• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

Mosi ka Number lagaya jaaye ya nahi?


  • Total voters
    143

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,521
124
हैलो दोस्तों आज मैं अपनी दूसरी कहानी लिखने जा रहा हूं, आशा करता हूं कि आपको मेरी पहली कहानी "मां के हाथ के छाले" की तरह ये भी पसंद आएगी। अपने विचार जरूर दें और जिसने पहली कहानी नहीं पढ़ी, एक बार जरूर पढ़े। Thankyou ❤️
 

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,521
124
मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर : पार्ट 1
वैसे तो मेरा नाम साहिल है पर घर में सभी मुझे गोलू कहकर बुलाते है। हमारे घर में 3 ही लोग हैं। मैं मां और पापा। मैं अपनी बारवी की पढ़ाई पूरी कर चुका था और अब बस इंतजार कर रहा था रिजल्ट आने का। हुआ यूं के एक दिन मैं सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहा था और हमारे घर की घंटी बजी। मां किचन से निकल कर गेट खोलने गई और आते हुए बोली: अरे काजल आओ आओ अंदर आओ।
हमारे पड़ोस की आंटी की बेटी का नाम काजल था। मैं उन्हे दीदी कहकर बुलाया करता था। आज काजल दीदी अपनी शादी के 5-6 साल बाद अपने घर आई थी। उनके साथ एक छोटा सा बच्चा भी था। मैंने उन्हें नमस्ते किया और बच्चे को हेलो किया। मां किचन में उनके लिए पानी लेने गई।
दीदी बोली : अरे गोलू, कैसा है तु?
मैं: बिल्कुल बढ़िया दीदी, आप बताओ।
दीदी : मैं भी मस्त
मैं: आप बड़े टाइम बाद आए हो ..
दीदी : हां गोलू, बस शादी के बाद ऐसा ही है, इतनी दूर से रोज रोज नहीं आया जाता ना।
मैं: हां दीदी वो तो है, (मेने बच्चे की तरफ इशारा करते हुए कहा) ये अंशु है? इतना बड़ा हो गया ये?
दीदी बोली : और नहीं तो क्या, ढाई साल का होने वाला है।
मां किचन से आई और उन्हें सोफे पर बैठने के लिया कहा और पानी दिया।
मां : और बता काजल, ससुराल में सब कैसे हैं?
दीदी : जी सब बढ़िया आंटी
मां : तेरा चेहरा बड़े टाइम बाद देख रही हूं, कब आई वैसे?
दीदी : आंटी, बस आज सुबह ही, अब अंशु के पापा यहां आ रहे थे किसी काम से तो मैंने सोचा मां से भी मिल आती हूं इसी बहाने।
मां : हां बढ़िया किया, क्या लोगी चाय या कॉफी?
दीदी : अरे कुछ भी नहीं आंटी, मैं तो बस आपसे यूंही मिलने चली आई। आप बताइए कैसी चल रही है लाइफ?
मां : सब अच्छा चल रहा है बेटा, ऐसे कैसे कुछ भी नहीं लेना, मैं कॉफी बना कर लाती हूं, तुम बैठो।
दीदी : अरे रहने दीजिए ना..
मां उठ कर किचन की और जाते हुए : तुम गोलू से बातें करो, मैं अभी आई बस।
दीदी और मैं फिर बाते करने लगे इधर उधर की और 5 मिनट बाद मां कॉफी बनाकर ले आई।
फिर हम ने मिलकर कॉफी पी और थोड़ी बातें की। कुछ 10 मिनट बाद अंशु सोफे से नीचे खिसक कर दीदी के आगे चिपक कर खड़ा हो गया और धीरे धीरे दीदी को कुछ बोलने लगा। इतने में दीदी बोली : अभी नहीं बेटा, घर जाकर।
दीदी के ऐसा बोलते ही वो रोने लगा के मां ने पूछा : क्या हुआ अंशु, जाओ भईया के साथ , भईया तुमको दुकान से चीजी दिलवाएगा।
अंशु फिर और रोने लगा और दीदी की चुन्नी खींचने लगा।
दीदी : नहीं बाबू, अच्छे बच्चे हो न आप, अभी नहीं, घर जाकर।
जब अंशु और तेज रोने लगा तो मां ने पूछा :क्या हुआ काजल इसे? क्या बोल रहा है ये तेरे से?
दीदी : अरे आंटी इसे भूख लगी है और...
मां : और क्या?
दीदी : दरअसल ये अभी भी मेरा दूध पीता है, ये आदत छोड़ ही नहीं रहा।
मां : ओ अच्छा ऐसा है। ओए अंशु शैतान, इतना बड़ा हो गया है फिर भी मम्मी का दूध पीना है, अब तो छोड़ दे मम्मी को।
दीदी : ये तो जिद्दी है एकदम,रोने लग जाता है इसे मना करती हूं तो।
अंशु को फिर रोता देख मां बोली : चलो कोई नहीं बेटा, तुम पीला लो इसे दूध।
दीदी ने मां के मुंह से ये सुनते ही बिना मेरे वहां होने की फिक्र किए अंशु को उठाया और बोली : चल आ, जिद्दी कहीं का, जब देखो रोने लग जाता है।
दीदी ने उसे थोड़ा ऊपर उठाया और गोद में लिटाकर मेरे सामने ही अपनी कुर्ती थोड़ी सी ऊपर की ओर अपना एक बूब्स निकाल कर उसके मुंह में दे दिया। मैं ये सब देख कर हैरान सा हो गया। आज पहली बार मैने अपनी आखों से किसी के बूब्स देखें हो मानो।
शायद ये बस एक मां की ममता ही थी अपने बच्चे की लिए जिसने फिक्र ना की मेरी मौजूदगी की भी। मुझे यूं तो थोड़ी सी ही झलक मिली उनके गोरे गोरे बूब्स की पर, जो भी था ये एहसास मजेदार सा था।
फिर मां उन्हे ऐसा देखकर बोली : वैसे अंशु भी गोलू पर ही गया है इस मामले में
दीदी : क्या, कैसे?
मां मेरी ओर इशारा करते हुए बोली : ये भी बड़ा शैतान था, इसने तीन साल तक मेरा दूध पीना नहीं छोड़ा था। बड़ी मुश्किल से इस से पीछा छुड़ाया था।
दीदी और मां हसने लगी और मैं चुपचाप सोचने लगा : क्या सच में?
दीदी : अरे आंटी मुझे भी बताओ ने, कैसे आपने गोलू से पीछा छुड़वाया था?
मां : हां , हुआ यूं की, ये गोलू तो तेरे अंशु से भी जिद्दी था, अगर मैं मना करती थी तो रोता नहीं था बल्कि गुस्से में आके मेरी कमीज खींचने लगता था और जबरदस्ती पीने की कोशिश करता था।
मैं हैरान हुआ और पूछा : सच में मां?
मां : और नहीं तो क्या, तूने बहोत परेशान किया है मुझे बचपन में
मैं: आप झूठ बोल रहे हो मां
मां : लो कर लो बात, अब इसमें क्या झूठ बोलूंगी।
दीदी हसने लगी और बोली : आंटी बताओ ना कैसे पीछा छुड़वाया था आपने। मैं भी अंशु से छुड़वाना चाहती हूं।
मां : अरे मेरी सास ने मुझे बताया था के अगर बच्चा दूध ना छोड़े पीना और छुड़वाना हो तो दूध पर थोड़ी सी लाल मिर्ची पाउडर लगा लिया करो। ऐसा 5-6 बार करो। इस से होगा ये के जब बच्चा दूध पिएगा और उसे पीने पे मिर्ची लगेगी तो वो अपने आप धीरे धीरे छोड़ देगा।
दीदी : हां शायद हो सकता है, पर आंटी इसमें मुझे जलन तो नहीं होगी शरीर पर?
मां : नहीं नहीं इतनी नहीं होगी, बिल्कुल हल्की सी ही चिरमिराहट होती है, ज्यादा नहीं।
दीदी : ठीक है आंटी मैं ट्राई करूंगी।
फिर थोड़ी बहुत और बातें हुई परिवार वगैरा के बारे में और दीदी अपने घर चली गई।
 

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,521
124
मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर : पार्ट 2
दीदी के चले जाने के बाद मैनें मां से कहा : मां..
मां : है, क्या?
मैं: मां, जो आपने दीदी को बोला, वो सच है क्या?
मां : क्या?
मैं: वही के मैं 3 साल तक आपका....
मां : अच्छा वो, हां बिलकुल सच है
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मानता, आप झूठ बोल रहे हो।
मां : अरे सच बोल रही हूं, तेरे पापा आएंगे ना तो उन्हीं से पूछ लेना बस।
मैं: नहीं, नहीं।
मां: क्यूं अब क्या हुआ?
मैं: मां, पापा से कैसे ये पूछूंगा?
मां : फिर मान ले जो मैं कह रही हूं
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मान सकता इसे सच।
मां : अरे सच में तुने ऐसा किया है। अब कैसे यकीन दिलाऊं तुझे।
मैं: जब सच होगा तो दिलाओगे ना यकीन तो।
मां : अरे हां, जब तू छोटा का था ना तो हम तेरी मोसी के यहां गए थे और तब तूने उनके घर पर जिद्द कर के मेरा दूध पीते वक्त मुझे काट लिया था गुस्से में। तु अपनी मोसी से पूछ लेना भले, पापा से नहीं पूछ सकता तो।
मैं: क्या सच में मां?
मां : ओर क्या, ले मैं तेरी मोसी से अभी बात करवा देती हूं।
मां ने मोसी को फोन मिलाया फिर 1 मिनट हाल चाल पूछने के बाद फोन स्पीकर पर रख कर बोली : अच्छा निशा ये ले गोलू से बात कर, इसने कुछ पूछना है तुझसे
मैं: नमस्ते मोसी, कैसी हो आप?
मोसी : नमस्ते गोलू, मैं ठीक हूं तु बता?
मैं: मैं भी अच्छा हूं मोसी
मोसी : क्या पूछना है तुझे मुझसे?
मैं: मोसी वो...वो दरअसल
मोसी : हां, क्या???
मां : अरे पूछ भी ले, क्यूं शर्मा रहा है।
मैं: वो वो...
मोसी : क्या हुआ? बोलो ना
मां : अरे निशा इसे ये बात के ये बचपन में कितना जिद्दी था।
मोसी : हां गोलू, बहुत जिद्दी था तु, बस यही पूछने के लिए फोन किया था?
मैं: नहीं मोसी वो, दरअसल...
मोसी : अरे गोलू, बोल ना क्या पूछना है , शर्मा रहा है क्या? कोई और बात है क्या? कोई गर्लफ्रेंड बना ली क्या? जो उसके बारे में कुछ पूछने में शर्मा रहा है।
इस बात पर हम तीनों हसने लगे और मां बोली : अरे निशा वो इसे आज मैंने बताया के ये 3 साल तक मेरा दूध पीता रहा और इसे लग रहा है के मैं झूठ बोल रही हूं।
मोसी तुरंत बोली : नहीं गोलू, बिलकुल भी झूठ नहीं है ये, दीदी एकदम सच बोल रही है।
मैं: नहीं मोसी, आप भी मां की बात में हां मिला रहे हो बस।
मोसी : अरे नहीं नहीं, सही कह रही है दीदी, तु सच में पिता था ।
मां: अच्छा निशा, तुझे वो याद है जब हम तेरे घर आए थे और इसने गुस्से में क्या किया था?
मोसी : हां दीदी वो कैसे भूल सकती हूं।
मां : हां , बता तो इसे जरा।
मोसी : अरे हुआ यूं के दीदी मार्केट गई थी सामान लेने तुझे मेरे पास सोता छोड़कर और तु जब उठा तो रोने लगा, तेरे रोने को चुप कराने का मेरे पास कोई तरीका था नहीं तो दीदी ने मुझसे कहा के तुझे मैं अपना दूध पिला दूं तो तू शायद चुप हो गए।
मैं: क्या सच में, आपने?
मोसी : ओर नहीं तो क्या, वो पहली बार था जब मैने तुझे दूध पिलाया था और है भगवान तूने तो मेरी जान ही निकाल दी थी , तभी मुझे वो दिन याद रह गया।
मैं: जान निकाल दी थी, वो कैसे?
मोसी : दूध चूस चूस कर, तु एक दम दबा दबा कर चूस रहा था और मेरे बच्चो ने कभी तेरी तरह इतना दबा कर दूध नहीं पिया था इसी लिए।
मैं: ओ, अच्छा।
मोसी : हां और फिर जब दीदी मार्केट से आई तो तू उनका पीने लगा और तूने उन्हे गुस्से में काट भी लिया था वहां पर।
मां : ले सुन ले हो गया यकीन अब।
मैं: हम्म, हां, हां मां।
मैनें अचानक ने फोन पर मोसी को बोला : सॉरी मोसी
मोसी : किस लिए?
मैं: वो मैनें आपको इतना परेशान किया, ओर दबा दबा कर दूध पिया इस लिए
ये सुनते ही मां ओर मोसी हसने लगे और मां बोली : अब सॉरी बोलने से क्या होगा, उस वक्त बोलना था ना।
मैं: उस वक्त मुझे पता थोड़ी था ये सब।
मां : हां तो अब कोनसा तु मोसी का दूध पी रहा है जो उन्हे सॉरी बोल रहा है।
इस पर हम तीनों हसने लगे और मैं बोला : हां, नहीं पी रहा पर सॉरी तो बनता है ना।
मां : अच्छा जी, जिस मां को तूने काटा उन्हे सॉरी नहीं बोला और मोसी को पहले ही सॉरी बोल दिया, वाह बेटा मोसी से ज्यादा प्यार करता है तु।
मैं: नहीं मां, सॉरी आपको , मैनें आपको गुस्से में काटा उसके लिए।
मैं भोला बनते हुए बोला : मां, आपको दर्द तो नहीं हो रहा वो काटने से?
मां और मोसी हस्ते हुए : लो दीदी कर लो बात, ये हमारा गोलू जितना बचपन में जिद्दी था अब बड़ा होकर उतना ही भोला बन गया है। अब पूछ रहा है आपसे दर्द का, इतने सालो बाद।
मां : हां, अब तक तो वो काटने का निशान भी चला गया होगा , बेटा जी
मोसी : सही कहा दीदी।
मां : हां, ओर वैसे भी मैं किसी का सॉरी नहीं लेती बेवजह।
मोसी : और मैं भी दीदी, गोलू वो बचपन की बात थी बेटा, अगर तूने अब दबा कर चूसा होता और फिर सॉरी बोला होता तो मैं तेरा सॉरी ले भी लेती पर वो बचपन का सॉरी कैसे ले सकती हूं अब।
इस बात पर मां हसने लगी और मोसी सोचने लगी के ये मैं क्या बोल गई।
मां भी मजा लेते हुए बोली: हां गोलू, जा मोसी का दूध पी ले दबा के और फिर सॉरी बोल देना, फिर मोसी ले लेगी।
मोसी हस्ते हुए नॉटी अंदाज में : क्या ले लेगी दीदी?
मां भी हस्ते हुए : अरे सॉरी ले लेगी और क्या....
मैं हैरान नहीं था मां ओर मोसी की ऐसी बातें सुनकर , वो अक्सर यूंही खुलकर सहेलियों की तरह बाते किया करती थी।
मोसी : अच्छा अच्छा सॉरी
मां: हां।
मोसी : ओर दीदी, आप भी सॉरी मत लेना ऐसे, इसने कोई आपको अब थोड़ी चूसते हुए काटा है, जो आप इसका सॉरी अब लें।
मां : हां, सही बात है।
मैं: तो आप दोनो क्या चाहती हैं, मैं फिर से वो गलती करूं और फिर आपसे माफी मांगूं?
मोसी : मेरी तरफ से तो कोई मनाही नहीं है।
मां : चुप कर बदमाश कहीं की
 
Last edited by a moderator:

sahilgarg6065

MyEroticDiary
219
1,521
124
मां का "दूध छुड़वाने से चुस्वाने" तक का सफर : पार्ट 3
फिर मोसी के फोन काटने के बाद मां मुझसे बोली: हो गया अब तुझे यकीन।
मैं: हां मां
मां : चल अब टीवी देख तु, मैं खाना बना लूं।
मैं: मां सुनो तो
मां : हां क्या?
मैं: मां क्या मैनें बचपन में गुस्से में ज्यादा तेजी से काटा था आपको?
मां : और नहीं तो क्या, तुझे अकेला छोड़ कर बाजार चली गई थी इस बात से गुस्सा होकर तूने तो ऐसा काटा के बस.....
मैं: के बस ..क्या मां?
मां : के बस जैसे तु मेरा निपल ही उखाड़ देता वहां से।
फिर हम दोनो हसने लगे और मैं बोला : ऐसा थोड़ी होता मां
मां : तेरा गुस्सा शांत ना होता तो तू शायद वो भी कर देता।
मैं: हम्म, शायद, मुझे तो कुछ भी याद ही नहीं मां।
मां : हां याद भी कैसे होगा, छोटा जो था तु उस वक्त।
मैं: हां।
मां : चल मैं चलती हूं अब खाना बनाने।
मैं: अरे सुनो ना , रुको एक बार
मां : अब क्या है?
मैं: क्या आपको अभी भी दुखता है मां, कोई निशान भी है क्या उसका अभी भी?
मां : नहीं दुखता तो नहीं अब , ओर निशान था पर अब कम हो गया है इतने टाइम बाद तो।
मेरे मन में मां के निपल पर बने इस काटने के निशान को देखने की इच्छा होने लगी तो मैनें ज्यादा ना सोचते हुए मां से कहा : मां, क्या मैं वो निशान देख सकता हूं?
मां : क्या?
मैं: मेरा मतलब वो, काटने का निशान दिखाओ ना एक बार मुझे।
मां : पागल हो गया है तु?
मैं: दिखाओ ना मां
मां : नहीं बेटा, अब तु इतना बड़ा हो गया है, तुझे अब कैसे दिखा सकती हूं
मैं: मां, मैं आपके लिए तो अभी भी बच्चा ही हूं ना?
मां : हां वो तो है पर...
मैं: पर वर क्या मां?
मां : कुछ नहीं , मैं नहीं दिखा रही, तु पागल है सच में। कोई भला अपनी मां से ऐसे कहता है
मैं: इसमें क्या हुआ मां?
मां : अरे मेरे भोले गोलू, समझा कर बात, बेटा अब तु बड़ा हो गया, तूने मुझसे तो ऐसे बोल दिया, किसी और औरत से ऐसे मत कहना के दिखाओ, वरना मार पड़ेगी।
मैं भी अब मां के बूब्स के दर्शन करने का मन बना ही चुका था और अपने भोलेपन का फायदा उठाते हुए प्यार प्यार से मां से बोलने लगा : क्यूं मां, ऐसा क्यूं?
मां : समझा कर गोलू, कुछ बातें बिना कहे ही समझ जाया करनी पड़ती है।
मैं: ठीक है मां, जाओ कट्टी आपसे, अब जब तक आप मुझे वो नहीं दिखाओगी तब तक मैं आपसे बात नहीं करूंगा।
मां: जैसी तेरी मर्जी, मैं तो चली खाना बनाने।
मां उठकर किचन में चली गई और मैं सोचने लगा के अब कैसे मां को मनाया जाए बूब्स दिखाने के लिए। मैं सोचता रहा और जब कुछ दिमाग में ना आया तो टीवी देखने लगा।
यूंही टीवी देखते देखते दोपहर हो गई और मां की आवाज आई : गोलू बेटा, खाना बना दिया है खा ले।
मैं उनकी आवाज सुनकर चुप रहा और कोई जवाब नहीं दिया। मां ने फिर 2 मिनट बाद मुझे बुलाया : सो गया क्या गोलू?
मैं फिर चुप रहा तो मां किचन से निकल कर आई और बोली : तुझे दो बार बुलाया मैनें, तूने कोई जवाब ही नहीं दिया, क्या हुआ?
मैं जिद्दी फिर चुप रहा तो मां सोचने लगी क्या हो गया मुझे फिर सोच कर बोली : तु अभी तक वही वाली बात लेकर बैठा है क्या? , सच में पागल है तु..
मैं: हां मां, पागल ही कह लो अब आप मुझे।
मैनें उम्मीद नहीं की थी के ये सच होगा पर शायद तकदीर अच्छी थी मेरी।
मां ने फिर पता नहीं क्या सोचकर मुझे बोला : चल ठीक है, तुझे दिखा दूंगी, खाना खा ले अब मेरे बाप।
मैं: सच्ची मां?
मां : हां मेरे बाप हां, चल अब खड़ा हो और खाना खा।
मैं सोफे से उठा और हाथ धोने चला गया। फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और मैंने मां से कहा : मां दिखाओ ना अब
मां : नहीं अभी नहीं बाद में।
मैं: बाद में कब
मां बर्तन उठाने लगी और बोली : बाद में।
मेरा तो मानो खड़ा लन्ड ही बैठ गया हो ये सुनकर। मां ने तो मेरा चूतीया ही बना दिया। फिर मैं घर से बाहर चला गया और शाम में लोटा, घर लोटा तो पापा काम से आ चुके थे।
पापा से थोड़ी बहुत बात हुई , फिर यूंही रात का खाना खा कर मैं अपने कमरे में जा बैठा और सोचने लगा के मां दिखाएगी भी या यूंही मुझे खाना खिलाने के बहाने से उन्होंने बोल दिया। इतने में मां मेरे रूम में दूध का गिलास लेकर आई और बोली : ले गोलू, तेरा दूध का गिलास।
मैं: हां, अच्छा मां सुनो ना?
मां : क्या?
मैं: वो आपने दोपहर में बोला था के दिखाऊंगी पर...
मां : हां याद है मुझे।
मैं: तो फिर कब दिखाओगी?
मां : तु किसी से कहेगा तो नहीं ना ये बात?
मैं: नहीं मां।
मां : हां, अपने पापा से भी नहीं।
मैं: ठीक है।
इतने में मां ने अपनी नाइटी के ऊपर के दो बटन खोले और अपना एक बूब्स बाहर निकाला। वाह ये नजारा देख कर तो मेरा लन्ड टाइट हो गया। मां ने सिर्फ नाइटी डाली थी वो भी बिना ब्रा के। मां ने आधा बूब्स ढकते हुए कहा : बस अब खुश है जाऊं मैं?
मैं तो वो आधे ढके बूब्स को उनकी नाइटी से बाहर निकला देख कर खुश सा हो कर बोला : क्या, क्या कहा आपने?
मां : जाऊं मैं अब , देख लिया?
मैं: कहां मां, आपने इसे हाथ से तो छुपा रखा है , वो निशान तो मुझे दिखा ही नहीं।
मां ने मेरे ये कहने पर अपना हाथ बूब्स से हटा कर निपल पर उंगली लगाते हुए कहा, देख यहाँ पर काटा था तूने, ये हल्का हल्का सा निशान है।
मां का वो एक दम गोरा बूब्स और उसपर वो बने ब्राउन फैले निप्पल को पहली बार इस उम्र में देख मैं तो मानो पागल सा हो गया और खुदपर से कंट्रोल खोने सा लगा। उनके बूब्स को घुटकर देखने लगा और हल्का हल्का मुस्कुराने लगा के मां बोली : ओए गोलू, कहां खो गया?
मैं: मां वो , निशान देखने दो ना मुझे
ऐसा कहते ही मैनें अपना हाथ आगे बढाया ही था उनके बूब्स पर रखने के लिए के उन्होंने फट से पीछे होकर अपनी नाइटी के अंदर बूब्स को डाला और बोली : क्या कर रहा है बदमाश। बस अब देख लिया तूने, मैं जा रही हूं सोने।
फिर मां चली गई और मैं उस पल को बार बार अपनी आखों के सामने लाकर अपना लन्ड पकड़ कर हिलाने लगा। ये पहली दफा था के मैं अपनी मां के नाम की मुठ मार रहा था। लन्ड भी मां के नाम से इतना खुश हुआ के जी भर कर पानी छोड़ा और जल्द ही ढेर हो गया और सो गया। मैं भी इस एहसास से खुश होकर चैन की नींद सो गया।
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
2,613
10,518
159
मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर : पार्ट 2
दीदी के चले जाने के बाद मैनें मां से कहा : मां..
मां : है, क्या?
मैं: मां, जो आपने दीदी को बोला, वो सच है क्या?
मां : क्या?
मैं: वही के मैं 3 साल तक आपका....
मां : अच्छा वो, हां बिलकुल सच है
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मानता, आप झूठ बोल रहे हो।
मां : अरे सच बोल रही हूं, तेरे पापा आएंगे ना तो उन्हीं से पूछ लेना बस।
मैं: नहीं, नहीं।
मां: क्यूं अब क्या हुआ?
मैं: मां, पापा से कैसे ये पूछूंगा?
मां : फिर मान ले जो मैं कह रही हूं
मैं: नहीं मां, मैं नहीं मान सकता इसे सच।
मां : अरे सच में तुने ऐसा किया है। अब कैसे यकीन दिलाऊं तुझे।
मैं: जब सच होगा तो दिलाओगे ना यकीन तो।
मां : अरे हां, जब तू 3 साल का था ना तो हम तेरी मोसी के यहां गए थे और तब तूने उनके घर पर जिद्द कर के मेरा दूध पीते वक्त मुझे काट लिया था गुस्से में। तु अपनी मोसी से पूछ लेना भले, पापा से नहीं पूछ सकता तो।
मैं: क्या सच में मां?
मां : ओर क्या, ले मैं तेरी मोसी से अभी बात करवा देती हूं।
मां ने मोसी को फोन मिलाया फिर 1 मिनट हाल चाल पूछने के बाद फोन स्पीकर पर रख कर बोली : अच्छा निशा ये ले गोलू से बात कर, इसने कुछ पूछना है तुझसे
मैं: नमस्ते मोसी, कैसी हो आप?
मोसी : नमस्ते गोलू, मैं ठीक हूं तु बता?
मैं: मैं भी अच्छा हूं मोसी
मोसी : क्या पूछना है तुझे मुझसे?
मैं: मोसी वो...वो दरअसल
मोसी : हां, क्या???
मां : अरे पूछ भी ले, क्यूं शर्मा रहा है।
मैं: वो वो...
मोसी : क्या हुआ? बोलो ना
मां : अरे निशा इसे ये बात के ये बचपन में कितना जिद्दी था।
मोसी : हां गोलू, बहुत जिद्दी था तु, बस यही पूछने के लिए फोन किया था?
मैं: नहीं मोसी वो, दरअसल...
मोसी : अरे गोलू, बोल ना क्या पूछना है , शर्मा रहा है क्या? कोई और बात है क्या? कोई गर्लफ्रेंड बना ली क्या? जो उसके बारे में कुछ पूछने में शर्मा रहा है।
इस बात पर हम तीनों हसने लगे और मां बोली : अरे निशा वो इसे आज मैंने बताया के ये 3 साल तक मेरा दूध पीता रहा और इसे लग रहा है के मैं झूठ बोल रही हूं।
मोसी तुरंत बोली : नहीं गोलू, बिलकुल भी झूठ नहीं है ये, दीदी एकदम सच बोल रही है।
मैं: नहीं मोसी, आप भी मां की बात में हां मिला रहे हो बस।
मोसी : अरे नहीं नहीं, सही कह रही है दीदी, तु सच में पिता था ।
मां: अच्छा निशा, तुझे वो याद है जब हम तेरे घर आए थे और इसने गुस्से में क्या किया था?
मोसी : हां दीदी वो कैसे भूल सकती हूं।
मां : हां , बता तो इसे जरा।
मोसी : अरे हुआ यूं के दीदी मार्केट गई थी सामान लेने तुझे मेरे पास सोता छोड़कर और तु जब उठा तो रोने लगा, तेरे रोने को चुप कराने का मेरे पास कोई तरीका था नहीं तो दीदी ने मुझसे कहा के तुझे मैं अपना दूध पिला दूं तो तू शायद चुप हो गए।
मैं: क्या सच में, आपने?
मोसी : ओर नहीं तो क्या, वो पहली बार था जब मैने तुझे दूध पिलाया था और है भगवान तूने तो मेरी जान ही निकाल दी थी , तभी मुझे वो दिन याद रह गया।
मैं: जान निकाल दी थी, वो कैसे?
मोसी : दूध चूस चूस कर, तु एक दम दबा दबा कर चूस रहा था और मेरे बच्चो ने कभी तेरी तरह इतना दबा कर दूध नहीं पिया था इसी लिए।
मैं: ओ, अच्छा।
मोसी : हां और फिर जब दीदी मार्केट से आई तो तू उनका पीने लगा और तूने उन्हे गुस्से में काट भी लिया था वहां पर।
मां : ले सुन ले हो गया यकीन अब।
मैं: हम्म, हां, हां मां।
मैनें अचानक ने फोन पर मोसी को बोला : सॉरी मोसी
मोसी : किस लिए?
मैं: वो मैनें आपको इतना परेशान किया, ओर दबा दबा कर दूध पिया इस लिए
ये सुनते ही मां ओर मोसी हसने लगे और मां बोली : अब सॉरी बोलने से क्या होगा, उस वक्त बोलना था ना।
मैं: उस वक्त मुझे पता थोड़ी था ये सब।
मां : हां तो अब कोनसा तु मोसी का दूध पी रहा है जो उन्हे सॉरी बोल रहा है।
इस पर हम तीनों हसने लगे और मैं बोला : हां, नहीं पी रहा पर सॉरी तो बनता है ना।
मां : अच्छा जी, जिस मां को तूने काटा उन्हे सॉरी नहीं बोला और मोसी को पहले ही सॉरी बोल दिया, वाह बेटा मोसी से ज्यादा प्यार करता है तु।
मैं: नहीं मां, सॉरी आपको , मैनें आपको गुस्से में काटा उसके लिए।
मैं भोला बनते हुए बोला : मां, आपको दर्द तो नहीं हो रहा वो काटने से?
मां और मोसी हस्ते हुए : लो दीदी कर लो बात, ये हमारा गोलू जितना बचपन में जिद्दी था अब बड़ा होकर उतना ही भोला बन गया है। अब पूछ रहा है आपसे दर्द का, इतने सालो बाद।
मां : हां, अब तक तो वो काटने का निशान भी चला गया होगा , बेटा जी
मोसी : सही कहा दीदी।
मां : हां, ओर वैसे भी मैं किसी का सॉरी नहीं लेती बेवजह।
मोसी : और मैं भी दीदी, गोलू वो बचपन की बात थी बेटा, अगर तूने अब दबा कर चूसा होता और फिर सॉरी बोला होता तो मैं तेरा सॉरी ले भी लेती पर वो बचपन का सॉरी कैसे ले सकती हूं अब।
इस बात पर मां हसने लगी और मोसी सोचने लगी के ये मैं क्या बोल गई।
मां भी मजा लेते हुए बोली: हां गोलू, जा मोसी का दूध पी ले दबा के और फिर सॉरी बोल देना, फिर मोसी ले लेगी।
मोसी हस्ते हुए नॉटी अंदाज में : क्या ले लेगी दीदी?
मां भी हस्ते हुए : अरे सॉरी ले लेगी और क्या....
मैं हैरान नहीं था मां ओर मोसी की ऐसी बातें सुनकर , वो अक्सर यूंही खुलकर सहेलियों की तरह बाते किया करती थी।
मोसी : अच्छा अच्छा सॉरी
मां: हां।
मोसी : ओर दीदी, आप भी सॉरी मत लेना ऐसे, इसने कोई आपको अब थोड़ी चूसते हुए काटा है, जो आप इसका सॉरी अब लें।
मां : हां, सही बात है।
मैं: तो आप दोनो क्या चाहती हैं, मैं फिर से वो गलती करूं और फिर आपसे माफी मांगूं?
मोसी : मेरी तरफ से तो कोई मनाही नहीं है।
मां : चुप कर बदमाश कहीं की

Nice start, badhiya story he

Keep posting
 
  • Like
Reactions: sahilgarg6065
Top