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मेरा नाम प्रणव है और आज मैं आप सबको, एक “सच्ची कहानी” बताने जा रहा हूँ।।
कहानी वैसे तो आज से कुछ साल पहले की है पर यक़ीनन, आपको मज़ा आएगा।।
कहानी शुरू करने से पहले, मैं आप सबको अपने परिवार के बारे में बता दूँ।।
मेरे परिवार में 4 लोग हैं – मैं, मेरे पापा, मेरी मम्मी और मेरी बड़ी बहन यानी मेरी दीदी।।
मेरी बहन, दूसरे शहर में रह कर पढ़ाई कर रही है।।
मेरे पापा, एक मल्टी नेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी में “प्रोजेक्ट मैनेजर” हैं और ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं।।
उनकी कंपनी के सभी क्लाइंट्स, अनुमन “विदेशी” ही रहते हैं इसलिए बमुश्किल वो साल में एक बार या कभी कभी 2 बार ही घर पर लंबे समय के लिए आ पाते हैं।।
घर पर ज़्यादातर, मैं और मेरी मम्मी अकेले ही रहते हैं।।
अब बात मेरी मम्मी की।।
उनका नाम – महक है। सच कहूँ दोस्तो तो वाकई मेरी मम्मी देखने में बहुत सुन्दर है। उनका रंग बिल्कुल गोरा है और मेरी मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है। उनकी गाण्ड थोड़ी बड़ी है पर चुचे बिल्कुल आकार लिए हुए हैं। पेट सपाट और बाल लंबे हैं। दोस्तो, यूँ तो उनकी उम्र भी ज़्यादा नहीं है।।
असल में, मेरे मम्मी और पापा ने साथ में एक ही कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी।।
दोनों उस दौरान ही प्यार में पड़ गये थे और कॉलेज ख़तम होते होते, मेरी बड़ी बहन मम्मी के गर्भ में थी।।
पापा की नौकरी लगने से पहले ही, दोनों की शादी हो चुकी थी।।
खैर.. !
कम उम्र में माँ बनने का सदमा हो या शुरू में ज़्यादातर पापा के साथ विदेश में रहने का, पर ये बात तो है की वो अपने फिगर को और अपने आपको काफ़ी फिट रखती हैं।।
अब आते हैं, कहानी पर.. ! .. !
उस वक़्त, जब मैं जब काफ़ी छोटा था तब बराबर अपनी मम्मी के साथ बाहर जाता था।।
मैंने कई बार देखा है, अंकल लोगों को मेरी मम्मी के बदन को घूर घूर के देखते हुए।।
वैसे सच कहूँ तो अब समझ आता है, वो लोग ऐसा क्यों करते थे क्यूंकि ज़्यादातर जवानी विदेश में बिताने के कारण, मेरी मम्मी ऐसे कपड़े पहनती थीं की कोई भी मर्द पागल हो जाए।।
उनका स्कर्ट ऐसा होता था की अगर किसी वजह से नीचे झुकना पड़े तो उनकी पैंटी दिखने लगती थी।।
उनकी गोरी जांघें तो हमेशा, उनकी स्कर्ट से साफ दिखती रहती थीं।।
यूँ तो मेरी मम्मी साड़ी बहुत ही कम पहनती हैं पर मेरी मम्मी के जो ब्लाउज हैं, बहुत ही कसे हुए रहते हैं जिनसे उनके “चुचे की घाटी” साफ दिखती रहती है।।
कम उम्र में ही शादी होने और माँ बनने से, उनको अपने आप को जवान और कमसिन दिखाने का कुछ ज़्यादा ही शौक है।।
हाँ तो अब मैं आप सबको अपनी कहानी पर ले आता हूँ।
मेरा एक बचपन का एक दोस्त है – श्लोक।।
श्लोक मेरे ही मोहल्ले में रहता है और उसके पापा, एक बिल्डर हैं।।
बल्कि मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूँ, वो भी उन्हीं का बनाया हुआ है।।
श्लोक के पापा, बहुत “लंबे चौड़े” हैं। देखने में, बहुत ही स्मार्ट और अच्छे हैं। लगभग 6 फीट लंबाई है और उन्होंने बॉडी बनाई हुई है (मतलब कसरती जिस्म है)। अंकल, अपने कॉलेज में बॉक्सिंग किया करते थे सो बिल्कुल फिट आदमी हैं।।
अंकल, मेरी मम्मी और पापा को बहुत अच्छे से जानते हैं क्यूंकि फ्लैट लेने के समय बराबर उनसे मुलाकात होती थी।।
पापा के काम की वजह से, खास तौर से मम्मी से क्यूंकि मम्मी हफ्ते में एक दो बार ज़रूर देखने आती थीं की फ्लैट का काम कितना आगे बढ़ा है।।
पापा कभी कभी, यानी एक दो बार मम्मी के साथ आते थे।।
इधर, मैं और श्लोक एक ही स्कूल में थे सो हमारा बराबर घर आना जाना था।।
कभी वो मेरे घर, कभी मैं उसके घर।।
कई बार ऐसा होता था की बस स्टॉप पर अंकल, श्लोक को छोड़ने आते थे और मम्मी मुझे।।
वहाँ भी, दोनों की बातें होती थीं।।
चूँकि उस वक़्त, हम काफ़ी छोटे थे और मैं और श्लोक आपस में ही बिज़ी रहते थे सो ज़यादा नहीं बता सकता की क्या बातें होती थीं और वैसे भी दोस्तो, उस उम्र में बड़ों की बातें कहाँ समझ आती हैं।।
हाँ पर जैसे जैसे बड़ा हुआ, इतना समझ आता गया की अंकल मेरी मम्मी की गाण्ड और चुचे को देखते रहते हैं।।
मम्मी के टॉप या उनके ब्लाउज में, उनकी “घाटी” दिखती रहती थीं और अंकल कई बार उनकी घाटी को देखते थे।।
मैंने कई बार मम्मी को अपने चुचे ढकते हुए देखा है, अंकल के सामने।।
अब मैं आप सबको, एक “वार्तालाप” बताने जा रहा हूँ।।
ये वार्तालाप अंकल का है, जो वो उनके दोस्तो के साथ कर रहे थे।।
उर्मी आंटी (श्लोक की मम्मी) अपने मायके गई थीं क्यूंकी श्लोक की नानी की तबीयत खराब थी।।
मैं श्लोक के यहाँ गया हुआ था।।
मैं और श्लोक, अपने होम वर्क पर काम कर रहे थे और अंकल आ चुके थे।।रात के 8 बज रहे थे और अंकल अपने 2 दोस्तो के साथ, बैठ के शराब पी रहे थे।।
हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।।
लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !
श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल स्कूल में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !
जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – प्रणव बेटे, यहाँ आना.. !
मैं अंदर चला गया।।
अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !
उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।।
मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !
तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !
अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !
अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।।
पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।।
उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !
सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।।
उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !
अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !
उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !
उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गाण्ड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।।
फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।।
मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।।
मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !
एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।।
कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।।
मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।।
सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।।
लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !
अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।।
31 दिसम्बर की रात थी।।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी।।
जिसमें, हम सब आमंत्रित थे।।
नाच गाना, चल रहा था।।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।।
कहानी वैसे तो आज से कुछ साल पहले की है पर यक़ीनन, आपको मज़ा आएगा।।
कहानी शुरू करने से पहले, मैं आप सबको अपने परिवार के बारे में बता दूँ।।
मेरे परिवार में 4 लोग हैं – मैं, मेरे पापा, मेरी मम्मी और मेरी बड़ी बहन यानी मेरी दीदी।।
मेरी बहन, दूसरे शहर में रह कर पढ़ाई कर रही है।।
मेरे पापा, एक मल्टी नेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी में “प्रोजेक्ट मैनेजर” हैं और ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं।।
उनकी कंपनी के सभी क्लाइंट्स, अनुमन “विदेशी” ही रहते हैं इसलिए बमुश्किल वो साल में एक बार या कभी कभी 2 बार ही घर पर लंबे समय के लिए आ पाते हैं।।
घर पर ज़्यादातर, मैं और मेरी मम्मी अकेले ही रहते हैं।।
अब बात मेरी मम्मी की।।
उनका नाम – महक है। सच कहूँ दोस्तो तो वाकई मेरी मम्मी देखने में बहुत सुन्दर है। उनका रंग बिल्कुल गोरा है और मेरी मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है। उनकी गाण्ड थोड़ी बड़ी है पर चुचे बिल्कुल आकार लिए हुए हैं। पेट सपाट और बाल लंबे हैं। दोस्तो, यूँ तो उनकी उम्र भी ज़्यादा नहीं है।।
असल में, मेरे मम्मी और पापा ने साथ में एक ही कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी।।
दोनों उस दौरान ही प्यार में पड़ गये थे और कॉलेज ख़तम होते होते, मेरी बड़ी बहन मम्मी के गर्भ में थी।।
पापा की नौकरी लगने से पहले ही, दोनों की शादी हो चुकी थी।।
खैर.. !
कम उम्र में माँ बनने का सदमा हो या शुरू में ज़्यादातर पापा के साथ विदेश में रहने का, पर ये बात तो है की वो अपने फिगर को और अपने आपको काफ़ी फिट रखती हैं।।
अब आते हैं, कहानी पर.. ! .. !
उस वक़्त, जब मैं जब काफ़ी छोटा था तब बराबर अपनी मम्मी के साथ बाहर जाता था।।
मैंने कई बार देखा है, अंकल लोगों को मेरी मम्मी के बदन को घूर घूर के देखते हुए।।
वैसे सच कहूँ तो अब समझ आता है, वो लोग ऐसा क्यों करते थे क्यूंकि ज़्यादातर जवानी विदेश में बिताने के कारण, मेरी मम्मी ऐसे कपड़े पहनती थीं की कोई भी मर्द पागल हो जाए।।
उनका स्कर्ट ऐसा होता था की अगर किसी वजह से नीचे झुकना पड़े तो उनकी पैंटी दिखने लगती थी।।
उनकी गोरी जांघें तो हमेशा, उनकी स्कर्ट से साफ दिखती रहती थीं।।
यूँ तो मेरी मम्मी साड़ी बहुत ही कम पहनती हैं पर मेरी मम्मी के जो ब्लाउज हैं, बहुत ही कसे हुए रहते हैं जिनसे उनके “चुचे की घाटी” साफ दिखती रहती है।।
कम उम्र में ही शादी होने और माँ बनने से, उनको अपने आप को जवान और कमसिन दिखाने का कुछ ज़्यादा ही शौक है।।
हाँ तो अब मैं आप सबको अपनी कहानी पर ले आता हूँ।
मेरा एक बचपन का एक दोस्त है – श्लोक।।
श्लोक मेरे ही मोहल्ले में रहता है और उसके पापा, एक बिल्डर हैं।।
बल्कि मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूँ, वो भी उन्हीं का बनाया हुआ है।।
श्लोक के पापा, बहुत “लंबे चौड़े” हैं। देखने में, बहुत ही स्मार्ट और अच्छे हैं। लगभग 6 फीट लंबाई है और उन्होंने बॉडी बनाई हुई है (मतलब कसरती जिस्म है)। अंकल, अपने कॉलेज में बॉक्सिंग किया करते थे सो बिल्कुल फिट आदमी हैं।।
अंकल, मेरी मम्मी और पापा को बहुत अच्छे से जानते हैं क्यूंकि फ्लैट लेने के समय बराबर उनसे मुलाकात होती थी।।
पापा के काम की वजह से, खास तौर से मम्मी से क्यूंकि मम्मी हफ्ते में एक दो बार ज़रूर देखने आती थीं की फ्लैट का काम कितना आगे बढ़ा है।।
पापा कभी कभी, यानी एक दो बार मम्मी के साथ आते थे।।
इधर, मैं और श्लोक एक ही स्कूल में थे सो हमारा बराबर घर आना जाना था।।
कभी वो मेरे घर, कभी मैं उसके घर।।
कई बार ऐसा होता था की बस स्टॉप पर अंकल, श्लोक को छोड़ने आते थे और मम्मी मुझे।।
वहाँ भी, दोनों की बातें होती थीं।।
चूँकि उस वक़्त, हम काफ़ी छोटे थे और मैं और श्लोक आपस में ही बिज़ी रहते थे सो ज़यादा नहीं बता सकता की क्या बातें होती थीं और वैसे भी दोस्तो, उस उम्र में बड़ों की बातें कहाँ समझ आती हैं।।
हाँ पर जैसे जैसे बड़ा हुआ, इतना समझ आता गया की अंकल मेरी मम्मी की गाण्ड और चुचे को देखते रहते हैं।।
मम्मी के टॉप या उनके ब्लाउज में, उनकी “घाटी” दिखती रहती थीं और अंकल कई बार उनकी घाटी को देखते थे।।
मैंने कई बार मम्मी को अपने चुचे ढकते हुए देखा है, अंकल के सामने।।
अब मैं आप सबको, एक “वार्तालाप” बताने जा रहा हूँ।।
ये वार्तालाप अंकल का है, जो वो उनके दोस्तो के साथ कर रहे थे।।
उर्मी आंटी (श्लोक की मम्मी) अपने मायके गई थीं क्यूंकी श्लोक की नानी की तबीयत खराब थी।।
मैं श्लोक के यहाँ गया हुआ था।।
मैं और श्लोक, अपने होम वर्क पर काम कर रहे थे और अंकल आ चुके थे।।रात के 8 बज रहे थे और अंकल अपने 2 दोस्तो के साथ, बैठ के शराब पी रहे थे।।
हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।।
लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !
श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल स्कूल में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !
जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – प्रणव बेटे, यहाँ आना.. !
मैं अंदर चला गया।।
अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !
उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।।
मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !
तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !
अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !
अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।।
पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।।
उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !
सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।।
उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !
अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !
उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !
उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गाण्ड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।।
फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।।
मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।।
मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !
एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।।
कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।।
मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।।
सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।।
लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !
अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।।
31 दिसम्बर की रात थी।।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी।।
जिसमें, हम सब आमंत्रित थे।।
नाच गाना, चल रहा था।।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।।