- 640
- 1,087
- 124
Update 1
मै कमरे में पँहुचा और पहुंचते हीं मैंने दरवाजा बंद कर दिया.
सुहाग की सेज पर दुल्हन के लिवाज में बैठी कोमल बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
मै उसके पास गया, उसका गुंघट उठाया, चांद सा चहरा, मांग में सिन्दूर, माथे पे बिंदी, होठ लाल लाल थे, दिल किया इन होठों को रसपान करू, गले में मगलसूत्र.
आआआह कोमल की आह निकली, मैने कोमल के सुर्ख लाल होठों पे अपने होठ रख दिये और चूसने लगा, मैने बहुत लड़कियां चोदी, अपनी भाभी की भी कई बार ले चुका था , पर जो मजा कोमल के होठों में था वो किसी के होठों में मुझे नही मिला.
मैने उसके कंधे पर हाथ रख के उसे निचे लेटने का इशारा किया, वो किसी कठपुतली की तरह लेट गई, मैने उसकी जगह नहीं छोड़ी जहा kiss na किया हो, उसका पूरा शरीर मेरे थूक से गीला हो गया था, मैने उसको उल्टा लेटाया और सारी से छलकते उसके भारी चूतड़ों को अपने हाथो से मथने लगा.
मैने उसको खड़ा किया और दीवार से चिपका दिया फिर क्या था.? पीछे आके मैने उसे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस-कस के उसके मम्मे दबाने लगा. अभिमान से उठी हुई वो दो चूंचियां मुझे चैलेंज दे रही थी।
मेरा पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी उसकी गांड़ के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, सारी फाड़ के घुस जायेगा.
मैंने उसे सामने गुमाया और निचे अपने घुटनों के बल पे बैठने का कहा वो बैठ गई. और मैने अपने पजामे का नाड़ा खोल दिया. फनफ़ना कर मेरा लंड बाहर आ गया.
सुपाड़ा अभी भी खुला था, मोटे आलू की तरह बड़ा और लाल.
मैने उसे मुंह में लेने को कहा तो पहले तो वो मुंह इधर उधर करने लगी. जब मेने एक हीरे की अंगूठी दिलाने को बात कही तो वो बाद में मान गई
उसने पहले तो मेरे लंड को चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे वो लॉलीपॉप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ हीं देर में उसकी जीभ मेरे पी-होल को छेड़ रही थी. वो मेरी तरफ़ देख कर मेरा लंड चूस रही थी जैसे रण्डी चूसा करती हैं।
मै तो हैरान हो गया, पहले तो मना कर रही थी , जब हीरे की अंगूठी दिलाने की बात की तो साली किसी रण्डी की तरह मेरा लंड चूस रही थी, मैने मन में कहा
मैने कस के उसके सिर को पकड़ लिया. उसका एक मेहन्दी लगा हाथ मेरे लंड के बेस को पकड़ के हल्के से दबा रहा था और दूसरा मेरे अंडकोष (Balls) को पकड़ के सहला और दबा रहा था. मै पुरे जोश में आ गया और उसका सिर पकड़ के मै अपना मोटा लंड अंदर-बाहर कर रहा था .
मेरा आधे से ज्यादा लंड अब उसके मुँह में था. सुपाड़ा हलक पे धक्के मार रहा था. जब उसकी जीभ मेरे मोटे कड़े लंड को सहलाती और उसके गुलाबी होठों को रगड़ते, घिसते वो अंदर जाता.... खूब मज़ा आ रहा था मुझे. मै उसके मुंह को चोद रहा था और वो खूब कस-कस के चूस रही थी, चाट रही थी.
मेरा लंड उसके हलक से बार बार टकरा रहा था जिससे उसे उल्टी आ गई
उस कमरे में मुझे चुदाई कई रास्ते दिखे रहे थे, वहा पास में टेबल भी थी , उस पे निहुरा के मै उसकी चूडाई कर सकता, पलंग भी था, और सबसे अच्छी और मेरी फैवरेट दीवार, जी हां खड़े खड़े दीवार पे हाथ रख पीछे से पेलने में जो मज़ा है, वो किसी भी पोज में नही है.
काफी देर land चुसाई और मुख मैथुन के बाद मैन उसे कहा
“दीवार पे हाथ रख के झुक जाओ...”
मै कमरे में पँहुचा और पहुंचते हीं मैंने दरवाजा बंद कर दिया.
सुहाग की सेज पर दुल्हन के लिवाज में बैठी कोमल बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
मै उसके पास गया, उसका गुंघट उठाया, चांद सा चहरा, मांग में सिन्दूर, माथे पे बिंदी, होठ लाल लाल थे, दिल किया इन होठों को रसपान करू, गले में मगलसूत्र.
आआआह कोमल की आह निकली, मैने कोमल के सुर्ख लाल होठों पे अपने होठ रख दिये और चूसने लगा, मैने बहुत लड़कियां चोदी, अपनी भाभी की भी कई बार ले चुका था , पर जो मजा कोमल के होठों में था वो किसी के होठों में मुझे नही मिला.
मैने उसके कंधे पर हाथ रख के उसे निचे लेटने का इशारा किया, वो किसी कठपुतली की तरह लेट गई, मैने उसकी जगह नहीं छोड़ी जहा kiss na किया हो, उसका पूरा शरीर मेरे थूक से गीला हो गया था, मैने उसको उल्टा लेटाया और सारी से छलकते उसके भारी चूतड़ों को अपने हाथो से मथने लगा.
मैने उसको खड़ा किया और दीवार से चिपका दिया फिर क्या था.? पीछे आके मैने उसे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस-कस के उसके मम्मे दबाने लगा. अभिमान से उठी हुई वो दो चूंचियां मुझे चैलेंज दे रही थी।
मेरा पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी उसकी गांड़ के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, सारी फाड़ के घुस जायेगा.
मैंने उसे सामने गुमाया और निचे अपने घुटनों के बल पे बैठने का कहा वो बैठ गई. और मैने अपने पजामे का नाड़ा खोल दिया. फनफ़ना कर मेरा लंड बाहर आ गया.
सुपाड़ा अभी भी खुला था, मोटे आलू की तरह बड़ा और लाल.
मैने उसे मुंह में लेने को कहा तो पहले तो वो मुंह इधर उधर करने लगी. जब मेने एक हीरे की अंगूठी दिलाने को बात कही तो वो बाद में मान गई
उसने पहले तो मेरे लंड को चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे वो लॉलीपॉप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ हीं देर में उसकी जीभ मेरे पी-होल को छेड़ रही थी. वो मेरी तरफ़ देख कर मेरा लंड चूस रही थी जैसे रण्डी चूसा करती हैं।
मै तो हैरान हो गया, पहले तो मना कर रही थी , जब हीरे की अंगूठी दिलाने की बात की तो साली किसी रण्डी की तरह मेरा लंड चूस रही थी, मैने मन में कहा
मैने कस के उसके सिर को पकड़ लिया. उसका एक मेहन्दी लगा हाथ मेरे लंड के बेस को पकड़ के हल्के से दबा रहा था और दूसरा मेरे अंडकोष (Balls) को पकड़ के सहला और दबा रहा था. मै पुरे जोश में आ गया और उसका सिर पकड़ के मै अपना मोटा लंड अंदर-बाहर कर रहा था .
मेरा आधे से ज्यादा लंड अब उसके मुँह में था. सुपाड़ा हलक पे धक्के मार रहा था. जब उसकी जीभ मेरे मोटे कड़े लंड को सहलाती और उसके गुलाबी होठों को रगड़ते, घिसते वो अंदर जाता.... खूब मज़ा आ रहा था मुझे. मै उसके मुंह को चोद रहा था और वो खूब कस-कस के चूस रही थी, चाट रही थी.
मेरा लंड उसके हलक से बार बार टकरा रहा था जिससे उसे उल्टी आ गई
उस कमरे में मुझे चुदाई कई रास्ते दिखे रहे थे, वहा पास में टेबल भी थी , उस पे निहुरा के मै उसकी चूडाई कर सकता, पलंग भी था, और सबसे अच्छी और मेरी फैवरेट दीवार, जी हां खड़े खड़े दीवार पे हाथ रख पीछे से पेलने में जो मज़ा है, वो किसी भी पोज में नही है.
काफी देर land चुसाई और मुख मैथुन के बाद मैन उसे कहा
“दीवार पे हाथ रख के झुक जाओ...”