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तो दोस्तों पहले भाग में आप लोगों ने पढ़ा कैसे मेरी मम्मी की ब्रा मुझे पसंद आने लगी जब मेरा लिंग सही से खड़ा भी नही होता था। असल में मैने अपनी मम्मी पापा की चुदाई देखी थी इस वजह से मम्मी के अंतः वस्त्र मुझे अच्छे लगने लगे(मम्मी पापा की चुदाई बाद में बताऊंगा)।
मैं तब 11 साल का था और मेरी बहन नेहा कोई 13 साल की रही होगी। जब मम्मी की ब्रा मुझे अच्छी लगी तो सोचा मम्मी तो थोड़ी ज्यादा उम्र की हैं मगर नेहा तो जवान हो रही है, तो इसकी ब्रा पैंटी पहनके तो मेरे लिंग के मज़े हो जाएंगे। लेकिन नेहा उस समय तक ब्रा नही पहनटी थी। उसके दूध हल्के हल्के उभर रहे थे तो उसे भी ब्रा की जरूरत होने लगी थी। एक दिन मम्मी और नेहा बाजार गई हुई थी तो वो शायद नेहा के लिए ब्रा लेने ही गई थी। अगले दिन मैंने नेहा के कंधे पे ब्रा की स्ट्रिप देखी जो उसके सूट खिसकने की वजह से दिख रही थी। मुझे लग गया अब नेहा भी ब्रा पहनने लगी है। नई नई ब्रा पहनने की वजह से वो अपनी ब्रा को सही से संभाल नही पा रही थी शायद। मेरी तिरछी सी नजर बार बार उसके ब्रा में कसे हुए उसके उभारों पे जाती मगर वो देख ना ले इस तरह से देखता। ये मेरे लिए एक नया अनुभव था। उसके स्तन को कसे ब्रा मुझे अपनी ओर खींच रही थी मगर मैं करता भी तो क्या मर्यादाओं की सीमा ने मुझे रोक रखा था। बस रात को मम्मी की ब्रा बाथरूम में मिल जाती तो उसी को लिंग पे रगड़कर आग मिटा लिया करता था। रात को मम्मी ब्रा उतार देती थी मगर नेहा ब्रा पहनकर ही लेटती। फिर एक दिन जब घर में कोई नही था तो मैंने नेहा की अलमारी खोली तो उसमें से उसकी नई नई ब्रा पैंटी और व्हिस्पर के पैड्स निकले। जिसे हाथ में लेकर ऐसा लगा जैसे मानो मैं स्वर्ग में सैर कर रहा हूँ। उसकी ब्रा को मैने जी भरके चूमा जैसे मानो ये ब्रा ना हो मेरी बहन नेहा के नंगे दूध हों। फिर उसकी ब्रा पैंटी को पहनकर अपने बदन से खेलने लगा। कुछ देर के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे मानो ये ब्रा पैंटी में नेहा ही मेरे साथ हो। नेहा की पैंटी में मेरा लिंग बिल्कुल टाइट था। उसकी पैंटी ज्यादा सेक्सी नही थी कॉटन वाली ही थी। मगर मैं पहली बार उसकी पैंटी पहन रहा था तो बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसकी पैंटी में अपनी गांड पे मरता जैसे में नेहा की गांड पे मार रहा हूँ। अपना सीना दबाता जैसे मानो मैं नेहा के स्तन दबा रहा हूँ। फिर में उसकी ब्रा पैंटी पहनकर उल्टा लेट गया और ऐसा महसूस किया जैसे नेहा मेरे निचे लेटी हो और मेरा लिंग उसकी चूत पे हो और मेरा सीना उसके स्तनों से टकरा रहा हो। मेंबहुत उत्तेजित हो रहा था लेकिन मुझे डर भी था कहीं उसकि पैंटी में मेरा वीर्य ना निकल जाए और उसे पता चल जाए। मैन इसके लिए एक हाथ उसकी पैंटी में आगे से डाला और एक हाथ अपने चूतड़ के रास्ते पीछे से डाला और लिंग को कसके दोनो हाथों में जकड़ लिया और पैरों से बेड पे आगे पीछे करने लगा। ऐसा लगा जैसे में अपनी बहन नेहा की चूत ले रहा हु । ये मेरे लिए एक दम नया था तो थोड़ा सा अजीब सा भी लग रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था तो मैं अपने संकोच को हटाकर मज़ा लेने लगा। इस तरह से 10-12 झटको के बाद मेरा वीर्य मेरे हाथ पे निकल गया। वीर्य निकलने के बाद मुझे थोड़ा ग्लानि भी हुई कि मैं अपनी मां बहनो के अंतः वस्त्रो के साथ ऐसा करता हूँ। लेकिन फिर खुद को समझाया कि बस अंतः वस्त्रो के साथ ही अपनी हवस मिटा रहा हूँ, इसमे गलत क्या है? आप ही बताइए दोस्तों, क्या मां बहनो के अंतः वस्त्रों से अपनी हवस मिटाने में कुछ गलत बात आपको नजर आती है? शेष आगे के भाग में, अगला अपडेट जल्द ही.....पड़कर कमेंट करिएगा हौसला बढ़ता है लिखने का.......
मैं तब 11 साल का था और मेरी बहन नेहा कोई 13 साल की रही होगी। जब मम्मी की ब्रा मुझे अच्छी लगी तो सोचा मम्मी तो थोड़ी ज्यादा उम्र की हैं मगर नेहा तो जवान हो रही है, तो इसकी ब्रा पैंटी पहनके तो मेरे लिंग के मज़े हो जाएंगे। लेकिन नेहा उस समय तक ब्रा नही पहनटी थी। उसके दूध हल्के हल्के उभर रहे थे तो उसे भी ब्रा की जरूरत होने लगी थी। एक दिन मम्मी और नेहा बाजार गई हुई थी तो वो शायद नेहा के लिए ब्रा लेने ही गई थी। अगले दिन मैंने नेहा के कंधे पे ब्रा की स्ट्रिप देखी जो उसके सूट खिसकने की वजह से दिख रही थी। मुझे लग गया अब नेहा भी ब्रा पहनने लगी है। नई नई ब्रा पहनने की वजह से वो अपनी ब्रा को सही से संभाल नही पा रही थी शायद। मेरी तिरछी सी नजर बार बार उसके ब्रा में कसे हुए उसके उभारों पे जाती मगर वो देख ना ले इस तरह से देखता। ये मेरे लिए एक नया अनुभव था। उसके स्तन को कसे ब्रा मुझे अपनी ओर खींच रही थी मगर मैं करता भी तो क्या मर्यादाओं की सीमा ने मुझे रोक रखा था। बस रात को मम्मी की ब्रा बाथरूम में मिल जाती तो उसी को लिंग पे रगड़कर आग मिटा लिया करता था। रात को मम्मी ब्रा उतार देती थी मगर नेहा ब्रा पहनकर ही लेटती। फिर एक दिन जब घर में कोई नही था तो मैंने नेहा की अलमारी खोली तो उसमें से उसकी नई नई ब्रा पैंटी और व्हिस्पर के पैड्स निकले। जिसे हाथ में लेकर ऐसा लगा जैसे मानो मैं स्वर्ग में सैर कर रहा हूँ। उसकी ब्रा को मैने जी भरके चूमा जैसे मानो ये ब्रा ना हो मेरी बहन नेहा के नंगे दूध हों। फिर उसकी ब्रा पैंटी को पहनकर अपने बदन से खेलने लगा। कुछ देर के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे मानो ये ब्रा पैंटी में नेहा ही मेरे साथ हो। नेहा की पैंटी में मेरा लिंग बिल्कुल टाइट था। उसकी पैंटी ज्यादा सेक्सी नही थी कॉटन वाली ही थी। मगर मैं पहली बार उसकी पैंटी पहन रहा था तो बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसकी पैंटी में अपनी गांड पे मरता जैसे में नेहा की गांड पे मार रहा हूँ। अपना सीना दबाता जैसे मानो मैं नेहा के स्तन दबा रहा हूँ। फिर में उसकी ब्रा पैंटी पहनकर उल्टा लेट गया और ऐसा महसूस किया जैसे नेहा मेरे निचे लेटी हो और मेरा लिंग उसकी चूत पे हो और मेरा सीना उसके स्तनों से टकरा रहा हो। मेंबहुत उत्तेजित हो रहा था लेकिन मुझे डर भी था कहीं उसकि पैंटी में मेरा वीर्य ना निकल जाए और उसे पता चल जाए। मैन इसके लिए एक हाथ उसकी पैंटी में आगे से डाला और एक हाथ अपने चूतड़ के रास्ते पीछे से डाला और लिंग को कसके दोनो हाथों में जकड़ लिया और पैरों से बेड पे आगे पीछे करने लगा। ऐसा लगा जैसे में अपनी बहन नेहा की चूत ले रहा हु । ये मेरे लिए एक दम नया था तो थोड़ा सा अजीब सा भी लग रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था तो मैं अपने संकोच को हटाकर मज़ा लेने लगा। इस तरह से 10-12 झटको के बाद मेरा वीर्य मेरे हाथ पे निकल गया। वीर्य निकलने के बाद मुझे थोड़ा ग्लानि भी हुई कि मैं अपनी मां बहनो के अंतः वस्त्रो के साथ ऐसा करता हूँ। लेकिन फिर खुद को समझाया कि बस अंतः वस्त्रो के साथ ही अपनी हवस मिटा रहा हूँ, इसमे गलत क्या है? आप ही बताइए दोस्तों, क्या मां बहनो के अंतः वस्त्रों से अपनी हवस मिटाने में कुछ गलत बात आपको नजर आती है? शेष आगे के भाग में, अगला अपडेट जल्द ही.....पड़कर कमेंट करिएगा हौसला बढ़ता है लिखने का.......