भाग १०
सुधिया आज बहोत ही खुश थी सूरज का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाने की वजह से बूर खिल उठी थी।
लेकिन इस चुदाई के बाद सुधियां की प्यास बुझाने के बजाए और बड गई थी क्योंकि सालो से प्यासी बूर में तीन चार बार चुदाई से कुछ होने वाला नहीं था सुधियां आज सूरज के साथ रात भर जमके चुदावा कर बरसो की प्यास बुझाने वाली थी।
सुधियां घर पहुंच कर देखती ही की उसका आवारा बेटा और शराबी पति अभी तक घर नहीं आए थे। सुधिया जल्दी जल्दी खाना बनाती है और खाने को बैठ जाति हे
खाना खाते वक्त उसके दिमाग में खयाल आता ही की उसका पति कुछ कम का नहीं हे सिर्फ नाम का हे
सुधियां ने सोचा की सूरज को अपना पति बनाकर उसके साथ जमके रात भर चुदाई करेगी इस कल्पना से सुधियां खिल उठी और जल्दी से खाना खतम करने के बाद अपने होने वाले पति यानी सूरज के लिए दूध गरम करने के लिए चुले के पास ज्याति हे और दूध का बरतन का ढकन खोल कर देखती ही की उसमे दूध नहीं था
सारा दूध शायद ने पी लिया था।
अब सुधियां निराश हो जाति हे की आज रात सुधिया सूरज के साथ सुहागरात मनाने वाली थी उसे दूध पिलाने वाली थी लेकिन दूध ही नहीं था।
तभी सुधिया वह करती है जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था।
सुधियां रसोई में से खाली बरतन लेती हे और कुछ सोच कर
अपना ब्लॉउज खोलना शुरू कर दिया, नीचे के तीन बटन खोले, ओर अपनी दोनों ही दुधारू मोटी मोटी चुचियाँ बाहर निकाल ली और दोनों हथेली में ले ली,दूध से भरी हुई उसकी मोटी मदमस्त गोरी सी चूची उसके हांथों में नही समा रही थी,
सुधियांने एक साथ दोनों चूचीयों को पकड़ा और दोनों ही निप्पल को एक साथ बरतन में निशाना लगा के दबा दिया, दूध की दो धार चिरर्रर्रर्रर्रर की आवाज करती हुई बरतन में गिर पड़ी, सुधियां अपनी ही चूचीयों कि चमक देखके मदमस्त हो गयी,
उसने फिरसे चूची को हल्के से दबाया और दूध की एक पतली धार बरतन में गिरा दी, ओर चूची को हल्का हल्का दबाकर अपने दूध से बरतन भर दिया।
इस हरकत से सुधियां की बूर कच्छी में गीली होने लगी
फिर जल्दी से चूचीयों को ब्लॉउज के अंदर डाल दिया और बटन बंद करके
दूध के बर्तन को चूले पे गरम करने के लिए रखा दिया
तभी उसकी नजर सामने जाति हे।
सामने एक पुड़िया थी।
सुधियां रसोई के कोने में रखी चोटीसी पुड़िया उठाती हे। इस पुड़िया में शिलाजीत का चूरन था।
सुधियां ने ऐसी दो पुड़िया वैद जी अपने शराबी पति ले लिए लाई थी। इस चूरन का एक ही चमच से शरीर की ताकत बढ़ जाति थी।
सुधिया हर रोज एक चमच चूरन दूध में मिला के अपने पति के देती थी लेकिन शराबी पति पर इसका कोई असर नहीं होता था।
चूरन की पुड़िया देख कर सुधियां के दिमाग में खुरापत सुझाती हे।
सुधियां आज दूध में एक चमच शिलाजीत का चूरन मिलाकर सूरज के पिलाने का सोचा और पूरी रात जमकर चूदवाना चाहती थी सुधियां अपने कल्पना में खोई हुवी थी।
तभी उसके हात से पुड़िया फट जाती है और सारा चूरन दूध में गिर जाता हे।
सुधिया अपने सर को हात से पकड़ लेती हे। ये मेने क्या कर दिया वैद जी ने सिर्फ एक ही चमच डालने को कहा था। अब दूध में तो सारा चूरन गिर गया।
सुधियां परेशान हो गई अब सुधीया दूध फेक कर अपनी मेहनत जाया नहीं करना चाहती थी। पर यह दूध मेने सूरज को पिला दिया तो....
उसका दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था. वो जानती थी की शीलाजीत के बहुत से आयुर्वेदिक फायेदे है पर वो ये बात भी अच्छे से जानती थी की इसका इस्तेमाल संभोग की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. पुड़िया का चूरन संभोग की क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली शीलाजीत का था। इस का एक ही चमच काफी था पर उससे गलती से सारी पुड़िया दूध में गिर गई थी।
सुधीया के अन्दर डर के साथ-साथ उत्तेजना भी थी. डर, की जब सूरज शिलाजीत का दूध पियेगा तो उसका पहले से ही गधे जैसे लंड रात भर क्या हाल करेगा
ओर शिलाजीत से जब उस लंड पोलाधी हो जाएगा तब सूरज उसकी चुदाई करेंगे तो जो आनंद और संतुस्टी उसे मिलेगी वो अकल्पनीय होगी. इसी डर और उत्तेजना में संतुलन बनाते हुए सुधियां ने गरम किया हुवा दूध एक बोतल में भर लिया और हात में लालटेन लिए हुवे विलास भाई के घर की ओर निकल पड़ी।
इधर विलास और सूरज सुधियां का इंतजार कर रहे थे खास कर सूरज
विलास - सूरज बेटा भाभीजी कही दिखाई नहीं दे रही है बहोत देर हो रही ही तुम एक काम कारण में आगे जा के हमारे खेतो में पानी चालू करता हू और तुम सुधियां भाभी के साथ मिलकर उनके खेत में जा के पानी चालू करना।
सूरज - ठीक हे मामाजी ( पानी तो में जरूर दूंगा खेतो के साथ साथ मामी की बूर में भी )
ये कहके विलास आगे खेतो में चला जाता है
थोड़ी देर बाद
सुधिया को आता देख
सूरज ने बड़े प्यार से मामी की तरफ देखा तो वो सुधिया शर्मा गयी। दोनों का दिल मिलने वाली खुशी को सोचकर तेज धकड़ रहा था।
सूरज का लंड धोती में हल्का सा फुंकार मारा था।
सूरज सुधियां को पास आता देख
सूरज - मामी कितनी देर लगादीया ओर इस बोतल में क्या है।
सुधियां - हा थोड़ी देर हो गई इस बोतल में गरम दूध हे ये में तुमरे लिए लाई हू।
सूरज - भैंस का दूध हे क्या।
सुधियां - शर्मा ते हुवे ये भेस का दूध नही हे ये मेरा दूध हे मेरी चुचियों का और इसमें शिलाजीत का चूरन मिलाया हुवा हे जिससे तुमरी ताकत दुगनी हो जायेगी और आज रात मुझे जमकर चोदोगे ये बात कह कर सुधिया शरमा जाति हे।
ये बात सुनकर सूरज का लंड धोती में लहराने लगता है।
सुधियां जब यह नजारा देखती है तो कच्छी के अंदर उसकी बूर पानिया हो जाती हे।
सूरज - क्या मामी तुमारा दूध वो भी शिलाजीत के साथ
पर आज ये दूध किस खुशी में।
सुधिया - हा आज में तुमरे साथ खेतो में सुहागरात मनाकर तुमे अपना पति बनाने वाली हू। आज से अकेले में तुम मुझे सुधियां कहके बुलाना।
सूरज ये बात सुनकर बाहोत गरम हो जाता हे की सुधिया जैसी गहराई ओरत आज उसको अपना पति बनाने वाली हे और उसके साथ सुहागरात मनाने वाली हे।
सूरज - जी मेरी सुधियां मेरी होने वाली पत्नी।
सुधियां - अब जलादि से चलो मुजले अब रहा नही जाता है।
सूरज - हा मेरे सुधियां रानी।
ओर दोनो खेत की ओर निकल जाते हे
सूरज- आज तुम मेरी हुई है,
सुधिया ये सुनते ही शरमा गयी उसका चेहरा शर्म से और भी हसीन हो गया,
सुधिया - तुम भी तो अब मेरे हो गए हो।
सूरज और सुधिया घर से करीब थोड़ी दूर आ गए होंगे,
सूरज रास्ते में चलते चलते रुक गया और पीछे आ रही सुधिया को बाहें फैला के अपनी बाहों में आने के लिए इशारा किया,
सुधिया भाग के जल्दी से अपने सूरज की बाहों में समा गई, दोनों की मस्ती में सिसकारी निकल गयी, जैसे न जाने कितने बरसों बाद मिले हों। दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे, सुधिया का शरम से बूर हाल भी हो रहा था और बहुत मजा भी आ रहा था,
यही हाल सूरज का भी था, अपनी ही गदरायी शादीशुदा मामी को रात के अंधेरे में बीच रास्ते में सुनसान जगह पर अपनी बाहों में भरे खड़ा था, लंड उसका तनकर लोहा हो गया और ये सुधिया बखूबी महसूस कर रही थी, बूर उसकी भी बेचैन थी।
दोनों को ही सब्र नही हो रहा था, दूध की बोतल , लालटेन नीचे कच्ची डगर पे गिर पड़ा और दोनों एक दूसरे को खा जाने वाली हसरत से जी भरकर चूमने लगे, पूरे चेहरे पर जिसका जहां होंठ पड़ता बस चूमे ही जा रहा था।
सूरज- मेरी सुधिया.....आआआआहहहह ह....कितनी सुंदर है तू.......ये तेरा कामुक बदन........ तु मेरी है तू सिर्फ मेरी......
ऐसा कहते हुए सूरज ने सुधिया को और कस के अपने से सटा लिया और लगा उसकी पीठ, कमर और गुदाज गाँड़ को हाथों में भर भर के सहलाने और दबाने, कुछ ही पल में वो अपनी मामी के मखमली नरम बदन की छुवन से इतना उत्तेजित हो गया कि सुधिया की भरपूर उभरी हुई मादक गाँड़ को बहुत कस कस के थोड़ा फैला फैला के दबाने और मसलने लगा।
सुधिया भी न चाहते हुए सूरज की हरकत से मचलती और सिसकती जा रही थी, उसने खुद ही जोर से अपनी मदमस्त दोनों चूचीयों को सूरज के सीने से रगड़ दिया।
सुधिया - आआआआहहहहहहह....सूरज......मैं भी कहाँ तेरे बिना रह पा रही हू....सुबह तुमने मुझे चोदा ....तब से मैं तेरी दीवानी हो गयी हूँ...... ओह मेरे सूरज......मैं नही रह सकती तेरे बिना अब.......मुझे तेरा प्यार चाहिए।
सूरज - तो मैं कहाँ मना कर रहा हूँ मेरी सुधियां........तेरे इस मखमली बदन को सुबह से भोगने के बाद भी प्यास बुझी नही और बढ़ गयी है।
सुधिया झट से बोली- तो ले चलिए न और चोद लीजिये मुझे बुझा लीजिए अपनी प्यास, हमारे रिश्ते पर भी किसी को शक नही होगा।
(ऐसा कहकर सुधिया खुद ही शरमा गयी, और सूरज के सीने में मुँह छुपा लिया)
सूरज - शक की भी गुंजाइश तो तब होगी सुधिया जब किसी को पता चलेगा,
हम इतना छुप छुप के चुदाई करेंगे कि कभी किसी को पता नही चलेगा।
सुधिया - ये बात सुनकर और सूरज के सीने में लजा कर घुस गई और सूरज ने सुधिया को कस के बाहों में भींच कर उसके सर को चूम लिया।
सुधिया - तो चलिए न यहां से, रास्ते में कोई देख न ले।
सुधिया धीरे से बोली।
सुधिया ने नीचे गिरा हुवा लालटेन और दूध की बोतल उठाई और दोनो खेत में चले गए।
खेत पहुंच कर
सूरज ने ट्यूबवेल चालू किया और ट्यूबवेल का पानी गन्ने की सिंचाई करने छोड़ दिया।
जैसे ही सूरज ने पलट कर सुधिया की तरफ देखा
सुधिया का बदन रोमांच और वासना से भर गया,
आज सुधीया को बहुत मजा आने वाला था, उसकी बूर में तो चींटियां रेंगने लगी,
सुधिया - तो चलो सूरज.....
सूरज ने सुधिया की चौड़ी गाँड़ को अच्छे से छुआ कुछ देर उसके गालों को हौले हौले चूमते हुए उठा उठा के दबाया और सुधिया ने भी मस्ती में अपनी गाँड़ हौले हौले सिसकते हुए अपने सूरज से दबवाई, फिर धीरे से बोली- अब चलो सूरज यहां से।
सूरज ने सुधिया को उठाकर अपनी बाहों में लेकर चलने की सोची तो सुधिया ने मना कर दिया "कि सूरज तुम थक जाओगे और इसे में काफी समय भी लग जायेगा।
" फिर दोनों जल्दी जल्दी दूसरे रास्ते पर करीब 2 किलोमीटर अंदर की तरफ मकई के खेत के अंदर चले गए।
सूरज और सुधियां के खेत के बीच में निम का बड़ा पेड़ था उसके किनारे पर, कुछ पेड़ आस पास होने की वजह से थोड़ा ढका ढका दिखता था, पर अंधेरी रात में भला उधर कौन आने वाला था, दोनों अब निश्चिन्त हो गए।
सूरज ने जल्दी से नीचे घास डालकर मुलायम सेज तयार किया और लालटेन पास में रख कर सुधिया को अपने पास बुलाया।
बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था
सूरज आवाज सुनकर सुधिया का दिल जोरो से धड़कने लगा ( सुधियां को आज लग रहा था मानो वह नई नवेली दुल्हन हे और उसकी आज पाहिली बार चुदाई हो रहीं हे सुधिया आज अपने आप को सूरज के हवाले कर कर शरमा कर चूदवाना चाहती थी )
सुधिया के बदन के हलन चलन की वजह से उसकी हाथों में भरी हुई चूड़ियां खनकने लगी,,, और खनकती हुई चूड़ियों की आवाज सुनकर सूरज के मन देने में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,
सुधिया अभी खड़ी ही थी,,,, सूरज धीरे धीरे चलते हुए उसके करीब गया जैसे-जैसे वह सुधिया की तरफ बढ़ रहा था सुधिया के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी,,,। और अगले ही पल उसकी सांसो की रफ्तार किसी घोड़े कीें मानिंद दौड़ने लगी,,,
क्योंकि सूरज पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया था और और ईतने कस के अपने बदन से उसे सटा लिया कि,,
सुधिया को धोती में तना हुआ सूरज का मोटा लंड साड़ी के ऊपर से ही किसी भाले के मालिंद चुभता हुआ महसूस होने लगा,, लेकिन यह चुभन नरम नरम नितंबों पर डर का एहसास ना कराते हुए आनंद की अनुभूति प्रदान कर रहे थे,,, सूरज जान बुझ कर अपनी कमर के नीचे का हिस्सा सुधिया के नितंबों पर दबा रहा था ताकि सुधिया उसके लंड के कड़कपन के एहसास को अपने अंदर महसूस कर सके,,,, और जैसा सूरज जा रहा था वैसा हो भी रहा था सुधिया के दिल की धड़कन निरंतर बढ़ती जा रही थी
सूरज उसके तन-बदन में कामोत्तेजना की ज्वाला और भड़काने के उद्देश्य से उसके बालों के गुच्छे को गर्दन के एक तरफ करके गर्दन को चुमना शुरू कर दिया जिसकी वजह से सुधिया उत्तेजना के मारे सिहरने लगी,। सुधिया के बदन में कंपन सा महसूस होने लगा
सूरज अपनी हरकतों से सुधिया के तन-बदन में कामोत्तेजना का दीप प्रकटा रहा था,,,, वह अपनी कमर के निचले हिस्से को बराबर उसके गोलाकार नितंबों से सटाया हुआ था। और सुधिया भी सूरज के मोटे तगड़े लंड की चुभन को अपने नितंबों पर बराबर महसूस करते हुए अपनी सांसो को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी कैसी उसकी सांस थी कि भारी होती चली जा रही थी।,, सूरज लगातार उसके नितंबों पर अपने लंड को धंसाते हुए उसकी गर्दन को चुंबनों से नहलाया जा रहा था।
सूरज का तो रोम रोम झन झना जा रहा था,,, सुधिया को अपनी बांहों में जकड़े हुए सूरज को ऐसा ही अनुभव हो रहा था कि जैसे वह अपनी ही होने वाली पत्नी को अपनी बांहों में भरा हुआ है,,,
वह सुधिया की गर्दन को चुमते हुए अपने दोनों हाथों को धीरे धीरे उसकी गोल गोल चुचियों पर रखकर उसे दबाना शुरू कर दिया,,, ब्लाउज के ऊपर से ही सूरज सुधिया के दोनों कबूतरों से खेलने लगा और ऐसा लग रहा था कि सुधिया के दोनों कबूतर सूरज से पहले से ही परिचित थे।
इसलिए दोनों कबूतर की सूरज के हाथों में गुटर गू करने लगे,,,, सुधिया की तो हालत खराब होने लगी वह चूचे दबाने का आनंद ले रही थी जिसकी वजह से उसके मुंह से सिसकारी निकलना शुरू हो गई और वह अपनी सिसकारी को दबाने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन कामोत्तेजना का सुरूर उसके बदन में इस कदर हावी होने लगा था कि वह अपनी सिसकारीयो की आवाज को दबा नहीं पा रही थी, और खेतो में रह रहे कर उसकी सिसकारी गुंज जा रही थी,,,,।
ससससहहहहहहह,,,,,,,,,,, आहहहहहहहह,,,,
( सूरज सुधिया की मादक सिसकारियों की आवाज सुनकर मदहोश होते हुए बोला,,,।)
ओहहहहह,,,, सुधिया इस पल के लिए ना जाने में कब से तड़प रहा था तुम्हें अपनी बाहों में लेकर ऐसा लग रहा है कि पूरी दुनिया मेरी बाहों में आ गई हो,,,
सुधिया सूरज की बातें सुनकर एकदम प्रसन्न हो गई सूरज की बातें सुनकर शरमा ने लगी और कसमसाते हुए अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली,,,।
मुझे जरासा छोड़ो,,में दूध को बोतल लेकर आते हैं,,,
सुधिया की यह बात सुनते ही सूरज का तन-बदन रोमांचित हो उठा,,, और सूरज ने सुधिया को तुरंत छोड़ दिया सुधिया शरमाते हुए उसकी बांहों से अलग होने लगी,,,, वह चलते हुए थोड़ी दूरी पर रखी दूध की बोतल ले आइ और इस दौरान उसके पायल और उसकी चूड़ियों की कनक पूरे कमरे खेत में अपनी मादकता का असर छोड़ रहा था,,,
सूरज नीचे घास के सेज पर बैठ गया और लालटेन की हल्की रोशनी में सुधिया को देखने लगा
सुधिया हाथ में दूध की बोतल लिए सूरज के करीब आई और उसे थमाते हुए बोली,,,,
लिजिए पहले दूध पी लीजिए,,,,
( सुधिया ने बड़े प्यार से सूरज को दूध की बोतल थमा दी और सूरज भी खुशी खुशी दूध की बोतल को पकड़ते हुए बोला,,,।)
यह ठीक है,,, रात भर हमसे मेहनत करवाने से पहले खिला-पिलाकर मजबूत किया जाए,,,
( सूरज की बात सुनकर सुधिया खिलखिलाकर हंसने लगी सूरज दूध की बोतल अपने मुंह में लगाकर पीने लगा दूध की धार उसके प्यासे गले को तर करती हुई पेट में जाने लगी। दूध के स्वाद में अलग ही लज़्ज़त और महक थी, जो सूरज को दीवाना बना रही थी।
अपनी मामी का शिलाजीत मिलाया हुवा गरम दूध पीके वो जन्नत में था, उसका लंड इतना सख्त हो गया था कि धोती फाड़ के अभी बाहर आ जायेगा। सूरज ने दूध की बोतल पीकर खत्म कर दि,,, ओर बाजूमें रख दीया।
सूरज जल्दी से खड़ा हुआ और सुधिया के पीछे जाकर खड़ा होते हुए ऊसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके कानों को चूमते हुए
पूरी तरह से सुधिया की मदमस्त बदन को लूटने के लिए तैयार था, उसका लंड लगातार सुधिया के नितंब ऊपर रगड़ खाते हुए ऊपर नीचे हो रहा था।
सुधिया भी सूरज के लंड के कड़कपन को अपनी जवानी से भरपूर गांड पर महसूस करके अपनी टांगों के बीच से मदन रस टपका रही थी।,,, उन्नत नितंबों के बीच की गहरी लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी सूरज को महसूस हो रही थी।,,,
सूरज लगातार उसके नितंबों पर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए उसकी बुर में आग लगा रहा था,,,, जिस तरह से पत्थर को आपस में रगड़ कर उसमें से चिंगारी पैदा की जाती है उसी तरह से सूरज भी अपने बदन को सुधिया के खूबसूरत बदन से रगड़ कर गर्मी पैदा कर रहा था,,,
सुधिया मदहोश हुए जा रही थी उसके बदन के हर कोने पर सूरज पूरी तरह से कब्जा जमा चुका था,, नितंबो पर अपने लंड की रगड़ाई और चूचीयो पर अपनी हथेलियों का दबाव देते हुए सुधिया को पूरी तरह से अपनी आगोश में भर चुका था,,,,।
सुधिया मेरी जान मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम मेरी बाहों में हो,,,( सुधिया के कोमल गर्दन को अपनी होठो की गर्माहट प्रदान करते हुए बोला,, सुधिया से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था वह बस हल्की हल्की सिसकारी लेते हुए मस्त हुए जा रहीे थी )
सुधिया आज उसकी बाहों में थी और सूरज ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाकर मजे ले रहा था,,,,
रात धीरे धीरे गहरा रही थी,, सूरज शादीशुदा ना होकर भी आज सुहागरात मनाने जा रहा था
सूरज आहिस्ता आहिस्ता ब्लाउज के बटन खोलने लगा और अपने ब्लाउज को खुलता हुआ देखकर सुधिया की सांसो की गति तीव्र होने लगी,,,,
जैसे-जैसे ब्लाउज के बटन खोल दे जा रहे थे वैसे वैसे सुधिया की सांसे उखड़तेजा रही थी। कुछ ही पल में सूरज अपनी उंगलियों को फुर्ती बढाते हुए ब्लाउज के सारे बटन को खोल देता है,,,,
सुधिया की दोनों बेशकीमती खजानो पर से पहला लिबास हट चुका था,,,, परंतु जैसे किसी बेशकीमती खजाने को छुपाने के लिए उसकी सुरक्षा करने के लिए ताला बनाए जाते हैं,,, उसी तरह से सुधियाने अपनी बेशकीमती खूबसूरत खजाने को ब्लाउज के नीचे भी ब्रा के ताले से ढक रखी थी,,,, इसलिए सूरज को असली खजाने तक पहुंचने के लिए एक बार और मशक्कत करके उसके ऊपरी आवरण को हटाने का कष्ट देना था।,,,
परंतु सूरज उसकी ब्रा को ना उतारकर ब्रा के ऊपर से ही उसकी नर्म नर्म चूचियों को दबाने का आनंद लूटने लगा,,। एक बार फिर से उत्तेजना के मारे सुधिया के मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी,,,
सूरज के हाथ उसकी चूचियों पर जो पड़ रहा था,,, रह रह कर उसकी सांसें ऊखड़ती जा रही थी,,। सूरज अपने लंड का दबाव लगातार उसके नितंबों पर बढ़ाते हैं उसके दोनों कबूतरों से मजा ले रहा था,,, वह सुधिया की गर्दन को चूमते हुए बोल़ा,,।
सुधिया मेरी जान तुम्हारी चूचियां तो बहुत लाजवाब लग रही है,,, जी में आ रहा है की मुंह में भरकर पी जाऊं,,,
इस समय सूरज के एक एक शब्द सुधिया को कामुकता से भरे हुए लग रहे थे सुधिया को संपूर्ण रूप से उत्तेजना की कगार पर लिए जा रही थी सुधिया के मुंह से जवाब देने के लिए कुछ भी नहीं कर रहा था वह बस गहरी गहरी सांसे लिए जा रही थी,,,,
सूरज अभ एक पल की भी देरी किए बिना सुधिया की ब्लाउज को उसकी बांहों में से निकालने लगा वह भी उसका साथ देते हुए अपनी बाहों को पीछे की तरफ कर दी ताकि वह उसके ब्लाउज को आराम से निकाल सके,,,,
सूरज ने सुधिया को नंगा करना शुरू कर दिया
ब्लाउज के उतारते ही वह सुधिया की मखमली ब्रा का हुक खोलने लगा,,, सुधिया की सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,,, और कुछ ही सेकंड में सूरज को उसकी ब्रा उतारने में तनिक भी समय नहीं लगा और सुधिया कि दोनों चूचियां ब्रा की कैद से बाहर आते ही कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी,,,, सुधिया शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी कमर के ऊपर व संपूर्ण रूप से नंगी हो चुकी थी सूरज सुधिया की गदराई जवानी की सूचक उसकी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया और दबातें हुए बोला,,,
ओहहहह,,, सुधियां तुम जितनी गदराइ माल हो तुम्हारी चूचियां भी उतनी ही गदराइ है,,, एकदम नारियल की तरह ऊपर से कड़क और अंदर से नरम,,,,, मुझे तो इन्हें दबाने में बहुत मजा आ रहा है इसे पीने में भी उतना ही मजा आएगा,,,,
( सूरज की एक-एक बात सुधिया के तन बदन में कामाग्नि भड़का रही थी,,, इस बात को सोच कर ही उसकी बुर से मदनरस की बूंद टपकने लगी कि सूरज उसकी चुचियों पर मुंह लगा कर उसकी चूची को पिएगा,, सुधिया को बेसब्री से इस पल का इंतजार होने लगा
जिस पल को आने में,, कुछ ही सेकंड की प्रतिक्षा रह गई थी। सूरज सुधिया की गदराइ जवानी को अपने हाथों से मसल रहा था,,, सूरज उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी,,
सूरज ने सुधिया के कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया,,, सुधिया शरमा रही थी इसलिए शरम के मारे वह सूरज से नजर नहीं मिला पा रहेी थीे और अपनी नजरों को नीचे झुकाए खड़ी थी।,,,
इस समय सुधिया एकदम मासूम और निहायत ही खूबसूरत मादक लग रही थी,,,, जिसकी खूबसूरती देखकर सूरज की जवानी पिघल रही थी। उससे रहा नहीं गया और वह अपने होठों को सुधिया के लाल-लाल होठों पर रख कर उसके रस को चूसना शुरू कर दिया,,, सूरज की इस हरकत की वजह से सुधिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दोड़ने लगी,। सूरज लगातार उसके होंठों का रसपान करते हुए अपने हथेलियों को उसकी नंगी पीठ पर इधर उधर घुमा रहा था जिससे सुधिया की कामोत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी,,,,
सुधिया सूरज की हरकतों का मजा ले रही थी।
सूरज सुधिया के लाल होठों को चूसने लगा और साथ ही अपनी हथेली को उसकी कमर से नीचे ले जाते हुए उसके गोलाकार नर्म नर्म नितंबों को हथेली में भर कर दबाने लगा,,, अपनी गांड पर सूरज की हथेली का दबाव महसूस करते ही सुधिया एकदम से चुदवासी हो गई,,, और वह भी सूरज के होठों को जोर जोर से चूसना शुरु कर दी। सुधिया के नितंबों को दबाते हुए एकदम उत्तेजित हो गया,,,
धोती मे उसका लंड गदर मचा रहा था,, जो कि इस समय सुधिया के ठीक जांघों के बीच बुऱ के ऊपर रगड़ खा रहा था।
सुधिया भी उसकी बूर पर सूरज के कठोर लंड को महसुस की तो वह भी काम उत्तेजना से भऱने लगी।,,,, सूरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए वह तुरंत सुधिया के होठों का रसपान करते हुए सुधिया को अपनी गोद में उठा लिया सुधिया इस के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी,,,,ईसलिए वह हड़ बढ़ाते हुए बोली,,,
धीरे से नही तो मैं गिर जाऊं,,,,
मेरी जान मैं तुम्हें यूं गिरने नहीं दूंगा,,, अब तुम मेरी हो चुकी हो और तुम्हारी रक्षा करना मेरा फर्ज है किसी भी प्रकार की चोट नहीं लगने दूंगा,,,, इतना कहते हुए सूरज सुधिया को बराबर अपनी भुजाओं में उठा लिया,,,
गठीला बदन का मालिक सूरज अपनी भुजाओं में इतनी ताकत तो रखता था कि वह सुधिया जैसी दो गदराई जवानी से भरपूर औरतो को भी अपनी गोद में उठा सकता था।
सुधियां की साड़ी का पल्लू नीचे जमीन पर लहरा रहा था सूरज उसकी आंखों में देखते हुए उसे घास के सेज के करीब ले जाने लगा नजारा बेहद कामुकता से भरा हुआ था,,, जिससे वह कामोंत्तेजित होकर कसमसा रही थी,,,। सूरज नीचे घास पर लेटाते हुए बोला,,,।
मेरी जान सुहागरात का असली मजा तो खुले खेतो पर ही आता है देखना में इस नरम नरम घास पर तुम्हारी गदराई जवानी का रस कैसे निचोड़ता हूं,,,।
इतना कहते हुए सूरज सुधिया को घास पर लिटा दिया और सूरज की बातें सुनकर सुधिया रोमांचित हो कर अपने हातो से अपना मुंह छुपा लीया,,,
सुधिया को इस तरह से शरमाते हुए देखकर सूरज का लंड पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा हो गया,,
सूरज - सुधियां आज तुम बिलकुल नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही हो जिससे मुझे और भी मजा आ रहा हे।
सूरज से अब एक पल भी रुक पाना बेहद मुश्किल था,, इसलिए वह सुधिया पर झुकते हुए उसके दोनों कबूतरों को पकड़कर बारी-बारी से उसे मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, सूरज की हरकत की वजह से सुधिया का बदन पिघलने लगा,,, उसकी कच्छी गीली होने लगी,,, और वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए स्तन चुसाई का मजा लेने लगी,,,
सूरज को अपने बालों में नरम नरम उंगलियों का एहसास होने लगा सूरज और जोर जोर से उसकी चूचियों को दबाते हुए उसका दूध पीने लगा,,,
सूरज ने भी सुधिया की चूचियों को मुंह में भर भर कर पीते हुए उसे लाल टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,,
सुधिया उत्तेजना की अथाह सागर में गोते लगा रही थी
सुधिया भी जोश में सूरज के बाल को अपनी मुट्ठी में भींच रही थी,,,,
इसमें सूरज को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, सूरज उसकी चुचियों को मुंह में भर कर पीते हुए एक हाथ से उसकी साड़ी की गाट खोलने लगा,,, और अगले ही पल मुंह में चूचियों को भरकर पीते हुए ही सूरज ने सुधिया की साड़ी को खोल कर अलग कर दिया,,, उसके बदन पर इस समय मात्र पेटीकोट ही रह गया था।
आज ना जाने क्यों सुधिया की चूचियों को पीने में सूरज को बेहद मजा आ रहा था इसलिए वह अभी तक अपने मुंह में से सुधिया की चुची को बाहर नहीं निकाला था। किसी बच्चे की भांति चूचियों को पी रहा था।
सूरज अब पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, सुधिया की कच्छी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
सूरज का मन सुधिया की रसीली बुर को देखने के लिए मचलने लगा,,,, इसलिए तुरंत वहां पेटिकोट की डोरी को पकड़कर उसे खींच दिया,,,, पेटीकोट का कसाव कमर पर से ढीला हो गया
सुधिया की हालत खराब होने लगी क्योंकि अगले ही पल वह संपूर्ण रूप से नंगी होने वाली थी,,, उसके बदन की कसंसाहट बढ़ती जा रही थी,,,,। काफी देर तक सुधिया की रसीली संतरे के साथ खेलने के बाद सूरज बाजूमे में बैठ गया,,,
ओर सुधिया की तरफ देखा तो वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी,, लालटेन की पीली रोशनी में सुधिया का बदन चमक रहा था,, ऐसा लग रहा था मानो सुधिया पीले रंग की रोशनी में नहाई हुई है,,,,
सूरज गदराइ जवानी को घास में लेटे देखकर कामातूर होने लगा
सूरज अब अपने दोनों हाथो से सुधिया का पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, लेकिन सुधिया की गोलाकार नितंबों का दबाव अभी भी पेटीकोट के ऊपर था जिसकी वजह से पेटिकोट को नीचे सरकने में काफी मशक्कत हो रही थी,,, सुधिया मन ही मन सोच रही थी कि वह थोड़ा जोर लगाकर पेटीकोट को यूं ही खींचकर निकाल ले
लेकिन ऐसा हो नहीं पाया तो उसे खुद ही अपनी गदराई गांड को हल्के से ऊपर उठा कर पेटिकोट को निकलवाने में मदद की।
सूरज ने जल्द से जल्द सुधिया के पैरों से पेटीकोट निकाल कर बाजूमे फेंक दिया,,,, सूरज की आंखों के सामने सुधिया केवल लाल रंग की कच्छी में लेटी हुई थी,,,,
जिसे सूरज ने तुरंत अपने दोनों हाथों से पकड़कर खींचकर पैरो से निकाल कर बाजूमे में फेंक दिया इस बार भी सुधिया ने उसी तरह का सहकार दिया जैसा की पेटीकोट निकलवाने में दी थी,,,
अब सुधिया सूरज की आंखों के सामने घास पर एकदम नंगी लेटी हुई थी । वह एकदम शर्म सें लाल हुए जा रही थी वह अपने हाथों से अपनी बुर को छुपाने की कोशिश कर रही थी।,,
सूरज - सुधिया क्यों इतना शरमा रही हो अपनी बूर छुपा रही हो जैसे मेने कभी देखी नही हो, तुमरी इन हरकतों की वजह से ऐसा लग रहा हे की में किसी कुंवारी लड़की को चोद रहा हू।
मेरी जान अपने बेश कीमती खजाने को मुझसे कहा छुपा रही हो क्योंकि तुम भी जानती हो कि मैं यह तुम्हारा खजाना आज में लूटने वाला हूं,,,,।
सूरज की बातों को सुनकर सुधिया शर्म के मारे लाल हुए जा रही थी और शरमाते हुए बोली,,
सुधिया - आराम से इस खजाने को लूटना मैं कहीं भागे नहीं जा रही हूं,
सूरज ने सुधिया की टांगों के बीच नजर घुमाकर देखने लगा लालटेन की लाल पीली रोशनी में सुधिया की बालों से भरपूर बुर साफ नजर आ रही थी,,, सूरज से रहा नहीं गया और का बुर के ऊपर अपनी उंगलियां फेर कर देखने लगा,,,, अपनी बुर पर ऊंगलियों का स्पर्श पाते ही,,, सुधिया उत्तेजना से झनझना गई,, सूरज की भी सांसे तेज चलने लगी,,,
सूरज ने जादा समय ना गवाते हुए अपने होठों को सुधिया की मखमली बुर पर रखकर उसे चुमना शुरू कर दिया,,,
सुधिया सूरज के तपते हुए होठों को अपनी दहकती हुई बुर पर महसूस करते ही एकाएक उत्तेजना के मारे अपनी कमर को ऊपर की तरफ उचकाई और भलभलाकर अपना मदन रस बहाने लगी,,,, उसकी सांसे तीव्र गति से चल रही थी वह आज जलादि झढ़ चुकी थी,,,
सूरज बुर को चुमते चुमते अपनी जीभ को बुर की दरार के बीचोबीच फंसाा कर अंदर से बह रहे नमकीन रस को चाटना शुरू कर दिया,,,
सुधिया की उखड़ती सांसे अभी दुरुस्त हुई भी नहीं थी कि सूरज के इस हमले की वजह से वह पूरी तरह से धरा कर झड़ गई,,, सूरज बड़े चाव से सुधिया के मदनरस को चटाके लगाकर उसका मजा ले रहा था,,,, कुछ ही देर में सूरज सुधिया की पूरी हुई कचोरी को चाट चाट कर सुधिया को मस्त कर दिया और पूरे कमरे में खेतो में गरम सिसकारी की आवाज गूंजने लगी,,,
उत्तेजना के मारे सुधिया अपने दोनों हाथों से सूरज के बालों को पकड़ कर अपनी बुर पर दबाए हुए थी,,,
सुधिया आज बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी वह लगातार सूरज के बालों को भींचते हुए उसके मुंह का अपनी जांघों के बीच दबाए हुए थी,,, और गरम सिसकारी लेते हुए वह बोले जा रही थी,
ओहहहहहह,,,,, मेरे राजा यह क्या कर रहे हो मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम मेरी बुर चाट कर सारा पानी पी गए। बहुत मजा आ रहा है बस ऐसे ही चाटते रहो,,,,आहहहहहहहह,,,, सससससहहहहहहह,,,, और जोर से अंदर तक जीभ डालकर चाटो,,,,, आहहहहहहहह,, आहहहहहहहहहह,,,,
सुधिया पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, सूरज उसकी गरम बातें और उसकी सिसकारी की आवाज सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हुए जा रहा था।
सूरज पूरी तरह से फूली हुई कचोरी सामान बुर को चाट चाट कर लाल कर दिया था,,,, सूरज अपनीे बीच वाली उंगली को बुर में डाल कर अपने लंड के लिए रास्ता भी बना रहा था,,, सूरज कि उंगली का ही असर था कि सुधिया फिरेस सूरज के मोटे लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही थी,,, सूरज भी पूरी तरह से उत्तेजनाग्रस्त होकर बुर को चाटते हुए ही अपनी धोती उतार कर एकदम नंगा हो गया था,,, ऊसका लंड सुधिया की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था,,,,
सुधिया अपनी बुर चटवा कर पानी पानी हुएें जा रही थी।
सुहागरात के लगाया हुआ घास का सेज तितर-बितर हो चुका था,,,
सूरज अब सुधिया को चोदने के लिए बेस्ब्र हुए जा रहा था,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि अब उसके मुंह ओर हाथ काम खत्म हो चुका था अब उसके लंड की बारी थी अब उसे नहीं बल्कि उसके लंड को फिरसे अपना जौहर दिखाना था,,,।
इसलिए सूरज अपना मुंह सुधिया की पानी से तरबतर बुर पर से हटा लिया,,,, सूरज के होठो पर से सुधिया का मदनरस टपक रहा था।,,, सुधिया पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी चुदवाने की प्यास उसके चेहरे पर अब बढ रही थी।
सूरज ठीक सुधिया के करीब खड़े होकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,
सुधिया मेरी जान यह तुम्हारे लिए है,,,, लंड तुम्हारी बुर में जाएगा,,, लेकिन अपनी बुर में लेने से पहले थोड़ा इसे प्यार करो ताकि यह और अच्छे से तुम्हारी चुदाई कर सके,,,
सुधिया सूरज की बात सुनकर उसकी तरफ देखने लगी उसका मोटा खड़ा लंड लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रहा था जो सुबह के मुकाबले जादा मोटा और लंबा नजर आ रहा था जो आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था
सुधिया मन में लगता है शिलाजीत की पूरी पुड़िया का सारा चूरन एक बार में खाने की वजह से सूरज का लंड बोहोत मोटा और लंबा लग रहा हे
सूरज के बिकराल लंड की लंबाई और मोटाई देखकर सुधिया डर के मारे सीहर गई। क्योंकि सुधियां समाज गई थी की सूरज को वह दूध पिला के उसने गलती की थी शिलाजीत की वजह से लंड का आकार बढ़ गया था।
सूरज नीचे की तरफ झुककर अपने मोटे लंड को सुधिया के होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, सूरज को भी लगा रहा था की उसके लंड का आकार सुबह के मुकाबले ज्यादा बड़ा लग रहा हे।
सूरज अपना एक हाथ सुधिया की नंगी चुचियों पर रख कर के दबाना शुरू कर दिया जिसकी वजह से सुधिया की तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके होंठ हल्के से खुल गए जिसकी वजह से सूरज ने चालाकी दिखाते हुए अपने लंड के सुपारी को उसके होठों के बीच प्रवेश करा दिया,,,
सूरज सुधिया की चूची को दबाते हुए बोला,,,
मेरी जान तुम जैसे लॉलीपॉप मुंह में भर कर चुसते हैं उसी तरह चुसो तो तुम्हें भी बहुत मजा आएगा मेरी जान,,,
सुधिया ने लॉलीपॉप की तरह ह लंड के सुपाड़े को चाटना शुरू कर दीया। सूरज भी सुधिया के इस तरह के लंड चाटने की वजह से पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था,,, कुछ देर तक लंड चटवाने के बाद वह सुधिया की जांघों के बीच अपनी जगह बना लिया,,,,
सूरज को अपनी बुर की सरहद पर हथियार लेकर तैनात होता हुआ देखकर सुधिया का दिल जोरों से धड़कने लगा वह शिलाजीत के वजह से फूले हुआ सूरज के मोटे लंबे हथियार की वजह से डर का अनुभव कर रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था।
सूरज मोर्चा संभालते हुए अपने मोटा हथियार को सुधिया की फुली हुई कचोरी के बीचोबीच रख दिया,,, मोटे लंड के सुपाड़े की गर्माहट को अपनी बुर पर महसूस करते हीैं खुशी के मारे उत्तेजना बस सुधिया की बुर से नमकीन रस बुंद बन कर चुने लगी,,,
सूरज सुधियां के बुर में लंड डालने के लिए तैयार हो चुका था वह लंड के सुपाड़े को बुर की लकीरों पर रगड़ते हुए धीरे से उसे अंदर की तरफ सरकाना शुरू किया,,, सुधिया खुशी के मारे अपनी आंखों को बंद कर ली,, बुर गीली होने की वजह से सूरज का मोटा लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ सरक रहा था,,, जैसे-जैसे वह अंदर की तरफ सरक रहा था वैसे वैसे सुधिया के सांसों की गति तेज होती जा रही थी,,,, धीरे-धीरे करके सूरज ने अपने लंड की मोटे सुपाड़े को बुर की गहराई में उतार दिया,,,
सुधिया - "आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहहहहहहहहहहहहहहहहहह.........बबबबबबाबाबाबासूरजबूबू बूबूबूबूबूबूबूबूबूबूबू............... मेरीबूबूबूबूबूबूररररररर..........मर गयी दैय्या............हाय.......अम्मा............
धक्का इतना तेज था कि सुधिया की दोनों जांघे अच्छे से फैल गयी थी और उसका बदन लगभग एक फुट ऊपर को सरक गया दोनों चूचीयाँ बुरी तरह हिल गईं, दोनों पैर हवा में ऊपर को उठ गए, दर्द से उसका मुँह खुल गया और वो बुरी तरह तड़प उठी, एक ही बार में उसके सूरज का मोटा लंड बूर की गहराई को चीरता हुआ उस जगह पर जा पहुंचा जिसके लिए सुधिया कब से तरस रही थी, तेज तेज सिसकारियां लेते हुए उसकी साँसे फूलने लगी, पर न जाने क्यों उसे बहुत अच्छा लगा।
सूरज ने अपना आधा लंड बूर में से निकाल कर फिर दुबारा धक्का से बूर में घुसेड़ दिया तो इस बार सुधिया के मुँह से न चाहते हुए भी निकल ही गया- ओह सूरज..... तुमारा लंड.....जरा धीरे घुसा।
आखिर सुधिया भी कब तक चुप रहती वासना की आग में वो भी कब से जल रही थी
सूरज ये सुनकर सुधिया को बेताहाशा चूमने लगा और सुधिया जोर जोर कराहने सिसकने लगी, सुधिया भी
सूरज के सर को पकड़कर दनादन जहां तहां चूमने लगी, काफी देर तक दोनों एक दूसरे को चूमते रहे, सुधिया से रहा नही गया तो उसने कह ही दिया- सूरज तुम बहुत अच्छे हो।
सूरज- आह मेरी सुधिया तू भी बहुत रसीली है......बहुत रसीली, ऐसा सुख मुझे आजतक नही मिला।
सूरज ने लन्ड से एक धक्का बूर में मारा तो सुधिया फिर कराह उठी
सूरज बोला- बोल न सुधिया.....
सुधिया ने फिर शर्माते हुए बोला- लंड बहोत मोटा हे
सूरज- हाय मेरी रानी......सच
सुधिया - हाँ सूरज......बहुत रसीला है.......उसका आगे का भाग....उसका मुँह कितना चिकना है और बड़ा है इस वक्त मेरी बूर में कितने अंदर तक घुसा हुआ है।
सूरज पागलों की तरह सुधियां की मदमस्त फूली फूली गुदाज चूचीयों को मुँह में भर भर के बारी बारी पीने लगा और सुधिया जोर जोर से मचलते हुए उन्हें बड़े प्यार से उनका सर सहलाते हुए अपनी चूचीयों पर दबाने लगी,
सुधिया खुलकर सिसकने लगी थी, तेज तेज सूरज के सर को और पीठ को सहलाते हुए उन्हें बारी बारी से अपनी चूचीयाँ परोस परोस के निप्पल पिलाने लगी,
सुधिया ने रुककर अपनी एक चूची अपने हांथों में ली और बड़े प्यार से सूरज के मुँह में डाल दी।
सूरज सुधिया की चूचीयों को खूब जोर जोर से कराहते हुए दोनों हांथों से दबाने मसलने लगा और दोनों जमीन पर एक दूसरे को बाहों में थे, सुधिया से अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो गया तो उसने आखिर सूरज से धीरे से कहा- सूरज
सूरज- हाँ मेरी रानी
सुधिया - पेलिये न अब......अब चोद दीजिए मुझे.......अपनी पत्नी को
इसे कहते हुए सुधिया ने गाँड़ ऊपर उठने से बूर और ऊपर उठकर ऊपर को उभर गयी फिर सूरज ने कस के एक तेज धक्का मारा तो सुधिया दर्द से सिरहते हुए बोली- बस सूरज.....बहुत अंदर तक जा चुका है......अब चोदिये मुझे.....बर्दाश्त नही हो रहा है मुझे.....मर जाउंगी मैं........मेरी प्यास बुझा दीजिए........तृप्त कर दीजिए अपनी पत्नी को अपने लन्ड से।
सुधिया का इतना कहना था कि सूरज ने अपने दोनों हाँथ नीचे ले जाकर सुधिया की चौड़ी गाँड़ के दोनों मांसल पाटों को थाम कर हल्का सा और उठा लिया और
सुधिया के होंठों को चूमते हुए धीरे धीरे बूर में धक्का मारना शुरू किया, सुधिया ने भी अपने सूरज के होंठ चूसते हुए कस के उन्हें बाहों में भरकर अपने पैरों को अच्छे से उनकी कमर से लपेट दिए।
अभी धीरे धीरे ही बूर में धक्के लग रहे थे सुधिया को असीम आनंद आने लगा और वो सातवें आसमान में उड़ने लगी,
सुधिया सबकुछ भूलकर लन्ड में ही खो गयी, लन्ड के ऊपर फूली हुई मोटी मोटी नसें कैसे बूर की अंदरूनी मांसपेशियों से रगड़ खा रही थी, कैसे उसके सूरज के लन्ड का मोटा सा सुपाड़ा बार बार बूर की गहराई में अंदर तक बच्चेदानी पर ठोकर मारकर उसे गनगना दे रहा था, कैसे उसके सूरज चोदते वक्त बीच बीच में अपनी गाँड़ को गोल गोल घुमा घुमा कर लन्ड को आड़ा तिरछा बूर में कहीं भी पेल दे रहे थे जिससे सुधिया जोर से सिसक जा रही थी।
सूरज अब थोड़ा तेज तेज धक्के मारने लगा, सुधिया का समूचा बदन तेज धक्कों से हिल जा रहा था, सुधिया की आंखें असीम आनंद में बंद थी और वो परमसुख की अनुभूति और रसीले धक्कों की कायल होकर " आह.... सूरज....ऊई मां.....उफ़्फ़फ़फ़.....आह.....ऐसे ही सूरज........तेज तेज सूरज........पूरा पूरा डालो न........हाँ ऐसे ही........अपने दोनों हांथों को मेरी पीठ के नीचे ले जाकर कस के आगोश में लो न सूरज मुझे.........हाँ ऐसे ही.......गोल गोल घुमा के जोर से पेलो न बूर में.. ....हाँ बिल्कुल ऐसे ही..........आआआआहहहह.......और पेलो सूरज....ऐसे ही........मारो मेरी चूत सूरज.......अपनी पत्नी की चूत मारो......आखिर चूत तो मारने के लिए ही होती है........तेज तेज करो.........कितना अंदर तक जा रहा है अब आपका लंड........... मेरी बच्चेदानी को हर बार चूम कर आ रहा है मेरे सपनों का लन्ड.........चोदो सूरज मुझे......ऐसे ही.......हां..... ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई......... मां....... कितना तेज धक्का मारा इस बार.......थोड़ा धीरे सूरज........हाय मेरे सूरज।
अत्यधिक जोश में सुधिया ऐसे ही बोले जा रही थी, अब सुधियां फिर से खुल चुकी थी,
सूरज बीच बीच में रुककर अच्छे से अपनी गाँड़ को गोल गोल घुमाकर अपने मोटे लन्ड को बूर में गोल गोल बूर के किनारों पर रगड़ने की कोशिश करता था जो सुधिया को बहुत पसंद था वो अपने सूरज के इसी हरकत की कायल थी, जब भी सूरज ऐसा करता सुधिया जोर जोर से अपनी गाँड़ नीचे से उछाल उछाल के अपने सूरज की ताल में ताल मिलाती और रसभरी चुदाई का भरपूर मजा लेती।
सूरज का लन्ड इतना जबरदस्त सुधिया की बूर को चीरकर उसमे घुसा हुआ था कि सुधिया की बूर किसी रबड़ के छल्ले की तरह लन्ड के चारों ओर फैलकर चिपकी हुई थी।
सूरज के धक्के अब बहुत तेज हो चले थे, जहां पहले शर्म और लज़्ज़ा कि वजह से बड़ी मुश्किल से सिसकियां निकल रही थी वहीं अब खेत तेज तेज चुदाई के आनंद भरे सीत्कार से गूंज उठा था, चुदाई की फच्च फच्च की आवाज वासना को और बढ़ा दे रही थी, तेज तेज धक्कों से दोनों मामी भांजा अंदरूनी जाँघों की टकराने की थप्प थप्प की आवाज अलग ही आनंद दे रही थी।
सूरज किसी जंगली की तरह तेज तेज धक्का से बूर को चोदा जाता है ये सुधिया आज महसूस कर रही थी और इस वहशी और जंगलीपन चुदाई का तो अनोखा ही मजा था,
सूरज अब पागलों की तरह बहुत तेज तेज हुमच हुमच कर अपनी कमसिन सी सुधियांकी बूर में अपना वहशी लन्ड पेलने लगा और सुधिया को इससे अथाह आनंद आने लगा, सुधिया जोर जोर से कराहते और हाय हाय करते हुए नीचे से अपनी गाँड़ तेज तेज उछालने लगी,
दोनों अब मदरजात नंगे जमीन पर एक दूसरे में समाए हुए थे, काफी देर तक सूरज दनादन अपनी सुधियां की चूत मारता रहा,
एकाएक सुधिया और सूरज ने एक दूसरे को देखा और दोनों वासना में मुस्कुरा उठे सुधिया ने मारे शर्म के अपना चेहरा अपने सूरज के सीने में छुपा लिया,
इस दौरान सुधिया और सूरज ने एक दूसरे को आपस मे चुदाई करते हुए देखे जा रहे थे।
सूरज कस कस के अपनी शादीशुदा मामी सुधियांकी चूत मारते हुए उसके होंठों को अपने मुंह में भरकर पीने लगा, सुधिया के बदन में एक सनसनाहट सी होने लगी, उसकी रसीली बूर की गहराई में तरंगे उठने लगी, किसी का होश नहीं रहा उसे अब, नीचे से खुद भी गाँड़ उछाल उछाल के अपने पति सूरज से अपनी चूत मरवा रही थी, तभी सूरज ने अपनी जीभ सुधिया के मुँह में डाली और जैसे ही तेज तेज धक्के चूत में मारते हुए अपनी जीभ सुधिया के मुंह में घुमाने लगा सुधिया जोर से कराहती हुई गनगना के अपनी गाँड़ को ऊपर उठाते हुए अपनी बूर में अपने सूरज का लंड पूरा खींचते हुए झड़ने लगी,
उसकी बूर से रस की धार किसी बांध की तरह टूटकर बहने लगी, उसकी बूर अंदर से लेकर बाहर तक संकुचित होकर काम रस छोड़ने लगी, उसकी बूर की एक एक नरम नरम मांसपेशियां मस्ती में सराबोर होकर मानो अपने सूरज के लन्ड से लिपटकर उसका धन्यवाद करने लगीं, गनगना कर वो बहुत देर तक अपने सूरज से लिपटकर हांफती रही, काफी देर तक उसकी बूर झड़ती रही
सूरज का लन्ड अभी भी सुधिया की चूत में डूबा हुआ था, वो सुधिया को अपने आगोश में लिए बस प्यार से चूमे सहलाये जा रहा था, अब सूरज से भी बर्दाश्त नही हो रहा था उसके लन्ड की नसें भी मानो जोश के मारे फटी जा रही थी।
थोड़ी ही देर के बाद जब सुधिया की उखड़ती साँसे कुछ कम हुई सूरज ने अपने लंड को अपनी सुधियां की चूत से बाहर खींचा और तेजी से दुबारा रसीली चूत में डाल दिया सुधिया फिर से गनगना गयी लेकिन अब सूरज कहाँ रुकने वाला था अपनी सुधियांको उसने फिर अपने आगोश में अच्छे से दबोचा और जमकर उसकी चूत मारने लगा,
सुधिया बेसुध सी हल्का हल्का सिसकते हुए अपनी कमसिन सी चूत फिर से अपने सूरज से मरवाने लगी, तेज तेज धक्के मारते हुए अभी दो तीन ही मिनिट हुए होंगे कि सूरज भी अपनी सुधियांकी नरम चूत की लज़्ज़त के आगे हार गया और तेज तेज कराहते हुए झड़ने लगा "ओह मेरी सुधिया कितनी मुलायम और नरम चूत है तेरी......आआआआआहहहहह.......इतना मजा आएगा अपनी सुधियांको चोदकर........उसकी चूत मारकर......ये कभी सपने में भी नही सोचा था.......आह मेरी रानी......चूत इतनी भी नरम और लज़्ज़त भरी होती है आज तेरी चूत मारकर आभास हुआ मेरी रानी.......आह
सुधिया ने सूरज को चूमते हुए अपनी बाहों में भर लिया और सूरज मोटी मोटी वीर्य की गरम गरम धार सुधिया की चूत में उड़ेलते हुए उसपर जोर जोर से हांफते हुए लेट गया, सुधिया की बूर अपने सूरज के गरम गरम गाढ़े वीर्य से भर गई, सुधिया अपने सूरज का गाढ़ा गर्म वीर्य अपनी बूर की गहराई में गिरता महसूस कर गुदगुदा सी गयी दोनो मामी भांजा इस चुदाई के बाद पति पत्नी बन गए थे।
सुधियां ओर सूरज अपनी उखड़ी सांसों को काबू करते हुए एक दूसरे को बेताहाशा चूमने लगे,
दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते, सूरज ने बड़े प्यार से सुधिया के चेहरे को अपने हांथों में लिया और होंठों को चूमते हुए बोला- मेरी जान.......आज कितना अनमोल सुख दिया तुमने अपने पति को।
सुधिया ने भी प्यार से अपने सूरज के होंठों को चूमा और बोली- मेरे प्यारे सूरज.....अपने भी तो अपनी पत्नी को तृप्त कर दिया अपने मोटे लन्ड से।
सूरज धीरे से सुधिया के बगल में लेटते हुए अपना लंड उसकी रसीली जोश में उभरी और फूली हुई बूर में से निकाल लिया, जब लंड बाहर आने लगा तो बूर की अंदरूनी मखमली दीवारें जैसे उससे लिपट लिपट कर न जाने की विनती करने लगी और भरी हुई बूर के अंदर फिर से खालीपन होने लगा जिससे सुधिया के मुंह से हल्का सा "अहह" की आवाज निकली, दोनों अगल बगल लेट गए, वीर्य की धार बूर से निकलकर जाँघों से होती हुई बिस्तर पर गिरने लगी, मानो लन्ड के निकल जाने से बूर आंसू बहाने लगी हो, सूरज के मोटा लंड पर सफेद सफेद काम रस ऐसे लिपटा हुआ था मानो उसने मक्ख़न के डिब्बे में से अपना लंड निकाला हो,
सुधिया की बूर अपना काम रस बहाने लगे दोनों एक दूसरे को कसके अपनी बाहों में भींचे हुए थे। सुधिया अपनी सुहागरात को संतुष्टि पूर्वक मना चुकी थी,,
सुधिया और सूरज दोनों घास पर लेटे हुए थे।