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Incest माया ऑन्टी और उनकी बेटी के साथ

SKYESH

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abmg

Ye Tina
Suman
Sanjay
Flora.....kaha se aaye....

Ye logo ka rol kon se Update main hai....

Bata do....to ek bar fir se padh le...

Updates are excellent :happy:
 

abmg

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Episode - 31

कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा…

शायद वो वासना के नशे में कुछ ज्यादा ही अंधी हो चली थी.. क्योंकि उसके चूचे अब मेरी छाती पर रगड़ खा रहे थे और वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए खड़ी थी। उसके सीने की धड़कन बता रही थी कि उसे अब क्या चाहिए था। मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तो क्या कहा था.. अब बोल भी दो? वो बोली- क्या मेरी चूत की सुगंध वाकयी में इतनी अच्छी है… मैंने बोला- हाँ मेरी जान.. सच में ये बहुत ही अच्छी है। वो बोली- फिर सूंघते हुए चाट क्यों रहे थे? तो मैंने बोला- तुम्हारे रस की गंध इतनी मादक थी कि मैं ऐसा करने पर मज़बूर हो गया था.. उसका स्वाद लेने के लिए..

ये कहते हुए एक बार फिर से अपने होंठों पर जीभ फिराई.. जिसे रूचि ने बड़े ही ध्यान से देखते हुए बोला- मैं तुमसे कुछ बोलूँ.. करोगे?

मैंने सोचा लगता है.. आज ही इसकी बुर चाटने की इच्छा पूरी हो जाएगी क्या? यह सोचते हुए मन ही मन मचल उठा।

अब आगे..

वो मुझसे बोली- अगर तुम सच कह रहे हो कि तुम्हें मेरी चूत की खुश्बू पसंद है.. तो क्या तुम सच में मेरी चूत को भी ऐसे ही सूंघ कर दिखा सकते थे? तो मैंने तुरंत ही कहा- हाँ.. क्यों नहीं।

वो बोली- चल झूठे.. ऐसा भी कोई करता है क्या? मैं समझ गया कि या तो यह इस खेल की नई खिलाड़ी है.. या तो ये खुद ही मेरे साथ खेल कर रही है.. ताकि मैं ही अपनी तरफ से पहल करूँ। तो मैंने भी कुछ सोचते हुए बोला- क्यों तुम्हें पहले किसी ने मना किया है क्या? बोली- नहीं.. ऐसा नहीं है.. मैं तो इसलिए बोली थी.. क्योंकि वहाँ से गंदी बदबू भी आती है ना.. इसलिए।

तब जाकर मैं समझा कि यह अभी नई है और इसे इस खेल का कोई अनुभव नहीं है।

मैंने बोला- अरे पगली तुम नहीं समझ सकती कि एक जवान लड़की की और एक जवान लड़के के लिंग में कितनी शक्ति होती है। दोनों में ही अपनी-अपनी अलग खुशबू होती है.. जो एक-दूसरे को दीवाना बना देती है। तो वो बोली- मैं कैसे मानूं? मैं बोला- अब ये तुम्हारे ऊपर है.. मानो या ना मानो.. सच तो बदलेगा नहीं.. तो वो बोली- क्या तुम मुझे महसूस करा सकते हो? मैं तपाक से बोला- क्यों नहीं..

तो वो झट से मेरे सामने अपना लोवर खोल कर मुझे अपनी चूत चाटने की दावत देने लगी.. शायद उस पर वासना का भूत सवार हो चुका था।

मैं भी देरी ना करते हुए बिस्तर से उठा और फर्श पर अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी मुलायम चिकनी जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर खोल दिया.
ताकि उसकी चूत ठीक से देख सकूँ।

मैंने जैसे ही उसकी चूत का दीदार किया तो मुझे तो ऐसा लगा.. जैसे मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ.. उसकी चूत बहुत ही प्यारी और कोमल सी दिख रही थी.. जिसमें ऊपर की तरफ छोटे-छोटे रेशमी मुलायम बाल थे जो कि उसकी गोरी चूत की सुंदरता पर चार चाँद लगा रहे थे। मेरी तो जैसे साँसें थम सी गई थीं.. क्योंकि ये मेरा पहला मौका था.. जब मैंने किसी कुँवारी लड़की की चूत को इतनी करीब से देखा था.. बल्कि ये कह लें कि इसके पहले देखा ही नहीं था। उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई थी.. कुछ फूली-फूली सी.. और उसके बीच में एक महीन सी दरार थी.. जो कि उसके छेद को काफ़ी संकरा किए हुए थी। इतनी प्यारी संरचना को देखकर मैं तो मंत्रमुग्ध हो गया था.. जिससे मुझे कुछ होश ही नहीं था कि मैं कहाँ हूँ.. कैसा हूँ।

खैर.. जब मैं उसकी चूत को टकटकी लगाए कुछ देर यूँ ही देखता रहा.. तो उसने मेरे हाथ पर एक छोटी सी चिकोटी काटी.. जो कि उसकी जाँघ को मजबूती से कसे हुए था। तो मेरा ध्यान उसकी चूत से टूटा और मैंने ‘आउच..’ बोलते हुए उसकी ओर देखा.. उसकी नजरों में लाज के साथ-साथ एक अजीब सी चमक भी दिख रही थी। ऐसी नजरों को कुछ ज्ञानी बंधु.. वासना की लहर की संज्ञा भी देते हैं।

वो अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हुए बोली- क्यों राहुल.. पक्का तुम यही सोच रहे होगे कि मैंने झूट क्यों बोला.. मैं कैसे किसी की गंदी जगह को सूंघ सकता हूँ.. अब फंस गए ना.. अभी तक मुझे बेवकूफ़ बना रहे थे.. चलो छोड़ो.. अगर दीदार पूरे हो गए हों तो। तुमको अगर यही देखना था.. तो पहले ही बोल देते.. मैं कमरे में घुसते ही दिखा देती। आख़िर तुम वो पहले इंसान हो जिससे मैंने प्यार किया.. तुम्हारे लिए मैं ये पहले ही कर सकती थी.. पर तुमने झूट का सहारा लिया.. अब ऐसा दोबारा ना करना।

तभी मैंने बोला- जान.. तुम नहीं जानती कि आज मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार चूत देखी है.. जिसे अक्सर ख़्वाबों में ही देखता था.. पर जब आज सच में सामने आई.. तो मैं देखता ही रह गया था.. क्या तुमने कभी हस्तमैथुन भी नहीं किया? ‘क्या..?’ वो चौंक कर बोली- यह क्या होता है?

तो मैं उसकी चूत की कसावट को देखते हुए बोला- कोई बात नहीं.. मैं सब सिखा दूँगा और रही बात सूंघने की.. तो मैं तो सोच रहा हूँ.. इसे चाट कर सूँघूं या सूंघ कर चाटूं..। तो वो बोली- जो भी करना.

जल्दी करो.. नहीं तो तुम्हें देर हो जाएगी जाने में.. और प्लान भी बिगड़ सकता है। मैंने तुरंत ही उसके नितंबों को पकड़ कर बिस्तर के आगे की ओर खींचा ताकि उसकी चूत पर मुँह आराम से लगा सकूँ।

फिर मैंने बिना देर किए हुए उसे बिस्तर के किनारे लाया और सीधा उसकी चूत पर मुँह लगा कर उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा.. जिससे उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूट पड़ीं- ओह्ह..शिइई..

मैंने जब उसकी ओर देखा तो वो अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढके हुए थी.. पर जब उसने अपनी चूत पर मेरा मुँह नहीं महसूस किया.. तो अपनी आँख खोल कर मुझसे बोली- राहुल.. यार फिर से कर न.. मुझे बहुत अच्छा लगा.. मुझे नहीं पता था कि इसमें इतना मज़ा आता है। तो मैं बोला- परेशान मत हो… अभी तो खेल शुरू हुआ है.. देखती जाओ.. मैं क्या-क्या और कितना मजा देता हूँ।

वो बोली- एक बात पूछू.. मज़ाक तो नहीं बनाओगे मेरा? तो मैं बोला- हाँ.. पूछो..

वो बोली- राहुल मैं चाहती हूँ.. कि जो मज़ा तुम मुझे दे रहे हो.. वो मैं भी दूँ.. क्या ये एक साथ हो सकता है? मेरा मतलब तुम मेरी वेजिना को मुँह से प्यार करो और मैं तुम्हारे पेनिस को अपने मुँह से प्यार करूँ। मैंने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कहा- हो सकता है.. तो वो चहकते हुए स्वर में बोली- राहुल सच.. मैंने बोला- हम्म.. तो वो बोली- पर कैसे? मैं बोला- तुम सच में कुछ नहीं जानती.. तो वो बोली- तुम्हारी कसम.. ये मेरा पहला अनुभव है। मैंने कहा- अच्छा चलो कोई बात नहीं.. मैं तुम्हें सिखा दूंगा सब कुछ..

मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो अपने आप ही मेरा काम आसान हो गया। मैंने तुरंत ही खड़े होकर अपने लोअर को नीचे खिसकाकर अपने शरीर से अलग कर दिया.. जिससे मेरा पहले से ही खड़ा ‘सामान’ बाहर आ कर झूलने लगा।

मेरा लवड़ा देखकर रूचि बोली- यार ये बताओ.. तुम्हारा ये पेनिस मेरे मुँह तक कैसे आएगा.. जब तुम नीचे बैठोगे तभी तो मैं कुछ कर पाऊँगी तो मैं बोला- पहले तो इसे पेनिस नहीं लण्ड बोलो.. और अपना दिमाग न लगाओ.. जैसे मैं बोलूँ.. वैसे करो। तो वो चहक कर बोली- ठीक है.. चलो अब जल्दी से अपना ल..लण्ड मेरे मुँह में डालो और अपना मुँह मेरी च..चूत पर लगाओ.. अब मुझसे और इंतज़ार नहीं हो सकता।

लण्ड-चूत कहने में वो कुछ हिचक रही थी.. बेचारी.. सच में उसको कुछ नहीं मालूम था कि कैसे क्या करना है.

उसे तो बस इतना ही मालूम था कि लण्ड चूत में जाता है जिससे माल निकलता है.. और लण्ड का माल चूत में भर जाता है.. जिससे बच्चा हो जाता है बस। ये सब उसने मुझे बाद में बताया था..

कहानी जारी रहेगी।
 

abmg

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Episode - 32

पिछले भाग में आपने पढ़ा…

तो वो चहक कर बोली- ठीक है.. चलो अब जल्दी से अपना ल..लण्ड मेरे मुँह में डालो और अपना मुँह मेरी च..चूत पर लगाओ.. अब मुझसे और इंतज़ार नहीं हो सकता..

लण्ड-चूत कहने में वो कुछ हिचक रही थी.. बेचारी.. सच में उसको कुछ नहीं मालूम था कि कैसे क्या करना है..। उसे तो बस इतना ही मालूम था कि लण्ड चूत में जाता है जिससे माल निकलता है.. और लण्ड का माल चूत में भर जाता है.. जिससे बच्चा हो जाता है बस..। ये सब उसने मुझे बाद में बताया था..

अब आगे..

खैर.. मैंने उसे बिस्तर पर सही से लिटाया और हम 69 अवस्था में लेट गए। यह देख कर उसके दिमाग की बत्ती जल उठी और रूचि खुश होते हुए बोली- यार वाकयी में तुम स्मार्ट के साथ-साथ होशियार भी हो.. क्या जुगाड़ निकाला है..

मैं तुरंत ही उसकी चूत के दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा और वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगी और थोड़ी ही देर में उसने अपनी नरम जुबान मेरे लौड़े पर रखकर सुपाड़े को चाटने लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी।

उसकी गीली जुबान की हरकत से मेरे अन्दर ऐसा वासना का सैलाब उमड़ा.. जिसे मैं शब्द देने में असमर्थ हूँ.. फिर मैंने भी प्रतिउत्तर में उसके दाने को अपने मुँह में भर-भर कर चूसना चालू कर दिया.. जिससे उसके मुँह से ‘अह्ह्ह ह्ह.. हाआआह… आआआ..’ की आवाज स्वतः ही निकलने लगी। उसके शरीर में एक अजीब सा कम्पन हो रहा था.. जिसे मैं महसूस करने लगा। चूत चुसवाने के थोड़ी ही देर में वो अपनी टाँगें खुद ही फ़ैलाने लगी और अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।

अब मुझे एहसास हो गया कि रूचि को इस क्रिया में असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही है। फिर मैंने उसके जोश को और बढ़ाने के लिए अपनी उँगलियों के माध्यम से उसकी चूत की दरार को थोड़ा फैलाया और देखता ही रह गया.. चूत के अन्दर का बिलकुल ऐसा नज़ारा था.. जैसे किसी ने तरबूज पर हल्का सा चीरा लगा कर फैलाया हो.. उसकी चूत से रिस रहा पानी उसकी और शोभा बढ़ा रहा था।

मैंने बिना कुछ सोचे अपनी जुबान उसकी दरार में डाल दी.. और उसे चाटने लगा।

जिससे उत्तेजित होकर रूचि ने भी मेरे लण्ड के शिश्न-मुण्ड को और अन्दर ले कर चूसते हुए ‘ओह.. शिइ… इइइइ.. शीईईई..’ की सीत्कार के साथ ‘अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह ह्ह..’ करने लगी।

तो मैंने वक्त की नज़ाकत देखते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के छेद में घुसेड़ दी.

जिससे उसकी एक और दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह ह्ह..’ छूट गई और दर्द से तड़पते हुए बोली- यार.. लग रही है ये.. क्या कर दिया.. अब तो अन्दर जलन सी होने लगी है..

तो मैंने मन में सोचा शायद इसने अपनी चूत में ऊँगली भी नहीं डाली है.. इसलिए इसे ऐसा लग रहा होगा।

मैंने बोला- जान बस थोड़ा रुको.. अभी सही किए देता हूँ।

फिर मैंने उंगली बाहर निकाली और उसकी चूत पर थूक का ढेर लगाकर.. उसके छेद को चूसते हुए.. जुबान से ही अपने थूक को उसके छेद के अन्दर ठेलने लगा.. जिससे उसका दर्द अपने आप ही ठीक होने लगा।

‘अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. शिइइ… शहअह…’ की ध्वनि उसके मुँह से निकलने लगी।

दोस्तो, सच में उस समय मेरी थूक ने उसके साथ बिल्कुल एंटी बायोटिक वाला काम किया और जब वो मस्तिया के फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी.. तो मैंने फिर से उसकी चूत में उंगली डाल दी।

इस बार वो थोड़ा कसमसाई तो.. पर कुछ बोली नहीं.. शायद वो और आगे का मज़ा लेना चाहती थी.. या फिर उसे दोबारा में दर्द कम हुआ होगा। अब मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में उंगली करते हुए उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ने और मुँह से चूसने लगा। मेरी इस हरकत से उसने भी जोश में आकर मेरे लौड़े को अपने मुँह में और अन्दर ले जाते हुए तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगी।

उसके शरीर में हो रहे कम्पन को महसूस करते हुए मैं समझ गया कि अब रूचि झड़ने वाली है.. यही सही मौका है दूसरी उंगली भी अन्दर कर दो.. ताकि छेद भी थोड़ा और फ़ैल जाए। इस अवस्था में इसे दर्द भी महसूस नहीं होगा.. ये विचार आते ही मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह उसकी चूत में तेजी से उंगली अन्दर-बाहर करने लगा। अब रूचि के मुँह से भी ‘गु.. गगगग गु.. आह्ह..’ की आवाज़ निकलने लगी.. क्योंकि वो भी मेरा लौड़ा फुल मस्ती में चूस रही थी.. जैसे सारा आज ही रस चूस-चूस कर खत्म कर देगी।

मैंने तुरंत ही अपनी उंगली अन्दर-बाहर करते हुए अचानक से पूरी बाहर निकाली और दोबारा तुरंत ही दो उँगलियों को मिलाकर एक ही बार में घुसेड़ दी.. जिससे उसके दांत मेरे लौड़े पर भी गड़ गए और उसके साथ-साथ मेरे भी मुँह से भी ‘अह्ह ह्ह्ह्ह..’ की चीख निकल गई।

सच कहूँ दोस्तो, हम दोनों को इसमें बहुत मज़ा आया था। आज भी हम आपस में जब मिलते हैं तो इस बात को याद करते ही एक्साइटेड हो जाते हैं मेरा लौड़ा तन कर आसमान छूने लगता है और उसकी चूत कामरस की धार छोड़ने लगती है।

खैर.

जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो फिर से वो लण्ड को चचोर-चचोर कर चूसने लगी और अपनी टांगों को मेरे सर पर बांधते हुए कसने लगी। वो मेरे लौड़े को बुरी तरह चूसते हुए ‘अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह..’ के साथ ही झड़ गई। उसका यह पहला अनुभव था.. जो कि शायद 10 से 15 मिनट तक ही चल पाया था।

मेरा अभी बाकी था.. पर मैंने वहीं रुक जाना बेहतर समझा.. क्योंकि ये उसके जीवन का पहला सुखद अनुभव था.. जो कि उसके शरीर की शिथिलता बयान कर रही थी। मैंने इस तरह उसके रस को पूरा चाट लिया और छोड़ता भी कैसे.. आखिर मेरी मेहनत का माल था।

उसकी तेज़ चलती सांसें.. मेरे लौड़े पर ऐसे लग रही थीं.. जैसे मेरे लौड़े में नई जान डाल रही हो.. और मैं भी पूरी मस्ती में उसकी बुर को चाट कर साफ करने लगा।

जब उसकी सांसें थोड़ा सधी.. तो वो एक लम्बी कराह ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह..’ के साथ चहकते हुए स्वर में बोली- राहुल.. यू आर अमेज़िंग.. सच यार.. मुझे तो तूने फुल टाइट कर दिया.. यार लव यू और ये क्या तुम्हें लगता है.. ज्यादा मज़ा नहीं आया क्योंकि तुम पहले की ही तरह नार्मल दिख रहे हो.. जबकि मैं पसीने-पसीने हो गई।

तो मैं बोला- जान तुम्हारा डिस्चार्ज हो गया है और मेरा अभी नहीं हुआ है और असली मज़ा डिस्चार्ज होने के बाद ही आता है।

उसने झट से बिना कुछ बोले- मेरे लण्ड को पकड़ा और दबा कर बोली- अच्छा.. तुम पहले की तरह मेरे जैसे बिस्तर पर बैठो और मैं जमीन पर बैठ कर तुम्हारी तरह करती हूँ।

मैं तुरंत ही बैठ गया और वो उठी और मेरे सामने अपने घुटनों के बल जमीन पर बैठकर मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।

बीच-बीच में वो अपनी नशीली आँखों से मुझे देख भी लेती थी.. जिससे मुझे भी जोश आने लगा। और यह क्या.. तभी उसकी बालों की लटें उसके चेहरे को सताने लगी.. जिसे वो अपने हाथों से हटा देती। तो मैंने खुद ही उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके बालों को एक हाथ से पकड़ लिया।

हय.. क्या सेक्सी सीन लग रहा था.. ओह माय गॉड.. एक सुन्दर परी सी अप्सरा आपके अधीन हो कर.. आपकी गुलामी करे.. तो आपको कैसा लगे.. बिलकुल मुझे भी ऐसा ही लग रहा था।

फिर मैंने दूसरे हाथ से उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में झांकते हुए.. उसके मुँह में धक्के देने लगा.. जिससे उसके मुँह से ‘उम्म्म.. उम्म्म्म.. गगग.. गूँ.. गूँ..’ की आवाजें आने लगीं। इस तरह कुछ देर और चूसने से मेरा भी माल उसके मुँह में ही छूट गया और वो बिना किसी रुकावट के सारा का सारा माल गटक गई। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है.

पहली बार में बिना किसी विरोध के कोई कैसे माल अन्दर ले सकता है? तो मैं आपको बता दूँ कि जैसे मैंने किया था.. वैसा ही उसने किया.. क्योंकि उसे कुछ मालूम ही नहीं था। तो अब आगे क्या हुआ.. जानने के लिए अगली कड़ी का इंतज़ार करें।

कहानी जारी रहेगी।
 
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