अध्याय 14
“शमशेर ! मुझे मेरा बच्चा चाहिए.... कब तक उससे अलग रहूँगी... मेंने तो उसे देखा ही नहीं..... अगर कुछ दिन मेरे साथ रह लेता तो क्या बिगड़ जाता कम से कम एक बार उसे अपने सीने से लगाकर प्यार तो कर लेती...” शमशेर के सीने में मुंह छुपाए रोती हुयी नीलोफर ने कहा
“नीलो! तुमने ही तो कहा था हमें अपने बच्चे को इस सबसे बाहर रखना है... अगर वो एक दिन भी तुम्हारे पास रह जाता तो उसे वहाँ से हमारे साथ ही यहाँ भेज दिया जाता.... में तो तुम्हें और समीर को ही अब तक नहीं निकाल पा रहा हूँ...यहाँ तुम्हारे साथ बने रहने के लिए ही कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है मुझे... लेकिन अब में हमेशा के लिए ही तुम्हारे पास आ गया” शमशेर ने नीलोफर के बालों में हाथ फिरते हुये कहा
“लेकिन प्रबल किसके पास रहेगा वहाँ... रागिनी को अभी तो अपने बारे में ही पता नहीं तो प्रबल को पाल रही है... लेकिन कल को उसे कुछ याद आ गया तो.... अनुराधा को भी अगर ये पता चल गया की वो उसका भाई नहीं है तो... पता नहीं प्रबल का क्या होगा” नीलोफर ने फिर कहा “में तो उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकती, अपने जानने वाले किसी से प्रबल का जिक्र भी कर दिया तो मेरा तो इस जाल से निकालना मुश्किल हो ही जाएगा... साथ ही तुम्हारी, समीर और प्रबल की जान को भी खतरा हो जाएगा”
“अब एक बात बताऊँ? तुम नाराज मत होना... और ना घबराना... अभी तक सबकुछ ठीक चल रहा है और उम्मीद है कि सब ठीक ही चलेगा” शमशेर ने नीलोफर का सिर अपने सीने से उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा
“क्या? अब ऐसा क्या हो गया जो में घबरा जाऊँगी... नाराज तो इस ज़िंदगी में तुमसे हो ही नहीं सकती” नीलोफर ने चिंता भरे स्वर में कहा
“रागिनी, प्रबल और अनुराधा को सच्चाई पता चल चुकी है..... पूरी नहीं लेकिन इतना तो पता चल ही गया है कि उनकी असली पहचान क्या है? उनका घर-परिवार कहाँ और कौन हैं?”विक्रम ने धीरे से कहा
“फिर? अब? अब क्या होगा हमारे प्रबल का... रागिनी और अनुराधा कहीं उसे छोड़ न दें... या वो ही यहाँ आने कि कोशिश करे तो?” नीलोफर ने घबराते हुये कहा
“नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ! रागिनी, अनुराधा और प्रबल को साथ लेकर अपने घर दिल्ली रहने आ गईं हैं.... और उनके बीच कुछ नहीं बदला.... हालांकि वहाँ रहने से रागिनी को बहुत कुछ पता चलेगा समय के साथ, लेकिन सिर्फ अपने बारे में... हमारे बारे में उसे शायद ही पता चले.... और प्रबल के बारे में पता चलने के बाद भी पहले तो यहाँ तक पहुँचना ही उनका मुश्किल है.... अगर सरकारी जांच भी आयी तो कागजी तौर पर हमारा जो बेटा वहाँ पैदा हुआ था.... वो यहाँ हमारे साथ है.... समीर.... प्रबल को पैदा होते ही में इसीलिए लेकर चला गया था... जिससे वहाँ के रेकॉर्ड में जुड़वां बेटे नहीं बल्कि एक ही बेटा पैदा होने का दर्ज हो... इससे हमें 2 फायदे हुये एक तो प्रबल इंटेलिजेंस एजेंसियों के दायरे से बाहर निकल गया और दूसरे अब अगर प्रबल या रागिनी उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर कोई जानकारी लेने की कोशिश करेंगे तो रेकॉर्ड में हम अपने उस बेटे के साथ यहाँ सिंध में आ चुके हैं.... जिसका जन्म प्रमाण पत्र है.... लेकिन उन्हें ये जरूर महसूस हो जाएगा की प्रबल से हमारा कोई रिश्ता जरूर है.......अब समय आ गया है की हम अपना अगला कदम उठाएँ..." शमशेर ने उसे आश्वस्त करते हुये कहा
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रागिनी वगैरह अपने घर मे पहुंचे तो रागिनी ने प्रबल को घर में जरूरी सामान व्यवस्थित करने को कहा और अनुराधा को अपने साथ रसोई में साथ ले गयी। रसोई की साफ सफाई कर खाना बनाने की तयारी कर अनुराधा को ऋतु से बात करने को कहा तो उन्होने बताया की 20-25 मिनट में वो लोग पहुँच रहे हैं। फिर रागिनी ने सभी को अपने-अपने कमरे में जाकर तयार होने को कहा। लगभग आधे घंटे के बाद बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आयी तो प्रबल ने बाहर निकालकर देखा... गाड़ी में से बलराज सिंह और मोहिनी देवी उतरे तो प्रबल ने उनके पैर छूए और उन्हें साथ लेकर घर की ओर बढ़ा.... रागिनी और अनुराधा भी निकलकर दरवाजे पर आ गईं थीं... मोहिनी ने आगे बढ़कर रागिनी को गले लगा लिया तभी ऋतु ने भी पीछे से आकर अनुराधा को गले लगा लिया…. प्रबल एकटक उन सबकी ओर देखने लगा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल को भी अपने साथ लगा लिया... और सब अंदर आकार ड्राविंग रूम में बैठ गये.... अनुराधा रसोई में जाकर चाय तयार करने लगी... प्रबल भी अनुराधा के पास रसोई में ही जाकर उसकी सहायता करने लगा
“रागिनी बेटा तुम्हें तो कुछ याद नहीं...मुझे भी तुम्हारे परिवार के बारे में कोई खास जानकारी नहीं... लेकिन 20 साल पहले जब तुम्हारा अपहरण हो गया था तब मेंने तुम्हारी फोटो देखि थी अखबार और पोस्टर्स मे... इसीलिए अभी जब तुम गाँव पहुंची तब तुम मुझे कुछ पहचानी-पहचानी सी लगी.... बाद मे जब वसीयत में विक्रम ने बताया की तुम्हारा हमारे परिवार की नहीं तो मेंने इतना गौर नहीं किया.... लेकिन जब तुम इस घर में आयी तो मुझे पूरी तरह से याद आ गया की तुम कौन हो....” मोहिनी देवी ने अपनी बात शुरू करने के लिए भूमिका बँधनी शुरू की ही थी कि अनुराधा और प्रबल चाय-नाश्ता लेकर आ गए... रागिनी ने उन्हें सबको चाय नाश्ता देकर वहीं साथ में बैठने को कहा
“अब बताएं आप? क्या रिश्ता है आपसे हमारा? और अगर रिश्ता है तो फिर हम एक दूसरे को जानते क्यों नहीं?” रागिनी ने चाय का घूंट भरते हुये कहा
“”रागिनी! तुम्हारी माँ विमला मेरी बड़ी बहन थी, यानि में तुम्हारा मामा हूँ... विमला दीदी ने अपनी मर्जी से घर छोडकर लव मैरेज की थी इसलिए परिवार ने उन्हें न तो तलाश करने कि कोशिश कि और न ही बाद में पता चलने पर भी कोई संबंध रखा.... यही विमला दीदी ने भी किया...लेकिन जब तुम्हारा अफरन हुआ था तब में तुम्हारे घर गया था... 2-3 बार... इसलिए में तुम्हारे घर के सभी मेम्बर्स को जानता हूँ... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि विक्रम तुम्हें सिर्फ कॉलेज से जानता था या हमारे रिश्ते को भी जानता था.... खैर छोड़ो इन सब बातों को.... अभी हम इसलिए यहाँ आए हैं कि अब तक जो हुआ या होता रहा... उस सब को भूलकर हम एक साथ एक परिवार कि तरह रहें.... विक्रम के बाद हमारे घर में सिर्फ हम दोनों पति-पत्नी और ऋतु हैं... इधर तुम्हारे घर में भी तुम्हारे और अनुराधा के अलावा किसी के बारे में कोई जानकारी नहीं.... तो हम पांचों ही एक साथ एक परिवार कि तरह रहें...”
“देखिये मामाजी!... अब मामाजी ही हुये ना आप मेरे.... यहाँ सिर्फ में और अनुराधा ही नहीं हैं... हमारे साथ प्रबल भी है... जो हमेशा से मेरे परिवार का हिस्सा है... जन्म से....” रागिनी ने कहा
“लेकिन बेटा! विक्रांत ने तो ये बताया था कि इसका हमारे परिवार से कोई संबंध नहीं है... फिर भी अगर तुम्हें सही लगता है तो हम भी तयार है...प्रबल को भी साथ रखने के लिए” बलराज सिंह ने कहा इस पर मोहिनी ने कहा कि विक्रम को कुछ तो पता होगा इसीलिए उसने अपना अंतिम संस्कार प्रबल के हाथों कराया.... ये परिवार से ही जुड़ा हुआ है तो बलराज सिंह ने भी सहमति दे दी
“अब दूसरी बात पर आते हैं” रागिनी ने कहा “हमारे परिवार के साथ तो अपराध कि कहानी जुड़ी और कोई जेल गया, किसी का अफरन हुआ, कोई फरार हो गया, कुछ गायब भी हुये और शायद कुछ के कत्ल भी हो गए हों....लेकिन आपका तो भरा पूरा परिवार था.... उसमें से बाकी लोग कहाँ गए... आप 3 और एक विक्रम 4 लोग ही कैसे रह गए?”
“हम 3 भाई थे और एक बहन थी” बलराज सिंह ने बोल्न शुरू किया तो रागिनी, अनुराधा और प्रबल सभी चोंक गए लेकिन रागिनी ने इशारे से अनुराधा और प्रबल को शांत रहने का इशारा किया और बलराज सिंह कि बात सुनने लगी “मेरे बड़े भाई गजराज सिंह थे जो एक वैज्ञानिक थे ICSR में उनकी पत्नी कामिनी भाभी, मोहिनी कि सगी बड़ी बहन थी उनके इकलौता बेटा विक्रम था, जब विक्रम लगभग 10 साल का था तब गजराज भैया का हिमाचल में कार खाई में गिरने से निधन हो गया... भाभी भी भैया के अंतिम संस्कार के बाद गंगा स्नान को हरिद्वार गईं और वहाँ से लापता हो गईं... बाद में विक्रम को मुझसे छोटा भाई देवराज अपने साथ कोटा हवेली ले गया... देवराज ने शादी नहीं कि थी... कोटा में वो हवेली हमारे नानाजी कि थी... उनके कोई बेटा नहीं था... हमारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी इसलिए उन्होने देवराज को अपने साथ रखा था और अपनी सारी जमीन-जायदाद देवराज के नाम कर दी थी... विक्रम हमेशा देवराज के ही साथ रहा... लेकिन पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहा तब भी उसने हमारे घर रहना स्वीकार नहीं किया और अलग DU नॉर्थ कैम्पस के पास ही यहीं किशनगंज में मकान लेकर रहता था....”
“तो फिर विजयराज सिंह और रविराज सिंह कौन थे?” रागिनी ने जैसे ही कहा बलराज सिंह के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं
“तुम्हें किसने बताया इनके बारे में” बलराज सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव आ गए
“अब में बताती हूँ आपको.... आप 3 नहीं 5 भाई थे और आपकी 1 नहीं 2 बहनें थीं.... अब मुझे कहाँ से पता चला इस बात को छोड़िए” रागिनी ने भी कठोरता से शब्दों को चबाते हुये कहा तो ऋतु ने चोंक कर बलराज सिंह और मोहिनी देवी कि ओर देखा
“पापा! ये क्या कह रही हैं रागिनी दीदी?” ऋतु ने बलराज सिंह से पूंछा
“बेटा ये सही कह रही हैं” बलराज सिंह के कुछ बोलने से पहले ही मोहिनी देवी ने कहा “और ये भी सच सुन लो रागिनी... तुम विमला कि बेटी नहीं हो... बल्कि रविराज सिंह और वसुंधरा की बेटी हो”
“मुझे मालूम है चाचीजी! मेरा जन्म लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में हुआ था जो इरविन हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था 14 अगस्त 1979 को... ये रहा हॉस्पिटल के रेकॉर्ड में दर्ज रविराज सिंह और वसुंधरा देवी के बेटी का जन्म होने का विवरण.... इसमें दिल्ली का नहीं गाँव का पता दर्ज है” कहते हुये रागिनी ने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप्प पर आए हुये मैसेज में से एक पन्ने को बड़ा करके दिखाया तो ऋतु ने मोबाइल अपने हाथ में लेते हुये उसमें देखा
“चलिये छोड़िए इन सब बातों को.... आपने अब तक जो भी बताया है.... उसमें मुझे सच से ज्यादा झूठ दिख रहा है... इसलिए अब में सबकुछ खुद पता करूंगी.... मुझे तो लगता है कि कहीं न कहीं इस परिवार के खत्म हो जाने में आपका भी हाथ है.... मुझे तो क्या.... आपने शायद अपनी बेटी को भी कभी कुछ नहीं बताया होगा” कहते हुये रागिनी ने ऋतु के हाथ से मोबाइल लिया और उठकर खड़ी हो गयी... “अब आप जा सकते हैं.... में और ये दोनों बच्चे यहीं रहेंगे.... क्योंकि में आपके परिवार कि हूँ... तब भी आपने मुझे कभी नहीं अपनाया....बल्कि अपनी ओर से तो खत्म ही हो जाने दिया.... ये दोनों बच्चे तो आपके परिवार के भी नहीं हैं.... कल को इनके साथ न जाने क्या हो..... मुझे और इन बच्चों को विक्रम ने सहारा दिया था.... अब में इन बच्चों को लेकर अपना-घर परिवार बसाऊँगी.... मुझे आपकी कोई जरूरत नहीं है”
अब बलराज सिंह और मोहिनी देवी के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं नहीं बचा था तो वो भी उठ खड़े हुये और चुपचाप बाहर कि ओर चल दिये। उनको जाता देखकर ऋतु भी उनके पीछे पीछे बाहर निकल गयी। थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी स्टार्ट होकर जाने कि आवाज आयी तो अनुराधा और प्रबल आकर रागिनी के कंधों पर सिर रखकर बैठ गए..... और तीनों कि आँखों से आँसू बहने लगे
Woooooowww.......
Very good and thrilling update.....
Mostly second phase.....
Shamsher and nilofar are alive.......good....
But how do they know about prabal.....
Kya ghar ka koi aadmi ya balraj unse mila hua hai.....ya unhe jaanta hai.....
OR jis jaal ke baare mai shamsher baat kar raha tha....wo apne aap ko or apni family ko IB se chupaya chahta tha.....
Ho sakta hai uske link kisi galat Sans tha se so....ya phir wo me kisi galat iraade se aaye ho.....OR isiliye hee prabal ko inn sab se dur rakhne ke liye.....yanha chhod kar bhag gaye Ho......
Ab baat kare......second phase ki to.....
Balraj ke bar bar jhuth bolne se......ragini ke saath......ritu.....ko bhi us par vishwas nahi raha ab.....
OR ritu kya kare....jab uski maa ne hee use jhuth bola......
Prabal ke liye maine sahi kaha tha.....uska relation us family or raj se hai.......jiski wajah se puri family alag hui.....
OR jaise bataya gaya hai....KI ak family member scientist tha.....ab wo kon tha....balraj ke jhuth bolne se ye at phir ak raaj ho gayi hai....
Most possibility to ye hai ki.....raviraaj hee scientist ho or us se koi kaam niklwaane......ya koi baat haan ne ke liye.....ragini ka kidnap hua ho......
OR us saajish me prabal ki family involved ho......
Anyways....
Dekhte hai aage kya Hota hai.....
Very well written
Thanks