प्यार और वाइल्ड सेक्स तक ठीक है पर शादी करना कई तरह की सामाजिक परेशानियों का का कारण बनेगा अतः दोनों चुपचाप से एक दूसरे से प्यार का मज़ा लेते रहेंमैं अपने बड़े ममी से बहुत प्यार करता हूं और उसके साथ रहना चाहता हुआ एक पति पत्नी की तरह। इसके मांग में मेरा सिंदूर हो, वाइल्ड सेक्स हो, वो मेरे बच्चो की अम्मी बने मे उसके बच्चो का बाप बनू क्या करू ।
लेकिन एक समस्या है। आप कुछ हेल्प कर सकते है, एडवाइस देके।मांग का सिंदूर
मांग का सिंदूर एक सामाजिक व्यवस्था है अगर तुम्हारी बड़ी मां सिंदूर लगाने में समर्थ है तो क्यों नहीं?
तुम अपने प्यार के अंतर्गत अंतरंग क्षणों में बड़ी मां से मन की बात कह सकते हो और वह जरूर तुम्हारी इच्छा का पालन करेगी
परंतु मैं फिर से कहता हूं कि यह सब प्यार का सौदा है मन से जो चाहो करो पर तुम दोनों के पारिवारिक और सामाजिक व्यवहार को बिगड़ने से बचाना भी तुम्हारी जिम्मेवारी है!!
वाह क्या मजेदार अपडेटमैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी
मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी
मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मैंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था
घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक, पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी
चाची ने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
सच ही तो हैवाह क्या मजेदार अपडेट
लग ही नहीं रहा ह कि कोई स्टोरी पढ़ रहा हु हकीकत जैसा लग रहा जैसे हमारे साथ हो रहा हो
बहुत रसभरी अपडेटघर में मैं और मां अकेले ही थे भाई होस्टल में रहता था और पिताजी हफ्ते या 15 दिन में 1 दिन के लिए आते थे।
पढ़ाई के बाद चाची का कमरा देखा तो पाया कि आज उनके पति घर में हैं।
रात 8 बजे मां उठी तो काफी ठीक लग रही थी। मैं सोच रहा था कि जो शाम को हुआ उसके बाद पता नहीं मैं मां को कैसे बात करेगी किंतु मां बिल्कुल सामान्य थी, उठकर मां बोली बेटा कौन सी सब्जी बनाऊं मैंने कहा जो आपकी इच्छा हमने खाना खाया मां ने कुछ देर टीवी देखा और 9:30 बजे ही मां बोली कि अब नींद आ रही है चल सोते हैं। मैंने कहा कि कुछ पढ़ाई बाकी है मां बोली वह कल कर लेना आज लाइटें बंद करके जल्दी सो जाओ मैंने मां की आज्ञा मानने में भलाई समझी।
कूलर चल रहा था और मां पेटिकोट और ब्लाउज में बिस्तर पर लेटी हुई थी मैंने आकर चुपचाप अपने आप को चम्मच की तरह मां से चिपका लिया मेरा एक हाथ मां के पेट पर और दूसरा हाथ मैंने मां से गले के नीचे से निकाल कर उसके वक्ष पर रख दिया मां कुछ बोली नहीं मैंने भी सोने से पहले सिर्फ कच्छा ही पहना हुआ था इस तरह से मेरा लिंग सख्त होकर मां के नितंबों में धंसने लगा मां ने कुछ नहीं कहा और मैं धीरे-धीरे मां के पेट को सहलाने लगा।
मां बोली बेटा आप सो जाओ मैंने कहा मां मुझे आपके गुलगुले पेट पर हाथ रखने से अच्छे से नींद आती है मां बोली पहले तो तू बचपन में दूध पीते पीते सो जाता था पर अब तू बड़ा हो गया है मैं बोला नहीं मां दूध तो मुझे अभी भी बहुत अच्छा लगता है किंतु इस उम्र में क्या आपको अच्छा लगेगा मां बोली तू तो मेरा एकदम प्यारा राजा बेटा जो कि मेरा बहुत ध्यान रखता है तो तुझे दूध पिलाने में क्या मुश्किल।
यह बातें सुनकर मेरा लिंग मां के पेटीकोट में बहुत ज्यादा दबाव बनाकर नितंबों की दरार में धस चुका था उसको हटाने का मन तो नहीं था पर दूध मिलने का लालच इससे ज्यादा था मैंने कहा ऐसी बात है तो मैं मुझे दूध पिलाओ जिससे मेरी बुद्धि तेज होगी और मैं अच्छी पढ़ाई कर सकूंगा मेरा मन भी इधर-उधर नहीं भटकेगा।
मां ने मुस्कुराकर मेरी तरफ करवट ली मैंने थोड़ा नीचे होकर मां के चूचियों पर अपना मुंह दबा दिया जैसे रूई के नर्म गोलों पर अपना मुंह रख दिया हो और ब्लाउज के ऊपर से ही जीभ से टटोलने लगा। बिना कुछ कहे मां ने अपने हाथों से ब्लाउज खोला और मैंने अपना मुंह मां के बांए निप्पल पर लगा दिया। निप्पल को चूसते हुए एक हाथ से दायां निप्पल मरोड़ने लगा और दूसरे हाथ से मां के नितंबों को सहलाने लगा
मां ने अपने दोनों पैर खोल कर मेरे पैरों में फंसा दिए,अब मेरा लिंग मां की जांघों के बीच टक्कर देने लगा।
मैंने दूध पीना छोड़ कर मां को कसकर अपनी छाती पर जकड़ लिया और नीचे से अपने लंड का दवाब चूत पर बनाना शुरू किया।
मां ने चुपचाप साइड से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और जब मैंने यह महसूस किया तो मैंने भी अपने कच्छे को नीचे सरकाने का प्रयास किया, मौका पाते ही एक साथ एक ही लक्ष्य में मां का पेटीकोट और मेरा कच्छा उतर गया। अब हम दोनों मां बेटा निपट नंगे थे मैं मां के शरीर में समाने का प्रयास कर रहा था और मां मुझको अपने मन और तन में अंगीकार कर रही थी।
मैंने कुछ नीचे होकर मां की चूचियां चाटनी शुरू की । दोनों हाथों से दुग्ध कलश पकड़े और बारी बारी से दोनों थनों को भुखे बच्चे की तरह पीने लगा फिर मैंने एक हाथ नीचे करके अपने लिंग को पकड़ कर मां की नंगी योनि के द्वार तक लाया पर अपनी एक अंगुली मां की चूत में डालकर छेड़ने लगा मां ने अपने हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ा और अपनी हथेली से मेरे खम्बे का मुआयना करने लगी मैंने भी मम्मे चूसना छोड़ कर मां की मुख चुम्मी लेने लगा हम दोनों के मुखरस एक दूसरे के मुंह में चल रहे थे मां का हाथ मेरे लंड को मसल रहा था और मेरी 3 अंगुलिया मां की चूत का मर्दन कर रही थीं। मेरा लंड और मां की चूत फड़फड़ा रहे थे मैंने शाम को मां द्वारा प्रदत जानकारी के अनुसार अपने लिंग को मां की चूत में ठूंस दिया।
अंदर जाकर लंड ठप-ठपा-ठप करने लगा, मां ने अपने दोनों पैरों से मेरे पैरों पर कैंची बना ली और अपने नाखूनों से मेरी पीठ खरोंचने लगी
मां मेरे हर धक्के का जवाब अपने धक्के से दे रही थी रेलगाड़ी पटरी पर धक धका धक चली जा रही थी, पिस्टन अपने सिलेंडर में अंदर-बाहर हो रहा था, दोनों की सांसें लय बद्ध तरीके से थाप दे रही थी
मां का शरीर मेरे शरीर को अपने से पुनः एकाकार करने का प्रयास कर रहा था और मैं अपनी मां की योनि में प्रवेश कर रहा था
मां की सांसें तेज तेज चल रही थीं और मैं 100 मीटर रेस की स्पीड से लंड को चूत में भगा रहा था
अब मुझे झनझनाहट होने लगी थी और मेरा वीर्य मां की चूत में भरने लगा मैंने कसकर मां को जकड़ लिया अब मां भी झड़झड़ाने लगी थी हम दोनो एकाकार हो गये और ऐसे ही लिपटकर नंगे ही सो गये
क्या रोमांटिक अपडेटकल माँ ने जिस तरह बड़े प्यार से मुझे अपनी चूत दी और मेरा लंड लिया और अहसास करवाया की माँ बेटे के बीच मे लन चूत का लेना देना बहुत ही स्वाभाविक है, जैसे कि माँ अपने बच्चे को अपने मुम्मो से दूध पिलाती है वैसे ही अपनी चुत का रस अर्पण करती है किन्तु समाज ने इस मे इसलिए वर्जना लगा रखी है की घर मे बहुत से बेटे हो तो माँ किस किस को अपनी चूत देगी ओर बेटे भी आराम से चूत मिलने के कारण जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन छोड़ देंगे
हर नर, मादा की चूत को प्राप्त करने के लिए ही सारे प्रयास करता है और जीवन में अगर उसके लिए एक सदैव उपलब्ध होने वाली चूत का इंतजाम हो जाता है तो वह अपने लक्ष्य पूरा मानकर मस्त हो जाता है|
मां तो बिना किसी श्रम के मात्र वात्सल्य से ही अपने बेटे को अपनी चूत सहित अपना सब कुछ देने को तत्पर हो जाए तो फिर बेटा, क्योंकर जीवन में मेहनत करेगा। मेरी मां की चूत प्राप्त करने के लिए मेरे बाप ने मेहनत की और बच्चों को बड़ा करने के लिए भी बाप काम धंधे में खपता रहा इसलिए बेटों के लिए भी एक चैलेंज होता है कि अपने बलबूते पर अपने लिए एक चूत का इंतजाम करें अपने लन्ड के लिए एक मनपसंद चूत का इंतजाम करें
हां , अगर किसी कारण से मां अपने बेटे को अपनी चूत अर्पित करें चाहे हो वात्सल्य हो, प्यार हो या बच्चे को भटकने से रोकना हो और यदि बेटा भी मां की भूख को शांत करने के लिए, मां की पीड़ा को कम करने के लिए या मां के अकेलेपन को दूर करने के लिए अगर अपनी मां की चूत में बहुत प्यार से अपना लन्ड पेल देता है तो उसमें भी सिर्फ प्यार ही होता है, प्यार में कोई वर्जना नहीं है
यह बात मुझे अच्छे से समझ आ गई थी, इसलिए मन में मां को चोदने के बाद कोई ग्लानी भाव या किसी और तरह का बुरा विचार मन में नहीं था, मां तो सब समझती थी इसलिए मस्त थी अब मैं भी मां की तरह ही सामान्य व्यवहार करने लगा।
सारा काम निपटा कर मां रोज की तरह 12:00 बजे नानी के घर को चल पड़ी मैंने रात को हुई कुश्ती के कारण स्कूल से छुट्टी कर ली थी
मां के जाने के बाद चाची के कमरे की तरफ गया तो देखा चाची अपने किचन में बिना ब्रा के ब्लाउज तथा पेटिकोट साड़ी पहने खड़ी खाना बना रही थी, मैं तो घर में सिर्फ कच्छे में ही घूमता था मैंने जाकर उसको पीछे से जकड़ लिया अपने हाथ उसके पेट पर रखे और अपना अगाड़ी उसके पिछवाड़े से जोड़ दिया और उसका पेट सहलाते सहलाते मैंने बोला क्या बन रहा है चाची,,,,
औरतों की छठी इंद्री बहुत तेज होती है वह बोली , क्या बात है कल मां बेटे खाना खाकर एकदम ही सो गए थे,
मैंने कहा, कल तुम्हारे पति को तुम्हारी बजाने का मौका दिया था।
कल तो तुम्हारी ओखली में चाचा के मुसल ने बहुत उत्पात मचाया होगा, बहुत दिनों बाद अपनी भाभी के यहां से आया था
चाची ने कहा तेरा चाचा अपनी छिनाल भाभी की मोटी मोटी जांघों और चूचियों के पीछे पड़ा रहता है उसे अपनी भाभी की मोटी गांड मारने और मोटी मोटी जाघों के बीच की चाशनी को चाटने के अलावा दुनिया की कोई दूसरी औरत दिखती नहीं है उसको कभी ख्याल नहीं आता कि मेरे को मेरे अधिकार से वंचित कर रहा है और मेरी चुत तक सूख गई है
मैंने कहा , चाची छोड़ो बातें वह तुम्हारी मोटी जेठानी, अपने पति का, अपने देवर का तथा पति के एक और दोस्त का लौड़ा लेती है उसका पेट नहीं भरता।
पर तुम तो कल मेरे हाथ लगाने से ही झड़ गई थी कुछ तो मजा लेती, और मुझे भी मजा लेने देती चाची ने मेरे पेट पर गुलगुली की और कहा मेरा सब्र कई महीनों का बंधा था तेरे हाथ लगाते ही छलक उठा पर तू भी तो बहुत जल्दी झड़ गया था
मुझे बाथरूम में नंगा देखकर कितनी बार तूने अपना माल झाड़ा है फिर भी तुम मेरी चूत का स्पर्श होते ही झड़ कर ठंडा हो गया दुबारा प्रयास भी नहीं किया
हम्म!!! भाभी को आते देखकर तु भाग गया था पर आज तो बहुत समय है कल का कार्यक्रम फिर से शुरू करने का मन है क्या? या थका हुआ है ?
कहते कहते चाची ने आंख मार दी| मैं थोड़ा शर्माया, पर चाची के सामने अपनी मां की चूत मारने की बात मैं कबूल नहीं करना चाहता था इसलिए कल वाला लंड़ चुत के खेल का खुला आमंत्रण मिलने पर मैंने अपना एक हाथ चाची के मम्मो की तरफ बढ़ा दिया था तथा दूसरा हाथ थोड़ा नीचे करके उसके झांटों की तरफ ले आया था दोनों हाथों से चाची के शरीर पर दबाव बनाया जिससे मेरा कच्छा युक्त लन्ड चाची की नितंबों में पूरी तरह धंसने लगा फिर मैंने ऊपर वाले हाथ की दो अंगुलियां चाची के ब्लाउज के अंदर डाल दी
उसकी नरम नरम छोटी-छोटी चूचियां मेरे अंगूठे से रगड़ खाने लगी ब्लाउज इतना ढीला था कि धीरे से पूरा हाथ ही अंदर चला गया अब मैं अपनी हथेली से चाची की दोनों चुचियों को मसल रहा था और नीचे वाले हाथ से उसके साड़ी और पेटीकोट को ऊपर की तरफ इकट्ठा करने लगा मेरा लौड़ा चाची के पिछवाड़े को बदस्तूर दबा रहा था
जब मेरे हाथ से चाची का पेटिकोट और ब्लाउज ऊपर से चढ़ गया तो मैंने मुट्ठी में साड़ी और पेटीकोट को पकड़े पकड़े अपने अंगूठे से चाची के योनि प्रदेश को टटोलना शुरू किया ऐसा करते-करते मुझे चाची का योनिद्वार महसूस हुआ और मैंने अंगूठा उसके अंदर डाल दिया जब चूत में अंगूठे का टेक लग गया तो मैंने अपने हाथ से साड़ी पेटीकोट को छोड़ दिया और चारों उंगलियों को अंगूठे की सहायता के लिए चूत के पास ले आया
चाची थोड़ा झुक गई थी और उसने अपने दोनों पैर थोड़े से खोल दिए थे जिससे मेरा पूरा हाथ चाची के योनि प्रदेश को सहजता से मसल रहा था और ऊपर वाला हाथ मम्मो को सख्ती से मसलने लगा हुआ था। चाची की सीत्कार बढ़ती जा रही थी वह पूरी तरह से गर्म हो गई थी और मेरा लन्ड महाराज भी पूरे तनाव में आ गया था
मैंने देखा की चाची अपने दोनों हाथों से साड़ी को पीछे से भी ऊपर की तरफ इकट्ठा कर रही थी मैं थोड़ा सा पीछे हुआ और चाची ने झटपट आपने साड़ी और पेटीकोट को कमर के गिर्द लपेट लिया अब चाची नीचे से पूरी तरह नंगी हो गई क्योंकि उसने भी नीचे कच्छी नहीं पहनी हुई थी
पक्का वो आज सुबह से ही मुझे अपनी चूत देने का मन बनाकर अपनी ठरक शान्त करना चाहती थी
मैंने भी इस बीच में अपने कच्छे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरने दिया अपने लन्ड को चाची के नितंबों से मिला दिया अब मेरा लंड चाची के नितंबों की दरार से नीचे की तरफ जा रहा था चाची ने अपने आपको पंजों के बल खड़ा कर दिया जिससे मेरा लोड़ा उसकी गुदा और मूत्र द्वार के बीच में योनि को सहलाता हुआ रूक गया अब चाची जैसे ही पंजों से नीचे हुई उसका पूरा वजन मेरे लन्ड पर पड़ गया और मेरा लन्ड चाची के योनि प्रदेश को पूरी तरह से सहलाने लगा
इधर मेरे दोनों हाथों को चाची के ब्लाउज के अंदर घूमने में रुकावट हो रही थी यह महसूस करके चाची ने अपने दोनों हाथों से ब्लाउज के हुक खोल दिए और मम्मों को लटकने दिया, मैंने अपने धड़ को थोड़ा सा पीछे किया और चाची के ब्लाउज को पूरा उतार दिया, ब्लाउज के हटते ही अपने दोनों हाथों से चाची की छोटी-छोटी नरम चूचियां रगड़ने लगा बहुत मजा आ रहा था
अब चाची बिल्कुल नंगी स्लैब के पास खड़ी थी और उसने गैस का नाॆब बंद कर दिया और नीचे से मेरा लन्ड चाची की चूत को गर्म कर रहा था और ऊपर से मेरी उंगलियां चाची के चूचियों पर अपना करतब दिखा रही थी
चाची जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी और अपनी गांड आगे पीछे करने लगी जिससे उसकी चूत थोड़ा बाहर की तरफ हुई तो मैंने अपना लन्ड चूत के मुहाने पर टिका कर हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरा सुपाड़ा चाची की चूत के लबों को खोलता हुआ अंदर घुसा अब मैं एक हाथ से अपने लन को पकड़कर चूत में प्रवेश करवाने की कोशिश कर रहा था और दूसरे से घोड़ी की तरह झुकी हुई चाची की चूचियां मसल रहा था पर हमारे खड़े होने की पोज के कारण लोड़ा आगे नहीं बढ़ पा रहा था चाची ने अपने दोनों हाथ स्लैब से हटाकर पीछे होकर लगभग कुत्तिया बन गई उसकी खुली हुई भोसड़ी ने मेरे लिंग को घप्प से अंदर ले लिया
मैंने हल्का सा ही धक्का मारा तो मेरा लन्ड गाता हुआ चाची की चूत में चला गया मैंने दोनों हाथों से चाची की चूचियों को मसलाता रहा और अपना मुंह चाची के कंधों के ऊपर से करके चाची के गालों से अपने गाल रगड़ने लगा
मेरी जांघें चाची के नितंबों पर रगड़ खा रही थी और मेरे ओंठ चाची के गाल चूमने लगे।
मैंने बड़े आराम से अपने को सैट किया और लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया चाची भी नीचे से अपनी नितंबों को था थाप दे रही थी जिससे हमारा समागम बहुत अच्छे से हो रहा था
आनंद लेते लेते मैंने चाची के उपर से हटा और थोड़ा पीछे करके उसके दोनों हाथ फर्श पर टिका दिए और मैं घुटनों के बल पीछे खड़ा होकर पेल रहा था, मेरे दोनों हाथ चाची के कंधों पर थे और इस तरह से मेरा लौड़ा पूरी तरह से चाची की चूत के अंदर बाहर हो रहा था चाची भी पीछे पूरे जोर से रिवर्स धक्का लगा रही थी मेरे घुटनों पर थोड़ा सा दवाब ज्यादा पड़ा तो मैंने रुक कर चाची को पीठ के बल पर लिटा दिया और उसके पैरों के बीच में बैठकर जगह बनाई और अब तना हुआ लौड़ा चाची की चूत पर टिकाया और उस के ऊपर लेट गया।
मेरा लौड़ा चाची को धकाधक चोदने लगा और चाची नीचे से नितंबों को उठा-उठा कर मेरे लंड को अपने अंदर समाने की कोशिश कर रही थी और मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर चाची की चूत में घुसने का प्रयास कर रहा था
कुछ क्षणों में मेरी सांस तेज होने लगी चाची का शरीर एंठने लगा और हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर जकड़ लिया और हमारी हरक़त बंद हो गई एक दो सैकण्डस के लिए हम दोनों की पूरी तरह शान्त हुए थे फिर एकदम से मेरा लावा झनझनाते हुए चाची के योनि में गिरने लगा और चाची की योनि का कंपन भी मुझे ऐसा बता रहा था कि वह भी झड़ रही है
कुछ क्षण बाद मैं चाची के ऊपर से उठा तो देखा मेरा वीर्य चाची की चूत से निकल कर फर्श पर इकट्ठा हो रहा था और चाची की जांघों पर भी लगा हुआ था चाची ने मेरे नरम होते लौड़े को अपनी चूत में से निकलते हुए महसूस किया तो उसने मुझे ऊपर से उठने का इशारा किया और बैठकर देखा कि मेरे वीर्य से उसकी जांघें सनी हुई हैं तो चाची के चेहरे पर मुस्कान आई और बोली बदमाश ये गलत बात है
फिर प्यार से चाची ने मेरे गले में दोनों बहन डाली, अपनी छातियों को मेरी छातियों से मिलाया और कहा मेरी जांघ गन्दी कर दी अब इनको कौन साफ करेगा।
गंदा बच्चा,
जांघों को साफ कर ।
मैं चाची को उठाकर बाथरूम की तरह ले आया उसको पटरे पर बिठा दिया नल खोला और मग में पानी लेकर चाची की जांघों को मलने लगा मेरा वीर्य चाची के शरीर से धुलने लगा मैंने धीरे धीरे चाची के कंधों से पानी डालना शुरू किया और फिर उसके कंधे मसलता हुआ नीचे आया
अच्छे से पानी डालते हुए चूचियों को मसला फिर पेट नाभि को मसलते हुए अपने हाथ चूत की तरफ ले आया वहां पर सफाई करते-करते मैंने दोनों हाथों की एक-एक अंगुली चाची की मैं चूत में डाल दी मेरा मुंह चाची के गालों से सटा हुआ था मैंने चाची को चुम्मा लेते हुए अपनी दोनों बांहों को चाची की चूत में रगड़ना जारी रखा चाची बोली बदमाश कहीं का सफाई कर रहा है कि दोबारा से गंदा करने का जतन कर रहा है मैंने चाचा जी आपको कुछ खुश करने का मेरा प्रयास है आप कई दिनों की भुखी हैं थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद थोड़ा थोड़ा खाना मिलता रहेगा तो आपकी सेहत ठीक हो जाएगी
चाची ने हाथ से मेरे लन्ड को टटोला तो वह फिर से खड़ा होने लगा था
ये तो तैयार है, चल भाई करें लड़ाई करें
मैंनें कहा ऐसा क्यों चाची की यह तो बहुत बड़ा प्यार है
चाची बोली बुद्धू प्यार कहां है जन्मों-जन्मों से लाखों-करोड़ों लोग आपने लन्ड से चूत को जीतने की कोशिश करते हैं और चूत हमेशा प्रयास करती रहती है कि लंड कभी जीत ना पाए इसलिए लड़ाई शाश्वत है और सदा चलती रहती है इससे अच्छी लड़ाई कोई हो नहीं सकती
यह लड़ाई ही नहीं जन्म युद्ध होता है सभी लोग मिलकर इस तरह लड़ते हैं तभी तो दुनिया आगे चलती है।
मुझे डर लगा पूछा तुम्हारे बच्चा तो नहीं ठहर जाएगा
चाची बोली ना- ना कि अभी मेरा सेफ पीरियड चल रहा है और जब आसार होगा तो निरोध ले आना
इसका मतलब मैं समझ गया कि चाची खुले रूप से मुझसे भविष्य में भी चुदाई करवाने का आमंत्रण दे रही है
यह सोचकर मेरे लन की सख्त होने की गति दुगनी हो गई
मैंने चाची को बाथरूम के फर्श पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया और फच फचा फच-फच से चाची की चूत पर लन्ड ठोकने लगा।
चाची पूरे जोर से मुझसे लिपट रही थी उसके दोनों हाथ मेंरी पीठ व नितंबों को दबा रहे थे चाची के पैरों ने मेरे पैरों पर कैंची बना ली थी और हम इस सनातन युद्ध में एक दूसरे को हराने का प्रयास करते हुए एक दूसरे में समा रहे थे
इस बार कुछ लंबा समय लगा और हम दोनों का वीर्यपात लगभग एक ही समय हुआ जब शरीर ठंडा पड़ा तो चाची ने कहा चल अब चुपचाप अपने को साफ कर और मैं अपनी चूत को धोती हूं नहीं तो तू दोबारा से मुझे चोदने की कोशिश करेगा
साफ करके हम बाहर आए चाची फिर किचन चली गई और खाना बनाने लगी और कहा हम दोनों इकट्ठे खाएंगे
हम दोनों ने खाने को इकठ्ठा खाया और एक दूसरे के मुंह में ग्रास तोड़ कर डाले लगे बीच-बीच में चबाया हुआ खाना लिप किस करते हुए एक दूसरे के मुंह में भी डाल रहे थे बहुत ही आनंद आ रहा था,,,,
अगला अपडेट जल्दी ही......
अधलेटी चाची की नंगी पिंडलियों को पकड़ा और दबाने लगा फिर धीरे-धीरे उसकी साड़ी पेटिकोट जांघों से ऊपर कर दी चाची ने कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी मैं अपने हाथ चाची के जांघों तक ले आया और मालिश करने के स्टाइल में गुदगुदी जांघों का मजा लेने लगा। धीरे धीरे से मैंने अपने हाथ चाची की नंगी गुदाज़ जांघों के अन्दरुनी हिस्से पर ले आया।
अंदर चूत के करीब मेरे हाथों को महसूस करके चाची की सिसकारियां निकलने लगी और चाची ने पैर पसार लिए मैंने चाची की चूत में दो अंगुलियां डाली और झुककर उसकी नाभि चाटने लगा, चाची को आगे का अंदाजा था इसलिए उसने अपने ढीले से ब्लाउज के नीचे के दो हुक खोल दिए जिससे चाची के दोनों छोटे छोटे नाज़ुक मम्मे बाहर निकल आए तो मैंने आगे बढ़कर एक मम्मे को मुंह में लेकर जीभ से उसकी घुंडि चुभलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके दूसरे मम्मे की गुंडी मरोड़ने लगा, अब चाची ने अपना संयम खो दिया
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