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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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Tiwari_baba

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बहुत ही सुंदर और शानदार कहानी है, सस्पेंस से भरा हुआ और हर बात इसको रोचक बनाता है !शानदार लेखनी है भाई जी बहुत अच्छे, सभी अपडेट्स मैंने पड़े हैं और बहुत ही सुंदर लिखा है, देखते हैं आगे क्या होता है! कैसे सच्चाई पता चलेगी रागनी को अपने जीवन के बारे में सॉरी बीते हुए जीवन के बारे में और क्या प्रबल को अपनी सच्चाई पता चल पाएगी, उसके माता-पिता मिल पाएंगे, इंतजार रहेगा आपके अगले अपडेट का
 

kamdev99008

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अध्याय 14

“शमशेर ! मुझे मेरा बच्चा चाहिए.... कब तक उससे अलग रहूँगी... मेंने तो उसे देखा ही नहीं..... अगर कुछ दिन मेरे साथ रह लेता तो क्या बिगड़ जाता कम से कम एक बार उसे अपने सीने से लगाकर प्यार तो कर लेती...” शमशेर के सीने में मुंह छुपाए रोती हुयी नीलोफर ने कहा

“नीलो! तुमने ही तो कहा था हमें अपने बच्चे को इस सबसे बाहर रखना है... अगर वो एक दिन भी तुम्हारे पास रह जाता तो उसे वहाँ से हमारे साथ ही यहाँ भेज दिया जाता.... में तो तुम्हें और समीर को ही अब तक नहीं निकाल पा रहा हूँ...यहाँ तुम्हारे साथ बने रहने के लिए ही कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है मुझे... लेकिन अब में हमेशा के लिए ही तुम्हारे पास आ गया” शमशेर ने नीलोफर के बालों में हाथ फिरते हुये कहा

“लेकिन प्रबल किसके पास रहेगा वहाँ... रागिनी को अभी तो अपने बारे में ही पता नहीं तो प्रबल को पाल रही है... लेकिन कल को उसे कुछ याद आ गया तो.... अनुराधा को भी अगर ये पता चल गया की वो उसका भाई नहीं है तो... पता नहीं प्रबल का क्या होगा” नीलोफर ने फिर कहा “में तो उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकती, अपने जानने वाले किसी से प्रबल का जिक्र भी कर दिया तो मेरा तो इस जाल से निकालना मुश्किल हो ही जाएगा... साथ ही तुम्हारी, समीर और प्रबल की जान को भी खतरा हो जाएगा”

“अब एक बात बताऊँ? तुम नाराज मत होना... और ना घबराना... अभी तक सबकुछ ठीक चल रहा है और उम्मीद है कि सब ठीक ही चलेगा” शमशेर ने नीलोफर का सिर अपने सीने से उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा

“क्या? अब ऐसा क्या हो गया जो में घबरा जाऊँगी... नाराज तो इस ज़िंदगी में तुमसे हो ही नहीं सकती” नीलोफर ने चिंता भरे स्वर में कहा

“रागिनी, प्रबल और अनुराधा को सच्चाई पता चल चुकी है..... पूरी नहीं लेकिन इतना तो पता चल ही गया है कि उनकी असली पहचान क्या है? उनका घर-परिवार कहाँ और कौन हैं?”शमशेर ने धीरे से कहा

“फिर? अब? अब क्या होगा हमारे प्रबल का... रागिनी और अनुराधा कहीं उसे छोड़ न दें... या वो ही यहाँ आने कि कोशिश करे तो?” नीलोफर ने घबराते हुये कहा

“नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ! रागिनी, अनुराधा और प्रबल को साथ लेकर अपने घर दिल्ली रहने आ गईं हैं.... और उनके बीच कुछ नहीं बदला.... हालांकि वहाँ रहने से रागिनी को बहुत कुछ पता चलेगा समय के साथ, लेकिन सिर्फ अपने बारे में... हमारे बारे में उसे शायद ही पता चले.... और प्रबल के बारे में पता चलने के बाद भी पहले तो यहाँ तक पहुँचना ही उनका मुश्किल है.... अगर सरकारी जांच भी आयी तो कागजी तौर पर हमारा जो बेटा वहाँ पैदा हुआ था.... वो यहाँ हमारे साथ है.... समीर.... प्रबल को पैदा होते ही में इसीलिए लेकर चला गया था... जिससे वहाँ के रेकॉर्ड में जुड़वां बेटे नहीं बल्कि एक ही बेटा पैदा होने का दर्ज हो... इससे हमें 2 फायदे हुये एक तो प्रबल इंटेलिजेंस एजेंसियों के दायरे से बाहर निकल गया और दूसरे अब अगर प्रबल या रागिनी उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर कोई जानकारी लेने की कोशिश करेंगे तो रेकॉर्ड में हम अपने उस बेटे के साथ यहाँ सिंध में आ चुके हैं.... जिसका जन्म प्रमाण पत्र है.... लेकिन उन्हें ये जरूर महसूस हो जाएगा की प्रबल से हमारा कोई रिश्ता जरूर है.......अब समय आ गया है की हम अपना अगला कदम उठाएँ..." शमशेर ने उसे आश्वस्त करते हुये कहा

.................................

रागिनी वगैरह अपने घर मे पहुंचे तो रागिनी ने प्रबल को घर में जरूरी सामान व्यवस्थित करने को कहा और अनुराधा को अपने साथ रसोई में साथ ले गयी। रसोई की साफ सफाई कर खाना बनाने की तयारी कर अनुराधा को ऋतु से बात करने को कहा तो उन्होने बताया की 20-25 मिनट में वो लोग पहुँच रहे हैं। फिर रागिनी ने सभी को अपने-अपने कमरे में जाकर तयार होने को कहा। लगभग आधे घंटे के बाद बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आयी तो प्रबल ने बाहर निकालकर देखा... गाड़ी में से बलराज सिंह और मोहिनी देवी उतरे तो प्रबल ने उनके पैर छूए और उन्हें साथ लेकर घर की ओर बढ़ा.... रागिनी और अनुराधा भी निकलकर दरवाजे पर आ गईं थीं... मोहिनी ने आगे बढ़कर रागिनी को गले लगा लिया तभी ऋतु ने भी पीछे से आकर अनुराधा को गले लगा लिया…. प्रबल एकटक उन सबकी ओर देखने लगा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल को भी अपने साथ लगा लिया... और सब अंदर आकार ड्राविंग रूम में बैठ गये.... अनुराधा रसोई में जाकर चाय तयार करने लगी... प्रबल भी अनुराधा के पास रसोई में ही जाकर उसकी सहायता करने लगा

“रागिनी बेटा तुम्हें तो कुछ याद नहीं...मुझे भी तुम्हारे परिवार के बारे में कोई खास जानकारी नहीं... लेकिन 20 साल पहले जब तुम्हारा अपहरण हो गया था तब मेंने तुम्हारी फोटो देखि थी अखबार और पोस्टर्स मे... इसीलिए अभी जब तुम गाँव पहुंची तब तुम मुझे कुछ पहचानी-पहचानी सी लगी.... बाद मे जब वसीयत में विक्रम ने बताया की तुम्हारा हमारे परिवार की नहीं तो मेंने इतना गौर नहीं किया.... लेकिन जब तुम इस घर में आयी तो मुझे पूरी तरह से याद आ गया की तुम कौन हो....” मोहिनी देवी ने अपनी बात शुरू करने के लिए भूमिका बँधनी शुरू की ही थी कि अनुराधा और प्रबल चाय-नाश्ता लेकर आ गए... रागिनी ने उन्हें सबको चाय नाश्ता देकर वहीं साथ में बैठने को कहा

“अब बताएं आप? क्या रिश्ता है आपसे हमारा? और अगर रिश्ता है तो फिर हम एक दूसरे को जानते क्यों नहीं?” रागिनी ने चाय का घूंट भरते हुये कहा

“”रागिनी! तुम्हारी माँ विमला मेरी बड़ी बहन थी, यानि में तुम्हारा मामा हूँ... विमला दीदी ने अपनी मर्जी से घर छोडकर लव मैरेज की थी इसलिए परिवार ने उन्हें न तो तलाश करने कि कोशिश कि और न ही बाद में पता चलने पर भी कोई संबंध रखा.... यही विमला दीदी ने भी किया...लेकिन जब तुम्हारा अपहरण हुआ था तब में तुम्हारे घर गया था... 2-3 बार... इसलिए में तुम्हारे घर के सभी मेम्बर्स को जानता हूँ... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि विक्रम तुम्हें सिर्फ कॉलेज से जानता था या हमारे रिश्ते को भी जानता था.... खैर छोड़ो इन सब बातों को.... अभी हम इसलिए यहाँ आए हैं कि अब तक जो हुआ या होता रहा... उस सब को भूलकर हम एक साथ एक परिवार कि तरह रहें.... विक्रम के बाद हमारे घर में सिर्फ हम दोनों पति-पत्नी और ऋतु हैं... इधर तुम्हारे घर में भी तुम्हारे और अनुराधा के अलावा किसी के बारे में कोई जानकारी नहीं.... तो हम पांचों ही एक साथ एक परिवार कि तरह रहें...”

“देखिये मामाजी!... अब मामाजी ही हुये ना आप मेरे.... यहाँ सिर्फ में और अनुराधा ही नहीं हैं... हमारे साथ प्रबल भी है... जो हमेशा से मेरे परिवार का हिस्सा है... जन्म से....” रागिनी ने कहा

“लेकिन बेटा! विक्रांत ने तो ये बताया था कि इसका हमारे परिवार से कोई संबंध नहीं है... फिर भी अगर तुम्हें सही लगता है तो हम भी तयार है...प्रबल को भी साथ रखने के लिए” बलराज सिंह ने कहा इस पर मोहिनी ने कहा कि विक्रम को कुछ तो पता होगा इसीलिए उसने अपना अंतिम संस्कार प्रबल के हाथों कराया.... ये परिवार से ही जुड़ा हुआ है तो बलराज सिंह ने भी सहमति दे दी

“अब दूसरी बात पर आते हैं” रागिनी ने कहा “हमारे परिवार के साथ तो अपराध कि कहानी जुड़ी और कोई जेल गया, किसी का अपहरण हुआ, कोई फरार हो गया, कुछ गायब भी हुये और शायद कुछ के कत्ल भी हो गए हों....लेकिन आपका तो भरा पूरा परिवार था.... उसमें से बाकी लोग कहाँ गए... आप 3 और एक विक्रम 4 लोग ही कैसे रह गए?”

“हम 3 भाई थे और एक बहन थी” बलराज सिंह ने बोल्न शुरू किया तो रागिनी, अनुराधा और प्रबल सभी चोंक गए लेकिन रागिनी ने इशारे से अनुराधा और प्रबल को शांत रहने का इशारा किया और बलराज सिंह कि बात सुनने लगी “मेरे बड़े भाई गजराज सिंह थे जो एक वैज्ञानिक थे ICSR में उनकी पत्नी कामिनी भाभी, मोहिनी कि सगी बड़ी बहन थी उनके इकलौता बेटा विक्रम था, जब विक्रम लगभग 10 साल का था तब गजराज भैया का हिमाचल में कार खाई में गिरने से निधन हो गया... भाभी भी भैया के अंतिम संस्कार के बाद गंगा स्नान को हरिद्वार गईं और वहाँ से लापता हो गईं... बाद में विक्रम को मुझसे छोटा भाई देवराज अपने साथ कोटा हवेली ले गया... देवराज ने शादी नहीं कि थी... कोटा में वो हवेली हमारे नानाजी कि थी... उनके कोई बेटा नहीं था... हमारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी इसलिए उन्होने देवराज को अपने साथ रखा था और अपनी सारी जमीन-जायदाद देवराज के नाम कर दी थी... विक्रम हमेशा देवराज के ही साथ रहा... लेकिन पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहा तब भी उसने हमारे घर रहना स्वीकार नहीं किया और अलग DU नॉर्थ कैम्पस के पास ही यहीं किशनगंज में मकान लेकर रहता था....”

“तो फिर जयराज सिंह और जयराज सिंह कौन थे?” रागिनी ने जैसे ही कहा बलराज सिंह के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं

“तुम्हें किसने बताया इनके बारे में” बलराज सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव आ गए

“अब में बताती हूँ आपको.... आप 3 नहीं 5 भाई थे और आपकी 1 नहीं 2 बहनें थीं.... अब मुझे कहाँ से पता चला इस बात को छोड़िए” रागिनी ने भी कठोरता से शब्दों को चबाते हुये कहा तो ऋतु ने चोंक कर बलराज सिंह और मोहिनी देवी की ओर देखा

“पापा! ये क्या कह रही हैं रागिनी दीदी?” ऋतु ने बलराज सिंह से पूंछा

“बेटा ये सही कह रही हैं” बलराज सिंह के कुछ बोलने से पहले ही मोहिनी देवी ने कहा “और ये भी सच सुन लो रागिनी... तुम विमला कि बेटी नहीं हो... बल्कि जयराज सिंह और वसुंधरा की बेटी हो”

“मुझे मालूम है चाचीजी! मेरा जन्म लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में हुआ था जो इरविन हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था 14 अगस्त 1979 को... ये रहा हॉस्पिटल के रेकॉर्ड में दर्ज जयराज सिंह और वसुंधरा देवी के बेटी का जन्म होने का विवरण.... इसमें दिल्ली का नहीं गाँव का पता दर्ज है” कहते हुये रागिनी ने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप्प पर आए हुये मैसेज में से एक पन्ने को बड़ा करके दिखाया तो ऋतु ने मोबाइल अपने हाथ में लेते हुये उसमें देखा

“चलिये छोड़िए इन सब बातों को.... आपने अब तक जो भी बताया है.... उसमें मुझे सच से ज्यादा झूठ दिख रहा है... इसलिए अब में सबकुछ खुद पता करूंगी.... मुझे तो लगता है कि कहीं न कहीं इस परिवार के खत्म हो जाने में आपका भी हाथ है.... मुझे तो क्या.... आपने शायद अपनी बेटी को भी कभी कुछ नहीं बताया होगा” कहते हुये रागिनी ने ऋतु के हाथ से मोबाइल लिया और उठकर खड़ी हो गयी... “अब आप जा सकते हैं.... में और ये दोनों बच्चे यहीं रहेंगे.... क्योंकि में आपके परिवार की हूँ... तब भी आपने मुझे कभी नहीं अपनाया....बल्कि अपनी ओर से तो खत्म ही हो जाने दिया.... ये दोनों बच्चे तो आपके परिवार के भी नहीं हैं.... कल को इनके साथ न जाने क्या हो..... मुझे और इन बच्चों को विक्रम ने सहारा दिया था.... अब में इन बच्चों को लेकर अपना-घर परिवार बसाऊँगी.... मुझे आपकी कोई जरूरत नहीं है”

अब बलराज सिंह और मोहिनी देवी के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं नहीं बचा था तो वो भी उठ खड़े हुये और चुपचाप बाहर कि ओर चल दिये। उनको जाता देखकर ऋतु भी उनके पीछे पीछे बाहर निकल गयी। थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी स्टार्ट होकर जाने कि आवाज आयी तो अनुराधा और प्रबल आकर रागिनी के कंधों पर सिर रखकर बैठ गए..... और तीनों कि आँखों से आँसू बहने लगे
 
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kamdev99008

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Purane log mil rahe h
Lagta h dheere dheere suspense khulega

Woooooowww very good update.....
As always..


And as I said.....sab jaal hai rishton ka jaal....
OR balraj ka koi purana kaand hai..

OR vimla agar balraj ki bahan he to devraj or gazraj ke alawa fifth kon hai.....

Kanhi wo hee in sab chijo ko creat karne wala to nahi....

Ya phir us 5 ke link prabal se jude hue ho.....hosakta hai.....

Anyways dekhte hai aage kya Hota hai.....

As always very well written
and executed.....
Thanks

Lagta hai Update 12 thik se dobara padhna padega....
Shaayad me kuch bhul gaya hu.....
Thanks

Behtareen update.
Ab jaa ke kuchh kuchh samajh me aa raha hai.

Kamdev bhai, kahani ko bahut pechida bana rahe ho. Suspense badta hi ja raha hai. Yadi anuradha aur prabal ragini ke bachche nahi hai to fir ye kaun hai aur vikram se inka kya rishta hai. Vikram ne ragini ko is tarah se andhere me kyo rakha hai. Sawal bahut se hai aur jabab jiske pas hai use hi maar diya. Lagta vakil ke pas jo file hai usme se kuch raz khule. Dekhte hai ki aage kya hota hai. :blush1:

:?::?::?:
ee ka ho raha hai bhai ...?:?:?:
kadiya jud rahi hai aur raj khul rahe hai ye to thik hai lekin jitana raj khul raha hai utana hi aur bad raha hai....
kamdev99008 bhai story itani kasi hui hai ki lag raha hai ki apne isko likhane se pahle bahut mehnat ki hogi ek ek chijo ko soch soch kar krambaddh karne me , lekin ye readers ko bhi utana hi mehnat karwa rahi hai ..
mujhe to lag raha hai ki mujhe ek notes banana padega is story ke liye ya fir koi flowchart jaisa khud likhne ke liye banata hu , taki sabhi cherecters ko achche se samjjh saku , roj ek naya cherecter paida ho raha hai ...:haha:
chaliye koi nahi yad rakh lenge jaise taise bas pichhla bhool jaye usse pahle naya update de diya karo ....:approve:

ha ha ha ha..... woww... kya baat hain baithe bithaye khana nasta pani mil rahan hain.... bina paise diye hi ghar ka saman mil rahan hain..... aur kya chahiye in logo ko...wow.. life ho toh aisi... :D


dhett teri ki.... praveen toh bhai nikla.:oops:... :D

ha ha ha woh buddhiya bina soche bina jane ki samne koun baithi hain chugli karti gayi mamta ki.....

hmm toh naye naye joh ki pehle se hi purane riste the ab ek ek samne aa rahen hain......
Brilliant update with awesome writing skill kamdev ji...... :applause::applause::applause:

Awesome update

Free mein kuch nahi liya Naina ji .. Raagni ne sab samaan ke paise Prabal ke haatho dilwa diye the Praveen ko ...


aur itna tension lene ki jarurat nahi hai .. Praveen ko lekar .. aap ye story Xf par padh rahi hai .. yaha pata nahi kab bhaiyo ko apni behno se pyaar ho jaata hai ...

waise ye 'Practical' story hai .. so practically kisi ke mann mein kisi ke liye kya feelings ho .. ye to koi nahi jaanta .. it happens in real life too .. no matter what your relation is ...


us bechari budhiya (60 saal ki aurat) ne sirf bhavnaao mein behkar ye sab baat kahi .. Mamta ke liye .. aur ye swabhavik hai .. Jaroor Mamta ne kuch bada kaand kiya hoga .. jabhi jaakar ye sab situations khadi hui hai ...


ab asal baat ye hai ki kya ye purane rishte phir se sahi ho paayenge .. kya pata kis ke mann mein kya kaalikh puti hui ho .. kyon ki aam taur par logo ke do chehre hote hai .. "mooh par Ram bagal mein churri" ye preyaay dekhne ko milta hai ...

kyon sahi kaha na kamdev99008 bhiya ...

Ha ha ha ha ha chaliye.. ju hi sahi ho...

'Practically' that's not possible .. kyon ki gaanv mein bijli ki dikkat hai .. tau-baba abhi jinda hai (jo ki behja fry karte hai) .. aur dusra 26 ko shaadi hai .. ek wo jameen ka farzi benaama wali bhasad fasi hui hai .. aur baaki bache time mein kamdev bhiya abhi Pritam.bs bhai ki story padh rahe hai ...

bole to apne kamdev bhiya full busy hai .. agar fir bhi kisi ko dikkat hai .. to wo utne time mein apni body ki Vijay2309 bhai wali laal/kaali bhasm se full masaj kara sakta hai ... he he he ... :hinthint: .. :D:.

update se related jo bhi baate Naina ji ne kahi .. unhi baato ko alag shabdo mein repeat karne ke bajaye muzhe unki baato ko hi elaborate karna aur ek do baat ko properly clarify karna theek laga ...

aur rahi review dene ki baat to .. abhi agla update milne mein kayi din lagenge .. so until then mere dimaag mein kuch aur nayi baat pakad mein aayegi to usko discuss kar lunga .. ab aap kahoge .. accha theek hai .. :sirnakha: .. aur :dfaho: yaha se ...

Haan kamdev ji abhi ke liye 2, 3 updates de hi dijiye ...... baaki ke updates shaam ko ya raat ko de dijiyega... :angel:

बहुत ही सुंदर और शानदार कहानी है, सस्पेंस से भरा हुआ और हर बात इसको रोचक बनाता है !शानदार लेखनी है भाई जी बहुत अच्छे, सभी अपडेट्स मैंने पड़े हैं और बहुत ही सुंदर लिखा है, देखते हैं आगे क्या होता है! कैसे सच्चाई पता चलेगी रागनी को अपने जीवन के बारे में सॉरी बीते हुए जीवन के बारे में और क्या प्रबल को अपनी सच्चाई पता चल पाएगी, उसके माता-पिता मिल पाएंगे, इंतजार रहेगा आपके अगले अपडेट का

मित्रो !
अध्याय 14 आपके सामने प्रस्तुत है.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें....
अनुक्रमणिका को भी अद्यतन कर दिया गया है
 

kamdev99008

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मित्रो !
अध्याय 14 आपके सामने प्रस्तुत है.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें....
अनुक्रमणिका को भी अद्यतन कर दिया गया है
अनुक्रमणिका

प्रथम खंड
अध्याय 1अध्याय 2अध्याय 3अध्याय 4अध्याय 5अध्याय 6अध्याय 7अध्याय 8अध्याय 9अध्याय 10 अध्याय 11अध्याय 12अध्याय 13अध्याय 14अध्याय 15अध्याय 16अध्याय 17अध्याय 18अध्याय 19अध्याय 20 अध्याय 21अध्याय 22अध्याय 23अध्याय 24अध्याय 25अध्याय 26अध्याय 27अध्याय 28अध्याय 29अध्याय 30 अध्याय 31अध्याय 32अध्याय 33अध्याय 34अध्याय 35अध्याय 36अध्याय 37अध्याय 38अध्याय 39अध्याय 40 अध्याय 41अध्याय 42अध्याय 43अध्याय 44अध्याय 45अध्याय 46अध्याय 47अध्याय 48अध्याय 49अध्याय 50 अध्याय 51अध्याय 52अध्याय 53अध्याय 54अध्याय 55अध्याय 56अध्याय 57अध्याय 58अध्याय 59अध्याय 60 अध्याय 61अध्याय 62अध्याय 63अध्याय 64अध्याय 65अध्याय 66अध्याय 67अध्याय 68अध्याय 69अध्याय 70 अध्याय 71अध्याय 72अध्याय 73अध्याय 74अध्याय 75अध्याय 76अध्याय 77अध्याय 78अध्याय 79अध्याय 80 अध्याय 81अध्याय 82अध्याय 83अध्याय 84अध्याय 85अध्याय 86अध्याय 87अध्याय 88अध्याय 89अध्याय 90 अध्याय 91अध्याय 92अध्याय 93अध्याय 94अध्याय 95अध्याय 96अध्याय 97अध्याय 98अध्याय 99अध्याय 100
 

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“रागिनी, प्रबल और अनुराधा को सच्चाई पता चल चुकी है..... पूरी नहीं लेकिन इतना तो पता चल ही गया है कि उनकी असली पहचान क्या है? उनका घर-परिवार कहाँ और कौन हैं?”विक्रम ने धीरे से कहा

what the fuck !!

ye miss print hai ya fir ... really Shamsher aur Vikram ek hi vyakti hai ...

aur suddenly Ragini ko itni details kaise pata lagi .. kya apni pados mein rehne wali Reshma bhabi aur Praveen ki maa se .. ya koi aur source se .. ye wala to bahut hi amazing update diya hai .. Judge saab aapne .. aur thoda sa atpata bhi hai ...

magar ye dono Miya-biwi abhi bhi kyon jhoot bol rahe hai .. kuch to maha-locha abhi bhi fasa hua hai .. magar iss update ko padhne ke baad kaafi kuch baate khul kar saamne aa gayi hai .. aur ye bhi kamaal ki baat hai .. ki Prabal aur Sameer do judwa bacche hai .. magar dono ko alag - alag kyu kiya .. aisi kya complications khadi ho gayi thi ki dono bacche apne maa - baap ke saath nahi reh sakte the ...

abhi kuch aur bhi questions hai .. jinko main apne dimaag mein process kar raha hu .. kyon ki update to aapka theek - thaak sa aata hai .. magar information usme bahut chupi hoti hai .. to ek baar mein saari baat pal-le nahi padti .. aur iss baar Raagini ka janmdin pakistan ke independence day ke din manayenge ...

abb Raagini, Anuradha, Prabal aur Ritu, Poonam, Mohini Chachi (maami), Balraj (Shakuni) Mama ke saath - saath Shamsher aur Nilofer bhi story ke main Characters bante najar aa rahe hai ...

by the way .. muzhe ye update bahut hi pasand aaya .. just ek do jagah spelling mistakes hai .. actually do jagah तैयार mein double ( ै) ki maatra missing hai ... :applause::applause::applause:
 

Chinturocky

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Pratikriya me kya kahu BHAI,
Mujhe Lagta hai ant me jaa ke hi Sab kuchh samajh me aayega. Ragini anuradha prabal ke jaise hame bhi kuchh samajh me nahi aaya per kahani hai bahut hi behtareen.
 

Vikram singh rana

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अध्याय 14

“शमशेर ! मुझे मेरा बच्चा चाहिए.... कब तक उससे अलग रहूँगी... मेंने तो उसे देखा ही नहीं..... अगर कुछ दिन मेरे साथ रह लेता तो क्या बिगड़ जाता कम से कम एक बार उसे अपने सीने से लगाकर प्यार तो कर लेती...” शमशेर के सीने में मुंह छुपाए रोती हुयी नीलोफर ने कहा

“नीलो! तुमने ही तो कहा था हमें अपने बच्चे को इस सबसे बाहर रखना है... अगर वो एक दिन भी तुम्हारे पास रह जाता तो उसे वहाँ से हमारे साथ ही यहाँ भेज दिया जाता.... में तो तुम्हें और समीर को ही अब तक नहीं निकाल पा रहा हूँ...यहाँ तुम्हारे साथ बने रहने के लिए ही कितना बड़ा रिस्क लेना पड़ता है मुझे... लेकिन अब में हमेशा के लिए ही तुम्हारे पास आ गया” शमशेर ने नीलोफर के बालों में हाथ फिरते हुये कहा

“लेकिन प्रबल किसके पास रहेगा वहाँ... रागिनी को अभी तो अपने बारे में ही पता नहीं तो प्रबल को पाल रही है... लेकिन कल को उसे कुछ याद आ गया तो.... अनुराधा को भी अगर ये पता चल गया की वो उसका भाई नहीं है तो... पता नहीं प्रबल का क्या होगा” नीलोफर ने फिर कहा “में तो उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकती, अपने जानने वाले किसी से प्रबल का जिक्र भी कर दिया तो मेरा तो इस जाल से निकालना मुश्किल हो ही जाएगा... साथ ही तुम्हारी, समीर और प्रबल की जान को भी खतरा हो जाएगा”

“अब एक बात बताऊँ? तुम नाराज मत होना... और ना घबराना... अभी तक सबकुछ ठीक चल रहा है और उम्मीद है कि सब ठीक ही चलेगा” शमशेर ने नीलोफर का सिर अपने सीने से उठाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा

“क्या? अब ऐसा क्या हो गया जो में घबरा जाऊँगी... नाराज तो इस ज़िंदगी में तुमसे हो ही नहीं सकती” नीलोफर ने चिंता भरे स्वर में कहा

“रागिनी, प्रबल और अनुराधा को सच्चाई पता चल चुकी है..... पूरी नहीं लेकिन इतना तो पता चल ही गया है कि उनकी असली पहचान क्या है? उनका घर-परिवार कहाँ और कौन हैं?”विक्रम ने धीरे से कहा

“फिर? अब? अब क्या होगा हमारे प्रबल का... रागिनी और अनुराधा कहीं उसे छोड़ न दें... या वो ही यहाँ आने कि कोशिश करे तो?” नीलोफर ने घबराते हुये कहा

“नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ! रागिनी, अनुराधा और प्रबल को साथ लेकर अपने घर दिल्ली रहने आ गईं हैं.... और उनके बीच कुछ नहीं बदला.... हालांकि वहाँ रहने से रागिनी को बहुत कुछ पता चलेगा समय के साथ, लेकिन सिर्फ अपने बारे में... हमारे बारे में उसे शायद ही पता चले.... और प्रबल के बारे में पता चलने के बाद भी पहले तो यहाँ तक पहुँचना ही उनका मुश्किल है.... अगर सरकारी जांच भी आयी तो कागजी तौर पर हमारा जो बेटा वहाँ पैदा हुआ था.... वो यहाँ हमारे साथ है.... समीर.... प्रबल को पैदा होते ही में इसीलिए लेकर चला गया था... जिससे वहाँ के रेकॉर्ड में जुड़वां बेटे नहीं बल्कि एक ही बेटा पैदा होने का दर्ज हो... इससे हमें 2 फायदे हुये एक तो प्रबल इंटेलिजेंस एजेंसियों के दायरे से बाहर निकल गया और दूसरे अब अगर प्रबल या रागिनी उस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर कोई जानकारी लेने की कोशिश करेंगे तो रेकॉर्ड में हम अपने उस बेटे के साथ यहाँ सिंध में आ चुके हैं.... जिसका जन्म प्रमाण पत्र है.... लेकिन उन्हें ये जरूर महसूस हो जाएगा की प्रबल से हमारा कोई रिश्ता जरूर है.......अब समय आ गया है की हम अपना अगला कदम उठाएँ..." शमशेर ने उसे आश्वस्त करते हुये कहा

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रागिनी वगैरह अपने घर मे पहुंचे तो रागिनी ने प्रबल को घर में जरूरी सामान व्यवस्थित करने को कहा और अनुराधा को अपने साथ रसोई में साथ ले गयी। रसोई की साफ सफाई कर खाना बनाने की तयारी कर अनुराधा को ऋतु से बात करने को कहा तो उन्होने बताया की 20-25 मिनट में वो लोग पहुँच रहे हैं। फिर रागिनी ने सभी को अपने-अपने कमरे में जाकर तयार होने को कहा। लगभग आधे घंटे के बाद बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आयी तो प्रबल ने बाहर निकालकर देखा... गाड़ी में से बलराज सिंह और मोहिनी देवी उतरे तो प्रबल ने उनके पैर छूए और उन्हें साथ लेकर घर की ओर बढ़ा.... रागिनी और अनुराधा भी निकलकर दरवाजे पर आ गईं थीं... मोहिनी ने आगे बढ़कर रागिनी को गले लगा लिया तभी ऋतु ने भी पीछे से आकर अनुराधा को गले लगा लिया…. प्रबल एकटक उन सबकी ओर देखने लगा तो अनुराधा ने हाथ बढ़ाकर प्रबल को भी अपने साथ लगा लिया... और सब अंदर आकार ड्राविंग रूम में बैठ गये.... अनुराधा रसोई में जाकर चाय तयार करने लगी... प्रबल भी अनुराधा के पास रसोई में ही जाकर उसकी सहायता करने लगा

“रागिनी बेटा तुम्हें तो कुछ याद नहीं...मुझे भी तुम्हारे परिवार के बारे में कोई खास जानकारी नहीं... लेकिन 20 साल पहले जब तुम्हारा अपहरण हो गया था तब मेंने तुम्हारी फोटो देखि थी अखबार और पोस्टर्स मे... इसीलिए अभी जब तुम गाँव पहुंची तब तुम मुझे कुछ पहचानी-पहचानी सी लगी.... बाद मे जब वसीयत में विक्रम ने बताया की तुम्हारा हमारे परिवार की नहीं तो मेंने इतना गौर नहीं किया.... लेकिन जब तुम इस घर में आयी तो मुझे पूरी तरह से याद आ गया की तुम कौन हो....” मोहिनी देवी ने अपनी बात शुरू करने के लिए भूमिका बँधनी शुरू की ही थी कि अनुराधा और प्रबल चाय-नाश्ता लेकर आ गए... रागिनी ने उन्हें सबको चाय नाश्ता देकर वहीं साथ में बैठने को कहा

“अब बताएं आप? क्या रिश्ता है आपसे हमारा? और अगर रिश्ता है तो फिर हम एक दूसरे को जानते क्यों नहीं?” रागिनी ने चाय का घूंट भरते हुये कहा

“”रागिनी! तुम्हारी माँ विमला मेरी बड़ी बहन थी, यानि में तुम्हारा मामा हूँ... विमला दीदी ने अपनी मर्जी से घर छोडकर लव मैरेज की थी इसलिए परिवार ने उन्हें न तो तलाश करने कि कोशिश कि और न ही बाद में पता चलने पर भी कोई संबंध रखा.... यही विमला दीदी ने भी किया...लेकिन जब तुम्हारा अफरन हुआ था तब में तुम्हारे घर गया था... 2-3 बार... इसलिए में तुम्हारे घर के सभी मेम्बर्स को जानता हूँ... लेकिन मुझे ये नहीं समझ आया कि विक्रम तुम्हें सिर्फ कॉलेज से जानता था या हमारे रिश्ते को भी जानता था.... खैर छोड़ो इन सब बातों को.... अभी हम इसलिए यहाँ आए हैं कि अब तक जो हुआ या होता रहा... उस सब को भूलकर हम एक साथ एक परिवार कि तरह रहें.... विक्रम के बाद हमारे घर में सिर्फ हम दोनों पति-पत्नी और ऋतु हैं... इधर तुम्हारे घर में भी तुम्हारे और अनुराधा के अलावा किसी के बारे में कोई जानकारी नहीं.... तो हम पांचों ही एक साथ एक परिवार कि तरह रहें...”

“देखिये मामाजी!... अब मामाजी ही हुये ना आप मेरे.... यहाँ सिर्फ में और अनुराधा ही नहीं हैं... हमारे साथ प्रबल भी है... जो हमेशा से मेरे परिवार का हिस्सा है... जन्म से....” रागिनी ने कहा

“लेकिन बेटा! विक्रांत ने तो ये बताया था कि इसका हमारे परिवार से कोई संबंध नहीं है... फिर भी अगर तुम्हें सही लगता है तो हम भी तयार है...प्रबल को भी साथ रखने के लिए” बलराज सिंह ने कहा इस पर मोहिनी ने कहा कि विक्रम को कुछ तो पता होगा इसीलिए उसने अपना अंतिम संस्कार प्रबल के हाथों कराया.... ये परिवार से ही जुड़ा हुआ है तो बलराज सिंह ने भी सहमति दे दी

“अब दूसरी बात पर आते हैं” रागिनी ने कहा “हमारे परिवार के साथ तो अपराध कि कहानी जुड़ी और कोई जेल गया, किसी का अफरन हुआ, कोई फरार हो गया, कुछ गायब भी हुये और शायद कुछ के कत्ल भी हो गए हों....लेकिन आपका तो भरा पूरा परिवार था.... उसमें से बाकी लोग कहाँ गए... आप 3 और एक विक्रम 4 लोग ही कैसे रह गए?”

“हम 3 भाई थे और एक बहन थी” बलराज सिंह ने बोल्न शुरू किया तो रागिनी, अनुराधा और प्रबल सभी चोंक गए लेकिन रागिनी ने इशारे से अनुराधा और प्रबल को शांत रहने का इशारा किया और बलराज सिंह कि बात सुनने लगी “मेरे बड़े भाई गजराज सिंह थे जो एक वैज्ञानिक थे ICSR में उनकी पत्नी कामिनी भाभी, मोहिनी कि सगी बड़ी बहन थी उनके इकलौता बेटा विक्रम था, जब विक्रम लगभग 10 साल का था तब गजराज भैया का हिमाचल में कार खाई में गिरने से निधन हो गया... भाभी भी भैया के अंतिम संस्कार के बाद गंगा स्नान को हरिद्वार गईं और वहाँ से लापता हो गईं... बाद में विक्रम को मुझसे छोटा भाई देवराज अपने साथ कोटा हवेली ले गया... देवराज ने शादी नहीं कि थी... कोटा में वो हवेली हमारे नानाजी कि थी... उनके कोई बेटा नहीं था... हमारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी इसलिए उन्होने देवराज को अपने साथ रखा था और अपनी सारी जमीन-जायदाद देवराज के नाम कर दी थी... विक्रम हमेशा देवराज के ही साथ रहा... लेकिन पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहा तब भी उसने हमारे घर रहना स्वीकार नहीं किया और अलग DU नॉर्थ कैम्पस के पास ही यहीं किशनगंज में मकान लेकर रहता था....”

“तो फिर विजयराज सिंह और रविराज सिंह कौन थे?” रागिनी ने जैसे ही कहा बलराज सिंह के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं

“तुम्हें किसने बताया इनके बारे में” बलराज सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव आ गए

“अब में बताती हूँ आपको.... आप 3 नहीं 5 भाई थे और आपकी 1 नहीं 2 बहनें थीं.... अब मुझे कहाँ से पता चला इस बात को छोड़िए” रागिनी ने भी कठोरता से शब्दों को चबाते हुये कहा तो ऋतु ने चोंक कर बलराज सिंह और मोहिनी देवी कि ओर देखा

“पापा! ये क्या कह रही हैं रागिनी दीदी?” ऋतु ने बलराज सिंह से पूंछा

“बेटा ये सही कह रही हैं” बलराज सिंह के कुछ बोलने से पहले ही मोहिनी देवी ने कहा “और ये भी सच सुन लो रागिनी... तुम विमला कि बेटी नहीं हो... बल्कि रविराज सिंह और वसुंधरा की बेटी हो”

“मुझे मालूम है चाचीजी! मेरा जन्म लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में हुआ था जो इरविन हॉस्पिटल के नाम से जाना जाता था 14 अगस्त 1979 को... ये रहा हॉस्पिटल के रेकॉर्ड में दर्ज रविराज सिंह और वसुंधरा देवी के बेटी का जन्म होने का विवरण.... इसमें दिल्ली का नहीं गाँव का पता दर्ज है” कहते हुये रागिनी ने अपने मोबाइल में व्हाट्सएप्प पर आए हुये मैसेज में से एक पन्ने को बड़ा करके दिखाया तो ऋतु ने मोबाइल अपने हाथ में लेते हुये उसमें देखा

“चलिये छोड़िए इन सब बातों को.... आपने अब तक जो भी बताया है.... उसमें मुझे सच से ज्यादा झूठ दिख रहा है... इसलिए अब में सबकुछ खुद पता करूंगी.... मुझे तो लगता है कि कहीं न कहीं इस परिवार के खत्म हो जाने में आपका भी हाथ है.... मुझे तो क्या.... आपने शायद अपनी बेटी को भी कभी कुछ नहीं बताया होगा” कहते हुये रागिनी ने ऋतु के हाथ से मोबाइल लिया और उठकर खड़ी हो गयी... “अब आप जा सकते हैं.... में और ये दोनों बच्चे यहीं रहेंगे.... क्योंकि में आपके परिवार कि हूँ... तब भी आपने मुझे कभी नहीं अपनाया....बल्कि अपनी ओर से तो खत्म ही हो जाने दिया.... ये दोनों बच्चे तो आपके परिवार के भी नहीं हैं.... कल को इनके साथ न जाने क्या हो..... मुझे और इन बच्चों को विक्रम ने सहारा दिया था.... अब में इन बच्चों को लेकर अपना-घर परिवार बसाऊँगी.... मुझे आपकी कोई जरूरत नहीं है”

अब बलराज सिंह और मोहिनी देवी के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं नहीं बचा था तो वो भी उठ खड़े हुये और चुपचाप बाहर कि ओर चल दिये। उनको जाता देखकर ऋतु भी उनके पीछे पीछे बाहर निकल गयी। थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी स्टार्ट होकर जाने कि आवाज आयी तो अनुराधा और प्रबल आकर रागिनी के कंधों पर सिर रखकर बैठ गए..... और तीनों कि आँखों से आँसू बहने लगे

Woooooowww.......
Very good and thrilling update.....
Mostly second phase.....

Shamsher and nilofar are alive.......good....
But how do they know about prabal.....

Kya ghar ka koi aadmi ya balraj unse mila hua hai.....ya unhe jaanta hai.....

OR jis jaal ke baare mai shamsher baat kar raha tha....wo apne aap ko or apni family ko IB se chupaya chahta tha.....

Ho sakta hai uske link kisi galat Sans tha se so....ya phir wo me kisi galat iraade se aaye ho.....OR isiliye hee prabal ko inn sab se dur rakhne ke liye.....yanha chhod kar bhag gaye Ho......


Ab baat kare......second phase ki to.....


Balraj ke bar bar jhuth bolne se......ragini ke saath......ritu.....ko bhi us par vishwas nahi raha ab.....
OR ritu kya kare....jab uski maa ne hee use jhuth bola......

Prabal ke liye maine sahi kaha tha.....uska relation us family or raj se hai.......jiski wajah se puri family alag hui.....

OR jaise bataya gaya hai....KI ak family member scientist tha.....ab wo kon tha....balraj ke jhuth bolne se ye at phir ak raaj ho gayi hai....

Most possibility to ye hai ki.....raviraaj hee scientist ho or us se koi kaam niklwaane......ya koi baat haan ne ke liye.....ragini ka kidnap hua ho......
OR us saajish me prabal ki family involved ho......

Anyways....
Dekhte hai aage kya Hota hai.....

Very well written
Thanks
 
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Black horse

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साल भर स्मार्ट फ़ोन चलाकर झुकी हुई गर्दन को सीधा करने का अवसर देने वाले अद्भुत त्यौहार मकर सक्रांति की आप सभी को शुभकामनाएं!
 
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