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Incest मेरा परिवार सुखी संसार

Lusty Star

Trying to be better
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नमस्कार दोस्तों,
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,
कहानी लम्बी है, आशा है आपको पसन्द आएगी,

कई किरदार आएंगे,
कई मौके आएंगे

सम्भव है कि कहानी में कुछ ऐसे से भी संवाद और परिस्थिती आएंगी जो आपको लगे कि कही पर ये पढ़ा है,

और भी बहुत कुछ होगा, कहानी को मजेदार बनाने के लिए आप सभी के द्वारा दिए गए सुझावों को समिल्लित करे जाने का पूरा प्रयास करूंगा,
 
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Lusty Star

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अध्याय 17

उधर ट्रैन में,

अब शाम होने को आई थी, ट्रैन रात को 2 बजे गंतव्य पर पहुंचेगी,

सोती हुई राजश्री का बदन कुछ ऐसा लगा रहा था उस समय, कि वो एकदम छमिया सी लगती थी, ट्रैन में रमेश ने समय व्यतीत करने हेतु एक पुस्तक खरीद ली,

वो पुस्तक एक वयस्क कहानियों वाली थी, जिसमे बहुत नंगी फोटो थी. उसका लंड उस पुस्तक को देख और पढ़ के पागल हुवा जा रहा था , उस समय तो जैसे चूत का प्यासा हो गया था और बहन की चूत को पाने की कल्पना करने लगा,

रमेश अब इस फिराक में था कि कब उसके बदन को टच करे,.

दोनो भाई बहन ट्रैन में मजे से जा रहे थे,

थोड़ी देर और सोने के बाद राजश्री उठ के बैठ गयी, और रमेश की और देखते हुवे बाथरूम में चली गई, वापस आके वो रमेश के पास एकदम सट कर ही बैठ गयी,

रमेश को इससे अत्यधिक आश्चर्य और आनंद दोनो की अनुभूति हुई,


राजश्री का भारी और भरा पूरा बदन अब रमेश को और भी टाईट कर रहा था पेंट के अंदर ही अंदर.

घर पे तो रोज सोने से पहले उर्मि की चुदाई से खुद को शान्त कर लेता परन्तु यह तो हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि क्या करे,

राजश्री वैसे ही सट कर बैठी रही और मोबाइल में हेडफोन डाल कर गाने सुनने लगी, थोड़ी ही देर बाद एक स्टेशन पर रमेश उतर कर खाना लेने चला गया, उसके जाते ही कुछ मनचले लडके उसके पास वाले डब्बे में आगये, और वहाँ बैठी कुछ लड़कियों से छेड़खानी करने लगे, उनका शोर सुन कर राजश्री डर गई और उसके डब्बे का दरवाजा बंद कर लिया,

जैसे ही रमेश ने आके देखा कि दरवाजा बंद है, तो उसने आवाज लगाई, राजश्री ने दरवाजा खोलते हुवे रमेश के गले लग गई और गले लगे हुवे ही उसे सब कुछ बताने लगी, उसके मम्मे रमेश की छाती पर गड़े जा रहे थी,

राजश्री की गर्म गर्म सांसे रमेश की कान के पास से आ जा रही थी, जिससे रमेश की हालत और भी ज्यादा खरं हो जा रही थी, उसके लन्ड का उभार राजश्री भी महसूस कर रही थी, लेकिन इस डर ने कब हवस का रूप ले लिया दोनों को ही पता नही चला,

दरवाजा खुला ही था, उसके पास से निकलते हुवे एक व्यक्ति ने कहा "ये पीढ़ी भी न, एकदम बेशर्म हो गई है, कोई लाज लज्जा रही ही नही, अरे भाई, दरवाजा तो बन्द कर लो,"

तब जाके दोनो होश में आये और एक झटके से अलग हो गए और नजर नीची कर ली,

दोनो ही सोच रहे थे कि पता नही किस किस ने ने उन्हें इस हालत में देखा होगा,

दोनो चुप चाप नीचे वाली बर्थ पर बैठ गए, और खाना खाने लगे,

अब उन दोनो की हालत ऐसी हो गई थी कि जैसे ही कोई दरवाजे के पास से गुजरता तो उन्हें लगता कि इसने भी हम दोनों को गुथ्मगुथा देख लिए होगा,

खाना खाने के तुरंत बाद राजश्री वापस पाने बर्थ पर चली गयी और गुड नाईट बोलके दूसरी तरफ मुंह करके सो गई,

अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो मेरे डब्बे में एक औरत अपने दो बच्चों के साथ आकर मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठ गयी, और खिड़की से अपने पति को हाथ हिला कर विदा ले रही थी,

औरत थी लेकिन थी एकदम एक मस्त भाभी.. जिनकी उम्र लगभग 24 -25 साल के आस पास की होगी। उनके साथ 2 बच्चे.. जिनकी उम्र 6 और 4 साल की होगी उससका रंग गोरा.. दो बच्चे होने के बाद भी एकदम मस्त स्लिम बॉडी थी.. और देखने में अच्छी लग रही थी।

ट्रेन चल चुकी थी.. भाभी ने मुझे पूछा-

भाभी या औरत - आप को कहाँ तक जाना है?
रमेश - उदयपुर और आप,

भाभी या औरत - में भी उदयपुर, मेरा पीहर है, और मेरा नाम श्वेता है, आपका नाम??

रमेश - जी मेरा नाम रमेश और राजश्री की और इशारा करते हुवे बोला की वो मेरी बहन है राजश्री,

कुछ देर बैठे-बैठे रमेश बोर होने लगा, पहले तो नींद उसे राजश्री के कारण नही आ रही थी और अब ये मस्त माल,

तो समय व्यतीत करने हेतु अपने लन्ड को एडजस्ट करते हुवे अपना लैपटॉप निकाला और उस पर म्यूज़िक वीडियो देखने लगा।

इस बीच श्वेता के बच्चे भी आ कर मेरे साथ बैठ गए.. तो रमेश ने म्यूज़िक वीडियो बन्द करके टॉम आंड जेरी का वीडियो लगा दिया।

मेरे लैपटॉप में बच्चों के लिए ढेर सारी फिल्म्स मिल जाएँगी।

देखते-देखते ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुँच गई, वहाँ ट्रेन का स्टॉप थोड़ी ज्यादा देर तक का था,

रमेश अपना लैपटॉप बन्द करके प्लेटफार्म पर टहलने के लिए चला गया।

कुछ देर में ट्रेन चल पड़ी।

रमेश चढ़ने के लिए ट्रेन के गेट पर पहुँचा तो देखा वो भाभी याने की श्वेता ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रही है..

लेकिन उसके हाथ में पानी की बोतल और कुछ सामान होने की वजह से उसे चढ़ने में दिक्कत हो रही थी।

रमेश भी उसके साथ दौड़ रहा था कि श्वेता ट्रेन में चढ़ जाए तो रमेश भी अन्दर आ जाऊँ।

ट्रेन धीरे-धीरे अपने स्पीड को बढ़ा रही थी.. रमेश को लगा कि वो खुद से चढ़ नहीं पाएगी.. तो रमेश ने एक हाथ से ट्रेन का गेट पकड़ा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और दौड़ते हुए उसे गोद में लिया और ट्रेन की सीढ़ी पर चढ़ा दिया।

उसने अपना पूरा संतुलन खो दिया था और उसके शरीर का पूरा भार रमेश के ऊपर आ गया।

रमेश भी अपने आपको और उसे संभालने की कोशिश कर रहा था।

इस दौरान रमेश का हाथ एक मुलायम और गुद्देदार चीज़ पर चला गया.. ये उसका गोल-गोल कोमल चूचा था।

रमेश को इसका अहसास होते ही उसके लंड में हरकत शुरू हो गई और उसका साइज़ बड़ा होने लगा।

उसका लंड उसके गोल-गोल चूतड़ों के बीच में जा धँसा।


(व्यक्तिगत समस्या अभी भी ज्यो की त्यों बनी हुई है, सुलझते है कहानी सुचारू रूप से आगे बढ़ाएंगे - आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद)
 
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Raj sharan

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उधर ट्रैन में,

अब शाम होने को आई थी, ट्रैन रात को 2 बजे गंतव्य पर पहुंचेगी,

सोती हुई राजश्री का बदन कुछ ऐसा लगा रहा था उस समय, कि वो एकदम छमिया सी लगती थी, ट्रैन में रमेश ने समय व्यतीत करने हेतु एक पुस्तक खरीद ली,

वो पुस्तक एक वयस्क कहानियों वाली थी, जिसमे बहुत नंगी फोटो थी. उसका लंड उस पुस्तक को देख और पढ़ के पागल हुवा जा रहा था , उस समय तो जैसे चूत का प्यासा हो गया था और बहन की चूत को पाने की कल्पना करने लगा,

रमेश अब इस फिराक में था कि कब उसके बदन को टच करे,.

दोनो भाई बहन ट्रैन में मजे से जा रहे थे,

थोड़ी देर और सोने के बाद राजश्री उठ के बैठ गयी, और रमेश की और देखते हुवे बाथरूम में चली गई, वापस आके वो रमेश के पास एकदम सट कर ही बैठ गयी,

रमेश को इससे अत्यधिक आश्चर्य और आनंद दोनो की अनुभूति हुई,


राजश्री का भारी और भरा पूरा बदन अब रमेश को और भी टाईट कर रहा था पेंट के अंदर ही अंदर.

घर पे तो रोज सोने से पहले उर्मि की चुदाई से खुद को शान्त कर लेता परन्तु यह तो हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि क्या करे,

राजश्री वैसे ही सट कर बैठी रही और मोबाइल में हेडफोन डाल कर गाने सुनने लगी, थोड़ी ही देर बाद एक स्टेशन पर रमेश उतर कर खाना लेने चला गया, उसके जाते ही कुछ मनचले लडके उसके पास वाले डब्बे में आगये, और वहाँ बैठी कुछ लड़कियों से छेड़खानी करने लगे, उनका शोर सुन कर राजश्री डर गई और उसके डब्बे का दरवाजा बंद कर लिया,

जैसे ही रमेश ने आके देखा कि दरवाजा बंद है, तो उसने आवाज लगाई, राजश्री ने दरवाजा खोलते हुवे रमेश के गले लग गई और गले लगे हुवे ही उसे सब कुछ बताने लगी, उसके मम्मे रमेश की छाती पर गड़े जा रहे थी,

राजश्री की गर्म गर्म सांसे रमेश की कान के पास से आ जा रही थी, जिससे रमेश की हालत और भी ज्यादा खरं हो जा रही थी, उसके लन्ड का उभार राजश्री भी महसूस कर रही थी, लेकिन इस डर ने कब हवस का रूप ले लिया दोनों को ही पता नही चला,

दरवाजा खुला ही था, उसके पास से निकलते हुवे एक व्यक्ति ने कहा "ये पीढ़ी भी न, एकदम बेशर्म हो गई है, कोई लाज लज्जा रही ही नही, अरे भाई, दरवाजा तो बन्द कर लो,"

तब जाके दोनो होश में आये और एक झटके से अलग हो गए और नजर नीची कर ली,

दोनो ही सोच रहे थे कि पता नही किस किस ने ने उन्हें इस हालत में देखा होगा,

दोनो चुप चाप नीचे वाली बर्थ पर बैठ गए, और खाना खाने लगे,

अब उन दोनो की हालत ऐसी हो गई थी कि जैसे ही कोई दरवाजे के पास से गुजरता तो उन्हें लगता कि इसने भी हम दोनों को गुथ्मगुथा देख लिए होगा,

खाना खाने के तुरंत बाद राजश्री वापस पाने बर्थ पर चली गयी और गुड नाईट बोलके दूसरी तरफ मुंह करके सो गई,

अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो मेरे डब्बे में एक औरत अपने दो बच्चों के साथ आकर मेरे सामने वाली बर्थ पर बैठ गयी, और खिड़की से अपने पति को हाथ हिला कर विदा ले रही थी,

औरत थी लेकिन थी एकदम एक मस्त भाभी.. जिनकी उम्र लगभग 24 -25 साल के आस पास की होगी। उनके साथ 2 बच्चे.. जिनकी उम्र 6 और 4 साल की होगी उससका रंग गोरा.. दो बच्चे होने के बाद भी एकदम मस्त स्लिम बॉडी थी.. और देखने में अच्छी लग रही थी।

ट्रेन चल चुकी थी.. भाभी ने मुझे पूछा-

भाभी या औरत - आप को कहाँ तक जाना है?
रमेश - उदयपुर और आप,

भाभी या औरत - में भी उदयपुर, मेरा पीहर है, और मेरा नाम श्वेता है, आपका नाम??

रमेश - जी मेरा नाम रमेश और राजश्री की और इशारा करते हुवे बोला की वो मेरी बहन है राजश्री,

कुछ देर बैठे-बैठे रमेश बोर होने लगा, पहले तो नींद उसे राजश्री के कारण नही आ रही थी और अब ये मस्त माल,

तो समय व्यतीत करने हेतु अपने लन्ड को एडजस्ट करते हुवे अपना लैपटॉप निकाला और उस पर म्यूज़िक वीडियो देखने लगा।

इस बीच श्वेता के बच्चे भी आ कर मेरे साथ बैठ गए.. तो रमेश ने म्यूज़िक वीडियो बन्द करके टॉम आंड जेरी का वीडियो लगा दिया।

मेरे लैपटॉप में बच्चों के लिए ढेर सारी फिल्म्स मिल जाएँगी।

देखते-देखते ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुँच गई, वहाँ ट्रेन का स्टॉप थोड़ी ज्यादा देर तक का था,

रमेश अपना लैपटॉप बन्द करके प्लेटफार्म पर टहलने के लिए चला गया।

कुछ देर में ट्रेन चल पड़ी।

रमेश चढ़ने के लिए ट्रेन के गेट पर पहुँचा तो देखा वो भाभी याने की श्वेता ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश कर रही है..

लेकिन उसके हाथ में पानी की बोतल और कुछ सामान होने की वजह से उसे चढ़ने में दिक्कत हो रही थी।

रमेश भी उसके साथ दौड़ रहा था कि श्वेता ट्रेन में चढ़ जाए तो रमेश भी अन्दर आ जाऊँ।

ट्रेन धीरे-धीरे अपने स्पीड को बढ़ा रही थी.. रमेश को लगा कि वो खुद से चढ़ नहीं पाएगी.. तो रमेश ने एक हाथ से ट्रेन का गेट पकड़ा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और दौड़ते हुए उसे गोद में लिया और ट्रेन की सीढ़ी पर चढ़ा दिया।

उसने अपना पूरा संतुलन खो दिया था और उसके शरीर का पूरा भार रमेश के ऊपर आ गया।

रमेश भी अपने आपको और उसे संभालने की कोशिश कर रहा था।

इस दौरान रमेश का हाथ एक मुलायम और गुद्देदार चीज़ पर चला गया.. ये उसका गोल-गोल कोमल चूचा था।

रमेश को इसका अहसास होते ही उसके लंड में हरकत शुरू हो गई और उसका साइज़ बड़ा होने लगा।

उसका लंड उसके गोल-गोल चूतड़ों के बीच में जा धँसा।


(व्यक्तिगत समस्या अभी भी ज्यो की त्यों बनी हुई है, सुलझते है कहानी सुचारू रूप से आगे बढ़ाएंगे - आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद)
Maja aa gya behan k sath mast bhabhi bechare ramesh ka kya haal hoga
 
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