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Incest माया ऑन्टी और उनकी बेटी के साथ

abmg

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Episode - 33

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा…

मैं तुरंत ही बैठ गया और वो उठी और मेरे सामने अपने घुटनों के बल जमीन पर बैठकर मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।

बीच-बीच में वो अपनी नशीली आँखों से मुझे देख भी लेती थी.. जिससे मुझे भी जोश आने लगा। और यह क्या.. तभी उसकी बालों की लटें उसके चेहरे को सताने लगी.. जिसे वो अपने हाथों से हटा देती। तो मैंने खुद ही उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके बालों को एक हाथ से पकड़ लिया।

हय.. क्या सेक्सी सीन लग रहा था.. ओह माय गॉड.. एक सुन्दर परी सी अप्सरा आपके अधीन हो कर.. आपकी गुलामी करे.. तो आपको कैसा लगे.. बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लग रहा था।

फिर मैंने दूसरे हाथ से उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में झांकते हुए.. उसके मुँह में धक्के देने लगा.. जिससे उसके मुँह से ‘उम्म्म.. उम्म्म्म.. गगग.. गूँ.. गूँ..’ की आवाजें आने लगीं। इस तरह कुछ देर और चूसने से मेरा भी माल उसके मुँह में ही छूट गया और वो बिना किसी रुकावट के सारा का सारा माल गटक गई। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है.. पहली बार में बिना किसी विरोध के कोई कैसे माल अन्दर ले सकता है? तो मैं आपको बता दूँ कि जैसे मैंने किया था.. वैसा ही उसने किया.. क्योंकि उसे कुछ मालूम ही नहीं था।

अब आगे: फिर वो उठी और बाथरूम में जाकर मुँह धोया और वापस आकर मेरे पास बैठ गई और इस समय मैं और रूचि दोनों ही नीचे कुछ नहीं पहने थे जिससे मुझे साफ़ पता चल रहा था कि रूचि का चूत रस अभी भी बह रहा है। तो मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- अरे तुम तो बहुत माहिर हो लण्ड चूसने में… कहाँ से सीखा?

तो बोली- और कहाँ से सीखूँगी… बस अभी अभी सीख लिया! तो मैं बोला- कैसे? तो वो बोली- जैसे तुम अच्छे से बिना दांत गड़ाए मेरी चूत को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसा लग रहा था कि तुम बस चूसते ही रहो… मुझे सच में बहुत अच्छा लगा और तुम्हारी उँगलियों ने तो कमाल कर दिया, जैसे तुमने अपनी उंगली नहीं बल्कि मेरे अंदर नई जान डाल दी हो! ठीक वैसे ही मैंने भी सोचा कि क्यों न तुम्हें भी तुम्हारी तरह मज़ा दिया जाये! बस मैंने तुम्हारी नक़ल करके वैसे ही किया और मुझे पता है कि तुम्हें भी बहुत मज़ा आया… पर यार, तुमने मेरी हालत ही बिगाड़ दी थी, मेरी तो सांस ही फूल गई थी पर अब दोबारा ऐसा न करना वरना… मैं नहीं करुँगी।

तो मैं बोला- फिर अभी क्यों किया? वो बोली- क्योंकि तुमने मुझे इतनी मज़ा दिया था जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भुला सकती!

मैंने बोला- अच्छा अगर मैं इसी तरह तुम्हें मज़ा देता रहा तो क्या तुम भी मुझे मज़े देती रहोगी? वो बोली- यह बाद की बात है पर सच में मेरे गले में दर्द होने लगा था! मैंने बोला- अच्छा, अब आगे से ध्यान रखूँगा पर तुम्हें बता दूँ कि आने वाले दिनों में मैं बहुत कुछ देने वाला हूँ। वो बोली- और क्या?

तब मैंने बोला- यह तो सिर्फ शुरुआत है, और अभी सब बता कर मज़ा नहीं खराब करना चाहता, बस देखती जाओ कि आगे आगे होता है क्या?

कहते हुए मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा और वो भी मेरा पूर्ण सहयोग देते हुए मेरे निचले होंठ को पागलों की तरह बेतहाशा चूसे जा रही थी, मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में हूँ, मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी हो जायेगा। खैर मैं उसके पंखुड़ी समान होंठों को चूसते हुए उसकी पीठ सहलाने लगा और रूचि की मस्ती वासना से भरने लगी। मैंने मौके को देखते हुए उसके चूचों पर धीरे से दोनों हाथ रखकर उन्हें सहलाने लगा और हल्का हल्का सा दबा भी देता जिससे रूचि के मुख से सिसकारियाँ ‘शिइइइइइइइ’ फ़ूट पड़ती जो आग में घी का काम कर रही थी।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट ऊपर की ओर उठाते हुए उसे किस करता रहा। तभी अचानक उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया और बोली- यह क्या कर रहे हो? इसकी क्या जरूरत?

तो मैंने बोला- तुम्हें इसके पहले कुछ पता भी था या मुझसे सीखा? वो बोली- तुमसे… पर तुम्हें तो मेरी चूत पसंद है न… वो तो कब की खुली है। तो मैं बोला- जान असली मज़ा तो खुले में ही आता है न! मेरी बात मानो!

वो हल्की सी मुस्कान के साथ फिर से मेरी बाँहों में आ गई और मेरे कान के पास मुख ले जाकर फुसफुसाई- यार, मुझे शर्म आ रही है, अगर इसे न उतारा जाये तो क्या काम नहीं चलेगा?

मैं बोला- हम्म… बिल्कुल बिना टॉप उतारे वो मज़ा आ ही नहीं सकता। तो वो बोली- क्यों? तो मैंने मन ही मन खुश होते हुए अपने हाथों को ठीक से साध के उसके चूचों पर निशाना साधा और अचानक मैंने उसके गोल और मांसल चूचों को भींचते हुए मसक दिया जिससे उसकी दर्द भरी ‘अह्ह… ह्ह्ह्ह… आह्ह…’ निकल गई और मुझसे अलग हट कर अपने चूचों को सहलाने लगी और मुझसे गुस्सा करते हुए बोली- यार, ये क्या कर दिया तूने? मेरी तो जान ही निकल गई।

तो मैंने भी तुरंत बोला- इसी लिए तो कह रहा था कि बिना टॉप के मज़ा आता है और ऊपर से ग्रिप अच्छी नहीं बन पाती जैसा कि अभी तुमने खुद ही देखा, तुम्हें दर्द हुआ न? तो बोली- सच में इसमें मज़ा आएगा?

तो मैंने उसको होंठों को चूसते हुए अपने होंठों को उसके कान के पास ले गया और एक लम्बी सांस छोड़ते हुए उसके कान में धीरे से बोला- खुद ही महसूस करके देख लो। और एक बात मैंने जब सांस छोड़ी थी तो मैंने महसूस किया कि मेरी सांस ने रूचि के बदन की झुरझुरी बढ़ा दी थी जिससे उसके बदन में एक अजीब सा कम्पन महसूस हुआ था।

खैर फिर मैंने दोबारा धीरे से उसके कान के पास चुम्बन लेते हुए अपने हाथ उसकी टॉप में डाले और ऊपर की ओर उठाने लगा जिसमें रूचि ने भी सहयोग देते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर उठा लिए जिससे उसकी चूचियाँ तन के मेरी आँखों के सामने आ गई।

दोस्तो, क्या गजब का नज़ारा था… जैसे सफ़ेद छेने पर गाढ़ी लाल रंग की चेरी रख दी हो!

मैं तो देख कर इतना मस्त हो गया कि मुझे कुछ होश ही न रहा और मैं उसके चूचों की घुंडियों को प्यार से मसलने लगा जिससे रूचि कुछ कसमसाई तो मैंने उससे धीरे से पूछा- क्या हुआ?

तो बोली- यार अच्छा भी लग रहा है और थोड़ा अजीब सा भी!

मैंने बोला- बस थोड़ी देर रुको, अभी तुम्हें मज़ा आने लगेगा। तो वो बोली- अब क्या करने वाले हो? यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं !

मैंने बिना बोले ही उसके बायें चूचे के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और मस्ती में चूसने लगा जैसे लोग कोल्ड ड्रिंक में स्ट्रॉ डाल कर चुस्की लगाते हैं और दूसरे चूचे को अपनी हथेली से सहलाने लगा जिससे रूचि इतना मदहोश हो गई कि पूछो ही मत… वो ऐसे सीत्कार ‘शिइइइइ शीईईई आह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह’ कर रही थी जैसे रो रही हो !

पर जब मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो नज़ारा कुछ ओर ही था, वो अपनी गर्दन को पीछे किये हुए अपनी आँखें बंद करके निचले होंठों को दांतों से दबाते हुए मंद सीत्कार कर रही थी जैसे की पक्की रंडी हो!

अब आगे क्या हुआ जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार करें।
 

Rajizexy

punjabi doc
Supreme
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Episode - 3

इतने में माया आई और मुझे फिर से अपने बच्चों के सामने ही चुम्बन करके बोली- मैं अपने बच्चों से बस प्यार ही मांगती हूँ और कुछ भी नहीं।

इस पर हम चारों ने एक-दूसरे को गले से लगा लिया और बर्थडे-गर्ल को चुम्बन किया।

फिर माया ने केक काटा और हम सबको खिलाया।

अब मेरे दिमाग में एक खुराफात सूझी कि क्यों न इस पार्टी को और मदमस्त बनाया जाए, अब मैं तो विनोद के परिवार से काफी घुल-मिल चुका था, तो मुझे भी कुछ करने में संकोच नहीं हो रहा था।

फिर मैं अपनी इच्छा को प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. क्यों न इस पल को और हसीन बनाया जाए..!

तो इस पर उन्होंने मुस्करा कर हामी भरी।

फिर क्या था… मैं झट से उठा और सामने टेबल पर रखे केक से क्रीम उठा कर आंटी जी के चेहरे पर मल दी और मेरे ऐसा करते ही विनोद और रूचि ने भी ऐसा ही किया।

फिर माया आंटी ने भी सबको केक लगाया और हम सब खूब हँसे..

फिर विनोद और रूचि के साथ मैं वाशरूम गया और हमने अपने चेहरों की क्रीम साफ़ की।

पहले विनोद ने साफ की और बाहर कमरे में चला गया..

फिर रूचि ने की और मैं वाशरूम के अन्दर उसके बगल में ही खड़ा उसे देख रहा था। लेकिन चेहरे को साफ़ करते वक़्त उसकी आँखें बंद थीं और उसकी 32 नाप की चूचियाँ पानी टपकने से भीग गई थीं.. जिसके कारण मुझे उसकी गुलाबी ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी।

मैं उसके उरोज़ों की सुंदरता में इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं था कि घर में सब लोग हैं और अगर मुझे रूचि ने इस तरह देख कर चिल्ला दिया तो गड़बड़ हो जाएगी।

लेकिन यह क्या… अगले ही पल का नजारा इसके विपरीत हुआ.. उसने जैसे ही मेरी ओऱ देखा तो वो समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को निहार रहा हूँ… तो मैं थोड़ा घबरा गया कि पता नहीं अब क्या होगा?

पर उसने मुझसे कहा- भैया.. अब आप देख चुके हो.. तो थोड़ा एक तरफ आ जाओ.. ताकि मैं निकल सकूँ।

मैं थोड़ा बगल में होकर उसे देखने लगा जब वो कमरे की ओऱ जाने लगी तो पीछे मुड़कर उसने मुझे देखा और मुस्कुराते हुए आँख मार दी।

तो मुझे लगा बेटा राहुल लगता है.. तेरी इच्छा जल्द ही पूरी होगी..

उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड जींस के अन्दर अकड़ सा गया था।

फिर उसे मैंने सम्हाल कर अपना मुँह धोया और कमरे में जाकर बैठ गया।

कमरे में अब सिर्फ मैं और विनोद थे..

ऑन्टी और रूचि खाना डाइनिंग-टेबल पर लगा रही थीं, जो कि उनके दूसरे कमरे में था।

आज मैं बहुत ही खुश था और महसूस कर रहा था कि जल्द ही माया या रूचि को चोदने की इच्छा पूरी होगी।

मैं और विनोद आपस में बात कर रहे थे.. तभी ऑन्टी आईं और बोलीं- खाना लग गया है.. जल्दी से चलकर खा लो.. मुझे तो बहुत जोरों की भूख लगी है।

तभी मैंने देखा कि आंटी जी के चेहरे और गले में अभी भी केक लगा है। शायद वो भूल गई होंगी.. लेकिन ये मेरी भूल थी क्योंकि उन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया था.. ये मुझे बाद में पता चला।

खैर.. मैंने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए माया से बोला- आंटी जी.. आपने तो अभी अपना चेहरा साफ़ ही नहीं किया।

तो वो बोलीं- अरे मैं तो काम के चक्कर में भूख तो भूल ही गई थी.. चलो बढ़िया ही है.. अब तूने ही ये गेम शुरू किया था तो ख़त्म भी तू ही कर…

मैंने आश्चर्य भरी निगाहों से देखते हुए उनसे पूछा- मैं क्या कर सकता हूँ?

तो वो बोलीं- तूने ही पहले क्रीम लगाई थी.. तो साफ़ भी तू ही करेगा।

तब मैंने विनोद की प्रतिक्रिया जानने के लिए उसकी ओर देखा तो वो बोला- उठ न.. माँ का कहना मान.. वो भी तो तेरी माँ समान हैं।

तो मैंने मन में बोला- ये माँ.. नहीं माल समान है। फिर आंटी ने बोला- अब सोचता ही रहेगा या साफ़ भी करेगा..

मैंने भी बोला- जैसी आपकी इच्छा..

मुझे तो बस इसी मौके की तलाश थी जिसकी वजह से आज मुझे उनके गालों को रगड़ने का मौका मिल रहा था।

फिर मैं और आंटी वाशरूम की ओर चल दिए चलते-चलते आंटी विनोद से बोलीं- जा अपनी बहन की मदद कर दे..

वो ‘हाँ.. माँ’ कह कर दूसरे कमरे में जहाँ खाने का प्रोग्राम था.. वहाँ चला गया।

आंटी और मैं जैसे ही वाशरूम पहुँचे.. वैसे आंटी ने मुझसे बोला- बेटा दरवाजे बंद कर ले..

मैंने पूछा- क्यों?

तो बोली- कुछ नहीं.. बस यूँ ही..

मैंने भी दरवाजे को बंद कर लिया, फिर आंटी ने साड़ी जैसे ही उतारनी चालू की, मैंने पूछा- ये आप क्यों कर रही हैं?

तो उन्होंने बोला- ये भीग कर ख़राब हो जाएगी..

फिर उन्होंने साड़ी उतार कर एक तरफ हैंगर पर टांग दी और बोली- जल्दी काम पर लग जा..

वो बोली तो ऐसे थी.. जैसे कह रही हो.. जल्दी से मुझे चोद दे…

फिर मैं उनके पास जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे मेरी साँसें भी बढ़ती जा रही थीं। क्योंकि आज पहली बार मैंने किसी को इस अवस्था में देखा था और मेरा लौड़ा भी जींस के अन्दर टेंट बनाने लगा था। वो भी क्या लग रही थी.

मैं तो बस देखता ही रह गया, फिर मैं उनसे बोला- आप मेरे आगे आ जाएं.. ताकि मैं अच्छे से आप का चेहरा साफ़ कर सकूँ और आप भी खुद को सामने आईने में देख कर संतुष्ट हो सकें।

मेरा इतना कहना ही हुआ था कि वो मुस्कुराते हुए मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई.. फिर मुझसे बोली- तू मसाज कर लेता है?

तो मैंने बोला- हाँ..

बोली- पहले थोड़ा क्रीम की मसाज कर दे फिर धो देना..

मैंने बोला- जैसी आपकी इच्छा.. आप आँख बंद कर लो.. नहीं तो केक की क्रीम लग सकती है।

वो बोली- ठीक है..

फिर मैंने पीछे से उनको हल्के हाथों से मसाज देना चालू किया..

तभी मेरी नज़र उनके उठे हुए चूचों पर पड़ी जो कि अभी भी कसाव लिए खूब मस्त लग रहे थे।

मेरा तो मन कर रहा था, अभी इनको निकाल कर इनका रस चूस लूँ.. पर मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहा था और मेरे हल्के हाथों के स्पर्श से शायद आंटी भी मदहोश हो गई थीं।

उनकी छाती से साफ़ पता चल रहा था क्योंकि उनकी साँसे धीरे-धीरे तेज़ हो चली थीं।

तभी मैंने उनको छेड़ते हुए बोला- आंटी लगता है… आप काफी मजा ले रही हो..

तो वो बोली- हाँ.. तुम्हारे हाथों में तो गजब का जादू है.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. मन करता है इन्हें चूम लूँ।

तो मैंने बोला- आप को रोका किसने है..

फिर उन्होंने मेरे हाथों पर एक चुम्बन कर लिया।

मैंने बोला- अब मुझे भी फ़ीस चाहिए।

तो बोली- कैसी फ़ीस?

मैंने बोला- आपको मसाज देने की..

वो बोली- वो क्या है?

मैंने भी झट से बोल दिया- आपके गुलाबी गालों पर एक चुम्बन..

बस फिर उन्होंने मेरी ओर गाल करते हुए बोला- इसमें कौन सी बड़ी बात है.. ले कर ले.. चुम्बन..

मैं उन्हें चुम्बन करके झूम उठा, फिर उन्होंने बोला- चल अब मुँह धो दे।

तो मैंने उनकी छाती की ओर इशारा करते हुए बोला- अभी यहाँ आप सफाई कर लेंगी या मैं ही कर दूँ?

To be continued....
Nice start 👌👌👌
 
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