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सभी पाठकों को !!!
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई कक्षा में है और मेरे से साल बड़ा है , मेरी आयु हैं और में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।
मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।
एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।
फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।
"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।
दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय ओर एक बेटी कोमल है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।
तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।
मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ सुमन बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।
दोस्तो मेरी बुआ की लड़की सुमन बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।
फिर बुआ ओर सुमन दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।
फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।
अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने
मेरी दीदी की कच्छी
उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी" ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,
इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........
मेरा नाम रवि है, हमारा घर रामनगर में है जो बहुत ही सुंदर शहर है , मेरे घर मे चार लोग है, मम्मी पापा भाई और मैं।
मैं सबसे छोटा हु मेरे से बड़ा एक भाई है ,मेरे पापा एक कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर कार्यरत हैं मम्मी हाउसवाइफ है , भाई कक्षा में है और मेरे से साल बड़ा है , मेरी आयु हैं और में पड़ता हूं मुझे पड़ने में ज्यादा रुचि नहीं है पर भाई पढ़ाई में होशियार है और पापा उसे इस वजह से ज्यादा प्यार करते हैं पर इसा नही की मेरे से न करते हो पापा मुझे भी प्यार करते है पर उनका कहना यही है कि तू भी पढ़ाई कर अच्छे से भाई की तरहः अपनी बस बाकी कुछ नि ।
मेरे पापा का नाम भगवती प्रशाद (आयु39 )ओर मम्मी का नाम सुमन (आयु34) है।
एक दिन पापा ड्यूटी जल्दी घर पर आए और मम्मी को कहा कि सुमन सुनो वो ताऊजी के लड़की की शादी की डेट फिक्स हो गयी अगले महीने की 24तारिक औऱ ताऊजी का फोन आया था और कह रहे थे कि तम्हें सपरिवार आना है और वो भी एक हफ़्ते पहले ?
मम्मी- अरे जी ऐसा कैसे हो सकता है अगले महीने तो रवि के पेपर है तो हम सब कैसे जा सकते है वहाँ शादी में सभी लोग कोई तो होना चाहिये न घर मे ।
पापा- वो तो तेरी बात सही है पर क्या करे जाना तो पड़ेगा न किसी को ,
मम्मी-- हाँ जी तो आप औऱ नीरज चले जाना ( बड़ा भाई का नाम है) में रवि के साथ यहां रह लुंगी उसकी साल भर की मेहनत का इम्तिहान है अगर फेल हो गया तो बड़ा नुकसान हो जाएगा उसका ओर हमारा ।
पापा- हम्म्म्म ठीक है जैसा तुम कहो।
फिर दिन बीतते गए और शादी से दो दिन पहले रात को पापा को बड़ी बुआ का फोन आया कि में भी चलूंगी तुम्हारे साथ शादी में ,
तो पापा ने भी हामी भर ली ।
"!! थोड़ा अपनी बुआ ओर पापा जी के परिवार के बारे में बता देता हूं आपसभी को -- मेरे पापाजी एक भाई और दो बहनें है सबसे बड़ी मेरी बुआ है फिर पापा जी और फिर एक बुआ।
मेरी पहली बुआजी का नाम रेणुका (आयु45) और फूफा जी का नाम रामेश्वर (आयु50 )है उनकी दो बेटी है एक का नाम अंजली (आयु26) और दूसरी का पूनम(आयु 20) है।
दूसरी बुआ का नाम निर्मला (आयु35 )ओर फूफाजी का नाम आलोक(आयु 39) है उनके दो बच्चे है एक बेटा अजय ओर एक बेटी कोमल है।""""
अब आप लोग समझ गए होंगे मेरे पापाजी के परिवारजनों के विषय मे तो फिर अब जहाँ से बात छोड़ी थी वही से आगे बढ़ते हैं।
तो बुआ ने कहा तुम तो सभी जनें चल रहे होंगे शादी में ?
तो पापाजी ने कहा नही दीदी में ओर नीरज बेटा चल रहे है वो रवि बेटे के पेपर है तो इसलिए सुमन यही रहेगी उसके साथ में उसके लिए खाना बनाने को क्योंकि उसे कुछ नही आता दीदी ओर अभी छोटा है रवि बेटा उसे अकेले नही छोड़ सकते है।
बुआ अरे इतनी सी बात है तो में एक काम करती हूं अंजली बिटिया को लेकर आती हूं साथ मे और वह रह लेगी रवि बेटे के साथ मे ओर फिर हम सभी लोग चलते है।
पापाजी बोले ये तो सही कहा आपने दीदी ऐसा ठीक रहेगा और फिर हमें भी कोई चिंता फिकर नही रहेगी , अंजली बेटी उसे खाना पका के भी खिला लेगी ओर पेपर की तैयारी भी करवा लेगी ,,,,ह्म्म्म यह सही है दीदी!!!
बुआ बोली ठीक है फिर ऐसा ही सही रहेगा भाई ओर फिर पापाजी ओर बुआ जी ने फोन रख कर बाते खत्म कर दी।
मम्मी ने पापाजी से पूछा कि क्या कह रही थी दीदी ? तो पापाजी ने बता दी सारी बात तो मम्मी बोली ये तो अच्छा हुआ सुमन बेटी समझदार ओर पढ़ाई में भी होशियार है अगर वहः ईसे पढ़ाएगी तो यह बुधु बेटा जरूर पास हो जाएगा ओर हमे भी कोई टेंशन नही रहगी ।
दोस्तो मेरी बुआ की लड़की सुमन बहुत ही होनहार है वहः अभी बीकॉम की पढ़ाई कर रही हैं और साथ मे एक मालिटीनेशनल कम्पनी में जॉब भी करती हैं।
फिर बुआ ओर सुमन दीदी हमारे यहाँ सबुह को ही पहुँच गए और फिर हम सबने नाश्ता किया फिर मम्मी पापा भाई बुआ ओर उनकी छोटी बेटी ये सब लोग जाने को तैयार हो गए मेरा बड़ा भाई टेक्सी करके ले आया सभी उसमें बैठकर चल दिये अब एक हफ्ते तक मेरी दीदी ही मेरी गार्जन थी।
फिर दिन के समय दीदी बोली कि रवि क्या खावोगे तुम तो मेने भी अपनी पसंद की फ़रमाइश कह दी और दीदी ने भी झट से बनाकर मुझे खिला दिया । रात को दीदी ने मुझे पढ़ाया ओर वास्तव में दीदी पढ़ाती बहुत ही सुंदर तरिके से उनका पढ़ाना मुझे अच्छा लगता ओर मुझे समझ में भी सही से आने लगा था फिर रात 11बजे तक पढ़ने के बाद दीदी मुझे बोली कि रवि अब सो जावो ओर हां सुबह 5बजे उठकर पढ़ाई करना ठीक है मेने भी हां में जावब दिया और फिर हम दोनों सो गए ।
अगकी सुबह 5बजे मेरी दीदी ने मुझे उठाया और पढ़ने को कहा में भी मुह धोकर पड़ने को बैठ गया पर नींद के मारे मेरी आँखें नही खुल रही थी में फिर थोड़ी देर बाद सो गया था। फिर दीदी ने आवाज लगाई रवि उठ जा ,,,,, में हड़बड़ी में उठा और देखा तो दीदी मेरे सामने किसी विकराल रूप में खड़ी हुई थी ,,,,, में सहम गया और फिर दीदी बोली हो गई तेरी पढ़ाई ,,,,,,अब तो उठ जा भाई सुबह के 9बज चुके है में फट से उठकर बाथरूम में दौड़ा,,,,,,,, वहा फ्रेश हुआ ब्रश किया और हाथ मुह धोकर बाहर आने लगा पर तभी मेरे पैर पर कोई चीज उलझीं मेने नीचे झुककर देखा तो वहाँ मेरी दीदी के नहाएं वाले कपड़े पड़े थे मेने उन्हे उठाकर अलग साइड में रखने लगा पर तभी दीदी की कच्छी नीचे गिर गई मेने उनकी कच्छी को उठाया और साइड में रख दी और इस बीच में मेरे शरीर मे एक बहुत तेज झनझनाहट हुई मानों कोई तेज करंट लगा हो , कुछ समय के लिए में सहम गया फिर कुछ समय पश्चात मेने
मेरी दीदी की कच्छी
उनकी कच्छी को हाथ में लिया और हर तरफ से टटोलने लगा और मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा मेने उस जगह को हाथ से मला तो वहां पर सफेद सफेद सा कुछ गोंद की तरहः चिपका हुआ था और उसकि महक बहुत तेज आ रही थी जिससे मेरे नाकों के सुराग फड़फड़ाने लगें दिमाग घूमने लगा और में सोच में पड़ गया की यह क्या चीज है और यह मेने पहली बार देखी एवं महशूस किया है में अचंभित था , फिर मेने देखा कि मेरी दीदी की कच्छी मेरे कच्छे से अलग थी वहः किसी विक्ट्री के साइन की तरहः थी" ...V आकार में। मेरे मन मे हलचल पैदा होने लगी मेने दीदी की कच्छी को सूंघा तो एक तेज गन्द आ रहीं थी उस स्थान से जहाँ पर वहः चिपचिपा सा लगा था मे उंगली से उस जगह को मलने लगा ओर कुछ देर में वहः चिपचिपा प्रदार्थ मेरी उंगली पर इकट्ठा हो गया में सोच में पड़ गया कि यह है क्या बला ओर कच्छी के भाग से उसका वास्तविक रंग फीका पड़ गया था वहाँ पर एक सफ़ेद सी लम्भी चौड़ी लकीर पड़ गई थी मेने दीदी की कच्छी को वेसे ही रख दिया और फिर मूझे दो कटोरी सी कुछ दिखी मेने उन्हें उठाया और उत्सुकता से देखने लगा और यह महिलाओं की बनियान होती है इसके बारे में मुझे मालूम था क्योंकि मेने अपनी मम्मी को देखा था इन्हें बहार सुखाते हुए छत पर कई बार , मेरी दीदी की जो ये बनियान के दो कटोरियाँ थी यह काफी गहरी थी कोई भी आराम से इनमें डाल कर दाल रोटी खा सकता हैं,
इन्ही कसमसाहट में मुझे महसूस हुआ कि मेरी सुसु निकल गईं मेंने अपनी पेंट की जीप खोली ओर मूतने लगा फिर मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ में घबरा गया और सोचने लगा इसी तरह का चिपचिपा तो दीदी की कच्छी पर भी था और इस बीच मे मेरी सुसु तनने लगी उसका आकार एका एक बड़ने लगा और मुझे अजीब सा लगने लगा में तुरंत बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे में चले गया फिर कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो गया में आराम से नास्ता किया दीदी ने आज पनीर के पराठे बनाये थे जो मेरे फेबरेट थे ,, तभी दीदी बोली अरे भाई आज रात को क्या बनाऊं तेरे लिए ,,,, मेने कहा कुछ भी बना लो दीदी जो आपको सही लगे , फिर दीदी ने एक पर्चा थमा दिया मुझे ओर बोली ये ले पैसे और थोड़ी देर बाद यह सामान लेकर आ जाना ठीक है और दीदी किचन में चली गई.........
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Thanks
Adirshi
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