन रह थे..... सुधा इतना बताकर जब चुप हुई तो रागिनी ने पूंछा कि इस सब कहानी का रागिनी कि ज़िंदगी से क्या संबंध है......... तब उसने आगे बताना शुरू किया

.........................................
 

firefox420

Well-Known Member
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kya kamdev bhiya .. ye kya locha paya hua hai kahani mein .. abhi tak to Raagani ki he kahani ulzhi hui thi .. magar ab to aapne Sudha ko bhi iss sab mein ulzha diya .. Nilofer ka bhi case khul gaya hai .. ab ye Shamsher kaun niklega ye dekhna baaki hai ...

ek minute ... VijayRaj aur Bimla agar bhai behan hai .. to fir in dono ke pati-patni kaha hai .. is hisaab se Vikarm aur Raagani to ab bhi bhai-behan hi hai .. bas Raagani ka baap badal gaya hai .. pehle Jayraj tha aur ab VijayRaj hai .. ye sala kahani mein kya bakchodi chal rahi hai .. inse apne bacche to sambhal nahi rahe .. aur ek dusre ke baccho ko adopt kiya hua hai ...

kamdev99008 bhiya aap bhi baaki writero ki tarah hi tharki nikle .. main to aapko shareef samajh raha tha .. pehle to laga ye paariwaarik kahani hai .. magar ab isme incest - adultery - blackmail - forced - humilation - confusion sab kuch bhara hua hai .. kuch to chhod dete .. pehle to aap kehte phir rahe the .. ki ye sirf pariwarik kahani hi rahegi .. ab dekhlo .. ye kaun se angle se shareef pariwar walo ke kaam lag rahe hai .. aap se aacha to apne Dr. saab (Chutiyadr) he hai .. kam se kam unki story ka tag dekh kar pata to rehta hai .. but aapne to hamare saath Dhoka kiya hai .. hame gumraah kiya hai ...

Ek baat clear kar do lekhak ji .. ye Suresh kiska beta hai .. iske maa baap kaun hai .. aur isko paala kisne hai .. kyonki abhi tak to volleyball ki tarah kahani ke sabhi main paatr ek paale se dusre paale mein tap-pe khaate hue ghum rahe hai ... :D
 
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Pritam.bs

!..Kar Vida.......Alvida..!
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kya kamdev bhiya .. ye kya locha paya hua hai kahani mein .. abhi tak to Raagani ki he kahani ulzhi hui thi .. magar ab to aapne Sudha ko bhi iss sab mein ulzha diya .. Nilofer ka bhi case khul gaya hai .. ab ye Shamsher kaun niklega ye dekhna baaki hai ...

ek minute ... VijayRaj aur Bimla agar bhai behan hai .. to fir in dono ke pati-patni kaha hai .. is hisaab se Vikarm aur Raagani to ab bhi bhai-behan hi hai .. bas Raagani ka baap badal gaya hai .. pehle Jayraj tha aur ab VijayRaj hai .. ye sala kahani mein kya bakchodi chal rahi hai .. inse apne bacche to sambhal nahi rahe .. aur ek dusre ke baccho ko adopt kiya hua hai ...

kamdev99008 bhiya aap bhi baaki writero ki tarah hi tharki nikle .. main to aapko shareef samajh raha tha .. pehle to laga ye paariwaarik kahani hai .. magar ab isme incest - adultery - blackmail - forced - humilation - confusion sab kuch bhara hua hai .. kuch to chhod dete .. pehle to aap kehte phir rahe the .. ki ye sirf pariwarik kahani hi rahegi .. ab dekhlo .. ye kaun se angle se shareef pariwar walo ke kaam lag rahe hai .. aap se aacha to apne Dr. saab (Chutiyadr) he hai .. kam se kam unki story ka tag dekh kar pata to rehta hai .. but aapne to hamare saath Dhoka kiya hai .. hame gumraah kiya hai ...

Ek baat clear kar do lekhak ji .. ye Suresh kiska beta hai .. iske maa baap kaun hai .. aur isko paala kisne hai .. kyonki abhi tak to volleyball ki tarah kahani ke sabhi main paatr ek paale se dusre paale mein tap-pe khaate hue ghum rahe hai ... :D
Ab gayab na hona. Badi mushkil se writer sahab ko story aage badane ke liye manaya hai. Aapke bina ye thread suna suna lagta hai. :blush1:
 

Pritam.bs

!..Kar Vida.......Alvida..!
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मित्रो!
अध्याय 18 प्रस्तुत है
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें
Update dekh liya ya yu kahiye pad bhi liya. Lekin abhi bich ke update baki hai. Isliye apni pratikriya bhi baki rahne dete hai. Lekin raat ko update dene ke bad jarur sabhi update par apni pratikriya duga. Tab tak aap agle update ki taiyari me lag jaiye. :blush1:
 

firefox420

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Update dekh liya ya yu kahiye pad bhi liya. Lekin abhi bich ke update baki hai. Isliye apni pratikriya bhi baki rahne dete hai. Lekin raat ko update dene ke bad jarur sabhi update par apni pratikriya duga. Tab tak aap agle update ki taiyari me lag jaiye. :blush1:

ye update mil gaya .. wo he bahut hai .. agle update ki to sochna bhi gunah hai .. aap Pritam.bs ji apne judge sahab (kamdev99008) ji jyaada hi umeed laga baithe hai .. par chalo aap keh rahe ho to ho sakta hai .. aapki baat maan jaaye .. aur agar iss baar agar update late aayega to Ami aur Nami ko aage kar denge .. wo dono mil kar kamdev bhiya ki band bajayengi .. :wink:
 

Rekha rani

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कहानी उलझी हुई डोर की तरह जब लगता है कि अब सुलझ जाएगी तो और उलझ जाती है, कहानी पढ कर लग रहा है कि स्टोरी नही पहली पढ़ रहे है कौन किसका क्या है। अपडेट पढते ही अगले की राह देखनी पढ़तीं है। अब इतनी कहानी उलझी है कि सुधा पर भी शक हो रहा है, की वो सच बता रही है। कहि अपनी चुदाई का बदला तो नही ले रही
 

Sunil Ek Musafir

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Nice Update...
 

TheBlackBlood

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अध्याय 18

उन दोनों के जाने के बाद रागिनी ने सुधा को आगे सुनने का इशारा किया तो सुधा ने ऋतु की ओर देखते हुये इशारा किया और कहा

“पहले मुझे ये बताओ ये ऋतु कौन है? ये तुम्हें दीदी कह रही है और बच्चे इसे बुआ कह रहे हैं.... और घर पर भी सुबह तुम्हारे साथ नहीं थी ये?”

“वैसे तो बहुत करीबी रिश्ता है मेरा ऋतु से... लेकिन जैसे तुम्हें समझने में आसानी होगी वो बताती हूँ। ये विक्रम के चाचा बलराज सिंह की बेटी है...यानि विक्रम की चचेरी बहन...और ये आज दोपहर से ही हमारे साथ रहने आ गयी है। अब ये हमारे साथ ही रहेगी। और एक बात जो तुम्हें भी नहीं पता और पहले मुझे भी नहीं पता था अभी यहाँ आने के बाद पता लगी है.... तुम्हारी विमला आंटी जिसे तुम मेरी माँ के तौर पर जानती हो.... वो ऋतु की सगी बुआ थीं और शायद मेरी भी” रागिनी ने सुधा को बताया तो सुधा मुंह फाड़े उन दोनों की ओर देखने लगी

“सुधा दीदी! आप अभी ज्यादा मत सोचो और मेरे सामने ये सब बताने में कोई झिझक भी मत रखो... में कोई अनुराधा प्रबल की तरह बच्ची नहीं हूँ... यहीं दिल्ली में वकालत करती हूँ.... वकील हूँ...एडवोकेट.... और साथ ही जिनकी अप कहानी सुना रही हो उनसे मेरा भी उतना ही रिश्ता है...जितना रागिनी दीदी का” ऋतु ने सुधा के आश्चर्य को देखते हुये उसका हाथ अपने हाथों में लेते हुये कहा

“ठीक है” सुधा ने गहरी सांस लेते हुये कहा “अब आगे सुनो :-

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ममता और विजय को ऐसे देखकर सुधा की जैसे सांस ही थम गयी... लेकिन फिर ममता की बात याद आते ही उसने चुपचाप देखना ही बेहतर समझा और उनकी बातें सुनने लगी

“तो आज कैसा रहा? मजा आया की नहीं?” विजय ने उसको धीरे धीरे मसलते हुये कहा

“अब मजा आए या ना आए... जो काम दिया गया था वो तो करना ही था... एक तरह से समझ लो नौकरी करने गयी थी.... काम किया और आ गयी” ममता ने चिढ़ाते हुये कहा

“तू बहुत बड़ी रंडी है.... विमला से भी बड़ी... उसने तो जो कुछ भी किया ...अपने घर और अपने बच्चों के फायदे के लिए किया... लेकिन तू तो मजा लेने के लिए करती है” विजय ने फिर उसे छेड़ते हुये कहा

“हाँ! एक उम्र थी जब मजा लिया मेंने... लेकिन आज वो सजा बन गयी है... सोचा था शादी हो जाएगी अपना घर, अपना पति अपने बच्चे होंगे तो इन सबसे पिण्ड छूट जाएगा और चैन से अपना घर चलाऊँगी.... लेकिन यहाँ भी तेरे जैसे कमीने के चंगुल में फंस गयी” ममता ने कहा

“हाँ मुझे भी पता है.... कितनी बड़ी शरीफजादी है तू.... अहसान मान मेरा की दीपक से तेरी शादी करा दी... तेरा घर बस गया... अब कुछ दिन की बात और है... धीरे धीरे वहाँ तेरा काम खत्म हो जाएगा... उम्र हो रही है तेरी भी... बस तेरे हुनर की वजह से कुछ खास लोग ही तेरी डिमांड करते हैं.... नाज़िया मेडम ने कहा है कि वो तुझसे बात करना चाहती हैं.... कल जाकर मिल लियो...राधु पैलेस के पास जो कॉफी हाउस है.... 12 बजे” विजय ने कहा और फिर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और धीरे धीरे करके एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे.... सुधा ने पहले तो वहाँ से वापस अपने कमरे में आने का सोचा... लेकिन फिर उसने भी सोचा कि क्यों न देखकर मजा भी लिया जाए.... अब दोनों बिलकुल नंगे होकर एक दूसरे को चूमने चाटने चूसने पर लग गए, थोड़ी देर बाद ममता बिस्तर पर घुटने और हाथों के बल कुतिया बन गयी और विजय पीछे से आकार उसे चोदने लगा.... सुधा भी उन्हें देखकर बेचैन होने लगी...उसे भी अपने शरीर में गर्मी का अहसास होने लगा... लेकिन उनकी बातें फिर से शुरू हो गईं जिनको सुनकर सुधा के कान खड़े हो गए और अपनी हालत को भूलकर फिर से उनकी बातों पर ध्यान देने लगी.........

“क्या हुआ मामाजी बुड्ढे हो गए क्या? दम नहीं रहा?” ममता ने बोला

मामाजी सुनते ही सुधा चौंक गयी कि ममता अपने ससुर को मामाजी क्यों कह रही है

“दम तो बहुत है मुझमें लेकिन तू ही रंडी है.... साला पता ही नहीं चलता कि कहाँ जा रहा है.... तुझसे ज्यादा मजा तो विमला में आता है” विजय ने धक्के लगते हुये कहा

“मौसी के साथ मजा क्यों नहीं आयेगा... बहनचोद जो ठहरे” ममता ने भी पीछे की ओर धक्के लगाते हुये कहा

“कोई नया माल देख..... नाज़िया के तो भाव बढ़ गए हैं........ वो तो मुझे लूटने पर आ गयी है....कोई कमसिन सी बिना खुली हो” विजय ने फिर से ज़ोर लगते हुये कहा

“कहाँ ढूंढते फिरते हो, बहनचोद तो हो ही...बेटीचोद भी बन जाओ... रागिनी को ही उतार लो नीचे... कुछ में तैयार कर देती हूँ...कुछ तुम कोशिश करो” ममता ने कहा

“नहीं यार... रागिनी तो पहले ही विमला की वजह से मुझसे बात तक नहीं करती है...वो मेरे हाथ नहीं आएगी... कोई और देख” इतना कहते हुये विजय झड के हाँफता हुआ बिस्तर पर लेट गया...ममता ने उठकर उसकी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाकर बोली

“मुझे तो झेल नहीं पाते... नया माल ढूंढते हो.... तुमसे बढ़िया तो दीपक ही चोद लेता है.... मजबूरी है कि तुमने और उस कमीनी नाज़िया ने ऐसा फंसा रखा है कि कुछ कर नहीं सकती.... वरना गाण्ड पर लात मारके भगाती”

विजय ने कुछ कहा नहीं और खिसियानी सी हंसी हँसता हुआ उठकर अपने कपड़े पहनने लगा। इधर सुधा ने विजय को कपड़े पहनते देखा तो भागकर अपने कमरे में जाकर आँखें बंद करके लेट गयी...थोड़ी देर बाद उसे दरवाजा खुलने और बंद होने कि आवाज आयी और किसी के कमरे में घुसने की कदमों कि आवाज महसूस हुयी तो उसने पलकों में से देखा... ममता को देखकर वो उठकर पलंग से उतरी और बाहर को चल दी... ममता के पीछे। ममता उसे लेकर हॉल में रुकने कि बजाय उसी तीसरे कमरे में वापस आ गयी और पलंग पर बैठकर सुधा को भी बैठने का इशारा किया

“ये सब क्या है भाभी?” सुधा ने पूंछा

“देखकर मजा आया या नहीं?” ममता ने उल्टा मुस्कुराकर कहा तो सुधा ने चिढ़कर उसे घूरते हुये कहा

“फालतू कि बकवास करने कि बजाय मेरे सवाल का जवाब दो”

“तूने देख ही लिया... इस घर का जो मुखिया है वो मेरी चूत चाटता है... तू किसी को भी कुछ भी बता दे मुझे कोई डर नहीं...लेकिन पूंछ क्या पूंछना चाहती है मुझसे? आज तेरे हर सवाल का जवाब दूँगी... मेरे भी मन में आता है कि किसी से अपने मन की कहूँ... लेकिन कोई पूंछता ही नहीं... सब अपने मन कि कहते और करते हैं मेरे साथ” ममता ने दर्द भरी आवाज में कहा

“पहले तो ये बताओ कि तुम विजय अंकल को मामा क्यों कह रहीं थीं...और विमला आंटी को मौसी?” सुधा ने पूंछा

“इसलिए कि यही उनका रिश्ता है... विमला मौसी मेरी माँ की सहेली हैं... बचपन की... वो दोनों साथ-साथ पढ़ा करती थीं जैसे तुम और रागिनी पढ़ते हो... और विजय मामा उनके भाई हैं... दीपक और कुलदीप विमला मौसी के बेटे हैं... लेकिन रागिनी विजय मामा की बेटी है” ममता ने कहा तो सुधा का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया

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इधर ये सुनते ही रागिनी और ऋतु के भी मुंह से एकसाथ निकला “क्या?”

“हाँ! ये राज तुम और ऋतु भी नहीं जानते। में पहली बार ऋतु से मिली लेकिन जब तुमने बताया कि ये भी विमला आंटी कि भतीजी है तो मेंने इसके सामने बताना और ज्यादा सही समझा... लेकिन तुमने तो अभी मुझसे कहा था कि वो तुम्हारी भी बुआ हैं.... तो तुम्हें कैसे पता चला... मेरे बताने से पहले ही...???” सुधा ने ताज्जुब से पूंछा

“मेंने जो विक्रम की वसीयत के लिफाफे से हॉस्पिटल का एड्रैस मिला था वहाँ से पता किया था... और ऋतु की माँ ने भी बताया था.... लेकिन उन्होने मेरे पिता का नाम जयराज बताया था और वही हॉस्पिटल के भी रेकॉर्ड में था .... विजयराज के बड़े भाई” रागिनी ने बताया

“अब मुझे नहीं पता .... में तुम्हें वो बता रही हूँ जो मुझे ममता ने बताया था” सुधा ने कहा तो रागिनी ने उसे आगे बताने को कहा

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सुधा ने फिर आगे बताना शुरू किया :-

“ठीक है भाभी! में तो अब सोने जा रही हूँ.... मुझे तो आप लोगों का ही समझ में नहीं आया... कि कौन क्या है? आज तक रागिनी ने भी मुझे नहीं बताया कि विमला आंटी उसकी माँ नहीं हैं.... और ना ही विमला आंटी और विजय अंकल का ही किसी को पता कि वो मियाँ-बीवी नहीं भाई-बहन हैं” कहते हुये सुधा उठ खड़ी होने लगी तो ममता ने कहा कि चाहो तो दोनों यहाँ भी सो सकते हैं... लेकिन सुधा ने माना कर दिया और जाकर रागिनी के पास सो गयी

दूसरे दिन सुबह ममता ने सुधा से कहा कि आज वो नाज़िया से मिलने जाएगी.... चाहे तो सुधा भी चल सकती है... लेकिन सुधा ने साफ माना कर दिया कि अब उसे इन सब बातों से कोई मतलब नहीं। धीरे धीरे समय बीतता गया और ममता सुधा से ज्यादा से ज्यादा करीब होती गयी... यहाँ तक कि वो अब आपस में ममता के बाहर चुदने के अनुभवों को भी आपस में सिर्फ पूंछने या बताने तक ही नहीं... गहराई से समझने और मजा लेने तक भी आ गयी... ममता हमेशा खुद को मजबूर और लाचार दिखाकर सुधा कि सहानुभूति से नज़दीकियाँ बढ़ती और फिर उनमें वासना का रंग घोलने लगती, साथ ही सुधा को कहती कि... इस दलदल से बाहर निकालने में उसकी सहता करे।

इधर सुधा कि जो उम्र थी उसमें इन चुदाई के लिए ही नहीं... इस बारे में छोटी बड़ी हर बात के लिए एक जिज्ञासा होती ही है, सो वो भी अब ममता के साथ बातें करके मजा लेने लगी... ममता ने भी रागिनी और विमला के परिवार के बारे में सुधा को जो बताना शुरू किया उससे सुधा कि रागिनी से दोस्ती सिर्फ नाम मात्र कि ही रह गयी थी ऊपरी मन से.... अन्तर्मन से तो सुधा को भी लगने लगा था कि ये सभी बहुत गलत लोग हैं और इनहोने एक लाचार विधवा माँ कि बेटी को मजबूर और बेबस कर रखा है... उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे रागिनी तक से नफरत होने लगी थी कि उसने भी कभी अपने घर कि सच्चाई नहीं बताई।

अब सुधा कभी-कभी ममता के कहने पर कभी अपनी मर्जी से भी ममता के पास रुकने लगी...और रात के विजय और ममता के कारनामों का छुपकर मजा लेने लगी... ऐसे ही एक दिन जब सुधा ममता के पास रुकी हुई थी तो रात को कॉफी पीने के बाद सुधा कि आँख सुबह ही खुली... ममता के जगाने पर... उठते ही सुधा ने जब देखा कि सुबह हो गयी है... और वो रात को कॉफी पीते ही सो गयी तो वो दर से काँप गयी... लेकिन अपने शरीर में उसे कुछ भी अजीब नहीं महसूस हुआ तो उसने सवालिया नज़रों से ममता कि ओर देखा, जैसे पूंछ रही हो कि ममता ने रात उसे क्यों नींद कि दवा देकर सुला दिया तो ममता ने धीरे से उसे दोपहर को घर आने को कहा और कहा कि इसी सिलसिले में उसे कुछ जरूरी बात करनी है।

दोपहर को स्कूल से आकर सुधा ममता से मिलने आयी तो ममता कहीं जाने को तयार दिखी... सुधा ने पूंछा तो ममता ने कहा कि उसे बाज़ार जाना है कुछ सिलाई का सामान लेने, सुधा भी उसके साथ चली चले। सुधा उसके इशारे को समझ के साथ चल दी वहाँ से निकलकर फाटक पर करके ममता ने करोल बाग पी एण्ड टी कॉलोनी के लिए रिक्शा लिया और वहाँ पार्क के सामने उतरकर पार्क में अंदर जाकर एक बेंच पर बैठ गयी... दोपहर का समय था तो पार्क में वो दोनों ही थे बाकी खाली था। बेंच पर बैठकर ममता ने सुधा को एक लिफाफा दिया। लिफाफा खोलकर जब सुधा ने देखा तो उसमें सुधा की कुछ तस्वीरें थी बिना कपड़ों के जिन्हें देखकर ही पता चल रहा था कि वो रात को उसी तीसरे कमरे में ली गईं थीं। तस्वीरों को देखकर सुधा पहले तो रो पड़ी फिर गुस्से में ममता को बुरा भला कहने लगी कि उसने ऐसा क्यों किया। ममता ने लाचार सी सूरत बनाकर कहा कि पिछली बार जब सुधा उसके घर रुकी थी तो उस रात विजय ने उसे खिड़की से झाँकते देख लिया था और उसने ममता को मजबूर करके ये सब करवाया है। विजय ने ये तस्वीरें न सिर्फ उसे दी हैं बल्कि नाज़िया को भी दे दी हैं और अब नाज़िया इन तसवीरों के दम पर उसे अपने काम में लगाना चाहती है.... अगर सुधा ने इन्कार किया तो न सिर्फ सुधा के घर बल्कि आसपास के सब लोगों तक ये तस्वीरें पहुँच जाएंगी.... सुधा अगर इस मामले में कोई कानूनी कार्यवाही करना चाहे तो अदालत में किसी भी तरह ममता या विजय को मुजरिम साबित नहीं कर पाएगी...उल्टे उसकी खुद कि बदनामी होगी.... लेकिन अगर वो चुपचाप मान जाती है तो उसे भी ममता कि तरह बिना किसी को कानोकान खबर हुये... इस काम से मज़ा और पैसा दोनों मिलते रहेंगे...

सुधा ने उस वक़्त तो कुछ नहीं कहा और उठकर चल दी घर आकार उसने खुद को पढ़ाई और घर में व्यस्त रखने कि कोशिश कि लेकिन दिमाग से वो बातें हटने का नाम नहीं ले रही थीं। आज उसे महसूस हुआ कि उसने ममता पर भरोसा करके कितनी बड़ी गलती कर दी... फिर भी वो खुद को सम्हालने कि कोशिश करने लगी... लेकिन अगले दिन ही शाम को ममता उसके घर आयी और एकांत में उसे फिर समझाया कि वो नाज़िया कि बात को मन ले वरना अंजाम भुगतने को तयार रहे.... आखिरकार सुधा को झुकना ही पड़ा और 2 दिन बाद ममता ने फिर उसे अपने साथ बाज़ार जाने के नाम पर लिया और नाज़िया से मुलाक़ात कराई.... धीरे धीरे ये सिलसिला चलता रहा।

एक दिन विजय ने ममता और सुधा को बताया कि नाज़िया के यहाँ की एक लड़की नेहा कक्कड़ को लेकर कुछ बवाल हो गया है और वो दोनों भी नाज़िया के किसी भी कांटैक्ट को संपर्क ना करें…. सुधा और रागिनी अब कॉलेज में पढ़ती थीं नेहा भी उन्हीं के कॉलेज में पढ़ती थी, सुधा तो नाज़िया वाले काम से जुड़े होने की वजह से कॉलेज में नेहा से कोई बात नहीं करती थी लेकिन रागिनी से नेहा कि अच्छी दोस्ती थी। दूसरे दिन कॉलेज से लौटते समय रागिनी ने सुधा को बताया कि नेहा को कोई नाज़िया नाम कि औरत ब्लैकमेल करके देह व्यापार कराती थी॥ उनके कॉलेज के ही एक दबंग लड़के विक्रम को इस मामले का पता चला तो विक्रम ने उस गिरोह के चंगुल से नेहा सहित कई लड़कियों को मुक्त करा दिया है.... नाज़िया पकड़ में आने से पहले ही फरार हो गयी लेकिन नाज़िया की बेटी का पता चला है जिसका नाम नीलोफर है... वो पुलिस हिरासत में है.... तो सुधा ने पूंछा कि रागिनी को ये सब किसने बताया...रागिनी बोली कि ये सब उसे विक्रम के साथ जो पूनम नाम कि लड़की और सुरेश नाम का लड़का रहता है... उन्होने बताया... क्योंकि नेहा रागिनी कि दोस्त थी और रागिनी विक्रम और पूनम के चरित्र को लेकर बहुत कुछ कहती रहती थी कॉलेज में इसलिए उसने रागिनी को नीचा दिखने के लिए ये सब बताया कि रागिनी की सहेली कितनी गिरी हुई है और विक्रम कितना महान है।

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ऋतु और रागिनी बड़े ध्यान से ये सब सुन रह थे..... सुधा इतना बताकर जब चुप हुई तो रागिनी ने पूंछा कि इस सब कहानी का रागिनी कि ज़िंदगी से क्या संबंध है......... तब उसने आगे बताना शुरू किया

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एक बार पुन: मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद करूँगा कामदेव भाई कि आपने इतनी खूबसूरत कहानी लिखी और उससे हम सभी को रूबरू कराया।

इसके पहले मैंने आठ अपडेट तक पढ़े थे और आज बांकी के सारे अपडेट पढ़ डाले और यकीन मानिए मुुुुझे आपकी ये रचना बेहद पसंद आई। आदि से अब तक कहानी नेे एक ऐसा माहौल बनाए रखा है जिससे चाह कर भी पाठकगण उबर नहीं सकते, कदाचित इस लिए कि जैसे ही हम किसी एक चीज से उबरने को होते हैं तभी दूसरी ऐसी चीज का शिकार हो जाते हैं जो हमें फिर से ये जानने के लिए मजबूर करती है कि अगर ये ऐसा था तो फिर बांंकी का किस तरह था.????

कहानी ने सचमुच काफी पेंचीदा हालात खड़े कर दिए हैं। किरदारों की संख्या भी बढ़ रही है जिससे संभव हैै कि सरलता से समझने मेें थोड़ी मुुश्किल होने लगे किन्तु समझना तो पड़़े़े़े़ेगा ही। सारी बातों को बहुुत ही खूबसूूरती से दर्शाया है आपने। खैैर, अभी तो बहुत से सवाल हैं जिनके बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई है। इस लिए उम्मीद करता हूूॅ कि हम सभी की इस उत्सुुुुकता का खयाल रखते हुए सीघ्र ही आगे के अपडेट पोस्ट करने का कष्ट हमारे लेखक साहब करेंगे। :)
 
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