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Incest मेरी जवानी का उलार - भाग १

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सभी पाठकों को 👏 👏👏 !!!
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई कक्षा में है और मेरे से साल बड़ा है , मेरी आयु हैं और में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।

मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।

एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।

फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।

"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।

दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय ओर एक बेटी कोमल है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।

तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।

मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ सुमन बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।

दोस्तो मेरी बुआ की लड़की सुमन बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।

फिर बुआ ओर सुमन दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।

फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।

अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने

IMG-20230123-004810
मेरी दीदी की कच्छी👆

उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी"✌️ ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,

IMG-20230123-015610

इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........


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If you have any questions regarding this, please open a new thread in Ask Staff.

Thanks
Adirshi
 
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Abhishek Kumar98

Well-Known Member
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सभी पाठकों को 👏 👏👏 !!!
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई दसवीं कक्षा में है और मेरे से दो साल बड़ा है , मेरी आयु चौदह साल हैं और में आठवीं कक्षा में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।

मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।

एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।

फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।

"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।

दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय(आयु 15)ओर एक बेटी कोमल (आयु13 ) है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।

तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।

मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ सुमन बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।

दोस्तो मेरी बुआ की लड़की सुमन बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।

फिर बुआ ओर सुमन दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।

फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।

अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने

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मेरी दीदी की कच्छी👆

उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी"✌️ ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,

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इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........
Congratulations Bhai for your new thread Bhai Ek hero rakhna aur usse hi sab ladies aur girls ko chudawana aur hero ki ge badha do kuch bhi sexual karne se pehle ya porn dekhna ka seen dikhane se pehle please Ravi se hi chudawana sabko
 
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Nasn

Well-Known Member
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भाई
बहुत गज़ब थ्रेड है ।
क्या बाप बेटी को
और फूफा जी साले की बेटी को चोदेगा

फूफा जी और बीबी की भतीजी की
चुदाई वाली थ्रेड नगण्य हैं।

भाई.... प्लीज मज़ा आएगा।
 
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Ek number

Well-Known Member
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सभी पाठकों को 👏 👏👏 !!!
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई दसवीं कक्षा में है और मेरे से दो साल बड़ा है , मेरी आयु चौदह साल हैं और में आठवीं कक्षा में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।

मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।

एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।

फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।

"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।

दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय(आयु 15)ओर एक बेटी कोमल (आयु13 ) है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।

तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।

मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ सुमन बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।

दोस्तो मेरी बुआ की लड़की सुमन बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।

फिर बुआ ओर सुमन दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।

फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।

अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने

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मेरी दीदी की कच्छी👆

उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी"✌️ ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,

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इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........
Nice start
 
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सभी पाठकों को 👏 👏👏 !!!
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई दसवीं कक्षा में है और मेरे से दो साल बड़ा है , मेरी आयु चौदह साल हैं और में आठवीं कक्षा में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।

मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।

एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।

फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।

"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।

दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय(आयु 15)ओर एक बेटी कोमल (आयु13 ) है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।

तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।

मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ अंजली बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।

दोस्तो मेरी बुआ की लड़की अंजली बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।

फिर बुआ ओर अंजली दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।

फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।

अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने

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मेरी दीदी की कच्छी👆

उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी"✌️ ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,

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इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........
 
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ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........

अब आगे..... ( मेरी जवानी का उलार २)

मैं फिर बाथरूम में गया और हाथ मुँह धोकर आया ,चेहरे पर क्रीम लगाई बालो पर तेल परफ्यूम छिड़कर बाहर आया दीदी से सामान का पर्चा लिया और अपनी साइकिल उठाई और बाज़ार की ओर निकल गया।

हमारे घर से 5किलोमीटर की दूरी पर ही सब्जी मंडी है तो में वहा गया और जो दीदी ने पर्चा दिया था सब्जी का वहः पड़के सब्जियां लेने लगा
गोबी एक kg, गाजर एक kg, आलू2kg, मटर2kg, भिंडी आधा kg, प्याज़2kg, लोकी1kg, करेला1kg ओर फिर यह सब समान लेकर वापस लौट आया,
दीदी ,,,, देखो में ले आया सामान ,,, अंजली दीदी ठीक है भाई वही किचन में रख दें,,,, दीदी ने आवाज लगाई बाथरूम से,,,,
में ठीक कह कर वही रख दिया और अंदर कमरे में जाकर tv चला दी ,,,,
थोड़ी देर बाद दीदी आयी नहा कर ओर मुझसे बोली ,,भाई तू जरा आलू मटर गाजर को छीलकर साफ कर दे में अभी आयी ,, ओर दीदी फिर कमरे में चली गयी,,,

मेने फिर सारा काम तुरंत कर लिया ,,, ओर फिर बैठकर tv देखने लगा, तभी दीदी भाई कितने की आयी सब्जी , मेने कहा 140कि ओर फिर tv में मशगूल हो गया।

फिर अंजली दीदी किचन में खाना बनाने चले गई ,,,,, ओर एक घन्टे बाद बोली आ जा भाई खाना रेडी है,,,
में उठकर गया और फिर हमने खाना खाया वेसे दीदी ने आज मेरी पसंद की सब्जी बनाई थी ,, मिक्स वेज ,, फिर खाना खा कर दीदी किचन में गई बर्तन धोने को ओर में छत में गया धूप में बैठने को ,, तभी कुछ देर बाद मेरी नज़र दीदी के कपड़ो पर गई ,,, दीदी की लाल सूट हरी सलवार ओर काली पेंटी ओर सफ़ेद बनियान (ब्रा) पर,,, मेरी मन मे फिर पहले वाली ही घन्टी बजने लगीं जो बाथरूम में बजी थी,,
ओर मेरी सुसु तनने लगी में सोच में पड़ गया कि यह हो क्या रहा है मेरे साथ , क्योंकि दोस्तो में सिर्फ का था और यह उम्र तो बचपन की होती है इस समय तो किसी भी चीज का इस प्रकार से अहसास नही होता , में बहुत सीधा साधा लड़का था दुनिया दारी से अलग मुझे तो अपनी सुसु का भी मतलब ओर यह क्या काम आता है ये सब भी पता नही था एकदम मासूमियत से भरा था में ,, पर मे जबभी सुमन दीदी के कपड़े देखता तो पता नही मेरे अंदर क्या हो जाता था ओर मेरी सुसु तनने लगती थी।
खेर फिर मेने अपना ध्यान हटाया ओर फोन में गाने सुनने लगा तभी सुमन दीदी की आवाज सुनाई दी ,, भाई भाई,,,नीचे आवो जल्दी से,,,,
में उठकर गया ,,दी क्या हया,, दीदी अरे तू ऊपर क्या कर रहा तुझे पढ़ाई नही करनी क्या चल पढ़ाई कर,,,,
में भी हाँ कहकर रूम में गया और पढ़ाई करने लगा अब शाम के 5बज रहे थे तो दीदी मेरे ओर अपने लिए चाय लेकर आई, ले भाई चाय पी पहले फिर पड़ लेना ,,, में भी उनकी बात मान कर चाय पीने लगा ,,, चु सुऊप ,,,फिर चाय खत्म हुई तो दीदी कप लेकर किचन में गई और में पढ़ाई करने लगा फिर सुमन दीदी आयी और मुझे पढ़ाने लगी ,,, थोड़ी देर पड़ने के बाद मेरी नज़र दीदी की छाती पर पड़ी दीदी ने चुनरी नही पहनी थी तो इस वजह से उनकी छाती साफ साफ दिखाई दे रही थीं मेने अपनी नज़र वहां से हटाई पर फिर नज़र वही पर टिक जा रही थी और इस कसमसाहट के बीच मेरी सुसु फिर तनने लगी मुझे रहा नही जा रहा था में अंदर ही अंदर बेचन हो रहा था,
मेरी इस बेचैनी को दीदी ने भांप लिया और कहि ,,,, भाई क्या हुआ तुझे तेरी तबीयत तो ठीक है न,,,, मेने भी हां कह कर बात को वही समाप्त कर दिया,, ओर दीदी से कहा कि मुझे बाथरूम लगी है जोर की ,,
दीदी,,, तो जल्दी जा फिर क्यो रोक कर रखी तूने भाई,,,,
ओर में उठकर सुसु करने चला गया ,, सुसु करते वक़्त मेरी सुसु की जगह से चिपचिपा सा तरल निकला में फिर अचंभित हो गया कि यह क्या है और सोचने लगा कि जबभी दीदी के कपड़े और उनके शरीर को देखता हूँ तो यह निकलता है ,, खेर फिर में बाथरूम से आया और पढ़ाई करने लगा , दीदी ,, भाई कभी भी बाथरूम नही रोकते है समझें,,, में भी हां कह कर पढ़ाई पर ध्यान रखना शुरू कर दिया,,,
दीदी ,, रात को क्या बनाना है आज ,,,,
में,,, जो भी आपकी इच्छा हो बना लेना दीदी ,,
दीदी,, ठीक है आज दाल बनाऊँगी ठीक है,,,,
में ,,, हम्म्म्म ठीक है,,
फिर दीदी किचन में गई और बर्तन साफ करने लगी और में पढ़ाई करने लगा ।

रात को हमने फिर खाना खाया और अपने अपने रूम में सोने चले गए ।
अगले दिन मम्मी पापा शादी से वापस आ गये ओर दीदी भी अपने घर चली गयी ।
मम्मी ने कहा बेटे सब ठीक था न दीदी को तूने परेशान तो नही किया न ओर पढ़ाई करता था कि नही ?
मेने मम्मी को हाँ ,,, में जवाब दे दिया। समय बीतता गया मेरे पेपर भी हो गए और में पास भी हो गया था । पापा ने नई साइकिल ला कर दी मुझे ओर में बहुत खुश हुआ।

फिर कुछ महीनों बाद मेरे बुआ को छोटी बेटी के साथ दिल्ली जाना किसी रिश्तेदार की शादी में तो फिर वहः बड़ी बेटी यानी अंजली दीदी को हमारे यहाँ पर छोड़कर चली गयी ।
दीदी के आने से घर मे अलग ही रौनक आ गई हम बहुत ज्यादा मस्ती करते खेर पापा को कुछ दिनों को अपनी कम्पनी के काम से बाहर जाना था और अगले दिन वहः सुबह निकल गए । अब घर मे मम्मी हम दोनो भाई और अंजली दीदी थे । में ओर भाई अपना स्कूल जाते और दीदी घर मे मम्मी के साथ काम मे हाथ बटाती , रात को खाने के बाद मम्मी को मामाजी का फोन आया कि कुछ काम है जरूरी तो तुम अनु के साथ रहने को आजावोगी ,,, मम्मी ने हमारी तरफ देखा और हम दोनों भाइयों ने हाँ कह दी ,,, मम्मी ठीक है भाई में कल आ जाऊंगी नीरज को लेकर ओके बाए,,,,, ओर फोन काट दिया।

मम्मी कहने लगीं बेटा में कल नीरज के साथ तेरे मामा के यहाँ जा रही हु तू दीदी को तंग मत करना ,,, तभी दीदी बोली नही मामी जी आप आराम से जाइये इसका ध्यान में रख लुंगी ,,,,,।
मम्मी ने दीदी का शुक्रिया किया और फिर सुबह को चली गयी भाई के साथ मे।
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Thanks
Adirshi
 
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sunoanuj

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Khani jabardast hai … story ka plot bhi gajab hai … waiting for next update please
 
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