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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक .......

रागिनी की कहानी के बाद आप इनमें से कौन सा फ़्लैशबैक पहले पढ़ना चाहते हैं


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kamdev99008

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Wah aap itane bariki se ek ek chij likh rahe hai isse apki mehnat samjh me aati hai..
Bahut hi achha

keep writing bro:hug:

मस्त ... ज़बरदस्त ... :applause: :applause: :applause:

देखते हैं... प्रबल के लिफ़ाफे में से क्या निकलता है..

ऐसे ही लिखते रहिए लेखक महोदय...
:thanks: aap teeno dhurandhar writers ki tareef se meri virtual life dhanya ho gayi... Update aaj rat ko complete karke post karunga
 

Bhaiya Ji

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:thanks: aap teeno dhurandhar writers ki tareef se meri virtual life dhanya ho gayi... Update aaj rat ko complete karke post karunga

मैं धुरंधर??

बहुत ज़ोर से आपने मार दिया लेखक महोदय...
;)
 

kamdev99008

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मैं धुरंधर??

बहुत ज़ोर से आपने मार दिया लेखक महोदय...
;)
भाई आपकी हिन्दी-इंग्लिश कहानियों का में फैन हूँ.... बांग्ला पढ़ भी लूँ तो समझ नहीं पाता.....
अद्भुत जाल, आशा... , Untold story of My bengali mother.. सभी मेरी favourite हैं
तो मेरे लिए तो आप धुरंधर ही हुये.................
........................

अपडेट को फ़ाइनल टच दे रहा हूँ....... 10 बजे तक पोस्ट करता हूँ
 
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Bhaiya Ji

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भाई आपकी हिन्दी-इंग्लिश कहानियों का में फैन हूँ.... बांग्ला पढ़ भी लूँ तो समझ नहीं पाता.....
अद्भुत जाल, आशा... , Untold story of My bengali mother.. सभी मेरी favourite हैं
तो मेरे लिए तो आप धुरंधर ही हुये.................
........................

अपडेट को फ़ाइनल टच दे रहा हूँ....... 10 बजे तक पोस्ट करता हूँ

मेरे लिखे को इतना पसंद करने/फेवरेट कहने के लिए आपको ह्रदय की गहराईयों से बहुत बहुत धन्यवाद लेखक महोदय... :thanks: :thanks: :thanks:

(आप भी धुरंधर की दिशा में अग्रसर हैं)

आपके कहानी के अपडेट की प्रतीक्षा में.... :waiting:
 
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kamdev99008

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अध्याय 7

बैठक में अभय तो चुपचाप आँख बंद किए लेटा कुछ सोच रहा था या सो रहा हो.... प्रबल अपने हाथ मे लिफाफा लिए उसे यूं ही देखे जा रहा यहा...उदास आँखों से..... बलराज सिंह कहीं खोये से छत की ओर देख रहे थे.... आज के घटनाक्रम और इस वसीयत से खुले राज आज किसी को भी नींद नहीं आने दे रहे थे

तभी अनुराधा ने अंदर को खुलने वाले दरवाजे से बैठक में झाँकते हुये प्रबल को आवाज दी तो सभी पलटकर अनुराधा की ओर देखा

“प्रबल! चल माँ अंदर बुला रही हैं...और ये लिफाफा भी लेता हुआ आ” कहकर अनुराधा अंदर की ओर चल दी । प्रबल ने एक बार अभय और बलराज सिंह पर नज़र डाली और उठकर अनुराधा के पीछे चल दिया दोनों चुपचाप रागिनी के कमरे मे अंदर घुसे और पीछे से अनुराधा ने दरवाजा बंद कर लिया ....अनुराधा जाकर रागिनी के पास बैठ गयी, रागिनी ने प्रबल को अपने पास आने का इशारा किया... प्रबल जैसे ही रागिनी के पास पहुंचा रागिनी ने उसे अपनी बाहों में भर लिया...और माँ बेटे दोनों की ही आँखों से आँसू निकालने लगे....अनुराधा भी उनदोनों को रोते देखकर खुद को रोक नहीं पायी और रागिनी के गले लगकर प्रबल और रागिनी को बाहों में भरकर रोने लगी।

रागिनी ने संभलते हुये दोनों को अपने से अलग किया और एक एक हाथ से उनके आँसू पोंछते हुये उन्हें चुप कराया और बोली “मुझे भी मालूम है की मेंने तुम दोनों को जन्म नहीं दिया लेकिन में ही तुम्हारी माँ थी, हूँ और रहूँगी... मुझे तुमसे कोई अलग नहीं कर सकता बस! एक वादा करो...तुम दोनों कभी मुझे छोडकर नहीं जाओगे।“

“ माँ! आपके अलावा हमारा है ही कौन? और अगर कोई हुआ भी... तब भी में ज़िंदगी भर आपके साथ ही रहूँगा” प्रबल ने रोते हुये कहा

“माँ! मेंने जब से होश सम्हाला है, तब से आपको ही माँ के रूप में जानती हूँ.... हाँ! उस घर में ऊपर की मंजिल पर जो औरत रहती थी वो आपके जाने के बाद मुझे अपने साथ ले गयी थी...उसने कहा था की वो ही मेरी असली माँ है.... लेकिन में उसे नहीं जानती और न ही उसे कभी माँ माना.... फिर जब उसे पुलिस पकड़ कर ले गयी तो विक्रम भैया मुझे हवेली ले आए और कुछ दिन बाद आपको भी ले आए” अनुराधा ने भी कहा “लेकिन अगर वो औरत मेरी माँ है और अब भी वो मुझे मिल जाएगी तो भी में आपके साथ ही रहूँगी”

रागिनी ने फिर प्रबल के हाथ से लिफाफा लेकर उसे खोला और उसमें मौजूद समान बाहर निकाला। एक बेहद खूबसूरत लड़की का फोटो था जिसमे एक आदमी का हाथ उसके कंधे पर रखा हुआ था लेकिन वो फोटो आधा फाड़कर उस आदमी का फोटो हटा दिया गया था। यानि वो फोटो उन दोनों ने पति पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका की तरह साथ में खिंचवाया हुआ था.... लेकिन आधा ही फोटो था.... उसे पलटने पर उस पर एक पंक्ति में Unique Ph और दूसरी पंक्ति मे Lal Qi की आधी फटी हुई मोहर लगी हुई थी। इसके अलावा उसमें एक जन्म प्रमाण पत्र था जो दिल्ली के ही एक अस्पताल का था दिनांक 15 जुलाई 2000 का जिसमें बच्चे का लिंग पुरुष था, माँ का नाम नीलोफर जहाँ, पिता का नाम राणा शमशेर अली तथा उमरकोट, सिंध, पाकिस्तान का पता लिखा हुआ था।

इसे पढ़कर तो रागिनी ही नहीं तीनों का ही दिमाग सुन्न हो गया... मतलब ये जन्म प्रमाण पत्र अगर प्रबल का है जो की यहाँ इस लिफाफे मे होने से जाहीर है की प्रबल का ही है.... तो वो तो एक पाकिस्तानी मुस्लिम है... इसके साथ जो फोटो है उसे रागिनी ने गौर से देखा तो उस औरत या लड़की की मांग मे सिंदूर का आभास नहीं हुआ लेकिन सर पर दुपट्टा एक पारिवारिक शादीशुदा औरत की तरह ही लिया हुआ था.... यानि ये औरत प्रबल की माँ हो सकती है.... नीलोफर जहाँ।

कुछ देर तक किसी के मुंह से कोई आवाज नहीं निकली फिर रागिनी ने ही प्रबल और अनुराधा से कहा “देखो अब हम तीनों के ही लिफाफों में कुछ न कुछ हमारी पिछली ज़िंदगी, हमारे परिवार और हमारी पहचान तक पहुंचाने का रास्ता बताता है... और ये भी लग रहा है इन सब से कि....” रागिनी ने अपनी बात रोक कर दोनों कि ओर देखा और गंभीर स्वर मे बोली “हम सब का अपना-अपना घर-परिवार था या शायद अभी भी है,,,,अब हम उन्हें तलाश करते हैं तो शायद वो हमें दोबारा अपने से अलग न होने दें... तो हम सब को अपनी पिछली ज़िंदगी भूलकर...एक दूसरे को भूलकर अपने अपने घर-परिवार मे रम जाना है........... या....... हम इन सब बातों को भूलकर जैसे जी रहे थे वैसे ही जीते रहें.... पहले हम में से किसी का कुछ भी नहीं था यहाँ... सबकुछ विक्रम का था और उसी के सहारे हम थे.... हालांकि हमें ये बात पता नहीं थी.... लेकिन सच यही था........फिर भी हमें सबकुछ अपना सा लगता था........ आज विक्रम को छोडकर, हमारे पास सबकुछ है.... घर-मकान, जमीन-जायदाद लेकिन फिर भी हमें कुछ भी अपना नहीं लग रहा.............. अब फैसला तुम दोनों के ऊपर है कि क्या करना है?”

रागिनी के चुप होने के बाद प्रबल ने कहा “माँ! हम कभी एक दूसरे से अलग होकर नहीं रह सकते.... इन लिफाफों मे जो कुछ भी है... एक बार उसका भी पता करेंगे लेकिन अपनी पहचान छुपाकर....लेकिन अभी विक्रम भैया की तेरहवीं तक इस बारे में हमें कुछ नहीं करना और उनकी आत्मा कि शांति के लिए 15 दिन यहीं रहना है....उसके बाद सोचेंगे”

“और माँ! इस बारे में हमें किसी से कोई बात नहीं करनी.... न कोई भी जानकारी देनी, कि इन लिफाफों मे क्या था या हम अब क्या करेंगे या कहाँ रहेंगे.......” अनुराधा ने भी कहा “अब हमें सोना चाहिए ....ज्यादा देर ऐसे इकट्ठे रहने से भी इन सबकी नज़र में हमारी स्थिति संदेहजनक हो जाएगी.... क्योंकि विक्रम भैया ने ये बताकर कि हमारा इस परिवार से कोई संबंध नहीं...फिर भी बहुत कुछ हमारे नाम कर दिया है...लगभग अपना सबकुछ”

रागिनी ने भी दोनों को जाने को कहा और स्वयं भी बिस्तर पर लेट गई

.....................................................

इधर प्रबल के जाते ही बलराज सिंह ने अभय की ओर देखा, उसकी आँखें बंद थी...पता नहीं सो रहा था या जाग रहा था.... कुछ देर उसको देखते रहने के बाद बलराज सिंह ने कुछ सोचा और उठकर अंदर रागिनी के कमरे के बाहर पहुंचे...उन्होने प्रबल और अनुराधा को बैठक के दरवाजे से ही रागिनी के कमरे मे जाते हुये और कमरे का दरवाजा बंद होते देख लिया था।

वो दरवाजे के बाहर जाकर खड़े ही हुये थे की मोहिनी अपने कमरे के दरवाजे पर नज़र आयी और उसने उनको इशारे से बुलाया। बलराज सिंह चुपचाप उसके पीछे पीछे उसके कमरे मे चले गए....

“आपको उनकी बातें सुनने की क्या जरूरत थी...???” अंदर आते ही मोहिनी देवी ने दरवाजा बंद करते हुये कहा

“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की ये लोग कौन हैं और विक्रम इनके लिए इतना कुछ क्यों कर रहा था....अब भी कर गया?” बलराज सिंह ने कहा

“क्या आप इनको नहीं जानते?” मोहिनी देवी ने उन्हें घूरते हुये कहा

“में कैसे जानूँगा?” बलराज सिंह ने असमंजस में उल्टा सवाल किया

“रागिनी को भी नहीं?” मोहिनी देवी ने भी सवाल का जवाब सवाल से ही दिया और गौर से उनके चेहरे की ओर देखने लगी। ये सवाल सुनते ही बलराज सिंह का चेहरा सफ़ेद पड गया और उनके मुंह से कोई आवाज नहीं निकली तो मोहिनी देवी ने आगे कहा “रागिनी को जब में देखते ही पहचान गयी तो आपने कैसे नहीं पहचाना होगा...... आखिर आप तो विमला के पास बहुत आते जाते रहे हैं.... मेंने तो सिर्फ अखबार में ही पढ़ा और फोटो देखा था.... फिर भी रागिनी को देखते ही में रागिनी और अनुराधा दोनों को पहचान गयी”

बलराज सिंह बिना कुछ कहे दरवाजा खोलकर वापस बैठक में लौटे और अपने बिस्तर पर लेट गए।

...........................................................

इधर ऋतु भी अपने कमरे में जाकर लेती ही थी की उसे दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज आयी... उसने अपने दरवाजे से झाँककर देखा तो रागिनी के कमरे का दरवाजा बंद होता दिखा.... वो वापस आकर बिस्तर पर लेट गयी.... थोड़ी देर बाद फिर से वैसी आवाज आयी और बैठक की ओर जाते और वापस आते कदमो की आहट सुनी तो वो फिर अपने दरवाजे के करीब आयी.... रागिनी का दरवाजा बंद होते ही वो वापस लौटने को हुयी कि उसे बलराज सिंह रागिनी के कमरे कि ओर आते दिखे फिर मोहिनी देवी अपने दरवाजे पर....बलराज सिंह के बैठक मे जाते ही फिर से रागिनी का दरवाजा खुला तो वो निकल कर बाहर आ गयी और प्रबल को बैठक कि ओर जाते तथा अनुराधा को अपने कमरे मे जाते देखने लगी.... उसने उनसे कुछ नहीं कहा और न ही वो दोनों कुछ बोले उधर मोहिनी देवी भी चुपचाप अपने दरवाजे पर खड़ी हुई सभी को देखती रही

“ऋतु अब बहुत रात हो गयी है ....सो जाओ” इतना कहकर मोहिनी देवी ने अपना दरवाजा बंद कर लिया

....................................................

सुबह उठकर अभय दिल्ली वापस चला गया और बाकी सब गाँव में ही रुके रहे... शाम को सुरेश भी गाँव में अपने घर पहुंचा और सुरेश सुरेश के माता-पिता और पूनम बलराज सिंह के घर पहुंचे....

पूनम मोहिनी देवी से मिलने के बाद रागिनी से कुछ अलग होकर मिली तो रागिनी ने उसे अपने कमरे में चलने को कहा। कमरे में पहुँचकर रागिनी ने पूनम से अपने अतीत के बारे में पूंछा तो पूनम ने बताया कि वो विक्रम के साथ ही कॉलेज में पढ़ती थी और उसकी शादी भी विक्रम ने ही अपने परिवार के चचेरे भाई सुरेश से करा दी थी...सुरेश भी उसी कॉलेज में विक्रम के साथ ही पढ़ता था...लेकिन रागिनी से उन दोनों कि ही कोई पहचान नहीं थी.... वो रागिनी को विक्रम के द्वारा ही जानते थे.... रागिनी को कोई विशेष जानकारी नहीं मिली।

धीरे-धीरे विक्रम कि तेरहवीं का दिन भी आ गया तब दिल्ली से अभय के साथ श्रीगंगानगर पुलिस से इंस्पेक्टर राम नरेश यादव भी साथ आए... चूंकि मामला एक व्यक्ति की अज्ञात कारणों से मौत का था तो उन्होने परिवार के सभी सदस्यों से विक्रम के बारे में पूंछताछ की.... लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.... फिर भी उन्होने वसीयत कि एक कॉपी पुलिस रेकॉर्ड के लिए ले ली और वापस लत गए। अगले दिन अभय ने ऋतु को भी साथ जाने के लिए कहा तो बलराज सिंह ने मोहिनी को भी साथ भेज दिया,,, इधर पूनम को रागिनी ने रुकने के लिए बोला तो उसने सुरेश को कोटा वापस भेज दिया। अब रागिनी ही नहीं अनुराधा और प्रबल भी आगे क्या करना है और कहाँ जाना है.... इस उलझन का समाधान खोजने में लगे हुये थे...रागिनी ने रात को पूनम को अपने घर रुकने को बोला तो उसने अपने सास ससुर से बात करके रुकने कि सहमति दे दी....

मित्रो आज इतना ही............. अब देखते हैं रात को इनका क्या निर्णय होता है और क्या मोड आएंगे इनकी ज़िंदगी में उस निर्णय से...........
 

kamdev99008

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Awesome update

ठीक है.... तू पूनम को बोल दे.... में तुम दोनों के माँ बाप से बात करके शादी की तारीख निकलवाता हूँ” ......... जब सुरेश और विक्रम भाई हैं तो विक्रम ने ये क्यों कहा की तुम दोनों के माँ बाप से शादी की बात कर लेता हूँ ?

यार कामदेव भाई यहाँ तो कहानी में से कहानी निकल रही है

Badi meharbani.
Itne gap kr k update doge to pichla naam bhul jaunga.
Thoda memory kamjor hai.:lol:
Dusra bilkul novel ki tarah mistry suspense wali story hai.
Is liye ab ek mahine baad dubara se suru karunga.
Tabhi sahi se ye jhamela samajh aa payge.
Fabulous update.
Sab apne apne astitva ki khoj mai lad rahe hai.

Ye update bhi soch se pare he :(
Ek baar fir se sab update padhne padenge :reading:

Khani sach me bahut hee jabardast hai ... Sab kuch ek dum chaak chauband ..

Dekhte hai kya hota next update me..

Ragini aur abhay ka character pehle hi bahut crucial tha aur ab entry ho gayi vikram ke bhai aur bhabhi cum ex GF

Zabardast build up in story ?

Nice story KD bhai
Kahani itni ghumavdaar hai 2 baar read karni padi tab kuch smaj aaya

Waiting for next update

Wah aap itane bariki se ek ek chij likh rahe hai isse apki mehnat samjh me aati hai..
Bahut hi achha

Aap vada kar rahe ho update dene ka
Agar kal tak apne update post nahi kera to dekh lena















Ek reader ka dil todoge aap

keep writing bro:hug:

Nice update

Superb sir jeerr

Baat to sahi hai..

मस्त ... ज़बरदस्त ... :applause: :applause: :applause:

देखते हैं... प्रबल के लिफ़ाफे में से क्या निकलता है..

ऐसे ही लिखते रहिए लेखक महोदय...

Waiting next sir.

Waiting for today's update

मैं धुरंधर??

बहुत ज़ोर से आपने मार दिया लेखक महोदय...
;)

मेरे लिखे को इतना पसंद करने/फेवरेट कहने के लिए आपको ह्रदय की गहराईयों से बहुत बहुत धन्यवाद लेखक महोदय... :thanks: :thanks: :thanks:

(आप भी धुरंधर की दिशा में अग्रसर हैं)

आपके कहानी के अपडेट की प्रतीक्षा में.... :waiting:
मित्रो आज के अपडेट में प्रबल के लिफाफे में छुपे हुये राज खोल दिये गए और अब रागिनी के सामने एक सवाल सबसे बड़ा आ गया है की उसे सिर्फ अपनी ही नहीं अपनी संतान के तौर पर पाले गए इन बच्चों की ज़िंदगी के बारे में फैसला लेना है.... की इस दोराहे पर अतीत की ओर लौटा जाए या वर्तमान को ही भविष्य की ओर ले जाया जाए
इस अपडेट को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें
 
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brego4

Well-Known Member
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मित्रो आज के अपडेट में प्रबल के लिफाफे में छुपे हुये राज खोल दिये गए और अब रागिनी के सामने एक सवाल सबसे बड़ा आ गया है की उसे सिर्फ अपनी ही नहीं अपनी संतान के तौर पर पाले गए इन बच्चों की ज़िंदगी के बारे में फैसला लेना है.... की इस दोराहे पर अतीत की ओर लौटा जाए या वर्तमान को ही भविष्य की ओर ले जाया जाए
इस अपडेट को पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें

yaar ye ragini aur abhay-anuradha ki age mein difference kya hai ye to bata do :vhappy:
 
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