अध्याय - 20
ट्रेन से उतर कर हम लोग स्टेशन से बाहर आ गये,
एक ऑटो में बैठ कर हम लोग ने राजश्री के ऑफिस के नज़दीक ही एक होटल में कमरा ले लिया,
रिसेप्शन पर एक सुन्दर सी लड़की जो ब्लैक सूट में थी, उसके सूट का गला बहुत डीप था,
उसने हमे गुड मॉर्निंग कहा और रजिस्टर में नाम लिखने लगी, हमने आई डी प्रूफ दिया, जब सारी फोर्मलिटी हो गया था वो लड़की रमेश को देख कर मुस्कुराई,
रिसेप्शन वाली लड़की - सर आपकी वाइफ बहुत सुन्दर है, एन्जॉय कीजिये, आपको किसी चीज की जरूरत होगी तो प्लीज आप हमें फोन कर दीजिये, आपका वीकेंड हैप्पी हो.
हमने थैंक्स कहा, और जैसे वह से घूमे अपने कमरे जाने के लिए हम दोनों को हसी आ गई, हस्ते हस्ते अपने कमरे तक पहुंचे और राजश्री तो और जोर जोर से हसने लगी,
राजश्री - इस लड़की ने मुझे वाइफ बोला, मुझे बहुत हसी आ रही है….
इस तरह से हम दोनों एक दूसरे को देखकर हसने लगे, फिर हम दोनों फ्रेश हुए, सुबह होने में अभी समय था तो हम लोग थोड़ी देर के लिये सा गये,
सुबह उठ कर राजश्री के इंटरव्यू वाले ऑफिस की लोकेशन की और चल निकले,
सब कुछ अच्छा हुआ, राजश्री सेलेक्ट हो गई, हम दोनों काफी खुश थे, लेकिन ऑफिस में बैठा प्रत्येक व्यक्ति राजश्री को ऐसे देख रहा था कि अगर मौक़ा मिले टी साले अभी राजश्री को पटक कर चोद दे,
अभी दोपहर के दो के आसपास बज रहे थे, हम लोग घूमने लग गये, शाम को सात बजे तक घूमते रहे और अभी भी बहुत सी जगह देखने के लिए बाक़ी थी,
बाक़ी की जगह कल देखने के लिए सोच कर हम लोग वापस होटल की तरफ़ जाने लगे, रास्ते में एक पार्क में मैंने एक कपल को देखा जो पार्क में बेंच पर ही गोद में बैठाकर चुदाई कर रहे थे,
हमारा ध्यान उनकी तरफ़ जब गया, जब आअह आआह आआअह की आवाज आ रही थी, और वो लड़की कह रही थी,
चुद रही लड़की - भैया धीरे धीरे चोदो दर्द हो रही है, और जल्दी चलो घर मम्मी पापा इंतज़ार कर रहे होंगे,
हम दोनों एक दूसरे का मुह देखने लगे और वो दोनों भाई बहन थे,
थोड़ी देर देखने के बाद हम दोनों एक दूसरे से नज़रे बचाते बचाते होटल में आ गये, और ये सोचने लगे कि चलो सब का अपना अपना ज़िंदगी जीने का तरीका है,
उसके बाद उस शाम को राजश्री को मेरे देखने का तरीका ही चेंज हो गया,
मैं अब हर समय उसके मम्मों को निहार रहा था,
जब वो चल रही थी तो उसके मटकते कमर को देख रहा था, वो तब से और भी ज्यादा हॉट लगने लगी थी, पर मैं ये भी ध्यान रख रहा था की कही उसको मेरी ये नजर पता ना चल जाये, है तो मेरी बहन ही,
फिर धीरे धीरे नार्मल होते गए, एक बार तो उसका मम्मों पर मेरी कोहनी से लग गया, उसने कुछ भी नहीं कहा और वो मुस्कुरा दी, मुझे बहुत ही अच्छा लगा, क्या रुई के तरह उसका गोल गोल चूच लग रहा था यार., जाने अनजाने में ही सही, राजश्री के नाज़ुक हिस्सो पर ये पहला स्पर्श था,
शाम को खाना खाने के बाद हुए करीब हमलोग आठ बजे होटल पहुंचे, कमरे में गए और फ्रेश होके टी वी देखने लगे,
तभी राजश्री नहाकर बाथरूम से निकली, रमेश उसको देखकर हैरान हो गया, वो पिंक कलर की नाईटी में थी, बाल खुले थे बड़ी ही हॉट लग रही थी, वो अंदर ब्रा नहीं पहनी थी,
उसकी नाइटी सिल्की सिल्की थी तो उसके मम्मों का साइज निप्पल समेत दिख रहा था वो जब चल रही थी और कंघी कर रही थी तो उसके मम्मे हिल रहे थे,
यहाँ तक की जब वो चलती थी उसकी चूतड़ गजब की दिख रही थी,
रमेश का लंड तो खड़ा होने लगा था, उसने फटा फट कम्बल रख लिया ताकि राजश्री को पता ना चले कि रमेश का हीरो सलामी ठोंक रहा है.
तभी बेल बजी, दरवाजा सिर्फ सटाया हुआ था,
रमेश - जी कौन है ??
रमेश ने उठ कर जाके देखा तो रिसेप्शन वाली लड़की थी, उसके साथ में एक वेटर भी था, जिसके हाथ में एक बोतल व्हिस्की, दो गुलाब का फूल, दो कैंडल थी,
रमेश - जी कहिए,
रिसेप्शन वाली लड़की - सर ये सारे चीज मैनेजर ने भिजवाई है, और कहा है, सर के लिए गिफ्ट है उनके हनीमून पे,
राजश्री फिर जोर जोर से हसने लगी और रमेश भी,
राजश्री - क्या बेवकूफ मैनेजर है उसको लग रहा है की हम लोगो हनीमून मनाने आये है, पागल कहि का
खूब हसने लगे दोनों मिलकर.
रमेश ने सारा सामान अंदर ले लिये, क्योंकि जब उसने व्हिस्की देखा वो काफी अच्छे ब्रांड का था,रमेश कभी कभी दारू पी लेता है ,
जाते समय उस लड़की ने रमेश के हाथ में एक कागज का टुकड़ा पकड़ा दिया था,
रमेश ने अंदर आके सारा सामान रख दिया, तब तक राजश्री पलंग पर लेट गयी थी, पूरे दिन घूमने की वजह से वो थक गयी थी,
रमेश भी उसी पलंग पर दूसरी तरफ़ लेट गया और ऊर्मि से चैट करने लगा, थोड़ी दे बाद रमेश को वो कागज का टुकड़ा याद आया,
उसने देखा उसने मोबाइल नंबर लिखा है,
उसने फटाफट उस नंबर को मोबाइल में सभी किया और उस पर चैट शुरू की और हेलो लिख कर भेजा,
तुरंत ही दूसरी तरफ़ से जवाब आया, और दोनों में चैट शुरू हो गयी, थोड़ी देर और चैट करके रमेश उठ कर जाने लगा
राजश्री (आधी नींद में ) - कहा जा रहे हो इतनी रात को,
रमेश - यही बाहर, एक सिगरेट पी के आता हूँ,
और उठ कर बाहर चला गया, लेकिन जानबूझ कर मोबाइल वही छोड़ कर चल गया,
उसके दरवाज़े के बाहर जाते ही राजश्री ने रमेश का मोबाइल हाथ में ले लिया और उसकी चैट पढ़ने लग गयी,
उसने लास्ट चैट कोई नये नंबर से की थी, जिसने उसे पास वाले रूम में ही बुलाने की बात थी,
जिस रूम में राजश्री और रमेश रुके थे, उस चैट में उसके एकदम साथ वाले रूम की बात थी, दोनों कमरों के बीच एक दरवाजा भी था कि अगर किसी को दो रूम एक साथ चाहिए तो ऐसे वाले रूम उनको दिये जाते थे,
उस रिसेप्शन वाली लड़की ने जानबूझकर कर रमेश और राजश्री को वो रूम दिया था,
दूसरे रूम की जाते ही वो लड़की जिसका नाम रश्मि थी रमेश पर टूट पड़ी, जैसे की जन्म जन्म से प्यासी थी,
उसकी कमीज के ऊपर से उसके वो दो बॉल साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, वो पूरे आम के शेप में थे। उसकी चूचीयाँ देखकर ही रमेश का लंड खड़ा हो गया था
रमेश ने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसको धीरे-धीरे किस करने लगा।
अब रश्मि अचानक ही शर्माकर अपने आपको छुड़ाने लगी थी,
रमेश - क्या हुआ?
रश्मि - मुझे शर्म आती है।
रमेश - अरे यार, तुम भी ग़ज़ब हो, पहले यह बुलाती हो और अब ये, हम लोग यहाँ मज़े करने आए है और अगर तुम ऐसे शरमाओगी तो ना तुम मज़ा ले पाओगी और न ही मुझे मज़ा आएगा, तो प्लीज ऐसा मत करो,
अब रमेश उसकी गर्दन पर, होंठो पर किस करने लगा था और बीच-बीच में उसके कान को भी चूम रहा था
रश्मि - वो इसलिए कि आज से पहले मैं बस अपने भाई से ही चुदवाई हू,
रमेश मन में सोच रहा था कि साला अजीब शहर है हर बहन अपने भाई से चुदवा रही है,
दूसरी तरफ़ राजश्री ने कान बीचवाले दरवाज़े पर लगा दिये थे, और उसे रमेश और रश्मि की बात साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी, उसने हल्का सा धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया,
सामने खड़े रमेश और रश्मि चूमाचाटी में लगे हुवे थे, उन्हें इसे बात का पता भी नहीं चला कि उनकी चुदाई का सीधा प्रसारण देखा जाने लगा है,
उनको इस आलिंगन मुद्रा में देख कर राजश्री भी उत्तेजित हो गयी,
इधर रश्मि भी उत्तेजित हो गयी थी और रमेश का पूरा साथ देने लगी,
रमेश ने अपना एक हाथ आगे की तरफ लाते हुए उसके बूब्स पर रख दिया और अपनी उंगलियाँ उसकी चूची के ऊपर से धीरे- धीरे गोल-गोल घुमाने लगा,
रश्मि और राजश्री दोनों एकदम सिहर गयी थी
रश्मि - प्लीज ऐसा करो, उसे ज़ोर से दबाते रहो।
राजश्री भी यही कहना चाहती थी,
रमेश कुछ देर के बाद उसे फिर से धीरे-धीरे दबाने लगा था, वाह क्या बूब्स थे? एकदम टाईट।
रमेश ने बिना देर किए अपना दूसरा हाथ भी आगे की तरफ लाते हुए उसकी दूसरी चूची पर रख दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचीयाँ दबाने लगा था,
थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए रश्मि की चूत पर रख दिया।
दूसरी तरफ़ राजश्री का भी एक हाथ उसकी चूत पर चला गया,
जैसे ही रमेश हाथ उसकी चूत पर गया, तो रश्मि वहाँ से रमेश का हाथ निकालने की कोशिश करने लगी।
उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया।
रमेश रश्मि की कमीज के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा था।
फिर थोड़ी देर के बाद रमेश ने रश्मि की कमीज के अंदर अपना एक हाथ डाला और रश्मि की चूत को सहलाने लगा।
रश्मि के मुँह से आअहह, उूउउफ़फ्फ, की सिसकारियाँ छूटने लगी,
रमेश ने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर रश्मि की कमीज के नीचे से उसकी चूचीयां दबाने लगा, रश्मि ने अंदर ब्रा पहनी थी।
रमेश उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचीयाँ एक-एक करके दबाने लगा था
फिर थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपने दूसरे हाथ से रश्मि की कमीज की चैन खोल दी और उसकी कमीज ऊपर करके निकाल दी।
रश्मि अब रमेश के सामने वाईट ब्रा में खड़ी थी, वो कमाल की सुंदर लग रही थी। राजश्री भी उसको देख कर और अधिक उत्तेजित हो गयी,
रमेश रश्मि की ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा था और फिर अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी ब्रा उसके हाथों से अलग कर दी,
वाह क्या बूब्स थे उसके? पूरे गोल शेप में,
उसके बूब्स नहीं ज्यादा छोटे थे और नहीं ज्यादा बड़े थे, बिल्कुल मीडियम साईज़ के थे।
उसके बूब्स के ऊपर पिंक कलर के दो दाने थे, वो क्या खूबसूरत नज़ारा था?
रमेश - मैंने ज़िंदगी में पहली बार इतने अच्छे बूब्स देखे है , ऐसे बूब्स तो शायद ही किसी के होंगे।
रमेश तो पागल ही हो गया था।
रमेश उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा था,
क्या कसाव था उनमें? वाह,
अब तो बस रमेश उन्हें दबाता ही रह गया था।