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Incest मां और मैं

Sangya

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मां ने मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से संतुष्ट किया
बचपन से मैं अपनी मां के बहुत निकट रहा, पिताजी दफ्तर के काम में व्यस्त रहते थे
मैं और मेरा छोटा भाई सैक्स वाली उम्र के हुए नहीं होंगे तभी से हमने मां के साथ लिपटकर सोने में बहुत आनंद महसूस करते थे
यह आनंद उस आनंद के मुकाबले बहुत ज्यादा था जो कि हमें आपस में गले मिलकर सोने में या अपने मकान मालिक की बेटी के साथ घर-घर खेलते हुए गले मिलने में आता था
शायद मां का गदराया हुआ शरीर हमें अधिक आनंदित करता है
घर पर मां हमारे सामने सिर्फ बिना कच्छी के पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज पहनती थी। सिर्फ जब कभी घर में कोई मेहमान आया होता था तो साड़ी लपेट लेती थी।
मां के साथ सोते-सोते हम अपनी अपनी छोटी सा नोनी कच्छी के अंदर से ही मां के पेटीकोट के उपर से मां के भारी चौड़ै नितंबों पर रगड़ते थे तो एक अलग मजा आता था
बीच-बीच में मां के नंगे पेट पर हाथ फेरना नाभि में उंगली डालना तथा कसकर अपनी छोटी सी लुल्ली को मां के चूतड़ों के बीच में डालकर हम दोनों भाई बहुत खुश हुआ करते थे। इस सब में हमें बहुत ही मजा आता था तक हमें यह नहीं पता था कि यह कोई वर्जित क्रिया है
दोपहर को सोते हुए मां से लिपटना मां की चूतड़ों में लुल्ली करना और इसी तरह से सो जाना क्या मजे के दिन थे और हैरानी की बात यह थी कि मां भी हमारे इस खेल को कभी भी नहीं रोकती थी बल्कि हरेक दिन मौका मिलते ही हमें अपने साथ लेटने और खेलने का पूरा अवसर एवं अधिकार देने का प्रयास करती थी
इस वजह से भी हम दोनों भाई मां के नितंबों व पेट पर बिना किसी शर्म या रोक-टोक के अपने अंगों को दबाते हुए मज़े लेते रहते थे
 
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Sangya

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मैंने पहले कोई कहानी नहीं लगी लिखी यह पहली बार प्रयास कर रहा हूं और यह सच्ची घटना पर आधारित है
मैं बचपन से ही मां के पास अपने से 1 साल छोटे भाई के साथ रहता था और पिताजी परदेस में नौकरी करते थे। मां बहुत भली तथा दिखने में नमकीन, सलोनी, बहुत सुंदर तो नहीं पर अपनी और ध्यान खींचने में सक्षम स्त्री थी, भरा हुआ शरीर भारी नितम्ब ब्लाउज से बाहर निकलते 40 इंच से भी बड़े उरोज सब को आकर्षित करते थे। मां पास पड़ोस में सबकी सहायता के लिए तत्पर रहती थी इसलिए आस पास के परिवारों में अच्छा मेलजोल था
हम दोनों भाई मां के साथ ही सोते थे यह पुरानी बात है तब ज्यादातर सब लोग साधारण तरीके से रहते थे, घर में पंखा ही होता था कूलर फ्रीज का अता पता भी नहीं था हमारा भी एक निम्न मध्यम मध्यम वर्गीय परिवार था
उन दिनों लोगों का आपस में व्यवहार अच्छा होता था तथा दिखावा कम, कपड़ों वगैरह पर हमारे आसपास लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते थे
दोनों भाइ आपस में तथा पास पड़ोस के लड़कों लड़कियों से खेलते। मां से भी चुहल बाजी गलबहिया करते रहते तथा स्कूल से आकर मां से लिपट कर बैठ जाते थे
खाना खाकर सो जाते थे गर्मी के दिन थे तो फर्श पर ही तीनों लेट जाते थे और याद नहीं ना जाने कब ऐसा हुआ कि मां के चूतड़ों के बीच में अपनी नोनी दबाकर रखने में मजा आया और धीरे-धीरे यह एक आदत ही बन गई। पता नहीं मां को पता चलता था कि नहीं या वह इसे साधारण तरीके से ही लेती थी मां के शरीर पर एक पतला सा पेटिकोट तथा ब्लाउज ही होता था तथा मेरे शरीर पर पतले कपड़े का कच्छा ही होता था। इस प्रकार से यह मजा चलता रहा बाद में छोटे भाई ने भी इसी प्रकार का मां से खेलना शुरू कर दिया और कभी कभी हम दोनों भाई भी बारी-बारी आपस में एक दूसरे के चूतड़ों में अपनी नोनी रगड़कर मज़ा लेते थे
एक बात बताना भूल गया जब हम मकान मालकिन की लड़की मंजू से हम घर घर खेलते थे तो मैं तथा मंजू मम्मी-पापा बनते तथा दोनों के भाई बच्चे बनते थे और हम सोने के समय उसे कसकर अपनी बाहों में लेता था डॉक्टर की एक्टिंग के समय उसकी फ्रॉक उठाकर निप्पल को मसलता तथा कच्छी के अंदर हाथ डालकर नितंबों पर अपनी खड़ी हुई छोटी सी लुल्ली से इंजेक्शन लगाया करता था। बाद में बढ़ कर नितंबों तथा मुत्रद्वार को चाटने रगड़ने का खेल कब शुरू हुआ पता नहीं चला। मेरी लुल्ली बड़ी तो नहीं थी पर उसके गुप्तांगों पर रगड़ना उसको भी और बहुत ही अच्छा लगता था और वो भी मौका ढूंढकर मेरे पास आ जाती थी।
कभी-कभी दोनों के भाई जो बच्चों का अभिनय कर रहे होते थे वह भी अपनी नाटक वाली मां पर चढ़ते थे और उसकी फ्रॉक ऊपर करके सोने की एक्टिंग करते थे पर एक दिन मकान मालकिन ने हमें देख लिया तथा हमें डांट कर अलग कर दिया उस दिन के बाद से मकान मालकिन ने अपनी लड़की को हमारे हिस्से वाले बरामदे की तरफ भी भेजना बंद कर दिया

जब हम थोड़ा बड़े हो गए फिर हमने ध्यान दिया कि जब कभी पिताजी घर आते तो रात को मां हमारे साथ से उठकर पिताजी की चारपाई पर चली जाती थी
हमारा घर एक ही कमरे वाला था और रात को अंधेरे में तो कुछ मालूम नहीं पड़ता था परंतु कभी-कभी दोपहर में ही माता पिता के खेल को देखने का मौका मिलता था और उनके कसमसाहटों तथा चुम्मीऔं को सुनकर हम दोनों भाइयों की लुल्ली खड़ी हो जाती थी और रात को भी तो अंधेरे में हम दोनों भाई बकायदा एक दूसरे से आनंद लेते थे और जब पिताजी वापस परदेस चले जाते थे तो मां के साथ चिपक कर सोने का और रगड़ने का प्रयास करते थे अब तक मेरी लुल्ली भी बड़ी हो गई थी तथा में उससे बकायदा खेलने लग गया था संभवत मां को भी मेरी खड़ी लुल्ली तथा रगड़ने का एहसास होता होगा किंतु वह कभी भी मुझे अपने से लिपटने से मना नहीं करती थी। लिपटे हुए ही मां के नर्म से पेट पर हाथ फेरना नाभि को मसलना तथा कभी-कभी ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को छेड़ना बहुत ही भाता था।
कभी-कभी मां के पैर दबाना पिंडलियों और जांघों तक मालिश करना या मां के पेट में दर्द होने के टाइम पर पीठ की मालिश करना मेरा नियम बन गया था इस काम में मुझे तो आनंद आता ही था संभवत मां को भी बहुत ही अच्छा लगता होगा तभी वह गाहे-बगाहे मालिश की फरमाइश कर देती थी
जब मैं दसवीं कक्षा में पढ़ने लगा तब तक पिताजी परदेस की नौकरी नौकरी में भी सुबह जल्दी जाकर रात को देर से आने का था और वो घर में इतवार को ही रहते थे अतः घर गृहस्ती के सारे काम मां तथा मेरे को ही करने होते थे छोटा भाई बहुत ज्यादा जिम्मेवारी नहीं लेता था और हम दोनों भाइयों का आपसी खेल भी बंद हो गया था, वह अपने दोस्तों में व्यस्त हो गया था उसने एक लड़की से दोस्ती कर ली थी तथा योन आनंद भी ले लिया था किंतु मुझे ऐसा मौका अभी तक नहीं मिल पाया था
भाई को शक था कि मां मेरे ऊपर बहुत मेहरबान है इसलिए कभी-कभी हो मुझसे मां के बारे में पूछता की क्या तुमने मां के साथ कुछ किया है तो मैं मैंने एक बार कह दिया कि हां कल मालिश करते करते मैंने मां की योनि में अंगुली डाली थी तथा उसको भी मसला है तो उसने बोला कि अपना लन्ड क्यों नहीं डाल दिया पर हम दोनों समझते थे कि बिना मां के आमंत्रण के ऐसा कुछ करने में खतरा है। जो कुछ मिल रहा है वह भी बंद हो सकता है मार पड़ने का ज्यादा बड़ा डर था
मां के साथ मेरे संबंध प्रगाढ़ होते गए और बड़ा होने के बावजूद भी जब भी मौका मिलता मैं मां के साथ बिस्तर में या जमीन पर सो जाता तथा कसकर आलिंगनबद्ध करना गालों पर पप्पी लेना पेट पर अच्छे से हाथ फेरना तथा मां के नितंबों पर अपना लिंग रगड़ना जारी रखे हुए था
अभी भी मां दोपहर को ब्लाउज तथा पेटीकोट ही पहनती थी और मैंने भी दोपहर को सोने के समय कच्छा उतार कर सिर्फ पजामें में ही मां के साथ लेटता था अब तक मुझे यकीन हो गया था कि मां मेरे लिंग को अपने नितंबों पर लगाना तथा गुदाद्वार से रगड़ना पसंद करती है क्योंकि मेरा लिंग अभी 7 इंच से बड़ा हो गया था और स्पूनिंग करते हुए मेरे हाथ उसके नंगे पेट तथा ब्लाउज में कसी चुचियों को अच्छे से दबाते थे कभी-कभी मां मेरी तरफ करवट लेकर अपने माम्मों को मेरी छाती से दबाकर और मेरे लिंग को अपनी योनि से सटाकर भी लेट जाती थी
इसी प्रकार से एक बार जब मां आलिंगन के बाद पीठ के बल लेटी तो मैं मैथुन मुद्रा में उसके ऊपर लेटने लगा तो मां ने मुझे मना कर दिया और वापस साइड में लेट गई, उसके बाद मुझे कई बार मां के साथ संभोग करते हुए स्वपनदोष होना शुरू हो गया था।
 
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Sangya

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हर बार सपने में मैं अपनी मां को अकेले में पाकर बहुत ही रगड़ता और उसकी गांड पर अपना लिंग रगड़ कर उसकी चुचियों को मसल कर आनंद लेता था
एक बार स्वपन में देखा कि मां थकी हुई लग रही है तो मैंने उसे मालिश का प्रस्ताव दिया वह एकदम से मान गई अपनी सामान्य वेशभूषा बिना कच्छी का पेटीकोट तथा बिना ब्रा के ब्लाउज पहनकर वह पीठ के बल लेट गई मैंने एक कटोरी में सरसों का तेल लिया और कच्छा पहनकर उसकी पिंडलियों को मलने लगा जैसा कि हमेशा होता था इस अवस्था में उसका पेटीकोट आधा खुला होता था और मुझे उसके चूतड़ों तक जांघ अच्छे से दिखाई देती थी (कभी-कभी उसकी योनि भी दिखाई देती थी पर मैं सिर्फ उसे मूत्र द्वार ही समझता था इसका एक अलग से एक किस्सा है जो सपने के बाद बताऊंगा) तो मैंने मालिश करते करते मां की जाघं तक से अच्छे से मली और फिर मां को बोला पेट के बल लेट जाओ तो ऊपर तक मालिश कर देता हूं तो मां पेट के बल लेट गई तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच में बैठकर उसकी पीठ की अच्छे से मालिश की ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर मम्मों की साइड में भी तेल लगाया तथा इधर पेटीकोट काफी ऊपर उठाकर उसके चूतड़ों पर अच्छे से मालिश की और अपनी एक ऊंगली उसकी गांड में भी डाल दी तब तक मेरा लंड सख्त हो गया था तो मैंने मां के ऊपर लेटने का प्रयास किया मां बोलती क्या कर रहा है मैंने कहा ना कुछ नहीं आपका कंधा भी मालिश कर दूं बहुत सुखा लग रहा है मां कुछ नहीं बोली तो मैं मां की दोनों टांगों के बीच में बैठकर मां की पीठ पर लेट कर उसके कंधों को मसल रहा था और मेरा लंड कच्छे के अंदर से मां के नंगे नितंबों पर अच्छे से रगड़ रहा था ऐसा काफी देर करते हुए स्वप्न में ही मेरा वीर्यपात हो गया और मेरी नींद खुली तो देखा मैं मां के साथ स्पून दशा लेटा हुआ हूं और मेरा पजामा गीला है गिलापन के पेटीकोट पर भी लगा हुआ था और मां जाग रही थी पर कुछ बोली नहीं।

अब आते हैं मूत्र द्वार तथा योनि के बारे में
मुझे दसवीं कक्षा तक मुझे गुदाद्वार ही योनि द्वार लगता था एक दिन एक दोस्त मस्तराम की किताब स्कूल में लाया था उसको पढ़ा तो उसने बूर तथा गांड अलग-अलग दिए गए थे बूर चोदना गांड मारना शब्द कई बार आए तो मैंने मित्र से पूछा यह क्या है तो उसने बताया पर मैंने कहा नहीं, कुत्ता-कुतिया भैंस-भैंसा गाय-सांड को पीछे से ही करते देखा है तो आदमी औरत दूसरी तरफ से कैसे करेंगे इस पर काफी बहस हुई फिर एक मित्र तर्क लेकर आया कि सिनेमा में नहीं देखा कि हीरोइन की इज्जत लूटने के समय हीरो उसके आगे ही होता है उसका अकाट्य तर्क सुनकर तथा मस्तराम के ज्ञान प्रद विवरण को पढ़कर मुझे समझ में आया कि मूत्र द्वार ही योनि होता हैं फिर बात की बहस तथा एक अनुभवी मित्र और उसके बाद अपने छोटे भाई से कंफर्म करके यह पता चला कि मूत्र द्वार और गुदाद्वार के बीच में अति आनंद में स्वर्गमय योनि होती है जिससे हम बाहर आए हैं तथा जिसमें अपना लिंग डालकर स्त्री को झूला झूलाते हैंतथा खुद सातवें आसमान पर पहुंचते हैं

अब तक हम मंजू वाला मकान छोड़ चुके थे तथा दूसरे मोहल्ले में रहने लगे थे यह घर थोड़ा बड़ा था और मेरे पढ़ने में कुशाग्र होने के कारण परिवार में तथा आसपास के लोगों में मेरे गणना अच्छे बच्चों में होती थी
मैं 11वीं कक्षा में आ गया था और सपनों में अपनी मां मौसी बुआ तथा बहुत सारी पड़ोसिनों को चोद चुका था
दो बार ममेरी मौसेरी बहनों को पटाने का प्रयास किया पर असफल रहा।
हस्तमैथुन बहुत ज्यादा बढ़ गया था, चूत सिर्फ सपने में मिलती थी
सच में तो तकिए को बिस्तर पर रखकर उस पर अपना लंड रगड़ना ,पानी का नल खोल कर उसकी धारा में लंड पर गिराना , बान वाली चारपाई के बीच में लंड डालकर योनि का आभास लेना ही मेरा नसीब बन गया था।
अपनी मकान मालकिन सीमा जिसको मैं चाची कहता था के बहुत करीब आ गया था
 
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Sangya

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हुआ यूं कि मकान मालकिन चाची का पति आपनी बड़ी भाभी के साथ अवैध संबंध बनाए हुए था
वैसे तो अवैध कुछ नहीं होता लंड और चूत का जहां समन्वय हो जाए वह वैध है चाहे मां की वात्सल्य से भरी योनि और बेटे का आदरपूर्ण लिंग हो, बहू की शर्मीली चूत और ससुर का रौबदार लिंग हो, देवर का शरारती लंड या जेठ का अनुभवी लौड़ा और भाभी की कसी हुई रस टपकाती चूत हो, मामी-भांजा का छलकता प्यारा संबंध हो, बुआ-भतीजा का बहन भाई जैसा अंतरग चुदाई भाव हो, बेटी बाप के बीच बना संभोग का पक्का पुल या इनमें लिंग बदलकर विपरीत रिश्ते हों जिसमें मजा है वही जीवन आनंद है
अवैध बोलना शायद इन रिश्तों को अधिक आकर्षक बनाता है।

खैर जो भी हो चाची का पति ज्यादातर अपने बड़े भाई के घर में ही रहता था उसकी भाभी माया अपने पति तथा देवर दोनों को ही संतुष्ट करती थी
माया बहुत ही कंटीली जवानी थी बड़े-बड़े मम्मे भरा हुआ शरीर देखते ही उसको चोदने का मन बना देते थे तो क्या कसूर उसके देवर का जो अपनी पतली नॉटी तथा सादी पत्नी को छोड़कर माया भाभी के डनलप रूपी शरीर पर लेट कर अपने बांस को उसके कुएं में डाल कर मछली पकड़ता था
इधर सीमा चाची पति के वियोग या यूं कहें कि सेक्स के अभाव में लंड को ना प्राप्त करने के कारण मिर्गी रोग से ग्रस्त हो गई थी
मेरे को चाची के साथ समय बिताने का मौका इसलिए भी ज्यादा मिलने लगा था कि उस दौरान मेरी मां अपनी बीमार मां को देखने के लिए अक्सर दोपहर को अपने मायके चली जाती थी और शाम को 4:00 बजे ही जाती थी और मैं स्कूल से 1:00 बजे आकर चाची के साथ गप्पे मारता रहता था और वो बीच-बीच में अपने दुखड़े सुनाती थी
चाची कपड़ों के बारे में मेरे सामने बहुत लापरवाह रहती थी थी उसका लो कट ब्लाउज उसके छोटे से स्तनों और निप्पल पूरी नुमाइश करता था उसकी ब्लाउज के अंदर घाटियां निप्पल के आसपास का लाल व्यास तथा उसके दायें मम्मे के ऊपर छोटा सा तिल मुझे स्पष्ट दिखाई देता था। इस मकान में हमारे पोर्शन तथा चाची के पोर्शन के बीच में बाथरूम था और बारिश में बाथरूम का दरवाजा कुछ फूल जाता था जिसके कारण वह पूरा बंद नहीं होता था इस स्थिति में अक्सर नहाने के टाइम सब लोग झिर्रि पर तोलिया या कोई कपड़ा टांग देते थे किंतु चाची मेरे स्कूल से आने के बाद बात करते-करते बाथरूम में जाती और मैं भी दरवाजे के सामने खड़ा बातें करता खड़ा रहता था,
चाची दरवाजे पर कपड़ा नहीं टांगती थी और आराम से बात करते करते नहाती रहती थी नहाने के बाद पुरी तरह से नंगी अवस्था में अपने कुछ कपड़े भी धोती थी जिससे मैं रोज लगभग आधा घंटा उसको पूरी तरह से नंगा देखने का सुख प्राप्त करता था
मेरा लिंग उस समय उसके नितंब उसकी जांघें उसका योनि द्वार को देखकर खड़ा हो जाता था और जब चाची को नंगा देखने का सिलसिला बना तब मैं भी रोज बात करते-करते स्कूल की पेंट उतार कर सिर्फ कच्छे में ही खड़ा रहता था उससे चाची को भी मेरा खड़ा लन्ड कच्छे में साफ साफ दिखता था
एक दो बार तो मैंने चाची को बोला कि पीठ साफ कर दूं तो उसने हंसकर मना कर दिया और बोली बाथरूम में नहीं, कभी कमरे में करवा लूंगी।
इस प्रकार से सहानुभूति और दर्द का ऐसा रिश्ता हम दोनों के बीच बन गया कि मैं स्कूल से आकर उसके नहाने के बाद उसके साथ ही बैठकर खाना खाता था और कभी उसको हौसला देने के लिए, दुख कम करने के लिए पप्पी कर देता था आलिंगन करता था उस आलिंगन में उसकी छातियों को अपनी छाती में दबा देता था उसके नितंबों पर अपने हाथ से मालिश कर देता था उसका झीना सा ब्लाउज पेटीकोट और साड़ी हमारे शरीर के बीच में होती थी पर पेट व पीठ नंगा होता था और गालों पर पप्पी लेना भी खूब सामान्य हो गया था।
एक दो बाहर उसे मेरे सामने अकेले में ही दौरा पड़ा तो मैंने चाची की मालिश की व चाची को बांहों में उठाकर बिस्तर पर लिटाया और दवाई वगैरह दी
इसी तरह से एक बार जब मैं स्कूल से आया तो चाची बिस्तर में लेटी हुई निढाल पड़ी थी वह बोली मेरे शरीर में जान नहीं है उठा नहीं जा रहा उस समय बीपी वगैरा के बारे में तो पता नहीं होता था पर मां भी जब निढाल होती थी तो मैं उसकी मालिश करता था मैंने भी चाची की मालिश करने का प्रस्ताव रखा।
थोड़ी ना अंकुर के बाद वह मान गई और मैंने शुरुआत तो साफ मन से की थी पर करते करते यह घटना घटित हो गई
 
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Sangya

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मैंने उसकी साड़ी खोली और ब्लाउज पेटीकोट में उसको नीचे चटाई पर लिटा दिया
सरसों का तेल हल्का सा गर्म करके लाया उस के तलवों की मालिश की हथेलियों की बारिश की फिर पिंडलियों की मालिश करने से देखा तो उस की रंगत थोड़ी वापस आ रही थी और वह मुस्कुराने लगी थी
मैंने कहा कुछ फायदा मिला मेरी प्यारी चाची को तो वो बोली मेरा मीठा सा भतीजा चाची को खुश कर रहा है और ठीक करने की कोशिश कर रहा है तो चाची क्यों ठीक नहीं होगी
मैंने कहा अच्छा ऐसी बात है तो आज पूरा ही ठीक कर दूंगा और कोशिश करूंगा कि तुम्हारा मिर्गी का रोग की जड़ भी खत्म हो जाए।
पहले मैं कई बार उससे कह चुका था कि पति का लिंग ना मिलने की वजह से उसकी योनि सूखी-सूखी होगी और मन में कुंठा आ रही होगी और जब ठरक पूरी तरह से मन और दिमाग में भर जाए तो मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मैंने उसे एक दो बार बैंगन या मोमबत्ती प्रयोग करने के बारे में कहा था पर वह मानी नहीं या मेरे सामने उसने स्वीकार नहीं किया था किंतु जैसे वह नहाते हुए मुझे अपना नंगा बदन दिखाती थी और सारा दिन पल्लू नीचे गिरा कर अपनी चूचियां दिखाती थी इससे मुझे आमंत्रण तो लगता ही था और आज उसका मन चुदाने का लग भी रहा था
घर में मेरे और उसके अलावा कोई नहीं था अतः आज मैंने चाची को स्वस्थ करने का जिम्मा उठाने का निश्चय किया।
मैंने चाची को बोला कि पूरा ठीक करने के लिए तुम्हारे पैरों में ऊपर तक, पेट तथा पीठ पर भी मालिश करनी पड़ेगी तब उसमें जान आ जाएगी
चाची ने मुस्कुराकर पलके झुकाई और कहां मेरा राजा बेटा जो करेगा वह ठीक ही करेगा मैं बहुत खुश हुआ और मैंने चाची को ठीक करना शुरू कर दिया:::::::::
 
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firefox420

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:congrats: for new story
 
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Nice update
 
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