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दिल की बात दिल मे दबाना क्यों।
ये आग दिल की है तो जुबां तक पहुचे।
आजकल बात दिलों की नही जिस्मों की होती है। जज्बात secondary हो गए हैं।दिल की बात दिल मे दबाना क्यों।
ये आग दिल की है तो जुबां तक पहुचे।
Sahi baat haiदिल की बात दिल मे दबाना क्यों।
ये आग दिल की है तो जुबां तक पहुचे।
Zaban ke alawa wo baat sharmgaah taq bhi pahuche sirf dil aur damage taq hi kyonदिल की बात दिल मे दबाना क्यों।
ये आग दिल की है तो जुबां तक पहुचे।