• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,528
34,449
219
मेरे हिस्से की दो रोटी फिर भी नहीं थाली मे
मनीष भाई ज़िंदगी में सबसे बड़ा दुख यही होता है....... अपने पास जो नहीं, उसका अहसास
और................... सबसे बड़ी खुशी ...............
अपने पास जो है, उसके होने का अहसास

सिर्फ रोटी मत समझना

................................... हर फिक्र को धुएँ में उड़ता चला गया :smoking:
मैंने साइकिल पर जिंदगी जी है
मैंने पैदल....... साइकल तो 14 साल की उम्र में सीखी और 25 के बाद कभी चलायी नहीं ....... बुलेट 1990 में चलनी सीखी 15 साल की उम्र में ........अब तक पल्सर चलाता हूँ
खरीदी पहले साइकल थी उसी पर चलना सीखा, फिर कार और फिर बुलेट ............ सब खुद कमाकर ..... पिताजी की साइकल पर तो चलना भी नहीं सीखा,
अक्सर मेरे पास कुछ होता नहीं कहने को. मैं अपने नि खुमारी मे ही डूबा रहता हूं. इस तालाब से इतना लगाव हुआ है मुझे की हर एक हलचल मे मैं निशा को तलाशता हूं यथार्थ से दूर भागने का मेरा ये बहाना देखो कब तक चलता है
कुछ कहते नहीं इसीलिए ज्यादा सोचते हो............. सबकुछ भुला दो और ज़िंदगी के बहाव में खुद को बहने दो.........
ना जाने ज़िंदगी क्या देना चाहती है, कहाँ पहुंचाना चाहती है.............. और जो ले लिया ज़िंदगी ने वो आपका था ही नहीं, इसलिए उसे भुला दो
 
  • Like
Reactions: Thakur

Aagasthya

A Loner.
Staff member
Moderator
28,475
13,156
259
मनीष भाई ज़िंदगी में सबसे बड़ा दुख यही होता है....... अपने पास जो नहीं, उसका अहसास
और................... सबसे बड़ी खुशी ...............
अपने पास जो है, उसके होने का अहसास

सिर्फ रोटी मत समझना

................................... हर फिक्र को धुएँ में उड़ता चला गया :smoking:

मैंने पैदल....... साइकल तो 14 साल की उम्र में सीखी और 25 के बाद कभी चलायी नहीं ....... बुलेट 1990 में चलनी सीखी 15 साल की उम्र में ........अब तक पल्सर चलाता हूँ
खरीदी पहले साइकल थी उसी पर चलना सीखा, फिर कार और फिर बुलेट ............ सब खुद कमाकर ..... पिताजी की साइकल पर तो चलना भी नहीं सीखा,

कुछ कहते नहीं इसीलिए ज्यादा सोचते हो............. सबकुछ भुला दो और ज़िंदगी के बहाव में खुद को बहने दो.........
ना जाने ज़िंदगी क्या देना चाहती है, कहाँ पहुंचाना चाहती है.............. और जो ले लिया ज़िंदगी ने वो आपका था ही नहीं, इसलिए उसे भुला दो
Kamu unkill.. :wave:
 
  • Love
Reactions: kamdev99008
Top