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बात दो साल पहले की है, मैं अपनी बड़ी बहन रेनू के घर गया था. दिसम्बर का महीना था.. ठण्ड काफ़ी थी. वहाँ दीदी के देवर की शादी होने वाली थी. शादी 22 तारीख को थी. मैं 4 तारीख को ही वहां का इन्तजाम देखने और शादी की तैयारी करने गया था. बारह तारीख तक मैंने वहां का सारा इन्तजाम कर दिया. सारी शॉपिंग हो चुकी थी. चौदह तारीख को मैंने मेरे वापस घर जाने का एक फर्स्ट क्लास एसी का टिकट ले लिया और फिर मुझे 19 को अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर शादी में शरीक होना था.
उस दिन दोपहर को दो बजे की ट्रेन थी. तभी मेरी 18 साल की भांजी पिंकी ने जिद करना शुरू कर दिया कि वो भी मेरे साथ मामी को लेने जाएगी. सब लोगों ने उसे समझाया, पर वो नहीं मानी. तब मेरे जीजा ने उसे जाने की इजाजत दे दी. हमने किसी तरह टीटी को पैसे देकर अपने कम्पार्टमेंट में बर्थ का इन्तजाम किया.
ट्रेन एक घन्टे लेट आई, हम दोनों ट्रेन में बैठ गए. मेरे ही कूपे में एक नया जोड़ा भी था. जब ट्रेन चली तो पता चला कि दोनों की एक हफ्ते पहले ही शादी हुई है.
वो जोड़ा नीचे की एक बर्थ पर इकट्ठे बैठे थे और हंसी मजाक कर रहे थे. कभी कभी एक दूसरे को चूम भी ले रहे थे.
मुझे ये सब नोनवेज कारनामे देख कर मजा आ रहा था, लेकिन पिंकी की वजह से मैं उसे ठीक से नहीं देख पा रहा था. मैं पिंकी से नजरे बचा कर उन दोनों की रासलीला का मजा ले रहा था. मैंने गौर किया कि पिंकी भी छुपी नजरों से ये सब खेल देख रही थी.
करीब साढ़े सात बजे खाना आ गया. सबने खाना खाया. मैं वहीं लेट गया और पिंकी मेरे पेट के पास बैठ कर एक मैगज़ीन पढ़ने लगी. तभी उस लड़के ने अपनी पत्नी को गोद में बैठा लिया और उसके होंठ चूसने लगा. मुझे ये सब देख कर मस्ती आने लगी. पिंकी भी बुक पढ़ते हुए मुझ से नजरें बचा कर उन दोनों को देख रही थी. तभी उस लड़के ने लड़की की चूचियों को मसलना चालू कर दिया.. लड़की कसमसाने लगी.
मैंने पिंकी की तरफ देखा, वो बिना पलकें झुकाए दोनों का खेल देख रही थी. उसकी साँसें तेज चल रही थीं. मैं समझ गया कि पिंकी को जवानी के इस खेल में मजा आ रहा था और वो इस खेल को समझ रही थी. पिंकी के उभार दिखने लगे थे. उसकी छातियां तेज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था. मैं पिंकी की छोटी-छोटी चूचियों को उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे होते देखकर भूल गया कि वो मेरी भांजी है और अभी छोटी है. भानजी की गदराई जवानी देख मेरी लार टपक गई.
जब मैंने देखा कि उस लड़के ने अपना हाथ लड़की के कुरते में डाल दिया और चूची जोर जोर से मसलने लग़ा, तब पिंकी का चेहरा तमतमा गया. मैं गौर से पिंकी के चेहरे को देखने लगा. तभी पिंकी की नजर मुझ पर पड़ी.. मैं मुस्कुरा दिया, वो झेंप गई और किताब पढ़ने लगी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रख दिया. उसने कोई रियेक्ट नहीं किया. मैंने हाथ का दबाब बढ़ाया, वो बिना मेरी तरफ देख मुस्कुरा दी. मैं समझ गया कि आज मेरी किस्मत खुलने वाली है. मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया. अब उसकी साँसों की आवाज़ आने लगी.. वो लगभग हांफ़ने लगी. इधर उस लड़के ने चादर निकाल ली और ओढ़ लिया. अब वो दोनों चादर के अन्दर थे.
इसके बाद उस लड़के ने लड़की की चूची को निकाल कर चूसना शुरू कर दिया, जो कि चादर के ऊपर से ही समझ आ रहा था. मेरी नजर फिर पिंकी की नजर से मिली. इस बार पिंकी मुस्कुरा दी. तभी उस लड़के ने उठ कर लाइट को ऑफ कर दिया, कूपे में अँधेरा हो गया. फिर कपड़ों के सरकने की आवाज होने लगी.
तभी मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने पिंकी को अपनी ओर खींच लिया और उसे चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं पागलों की तरह उसके होंठ चूस रहा था. वो अपना बदन मेरे बदन से रगड़ रही थी. मैं एक हाथ से उसकी नन्हीं चूचियों को मसलने लगा. फिर मैंने उसके कुर्ते को निकाल दिया और उसकी चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो हांफ रही थी.. वो मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैंने उसे बांहों में भींच लिया और उसकी सलवार को उतार दिया साथ ही पैंटी भी निकाल दी.
अन्धेरे में मुझे उसका बदन दिख नहीं रहा था, पर ये एहसास हो रहा था कि मेरी बांहों में एक नाजुक कोमल फूल है, जिसका मैं रस पीने वाला हूँ.
उस दिन दोपहर को दो बजे की ट्रेन थी. तभी मेरी 18 साल की भांजी पिंकी ने जिद करना शुरू कर दिया कि वो भी मेरे साथ मामी को लेने जाएगी. सब लोगों ने उसे समझाया, पर वो नहीं मानी. तब मेरे जीजा ने उसे जाने की इजाजत दे दी. हमने किसी तरह टीटी को पैसे देकर अपने कम्पार्टमेंट में बर्थ का इन्तजाम किया.
ट्रेन एक घन्टे लेट आई, हम दोनों ट्रेन में बैठ गए. मेरे ही कूपे में एक नया जोड़ा भी था. जब ट्रेन चली तो पता चला कि दोनों की एक हफ्ते पहले ही शादी हुई है.
वो जोड़ा नीचे की एक बर्थ पर इकट्ठे बैठे थे और हंसी मजाक कर रहे थे. कभी कभी एक दूसरे को चूम भी ले रहे थे.
मुझे ये सब नोनवेज कारनामे देख कर मजा आ रहा था, लेकिन पिंकी की वजह से मैं उसे ठीक से नहीं देख पा रहा था. मैं पिंकी से नजरे बचा कर उन दोनों की रासलीला का मजा ले रहा था. मैंने गौर किया कि पिंकी भी छुपी नजरों से ये सब खेल देख रही थी.
करीब साढ़े सात बजे खाना आ गया. सबने खाना खाया. मैं वहीं लेट गया और पिंकी मेरे पेट के पास बैठ कर एक मैगज़ीन पढ़ने लगी. तभी उस लड़के ने अपनी पत्नी को गोद में बैठा लिया और उसके होंठ चूसने लगा. मुझे ये सब देख कर मस्ती आने लगी. पिंकी भी बुक पढ़ते हुए मुझ से नजरें बचा कर उन दोनों को देख रही थी. तभी उस लड़के ने लड़की की चूचियों को मसलना चालू कर दिया.. लड़की कसमसाने लगी.
मैंने पिंकी की तरफ देखा, वो बिना पलकें झुकाए दोनों का खेल देख रही थी. उसकी साँसें तेज चल रही थीं. मैं समझ गया कि पिंकी को जवानी के इस खेल में मजा आ रहा था और वो इस खेल को समझ रही थी. पिंकी के उभार दिखने लगे थे. उसकी छातियां तेज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थीं. मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था. मैं पिंकी की छोटी-छोटी चूचियों को उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे होते देखकर भूल गया कि वो मेरी भांजी है और अभी छोटी है. भानजी की गदराई जवानी देख मेरी लार टपक गई.
जब मैंने देखा कि उस लड़के ने अपना हाथ लड़की के कुरते में डाल दिया और चूची जोर जोर से मसलने लग़ा, तब पिंकी का चेहरा तमतमा गया. मैं गौर से पिंकी के चेहरे को देखने लगा. तभी पिंकी की नजर मुझ पर पड़ी.. मैं मुस्कुरा दिया, वो झेंप गई और किताब पढ़ने लगी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रख दिया. उसने कोई रियेक्ट नहीं किया. मैंने हाथ का दबाब बढ़ाया, वो बिना मेरी तरफ देख मुस्कुरा दी. मैं समझ गया कि आज मेरी किस्मत खुलने वाली है. मैंने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया. अब उसकी साँसों की आवाज़ आने लगी.. वो लगभग हांफ़ने लगी. इधर उस लड़के ने चादर निकाल ली और ओढ़ लिया. अब वो दोनों चादर के अन्दर थे.
इसके बाद उस लड़के ने लड़की की चूची को निकाल कर चूसना शुरू कर दिया, जो कि चादर के ऊपर से ही समझ आ रहा था. मेरी नजर फिर पिंकी की नजर से मिली. इस बार पिंकी मुस्कुरा दी. तभी उस लड़के ने उठ कर लाइट को ऑफ कर दिया, कूपे में अँधेरा हो गया. फिर कपड़ों के सरकने की आवाज होने लगी.
तभी मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने पिंकी को अपनी ओर खींच लिया और उसे चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं पागलों की तरह उसके होंठ चूस रहा था. वो अपना बदन मेरे बदन से रगड़ रही थी. मैं एक हाथ से उसकी नन्हीं चूचियों को मसलने लगा. फिर मैंने उसके कुर्ते को निकाल दिया और उसकी चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा. वो हांफ रही थी.. वो मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई. मैंने उसे बांहों में भींच लिया और उसकी सलवार को उतार दिया साथ ही पैंटी भी निकाल दी.
अन्धेरे में मुझे उसका बदन दिख नहीं रहा था, पर ये एहसास हो रहा था कि मेरी बांहों में एक नाजुक कोमल फूल है, जिसका मैं रस पीने वाला हूँ.