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Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर..

babasandy

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सुबह के 5:30 बज चुके थे.. रात बीत चुकी थी और सवेरा होने वाला था... दोनों बिल्कुल नंगे थे..
अचानक बिना बताए ठाकुर साहब ने अपनी बीच वाली उंगली मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी की चूत में पेल दि.. मेरी बहन की आधी खुली हुई आंखें अब पूरी खुल गई थी.. वह अपने दोनों जांघों को बंद करने का प्रयास करने लगे... लेकिन ठाकुर साहब ने अपनी कोहनी के ताकत से दोनों जांघों को अलग कर दिया था और अपनी उंगली पेलने लगे.. तकरीबन 2 मिनट के बाद मेरी दीदी शांत हो गई और अपनी टांगों को फैला कर ठाकुर साहब को उंगली पेलने में सहायता करने लगी थी..
ठाकुर साहब की कामुक हरकतों से मेरी रूपाली दीदी की दोनों छातियां फूल के गुब्बारा बन गई थी.. उनके दोनों निपल्स कड़क होकर खड़े हो गए थे और ठाकुर साहब को आमंत्रित कर रहे थे.. गोरी गोरी चुचियों के ऊपर मेरी दीदी का मंगलसूत्र देखकर ठाकुर साहब उत्तेजित हो रहे थे..
ठाकुर साहब की निगाहें मेरी रूपाली दीदी के दोनों गुब्बारों के ऊपर टिकी हुई थी.. बड़ी प्यासी निगाहों से वह मेरी बहन के गुब्बारे को देख रहे थे.. दीदी ने जब देखा कि ठाकुर साहब कहां देख रहे हैं तो वह फिर से शर्म से पानी पानी हो गई..

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मेरी रूपाली दीदी के एक पके हुए आम को ठाकुर साहब ने अपने एक हाथ से दबोच लिया और उनके निपल्स को अपनी जीभ से चाटने लगे थे.. मेरी बहन ने रोकने का बहुत प्रयास किया पर उनकी चूची से दूध की धार निकलने लगी.. और ठाकुर साहब मेरी बहन का दूध पीने लगे.
ठाकुर साहब मेरी बहन की उस चूची को ऐसे दबा रहे थे जैसे कोई बस ड्राइवर अपनी बस की होरन को दबाता है.. और फिर चूस रहे थे.. मेरी बहन की छाती से निकलने वाले मां के दूध को... जिस दूध पर मेरी बहन के बच्चों का अधिकार था उस दूध को एक गुंडा पी रहा था... और मैं हॉल में चुपचाप लेटा सुन रहा था...
मेरी रूपाली दीदी: “म्मम्मम्मम्मम्मम्म” ठाकुर साहब.. प्लीज.. जाने दीजिए ना..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया, बल्कि वह तो मेरी दीदी के ऊपर चढ़ गय और मेरी बहन की दोनों चुचियों को थाम के उनका दूध पीने लगे थे बारी बारी से... कभी दाईं चूची तो कभी बाई.. मेरी रूपाली दीदी उनके नीचे पड़ी हुई तड़प रही थी सिसक रही थी..
ठाकुर साहब अपना पूरा मुंह खोल के जितना संभव हो सके उतना मेरी बहन की छाती को अपने मुंह में लेने का प्रयास कर रहे थे... मेरी दीदी की चूचियां अकड़ के तन गई थी.. और ठाकुर साहब मेरी बहन के पके हुए आम को चूस रहे थे.. उनमें से दूध निकाल रहे थे... ठीक उसी प्रकार से जैसे कि कोई जवान मर्द एक बड़े आम को मुंह में लेकर चूसता है..
किसी गैर मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर उसकी चूचियों से दूध पीने का जो आनंद होता है ,ठाकुर साहब उस आनंद का पूरा मजा लेना चाहते थे.. तकरीबन 10 मिनट तक वह मेरी बहन का दूध पीते रहे..
नीचे ठाकुर साहब की अंगुलियों के जादू से मेरी रूपाली दीदी झड़ गई. और ठाकुर साहब से लिपट कर उनको चूमने लगी..दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए.. एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगे..

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ठाकुर साहब का खड़ा मुसल इधर उधर उछल रहा था... वह अब इंतजार करने के मूड में नहीं थे.. उन्होंने मेरी बहन को बिस्तर पर चित कर दिया और अपना मुसल मेरी बहन के गुलाबी त्रिकोण के ऊपर टिका दिया...
सुबह के 6:00 बज चुके थे सूरज निकल आया था..
ठाकुर साहब पूरी तरह से झुकते हुए मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी बदन के ऊपर छा गए थे.. मेरी बहन भी अपनी जांघों से फैलाए हुए ठाकुर साहब का इंतजार कर रही थी.. अपनी दोनों टांगों को फैला कर मेरी दीदी ने अपनी जांघों को ऊपर की तरफ उठा रखा था..
ठाकुर साहब ने अपने एक हाथ से अपने लंड को मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया .. मेरी रूपाली दीदी ने भी खुद को पूरी तरह से मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था ..फिर मेरी दीदी ने ठाकुर साहब को बांहों में भरते हुए अपने हाथ उनकी पीठ पर जमा दिए ... मेरी बहन भी जानती थी ठाकुर साहब का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था.. मेरी बहन ने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे ठाकुर साहब की कमर पर चिपका दिया ..मेरी रुपाली दीदी जानती थी ठाकुर साहब का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी..
ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की आँखों में गहराई तक झाँका और उसके बाद में उन्होंने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उनका सुपारा मेरी बहन की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता हुआ अंदर फंस गया ..
मेरी दीदी ने अपने दांत ठाकुर साहब के कंधे पर गड़ा दिए थे ताकि उनके मुंह से आवाज ना निकल सके... लेकिन मैं समझ गया था कि अंदर क्या हो रहा है.. ठाकुर साहब ने दूसरा झटका मारा फिर तीसरा.. और पूरा का पूरा मुसल मेरी बहन के गुलाबी छेद में फिट कर दिया... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चिकनी चमेली की दीवारों ने ठाकुर साहब के मुसल को बुरी तरह जकड़ रखा था... ऐसा लग रहा था कि यह छेद ठाकुर साहब के मुसल के लिए बिल्कुल फिट है...
मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह... ठाकुर साहब.. नहीं प्लीज...
इसके बाद ठाकुर साहब ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से मेरी बहन की चूत में पेल दिया था...मेरी बहन के मुंह से फिर से एक कराह निकल गई थी - ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई माम्मामामामामाम्मईईई..


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मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों को थाम के ठाकुर साहब मेरी बहन को पेलने लगे थे... उन्होंने शुरुआत तो बहुत धीरे की थी.. पर कुछ ही देर में उन्होंने अपनी पूरी रफ्तार पकड़ ली.. और मेरी दीदी को अपनी पूरी ताकत से पेलने लगे..
मेरी रूपाली दीदी की चूत पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी उनकी खुली गुलाबी चूत में ठाकुर साहब का लंड अब सटा सट जा रहा था..
उस पुराने पलंग से चर चर चर चर की आवाज आ रही थी.. ऐसा लग रहा था जैसे पलंग टूट जाएगा... मेरी बहन के हाथों की चूड़ी और पैरों की पायल खन खन खन की आवाज निकालते हुए मेरे कानों में गूंज रही थी..
और ऊपर से उन दोनों की कामुक सिसकियां और चीख सुनकर मैं घबराया हुआ था कि अगर मेरे जीजू को ऐसी आवाज सुनाई दे दी तो उनको तो हार्ड अटैक ही आ जाएगा...
मेरी रूपाली दीदी के योनि रस से भीगे होने के कारण उस विशालकाय लंड को अंदर प्रवेश करने को लेकर कोई खास प्रतिरोध का सामना नही करना पड़ा.. ठाकुर साहब पूरी रफ्तार से मेरी बहन को ठोक रहे थे..
मेरी रूपाली दीदी: “मम्ममम्म्म ओफ्फ मैं पागल हो रही हूँ ---- आअह्ह्ह” ठाकुर साहब प्लीज.. अब तो जाने दीजिए ना..
मेरी दीदी के मुंह से ऐसी बात सुनकर ठाकुर साहब तो पागल हो गय और उन्होंने अपने मुसल को मेरी बहन की गुलाबी मुनिया के उस हिस्से पर कस के ठोकर मारी जहां पर दर्द होता है.. मेरी बहन तड़पने लगी..
जवाब में मेरी रूपाली दीदी बड़ी सख्ती से बिस्तर के चादर को दोनों तरफ़ से अपने मुट्ठियों से पकड़ कर भींच ली ----
धीरे धीरे ही सही , पर अब मेरी रूपाली दीदी यौन तनाव में जंगली होती जा रही थी,
“आअह्ह्ह ... प्लीज़ रुकिए --ठाकुर साहब... म्मम्मम !!”
धीरे से ठाकुर साहब के कान में बोल पड़ी ---
इतना सुनना था कि ठाकुर साहब ने अपनी अपनी स्पीड धौंकनी की तरह और बढ़ा दि और मेरी बहन भी अपनी गांड उठा उठा कर उनके स्पीड को मैच करने की कोशिश करने लगी ---
धपप्पप धप्प धपप्पप धप्प! धपप्पप धप्प धपप्पप!! धपप्पप धपप्पप धपप्पप!! धप्प धप्प प्पप्प!!
आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आअह्ह्ह्हह आआऊऊईई!!!
धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप प्पप्पप्प!!
ओह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह आआऊऊईई !!!
धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप !! धप्प धपप्पपप प्प धप्पप्पप्प!!
ह्हह्ह्ह्हह आआऊऊईई !!!!!
!!! धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप धपप्पप्पप !!
पूरे कमरे में बस यही दो आवाजें गूँज रही थीं ;
एक ठुकाई की --- और दूसरी कराहने की ---- !!
मुझे तो बस डर इस बात का था कि अगर मेरे जीजू जग गय तो फिर क्या होगा..
ठाकुर साहब इस वक़्त एक जानवर सरीखा लग रहे थे --- और --- ये बड़ा जानवर न तो अपनी पंपिंग अर्थात, --- चुदाई की गति को कभी धीमा किया,--- उल्टे मेरी रूपाली दीदी को उनके मांसल कमर के चारों ओर से कसकर पकड़ कर --- उनके चूत पर ज़ोरदार बेरहम तरीके से चुदाई चालू रखी --- “आआओओओओह्ह्ह्हघ्घ्घ्घ” ---- एक लंबी और तेज़ चीख.. उनके दोनों पैर सीधे हवा में उठ कर और भी अधिक फ़ैल गए ---
वह जानवर मेरी रूपाली दीदी के टांगों को हवा में फैलाए उनकी चूत को ऐसे भर रहा था जैसे पहले कभी नहीं भरा था !

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हर ज़ोरदार शॉट के बाद थोड़ा सा रुक कर, बड़े आराम से आहिस्ते से लंड को बाहर निकालता --- और जब लगभग पूरा अंदर घुस जाता--- और हर धक्के में इतना दम होता कि उनकी मुनिया में दर्द होने लगा था...
मेरी रूपाली दीदी बुरी तरह से हांफने लगी और उनकी सांसे भारी होने लगी.. दीदी मचल रही थी तड़प रही थी..
मेरी रूपाली दीदी: “उफफ्फ्फ्फ़ ! ---- होफ्फफ्फ्फ़ !----- उफ्फ्फफ्फ्फ़ ! --- आह्ह्ह्ह!!”
ठाकुर रणवीर सिंह नाम के ठरकी बुड्ढे के कूल्हे तेजी से हिलने लगे ---- बुड्ढे का गांड जिस तेज़ी से नीचे आती उसी रफ्तार से मेरी बहन अपनी गांड उठा उठा के उनको सहयोग देने का नाकाम प्रयास कर रही थी..
बीच-बीच में ठाकुर साहब अपनी रफ्तार धीमी कर लेते तब मेरी रुपाली दीदी अपनी साँस को वापस लय में नहीं पा लेती --- और एकबार ऐसा होते ही वो फिर से अपनी गति पकड़ लेते --- और --- इस बार तो और भी अधिक --- और भी प्रचंड तीव्रता के साथ चुदाई प्रारंभ कर दिया उन्होंने तो --- और प्रत्येक ज़ोर के ठाप के साथ उनका लौड़ा और अंदर प्रविष्ट होता जाता --- एक समय तो ऐसा भी लगा की कहीं मेरी बहन बेहोश ही न हो जाए !!

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आखिरकार ठाकुर साहब का भी शरीर अब अकड़ा और काँप उठा ---
और आख़िर में मुँह से एक ज़ोरदार आवाज़ निकालने के साथ साथ एक अंतिम ज़ोर का, जबरदस्त धक्का मारा उन्होंने .
और मेरी रूपाली दीदी भी अपने चूत में ठाकुर साहब के लंड के अकड़न और ऐंठन को भांप कर ख़ुशी और यौन आनंद से
“आअह्ह्ह्ह ऊऊऊऊओ --- ह्ह्ह्हह्ह्ह्हम्मम्मम !!!”
चिल्ला उठी ..
मेरी बहन की नर्म – गर्म चूत में ठाकुर साहब का लंड किसी फौव्वारे की तरह छूट पड़ा था ...गर्म वीर्य पूरे चूत में भर गया ...और थोड़ा सा चूत से बाहर झाँक रहा था ... मेरी बहन की सांसो में मर्दाना वीर्य की खुशबू समाने लगी थी... मेरी दीदी भी उनके साथ ही झड़ गई थी...
ठाकुर साहब ने आराम से अपने विशालकाय घोड़े को बाहर निकाला , मेरी रूपाली दीदी की चूत का मुँह ‘आ’ कर के खुला हुआ रहा , और उसमें से गाढ़ा वीर्य धारा बाहर बह निकली ...
सुबह-सुबह ही मेरी बहन को बुरी तरह पेलने के बाद ठाकुर साहब बुरी तरह थक चुके थे ... लंड को निकाल कर मेरी दीदी के बगल में ही बिस्तर पर धप्प से गिर गए ..
थक तो मेरी रुपाली दीदी भी गई थी..पसीने से तर बतर ..चूत से गर्म वीर्य धारा बहती हुई ...टाँगे अब भी फैले हुए .. बाल बिखरे हुए ...गाल, गर्दन, कंधे, सीने और चूचियों पर लव बाइट्स के कारण बने लाल निशान ...नंग-धरंग पिता समान उम्र वाले एक आदमी के बगल में लेटी --- साँसों को नियंत्रण में लाने की पुरजोर कोशिश करती हुई ..होंठ और किनारों पर लगे ठाकुर साहब के लार को हथेलियों से थोड़ा थोड़ा कर पोछती हुई ..
आँखें बंद कर लेटी रही --- बिल्कुल चित्त....

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poorva

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usake email par tum email karke dekha lo shyad email id galat ho ya use time email karane bolo to usaka dahi I'd tme mil jayega badme wo I'd se register. Kara do
 
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