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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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अध्याय 12

“ऋतु बेटा कहाँ पर हो तुम?” मोहिनी देवी ने दूसरी ओर से फोन उठते ही कहा

“माँ! ऑफिस में ही हूँ...आप घर पर ही हैं?” ऋतु ने जवाब के साथ सवाल भी कर दिया

“हाँ! में घर पर ही हूँ। तुम घर पर ही आ जाओ... यहीं दोनों साथ में लंच भी कर लेंगे और मुझे कहीं जाना भी था तो तुम मेरे साथ चलना” मोहिनी ने कहा

“माँ! यहाँ भी मुझे कुछ काम था... लेकिन चलो... पापा भी नहीं हैं ...में आती हूँ” कहकर ऋतु ने फोन काट दिया

फोन काटने के बाद मोहिनी ने बलराज सिंह को फोन करके रागिनी का मोबाइल नं मांगा तो उन्होने रागिनी और दोनों बच्चों के मोबाइल नं दे दिये साथ ही उन्होने बलराज सिंह को गाँव में घर पर परंपरागत जो भी व्यवस्था करनी थी करके आज ही दिल्ली आने को कह दिया और खुद लंच बनाने की तैयारी मे लग गयी।

थोड़ी देर बाद घंटी बजी तो मोहिनी ने दरवाजा खोला और ऋतु उनके साथ ही अंदर आकर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गयी.... मोहिनी देवी खाना डाइनिंग टेबल पर लगाकर वहीं बैठकर ऋतु का इंतज़ार करने लगी... ऋतु भी अपने कमरे से आकर मोहिनी के पास ही बैठ गयी और दोनों खाना खाने लगीं...खाना खाते हुये ही ऋतु ने मोहिनी से पूंछा की उन्हें कहाँ जाना है तो उन्होने बताया

“मेरी तुम्हारे पापा से बात हो गयी है.... वो भी आज रात तक यहाँ आ रहे हैं... लेकिन उससे पहले हम दोनों को किशनगंज चलना है... रागिनी से मिलने”

“क्या? लेकिन माँ .... और मुझे बुलाने की क्या जरूरत थी... वो घर तो अपने भी देखा हुआ है... शायद कई बार” ऋतु ने उन पर ताना कसते हुये कुछ तेज आवाज मे कहा... लेकिन मोहिनी ने सामान्य स्वर में ही उससे कहा

“मेंने वो घर देखा हुआ है... लेकिन पहले विक्रम के साथ जाती थी... कई बार गयी...... लेकिन अकेली कभी नहीं गयी तो मुझे रास्ता पता नहीं... और दूसरी बात...... उन लोगो से हमारा ही नहीं तुम्हारा भी तो कुछ रिश्ता है... तुम्हें भी तो आगे बढ़कर उन्हें जानना चाहिए.... कल को विमला कि तरह हम भी न रहे तो तुम्हारा अपना कौन होगा...जिसे तुम जानती हो.... रागिनी कि तो याददास्त चली गयी... इसलिए आज उसका कोई अपना नहीं.... जिसे वो जानती हो...”

“ठीक है माँ! में चलती हूँ... लेकिन ये बात तो आपको तभी गाँव में ही कर लेनी चाहिए थी... रागिनी दीदी ने अगर हमें नहीं पहचाना था तो आप और पापा तो जानते थे...कि वो कौन हैं.....” ऋतु ने कुछ चिढ़ने वाले अंदाज में कहा

जवाब में मोहिनी देवी कुछ कहते-कहते रुक गईं और चुपचाप खाना खाती रहीं।

.................................

“रागिनी आओ पहले खाना खाते हैं फिर बैठकर बात करेंगे” सुरेश ने दरवाजे से हटकर रागिनी, अनुराधा और प्रबल को अंदर आने का रास्ता देते हुये कहा “हम तब से तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे ...”

“आज क्या ऑफिस नहीं गए तुम?” रागिनी ने पूंछा

“गया तो था लेकिन पूनम ने फोन करके बताया कि तुम आ रही हो तो में तभी वापस आ गया था”

अंदर आते ही रागिनी ने प्रबल को हाथ मुंह धोने को कहा तो प्रबल वहीं वाश बेसिन पर चला गया और रागिनी ने अनुराधा को पूनम के बैडरूम कि ओर जाने को कहा... रागिनी खुद वहीं सोफ़े पर पूनम के पास बैठ गयी, सुरेश भी आकर दूसरे सोफ़े पर बैठ गया

“रागिनी तुम्हें तो तुम्हारा घर मिल गया... तुम्हारे परिवार वालों का भी पता चल ही जाएगा... लेकिन प्रबल का क्या करोगी.... अनुराधा तो तुम्हारी अपनी भतीजी है ही...” सुरेश ने बात शुरू करते हुये कहा

“प्रबल का क्या करना है....वो पहले भी मेरा बेटा था....अब भी है...उसे जन्म से पाला है मेंने....... और अनुराधा भी मेरी भतीजी से ज्यादा मेरी बेटी है...... दिल्ली में भी जो हमारे पड़ोसी हैं वो बता रहे थे... ये 3 दिन की थी तबसे पाला है मेंने......... वहाँ हमें घर नहीं मकान मिला है......घर तो मेरा हमेशा से मेरे साथ था, अब भी है..... मेरे दोनों बच्चे” मुसकुराते हुये रागिनी ने कहा.... तब तक प्रबल भी उनके पास आकर खड़ा हो गया तो अनुराधा ने अपने हाथ बढ़ाकर उसे अपने पास ही खींचकर बैठा लिया। तब तक अनुराधा भी पूनम के बैडरूम से निकाल कर आयी तो रागिनी ने उठते हुये उसे अपनी जगह पर प्रबल और पूनम के बीच बैठा दिया और खुद पूनम के बेडरूम में फ्रेश होने चली गयी

पूनम ने दोनों बच्चो और सुरेश को डाइनिंग टेबल पर चलने को कहा और कुछ देर में ही रागिनी भी आ गयी तो सबने मिलकर खाना खाया। खाना खाकर रागिनी ने पूनम और सुरेश से कहा की उसे कुछ जरूरी बातें बाटनी हैं... इस पर सुरेश ने अनुराधा और प्रबल की ओर इशारा किया... रागिनी ने कहा की जो भी बातें होंगी इन दोनों के भी सामने होंगी

“आप दोनों ने मुझसे विक्रम की वजह से रिश्ता जोड़ा है तो इन्हें भी उसी रिश्ते मे शामिल मानिए.... ये न तो छोटे बच्चे हैं और न ही मुझसे अलग... जब विक्रम ने इन्हें मुझे पालने को दिया तो आप ये मानिए की इनको भी आप वही प्यार और विश्वास दें जो विक्रम को देते थे” रागिनी ने आगे कहा “में और ये बच्चे अब हमेशा के लिए दिल्ली जा रहे हैं... विक्रम के जीतेजी तो आप लोग किसी भी तरह से हवेली मे रहने को तयार नहीं हुये ...लेकिन आज वो हवेली जिसमें विक्रम की ज़िंदगी बीती...वीरान होने जा रही है.... हालांकि हम यहाँ आते जाते रहेंगे... फिर भी... मेरा निवेदन है की अब आप लोग उसी हवेली में रहें जिससे हमें भी सिर्फ हवेली देखने नहीं आपसे मिलने आने की वजह मिले.... अभी के हालात हम तीनों के सामने हैं उस नजरिए से हमें न चाहते हुये भी बहुत समय के लिए दिल्ली रहना पड सकता है... और वैसे भी ये हवेली विक्रम के ही परिवार की है...... और अप उसी परिवार का हिस्सा हैं... मुझे गाँव में पता चला कि आपका गाँव केवल एक ही परिवार का है और आप लोग लगभग 100 साल पहले राजस्थान से आकार यहाँ बसे हैं....एक अलग नया गाँव बसाकर.. इसीलिए आपके परिवार के अलावा इस गाँव मे और कोई अन्य है ही नहीं”

“फिर भी ...” सुरेश ने कुछ कहना चाहा तो पूनम ने उसे रोकते हुये कहा “रागिनी अब हम हवेली में ही रहेंगे...शायद तुम्हें पता नहीं कि गाँव मे सब यही समझते हैं कि हम विक्रम के साथ हवेली में ही रहते हैं... न कि कोटा शहर में अलग मकान में........ये मकान भी विक्रम का ही है... जो उन्होने ‘इनके’ नाम पर खरीद कर दिया हुआ था........... एक बात तो तुम्हें पता ही है कि मेरे विक्रम से कैसे संबंध थे.... सुरेश इनके साथ रहते थे तो पता नहीं कब इन्हें मुझसे प्यार हो गया और मुझे इनकी मासूमियत भा गयी... विक्रम अपने रिश्ते कि वजह से हमारी शादी नहीं कराना चाहते थे...... हमारी जिद के आगे मजबूर होकर उन्होने ये शादी तो हो जाने दी, लेकिन शादी से लेकर अब तक जिंदा रहते विक्रम ने कभी मुझे मिलना तो क्या देखा भी नहीं......इसीलिए उन्होने हमें हवेली मे रहने को माना कर दिया और ये मकान लेकर दिया रहने को....... सुरेश से भी वो बाहर ही मिलते थे या इन्हें हवेली बुला लेते थे........” कहते कहते पूनम कि आँखों से आँसू निकालने लगे और सुरेश भी रोने लगा

तभी रागिनी के फोन पर घंटी बजी तो रागिनी ने देखा कि ऋतु के नं से कॉल आ रही है....रागिनी के फोन उठाते ही ऋतु ने जो कहा सुनकर रागिनी चौंक गयी

“रागिनी दीदी! में ऋतु बोल रही हूँ”

“ऋतु! तुम मुझे दीदी कबसे बोलने लगी...???” रागिनी ने चोंकते हुये कहा

“दीदी! में और माँ किशनगंज आए हुये हैं.... और मुझे आज ही पापा ने बताया कि आप मेरी विमला बुआ की बेटी हैं........ आप कब तक यहाँ आ रही हैं? हमें आपसे मिलना है” ऋतु ने भर्राए हुये स्वर में कहा

“में हवेली से निकलकर कोटा आ चुकी हूँ रात तक हम दिल्ली पहुँच जाएंगे, दिल्ली पहुँचते ही में तुम्हें फोन करती हूँ” रागिनी ने अपनी बेचैनी को दबाते हुये ऋतु से कहा और फोन काट दिया

फोन काट कर रागिनी ने पूनम और सुरेश कि ओर देखा और सुरेश से पूंछा “क्या विक्रम कि कोई बुआ थी... विमला... तुम्हारे बलराज चाचा कि बहन?”

“हाँ! मेंने उन्हें देखा तो नहीं लेकिन सुना था कि... बलराज चाचा 5 भाई और 2 बहन थे.... मेरे बाबा (दादा जी को कुछ जगह बाबा भी कहते हैं) बताया करते थे.... वो मेरे बाबा के बड़े भाई के बच्चे हैं.... उनका नाम तो मुझे भी नहीं पता... पूनम ने बताया कि तुम्हारी माँ का नाम विमला था.......... यानि तुम विमला बुआ की बेटी हो” सुरेश का मुंह भी खुला रह गया

“हाँ! और अब मुझे दीदी बोला करो....” रागिनी ने अपनी पलकों पर रुके हुये आँसू साफ करते हुये मुसकुराते हुये कहा

“लेकिन विक्रम आपको क्यों नहीं जानता था.... उसने कभी मुझसे ऐसा कुछ बताया भी नहीं....... जबकि वो आपसे ही नहीं.... आपके परिवार में सभी से मिला था.... विमला बुआ, ममता भाभी, सरोज भाभी ......सभी से....” सुरेश बोला

“शायद विक्रम पहले नहीं जानता होगा ......... लेकिन बाद में उसे पता चला होगा... इसीलिए वो हमें अपने साथ रखे हुये था...... तुम भी तो नहीं जानते थे” रागिनी ने सुरेश से कहा और मन में सोचने लगी...... शायद यही वजह थी... जो विक्रम ने कभी मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना मंजूर नहीं किया...... वो हमारे रिश्ते को जानता था

“अब हमें निकालना चाहिए दिल्ली जाकर ऋतु और उनके मम्मी-पापा से भी मिलना है.... मोहिनी जी और ऋतु अभी किशनगंज वाले घर आयीं हुईं थी.... लेकिन एक और सवाल का जवाब पूनम तुमसे चाहती हूँ.... तुमने बताया था कि विक्रम कि शादी कि खबर सुनी थी किसी से तुमने.... क्या इस बारे में कोई जानकारी मिल सकती है किसी से... कहीं से भी...... क्योंकि मेरे ख्याल से ये बात विक्रम के परिवार में भी किसी को नहीं पता थी” रागिनी ने पूंछा

“हाँ! ये बात मुझे नेहा ने बताई थी.... कॉलेज में तुम्हारी सहेली थी.... नेहा कक्कड़.... लेकिन तुम शायद तब भी ये नहीं जानती थी की नेहा विक्रम के भी संपर्क मे थी.... विक्रम को बहुत मानती थी वो.... शायद तुम्हारी और विक्रम की आपस मे नहीं बनती थी...इसलिए वो तुम्हारे सामने विक्रम के बारे में अंजान बनी रहती थी.... वो तुम्हारी क्लास में ही थी.... तुम अपने प्रवेश पत्र में दी हुई डीटेल से कॉलेज में पता लगाना ....वहाँ नेहा का एड्रैस मिल सकता है” पूनम की बात सुनकर रागिनी ने हाँ में सिर हिलाया और उठ खड़ी हुई

साथ ही अनुराधा और प्रबल भी और उन सब को बाहर तक छोडने पूनम और सुरेश भी आए

तीनों बाहर आकर गाड़ी में बैठे और दिल्ली की ओर चल पड़े
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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awesome update

Awesome update :thumbup:

Superb update bro.
Waiting for next update

Awesome update

raginee sahi kah rahi hain..... aur waise bhi gumnaami zindagi kisko achhi lagti hain...
Ohh balraj ko bhi information mil gaye...
Let's see what happens next
Brilliant update kamdev ji.... Great going.. :applause::applause::applause:

Sazish, shadyantra, dhokha, aguvai, Vimla ka jail jana wo bhi 20 saal se,
Prabal ka past, Anuradha ki pehchaan, Aunapama ka aakarshan :D
Kahani lajjatdaar hoti ja rahi he

Good.....
So finally ragini or anu belongs to same family......
As I said and expected......

Ha lekin prabal ka on ke family se koi link nahi hai.....
May be uska talluk us family se ho.....jiski wajah se ragini and family divide hue....

Anyways well written and brilliant update.....
Keep it up....
Thanks.....

Hummm :hmm:
Ye ragni ko pata hai ki dilli me unhe khatra hai to bhi wo wanha rahna chahti hai,aur ritu ko bhi us makan la pata hai aur uske pita ko bhi...
Chaliye aage ka intjar karte hai ,aise jaisa kaha gaya tha ki ye ek love story hai lekin mujhe abhi samjh nahi ki akhir kiske kiske bich ki love story hogi ye...:?:


muzhe jalebi jyaada acchi lagti hai .. imarti to sirf shaadiyon ke dabbe mein jo milti hai vahi acchi lagti hai .. :confuse:

bechara Prabal to akela mehsus kar raha tha .. magar Raagni ki mamta ko Prabal ki ai-sahajta ka abhaas ho gaya tha .. janm dene wale se jyaada .. paalne wale ka padd bada hota hai .. abb Ramlal ne 2000 hazaar ke note ke badle mein kya Report bheji hai hospital ke records se nikal kar .. aur usko padhne ke baad .. Prabal ki sacchai ka pata lag sakega .. magar Prabal ki sacchai jaan-ne ke baad khud Prabal ke kya manobhav honge aur uss pristithi se nipatne ke liye Raagni aur Anuradha ka kya reaction hoga .. ye kaafi interesting hone wala hai .. kehne ko to Raagni ne apni mamta-mayi bhavnao ko sarvopari rakhte hue .. Prabal ko aashvasan diya hai ki chahe us report ko padhne ke baad .. kuch bhi sacchai saamne nikal kar aaye .. magar Prabal hamesha hi Raagni ka beta aur Anuradha ka chota bhai rahega ...

Adv. Ritu ka itna jyaada interest lena .. Raagni aur Poonam ko lekar .. aur saath hi unka peecha karna .. kuch atpata sa laga .. aur saath hi iss dilli wale ghar ke baare mein Raagni ko pata lagne wale matter par Balraj singh ji ka chokna bhi ...

Raagni ke bhai aur uski Bhabi Mamta ka suddenly poori tarah se gayab ho jana aur kisi se bhi itne saalo tak contact na rakhna .. saath hi Bimla devi ka apni hi beti Raagni ko gayab karvane ke piche kya - kya raaz chupe hue hai .. aur inn sab baato ka Vikram ki maut se kya taal-luk hai .. ye sabhi kaafi uljhi hui gutthi hai .. but yaha par Raagni ne bahut hi sooj-boojh se kaam lete hue sabhi ko ek saath aur ek dusre ke parspar sehyog mein rehkar har bahari aur andruni musibato ka saamna karne ki baat kahi .. ye kabile taarif hai .. achanak se Vikram ki mrityu ho jaane ke paschiyaat .. jis kushalta aur dehrya ke saath Raagni ne har situation ko samjha, use predict kiya aur uspar effictively respond kiya .. ye sabhi baate darshati hai .. ki Raagni vakai mein kaafi samjhdaar aur suljhi hui stri hai .. jo abhi tak virgin hai .. shukrr hai ye Dr. saab (Chutiyadr) ki kahani nahi hai .. nahi to abb tak Raagni virgin nahi bachti ...

bahar haal abhi bhi kahani mein bahut se saval uth-te hai .. jaise ki Anuradha kyu paida hote hi Raagni ke paas hai .. Prabal kyon aur kaise Vikram ke pariwaar ka hissa bana .. Raagni kyon abhi tak virgin hai .. even after she is 50 - 55 yrs old .. Vikram aur Raagni ka Kota shift hona kya jaaydad aur sampatti se juda hua hai ya fir Raagni aur baccho ki suraksha se .. Prabal ke asli maa-baap ne kyo kabhi bhi Vikram ya uske pariwaar se apne bacche ke baare mein jaan-ne ke liye sampark isthapit nahi kiya .. ya fir koi sharte ya koi kanuni daanv pech ke chalte unhe Prabal ko Vikram ko sopna pada .. kyon Vikram ne kabhi bhi Raagni ko sacchai se avgat nahi karaya ...

aise bahut se saval hai .. jinka ki hum sabhi paathak gan besabri se jaan-na chahte hai .. magar ye sab baate jaan-ne ke liye hum paathako ko practical hona padega .. kyon ki practically kamdev ji story ko confusing banaye rakhna chahte hai .. also because practically inke gaanv mein bijli (electricity) bahut dikkat karti hai .. jiske kaaran practically ye story ko tej speed se aage nahi badha paa rahe hai .. but practically kamdev bhiya ko baaki stories ke writers ko pareshan karne ke liye time mil jata hai aur saath hi utne time ke liye inhe bijli(electricity) bhi pareshan nahi karti .. aur Practically sirf utne time ke liye ye kheti se bhi far-rukh ho jaate hai ...

waise ye siddh purush hai .. inhone 4ro ghat ka paani piya hua hai .. so practically inhe sex site par - sex stories par - sex scenes padhne mein mazaa nahi aata kyon ki kamdev bhiya practically din mein do - do baar practically :sex: kar lete hai .. and because he is kamdev ... :wink: .. so that literally means do not fuck with him .. or his Story ...

Fabulous update.
Ab kuch patte khul kr samne aa rahe hai.
Pahle to fala sar k upper se nikal ja raha tha.
Sab se suspicious to khud Vikram hi hai.
Mujhe to lagta hai ki wo abhi bhi jinda hi hai.
Dekhte hai kya hota hai.
Fantastic update dear.
Naye shaal ki bahut bahut badhiya.:dj2::drunk::drummer::goteam:

Naye saal ki bahut bahut mubaarak Kamdev bhai aur sabhi doston ko. :flowers:

Jald hi baaki ke updates padhunga. :thumbup:

Happy new year kaamdev bhai and all friends

Happy new year brother ....

As this year is ending , i wish all the difficulty and negitivity also ends from ur life and 2020 brings lots of happiness and joy to u and ur family member ....

आपको और आपके पूरे परिवार को मेरी और मेरे परिवार की तरफ से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें. ये वर्ष आपके जीवन में उन्नति और खुशियाँ लेकर आये

Happy new year 2020

I can guess
After somewhile hero (Vikram) will be back, yes he is alive,

isi baat par .. aapke muh mein garma - garam kadhai mein se utri hui taza - taza imarti malai daal kar .. naye saal ki hardik shubhkamano ke saath .. aur saath hi ye naya saal aap aur aapke samast pariwaar ke liye dero saari khushiya aur umange lekar aaye .. aur saath hi main dua karunga ki aapke gaanv mein bijli ki samasya aur purani rudhiwadi soch rakhne wale tauo ka najarya badle .. aur jo nalayak aapko nuksan pahuchane ki niyat rakhe uski kamar mein meri taraf se 2 latth .. :bat:
मित्रो !
अध्याय 11 व अध्याय 12 आपके सामने प्रस्तुत है.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें....
अनुक्रमणिका को भी अद्यतन कर दिया गया है
 

kamdev99008

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bechare baba-tauo ko najar na lga jaye kisi ki .. he he

waiting for update .. nice story ...
(just wrote this to be on safe side)

Twists
Twists
N
Twists


Galti se idhar ka udhar type ho gya tha

ha ha .. bhiya aapne to sabka pehle se hi kundali taiyaar kar ke rakhi hai .. ki kaun kab - kab tapakne wala hai .. aur shaadi se pehle mat tapakne dena kisi baba-tau ko nahi to bechare aapke chachere bhai ki suhagraat delay ho jayegi .. ya fir shaadi mein raunak nahi rahegi .. par Practically kisi ka pata thode hi hota hai ki uska ticket kab katne wala hai .. aur aapko bahut jaldi hai apne gaon mein sabse senior tau ban-ne ki .. aap na ghane hi khurafati aadmi ho .. bach ke rehna padega aapse ... :chop:

kaun si wali tonight ki baat kar rahe the Judge saab .. aaj dusri tonight hai .. aapki story ki tarah aapke promise bhi imarti ki tarah ghumav daar hote hai ...

kamdev bhiya muzhe koi itna jyaada bhi keeda nahi hai sex story mein compulsory sex ke hone ka .. muzhe suspense aur thriller story bhi pasand hai .. aur aapki story mein agar jarurat ho to hi sex dikhana .. nahi to story ki theme kharab ho jaati hai .. waise aapne mere thread par ek comment mein ye bhi kaha tha ki :sex: sex mein bhi thrill aur action hota hai .. so sex ki tension aap mat lo .. uske liye to main khud intezaam kar lunga ... ;)

phir bhi itne khurafati comments aur jabardast reviews likh dete ho ... chalo koi baat nahi bade bhiyaaa !!

hum intezaar karenge .... tonight kaaaa ...... He he ..

shubh raatri ... kal milte hai Judge saab

Intezaar bas ek update ki..........

ha ha ha .. KD bhiya your tonight is getting ...... too .. much .. night

lagta hai aapki tonight seedhi tarah se nahi aayegi ....... :bat:

Superb update...
Waiting for next...

Awesome update kaamdev bhai,
ye ragini to balraj ki bhanji nikli,
aakhir aisa kya hua hai jise balraj aur vimla chhupa rahein hai,
Dekhte hain ab aage kya hota hai,
Waiting for next update

oho...... raginee ke mama hain balraaz...
Yeh log kyun chuppake rakhen hain baato ko joh raginee ko bahot pehle hi malum ho jana chahiye tha....
Chalo bikram ke room se kuch toh mila... sayad koi surag mil jaye...
Brilliant update kamdev ji.... Great going...

वाकई देव सर! आप बातों को जलेबी के तरह रखते है फिर हम सब को चाशनी में डुबो देते है।

' इंसान को उसकी गलतियों की सज़ा मिलती है ' - आप आने वाले तूफान की चेतावनी देते हुए हम सब को डरा दिए है।

विक्रम ऐसा किरदार जिसे जहां से शुरू किए वहीं रखे है लेकिन समय के साथ उसे और ज्यादा रहस्यमय बना रहे है।........
आपके अगले अपडेट के इंतजार में बेसब्री से बैठे है।

Awesome update

badhiya update bhaiya ji

KD jiiiii .. ab ye kya naya locha ujagar kar diya hai aapne .. Balraj chacha aur Mohini chachi ko kis baat ka itna pachtawa hai .. aur ve itne chintit kyu hai ki agar wo sach Raagni ke saamne ujagar hua to uske kaaran aapas mein vaicharik matbhed bhi utpan ho sakte hai .. aur aisa kya raaz hai jisko kholne mein Vikram ne itna samay liya .. jiske kaaran wo raaz aaj bhi raaz hi reh gaya hai .. kya pariwaar mein koi purani ranjish chal rahi hai .. jiski vajah se teen - teen pariwaar khatam ho gaye hai .. aur unmein se ikka-dukka hi sadasye bacha hai .. aur Vikram ne dono baccho ko kyu apni sharan liya .. chalo Anuradha ka to samajh aata hai ki wo Raagni ki iklauti blood related niece thi magar Prabal se sambandhit baato par abhi bhi purdah gira hua hai ...

Balraj ji ne apni beti ritu ke saamne kaafi baate kholi hai magar muzhe abhi bhi yahi lagta hai ki ye dono miya - biwi abhi bhi kuch chupa rahe hai ...

ab to agle update ka intezaar rahega jisme ki .. Raagni ne 2000 Rs. de kar jo details Prabal ki nikalwayi thi aur jo disks aur flash drives ya kuch aur documents Vikram ke room mein se mile hai .. un sab ko dekhne ke baad kya saamne nikal ke aata hai .. iska besabri se intezaar rahega ...

ab Poonam bhabi ka ghar bhi kal ke lunch karne ke bahane dekh lenga .. ki unki family se Raagni aur baccho ke baare mein kya pata lagta hai ...

.........agli tonight ka ..:wink: he he

kya baat hai bhiya .. aaj kisi ko bhi reply back nahi kiya .. mood to theek hai na aapka >:(

ya fir aapki girlfriend 'Bijli' devi .. aaj fir se naraaz hai .. isi liye aapne aaj maun dharan kiya hua hai ... :?:

Bahut hi ghumaav aaya h kahani me

Accha h interest ban raha h
मित्रो !
अध्याय 11 व अध्याय 12 आपके सामने प्रस्तुत है.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें....
अनुक्रमणिका को भी अद्यतन कर दिया गया है
 

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अध्याय 12

“ऋतु बेटा कहाँ पर हो तुम?” मोहिनी देवी ने दूसरी ओर से फोन उठते ही कहा

“माँ! ऑफिस में ही हूँ...आप घर पर ही हैं?” ऋतु ने जवाब के साथ सवाल भी कर दिया

“हाँ! में घर पर ही हूँ। तुम घर पर ही आ जाओ... यहीं दोनों साथ में लंच भी कर लेंगे और मुझे कहीं जाना भी था तो तुम मेरे साथ चलना” मोहिनी ने कहा

“माँ! यहाँ भी मुझे कुछ काम था... लेकिन चलो... पापा भी नहीं हैं ...में आती हूँ” कहकर ऋतु ने फोन काट दिया

फोन काटने के बाद मोहिनी ने बलराज सिंह को फोन करके रागिनी का मोबाइल नं मांगा तो उन्होने रागिनी और दोनों बच्चों के मोबाइल नं दे दिये साथ ही उन्होने बलराज सिंह को गाँव में घर पर परंपरागत जो भी व्यवस्था करनी थी करके आज ही दिल्ली आने को कह दिया और खुद लंच बनाने की तैयारी मे लग गयी।

थोड़ी देर बाद घंटी बजी तो मोहिनी ने दरवाजा खोला और ऋतु उनके साथ ही अंदर आकर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गयी.... मोहिनी देवी खाना डाइनिंग टेबल पर लगाकर वहीं बैठकर ऋतु का इंतज़ार करने लगी... ऋतु भी अपने कमरे से आकर मोहिनी के पास ही बैठ गयी और दोनों खाना खाने लगीं...खाना खाते हुये ही ऋतु ने मोहिनी से पूंछा की उन्हें कहाँ जाना है तो उन्होने बताया

“मेरी तुम्हारे पापा से बात हो गयी है.... वो भी आज रात तक यहाँ आ रहे हैं... लेकिन उससे पहले हम दोनों को किशनगंज चलना है... रागिनी से मिलने”

“क्या? लेकिन माँ .... और मुझे बुलाने की क्या जरूरत थी... वो घर तो अपने भी देखा हुआ है... शायद कई बार” ऋतु ने उन पर ताना कसते हुये कुछ तेज आवाज मे कहा... लेकिन मोहिनी ने सामान्य स्वर में ही उससे कहा

“मेंने वो घर देखा हुआ है... लेकिन पहले विक्रम के साथ जाती थी... कई बार गयी...... लेकिन अकेली कभी नहीं गयी तो मुझे रास्ता पता नहीं... और दूसरी बात...... उन लोगो से हमारा ही नहीं तुम्हारा भी तो कुछ रिश्ता है... तुम्हें भी तो आगे बढ़कर उन्हें जानना चाहिए.... कल को विमला कि तरह हम भी न रहे तो तुम्हारा अपना कौन होगा...जिसे तुम जानती हो.... रागिनी कि तो याददास्त चली गयी... इसलिए आज उसका कोई अपना नहीं.... जिसे वो जानती हो...”

“ठीक है माँ! में चलती हूँ... लेकिन ये बात तो आपको तभी गाँव में ही कर लेनी चाहिए थी... रागिनी दीदी ने अगर हमें नहीं पहचाना था तो आप और पापा तो जानते थे...कि वो कौन हैं.....” ऋतु ने कुछ चिढ़ने वाले अंदाज में कहा

जवाब में मोहिनी देवी कुछ कहते-कहते रुक गईं और चुपचाप खाना खाती रहीं।

.................................

“रागिनी आओ पहले खाना खाते हैं फिर बैठकर बात करेंगे” सुरेश ने दरवाजे से हटकर रागिनी, अनुराधा और प्रबल को अंदर आने का रास्ता देते हुये कहा “हम तब से तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे ...”

“आज क्या ऑफिस नहीं गए तुम?” रागिनी ने पूंछा

“गया तो था लेकिन पूनम ने फोन करके बताया कि तुम आ रही हो तो में तभी वापस आ गया था”

अंदर आते ही रागिनी ने प्रबल को हाथ मुंह धोने को कहा तो प्रबल वहीं वाश बेसिन पर चला गया और रागिनी ने अनुराधा को पूनम के बैडरूम कि ओर जाने को कहा... रागिनी खुद वहीं सोफ़े पर पूनम के पास बैठ गयी, सुरेश भी आकर दूसरे सोफ़े पर बैठ गया

“रागिनी तुम्हें तो तुम्हारा घर मिल गया... तुम्हारे परिवार वालों का भी पता चल ही जाएगा... लेकिन प्रबल का क्या करोगी.... अनुराधा तो तुम्हारी अपनी भतीजी है ही...” सुरेश ने बात शुरू करते हुये कहा

“प्रबल का क्या करना है....वो पहले भी मेरा बेटा था....अब भी है...उसे जन्म से पाला है मेंने....... और अनुराधा भी मेरी भतीजी से ज्यादा मेरी बेटी है...... दिल्ली में भी जो हमारे पड़ोसी हैं वो बता रहे थे... ये 3 दिन की थी तबसे पाला है मेंने......... वहाँ हमें घर नहीं मकान मिला है......घर तो मेरा हमेशा से मेरे साथ था, अब भी है..... मेरे दोनों बच्चे” मुसकुराते हुये रागिनी ने कहा.... तब तक प्रबल भी उनके पास आकर खड़ा हो गया तो अनुराधा ने अपने हाथ बढ़ाकर उसे अपने पास ही खींचकर बैठा लिया। तब तक अनुराधा भी पूनम के बैडरूम से निकाल कर आयी तो रागिनी ने उठते हुये उसे अपनी जगह पर प्रबल और पूनम के बीच बैठा दिया और खुद पूनम के बेडरूम में फ्रेश होने चली गयी

पूनम ने दोनों बच्चो और सुरेश को डाइनिंग टेबल पर चलने को कहा और कुछ देर में ही रागिनी भी आ गयी तो सबने मिलकर खाना खाया। खाना खाकर रागिनी ने पूनम और सुरेश से कहा की उसे कुछ जरूरी बातें बाटनी हैं... इस पर सुरेश ने अनुराधा और प्रबल की ओर इशारा किया... रागिनी ने कहा की जो भी बातें होंगी इन दोनों के भी सामने होंगी

“आप दोनों ने मुझसे विक्रम की वजह से रिश्ता जोड़ा है तो इन्हें भी उसी रिश्ते मे शामिल मानिए.... ये न तो छोटे बच्चे हैं और न ही मुझसे अलग... जब विक्रम ने इन्हें मुझे पालने को दिया तो आप ये मानिए की इनको भी आप वही प्यार और विश्वास दें जो विक्रम को देते थे” रागिनी ने आगे कहा “में और ये बच्चे अब हमेशा के लिए दिल्ली जा रहे हैं... विक्रम के जीतेजी तो आप लोग किसी भी तरह से हवेली मे रहने को तयार नहीं हुये ...लेकिन आज वो हवेली जिसमें विक्रम की ज़िंदगी बीती...वीरान होने जा रही है.... हालांकि हम यहाँ आते जाते रहेंगे... फिर भी... मेरा निवेदन है की अब आप लोग उसी हवेली में रहें जिससे हमें भी सिर्फ हवेली देखने नहीं आपसे मिलने आने की वजह मिले.... अभी के हालात हम तीनों के सामने हैं उस नजरिए से हमें न चाहते हुये भी बहुत समय के लिए दिल्ली रहना पड सकता है... और वैसे भी ये हवेली विक्रम के ही परिवार की है...... और अप उसी परिवार का हिस्सा हैं... मुझे गाँव में पता चला कि आपका गाँव केवल एक ही परिवार का है और आप लोग लगभग 100 साल पहले राजस्थान से आकार यहाँ बसे हैं....एक अलग नया गाँव बसाकर.. इसीलिए आपके परिवार के अलावा इस गाँव मे और कोई अन्य है ही नहीं”

“फिर भी ...” सुरेश ने कुछ कहना चाहा तो पूनम ने उसे रोकते हुये कहा “रागिनी अब हम हवेली में ही रहेंगे...शायद तुम्हें पता नहीं कि गाँव मे सब यही समझते हैं कि हम विक्रम के साथ हवेली में ही रहते हैं... न कि कोटा शहर में अलग मकान में........ये मकान भी विक्रम का ही है... जो उन्होने ‘इनके’ नाम पर खरीद कर दिया हुआ था........... एक बात तो तुम्हें पता ही है कि मेरे विक्रम से कैसे संबंध थे.... सुरेश इनके साथ रहते थे तो पता नहीं कब इन्हें मुझसे प्यार हो गया और मुझे इनकी मासूमियत भा गयी... विक्रम अपने रिश्ते कि वजह से हमारी शादी नहीं कराना चाहते थे...... हमारी जिद के आगे मजबूर होकर उन्होने ये शादी तो हो जाने दी, लेकिन शादी से लेकर अब तक जिंदा रहते विक्रम ने कभी मुझे मिलना तो क्या देखा भी नहीं......इसीलिए उन्होने हमें हवेली मे रहने को माना कर दिया और ये मकान लेकर दिया रहने को....... सुरेश से भी वो बाहर ही मिलते थे या इन्हें हवेली बुला लेते थे........” कहते कहते पूनम कि आँखों से आँसू निकालने लगे और सुरेश भी रोने लगा

तभी रागिनी के फोन पर घंटी बजी तो रागिनी ने देखा कि ऋतु के नं से कॉल आ रही है....रागिनी के फोन उठाते ही ऋतु ने जो कहा सुनकर रागिनी चौंक गयी

“रागिनी दीदी! में ऋतु बोल रही हूँ”

“ऋतु! तुम मुझे दीदी कबसे बोलने लगी...???” रागिनी ने चोंकते हुये कहा

“दीदी! में और माँ किशनगंज आए हुये हैं.... और मुझे आज ही पापा ने बताया कि आप मेरी विमला बुआ की बेटी हैं........ आप कब तक यहाँ आ रही हैं? हमें आपसे मिलना है” ऋतु ने भर्राए हुये स्वर में कहा

“में हवेली से निकलकर कोटा आ चुकी हूँ रात तक हम दिल्ली पहुँच जाएंगे, दिल्ली पहुँचते ही में तुम्हें फोन करती हूँ” रागिनी ने अपनी बेचैनी को दबाते हुये ऋतु से कहा और फोन काट दिया

फोन काट कर रागिनी ने पूनम और सुरेश कि ओर देखा और सुरेश से पूंछा “क्या विक्रम कि कोई बुआ थी... विमला... तुम्हारे बलराज चाचा कि बहन?”

“हाँ! मेंने उन्हें देखा तो नहीं लेकिन सुना था कि... बलराज चाचा 5 भाई और 2 बहन थे.... मेरे बाबा (दादा जी को कुछ जगह बाबा भी कहते हैं) बताया करते थे.... वो मेरे बाबा के बड़े भाई के बच्चे हैं.... उनका नाम तो मुझे भी नहीं पता... पूनम ने बताया कि तुम्हारी माँ का नाम विमला था.......... यानि तुम विमला बुआ की बेटी हो” सुरेश का मुंह भी खुला रह गया

“हाँ! और अब मुझे दीदी बोला करो....” रागिनी ने अपनी पलकों पर रुके हुये आँसू साफ करते हुये मुसकुराते हुये कहा

“लेकिन विक्रम आपको क्यों नहीं जानता था.... उसने कभी मुझसे ऐसा कुछ बताया भी नहीं....... जबकि वो आपसे ही नहीं.... आपके परिवार में सभी से मिला था.... विमला बुआ, ममता भाभी, सरोज भाभी ......सभी से....” सुरेश बोला

“शायद विक्रम पहले नहीं जानता होगा ......... लेकिन बाद में उसे पता चला होगा... इसीलिए वो हमें अपने साथ रखे हुये था...... तुम भी तो नहीं जानते थे” रागिनी ने सुरेश से कहा और मन में सोचने लगी...... शायद यही वजह थी... जो विक्रम ने कभी मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना मंजूर नहीं किया...... वो हमारे रिश्ते को जानता था

“अब हमें निकालना चाहिए दिल्ली जाकर ऋतु और उनके मम्मी-पापा से भी मिलना है.... मोहिनी जी और ऋतु अभी किशनगंज वाले घर आयीं हुईं थी.... लेकिन एक और सवाल का जवाब पूनम तुमसे चाहती हूँ.... तुमने बताया था कि विक्रम कि शादी कि खबर सुनी थी किसी से तुमने.... क्या इस बारे में कोई जानकारी मिल सकती है किसी से... कहीं से भी...... क्योंकि मेरे ख्याल से ये बात विक्रम के परिवार में भी किसी को नहीं पता थी” रागिनी ने पूंछा

“हाँ! ये बात मुझे नेहा ने बताई थी.... कॉलेज में तुम्हारी सहेली थी.... नेहा कक्कड़.... लेकिन तुम शायद तब भी ये नहीं जानती थी की नेहा विक्रम के भी संपर्क मे थी.... विक्रम को बहुत मानती थी वो.... शायद तुम्हारी और विक्रम की आपस मे नहीं बनती थी...इसलिए वो तुम्हारे सामने विक्रम के बारे में अंजान बनी रहती थी.... वो तुम्हारी क्लास में ही थी.... तुम अपने प्रवेश पत्र में दी हुई डीटेल से कॉलेज में पता लगाना ....वहाँ नेहा का एड्रैस मिल सकता है” पूनम की बात सुनकर रागिनी ने हाँ में सिर हिलाया और उठ खड़ी हुई

साथ ही अनुराधा और प्रबल भी और उन सब को बाहर तक छोडने पूनम और सुरेश भी आए

तीनों बाहर आकर गाड़ी में बैठे और दिल्ली की ओर चल पड़े

batao kya din aa gaye hai .. khaane ka nyota dene ke baad ghar par aaye rishtedaaro ko bina chaaye aur khana khilaye hi wapas jaane diya .. aur ye Saroj bhabi kaun hai .. kya Ragani ke do bhai the ...

Mohini chachi ko ekdum se kaise Ragani ke liye pyaar jaag gaya .. aur kyon Mohini ji ko apne baad Ritu ke bahvishya ki chinta jaag gayi .. baat to kuch aur bhi hai .. Ritu bhi puri kadak mirchi hai .. apni maa par hi baato ka kataksh kiya .. he he
 

Naina

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ek ek karke sabhi rishton ka khulasa ho raha hain.... ab ek aur emotional kadi.... waise raginee to balraj aur ritu se bhi milegi.... par mohini- raginee.... wow..
Brilliant update kamdev ji..... Great going... :applause::applause::applause:
 

Vikram singh rana

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अध्याय 12

“ऋतु बेटा कहाँ पर हो तुम?” मोहिनी देवी ने दूसरी ओर से फोन उठते ही कहा

“माँ! ऑफिस में ही हूँ...आप घर पर ही हैं?” ऋतु ने जवाब के साथ सवाल भी कर दिया

“हाँ! में घर पर ही हूँ। तुम घर पर ही आ जाओ... यहीं दोनों साथ में लंच भी कर लेंगे और मुझे कहीं जाना भी था तो तुम मेरे साथ चलना” मोहिनी ने कहा

“माँ! यहाँ भी मुझे कुछ काम था... लेकिन चलो... पापा भी नहीं हैं ...में आती हूँ” कहकर ऋतु ने फोन काट दिया

फोन काटने के बाद मोहिनी ने बलराज सिंह को फोन करके रागिनी का मोबाइल नं मांगा तो उन्होने रागिनी और दोनों बच्चों के मोबाइल नं दे दिये साथ ही उन्होने बलराज सिंह को गाँव में घर पर परंपरागत जो भी व्यवस्था करनी थी करके आज ही दिल्ली आने को कह दिया और खुद लंच बनाने की तैयारी मे लग गयी।

थोड़ी देर बाद घंटी बजी तो मोहिनी ने दरवाजा खोला और ऋतु उनके साथ ही अंदर आकर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गयी.... मोहिनी देवी खाना डाइनिंग टेबल पर लगाकर वहीं बैठकर ऋतु का इंतज़ार करने लगी... ऋतु भी अपने कमरे से आकर मोहिनी के पास ही बैठ गयी और दोनों खाना खाने लगीं...खाना खाते हुये ही ऋतु ने मोहिनी से पूंछा की उन्हें कहाँ जाना है तो उन्होने बताया

“मेरी तुम्हारे पापा से बात हो गयी है.... वो भी आज रात तक यहाँ आ रहे हैं... लेकिन उससे पहले हम दोनों को किशनगंज चलना है... रागिनी से मिलने”

“क्या? लेकिन माँ .... और मुझे बुलाने की क्या जरूरत थी... वो घर तो अपने भी देखा हुआ है... शायद कई बार” ऋतु ने उन पर ताना कसते हुये कुछ तेज आवाज मे कहा... लेकिन मोहिनी ने सामान्य स्वर में ही उससे कहा

“मेंने वो घर देखा हुआ है... लेकिन पहले विक्रम के साथ जाती थी... कई बार गयी...... लेकिन अकेली कभी नहीं गयी तो मुझे रास्ता पता नहीं... और दूसरी बात...... उन लोगो से हमारा ही नहीं तुम्हारा भी तो कुछ रिश्ता है... तुम्हें भी तो आगे बढ़कर उन्हें जानना चाहिए.... कल को विमला कि तरह हम भी न रहे तो तुम्हारा अपना कौन होगा...जिसे तुम जानती हो.... रागिनी कि तो याददास्त चली गयी... इसलिए आज उसका कोई अपना नहीं.... जिसे वो जानती हो...”

“ठीक है माँ! में चलती हूँ... लेकिन ये बात तो आपको तभी गाँव में ही कर लेनी चाहिए थी... रागिनी दीदी ने अगर हमें नहीं पहचाना था तो आप और पापा तो जानते थे...कि वो कौन हैं.....” ऋतु ने कुछ चिढ़ने वाले अंदाज में कहा

जवाब में मोहिनी देवी कुछ कहते-कहते रुक गईं और चुपचाप खाना खाती रहीं।

.................................

“रागिनी आओ पहले खाना खाते हैं फिर बैठकर बात करेंगे” सुरेश ने दरवाजे से हटकर रागिनी, अनुराधा और प्रबल को अंदर आने का रास्ता देते हुये कहा “हम तब से तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे ...”

“आज क्या ऑफिस नहीं गए तुम?” रागिनी ने पूंछा

“गया तो था लेकिन पूनम ने फोन करके बताया कि तुम आ रही हो तो में तभी वापस आ गया था”

अंदर आते ही रागिनी ने प्रबल को हाथ मुंह धोने को कहा तो प्रबल वहीं वाश बेसिन पर चला गया और रागिनी ने अनुराधा को पूनम के बैडरूम कि ओर जाने को कहा... रागिनी खुद वहीं सोफ़े पर पूनम के पास बैठ गयी, सुरेश भी आकर दूसरे सोफ़े पर बैठ गया

“रागिनी तुम्हें तो तुम्हारा घर मिल गया... तुम्हारे परिवार वालों का भी पता चल ही जाएगा... लेकिन प्रबल का क्या करोगी.... अनुराधा तो तुम्हारी अपनी भतीजी है ही...” सुरेश ने बात शुरू करते हुये कहा

“प्रबल का क्या करना है....वो पहले भी मेरा बेटा था....अब भी है...उसे जन्म से पाला है मेंने....... और अनुराधा भी मेरी भतीजी से ज्यादा मेरी बेटी है...... दिल्ली में भी जो हमारे पड़ोसी हैं वो बता रहे थे... ये 3 दिन की थी तबसे पाला है मेंने......... वहाँ हमें घर नहीं मकान मिला है......घर तो मेरा हमेशा से मेरे साथ था, अब भी है..... मेरे दोनों बच्चे” मुसकुराते हुये रागिनी ने कहा.... तब तक प्रबल भी उनके पास आकर खड़ा हो गया तो अनुराधा ने अपने हाथ बढ़ाकर उसे अपने पास ही खींचकर बैठा लिया। तब तक अनुराधा भी पूनम के बैडरूम से निकाल कर आयी तो रागिनी ने उठते हुये उसे अपनी जगह पर प्रबल और पूनम के बीच बैठा दिया और खुद पूनम के बेडरूम में फ्रेश होने चली गयी

पूनम ने दोनों बच्चो और सुरेश को डाइनिंग टेबल पर चलने को कहा और कुछ देर में ही रागिनी भी आ गयी तो सबने मिलकर खाना खाया। खाना खाकर रागिनी ने पूनम और सुरेश से कहा की उसे कुछ जरूरी बातें बाटनी हैं... इस पर सुरेश ने अनुराधा और प्रबल की ओर इशारा किया... रागिनी ने कहा की जो भी बातें होंगी इन दोनों के भी सामने होंगी

“आप दोनों ने मुझसे विक्रम की वजह से रिश्ता जोड़ा है तो इन्हें भी उसी रिश्ते मे शामिल मानिए.... ये न तो छोटे बच्चे हैं और न ही मुझसे अलग... जब विक्रम ने इन्हें मुझे पालने को दिया तो आप ये मानिए की इनको भी आप वही प्यार और विश्वास दें जो विक्रम को देते थे” रागिनी ने आगे कहा “में और ये बच्चे अब हमेशा के लिए दिल्ली जा रहे हैं... विक्रम के जीतेजी तो आप लोग किसी भी तरह से हवेली मे रहने को तयार नहीं हुये ...लेकिन आज वो हवेली जिसमें विक्रम की ज़िंदगी बीती...वीरान होने जा रही है.... हालांकि हम यहाँ आते जाते रहेंगे... फिर भी... मेरा निवेदन है की अब आप लोग उसी हवेली में रहें जिससे हमें भी सिर्फ हवेली देखने नहीं आपसे मिलने आने की वजह मिले.... अभी के हालात हम तीनों के सामने हैं उस नजरिए से हमें न चाहते हुये भी बहुत समय के लिए दिल्ली रहना पड सकता है... और वैसे भी ये हवेली विक्रम के ही परिवार की है...... और अप उसी परिवार का हिस्सा हैं... मुझे गाँव में पता चला कि आपका गाँव केवल एक ही परिवार का है और आप लोग लगभग 100 साल पहले राजस्थान से आकार यहाँ बसे हैं....एक अलग नया गाँव बसाकर.. इसीलिए आपके परिवार के अलावा इस गाँव मे और कोई अन्य है ही नहीं”

“फिर भी ...” सुरेश ने कुछ कहना चाहा तो पूनम ने उसे रोकते हुये कहा “रागिनी अब हम हवेली में ही रहेंगे...शायद तुम्हें पता नहीं कि गाँव मे सब यही समझते हैं कि हम विक्रम के साथ हवेली में ही रहते हैं... न कि कोटा शहर में अलग मकान में........ये मकान भी विक्रम का ही है... जो उन्होने ‘इनके’ नाम पर खरीद कर दिया हुआ था........... एक बात तो तुम्हें पता ही है कि मेरे विक्रम से कैसे संबंध थे.... सुरेश इनके साथ रहते थे तो पता नहीं कब इन्हें मुझसे प्यार हो गया और मुझे इनकी मासूमियत भा गयी... विक्रम अपने रिश्ते कि वजह से हमारी शादी नहीं कराना चाहते थे...... हमारी जिद के आगे मजबूर होकर उन्होने ये शादी तो हो जाने दी, लेकिन शादी से लेकर अब तक जिंदा रहते विक्रम ने कभी मुझे मिलना तो क्या देखा भी नहीं......इसीलिए उन्होने हमें हवेली मे रहने को माना कर दिया और ये मकान लेकर दिया रहने को....... सुरेश से भी वो बाहर ही मिलते थे या इन्हें हवेली बुला लेते थे........” कहते कहते पूनम कि आँखों से आँसू निकालने लगे और सुरेश भी रोने लगा

तभी रागिनी के फोन पर घंटी बजी तो रागिनी ने देखा कि ऋतु के नं से कॉल आ रही है....रागिनी के फोन उठाते ही ऋतु ने जो कहा सुनकर रागिनी चौंक गयी

“रागिनी दीदी! में ऋतु बोल रही हूँ”

“ऋतु! तुम मुझे दीदी कबसे बोलने लगी...???” रागिनी ने चोंकते हुये कहा

“दीदी! में और माँ किशनगंज आए हुये हैं.... और मुझे आज ही पापा ने बताया कि आप मेरी विमला बुआ की बेटी हैं........ आप कब तक यहाँ आ रही हैं? हमें आपसे मिलना है” ऋतु ने भर्राए हुये स्वर में कहा

“में हवेली से निकलकर कोटा आ चुकी हूँ रात तक हम दिल्ली पहुँच जाएंगे, दिल्ली पहुँचते ही में तुम्हें फोन करती हूँ” रागिनी ने अपनी बेचैनी को दबाते हुये ऋतु से कहा और फोन काट दिया

फोन काट कर रागिनी ने पूनम और सुरेश कि ओर देखा और सुरेश से पूंछा “क्या विक्रम कि कोई बुआ थी... विमला... तुम्हारे बलराज चाचा कि बहन?”

“हाँ! मेंने उन्हें देखा तो नहीं लेकिन सुना था कि... बलराज चाचा 5 भाई और 2 बहन थे.... मेरे बाबा (दादा जी को कुछ जगह बाबा भी कहते हैं) बताया करते थे.... वो मेरे बाबा के बड़े भाई के बच्चे हैं.... उनका नाम तो मुझे भी नहीं पता... पूनम ने बताया कि तुम्हारी माँ का नाम विमला था.......... यानि तुम विमला बुआ की बेटी हो” सुरेश का मुंह भी खुला रह गया

“हाँ! और अब मुझे दीदी बोला करो....” रागिनी ने अपनी पलकों पर रुके हुये आँसू साफ करते हुये मुसकुराते हुये कहा

“लेकिन विक्रम आपको क्यों नहीं जानता था.... उसने कभी मुझसे ऐसा कुछ बताया भी नहीं....... जबकि वो आपसे ही नहीं.... आपके परिवार में सभी से मिला था.... विमला बुआ, ममता भाभी, सरोज भाभी ......सभी से....” सुरेश बोला

“शायद विक्रम पहले नहीं जानता होगा ......... लेकिन बाद में उसे पता चला होगा... इसीलिए वो हमें अपने साथ रखे हुये था...... तुम भी तो नहीं जानते थे” रागिनी ने सुरेश से कहा और मन में सोचने लगी...... शायद यही वजह थी... जो विक्रम ने कभी मेरे साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना मंजूर नहीं किया...... वो हमारे रिश्ते को जानता था

“अब हमें निकालना चाहिए दिल्ली जाकर ऋतु और उनके मम्मी-पापा से भी मिलना है.... मोहिनी जी और ऋतु अभी किशनगंज वाले घर आयीं हुईं थी.... लेकिन एक और सवाल का जवाब पूनम तुमसे चाहती हूँ.... तुमने बताया था कि विक्रम कि शादी कि खबर सुनी थी किसी से तुमने.... क्या इस बारे में कोई जानकारी मिल सकती है किसी से... कहीं से भी...... क्योंकि मेरे ख्याल से ये बात विक्रम के परिवार में भी किसी को नहीं पता थी” रागिनी ने पूंछा

“हाँ! ये बात मुझे नेहा ने बताई थी.... कॉलेज में तुम्हारी सहेली थी.... नेहा कक्कड़.... लेकिन तुम शायद तब भी ये नहीं जानती थी की नेहा विक्रम के भी संपर्क मे थी.... विक्रम को बहुत मानती थी वो.... शायद तुम्हारी और विक्रम की आपस मे नहीं बनती थी...इसलिए वो तुम्हारे सामने विक्रम के बारे में अंजान बनी रहती थी.... वो तुम्हारी क्लास में ही थी.... तुम अपने प्रवेश पत्र में दी हुई डीटेल से कॉलेज में पता लगाना ....वहाँ नेहा का एड्रैस मिल सकता है” पूनम की बात सुनकर रागिनी ने हाँ में सिर हिलाया और उठ खड़ी हुई

साथ ही अनुराधा और प्रबल भी और उन सब को बाहर तक छोडने पूनम और सुरेश भी आए

तीनों बाहर आकर गाड़ी में बैठे और दिल्ली की ओर चल पड़े
Woooooowww....
Jaal hai sab......
A trap......
Rishton ka jaal.....
OR vimla or baldev ka koi relation hai.....
Shaayad.....nazayaz....may be.....

I think prabal ki family....ka relation us raaz se hai jis kaaran puri family alag ho gayi......ho sakta hai us ghatna ka kaaran directly ya indirectly prabal ki family ho....
ways.....
OR isiliye prabal ki jankari sabse kam ho or sabse Baad me aaye....

Aage dekhte hai kya hota hai....

Anyways.....
Very Fantastic and suspicious act....
Thanks....
 
Last edited:

Pritam.bs

!..Kar Vida.......Alvida..!
Supreme
3,003
15,155
159
मित्रो !
अध्याय 11 व अध्याय 12 आपके सामने प्रस्तुत है.....
पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया दें....
अनुक्रमणिका को भी अद्यतन कर दिया गया है
Story ke 12 update aa gaye. Mujhe to laga tha ki ye aapki kisi contest ki short story hai. Shayad aisa maine aapke siggy me dekha tha. Lekin aaj dekha to ye ek running story nikli. Story ka naam to adhyatm ki taraf ishara kar raha hai. Lekin update 12 ki jhalak dekh kar aisa lag raha hai ki aisa kuch nahi hai. Khair raat ko dekhta hu ki aapne kya teer chalaya hai aur apne us teer se nayak ya nayika me se kise ghayal kiya hai. :blush1:
 
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